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इस अप्रैल फूल डे पर, टीवी कलाकारों ने बताया अपने सबसे मजेदार प्रैंक्स के बारे में

हर साल 1 अप्रैल को अप्रैल फूल्‘स डे या मूर्ख दिवस मनाया जाता है, जोकि प्रैंक्स करने के लिये मशहूर है। यह आपके रूटीन शेड्यूल को मजेदार बना देता है। मौज-मस्ती के इस मौके पर एण्डटीवी के कलाकारों-आयुध भानुशाली (‘दूसरी माँ‘ के कृष्णा), गजल सूद (‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की कैट सिंह) और रोहिताश्व गौड़ (‘भाबीजी घर पर हैं‘ के मनमोहन तिवारी) ने अपने सह-कलाकारों के साथ किये गये मजेदार प्रैंक्स से जुड़ी यादों को ताजा किया। कृष्णा का किरदार निभा रहे आयुध भानुशाली ने कहा, ‘‘सेट पर मुझे लोग प्रैंक्स्टर कहकर बुलाते हैं। मैं अपने सह-कलाकारों पर प्रैंक्स करने और लोगों को हंसाने का कोई भी मौका नहीं गंवाता। मेरी मां अक्सर मेरी शरारतों से दुःखी हो जाती है, लेकिन अप्रैल फूल्‘स डे तो अपवाद होना चाहिये ना (हंसते हैं)। मैं नेहा दीदी (नेहा जोशी) के बेहद करीब हूं, जोकि शो में मेरी मां का किरदार निभा रही हैं। मेरे प्रैंक्स से वो चिड़चिड़ा जाती हैं। हाल ही में, हम एक गंभीर सीन की शूटिंग कर रहे थे, जैसे ही उन्होंने हमें सीन के बुलाया, मैंने उनकी साड़ी पर स्याही छिड़क दी। उस समय उनके चेहरे के जो भाव थे, वह मैं कभी भूल नहीं सकता। वह इतना घबरा गई थीं कि उन्होंने हमारे असिस्टेंट डायरेक्टर को बुलाया और उनसे साड़ी बदलवाने का अनुरोध किया, क्योंकि उन्होंने हल्के रंग की साड़ी पहन रखी थी। लेकिन साड़ी की स्याही जल्दी ही उड़ गई। मैं हंस-हंस कर लोट-पोट हो रहा था। वह एक जेल इंक था, जो पूरी तरह से गायब हो गया था। मैं इस साल अप्रैल फूल्‘स डे पर उनके साथ प्रैंक करने की सोच रहा हूं, लेकिन मैं यहां पर उसके बारे में नहीं बता सकता, क्योंकि मैंने यदि पहले से ही बता दिया कि मैं क्या करने वाला हूं, तो फिर वह मजा नहीं आ पायेगा।‘‘

गज़ल सूद, जोकि कैट सिंह का किरदार निभा रही हैं, ने कहा, ‘‘हमारे सेट पर योगेश जी (दरोगा हप्पू सिंह) एक प्रैंकस्टर हैं। वह अपने मजेदार प्रैंक्स से हमेशा हमें हंसाते रहते हैं। लेकिन एक दिन, मैंने उन पर ही प्रैंक करने का फैसला किया और वह हमारे प्रैंक में फंस भी गये (हंसती हैं)। एक सीन की शूटिंग के दौरान मैंने उनसे कहा कि, ‘आपकी मूंछें थोड़ी टेढ़ी लग रही हैं।‘ इतना सुनते ही उन्होंने मेकअप आर्टिस्ट को मूछों को ठीक करने के लिये बुला लिया। थोड़ी देर बाद मैंने उनसे फिर कहा, ‘आपकी मूछें अभी भी थोड़ी टेढ़ी लग रही हैं।‘ इसके बाद उन्होंने आईना मंगवाया और मेकअप आर्टिस्ट को फिर से मूंछें ठीक करने के लिये कहा। वह इतने सचेत हो गये कि थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझसे पूछना शुरू कर दिया कि अब तो मूंछें ठीक हैं ना। वह हमारे डायरेक्टर के पास भी चले गये और उनसे पूछने लगे कि कैमरे पर मेरी मूंछें ठीक लग रही हैं ना, जिस पर उन्होंने कहा कि, ‘ठीक लग रही है, पर आप फिर से फिक्स करना चाहो तो कर सकते हो।‘ वह बार-बार अपनी मूंछों को ठीक कर रहे थे। उन्हें ऐसे देखकर हमें बहुत हंसी आ रही थी। पैक-अप के दौरान, मैंने आखिरकार उन्होंने बताया कि उनकी मूंछें बिल्कुल सही थी और मैं उनके साथ प्रैंक कर रही थी। यह सुनकर वह चिड़चिड़ा गये, लेकिन उसके बाद तुरंत हंस भी पड़े।‘‘ रोहिताश्व गौड़ जोकि मनमोहन तिवारी की भूमिका निभा रहे हैं, ने कहा, ‘‘अप्रैल फूल्‘स डे मेरे लिये एक सेलीब्रेशन की तरह है। मैं अपने प्रियजनों के साथ मौज-मस्ती करने को कोई भी मौका हाथ से नहीं गंवाता हूं। हमारे शो की एक कहानी के लिये, मुझे शुभांगी अत्रे अभिनीत अंगूरी भाबी का किरदार निभाना था। मुझे उनकी तरह साड़ी पहननी थी, मेकअप करना था और हेयरस्टाइल बनाने थे, जोकि सबसे ज्यादा जरूरी थे। उस दिन हरकोई मेरे आउटफिट को लेकर हंस रहा था। मैंने उनके साथ मस्ती करने का फैसला किया। वे जब भी शुभांगी को सीन के लिये बुलाते थे, मैं कैमरे के सामने जाकर खड़ा हो जाता था। उन्हें शुरूआत में लगा कि मैं गलती से ऐसा कर रहा हूं, लेकिन मैंने बार-बार ऐसा किया और इससे वे चिढ़ गये। यह प्रैंक मैंने और शुभांगी जी ने मिलकर किया था। इतना ही नहीं, जब वे तिवारी जी के मेरे किरदार के लिये मुझे बुलाते थे, तो मैं कोई ध्यान ही नहीं देता था। मैं सिर्फ तभी फ्रेम में जाता था, जब वे बोलते थे कि ‘अंगूरी, फ्रेम में आओ।‘ मैंने अपने डायरेक्टर और उनके असिस्टेंट्स तथा अपने साथी कलाकारों को भी इतना कंफ्यूज कर दिया था, कि उन्हें मुझे रुकने के लिये बोलना पड़ता था। उस दिन से लेकर आज तक सभी लोग उस प्रैंक एवं मस्ती को याद करते हैं (हंसते हैं।)‘‘

देखिये ‘दूसरी माँ‘ रात 8:00 बजे, ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ रात 10:00 बजे और ‘भाबीजी घर पर हैं‘ रात 10:30 बजे, हर सोमवार से शुक्रवार, सिर्फ एण्डटीवी पर!

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विश्वविख्यात रामलीला मंचन का प्रतीक बनेगा अन्तर्राष्ट्रीय राम महोत्सव-23

विश्वविख्यात रामलीला मंचन का प्रतीक बनेगा अन्तर्राष्ट्रीय राम महोत्सव-23, लोक संस्कृति के समागम में शामिल होंगे साधु-संतों समेत प्रसिद्द नेता-अभिनेता

अंतर्राष्ट्रीय राम महोत्सव में जुटेंगे नेता-अभिनेता समेत देशी-विदेशी कलाकार, 5 दिन तक आयोजित होंगी लोक गीत-नृत्य-व्यंजनों से जुड़ी विभिन्न प्रतियोगिताएं ओरछा में अंतर्राष्ट्रीय राम महोत्सव 23 के भव्य आयोजन की तैयारियां शुरू, आध्यात्म, सिनेमा और रंगमंच की प्रसिद्द हस्तियां होंगी शामिल

– _प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भेजा शुभकामना सन्देश, एकत्रित होंगे टीवी रामायण के प्रमुख पात्र
– 5 से 9 अप्रैल तक राजा राम की नगरी में जुटेंगे साधू-संत, विद्वानों समेत राजनीति सिनेमा से जुड़े कई सितारे
– फिल्में, चित्रकला, लोकनृत्य, यज्ञ, रामलीला आदि मार्मिक प्रदर्शित
– बुंदेली कलाकारों संग राम स्तुति करते नज़र आएंगे राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय कलाकार

