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नंदा लेट हो रहा है जल्दी चलो हम वैसे ही लेट हो गये हैं। मूवी निकल जाएगी

नंदा:- “हां! बस आ रही लॉक लगाकर।”

नितिन जल्दी-जल्दी गाड़ी ड्राइव कर रहा थे ताकि समय पर पहुंच कर मूवी शुरू से देख सके।
नितिन:- “तुम्हारी भी बड़ी खराब आदत है एकआध काम छोड़ दिया करो, बाद में कर लेना था। जब पता था कि मूवी जाना है तो समय से काम निपटा लेना था। इस तरह से भाग दौड़ तो नहीं होती।”
नंदा:- “अब तुम मुझे ही दोष दो, सुबह से लगी हुई हूं काम में। जल्दी-जल्दी सब काम निपटा तो रही थी। घर में पचासों काम होते हैं। वापस आने में देर हो जाएगी तो बाद के काम भी निपटा रही थी।”
नितिन:- “अच्छा छोड़ो! इस बहस में मूड खराब हो रहा है। निकले हैं मूवी देखने और इस बहस से मूवी देखने के मूड का सत्यानाश हो रहा है।”
नंदा कुछ बोली नहीं लेकिन उसका मूड खराब हो गया था यह बात नितिन ने भांप लिया था। पार्किंग में गाड़ी खड़ी रखकर दोनों जल्दी-जल्दी थिएटर हॉल में पहुंचे। आधी मूवी नंदा ने अनमने ढंग से देखी। ब्रेक में नितिन दो कॉफी और पॉपकॉर्न ले आया। थोड़ी देर बाद नंदा नॉर्मल हो गई। दोनों मूवी देख कर बाहर निकले तो नितिन बोला, “चलो डोसा खाने चलते हैं।”
नंदा:- “और जो घर पर बनाया है वह?”
नितिन:- “अरे बाबा वह सुबह खा लेंगे, अभी डोसा खाने का मन है तो बोलो।”
नंदा:- ” ठीक है! चलो।”
एक साउथ इंडियन रेस्त्रां में दोनों गए और डोसे का आर्डर दिया। आर्डर आने में समय था तो नितिन ने पूछा, “नीलू का कुछ फोन आया क्या ?”
नंदा:- “हां आया था तो मैंने कह दिया था कि तेरे जीजा जी से बात करके बताऊंगी। क्या सोचा आपने उस बारे में?”
नितिन:- “तुम बताओ जैसा कहोगी हो जाएगा।”
नंदा:- “दो लाख मांग रहा है नीलू, इस कोविड में काम धंधा पूरी तरह चौपट हो गया है। मदद तो करनी ही चाहिए लेकिन पैसे जल्दी वापस नहीं आएंगे यह बात तय है।”
नितिन:- “ठीक है। वह कोई चिंता नहीं। देखता हूं कि क्या कर सकता हूं मैं।”
दोनों डोसा खाकर घर आ गये। दूसरे दिन सुबह नाश्ते की टेबल पर नंदा ने नितिन से कहा कि, “तुम सोच समझकर ही पैसे देना, बाद में परेशान मत होना।”
नितिन:- “वह मैं देख लूंगा, तुम परेशान मत हो उसके लिए। मैं नीलू से बात करके उसे रुपए भिजवा देता हूं।” नंदा सिर हिला कर किचन में चली गई।
घर के काम निपटा कर नंदा अपने मायके चली गई। नंदा:- “मम्मी नीलू कहां है? मुझे उससे बात करनी है।” मां:- “ऊपर कमरे में है। क्या हुआ?”
नंदा:- “कुछ नहीं! बस ऐसे ही। आती हूं उससे मिलकर।” और वह ऊपर जाने लगी।
नंदा:- ” नीलू तुम्हें तुम्हारे जीजा जी का फोन आया था क्या?”
नीलू:- “हां दीदी आया था। उन्हीं के पास जाने के लिए तैयार हो रहा हूं लेकिन तुम इस वक्त यहां? कुछ काम था क्या?”
नंदा:- “नहीं! कुछ काम नहीं था, बस तुमसे यही कहने आई थी कि कोशिश करना कि समय से पैसे वापस कर दो ताकि भविष्य में वह फिर से मदद कर सके।” नीलू:- “हां दीदी कोशिश तो पूरी रहेगी बाकी देखते हैं।” और नीलू चला जाता है।
