अफवाह तो अफवाह ही सच कहाँ होती है।
अफवाहो पर ही हकीकत में तौबा या वाह !होती है।
यथार्थ का ऐहसास होते ही छू-मन्तर हवा होती है।
अक्स दिखता है बेहतरीन जब धुँध फना होती है।
जिन्दगी जीना नही हर किसी के बस में यहां।
जिन्दगी जीना भी एक खूबसूरत कला होती है।
दर्द में कट जाती है कभी तमाम जिन्दग़ानि।
कभी-कभी दर्द ही इसकी महफूज़ दवा होती है।
सुधा भारद्वाज”निराकृति”
विकासनगर उत्तराखण्ड