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विविधा

दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज में जी-20 के विशेष संदर्भ में “सतत विकास में महिलाओं की अग्रणी भूमिका” विषय पर गोष्ठी आयोजित

कानपुर 17 मार्च, भारतीय स्वरूप संवाददाता, जी-20 के विशेष संदर्भ में “सतत विकास में महिलाओं की अग्रणी भूमिका” विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता पूर्व भारतीय वायु सेना अधिकारी, पर्वतारोही (एवरेस्ट पर्वतारोही), अंतर्राष्ट्रीय प्रेरक वक्ता (TEDx), लेखिका, शिक्षाविद, उत्तर प्रदेश की G–20 ब्रांड एंबेसडर, स्क्वाड्रन लीडर सुश्री तुलिका रानी रही। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि महिलाएं परिवार बनाती है, परिवार घर बनाता है, घर समाज बनाता है और समाज ही देश बनाता है। अतः महिलाओं की अनदेखी करके हम किसी विकसित राष्ट्र का सपना नहीं संजो सकते। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्या प्रो. अर्चना वर्मा ने की। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत के लिए जी-20 अध्यक्षता अमृत काल की शुरुआत है जो हमें “वसुधैव कुटुंबकम” के आधार पर समावेशी विकास की ओर उन्मुख करता है। संचालन डॉ मनीष पांडे ने किया। संयोजिका डॉक्टर संगीता सिरोही ने बताया कि गोष्ठी में पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, लैंगिक समानता व समावेशी विकास आदि मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से चीफ प्रॉक्टर प्रो अर्चना श्रीवास्तव, महाविद्यालय जी–20 समिति के सभी सदस्य, समस्त विभागाध्यक्ष व प्राध्यापिकाएं, छात्राएं व शिक्षणेत्तर कर्मचारी उपस्थित रहे।

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समाचार कानपुर से

 

*पनकी पुलिस का खेल निराला, ले देकर अपराधियों को छोड़ डाला*

*कुछ दिनों पहले वाहन चोरी में पकड़े गए थे छह अभियुक्त इसमें से 4 अभियुक्तों को सेटिंग गेटिंग के दम पर दिया थाने से छोड़*

*सूत्रों की माने तो मोटी रकम लेकर वाहन चोरों को थाने से ही दे दी गई क्लीनचिट*

*वहीं सूत्रों की माने तो तिलक नामक अभियुक्त के पास से उनकी पुलिस ने की थी चोरी की बाइक बरामद और लेकर आई थी थाने इसके बावजूद भी सेटिंग गेटिंग के दम पर तिलक को भी दिया गया छोड़*

*क्षेत्रीय वकील का भाई भी हुआ था वाहन चोरी में बंद जिसको सेटिंग गेटिंग के दम पर दिया गया छोड़*

*पकड़े गए वाहन चोरों का सरगना को भी दिया गया छोड़*

*संपूर्ण साक्ष्य के साथ जल्द होगा रतनपुर चौकी का बड़ा खुलासा*

*सूत्रों की माने तो मोटी रकम के चलते वाहन चोरों को बना दिया गया बेकसूर*

*मामला थाना पनकी के रतनपुर चौकी का*

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*पुलिस ने सब्जी व फल वालों को दौड़ाया, व दिव्यांग ठेले वाले को पीटने का लगाया आरोप*

कानपुर. कानपुर में बड़ा चौराहा पुलिस की संवेदनहीनता और मनमानी की वजह से गरीब सब्जी वाले व फल वालो को अपने परिवार को पालन पोषण करने में परेशान हो रहे हैं दरअसल, बड़े चौराहे पर सब्जी व फल का ठेला लगाकर अपने घर का पालन पोषण करते हैं लेकिन कुछ दिनों पहले ही डीएसपी सिटी ट्रैफिक का चार्ज रवीना त्यागी को मिला था उसके बाद से यातायात को सुचारू रूप से चलाने के लिए जगह-जगह वनवे का प्रयोग भी किया जा रहा है दुकाने और ठेले वालों को किनारे करके लगाने के लिए कहा गया है दिव्यांग ओमप्रकाश ,राजेश, व सनी, विनय, का कहना है कि किनारे ठेला लगाये हुए था यातायात दरोगा और कुछ सिपाही लाठी-डंडे लेकर फल वाले दुकानदारों को भगाने लगते और लात घुसो से मारते हैं ठेला ना लगने के कारण हम सभी परिवारों को बच्चों की फीस व पालन पोषण करने में बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जिसके शिकायत कई बार पुलिस के बड़े अधिकारियों से की जा चुकी है।सभी ठेला वालों की मांग है कि हम सभी फल वालों को एक जगह निश्चित कर दी जाए जिससे आए दिन ठेला लेकर भरना ना पड़े और यातायात भी सुचारू रूप से चलता रहे।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज में जी20: समावेशी और टिकाऊ की विकासकी पहल” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

