प्रधानमंत्री मोदी आज पांचवें बिम्सटेक (बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन) शिखर सम्मेलन में सम्मिलित हुये, जिसकी मेजबानी वर्चुअल माध्यम से श्रीलंका ने की, जो इस समय बिम्सटेक का अध्यक्ष है। पांचवें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के पूर्व, वरिष्ठ अधिकारियों और विदेश मंत्रियों के स्तर पर एक तैयारी बैठक हाइब्रिड पद्धति से कोलंबो में 28 और 29 मार्च को आयोजित की गई थी। शिखर-सम्मेलन की विषयवस्तु “टूवर्ड्स ए रेजीलियंट रीजन, प्रॉस्पेरस इकोनॉमीज़, हेल्दी पीपुल” सदस्य देशों के लिये प्राथमिकता विषय है। इसके अलावा बिम्सटेक के प्रयासों से सहयोगी गतिविधियों को विकसित करना भी इसमें शामिल है, ताकि सदस्य देशों के आर्थिक तथा विकास पर कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभावों से निपटा जा सके। शिखर वार्ता का प्रमुख कदम बिम्सटेक चार्टर पर हस्ताक्षर करना और उसे मंजूरी देना है, जिसके तहत उन सदस्य देशों के संगठन को आकार देना है, जो बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित हैं तथा उस पर निर्भर हैं। शिखर सम्मेलन में बिम्सटेक कनेक्टीविटी एजेंडा को पूरा करने की उल्लेखनीय प्रगति का जायजा लिया गया। राष्ट्राध्यक्षों ने ‘यातायात संपर्कता के लिये मास्टरप्लान’ पर विचार किया, जिसके तहत भविष्य में इस इलाके में संपर्कता सम्बंधी गतिविधियों का खाका तैयार करने के दिशा-निर्देश निहित हैं। अपने उद्बोधन में प्रधानमंत्री ने बिम्सटेक की क्षेत्रीय संपर्कता, सहयोग और सुरक्षा को बढ़ाये जाने के महत्त्व को रेखांकित किया। इस सम्बंध में उन्होंने अनेक सुझाव दिये। प्रधानमंत्री ने अपने समकक्ष राष्ट्राध्यक्षों का आह्वान किया कि वे बंगाल की खाड़ी को बिम्सटेक सदस्य देशों के बीच संपर्कता, समृद्धि और सुरक्षा सेतु में बदलने का प्रयास करें। प्रधानमंत्री श्री मोदी तथा अन्य राष्ट्राध्यक्षों के समक्ष तीन बिम्सटेक समझौतों पर हस्ताक्षर हुये। इन समझौतों में वर्तमान सहयोग गतिविधियों में हुई प्रगति के विषय शामिल हैः 1). आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता पर बिम्सटेक समझौता, 2). राजनयिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में आपसी सहयोग पर बिम्सटेक समझौता-ज्ञापन, 3). बिम्सटेक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुविधा की प्रतिस्थापना के लिये प्रबंध-पत्र।