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कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय ने कारोबार को आसान बनाने और स्वीकृति प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं

भारत में ‘कारोबार करने में सुगमता’ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 248 (2) के अंतर्गत कंपनियों की स्वैच्छिक स्ट्राइक ऑफ प्रक्रिया को केंद्रीकृत करने और प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए 17 मार्च, 2023 को एमसीए अधिसूचना संख्या एस.ओ. 1269 (ई) के तहत त्वरित कॉर्पोरेट निकासी प्रसंस्करण केंद्र (सी-पेस) की स्थापना की गई थी।

इसकी शुरुआत होने के बाद से वित्तीय वर्ष 2023-24 में आरओसी सी-पेस के माध्यम से कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 248(2) के तहत वित्त वर्ष 2023-24 में 13,560 कंपनियों को और चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 15 नवंबर तक 11,855 कंपनियों को हटाया गया है।ऐसे आवेदनों के निपटान में लगने वाला औसत समय घटकर अब 70-90 दिन के बीच रह गया है।

मंत्रालय ने दिनांक 5 अगस्त, 2024 की अधिसूचना संख्या जीएसआर 475 (ई) के तहत सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) को शून्य करने से संबंधित ई-फॉर्म के प्रसंस्करण के लिए सीपीएसीई को सशक्त बनाकर सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) को समाप्त करने हेतु केंद्रीकृत कर दिया है।

27 अगस्त, 2024 से प्रभावी आरओसी सी-पेस के माध्यम से एलएलपी को हटाने की प्रक्रिया के लिए ई-फॉर्म चालू कर दिए गए हैं और 15 नवंबर, 2024 तक सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 की धारा 75 और सीमित देयता भागीदारी नियम, 2009 के नियम 37 के अंतर्गत 3,264 एलएलपी को समाप्त कर दिया गया है।

कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय कारोबार को आसान बनाने और स्वीकृति प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख गतिविधियां शामिल हैं:

(i) कंपनी और एलएलपी अधिनियमों के तहत 63 आपराधिक गतिविधियों का गैर-अपराधीकरण किया गया। कॉरपोरेट्स को राहत प्रदान करते हुए गैर-अपराधीकरण का एक उद्देश्य न्यायिक अदालतों में मुकदमेबाजी के बोझ को कम करना और अभियोजन मामलों को न्यायनिर्णयन की ओर स्थानांतरित करना भी है।

 (ii) 54 से अधिक फॉर्मों को सीधी प्रक्रिया (एसटीपी) में परिवर्तित किया गया, जिसके लिए पहले क्षेत्रीय कार्यालयों की मंजूरी की आवश्यकता होती थी।

(iii) नाम आरक्षण, निगमन, पैन, टैन, डीआईएन आवंटन, ईपीएफओ पंजीकरण, ईएसआईसी पंजीकरण, जीएसटी नंबर और कंपनी के निगमन के समय बैंक खाता खोलने जैसी विभिन्न सेवाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए ई-फॉर्म एसपीआईसीई+ के साथ-साथ एजीआईएल प्रो-एस नामक लिंक्ड फॉर्म की शुरुआत की गई है, ताकि व्यवसाय तुरंत शुरू किया जा सके। इसी प्रकार, एक ही आवेदन में समान सेवाएं प्रदान करने के लिए नया ई-फॉर्म फिल्लिप (सीमित देयता भागीदारी के निगमन के लिए फॉर्म) पेश किया गया।

(iv) लघु कंपनी की परिभाषा में संशोधन किया गया है, जिसके तहत लघु कंपनी की प्रारंभिक सीमा को 2.00 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 4.00 करोड़ रुपये कर दिया गया है और टर्नओवर को 20.00 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 40.00 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसी प्रकार, छोटे एलएलपी की अवधारणा शुरू की गई है, जो कम अनुपालन और कम शुल्क के अधीन है ताकि स्वीकृति प्रक्रिया की लागत कम हो सके।

(v) निगमन प्रक्रिया में एकरूपता प्रदान करने के लिए निगमन हेतु एक केंद्रीकृत कंपनी रजिस्ट्रार (सीआरसी) की शुरुआत हुई है।

(vi) एसटीपी के तहत दायर ई-फॉर्मों की केंद्रीकृत जांच के लिए एक केंद्रीय जांच केंद्र (सीएससी) की स्थापना की गई है।

(vii) निर्दिष्ट गैर-एसटीपी ई-फॉर्मों के केंद्रीकृत प्रसंस्करण के लिए एक केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र (सीपीसी) को स्थापित किया गया है।

(viii) कंपनी अधिनियम से संबंधित अपराधों के न्यायनिर्णयन के लिए ई-न्यायनिर्णयन पोर्टल को प्रारंभ किया गया है।

(ix) 15.00 लाख रुपये तक की अधिकृत पूंजी वाली कंपनी के निगमन के लिए कोई शुल्क नहीं रखा गया है।

(x) कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत विलय के लिए फास्ट ट्रैक प्रक्रिया को बढ़ाया गया, ताकि स्टार्टअप्स का अन्य स्टार्टअप्स और छोटी कंपनियों के साथ विलय भी इसमें शामिल किया जा सके, जिससे विलय तथा एकीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके।

(xi) सीए-2013 (क्षेत्रीय निदेशकों के अनुमोदन के माध्यम से त्वरित विलय एवं एकीकरण) की धारा 233 का दायरा बढ़ाया गया। इसमें अब भारत के बाहर निगमित किसी हस्तांतरणकर्ता विदेशी कंपनी (होल्डिंग कंपनी) का भारत में निगमित उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के साथ विलय भी शामिल है।

(xii) किसी कंपनी के पंजीकृत कार्यालय के स्थानांतरण की लागत शून्य कर दी गई है।

 (xiii) वीडियो कॉन्फ्रेंस (वीसी) के माध्यम से किसी कंपनी की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) और असाधारण आम बैठक (ईजीएम) आयोजित करने का प्रावधान हुआ है।

 (xiv) कंपनी (अनुमेय क्षेत्राधिकारों में इक्विटी शेयरों की लिस्टिंग) नियम, 2024 जारी किए गए हैं, जो भारतीय सार्वजनिक कंपनियों को गिफ्ट आईएफएससी में अंतर्राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज(ओं) पर अपने इक्विटी शेयरों को सूचीबद्ध करने की अनुमति देते हैं।

कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ​​ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) का विस्तार