कानपुर 17 मार्च भारतीय स्वरूप संवाददाता, राजनीति विज्ञान विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर और भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (मुख्यालय नई दिल्ली) कानपुर शाखा ने संयुक्त रूप से 17 और 18 मार्च 2023 को “जी20: समावेशी और टिकाऊ की विकासकी पहल” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया है।
यह संगोष्ठी कानपुर शहर में किसी भी शैक्षणिक संस्थान द्वारा आयोजित एक अहम् पहल है। आज भारत के लिए G20 अध्यक्षत्ता का एक गौरवशाली काल है.भारत सरकार “वसुधैव कुटुम्बकम” के मूल्यों के तहत के अपने G20 लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में शैक्षणिक संस्थानो की अहम् भूमिका एवं भागीदारी की अपेक्षा रखती है। यह राष्ट्रीय संगोष्ठी भारतीय जी20 अध्यक्षत्ता के तहत वैश्विक मुद्दों के एजेंडे में पहल और उपलब्धियों के विषय में जागरूकता पैदा करने की दिशा में उठाए गए कदमों में से एक है। इसमें भारत के विभिन्न प्रान्तों से लोगों ने भागीदारी की है.
इस अवसर पर उपस्थित विशिष्ट अतिथियों और दिग्गजों की सूची में मुख्य अतिथि डॉ. उमा शंकर(सीमा शुल्क और जीएसटी लखनऊ के प्रधान मुख्य आयुक्त), सम्मानित अतिथियों में श्री एस.के. सिंह, (प्रधान आयुक्त, सीमा शुल्क एवं जीएसटी कानपुर)और श्री आर. रमानी, (पूर्व मुख्य सचिव, यू.पी. और वर्तमान में अध्यक्ष, IIPA U.P. क्षेत्रीय शाखा), मुख्य वक्ता स्क्वाड्रन लीडर तूलिका रानी उत्तर प्रदेश G20 की ब्रांड एम्बेसडर और प्रो. एन.के.सक्सेना (अध्यक्ष आईआईपीए कानपुर शाखा) शामिल थे। क्राइस्ट चर्च कॉलेज के प्रिंसिपल एवं कॉलेज गवर्निंग बॉडी के सचिव डॉ. जोसेफ डेनियल ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की। दो दिवसीय संगोष्ठी का शुभारम्भ विशिष्ट गणमान्य व्यक्तियों और अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर की गई। डॉ. आशुतोष सक्सेना, (विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान विभाग और उपाध्यक्ष, आईआईपीए) ने संगोष्ठी के उद्देश्यों और संरचना के विषय में बताया, और डॉ. जी. एल. श्रीवास्तव, (आईआईपीए कानपुर शाखा के सचिव और संगोष्ठी संयोजक) ने सम्मानित अतिथियों और गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया।
Sqnldr तूलिका रानी, ​​जी20 ब्रांड एंबेसडर, यूपी सरकार ने संगोष्ठी में मुख्य अभिभाषण दिया. उन्होंने अपने प्रेरक विचारों से जीवन में चुनौतियों का सामना करने और राष्ट्र के लिए निस्वार्थ भाव से काम करने के लिए युवाओं का आह्वान किया। उन्होंने भारत के जी20 एजेंडे को बढ़ावा देने और इसकी सफलता में योगदान देने के लिए उत्तर प्रदेश कैसे अग्रणी हो सकता है, इस बारे में अपने विचार साझा किये । विशिष्ट अतिथि श्री आर. रमानी ने सभी के बीच मानवतावाद और राष्ट्रवाद के मूल्यों को स्थापित करने के लिए इस तरह के और राष्ट्रीय सेमिनारों की आवश्यकता पर बल दिया । उन्होंने जी20 की अध्यक्षता के लिए भारतीय एजेंडे और उसके विभिन्न पहलुओं के बारे में कुछ मूल्यवान जानकारियां साझा कीं। मुख्य अतिथि डॉ. उमा शंकर ने जी20 की भारतीय अध्यक्षता की भूमिका और महत्व के बारे में अपनी अंतर्दृष्टि साझा की, उनके अनुसार भारत को वैश्विक शासन में अपने वैचारिक और दार्शनिक आधार को आगे बढ़ाने का यह सुअवसर मिला है. उन्होंने कहा कि भारत समानता, समावेशिता और सामान्य भलाई के लक्ष्यों का अनुसरण करते हुए शासन व्यवस्था का विशव पटल पर एक अनूठा उदाहरण स्थापित करता है।
इस अवसर पर गणमान्य अतिथियों ने प्रो. आशुतोष सक्सेना एवं डॉ. विभा दीक्षित द्वारा लिखित द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर की राजनीति विज्ञान की स्नातक पाठ्यपुस्तकों का विधिवत विमोचन किया।
सत्र के अध्यक्ष के रूप में अपने संबोधन में, प्रो. जोसेफ डेनियल ने जी20 और भारतीय अध्यक्षता के महत्व के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए इस तरह के कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए आयोजन टीम के प्रयासों की सराहना की। प्रो. एन.के. सक्सेना (अध्यक्ष आईआईपीए कानपुर शाखा) ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया। उद्घाटन सत्र का डॉ. विभा दीक्षित (सह प्रवक्ता राजनीतिक विज्ञान विभाग एवं संगोष्ठी आयोजन सचिव ) ने प्रभावी ढंग से संचालन किया।
पहले दिन संगोष्ठी में तीन तकनीकी सत्र थे जो G20 के चार महत्वपूर्ण पहलुओं पर आधारित थे.
पहले तकनीकी सत्र की अध्यक्षता विशिष्ट अतिथि श्री एस.के. सिंह ने की और संचालन प्रो. आशुतोष सक्सेना ने किया। G20: टिकाऊ और न्यायसंगत वैश्विक विकास के पहलु पर विचार-विमर्श केंद्रित था. श्री एस.के. सिंह ने वैश्विक शासन में समानता और टिकाऊ विकास के विषय में अपने विचार रखे. आमंत्रित वक्ता, प्रो. राजेश कुमार और प्रज्ञा त्रिपाठी ने अपनी महत्त्वपूर्ण प्रस्तुतियों से सभा को सोचने पर विवश किया। अभिनव शाक्य और ऋचा यादव ने इसी थीम पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
दूसरे तकनीकी सत्र में दो विषयों पर विमर्श को शामिल किया गया: ए) जी20: “वसुधैव कुटुम्बकम” दृष्टिकोण के तहत समावेशी वैश्विक विकास, और बी) जी20: पर्यावरण संकट, हरित ऊर्जा, हरित शासन और आपदा प्रबंधन। पीपीएन कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अनूप सिंह ने इस सत्र की अध्यक्षता की और अपने ज्ञानवर्धक अभिभाषण से सबको सोचने पर विवश किया. उन्होंने “वसुधैव कुटुमकम” के दर्शन पर विस्तार से अपने मत प्रस्तुत किये। डॉ अनुज मिश्रा ने वसुधैव कुटुमकम के भारतीय वैश्विक शासन के दर्शन की विशिष्टता के बारे में अपने दृष्टिकोण साझा किए। डॉ. कीर्ति मिश्रा ने खाद्य सुरक्षा और बाजरा परियोजनाओं में भारतीय पहल पर एक प्रस्तुति दी। सोनू त्रिवेदी और ऐश्वर्या अवस्थी ने मानवता और मानव अस्तित्व के लिए पर्यावरण की महत्वपूर्ण अन्योन्याश्रितता पर प्रस्तुतियां दीं।
दिन के अंतिम तकनीकी सत्र में “विकास, व्यापार और सुरक्षा के लिए ग्लोबल साउथ में G20 राष्ट्रों द्वारा संकट प्रबंधन” विषय पर विचार-विमर्श किया गया। डॉ. पद्मा अय्यर ने सत्र की अध्यक्षता की और सतत विकास के लिए जी20 देशों द्वारा अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों में किये गए कायों के बारे में चर्चा की। डॉ. रश्मि मिश्रा और प्रो. अनुराग रत्न ने अंतर्राष्ट्रीय संकट और उस पर भारतीय प्रतिक्रियाओं और पहल के बारे में मंत्रणा की। उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में सुरक्षा संकट से संबंधित मुद्दों पर विचार प्रस्तुत किये। आमिर ने एक बहु-ध्रुवीय दुनिया में नई भारतीय विदेश नीति की पहल पर एक पेपर प्रस्तुत किया जहां एक बहु-संरेखित दृष्टिकोण सबका ध्यान आकर्षित कर रहा है.
राष्ट्रीय संगोष्ठी के पहले दिन G20 पर कुछ व्यावहारिक एवं महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया गया और उन पर वृहत विवेचना हुई. इस संगोष्ठी ने विभिन्न मुद्दों पर महत्वपूर्ण दृष्टिकोण एवं उठे सवालों ने सबका ध्यान आकर्षित किया. सभी के लिए यह एक सार्थक प्रयास सिद्ध हुआ है.इस संगोष्ठी के पहले दिन के सफल आयोजन में क्राइस्ट चर्च कॉलेज की आयोजन समिति ने कड़ी मेहनत की है जिसमे मुख्य रूप से डॉ. अर्चना हिना, साक्षी, इशिता, ऋचा, शैली, अभिनव, आमिर, उज्जवल अभिषेक, ईशान, मानवी, श्रजल शामिल हैं.।आईआईपीए की आयोजन टीम के सदस्य सीए विनय जैन और धीरेंद्र कुमार ने भूमिका निभाई।

