कानपुर 21 फरवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज में आज सेंचुरी क्लब कोऑर्डिनेटर डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्या प्रो अर्चना वर्मा जी ने की। उन्होंने अपने संबोधन में छात्राओं को अवगत कराया कि अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को मनाया जाता है। UNESCO द्वारा यह दिवस फरवरी, 2000 से प्रतिवर्ष भाषायी और सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए ही कानपुर विजन @2047 तथा G-20 के अंतर्गत यह दिवस मनाया गया। इस अवसर पर छात्राओं के द्वारा एक भाषण व पोस्टर प्रेजेंटेशन का आयोजन भी किया गया। कु. दीपांशु धीमान ने कहा कि आजादी के 100 सालों में अपने कानपुर में ‘वसुधैव कुटुंबकम्’, ‘सर्वधर्म समभाव’ व ‘विविधता में एकता’ हम सभी का महत्वपूर्ण लक्ष्य है। डॉ अर्चना दीक्षित ने बताया कि महाविद्यालय में छात्राओं के व्यक्तित्व का चहुंमुखी विकास करने के लिए समय-समय पर राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय दिवस और समसामयिक मुद्दों पर निबंध लेखन, भाषण, संगोष्ठी व सेमिनार, कविता पाठ, रैली आदि का आयोजन इनके व्यापक प्रचार-प्रसार एवम् जन-जागरूकता को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। कार्यक्रम को सफल बनाने में चीफ प्रॉक्टर प्रो अर्चना श्रीवास्तव, प्रो सुगंधा तिवारी, प्रो वंदना निगम, प्रो अलका श्रीवास्तव, डॉ मंजुला, डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ स्वेता तथा डॉ कृष्णेंद्र समेत महाविद्यालय की समस्त प्रवक्ताओं व छात्राओं का सराहनीय योगदान रहा।
महिला जगत
डी जी कॉलेज में मनाया गया सामाजिक न्याय दिवस
कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा आज 20 फरवरी को कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाया गया। प्राचार्या डॉ अर्चना वर्मा ने अपने उद्बोधन में बताया कि इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य सामाजिक अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना और गरीबी, लिंग, शारीरिक भेदभाव, अशिक्षा, धार्मिक भेदभाव को खत्म करने के लिए विभिन्न समुदायों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक साथ लाना है। इस अवसर पर एनएसएस वॉलिंटियर्स अर्पिता, दीक्षा, आस्था आदि ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम को सफल बनाने में की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ अर्चना दीक्षित, डॉ श्वेता, आकांक्षा अस्थाना, दीक्षा मालवीया तथा सभी छात्राओं का सराहनीय योगदान रहा।
Read More »एस एन सेन वी बी पी जी महाविद्यालय में द्विदिवसीय वार्षिक क्रीड़ा प्रतियोगिता के प्रथम दिन का सफलतापूर्वक उद्घाटन
कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन वी बी पी जी महाविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग द्वारा द्विदिवसीय वार्षिक क्रीड़ा प्रतियोगिता के प्रथम दिन का सफलतापूर्वक उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि पी के सेन एवम् महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर सुमन के द्वारा किया गया।प्रतियोगिता के प्रथम दिन प्रबन्ध तन्त्र समिति के अध्यक्ष श्री पी के सेन संयुक्तसचिव शुब्रो सेन तथा कोषाध्यक्ष दीपाश्री उपस्थित रहे। प्रतियोगिता में कैरम,चेस तथा टेबल टेनिस आभ्यांतरिक खेलों का आयोजन किया गया जिसमें टेबल टेनिस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान ईशा ने , कैरम में प्रथम स्थान श्वेता ने तथा चेस में प्रथम स्थान पापुल ने हासिल किया। प्रतियोगिता में बहुत से अन्य मनोरंजनात्मक कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों एवम् छात्राओं ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। कार्यक्रम की संयोजिका कैप्टन ममता अग्रवाल रहीं। कार्यक्रम का आयोजन शारीरिक शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो प्रीति पांडे व उनकी टीम के सहयोगी सदस्य डॉ रोली मिश्रा, डॉ कोमल सरोज, डॉ अनामिका राजपूत व डॉ श्वेता रानी के द्धारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ सारिका अवस्थी द्धारा किया गया। कार्यक्रम के अंत मे प्राचार्या प्रोफेसर सुमन ने धन्यवाद ज्ञापित किया तथा सभी प्रतिभागियों को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई दी और उन्हें खेलों के प्रति जागरूक भी किया ।
Read More »भारत की राष्ट्रपति ने उत्तर प्रदेश वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन- 2023 के समापन सत्र को संबोधित किया
