कानपुर 15 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, संयुक्त विपक्षी मोर्चा के तत्वाधान में एक प्रतिनिधिमंडल का.सुभाषिनी अली पूर्व सांसद के नेतृत्व में कानपुर नगर की समस्याओं को लेकर जिला अधिकारी कानपुर नगर विशाख जी अय्यर से मिला और कानपुर नगर की ज्वलंत समस्याओं का एक ज्ञापन दिया गया जिसमें जलभराव से होने वाली परेशानियों और उससे उठने वाली बीमारियों के संबंध में तथा नगर निगम चुनाव को देखते हुए वोटर लिस्ट ठीक कराने और वार्ड में मतदाता कैंप लगाने पर बात रखी नगर की जगह जगह-जगह जर्जर सड़क को अविलंब ठीक करा जाने पर जोर दिया महंगी बिजली प्रीपेड स्मार्ट मित्रों की शिकायत की पेयजल में सीवर का गंदा पानी आने से बीमारियां फैल रही है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत बद से बदतर और कीटनाशक दवाइयों के छिड़काव में प्राथमिकता देने और नगर में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर जोर देते हुए अपनी बात रखी जिस पर जिलाधिकारी श्री विशाल जी अय्यर ने सभी बिंदुओं पर गंभीरता से चर्चा कर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया ज्ञापन जिलाधिकारी महोदय कानपुर नगर विषय :-कानपुर की जन समस्याओं पर ध्यान आकर्षण हेतु ज्ञापन कानपुर की ज्वलंत समस्याओं पर हम सभी संयुक्त विपक्षी दलों के पदाधिकारी गण आपका ध्यान आकर्षण कराना चाहते हैं ,साथ ही साथ इन समस्याओं का त्वरित निदान कर कानपुर के नागरिकों को गरमा पूर्ण जीवन जीने लायक माहौल देने की आपसे आशा करते हैं ! 1- कानपुर के विभिन्न वार्ड में बीते हुए बरसात के मौसम में भयंकर जलभराव की समस्या लोगों ने देखी है जिसका प्रमुख कारण नालियों का चौक होना गली पीठ का निर्माण ना होना सड़कों के किनारे नालियों का ना होना प्रमुख तौर से है ! 2- जलभराव और गंदगी की वजह से बीमारियां भयंकर रूप से पूरे शहर में दस्तक दे रही है कई मौतें इसके कारण हो चुकी हैं, आगे भी आशंका बनी हुई है नगरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के हालात बद से बदतर हो रहे हैं उचित इलाज की व्यवस्था का सर्वथा अभाव है शहर में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव और सफाई की व्यवस्था युद्ध स्तर पर करने की जरूरत है 3- महंगी बिजली ने जहां नागरिकों के आर्थिक हालात जर्जर कर दिए हैं प्रीपेड स्मार्ट मीटर की अनायास भागती चाल ने नागरिकों का जीना दूभर कर दिया है 4 जर्जर सड़कों ने जहां यातायात व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है वही बढ़ती मार्ग दुर्घटनाओं ने नागरिकों के अंदर आक्रोश और सदमे जैसे हालात उत्पन्न कर दिए हैं व्यवसायिक शहर कानपुर का व्यापार पूरी तरह प्रभावित हो रहा है 5- राशन की दुकानों में बड़ी संख्या में गरीब वर्ग के राशन कार्डों को रद्द किया जा रहा है, वही राशन की दुकानों को विभाग द्वारा वस्तुओं की आपूर्ति पूरी ना होने के कारण दुकानदार उपभोक्ताओं को वस्तुओं की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं महंगाई ने जनता को भूखे पेट रहने को मजबूर कर दिया है! 6 – जलकल द्वारा कानपुर नगर की जनता को आपूर्ति किए जा रहे पेयजल मैं सीवर का जल मिश्रण होने की पुष्टि कई वार्ड में हुई है और जल विभाग द्वारा यह पेयजल की आपूर्ति का पूरे शहर में कोई निश्चित समय और नियम भी नहीं है जो न्याय संगत नहीं है ! 7 – जैसा की सर्वविदित है नगर निगम के चुनाव निकट है पिछले व वर्तमान अनुभवों से पता चलता है कि विभिन्न वार्डों में कम आय वर्ग की आबादियों में कच्ची मलिन बस्ती इतिहास में रह रहे लोगों का नाम नगर निगम की वोटर लिस्ट से गायब रहते हैं ऐसे में हम लोग मांग करते हैं नगर निगम की वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण का कार्य बृहद रूप से कैंप लगाकर कराया जाए ! 