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धर्मेंद्र प्रधान ने जी. किशन रेड्डी और श्री राजीव चंद्रशेखर के साथ 360 करोड़ रुपये के वित्तीय आवंटन के साथ उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लिए विशेष कौशल पहल शुरू की, जिससे 2.5 लाख युवाओं को लाभ होगा

उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) में एक मजबूत कौशल-केंद्रित और उद्योग के लिए तैयार इकोसिस्टम बनाने के लिए केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान तथा संस्कृति, पर्यटन एवं उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास-(डीओएनईआर) मंत्री श्री जी किशन रेड्डी तथा केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमशीलता, इलेक्ट्रॉनिकी एवं आईटी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने आज नई दिल्ली में ‘जीवन में बदलाव, भविष्य का निर्माण: उत्तर-पूर्व में कौशल विकास और उद्यमिता’ पर एक विशेष पहल का उद्घाटन किया।

इस पहल के तहत, एनईआर के 2.5 लाख युवाओं को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), राष्‍ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) और जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) सहित कई योजनाओं एवं पहलों की एक विस्तृत श्रृंखला के माध्यम से उद्योग के लिए प्रासंगिक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे।

सरकार ने समावेशी विकास को बढ़ावा देने, उद्यमशील प्रतिभा को पोषित करने और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए 360 करोड़ रुपये का पर्याप्त कोष निर्धारित किया है। आगे विकास को गति देने के लिए, कृषि, पर्यटन, हस्तशिल्प और सूचना प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों की मांग को पूरा करने के लिए व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रम शुरू करने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।

इस कार्यक्रम को असम सरकार में लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग, कौशल विकास रोजगार एवं उद्यमशीलता और पर्यटन मंत्री श्री जयंत मल्ला बरुआ; नागालैंड सरकार में विधायक और श्रम, रोजगार, कौशल विकास और उद्यमशीलता और उत्पाद शुल्क विभाग में सलाहकार श्री मोआतोशी लोंगकुमेर; सिक्किम सरकार में सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग और जल सुरक्षा, जल संसाधन और नदी विकास, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्री श्री भीम हैंग लिंबू और केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय में सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी ने कार्यक्रम को संबोधित किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यह कार्यक्रम युवाओं के लिए उनकी दिलचस्पी वाले क्षेत्रों के अनुरूप कौशल विकास के अभूतपूर्व अवसर पैदा करेगा और पूर्वोत्तर के युवाओं की क्षमताओं को सामने लाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे देश का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों एवं जनसांख्यिकीय लाभांश से संपन्न है और हमारी सरकार ने संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण के साथ इस क्षेत्र के अभूतपूर्व विकास के लिए काम किया है।

उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम से इन प्रयासों को और गति मिलेगी तथा साथ ही, क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक बदलाव को बढ़ावा देगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को विकसित और आत्मनिर्भर बनाने की कल्पना की है और इस सपने को साकार करने के लिए एक मजबूत कौशल विकास मिशन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हम भारत को दुनिया की कौशल राजधानी बनाने के लिए काम कर रहे हैं।

इस पहल की सराहना करते हुए श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि एमएसडीई की इस पहल से पहले चरण में 2.5 लाख से अधिक युवाओं को लाभ होगा, जिससे वे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नौकरी के लिए तैयार होंगे। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र को विकास का इंजन बनाने की दिशा में श्री नरेन्द्र मोदी की अगुआई वाली सरकार का एक और प्रयास है।

श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि पिछले 9 वर्षों के दौरान, हमारे प्रधानमंत्री ने शिक्षा, कौशल और नवाचार पर जोर देकर एक अनुकूल कौशल इकोसिस्टम बनाने के लिए लगातार काम किया है। अब हम वर्तमान रुझानों के साथ भविष्य की ओर देख रहे हैं जिससे हमारी कौशल रणनीतियों को आकार मिल सकता है। उन्होंने कहा कि हम जनसांख्यिकी के साथ दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक हैं जो वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के लिए बहुत प्रासंगिक है। उद्यमिता और नौकरियों दोनों में बड़ी संख्या में नए अवसर पैदा होने के साथ, कौशल की आवश्यकता बढ़ गई है। जीवन बदलना और भविष्य बनाना सिर्फ एक नारा नहीं है, बल्कि यह हमारे उत्तर-पूर्व के युवा भारतीयों के लिए एक मिशन है। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि नए भारत का भविष्य उज्ज्वल है और कौशल समृद्धि का पासपोर्ट है।

