अमित शाह ने जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिए वेबपोर्टल, जियोफेंसिंग के साथ अपग्रेडेड एसआरएस मोबाइल एप्लीकेशन और जनगणना प्रकाशनों की ऑनलाइन बिक्री के वेबपोर्टल का भी शुभारंभ किया।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने जनगणना संग्रह (1981 से आगामी जनगणना) का भी विमोचन किया।
इस अवसर पर केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री श्री नित्यानंद राय, श्री अजय कुमार मिश्रा और केन्द्रीय गृह सचिव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि जन्म और मृत्यु का पंजीकरण किसी भी देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और ये दो जनगणनाओं के बीच विकास की योजनाओं को बनाने में मदद करता है, अब मोदी सरकार इस प्रक्रिया को ऑनलाइन कर आसान बना रही है। उन्होंने कहा कि आज 1981 से अभी तक की सभी जनगणनाओं के इतिहास को एक पुस्तक में संकलित करके प्रकाशित किया गया है। उन्होंने कहा कि जब तक ज़िम्मेदारी तय नहीं होती है तब तक उसका निर्वहन करना मुश्किल होता है और आज लॉंच हुआ जियोफेंसिंग के साथ अपग्रेडेड एसआरएस मोबाइल एप्लीकेशन निचले स्तर तक के कर्मचारी को रिस्पॉंसिबल बनाएगा। श्री शाह ने कहा कि जनगणना देश के विकास को रेखांकित करने वाली प्रक्रिया है और इसके लिए ये ज़रूरी है कि जियोफेंसिंग के साथ एसआरएस अपग्रेडेड मोबाइल एप्लीकेशन एक ऐसा अलर्ट सिस्टम बनाए जिससे जनगणना करने वाले आवंटित क्षेत्र से बाहर ना जा सकें। उन्होंने कहा कि देश में कई संस्थाएं बन रही हैं जो राज्यों, ज़िलों और तहसीलों को विकास में विश्लेषण के साथ प्रोफेशनल सलाह देने की कुव्वत रखती हैं और इन सबकी प्रोफेशनल कम्पीटेंस का उपयोग देश के विकास में होना चाहिए। इसके लिए उन्हें विश्लेषण के लिए जनगणना का सारा साहित्य उपलब्ध होना चाहिए और आज से जनगणना के सारे प्रकाशनों की ऑनलाइन बिक्री शुरू हो गई है, जिससे प्लानिंग और शोध करने वालों को सबसे बड़ा फायदा होगा।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि काफी सालों तक हमारे देश का विकास मांग-आधारित और टुकड़ों में होता रहा। उन्होंने कहा कि इतने बड़े भौगोलिक विविधता वाले देश में अगर सर्वस्पर्शीय और सर्वसमावेशक विकास करना है तो ये बहुत ज़रूरी है कि विकास की प्लानिंग डेटा के आधार पर हो और डेटा के लिए हमारे पास जनगणना के सिवा और कोई साधन नहीं है। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश को पूरी तरह सर्वस्पर्शीय और सर्वसमावेशी रूप से विकसित करने का आधार नई जनगणना होगी। उन्होंने कहा कि पहले जनगणना और विकास की योजना बनाने वाले लोगों के बीच कोई कड़ी भी नहीं थी। अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार अब इलेक्ट्रॉनिक तरीके से जनगणना कराएगी, जिसमें हर व्यक्ति को डेटा भरने का अधिकार होगा, उसका सत्यापन और ऑडिट होगा, और इसमें सामाजिक-आर्थिक स्थिति के 35 से अधिक पैरामीटर्स को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि पहले की जनगणनाओं में विकास के लिए जो डेटा उपलब्ध होना चाहिए, वो नहीं था और ना ही उसके विश्लेषण की व्यवस्था थी। उन्होंने कहा कि आज़ादी के लगभग 70 सालों बाद योजना बनी कि हर गांव में बिजली पहुंचनी चाहिए, हर व्यक्ति को घर, नल से स्वच्छ पीने का पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें और हर घर में शौचालय बन जाए। श्री शाह ने कहा कि आजादी के लगभग 70 सालों बाद तक पानी, बिजली, घर, स्वास्थ्य आदि मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं क्योंकि इनके लिए आवश्यक बजट उपलब्धता किसी को नहीं पता थी, मोदी सरकार डेटा का उचित विश्लेषण कर गरीबों तक सुविधाएं पहुंचाएगी। उन्होंने कहा कि योजनाएं बनती रहीं, लक्ष्य तय होते रहे लेकिन सबको घर देने का लक्ष्य तय करने का साहस नहीं था क्योंकि किसी को नहीं पता था कि इसके लिए कितना बजट चाहिए। उन्होंने कहा कि जनगणना का उपयोग, सटीकता, ऑनलाइन उपलब्धता और प्लानिंग और जनगणना के बीच सेतु के अभाव में ये सब पहले नहीं हो सका। श्री शाह ने कहा कि मोदी सरकार ऐसी व्यवस्था करने जा रही है कि जैसे ही एक व्यक्ति 18 वर्ष का होता है, चुनाव आयोग उससे सूचना लेकर उसका वोटर कार्ड बना देगा। इसी प्रकार किसी की मृत्यु होने पर जनगणना रजिस्ट्रार से चुनाव आयोग के पास इसकी सूचना जाएगी और फिर प्रक्रियानुसार उसका नाम मतदाता सूची से हटा लिया जाएगा।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस प्रकार की जनगणना के प्रयास से जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रेशन और जनगणना कम्प्लीट हो सकेगी जिससे देश को बहुआयामी फायदे होंगे। उन्होंने कहा कि जनगणना का डेटा विकास की मूल योजना बनाने में और वंचितों, शोषितों को आधारभूत सुविधाएं प्रदान करने में सहायक होता है