8 – नगर में बढ़ती बिगड़ती कानून व्यवस्था पर अंकुश लगाने की जरूरत है ताकि सामान्य नागरिक अपने को सुरक्षित महसूस कर सकें ! आपसे अपेक्षा है कि उक्त बिंदुओं पर गंभीरता से विचार करते हुए निस्तारण करने का कष्ट करें ! प्रतिनिधिमंडल में सर्वश्री का.सुभाषिनी अली( पूर्व सांसद) ,सुरेश गुप्ता संयोजक) ,श्याम देव सिंह, नरेंद्र कुशवाहा चंचल ,(कांग्रेस )डॉ.इमरान . ,नरेंद्र सिंह पिंटू ठाकुर( सपा) ,,अशोक तिवारी (सी.पी.एम), मोहम्मद उस्मान( रालोद) प्रदीप यादव (राजद ) आर. पी.कनौजिया( सी.पी.आई )प्रशस्त धीर (फॉरवर्ड ब्लॉक) मोहम्मद इरफान( मुस्लिम लीग )सीमा कटिहार उमाकांत मोहम्मद वसी प्रमुख थे
Read More »महिला जगत
एस.एन. सेन. पी. जी. बालिका विद्यालय में भारत रत्न भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की ९१वीं जयंती मनाई गई
कानपुर 15 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस.एन. सेन बालिका विद्यालय पी.जी . महाविद्यालय में भारत रत्न भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की ९१वीं जयंती रसायन शास्त्र विभाग द्वारा मनाई गई। इस अवसर पर पोस्टर प्रतियोगिता का उद्घाटन भी किया गया. दीप प्रज्वलन व डॉ कलाम के चित्र का माल्यार्पण प्राचार्या डॉ प्रोफेसर सुमन, निर्णायक मंडल के सदस्य डॉ प्रीती सिंह, विभागाध्यक्षा वनस्पति विज्ञान विभाग व डा. शिवांगी यादव , विभागाध्यक्षा , जंतु विज्ञान विभाग द्वारा किया गया। पोस्टर प्रतियोगिता का परिणाम इस प्रकार रहा,
प्रथम पुरस्कार: गीतांजलि सिंह एवं शिवांगी झा
द्वितीय पुरस्कार: गरिमा साहू
तृतीय पुरस्कार: श्वेता सिंह
सांत्वना पुरस्कार: वैष्णवी सिंह
महाविद्यालय की शिक्षिकाओं एवं विभाग की छात्राओं ने श्री कलाम जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं को शब्दों द्वारा व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन रसायन शास्त्र विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर कु. अमिता सिंह ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्षा डॉ गार्गी यादव ने किया। कार्यक्रम में कु वर्षा सिंह, कु तैयबा, डॉ निशा वर्मा, डॉ. मीना व्यास कीर्ति पांडे, कु. स्नेह आदि शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं।
Read More »निर्जल व्रत अहोई अष्टमी
करवा चौथ व्रत के बाद माता अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। इस व्रत में माताएं निर्जल व्रत रखते हुए उदय होते तारों को देखकर व्रत का समापन करती हैं। जिस तरह करवाचौथ के व्रत में चंद्रमा का महत्व है, उसी तरह अहोई अष्टमी व्रत में तारों का विशेष महत्व होता है। अहोई अष्टमी करवा चौथ के समान ही है। यह एक सख्त उपवास का दिन है। इस व्रत को रखने वाली महिलाएं पूरे दिन पानी पीने से भी परहेज करती हैं । वे केवल शाम को तारों को देखने और उनकी पूजा करने के बाद ही उपवास तोड़ सकतीं हैं।
यह व्रत माताएं अपने बच्चों की दीर्घायु की कामना के लिए करती हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। सुबह उठकर स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनें फिर दीवार पर अहोई माता की तस्वीर बनाएं या लगाएं। रोली, चावल और फूलों से माता अहोई की पूजा करें। इसके बाद कलश में जल भरकर माताएं अहोई अष्टमी कथा सुनें। माता अहोई को हलवा पूरी या फिर किसी मिठाई का भोग लगाएं।
अहोई अष्टमी व्रत से संबंधित दो कथाएं प्रचलित हैं:
पहली कथा:-