उत्तर-पूर्व में कौशल विकास और उद्यमिता पहल राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के साथ पाठ्यक्रमों में सुधार पर जोर देती है, जो अच्छी तरह से तैयार पेशेवरों को विकसित करने के लिए एक डिजिटल बुनियादी ढांचे द्वारा समर्थित है। कार्यक्रम में कौशल मांग को समेकित करने, प्रशिक्षण मॉड्यूल को सरल बनाने, पाठ्यक्रम विकास और ‘सीखने के साथ-साथ कमाएं’ मोड में अपने कौशल सेट को उन्नत करने के लिए प्रशिक्षण बुनियादी ढांचे को बढ़ाने में उद्योग की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता पर भी विचार-विमर्श किया गया।

“जीवन में परिवर्तन – भविष्य का निर्माण: उत्तर-पूर्व में कौशल और उद्यमिता विकास” की विशेष पहल में ये अहम बिंदु शामिल होंगे:

  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के तहत 2 लाख कौशल प्रशिक्षण
  • राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) के तहत 30,000 शिक्षुओं (अप्रेंटिस) की नियुक्ति
  • जन शिक्षण संस्थानों (जेएसएस) के तहत 20,000 लोगों को को कुशल बनाया जाएगा
  • औद्योगिक मूल्य संवर्धन के लिए कौशल सुदृढ़ीकरण (स्ट्राइव) के अंतर्गत आईटीआई की गुणवत्ता में वृद्धि
  • पॉलिटेक्निक का सुदृढ़ीकरण
  • संकल्प के तहत उत्तर-पूर्व क्षेत्र की विशेष जरूरतों के लिए विशेष परियोजनाएं शुरू की जाएंगी
  • विदेशी नौकरी के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर स्थापित किया जाएगा।

पिछले नौ वर्षों में, एमएसडीई ने उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में आईटीआई की नेटवर्क संख्या बढ़ाकर 106 कर दी है। इसके माध्यम से 3 लाख से अधिक लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया है और भारतीय उद्यमिता संस्थान (आईआईई) के माध्यम से 1000 उद्यमियों को सहायता प्रदान की है। एमएसडीई ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के तहत वस्‍त्र, हथकरघा, निर्माण, परिधान, कृषि, इलेक्ट्रॉनिक्स और स्वास्थ्य सेवा में लगभग 12 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया है।

राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) ने उत्तर-पूर्व में पिछले 7 वर्षों में 1,693 प्रतिष्ठानों के 38,240 उम्मीदवारों को प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान की है। इसके अलावा, केंद्र ने जेएसएस में 72 प्रतिशत से अधिक महिला लाभार्थियों के साथ 98,000 से अधिक लाभार्थियों को प्रशिक्षित करने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक मजबूत कौशल इकोसिस्टम बनाने, कार्यक्षेत्र और रोजगार कौशल के साथ युवाओं को सशक्त बनाने के लिए एक प्रमाण के रूप में खड़ा है।

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खबरें कानपुर से

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चकेरी थाना क्षेत्र में रहने वाले बुजुर्ग महिला ने क्षेत्र के भूमाफिया पर गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस कमिश्नर को प्रार्थना पत्र दिया इस दौरान बुजुर्ग महिला के साथ मौजूद लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रविन्द्र शर्मा ने भी उक्त भूमाफिया पर आरोप लगाते हुए गिरफ्तारी की मांग की। चकेरी थाना क्षेत्र के टटीयन श्याम नगर में रहने वाली माया ने बताया कि उनके ससुर मेहताब सिंह यादव की मौत एक्सीडेंट हो गई थी जिसका की मृत्यु प्रमाण पत्र उनके पास मौजूद है परंतु क्षेत्र में ही रहने वाले दबंग भूमाफिया महताब सिंह ने नगर निगम से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया है तथा उनकी कृषि योग्य भूमि जो की करोड़ों की कीमत की है उसे अपने नाम करवाना चाहते हैं इसी मामले को लेकर आजा पुलिस कमिश्नर के पास आई है।