एमएसएमई मंत्रालय 2008-09 से प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) नामक एक प्रमुख ऋण-सम्बद्ध सब्सिडी कार्यक्रम को कार्यान्वित कर रहा है, जिसमें खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) राष्ट्रीय स्तर पर नोडल एजेंसी है, ताकि गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना करके देश में उत्तराखंड सहित, रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकें।

पीएमईजीपी एक केंद्रीय योजना है, जो सामान्य श्रेणी के लाभार्थियों को ग्रामीण क्षेत्रों में परियोजना लागत का 25% और शहरी क्षेत्रों में 15% मार्जिन मनी (एमएम) सब्सिडी के साथ सहायता प्रदान करती है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, अल्पसंख्यक, महिला, भूतपूर्व सैनिक, शारीरिक रूप से विकलांग, ट्रांसजेंडर, पूर्वोत्तर क्षेत्र, पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्रों और आकांक्षी जिलों से संबंधित जैसे विशेष श्रेणी के लाभार्थियों के लिए, ग्रामीण क्षेत्रों में मार्जिन मनी सब्सिडी 35% और शहरी क्षेत्रों में 25% है। विनिर्माण क्षेत्र में परियोजना की अधिकतम लागत 50 लाख रुपये और सेवा क्षेत्र में 20 लाख रुपये है।

2018-19 से, मौजूदा पीएमईजीपी/मुद्रा उद्यमों को भी पिछले अच्छे प्रदर्शन के आधार पर अपग्रेडेशन और विस्तार के लिए दूसरे ऋण के साथ समर्थन दिया जा रहा है। दूसरे ऋण के तहत, विनिर्माण क्षेत्र में मार्जिन मनी (एमएम) सब्सिडी के लिए स्वीकार्य अधिकतम परियोजना लागत 1.00 करोड़ रुपये है और सेवा क्षेत्र के लिए 25 लाख रुपये है। दूसरे ऋण पर सभी श्रेणियों के लिए सब्सिडी परियोजना लागत का 15% (एनईआर और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए 20%) है।

पीएमईजीपी एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, इसलिए राज्यवार बजट का कोई आवंटन नहीं किया जाता है। निधियों का उपयोग उत्पन्न मांग और वित्तीय संस्थानों द्वारा स्वीकृत ऋणों के आधार पर किया जाता है।

पीएमईजीपी के लिए पांच वित्तीय वर्षों (2021-22 से 2025-26) में 13,554.42 करोड़ रुपये के परिव्यय को मंजूरी दी गई है।

चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में उत्तराखंड राज्य में पीएमईजीपी के अंतर्गत 430 लाभार्थियों को 12.01 करोड़ रुपये की मार्जिन मनी सब्सिडी प्राप्त हुई है। उत्तराखंड राज्य में पीएमईजीपी के अंतर्गत 8.08 करोड़ रुपये की राशि के 77 सब्सिडी दावे लंबित हैं।

यह जानकारी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री श्रीमती सुश्री शोभा करंदलाजे ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा।

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संकट का सामना कर रहे एमएसएमई क्षेत्र की समीक्षा के लिए योजनाएं

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) देश भर में एमएसएमई क्षेत्र के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को क्रियान्वित करता है। इन योजनाओं/कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए ऋण गारंटी योजना, सूक्ष्म एवं लघु उद्यम-क्लस्टर विकास कार्यक्रम, उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम, खरीद एवं विपणन सहायता योजना, एमएसएमई प्रदर्शन को उन्नत एवं तेज करना, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग योजना, राष्ट्रीय एससी/एसटी हब, एमएसएमई चैंपियन आदि शामिल हैं।

सरकार सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई) के लिए ऋण गारंटी योजना (सीजीएस) लागू करती है, ताकि ऋण वितरण प्रणाली को मजबूत किया जा सके और बिना किसी संपार्श्विक और तीसरे पक्ष की गारंटी के झंझट के सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्षेत्र को ऋण प्रवाह की सुविधा प्रदान की जा सके। यह ऋण अधिकतम 500 लाख रुपये तक है। एमएसई के लिए सीजीएस के तहत सावधि ऋण और/या कार्यशील पूंजी सुविधाएं पात्र हैं।

केंद्रीय बजट 2024-25 में एमएसएमई के लिए वित्तपोषण, विनियामक परिवर्तन और प्रौद्योगिकी सहायता को कवर करने वाले पैकेज की घोषणा की गई है, ताकि उन्हें बढ़ने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिल सके, जैसा कि नीचे दिया गया है:

  • एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए सहयोग;
  • विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई के लिए ऋण गारंटी योजना;
  • एमएसएमई ऋण के लिए नया मूल्यांकन मॉडल;
  • तनाव की अवधि में एमएसएमई को ऋण सहायता;
  • मुद्रा ऋण की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये की गई;
  • टीआरईडीएस में अनिवार्य ऑनबोर्डिंग के लिए दायरा बढ़ाया गया;
  • एमएसएमई क्लस्टरों में सिडबी शाखाएं;
  • खाद्य विकिरण, गुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण के लिए एमएसएमई इकाइयाँ;
  • ई-कॉमर्स निर्यात केन्द्र.

सरकार ने एमएसएमई को विपणन और खरीद सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न उपाय किए हैं। इनमें से कुछ उपाय इस प्रकार हैं:

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 के अंतर्गत सूक्ष्म और लघु उद्यम आदेश, 2012 के लिए सार्वजनिक खरीद नीति को कार्यान्वित करता है। नीति में केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों/केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा सूक्ष्म और लघु उद्यमों से 25% वार्षिक खरीद अनिवार्य की गई है, जिसमें एससी/एसटी उद्यमियों के स्वामित्व वाले सूक्ष्म और लघु उद्यमों से 4% और महिला उद्यमियों के स्वामित्व वाले सूक्ष्म और लघु उद्यमों से 3% खरीद शामिल है।
  • एमएसएमई मंत्रालय सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों की बाजार पहुंच बढ़ाने के लिए खरीद एवं विपणन सहायता योजना लागू करता है। यह योजना राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों/प्रदर्शनियों/एमएसएमई एक्सपो आदि में भागीदारी की सुविधा प्रदान करती है।
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय एमएसएमई को अपने उत्पादों के निर्यात और विदेशों में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों/मेलों/क्रेता-विक्रेता बैठकों में एमएसएमई की भागीदारी की सुविधा के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग योजना लागू करता है और भारत में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों/सेमिनारों/कार्यशालाओं का आयोजन करता है।
  • पहली बार निर्यात करने वालों (सीबीएफटीई) की क्षमता निर्माण के लिए, नए सूक्ष्म और लघु उद्यमों को, जो निर्यातक हैं, निर्यात संवर्धन परिषदों के साथ पंजीकरण सह-सदस्यता प्रमाणन (आरसीएमसी), निर्यात बीमा प्रीमियम और निर्यात के लिए परीक्षण एवं गुणवत्ता प्रमाणन पर हुए खर्च की प्रतिपूर्ति प्रदान की जाती है।