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (12 फरवरी, 2023) लखनऊ में उत्तर प्रदेश वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन- 2023 के समापन सत्र को संबोधित किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इसकी प्रसन्नता है कि उनकी उत्तर प्रदेश की यात्रा राज्य के विकास के इस महान उत्सव के अवसर पर हो रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि जनसंख्या के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य होने के अलावा उत्तर प्रदेश देश की अर्थव्यवस्था में योगदान करने की दृष्टि से कई क्षेत्रों में पहले स्थान पर है। उत्तर प्रदेश गेहूं सहित कुल खाद्यान्न उत्पादन में भारत में पहले पायदान पर है। इसके अलावा गन्ना और आलू के उत्पादन में भी यह देश में पहले स्थान पर है। वहीं, आम और मटर के उत्पादन में भी इस राज्य का सबसे अधिक योगदान है। इसी तरह दुग्ध उत्पादन में उत्तर प्रदेश अग्रणी है। कृषि उत्पादों में समृद्ध होने के कारण, उत्तर प्रदेश में कृषि आधारित उद्यमों के लिए काफी संभावनाएं हैं। उन्होंने इस पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की कि इस शिखर सम्मेलन के दौरान ‘भारत की खाद्य टोकरी का लाभ उठाना: खाद्य प्रसंस्करण के लिए अवसर’ और ‘डेयरी और पशुपालन क्षेत्र में अवसरों को खोलना’ पर सत्र आयोजित किए गए।
उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि राजनीतिक स्थिरता और प्रशासन की निरंतरता निवेशकों के लिए काफी सहायक सिद्ध होती है। राष्ट्रपति ने आगे कहा कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में एक स्थिर और निर्णय लेने वाली सरकार है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने दूरदर्शी नीतियों की परिकल्पना की है और उन्हें लागू किया है। इसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश नए भारत के विकास इंजन की भूमिका निभाने में सक्षम और तैयार है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से उत्तर प्रदेश में लगभग 35.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान है, जिससे लाखों लोगों को रोजगार के अवसर मिलने की उम्मीद है।
राष्ट्रपति ने बताया कि उत्तर प्रदेश में लगभग 95 लाख एमएसएमई हैं। देश के किसी एक राज्य में यह संख्या में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि देश के उद्योगों का आधार होने के अलावा एमएसएमई, कृषि क्षेत्र के बाद सबसे अधिक रोजगार के अवसर भी प्रदान करते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उत्तर प्रदेश का एमएसएमई क्षेत्र भारत के आर्थिक विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में उत्तर प्रदेश ने खुद को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का संकल्प लिया है। उत्तर प्रदेश भारत की अर्थव्यवस्था के पांचवें हिस्से में अपना योगदान देगा। उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के प्रयासों से आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी मजबूती मिलेगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास हो रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में रक्षा गलियारे के विकास से भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। इससे निवेश भी आएगा और रोजगार भी सृजित होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार विभिन्न प्रयास कर रही है। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत नवीकरणीय ऊर्जा के विकास, हरित ऊर्जा गलियारे और ऊर्जा रूपांतरण जैसे प्रयासों से भारत को शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि निवेश के बढ़ते वातावरण में स्वरोजगार की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने इसका उल्लेख किया कि उत्तर प्रदेश में स्टार्ट-अप क्रांति के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन प्रयासों से उत्तर प्रदेश स्वरोजगार के क्षेत्र में भी अग्रणी स्थान प्राप्त करेगा।
राष्ट्रपति ने उत्तर प्रदेश को एक पसंदीदा निवेश गंतव्य बनाने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उत्तर प्रदेश ‘सर्वश्रेष्ठ निवेश राज्य’ के रूप में वैश्विक प्रतिष्ठा प्राप्त करेगा। उन्होंने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश ज्यादा समृद्ध होगा, तो भारत भी अधिक समृद्ध होगा।
Read More »असीम सुख देता है रब से किया गया प्रेम
“पूछा जो इक रोज़ उसने …बता तो सही..क्या मिला तुम्हें
इश्क़ के दरिया में ?
