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महिला जगत

राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय महिला विधायक सम्मेलन-2022 का उद्घाटन किया

राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविंद ने तिरुवनंतपुरम में राष्ट्रीय महिला विधायक सम्मेलन-2022 का उद्घाटन किया। सम्मेलन का आयोजन केरल विधानसभा ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत किया है। सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब राष्ट्र स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी कर रहा है। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत हम पिछले एक साल से अधिक समय से स्मारक कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। विभिन्न समारोहों में लोगों की उत्साहपूर्ण भागीदारी, अतीत से जुड़ने और अपने हित में, हमारे गणतंत्र की नींव को फिर से खोजने के उनके उत्साह को दर्शाती है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की गाथा में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक शोषक औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों से आजाद होने के भारत के प्रयास बहुत पहले ही शुरू हो गए थे, और सबसे पहले 1857 में हमें इसकी अभिव्यक्ति देखने को मिलती है। 19वीं सदी के मध्य के समय में भी, जबकि दूसरी ओर केवल पुरुष थे, भारतीय पक्ष में कई महिलाएं शामिल थीं। रानी लक्ष्मीबाई उनमें से सबसे उल्लेखनीय थीं, लेकिन उनके जैसी कई और भी थीं, जो अन्यायपूर्ण शासन के खिलाफ बहादुरी से लड़ रही थीं। गांधी जी के नेतृत्व वाले ‘असहयोग आंदोलन से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन’ तक कई सत्याग्रह अभियान चलाए गए, जिनमें महिलाओं की व्यापक भागीदारी थी। पहली महिला सत्याग्रहियों में कस्तूरबा शामिल थीं। जब गांधीजी को गिरफ्तार किया गया, तो उन्होंने दांडी तक के नमक मार्च का नेतृत्व सरोजिनी नायडू को सौंपने का फैसला किया। कमलादेवी चट्टोपाध्याय चुनाव लड़ने वाली देश की पहली महिला थीं। राष्ट्रपति ने मैडम भीकाजी कामा के साहसपूर्ण बलिदान और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में इंडियन नेशनल आर्मी की कैप्टन लक्ष्मी सहगल और उनकी सहयोगियों के योगदान को भी याद किया। उन्होंने कहा कि जब हम राष्ट्रीय आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी का उदाहरण देते हैं, तो प्रेरणा देने वाले बहुत से नाम दिमाग में आते हैं, लेकिन उनमें से कुछ का ही उल्लेख कर पाते हैं। अपने सभी वयस्क नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के सार्वभौमिक मताधिकार प्रदान करने की भारत की उपलब्धि के बारे में बताते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे दुनिया के सबसे पुराने आधुनिक लोकतंत्र में भी महिलाओं को देश की स्वतंत्रता की एक सदी के बाद तक वोट का अधिकार प्राप्त करने का इंतजार करना पड़ा। यूनाइटेड किंगडम में रहने वाली उनकी बहनों ने भी लगभग उतना ही लंबा इंतजार किया। इसके बाद भी, यूरोप के कई आर्थिक रूप से उन्नत देशों में महिलाओं को मतदान का अधिकार नहीं दिया गया। लेकिन भारत में ऐसा समय कभी नहीं आया जब पुरुषों को मताधिकार मिला हो, और महिलाओं को नहीं। इससे दो बातें सिद्ध होती हैं। पहली, कि हमारे संविधान निर्माताओं का  लोकतंत्र में और जनता के विवेक में गहरा विश्वास था। वे प्रत्येक नागरिक को एक नागरिक के तौर पर मानते थे, न कि एक महिला या किसी जाति और जनजाति के सदस्य के रूप में, और वह मानते थे कि हमारे समन्वित भविष्य को आकार देने में उनमें से हर एक की आवाज सुनी जानी चाहिए। दूसरा, प्राचीन काल से ही इस धरती ने स्त्री और पुरुष को समान माना है- निस्संदेह एक दूसरे के बिना अधूरे। राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाएं एक के बाद एक विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति कर रही हैं। नवीनतम है, सशस्त्र बलों में उनकी बढ़ती भूमिका। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित और प्रबंधन के पारंपरिक रूप से पुरुषों के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्रों में भी, जिन्हें एसटीईएमएम कहा जाता है, उनकी संख्या बढ़ रही है। कोरोना संकट के समय में जिन लोगों ने आगे बढ़कर राष्ट्र के लोगों की सुरक्षा का जिम्मा उठाया, उन योद्धाओं में भी पुरुषों से ज्यादा महिलाएं ही रही होंगी। उन्होंने कहा कि जब स्वास्थ्य क्षेत्र में सेवा करने वाले लोगों की बात आती है तो केरल ने हमेशा अपनी ओर से अधिक से अधिक योगदान दिया और इस राज्य की महिलाओं ने संकट की इस अवधि के दौरान व्यक्तिगत जोखिम उठा कर भी निस्वार्थ सेवा का उदाहरण स्थापित किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश की लगभग आधी आबादी महिलाओं की है, ऐसे में इस तरह की उपलब्धियां हासिल करना उनके लिए स्वाभाविक होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। हमें यह स्वीकार करना होगा कि वे हमारे समाज में बहुत गहरी पैंठ बनाए बैठे  सामाजिक पूर्वाग्रहों का शिकार हैं। देश के कार्यबल में उनका अनुपात उनकी क्षमता के मुकाबले कुछ नहीं है। यह दुखद स्थिति, निश्चित रूप से पूरे विश्व में व्याप्त है। उन्होंने कहा कि भारत में तो कम से कम एक महिला प्रधानमंत्री हुई हैं और राष्ट्रपति भवन में भी उनके प्रतिष्ठित पूर्ववर्तियों में से एक महिला थीं, जबकि कई देशों में अभी तक कोई महिला राज्य या सरकार की प्रमुख नहीं रही हैं। उन्होंने कहा कि किसी मुद्दे को वैश्विक परिदृश्य में देखने से हमें यह महसूस करने में मदद मिलती है कि हमारे सामने चुनौती मानसिकता को बदलने की है- यह एक ऐसा कार्य है, जो बिल्कुल भी आसान नहीं है। इसमें अपार धैर्य और समय की जरूरत है। हम निश्चित रूप से इस तथ्य से राहत महसूस कर सकते हैं कि स्वतंत्रता आंदोलन ने भारत में लैंगिक समानता के लिए एक ठोस नींव रखी, कि हमने एक महान शुरुआत की थी और हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि अब यह मानसिकता बदलनी शुरू हो गई है, और लैंगिक संवेदनशीलता- तीसरे लिंग और अन्य लिंग की पहचानों सहित तेजी से आगे बढ़ रही है। सरकार भी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ जैसी केंद्रित पहलों के साथ इस प्रवृत्ति को बढ़ावा देने की पूरी कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि दशकों से केरल राज्य महिलाओं की तरक्की की राह में आने वाली बाधाओं को दूर कर एक शानदार उदाहरण पेश करता रहा है। राज्य की आबादी की उच्च स्तरीय संवेदनशीलता के चलते राज्य ने महिलाओं को स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में अपनी क्षमता हासिल करने में मदद करने के लिए नए रास्ते तैयार किए हैं। यह वह भूमि है जिसने भारत को सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश, न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी दीं। यही वजह है कि केरल आज राष्ट्रीय महिला विधायक सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि ‘लोकतंत्र की ताकत’ के अंतर्गत आयोजित यह राष्ट्रीय सम्मेलन एक बड़ी सफलता हासिल करेगा। उन्होंने इस सम्मेलन का आयोजन करने के लिए केरल विधानसभा और उसके सचिवालय को बधाई दी।

