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महिला जगत

जलता मणिपुर

मणिपुर जल रहा है काफी समय से जल रहा है, लगातार हिंसा की खबरें आ रही हैं। दो समुदाय मैतेई और कुकी के बीच होने वाले संघर्ष का नतीजा है सुलगता मणिपुर। वहाँ भाजपा की सरकार है लेकिन वहां की सरकार ने जनता का भरोसा खो दिया है। केंद्र सरकार की लगातार चुप्पी और नजरअंदाजी ने लोगों में रोष उत्पन्न कर दिया हैं। मन की बात के प्रसारण के समय वहां की जनता ने रेडियो तोड़कर अपना क्रोध प्रदर्शित किया। पूरी मन की बात में मणिपुर के लिए एक शब्द भी नहीं कहा गया था। बड़ी बात यह है कि वहां से मंत्री, विधायकों ने प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा लेकिन समयाभाव के कारण प्रधानमंत्री जी मिल नहीं सके। राज्यसभा सांसद के. वेनलेलवना ने  राष्ट्रपति शासन की मांग की। इतने लंबे समय तक सरकार के चुप रहने की क्या वजह हो सकती है? क्या यह जरूरी मुद्दा नहीं था कि मणिपुर की समस्या का शीघ्रातिशीघ्र समाधान किया जाए? अनगिनत लोगों का नरसंहार हो चुका है। मणिपुर राज्य सरकार के मंत्री के घर पर हमला बोल दिया और उनके निजी गोदाम और वहां खड़ी दो गाड़ियों को आग लगा दिया गया। और तो और मणिपुर के विधायकों को अपने ही मुख्यमंत्री पर भरोसा नहीं रह गया है तो फिर राष्ट्रपतिशासन क्यों नहीं लागू किया जा रहा है? दो समुदाय मिलकर लगातार उत्पात मचाये हुये हैं। पृष्ठभूमि यह है कि मणिपुर में तीन समुदाय है कुकी, नागा और मैतेई। कुकी और नागा आदिवासी समुदाय है तो वहीं मैतेई आदिवासी नहीं है। मैतेई और आदिवासियों के बीच मौजूदा संघर्ष पहाड़ी बनाम मैदानी विस्तार का संघर्ष है। मैतेई मणिपुर में बहुसंख्यक समुदाय है जबकि आदिवासी समुदायों की आबादी लगभग 40% से भी कम है। नागा और कुकी जनजातियों को एसटी की सूची में शामिल किया गया है, अधिकांश मैतेई समुदाय के लोगों को ओबीसी का दर्जा प्राप्त है और उनमें से कुछ को एससी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। मैतेई समुदाय की मांग 2012 से जोर पकड़ रही है और इसे मुख्य तौर पर शैडयूल्ड ट्राइब्स डिमांड कमेटी आफ मणिपुर (STDCM)उठाती रही है। 1949 में मणिपुर के भारत में शामिल होने से पहले तक मैतेई समुदाय को जनजाति माना जाता था, भारत में मिलने के बाद यह दर्जा उनसे छिन गया। हाल ही में हाईकोर्ट में जब एसटी का दर्जा देने का मामला उठा तो दलील दी गई कि मैतेई समुदाय की पैतृक भूमि, परंपराओं, संस्कृति और भाषा की रक्षा के लिए एसटी का दर्जा दिया जाना जरूरी है।
विरोध की कई वजह हैं मगर सबसे अहम यह है कि मैतेई समुदाय का आबादी और राजनीतिक प्रतिनिधित्व दोनों ही मामलों में खासा प्रभुत्व है। राज्य विधानसभा की 60 में से 40 सीटें मैतेई समुदाय से आती हैं। ऐसे में जनजातियों को डर है कि यदि मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा मिल गया तो उनके लिए रोजगार के अवसर कम हो जाएंगे।
शैडयूल्ड ट्राइब्स डिमांड कमेटी आफ मणिपुर (STDCM) का कहना है कि राज्य की आबादी में मैतेई समुदाय का हिस्सा घट रहा है। 1951 में जहाँ यह कुल आबादी का  59% थे वहीं 2011
की जनगणना में ये घटकर 44% रह गये। मैतेई यह भी दावा करते हैं कि एसटी दर्जे की मांग के खिलाफ हिंसक विरोध सिर्फ एक दिखावा है। उनका वास्तविक लक्ष्य वन भूमि का सर्वेक्षण और संरक्षित क्षेत्र से अवैध अप्रवासियों को बेदखल करना है।
केंद्र सरकार चुप्पी क्यों साधे हुये है और गृहमंत्री ने इतनी देर से क्यों सुध ली? मंत्रीगणों से मिलने के बाद भी समस्या का समाधान सिफर रहा? अमित शाह के दौरे के बाद मुख्यमंत्री ने कुकी और मैतेई समुदाय से हथियार डालने की अपील की। मणिपुर में इस समय भीड़ का शासन चल रहा है और दशकों में बनाई गई संपत्तियां नष्ट हो रही है। स्थानीय अधिकारी स्थिति को नियंत्रित नहीं कर पा रहे हैं और लोगों का पलायन जारी है। काफी समय बाद अमित शाह की सर्वदलीय बैठक बुलाई लेकिन नतीजा कुछ नहीं आया। प्रधानमंत्री से मनोज मुंतशिर मिल सकते हैं लेकिन उनके अपने मंत्री और विधायक नहीं? यह कैसा दोहरापन है? इस चुप्पी के कारण मणिपुर और कितना जलेगा?