भोपाल 21 मार्च भारतीय स्वरूप संवाददाता, राजा राम की नगरी ओरछा में आयोजित होने जा रहे 5 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय राम महोत्सव की तैयारियां अपने चरम पर हैं। 5 से 9 अप्रैल तक ओरछा के रुद्राणी कलाग्राम एवं शोध संस्थान में आयोजित होने वाले इस भव्य समारोह में भगवान राम पर आधारित फिल्में, चित्रकला, लोकनृत्य, यज्ञ, रामलीला आदि की प्रदर्शनी व प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। कार्यक्रम में यूपी-एमपी के दर्जनों नेता मंत्रियों समेत कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय कलाकार शिरकत करेंगे। समारोह के अंतर्गत घुमन्तु सिनेमा का गांव गांव भ्रमण होगा। इसमें राम कथा आधारित फिल्म दिखाई जाएगी तथा राज्य एवं केंद्र की लोक कल्याणकारी योजना को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया जाएगा। रात्रि में सांस्कृतिक संध्या पर विश्वविख्यात रामलीला का मंचन होगा। जबकि प्रातः काल श्री राम यज्ञ व ध्यान योग होंगे। इस दौरान श्री राम भजन, छायाचित्र, चित्रकला आदि प्रतियोगिताएं अयोजित की जाएगी। इसके अतिरिक्त लोक व्यंजन, लोक वाद्ययंत्र, लोक गीत, नृत्य आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन भी होगा। कार्यक्रम के संस्थापक निदेशक अभिनेता राजा बुंदेला ने एमपी सीएम शिवराज सिंह चौहान व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी न्योता भेजा है। महोत्सव में कई केंद्रीय मंत्रियों व विदेशी कलाकारों, स्टेज परफॉर्मर्स को भी आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम से जुड़े ताजा अपडेट्स ऑनलाइन मीडिया सहयोगी ट्रूपल बुंदेलखंड चैनल पर देखे जा सकते हैं

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दिल तोड़ने से पहले सोच लेना …इसमें तू ही रहता है

तोड दे तू चाहे ..मुझे हर तरह से … पर मेरा दिल तोड़ने से पहले ज़रा सोच लेना …इसमें मैं नही तू रहता है
आप का सारा पूजा पाठ का फल निष्फल हो जाता है जब कोई भगवान के भक्त को या किसी भोले इन्सान के मन को दुख पहुँचाता है बात पुरानी मगर सच है। मैं जानती थी पूरो बीजी को , सब उन्हें बीज़ी कहा करते थे। पूरो एक अच्छे घराने की लड़की ,मगर कम पढ़ी लिखी थी ।उसकी शादी एक सुन्दर पढे लिखे नौजवान से हो जाती है। पूरो सोचा करती, उसका पति इतना सुन्दर ,और उसका अपना रंग साँवला सा,क्या उस का पति उसको प्यार दे पायेगा। मगर कहती कुछ नहीं। ख़ुशी से अपनी गृहस्थी चला रही थी।वक़्त बीता ..पूरो के दो बेटियाँ और एक बेटा हुआ। पूरो के पति का राजाओं की तरह रहन सहन था।लखनऊ में होटल था।इक अपनी ड्रामा कंपनी थी और उनका बहुत अच्छा कपड़ों का कारोबार भी था। अक्सर पूरो से कहा करते कि मैं अपनी बेटियों को जयपुर के महाराजाओं के बच्चों के साथ पढ़ाई करवाऊँगा। अपने बच्चों को होटलों में ले ज़ाया करते और इंगलिश तौर तरीक़े सिखाते। बैडमिंटन क्रिकेट और पोलो खेलना तो शौक था उनका। उनका बेटा बढ़ा था ,बेटियाँ छोटी थी अभी।पूरो की छोटी बेटी रतना अभी तीन साल की थी तो पूरो के पति को हैज़ा हो गया। हैज़ा ही उनके गुज़रने की वजह बन गई।पूरो को पढ़ी लिखी न होने की वजह से अपने ससुर और देवर देवरानी के साथ रहना पढ़ा।देवरानी बहुत झगड़ालू क़िस्म की औरत थी।हर बात में पूरो को नीचा दिखाने की कोशिश में रहती।आप ऊपर मकान में रहती थी और नीचे मकान में छोटे से कमरे में पूरो के परिवार को रख दिया। जहां पूरो की रसोई हुआ करती थी वहाँ इक नाली निकला करती जो ऊपर के आया करती थी, जहां उसकी देवरानी का गुसलखाना था,जैसे पहले वक़्तों में हुआ करता था जब भी पूरो धूप बती करके अपने बच्चों को खाना खिला रही होती ,अक्सर उसी वकत उस नाली को शौच की तरह भी इस्तेमाल करती।रब को मानने वाली पूरो ,मुँह से तो कुछ नहीं कह पाती ,मगर अपने रब से शिकायत रोकर कर दिया करती। दिन बितने लगे ,पूरो की बेटियाँ बढ़ी हो गई। अच्छे घरों में शादी करके चली गई। पूरो के बेटे की भी शादी हो गई। फिर पूरो बेटे और बहू के साथ किसी दूसरे घर में चली गई। दोस्तों! जो जैसा करता है ,उसको फल वैसा ही मिलता है मगर इन्सान सोचता है।कर लो ,जो भी करना है आगे किस ने देखा है । मगर भूल जाता है कि चाहे अगर कोई भगवान के मंदिर मस्जिद को तोड़ दे ,भगवान उसे तो माफ़ कर देगा मगर जो कोई उसके भक्त को रूला दे,या उसका दिल दुखा दे या फिर उससे कोई बल छल करे तो रब उसे कभी माफ़ नहीं करता।
ये इक ऐसा सच है जो आज नहीं तो कल ..देखने को मिल ही जाता है। और यहाँ भी कुछ ऐसा ही हुआ। पूरो तो वहाँ से अपने बेटे के साथ चली गई,और उधर पूरो की देवरानी के घर ग़रीबी और दुखों का बसेरा हो गया। पूरो की छोटी बेटी रतना सब पुरानी बातें भुला कर अपनी चाचा चाची को मिलने ज़ाया करती। जो भी अपनी माँ पूरो को देती ,वही अपनी चाची को भी देती।चाचा चाची के घर ग़रीबी देख कर ,कभी पैसों से ,कभी दवाइयों से उनकी मदद कर दिया करती,क्यूँकि रतना का पति डाक्टर था। इक रोज़ चाची रतना के सामने रो पड़ी और माफ़ी माँगने लगी कि मैंने तुम्हारी माँ के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया है और तुम मुझे अपनी सगी माँ तरह प्यार करती हो और इस पर रतना अपनी चाची और चाचा को गले लगा लेती। वक़्त का पहिया चल रहा था तो इक रोज़ पता चला कि देवरानी की एक बेटी को कैंसर हो गया और वो भरी जवानी में चल बसी और दूसरी बेटी कमला का पति इंग्लैंड चला गया और वहाँ उसने खुद को सैटल करने लिए दूसरी शादी कर ली।
इक रोज़ सास ससुर ने कमला को घर से निकाल दिया।किसी ने कहा कि कमला की भी दूसरी शादी कर दो।जल्दी ही एक 70 साल के आदमी से उसकी भी शादी इंग्लैंड में कर दी गई जो इक शराबी था। वहाँ इंग्लैंड में मेहनत करके कमला ने अपनी बेटियों की शादी कर दी ।दो साल बाद कमला का दूसरा पति भी गुज़र गया,फिर अकेली अपने दूसरे पति के बच्चों के पास रहने लगी।वहाँ उसे तिरस्कार मिलता ,बातें सुननी पड़ती। कभी कभी बैठे बैठे अपनी माँ को कोसती कि जैसे अब मैं तंग हो रही हूँ ठीक ऐसे ही उसकी माँ ने पूरो ताई को तंग किया था, मगर वक़्त निकल चुका है। दोस्तों बात यहाँ भी ख़त्म नहीं हुई इक रोज़ रतना अपनी चाची चाचा को मिलने गई तो देखा चाचा को स्ट्रोक हो गया था और चाची चल नहीं सकती थी रेंग रेंग कर ज़मीन पर चला करती। ये दुर्दशा देख कर रतना को बहुत दुख हुआ था। चाचा चाची का बेटा भी गुज़र गया था। सो सोचो दोस्तों ! क्या खटा चाचा चाची ने ? जितना बुरा किया था पूरो के साथ ,उससे कही अधिक बुरा उसे वापस मिला।
बात आज की हो, या पुरानी।भुगतना तो पड़ेगा ही सबको कभी न कभी।ये सोच ग़लत है कि शायद उनके साथ हुआ है हमारे साथ नहीं होगा। सब की बारी आती हैं ,जो बोया है वही काटने की। जब समझ में आयेगा ,तो वक़्त निकल चुका होता है। उधर पूरो ने अपनी सारी उम्र पूजा पाठ में लगा दी । मरते दम तक गुरू के घर में सेवा करती रही ….🙏स्मिता केंथ