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संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री  मीनाक्षी लेखी ने ब्रिक्स संस्कृति मंत्रियों की 7वीं बैठक में भाग लिया

संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री  मीनाक्षी लेखी ने ब्रिक्स संस्कृति मंत्रियों की 7वीं बैठक में भाग लिया। इस बैठक को चीन गणराज्य द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित किया गया था।

ब्रिक्स देशों के बीच सांस्कृतिक गतिविधियों की प्रगति और विस्तार के लिए “ब्रिक्स के बीच समावेश और आपस में ज्ञान का साझा करने वाली सांस्कृतिक साझेदारी स्थापित करने” के थीम पर इस बैठक में चर्चा हुई। चर्चा का मुख्य फोकस क्षेत्र में सांस्कृतिक डिजिटलीकरण पर विकास और सहयोग को बढ़ावा देना, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण पर सहयोग को मजबूत करना और ब्रिक्स देशों के सांस्कृतिक आदान-प्रदान प्लेटफार्मों के निर्माण को आगे बढ़ाना था। मंत्रियों ने सांस्कृतिक सहयोग को और मजबूत करने और 2015 में हस्ताक्षरित ब्रिक्स सांस्कृतिक सहयोग समझौते को लागू करने के लिए ब्रिक्स कार्य योजना 2022-2026 को अपनाया।

श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया और अपने संबोधन में निम्नलिखित बिंदुओं को सामने रखा:

(i)            भारत अपनी विविध सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के साथ संगीत, रंगमंच, कठपुतली का खेल, विभिन्न आदिवासी कला और नृत्य के विशेष रूप से शास्त्रीय और लोक क्षेत्र में आदान-प्रदान कार्यक्रमों/गतिविधियों के माध्यम से ब्रिक्स देशों को सांस्कृतिक मूल्यों से परिचित कराने के लिए एक मंच प्रदान करना सुनिश्चित करता है।

(ii)           कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के कारण पिछले ढाई साल के दौरान फीजिकल मूवमेंट संभव नहीं हो पाया है। इसके बावजूद संस्कृति सहित सभी मोर्चों पर जीवन को आगे बढ़ाने में डिजिटल प्रौद्योगिकियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

(iii)          सांस्कृतिक विरासत के क्षेत्र में मूल्यवान संग्रह को डिजिटाइज करना और उन्हें खुले सूचना स्थान में प्रस्तुत करना भारत की प्राथमिकता है क्योंकि यह संग्रहालयों और पुस्तकालयों जैसे सांस्कृतिक संस्थानों में संग्रहीत सांस्कृतिक सामग्री के लिए लंबी अवधि के लिए संग्रहण और व्यापक पहुंच प्रदान करता है। ब्रिक्स देशों की आभासी प्रदर्शनियों के माध्यम से ब्रिक्स देशों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का पता लगाया जा सकता है।