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कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर सफाई कर्मियों की गुंडे चरम पर

यात्री से पानी गिरने पर सफाई कर्मियों ने बुजुर्ग महिला व, साथ में परिजनों को मारा पीटा

अभी कुछ दिनों पहले सफाई कर्मियों को मारते हुए वीडियो वायरल हुआ था।
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कुत्ते की बेरहमी से हत्या कर पीएसी ग्राउंड में फेंका।

युवक ने पहले रस्सी से बांधा, फिर पीट-पीट कर मार डाला।

क्षेत्रीय लोगों ने आरोपी युवक की शिकायत पुलिस से की।

सूचना पर पहुंची पुलिस ने आरोपी युवक को पकड़ा, पूछताछ के बाद पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज।

सीसीटीवी में युवक की हैवानियत हुई कैद।

जूही लाल कॉलोनी के 19 ब्लॉक का रहने वाला है आरोपी अतीक।

पूरा मामला किदवई नगर थानाक्षेत्र के लाल कॉलोनी चौकी का।

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धर्म अनुरागी परिवार ने श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन गोकुल धाम सरसैय्या घाट में किया

कानपुर 10 अगस्त भारतीय स्वरूप संवाददाता धर्म अनुरागी परिवार ने पुरुषोत्तम मास मे श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन गोकुल धाम सरसैय्या घाट कानपुर में भागवत कथा के शुभारंभ में आज पोथी कलश यात्रा मानस धाम सिविल लाइन* से निकल गई जो जेल चौराहा होते हुए *गोकुलधाम सरसैया घाट* में आकर विश्राम लिया कलश यात्रा में सर्वप्रथम बैंड राधे राधे की पताका लिए हुए भक्ति गीत मंगल कलश उठाने वाली भाग्य तेरा खुल जाएगा…… श्यामली सूरत से दिल दीवाना हो गया……. राधे राधे बोल बरसाने में ढोल मुख से राधे राधे बोल…..आदि भजन गाते चल रहे थे *101 महिलाएं सर पर मंगल कलश लेकर केसरिया साड़ी पहने हुए दुपट्टा ओढ़े हुए चल रही थी पोथी (श्रीमद भागवत) सर पर लेकर अमरनाथ गुप्ता चल रहे थे सबसे सबसे अंत में फूलों से सजी बग्गी में *कथावाचक आचार्य हेमंत कृष्ण जी महाराज* विराजमान थे कथा स्थल में पहुंचकर विधि विधान से पूजन कर कथा मंच में मंगल कलश को रखा गया।
*वैष्णवो का परम धन है श्रीमद्भागवत कथा मे कहा आचार्य हेमंत कृष्ण जी महाराज ने श्रीमद भागवत कथा से श्री हरि ह्रदय में विराजते हैं, सत चित और आनंद प्रदायिनी भागवत कथा निश्चित हो वैष्णवों का परमधन है उक्त विचार गोकुल धर्मशाला परिसर में आयोजित हो रही श्रीमद्भागवत कथा के अंतर्गत बरसाना से पधारे आचार्य हेमंत कृष्ण जी महाराज ने कहे। श्रीमद्भागवत की महात्म्य की चर्चा करते हुए महाराज जी ने कहा की अगर कलियुग में कहीं श्री कृष्ण को देखना है तो शब्द विग्रह के रूप में भागवत जी में दर्शन करने चाहिए। भक्ति ज्ञान और वैराग्य की चर्चा करते हुए जीवन में इन तीनों भावो का जागरण कैसे हो इसके लिए श्रवण और स्मरण को श्रेष्ठ साधन बताया। देह की नश्वरता पर प्रवचन करते हुए महाराज श्री बोले कि अविनाशी ईश्वर से जुड़े बिना देह की धन्यता कभी संभव नहीं हो सकती।जीवन को अर्थ देने के लिए समर्थ ईश्वर की शरण में जाना ही पड़ेगा। श्रीमद भागवत की श्रवण विधि का वर्णन सुनाया।

