कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एसएन सेन बालिका पी जी कॉलेज ने नई शिक्षा नीति के तहत शैक्षिक भ्रमण का आयोजीत किया।महाविद्यालय की ओजस्वी प्राचार्या प्रो सुमन और उन्नत दृष्टिकोण के समर्थक महाविद्यालय के सचिव पीके सेन एवं संयुक्त सचिव शुभ्रो सेन ने अपनी छात्राओं के लिए वनस्पति विज्ञान विभाग के माध्यम से इस शैक्षिक भ्रमण का आयोजन किया इस भ्रमण के अंतरगत महाविद्यालय की 90 छात्राओ ने वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष डा प्रीति सिंह डा मीनाक्षी व्यास, अवधेश एवं रिंकु सिंह के साथ लखनऊ के राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान तथा बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ़ पेलियोटीनी का भ्रमण किया। सर्वप्रथम छात्राओ ने एन बीआर आई के गार्डन में स्मेल एंड साउंड गार्डन,संरक्षणशाला, साइकेड एंड जुरासिक गार्डेन, कैक्टस हाऊस, मास हाउस , फ़र्न हाउस तथा सेंट्रल गार्डन के अतिरिक्त ऐतिहासिक १८५७ की क्रांति में अंग्रेज़ी हुकूमत के विरुद्ध प्रयुक्त बरगद के वृक्ष को देखा । छात्राओं ने हेर्बेरियम बनाने एवं संरक्षण के गुड सीखे और भारत के तीसरे बड़े वनस्पति हेर्बेरियम को देखा और एक्सपोज़िशन में नए अनुसंधानों की जानकारी प्राप्त की। दूसरे संस्थान बीएस आई पी पुरातत्व विज्ञान से संबंधित था जहां छात्राओ ने जियोलाजिकल टाइम क्लॉक , इम्प्रैशन , पेट्रिफ़िकेशन,कार्बन डेटिंग के बारे में जानकारी प्राप्त की। जो जानकारी महाविद्यालय के प्रांगण मे उपलब्ध होना असंभव था ऐसी जानकारी प्राप्त कर सभी छात्राएँ अत्यंत प्रसन्न हो शाम को महाविद्यालय लौट आयीं।
Read More »महिला जगत
डी जी कॉलेज में मिशन शक्ति के अंतर्गत कठपुतली शो द्वारा मानसिक तनाव से मुक्ति का संदेश दिया
कानपुर 25 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, डी जी कॉलेज, कानपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में मिशन शक्ति – 4.0 के तत्वाधान में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम तथा विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर तथा मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता माह के अंतर्गत आज “मानसिक स्वास्थ्य वैश्विक मानवाधिकार है” विषय पर एक कठपुतली शो का आयोजन किया गया। जिसमें जादूगर फैज तथा उनकी टीम के द्वारा छात्राओं को कहानी, कविता, गीत आदि के माध्यम से संदेश दिया गया कि आज की इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में जहां डिजिटल वर्ल्ड का प्रसार हो रहा है किस प्रकार से वे मानसिक तनाव से दूर रहकर, स्वस्थ जीवन शैली को अपनाकर अपने भविष्य के निर्माण हेतु अग्रसर हो सकती हैं तथा स्वयं के साथ-साथ परिवार व समाज के अन्य लोगों को भी मानसिक तनाव से मुक्ति के लिए किस प्रकार सहयोग कर सकती हैं। महाविद्यालय प्राचार्य प्रो अर्चना वर्मा ने कहा कि महिला सुरक्षा, सम्मान व स्वावलंबन हेतु शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ नैतिक मूल्यों तथा अच्छे विचारों का होना अत्यधिक आवश्यक है। कार्यक्रम में सेल्फ फाइनेंस डायरेक्टर प्रो वंदना निगम, कार्यालय अधीक्षक श्री कृष्णेंद्र श्रीवास्तव समेत महाविद्यालय की समस्त प्रवक्ताएं एवम् कर्मचारी उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में समस्त एनएसएस वोलंटियर्स तथा महाविद्यालय की छात्राओं ने अति उत्साह के साथ प्रतिभा किया।
Read More »एस. एन. सेन बालिका महाविद्यालय में स्नातक उत्तीर्ण छात्राओं को स्मार्ट फोन वितरित किए गए