~प्रियंका वर्मा महेश्वरी

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एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज में पहले आओ पहले पाओ की नीति से प्रवेश

कानपुर 10 जुलाई भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज में पहले आओ पहले पाओ की नीति द्वारा प्रवेश प्रक्रिया चल रही है ।बी. ए., बी . एस. सी.(ZBC) , बीबीए, बीसीए, बीकाम, एम. ए. -हिन्दी , समाजशास्त्र, शिक्षाशास्त्र,अर्थशास्त्र, कला, मनोविज्ञान,कक्षाओं में प्रवेश हेतु आवश्यक समस्त सुविधाएं एक ही स्थान पर महाविद्यालय सभागार में उपलब्ध हैं, प्रेक्षागृह में प्रवेश समिति के अतिरिक्त बैंक प्रतिनिधि ऑनलाइन फ़ीस जमा करने हेतु उपलब्ध हैं साथ ही महा विद्यालय प्रतिनिधि फी स्लिप तथा एडमिशन नंबर के प्रिंटआउट देने हेतु अलग से कंप्यूटर प्रिंटर सेटअप के साथ उपलब्ध हैं । प्रवेश समिति छात्राओं की समस्याओं के निस्तारण हेतु सुबह 10 बजे से सांय 3 बजे तक निरंतर उपलब्ध है। प्रवेश प्रक्रिया को सुलभ बनाने हेतु एक ही छत के नीचे सभी सुविधाएँ उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है जिसपर प्रति छात्रा १५ रूपये का खर्च महाविद्यालय वहन कर रहा है।
महाविद्यालय में छात्राओं को सुरक्षित तथा उत्तम शैक्षिक वातावरण प्रदान किया जाता है जहां उन्हें सीखने के नित नए अनुभव मिलते हैं। उन्नत प्रयोगशाला, प्लेसमेंट सेल,काउंसलिंग सेल आदि छात्राओंको रोज़गार के अवसर प्रदान करता है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु वर्तमान समय में आवश्यक रणनीति पर शिक्षिकाओं द्वारा छात्राओं को निर्देशन प्रदान किया जाता है।

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 नारायण राणे ने महिला उद्यमियों के लिए ‘चैंपियंस 2.0 पोर्टल’, ‘क्लस्टर परियोजनाओं, प्रौद्योगिकी केंद्रों की जियो-टैगिंग के लिए मोबाइल ऐप’ और ‘एमएसएमई आइडिया हैकथॉन 3.0’ लॉन्च किया।

अंतरराष्ट्रीय एमएसएमई दिवस के अवसर पर, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, एमएसएमई ने आज यहां ‘उद्यमी भारत-एमएसएमई दिवस’ मनाया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री श्री नारायण राणे और केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री श्री भानु प्रताप सिंह वर्मा सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

 

 

 

 

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि द्वारा एमएसएमई मंत्रालय की विभिन्न पहलों का शुभारंभ किया गया, जो एमएसएमई के विकास के लिए समर्पित हैं।  जैसे ‘चैंपियंस 2.0 पोर्टल’ और ‘क्लस्टर परियोजनाओं और प्रौद्योगिकी केंद्रों की जियो-टैगिंग के लिए मोबाइल ऐप’। इसके अलावा, ‘एमएसएमई आइडिया हैकथॉन 2.0’ के परिणाम घोषित किए गए और महिला उद्यमियों के लिए ‘एमएसएमई आइडिया हैकथॉन 3.0’ लॉन्च किया गया।

सभा को संबोधित करते हुए श्री नारायण राणे ने देश की जीडीपी और निर्यात में एमएसएमई के महत्व पर जोर दिया और उम्मीद जताई कि एमएसएमई 2030 तक देश की जीडीपी में 50% का योगदान देगा। उन्होंने कार्यक्रम की सफलता पर सभी स्टेक होल्डर्स को बधाई दी और सभी से इस दिशा में कदम उठाने का आग्रह किया। भारत को 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना।

देश की अर्थव्यवस्था के विकास में भारतीय एमएसएमई की भूमिका की सराहना करते हुए, श्री भानु प्रताप सिंह वर्मा ने कहा कि 2014 के बाद से, भारत की जीडीपी रैंकिंग में 10वें से 5वें स्थान पर महत्वपूर्ण उछाल देखा गया है।

