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महिला जगत

एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज तथा भारतीय विचारक समिति के संयुक्त तत्त्वाधान में स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया गया

कानपुर 12 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज तथा भारतीय विचारक समिति के संयुक्त तत्त्वाधान में स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय युवा दिवस आज दिनांक 12 जनवरी को महाविद्यालय सभागार में उत्साहपूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सी. एस. जे. एम. यू. के सी. डी. सी. प्रो. राजेश कुमार द्विवेदी, महाविद्यालय सचिव श्री पी. के. सेन, प्राचार्या प्रो. सुमन, मोटिवेशनल स्पीकर श्री अरुणेंद्र सोनी, अतिथि वक्ता प्रो. आर. पी. दुबे, भारतीय विचारक समिति के निदेशक बलराम नरूला के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। प्राचार्या महोदया ने सफल कार्यक्रम के आयोजन हेतु महाविद्यालय परिवार को बधाई देते हुए सभी अतिथियों को उनकी उपस्थिति के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. चित्रा सिंह तोमर तथा प्रो. प्रीति पांडेय के द्वारा संयुक्त रूप से किया । मंच सज्जा में डॉ. रचना निगम, प्रेस समिति में डॉ. प्रीति सिंह, डॉ. मीनाक्षी व्यास तथा डॉ. अनामिका आदि पदाधिकारियों ने सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया। इस अवसर पर संगीत की छात्राओं ने “सरस्वती वंदना” तथा “देश हमे देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें” प्रस्तुत किया तो एनसीसी कैडेट्स ने अतिथियों को “गार्ड ऑफ ऑनर” दिया। भारतीय विचारक समिति के महामंत्री उमेश दीक्षित ने अपनी समिति के सामाजिक कार्यों बारे मे विस्तार से जानकारी दी । महाविद्यालय की चार शिक्षिकाओं प्रो. निशा वर्मा, प्रो. मीनाक्षी व्यास, श्रीमती किरन व डॉ. अनामिका को विचारक समिति की नवीन सदस्यता ग्रहण करने पर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समस्त शिक्षिकाओं एवम् छात्राओं की उपस्थिति प्रशंसनीय रही।

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नई सुबह नई रोशनी नया आग़ाज़ नये साल की हार्दिक बधाई

तेरी बेपनहा मोहब्बत तेरी बेशुमार मेहरबानियाँ..

तेरी बरसती हुई रहमते.. तुम्हारी हर बात के लिए शुक्रगुज़ार हूँ ..
मेरे साईं 🌹
तू रोशनी है मेरी .. तू सकून है मेरा ..
तेरे ही नूर से महकती है रूह मेरी …
तुझ से ही तो ,मैं हूँ … तुझ से ही तो ,ये वजूद है मेरा …
आँखों को इन्तज़ार , बस अब तेरा ही है …🙏🌹
दिन गुजरे ,महीने गुजरे,साल गुजरे

कुछ भी रूकता नहीं यहाँ दोस्तों।
न गम ..न ही ख़ुशी रूकेगी कभी।
कोई लम्हा जो गुज़र गया।कभी लौट कर आता नहीं है यहाँ। अब नया साल आया है ..

बहुत सी ख़ुशियाँ ,बहुत सी यादें ,हर साल की तरह ,कुछ पढ़ा कर ..कुछ लिखा कर ,

मिलाजुला सा अनुभव दे कर ..ये भी गुज़र ही जायेगा।
वक़्त हमे कुछ न कुछ सिखाने की कोशिश में लगा रहता है, जो हम सभी अपनी मंदबुद्धि ,

अहंकार अपनी ही चालाकियों की वजह से सीख नहीं पाते और फिर वक़्त खुद अपने ही

ढंग से सिखाता है हमे और कई बार वक़्त के सिखाने का वो ढंग या तरीक़ा हमें क़तई पसंद नहीं आता
“ये जहान इक मुसाफ़िर घर हैं दोस्तों “
इसे भूल कर अपना घर न समझ बैठईये..
लेखिका स्मिता केंथ ✍️