मैंने हँस कर कहा …
न पूछ तू इश्क़ की सौग़ातों की बात…
बेशुमार दौलतें पाई है हमने …ख़ामोशियाँ ..
दर्द ..
इन्तज़ार ..
बेचैनियाँ .. अश्क ..सभी तो पाया हमने …
और हाँ !
सबसे ज़्यादा सकून तो तब मिला ,जब मेरी ख़ुदी ही खो गई।अब तू बता ?
“क्या कम पाया है मैंने “?
🌹फ़रवरी का महीना
गुलाब के फूल,
इश्क़ की ख़ुशबू ,
मोहब्बत से महकता
ये महीना हर तरफ़ अपना ही रंग बिखेरे हुये होता है।
दोस्तों !
लाल गुलाब उसे ही दीया जाता है जो आप के लिए बेहद ख़ास हो।
जिसने आप की रूह को छू लिया हो।
प्रेम…
प्रेम प्रसाद की तरह होता है,
जो हर व्यक्ति के भाग्य में नहीं होता,……वो उसी को नसीब होता है,जिसे रूह की चाह होगी ,जिस्म की नही …..
किसी स्त्री को पत्नी बनाना,
उसके प्रेम को प्राप्त कर लेना नही है,क्योंकि स्त्री पति को सिर्फ उसका अधिकार देती है, प्रेम नही।
लोग अक्सर अधिकार ही देते है प्रेम नहीं …
प्रेम होना या किसी का प्रेम मिलना ये एक अलग और गहरी बात है। किसी किसी विरले के ही हिस्से में प्रेम आ पाता है, बाकि तो सब जीवन जी रहे हैं इक मृगतृष्णा में ..कि उन्हें प्रेम है या मिल रहा है।
प्रेम इक त्याग है ।
आसान नहीं होता ,प्रेम में रहना।
प्रेम को पाने के लिए उतना ही समर्पण चाहिए,
जितना हम भगवान को पाने के लिए करते है,
क्योंकि प्रेम को हम नही..बल्कि प्रेम हमको चुनता हैं….
बिना किसी आस के उम्र भर किसी को चाहते रहना ही प्रेम है।🙏
ज़्यादातर लोग आकर्षित होते है .. वो आकर्षण बहुत देर ठहरता नहीं। वक़्त के साथ ख़त्म होता चला जाता है।जिस प्रेम की मैं बात कर रही हूँ ।वो प्रेम ठहर जायेगा ..वहीं पर ….हमेशा के लिये . …
उसका जिस्म से कोई सरोकार
नहीं ..सिर्फ़ मतलब रह जाता है तो केवल रूह से।
रूह से जुड़ा प्रेम
वक़्त के साथ गहरा होता चला जाता है।
जो लोग दावा करते हैं अपने इश्क़ का .. अपने मन को टटोल कर देखे जिसे वह प्यार करते हैं , उसके लिए मन में क्या कभी पूजने का भाव आया है ?