कानपुर 23 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, उत्तरप्रदेश सरकार की स्मार्टफोन वितरण योजना (डिजिशक्ति मिशन) के अंतर्गत एस. एन. सेन बालिका महाविद्यालय वर्ष 2022 में स्नातक उत्तीर्ण छात्राओं को स्मार्ट फोन वितरित किए गए। आज के कार्यक्रम का शुभारंभ उच्च शिक्षा क्षेत्राधिकारी कानपुर मंडल रिपुदमन सिंह, महाविद्यालय सचिव पी. के. सेन, प्राचार्या प्रो. सुमन तथा संयुक्त सचिव शुभ्रो सेन के द्वारा दीप प्रज्वलन तथा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण के द्वारा किया गया मुख्य अतिथि का पुष्प गुच्छ तथा स्मृति चिन्ह के माध्यम से विधिवत् स्वागत करते हुए प्राचार्या महोदया ने उनका कोटि कोटि आभार व्यक्त किया। रिपुदमन सिंह ने छात्राओं को संबोधित करते हुए उन्हें स्मार्टफोन के स्मार्ट उपयोग करने का महत्व बताया महाविद्यालय प्रशासन की प्रशंसा करते हुए क्षेत्रीय अधिकारी ने महाविद्यालय शिक्षिकाओं को उनकी उत्साहपूर्ण कार्यशैली के लिए बधाई दी, वितरण के प्रथम दिवस को प्राचार्या प्रोफेसर सुमन तथा सचिव प्रोबीर कुमार सेन ने 147 छात्राओं को स्मार्टफोन वितरित किए। दूसरे दिन को प्रबंध समिति के सदस्य एवं प्रसिद्ध क्रिकेटर गोपाल शर्मा तथा सुरेश शर्मा ने 216 छात्राओं को स्मार्टफोन दिए। कार्यक्रम के तीसरे दिन को लगभग 200 छात्राओं को स्मार्टफोन वितरित किए गए। त्रिदिवसीय कार्यक्रम प्रोफेसर सुमन के निर्देशन में , प्रो. निशी प्रकाश एवं कैप्टन ममता अग्रवाल के संयोजन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। समस्त शिक्षिकाओं ने अपनी ड्यूटी के अनुसार कार्यक्रम में अपेक्षित सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम में शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने भी सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया।
Read More »खादी फॉर नेशन खादी फॉर फैशन पर व्याख्यान
कानपुर 21 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज कानपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर, 2023 तक चल रहे खादी महोत्सव अभियान के अंतर्गत “खादी फॉर नेशन खादी फॉर फैशन” विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही ने छात्राओं को खादी के इतिहास एवम प्रयोग करने की आवश्यकता, खादी ग्रामोद्योग, एक जिला एक उत्पाद, वोकल फॉर लोकल, आत्मनिर्भर भारत व स्किल इंडिया आदि योजनाओं के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए उन्हें खादी से बने वस्त्रो का प्रयोग एवं प्रचार प्रसार करने हेतु प्रोत्साहित किया तथा बताया कि यह किस प्रकार से विकसित भारत के निर्माण में सहायक है! इस अवसर पर छात्राओं ने खादी के वस्त्र प्रयोग करने, प्रचार प्रसार करने तथा दूसरों को खड़ी वस्त्रो का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु शपथ भी ली। कार्यक्रम में एनएसएस की समस्त वॉलिंटियर्स तथा महाविद्यालय की अन्य छात्राएं भी उपस्थित रही।
Read More »श्री दुर्गा शिक्षा निकेतन महाविद्यालय तथा नक्षत्र फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वाधान में “नई शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में शिक्षा का बदलता परिवेश” विषयक व्याख्यानमाला अयोजित