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दिल तोड़ने से पहले सोच लेना …इसमें तू ही रहता है

तोड दे तू चाहे ..मुझे हर तरह से … पर मेरा दिल तोड़ने से पहले ज़रा सोच लेना …इसमें मैं नही तू रहता है
आप का सारा पूजा पाठ का फल निष्फल हो जाता है जब कोई भगवान के भक्त को या किसी भोले इन्सान के मन को दुख पहुँचाता है बात पुरानी मगर सच है। मैं जानती थी पूरो बीजी को , सब उन्हें बीज़ी कहा करते थे। पूरो एक अच्छे घराने की लड़की ,मगर कम पढ़ी लिखी थी ।उसकी शादी एक सुन्दर पढे लिखे नौजवान से हो जाती है। पूरो सोचा करती, उसका पति इतना सुन्दर ,और उसका अपना रंग साँवला सा,क्या उस का पति उसको प्यार दे पायेगा। मगर कहती कुछ नहीं। ख़ुशी से अपनी गृहस्थी चला रही थी।वक़्त बीता ..पूरो के दो बेटियाँ और एक बेटा हुआ। पूरो के पति का राजाओं की तरह रहन सहन था।लखनऊ में होटल था।इक अपनी ड्रामा कंपनी थी और उनका बहुत अच्छा कपड़ों का कारोबार भी था। अक्सर पूरो से कहा करते कि मैं अपनी बेटियों को जयपुर के महाराजाओं के बच्चों के साथ पढ़ाई करवाऊँगा। अपने बच्चों को होटलों में ले ज़ाया करते और इंगलिश तौर तरीक़े सिखाते। बैडमिंटन क्रिकेट और पोलो खेलना तो शौक था उनका। उनका बेटा बढ़ा था ,बेटियाँ छोटी थी अभी।पूरो की छोटी बेटी रतना अभी तीन साल की थी तो पूरो के पति को हैज़ा हो गया। हैज़ा ही उनके गुज़रने की वजह बन गई।पूरो को पढ़ी लिखी न होने की वजह से अपने ससुर और देवर देवरानी के साथ रहना पढ़ा।देवरानी बहुत झगड़ालू क़िस्म की औरत थी।हर बात में पूरो को नीचा दिखाने की कोशिश में रहती।आप ऊपर मकान में रहती थी और नीचे मकान में छोटे से कमरे में पूरो के परिवार को रख दिया। जहां पूरो की रसोई हुआ करती थी वहाँ इक नाली निकला करती जो ऊपर के आया करती थी, जहां उसकी देवरानी का गुसलखाना था,जैसे पहले वक़्तों में हुआ करता था जब भी पूरो धूप बती करके अपने बच्चों को खाना खिला रही होती ,अक्सर उसी वकत उस नाली को शौच की तरह भी इस्तेमाल करती।रब को मानने वाली पूरो ,मुँह से तो कुछ नहीं कह पाती ,मगर अपने रब से शिकायत रोकर कर दिया करती। दिन बितने लगे ,पूरो की बेटियाँ बढ़ी हो गई। अच्छे घरों में शादी करके चली गई। पूरो के बेटे की भी शादी हो गई। फिर पूरो बेटे और बहू के साथ किसी दूसरे घर में चली गई। दोस्तों! जो जैसा करता है ,उसको फल वैसा ही मिलता है मगर इन्सान सोचता है।कर लो ,जो भी करना है आगे किस ने देखा है । मगर भूल जाता है कि चाहे अगर कोई भगवान के मंदिर मस्जिद को तोड़ दे ,भगवान उसे तो माफ़ कर देगा मगर जो कोई उसके भक्त को रूला दे,या उसका दिल दुखा दे या फिर उससे कोई बल छल करे तो रब उसे कभी माफ़ नहीं करता।
ये इक ऐसा सच है जो आज नहीं तो कल ..देखने को मिल ही जाता है। और यहाँ भी कुछ ऐसा ही हुआ। पूरो तो वहाँ से अपने बेटे के साथ चली गई,और उधर पूरो की देवरानी के घर ग़रीबी और दुखों का बसेरा हो गया। पूरो की छोटी बेटी रतना सब पुरानी बातें भुला कर अपनी चाचा चाची को मिलने ज़ाया करती। जो भी अपनी माँ पूरो को देती ,वही अपनी चाची को भी देती।चाचा चाची के घर ग़रीबी देख कर ,कभी पैसों से ,कभी दवाइयों से उनकी मदद कर दिया करती,क्यूँकि रतना का पति डाक्टर था। इक रोज़ चाची रतना के सामने रो पड़ी और माफ़ी माँगने लगी कि मैंने तुम्हारी माँ के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया है और तुम मुझे अपनी सगी माँ तरह प्यार करती हो और इस पर रतना अपनी चाची और चाचा को गले लगा लेती। वक़्त का पहिया चल रहा था तो इक रोज़ पता चला कि देवरानी की एक बेटी को कैंसर हो गया और वो भरी जवानी में चल बसी और दूसरी बेटी कमला का पति इंग्लैंड चला गया और वहाँ उसने खुद को सैटल करने लिए दूसरी शादी कर ली।
इक रोज़ सास ससुर ने कमला को घर से निकाल दिया।किसी ने कहा कि कमला की भी दूसरी शादी कर दो।जल्दी ही एक 70 साल के आदमी से उसकी भी शादी इंग्लैंड में कर दी गई जो इक शराबी था। वहाँ इंग्लैंड में मेहनत करके कमला ने अपनी बेटियों की शादी कर दी ।दो साल बाद कमला का दूसरा पति भी गुज़र गया,फिर अकेली अपने दूसरे पति के बच्चों के पास रहने लगी।वहाँ उसे तिरस्कार मिलता ,बातें सुननी पड़ती। कभी कभी बैठे बैठे अपनी माँ को कोसती कि जैसे अब मैं तंग हो रही हूँ ठीक ऐसे ही उसकी माँ ने पूरो ताई को तंग किया था, मगर वक़्त निकल चुका है। दोस्तों बात यहाँ भी ख़त्म नहीं हुई इक रोज़ रतना अपनी चाची चाचा को मिलने गई तो देखा चाचा को स्ट्रोक हो गया था और चाची चल नहीं सकती थी रेंग रेंग कर ज़मीन पर चला करती। ये दुर्दशा देख कर रतना को बहुत दुख हुआ था। चाचा चाची का बेटा भी गुज़र गया था। सो सोचो दोस्तों ! क्या खटा चाचा चाची ने ? जितना बुरा किया था पूरो के साथ ,उससे कही अधिक बुरा उसे वापस मिला।
बात आज की हो, या पुरानी।भुगतना तो पड़ेगा ही सबको कभी न कभी।ये सोच ग़लत है कि शायद उनके साथ हुआ है हमारे साथ नहीं होगा। सब की बारी आती हैं ,जो बोया है वही काटने की। जब समझ में आयेगा ,तो वक़्त निकल चुका होता है। उधर पूरो ने अपनी सारी उम्र पूजा पाठ में लगा दी । मरते दम तक गुरू के घर में सेवा करती रही ….🙏स्मिता केंथ

