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क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर के महिला प्रकोष्ठ द्वारा महिला सशक्तीकरण और बालिका सुरक्षा अभियान” के अंतर्गत नौ दिनों की वर्चुअल कार्यशाला आयोजित

उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देशों का त्वरित अनुपालन करते हुए क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर के महिला प्रकोष्ठ द्वारा महिला सशक्तीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की गई है. “बालिका सुरक्षा अभियान” के अंतर्गत नौ दिनों की एक वर्चुअल कार्यशाला दिनांक 17 से 25 अक्तूबर 2020 तक आयोजित की गई, जिसके माध्यम से सभी छात्राओं को शारीरिक, मानसिक, आत्मिक और व्यावहारिक रूप से सबल व सुदृढ़ बनने की ओर कदम बढाए गए. 

        कार्यशाला का आरंभ 17.10.2020 को ईश्वर की आराधना के साथ इस प्रार्थना से हुआ कि सम्पूर्ण कार्यशाला निर्विघ्न रूप से संपन्न हो. महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जोज़ेफ़ डेनियल ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला का उद्घाटन किया. तत्पश्चात महाविद्यालय के महिला प्रकोष्ठ की संयोजिका डॉ. शिप्रा श्रीवास्तव (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, वाणिज्य संकाय, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर) ने प्रतिभागियों को इस कार्यशाला के उद्देश्य से परिचित कराया. उन्होंने स्पष्ट किया कि नव-दुर्गा के शक्ति-उपासना के नौ दिनों के समानांतर चलने वाली इस कार्यशाला का ध्येय सभी बालिकाओं में आतंरिक शक्ति एवं बाह्य दृढ़ता का संचार करना ही है. साथ ही उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस कार्यशाला का लाभ सभी छात्राओं को उनके सुरक्षित व स्वस्थ भविष्य के निर्माण हेतु मिलेगा. इसके बाद डॉ. अर्चना पाण्डेय (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, बी.एन.डी. कॉलेज, कानपुर) द्वारा “सशक्त नारी सशक्त भारत” विषय पर व्याख्यान दिया गया. इसमें छात्राओं के लिए विविध उपयोगी सूत्रों के साथ उनकी सहायता के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए हेल्पलाइन नंबरों की भी उन्होंने जानकारी दी. इस कार्यशाला की विशिष्टता यह थी कि इसमें व्याख्यानों, वार्ताओं, चर्चाओं के अतिरिक्त ऑनलाइन रूप से ही नौ दिन श्री प्रयाग सिंह ने सभी प्रतिभागी छात्राओं को ताइक्वानडो और मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग सफलतापूर्वक दी. श्री प्रयाग सिंह कानपुर ताइक्वानडो एसोसिएशन के सह-सचिव हैं और राष्ट्रीय स्तर के ट्रेनर भी हैं. उनके साथ सुश्री यशी सिंह ने आत्म-सुरक्षा के लिए आवश्यक प्रेशर पॉइंट अटैक को समझाया और सिखाया. कार्यशाला के दूसरे दिन 18.09.2020 को महाविद्यालय के आई. सी. सी. प्रकोष्ठ की चेयरपर्सन प्रो. सूफिया शहाब (एसोसिएट प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर) ने महाविद्यालय में छात्राओं की सहायता के लिए स्थापित आई.सी.सी. सेल के बारे में बताया. साथ ही  छात्राओं का मार्गदर्शन करते हुए उन्हें अपनी समस्याओं के विषय में खुलकर बोलने के लिए प्रेरित किया. इस दिन डॉ. सुनीता राठौर (प्रोफ़ेसर, विधि संकाय, लखनऊ) ने महिलाओं की सहायता हेतु विभिन्न नियमों और कानूनों के विषय में बताया, जैसे पोस्को, घरेलू हिंसा, शारीरिक एवं मानसिक उत्पीडन आदि से संबद्ध क़ानून आदि. तीसरे दिन, 19.10.2020 की कार्यशाला का आरंभ महाविद्यालय में महिला प्रकोष्ठ की संयोजिका  डॉ. शिप्रा श्रीवास्तव, के बहुत प्रेरणास्पद व्याख्यान से हुआ. उन्होंने नवरात्रि में शक्ति के नौ अवतारों का उल्लेख करते हुए अपने भीतर आत्मिक शक्ति के जागरण पर बल दिया. इसके बाद डॉ. फिरदौस कटियार (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, वनस्पतिविज्ञान विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर) ने संतुलित और पोषक आहार की महत्ता पर बात करते हुए महिलाओं के भोजन में पोषक तत्वों की कमी और उनके नुकसान के बारे में बताया. चौथे दिन, 20.10.2020 कार्यशाला में डॉ. डोरोथी राय (एसोसिएट प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष, अंग्रेज़ी विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर) ने सभी छात्राओं को समुचित और समयानुकूल वस्त्र धारण करने के विषय में समझाया और सही सलाह दी. साथ ही बी. एच. यू. की डॉ. विभा सिंह ने युवाओं के स्वास्थ्य पर व्याख्यान दिया – “एमेज़िंग डाएट फॉर एमेज़िंग यूथ”. कार्यशाला का पांचवां दिन, 21.10.2020 डॉ. विभा दीक्षित (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, राजनीतिशास्त्र विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर) के अत्यंत प्रेरक व्याख्यान से आरंभ हुआ, जिसमें