कानपुर 21 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, श्री दुर्गा शिक्षा निकेतन महाविद्यालय, देवरी रुखारा, लखनऊ के तत्त्वावधान में नक्षत्र फाउण्डेशन द्वारा “नई शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में शिक्षा का बदलता परिवेश” विषयक शैक्षिक दक्षता वृृद्धि व्याख्यानमाला की चतुर्थ प्रस्तुति का आयोजन किया गया। उक्त व्याख्यानमाला में वक्ता के रूप में डॉ खुशबू रावत (असिस्टेंट प्रोफेसर, वाणिज्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ) प्रो0 पवन अग्रवाल (प्रोफेसर, हिंदी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ), श्री महेन्द्र भीष्म (सुप्रसिद्ध कथाकार एवम रजिस्ट्रार माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय, लखनऊ पीठ) उपस्थित रहे।
महेंद्र भीष्म जी ने अपने व्याख्यान में कहा कि आज बच्चों को अपनी संस्कृति से जोड़े रखना बहुत ज़रूरी है। प्रो. पवन अग्रवाल ने अपने व्याख्यान में नई शिक्षा नीति के बिंदुओं पर प्रकाश डाला और नीति के लाभ गिनाए। डॉ. खुशबू रावत ने अपने व्याख्यान में कहा कि विद्यार्थियों को शोधपरक पढ़ाई करनी चाहिए। उक्त व्याख्यानमाला में विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा उक्त विषय से संबंधित प्रश्न भी पूछे गए। उक्त कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्रबंधक 9 कृष्णा मुरारी, प्राचार्या डॉ. सविता द्विवेदी, महाविद्यालय के समन्वयक एस. सी. पांडेय उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन डॉ रेखा यादव, डॉ ऋचा आर्या, रेखा झा, मुनीष मल्होत्रा एवं सोनम सिंह द्वारा किया गया
विक्षिप्तता पंगु होने का दूसरा रूप है
विक्षिप्तता पंगु होने का दूसरा रूप है। पंगु व्यक्ति शरीर से लाचार होता है और विक्षिप्त व्यक्ति दिमाग से लाचार। बच्चियों, महिलाओं के प्रति बढ़ते हुए अपराध सीमा लांघते हुए नजर आ रहे हैं। 10, 15, 17 साल की बच्चियां जो दुनिया को अभी ठीक से जानती भी नहीं वहशियों की दरिंदगी का शिकार हो जाती है। ऐसा नहीं है कि कानून नहीं है और नए कानून बने नहीं लेकिन यह कानून कारगर कितने हैं? न्याय मिलने में वक्त कितना लगता है? इसके अलावा उन बच्चियों का पूरा जीवन डर और समाज की घूरती और प्रश्नवाचक नजरों का सामना करते हुए बीत जाता है। शादी ब्याह में भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा क्योंकि हम अभी भी बाह्य रूप से तो बदल गए हैं लेकिन मानसिक रूप से अभी भी रूढ़िवादी हैं। अपनी सहज सुविधानुसार ही हम चीजों को अपनाते और छोड़ते हैं।
मैंने देखा है कि युद्ध में भी शिकार महिलाएं ज्यादा होती है। उनके हिस्से में बर्बरता ज्यादा आती है। अपने दुश्मन को सबक सिखाने के लिए और अपनी मर्दानगी साबित करने के लिए कमजोर निहत्थी महिलाओं को हथियार बनाया जाता है। युद्ध हो, राजनीतिक साजिशें हों या सिर्फ भोग्य नजरिया निशाना सिर्फ बच्चियां, महिलाएं ही होती हैं। अभी हाल ही में उज्जैन की घटना विचलित कर देने के लिए काफी है। दिव्या, आसिफा, ट्विंकल शर्मा यह लोगों के जेहन से उतर गयीं होगीं। उन्नाव, कठुवा, सीतापुर दुष्कर्म की घटनाएं भी लोगों के जेहन से उतर गई होगीं और ऐसी न जाने कितनी घटनाएं हैं जो हर कुछ थोड़े समय पर नजर आतीं है लेकिन लोगबाग भूल बहुत जल्दी जाते हैं। मणिपुर की घटनाएं दिल दहला देने के लिए काफी है। दोनों समुदायों द्वारा की गई हिंसा का शिकार महिलाएं ही ज्यादा रहीं हैं।
कितना अजीब होता है यह शब्द प्रेम और भरोसा। समय के साथ शायद इन सबके मायने भी बदल गए हैं। प्रेम में आंख बंद करके भरोसा करना और मर्यादा से बाहर कदम रखना मतलब आत्मघाती कदम उठाना। इस तरह के कदम ऐसी घटनाओं को अंजाम देते है। एक लड़की जो भरोसे के साथ कदम बढ़ाती है और विक्षिप्त मानसिकता के लोग उनके भरोसे को तोड़कर उसे अपमानित कर समाज में डर फैलाते हैं। इस तरह के लोग समाज के लिए कलंक है और इसे खत्म किया जाना चाहिए।
