इस समय चल रहा आदि महोत्सव वास्तव में सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए खुशी की बात है। सर्वश्रेष्ठ जनजातीय हस्तशिल्प, पूर्वोत्तर की वांचो और कोन्याक जनजातियों के मोतियों के हार से लेकर ढोकरा शिल्प कला, प्राकृतिक रूप से प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले सूखा आंवला, जंगली शहद, हल्दी, रागी जैसे उत्पाद हों या आकर्षक बुनाई और सिल्क व गर्म शॉल जैसे कपड़े; किसी को भी अपने पंसद के अनुसार सब कुछ यहां मिल सकता है।
इन विभिन्न वस्तुओं को बेचने वाले 200 दुकानों में से कुछ विशेष स्टाल भी हैं जिनमें देश के अलग-अलग हिस्सों से अद्वितीय, दस्तकारी खिलौने मिल रहे हैं। इनमें मध्य प्रदेश में भीलो द्वारा बनाई गई प्रसिद्ध झाबुआ गुड़िया हैं; असम, सिक्किम और उत्तर प्रदेश की क्रोशिया गुड़िया; केरल से नारियल की जटा से बने खिलौने और राजस्थान की रंगीन कठपुतलियां भी हैं। ये गुड़िया और खिलौने आदिवासियों के दैनिक जीवन के साथ-साथ उनके द्वारा पहने जाने वाली पारंपरिक पोशाक को भी दर्शाते हैं, जहां से वे आते हैं। ये स्टाल काफी हद तक खिलौनों के लिए प्रधानमंत्री के वोकल फॉर लोकल दृष्टिकोण के अनुरूप हैं। सुरक्षित, मजबूत और खूबसूरती के साथ की गई उम्दा दस्तकारी वाले ये खिलौने न केवल बच्चों के लिए एक आकर्षक खेलने वाली चीज हैं बल्कि सजावट के लिए और आकर्षक उपहार भी हैं।
आदि महोत्सव में घूमना पूरे परिवार के लिए एक सुखद अनुभव है क्योंकि वहां सभी के लिए कुछ न कुछ उपलब्ध है। कुछ अनोखे और पारंपरिक जनजातीय हस्तशिल्प, पेंटिंग और जैविक आदिवासी उत्पादों की खरीदारी के अलावा लोग यहां महोत्सव के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों के मशहूर स्थानीय व्यंजन जैसे मड़वा रोटी, लिट्टी चोखा, धुस्का, बंजारा बिरयानी, दाल बाटी और चूरमा आदि का स्वाद ले सकते हैं। इसके साथ-साथ मनोरंजक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देख सकते हैं। ‘आदि महोत्सव-जनजातीय शिल्प, संस्कृति और वाणिज्य का उत्सव’ है, जिसका आयोजन नई दिल्ली के आईएनए स्थित दिल्ली हाट में किया गया है। यह महोत्सव 15 फरवरी, 2021 तक सुबह 11 से रात 9 बजे तक चलेगा।
आदि महोत्सव में आइए और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान को बढ़ावा दीजिए।