एक समय एक नगर में एक साहूकार रहता था। उसके सात-सात बेटे- बहुएं और एक बेटी थीं। दीपावाली से कुछ दिन पहले उसकी बेटी अपनी भाभियों संग घर की लिपाई के लिए जंगल से साफ मिट्टी लेने गई। जंगल में मिट्टी निकालते वक्त खुरपी से एक स्याहू का बच्चा मर गया। इस घटना से दुखी होकर स्याहू की माता ने साहूकार की बेटी को कभी भी मां न बनने का शाप दे दिया। उस शाप के प्रभाव से साहूकार की बेटी का कोख बंध गया। इस शाप से साहूकार की बेटी दुखी हो गई और उसने अपनी भाभियों से कहा कि उनमें से कोई भी एक भाभी अपनी कोख बांध ले। ननद की बात सुनकर सबसे छोटी भाभी तैयार हो गई। उस शाप के दुष्प्रभाव से उसकी संतान केवल सात दिन ही जिंदा रहती थी। जब भी वह कोई बच्चे को जन्म देती, वह सात दिन में ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता था। वह परेशान होकर एक पंडित से मिली और उपाय पूछा। जब पंडित ने उन्हें सलाह दी कि सुरही गाय की सेवा करें। पंडित की सलाह मानकर उसने सुरही गाय की सेवा करनी शुरू की। उसकी सेवा से प्रसन्न गाय उसे एक दिन स्याहू की माता के पास ले जाती है। रास्ते में गरुड़ पक्षी के बच्चे को सांप मारने वाला होता है, लेकिन साहूकार की छोटी बहू सांप को मारकर गरुड़ पक्षी के बच्चे को जीवनदान देती है। तब तक उस गरुड़ पक्षी की मां आ जाती है। वह पूरी घटना सुनने के बाद उससे प्रभावित होती है और उसे स्याहू की माता के पास ले जाती है। स्याहू की माता जब साहूकार की छोटी बहू की परोपकार और सेवाभाव की बातें सुनती है तो प्रसन्न होती है। फिर उसे सात संतान की माता होने का आशीर्वाद देती हैं। आशीर्वाद के प्रभाव से साहूकार की छोटी बहू को सात बेटे होते हैं, जिससे उसकी सात बहुएं होती हैं। उसका परिवार बड़ा और भरापूरा होता है। वह सुखी जीवन व्यतीत करती हैं।
दूसरी कथा:-
अहोई अष्टमी और राधाकुण्ड से जुड़ी कथा:
बहुत पहले झाँसी के निकट एक नगर में चन्द्रभान नामक साहूकार रहता था। उसकी पत्नी चन्द्रिका बहुत सुंदर, सर्वगुण सम्पन्न, सती साध्वी, शिलवन्त चरित्रवान तथा बुद्धिमान थी। उसके कई पुत्र-पुत्रियां थी परंतु वे सभी बाल्यावस्था में ही परलोक सिधार चुके थे। दोनों पति-पत्नी संतान न रह जाने से व्यथित रहते थे। वे दोनों प्रतिदिन मन में सोचते कि हमारे मर जाने के बाद इस अपार धन-संपदा को कौन संभालेगा!
एक बार उन दोनों ने निश्चय किया कि वनवास लेकर शेष जीवन प्रभु-भक्ति में व्यतीत करें। इस प्रकार वे दोनों अपना घर-बार त्यागकर वन की ओर चल दिए। रास्ते में जब थक जाते तो रुक कर थोड़ा विश्राम कर लेते और फिर चल पड़ते। इस प्रकार धीरे-धीरे वे बद्रिका आश्रम के निकट शीतल कुण्ड जा पहुंचे। वहाँ पहुँचकर दोनों ने निराहार रह कर प्राण त्यागने का निश्चय कर लिया।
इस प्रकार निराहार व निर्जल रहते हुए उन्हें सात दिन हो गए तो आकाशवाणी हुई कि तुम दोनों प्राणी अपने प्राण मत त्यागो। यह सब दुःख तुम्हें तुम्हारे पूर्व पापों के कारण भोगना पड़ा है। यदि तुम्हारी पत्नी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली अहोई अष्टमी को अहोई माता का व्रत और पूजन करे तो अहोई देवी प्रसन्न होकर साक्षात दर्शन देगी। तुम उनसे दीर्घायु पुत्रों का वरदान मांग लेना। व्रत के दिन तुम राधाकुण्ड में स्नान करना। चन्द्रिका ने आकाशवाणी के बताए अनुसार विधि-विधान से अहोई अष्टमी को अहोई माता का व्रत और पूजा-अर्चना की और तत्पश्चात राधाकुण्ड में स्नान किया। जब वे स्नान इत्यादि के बाद घर पहुँचे तो उस दम्पत्ति को अहोई माता ने साक्षात दर्शन देकर वर मांगने को कहा। साहूकार दम्पत्ति ने हाथ जोड़कर कहा, हमारे बच्चे कम आयु में ही परलोक सिधार जाते है। आप हमें बच्चों की दीर्घायु का वरदान दें। तथास्तु! कहकर अहोई माता अंतर्ध्यान हो गई। कुछ समय के बाद साहूकार दम्पत्ति को दीर्घायु पुत्रों की प्राप्ति हुई और वे सुख पूर्वक अपना गृहस्थ जीवन व्यतीत करने लगे। करवा चौथ के समान ही इस व्रत का भी बहुत महत्व है।
~प्रियंका वर्मा महेश्वरी
Read More »एस. एन. सेन बा. वि. पी.जी. कॉलेज में “कला का व्यवसायीकरण” विषय पर वार्ता एवम् “उमंग चित्र प्रदर्शनी” का उद्घाटन