उन्होंने महिला सशक्तीकरण के विषय में विस्तार से समझाया. इसके बाद सुश्री नंदिनी जोशी (क्लिनिकल न्यूट्रीशनिस्ट, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, मुंबई) ने युवाओं के लिए उचित एवं संतुलित आहार की महत्ता को समझाया ताकि स्वस्थ जीवन की ओर वे सबल कदम बढ़ा सकें. छठे दिन, 22.10.2020 की शुरुआत सकारात्मक चिंतन और उज्ज्वल जीवन पर बहुत सुन्दर व्याख्यान से हुई, जिसे डॉ. श्वेता चंद (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, रसायनशास्त्र विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर) ने प्रस्तुत किया. साथ ही आत्मतोष व संतोष को सफलता की कुंजी बताते हुए डॉ. सिधांशु राय (प्रोफ़ेसर, मैनेजमेंट संकाय, सी एस जे एम यू विश्वविद्यालय, कानपुर) ने अत्यंत उपयोगी जीवन-सूत्र बालिकाओं को बताए. इसी दिन सभी प्रतिभागियों के माता-पिता ने भी बालिका सुरक्षा अभियान से संबद्ध शपथ ली. कार्यशाला के सातवें दिन, 23.10.2020 को कार्यशाला समन्वयक डॉ. मीतकमल द्विवेदी (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, रसायनशास्त्र विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर) द्वारा युवाओं के मानसिक एवं वैचारिक झुकाव व रुझान को इंगित करते हुए बहुत प्रेरणापूर्ण व्याख्यान दिया गया. साथ ही सुप्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. आलोक वाजपेयी ने मानसिक स्वास्थ्य और सुलझी हुई गवेषणात्मक सोच की महत्ता स्पष्ट की.  24.10.2020 को कार्यशाला के आठवें दिन एन एस एस की भूमिका और उसके कार्यों को डॉ. सुनीता वर्मा (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, वनस्पतिविज्ञान, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर) और डॉ. अलका निवेदन (लखनऊ) ने स्पष्ट करते हुए व्यक्तित्व विकास के लिए इसे आवश्यक बताया. डॉ. आशुतोष सक्सेना (एसोसिएट प्रोफ़ेसर और विभागाध्यक्ष, राजनीतिशास्त्र विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर) और महाविद्यालय में एन सी सी के संयोजक डॉ. निरंजन स्वरूप (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, गणित विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर) ने छात्राओं को ए सी सी की विस्तृत जानकारी देते हुए उसकी उपयोगिता के विषय में जानकारी दी. उनके अनुसार एन सी सी छात्राओं के सर्वांगीण विकास में सहायक होकर राष्ट्रीयता की भावना और सामाजिकता के विकास को पोषित करती है.  इन सभी कार्यक्रमों के साथ निबंध-लेखन, स्लोगन और पोस्टर की प्रतियोगिताएँ भी प्रतिभागी छात्राओं के लिए आयोजित की गईं. इन प्रतियोगिताओं के निर्णायक मंडल में डॉ. संगीता गुप्ता, डॉ. सुजाता चतुर्वेदी, डॉ. मृदुला सैमसन और डॉ. शालिनी कपूर थीं. कार्यशाला के अंतिम दिन, 25.10.2020 को समापन समारोह का आरंभ महाविद्यालय के प्रबंध-तंत्र के सचिव रेवरेंड सैमुअल पॉल लाल द्वारा की गई ईश-आराधना और उसके बाद अत्यंत सामयिक और प्रेरक वक्तव्य से हुआ, जिसमें छात्राओं को समर्थ और शक्तिमय बनने का आह्वान निहित था. महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जोज़ेफ़ डेनियल ने सभी छात्राओं को शपथ दिलाते हुए उनके सामर्थ्यवान और सुरक्षित भविष्य की कामना की. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ. रिपुदमन सिंह थे. डॉ. सिंह का स्वागत और परिचय महिला प्रकोष्ठ की संयोजिका डॉ. शिप्रा श्रीवास्तव ने किया. डॉ. सिंह ने इस कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए सभी को बधाई देते हुए स्त्रियों को समाज में उनकी आंतरिक शक्ति, बुद्धि, क्षमता और संवेदना के आधार पर सम्मानजनक स्थान की अधिकारिणी बताया. तत्पश्चात डॉ. शिप्रा श्रीवास्तव ने इस नौ-दिवसीय वृहद कार्यशाला द्वारा सभी छात्राओं के जीवन और उनकी सोच में सकारात्मक परिवर्तन की अपेक्षा करते हुए शक्ति को आत्मिक और मानसिक रूप से आत्मसात करने की दिशा दिखाई. इस कार्यक्रम में सभी प्रतियोगिताओं के परिणाम निर्णायक मंडल द्वारा घोषित किए गए और सभी विजेताओं को शुभकामनाएं प्रेषित की गईं. कार्यक्रम के अंत में इस कार्यशाला की समन्वयक और महिला प्रकोष्ठ की बहुत कर्मठ सदस्य डॉ. मीतकमल ने समस्त कार्यों का समाहार देते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत की. इस प्रकार बालिका सुरक्षा अभियान जैसी कार्यशाला के आयोजन से छात्राओं के आत्मविश्वास और नैतिक बल में वृद्धि तो होती ही है, उनके व्यक्तित्व के बहुआयामी विकास की दिशा में भी प्रगति होती है. इस प्रकार के सकारात्मक उद्देश्यपरक कार्यक्रमों से निश्चय ही “समग्र सुशोभित बहुमुखी सामंजस्यपूर्ण विकास” का महत संकल्प सिद्ध होगा. डॉ. शिप्रा श्रीवास्तव संयोजिका महिला प्रकोष्ठ डॉ. मीतकमल द्विवेदी  समन्वयक  बालिका सुरक्षा अभियान कार्यशाला