क्या आप का प्रेम ,हमेशा एक ही के साथ ठहरा है कभी ..या फिर आज यहाँ और कल वहाँ ….अगर प्रेम में ठहराव नही है,
तो समझ जाईये कि आपको प्रेम नही ,सिर्फ़ इक आकर्षण हुआ है।
प्रेम तो जहां रम गया, जिसमें रम गया ,सो रम गया …फिर इधर-उधर नहीं भटकेगा।
यू भी दिल और दिमाग़ से किया प्रेम कुछ देर तो चल सकता है ,मगर ..रूह से किया गया
प्रेम तो …आख़िरी साँस तक
चलता है …
कृष्ण और मीरा का प्रेम…
कृष्णा और राधा का प्रेम ..
मर्यादाओं में बंधा हुआ ,..
दूर रह कर भी इक दूसरे की पीड़ा का अहसास था उनमे।
इक दूजे से दूर, मगर इक दूजे में ही समाये हुए।
बहुत पत्नियों के स्वामी थे कृष्णा।सब के लिए फ़र्ज़ निभाते, सब को अधिकार बाँटते ..
मगर खुद राधा के प्रेम में मग्न और परिपूर्ण रहते।वहाँ मिलन सिर्फ़ रूह का था ..शरीर का नही ..
सोचें दोस्तों !
हम कहाँ है ?
हमारा प्रेम कहाँ खड़ा है ?
क्या हम वाक़ई प्रेम में है या इक भ्रम में जी रहे हैं ।
हर कोई अघूरा है यहाँ ..
किसी विरले की ही तालाश पूरी होती है ।
नहीं तो हर कोई भटक रहा है प्रेम की तालाश में।
प्रेम मिलना बहुत मुश्किल है ..अगर मिल जाये कहीं …तो उसकी क़दर ज़रूर कीजिए। कई जन्मों के तप का नतीजा होता है सच्चा प्रेम।
इक बात मैं ज़रूर कहना चाहूँगी कि दुनिया का प्रेम कभी सुख देगा ,कभी दुख देगा .. मगर रब से किया गया प्रेम हमेशा असीम सुख देता है ..
दोस्तों !
सोचना अब आप को है …
कि आप को क्या चाहिए
“दुख सुख की छाँव “
या
“सदा का सुख
🙏🌹🙏🌹
लेखिका स्मिता
अभिशप्त मैं
:- “पूनम यह लो पैसे और दो किलो बाजरे का आटा लेती आ।”
पूनम:- “वो पहले के बकाया पैसे मांग रहा है, परसों कह रहा था कि पहले पैसा लाओ फिर आटा दूंगा।”
माया:- “बोलना उससे कि इसी रूपये में से काट ले और जो हिसाब बचेगा वो अगली बार दे दूंगी।”
पूनम:- “ठीक है” और कराहती हुई उठी दुकान जाने के लिए।
माया भी कमर पकड़कर उठी तो दर्द से कराह उठी। मन ही मन बड़बड़ाते हुए काम पर जाने लगी तो पास ही बैठे हुए छोटे बच्चों की और देखा जो भूखे बैठे खाने की राह देख रहे थे। पति मदन अभी तक सोया पड़ा था। बच्चों के मुंह को देखकर माया रसोई में खाना बनाने चली गई। बड़ी लड़की को उसने आवाज देकर उठाया और काम में जुट गई। सब्जी छौंकते समय उसकी आंखों में आंसू आ गए। कैसा जीवन है हम औरतों का? पति की मार खाओ और पैसा भी कमाने जाओ? उस पर इन बच्चों का भार वो अलग से।
मदन रोज शराब पीकर आता और माया को पीटता था। उससे पैसे मांगता था और न देने पर पीटता था। उसकी बेटियां भी कम दुखी नहीं थी अपने बाप से। रोज मारकर उठाना आम बात थी। कभी लात से, कभी कुछ भी फेंककर मार दिया, इस तरह लड़कियों को उठाना आम बात थी। जिंदगी एक बोझ के सिवा कुछ नहीं लगती थी। “मेरे पास रास्ता भी तो नहीं है कुछ? इन बच्चों को किसके सहारे छोड़ कर जाऊं? और मैं खुद भी कहां जाऊं? मायका भी ऊंच नीच ही समझाएगा और उसका क्या करूं कि हमारे समाज में नहीं चलता यह सब और वैसे भी कितना भी कर लो वह पक्ष पति का ही लेगा। यह सब सुन कर भी दोषी मुझे ही बताया जाएगा। फिर बेचारी बनकर जीना ही एकमात्र पर्याय है।” टीस मारते हुए जख्मों की ओर देखती हुई माया सोचती रही।