इस अवसर आयोजक धर्म अनुरागी परिवार के अमर नाथ गुप्ता हर्षित गुप्ता अर्पित गुप्ता सुरेश चंद्र उम्र महेश सिंह श्रीमती सुषमा गुप्ता मेघा गुप्ता नेहा गुप्ता सीता देवी मंजू गुप्ता आदि प्रमुख रूप से आरती में उपस्थित रहे।

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डी जी कॉलेज से हुआ फाइलेरिया जागरूकता व एम डी ए अभियान का शुभारंभ

कानपुर 10 अगस्त, भारतीय स्वरूप संवाददाता, राष्ट्रीय सेवा योजना, डी जी कॉलेज, कानपुर के द्वारा फाइलेरिया दिवस के अवसर पर फाइलेरिया जागरूकता एवं एमडीए अभियान का शुभारंभ सीएमओ तथा डब्ल्यूएचओ टीम के साथ मिलकर किया गया। फाइलेरिया जिसे फीलपांव (एलिफेंटियासिस) कहा जाता है,भारत में आमतौर पर सामान्य रूप से हाथी पांव के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस रोग में व्यक्ति का पांव हाथी के पांव की तरह हो जाता है। यह एक अत्यंत गंभीर बीमारी है। फाइलेरिया मच्छरों द्वारा, विशेष रूप से परजीवी क्यूलैक्स फैंटिगंस मच्छरों के काटने से होता है। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रसित व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते है और

मरीज को मृत समान बना देते है। यह बात ओरिएंटेशन सेशन में डब्लू एच ओ के विशेषज्ञ डॉ मंजीत सिंह चौधरी, जोनल समन्वयक – उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग ने कही।
एमडीए बूथ प्रतिनिधि मंडल में सीएमओ, कानपुर नगर टीम, डॉ तनुश्री चक्रवर्ती -जिला समन्वयक, पी सी आई और डॉ दीक्षा – एम्स ऋषिकेश का विशेष सहयोग रहा।
अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय की कार्यवाहक प्राचार्य प्रो वंदना निगम तथा संचालन भूगोल विभाग की असि प्रो डॉ. अंजना श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में चीफ प्रॉक्टर प्रो अर्चना श्रीवास्तव, प्रो रचना प्रकाश, कार्यालय अधीक्षक श्री कृष्णेंद्र श्रीवास्तव, एनसीसी इंचार्ज डॉ मनीषी पांडे, डॉ. ज्योत्स्ना, डॉ. उत्तमा, डॉ हिना अफशां एवं एनएसएस वॉलिंटियर्स का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम में महाविद्यालय की समस्त प्राध्यापिकाओं, शोधार्थियों, छात्राओं तथा स्टाफ ने उत्साह के साथ प्रतिभाग किया।

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बंदरगाहों तक रेल और सड़क की कनेक्टिविटी

देश के सभी प्रमुख बंदरगाह रेल और चार लेन सड़क या राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़े हुए हैं। राज्य सरकारों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कार्गो हैंडलिंग वाले प्रमुख बंदरगाहों (गैर-प्रमुख बंदरगाहों) के अलावा, 66 बंदरगाहों में से 13 रेल से जुड़े हुए हैं, जबकि 24 चार लेन सड़क/राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़े हुए हैं।

देश में, राज्यवार, बंदरगाह जो कोयला, सीमेंट, उर्वरक, पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पाद की ढुलाई करते हैं, के विवरण संलग्न हैं [अनुलग्नक]।

वर्ष 2022-23 में भारतीय बंदरगाहों पर हैंडल किए गए कुल 1129.63 मिलियन टन कार्गो यातायात में से, गुजरात और आंध्र प्रदेश राज्य के बंदरगाहों ने क्रमशः 493.85 मिलियन टन और 133.32 मिलियन टन का प्रबंधन किया।

अनुलग्नक

क्र.सं राज्य/केंद्र शासित प्रदेश कोयले की हैंडलिंग करने वाले बंदरगाहों की संख्या उर्वरकों की हैंडलिंग करने वाले बंदरगाहों की संख्या, सीमेंट की हैंडलिंग करने वाले बंदरगाहों की संख्या पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की हैंडलिंग करने वाले बंदरगाहों की संख्या
1 गुजरात 15 6 7 9
2 महाराष्ट्र 7 3 5 3
3 गोवा 2 1 0 1
4 कर्नाटक 1 1 2 2
5 केरल 0 0 2 2
6 तमिलनाडु 2 1 2 7
7 आंध्र प्रदेश 4 4 1 2
8 ओडिशा 3 2 0 1
9 पश्चिम बंगाल 2 2 2 2
10 पुडुचेरी 1 0 1 2
11 अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह 0 0 9 2