यह सही है कि कपड़ों को विक्षिप्तता से नहीं जोड़ सकते लेकिन कपड़े भी अश्लीलता के मायने तय करते हैं। बेढंगे कपड़े जिन पर हम स्त्रियों की नजर ठहर जाती है तो पुरुषों की बात ही क्या करना? और आजकल तो रील्स बनाने के नाम पर फूहड़ता बहुत फैलाई जा रही है। छोड़ी, बड़ी उम्र की महिलाएं सीमाएं लांघती नजर आ रही हैं।
विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण एक सहज प्रक्रिया है जिससे हर कोई गुजरता है लेकिन यह आकर्षण इतना ज्यादा होने लगता है कि लोग अच्छा बुरा समझना छोड़ देते हैं। 18+ वाली लड़कियां इसी आकर्षण के चलते अपने साथी पर बहुत जल्दी भरोसा भी कर लेती हैं, क्योंकि आजकल गर्लफ्रैंड को लड़के भावी पत्नी बोलते हैं जिससे उन्हें लायसेंस मिल जाता है मनचाहा कदम उठाने का और इसी चक्कर मे लड़कियां खुद का पतन कर बैठती हैं।
आज बहुत जरूरी हो गया है की लड़कियों को सेक्स, प्यार उससे होने वाले दुष्परिणाम के बारे में जानकारी दी जाए। उन्हें अपनी पारिवारिक परंपराओं और अपनी संस्कृति का ज्ञान दिया जाए ताकि ऐसा कदम उठाने से पहले वो विचार करें और सही गलत का फर्क कर सके।
आखिर क्या वजह है इस विक्षिप्तता की? अपराध पहले भी होते थे लेकिन इतने वीभत्स नहीं। और आज इंसान की जमीर, संवेदनशीलता की बात करना बेमानी है। क्या सोशल मीडिया और फिल्मों के जरिए जो गंदगी परोसी जा रही है वह जिम्मेदार है इन घटनाओं के पीछे? सस्ता मनोरंजन का परिणाम बहुत घातक होता है। लोग मानसिक रोग के शिकार होते जा रहे हैं। इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए और कानून का डर भी होना चाहिए जोकि बहुत जरूरी है।
क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय की को~करिकुलर कमेटी द्वारा एक्शन और एक्टिंग विषय पर कार्यशाला आयोजित
कानपुर 21 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय की को~करिकुलर कमेटी द्वारा दिनांक २०/१०/२०२३ से दो दिवसीय कार्यशाला का कॉलेज के प्राचार्य जोसेफ डेनियल के दिशा निर्देशन में आयोजन किया गया जिसके मुख्य वक्ता परवेज खान एक्शन और एक्टिंग गुरु मुंबई से आए इस कार्यक्रम का आयोजन डॉक्टर संजय सक्सेना समन्वयक तथा सह समन्वयक डॉ मीत कमल द्वारा कराया गया कार्यक्रम का उक्त संचालन मानवी शुक्ला द्वारा किया गया इसके साथ कार्यशाला के प्रथम दिन परवेज खान सर द्वारा एक्शन के मुख्य तत्व एवं आधारो को समझाया गया और कुछ एक्सरसाइज कराई गई उसके बाद सही माइनो एक्शन कैसे होता है उसका डेमो भी सर द्वारा प्रस्तुत किया गया इसी प्रकार की प्रक्रियाओं के साथ कार्यशाला के दूसरे दिन भी सर द्वारा कुछ एक्सरसाइज एवं एक्शन के डेमो कराए कार्यशाला में 100 से अधिक छात्र एवं छात्राओं ने प्रतिभाग किया और कार्यशाला के आखिरी दिन महाविद्यालय द्वारा सर को स्मृति चिन्ह देकर उनका सम्मान किया गया इसी के साथ 2 दिन की कार्यशाला का समापन किया गया
Read More »कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय में श्रृंखला NEP 2020 में अच्छे अंक कैसे प्राप्त करे विषय पर कार्यशाला अयोजित