नंदा भी मम्मी, भाभी से मिलकर घर वापस आ जाती है।
कुछ समय बाद नितिन नंदा से पूछता है, “अरे नंदा! नीलू का काम कैसा चल रहा है? इस बीच उसका कोई फोन भी नहीं आया और मैं भी जरा काम में व्यस्त रहा तो बात ही नहीं हो पाई।”
नंदा:- “हां…. ठीक है। अब गाड़ी पटरी पर तो आ गई है। फिर से काम जमा रहा है तो थोड़ा वक्त तो लगेगा ही।”
नितिन:-  “हम्म। अरे कभी अपने जीजा जी को भी याद कर लिया करे। सिर्फ काम के समय ही याद करेगा क्या?”
बात सही थी लेकिन यह व्यंग्य नंदा को चुभ गया वह मुस्कुरा कर बोली, “सही है। अब मेहनत कर रहा है तो समय नहीं मिलता होगा उसे लेकिन उसे बोलूंगी कि आप से बात कर ले।”
नितिन:- “अरे नहीं! मैंने तुमसे मजाक में कही यह बात। अब क्या तुमसे मस्ती भी नहीं कर सकता।” नंदा हंसकर रह गई।
दिवाली का त्यौहार करीब आ रहा था और मेरा काम भी बढ़ता जा रहा था। एक पैर घर में तो एक बाजार में रहता। दिन कैसे जा रहे थे मालूम ही नहीं पढ़ रहा था। दोपहर में आराम करने लेटी तो ध्यान आया कि इस बीच घर से कोई फोन नहीं आया। मम्मी का भी नहीं। भाभी भी शायद काम में बिजी होंगी। शाम को चाय पीते हुए घर पर फोन लगाया।
मैं:- “हेलो, हां भाभी कैसी हो? क्या बात है बहुत व्यस्त हो? एक फोन भी नहीं!”
भाभी:- “हां… नंदा दीवाली करीब आ रही है तो घर की साफ सफाई चल रही है। साथ में घर के पचासों और काम तो रहते ही है। बच्चों को भी ट्यूशन छोड़ने जाना लाने जाना यह भी तो एक काम ही रहता है। कितनी बार तुम्हारे भैया से कहा है कि एक गाड़ी दिला दो बच्चों को। बच्चे अपने आप ट्यूशन आना जाना कर लेंगे, मगर वह सुनते ही नहीं। अब देखो कल अम्मा की तबीयत भी खराब हो गई। डॉक्टर के पास ले गए थे चेकअप चल रहा है, पैरों में दर्द बहुत था। उनके घुटने में सूजन थी चल ही नहीं पा रही थी। तुम्हारे भैया गए हैं एक्सरे निकलवाने फिर डॉक्टर के पास जाएंगे। देखो रिपोर्ट में क्या आता है?
मैं:- “अरे ! आपने कुछ बताया ही नहीं! रिपोर्ट आए तो मुझे भी बताना। मैं कल आती हूं।”
भाभी:- “हां ठीक है।”
फोन काट कर मैं सोचने लगी कि एक ना एक परेशानी लगी रहती है। अब यह नई परेशानी और मैं अपने काम में बिजी हो गई। रात के खाने पर मैंने नितिन से कहा, “सुनो! मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है उन्हें पैरों में तकलीफ है तो मैं कल उनसे मिलने घर जा रही हूं।”  नितिन:- “हां ठीक है।”
सुबह होते ही घर के सारे काम जल्दी जल्दी निपटा कर मैं मम्मी के पास जाने के लिए तैयार होने लगी। बच्चे स्कूल से दोपहर तक आएंगे तो निश्चिंत थी मैं।
घर पहुंच कर मैं मां के पास गई। मम्मी लेटी हुई थी और उनके कराहने की आवाज आ रही थी।
मैं:- “मम्मी अचानक घुटने में दर्द क्यों होने लगा?”