 

यह जानकारी केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में दी।

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दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा *मेरी माटी मेरा देश* अभियान के तहत “वीरों को नमन माटी का वंदन” कार्यक्रम के अंतर्गत पौधारोपण किया

कानपुर 9 अगस्त भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव – 2023 आज से आरंभ होने वाले *मेरी माटी मेरा देश* अभियान के तहत आज 9 अगस्त, 2023 को “वीरों को नमन माटी का वंदन” कार्यक्रम के अंतर्गत एनएसएस वॉलिंटियर्स ने वृक्षारोपण कर माटी का वंदन किया तथा अमृत काल के पंच प्रण की शपथ ली। कार्यक्रम में 50 वॉलिंटियर्स समेत महाविद्यालय के अन्य छात्राओं तथा प्राध्यापिकाओं एवं ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। इस आयोजन को सफल बनाने में मुख्य रूप से महाविद्यालय की कार्यवाहक प्राचार्य प्रो वंदना निगम, कार्यालय अधीक्षक श्री कृष्णेंद्र श्रीवास्तव एल, एनसीसी प्रभारी डॉ मनीषी पांडे, डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ साधना सिंह, डॉ उत्तमा, डॉ विमला देवी, डॉ हिना अफशा, डॉ ज्योत्सना आदि प्राध्यापिकाओं का विशेष योगदान रहा।

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राष्ट्रपति ने पुद्दुचेरी में नागरिक अभिनंदन समारोह में भाग लिया; जिपमेर में लीनियर एक्सेलेरेटर और विल्लियानूर में 50 बिस्तरों वाले अस्पताल का उद्घाटन किया

महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने पुद्दुचेरी सरकार द्वारा अपने सम्मान में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में भाग लिया। उन्होंने आज (7 अगस्त, 2023) जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (जिपमेर) में लीनियर एक्सेलेरेटर का उद्घाटन किया। उन्होंने विल्लियानूर में स्थित 50 बिस्तरों वाले अस्पताल का भी आभासी रूप से उद्घाटन किया।

सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पुद्दुचेरी में हमें  विविध सांस्कृतिक धाराओं का मिश्रण देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि यहां तमिल, तेलुगु और मलयाली प्रभाव के साथ-साथ फ्रांसीसियों  का प्रभाव भी  देखने को मिलता है। राष्ट्रपति ने कहा कि वास्तुकला, त्यौहार और जीवनशैली सामंजस्यपूर्ण ढंग से एकसाथ मिलकर विविध प्रभावों को प्रतिबिंबित करते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश पुद्दुचेरी ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्होंने एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय एजेंसी द्वारा किए गए अध्ययन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच पुद्दुचेरी के सामाजिक प्रगति सूचकांक स्कोर 2022 में पहले स्थान पर आने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पुद्दुचेरी ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पसंद, आश्रय, जल और स्वच्छता के मापदंडों पर बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। राष्ट्रपति ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि पुद्दुचेरी देश में सबसे अधिक साक्षरता दर वाले राज्यों में से एक है और यहां का महिला-पुरुष अनुपात भी महिलाओं के प्रति अनुकूल रहा है। उन्होंने कहा कि इन तथ्यों से जाहिर होता है कि पुद्दुचेरी के लोग महिला-पुरुष समानता में विश्वास रखते हैं। उन्होंने विकास और प्रगति के प्रति आधुनिक और संवेदनशील दृष्टिकोण के लिए पुद्दुचेरी के निवासियों की सराहना की।

राष्ट्रपति ने कहा कि पुद्दुचेरी तेजी से वैश्विक रुझान के रूप में पनप रहे आध्यात्मिक पर्यटन के लिए अद्भुत गंतव्य है और इसमें इस क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रबल प्रोत्साहन देने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि पर्यटन में वृद्धि के साथ-साथ स्वास्थ्य पर्यटन और इको-पर्यटन से संबंधित गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।