(iv)         भारत सांस्कृतिक विरासत और इन्टर्कल्चरल डायलग की विविधता में विश्वास करता है। यह पर्यावरण संबंधी चिंताओं के लिए नवीन और संस्कृति-आधारित समाधानों में विरासत और पारंपरिक ज्ञान को एकीकृत करने वाले स्थायी और लचीले पर्यावरण की पुरजोर वकालत करता है।

(v)          भारत की कला अपनी समृद्ध विरासत और अपने आधुनिक इतिहास का एक मिश्रण है। इसने निस्संदेह भारत को एक सक्रिय और रचनात्मक इकाई के रूप में स्थापित किया है जो आज कला जगत का एक अभिन्न अंग है।

(vi)         आज की पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों के आलोक में, समावेशी और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील विकास प्रतिमानों की दिशा में काम करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। समय की मांग एक रोडमैप है जो सांस्कृतिक विरासत, सांस्कृतिक और रचनात्मक उद्योगों और लोगों की सहज कल्पना और सामूहिक बुद्धि की समझ को एकीकृत करना चाहिए।

उन्होंने अध्यक्ष को धन्यवाद दिया और सभी क्षेत्रों में प्रगतिशील और व्यापक ब्रिक्स सहयोग की कामना की।

बैठक के अंत में, ब्रिक्स राज्यों की सरकारों के बीच संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग (2022-2026) के बीच समझौते के कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना पर सहमति हुई और सभी ब्रिक्स राष्ट्रों के संस्कृति मंत्रियों द्वारा हस्ताक्षर किए गए।

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मैडम सर’ ने 500 शानदार एपिसोड्स पूरे किए, शो के कलाकारों ने मनाया इस उपलब्धि का जश्‍न!

‘मैडम सर’ ने 500 शानदार एपिसोड्स पूरे किए, शो के कलाकारों ने अपने अंदाज में मनाया इस उपलब्धि का जश्‍न!

सोनी सब के शो ‘मैडम सर’ ने सफलतापूर्वक 500 एपिसोड पूरे कर लिए हैं। यही वह समय है कि भारत की सबसे चहेती महिला पुलिस अधिकारियों के लिये हम सब जमकर ताली बजाएं। दो साल पहले अपने लॉन्‍च के बाद से ही, इस शो ने महिलाओं के नेतृत्‍व वाले मजबूत किरदारों और सोच-विचार कर बनाई गईं कहानियों एवं प्‍लॉट के साथ दर्शकों को काफी लुभाया है। इस शो में एसएचओ हसीना मलिक (गुल्‍की जोशी), करिश्‍मा सिंह (युक्ति कपूर), संतोष (भाविका शर्मा), पुष्‍पा सिंह (सोनाली नाईक) और चीता चतुर्वेदी (प्रियांशु सिंह) मुख्‍य भूमिकाएं निभा रहे हैं। शो में बड़े आत्‍मविश्‍वास और बेहतरीन तरीके से एक महिला पुलिस थाने को संभालने में रोजाना आने वाली चुनौतियाँ दिखाई गई हैं। इसके किरदारों ने अजीब से अजीब मामलों को पूरे ‘जज्‍बात’ के साथ और सबसे अभिनव तरीकों से सुलझाया है। पिछले 500 एपिसोड्स में ‘मैडम सर’ ने अनगिनत सामयिक विषयों और निजी अनुभवों को छुआ है, जो ऐसी लड़कियों के लिये प्रेरक हैं, जिन्‍हें अपने काम में महारथ पाने और उसे सहजता से करने की आकांक्षा है। महिला सशक्तिकरण से लेकर, दबंगई, सामाजिक रूढि़यों, मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य, आदि तक इस शो ने प्रासंगिक मुद्दों को ऐसी कहानियों के जरिए दिखाया है जोकि एक सकारात्‍मक एवं महत्‍वपूर्ण असर पैदा करने के लिए समाधान प्रदान करती हैं। आज हासिल हुई उपलब्धि के साथ ‘मैडम सर’ नये रास्‍तों पर बढ़ने के लिये तैयार है, और यह दर्शकों को बांधकर रखने की कोशिश करता रहेगा।  इस उपलब्धि पर अपनी बात रखते हुए, हसीना मलिक की भूमिका निभा रहीं गुल्‍की जोशी ने कहा, “मुझे ‘मैडम सर’ का हिस्‍सा बनकर बहुत गर्व और खुशी है, क्‍योंकि यह शो समस्‍याओं को हल करने की नई-नई विधियों से दयालुता और हास्‍य के भाव को फैलाता है। एक एक्‍टर के तौर पर इसमें मैंने न केवल नये लुक्‍स और शख्सियतों को अपनाया, बल्कि परफॉर्मेंस के मामले में भी मेरा दायरा बढ़ा। हमारे शो को दर्शकों से अब तक मिली प्रतिक्रिया काफी संतोषजनक रही है और हम आगे और भी ज्‍यादा एडवेंचर्स लाकर दर्शकों का मनोरंजन जारी रखना चाहते हैं। 500 एपिसोड्स पूरे करने और यह बेजोड़ उपलब्धि हासिल करने के लिये पूरी टीम को शाबाशी मिलनी चाहिये। यह ‘मैडम सर’ की यात्रा में एक नये अध्‍याय की शुरूआत है।‘’ करिश्‍मा सिंह की भूमिका निभा रहीं युक्ति कपूर ने कहा, “मैं 500 शानदार एपिसोड्स पूरे होने पर पूरे दिल से हमारी टीम को बधाई देना चाहती हूँ। यह उपलब्धि हासिल करने का अनुभव सपने जैसा लग रहा है और यह हमारी उस कड़ी मेहनत को दिखाता है, जो इस कहानी को पर्दे पर जीवंत करने में लगी है। इस शो ने हमें एक्‍टर के तौर पर कई बारीकियाँ जानने का मौका दिया और इसके नेरेटिव भी आधुनिक समय के हैं। ऐसे बेहतरीन कलाकारों और क्रू के साथ काम करना मैं अपना सौभाग्‍य मानती हूँ, जिन्‍होंने हमेशा मेरा साथ दिया। मैं ऐसी और भी उपलब्धियों की कामना करती हूँ।” संतोष की भूमिका निभा रहीं भाविका शर्मा ने कहा, “इतनी बड़ी उपलब्धि का हिस्‍सा बनकर मैं बहुत खुश और आभारी हूँ। एक शो को इतने लंबे समय तक चलाना और दर्शकों के लिये प्रासंगिक बनाये रखना कठिन है, लेकिन ‘मैडम सर’ ने कौतुहल पैदा करने और मनोरंजन देने वाली कहानियों के साथ एक बदलाव करके दिखाया है। एक टीम के तौर पर हमने इस शो को सफल बनाने के लिये बड़ी कोशिश की है और मैं दर्शकों से आग्रह करती हूँ कि वे हमें अपना प्‍यार और सहयोग लगातार देते रहें।” देखते रहिये ‘मैडम सर’, सोमवार से शनिवार रात 10 बजे, सिर्फ सोनी सब पर!