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जलवायु परिवर्तन कर रहा है मनुष्य को प्रभावित

कानपुर 30 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, डी जी कॉलेज, कानपुर के मनोविज्ञान तथा भूगोल विभाग के सम्मिलित प्रयास द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के गाइडलाइन के अनुसार, “जलवायु परिवर्तन का मनुष्य पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव” विषय एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय प्राचार्या प्रो. अर्चना वर्मा ने दीप प्रज्वलन कर किया। व्याख्यान की मुख्य वक्ता महिला महाविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय से पधारी डॉ. प्रमिला तिवारी ने जलवायु परिवर्तन मानव को किस प्रकार मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित कर रहा है, इसका विशद वर्णन अपने व्याख्यान में किया। जिससे छात्राएं लाभान्वित हुई। इस कार्यक्रम में मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ सुषमा शर्मा एवं भूगोल विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ संगीता सिरोही एवं सभी प्रवक्ताओं डॉ शशि बाला सिंह, डॉ शिप्रा श्रीवास्तव, डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ श्वेता गोंड़, डॉ साधना सिंह समेत सभी छात्राओं की उपस्थिति सराहनीय रहा।

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एस ऍन सेन बी वी पी जी कॉलेज में नेत्र परिक्षण शिविर आयोजित

कानपुर 23 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस ऍन सेन बी वी पी जी कॉलेज की ऍन ऐस ऐस यूनिट (काडोम्बिनी देवी) के द्वारा महाविद्यालय परिसर में नेत्र परिक्षण शिविर का आयोजन किया गया माँ सरस्वती को माल्यार्पण कर इस शिविर का शुभारम्भ प्राचार्या प्रो. (डॉ) सुमन के नेत्र परिक्षण से प्रारम्भ हुआ यह नेत्र परिक्षण शिविर सेंटर फॉर साइट के डॉ अलोक सचान एवम उनकी तकनीशियन टीम अभिनव मिश्रा, अनुराग शुक्ल एवम राजीव के द्वारा संपन्न किया गया, इस शिविर में १०० छात्राओं, ५० अभिवावको, १० चतुर्थ श्रेणी कर्मचारीगण, १२ तृतीया श्रेणी कर्मचारीगण, २० प्रवक्ताओं ने अपनी नेत्रों का परिक्षण करवाया कैंप कोऑर्डिनेटर प्रो. चित्रा सिंह तोमर एवम डॉ. प्रीति सिंह ने सभी छात्राओं को कैंप में भाग लेने के लिए उत्साहित किया तथा प्राचार्य प्रो. (डॉ.) सुमन ने कैंप की सफलता पर सबको बधाई दी, कैंप का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया

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डी जी कॉलेज में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित

कानपुर 23 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, डी जी कॉलेज में भूगोल विभाग एवं मनोविज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वाधान में एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें छात्राओं ने उत्साह पूर्वक भाग लिया।
प्राचार्य डॉ अर्चना वर्मा ने बताया कि यह प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता डॉ संगीता सिरोही तथा डॉ.सुषमा शर्मा के कुशल निर्देशन में आयोजित की गई।
उक्त प्रतियोगिता में टीम बी से नलिनी पटेल, महाम शफीक, आराधना व महिमा गुप्ता ने प्रथम; टीम ए व टीम डी से ममता, लक्ष्मी, नंदिनी, शुभी दीक्षित,अर्चना दीक्षित, पूर्णिमा, निधि व रागिनी कुमारी ने संयुक्त रूप से द्वितीय तथा टीम सी से शिवांशी राठौर, श्वेता यादव, मानसी व साहू दिव्यांका ने तृतीय स्थान प्राप्त किया अरीशा व निखत स्कोरर रही।
आयोजन को सफल बनाने में विभाग की सभी प्राध्यापिकाओं डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ शिप्रा श्रीवास्तव, डॉ श्वेता गोंड, डॉ ज्योति आदि का सहयोग सराहनीय रहा।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज में राष्ट्रीय जेंडर अभियान के अंतर्गत मिशन शक्ति द्वारा महिला सशक्तिकरण व घरेलू हिंसा विषय पर एक चर्चा आयोजित