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चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय ने चिकित्सा और कल्याण पर्यटन के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति और रोडमैप तैयार किया है

देश में चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय ने चिकित्सा और कल्याण पर्यटन के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति और रोडमैप तैयार किया है। रणनीति ने निम्नलिखित प्रमुख स्तंभों की पहचान की है:
  1. भारत के लिए एक कल्याण गंतव्य के रूप में एक ब्रांड विकसित करना
  2. चिकित्सा और कल्याण पर्यटन के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना
  3. ऑनलाइन मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (एमवीटी) पोर्टल स्थापित करके डिजिटलीकरण को सक्षम करना
  4. चिकित्सा मूल्य यात्रा के लिए पहुंच में वृद्धि
  5. कल्याण पर्यटन को बढ़ावा देना
  6. शासन और संस्थागत ढांचा

हालाँकि, अपनी वर्तमान में चल रही गतिविधियों के हिस्से के रूप में, पर्यटन मंत्रालय, देश के विभिन्न पर्यटन स्थलों और उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए, ‘अतुल्य भारत’ ब्रांड-लाइन के अंतर्गत, विदेशों में महत्वपूर्ण और संभावित बाजारों में वैश्विक प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन मीडिया अभियान जारी करता है। चिकित्सा पर्यटन विषय सहित विभिन्न विषयों पर मंत्रालय के सोशल मीडिया खातों के माध्यम से डिजिटल प्रचार भी नियमित रूप से किया जाता है।भारत सरकार ने 30.11.2016 को कैबिनेट की मंजूरी के अनुसार ई-टूरिस्ट वीज़ा योजना को उदार  बनाया और ई-टूरिस्ट वीज़ा (ईटीवी) योजना का नाम बदलकर ई-वीज़ा योजना कर दिया गया और वर्तमान में, इसमें ई-मेडिकल वीज़ा और ई-मेडिकल अटेंडेंट वीजा शामिल हैं जो कि ई-वीज़ा की उप-श्रेणियां हैं।ई-मेडिकल वीज़ा और ई-मेडिकल अटेंडेंट वीज़ा के मामले में, ट्रिपल एंट्री की अनुमति है और विदेशी क्षेत्रीय  पंजीकरण अधिकारियों (एफआरआरओ)/संबंधित विदेशी पंजीकरण अधिकारियों द्वारा प्रत्येक मामले के आधार पर और साथ ही मामले की योग्यता के आधार पर 6 महीने तक का विस्तार दिया जा सकता है। मेडिकल अटेंडेंट वीज़ा प्रमुख ई-वीज़ा धारक की वैधता के साथ सह-टर्मिनस था। इसके अलावा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अन्य मंत्रालयों और हितधारकों जैसे अस्पतालों, मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (एमवीटी) सुविधाप्रदाताओं, बीमा कंपनियों और एनएबीएच के साथ देश में चिकित्सा मूल्य यात्रा को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। यह जवाब आज लोकसभा में संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने दिया।

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जून, 2023 तक कोयला उत्पादन में 8.51 प्रतिशत की वृद्धि

कोयला खदानें बंद होने पर किसी भी कामगार को कोयला कंपनियों (कोल इंडिया लिमिटेड/सिंगारेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड) की सेवाओं से नहीं हटाया जाएगा। श्रमिकों को पर्याप्त प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ, उनके प्रभावी उपयोग के लिए अन्य इकाइयों/प्रतिष्ठानों में स्थानांतरित किया जाता है।

देश में कोयले की ज्यादातर मांगों को स्वदेशी उत्पादन/आपूर्ति से पूरा किय जाता है। सरकार का ध्यान कोयले का घरेलू उत्पादन बढ़ाने और देश में कोयले के गैर-जरूरी आयात को खत्म करने पर है। वर्ष 2022-23 में कोयला उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 14.77 प्रतिशत बढ़ा है। चालू वर्ष के दौरान जून, 2023 तक कोयले का घरेलू उत्पादन पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 8.51 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है। देश को कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम निम्नलिखित हैं-

