केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कोविड-19 से संबंधित दबाव से निपटने के लिए ऋण समाधान व्यवस्था के कार्यान्वयन हेतु ऋणदाताओं की तैयारियों की स्थिति की समीक्षा करने के लिए आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और एनबीएफसी के प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक के दौरान श्रीमती सीतारमण ने ऋणदाताओं को यह समझाया कि जब ऋण अदायगी पर मोहलत की अवधि समाप्त हो जाएगी, तो कर्जदारों को निश्चित तौर पर आवश्यक सहयोग दिया जाना चाहिए और कोविड-19 से संबंधित संकट के कारण ऋणदाताओं द्वारा कर्जदारों की उधार पात्रता या साख का आकलन प्रभावित नहीं होना चाहिए। वित्त मंत्री ने बैठक के दौरान निम्नलिखित पर फोकस किया –
- ऋणदाता तुरंत समाधान के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति पर अमल की तैयारी करें, पात्र कर्जदारों की पहचान करें और उनसे संपर्क करें
- हर व्यवहार्य या लाभप्रद व्यवसाय (बिजनेस) के पुनरुद्धार के लिए कर्जदाता किसी टिकाऊ समाधान योजना को तुरंत कार्यान्वित करें
वित्त मंत्री ने इस बात पर भी विशेष जोर दिया कि कर्जदाताओं द्वारा समाधान योजनाओं को 15 सितंबर, 2020 तक अवश्य शुरू कर दिया जाना चाहिए, और इसके बाद जागरूकता उत्पन्न करने के लिए एक सतत मीडिया अभियान चलाया जाना चाहिए। उन्होंने कर्जदाताओं को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी कि समाधान रूपरेखा या व्यवस्था पर नियमित रूप से अपडेट किए गए एफएक्यू (प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्न) हिंदी, अंग्रेजी एवं क्षेत्रीय भाषाओं में उनकी वेबसाइटों पर अपलोड किए जाएं, और उनके कार्यालयों एवं शाखाओं में भी सर्कुलेट किए जाएं।
कर्जदाताओं ने यह आश्वासन दिया कि उनकी समाधान नीतियां तैयार हैं, पात्र कर्जदारों की पहचान करने और उन तक पहुंचने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कर्जदाताओं ने यह आश्वासन भी दिया कि वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा निर्धारित की गई समयसीमा का पालन करेंगे।
वित्त मंत्रालय यह भी सुनिश्चित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के साथ बातचीत करता रहा है कि आरबीआई संबंधित समाधान प्रक्रिया में कर्जदाताओं को आवश्यक सहायता प्रदान करे।
वित्त मंत्री ने ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के हिस्से के रूप में घोषित की गई ईसीएलजीएस, पीसीजीएस 2.0 एवं सबऑर्डिनेट ऋण योजनाओं के तहत विभिन्न कर्जदाताओं द्वारा हासिल की गई प्रगति की भी समीक्षा की, और इसके साथ ही कर्जदाताओं को ठोस प्रयास कर त्योहारी सीजन से पहले कर्जदारों को अधिकतम संभव राहत देने की सलाह दी है। ईसीएलजीएस के तहत 31.8.2020 तक 1.58 लाख करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है, जिसमें से 1.11 लाख करोड़ रुपये से अधिक रकम का वितरण किया भी जा चुका है। पीसीजीएस 2.0 के तहत अब तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा खरीद के लिए 25,055.5 करोड़ रुपये के बॉन्ड/सीपी स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 13,318.5 करोड़ रुपये, जो पोर्टफोलियो के 53% से भी अधिक हैं, एए- से कम रेटिंग वाले बॉन्ड/सीपी से संबंधित हैं। इस प्रकार यह योजना कम रेटिंग वाले बॉन्डों/सीपी के लिए काफी अहम साबित हुई है।
वित्त मंत्री ने लॉकडाउन के दौरान ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ से संबंधित उपायों के प्रभावकारी कार्यान्वयन में बैंकों एवं एनबीएफसी के प्रयासों की काफी सराहना की। वित्त मंत्री ने कंपनियों एवं कारोबारियों के साथ-साथ व्यक्तिगत कर्जदारों की आवश्यकताओं को पूरा करने और कोविड-19 से संबंधित संकट के कारण मदद के लिए गुहार लगा रहे व्यवसायों के पुनर्निर्माण के प्रयासों को तेज गति देने के लिए भी कर्जदाताओं को प्रेरित किया।