कानपुर 22 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर में राष्ट्रीय जेंडर अभियान के अंतर्गत मिशन शक्ति द्वारा महिला सशक्तिकरण व घरेलू हिंसा को कैसे रोके इस विषय पर एक चर्चा का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का संचालन मिशन शक्ति प्रभारी डॉ मीतकमल के द्वारा प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल के दिशा निर्देशन में किया
गया।  की वूमन सेल की कनवीनर डॉ शिप्रा श्रीवास्तव और कॉलेज की आईसीसी की
चेयर पर्सन सूफिया शाहब मुख्य वक्ता रही। डॉ शिप्रा ने छात्रों को घरेलू हिंसा व गुड और बैड टच के विषय में जानकारी दी। डॉ सूफिया ने बताया कि किस प्रकार आईसीसी का गठन हुआ और इसका उद्देश्य कालेज होने वाली समस्याओं का समाधान करना है। किस प्रकार एक महिला ही महिला को सशक्त बना सकती है ये भी समझाया गया। घरेलू हिंसा के अन्य पहलू और सरकार के वन स्टॉप सेंटर भी चर्चा के विषय रहे। कॉलेज की प्राचार्य  सबीना बोदरा ने छात्राओं को समझाया की उन्हे अपने सशक्तिकरण का सदुपयोग करना चाहिए। छात्रा खुशी होटवानी ने सबको सरकार द्वारा चलाए गए महिला सशक्तिकरण के अभियानों से अवगत कराया। कुछ छात्र छात्राओं ने कविता के माध्यम से कार्यक्रम में अपना योगदान दिया

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एस. एन. सेन बालिका विद्यालय पी. जी. कॉलेज में एस. रामानुजन जी की जयंती के उपलक्ष में मनाया गया राष्ट्रीय गणित दिवस

कानपुर 22 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बालिका विद्यालय पी. जी. कॉलेज कानपुर के विज्ञान संकाय एवं ट्रेंनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा एस. रामानुजन जी की जयंती पर मनाए जाने वाले राष्ट्रीय गणित दिवस के अवसर पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य वक्ता, विकास जैन जी , सुजीत सिंह जी, प्रबंध समिति के सचिव पी के सेन एवं प्राचार्य डॉ सुमन ने दीप प्रज्वलित कर किया।
मुख्य वक्ता  विकास जैन जी ने  रामानुजन जी की समकालीन परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिकता के बारे में छात्राओं को विस्तृत जानकारी दी। अन्य प्रमुख वक्ता सुजीत सिंह जी ने अनेक गणितीय सूत्रों के बारे में भी बताया की आज के बढ़ते कंपटीशन के दौर में छात्र कैसे इनका प्रयोग करके कम समय में ही प्रश्नों को हल कर सकते हैं। प्राचार्या प्रो.(डॉ.) सुमन ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि आज के समय में छात्र एक विषय या क्षेत्र को लेकर भ्रमित रहते हैं इसलिए वे ज्यादा सफल नहीं हो पाते हैं। एक ही क्षेत्र में अधिक रुचि रखने की प्रवृत्ति ने ही रामानुजन को एक महान गणितज्ञ के रूप में पहचान दिलाई।एक महान प्रतिभा के जन्मोत्सव पर उनके नेक विचारों पर चलने का प्रण, हमारी सफलता के सफर की राहें आसान कर सकता है। उन्होंने यह भी बताया की महाविद्यालय में स्थापित ट्रेंनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा छात्राओं के ज्ञानवर्धन, विकास और रोजगार से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम करवाता रहेगा जिससे छात्राओं का सर्वांगीण विकास हो सके।
कार्यक्रम का संचालन विज्ञान संकाय की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अमिता सिंह ने किया व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. निशा वर्मा ने किया। कार्यक्रम में प्लेसमेंट सेल की अध्यक्षा प्रो गार्गी यादव , सदस्या डॉ. कोमल सरोज व विज्ञान संकाय की एसिटेंट प्रोफेसर डॉ शिवांगी यादव , कु वर्षा , कु तय्यबा, डॉ समीक्षा , डॉ राई घोष एवं समस्त प्रवक्ताएं और छात्राएं उपस्थित रही।