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हर साल बिजली का संकट

हर साल की तरह इस साल भी गर्मी ने लोगों को बुरी तरह परेशान कर रखा है ऐसे में बिजली कटौती लोगों का जीना दुश्वार कर रही है। इस भीषण गर्मी के बीच देश में गंभीर बिजली संकट पैदा हो गया है। मांग के अनुपात में बिजली नहीं मिल पा रही है। बारह राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, झारखंड, उत्तराखंड, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश गंभीर बिजली संकट से जूझ रहे हैं। कोयले की कमी के कारण उत्पन्न हुआ यह संकट कोई पहली बार नहीं है। पिछले साल भी यह संकट गहराया था लेकिन इस बार बिजली की किल्लत कुछ ज्यादा ही महसूस की जा रही है। कई राज्यों में बिजली कटौती की घोषणा कर दी गई है जिसकी वजह से आम जन परेशान हो गए हैं। चालू वित्त वर्ष में कोल इंडिया का बिजली कंपनियों को करीब 21.600 करोड़ रूपया बकाया था अब भी कोल इंडिया का बिजली कंपनियों पर 12,300 करोड़ों का बकाया है और बिजली का यह संकट कर्ज ना चुका पाने के कारण है। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (सीईए) की डेली कोल स्टॉक रिपोर्ट के मुताबिक 165 थर्मल पावर स्टेशनों में से 56 में से 10 फ़ीसदी या उससे कम कोयला बचा है। कम से कम 26 के पास पांच फीसदी से भी कम स्टॉक है। दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन के मुताबिक महत्वपूर्ण बिजली संयंत्रों के पास एक दिन से भी कम का कोयला बचा है। बिजली संकट का सबसे ज्यादा असर जलापूर्ति व्यवस्था पर संसाधनों पर पड़ा है बिजली कटौती से आम जनता को पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा हैं। इसके अलावा अस्पताल और मेट्रो सेवाओं में बाधा उत्पन्न होगी सो अलग। बिजली संकट से जो स्थिति उत्पन्न हो गई है वो तकलीफ देने के लिए काफी है। वह भविष्य में आने वाले संकटों के लिए आगाह कर रही है और बारह राज्यों में बिजली कटौती का अर्थ यह नहीं है अन्य प्रदेश इस संकट से बचे हुए हैं। इस संकट की आहट उन्हें भी महसूस हो गई है। बिजली प्रबंधन के मामले में देश में बहुत लचर व्यवस्था चल रही है और इसी वजह से यह समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। लगभग हर साल यही सुनने में आता है कि एक-दो दिन की बिजली के लिए कोयला बचा है। लगभग सभी ताप बिजलीघर आधे से भी कम क्षमता पर चल रहे हैं। यदि कोयला समाप्ति पर है तो आगे की व्यवस्था, रखरखाव और मरम्मत किस प्रकार होगी? और सरकार इस अव्यवस्था को नजरअंदाज कर रही है। सरकार का ध्यान ग्रीन एनर्जी  की तरफ ज्यादा है।
अब वैकल्पिक ऊर्जा को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है और इसी वजह से परंपरागत ऊर्जा और वैकल्पिक ऊर्जा का सामंजस्य ठीक तरीके से नहीं हो पा रहा है। जिसके कारण बिजली संकट बढ़ते जा रहा है।
वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा जरूर दिया जा रहा है लेकिन अभी भी इस क्षेत्र में जागरूकता और बहुत कार्य करने की जरूरत है साथ ही प्रबंधन व्यवस्था को सुधारना अति आवश्यक है यदि इनमें सुधार कर लिया गया तो संकट काफी हद तक दूर हो जाएगा। विभिन्न  सरकारें सब्सिडी या मुफ्त बिजली दे रही है लेकिन इस राशि का भुगतान विद्युत वितरण कंपनियों को नियमित रूप से नहीं कर रही है। बिजली संकट दूर करने के लिए प्रबंधन में सुधार अत्यावश्यक है।