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गंधर्व विवाह

पता नहीं यह मंदिर मुझे क्यों अच्छा लगता था मुझे और यह भी नहीं जानती थी कि यहां बैठकर मुझे शांति क्यों मिलती है? यहीं पर गीत गुनगुनाते हुए भगवान के लिए फूलों की माला बनाना मुझे अच्छा लगता है। मां बाबूजी सुबह – सुबह आकर मंदिर की साफ सफाई में लग जाते हैं। आंगन साफ करना, पौधों में पानी डालना, फूलों का कचरा समेटना उनका यही काम था। मैं भी मां के साथ-साथ मंदिर चली आती थी। पहले पहल तो यूं ही साथ में आ जाती थी लेकिन अब यह बोलकर साथ आती हूं कि तुम्हारे काम में हाथ बंटा दूंगी तो काम जल्दी निपट जाएगा। यहीं पर काम करते-करते मैं छोटी से बड़ी हो गई थी। सभी से मेरी अच्छी जान पहचान हो गई थी। मंदिर में पुजारी मेरे हाथ की बनी माला सामने से मुझसे मांग कर चढ़ाते थे क्योंकि मैं माला बहुत सुंदर बनाती थी। मैं माला की टोकरी मंदिर के सीढ़ियों के पास रख देती थी। पंडित जी पानी के छींटे मारकर टोकरी अंदर ले लेते थे और भगवान को चढ़ा देते थे। यह मंदिर मुझे अब अपना घर जैसा ही लगने लगा था। एक दिन ना आऊं तो कुछ अधूरा सा लगता था।