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जीवन की कठनाइयो से हार कहा मैं मानी हूं

गर्दिश में थे सितारे मेरे फिर भी मैं मुस्काई हूं।

अपनो की खुशियों के खातिर रोज ही मैं बिखरी हूं
बिखरे तिनके खुद चुन लू इतना साहस लाई हूं
जीवन की कठनाइयों से…

थक गया मन मेरा औरों के लिए मैं क्या बोलूं
जब शर्म ने उनको छुआ नहीं मैं शब्दों में क्या बोलूं
चारदीवारी मुस्काए खड़े मैं बिंदु कहा कह पाई हूं
कठिनाईयां मुझसे पूछ रहीं इतना साहस कहा से लाई हैं।
जीवन की कठनाइयों…..
बिन सुविधा रह भी लू पर मान बिना न रह पाऊं। बिन रोटी मैं रह भी लू अपमान का घूट न पी पाऊं।
झिट छोर खड़ी हो जाऊ पर मर्यादा तोड़ न पाऊं मैं।
जीवन की कठिनाइयों से हार कहा …….
दो घर होगे मेरे यह परिभाषा सब ने भेदी थी।
लहू लगेगा दीवारों पर मेरा ये राज न उनने खोला था
रंग लहू देकर दस बरस बिताए मैंने हैं
जीवन की ……

खुद पर बीती भूल गई मैं अंश पे छाले न सह पाऊं ।
अश्क को पी कर रह जाती मुंह से कुछ न कह पाऊं।
अभिलाषाएं अब टूट रही व्यथा न मन की कह पाऊं।
नया सबेरा खिलेगा एक दिन खुद से ही मैं कह पाऊं
जीवन की ..