मम्मी:- “अरे बेटा, बुढ़ापा है तो कुछ ना कुछ तो लगा ही रहेगा। एक घुटना घिस गया हैं इसी से बहुत दर्द है। डॉक्टर ने ऑपरेशन बताया है। अब डॉक्टर को कैसे बोलूं कि अभी ऑपरेशन नहीं करवा सकते। पास में इतने पैसे नहीं है। तीन लाख का खर्चा बता रहा है। कैसे हो पाएगा यह सब। मैं भी यह सब सुनकर परेशान हो गई लेकिन मां को तसल्ली दी, “सब हो जाएगा परेशान मत हो।” घर वापस आते समय रास्ते भर यही सोचती रही कि भैया कैसे कर पाएंगे ये सब? नीलू ने नितिन से अभी-अभी आर्थिक मदद ली थी, अब वापस नितिन को कैसे बोलूं?
रात में खाना परोसते समय नितिन ने पूछा, “घर गई थी क्या?”
मैं:- “हां गई थी। मम्मी के घुटने में दर्द है। डॉक्टर ने ऑपरेशन बताया है आपरेशन का खर्चा भी बहुत ज्यादा है।”
नितिन:- “हम्म…. कितना बताया है?”
नंदा:- “तीन लाख बोल रहा डॉक्टर।”
नितिन कुछ बोले नहीं और सोचनीय मुद्रा में बैठे रहते हैं। हम दोनों ही कुछ कह नहीं पा रहे थे। सुबह नितिन ने भैया से बात की।
नितिन:- “हेलो! नीलू अरे भाई कैसे हो? बिल्कुल भूल ही गए? अरे कुछ खोज खबर अपने जीजा जी की भी ले लिया करो।
नीलू:- “अरे जीजा जी! प्रणाम! सब ठीक है। बस ऑफिस ही जा रहा था। नंदा ने बताया होगा कि मम्मी के बारे में, बस उसी में परेशान लगा पड़ा हूं।”
नितिन:- “हां बताया मुझे। कितनी रकम है तुम्हारे पास?
नीलू:- “पौने दो लाख तक जैसे-तैसे अरेंज कर लूंगा। बाकी का देखता हूं कि कैसे अरेंज होता है।”
नितिन:- “ठीक है। ऑपरेशन कब करवाना है।”
नीलू:- “डाक्टर महीने के आखिर में बोला है तभी तारीख भी देंगे।”
नितिन:- “ठीक है।”
अगले दिन सुबह नंदा भाभी से पूछती है।
नंदा:- “भाभी! मम्मी कैसी है? और भैया ने कितना जमा कर लिया है?”
भाभी:- “मम्मी ऐसे तो ठीक है, बस चलना फिरना दूभर है। तुम्हारे भैया टेंशन में दुबले हुए जा रहे हैं इस बीमारी और पैसे के कारण। अभी तक कुछ भी व्यवस्था नहीं हो पाई है।”
नंदा:- “देखती हूं इनसे बात करके लेकिन हिम्मत नहीं होती, इतनी बड़ी रकम जो है।”
भाभी:- “हां यह बात तो है। जमाई बाबू पहले ही इतनी मदद कर चुके हैं कि अब और कैसे कहें मदद के लिए फिर भी एक बार बात करके देखो।”
नंदा:- “हां भाभी देखती हूं।”
नंदा:- “एक हफ्ता बचा है मम्मी के ऑपरेशन को और भैया अभी तक पूरा पैसा नहीं जमा कर सके हैं। भैया भाभी दोनों बहुत परेशान लग रहे थे।”
नितिन:- “तुम परेशान मत हो वह जो डेढ़ लाख की एफडी पड़ी है उसे तोड़ दो और नीलू को दे दो। पैसा जमा ही इसीलिए किया जाता है कि वक्त पर काम आ सके। रखे रखे तो कुछ काम आएगा नहीं।”
नंदा रोने लगती है। नितिन का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा कि, “मैं कितनी खुशनसीब हूं कि आप जैसा पति मिला। मेरे पीहर के दुख को अपना दुख समझकर मेरा साथ देते हैं और मुझे समझते हैं।”
नितिन:- “तुम मेरी अर्धांगिनी हो मतलब आधा अंग हो तो मैं मेरे आधे अंग को कष्ट में कैसे देख सकता हूं। तुम्हारा दुख मेरा दुख है और यह जरूरी नहीं कि बेटी की शादी हो गई तो वह मायके से संबंध तोड़ दे या मायके की तकलीफ में काम ना आये या मायके के लोग बेटी से मदद की अपेक्षा नहीं रख सकते। तुम वह पैसे ले जाओ और नीलू को दे दो तो उसे राहत मिलेगी। नंदा खुशी-खुशी घर जाने के लिए तैयार होने लगी। उसके चेहरे पर संतोष था।