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में सप्ताहभर की गतिविधियों के दौरान ईएसआईसी ने 9.3 करोड़ रुपये के 3724 मातृत्व लाभ दावों का निपटारा किया

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में इस साल की थीम ‘डिजिटऑल: लैंगिक समानता के लिए नवाचार एवं प्रौद्योगिकी’ के अनुरूप कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के कार्यालयों/अस्पतालों ने सप्ताहभर चलने वाली गतिविधियों की श्रृंखला आयोजित की। इसमें लैंगिक संवेदनशीलता पर सेमिनार, बीमित महिलाओं/मातृत्व लाभ दावों से संबंधित बकाया बिलों का निपटारा, महिलाओं के लिए विशेष स्वास्थ्य जांच/स्वास्थ्य जांच शिविर शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए हफ्तेभर चली गतिविधियों की श्रृंखला के दौरान 9.3 करोड़ रुपये की धनराशि के 3724 मातृत्व लाभ दावों का निपटारा किया गया।

हाल ही में ईएसआईसी ने बीमित महिलाओं को ऑनलाइन मातृत्व लाभ का दावा करने की सुविधा शुरू कर ईएसआई योजना के तहत बीमित महिलाओं के लिए विशेष पहल की है। इसका मकसद प्रौद्योगिकी की मदद से लाभ उठाने के प्रयासों को आसान बनाकर उन्हें सशक्त करना है। टेलीमेडिसिन जैसी तकनीक आधारित सुविधाओं ने महिला लाभार्थियों को अपने घरों से ही स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने में काफी मदद की है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सप्ताह भर चली गतिविधियों की श्रृंखला का आज समापन हो गया। इस अवसर पर कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) मुख्यालय, नई दिल्ली में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार की अध्यक्षता ईएसआईसी के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र कुमार ने की। कार्यक्रम में वित्त आयुक्त, ईएसआईसी, टी. एल. यादेन; सीवीओ, ईएसआईसी, श्री मनोज कुमार सिंह; उप महानिदेशक, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) श्रीमती अनुजा बापट; और वरिष्ठ विशेषज्ञ एवं निदेशक, नीति आयोग, डॉ. साक्षी खुराना उपस्थित थे। इस साल की थीम ‘डिजिटऑल: इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी फॉर जेंडर इक्वैलिटी’ का जिक्र करते हुए डॉ. राजेंद्र कुमार ने आईटी आधारित प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर महिलाओं को सशक्त बनाने पर जोर दिया, जिससे वे इस प्रतिस्पर्धी दुनिया में अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम बनेंगी। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी आधारित समाधानों के माध्यम से महिलाएं अपने घरों से ही स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बना सकती हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारे समाज की महिलाओं को उच्च महत्व का एहसास कराने और उन्हें प्रदान करने का भी समय है। उन्होंने कहा कि कार्य क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी में रैंकिंग कम होने के बावजूद समावेशी एवं एकीकृत प्रौद्योगिकी के जरिए लैंगिक समानता के दृष्टिकोण को जल्दी हासिल किया जा सकता है।

ईएसआईसी की वित्त आयुक्त सुश्री टी. एल. यादेन ने बीमित महिलाओं के मातृत्व लाभ के ऑनलाइन दावे की सुविधा के लिए ईएसआईसी के प्रयासों की प्रशंसा की। इससे तकनीक की मदद से महिला लाभार्थियों को लाभ पाना आसान बनाकर सशक्त किया जा सकेगा। उन्होंने प्रौद्योगिकी के महत्व को दोहराया, जो भेदभाव कम कर और समाज के सभी सदस्यों के  लिए समान अवसर उपलब्ध कराकर महिलाओं को सशक्त बनाने का माहौल तैयार करने में सक्षम है। ईएसआईसी के सीवीओ श्री मनोज कुमार सिंह ने जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की हिस्सेदारी और योगदान की चर्चा की।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) की उप महानिदेशक श्रीमती अनुजा बापट ने जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं को समान अवसर उपलब्ध कराने पर जोर दिया। उन्होंने महिलाओं को समाज कल्याण योजनाओं की मुख्यधारा में लाने का भी आग्रह किया।

वरिष्ठ विशेषज्ञ और निदेशक, नीति आयोग, डॉ. साक्षी खुराना ने उन महिलाओं के साथ काम करने के अपने अनुभव साझा किए, जो समाज के हाशिये पर हैं। उन्होंने बताया कि कैसे ईएसआईसी और ईपीएफओ की सामाजिक सुरक्षा योजनाएं उनके जीवन की मुश्किलों को कम करने में मदद कर रही हैं।

 