कानपुर 14 अक्टूबर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बा. वि. पी.जी. कॉलेज कानपुर के चित्रकला विभाग द्वारा “कला का व्यवसायीकरण” विषय पर वार्ता एवम् “उमंग चित्र प्रदर्शनी” का उद्घाटन प्रबंध समिति के सचिव श्री प्रोबीर कुमार सेन, मुख्य वक्ता व मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित महिला महाविद्यालय कानपुर की प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ.) अंजू चौधरी, सेन महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ.) सुमन, संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन व सदस्य श्रीमती दीपाश्री सेन द्वारा किया गया। आज के वर्तमान युग में प्रत्येक क्षेत्र में व्यावसायिक तकनीकी दृष्टि से विचार किया जा रहा है अतः कला शिक्षा के क्षेत्र में भी व्यवसायिक दृष्टिकोण आवश्यक है । इसी विषय को महत्व देते हुए आज के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम संयोजिका डॉ. रचना निगम, विभागाध्यक्ष चित्रकला विभाग ने सभी सम्मानित सदस्यों का स्वागत व अभिनंदन स्मृति चिन्ह के रूप में कलाकृति प्रदान कर किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में कला के व्यवसायीकरण के ऊपर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्य वक्ता प्रोफेसर अंजू चौधरी, प्राचार्य महिला महाविद्यालय कानपुर ने कला को व्यवसायीकरण से जोड़ते हुए कहा कि कलाकार को भी रोजगार की आवश्यकता होती है जिससे वह अपने लिए धन अर्जित करता है इसलिए कला का व्यवसायीकरण आवश्यक है। माननीय प्रधानमंत्री द्वारा लोक कला को आगे बढ़ाने हेतु “लोकल फॉर वोकल “से लोक कला को व्यवसाय से जोड़ने में सहायता मिलेगी। मुख्य अतिथि ने कला के विभिन्न मार्केटिंग प्लेटफार्म, आर्ट गैलरी आदि की विस्तृत व महत्त्वपूर्ण जानकारी अपने वक्तव्य में दी। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. सुमन ने इस विषय पर गंभीरता से विचार करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि महाविद्यालय स्तर पर ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से स्वरोजगार एवं व्यवसायिक उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा जिससे कलाकार की कला को सम्मान मिलेगा और उसके लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे । संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन ने छात्राओं में कला के प्रोत्साहन हेतु आयोजित आज के कार्यक्रम के लिए प्राचार्य, कार्यक्रम संयोजिका तथा उनकी टीम को अपनी बधाई प्रेषित की। डॉ. रचना निगम ने विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज का समाज मनमाने दाम पर भौतिक सुविधाएं प्राप्त करने के लिए तत्पर है परंतु जब कला से संबंधित धन खर्च करने और एक कलाकार को उसकी उचित धनराशि देने की बात आती है तो वह पीछे हट जाता है क्योंकि उसको यह उचित नहीं लगता।इसलिए इस विषय पर इस वार्ता का होना आवश्यक था जिससे समाज में कला को लेकर नई जागरूकता आये। इस कार्यक्रम के अंतर्गत एक चित्रकला प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया जिसमें चित्रकला विभाग के बी.ए. तथा एम.ए. की छात्राओं ने मनमोहक आकृतियों, लोक कला ,मधुबनी तथा सौंदर्य पूर्ण आकारों व रंगों से परिपूर्ण चित्रों की प्रस्तुति की। डॉ. रश्मि बाजपेई, शुभी शर्मा तथा पूजा वर्मा ने कार्यक्रम से संबंधित सभी जानकारियां प्रदान की। महाविद्यालय के समस्त शिक्षक वर्ग ने छात्राओं के कार्य को सराहा व प्रोत्साहित किया। लिपिक वर्ग तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने भी यथासंभव अपना सहयोग कार्यक्रम आयोजन में दिया।
स्वच्छ भारत अभियान 2.0 के अंतर्गत डी जी महाविद्यालय में *वृहद स्वच्छता अभियान* चलाया गया