प्रियंका वर्मा महेश्वरी

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शो के माध्यम से समृद्ध कानपुर इतिहास और संस्कृति को प्रदर्शित किया जाएगा, विशेष अवसरों और त्योहारों पर, एक विशेष शो का आयोजन होगा

आयुक्त राज शेखर ने आगामी प्रोजेक्शन मैपिंग शो के लिए 21 जनवरी, 2022 को गांधी भवन, फूल बाग का दौरा किया।

इस परियोजना का उद्देश्य शो के माध्यम से समृद्ध कानपुर इतिहास और संस्कृति को प्रदर्शित करना है।विशेष अवसरों और त्योहारों पर, एक विशेष शो का आयोजन किया जाएगा।अलग-अलग टाइमिंग के अलग-अलग शो आयोजित किए जाएंगे। पार्क में आने वाले लोगों के बैठने की जगह होगी।इस शो से नाइट टूरिज्म को बढ़ाया जाएगा। केडीए, स्मार्ट सिटी कानपुर जैसे विभिन्न विभागों को परियोजना के उचित प्रबंधन और कामकाज के लिए आयुक्त महोदय द्वारा निर्देश दिए गए थे।प्रोजेक्शन मैपिंग शो बुर्ज खलीफा दुबई, गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई, इंडिया गेट दिल्ली जैसे प्रतिष्ठित स्थानों पर प्रसिद्ध हैं और अब कानपुर में होने की योजना है।शो की अवधारणा चार पहलुओं में कानपुर शहर में संस्कृति की समृद्धि का जश्न मनाती है – पौराणिक इतिहास, इतिहास, वर्तमान और उज्ज्वल भविष्य।यह शो ध्रुव, भ्रामवर्त घाट और सीता की कहानी की पौराणिक कहानियों का समापन करता है।

कानपुर का समृद्ध इतिहास उन पहले शहरों में से एक है जहां 1857 के विद्रोह की शुरुआत तात्या टोपे, रानी लखमी बाई और नाना राव के साथ हुई थी। यह विभिन्न ब्रिटिश प्रतिष्ठानों के विकास पर भी जोर देता है जो उस अवधि के बाद लाल इमली मिल्स – एशिया की सबसे बड़ी कपास मिल जैसी थी।वहाँ से लेकर आज तक कानपुर, जहाँ विभिन्न प्रकार के भोजन जैसे कि थग्गू के लड्डू और बदनाम कुल्फी, इसके होली समारोह और कई अन्य के लिए लोकप्रिय है।

कानपुर आज स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के साथ अपार प्रगति और समृद्धि की यात्रा पर है, जैसे कि कानपुर मेट्रो और आईआईटी कानपुर में डिजिटल इंडिया की पहल कई में से कुछ हैं।

शो में एक प्रेरक स्वर है और यह शहर और इसके लोगों के लिए गर्व की भावना पैदा करता है।
यह प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी. नगर निगम, केडीए और ज़िला प्रशासन का संयुक्त प्रयास से किया जा रहा है।यह प्रोजेक्ट आगामी 3 माह में पूर्ण कर लिया जाएगा।

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क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज में वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव ‘अभिव्यक्ति’ आयोजित

 