चिकित्सा आयुक्त, ईएसआईसी, डॉ. दीपिका गोविल ने स्वास्थ्य शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी के बारे में बताया। उन्होंने समाज में समानता हासिल करने के लिए समता की भावना को बढ़ावा देने पर जोर दिया। बीमा आयुक्त (पी एंड ए) श्री दीपक जोशी ने दुनियाभर की महिलाओं की उपलब्धियों और उन्हें सशक्त बनाने के तरीकों के बारे में बात की।

कार्यक्रम के दौरान हफ्तेभर की गतिविधियों  के दौरान आयोजित निबंध प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को गणमान्य व्यक्तियों ने नकद पुरस्कार और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। समारोह में ईएसआईसी मुख्यालय के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।

 

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रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के नौसेना प्रमुख मार्क हैमंड भारत की यात्रा पर

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/Pix(4)VADMMARKHAMMOND,CHIEFOFNAVY,ROYALAUSTRALIANNAVYVISITTOINDIAN1ZJ.JPGरॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के नौसेना प्रमुख वाइस एडमिरल मार्क हैमंड दिनांक 09 से 11 मार्च 2023 तक भारत की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं । यात्रा के दौरान वाइस एडमिरल मार्क हैमंड ने नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार के साथ दिनांक 10 मार्च 2023 को साथ बातचीत की । साउथ ब्लॉक लॉन में एक प्रभावशाली गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान कर उनका स्वागत किया गया ।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/Pix(5)VADMMARKHAMMOND,CHIEFOFNAVY,ROYALAUSTRALIANNAVYVISITTOINDIAXALG.JPG

इस बातचीत के दौरान दोनों देशों और नौसेनाओं के बीच बढ़ते सहयोग को मजबूत करने के तरीके, मौजूदा/ उभरती समुद्री सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के साझा तरीके, और मुक्त, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक/आईओआर की प्राप्ति के लिए सहयोग और अंतरप्रचालनीय-क्षमता बढ़ाने की पहल चर्चा की गई ।

भारतीय नौसेना अनेक मुद्दों पर आरएएन के साथ निकटता से सहयोग करती है, जिसमें ऑसिनडेक्स, काकाडू और पी8 ऑपेरशन, प्रशिक्षण संबंधी आदान-प्रदान, व्हाइट शिपिंग सूचनाओं का आदान-प्रदान और विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग विषय के विशेषज्ञों के बीच बातचीत शामिल हैं । इन सभी बातचीत को स्टाफ वार्ता जैसे मंचों के ज़रिए समन्वित किया जाता है । यह बैठकें प्रतिवर्ष आयोजित की जाती हैं । इसके अलावा, दोनों नौसेनाओं के युद्धपोत नियमित रूप से एक-दूसरे के बंदरगाहों पर पोर्ट कॉल करते हैं और बहुपक्षीय अभ्यासों जैसे मालाबार, रिमपैक, लैपरोस आदि में बातचीत करते हैं । दोनों नौसेनाएं ‘मेक इन इंडिया’ विजन को साकार करने की दिशा में नवाचार और उभरती रक्षा प्रौद्योगिकियों, रक्षा उद्योग, रक्षा के क्षेत्रों में सहयोग के लिए नए रास्ते तलाशने की दिशा में भी सहयोग कर रही हैं ।

रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के नौसेना प्रमुख की यात्रा भारतीय नौसेना और रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के बीच निरंतर और नियमित बातचीत में एक महत्वपूर्ण घटना है, और यह दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को ध्यान में रखते हुए नौसेना से नौसेना के सहयोग को मजबूत करती है ।

 

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गंधर्व विवाह

पता नहीं यह मंदिर मुझे क्यों अच्छा लगता था मुझे और यह भी नहीं जानती थी कि यहां बैठकर मुझे शांति क्यों मिलती है? यहीं पर गीत गुनगुनाते हुए भगवान के लिए फूलों की माला बनाना मुझे अच्छा लगता है। मां बाबूजी सुबह – सुबह आकर मंदिर की साफ सफाई में लग जाते हैं। आंगन साफ करना, पौधों में पानी डालना, फूलों का कचरा समेटना उनका यही काम था। मैं भी मां के साथ-साथ मंदिर चली आती थी। पहले पहल तो यूं ही साथ में आ जाती थी लेकिन अब यह बोलकर साथ आती हूं कि तुम्हारे काम में हाथ बंटा दूंगी तो काम जल्दी निपट जाएगा। यहीं पर काम करते-करते मैं छोटी से बड़ी हो गई थी। सभी से मेरी अच्छी जान पहचान हो गई थी। मंदिर में पुजारी मेरे हाथ की बनी माला सामने से मुझसे मांग कर चढ़ाते थे क्योंकि मैं माला बहुत सुंदर बनाती थी। मैं माला की टोकरी मंदिर के सीढ़ियों के पास रख देती थी। पंडित जी पानी के छींटे मारकर टोकरी अंदर ले लेते थे और भगवान को चढ़ा देते थे। यह मंदिर मुझे अब अपना घर जैसा ही लगने लगा था। एक दिन ना आऊं तो कुछ अधूरा सा लगता था।