यह जानकारी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री श्रीमती सुश्री शोभा करंदलाजे ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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भारत के संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाला ऐतिहासिक समारोह कल से शुरू होगा

भारत सरकार ने देश के संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाले ऐतिहासिक समारोह की शुरुआत की घोषणा की है। यह निर्णय हमारे लोकतंत्र की उल्लेखनीय यात्रा और हमारे संस्थापक सिद्धांतों तथा संवैधानिक मूल्यों की स्थायी विरासत को दर्शाता है, जो संविधान दिवस 26 नवंबर, 2024 से शुरू होगा। यह समारोह ” हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान “ अभियान के तहत आयोजित किए जा रहा हैं और इसका उद्देश्य संविधान में निहित मूल मूल्यों को दोहराते हुए संविधान के निर्माताओं के योगदान का सम्मान करना है।

26 नवंबर, 1949 को भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया जो 26 जनवरी, 1950 से प्रभावी है। इस संविधान ने भारतीय इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की। यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन दुनिया के सबसे लंबे लिखित संविधान को अपनाया गया था, जो भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की आधारशिला है। अपनी स्थापना के बाद से, संविधान पिछले 75 वर्षों से राष्ट्र की प्रगति को आकार देने वाले मार्गदर्शक ढांचे के रूप में कार्य कर रहा है।

समारोह के मुख्य अंश:

  • विशेष वेबसाइट ( constitution75.com ): संविधान की विरासत से नागरिकों को परस्पर संवाद  गतिविधियों और संसाधनों के माध्यम से जोड़ने के लिए एक समर्पित वेबसाइट constitution75.com बनाई गई है। वेबसाइट पर निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध हैं:
    • प्रस्तावना पढ़ें और वीडियो रिकॉर्ड करें: नागरिक अपनी पसंद की भाषा में संविधान की प्रस्तावना पढ़ते हुए वीडियो रिकॉर्ड करके अभियान में भाग ले सकते हैं। वीडियो को अभियान की वेबसाइट पर अपलोड किया जा सकता है और भागीदारी का प्रमाण पत्र डाउनलोड किया जा सकता है।
    • संविधान को विभिन्न भाषाओं में पढ़ें : संविधान का पूर्ण पाठ विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है, यह सभी नागरिकों के लिए सुलभ हैं।
    • इतिहास को जाने: संविधान निर्माण के बारे में जानें, संविधान सभा की चर्चाएं पढ़ें, संविधान निर्माण में शामिल विभिन्न समितियों की रिपोर्टें पढ़ें और आधुनिक भारत को आकार देने वाले मूल्यों और सिद्धांतों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
    • संवादात्मक फीचर : “अपना संविधान जानें” एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) सक्षम इंटरैक्टिव सुविधा है , जहां कोई भी संविधान के बारे में प्रश्न पूछ सकता है और भारत के संविधान से संबंधित विस्तृत उत्तर प्राप्त कर सकता है।

 

  • 26 नवंबर, 2024 को प्रस्तावना का सामूहिक वाचन
    • 26 नवंबर, 2024 को स्कूलों से लेकर दफ्तरों तक, शहरों से लेकर गांवों तक पूरे देश में लाखों लोग एक साथ संविधान की प्रस्तावना पढ़ेंगे।
    • वेबसाइट ( constitution75.com ) पर अपनी सेल्फी और वीडियो अपलोड करके उन्हें गर्व के साथ सोशल मीडिया पर साझा करें।
  • 26 नवंबर, 2024 को संसद के केन्द्रीय कक्ष में उद्घाटन कार्यक्रम :
  1. राष्ट्रपति के नेतृत्व में, उपराष्ट्रपति , प्रधानमंत्री , लोकसभा अध्यक्ष और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में संसद के केन्द्रीय कक्ष में एक भव्य उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा ।
  2. कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं:
  • भारतीय संविधान की महिमा, इसके निर्माण और ऐतिहासिक यात्रा को समर्पित लघु फिल्म की प्रस्तुति।
  • भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ को समर्पित एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया जाएगा।
  • “भारत के संविधान का निर्माण: एक झलक” और “भारत के संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा” शीर्षक पुस्तकों का विमोचन।
  • भारतीय संविधान की कला को समर्पित पुस्तिका का विमोचन।
  • भारतीय संविधान का संस्कृत भाषा में विमोचन।
  • भारतीय संविधान का मैथिली भाषा में विमोचन।
  • राष्ट्रपति के नेतृत्व में प्रस्तावना का औपचारिक वाचन किया जाएगा।

भारत सरकार ने नागरिकों से इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बनने, अपने संविधान पर सामूहिक गर्व दिखाने तथा हमारे राष्ट्र को परिभाषित करने वाले लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाने का आह्वान किया है।

इस समारोह में ऐसे भाग लें!

  • संविधान की प्रस्तावना पढ़ने, अपना वीडियो रिकॉर्ड करने तथा अपलोड करने और भागीदारी का प्रमाण पत्र डाउनलोड करने के लिए constitution75.com पर जाएं ।
  • वेबसाइट की संवादात्मक फीचर का लाभ उठाएं, विभिन्न भाषाओं में संविधान का अन्वेषण करें, तथा उस विकास यात्रा के बारे में अधिक जानें जिसने भारत को उसका मार्गदर्शक ढांचा प्रदान किया है।
  • 26 नवंबर, 2024 को राष्ट्रव्यापी अभियान में शामिल हों, देशभर के स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी और निजी कार्यालयों, पंचायतों और अन्य स्थानों पर संविधान की प्रस्तावना पढ़ने में हिस्सा लें। दूसरों को प्रेरित करने के लिए अपनी भागीदारी के वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करें।

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डॉ. मनसुख मांडविया ने 75वें संविधान दिवस से पूर्व माय भारत के युवा स्वयंसेवकों की ओर से आयोजित ‘हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान’ पदयात्रा निकाली

केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल और श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज नई दिल्ली में 75वें संविधान दिवस के उपलक्ष्य में ‘माय भारत’ के स्वयंसेवकों की ओर से आयोजित 6 किलोमीटर लंबी पदयात्रा में भाग लिया। “हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान” विषय पर आधारित यह पदयात्रा मेजर ध्यानचंद स्टेडियम से शुरू हुई और कर्तव्य पथ तथा इंडिया गेट से होकर गुजरी। इस पदयात्रा में माय भारत के 10,000 से अधिक युवा स्वयंसेवकों के साथ-साथ प्रमुख युवा हस्तियां, केंद्रीय मंत्री और सांसद शामिल हुए।

इस पदयात्रा की शुरुआत ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल के साथ हुई, जिसमें डॉ. मनसुख मांडविया ने अपने संसदीय सहयोगियों के साथ एक पेड़ लगाया। इसके बाद श्री पीयूष गोयल, श्री धर्मेंद्र प्रधान, श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, श्री किरण रिजिजू, श्री अर्जुन राम मेघवाल, सुश्री रक्षा निखिल खडसे जैसे केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ अन्य सांसद इस पदयात्रा में शामिल हुए। योगेश्वर दत्त, मीराबाई चानू, रवि दहिया, योगेश कथूनिया जैसे प्रमुख युवा प्रतीकों और ओलंपिक पदक विजेताओं ने भी पदयात्रा में भाग लिया।

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पदयात्रा के दौरान मीडिया से बातचीत में केंद्रीय मंत्री डॉ. मांडविया ने ‘माय भारत’ के 10,000 से ज़्यादा युवा स्वयंसेवकों की भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि देश के युवाओं ने न सिर्फ़ संविधान की प्रस्तावना पढ़ीबल्कि इसके प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि नए भारत के युवा ‘विकसित भारत’ के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में एक व्यापक प्रदर्शनी के जरिए भारतीय संविधान की विकास यात्रा को प्रदर्शित किया गया और इसमें प्रमुख हस्तियों के योगदान को प्रमुखता से बताया गया। ऐतिहासिक वेशभूषा पहने युवाओं ने डॉ. बी. आर. अंबेडकर और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे नेताओं का चित्रण करके इतिहास को जीवंत कर दिया, जिससे मनोरंजक अनुभव मिला। पूरे मार्ग के साथ-साथ, पदयात्रा में विभिन्न स्थलों पर जीवंत सांस्कृतिक प्रदर्शनियां दिखाई गईं। प्रतिभागियों ने पारंपरिक गुजराती नृत्य, राजस्थानी लोक नृत्य और ऊर्जावान पंजाबी भांगड़ा सहित मंत्रमुग्ध करने वाले अनेक सांस्कृतिक प्रदर्शनों का आनंद लिया।

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इस पदयात्रा का उद्देश्य युवाओं में संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देना था। इस अवसर पर इंडिया गेट पर एक विशेष समारोह आयोजित किया गया, जिसमें युवाओं ने सामूहिक रूप से संविधान की प्रस्तावना पढ़ी। इस दौरान भारत के संविधान की नींव के रूप में प्रस्तावना की भूमिका और न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के इसके प्रमुख मूल्यों पर प्रकाश डाला गया। केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों की मौजूदगी में इस कार्यक्रम में भारतीय लोकतंत्र में इन सिद्धांतों के महत्व को रेखांकित किया गया। समारोह स्थल के रूप में राष्ट्रीय एकता के प्रतीक इंडिया गेट ने समारोह के प्रभाव को और बढ़ा दिया। प्रस्तावना पढ़ने के बाद, डॉ. मांडविया ने अपने संसदीय सहयोगियों के साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पुष्पांजलि अर्पित की। इस कार्यक्रम के केंद्र में युवाओं की भागीदारी रही। पूरे कार्यक्रम के दौरान माय भारत पंजीकरण अभियान चलाया गया। प्रतिभागी प्रस्तावना थीम वाले सेल्फी पॉइंट के साथ अपनी यादगार तस्वीरें ले सकते थे। पूरे रास्ते में माय भारत के स्वयंसेवकों ने प्रतिभागियों के लिए जलपान के स्टॉल लगाकर और स्वच्छ भारत अभियान में प्रमुखता से भाग लेकर पदयात्रा के पूरे मार्ग में स्वच्छता सुनिश्चित करके महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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इस पदयात्रा में एनसीआर क्षेत्र के 125 से अधिक कॉलेजों और एनवाईकेएस, एनएसएस, एनसीसी और भारत स्काउट्स एंड गाइड्स सहित विभिन्न संगठनों के युवा प्रतिभागियों ने सफलतापूर्वक भाग लिया। यह संविधान के 75वें वर्ष के जश्न में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यानी मील का पत्थर साबित हुआ। इस कार्यक्रम में विकसित भारत के लिए संवैधानिक मूल्यों को संरक्षित करने और इसे बढ़ावा देने में युवाओं की भूमिका पर जोर दिया गया।

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मैं 90 के दशक की पीढ़ी के लिए ‘वंदे मातरम’ को और अधिक आकर्षक बनाना चाहता था: भारत बाला

प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक और पटकथा लेखक भारत बाला ने कहा, “मेरे पिता एक स्वतंत्रता सेनानी थे और 90 के दशक की पीढ़ी के लिए वंदे मातरम गीत को और अधिक आकर्षक बनाने के उनके अनुरोध पर मैंने ए.आर. रहमान द्वारा लोकप्रिय एल्बम ‘वंदे मातरम’ बनाया।” वह गोवा में 55वें इफ्फी में ‘सिनेमैटिक स्टोरीटेलिंग के संदर्भ में संस्कृति’ विषय पर पैनल चर्चा में बोल रहे थे। पैनल में अन्य वक्ता प्रतिष्ठित लेखक डॉ. सच्चिदानंद जोशी और अमीश त्रिपाठी थे।

श्री बाला ने कहा कि विज्ञापन का मतलब किसी उत्पाद के प्रति उत्साह और रोमांच पैदा करना है। इसी तरह वह नई पीढ़ी के लिए ‘वंदे मातरम’ को कूल बनाना चाहते थे और ‘वंदे मातरम’ एल्बम का गीत इसी सोच का नतीजा था।

श्री बाला ने बताया कि वे वर्चुअल भारत नामक एक नई परियोजना पर काम कर रहे हैं, जो देश के विभिन्न भागों से आने वाली 1000 कहानियों के माध्यम से भारत का इतिहास प्रस्तुत करेगी। श्री बाला ने निष्कर्ष देते हुए कहा कि “वर्तमान प्रणाली के विपरीत, जहां निर्माता या निर्देशक यह निर्णय लेते हैं कि फिल्म बनाने के लिए कौन सी कहानी चुननी है, फिल्मों की क्राउड फंडिंग आम जनता को अपनी पसंद की कहानियां चुनने की शक्ति दे सकती है।”