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तुम्हें रानी बनाने की चाह मे ,पता नही कब ..मै राजा से गुलाम हो गया”

गेट खुलने की आवाज़ सुन कर मीरा ने खिड़की से झांका तो देखा ,शेखर फ़ैक्ट्री से आ गये थे।शेखर मीरा के पति जो शहर के जाने माने बिज़नेसमैन है।मीरा एक घरेलू औरत जो नौकरों की मदद से घर को चला रही है।गर्मी से झुनझुनाइये शेखर ने अपने नौकर से पानी माँगा और सोफ़े पर बैठ गया।बाहर बहुत गर्मी है!ज़रा ऐ-सी तेज करो नौकर से ये कह कर आँखे बंद कर थोड़ा आराम करने के इरादे से लेट गया।सारा दिन काम करके थक जाता हूँ ,शेखर सोच रहा था कितने सालों से वो सारा बिज़नेस अकेले ही देख रहा है ,किस के लिए अपनी पत्नी और बच्चों के लिये।फिर सोचने लगा!
मेरे बच्चे सब अपनी मर्ज़ी ही करते है।मै उनकी हर ख्वाहिश पूरी करताहूँ,क्या वो भी मेरी कोई इच्छा या ज़रूरत पूरी कर पायेंगे?
ये कैसे कैसे सवाल आज मेरे मन मे आ रहे है ?शेखर ने सोचा।शायद थका हुआ हूँ तभी ऐसे विचार मेरे मन में आ रहे हैं।तभी मीरा आई और शेखर से कहा जल्दी से तैयार हो जाओ।आज पुनीत के यहाँ किटी पर जाना हैं।शेखर थका हुआ था सोचा कि बोल दूँ ,कि तुम ही हो आओ।फिर सोचा इस किटी में उसके दोस्त भी होगें।वो जायेगा तो अच्छा भी लगेगा।बेमन से उठा और तैयार होने के लिये अपने कमरे मे चला गया।दोनों थोड़ी ही देर मे पुनीत के यहाँ पहुँच गये।
सब से मिले ,बाते चली ,गाने बजाने नाचने का माहौल ने शेखर को तरोताज़ा कर दिया।रात को काफ़ी देर तक पार्टी चली।शेखर ने मीरा को चलने का इशारा किया और वो दोनों वहाँ से निकल पड़े।रास्ते में मीरा ने शेखर से पार्टी की बात छेड़ दी ,कहा आज सोनिया ने नये डायमंड के टॉपस पहने हुये थे।बता रही थी कि उसके पति ने उसे शादी की सालगिरह का तोहफ़ा दिया और ये भी कह रही थी, बारह लाख के बनवाये।तुनक कर बोली!पता नही,क्या समझती है खुद को और ज़िद्द करने के लहजे से शेखर से बोली !मुझे भी वैसे ही कानों के टॉपस चाहिए।शेखर ने कहा ,ले लेना।ये कौन सी बड़ी बात है। फिर मीरा ने इक और तीर चलाया।कहने लगी और देखा था,रश्मि ने इतना सुन्दर डायमंड का सैट पहना हुआ था।बता रही थी तीस लाख का लिया था।उसके पति ने उस को पचासवीं सालगिरह पर तोहफ़ा दिया है।वो भी चहक चहक कर सब को दिखा रही थी।शेखर मुझे भी वैसा ही सैट चाहिए । शेखर जो पीये हुये भी था कहने लगा !ले लेना।हम कौन सा कम है किसी से। जब सुबह दोनों चाय पीने बैठे तो भी मीरा ने फिर वही बातें दोहरा दी।शेखर ने कहा ! हाँ मैं भी देख रहा था पुनीत मित्तल अपनी फरारी गाड़ी की कितनी ढींगे मार रहा था।मैं भी लैमबरगीनी गाड़ी निकलवाता हूँ ताकि लोगों को भी पता लगना चाहिए कि हम भी किसी से कम नहीं।अपनी 4 कनाल की कोठी की बात ,पता नहीं कितनी दफ़ा अपने दोस्तों के सामने की उसने। क्या समझता है खुद को,हम भी अब 8 कनाल की कोठी लेंगे जल्दी ही, अब बडे लोगों के बीच रहना है तो ये सब तो करना ही पड़ेगा ।शेखर चाय पी कर जल्दी से फ़ैक्ट्री चला गया, दोस्तों कोई बड़ी बात नही।पैसा हो तो खर्च भी करना चाहिए।जो इच्छा हो, पूरी भी करनी चाहिए। देखा जाये ,तो औरतो का सपना होता है बड़ा घर ,पैसा ,गाड़ी और भी बहुत कुछ डिमांड करती रहती है पतियों से ।मगर देखने मे ये आता है जितनी बड़ी माँग को पूरा करना होता है ।पति को उतनी ही कड़ी मेहनत करनी पड़ती है ।कई बार तो साम दाम दंड भेद कोई भी तरीक़े से पैसा कमाया जाता है।ज़मीर तक दावँ पर लगा डालते हैं। शराफ़त से कमाई गई दौलत से इक सादा सच्चा जीवन जीया जा सकता है।बड़े बड़े शौक़ पूरे नही किये जा सकते। ये अलग बात है बड़ी बड़ी फ़ैक्टरियों की आमदनी से ये सब संभव भी है दोस्तों !
डायमंड जिसे मै सिर्फ़ इक चमकता हुआ पत्थर ही कह सकती हूँ और सोना जिसे पीले रंग की धातु मात्र ही समझती हूँ और इस बात से भी इनकार नहीं कर सकती ,ये सब चीज़ें हमारे दुख सुख मे काम भी आते है। ये बैंक बैलेंस ,ये ज़मीनें जायदाद जो हम पता नही ,कैसे कैसे किसी को दुख दे कर या किसी की आह ले कर ,बड़ी ख़ुशी के साथ इकट्ठा करते है जो अंत मे हमारा साथ न देंगी और मरने के बाद हमसे जब बल छल से किये गये करमो का हिसाब माँगा जायेगा तो कोई बच्चा या पत्नी इल्ज़ाम अपने सर नही लेगी कि मेरे कहने पर मेरे पति ने मुझे हीरे का सैट या जुलरी लेने के लिये ही ऐसा कोई करम बना लिया ।हमारी औरतों की बड़ी बड़ी इच्छायें आदमियों से ऐसे ऐसे काम करवा देती है जो उसके शरीर तो भुगतता ही है ,रूह पर भी दाग लग ज़ाया करते है। ये सोशल गैदरिगं मे यही सब हो रहा है आजकल।इक दूसरे से आगे निकलने की रेस। आनन्द लीजिए !इन सोशल नेटवर्किंग का ,मगर कोई ऐसी इच्छा अपने पति के सामने न रखे जिसे पूरा करते वक़्त वो अपना ईमान ही बेच डाले।
अग्नि के इर्द गिर्द फेरे लेने का मतलब ये नहीं ,उसे अपनी इच्छा पूर्ति का ज़रिया बना लिया जायें। उनकी भी अपनी इच्छा होती होगी ,पत्नियों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए। कई पुरुष औरत की हर इच्छा को पूरा करने के लिए कई हदें पार कर देता है और अगर पुरूष की ख़ास इच्छा हो ,जिसमें उसकी ख़ुशी हो ,तो पूरे परिवार को भी उस इच्छा का सम्मान भी करना चाहिए और कहीं न कहीं शायद हम सब ही अपने पिता या पति के प्रयासों के लिये ढंग से आभार भी प्रकट नही कर पाते। अगर आप सच में रानी बनना चाहतीं है तो अपने पति को राजा बनाये न कि अपना या अपनी इच्छायों का गुलाम। कहीं ऐसा न हो कि पति को ये लगने लगे।
“शौक़ तेरे भी थे और मेरे भी,मगर “ईमान”मेरा बिक गया ..तुम्हें रानी बनाने की चाह मे ,पता नही कब ..मै राजा से गुलाम हो गया”।