वंदना बाजपेई

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वैधव्य

“अरे संजय लेट हो जाएगा…. उठो! ऑफिस के लिए लेट हो रहा है।” आज फिर मैं देर तक सोती रही (मन ही मन बढ़बढ़ाते हुए बोली)। जल्दी से फ्रेश होकर चाय बनाई और चाय लेकर कमरे में संजय को उठाने आई। कमरे में आते ही जैसे मैं वर्तमान में आ गई, शायद जैसे कोई सपना देख रही थी मैं। मेरा जी धक् से रह गया और मैं निढाल होकर पलंग पर बैठ गई। अतीत के पन्ने मेरे मानस पटल पर चित्रित होने लगे। संजय को साथ छोड़े हुए दो बरस हो रहे थे लेकिन मैं अभी भी संजय के साथ साथ जी रही थी। मैं संजय के बिना जीने की कल्पना को स्वीकार नहीं कर पा रही थी। मैं अभी भी पुराने दिनों की याद में जी कर अपने अवसाद को बढ़ा रही थी। संजय से आगे मेरी सोचने समझने की शक्ति खो चुकी थी। मैं हर उस चीज से भाग रही थी जो मुझे अकेलेपन का एहसास करवा रही थी। शायद मैं अपने आप से दूर होकर एक अलग ही दुनिया में जीने लग गई थी। दूसरों की बातें, सलाह सब मुझे बोझ लगते। वो सब अजनबी लगते जो मुझे नियमों में बांधने की कोशिश करते।
संजय के साथ बिताए हुये पल अभी भी जीवंत थे। मैं हर कुछ देर में समय से पीछे चली जाती और अतीत में जीने लगती। संजय का मुझे अति प्रेम करना ही शायद मुझे उनसे दूर नहीं कर पा रहा था। अपने प्यार के घेरे में मुझे इस तरह बांध रखा था उन्होंने कि उनके आगे मेरी दुनिया खत्म थी। वो मेरा हाथ थामें हर जगह साथ रहते। कहीं भी जाना हो, घूमना हो मैं साथ में ही रहती थी। बच्चों की जिम्मेदारियों से मैं फ्री हो गई हो थी और हम दोनों ज्यादातर वक्त साथ बिताते थे। बेटा बेटी की शादी कर दी थी और वह अपने परिवार में व्यस्त हो गए थे। अब हम दोनों के पास पहले से अधिक समय था और हम अक्सर देशाटन को निकल जाते।
सब कुछ सामान्य चल रहा था मगर यह किसे खबर थी कि जिंदगी की तस्वीर बदलने में वक्त नहीं लगता। एक दिन संजय का ब्लडप्रेशर हाई हो गया और उन्हें पैरेलेटिक अटैक आ गया। जीवन जैसे थम सा गया था। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि सब कैसे ठीक करूं? उनका दाहिना हिस्सा पूरा बेकार हो चुका था। डाक्टर कोशिश कर रहे थे उन्हें ठीक करने की। दवाइयों के साथ साथ फीजियोथेरेपी भी चल रही थी लेकिन नतीजा सिफर था। अब वो पूरी तरह से मुझ पर निर्भर थे। मैं जैसे तैसे परिस्थितियों को संभाल रही थी । बेटी बेटा भी अपनी तरफ से सहयोग कर रहे थे लेकिन नौकरी और घर की व्यस्तता के कारण वह बहुत ज्यादा साथ नहीं दे पा रहे थे।
बेटा:- “मां! महीना हो गया है, मुझे दिल्ली वापस जाना होगा। शुभम का स्कूल मिस हो रहा है और प्रिया की भी छुट्टियां पूरी हो गई है। मैं आता रहूंगा।”
मैं:- “ठीक है बेटा! समय निकालते रहना।”
बेटी:- “मां मुझे भी जाना होगा और अब रोज-रोज आना संभव नहीं है। घर में सब को खटकता है। कल ही मम्मी जी कह रही थी कि जो हो गया सो हो गया अब खुद को संभालो और घर पर ध्यान दो। मैं बीच-बीच में आती रहूंगी आपसे मिलने।”
मां:- (असहाय भाव से) ठीक है बेटा, जैसा ठीक लगे। जब भी समय मिले आ जाया करना।”
मैं कठिन होती जा रही परिस्थिति को सोचने संभालने और संजय की बीमारी से चिंतित होने लगी थी। मैं सोचने लगी कि जीवन में जो लोग अपने महसूस होते हैं बुरे वक्त में वो भी पराए हो जाते हैं। अपने आप को खुद ही मजबूत कर आगे बढ़ना पड़ता है। मैं साहस करके अकेले ही स्थिति को संभालने में लग गई। सबसे पहले डॉक्टर से विचार-विमर्श करके एक नर्स की व्यवस्था की, जो संजय को संभालने में मेरी मदद कर सके। फिर घर की व्यवस्था की ओर ध्यान दिया। उसे व्यवस्थित करके मैंने बिजनेस पर ध्यान दिया। मैंने दुकान जाने का समय बांधा ताकि संजय को अनदेखा ना कर सकूं। हमारी मिठाई की दुकान होने के कारण सुबह सुबह काम ज्यादा रहता था। दूध के आने से लेकर मिठाइयां बनाने में सुबह सुबह व्यस्तता ज्यादा रहती थी। अभी तक संजय ही सब संभालते थे मुझे कभी देखने की जरूरत ही नहीं पड़ी लेकिन अब यह जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई थी। सुबह चार बजे उठकर फारिग होकर दुकान के लिए निकल जाती थी। वहां सब को निर्देशित करके वापस घर आ जाती थी और संजय को संभालती थी। ऐसे कठिन समय में मेरी मां मेरा बहुत साथ निभा रही थी। दोपहर से लेकर शाम तक जब मैं दुकान पर होती थी तब तक मां ही संजय की देखरेख करती थी। इसी तरह सब कुछ चल रहा था।