‘द शिवा ट्रिलॉजी’ और ‘राम चंद्र सीरीज’ के लोकप्रिय लेखक अमीश त्रिपाठी ने कहा कि कई दशकों से फिल्में समाज की वास्तविकताओं को चित्रित कर रही हैं। उन्होंने कहा कि जब कहानीकार अपने सांस्कृतिक परिवेश के प्रति सजग होगा तो अधिक प्रामाणिक कहानियाँ सामने आएंगी।

श्री त्रिपाठी ने निष्कर्ष निकाला, “हिंदी फिल्म उद्योग हमारे प्राचीन साहित्य में उपलब्ध विविध कहानियों का उपयोग करने में पीछे रह गया है, जबकि क्षेत्रीय सिनेमा ऐसी कहानियों को चुनने में कहीं बेहतर स्थिति में रहा है।”

प्रसिद्ध लेखक और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के सदस्य सचिव श्री सच्चिदानंद जोशी ने बताया कि मोबाइल फोन धीरे-धीरे हमारे घरों में बुजुर्गों के माध्यम से बताई जाने वाली पारंपरिक कहानीयों को कहने की कला को खत्म कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आम लोगों की असाधारण कहानियाँ जो अब हमारे बुजुर्गों के माध्यम से नहीं बताई जा रही हैं उन्हें सिनेमा द्वारा सामने लाया जा रहा है और फिल्मों के माध्यम से हम तक पहुंचाया जा रहा है। श्री जोशी ने निष्कर्ष देते हुए बताया, “क्लासिक साहित्य पर आधारित स्क्रिप्ट को अंतिम रूप देते समय शोध की कमी की भरपाई क्लासिक के विभिन्न संस्करणों के तत्वों को मिलाकर की जा रही है।”

सुप्रसिद्ध लेखक, श्री मकरंद परांजपे ने चर्चा का संचालन किया।

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‘अम्माज़ प्राइड’ और ‘ओंको कि कोठीन’- 55वें आईएफएफआई में वंचित समुदाय की आवाज़ को चित्रित करती दो फिल्मों प्रदर्शित की गयीं

55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव में दो बेहतरीन फ़िल्में ‘अम्माज़ प्राइड’ और ‘ओंको कि कोठीन’ को देश भर के सिनेमा प्रेमियों ने खूब पसंद किया। दोनों फ़िल्मों के निर्माता और कलाकारों ने आज गोवा के पणजी में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में मीडिया से बातचीत की।

अम्माज़ प्राइड: दृढ़ता और गर्व की यात्रा

इस साल आईएफएफआई की एकमात्र एलजीबीटीक्यू+ फ़िल्म, अम्माज़ प्राइड एक ट्रांसवुमन का सच्चा और ईमानदार चित्रण है, जो अपने पूरे जीवन में अपनी गरिमा और गौरव के लिए लड़ती है।

भारतीय पैनोरमा में गैर-फीचर फ़िल्मों के खंड के लिए चुनी गई यह लघु फ़िल्म, दक्षिण भारत की एक युवा ट्रांसवुमन श्रीजा के कष्टों और परेशानियों का चित्रण करती है। जिस तरह से वह अपनी शादी की जटिलताओं से निपटती है और इसे कानूनी मान्यता दिलाने के लिए लड़ती है और जिस तरह से उसकी माँ, वल्ली पूरे दिल से उसका समर्थन और मार्गदर्शन करती है, यही फ़िल्म का केंद्रीय भाव है।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/24-9-3LPMH.jpg

मीडिया से अपनी फ़िल्म के बारे में बात करते हुए, निर्देशक शिव कृष्ण ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ट्रांसजेंडर लोगों के मुद्दों को दर्शाने वाली फ़िल्में बहुत कम और कभी-कभार बनती हैं। उन्होंने कहा, “ये फ़िल्में अक्सर ट्रांसपर्सन को रूढ़िवादी नकारात्मक रोशनी में चित्रित करती हैं, जिससे वे निराश हो जाते हैं। फ़िल्म की मुख्य पात्र माँ वल्ली हैं, जो खुद एक सिंगल मदर होने के बावजूद अपनी बेटी को अपने तरीके से जीने में सक्षम बनाती हैं।“

समाज में ट्रांसपर्सन के प्रति धारणा बदलने की उम्मीद करते हुए, नवोदित निर्देशक ने कहा, “हमने वरिष्ठ एलजीबीटीक्यू कार्यकर्ताओं और कई ट्रांसपर्सन को उनकी प्रतिक्रियाएँ प्राप्त करने के लिए फ़िल्म दिखाई और वे फ़िल्म में दिखाई गई सकारात्मकता से चकित थे। यह मेरे लिए बहुत बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला सिद्ध हुआ। वे यह भी चाहते हैं कि इस फ़िल्म का सामाजिक प्रभाव हो और हम भारत के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में भी इस फ़िल्म के इर्द-गिर्द एक प्रभाव अभियान चलाने की योजना बना रहे हैं, जिससे मुझे उम्मीद है कि ट्रांसपर्सन के लिए मुख्यधारा के मीडिया में एक सकारात्मक लहर पैदा होगी।”

फ़िल्म समारोहों में प्रशंसा अर्जित करते हुए, इस वृत्तचित्र ने इस वर्ष कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय दक्षिण एशियाई फ़िल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ एलजीबीटीक्यू फ़िल्म के लिए शेर वैंकूवर पुरस्कार जीता है। इसे दुनिया भर के कई समारोहों जैसे 64वें क्राको फ़िल्म समारोह, वुडस्टॉक फ़िल्म समारोह 2024, अंतर्राष्ट्रीय दक्षिण एशियाई फ़िल्म समारोह कनाडा 2024 में भी प्रदर्शित किया गया है और इसे दर्शकों की खूब सराहना मिली है।

ओंको कि कोठीन – विपरीत परिस्थितियों के बीच सपने

55वें आईएफएफआई में वर्ल्ड प्रीमियर के तौर पर बंगाली फीचर फिल्म ‘ओंको कि कोठीन’ को भी इंडियन पैनोरमा खंड के लिए चुना गया है। फिल्म तीन वंचित बच्चों की कहानी है, जो एक अस्थायी अस्पताल बनाते हैं और इसे बनाए रखने की कोशिश में कई चुनौतियों का सामना करते हैं। कहानी इस उम्मीद के साथ खत्म होती है कि क्या ये तीनों बच्चे तमाम मुश्किलों के बावजूद अपने सपने पूरे कर पाएंगे।