कानपुर 24 दिसंबर, क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज में वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव ‘अभिव्यक्ति’ के समापन दिवस पर नृत्य एवं गायन प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ गणेश वंदना से हुआ ।सांस्कृतिक परिषद की संयोजिका डॉ विभा दीक्षित ने जीवन में ललित कलाओं का महत्व बताते हुए निर्णायक मंडल में उपस्थित डॉ राजेश्वरी ढौंडियाल , डॉ वंदना देबोराय , रवि जी एवं कार्यवाहक प्रधानाचार्य डॉ आशुतोष सक्सेना का स्वागत पुष्पगुच्छ देकर किया। नृत्य एवं गायन प्रतियोगिताप का आयोजन डॉ विभा दीक्षित, डॉ अपराजिता शुक्ला , डॉ मीतकमल, डॉक्टर शालिनी कपूर के निर्देशन में हुआ। आलोक कमल व आयुषी पाठक ने सभी को अपनी खास पेशकश से ऊर्जा से भर दिया दिया। नृत्य प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर जूही सिंह रही, द्वितीय स्थान पर स्वीकृति एवम आंशिका शुक्ला, तीसरे स्थान पर विवेक पॉल व खुशी मल्होत्रा एवम सांत्वना पुरस्कार राखी पॉल व अर्चना सिंह रहे । गायन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर कशिश तिवारी द्वितीय स्थान पर शेरोन यादव व पीटर एवं तृतीय स्थान फ़राज़ अहमद व गौरव मिश्र एवम सांत्वना पुरस्कार ऋषभ पांडे व सौम्य बैनर्जी को मिला। प्रतियोगिताओं में 42 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया और कत्थक ,भांगड़ा ,बंगाली, पहाड़ी ,हरियाणवी नृत्य के माध्यम से अपना हुनर दिखाया।कार्यक्रम का संचालन राईना एवं सहस्रांशु, अभिषेक एवं विकास , नमन एवं वेदांत ने किया। प्रतियोगिता में छात्र प्रतिनिधि इश्तिका कुशवाहा, उदित कुमार वर्मा, ख़ुशी होटवानी , नबा खान उपस्थित रहे। धन्यवाद ज्ञापन अनन्य चौधरी द्वारा दी गयी ।

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वंदे भारतम् फाइनल प्रतियोगिता का 19 दिसंबर को नई दिल्ली में आयोजन

उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम ज़ोनों के 949 नृत्य कलाकारों के 73 समूह‘वंदे भारतम्-नृत्य उत्सव’ के ग्रैंड फिनाले में पहुंच गये हैं। यह अखिल भारतीय नृत्य प्रतियोगिता है, जिसे आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित किया जा रहा है। फाइनल 19 दिसंबर, 2021 को नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम प्रेक्षागृह में होगा। रक्षा मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय ने आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में ‘वंदे भारतम्-नृत्य उत्सव’ की शुरुआत करने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाना है। यह एक अनोखी पहल है, जो जनभागीदारी पर आधारित है। इसका मुख्य लक्ष्य है देशभर से सर्वोच्च नृत्य प्रतिभाओं का चयन करना तथा उन्हें गणतंत्र दिवस परेड 2022 के दौरान अपनी कला का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करना।

ग्रैंड फिनाले में नृत्य कलाकार इस सर्वोच्च सम्मान के लिये प्रतिस्पर्धा करेंगे। ऐसा अवसर जीवन में यदा-कदा ही मिलता है, जिसका लाभ उठाते हुये वे गणतंत्र दिवस परेड में अपनी प्रतिभा दिखायेंगे। इस परेड को न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया में देखा जाता है।

दो सौ से अधिक टीमों में से 2400 से अधिक प्रतिभागियों को जोनल स्तरीय प्रतियोगिता के लिये चुना गया था, जहां 104 ग्रुपों ने विद्वान ज्यूरी के समक्ष अपनी नृत्य प्रतिभा प्रदर्शित की थी। प्रतिभागी समूहों नेकई नृत्य विधाओं का प्रदर्शन किया। इन विधाओं में शास्त्रीय नृत्य, लोक नृत्य, जनजातीय नृत्य और मिला-जुला नृत्य शामिल था। देशभर की प्रतिभाओं और रंगारंग पोशाकों का संयोजन देखने को मिला। समाज के सभी वर्गों ने पूरे हर्षोल्लास से हिस्सा लिया तथा सभी वर्गों ने एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को बलवती बनाया।

सर्वोच्च 480 नृत्य कलाकारों को ग्रैंड फिनाले के लिये चुना जायेगा और उन्हें 26 जनवरी, 2022 को नई दिल्ली के राजपथ पर आयोजित होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में अपनी कला का प्रदर्शन करने का सुनहरा मौका मिलेगा।

वंदे भारतम् प्रतियोगिता 17 नवंबर को जिला स्तर पर शुरू हुई थी। इस दौरान 323 समूहों में 3,870 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। जो जिला स्तरीय प्रतियोगिता में सफल रहे, उन्हें 30 नवंबर, 2021 को राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का अवसर मिला। वहां 20 से अधिक वर्चुअल आयोजन हुये। यह आयोजन चार दिसंबर, 2021 तक, यानी पांच दिन चला।