स्मिता केंथ

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केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने नासिक में एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल की नींव रखी

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा और स्वास्थ्य एवम् परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती पवार ने महाराष्ट्र में नासिक के शिंदे में आज एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल (ईएमआरएस) के निर्माण की नींव रखी। प्रस्तावित ईएमआर स्कूल का लक्ष्य नासिक के दूरदराज के आदिवासी गांवों में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है।

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उद्घाटन समारोह में बोलते हुए श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि शिंदे में एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल की योजना जनजातीय कार्य मंत्रालय ने आसपास के आदिवासी इलाकों में उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए बनाई है। उन्होंने कहा, “ईएमआर स्कूल, सीबीएसई पाठ्यक्रम का पालन करेंगे।” केन्‍द्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि ईएमआरएस ऐसी योजना है, जिसके तहत पूरे भारत में आदिवासियों (एसटी) के लिए मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल बनाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि उत्तरपूर्व, छत्तीसगढ़, गुजरात और ओडिशा समेत देश के दूसरे राज्यों में भी ऐसे ही स्कूल खोले जाने की योजना है। श्री अर्जुन मुंडा ने आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण और इसमें शिक्षा की भूमिका पर उनके विचारों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जनजातीय कार्य मंत्रालय आदिवासी इलाकों में छात्रों को उन्नत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहा है। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर भी खुशी जताई कि आसपास के इलाके में आदिवासी किसान अंगूर, स्ट्रॉबेरी, प्याज आदि की खेती कर रहे हैं और उन्होंने आदिवासियों से उनके बच्चों को स्कूल भेजने की अपील भी की। नींव रखे जाने के बाद आदिवासी नृत्य और संगीत का सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किया गया।

2018-19 के केंद्रीय बजट में घोषणा की गई थी कि 50 प्रतिशत और कम से कम 20,000 से अधिक की आदिवासी आबादी वाले प्रखंडों में एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल बनाए जाएंगे। सरकार ने देशभर में 452 नए स्कूल बनाने की योजना बनाई है। एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल जनजातीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए खोला जा रहा है, जिसमें न केवल अकादमिक शिक्षा पर जोर होगा, बल्कि इसमें आदिवासी छात्रों के संपूर्ण विकास पर जोर दिया जाएगा। इसमें कक्षा 6 से लेकर 12 तक के छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा और एक स्कूल की क्षमता 480 छात्रों की होगी। फिलहाल पूरे देश में नवोदय विद्यालय की तर्ज पर 384 एकलव्य स्कूल चलाए जा रहे हैं, जिनमें स्थानीय कला और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए बेहद उन्नत सुविधाओं को उपलब्ध कराने के अलावा खेल और कौशल विकास में भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ईएमआरएस स्कूलों में छात्रों के समग्र विकास की जरूरतों को परिसर में ही पूरा करने की सुविधाएं मौजूद हैं और इनमें मुफ़्त रहने-खाने की व्यवस्था के साथ शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है।