फिल्म के निर्देशक सौरव पालोधी कहते हैं, “कहानी तीन बच्चों, बबिन, डॉली और टायर की उम्मीद और दृढ़ संकल्प के बारे में है।” “कोविड महामारी के दौरान कई सरकारी स्कूल बंद हो गए, जिससे कई वंचित बच्चों की शिक्षा रुक गई। अगर सपनों की फैक्ट्रियां, यानि स्कूल बंद हो जाएं, तो बच्चे सपने देखना कहां सीखेंगे। इसलिए, जब मैंने फिल्म बनाने के बारे में सोचा तो यही मुख्य विचार मेरे दिमाग में आया।”

सम्मेलन में मौजूद फिल्म की अभिनेत्री उषाशी चक्रवर्ती ने बताया कि कैसे कहानी ने उन्हें इस प्रोजेक्ट को चुनने के लिए प्रेरित किया। “भारतीय सिनेमा में वंचित पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चों का चित्रण करने वाली बहुत कम फिल्में बनती हैं। जब मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी, तो मुझे लगा कि इस कहानी को बड़े दर्शक वर्ग के बीच जाना चाहिए। तीन बच्चों की यह कहानी, जिन्होंने तमाम बाधाओं के बावजूद कभी हार नहीं मानी, आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणादायक कहानी है।”

पालोधी ने निष्कर्ष के तौर पर कहा, “हमारे देश में, वंचित पृष्ठभूमि के माता-पिता अपने बच्चों को केवल दोपहर के भोजन के लिए स्कूल भेजते हैं, उनके लिए सीखना गौण है। मैंने करीब से देखा है कि कैसे इन बच्चों के सपने उनके माता-पिता की सीमाओं और आर्थिक बाधाओं के कारण चकनाचूर हो जाते हैं। इसलिए, यह फिल्म बनाना इन बच्चों की कठोर वास्तविकता को सामने लाने तथा उनके दृढ़ संकल्प और ईमानदारी को दिखाने का मेरा तरीका था।”

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55वें आईएफएफआई में आयोजित पहली पैनल चर्चा में महिला सुरक्षा और सिनेमा पर चर्चा की गई

55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) की पहली पैनल चर्चा आज महिला सुरक्षा और सिनेमा पर बातचीत के साथ शुरू हुई। प्रसिद्ध अभिनेत्री और निर्माता वाणी त्रिपाठी टिक्कू द्वारा संचालित इस सत्र में फिल्म निर्माता इम्तियाज अली, अभिनेत्री सुहासिनी मणिरत्नम, खुशबू सुंदर और भूमि पेडनेकर सहित पैनलिस्ट एक साथ आए। उन्होंने फिल्म उद्योग में महिलाओं की सुरक्षा, लैंगिक प्रतिनिधित्व और सामाजिक मूल्यों को आकार देने में सिनेमा की भूमिका से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।

पैनलिस्टों ने व्यक्तिगत अनुभव और सोच साझा की कि कैसे फिल्म उद्योग महिलाओं को पर्दे पर और पर्दे के पीछे बेहतर तरीके से समर्थन कर सकता है और सशक्त बना सकता है। उन्होंने एक सुरक्षित वातावरण को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया जहां सिनेमा में महिलाएं उत्पीड़न या शोषण की चिंता किए बिना स्वतंत्र रूप से काम कर सके।

चर्चा का एक महत्वपूर्ण भाग इस बात पर केंद्रित था कि अगर कोई अपराधी पहचाना जाता है तो फिल्म सेट को किस तरह से पेश आना चाहिए। पैनलिस्ट इस बात पर सहमत हुए कि कार्यस्थल पर लैंगिक अन्याय के प्रति सहनशीलता अब स्वीकार्य नहीं है। सुहासिनी मणिरत्नम ने अपना अनुभव साझा किया कि कैसे पुरुष अभिनेता अक्सर सेट पर आते हैं और दृश्यों में बदलाव का सुझाव देते हैं ऐसा महिलाओं के साथ शायद ही कभी होता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को भी अपने दृश्यों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अपने प्रतिनिधित्व में निष्क्रिय भागीदार बनने के बजाय बातचीत शुरू करनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि उद्योग के पेशेवरों के लिए क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले कार्य संबंधी नैतिकता को समझना आवश्यक है।

इम्तियाज अली ने एक ऐसा कार्य संस्कृति बनाने के महत्व पर जोर दिया जहां सेट पर महिलाएं केवल कला पर ध्यान केंद्रित कर सकें बिना इस बात की चिंता किए कि उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माता सेट पर लैंगिक अन्याय के प्रति सहनशील नहीं हो सकते हैं।

इस बातचीत में फिल्मों में महिलाओं के चित्रण और यह कैसे उनके लिए एक सुरक्षित स्थान के निर्माण को सीधे प्रभावित करता है इस पर भी चर्चा हुई। भूमि पेडनेकर ने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं की गरिमा और उन्हें पर्दे पर जिस तरह से दिखाया जाता है वह एक सम्मानजनक और सशक्त वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

खुशबू सुंदर ने कहा कि उनका ध्यान मनोरंजक फिल्में बनाने पर है, लेकिन वह ऐसा जिम्मेदारी से करती हैं यह सुनिश्चित करते हुए कि उनके काम में समानता और सम्मान के सिद्धांतों से समझौता न हो। पैनलिस्ट सामूहिक रूप से इस बात पर सहमत हुए कि महिलाओं को गरिमा के साथ चित्रित करना केवल चरित्र के बारे में नहीं है, बल्कि बड़े पैमाने पर उद्योग के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करने के बारे में है।

चर्चा में दर्शकों ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया। दर्शकों ने सिनेमा में महिलाओं की उभरती भूमिका और कैसे उद्योग उनकी सुरक्षा या गरिमा से समझौता किए बिना उन्हें सफल होने के लिए जगह बनाना जारी रख सकता है इस बारे में सवाल पूछे।

आईएफएफआई 2024 के पहले पैनल के रूप में, इस बातचीत ने एक ऐसे उत्सव की शुरुआत की, जो न केवल सिनेमा की कला का उत्सव मनाता है बल्कि सभी के लिए एक सुरक्षित, अधिक समावेशी भविष्य को आकार देने में उद्योग की जिम्मेदारी की भी आलोचनात्मक जांच करता है।