इस अवसर पर दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने गोल्ड और सिल्वर जेड-सर्टिफाइड एमएसएमई को प्रमाण पत्र वितरित कर उद्यमियों को प्रेरित किया। आयोजन के दौरान नई प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) इकाइयों के 10,075 लाभार्थियों को डिजिटल रूप से 400 करोड़ मार्जिन मनी सब्सिडी भी जारी की गई।

इस कार्यक्रम में निम्नलिखित संगठनों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी शामिल थे।

  • एमएसएमई और सिडबी मंत्रालय, सिडबी द्वारा ‘पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान’ (पीएमवीआईकेएएस) के लिए एक पोर्टल बनाएगा।
  • एमएसएमई और जीईएम मंत्रालय डेटा साझा करने के उद्देश्य से सार्वजनिक खरीद इको-सिस्टम में एमएसएमई के अंतिम मील पंजीकरण के लिए जीईएम के साथ उद्यम पंजीकरण कराएगा।
  • एमएसएमई मंत्रालय और उद्योग विभाग, त्रिपुरा सरकार, एपीआई के माध्यम से उद्यम पंजीकरण डेटा साझा करने, नीति निर्माण को आसान बनाने और योजना लाभों के लक्षित वितरण के लिए।
  • एमएसएमई क्षेत्र के लाभार्थियों को गारंटी कवरेज देने के लिए एमएसएमई मंत्रालय और सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई)।
  • राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी) और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम (एनएसएफडीसी) और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम (एनएसटीएफडीसी), राष्ट्रीय एससी-एसटी हब और विभिन्न योजनाओं के तहत एससी/एसटी उद्यमियों को समर्थन देने के लिए आपसी सहयोग को बढ़ावा देंगे। एनएसएफडीसी और एनएसटीएफडीसी द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • एनएसआईसी, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर स्किल काउंसिल ऑफ इंडिया एनटीएससी चेन्नई और हैदराबाद में एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित करेंगे।

कार्यक्रम में एमएसएमई मंत्रालय की योजनाओं और पहलों पर प्रकाश डाला गया। इसने एमएसएमई के लिए कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने की दिशा में मंत्रालय के प्रयासों को प्रदर्शित किया और एमएसएमई को टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

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डी जी कॉलेज द्वारा मनाया गया 9वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

कानपुर 22 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, डी जी कॉलेज, कानपुर राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के दिशा निर्देशन में एनएसएस ग्रुप लीडर्स और स्वयं सेविकाओं तथा छात्राओं ने सर्वप्रथम ग्रीन पार्क स्टेडियम मे प्रशासन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सक्रिय सहभागिता की गई। वहां सभी छात्राओं को योग दिवस की टी-शर्ट का वितरण भी प्रशासन के द्वारा किया गया। यहां आयोजित कार्यक्रम में कुल 200 छात्राओं ने प्रतिभागीता की। तत्पश्चात समस्त एनएसएस वॉलिंटियर्स ने विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 75 गांव में योगा कार्यक्रम के अंतर्गत महाविद्यालय इकाई द्वारा अधिग्रहित मलिन बस्ती अस्पताल घाट में जाकर बस्तिवासियों को योग और प्राणायाम के लाभों से अवगत कराते हुए सभी से प्रतिदिन योग और प्राणायाम करने का आग्रह किया ताकि वह निरोग रह कर अपने दिन प्रतिदिन के कार्यों का संचालन भली-भांति कर सके तथा राष्ट्र के विकास में अपना भरपूर सहयोग कर पाए। यहां आयोजित कार्यक्रम में छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर से मनोनीत योगाचार्या कु. अंजलि त्रिवेदी के द्वारा छात्राओं तथा बस्ती वासियों को योग व प्राणायाम के विभिन्न आसनों का अभ्यास कराया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय प्राचार्या प्रो अर्चना वर्मा, डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ मिथलेश गंगवार, कु अनुराधा समेत समस्त स्वयं सेविकाओं तथा बस्तीवासियों की सक्रिय सहभागिता सराहनीय रही। अंत में कार्यक्रम अधिकारी द्वारा जलपान वितरण करवाया गया एवम सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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एस० एन० सेन बा० वि० पी० जी० कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भव्यता एवम उत्साह के साथ संपन्न