  1. कोयला ब्लॉकों के विकास में तेजी लाने के लिए कोयला मंत्रालय द्वारा नियमित समीक्षा।
  2. खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2021 बनाया गया है जो कैप्टिव खान मालिकों (परमाणु खनिजों के अलावा) को अपने वार्षिक खनिज (कोयला सहित) उत्पादन का 50 प्रतिशत तक खुले बाजार में बेचने में सक्षम बनाता है, जो कि अंतिम उपयोग संयंत्र से जुड़ी खदान की आवश्यकता को पूरा करने के बाद केंद्र सरकार के द्वारा निर्धारित तरीके से ऐसी अतिरिक्त राशि का भुगतान किया जाता है।
  3. कोयला खदानों के परिचालन में तेजी लाने के लिए कोयला क्षेत्र के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस पोर्टल।
  4. कोयला खदानों के शीघ्र परिचालन के लिए विभिन्न अनुमोदन/मंजूरी प्राप्त करने के लिए कोयला ब्लॉक आवंटियों की मदद के लिए परियोजना निगरानी इकाई।
  5. राजस्व हिस्सेदारी के आधार पर सीआईएल की बंद पड़ी खदानों को फिर से खोलना और एमडीओ के माध्यम से सीआईएल की खदानों का संचालन।
  6. कोल इंडिया लिमिटेड अपनी भूमिगत (यूजी) खदानों, मुख्य रूप से सतत खनिकों (सीएम) में, जहां भी संभव हो, बड़े पैमाने पर उत्पादन प्रौद्योगिकियों (एमपीटी) को अपना रहा है। कोल इंडिया लिमिटेड ने छोड़ दी गईं या बंद खदानों की उपलब्धता को देखते हुए बड़ी संख्या में हाईवॉल (एचडब्ल्यू) खदानों में काम करने के बारे में भी परिकल्पना की है। कोल इंडिया लिमिटेड जहां भी संभव हो बड़ी क्षमता वाली भूमिगत खदानों की भी योजना बना रही है।
  7. अपनी खुली कटान वाली खदानों में, कोल इंडिया लिमिटेड के पास पहले से ही उच्च क्षमता वाले उत्खनकों, डंपर और सतह खनिकों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी मौजूद है।
  8. सीआईएल की 7 बड़ी खदानों में प्रायोगिक स्तर पर डिजिटलीकरण का कार्यान्वयन, जिसे आगे भी दोहराया जाएगा।
  9. एससीसीएल ने 2023-24 तक 67 मीट्रिक टन के वर्तमान स्तर से 75 मीट्रिक टन उत्पादन करने की योजना बनाई है। नई परियोजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए नियमित संपर्क किया जा रहा है। इसके अलावा, नई परियोजनाओं की गतिविधियों की प्रगति और मौजूदा परियोजनाओं के संचालन की नियमित निगरानी की जा रही है।

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“कचरा मुक्त शहरों की दिशा में तकनीकी प्रयास”

टीडीबी-डीएसटी ई-अपशिष्ट, ज्वैलर्स अपशिष्ट और ऑटोमोबाइल उपकरण अपशिष्ट से बहुमूल्य धातुओं की पुनःप्राप्ति के लिए एक एकीकृत संयंत्र के विकास के लिए मेसर्स अल्केमी रिसाइक्लर्स प्राइवेट लिमिटेड, गुजरात को समर्थन प्रदान करता है

प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड ने आज “कचरा मुक्त शहरों की दिशा में तकनीकी प्रयास” पहल के अंतर्गत दूसरे समझौते पर हस्ताक्षर किए। प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ने ई-अपशिष्ट, ज्वैलर्स अपशिष्ट और ऑटोमोबाइल उपकरण अपशिष्ट से बहुमूल्य धातुओं को पुनः प्राप्त करने के लिए एक एकीकृत संयंत्र के विकास के लिए मेसर्स अल्केमी रिसाइक्लर्स प्राइवेट लिमिटेड, गुजरात के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। बोर्ड ने 1.90 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत में से 1.14 करोड़ रुपये का समर्थन मुहैया कराने पर सहमति व्यक्त की है।