चार बच्चों की मां बनाकर मदन ने माया पर घर की जिम्मेदारी का भार भी डाल दिया था। सुबह घर के काम के बाद बाहर घर काम के लिए निकल जाती थी। मुझे इन चुप रहती इन आंखों में कई सवाल दिखते थे। ऐसा लगता कि सवाल वह खुद से कर रही और जवाब भी खुद ही दे रही है। इसी उधेड़बुन में काम करते-करते उसके हाथों की गति तेज और तेज होती जाती।
माया:- “पैसे खत्म हो गए हैं सब्जी, आटा और तेल लाना है।”
मदन:- “तो मैं क्या करूं? तू् लेकर आ, मेरे पास पैसे नहीं है।”
माया:- “अभी तो मेरे पास भी नहीं है।”
मदन:- “अभी कल ही तो पांच सौ देखे थे तेरे पास वो कहां गए? मुझे काम है दे वो पैसे?”
माया:- “नहीं है, खर्च हो गए।” और दोनों में बहस शुरू हो गई और लड़ते-लड़ते मदन का हाथ माया पर उठ जाता है। उसके हाथ में जो भी चीज आती है चप्पल, बेल्ट, पाइप, पत्थर उसी से मारते जाता। माया चीखती रही और रोते रही। बड़ी बेटी मां को बचाने आई तो उसे भी मार पड़ गई। मां बेटी दोनों मार खाते रहे और चिल्लाते रहे। यह रोज की दिनचर्या थी।
काम करते-करते माया सोच रही थी कि, “मैं क्यों यह अभिशप्त जीवन जी रही हूं? क्यों नहीं यह सब छोड़ कर चली जाती हूं? यहां ऐसा कौन सा सुख है जिसकी मुझे लालसा है? मार खाने के बाद रात में शरीर पर रेंगते हाथ शरीर से ज्यादा मन की तकलीफ को बढ़ा देते? क्यों मजबूर हूं इस विवशता से भरे जीवन को जीने का जीने के लिए? क्या इसी अवसादपूर्ण जीवन के लिए इस आदमी से रिश्ता जोड़ा था, शादी की थी।” ~प्रियंका वर्मा महेश्वरी
कन्या जन्म उत्सव कार्यक्रम डफरिन अस्पताल में आयोजित
कानपुर 7 फ़रवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत जिला प्रोबेशन अधिकारी के निर्देशानुसार महिला कल्याण विभाग कानपुर नगर द्वारा कन्या जन्म उत्सव कार्यक्रम डफरिन अस्पताल में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान आज जन्मी बच्चियों को महिला आयोग के सदस्य पूनम कपूर एवं रंजना शुक्ला जी के द्वारा बेबी किट का वितरण करने के साथ-साथ केक काट कर बच्चों के जन्म पर हर्षोल्लास जताया गया। साथ ही बच्चियों के उज्जवल भविष्य की कामना भी की गई। इस पूरे कार्यक्रम के दौरान डॉक्टर सीमा श्रीवास्तव सोशल वर्कर मोनिका सविता एवं कविता दीक्षित, वंदना सोलंकी ,हरि शंकर जी के द्वारा सहयोग प्रदान किया गया जिला प्रोबेशन अधिकारी श्री जयदीप सिंह जी द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना एवं कन्या सुमंगला योजना के विषय में विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। उन्होंने बताया इस तरह के कार्यक्रम से बच्चों को सशक्त बनाने पर सरकार की मंशा के अनुरूप कार्य किया जा रहा है। और आगे भी समय-समय पर महिलाओं एवं बच्चों से संबंधित विशेष कार्यक्रमों का आयोजन विभाग द्वारा संचालित किया जाता रहेगा। इस कार्यक्रम का संचालन महिला शक्ति केंद्र कानपुर नगर की टीम के द्वारा किया गया।
Read More »दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज में संगोष्ठी के साथ सड़क सुरक्षा अभियान का समापन