कुछ समय तक तो सब ठीक रहा फिर संजय की तबीयत धीरे-धीरे बिगड़ने लगी। उनकी बाडी उन्हें सपोर्ट नहीं कर रही थी। उन्हें हर थोड़े दिनों में एक नई बीमारी हो रही थी। उन्हें हॉस्पिटलाइज किया गया डॉक्टरों की निगरानी में भी संजय की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था और फिर एक दिन वो मुझे छोड़ कर चले गए। यह सारी घटना मेरे जेहन से हटती नहीं। एक आघात, एक अकेलापन, संजय से दूर होने की छटपटाहट ने मुझे अवसाद ग्रस्त कर दिया था। मुझे भ्रम स्वरूप संजय दिखते रहते। मेरे ख्यालों में भी संजय जीवंत रहते। कई बार डॉक्टरों के साथ काउंसलिंग की, डिप्रेशन की दवाइयां ले रही थी मगर मैं वास्तविकता से भाग रही थी। घर छोड़कर यहां वहां घूमने निकल जाती थी क्योंकि घर में हर जगह संजय की यादें बसी हुई थी और वहां पर मैं खुद को अकेला पाती थी।
जब आपके हाथ में कुछ ना हो और जब सबकुछ आपके हाथ से छूटने लगे तब ईश्वर आपका हाथ थाम लेते हैं। शायद ईश्वर ने भी मेरा हाथ थाम लिया था। सोमनाथ जाते हुए ट्रेन में मिली महिला सहयात्री के रूप में। वह महिला सहयात्री जो कि वृद्ध आश्रम की देखरेख करने वाली संचालक थी। मेरी उससे मित्रता हुई उसने मुझे अपने आश्रम में आमंत्रित किया और कहा कि वहां आपको कुछ अलग अनुभव होगा। आप जरूर आइएगा। उन्होंने अपने आश्रम का पता दिया। कुछ घंटे साथ रहकर वह अपने गंतव्य पर उतर गई। मैं घर आकर सोचने लगी कि वह अकेली महिला कितनी विश्वास और ऊर्जा से भरी हुई थी। एक दिन उसके आश्रम जरूर जाऊंगी, यह सोचकर मैं घर और दुकान में व्यस्त हो गई। हम व्यापार करने वालों की कोई छुट्टी नहीं रहती, सब दिन समान रहते हैं। रविवार का दिन था। आज सुबह से ही दुकान में भीड़ जरा ज्यादा ही थी तो दुकान से हिल पाना भी मुश्किल हो रहा था। कही बाहर जाने का तो सवाल ही नहीं था।
दोपहर का वक्त था इस समय काम ज्यादा नहीं था। मैं घर जाने का सोच रही थी और दराज बंद करने के लिए चाबी निकालने के लिए पर्स में हाथ डाला कि वृद्धा आश्रम वाला कार्ड मेरे हाथ में आ गया। मैंने सोचा कि चलो आज यहीं जाकर आया जाए और मैं आश्रम की ओर चल दी।
मेरी कल्पना से परे मेरे लिए एक नया माहौल था आश्रम का। कई महिलाएं बगीचे का, कोई किचन का, कोई सफाई का हर महिला किसी न किसी काम में व्यस्त थी। कुछ महिलाएं जो ज्यादा उम्र कि होने के कारण काम नहीं कर सकती थी या बीमार रहती थी, कुछ महिलाएं उनकी देखभाल कर रही थी। यह सब मेरी आंखों को सुखद लगने के साथ-साथ दुख और आश्चर्य भी हो रहा था कि यह महिलाएं आखिर यहां क्यों है? और किस वजह से उन्हें अकेला छोड़ दिया गया है? कुछ महिलाओं से मैंने दोस्ती की और उन सबकी अलग-अलग कहानी थी। कोई दहेज, कोई घरेलू हिंसा, किसी के बच्चे और पति ने छोड़ दिया, तो कोई सहारा ना होने के कारण यहां पर थी। इनके दुख के आगे मुझे अपना दुख बौना जान पड़ा। मैं सोचने लगी कि ईश्वर ने मुझे इतना सक्षम बनाया है कि मैं अपने दुख का सामना कर सकती हूँ और अपनी मदद के साथ साथ दूसरों की भी मदद कर सकूं। मैंने हर रविवार इन महिलाओं से मिलने का निश्चय किया और मैं हर रविवार इनके पास आने लगी। वहां कई महिलाओं से मेरी दोस्ती हो गई। मैं उनके लिए कुछ ना कुछ खाने की चीज जरूर ले जाती क्योंकि मन का रास्ता पेट से होकर जाता है ऐसा सुना था। मैं यथासंभव उनके कामों में मदद भी करने लगी थी। मुझे अब एक नया परिवार मिल गया था, मैं धीरे-धीरे अपने दुख से बाहर आने लगी थी और अब मैं इन्हीं लोगों के साथ अपनी सारी खुशियां बांटने लगी थी। मैं पलंग से उठी और लान में आराम से चाय पीकर अपनी दि
नचर्या में व्यस्त हो गई। ~ प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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एस.एन. सेन बालिका विद्यालय पी.जी. कालेज में “किशोरावस्था में स्वास्थ्य एवं पोषण” विषय पर वार्ता आयोजित