मां:- “मीता, चलो जल्दी चलना है मंदिर में नए पुजारी आए हैं। अपना काम समय पर हो जाना चाहिए।
मीता:-  “ठीक है, मैं नहा कर आती हूं, फिर चलती हूं।” कुछ देर बाद मैं, मां और बाबू जी मंदिर पहुंच गए। बाबू जी पौधों में पानी डालने लगे और मां आंगन की साफ सफाई करने लगी और मैं फूल तोड़ने में व्यस्त हो गई। तभी नए पुजारी ने आवाज दी।
नया पुजारी:- “ऐ लड़की यहां क्या कर रही हो? चलो दूर जाओ मंदिर से।”
मीता:-  “जी! भगवान के लिए फूल तोड़ रही थी। वह पुराने पंडित जी मेरी बनाई माला भगवान को चढ़ाते हैं तो…।”
नया पुजारी:- “नहीं! कोई जरूरत नहीं है तुम्हारी माला की। भगवान अपवित्र हो जायेंगे।”
पुराने पुजारी:- अरे शंकर क्या बात है जो मीता को डांट रहे हो? जात की मालन है, फूल तो तोड़ कर दे ही सकती है। कोई बात नहीं भीतर रख दो मैं ले लूंगा बाद में।”
मीता:- “पंडित जी प्रणाम !
शंकर:- “आपकी वजह से ही यह लड़की सर चढ़ी हुई है तभी उसकी इतनी हिम्मत बढ़ जाती है।”
बात आई गई हो गई। मीता बचपन से आगे किशोरावस्था की ओर बढ़ रही थी। वो रोज फूल तोड़कर, मालाएं बनाकर मंदिर की सीढ़ियों पर रख देती थी। जिसे पंडित जी धोकर भगवान को चढ़ा देते थे। आज मीता को मंदिर पहुंचने में देर हो गई  थी।
पंडित जी:- “अरे मीता फूल कहां है ? मालाएं भी नहीं बनाई? आज भगवान को बिना श्रृंगार के ही रखने का इरादा है क्या?”
मीता:- “जी! आज देर हो गई, सिर धोना था इसलिए।”
पंडित जी:- “अच्छा… अच्छा ! जाओ जल्दी से फूल लेकर आओ।”
मीता:-  “जी!”
आज सुबह मीता फूल तोड़ते हुए गुनगुना रही थी। शंकर पंडित मीता को एकटक देखे जा रहा था। खुले घुंघराले बाल जो हवा के कारण उसके चेहरे पर बार-बार आ रहे थे और जिन्हें वह बार-बार अपने चेहरे से हटा रही थी। शंकर को यह देखकर बड़ा सुखद अहसास हो रहा था। अब वो मीता के प्रति जरा नरम व्यवहार रखने लगा था। कभी कभार बातचीत भी कर लेता था। मीता जरा आश्चर्यचकित थी कि पंडित जी में यह बदलाव कैसे और क्यों आ गया था लेकिन वो खुश थी कि चलो अब इनका स्वभाव अच्छा हो गया है तो अब डांट नहीं पड़ेगी।
शंकर:- “देखो मीता तू सब काम किया कर मगर मुझसे दूर रहा कर। पूजा-पाठ के समय तू छू लेगी तो मुझे फिर से नहाना पड़ेगा और पूजा में देर हो जाएगी फिर और बड़े पंडित जी मुझे डांटेंगे।”
मीता:- “अरे पंडित जी यह बातें अब कौन मानता है? यह भेद तो अब खत्म हो गया है।”
शंकर पंडित:- “मुझे नहीं पता और मुझसे मुंह मत लड़ा। मुझे भगवान को अपवित्र नहीं करना है। तुम छोटी जात के हो तो तुम्हें अपनी सीमा में रहना चाहिए।”
मीता कुछ बोली नहीं क्योंकि कुछ भी बोलने पर उसे डांट पड़ सकती थी फिर बाबूजी भी उसे ही डांटते यह सोचकर वो चुप रही। शंकर को मीता न जाने कबसे अच्छी लगने लगी थी। उसकी नजर जब तब मीता को खोजते रहती। मीता इन बातों से अनजान अपने काम में व्यस्त मस्त रहती थी।
शंकर:-  “मीता! आज फूल कुछ कम लग रहे हैं ! थोड़े तुलसी के पत्ते और फूल लेकर आओ।”
मीता:- “जी !”
फूल और तुलसी के पत्ते देते हुए मीता का हाथ शंकर के हाथों को छू गया।
शंकर:- “यह क्या किया ? अब फिर से नहाना पड़ेगा! सब खराब कर दिया!” मीता घबरा गई और दो कदम पीछे हट गई।
मीता का स्पर्श शंकर को रोमांचित कर गया। वह खुद को बहुत पुलकित महसूस कर रहा था और उसकी नजरें मीता को तलाश रही थी। इधर मीता डांट के डर से शंकर के सामने जाने से डर रही थी। अब शंकर किसी ना किसी बहाने से मीता को छूने का प्रयास करता और फिर उसे झिड़की देकर नहाने चला जाता। मीता अब उसके सामने जाने से बचती। उसके आने के पहले ही फूल सीढ़ियों पर रख कर चली जाती। एक दिन शंकर ने मीता को बुलाया और पूछा, “क्यों मीता आजकल दिखाई नहीं देती हो? जल्दी फूल रखकर चली जाती हो? फूल मुरझा जाते हैं ऐसे फूल भगवान को कैसे चढ़ाऊं?”
मीता कुछ बोली नहीं बस अपने पैर के अंगूठे को देखती रही।
शंकर:- “कल से ताजे फूल लाकर देना समझी।”
मीता ने सुकून की सांस ली कि पंडित जी ने डांटा नहीं।
अब रोज की दिनचर्या हो गई थी मीता फूल लाकर सीढ़ियों पर रख देती और शंकर फूल लेने के बहाने उससे बातें करता।
सुबह बगीचे में से फूल चुनकर सीढ़ियों पर रखते हुए मीता ने पंडित जी को आवाज लगाई लेकिन प्रत्युत्तर में कोई जवाब नहीं आया। वो सोच में पड़ गई कि फूल ऐसे रख कर जाऊंगी तो पंडित जी नाराज होंगे। वह कुछ देर तक रुकी रही फिर आवाज लगाई लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। थोड़ी देर में पुराने पंडित जी दिखाई दिए।
पंडित जी:- “अरे मीता! यहां क्या कर रही हो इस समय?”
मीता:- “जी, फूल देने आई थी मगर महाराज जी दिखे नहीं तो रुक गई।”
पंडित जी:- “अच्छा ठीक है, तुम जाओ मैं फूल ले लेता हूं।”
मीता:- “आज वह महाराज नहीं आये हैं क्या?”
पंडित जी:- “हां, शंकर को बुखार हो गया है, वो घर पर आराम कर रहा है।”
मीता:-  “जी !”
पंडित जी:- ” तेरी मां को शंकर के यहां भेज देना। घर गंदा पड़ा है तो वह साफ सफाई कर देगी।
मीता:- “जी !”
मीता:- “मां! बड़े पुजारी जी कह रहे थे कि आपको शंकर महाराज के घर की साफ सफाई के लिए जाना है।”
मां:- “नहीं, मैं नहीं जा पाऊंगी। आज काम के बाद बाजार से सब्जी और राशन लाना है और गैस का बाटला खत्म हो गया है तो वो भी लाना है। आज मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं है। ऐसा कर आज तू ही काम करके आ जा।”
मीता:-  “ठीक है।”
मीता शंकर के घर की ओर निकल जाती है। घर पहुंचते ही मीता शंकर को कंबल ओढ़े हुए देखती है।शंकर:- “कौन है?”
मीता:-  “महाराज जी मैं हूं मीता। घर की सफाई करने आई हूं।”
शंकर:- “ठीक है कर लो” और शंकर उसे काम करते हुए देखता रहता है। उसकी नजरें उसके चेहरे से हटकर उसके पूरे शरीर का मुआयना कर रही थी। मीता का ध्यान नहीं था शंकर पर। वह अपने काम में व्यस्त थी। शंकर के लिए अपने ऊपर नियंत्रण रख पाना मुश्किल हो गया था। वह उठा और मीता को पीछे से पकड़कर उठा लिया। मीता घबरा गई।
मीता:- “पंडित जी ! आप मुझे क्यों छू रहे हैं? ऐसे क्यों पकड़ रहे हैं?”
शंकर:- “कुछ नहीं, घबराओ मत! मैं कुछ नहीं कर रहा। तुम बहुत सुंदर हो, थक गई होगी लो पानी पियो” और उसने मीता को पानी दिया। मीता ने डरते हुए, सकुचाते हुए पानी का ग्लास हाथ में लिया।
शंकर:- “देखो! तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो लेकिन लोकलाज के डर से मैं तुम्हें कुछ नहीं कहता और इसी डर से मैं तुम्हें अपना भी नहीं सकता। क्या ही अच्छा हो कि तुम मेरी पत्नी बन जाओ। क्या तुमने गंधर्व विवाह का नाम सुना है?”
मीता:-  “वो क्या होता है?”
शंकर:-  “जिसमें दो लोग अपनी इच्छा से ईश्वर को साक्षी मानकर विवाह कर लेते हैं।”
मीता:- “जी, नहीं सुना है”।
शंकर:- “आओ हम दोनों गंधर्व विवाह कर लें।”
मीता कुछ सोच समझ नहीं पा रही थी। वह बाहर जाने के लिए मुड़ी तो शंकर उसका हाथ पकड़ लिया और उसके कान के पास जाकर फुसफुसा कर कहा, “आज से तुम मेरी पत्नी हो और महाराज की आज्ञा तुम्हें माननी पड़ेगी।”
मीता कुछ समझ नहीं पा रही थी और डर से विरोध भी नहीं कर पा रही थी। शंकर उसे अपने बाहुपाश में लेकर अपने जाल में फंसा रहा था और मूक जानवर की तरह मीता का वध हो रहा था। कुछ दिनों तक यही सिलसिला चलता रहा। वह उसे घर की साफ सफाई के बहाने बुलाते रहता और उसका शोषण करता रहा। कुछ दिनों बाद मीता के पैर भारी हो गए। उसे उल्टियां आने लगी और जी मिचलाने लगा। मां को चिंता हुई तो वह उसे डॉक्टर के पास ले गई।
डॉक्टर:- “आपकी बेटी की शादी हो गई है?
मीता की मां:- “नहीं! क्यों? आप ऐसा क्यों पूछ रही हैं?”
डॉक्टर:- “उम्र काफी कम है इसकी लेकिन आप लोगों में बेटियों की शादी जल्दी कर देते हैं इसीलिए पूछा। यह पेट से है।”
मीता की मां:- “क्या!”
मीता की मां के पैरों तले जमीन सरक गई। मां – बेटी दोनों घर लौट कर आ गईं।
मां:- “बता कौन है वह? कहां मुंह काला करती फिर रही है? बता! नहीं तो मार डालूंगी?
मीता:- “मां, वह मंदिर के पुजारी… उन्होंने मुझसे शादी की है।”
मां के तन बदन में आग लग गई और दो चार थप्पड़ रसीद दिये मीता को और सर पकड़ कर बैठ गई। दुख और क्रोध के कारण आंसू निकलने लगे। जब पिता को सब बात पता चली तो वह तनाव में आ गए। उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करें। दोनों पति – पत्नी ने शंकर पंडित के पास जाने का निश्चय किया। अगले दिन दोनों पति-पत्नी डरते हुए बड़े पुजारी के पास गये और उन्हें सारी बातें बताईं। पंडित जी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने मीता को बुलवाया।
बड़े पुजारी:- “क्यों मीता यह तेरे मां बाऊजी जो कह रहे हैं क्या वह सही है?”
(मीता सिर झुकाए हुए) “जी!”
पंडित जी:- “तुम्हें शर्म नहीं आती ऐसी ओछी बात करते हुए? तुम्हें अंदाजा है कि इसका नतीजा क्या होगा?”
मीता कुछ नहीं बोली। वह नीचे बैठ कर रोने लगी। पंडित जी ने शंकर को बुलवाया और उससे सारी हकीकत जाननी चाही।
बड़े पंडित:- “शंकर! मीता कह रही है कि तुमने उससे शादी की है? वह गर्भवती है, क्या यह सही है?”
शंकर:- “नहीं महाराज ! यह सरासर झूठ बोल रही है। मैं तो इसके हाथ का छुआ पानी भी नहीं ले सकता। इसके हाथ से फूल माला भी नहीं लेता। मैं तो इससे दूरी बनाकर रहता हूं फिर इससे शादी की बात कैसे सोच सकता हूं?”
मीता अवाक सी शंकर का मुंह देखती रह गई। मीता के माता-पिता दुखी हो गये। उन्हें पता था कि यही होने वाला है।
पंडित जी:- “देखो! शंकर झूठ नहीं बोल सकता, मैं उसे जानता हूं। तुम लोग मीता से ही पूछताछ करो कि कौन है वह व्यक्ति और मीता तुम मंदिर आना बंद कर दो अभी तुम्हारी जरूरत नहीं है।”
तीनों व्यक्ति दुखी मन से घर वापस आ गए। मीता की मां ने मीता को फिर से भला बुरा कहा और मारा। दुख और क्रोध कम नहीं हो रहा था और कुछ उपाय भी नहीं दिख रहा था। पिता ने बहुत सोच-विचार कर बड़ी हिम्मत करके अगले दिन पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने की ठानी।
अगले दिन वह पुलिस चौकी पहुंच गए।
मीता के पिता:- “साब शिकायत लिखवानी है।” इंस्पेक्टर:- “किसके खिलाफ? क्या केस है?”
पिता:- “जी, मंदिर के पुजारी के खिलाफ।” इंस्पेक्टर चौंक गया फिर उसने पूछा कि क्या मामला है।
पिता:- “जी, शंकर पंडित ने बहला-फुसलाकर मेरी लड़की के साथ दुराचार किया है और अब वह अपनी बात से मुकर रहा है” और सारी घटना की जानकारी इंस्पेक्टर को दी।
इंस्पेक्टर जानता था कि पुजारी से पंगा लेना ठीक नहीं है। उसने मीता के पिता को डांट कर भगा दिया और शिकायत दर्ज नहीं की साथ ही धमकी भी दी यदि चुप नहीं रहे तो इसका नतीजा बुरा होगा।
इंस्पेक्टर:- “तुम जैसे लोग पैसा बनाने के लिए कितना नीचे गिर जाते हो! जाओ यहां से नहीं तो अंदर कर दूंगा। तुम्हें भी और तुम्हारे पूरे परिवार को भी।
मीता का पिता अपमानित होकर घर आ गय। कुछ ना कर पाने का दुख और माथे पर कलंक लेकर और बेटी के जीवन का सत्यानाश होते देख कर रोने लगा। कुछ ही दिनों में सबके सामने यह बात खुल जाने वाली थी। यह सोचकर वह अपना सामान बांधने लगा और दूसरे शहर जाने की तैयारी करने लगा क्योंकि इसके सिवा उसके पास कोई चारा नहीं था। – प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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विश्व का सबसे लंबा रिवर क्रूज ‘एमवी गंगा विलास’ 28 फरवरी को डिब्रूगढ़ में अपनी यात्रा का समापन करेगा