कानपुर 3 फरवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर में सड़क सुरक्षा अभियान का समापन आज संगोष्ठी के साथ हुआ। एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही ने बताया कि महाविद्यालय में इन सभी कार्यक्रमों हेतु एक सड़क सुरक्षा क्लब बनाया गया। जिसके तत्वाधान में विगत नवंबर, 2022 से निरंतर अनेक गतिविधियां की गई हैं। जिनमें निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता, पोस्टर प्रेजेंटेशन, सड़क सुरक्षा जागरूकता रैली, मानव श्रृंखला, लोगों को चौराहों पर सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करते हुए यातायात के नियमों की जानकारी देना व उनके पालन के महत्व के बारे में अवगत कराना, सड़क सुरक्षा शपथ एवम् संगोष्ठी आदि प्रमुख है। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्या प्रो अर्चना वर्मा जी ने तथा संचालन डॉ संगीता सिरोही ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ एनएसएस लक्ष्य गीत “उठे समाज के लिए उठें, उठें” से हुआ। तदुप्रांत प्राचार्या जी ने अपने उद्बोधन में सड़क सुरक्षा जागरूकता से संबंधित विभिन्न आंकड़ों और संदर्भों जैसे कल ही कानपुर में फतेहपुर से आ रही श्रद्धालुओं की ट्रॉली पलटने से हुई भीषण दुर्घटना आदि के माध्यम से छात्राओं को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक रहने व समाज में इसके बारे में प्रचार-प्रसार करने का आह्वान करते हुए कहा कि आप सभी सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद अवश्य करें ताकि समय से लोगों की जान बचाई जा सके। कार्यक्रम को सफल बनाने में वनस्पति विज्ञान विज्ञान विभाग से असि. प्रो. डॉ पारुल, अर्थशास्त्र विभाग से असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ साधना सिंह, भूगोल विभाग से असि प्रो डॉ श्वेता, गृह विज्ञान विभाग से लैब असिस्टेंट कु. अनुराधा तथा एनएसएस लिपिक आकांक्षा अस्थाना आदि की सक्रिय भूमिका रही। इस अवसर पर सभी छात्राओं ने उत्साह पूर्वक भाग लिया
Read More »एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज में महोत्सव के रूप में मनाया गणतंत्र दिवस एवं बसंत पंचमी
कानपुर 27 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता 74 वें गणतंत्र दिवस तथा बसंत पंचमी के अभूतपूर्व संयोग को एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज में एक महोत्सव के रूप में मनाया गया।महाविद्यालय की सरस्वती पूजा नगर में सुविख्यात है।
सरस्वती जी की सुंदर प्रतिमा को महाविद्यालय प्रेक्षागृह में स्थापित किया गया।महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो सुमन सचिव पी के सेन अध्यक्ष पी के सेन शुभ्रो सेन तथा कार्यक्रम प्रभारी प्रो. मीनाक्षी व्यास ने माँ की स्थापना कर पुष्पांजलि दी।डॉ. शुभा वाजपई, डॉ. सुनीता शुक्ला, डॉ. प्रीता अवस्थी, डॉ. सारिका अवस्थी के द्वारा बसंत उत्सव की तैयारियां पूर्ण मनोयोग से की गई। डॉ. रचना निगम के निर्देशन में कला विभाग की छात्राओं द्वारा विगत तीन दिनों में कठिन परिश्रम द्वारा महाविद्यालय सभागार में वृहत रंगोली का निर्माण किया गया। महाविद्यालय में बसंत पर्व पर सरस्वती की मूर्ति स्थापना, पूजा तथा विसर्जन की परंपरा का विधिवत् निर्वहन किया गया। इस अवसर पर संपूर्ण महाविद्यालय परिवार प्रो निशी प्रकाश प्रो गार्गी यादव प्रो निशा अग्रवाल प्रो चित्रा सिंह तोमर डा प्रीति सिंह आदि उपस्थित रहे।
