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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि एक अत्यधिक सक्षम आत्मनिर्भर रक्षा अंतरिक्ष इकोसिस्टम के निर्माण का समय आ चुका है

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने जोर देकर कहा है कि चूंकि देश अमृत काल से गुजर रहा है, इसलिए यह एक अत्यधिक सक्षम आत्मनिर्भर रक्षा अंतरिक्ष इकोसिस्टम के निर्माण का समय है। दिल्ली कैंट के मानेकशॉ सेंटर में 7 फरवरी, 2024 को तीन दिवसीय अंतरिक्ष संगोष्ठी एवं प्रदर्शनी ‘डीईएफएसएटी’ का उद्घाटन करते हुए, जनरल अनिल चौहान ने कहा कि सरकार ने अंतरिक्ष संवर्धन से लेकर अन्वेषण तक देश के लिए बड़े लक्ष्यों की कल्पना की हुई है।

मानव जाति हेतु और युद्ध में जाने वाले सशस्त्र बलों के लिए भी अंतरिक्ष की जीवन शक्ति की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भूमि, वायु, समुद्र तथा साइबर तकनीकी के पारंपरिक क्षेत्रों में युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से अंतरिक्ष का उपयोग बल गुणांक के रूप में किया जा सकता है। उन्होंने रक्षा अंतरिक्ष इकोसिस्टम के सभी हितधारकों से देश की अंतरिक्ष संपत्तियों की सुरक्षा के उद्देश्य से रक्षा निवारक के रूप में उद्योग जगत से अंतरिक्ष-सुरक्षा की क्षमताओं पर काम करने के लिए आह्वान किया।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने सशस्त्र बलों की क्षमताओं को सशक्त करने के लिए अंतरिक्ष का उपयोग करने की सरकार की प्रमुख गतिविधियों का उल्लेख किया। उन्होंने आईडेक्स पहल के तहत मिशन डेफस्पेस 2022 के हिस्से के रूप में 75 अंतरिक्ष संबंधी चुनौतियों का भी जिक्र किया। जनरल अनिल चौहान ने कहा कि इस पहल के तहत, कुल पांच अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और अतिरिक्त चार अनुबंध दस्तावेजीकरण के विभिन्न चरणों में हैं। उन्होंने बताया कि इसी समय सीमा में, 12 मेक-आई चुनौतियों का व्यवहार्यता अध्ययन भी आगे बढ़ाया जा रहा है।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने इस बात पर बल दिया कि सरकार देश के भीतर एक भरोसेमंद अंतरिक्ष इकोसिस्टम का विकास करने के लिए स्टार्ट-अप सहित सभी हितधारकों को प्रोत्साहित कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारे पास वर्ष 2014 में एक ही स्टार्ट अप था, जो 2023 में ही अंतरिक्ष क्षेत्र में 54 नए स्टार्टअप के साथ 204 स्टार्टअप तक बढ़ गया है। जनरल अनिल चौहान ने कहा कि वर्ष 2023 में हमने एक राष्ट्र के रूप में इस क्षेत्र में 123 मिलियन डॉलर का निवेश किया, जिससे कुल निधि 380.25 मिलियन डॉलर हो गई।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने इस तथ्य पर जोर दिया कि वर्तमान में भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था लगभग 8.4 अरब डॉलर होने का अनुमान है और वर्ष 2033 तक स्वदेशी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के 44 अरब डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सीड फंड योजना, 0% जीएसटी व्यवस्था, परीक्षण सुविधाओं को साझा करना, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जैसी सरकारी गतिविधियों ने निजी उद्योग को उचित सहयोग प्रदान किया है। जनरल अनिल चौहान ने कहा कि मांगों के संरेखण और वित्त पोषण समर्थन के साथ यह ढांचा निजी क्षेत्र को आगे बढ़ने के लिए सही वातावरण प्रदान करता है।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने कार्यक्रम स्थल पर एक प्रदर्शनी और उत्पाद प्रस्तुति के माध्यम से निजी अंतरिक्ष उद्योग भागीदारों द्वारा की गई विभिन्न तकनीकी प्रगति को दर्शाने वाली एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।

भारतीय सशस्त्र बलों में संयुक्तता, एकीकरण और परिवर्तन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एकीकृत रक्षा कार्मिक मुख्यालय के साथ एक थिंक टैंक के रूप में सेंटर फॉर जॉइंट वारफेयर स्टडीज द्वारा सैटकॉम इंडस्ट्री एसोसिएशन – इंडिया (एसआईए) के साथ आयोजित सेमिनार का उद्देश्य नागरिक, वाणिज्यिक एवं रक्षा अंतरिक्ष कार्यक्रमों के बीच समन्वय तथा तालमेल को बढ़ावा देना है। जिसे अंतरिक्ष क्षेत्र की दोहरे उपयोग की प्रकृति का लाभ उठाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।