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क्राइस्ट चर्च कॉलेज प्राचार्य ने प्रशाषनिक आदेशों की उड़ाई धज्जियां

प्रमाणपत्रों का भौतिक सत्यापन करवाने के दौरान छात्र-छात्राओं की उमड़ी भीड़

कानपुरः । कोरोना संक्रमितों की संख्या उप्र में दिनों दिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में जिला प्रशासन निर्देश पर निर्देश जारी करता जा रहा है लेकिन निर्देशों का कितना पालन हो रहा है? यह किसी से छुपा नहीं है? वहीं इसकी जमीनी हकीकत कुछ अलग ही है क्योंकि सार्वजनिक स्थानों पर शारीरिक दूरी (प्रशासनिक शब्दों में सोशल डिस्टेंसिंग) को दरकिनार करने के मामले तो आयेदिन प्रकाश आते ही रहते हैं लेकिन अब इन दिनों इस काम में कालेजों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आने लगी है। आज शहर के एक प्रतिष्ठित डिग्री कालेज में दिखे नजारे भी इसकी पुष्टि कर रहे हैं और कोरोना संक्रमण को रोकने के लिये जारी किये गये निर्देशों की धज्जियां इस डिग्री कालेज में जमकर उड़ाईं गई हैं।
जी हाँ, बड़ा चैराहा स्थित शहर के ‘क्राइस्ट चर्च डिग्री कालेज’ में प्रिंसिपल के निर्देश पर छात्र-छात्राओं को बुलाया गया और उनके प्रमाणपत्रों के फिजिकल सत्यापन के दौरान शारीरिक दूरी (प्रशासनिक शब्दों में सोशल डिस्टेंसिंग) की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। इस दौरान कालेज परिसर व कक्षों में समुचित व्यवस्था ना होने के चलते व कालेज प्रशासन की लापरवाही के छात्र-छात्राओं की संख्या झुण्ड (झुरमुट) में तब्दील हो गई। अपने-अपने प्रमाण पत्रों को चेक करवाने के चक्कर में छात्र-छात्रायें भी कोरोना से बचने के लिये जारी किये गये निर्देश को ताक पर रखते दिखे। इस बावत कालेज के प्रिंसिपल ने बताया कि यूनिवर्सिटी के निर्देश पर छात्र-छात्राओं के डाक्यूमेन्ट्स का फिजिकल सत्यापन करवाया जा रहा है। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के बावत जब उनसे पूंछा तो उन्होंने बताया कि सब कुछ ठीक है। मानकों को ध्यान में रखकर काम किया जा रहा है।

वहीं सूत्रों की मानें तो प्रिंसिपल ने मनमानी दिखाते हुए स्वयं ही छात्र-छात्राओं को बुलाया है और यूनिवर्सिटी से कोई आदेश या निर्देश नहीं जारी किया गया है।
गौरतलब हो कि कोरोना संक्रमण के देखते हुए उप्र सरकार ने स्कूल-कालेज आगामी 30 सितम्बर तक बन्द रखने के निर्देश दिये हैं। ऐसे में कालेज में छात्र-छात्राओं को बुलाना सवालिया निशान लगाता है।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिये जारी किये निर्देशों का उल्लंघन करवाने में समुचित व्यवस्था ना करने की जिम्मेदारी किसकी है?
अगर छात्र-छात्राओं के साथ ही शिक्षक-शिक्षिकाओं में कोराना का संक्रमण फैल गया तो उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने की जिम्मेदारी कौन लेगा?