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82 युवा कलाकारों को वर्ष 2022 और 2023 के लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया

वर्ष 2022 और 2023 के असाधारण विजेताओं को सम्मानित करने के लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार समारोह का उद्घाटन संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री अरुणीश चावला; सुश्री उमा नंदूरी, संयुक्त सचिव, संस्कृति मंत्रालय; संगीत नाटक अकादमी के उपाध्यक्ष श्री जोरावर सिंह जादव; संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा और संगीत नाटक अकादमी के सचिव श्री राजू दास ने किया।

डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, नई दिल्ली में 82 युवा कलाकारों को वर्ष 2022 और 2023 के लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

 

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री अरुणीश चावला ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “यह देखकर खुशी हो रही है कि इस वर्ष के पुरस्कार विजेता भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो देश के हर कोने, हर क्षेत्र, हर राज्य और हर समुदाय की अनूठी विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस पुरस्कार के माध्यम से, संगीत नाटक अकादमी और भारत सरकार ने प्रदर्शन कला में उनके असाधारण योगदान को मान्यता दी है।”

पुरस्कार समारोह के बारे में बोलते हुए, संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा ने कहा, “यह देखना वास्तव में खुशी की बात है कि आज के युवा नर्तक किस तरह अपनी कला के प्रति इतनी लगन से समर्पित हो गए हैं। विकल्पों की प्रचुरता, वैश्वीकरण के प्रभाव और आधुनिक दुनिया की विकर्षणों के बावजूद, इन युवाओं ने आत्मविश्वास से अपना रास्ता चुना है। वे अपनी कला में महारत हासिल करने के लिए अथक प्रयास करते हैं और वह भावना आज यहां पुरस्कार विजेताओं में स्पष्ट झलकती है।”

पुरस्कार समारोह के बाद, 22 से 26 नवंबर, 2024 तक तीन अलग-अलग स्थानों – मेघदूत थिएटर कॉम्प्लेक्स, रवींद्र भवन, कोपरनिकस मार्ग, नई दिल्ली; अभिमंच थिएटर, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, भावलपुर हाउस, नई दिल्ली और विवेकानंद ऑडिटोरियम, कथक केंद्र, चाणक्यपुरी में उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार के विजेताओं की प्रस्तुति के लिए प्रदर्शन कला महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।

 

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार

संगीत नाटक अकादमी ने 40 वर्ष की आयु तक के युवा प्रदर्शन कला साधकों के लिए वर्ष 2006 में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के नाम पर उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार (यूबीकेयूपी) की स्थापना की। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार हर साल संगीत, नृत्य, नाटक, लोक और आदिवासी कला और कठपुतली के क्षेत्र में उत्कृष्ट युवा कलाकारों को दिल्ली और दिल्ली के बाहर आयोजित एक विशेष समारोह में दिया जाता है। युवा पुरस्कार के तहत 25,000/- रुपये (केवल पच्चीस हजार रुपये) की राशि, एक पट्टिका और एक अंगवस्त्रम प्रदान किया जाता है।

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार को शुरू करने के पीछे का उद्देश्य देश के संगीत, नृत्य, नाटक, लोक और आदिवासी कला रूपों और अन्य संबद्ध प्रदर्शन कला रूपों के क्षेत्र में युवा कलाकारों को प्रोत्साहित और प्रेरित करना था।

वर्ष 2022 और 2023 के लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार विजेताओं की सूची इस प्रकार है:

वर्ष 2022 के लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ युवा पुरस्कार

कला का क्षेत्रः संगीत -10

  1. समित मल्लिक हिंदुस्तानी गायन
  2. समर्थ जानवे हिंदुस्तानी गायन
  3. संगीत मिश्रा हिंदुस्तानी वाद्य संगीत (सारंगी)
  4. पार्थो रॉय चौधुरी हिंदुस्तानी वाद्य संगीत (संतूर)
  5. गायत्री कर्नाटक गायन
  6. आइ. श्वेता प्रसाद कर्नाटक गायन
  7. बी. अनंता कृष्णन कर्नाटक वाद्य संगीत (वायलिन)
  8. सहाना एस. वी. कर्नाटक वाद्य संगीत (वीणा)
  9. मनोज राय रचनात्मक एवं प्रायोगिक संगीत
  10. नंदिनी राव गुजर संगीत की अन्य प्रमुख परंपराएँ (सुगम संगीत)

कला का क्षेत्रः नृत्य -10

  1. मंदाक्रांता रॉय भरतनाट्यम
  2. कदम पारिख कथक
  3. ऊर्मिका माइबम मणिपुरी
  4. टी. रेड्डी लक्ष्मी कूचिपूड़ी
  5. आरूपा गायत्री पाण्डा ओडिसी
  6. डिम्पी बैश्य सत्रिय
  7. अक्षरा एम. दास मोहिनीआट्टम
  8. प्रद्युम्न कुमार मोहंता छऊ
  9. मिंगमा दोर्जी लेप्चा रचनात्मक एवं प्रायोगिक नृत्य
  10. अपर्णा नांगियार नृत्य एवं नृत्य नाट्य की अन्य प्रमुख परंपराएँ (नांगियारकुथु)

कला का क्षेत्रः रंगमंच– 08

  1. बेलुरु रघुनंदन नाट्य लेखन
  2. ईफ़रा मुश्ताक़ काक नाट्य निर्देशन
  3. हरिशंकर रवि नाट्य निर्देशन
  4. हरविंदर सिंह नाट्य अभिनय
  5. कुमार रविकांत नाट्य अभिनय
  6. सिद्धि उपाध्ये नाट्य अभिनय
  7. मुकुंद नाथ माइम (मूक अभिनय)
  8. संगीत श्रीवास्तव संबद्ध नाट्य कलाएँ (प्रकाश विन्यास)

कला का क्षेत्रः अन्य पारंपरिक/लोक/जनजातीय नृत्य/संगीत/नाट्य और पुतुल कला – 11

  1. लता तिवारी एवं संजय दत्त पांडे (संयुक्त पुरस्कार), लोक संगीत एवं नृत्य, उत्तराखंड
  2. चाउ साराथम नामचूम लोक संगीत, अरुणाचल प्रदेश
  3. समप्रिया पूजा लोक संगीत एवं नृत्य, छत्तीसगढ़
  4. सूर्यवंशी प्रमिला कौतिकराव लोक नृत्य (लावणी), महाराष्ट्र
  5. कुमार उदय सिंह लोक नृत्य, बिहार
  6. नसरुल्ला ईपीआइ लोक नृत्य, लक्षद्वीप
  7. बिनीता देवी पुतुल कला, असम
  8. महेश आबा सतरकर लोक नृत्य, गोवा
  9. वसावा मुकेशभाई एम. लोक नृत्य, गुजरात