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दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज में विश्व योग दिवस के उपलक्ष में विशेष योगाभ्यास सत्र का अयोजन

कानपुर 14 मई भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज में विश्व योग दिवस के उपलक्ष में एक विशेष पूर्व योगाभ्यास सत्र का अयोजन किया गया जो पिछले सप्ताह से महाविद्यालय की एनएसएस वॉलिंटियर्स के द्वारा निरंतर जारी है। कार्यक्रम अधिकारी डॉ. संगीता सिरोही ने छात्राओं को विभिन्न योग आसनों की उपयोगिता व उनके महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि स्वस्थ मस्तिष्क में ही *स्वस्थ शरीर का वास होता है।* अतः हमें अपने शरीर को आहार-विहार, योगाभ्यास व विचार सभी के द्वारा स्वस्थ रखने का सतत् प्रयास करना चाहिए तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा। इस दौरान छात्राओं ने विभिन्न आसनों का अभ्यास भी किया। महाविद्यालय प्राचार्या प्रो. सुनंदा दुबे जी ने छात्राओं के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें अपनी शुभकामनाएं दी। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सभी वॉलिंटियर्स , कार्यालय सहायिका आकांक्षा अस्थाना व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पवित्रा का सहयोग सराहनीय रहा।।

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माँ तेरे रूप अनेक विषय पर अंतरराष्ट्रीय ई-संगोष्ठी संपन्न

कानपुर 9 मई भारतीय स्वरूप संवाददाता, भारत उत्थान न्यास महिला समिति के तत्वाधान में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी माँ तेरे रूप अनेक का आयोजन वर्चुअल माध्यम से किया गया। संगोष्ठी की शुरुआत कविता सिंह व सोनल बादल द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक प्रस्तुति और न्यास की राष्ट्रीय सचिव डॉ नीरा तोमर के स्वागत भाषण से हुई। मुख्य अतिथि कानपुर महानगर की महापौर प्रमिला पांडे ने उपस्थित अतिथियों व वक्ताओं को अपनी शुभकामनाएं दीं। विशिष्ट अतिथियों में पोर्टलैंड प्रभु सतीश ने बताया कि कर्नाटक के मध्यम परिवार में उनका जन्म हुआ और बचपन से ही संघर्षों का सामना करते हुए आज पोर्टेलेंड में एक कंपनी के निदेशक पद पर कार्यरत हैं तो इसके पीछे उनकी माँ ही प्रेरणा बनीं जिन्होंने उन्हें प्रत्येक अवसर पर उनका साथ दिया। पीएसआईटी की वाइस चेयरमैन निर्मला सिंह ने उपस्थित सभी महिलाओं को समाज में बढ़ चढ़कर अपनी सहभागिता प्रदान करने की बात कही। न्यास की राष्ट्रीय मंत्री कल्पना पांडे ने बताया कि वे झांसी में जरूरतमंदों के लिए सेवाकार्य करने के साथ-साथ ज्योतिष के

क्षेत्र में भी सफलतापूर्वक कार्य कर रही हैैं। संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए मथुरा से डॉ दीपा अग्रवाल ने अपने वक्तव्य के माध्यम से संगोष्ठी को सार्थकता प्रदान की उन्होंने प्राचीन काल से लेकर आधुनिक भारत की सभी विद्वान व वीरांगना महिलाओं की पृष्ठभूमि से अवगत कराकर उपस्थित सभी मातृशक्ति को प्रेरित करने का कार्य किया। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉक्टर चंपा कुमारी सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बबोधन में भावुक होते हुए कहा की पुराने समय में अभावों में भी रहकर परिवार अपनी माताओं और बहनों का ख्याल रखता था और उन्हें कभी वृद्धआश्रम की ओर जाना नहीं पड़ता था लेकिन आज आधुनिकता की अंधी दौड़ में अनेकों परिवारों की माता और बहने वृद्ध आश्रम जाने को मजबूर हैं। इसके पीछे उन्होंने कई कारण बताऐ जिसमें प्रमुख कारण बच्चों का विदेश जाना बताया। वक्ताओं में मथुरा से डॉ सुनीता अवस्थी बंगलुरु से मंजुला पै ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन न्यास की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ चित्रा सिंह तोमर ने किया धन्यवाद ज्ञापन कोषाध्यक्ष डॉ के. स्वर्णा ने किया। इस अवसर पर गोष्ठी के संरक्षक व न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुजीत कुंतल डॉ अनीता निगम मंजुला गुप्ता निवेदिता चतुर्वेदी डॉ आनंदेश्वरी अवस्थी, संजय कुमार मिश्रा आदि उपस्थित रहे।

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स्वदेशी जागरण मंच के कानपुर प्रांत एक़ाई ने स्वावलंबी भारत अभियान के अंतर्गत ११ परिषदों ने संयुक्त रूप से देश को स्वावलंबी बनाने का बीड़ा उठाया है।