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 13 जनवरी को वाराणसी से रवाना किया गया विश्व का सबसे लंबा रिवर क्रूज ‘एमवी गंगा विलास’ 28 फरवरी को डिब्रूगढ़ में अपनी यात्रा का समापन करेगा। उसी दिन डिब्रूगढ़ में भारत सरकार के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के तत्वावधान में भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) द्वारा एक स्वागत समारोह आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल के साथ-साथ अन्य केंद्रीय मंत्री, राज्य मंत्री, राजनयिक और आईडब्ल्यूएआई तथा पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अधिकारी शामिल होंगे। भारत में बने क्रूज जहाज ‘एमवी गंगा विलास’ ने 13 जनवरी को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा झंडी दिखाने के बाद वाराणसी से अपनी यात्रा आरंभ की। 28 फरवरी को पटना साहिब, बोधगया, विक्रमशिला, ढाका, सुंदरबन और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान होते हुए डिब्रूगढ़ पहुंचने से पहले क्रूज 50 दिनों में 3,200 किमी की दूरी तय करेगा। एक अनूठे डिजाइन और भविष्योनमुखी विजन से निर्मित, क्रूज में 36 पर्यटकों की क्षमता के साथ तीन डेक और 18 सुइट हैं। यह अगले दो वर्षों के लिए आने-जाने के लिए पहले से ही बुक है। सोनोवाल ने कहा कि ‘एमवी गंगा विलास’ ने विश्व के नदी क्रूज के मानचित्र पर भारत और बांग्लादेश की उपस्थिति दर्ज कराई है और इस प्रकार भारतीय उपमहाद्वीप में पर्यटन और माल ढुलाई के लिए एक नया क्षितिज और कार्यक्षेत्र खोल दिया है। आध्यात्मिकता चाहने वाले पर्यटकों को काशी, बोधगया, विक्रमशिला, पटना साहिब जैसे स्थलों की यात्रा करने का अवसर मिलेगा और जो प्राकृतिक विविधता को देखने के इच्छुक हैं वे सुंदरबन और काजीरंगा जैसे स्थलों का अवलोकन करेंगे। यह मार्ग भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से माल ढुलाई के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत करता है। अब इस यात्रा के माध्यम से, पर्यटकों को एक विशाल अनुभवशील यात्रा पर जाने और पूरे मार्ग के साथ भारत व बांग्लादेश की कला, संस्कृति, इतिहास और आध्यात्मिकता का पता लगाने का अवसर मिलता है। उत्तर पूर्व में राष्ट्रीय जलमार्ग (एनडब्ल्यू) के माध्यम से माल ढुलाई की प्रचुर संभावना है। ये राष्ट्रीय जलमार्ग असम, नागालैंड, त्रिपुरा, मणिपुर, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश राज्यों को भी भीतरी इलाकों से जोड़ते हैं और इन राज्यों को भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग के माध्यम से मुख्य भूमि भारत और कोलकाता और हल्दिया के समुद्री बंदरगाहों से जोड़ते हैं। अंतर्देशीय जल परिवहन बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कई परियोजनाएं जैसे कि फेयरवे, टर्मिनल और नेविगेशन संबंधी सहायता को उत्तर पूर्व क्षेत्र में आईडब्ल्यूएआई द्वारा पूरा किया गया है और उनमें से कुछ प्रगति पर हैं। वर्ष 2017 में किए गए आईडब्ल्यूएआई के एक आंतरिक अध्ययन के अनुसार, 49 एमएमटीपीए कार्गो उत्तर पूर्व क्षेत्र के भीतर और बाहर तथा ~30 एमएमटीपीए कार्गो उत्तर पूर्व क्षेत्र के भीतर चलता है।

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केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र में दुनिया के सबसे बड़े और अनोखे दिव्यांग पार्क – अनुभूति समावेशी पार्क की आधारशिला रखी।

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज नागपुर, महाराष्ट्र में दुनिया के सबसे बड़े और अनोखे दिव्यांग पार्क – अनुभूति समावेशी पार्क की आधारशिला रखी

image001UPN0इस अवसर पर उन्होंने कहा कि समावेशी समाज के निर्माण के प्रधानमंत्री मोदी के विजन को ध्यान में रखते हुए इस पार्क को विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सहानुभूति दर्शाने के बजाय यह पार्क संवेदना दिखाएगा, इसलिए इस पार्क का नाम अनुभूति दिव्यांग पार्क रखा गया है।

image002ZY5J गडकरी ने कहा कि इस पार्क के माध्यम से न केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में समावेश का संदेश पहुंचेगा। उन्‍होंने कहा कि इस पार्क में सभी 21 प्रकार की दिव्‍यांगता के लिए अनुकूलित सुविधाएं होंगी, इसमें स्पर्श और गंध उद्यान, हाइड्रोथेरेपी इकाई, जल चिकित्सा, मानसिक रूप से विक्षिप्त बच्चों के लिए स्वतंत्र कक्ष, मां जैसी सुविधाएं शामिल हैं। ‘दिव्यांग पार्क-अनुभूति इंक्लूसिव पार्क’ से केवल देशभर में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में इन्क्लूजन का अर्थात समावेशी समाज संकल्पना का संदेश पहुँचेगा।image0031BYA गडकरी ने कहा कि नागपुर शहर देश के सबसे तेजी से बढ़ते शहरों में से एक है। वर्ष 2016 में, केंद्र सरकार ने दिव्‍यांग व्यक्तियों के अधिकारों के लिए दिव्‍यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम को पारित किया था। उन्होंने कहा कि यह कानून दिव्‍यांगों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार देने के लिए है। इसी के तहत केंद्र सरकार ने पहल करते हुए दक्षिण भारत और मध्य प्रदेश में कुछ दिव्यांग पार्क बनाए हैं, इसी कड़ी में नागपुर के पारदी परिसर में दिव्‍यांग बच्चों और आम नागरिकों के लिए यह ‘अनुभूति समावेशी पार्क’ बनाया जा रहा है. उन्‍होंने ने कहा कि यह दुनिया का पहला समावेशी दिव्‍यांग पार्क है। 90 हजार वर्ग फुट क्षेत्र में बन रहे इस पार्क के लिए भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा लगभग 12 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि यहां दिव्‍यांगों के साथ-साथ आम जनता और वरिष्ठ नागरिकों के लिए विभिन्न परियोजनाओं की परिकल्पना की गई है।

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खेलों में डोपिंग की समस्या से निपटने के लिए युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय, एनआईपीईआर हैदराबाद और एफएसएसएआई के बीच त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

खेलों में डोपिंग के खिलाफ निरंतर लड़ाई जारी रखते हुए, युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय, भारत सरकार, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) और राष्ट्रीय औषधि शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद (एनआईपीईआर हैदराबाद) ने भारत में पोषण पूरक परीक्षण क्षमता का निर्माण करने, पोषक तत्वों की खुराक के उपयोग से जुड़े जोखिमों के बारे में जानकारी प्रदान करने और जागरूकता पैदा करने, स्वच्छ खेल और डोपिंग रोधी डोमेन में अनुसंधान के अवसरों को बढ़ाने और खिलाड़ियों के लिए सुरक्षित और डोप-मुक्त पोषण पूरक के विकल्प प्रदान करने के लिए एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

यह समझौता ज्ञापन “खिलाड़ियों के लिए विशेष आहार उपयोग के लिए भोजन” के क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में आदेश के अनुपालन में आपसी प्रतिबद्धता का एक रूप है। यह सहयोग भारत में खेल पारिस्थितिकी तंत्र और जनता के लाभ के लिए एनआईपीईआर हैदराबाद में परीक्षण प्रयोगशाला द्वारा एकत्र किए गए डेटा और सूचना के प्रसार के लिए उपकरणों को विकसित करने में मदद करेगा।

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यह समझौता ज्ञापन भारत में पोषण पूरकों के विपणन और वितरण में सर्वोत्तम पहलों को प्रोत्साहित करेगा। यह एथलीटों को पोषक तत्वों की खुराक में मौजूद हानिकारक घटकों के बारे में भी शिक्षित करेगा जो उनके दीर्घकालिक प्रदर्शन को प्रभावित कर सकते हैं।

श्रीमती सुजाता चतुर्वेदी, सचिव (खेल), युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय, भारत सरकार ने कार्यक्रम का संचालन किया और युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय, भारत सरकार की देश में एक स्वच्छ खेल वातावरण बनाने की दिशा में निरंतर प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने आगे कहा कि यह समझौता ज्ञापन हमारे एथलीटों और खेल समुदाय को पोषण के बारे में सजग निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम है।

श्रीमती एस अपर्णा, सचिव, औषध विभाग, भारत सरकार ने खिलाड़ियों के लिए पोषक तत्वों की खुराक के परीक्षण में देश के विकास की दिशा में इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए सभी को बधाई दी।

श्रीमती एस अपर्णा, सचिव, औषध विभाग, भारत सरकार, श्रीमती सुजाता चतुर्वेदी, सचिव (खेल), युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय, भारत सरकार, श्री रजनीश टिंगल, संयुक्त सचिव, औषध विभाग, भारत सरकार, श्री कुणाल, संयुक्त सचिव (खेल), युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय, भारत सरकार और श्रीमती रितु सैन, महानिदेशक और सीईओ, राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में औषध विभाग के कार्यालय, शास्त्री भवन, नई दिल्ली में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