प्रौद्योगिकी संबंधी प्रयास का उद्देश्य उन प्रस्तावों को बढ़ावा देना है, जो न केवल भारतीय शहरों से कचरे को खत्म करेंगे बल्कि कचरे से संपदा का सृजन करने के लिए तकनीकी उपायों को भी उपयोग में लाएंगे। प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से प्रेरणा लेते हुए, स्वच्छ भारत मिशन: शहरी 2.0 का उद्देश्य हमारे सभी शहरों को कचरे से मुक्त बनाना है और स्वच्छता पर जोर देना है, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (डीएसटी, भारत सरकार का एक संवैधानिक निकाय) ने उन भारतीय कंपनियों से आवेदन आमंत्रित किए हैं, जिनके पास अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र में व्यावसायीकरण चरण में नवीन स्वदेशी प्रौद्योगिकियां हैं। इस अवसर पर बोलते हुए प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के सचिव श्री राजेश कुमार पाठक ने कहा, “प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के “कचरा मुक्त शहरों” के लिए प्रौद्योगिकी संबंधी प्रयास के प्रस्तावों को देश भर में भारतीय कंपनियों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। इन कंपनियों के द्वारा दिखाया गया उत्साह व रुचि एक स्वच्छ और अधिक टिकाऊ भविष्य बनाने के प्रति इनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। बोर्ड को अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र में व्यावसायीकरण चरण में नवीन और स्वदेशी प्रौद्योगिकियों की एक विस्तृत श्रृंखला प्राप्त हुई। इन प्रौद्योगिकियों में हमारे कचरे का निपटान करने के तरीके में आमूल-चूल बदलाव लाने और योगदान देने की क्षमता है ताकि कचरा-मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।”

कंपनी ने प्रसंस्करण के लिए अपनी नवीन पद्धति का उपयोग करके ई-अपशिष्ट, आभूषण से जुड़े अपशिष्ट और कार उपकरण अपशिष्ट से कीमती धातुओं को पुनः प्राप्त करने के लिए एक एकीकृत संयंत्र विकसित किया है। जब ई-अपशिष्ट, आभूषण अपशिष्ट और कार उपकरण अपशिष्ट को एक विशिष्ट अनुपात या संयोजन में मिलाया जाता है, तो पुनःप्राप्ति अनुपात बहुत बढ़ जाता है। इसके अलावा, कुछ अशुद्धियां फ्लक्स के रूप में कार्य करती हैं, जो पुनःप्राप्ति प्रक्रिया में मदद करती हैं। इस कंपनी ने 750 टीपीए की स्थापित क्षमता पर इन तीन अपशिष्टों के संयोजन से सोना, चांदी, पैलेडियम, प्लैटिनम और रोडियम जैसी बहुमूल्य धातुओं की पुनःप्राप्ति का प्रस्ताव दिया है।

यह नवोन्मेषी पद्धति न केवल कीमती धातुओं की पुनःप्राप्ति अनुपात को बढ़ाती है, बल्कि यह कचरा प्रबंधन के लिए एक स्थायी समाधान भी प्रदान करती है। यह पद्धति इन तीन प्रकार के अपशिष्ट से बहुमूल्य धातुओं को कुशलतापूर्वक निकालकर पारंपरिक खनन प्रथाओं से जुड़े पर्यावरणीय प्रभाव को कम करती है। इसके अलावा, फ्लक्स के रूप में अशुद्धियों का उपयोग न केवल पुनःप्राप्ति प्रक्रिया में सुधार करता है, बल्कि यह अतिरिक्त रसायनों की आवश्यकता को भी कम करता है, जो इसे पर्यावरण के अनुकूल दृष्टिकोण और किफायती बनाता है।

इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट व्यापार का मुख्य रूप से अनौपचारिक चैनलों के माध्यम से प्रबंध किया जाता है, जो पर्यावरणीय खतरों, सरकारी करों और संसाधन की कमी को उत्पन्न करते हैं। परियोजनाओं का लक्ष्य इस समस्या को कम करना तथा प्रभावी और किफायती अपशिष्ट संग्रह के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल को बढ़ावा देना है। प्रस्तावित प्रसंस्करण क्षमता 750 टीपीए है, जो भारतीय बाजार का 0.0187% है। वैश्विक ई-अपशिष्ट की मात्रा बढ़ने की उम्मीद है, जो स्थानीय और वैश्विक दोनों स्तर पर परियोजना की व्यवहार्यता की क्षमता को

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