कानपुर 8 मई, भारतीय स्वरूप संवाददाता, दीनदयाल उपाध्याय सभागार, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्विद्यालय, कानपुर में स्वदेशी जागरण मंच के कानपुर प्रांत एक़ाई ने स्वावलंबी भारत अभियन के अंतर्गत ११ परिषदों अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद,विश्व हिंदू परिषद,लघु उद्योग भारती, वनवासी कल्याण आश्रम,ग्राहक पंचायत, भारतीय मज़दूर संघ,भारतीय किसान संघ, भारतीय जनता पार्टी, सहकार भारती एवं राष्ट्रीय सेवा भारती ने संयुक्त रूप से देश कोस्वावलंबी बनाने का बीड़ा उठाया है।
कार्यक्रम का शुभारंभ दूध दही के देश में पेप्सी कोला नहि चलेगा…के नारे के साथ हुआ। दीप प्रज्वलन तथा ज्ञान की देवी सरस्वती और पंडित दीं दयाल उपाध्याय के चित्र पर माल्यार्पण के साथ ही सभागार में स्वावलंबी स्वाभिमानी भाव जगाना है,चलो गाँव की ओर हमें फिर देश बनाना है- गीत गूँज उठा। नोयडा विश्वविद्यालय के कुलपति एवं प्रसिद्ध अर्थशास्त्रविद प्रोफ़ेसर भगवती शरण शर्मा ने देश की इकॉनमी का विश्लेषण किया उनके अनुसार विश्व की इकॉनमी में भारत का योगदान शून्य से १५०० ईश्वी तक ३४% था पर आज मात्र ३% है हमें वापस अपना स्वावलम्बन जगाना है। हमारा देश १४० करोड़ जनसंख्या वाला देश है और हमारे पास १८ करोड़ हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जो विश्व में सर्वाधिक है। दुनिय में पर कैपिटा मिल्क प्रडक्शन ३५० लीटर है जबकि हमारे भारत की पर कैपिटा प्रडक्शन ५०० ली है। हमें अपने देश में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके देश को स्वावलंबी बनाना है। इससे पहले भारत का युवा अलगाववादी ताक़तों के चंगुल में चला जाए उनको रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराना है और I HATE FOR APPLYING JOBS का भाव जगाकर रोज़गार दाता बनाना है।
ग्राहक पंचायत के श्री हरिभाऊ खांडेकर,बी जे पी के श्री राम किशोरसाह सहकार भारती के गजेंद्र जी कानपुर के ज़िला सम्पर्क प्रमुख श्री प्रवीण कुमार मिश्रा ,यू पी टेक्स्टायल के निदेशक श्री पी सी ठाकुर तथा एम एस एम ई के कमिशनर श्री सर्वेश्वर शुक्ला जी ,चंद्र शेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक श्री वी के यादव ने युवाओं को नयीं रोज़गारपरक योगनाओ की जानकारी दी|
धन्यवाद ज्ञापन श्री पी के मिश्रा ने दिया प्रांत महिला प्रमुख श्रीमती शलिनी कपूर,क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री अजय उपाध्याय जी तथा प्रांत के सभी कार्यकरता उपस्थित रहे, कार्यक्रम में मुख्य रूप से ड़ा सत्यनारायण मिश्रा को स्वदेशी जागरण मंच का समन्वयक मनोनीत किया गया जिससे मंच का कार्य तेज़ी से हो सकेगा

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हाउस वाइफ

पालक के पत्तों में खो जाती है वो, मेथी बारीक कटी या नहीं इसी उधेड़बुन में घर के बाकी सारे काम कर जाती है वो!!
सबकी फरमाइश पूरी करती है वो, किसी ने घर मे तेज़ आवाज़ दी तो सारे काम छोड़ कर दौड़ पड़ती है वो,बच्चे भी क़भी- क़भी ढंग से बात नहीं करते उससे फिर भी अपनी ममता में कमी नहीं रखती है वो!!
पालक के पत्तों में खो जाती है वो,
याद नहीं उसको कब सँवारी थी आईने के सामने बैठ कर देर तक खुद में झांकी थी,वही जुड़ा जल्दी
वाला बनकर किचन की और बस भागी थी
अकेले बैठी थी सोच रही थी कि मैं भी कुछ कर सकती हूँ क्या,मग़र फिर याद आया सब्जी चढ़ा कर आई हो गैस पर वो ना जला जाये कहीं,इसे छोड़ो अभी सब्जी ज्यादा जरूरी है,खाने का स्वाद ना बिगड़ जाये इसलिए ये ज्यादा जरूरी है!!
पालक के पत्तों में खो जाती है वो,
कितनी ऐसी स्त्रियां है जो गुम हो गई रोज़मर्रा की इन्ही उधड़बुन मैं,खुद को भूल चुकी भरे पूरे परिवार में खो चुकी है,मग़र जब भी वक़्त मिलता है तो सोचती है ऊँचा उड़ाने की,देखे थे कुछ सपने उन्हें पूरा करने की,मग़र उसी दाफा फ़िर से एक और आवाज़ आती है और वो तेज़ी से फ़िर दौड़ लगती है
फ़िर सपनो की दुनिया से निकलकर हकीकत में खो जाती है!!
पालक के पत्तों में खो जाती है वो…..श्रद्धा श्रीवास्तव

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