कानपुर 18 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय ,स्वरूप नगर के समाजशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित की जा रही कार्यशाला श्रृंखला ,”How to get good marks in NEP 2020″ का समापन हुआ। इस कार्यशाला में NEP 2020 में अच्छे अंक प्राप्त करने वाली सीनियर छात्राओं निधि, शीतल, महक,प्रज्ञा आदि के द्वारा ने अपनी जूनियर छात्राओं से सेमेस्टर प्रणाली को समझने तथा अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए किस प्रकार से पढ़ाई करनी चाहिए इत्यादि विषयों पर गहन चर्चा की गई । कार्यशाला में छात्राओं द्वारा न्यूनतम पासिंग मापदण्ड, इंटरनल तथा एक्सटर्नल मूल्यांकन प्रणाली, सम एवम विषम सेमेस्टर परीक्षा का पैटर्न, माइनर तथा वोकेशनल विषयों के लाभ, तृतीय वर्ष (5&6 सेमेस्टर) में मुख्य विषय चयन,बैक पेपर्स की समस्या तथा सीजीपीए एवं सीजीपीए में ग्रेडिंग प्रणाली का प्रतिशत में मूल्यांकन इत्यादि संबंधी प्रश्न पूछे गए जिनका सीनियर छात्राओं एवम समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ पूर्णिमा शुक्ला द्वारा उत्तर दिया गया। कार्यशाला में महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो पूनम विज़ ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला के आयोजन से छात्राओं को अपनी सीनियर छात्राओं से पढ़ाई में गाइडेंस के साथ साथ कैरियर काउंसलिंग में भी मदद मिलेगी। इस कार्यशाला में NEP 2020 के विषय में जो विस्तृत जानकारी दी गई है उससे छात्राओं में भ्रम की स्थिति का निराकरण भी हुआ है। इस कार्यशाला के आयोजन के लिए प्राचार्या ने विभागाध्यक्ष डॉ पूर्णिमा शुक्ला की प्रशंसा की तथा छात्राओं को परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए शुभकामनाएं दी। छात्राएं इस कार्यशाला में प्रतिभाग करके बहुत उत्साहित और लाभान्वित प्रतीत कर रही है
Read More »मिशन शक्ति के अंतर्गत डी जी कॉलेज में निकली रैली और चुप्पी तोड़ो खुलकर” बोलो विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन
डी जी कॉलेज, कानपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में मिशन शक्ति – 4.0 के तत्वाधान में आज “चुप्पी तोड़ो खुलकर” बोलो विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें प्राचार्य प्रो अर्चना वर्मा जी ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपने सम्मान, सुरक्षा हेतु जागरूक रहना चाहिए तथा हमारे प्रति यदि कोई भी अपराध किया जा रहा है तो उसे सहन करने की बजाय उसके बारे में जो व्यक्ति हमारी सहायता कर सकते हैं उनसे सहायता लेनी चाहिए। कॉलेज में अपनी शिक्षिकाओं व घर में माता-पिता से अपनी बात खुलकर कहनी चाहिए। इसी क्रम में महाविद्यालय से सरसैया घाट मलिन बस्ती तक एक रैली का भी आयोजन किया गया जिसमें महिला सुरक्षा, महिला सम्मान व महिला स्वावलंबन हेतु नागरिकों को जागरूक किया गया। साथ ही वॉलिंटियर्स ने महिला सम्मान व सुरक्षा हेतु एक शपथ भी ली। कार्यक्रम में सेल्फ फाइनेंस डायरेक्टर प्रो वंदना निगम, एनसीसी इंचार्ज डॉ मनीषी पांडे, कार्यालय अधीक्षक कृष्णेंद्र श्रीवास्तव समेत एनसीसी, एनएसएस व महाविद्यालय की समस्त छात्राएं सम्मिलित रही।
Read More »बाल विवाह मुक्त उत्तराखंड के लिए मशाल जुलूस निकाला व शपथ ली
किसी सामाजिक मुद्दे पर पहले शायद ही देखी गई इस तरह की एकजुटता और उसके साथ सरकार के मार्गदर्शन के नतीजे में उत्तराखंड के सैकड़ों गांवों में आयोजित किए गए जागरूकता कार्यक्रमों को अभूतपूर्व समर्थन मिला। महिलाओं के नेतृत्व में नैनीताल और देहरादून जिलों के गांवों में मशाल जुलूस निकाले गए और स्त्रियों, पुरुषों व बच्चों ने जाति-धर्म भूल कर राज्य से बाल विवाह के पूरी तरह खात्मे के लिए शपथ ली। इससे पहले, उत्तराखंड सहित कई राज्य सरकारों ने विभिन्न विभागों और अन्य हितधारकों को पत्र लिख कर उनसे बाल विवाह के खिलाफ अभियान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने और राज्य को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए लोगों को शपथ दिलाने का निर्देश दिया था। नतीजे में कचहरी से लेकर पुलिस थानों, शहरों के चौराहों से लेकर गांव की चौपालों, पूरे देश में बच्चों से लेकर बाल विवाह की पीड़ित महिलाओं तक करोड़ों लोग इस अभियान से जुड़े और बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली। पूरे देश में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान 2030 तक बाल विवाह के पूरी तरह खात्मे के उद्देश्य से महिलाओं की अगुआई में 160 गैर सरकारी संगठनों द्वारा 300 से ज्यादा जिलों में चलाया जा रहा है।
तमाम तरह के जागरूकता कार्यक्रमों की वजह से उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में पूरे दिन उत्सव और उल्लास का माहौल रहा और शाम ढलने के बाद महिलाओं के नेतृत्व में मशाल जुलूस निकाला गया जिसमें समाज के सभी वर्गों के लोगों ने ‘बाल विवाह बंद करो-बंद करो, बाल विवाह करवाओगे तो जाओगे जेल, मेरी बेटी अभी पढ़ेगी-ब्याह की शूली नहीं चढ़ेगी’ के नारों के साथ यह संदेश दिया कि अब इस राज्य में बाल विवाह के लिए कोई जगह नहीं है।
यूनीसेफ का अनुमान है कि अगर बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में भारत की प्रगति की यही दर जारी रही तो 2050 तक देश में लाखों और बच्चियों को बाल विवाह के दलदल में फंसने से नहीं बचाया जा सकता। लेकिन प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता भुवन ऋभु की किताब ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन- टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज’ जिसका अभियान के हिस्से के रूप में पिछले सप्ताह लोकार्पण किया गया 2030 तक ही बाल विवाह के खात्मे के लिए जरूरी टिपिंग प्वाइंट यानी वह बिंदु जहां से छोटे बदलावों और घटनाओं की श्रृंखला इतनी बड़ी हो जाती है जो एक बड़ा और आमूल परिवर्तन कर सकें, तक पहुंचने का खाका पेश करती है। इस किताब ने बाल विवाह मुक्त भारत अभियान से जुड़े 160 सहयोगी संगठनों की इस साझा लड़ाई को एक रणनीतिक औजार मुहैया कराया है और अभियान में नई जान फूंकी है। बाल विवाह की त्रासद सच्चाइयों और इसके दुष्परिणामों पर बेबाकी से बात करते हुए किताब कहती है, “बाल विवाह बच्चों से बलात्कार है। इसका परिणाम बाल गर्भावस्था के रूप में आता है जिसके नतीजे में बच्चे की मौत हो सकती है।”
सरकार के मार्गदर्शन में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को मिले अपार जनसमर्थन पर खुशी जाहिर करते हुए कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (केएससीएफ) के कंट्री हेड रवि कांत ने कहा, “बाल विवाह सदियों से हमारे सामाजिक ताने-बाने का हिस्सा रहा है और कानूनन अपराध होने के बावजूद इस पर विराम नहीं लग पा रहा है। लेकिन समाज के सभी वर्गों से मिले अप्रत्याशित और अभूतपूर्व समर्थन को देखते हुए मुझे लगता है कि हम नया इतिहास रचने की दहलीज पर हैं। आज यह अभियान जंगल की आग की तरह फैल रहा है और राज्य सरकारों ने इसके लिए जैसी प्रतिबद्धता दिखाई है, हमारे बच्चे अंतत: शायद एक ऐसे देश में पलें-बढ़ें जहां उनके अधिकार सुरक्षित और संरक्षित हों। यह प्रशंसनीय है कि सभी राज्य सरकारें बाल विवाह के खात्मे के लक्ष्य पर काम कर रही हैं जो इसे एक नई रफ्तार और विश्वास दे रहा है।”
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (एनएफएचएस 2019-21) के आंकड़े बताते हैं कि देश में 20 से 24 के आयु वर्ग की 23.3 प्रतिशत लड़कियों का विवाह 18 वर्ष की आयु से पहले ही हो गया था जबकि उत्तराखंड में यह आंकड़ा 9.8 प्रतिशत है।