10. गुलज़ार अहमद भट्ट लोक नृत्य, जम्मू-कश्मीर

11. मोइरांथेम केन्द्रा सिंह नट संकीर्तन, मणिपुर

कला का क्षेत्रः प्रदर्शन कला में समग्र योगदान/विद्वत्ता– 1

  1. अनुत्तमा मुरला प्रदर्शन कला में समग्र योगदान

वर्ष 2023 के लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ युवा पुरस्कार

कला का क्षेत्रः संगीत -10

  1. अनुजा झोकरकर हिंदुस्तानी गायन
  2. मोनिका सोनी हिंदुस्तानी गायन
  3. ऋषि शंकर उपाध्याय हिंदुस्तानी वाद्य संगीत (पखावज)
  4. सारंग राजन कुलकर्णी हिंदुस्तानी वाद्य संगीत (सरोद)
  5. एस. आर. विनय शर्व कर्नाटक गायन
  6. रामकृष्ण मूर्ति कर्नाटक गायन
  7. अक्षय अनंतपद्मनाभन कर्नाटक वाद्य संगीत (मृदंगम)
  8. सैखोम पिंकी देवी रचनात्मक एवं प्रायोगिक संगीत
  9. सत्यवती मुडावत रचनात्मक एवं प्रायोगिक संगीत
  10. नागेश शंकरराव अडगांवकर संगीत की अन्य प्रमुख परंपराएँ (अभंग)

कला का क्षेत्रः नृत्य -10

  1. अपूर्वा जयरमण भरतनाट्यम
  2. मेघरंजनी मेडी कथक
  3. कलामंडलम विपीन शंकर कथकलि
  4. पुखराम्बम रीपा देवी मणिपुरी
  5. मुरमल्ला सुरेंद्र नाथ कूचिपूड़ी
  6. देबाशीष पटनायक ओडिसी
  7. मुकुंद सैकिया सत्रिय
  8. विद्या प्रदीप मोहिनीआट्टम
  9. सुनीता महतो छऊ
  10. वेंकटेश्वरन कुप्पुस्वामी नृत्य संगीत

कला का क्षेत्रः रंगमंच– 08

  1. प्रियदर्शिनी मिश्रा नाट्य लेखन
  2. बेन्दांग वॉलिंग नाट्य निर्देशन
  3. शुभोजीत बनर्जी नाट्य निर्देशन
  4. ऋतुजा राजन बागवे नाट्य अभिनय
  5. विपन कुमार नाट्य अभिनय
  6. श्रुति सिंह नाट्य अभिनय
  7. मल्लिकार्जुन राव बचाला सम्बद्ध नाट्य कलाएँ (रूप विन्यास)
  8. पुनीत डिमरी और अमित खंडूरी

(संयुक्त पुरस्कार) रंगमंच की अन्य प्रमुख परंपराएँ (रामलीला)

कला का क्षेत्रः अन्य पारंपरिक/लोक/जनजातीय नृत्य/संगीत/नाट्य और पुतुल कला – 11

  1. अंगदी भास्कर लोक संगीत (दप्पलु), तेलंगाना
  2. आलोक बिशोई लोक नृत्य एवं संगीत, ओडिशा
  3. एम प्रकाश लोक नृत्य, पुडुचेरी
  4. पद्मा डोलकर लोक संगीत और नृत्य, लद्दाख
  5. सुखराम पाहन लोक संगीत, झारखंड
  6. यूसुफ खान मेवाती जोगी लोक संगीत, राजस्थान
  7. कलामंडलम रवि शंकर टी. एस. लोक वाद्य (चेंडा), केरल
  8. दीक्षित कुशल मनवंतराय लोक नृत्य, गुजरात
  9. प्रियंका शक्ति ठाकुर पारंपरिक रंगमंच, महाराष्ट्र
  10. अनुरीत पाल कौर लोक संगीत, पंजाब
  11. चारु शर्मा लोक संगीत, हिमाचल प्रदेश

कला का क्षेत्रः प्रदर्शन कला में समग्र योगदान/विद्वत्ता – 1

  1. लक्ष्मीनारायण जेना, प्रदर्शन कला में समग्र योगदान

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केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आईआरईडीए की कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व पहल के तहत ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर में 10 बैटरी चालित वाहनों को हरी झंडी दिखाई

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने आज ओडिशा के पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर में 10 बैटरी चालित वाहनों को हरी झंडी दिखाई। भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए) के कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कार्यक्रम के तहत इस पहल का उद्देश्य पर्यावरण अनुकूल गतिशीलता को बढ़ावा देना और आगंतुकों के लिए पहुंच में सुधार करना है। इसका उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को इस प्रतिष्ठित विरासत स्थल तक पहुंचने में मदद करना है।

जोशी ने श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक को वाहन की चाबियाँ सौंपते हुए सांस्कृतिक स्थलों पर इस प्रकार की सतत पहल के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “इस ऐतिहासिक मंदिर में बैटरी से चलने वाले वाहनों की उपलब्धता हरित ऊर्जा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है और आगंतुकों को एक सुलभ तथा पर्यावरण अनुकूल परिवहन विकल्प प्रदान करती है। इस तरह की स्थायी पहलों में मदद करने में इरेडा के प्रयास राष्ट्र के हरित मिशन और महत्वपूर्ण विरासत स्थलों पर आगंतुकों के अनुभवों को बढ़ाने में उसके समर्पण को दर्शाते हैं।

इरेडा के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री प्रदीप कुमार दास ने पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि इरेडा को हमारी सीएसआर पहलों के माध्यम से विरासत स्थलों के 10 पर्यावरण अनुकूल वाहनों के विकास में योगदान देने का सम्मान मिला है। यह परियोजना जीवन के हर क्षेत्र में टिकाऊ और नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के हमारे मिशन के अनुरूप है। इसका उद्देश्य आगंतुकों के लिए पर्यावरण अनुकूल गतिशीलता समाधान प्रदान करना है।

इस समारोह में इरेडा के निदेशक (वित्त) डॉ. बीके मोहंती के साथ नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन और इरेडा के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। केंद्रीय मंत्री, इरेडा के सीएमडी, मंत्रालय और इरेडा के अन्य अधिकारियों ने भगवान जगन्नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की।

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