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क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर में आतंरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ द्वारा वेबिनार का आयोजन “नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति : शिक्षा प्रणाली में एक क्रांति”

क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय, कानपुर के आतंरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आई क्यू ए सी) द्वारा
आज वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसका विषय था- “नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति : शिक्षा प्रणाली में एक क्रांति”. विगत 34 वर्षों से चल रही पुरानी शिक्षा नीति बदलते परिदृश्य में अपनी अर्थवत्ता और मूल्यवत्ता खो चुकी थी. इसीलिए भारत सरकार द्वारा जुलाई 2020 में घोषित नई शिक्षा नीति द्वारा प्रस्तुत बदलाव के नूतन संकेतों पर वैचारिक मंथन हेतु इस वेबिनार का आयोजन सामयिक उपयोगिता रखता है.
इस गोष्ठी का आरंभ डॉ. आर. के. द्विवेदी (समन्वयक आई क्यू ए सी) ने करते हुए सभी
प्रतिभागियों का स्वागत किया. तत्पश्चात उन्होंने ईश-आराधना द्वारा कार्य के निर्विघ्न संपन्न होने की
प्रार्थना करने हेतु महाविद्यालय की प्रबंध-समिति के सचिव रेवरेंड सैमुअल पॉल लाल को आमंत्रित किया.


महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जोज़ेफ़ डेनियल ने सभी अतिथियों और वक्ताओं का स्वागत करते हुए इस वेबिनार की उपयोगिता पर प्रकाश डाला. महाविद्यालय में नैक के समन्यवक डॉ. डी. सी. श्रीवास्तव ने नई शिक्षा नीति की महत्ता को रेखांकित करते हुए इस नीति से देश में रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा मिलने के साथ शोधपरक कार्यों में उन्नति होने की आशा व्यक्त की.
आज के इस महत्वपूर्ण आयोजन में दो विशिष्ट वक्ताओं के विचार सुनने को मिले – प्रो.
नवल किशोर अम्बष्ट (पूर्व अध्यक्ष एन आई ओ एस, एम एच आर डी) तथा डॉ. अरविन्द दीक्षित (पूर्व
कुलपति डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा). दोनों विद्वान वक्ताओं का परिचय इस वेबिनार की कर्मठ संयोजिका डॉ. मीतकमल द्विवेदी ने दिया.
तत्पश्चात इन विद्वानों ने अपने वक्तव्य में नई शिक्षा नीति को देश को विकास की
दिशा में अग्रसर करने वाला बताया. इस नवीन नीति के अंतर्गत मातृभाषा पर बल देते हुए उसे पाँचवीं कक्षा तक शिक्षा के माध्यम के रूप में स्थापित किया गया है. इससे छोटे बच्चों को ज्ञानार्जन करने में भाषा की बाधा का सामना नहीं करना पड़ेगा और नवीन ज्ञान अधिक सरल व सुबोध तरीके से समझा- समझाया जा सकेगा. डॉ. अम्बष्ट ने नई शिक्षा नीति को बहुत रोजगारपरक बताते हुए स्पष्ट किया कि इसके अंतर्गत छठी कक्षा से ही वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएँगे और इच्छुक छात्रों को इंटर्नशिप भी कराई जायेगी. इसके सबसे महत बिंदु पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसके द्वारा मल्टीपल एंट्री और एग्ज़िट प्रणाली को लागू करना. इसमें एक साल के बाद किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ने पर सर्टिफिकेट, दो साल बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री मिल जाएगी. इससे छात्र अपनी रूचि के अनुसार अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं. डॉ. दीक्षित ने भी बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत देश में शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में नेशनल रिसर्च फाउन्डेशन (एन आर एफ़) की स्थापना की जाएगी. इससे विविध विश्वविद्यालयों के माध्यम से उच्च गुणवत्तापूर्ण शोध को बढ़ावा दिया जा सकेगा. साथ ही ई-
पाठ्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलोजी फ़ोरम (एन ई टी एफ़) बनाया जा रहा है, जिसके लिए वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है. इस प्रकार विभिन्न नवोन्मेषशाली कदमों द्वारा वर्ष 2030 तक उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जी ई आर) 50 फ़ीसदी पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो वर्ष 2018 में 26.3% था. इतने ज्ञानवर्धक और रोचक वेबिनार के आयोजन द्वारा निश्चय ही नई शिक्षा नीति के बहुत अहम् बिन्दुओं की विस्तृत जानकारी सभी को प्राप्त हुई. अंत में इस वेबिनार के आयोजन सचिव डॉ. नवीन कुमार अम्बष्ट ने सभी अभ्यागतों और विशिष्ट वक्ताओं के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया. समस्त वेबिनार का अत्यंत कुशल और प्रवाहमय संचालन डॉ. श्वेता चंद (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, रसायनशास्त्र विभाग) द्वारा किया गया.
यह वेबिनार गूगल मीट प्लेटफ़ॉर्म पर आयोजित किया तथा लगभग 300 प्रतिभागियों ने इसमें भाग लिया.