मां:- “मीता, चलो जल्दी चलना है मंदिर में नए पुजारी आए हैं। अपना काम समय पर हो जाना चाहिए।
मीता:-  “ठीक है, मैं नहा कर आती हूं, फिर चलती हूं।” कुछ देर बाद मैं, मां और बाबू जी मंदिर पहुंच गए। बाबू जी पौधों में पानी डालने लगे और मां आंगन की साफ सफाई करने लगी और मैं फूल तोड़ने में व्यस्त हो गई। तभी नए पुजारी ने आवाज दी।
नया पुजारी:- “ऐ लड़की यहां क्या कर रही हो? चलो दूर जाओ मंदिर से।”
मीता:-  “जी! भगवान के लिए फूल तोड़ रही थी। वह पुराने पंडित जी मेरी बनाई माला भगवान को चढ़ाते हैं तो…।”
नया पुजारी:- “नहीं! कोई जरूरत नहीं है तुम्हारी माला की। भगवान अपवित्र हो जायेंगे।”
पुराने पुजारी:- अरे शंकर क्या बात है जो मीता को डांट रहे हो? जात की मालन है, फूल तो तोड़ कर दे ही सकती है। कोई बात नहीं भीतर रख दो मैं ले लूंगा बाद में।”
मीता:- “पंडित जी प्रणाम !
शंकर:- “आपकी वजह से ही यह लड़की सर चढ़ी हुई है तभी उसकी इतनी हिम्मत बढ़ जाती है।”
बात आई गई हो गई। मीता बचपन से आगे किशोरावस्था की ओर बढ़ रही थी। वो रोज फूल तोड़कर, मालाएं बनाकर मंदिर की सीढ़ियों पर रख देती थी। जिसे पंडित जी धोकर भगवान को चढ़ा देते थे। आज मीता को मंदिर पहुंचने में देर हो गई  थी।
पंडित जी:- “अरे मीता फूल कहां है ? मालाएं भी नहीं बनाई? आज भगवान को बिना श्रृंगार के ही रखने का इरादा है क्या?”
मीता:- “जी! आज देर हो गई, सिर धोना था इसलिए।”
पंडित जी:- “अच्छा… अच्छा ! जाओ जल्दी से फूल लेकर आओ।”
मीता:-  “जी!”
आज सुबह मीता फूल तोड़ते हुए गुनगुना रही थी। शंकर पंडित मीता को एकटक देखे जा रहा था। खुले घुंघराले बाल जो हवा के कारण उसके चेहरे पर बार-बार आ रहे थे और जिन्हें वह बार-बार अपने चेहरे से हटा रही थी। शंकर को यह देखकर बड़ा सुखद अहसास हो रहा था। अब वो मीता के प्रति जरा नरम व्यवहार रखने लगा था। कभी कभार बातचीत भी कर लेता था। मीता जरा आश्चर्यचकित थी कि पंडित जी में यह बदलाव कैसे और क्यों आ गया था लेकिन वो खुश थी कि चलो अब इनका स्वभाव अच्छा हो गया है तो अब डांट नहीं पड़ेगी।
शंकर:- “देखो मीता तू सब काम किया कर मगर मुझसे दूर रहा कर। पूजा-पाठ के समय तू छू लेगी तो मुझे फिर से नहाना पड़ेगा और पूजा में देर हो जाएगी फिर और बड़े पंडित जी मुझे डांटेंगे।”
मीता:- “अरे पंडित जी यह बातें अब कौन मानता है? यह भेद तो अब खत्म हो गया है।”
शंकर पंडित:- “मुझे नहीं पता और मुझसे मुंह मत लड़ा। मुझे भगवान को अपवित्र नहीं करना है। तुम छोटी जात के हो तो तुम्हें अपनी सीमा में रहना चाहिए।”
मीता कुछ बोली नहीं क्योंकि कुछ भी बोलने पर उसे डांट पड़ सकती थी फिर बाबूजी भी उसे ही डांटते यह सोचकर वो चुप रही। शंकर को मीता न जाने कबसे अच्छी लगने लगी थी। उसकी नजर जब तब मीता को खोजते रहती। मीता इन बातों से अनजान अपने काम में व्यस्त मस्त रहती थी।
शंकर:-  “मीता! आज फूल कुछ कम लग रहे हैं ! थोड़े तुलसी के पत्ते और फूल लेकर आओ।”
मीता:- “जी !”
फूल और तुलसी के पत्ते देते हुए मीता का हाथ शंकर के हाथों को छू गया।
शंकर:- “यह क्या किया ? अब फिर से नहाना पड़ेगा! सब खराब कर दिया!” मीता घबरा गई और दो कदम पीछे हट गई।
मीता का स्पर्श शंकर को रोमांचित कर गया। वह खुद को बहुत पुलकित महसूस कर रहा था और उसकी नजरें मीता को तलाश रही थी। इधर मीता डांट के डर से शंकर के सामने जाने से डर रही थी। अब शंकर किसी ना किसी बहाने से मीता को छूने का प्रयास करता और फिर उसे झिड़की देकर नहाने चला जाता। मीता अब उसके सामने जाने से बचती। उसके आने के पहले ही फूल सीढ़ियों पर रख कर चली जाती। एक दिन शंकर ने मीता को बुलाया और पूछा, “क्यों मीता आजकल दिखाई नहीं देती हो? जल्दी फूल रखकर चली जाती हो? फूल मुरझा जाते हैं ऐसे फूल भगवान को कैसे चढ़ाऊं?”
मीता कुछ बोली नहीं बस अपने पैर के अंगूठे को देखती रही।
शंकर:- “कल से ताजे फूल लाकर देना समझी।”
मीता ने सुकून की सांस ली कि पंडित जी ने डांटा नहीं।
अब रोज की दिनचर्या हो गई थी मीता फूल लाकर सीढ़ियों पर रख देती और शंकर फूल लेने के बहाने उससे बातें करता।
सुबह बगीचे में से फूल चुनकर सीढ़ियों पर रखते हुए मीता ने पंडित जी को आवाज लगाई लेकिन प्रत्युत्तर में कोई जवाब नहीं आया। वो सोच में पड़ गई कि फूल ऐसे रख कर जाऊंगी तो पंडित जी नाराज होंगे। वह कुछ देर तक रुकी रही फिर आवाज लगाई लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। थोड़ी देर में पुराने पंडित जी दिखाई दिए।
पंडित जी:- “अरे मीता! यहां क्या कर रही हो इस समय?”
मीता:- “जी, फूल देने आई थी मगर महाराज जी दिखे नहीं तो रुक गई।”
पंडित जी:- “अच्छा ठीक है, तुम जाओ मैं फूल ले लेता हूं।”
मीता:- “आज वह महाराज नहीं आये हैं क्या?”
पंडित जी:- “हां, शंकर को बुखार हो गया है, वो घर पर आराम कर रहा है।”
मीता:-  “जी !”
पंडित जी:- ” तेरी मां को शंकर के यहां भेज देना। घर गंदा पड़ा है तो वह साफ सफाई कर देगी।
मीता:- “जी !”
मीता:- “मां! बड़े पुजारी जी कह रहे थे कि आपको शंकर महाराज के घर की साफ सफाई के लिए जाना है।”
मां:- “नहीं, मैं नहीं जा पाऊंगी। आज काम के बाद बाजार से सब्जी और राशन लाना है और गैस का बाटला खत्म हो गया है तो वो भी लाना है। आज मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं है। ऐसा कर आज तू ही काम करके आ जा।”
मीता:-  “ठीक है।”
मीता शंकर के घर की ओर निकल जाती है। घर पहुंचते ही मीता शंकर को कंबल ओढ़े हुए देखती है।शंकर:- “कौन है?”
मीता:-  “महाराज जी मैं हूं मीता। घर की सफाई करने आई हूं।”
शंकर:- “ठीक है कर लो” और शंकर उसे काम करते हुए देखता रहता है। उसकी नजरें उसके चेहरे से हटकर उसके पूरे शरीर का मुआयना कर रही थी। मीता का ध्यान नहीं था शंकर पर। वह अपने काम में व्यस्त थी। शंकर के लिए अपने ऊपर नियंत्रण रख पाना मुश्किल हो गया था। वह उठा और मीता को पीछे से पकड़कर उठा लिया। मीता घबरा गई।
मीता:- “पंडित जी ! आप मुझे क्यों छू रहे हैं? ऐसे क्यों पकड़ रहे हैं?”
शंकर:- “कुछ नहीं, घबराओ मत! मैं कुछ नहीं कर रहा। तुम बहुत सुंदर हो, थक गई होगी लो पानी पियो” और उसने मीता को पानी दिया। मीता ने डरते हुए, सकुचाते हुए पानी का ग्लास हाथ में लिया।