कानपुर 22 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, 9 वां अंतराष्ट्रीय योग दिवस- योग शिविर 2023 अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में शासन के निर्देशानुसार पूरा भारतवर्ष ही योगमय हो गया है और इसी भव्य उपलक्ष्य में कानपुर नगर के एस० एन० सेन बा० वि० पी० जी० कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को पूरी भव्यता एवम उत्साह के साथ, एन०एस०एस०, एन०सी०सी०, रेंजर रोवर्स एवम शिक्षणोत्तर कर्मचारियों द्वारा सम्पन्न किया गया।
इस योग दिवस के अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्या ने बड़े उत्साह से महाविद्यालय की एन०एस०एस० इकाई द्वारा काकोरी ग्राम में आयोजित योग शिविर में प्रतिभाग किया, साथ ही 50 से अधिक ग्राम-वासियों तथा स्वयं सेविकाओं ने भी प्रतिभाग किया। सूक्ष्म योग के द्वारा ग्राम वासियों को प्रतिदिन योग करने के लिए जागरूक एवं प्रोत्साहित किया।
शासन द्वारा निर्देशित कार्यक्रमों की कड़ी में नगर के भव्य आयोजन स्थल ग्रीन पार्क स्टेडियम में 50 से अधिक रेंजर रोवर्स तथा एन०सी०सी० के छात्राओं ने उत्साह पूर्वक प्रतिभाग किया गया।
महाविद्यालय में शासन ऐवम यूनिवर्सिटी के निर्देश का पालन करते हुए, (वृहद) तीन कार्यक्रमों द्वारा योग दिवस को उत्साहपूर्वक, सम्पूर्ण जागरूकता व उत्साह के रूप में सम्पन कराया गया।प्राचार्य प्रो सुमन, एन एस एस प्रभारी प्रो चित्रा सिंह तोमर , सह प्रभारी डा प्रीति सिंह ने काकोरी बस्ती तथा महाविद्यालय शिक्षनेत्तर कर्मचारियों का नेतृत्व किया एवं, प्रो निशा अग्रवाल और प्रो अलका टंडन ने ग्रीन पार्क में छात्राओ की अगुवाई की

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भाव और विश्वास इन्सान की खुद के अंतर मन की उपज है