कानपुर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, *स्वच्छ महाविद्यालय – स्वस्थ महाविद्यालय* स्वच्छ भारत अभियान 2.0 के अंतर्गत दिनांक 12 अक्टूबर को *डी.जी.(पी जी) कॉलेज, कानपुर* की *राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई* की एनएसएस वॉलिंटियर्स के द्वारा कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के नेतृत्व में महाविद्यालय में *वृहद स्वच्छता अभियान* चलाया गया। जिसको *स्वच्छ महाविद्यालय-स्वस्थ महाविद्यालय* नाम दिया गया। इस अभियान में छात्राओं ने महाविद्यालय परिसर, कक्षा–कक्ष, प्रयोगशालाओ आदि की सफाई की। इस दौरान सिंगल यूज प्लास्टिक–पानी की बोतल, पाउच, बिस्किट व चिप्स आदि के खाली रैपर्स, पॉलिथीन, पेपर्स, यूजड स्टेशनरी इत्यादि – कुल 50 किलो से ज्यादा कूड़ा एकत्रित कर उसका यथोचित निस्तारण किया गया। कार्यक्रम में एनएसएस की सभी वॉलिंटियर्स ने उत्साह पूर्वक योगदान किया। महाविद्यालय प्राचार्या डॉ सुनंदा दुबे जी ने छात्राओं का उत्साह वर्धन करते हुए कहा कि हमें अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखना अनिवार्य है। स्वच्छता के द्वारा उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति की जा सकती है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। स्वच्छ, स्वस्थ व पॉलिथीन मुक्त भारत बनाने में छात्राओं का इस प्रकार का कदम मील का पत्थर साबित होगा।
Read More »गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज विश्व की सबसे ऊंची लद्दाख की 19024 फीट ऊंचाई की साहसिक यात्रा कर लौटी शारीरिक शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ. प्रीति पांडेय एस एन सेन महाविद्याल में सम्मानित
कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस.एन. सेन बालिका विद्यालय पी.जी. कॉलेज में 12 अक्टूबर को गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज विश्व की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड उमलिंग ला जो कि लद्दाख के 19024 फीट ऊंचाई पर स्थित है, की साहसिक यात्रा को सफलतापूर्वक संपन्न कर वापस लौटी शारीरिक शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ. प्रीति पांडेय जी का प्राचार्य प्रोफेसर सुमन एवं महाविद्यालय परिवार ने पुष्पगुच्छ तथा मिष्ठान द्वारा स्वागत और अभिनंदन किया। डॉ. प्रीति पांडेय ने यह सफर 12 दिनों में पूरा किया तथा वह उमलिंग ला तक बुलेट के द्वारा यात्रा का विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली चंद लोगों में से एक हैं। वहां पहुंचकर -3 डिग्री तापमान में डॉक्टर प्रीति पांडेय ने एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. महाविद्यालय का बैनर फहराया। यात्रा का उद्देश्य एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान था। 4200 किलोमीटर लंबी दुरूह यात्रा में लखनऊ, चंडीगढ़, मनाली, जिसपा, पांग, हनले से होते हुए उम लिंगला तक पहुंचना और वहां से डॉ. पांडे का सुरक्षित वापस आना यह महाविद्यालय के लिए अत्यंत गौरव का क्षण था। डॉ. प्रीति पांडेय पहले भी कई ऐसी साहसिक स्थानों जैसे खारदुंग ला पास, लाहौल स्फीति, लेह लद्दाख एवम विश्व के सबसे खतरनाक पास साच पास आदि की यात्रा बुलेट द्वारा कर चुकी हैं।
Read More »हर लम्हा photo opportunity, यादें बन गयी टाइम लाइन पर सहेजे हुए इवेंट
वर्तमान में आधुनिकता हमारी सहजता पर इस कदर हावी हो चुकी है कि हम पहले से कहीं ज़्यादा कनेक्टेड हुए हैं ,और कहीं ज़्यादा अकेले भी ! स्क्रीनों में झांकती हुई हमारी पत्थर हो चुकी आँखें भूल गयी हैं किसी की आँखों में देख कर बात करने का तिलिस्म.हर समय गैजेट्स पर घूमने वाली उँगलियाँ भूल गयी हैं किसी का हाथ थाम कर सूर्यास्त देखना।
हर लम्हा एक photo opportunity बन गया है ,और यादें एक टाइम लाइन पर सहेजे हुए इवेंट।
आवाज़ों का शोर जितना ऊंचा है उतना ही गहरा हुआ है,अंदर का सन्नाटा !रिश्तों के मायने ही नहीं उनकी हक़ीक़तें भी बदल गयी हैं ,अब हम सब एक दूसरे के विश्लेषक और आलोचक बन गए है और एक्सपर्ट भी ,दोस्त दुनिया में बहुत कम हो गए हैं .