शंकर:- “देखो! तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो लेकिन लोकलाज के डर से मैं तुम्हें कुछ नहीं कहता और इसी डर से मैं तुम्हें अपना भी नहीं सकता। क्या ही अच्छा हो कि तुम मेरी पत्नी बन जाओ। क्या तुमने गंधर्व विवाह का नाम सुना है?”
मीता:-  “वो क्या होता है?”
शंकर:-  “जिसमें दो लोग अपनी इच्छा से ईश्वर को साक्षी मानकर विवाह कर लेते हैं।”
मीता:- “जी, नहीं सुना है”।
शंकर:- “आओ हम दोनों गंधर्व विवाह कर लें।”
मीता कुछ सोच समझ नहीं पा रही थी। वह बाहर जाने के लिए मुड़ी तो शंकर उसका हाथ पकड़ लिया और उसके कान के पास जाकर फुसफुसा कर कहा, “आज से तुम मेरी पत्नी हो और महाराज की आज्ञा तुम्हें माननी पड़ेगी।”
मीता कुछ समझ नहीं पा रही थी और डर से विरोध भी नहीं कर पा रही थी। शंकर उसे अपने बाहुपाश में लेकर अपने जाल में फंसा रहा था और मूक जानवर की तरह मीता का वध हो रहा था। कुछ दिनों तक यही सिलसिला चलता रहा। वह उसे घर की साफ सफाई के बहाने बुलाते रहता और उसका शोषण करता रहा। कुछ दिनों बाद मीता के पैर भारी हो गए। उसे उल्टियां आने लगी और जी मिचलाने लगा। मां को चिंता हुई तो वह उसे डॉक्टर के पास ले गई।
डॉक्टर:- “आपकी बेटी की शादी हो गई है?
मीता की मां:- “नहीं! क्यों? आप ऐसा क्यों पूछ रही हैं?”
डॉक्टर:- “उम्र काफी कम है इसकी लेकिन आप लोगों में बेटियों की शादी जल्दी कर देते हैं इसीलिए पूछा। यह पेट से है।”
मीता की मां:- “क्या!”
मीता की मां के पैरों तले जमीन सरक गई। मां – बेटी दोनों घर लौट कर आ गईं।
मां:- “बता कौन है वह? कहां मुंह काला करती फिर रही है? बता! नहीं तो मार डालूंगी?
मीता:- “मां, वह मंदिर के पुजारी… उन्होंने मुझसे शादी की है।”
मां के तन बदन में आग लग गई और दो चार थप्पड़ रसीद दिये मीता को और सर पकड़ कर बैठ गई। दुख और क्रोध के कारण आंसू निकलने लगे। जब पिता को सब बात पता चली तो वह तनाव में आ गए। उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करें। दोनों पति – पत्नी ने शंकर पंडित के पास जाने का निश्चय किया। अगले दिन दोनों पति-पत्नी डरते हुए बड़े पुजारी के पास गये और उन्हें सारी बातें बताईं। पंडित जी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने मीता को बुलवाया।
बड़े पुजारी:- “क्यों मीता यह तेरे मां बाऊजी जो कह रहे हैं क्या वह सही है?”
(मीता सिर झुकाए हुए) “जी!”
पंडित जी:- “तुम्हें शर्म नहीं आती ऐसी ओछी बात करते हुए? तुम्हें अंदाजा है कि इसका नतीजा क्या होगा?”
मीता कुछ नहीं बोली। वह नीचे बैठ कर रोने लगी। पंडित जी ने शंकर को बुलवाया और उससे सारी हकीकत जाननी चाही।
बड़े पंडित:- “शंकर! मीता कह रही है कि तुमने उससे शादी की है? वह गर्भवती है, क्या यह सही है?”
शंकर:- “नहीं महाराज ! यह सरासर झूठ बोल रही है। मैं तो इसके हाथ का छुआ पानी भी नहीं ले सकता। इसके हाथ से फूल माला भी नहीं लेता। मैं तो इससे दूरी बनाकर रहता हूं फिर इससे शादी की बात कैसे सोच सकता हूं?”
मीता अवाक सी शंकर का मुंह देखती रह गई। मीता के माता-पिता दुखी हो गये। उन्हें पता था कि यही होने वाला है।
पंडित जी:- “देखो! शंकर झूठ नहीं बोल सकता, मैं उसे जानता हूं। तुम लोग मीता से ही पूछताछ करो कि कौन है वह व्यक्ति और मीता तुम मंदिर आना बंद कर दो अभी तुम्हारी जरूरत नहीं है।”
तीनों व्यक्ति दुखी मन से घर वापस आ गए। मीता की मां ने मीता को फिर से भला बुरा कहा और मारा। दुख और क्रोध कम नहीं हो रहा था और कुछ उपाय भी नहीं दिख रहा था। पिता ने बहुत सोच-विचार कर बड़ी हिम्मत करके अगले दिन पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने की ठानी।
अगले दिन वह पुलिस चौकी पहुंच गए।
मीता के पिता:- “साब शिकायत लिखवानी है।” इंस्पेक्टर:- “किसके खिलाफ? क्या केस है?”
पिता:- “जी, मंदिर के पुजारी के खिलाफ।” इंस्पेक्टर चौंक गया फिर उसने पूछा कि क्या मामला है।
पिता:- “जी, शंकर पंडित ने बहला-फुसलाकर मेरी लड़की के साथ दुराचार किया है और अब वह अपनी बात से मुकर रहा है” और सारी घटना की जानकारी इंस्पेक्टर को दी।
इंस्पेक्टर जानता था कि पुजारी से पंगा लेना ठीक नहीं है। उसने मीता के पिता को डांट कर भगा दिया और शिकायत दर्ज नहीं की साथ ही धमकी भी दी यदि चुप नहीं रहे तो इसका नतीजा बुरा होगा।
इंस्पेक्टर:- “तुम जैसे लोग पैसा बनाने के लिए कितना नीचे गिर जाते हो! जाओ यहां से नहीं तो अंदर कर दूंगा। तुम्हें भी और तुम्हारे पूरे परिवार को भी।
मीता का पिता अपमानित होकर घर आ गय। कुछ ना कर पाने का दुख और माथे पर कलंक लेकर और बेटी के जीवन का सत्यानाश होते देख कर रोने लगा। कुछ ही दिनों में सबके सामने यह बात खुल जाने वाली थी। यह सोचकर वह अपना सामान बांधने लगा और दूसरे शहर जाने की तैयारी करने लगा क्योंकि इसके सिवा उसके पास कोई चारा नहीं था। – प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में डी जी कॉलेज में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 7 मार्च भारतीय स्वरूप संवाददाता,  अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर डी जी कॉलेज, कानपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई तथा सेंचुरी क्लब के संयुक्त तत्वाधान में डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में छात्राओं ने भारत में सितंबर, 2023 में होने जा रहे जी-20 के सम्मेलन में W20 के अंतर्गत *महिला सशक्तिकरण* की थीम को केंद्रित करते हुए फैशन शो, रैंप वॉक, बॉलीवुड डांस व गानों के द्वारा समा बांधा। कु दीक्षा को बेस्ट साड़ी, कु सौम्या को ऑल राउंडर अवार्ड दिया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्या प्रो अर्चना वर्मा जी ने की। उन्होंने अपने वक्तव्य मैं छात्राओं के द्वारा किए गए प्रयासों की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कार्यक्रम अधिकारी को शुभकामनाएं व बधाई दी। इस अवसर पर डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ श्वेता गोंड भी उपस्थित रही। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। आकांक्षा अस्थाना, दीपा आदि का सहयोग सराहनीय रहा।