दोस्तों ! ज़िन्दगी बहुत ही सरल और सीधी है हम लोगों ने ही उसे मुश्किल बना रखा है किसी भी चीज़ को पाना हो अगर ,तो पहले विश्वास करना पढ़ता है।चाहे वो दुनिया की कोई खुवाईशात हो या रब को पाने की चाहत ..बात सिर्फ़ विश्वास की है।
ऐलिस मेरी सहेली स्पेन से मुझे मिलने आ रही थी।ऐयरपोर्ट पर काफ़ी इंतज़ार के बाद मैं अपने डाईवर को गाड़ी पार्किंग में पार्क करने के लिए फ़ोन करने ही वाली थी कि पीछे से ज़ोर से आवाज़ सुनाई दी। हाय स्मिता !
मैंने मुड़ कर देखा।ऐलिस भागती हुई आई और मेरे गले लग गई। मेरी सहेली ऐलिस जो मेरे ही शहर में रहा करती थी फिर कुछ सालों बाद वो स्पेन चली गई।मैंने कहा !कैसी हो ऐलिस ? कैसा रहा सफ़र ?इतने सालों बाद मिल रही हो।दुबली भी हो गई हो।मेरे गले में बाँहें डाल कर बोली !जल्दी से मुझे घर चलो ।बहुत थक गई हूँ ।फिर आराम से बातें करते हैं।उसने अपना बैग उठाया और हम गाड़ी में बैठ कर घर आ गये। बड़ी ख़ुश थी मुझे मिल कर।कहने लगी मुझे बहुत इन्तज़ार था तुम से मिलने का।घर आ कर चाय का प्याला ले कर हम दोनों बैठ गये। मैंने पूछा ! कैसे आना हुआ इस बार ? ऐलिस ने लम्बी सी साँस ली और कहने लगी !टूट सी गई हूँ अब तो।मेरी स्पेन की नौकरी चली गई ,जो बिज़नेस था वो चल ही नहीं सका।सोचा शादी कर लूँ उसके लिए मुझे कोई ढंग का लड़का ही नहीं मिल पाया।मेरी गाड़ी का भी पिछले महीने ऐकसीडैंट हो गया मैं उदास हो गई थी ,सोचा इंग्लैंड हो कर आती हूँ ,तुम्हें भी मिलना हो जायेगा और अपने भाई से भी स्कॉटलैंड में मिल लूँगी।रात को देर तक बैठे बातें करते रहे ।सुबह पता नहीं क्या मेरे मन में आया।मेरे घर में मंदिर बना हुआ है जहां एक क्षीं यंत्र पड़ा था। लोग बहुत तरहां से रब की भक्ति करते हैं मगर मैं भाव से भक्ति में विश्वास करती हूँ ,न की कर्मकांड पर या यूँ कह सकती हूँ कि मुझे भक्ति करना आता ही नहीं। रब को रिझाना कैसे हैं शायद जानती ही नही मैं ।मैंने कहा ऐलिस ये क्षीं यंत्र तुम ले जाओ किसी महात्मा ने मुझे दिया था और मैंने थोड़ा सा कुम कुम उसे दे दिया और कहा कि रोज़ क्षीं यंत्र के ऊपर कुम कुम का अभिषेक कर दिया करना ,शायद तुम्हारे सब काम ठीक हो जाए।किसी महात्मा ने ऐसा ही कहा था मुझे ये यंत्र देते हुए।ये क्षीं यंत्र मुझे महात्मा जी ने शायद तुम्हारे लिये ही दिया हो।कह कर मैंने क्षीं यंत्र उसे दे दिया। ऐलिस अगले दिन की फ़्लाइट से अपने भाई से मिलने स्कॉटलैंड चली गई। वक़्त गुजरने लगा। पाँच साल हो चुके थे।इक रोज़ ऐलिस का फ़ोन आया कि स्मिता मैं तुम्हारे शहर में हूँ ,तुम्हें मिलने आ रही हूँ ।मैं हैरान थी आज एकदम अचानक से कैसे?उसी शाम ऐलिस घर आई।बेहद खुश थी मैंने पूछा !
कैसी हो? कहने लगी मैं बहुत खुश हूँ मेरा बिज़नस बहुत अच्छा हो गया है अब मुझे नौकरी की कोई ज़रूरत नहीं रही। घर भी ले लिया मैंने। नई गाड़ी भी ले ली है।और आज से तीन महीने बाद मेरी शादी है उसी का इन्वाइट देने आई हूँ तुम्हें।
मैं आजकल देश विदेश बहुत ट्रैवल करती हूँ और कहने लगी !
जहां भी जाती हूँ तुम्हारा दिया हुआ यंत्र साथ ले जाती हूँ।माई डियर फ्रैंड!ये सब तेरी वजह से हुआ है ,मैं हैरान थी ये सुन कर।मैंने पूछा !
मेरी वजह से ? कहने लगी !
हाँ हाँ तुम्हारी वजह से ही मैं सब कुछ वापस पा सकी।फिर बताने लगी तुम्हारा दिया हुआ क्षीं यंत्र मैं हर जगह ले कर जाती हूँ जैसा तुमने कहा था वैसे ही क्षीं यंत्र का अभिषेक करती हूँ। सब ठीक हो गया मेरा।ख़ुशी से उसने मुझे गले से लगा लिया ।कहने लगी !तुम मेरी बहुत स्पेशल सहेली हो। मैं उसकी ख़ुशी से बहुत खुश हो भी रही थी।ऐलिस जल्दी से एक बैग में से क्षीं यंत्र निकाल कर मुझे दिखाने लगी और एक पैकेट भी दिखाया। मैंने पूछा !ऐलिस ये क्या है ?कहने लगी !ये कुमकुम है।
मैंने पूछा कहाँ से ये लिया तुमने ? कहने लगी! ये तो हर गरोसरी शाप पर होता है। तुम्हारा दिया कुम कुम मेरे पास ख़त्म हो गया था तो मैं स्पेन में इक गरोसरी शाप पर गई। वहाँ का शाप ओनर स्पैनिश है। उसने कहा तुम ये ले ज़ाया करो ,ये भी लाल रंग का पाउडर है ,बस फिर क्या था मेरा काम बन गया।
मेरी आँखें नम हो रही थी उसकी बात सुन कर, उसकी मासूमियत देख कर और रब की मेहरबानियाँ देख कर ..असल में दोस्तों !
वो कुम कुम था ही नहीं ।
वो जो क्षीं यंत्र पर लगाया करती थी। वो लाल मिर्ची का पाउडर था। उसकी बातें सुन कर यहाँ ये समझ में आया मुझे कि उसे जो मिला है उसे उसके विश्वास से मिला है।उसने मुझ पर विश्वास करके मुझ से कुम कुम लिया और फिर उस स्पैनिश गरोसरी वाले इन्सान पर भरोसा किया ।ऐलिस का अपना ही विश्वास था कि सब ठीक हो जायेगा और हुआ भी।यहाँ इक और बात साफ़ हो गई भगवान को भाव व विश्वास चाहिए और कुछ नहीं।और हम इन्सान ही है जो कहते है ये करो ,वो करो ,तो ही काम होगा। मंत्र सही से नहीं किया तो काम ख़राब हो जायेंगे।भगवान को केवल भाव ,विश्वास ही प्रिय है ये दूध,दही,हल्दी,फल,फूल,धूप
बाती,तेल घी शहद जो भी हम भगवान को अर्पित करते हैं ,इसे हम पहले कहीं से ख़रीदते हैं या यूँ कह लीजिए ये सब भगवान के अपने ही बनाये हुये हैं।उसकी बनाई चीजों को ही भगवान पर अर्पित कर देते है और इसके विपरीत ..भाव और विश्वास ये दोनों चीजें खुद इन्सान की अपने अंतर मन की उपज है। ये वाक़या अपने आप में सब कुछ कह रहा है मुझे ज़्यादा कुछ कहने की ज़रूरत ही नहीं।
दोस्तों।अगर आप का मन साफ़ सरल और छल कपट से दूर है ,यकीन कर सकता है विश्वास करता है तो ये मान कर चलो कि इक रोज़ वो सब होगा ….जैसा आप चाहते हैं
लेखिका स्मिता ✍️