ऐसे में डिप्रेशन पहले से भी कहीं गहरा ब्लैक होल बन गया है। अचानक जब कोई कूद जाता है हॉस्पिटल की खिड़की से या इतनी नींद की गोलियां खा लेता है कि कभी न जागना पड़े तब हम थोड़ा सा pause करते हैं और अगली ही सुबह भूल जाते हैं ..साभार
श्रीमती पूर्णिमा तिवारी
ब्याख्याता
केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण 11 से 16 अक्टूबर 2022 तक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष-विश्व बैंक की वार्षिक बैठक में भाग लेने के लिए अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर आज देर रात रवाना होंगी
केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण 11 अक्टूबर, 2022 से शुरू हो रही आधिकारिक यात्रा पर अमेरिका जा रही हैं। अपनी यात्रा के दौरान, श्रीमती सीतारमण अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की वार्षिक बैठकों, जी20 वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक गवर्नर्स (एफएमसीबीजी) की बैठकों में शामिल होंगी।
वित्त मंत्री जापान, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब, ऑस्ट्रेलिया, भूटान, न्यूजीलैंड, मिस्र, जर्मनी, मॉरीशस, यूएई, ईरान और नीदरलैंड सहित कई अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय बैठकों में हिस्सा लेंगी। वित्त मंत्री ओईसीडी, यूरोपीय आयोग एवं यूएनडीपी के नेताओं और प्रमुखों के साथ ‘वन-आन-वन’ (एक एक करके) बैठकें भी करेंगी।
एक उच्च स्तरीय बैठक में, वित्त मंत्री आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अमेरिकी वित्त मंत्री सुश्री जेनेट येलेन और विश्व बैंक के अध्यक्ष श्री डेविड मलपास से अलग-अलग मुलाकात करेंगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री वाशिंगटन, डीसी में स्थित एक प्रमुख गैर-लाभकारी सार्वजनिक नीति संगठन, ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन में “भारत की आर्थिक संभावनाएं और विश्व अर्थव्यवस्था में भूमिका” विषय पर एक फायर साइड चैट में भी भाग लेंगी।
श्रीमती सीतारमण अपनी यात्रा के दौरान जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज (एसएआईएस) में भारत की अनूठी डिजिटल पब्लिक गुड्स (डीपीजी) कहानी और भारत में ‘प्रौद्योगिकी, वित्त और शासन’ के इंटरलिंकेज के माध्यम से सृजित गुणक प्रभावों के बारे में अपने विचार साझा करेंगी।
यात्रा के अंतिम हिस्से के दौरान, केंद्रीय वित्त मंत्री यूएसआईबीसी और यूएसआईएसपीएफ के साथ ‘भारत-अमेरिका कॉरिडोर में निवेश और नवाचार को मजबूत बनाना’ और ‘भारत की डिजिटल क्रांति में निवेश’ विषयों पर आयोजित गोलमेज बैठकों में शामिल होंगी। प्रमुख व्यापारिक दिग्गजों और निवेशकों के साथ आयोजित इन बैठकों का उद्देश्य भारत की नीतिगत प्राथमिकताओं पर प्रकाश डालना और एक निवेश गंतव्य के रूप में भारत के आकर्षण को प्रदर्शित करके विदेशी निवेश को सुविधाजनक बनाने के उपायों पर विचार-विमर्श करना है।
Read More »अरेंज मैरिज
“हेलो मिसेज पाटिल कैसीं हैं?”
मिसेस पाटिल :- “अच्छी हूं ! चाय पीने आ जाइए आप भी, साथ में पिएंगे।”
(फोन पर दूसरी ओर से) अरे कहां ! अभी विकी को ट्यूशन छोड़ने जाना है और फिर उसे डांस क्लास भी छोड़ना है। पूरा वक्त तो इन बच्चों में ही बीत जाता है।
मिसेस पाटिल:- “कभी वक्त निकाला करो हमारे लिए भी और थोड़ा आराम खुद को भी दिया करो।
(फोन पर ) जी जरूर आऊंगी फुर्सत में! आपके यहां का जो माली है उसे मेरे यहां भेजेंगीं क्या ?
मैिसेज पाटील:- जी जरूर! कल आएगा तब भेजती हूं।
जी! अच्छा नमस्ते !