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कलेक्ट्रेट सभागार में जनपद के बैंकों की जिला स्तरीय समिति की समीक्षा बैठक संपन्न

1 मार्च, 2023 कानपुर नगर। जिलाधिकारी विशाख जी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में जनपद के बैंकों की जिला स्तरीय समिति की समीक्षा बैठक संपन्न हुई। बैठक के दौरान पी.एम.ई.जी.पी. योजना, एक जनपद एक उत्पाद योजना, पी०एम० स्वनिधि योजना, के.सी.सी.(फसली ऋण) योजना के साथ-साथ विगत बैठक में दिए गए निर्देशों की समीक्षा की गई।
समीक्षा बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को निम्नलिखित निर्देश दिए:-
 किसान क्रेडिट कार्ड (के०सी०सी०): पशुपालकों एवं मत्स्य पालाकों को किसान क्रेडिट कार्ड प्रदान किए जाने एवं अन्य सरकारी योजनाओं में भारतीय स्टेट बैंक द्वारा ऋण स्वीकृति एवं वितरण का प्रतिशत अपेक्षाकृत कम होने एवं ऋण अस्वीकृति का प्रतिशत सर्वाधिक होने के कारण मुख्य विकास अधिकारी को निर्देशित किया गया कि वह बैंक की खराब प्रगति के संबंध में आंतरिक जांच कराए जाने हेतु भारतीय स्टेट बैंक के उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाए।
 अग्रणी जिला प्रबंधक एवं जिला स्तरीय समिति के समस्त सदस्य यह सुनिश्चित करें कि आवेदनकर्ता एवं संबंधित विभाग द्वारा जिस योजना के तहत ऋण प्रदान करने के आवेदन का अग्रसारण किया गया है, उसी योजना में ऋण स्वीकृत किया जाए। कोई भी बैंक ऋण प्रदान करने हेतु योजना परिवर्तित नहीं की जाएगी।
 एक जनपद एक उत्पाद योजना उत्तर प्रदेश सरकार की एक अति महत्वाकांक्षी योजना है, जिसमें कानपुर नगर जनपद के लिए चमड़े एवं होजरी उद्योगों को सम्मिलित किया गया है। इस योजनांतर्गत जिला उद्योग केंद्र द्वारा प्रेषित आवेदनों के सापेक्ष बैंक ऑफ बड़ौदा, यूको बैंक, इंडियन बैंक का ऋण स्वीकृति कम होने पर रोष व्यक्त किया गया एवं लंबित आवेदनों पर शीघ्र आवश्यक कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए गए।
 पी०एम० स्वनिधि योजना के अंतर्गत बैंक ऑफ इंडिया, बड़ौदा यू.पी. बैंक, कैनेरा बैंक एवं भारतीय स्टेट बैंक के पास लंबित ऋण आवेदनों को एक सप्ताह के अंदर निस्तारित कराए जाने के निर्देश दिए गए।
 जिला उद्यान अधिकारी को निर्देशित किया गया कि वह प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना अंतर्गत ऋण प्राप्त करने वाली 05 इकाईयों का निरीक्षण कर बेस्ट प्रैक्टिस के संबंध में आख्या फोटोग्राफ सहित उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
उक्त बैठक में मुख्य विकास अधिकारी श्री सुधीर कुमार, अपर जिलाधिकारी(नगर) अतुल कुमार, अग्रणी जिला प्रबंधक, मुख्य पशुचिकित्साधिकारी एवं अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ बैंकों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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एस एन सेन बालिका महाविद्यालय की छात्रा कु सुनीता पाल को मिला मिनी मैराथन में प्रथम स्थान

कानपुर 1 मार्च भारतीय स्वरूप संवाददाता, 17वीं बटालियन यू. पी. गर्ल्स (एन.सी.सी) द्वारा आयोजित मिनी मैराथन प्रतियोगिता जिसमें विभिन्न कॉलेजों से आए लगभग 400 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, इसमें कड़ी टक्कर देकर प्रथम स्थान एस एन सेन बालिका महाविद्यालय की छात्रा कु सुनीता पाल ने अपने नाम किया व महाविद्यालय का नाम पूरे प्रदेश में रोशन किया।राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के आयोजन पर महाविद्यालय की एन.सी.सी. यूनिट से जुड़ी छात्रा कैडेट सुनीता पाल को प्राचार्या द्वारा प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित किया गया। मीडिया प्रसार प्रभारी डॉ प्रीति सिंह ने बताया महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ सुमन ने घोषणा की कि इस प्रकार की मेधावी छात्रावों की पढ़ायी में महाविद्यालय उनकी फ़ीस , पुस्तकों आदि की भरपूर मदद करेगा….. बस तुम दौड़ो नहीं उड़ो अब

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