वर्तमान परिदृश्य में, पोषक तत्वों की खुराक के उपयोग से जुड़े जोखिमों के बारे में जागरूकता की कमी, बाजार में दूषित उत्पादों की उपस्थिति और पोषक तत्वों की खुराक के बारे में प्रासंगिक जानकारी की कमी के कारण डोपिंग के अनजाने मामलों से डोपिंग रोधी नियमों का उल्लंघन होता है और एथलीटों के करियर को जोखिम होता है। यह समझौता ज्ञापन डोपिंग के अनजाने मामलों से निपटने और देश में एक सुरक्षित खेल वातावरण बनाने की दिशा में एक कदम है।

युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय, भारत सरकार और राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी, भारत (नाडा) डोपिंग के अनजाने मामलों के खिलाफ एथलीटों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। इससे पहले 2022 में, भारत सरकार के युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) और राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे, ताकि देश में पोषण पूरक परीक्षण क्षमता और अनुसंधान का निर्माण किया जा सके। नाडा जागरूकता अभियानों, आईईसी सामग्री, सोशल मीडिया सूचना आउटरीच और ऑडियो-विजुअल सामग्री के माध्यम से पोषण संबंधी पूरक आहार से जुड़े जोखिमों के बारे में एथलीटों और खेल संगठनों को संवेदनशील बनाने की दिशा में भी काम कर रहा है।

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दूरदर्शन के डीडी हिमाचल चैनल की 24 घंटे प्रसारण सेवाओं का शुभारंभ

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और युवा कार्य व खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने आज दूरदर्शन के डीडी हिमाचल चैनल की 24 घंटे प्रसारण सेवाओं का शुभारंभ किया। पीटरहॉफ शिमला से श्री अनुराग ठाकुर ने हिमाचल के लोगों को डीडी हिमाचल चैनल की 24 घंटे प्रसारण सेवा की सौगात दी । डीडी हिमाचल अब शिमला से 24 घंटे कार्यक्रमों और खबरों का प्रसारण करेगा। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह, उप-मुख्यमंत्री श्री मुकेश अग्निहोत्री, शिमला के सांसद श्री सुरेश कश्यप और प्रसार भारती के सीईओ श्री गौरव द्विवेदी भी उपस्थित रहे।

सूचना प्रसारण मंत्री ने इस मौके पर बताया कि डीडी हिमाचल को 24 घंटे करने के लिए एक नया स्टूडियो भी बनाया गया है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस चैनल के 24 घंटे प्रसारण होने से हिमाचल की संस्कृति देश और दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचेगी और युवाओं और कलाकारों को मंच मुहैया होगा। इस अवसर पर श्री ठाकुर ने कहा कि राज्‍य के निवासियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को ध्यान में रखते हुए यह सेवा विस्‍तारित की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह हिमाचल के लिए ऐतिहासिक दिन है, जब माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य में दूरदर्शन चैनल का 24 घंटे प्रसारण शुरू हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसमें आधुनिक उपकरण लगाए गए हैं। डीडी हिमाचल डीटीएच पर भी उपलब्ध होगा, जिसके माध्यम से प्रदेश की कला, संस्कृति, साहित्य, पर्यटन व धार्मिक स्थलों, खेल गतिविधियों तथा विभिन्न उपलब्धियों से संबंधित जानकारी देश और दुनिया तक पहुंचेंगी।

इस मौके पर श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि देश के सार्वजनिक प्रसारक के रूप में दूरदर्शन और आकाशवाणी देश के दूर-दराज क्षेत्रों में लोगों के लिए सूचना, शिक्षा, मनोरंजन और सहभागिता का सबसे महत्वपूर्ण साधन हैं। दूरदर्शन और आकाशवाणी ने कोविड महामारी के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य संदेशों का प्रसारण किया और जनता को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्तमान में  दूरदर्शन 36 टीवी चैनलों का संचालन करता है और ऑल इंडिया रेडियो 500 से अधिक प्रसारण केंद्रों को चलाता  है। उन्होंने कहा कि इस चैनल के माध्यम से हिमाचल प्रदेश में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और इसके लिए राज्य के पर्यटन विभाग के साथ मिलकर काम किया जाएगा। साथ ही, हिमाचल प्रदेश के लोक संगीत को भी एक बेहतरीन मंच प्राप्त होगा, जिसके लिए दूरदर्शन के प्रसिद्ध कार्यक्रम चित्रहार की तर्ज पर हिमाचली संगीत पर कार्यक्रम प्रसारित किया जाए।  केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि हिमाचल प्रदेश के बहुत से लोग रोजी-रोटी कमाने के लिए देश के भिन्न-भिन्न राज्यों व विदेशों में रहते हैं और इन लोगों की बहुत समय से मांग थी कि वे अपने प्रदेश के जुड़े कार्यक्रमों व समाचारों को देख सुन सकें।

श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि इस चैनल के माध्यम से देश की आजादी में भूमिका निभाने वाले देवभूमि के स्वतंत्रता सेनानियों तथा सेना में सेवाएं देने वाले वीर सैनिकों के साहस की शौर्य गाथाएं भी प्रस्तुत की जाएंगी। उन्होंने कहा कि डीडी हिमाचल पर आधे-आधे घंटे के तीन समाचार बुलेटिन प्रसारित किए जाएंगे।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह का कार्यक्रम में पधारने पर स्वागत किया और प्रदेशवासियों को डीडी हिमाचल की सेवाएं चौबीस घंटे उपलब्ध होने पर शुभकामनाएं दीं। अपने संबोधन में मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह ने लगभग 70 लाख आबादी वाले हिमाचल प्रदेश को 24 घंटे डीडी हिमाचल प्रसारण के लिए केंद्रीय मंत्री का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार में हिमाचल प्रदेश से संबंध रखने वाले मंत्री हैं, इसलिए यह सेवा शुरू हो पाई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार राज्य के विकास के लिए प्रतिबद्ध है, जिसके लिए केंद्र सरकार का सहयोग आवश्यक है।

इस मौके पर प्रसार भारती के सीईओ श्री गौरव द्विवेदी ने सभी अतिथियों का कार्यक्रम में पधारने पर स्वागत किया।  उन्होंने बताया कि डीडी हिमाचल  के माध्यम से प्रदेश के युवाओं और कलाकारों मंच मुहैया करवाया जायेगा।  उन्होंने कहा कि उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास है कि डीडी हिमाचल चैनल नए अंदाज में राज्य की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा। डीडी हिमाचल की लगातार कोशिश रहेगी कि यहां की स्थानीय प्रतिभाओं को, यहां के लोगों की भावनाओं को इस चैनल के माध्यम से बखूबी अभिव्यक्त किया जाए।

कार्यक्रम में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल, कृषि मंत्री चंद्र कुमार, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, विधायकगण, केंद्रीय व राज्य सरकार तथा दूरदर्शन के वरिष्ठ अधिकारी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

गौरतलव है कि डीडी हिमाचल प्रदेश का पहला 24 घंटे का चैनल है।  इस चैनल को केवल नेटवर्क के साथ साथ तमाम डीटीएच प्लेटफार्म पर द्देखा जा सकेगा।  इसके माध्यम से हिमाचल की संस्कृति,लोक संगीत और कला के बारे में देश और दुनियाँ जान ही सकेगी साथ ही हिमाचल के पर्यटन और खेलों को भी बढ़ावा मिलेगा।

पृष्ठभूमि :

हिमाचल प्रदेश के बहुत से लोग देश के भिन्न-भिन्न राज्यों व विदेशों में रहते हैं और बहुत समय से मांग थी कि हिमाचल  प्रदेश के जुड़े कार्यक्रमों व समाचारों को देखने – सुनने में, न ही  समय की बाघ्यता  हो और इसे राज्ये के बाहर भी टिवी  पर देखा जो सके।  सके । इसी मांग को देखते हुए मार्च 2019 में जहां दूरदर्शन केंद्र शिमला से होने वाले स्थानीय प्रसारण को सेटेलाइट फुटप्रिंट देते हुए प्रसार भारती नेटवर्क के डीटीएच प्लेटफॉर्म डीडी फ्रीडिश पर जगह दी गयी । वहीं अप्रैल 2020 से स्थानीय प्रसारण और डीडी होम के मिश्रण के साथ 24×7 ऑपरेशंस शुरु हुआ। डीडी हिमाचल प्रदेश 3 बजे से लेकर 7 बजे तक प्रादेशिक कार्यक्रम व समाचार प्रसारित करता है।