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महिला सम्मान सिर्फ एक दिखावा

यह बहुत दुख की बात है कि हमारे देश का गौरव बढ़ाने वाली बेटियां अपने सम्मान (मेडल) को गंगा में बहाने की बात कही। इनकी आहत भावना और सरकार द्वारा किया जा रहा उपेक्षा पूर्ण व्यवहार न्याय की गुहार लगाती खिलाड़ियों में असंतोष की भावना उत्पन्न कर रही है। पुलिस द्वारा बलपूर्वक किया गया अनुचित आचरण लोगों के मन से व्यवस्था और न्याय पर से भरोसा खत्म कर रहा है।भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण सिंह की गिरफ्तारी की मांग पर जंतर मंतर पर बैठी महिला पहलवानों की बात क्यों नहीं सुनी जा रही है? इससे पहले महिला खिलाड़ियों ने बेरीकेड्स तोड़कर नये संसद भवन की ओर बढ़ने का प्रयास किया जिससे और खिलाड़ियों के बीच हाथापाई हो गई और पुलिस ने उनके प्रदर्शन पर रोक लगा दिया और कहा कि उन्हें किसी अन्य जगह पर प्रदर्शन की इजाजत दी जा सकती है लेकिन जंतर मंतर पर नहीं। बृजभूषण सिंह पर एक नाबालिग सहित महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप है। मामला कुछ भी हो मगर न्याय के लिए भटकती खिलाड़ियों की बात सुनी जानी चाहिए। खाप पंचायतें बैठकें तो कर रही हैं लेकिन उनका कोई निर्णय सामने नहीं आ रहा है।

1983 में विश्व कप जीतने वाली टीम ने साझा बयान जारी कर महिला खिलाड़ियों को अपना समर्थन दिया है। इंडियन एक्सप्रेस ने भी इस खबर को प्रमुखता से छापा है। बेटी बचाओ का नारा देने वाली सरकार इन्हें अनदेखा क्यों कर रही है? और महिला नेत्राणियों ने भी इस मसले पर चुप्पी क्यों साध रखी है? क्या सिर्फ एक फोटो खिंचवाने तक ही बेटियों का सम्मान था ? ऐसे तमाम सवाल है जो सरकार के ऊपर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं? क्या बेटियाँ यूं ही अपमानित होती रहेंगी?

जमीर जागने में वक्त तो लगता है
हौसले पस्त ना हो तो उम्मीद का दिया जलते रहता है

प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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मिशन लाइफ के अंतर्गत डी जी कॉलेज में मनाया गया विश्व पर्यावरण दिवस

भारतीय स्वरूप संवाददाता, विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज में सेंचुरी क्लब, विजन कानपुर@2047 द्वारा *मिशन लाइफ – पर्यावरण संरक्षण* के मुद्दे को ध्यान मे रखते हुए छात्राओं के द्वारा पोस्टर बनाकर आसपास के लोगों को जागरूक किया गया। महाविद्यालय सेंचुरी कलब कोऑर्डिनेटर डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में एक जागरूकता रैली भी निकाली गई।
प्राचार्या प्रो अर्चना वर्मा जी ने अपने उद्बोधन में छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमे वन संरक्षण हेतु चिपको आंदोलन की प्रणेता अमृता देवी को कभी नहीं भूलना चाहिए तथा यथासंभव पेड़ों को कटने से बचाने, नए पौधों को आरोपित व उनका पालन-पोषण करना चाहिए। छात्राओं के द्वारा बस्ती वासियों को हरित घर की संकल्पना बताते हुए 5 मुख्य मुद्दों- वृक्षारोपण, जल संरक्षण, कचरे के वर्गीकरण, निस्तारण एवं चक्रण, पॉलिथीन मुक्त पर्यावरण लिए इकोब्रिक्स बनाकर विभिन्न उपयोगी सामग्री बनाने के लिए उनका प्रयोग करने व जीव-जंतु संरक्षण तथा ऊर्जा की बचत की ओर उन्मुख व अभिप्रेरित किया। डॉ सिरोही ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि मिशन लाइफ के अंतर्गत व्यक्तिगत _ छोटे-छोटे प्रयासों के द्वारा पृथ्वी पर जीवन को सुरक्षित रखा जा सकता है। उन्होंने अपने व्याख्यान में वेदो का भी उल्लेख किया जिनमें संपूर्ण जैव- जगत, जल, वायु, अग्नि, आकाश, पृथ्वी, पेड़-पौधों आदि को देव स्वरूप मानकर पूजा करना मनुष्य का धर्म बताया गया था। यह सब पर्यावरण संरक्षण के ही उपाय है। कार्यक्रम में महाविद्यालय कार्यालय अधीक्षक डॉ कृष्णेंद्र श्रीवास्तव समेत डॉ नवीन, डॉ प्रजापति एवम् डॉ संचिता लक्ष्मी विशेष रूप से उपस्थित रहे । समस्त छात्राओं की सक्रिय सहभागिता उल्लेखनीय रही।