आभा पाटिल! इस नाम से को जीते हुए मुझे 30 साल हो गए हैं। मैं अब आभा रह ही नहीं गई। आभा पाटिल में अब बहू, बीवी, मां और जिम्मेदार औरत ही रह गई है। जिंदगी ऐसे ही कुछ उलझती और कुछ सुलझती सी रही, मैं भी कुछ इसी तरह अपने घर संसार को आगे बढ़ाती रही। शादी हो कर आई थी तभी बड़े प्यार से जिम्मेदारियों की चाबी मेरे हाथ में थमा दी गई और धीरे-धीरे मैं जिम्मेदारी की चाबी से जिंदगी के ताले खोलते चली गई और खुद उसी में कैद होती गई। ऐसा नहीं था कि इस जिम्मेदारी को उठाने मे मुझे कुछ दिक्कत महसूस हो रही था या कुछ घुटन महसूस हो रही थी बल्कि मैं खुशी खुशी जिम्मेदारियां उठा रही थी।
भार्गव पाटिल मेरे पति बड़े ही जिंदादिल आदमी है, मुझे कैसे खुश रखना है वो उन्हें बहुत अच्छे से आता है। वो शुरू से ही वह मेरा बहुत ध्यान रखते आए हैं। कहीं भी जाना हो या बीमारी हो हमेशा मेरे साथ रहते। कभी समयाभाव रहा हो तो बता देते थे। इसी तरह धीरे धीरे हम दोनों अपनी गृहस्थी में व्यस्त होते जा रहे थे। रिंकी और चिकी के आने के बाद दस पंद्रह साल किस तरह निकल गए मालूम ही नहीं पड़ा। मैं इन बच्चों और घर में ऐसी रम गई कि बाहर की दुनिया और खुद को भूल गई। पूजा-पाठ, रिश्तेदार, बच्चे घर बस यही जीवन बन गया था। भार्गव ने भी अपने आपको काम में धीरे-धीरे व्यस्त कर लिया था, आखिर हमारी जिम्मेदारियां जो बढ़ रही थी।
यूं तो हम दोनों आदर्श पति पत्नी थे। एक दूसरे के सुख दुख में साथ रहते थे। घूमना फिरना साथ-साथ, एक-दूसरे की केयर, कभी अकेलापन नहीं लगता था। कुछ सोचने के लिए समय ही नहीं था, बस कभी – कभार मन कुछ खाली खाली सा लगता था और वह खालीपन कैसे पूरा हो यह भी नहीं मालूम था। प्यार क्या होता है यह मैंने कभी जाना ही नहीं। जब प्यार करने की उम्र थी तब मैं किताबों में डूबी रहती थीं और पढ़ाई पूरी होते ही शादी हो गई। जिस उम्र में लोगों को मोहब्बत होती है उस उम्र में मैं गृहस्थी की दुनिया में आ गई थी। जब कभी भी भार्गव से झगड़ा हो जाता था तो बात करने की पहल मुझे ही करनी पड़ती थी। सॉरी या मनाने – बोलने का जिम्मा मेरा ही होता था। नाराजगी में मैं अकेले ही रोधो कर खुद को मना कर काम में व्यस्त हो जाती थी। कभी मन होता था कि कोई मुझे भी मनाए, प्यार भरी बातें करें, भविष्य की चिंताओं को छोड़कर सिर्फ अपनी बातें करें, पर यह कोरा ख्याल ही रहा। बच्चों के भविष्य की चिंताएं ऐसा सोचने नहीं देती थी।
रिवाज है हमारे यहां कि प्यार पति को ही करना पड़ता है फिर चाहे प्यार हो या ना हो। ऐसा भी नहीं है कि प्यार नहीं होता क्योंकि कुछ वक्त अगर जानवर भी साथ रह ले तो उससे भी प्यार हो जाता है फिर हम तो इंसान हैं। प्यार के अंकुर फूट ही पड़ते हैं और बढ़ती उम्र के साथ यह प्यार भी बढ़ते ही जाता है। अरेंज मैरिज मतलब समझौते के साथ-साथ शादी के बाद का प्यार। साथ ही एक परिपक्व प्रेम और सहारा ~ प्रियंका वर्मा महेश्वरी
राष्ट्रपति ने दीनदयाल बंदरगाह, कांडला, गुजरात में 280 करोड़ रुपये से अधिक लागत की कई परियोजनाओं की आधारशिला रखी
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने गुजरात के कांडला में दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण की 280 करोड़ रुपये से अधिक की चार महत्वपूर्ण परियोजनाओं की आधारशिला रखी। ये परियोजनाएं समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए बंदरगाह के लॉजिस्टिक प्रदर्शन को बढ़ाने के साथ उसके संपूर्ण भीतरी इलाकों के विकास के साथ–साथ बंदरगाह अवसंरचना को बढ़ाएगी। इन परियोजनाओं से जहाजों के टर्नअराउंड समय में और सुधार और कार्गो की तेजी से निकासी के साथ–साथ बंदरगाह की कार्गो हैंडलिंग क्षमता में भी सुधार होगा।
69.51 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ कार्गो जेट्टी क्षेत्र के अंदर नए गुंबद के आकार के गोदामों के निर्माण की परियोजना से ऊंचाई बढ़ जाएगी, जिसके परिणामस्वरूप अधिक कार्गो हैंडलिंग होगी, जो पांचवीं पीढ़ी के ट्रकों / परिवहन वाहनों द्वारा हाइड्रोलिक सिस्टम के माध्यम से बल्क कार्गो को उतारने के लिए उपयुक्त है।
