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क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय,में वेब-संगोष्ठी के दूसरे दिन विद्वानों और वैज्ञानिकों ने रखे विचार

          क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय, कानपुर और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 03 से 05 जून, 2020 तक एक अत्यंत उपयोगी वेब-संगोष्ठी आयोजित की जा रही है. क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय में इसके संयोजन का दायित्व डॉ. सुनीता वर्मा (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, वनस्पति विज्ञान विभाग) और डॉ. श्वेता चंद (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, रसायनशास्त्र विभाग) ने संभाला और महाविद्यालय प्रबंध-समिति के सचिव रेवरेंड एस. पी. लाल तथा प्राचार्य डॉ. सैमुअल दयाल ने अपना सहयोग व संरक्षण प्रदान किया. साथ ही वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के चेयरमैन डॉ. अवनीश कुमार एवं कंट्रोलिंग ऑफिसर डॉ. अशोक सल्वटकर का संयुक्त योगदान एवं सहयोग भी इस वेब-संगोष्ठी के आयोजन में है. आज की वेब-संगोष्ठी की मुख्य अतिथि प्रो. राजेन्द्र सिंह विश्वविद्यालय, प्रयागराज की परीक्षा नियंत्रक प्रो. विनीता यादव हैं. कार्यक्रम में तीन मुख्य वक्ताओं ने भागीदारी की – प्रो. आर. सी. दुबे ( डीन, जी.के.वी., हरिद्वार), डॉ. ए. के. वर्मा (राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सैदाबाद) और डॉ. शशिबाला सिंह (असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, भूगोल विभाग, डी. जी. कॉलेज, कानपुर).  

कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में आज आयोजित होने वाली वेब-संगोष्ठी की सार्थकता बहुत बढ़ जाती है. यह वेब-संगोष्ठी तीन-दिवसीय है, जिसके दूसरे दिन आज दिनांक 04.06.20 को वेब-संगोष्ठी का आरम्भ करते हुए इसकी संयोजिका डॉ. सुनीता वर्मा ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया और मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ताओं का परिचय प्रस्तुत किया. तत्पश्चात कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सैमुअल दयाल द्वारा ईश्वर की आराधना द्वारा सभी विघ्न-बाधाओं के निराकरण और संगोष्ठी के सफल आयोजन की प्रार्थना की गई.

तत्पश्चात वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग के चेयरमैन डॉ. अवनीश कुमार ने आयोग का संक्षिप्त परिचय देते हुए उसके उद्देश्य स्पष्ट किए. स्वतंत्र भारत में प्रयोजनमूलक हिंदी के विकास में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग की बहुत महती भूमिका है. वेब-संगोष्ठी की मुख्य अतिथि प्रो. राजेन्द्र सिंह विश्वविद्यालय, प्रयागराज, की परीक्षा नियंत्रक प्रो. विनीता यादव ने नए बदले हुए वातावरण में कोविड-19 द्वारा परिवर्तित परिवेश का आकलन समाज और भाषा के सन्दर्भ में किया. इस के लिए भाषा और शब्दावली को भी अपने अभिव्यक्ति के साधनों सहित अवसर के अनुकूल उपस्थित होना होगा.   

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रथम मुख्य वक्ता डॉ. आर. सी. दुबे ने इस वैश्विक आपदा के समय का आकलन पारंपरिक ज्ञान के सन्दर्भ में प्रस्तुत किया. उनके अनुसार भारत में कोविड का सामना करने के लिए हमें अपने पारंपरिक सांस्कृतिक ज्ञान का आश्रय लेना चाहिए. ऐसे समय में शुद्ध दूध, शहद, घी और जल का प्रयोग बहुत उपयोगी है. साथ ही नियमित रूप से अग्निहोत्र अपने घर में करने से हम समस्त वातावरण में व्याप्त सूक्ष्म कृमियों एवं नकारात्मकता को विनष्ट कर सकते हैं और साथ ही मानसिक स्वास्थ्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी पुष्ट रख सकते हैं. नियमित रूप से हाथ-पैर-मुँह धोना और धूप का सेवन भी लाभप्रद है. इस संगोष्ठी के द्वितीय मुख्य वक्ता डॉ. ए. के. वर्मा ने कोविड के सन्दर्भ में पर्यावरण की स्थिति पर विचार किया. उन्होंने इस बात पर ध्यान आकृष्ट किया कि पिछले कुछ महीनों के लॉकडाउन की स्थिति में मानव- गतिविधियों के बहुत कम हो जाने से सबसे अधिक लाभ पर्यावरण का हुआ है. पर्यावरण में आये इस सुधार से निश्चय ही वैश्विक स्तर पर मौसम-बदलाव और जैव-विविधता पर व्यापक असर होगा. आज के कार्यक्रम की तीसरी मुख्य वक्ता डॉ. शशिबाला सिंह थीं. उनके अनुसार आज विश्व भर में कोविड 19 महामारी के प्रकोप से समस्त मानव समाज त्रस्त है. इस आपदा ने न केवल हमारे नित्य जीवन के व्यवहारों और कार्यों को परिवर्तित किया है, बल्कि हमारी सोच व भाषा को भी प्रभावित किया है. कोविड के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उन्होंने ऐसी महामारियों के समय में सामाजिक व्यवहार पर भी प्रकाश डाला.

इस वेब-संगोष्ठी के दूसरे दिन का समापन करते हुए कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. श्वेता चंद ने सभी अतिथियों, वक्ताओं एवं प्रतिभागियों के प्रति हार्दिक धन्यवाद प्रेषित किया. साथ ही कल, दिनांक 05.06.20 को इस वेब-संगोष्ठी के तृतीय व अंतिम दिन प्रतिभाग करने हेतु सबको आमंत्रित किया.