राज्य के लोगों की जनभावना और आकांक्षाओं को मूर्त रुप देने के लिए,  हिमाचल प्रदेश राज्य के विविध आयामों से लोगों को और मजबूती एवं प्रभावी तरीके से परिचित कराने के लिए राज्य के कलाकारों को एक मंच प्रदान करने और युवाओं की रचनाशीलता को अवसर प्रदान करने के लिए 24×7दूरदर्शन हिमाचल को 24×7 किया जाना पूरे प्रदेश के लिए हर्ष का विषय है।

“दूरदर्शन हिमाचल ”  दूरदर्शन नेटवर्क का हिमाचल प्रदेश राज्य के लिए समर्पित सेटेलाइट चैनल है जो राज्य की राजधानी शिमला के दूरदर्शन केंद्र से प्रसारित किया जाता है। 7 जून 1995 को इस कैंद्र की स्थापना हिमाचल प्रदेश के लोगों द्वारा लंबी चली आ रही मांग को देखते हुए dh गई थी। शुरूआती तौर पर इसका प्रसारण केवल आधे घंटे था जिसे बाद में 8 अक्तूबर 2000 को बढ़ाकर 2 घंटे और बाद में 4 घंटे कर दिया गया। वर्तमान में इस चैनल पर 4 घंटे स्थानीय कार्यक्रम और बाकी समय डीडी न्यूज़ प्रसारित किया जाता है। डीडी हिमाचल राज्य के विविध आयामों] जैसे कि सांस्कृतिक] इतिहास] कला- संस्कृति] साहित्य] व्यक्तित्व] समाचार और समसामयिक मामलों से जुड़े कार्यक्रमों का प्रसारण करता है।

देव भूमि के साथ वीर भूमि कहे जाने वाले इस राज्य की सभ्यता-संस्कृति की जड़ें भी काफी गहरी हैं। भारत के उत्तरी भाग में स्थित यह पर्वतीय राज्य हिमालय की चोटियां लगातार प्रवाहमान नदियों और घाटियों से आच्छादित हैं। प्रकृति के मनोहर दृश्यों से भरे इस राज्य में जैव-विविधता भी प्रचुर है। पर्यटन के लिए देश-विदेश से पर्यटक काफी संख्या में इस राज्य में आते हैं। हस्तशिल्प और विविध कलाओं के साथ-साथ धार्मिक स्थलों के लिए भी यह राज्य जाना जाता है। प्रदेश के जुड़ी ऐसी कई वीर गाथाएं हैं जिन्हें लोग जानना चाहते हैं। कैप्टन विक्रम बत्रा की वीरता युवाओं को देश के लिए मर-मिटने की प्रेरणा देती है और दूरदर्शन हिमाचल ऐसी ही प्रेरक कहानियों को एक मंच प्रदान करेगा ताकि वे सभी लोगों में देश के प्रति  राष्ट्र~भावना जागृत कर सके।

सेटेलाइट चैनल 24×7                   08

क्षेत्रीय भाषा सेवा आधारित चैनल / राज्य नेटवर्क चैनल 28

चैनलों की कुल संख्या   36

दूरदर्शन नेटवर्क के सेटेलाइट चैनल

अखिल भारतीय चैनल (8)

डीडी नेशनल डीडी न्यूज डीडी स्पोर्टस

डीडी भारती डीडी उर्दू डीडी किसान

डीडी रेट्रो   डीडी इंडिया*

क्षेत्रीय भाषा सेवा आधारित चैनल (21) डीडी मलयालम डीडी चंदना डीडी यदगिरी

डीडी पोढ़िगई डीडी सहयाद्रि डीडी गिरनार

डीडी ओड़िया डीडी कशीर डीडी असम

डीडी बांग्ला डीडी पंजाबी डीडी राजस्थान

डीडी बिहार डीडी उत्तर प्रदेश डीडी मध्य प्रदेश

डीडी सप्तगिरी  डीडी अरूण प्रभा डीडी उत्तराखंड

डीडी झारखंड  डीडी छत्तीसगढ़  डीडी त्रिपुरा

राज्य नेटवर्क चैनल (7) डीडी हिमाचल प्रदेश डीडी मेघालय डीडी गोवा

डीडी हरियाणा डीडी नागालैंड डीडी मिजोरम

डीडी मणिपुर

*  डीडी इंडिया चैनल की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मौजूदगी भी है

दूरदर्शन नेटवर्क के सभी 36 चैनल प्रसार भारती नेटवर्क के डीटीएच प्लेटफॉर्म डीडी फ्रीडिश के जरिए अंडमान-निकोबार द्वीप-समूह को छोड़कर लगभग पूरे भारत देश में दर्शकों के लिए उपलब्ध हैं।

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राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव 2023 मुंबई में प्रारंभ हुआ, ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना का प्रदर्शन

राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव की मुंबई में शुरुआत हो चुकी है और इस बार यह आयोजन सभी के लिए एक विशेष विजुअल तथा म्यूजिकल कार्यक्रम होगा। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव 2023 का उद्घाटन महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्री जी किशन रेड्डी द्वारा कल शाम मुंबई में चर्चगेट स्थित आजाद मैदान में किया गया। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा 11 से 19 फरवरी तक सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता को बढ़ावा देने के उद्देश्य के साथ इस महोत्सव का आयोजन किया गया है।

महाराष्ट्र सरकार में सांस्कृतिक कार्य, वन एवं मत्स्य पालन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार और महाराष्ट्र सरकार में ही पर्यटन, कौशल विकास, रोजगार, उद्यमिता तथा महिला एवं बाल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए सम्मानित अतिथि थे।

राज्यपाल ने उद्घाटन अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव “एक भारत श्रेष्ठ भारत” की भावना का स्थायी संदेश देता है। उन्होंने कहा, राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव यह दर्शाता है कि भाषा एवं सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों में कई विविधताओं के बावजूद, भारत एकजुट तथा एक राष्ट्र है। राज्यपाल ने कामना करते हुए कहा कि यह महोत्सव कुंभ मेले की तरह ही विश्व प्रसिद्ध होगा।

श्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि भारत सरकार भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण का सूत्रपात कर रही है। उन्होंने इस संबंध भारत की समृद्ध संस्कृति व परंपरा को ध्यान में रखते हुए दुनिया के समक्ष उदाहरण के रूप में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन का हवाला दिया।

राज्यपाल ने सभी से आध्यात्मिक और कालातीत परंपराओं को अपने जीवन में यथोचित बनाए रखने का आह्वान किया। उन्होंने सभी मुंबई वासियों व महाराष्ट्र राज्य तथा देश के अन्य हिस्सों के लोगों से बड़ी संख्या में इस महोत्सव में आने और समृद्ध शिल्प, कला, व्यंजन एवं भारतीय संस्कृति के अन्य पहलुओं का भरपूर आनंद लेने का आह्वान किया।

संस्कृति और पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने घोषणा करते हुए कहा कि इस वर्ष 14 अप्रैल को डॉ बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती पर एक विशेष पर्यटक बाबासाहेब अम्बेडकर सर्किट ट्रेन का शुभारंभ किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने नागरिकों, कलाकारों एवं कारीगरों सहित सभी दर्शकों के साथ अपने विचार साझा करते हुए कहा कि लगभग 1000 कलाकार मुंबई के लोगों के लिए इस महोत्सव के दौरान अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि यह शहर प्राचीन परंपरा व आधुनिकता का संगम है, जिसमें सांस्कृतिक रूप से समृद्ध पर्यटक स्थलों, संस्थानों, त्योहारों और नृत्य तथा सिनेमा सहित कला के अन्य स्वरूपों की एक समृद्ध टेपेस्ट्री है। श्री जी किशन रेड्डी ने बताया कि “एक भारत श्रेष्ठ भारत” से प्रेरित तथा कला एवं संस्कृति के माध्यम से भारत की विविधता के उत्सव को दर्शाने और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए इस महोत्सव को आयोजित किया जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि महोत्सव हमारी समृद्ध संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाएगा और देशवासियों के बीच हमारी स्वदेशी संस्कृति एवं कला के प्रति आदर तथा प्रेम को फिर से जागृत करेगा। उन्होंने कहा कि हम वोकल फॉर लोकल को भी बढ़ावा दे रहे हैं और भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर देश के तीर्थ स्थलों का विकास किया है।

केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने सभी मुंबईवासियों से एक ही छत के नीचे आयोजित इस महोत्सव में आने और भारतीय संस्कृति की विभिन्न अभिव्यक्तियों में खुद को भिगोकर प्रेरणा, ज्ञान तथा मनोरंजन प्राप्त करने की अपील की।