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यमनोत्री यात्रा और रोमांच

कुछ यात्राएं बेहद सुखद होती हैं जिनमें सिर्फ मौज मस्ती होती है। मंदिरों के दर्शन किया, दर्शनीय स्थल घूम लिए, बाजारों की रौनक बढ़ा ली और घूमना फिरना पूरा हो जाता है लेकिन कुछ यात्राएं रोमांचक होती है। चार धाम की यात्रा मेरे लिए किसी रोमांच से कम नहीं रही। यह एक तरह से कहा जाए तो मेरे लिए ट्रैकिंग से कम अनुभव नहीं रहा। चार धाम यात्रा में सबसे पहला पड़ाव यमुनोत्री का रहा। धार्मिक स्थलों से जुड़ी हुई यात्राएं अपने साथ कुछ ना कुछ पौराणिक कथाएं जरूर लिये हुये होती है। यमनोत्री के लिए कहा जाता है कि सूर्य देव की पुत्री युमना और पुत्र यमराज है। जब मां युमना नदी के रूप में पृथ्वी पर बहने लगी तो उनके भाई यमराज को मृत्यु लोक दिया गया। मां यमुना ने भाई दूज का त्योहार मनाया और यमराज ने मां गंगा से वरदान मांगने के लिए बोला। यमराज ने बहन यमुना की बात को सुनकर वरदान दिया जो कि तेरे पवित्र जल में स्नान करेगा वह कभी भी यमलोक का रास्ता नहीं देखेगा। इसीलिए कहा जाता है कि जो भी इस जल में स्नान करता है वह अकाल मृत्यु के भय से दूर रहता है और इसी वजह से हजारों लोग दर्शन के लिए आते हैं। यमनोत्री उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 3235 मी. ऊँचाई पर स्थित है।

