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मुक्त हो मानव मन

मुक्त हो मानव मन

भाव विश्वास श्रध्दा के बंधन  संदेह भाव मुक्ति दाता 

विश्वास अविश्वास मृत्यु संदेह की  तीव्रता संदेह की निमित्त बनती खोज की 

संदेह प्यास, अभीप्सा संदेह, संदेह अग्नि प्राणो का मंथन 

पीड़ा संदेह की मानो विचार जन्म की प्रसव पीड़ा 

काम क्रोध से कुंठित अपनी ईष्यायें अपने भ्रम

व्देष अपने वैमनस्य अपने मूढताएँ अपनी शत्रुताएँ अपनी 

जडताएँ भी अपनी अंहकार भी अपने भावों का ये मकड़जाल 

मानव मन के घुन और ज्वार मन, देह, विचार भावों के दास

छोड़ो जडता हरो भावों का तम भाव मृगमरीचिका से मुक्त हो मानव मन 

मुक्त हो मानव मन