महाराष्ट्र सरकार में सांस्कृतिक कार्य, वन एवं मत्स्य पालन मंत्री, सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि भारत दुनिया भर के देशों में सबसे विविध व सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश है। उन्होंने इस अवसर पर देश और महाराष्ट्र राज्य की कई लोक कलाओं को याद किया। श्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि संस्कृति मन की शांति के लिए महत्वपूर्ण है, जिसे केवल धन मात्र से प्राप्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की “एक भारत श्रेष्ठ भारत” पहल में महाराष्ट्र सक्रिय रूप से अपना योगदान देना जारी रखेगा।

भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव सुश्री अमिता साराभाई ने कहा कि महोत्सव का उद्देश्य विभिन्न राज्यों की संस्कृतियों को एक-दूसरे के साथ तथा 3सी अर्थात आम नागरिक के साथ शिल्प, संस्कृति और व्यंजनों के माध्यम से जोड़ना है।

उद्घाटन समारोह में तेजस्विनी साठे और उनकी मंडली द्वारा शास्त्रीय कथक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कलाकारों के प्रतिभाशाली समूह ने शास्त्रीय नृत्य के जीवंत, लयबद्ध तथा अभिव्यंजक स्वरूप के माध्यम से दर्शकों का मन मोह लिया और उन्हें आनंदित कर दिया। मशहूर गायक मोहित चौहान ने अपनी प्रस्तुति में ‘तुमसे ही, 25 साल का सुरिला सफर’ (25 साल का संगीतमय सफर) शीर्षक से कई गीतों की मधुर प्रस्तुति दी।

केंद्रीय मंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम के विस्मृत और कम ज्ञात नायकों की विषयवस्तु पर आरएसएम के आयोजन स्थल पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के केंद्रीय संचार ब्यूरो द्वारा स्थापित की गई प्रदर्शनी स्टालों का दौरा किया। उन्होंने प्रसिद्ध गायक मोहित चौहान के संगीत समारोह में भी भाग लिया। लगभग 300 स्थानीय लोक कलाकारों, कुछ ट्रांसजेंडर तथा अलग-अलग दिव्यांग कलाकारों व प्रसिद्ध शास्त्रीय कलाकारों के साथ-साथ अन्य जाने-माने कलाकारों के साथ पूरे भारत से आने वाले करीब 350 लोक एवं जनजातीय कलाकार अपने मोहक प्रदर्शनों से दर्शकों का मनोरंजन करेंगे और उनमें उत्साह भरेंगे। इन कलाकारों के अलावा, भारत के सभी राज्यों तथा केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सभी सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों से लगभग 150 शिल्पकारों को आंगन के तहत उनकी कला एवं शिल्प बिक्री-सह-प्रदर्शनी के लिए आमंत्रित किया गया है, जिसके लिए लगभग 70 स्टॉल उपलब्ध कराए गए हैं। साथ ही, महाराष्ट्र राज्य हथकरघा विभाग और स्टार्टअप के लिए 25 स्टॉल लगाए जा रहे हैं। संस्कृति मंत्रालय द्वारा हर वर्ष भारत के अलग-अलग राज्यों में इस महोत्सव का आयोजन किया जाता है। यह साल 2019 में मध्य प्रदेश में, 2022 में आंध्र प्रदेश व तेलंगाना में आयोजित किया गया और अब महाराष्ट्र में इसका आयोजन किया जा रहा है।

 

प्रतिदिन का कार्यक्रम विवरण इस प्रकार रहेगा:

  1. सुबह 11:00 बजे से रात 10:00 बजे तक हस्तशिल्प एवं कला प्रदर्शनी
  2. दोपहर 02:30 बजे से अपराह्न 03:30 बजे तक स्थानीय कलाकारों द्वारा मार्शल आर्ट की प्रस्तुति
  3. शाम 04:00 बजे से शाम 05:30 बजे तक स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुति
  4. शाम 06:00 बजे से शाम 06:45 बजे तक पारंपरिक, जनजातीय और लोक नृत्य कोरियोग्राफिक प्रस्तुति
  5. शाम 07:00 बजे से रात 08:15 बजे तक प्रसिद्ध शास्त्रीय कलाकारों द्वारा कार्यक्रम का आयोजन
  6. रात 08:30 बजे से 10:00 बजे तक प्रसिद्ध स्टार कलाकारों द्वारा आयोजित कार्यक्रम

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राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के आयोजन स्थल पर एक फूड कोर्ट स्थापित किया गया है, जिसमें पूरे भारत से खाद्य व्यंजनों को उपलब्ध कराने वाले लगभग 37 स्टॉल होंगे और स्थानीय फूड स्टॉल के साथ-साथ आम जनता के लिए मोटे अनाज से बना हुआ भोजन भी उपलब्ध होगा।

इस कार्यक्रम में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण वाले सभी सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र और अकादमियां भाग ले रही हैं। यह कार्यक्रम महाराष्ट्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।

राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव है और यह लोगों को एक साथ आने तथा भारत की सर्वश्रेष्ठ सांस्कृतिक परंपराओं का अनुभव प्राप्त करने का अवसर है। पूरे कार्यक्रम के दौरान सभी नागरिकों और कला प्रेमियों के लिए प्रवेश निःशुल्क है। इस अनोखे सांस्कृतिक अनुभव को देखना न भूलें और हमारे साथ संगीतमय तथा सांस्कृतिक यात्रा का आनंद लें!

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केंद्रीय खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने लखनऊ में भारतीय खेल प्राधिकरण – राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र में खेल संबंधित नए बुनियादी ढांचे का उद्घाटन किया

केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने रविवार को लखनऊ में भारतीय खेल प्राधिकरण के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र में उपलब्ध खेल के बुनियादी ढांचे को और बेहतर बनाने के प्रयास के साथ 300 बिस्तरों वाले छात्रावास, अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ कुश्ती के लिए एक उन्नत हॉल तथा एक खेल चिकित्सा केंद्र का उद्घाटन किया।

 

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लखनऊ स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण का राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र महिला कुश्ती एथलीटों के राष्ट्रीय शिविरों का केंद्र रहा है, जहां पर भारत की विशिष्ट वर्ग की महिला पहलवानों को प्रशिक्षण दिया जाता है।

एनसीओई लखनऊ में 300 बिस्तरों वाले छात्रावास के निर्माण के साथ ही इसकी क्षमता में काफी बढ़ोतरी हो गई है और अब यहां किसी भी समय राष्ट्रीय शिविर में आने वाले खिलाड़ियों सहित 460 एथलीटों के रहने की क्षमता स्थापित हो गई है। नया छात्रावास महिला एथलीटों को समर्पित होगा, जबकि 80 बिस्तरों के मौजूदा दो छात्रावास इस केंद्र में लड़कों के प्रशिक्षण के लिए आरक्षित रहेंगे।

खेल चिकित्सा केंद्र को मौजूदा मेडिकल सेंटर से अपग्रेड किया गया है और अब इसमें खेल विज्ञान विशेषज्ञों के साथ-साथ एक खेल मनोवैज्ञानिक भी होंगे। इस प्रांगण को पूरी तरह से सुसज्जित खेल विज्ञान केंद्र बनाने के लिए यहां पर उन्नत बायोमैकेनिक मशीनें लगाई जा रही हैं।

उद्घाटन अवसर पर श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि लखनऊ का भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र पहले एक छोटा केंद्र था, जिसे अब अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण मानकों के अनुकूल बनाने के लिए नया रूप दिया गया है। उन्होंने कहा, हमारे प्रयास हमेशा से यही सुनिश्चित करने के लिए होते रहे हैं कि भारतीय एथलीटों के पास उस तरह की सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हों, जो उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने में सहायता कर सकती हैं और ये परिवर्तन उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।

श्री ठाकुर ने विशेष रूप से इस केंद्र से महिला एथलीटों द्वारा दर्शाए जा रहे शानदार प्रदर्शन का उल्लेख किया और उन्होंने मणिपुर की भारोत्तोलक एम. मार्टिना देवी के प्रदर्शन का भी जिक्र किया, जो एनसीओई लखनऊ में प्रशिक्षण लेती हैं और हाल ही में मध्य प्रदेश में संपन्न खेलो इंडिया यूथ गेम्स के दौरान 7 रिकॉर्ड तोड़ चुकी हैं। उन्होंने कहा कि जब किसी केंद्र से एथलीट प्रतिस्पर्धा करते हैं तो इस दौरान केंद्र द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं का भी परीक्षण होता है। केंद्रीय खेल मंत्री ने कहा कि मार्टिना की हालिया उपलब्धि यह साबित करती है कि लखनऊ में एनसीओई एथलीटों को वास्तव में उसी तरह का प्रशिक्षण, आहार और आवास की सुविधा प्राप्त हो रही है, जिसकी उन्हें आवश्यकता है।

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