कानपुर 19 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस.एन. सेन बालिका विद्यालय पी.जी. कालेज में गृह विज्ञान विभाग द्वारा एक वार्ता का आयोजन किया गया ।जिसका विषय “किशोरावस्था में स्वास्थ्य एवं पोषण” निर्धारित किया गया।विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ मोनिका शुक्ला ने कहा कि किशोरावस्था मानव जीवन में माइलस्टोन की तरह कार्य करती है जिसमें विशेष शारीरिक परिवर्तन के साथ रीप्रोडक्टिव ऑर्गन भी सुचारू रूप से कार्य करने लगते हैं अतः पौष्टिक तत्वों की मांग बढ़ जाती है। मुख्य वक्ता के रूप में रघुनाथ गर्ल्स पी.जी. कॉलेज मेरठ की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ श्वेता त्यागी ने कहा कि छात्राओ मे मासिक धर्म की समस्या बहुत बढती जा रही है। डॉक्टर शिवागी यादव ने शारीरिक बदलाव मे पोषक तत्वों के महत्व पर प्रकाश डाला।डॉअमिता सिंह असिस्टेंट प्रोफेसर एस.एन. सेन बी.वी. पी.जी. कॉलेज ने किशोरावस्था मे मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं के बारे मे बताया। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर सुमन द्वारा मुख्य अतिथि को पुष्प गुच्छ भेंट करके किया गया। कार्यक्रम का संचालन गृह विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ.मोनिका शुक्ला द्वारा किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर सुमन ने कहा ‘ऐसे कार्यक्रम छात्राओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।महाविद्यालय की छात्राएं अस्मिता सिंह, आन्या अग्रवाल, प्रज्ञा वर्मा, पल्लवी निगम, दीक्षा सिंह, समृद्धि बाजपेई आदि ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में सभी शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं।

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