उत्साह, रोमांच, कड़ाके की ठंड और हल्की बारिश के साथ यात्रा की शुरुआत हुई। चढ़ाई बहुत ज्यादा नहीं थी सिर्फ छह किलोमीटर की थी लेकिन चढ़ाई पूरी करने में बहुत शक्ति लगी और यदि खड़ी चढ़ाई हो तो दिक्कत ज्यादा होती है। एक किलोमीटर चढ़ाई मतलब एक घंटा। हमारी यात्रा की शुरुआत जानकीचट्टी से शुरू हुई। मुझे धीरे धीरे समझ में आने लगा यह चढ़ाई इतनी आसान नहीं है। मैं ऊपर देखते जाती और सोचते जाती कि कैसे और कब यह चढ़ाई पूरी होगी। एक बारगी मन में खयाल आया कि पालकी कर ली जाए लेकिन भीड़ का नजारा देखकर इरादा छोड़ दिया, जबकि लोगों को मैंने कहते हुए सुना कि भीड़ तो अभी शुरू ही नहीं हुई है। चढ़ते – चढ़ते पालकी वाले साइड साइड चिल्लाते हुए बाकायदा दौड़ लगा रहे थे। घोड़े वाले भी इसी तरह हांक लगाते हुये चल रहे थे। पिट्ठू माताजी माताजी बोलकर अपनी जगह बना रहे थे और पैदल यात्री अपने आप को इन सबसे बचाता हुआ अपनी यात्रा तय कर रहा था। रास्ता छोटा और जगह-जगह पहाड़ी पत्थर निकले हुए थे जिन से अपने आप को बचाना पड़ता था। हर कुछ दूरी पर चाय कोल्डड्रिंक और खीरे वाले बैठे थे।
चढ़ते चढ़ते पहाड़ों का मनमोहक दृश्य आंखों और कैमरे में कैद करते जा रही थी मैं। पहाड़ों से बहते हुये झरने, जमी हुई बर्फ, कोई कोई तो पूरा पहाड़ ही बर्फ से ढका हुआ, बादल सब कुछ अद्भुत था। फोटो में देखना, फिल्मों में देखना और जीवंत देखना एक अलग अनुभव रहा। मेरी यात्रा कभी ना भूलने वाली यात्रा रही जिसमें डर के साथ रोमांच भी रहा। डर इसलिए क्योंकि पहाड़ के दूसरी ओर खाई थी और कहीं रेलिंग थी तो कहीं नहीं थी। जरा सा धक्का लगा और आप नीचे। बारिश और फिसलन के कारण मैं कछुआ गति से धीरे-धीरे चढ़ती जा रही थी और मन ही मन सोच रही थी कि नीचे उतरुंगी तो पालकी से ही। मैंने ऊपर देखना छोड़ दिया और चलते रही जब तक मंजिल नहीं आ गई। आखिरकार चढ़ाई पूरी हुई और जान में जान आई। भीड़ के बीच में घुसकर यमुनोत्री माता के दर्शन किए। यहाँ पर पानी के मुख्य स्रोतों में से एक सूर्यकुण्ड है जो गरम पानी का स्रोत है। भूगर्भ से उत्पन्न नब्बे डिग्री तक गर्म पानी के जल का कुंड सूर्य-कुंड है और पास ही ठन्डे पानी का गौरीकुंड यहाँ सबसे उल्लेखनीय स्थल हैं| कुछ देर वहां रुककर फोटो शूट किया और फिर वापसी शुरू हो गई।
जिस तरह से पालकी और घोड़े वाले बदमाशी कर रहे थे मतलब बाकायदा धक्का देकर वो आगे बढ़ रहे थे, पैदल यात्रियों को परेशान कर रहे थे, घोड़े को खींचकर ले जा रहे थे। एक पालकी वाले ने एक महिला को गिरा दिया, तो कुछ दूरी पर एक घोड़ा गिर गया। फिसलन के कारण यात्री घोड़े और पालकी वालों से झगड़ा कर रहे थे। यह सब देखकर पालकी पर सवार होने की हिम्मत जवाब दे गई और मैं फिर से कछुए की गति से नीचे उतरने लगी। इस छह किलोमीटर की चढ़ाई में करीब छह घंटा लगा। ऊपर भी बारिश और ओले पड़ रहे थे।
इतनी बड़ी और कठिन यात्रा में व्यवस्था का होना बहुत जरूरी है। पैदल यात्रियों के लिए अलग से चलने की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि वह किसी हादसे का शिकार ना हो। मंदिर में दर्शन करने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं दिखी। एक भीड़ जिसमें धक्का मुक्की ज्यादा थी। वहाँ पुलिस प्रशासन व्यवस्था मूक दिखाई दे रही थी। कहीं कोई लाइन की व्यवस्था नहीं जो कि सही नहीं है। इतनी बड़ी और मेहनत से चढ़ाई के बाद दर्शन करने के बजाय लड़ाई झगड़ा धक्का मुक्की शोभनीय नहीं है। एक बड़े धाम के रूप में चर्चित यमुनोत्री में समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।

प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज में सेंचुरी क्लब, विजन कानपुर@2047 के अंतर्गत महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य के अंतर्गत सरोज देवी फाउंडेशन के सहयोग से मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया गया

कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर में सेंचुरी क्लब, विजन कानपुर@2047 के अंतर्गत महिलाओं की सुरक्षा, स्वावलंबन व सशक्तिकरण के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए सरोज देवी फाउंडेशन के सहयोग से मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया गया। इस दिन पूरी दुनिया में ‘मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ मनाया जाता है। 2014 में जर्मन के ‘वॉश यूनाइटेड’ नाम के एक एनजीओ ने इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य – लड़कियों और महिलाओं को महीने के उन 4-5 दिन यानी मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता रखने के लिए जागरूक करना है।
महाविद्यालय सेंचुरी क्लब समन्वयक डॉ संगीता सिरोही ने बताया कि सरोज देवी फाउंडेशन से हाइजीन एजुकेटर श्रीमती अनुपमा चौधरी ने अपने व्याख्यान में छात्राओं को मासिक धर्म के समय रखी जाने वाली सावधानियों से अवगत कराते हुए उस समय होने वाली कठिनाइयों को कम करने, संतुलित भोजन, उचित व्यायाम, आहार-विहार आदि के बारे में सुझाव दिए। इस अवसर पर एक जागरूकता रैली का भी आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से पूर्व प्राचार्य डॉ साधना सिंह, डॉ निवेदिता टंडन, आई क्यू ए सी इंचार्ज प्रो वंदना निगम, प्रो पप्पी मिश्रा, प्रो प्रज्ञा सहाय, प्रो मुकुलिका हितकारी, प्रो सुमन सिंह, प्रो स्वाति सक्सेना, डॉ कृष्णेंद्र कुमार श्रीवास्तव, स्वस्थ संसार संस्थान से श्री प्रमोद श्याम जी व उनकी टीम, सरोज देवी फाउंडेशन से श्री अरविंद चौधरी, श्रीमती संध्या एवम उनकी संपूर्ण टीम तथा समस्त छात्राओं की प्रतिभागिता सराहनीय रही।

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