80 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ कार्गो जेट्टी क्षेत्र के अंदर 66 हेक्टेयर क्षेत्र में प्लॉट्स और स्टॉर्म वाटर ड्रेन का उन्नयन कंक्रीट रोड, स्टॉर्म वाटर ड्रेन नेटवर्क, विद्युत केबलों के लिए पाइप नाली, फ़र्श और श्रमिकों की सुविधा, पेयजल, शौचालय और श्रमिकों के लिए विश्राम गृह जैसी सुविधाएं होंगी। 47 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ कार्गो जेट्टी क्षेत्र के अंदर अन्य 40 हेक्टेयर क्षेत्र में भूखंडों, सड़कों और तूफानी जल नालियों के उन्नयन से कस्टम बॉन्डेड क्षेत्र के अंदर हैंडलिंग और भंडारण क्षमता में वृद्धि होगी और 8.8 लाख मीट्रिक टन की क्षमता के साथ ड्राई कार्गो के आयात / निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। 87.32 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ टूना रोड को टू लेन से फोर लेन में अपग्रेड करने की परियोजना के परिणामस्वरूप तेजी से कार्गो निकासी होगी, जिससे पोर्ट पर ट्रैफिक हैंडलिंग में वृद्धि होगी और भविष्य में पोर्ट ट्रैफिक को निर्बाध रूप से समायोजित किया जा सकेगा। यह राष्ट्रीय राजमार्ग से बंदरगाह को बहुत वांछित कनेक्टिविटी प्रदान करेगा और गति शक्ति के अनुरूप बंदरगाह तक पहुंचने वाली सड़कों को एक नया रूप प्रदान करेगा। परियोजना से पीपीपी पर डीपीए द्वारा विकसित की जाने वाली प्रस्तावित जेटी को भी लाभ होगा।
राष्ट्रपति ने माल ढुलाई के मामले में देश का नंबर एक बंदरगाह होने के लिए दीनदयाल बंदरगाह की उपलब्धि को स्वीकार किया और सराहना की कि गुजरात के बंदरगाहों ने पूरे देश के लगभग 40 प्रतिशत माल ढुलाई को संभालता है। उन्होंने पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय की उपलब्धियों और इन परियोजनाओं के माध्यम से दीनदयाल बंदरगाह की कार्गो हैंडलिंग क्षमता बढ़ाने के लिए इसके विभिन्न प्रयासों की भी प्रशंसा की, जो पूरे क्षेत्र के लिए फायदेमंद होगा।
दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी–कांडला (डीपीए) ने चालू वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों में 70.14 एमएमटी कार्गो को संभाल कर पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 17.22 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। जुलाई 2022 में 12.04 एमएमटी कार्गो जो एक महीने में अब तक का सबसे अधिक संचालन है। बंदरगाह ने वर्ष 2021-22 के लिए अब तक का सबसे अधिक 127.1 एमएमटी कार्गो का संचालन किया था। बंदरगाह ने बंदर बेसिन जेट्टी एरिया–कांडला में 4 सुपर ओवर डायमेंशन पैकेज कार्गो के रोल ऑफ को भी संभाला था। डीपीए, कांडला ने मेसर्स सीईएल के साथ साझेदारी में पोर्ट पर गेट संचालन के पूर्ण स्वचालन को भी बढ़ाया है और मेसर्स एनआईएसजी के मार्गदर्शन में आरएफआईडी आधारित एक्सेस कंट्रोल सिस्टम “ई–दृष्टि” शुरू किया है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने भारत में बंदरगाह क्षेत्र के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता के तहत गुजरात राज्य में सागरमाला कार्यक्रम के तहत 57,000 करोड़ रुपये की 74 परियोजनाओं की पहचान की है। जिनमें से 9,000 करोड़ रुपये की 15 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की 33 परियोजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है और 22,700 करोड़ रुपये की 26 परियोजनाओं का विकास कार्य चल रहा है। इन परियोजनाओं को केंद्रीय मंत्रालयों, प्रमुख बंदरगाहों, राज्य समुद्री बोर्ड और अन्य राज्य एजेंसियों द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। राष्ट्रपति ने अपनी गुजरात यात्रा के दौरान अस्पताल भवनों, सिंचाई परियोजनाओं, सड़क संपर्क और बंदरगाहों से संबंधित 1300 करोड़ रुपये से अधिक की कुल विभिन्न परियोजनाओं को जनता को समर्पित किया है और उनकी आधारशिला रखी है। कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत; श्री गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल ; भारत सरकार के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग और पर्यटन राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाईक; गुजरात सरकार में स्वास्थ्य मंत्री श्री ऋषिकेश पटेल; गुजरात सरकार में जनजातीय विकास मंत्री श्री नरेश पटेल; राज्य के जनजातीय विकास और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती निमिषाबेन सुथार; पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री भूषण कुमार और दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी–कांडला के अध्यक्ष श्री एस.के. मेहता उपस्थित थे।
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