जोशीमठ: प्रकृति के साथ खिलवाड़ या प्रशासन की लापरवाही ~ प्रियंका वर्मा महेश्वरी
जोशीमठ (उत्तराखंड) में पड़ती दरारें और बहता हुआ पानी लोगों में दहशत और लोगों का जनजीवन असामान्य बना रहा है। क्या ये मंजर लोगों द्वारा प्रकृति के साथ किये खिलवाड़ का नतीजा है या प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है। 1976 में एक अट्ठारह सदस्यीय कमेटी ने जब इस क्षेत्र को संवेदनशील घोषित कर दिया था और निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध, पेड़ों को काटने पर रोक और बारिश के पानी के निकासी की व्यवस्था की बात रखी थी तब इस बात को सरकार द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया था और आज लोग इस गल्ती का खामियाजा भुगत रहे हैं। इस कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ बालू और पत्थर के ढेर पर बसा हुआ है, इस दृष्टि से यह किसी टाउनशिप के लिए उपयुक्त नहीं है। धमाकों और भारी यातायात से उत्पन्न होने वाले कंपन यहां पर प्राकृतिक असंतुलन पैदा करेंगे। भारी निर्माण कार्य की अनुमति केवल मिट्टी का भार वहन करने की क्षमता के दृष्टिगत ही दी जानी चाहिए। सड़कों की मरम्मत या अन्य किसी प्रकार के निर्माण कार्य किसी भी स्थिति में पहाड़ों को खोदकर अन्यथा विस्फोट करके नहीं किये जाने चाहिए। भूस्खलन प्रभावित इलाकों में पत्थरों और बड़े शिलाखंडों को पहाड़ी की तलहटी से नहीं हटाया जाना चाहिए क्योंकि इससे पहाड़ को मिलने वाली मजबूती खत्म होती है। 47 बरस पहले की इस रिपोर्ट को सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया और आज जोशीमठ पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
चमोली जिला प्रशासन के अनुसार यहाँ 3900 आवासीय मकान और 400 व्यावसायिक भवन है। एक ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर का विध्वंस सरकार द्वारा बरती गई लापरवाही के कारण भुगत रहे हैं। फरवरी 2021 में इसी इलाके में भयंकर बाढ़ की आपदा को अभी तक लोग भूले नहीं है। जोशीमठ से मात्र 22 किलोमीटर की दूरी पर बसे गांव रैणी, जोशीमठ, नंदा देवी नेशनल पार्क और यहां बन रही तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना को इस बाढ़ ने तबाह कर दिया था। इस तबाही में 200 लोगों की जानें चली गई थी। पर्यावरणविद काफी समय से सरकार को इस क्षेत्र की भौगोलिक संवेदनशीलता को जताते रहे लेकिन सरकार नजरअंदाज करती रही।
आखिर क्यों रिपोर्ट की जानकारी होने के बावजूद निर्माण कार्य की मंजूरी दी गई? और रिपोर्ट पर प्रशासन ने संज्ञान क्यों नहीं लिया? क्यों लोगों की जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया?
2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई एक वैज्ञानिक कमेटी ने इस क्षेत्र के बड़े डैम और बड़ी विद्युत परियोजना पर रोक लगाने की सिफारिश की थी लेकिन केंद्र सरकार ने इस समिति की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया। देहरादून स्थित “पीपल्स साइंस इंस्टीट्यूट” के निदेशक डॉ रवि चोपड़ा जो इस समिति के सदस्य थे इस बाबत लगातार अपना प्रतिरोध दर्ज कराते रहे हैं।