राज्य स्तर पर 300 समूहों को चुना गया, जिनमें तीन हजार से अधिक नृत्य कलाकार/प्रतिभागी थे। इस तरह एक महीने तक आयोजन में सभी आकांक्षी कलाकारों ने अपनी प्रतिभा दिखाई और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिये प्रदर्शन किया।

ग्रांड फिनाले को वंदे भारतम् के आधिकारिक फेसबुक पेज और यूट्यूब पर प्रत्यक्ष देखा जा सकता है। साथ ही वेबसाइट (vandebharatamnrityautsav.in) और मोबाइल  ऐप पर भी इसे देखा जा सकता है।

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एस. एन. सेन बा. वि. पी. जी. कॉलेज ने संरक्षक दिवस वार्षिकोत्सव ‘लावण्या 2021’ के रूप में मनाया।

भारतीय स्वरूप संवाददाता!

कानपुर 15 दिसंबर, एस. एन. सेन बा. वि. पी. जी. कॉलेज ने संरक्षक दिवस वार्षिकोत्सव ‘लावण्या 2021’ के रूप में मनाया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री वीरेंद्रजीत सिंह, क्षेत्र संघ चालक, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, विशिष्ट अतिथि प्रो. राहुल गोयल, निदेशक, गौर हरि सिंघानिया मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट, प्रो. पारुल गोयल, गौर हरि सिंघानिया मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट, विशिष्ट अथिति डॉ. शालिनी वेद, निदेशक, लक्ष्मी देवी ललित कला अकादमी, महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री प्रवीण कुमार मिश्रा, सचिव श्री प्रोबीर कुमार सेन, संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन, सदस्या श्रीमती दीपा श्री सेन, समिति के गणमान्य सदस्य प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल ने मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्जवलन तथा समीर सेन जी के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

इस शुभ अवसर पर संगीत विभाग की छात्राओं ने सुमधुर सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत की सुंदर प्रस्तुति दी। महाविद्यालय के स्वर्णिम इतिहास से वेष्टित कुलगीत को संगीत की छात्राओं ने प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया।

प्राचार्य डॉ निशा अग्रवाल ने अपने स्वागत भाषण में अतिथियों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हुए महाविद्यालय की वार्षिक आख्या प्रस्तुत की। वार्षिक उत्सव लावण्या 2021 का शुभारंभ शारीरिक शिक्षा विभाग द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से हुआ, जिसमें मां दुर्गा की स्तुति “ऐ गिरी नंदिनी..” से की गई जिसमें नव देवियां अवतरित होकर सभागार में शक्ति और भक्ति का संचार करा गईं। उपस्थित दर्शकों ने अपने भीतर दैवीय ऊर्जा का अनुभव किया।दूसरी प्रस्तुति गृह विज्ञान विभाग के कालबेलिया नृत्य की हुई, जिसके बोल थे “काॾ़ॊपूत पड्यो मेले में।” तीसरे स्थान पर कव्वाली श्रृंखला संगीत विभाग द्वारा प्रस्तुत की गई। चतुर्थ प्रस्तुति में हिंदी विभाग द्वारा ज्ञानपीठ पुरस्कार से पुरस्कृत दिनकर की ‘उर्वशी’ का मंचन किया गया। इसमें छात्राओं ने मूल कृति के पद्यात्मक संवादों को उसी शैली में प्रस्तुत कर दर्शकों के मन को आनंद से भर दिया। पांचवें स्थान पर पंजाबी मेडले नृत्य बी.एस.सी. की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किया गया, इसमें विभिन्न गीतों को संयुक्त रूप से जोड़ा गया। इसके पश्चात बी.कॉम. की छात्राओं द्वारा विषय आधारित नृत्य और बाल श्रम पर अभिनय करते हुए एक लघु नाटिका प्रस्तुत की गई। सातवीं प्रस्तुति अर्थशास्त्र विभाग द्वारा प्रस्तुत गुजराती नृत्य गरबा ने लोगों को आह्लादित कर दिया। अंतिम प्रस्तुति शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा रामायण से सीता स्वयंवर के अंश को बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया।

मुख्य अतिथि श्री वीरेंद्रजीत सिंह ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम छात्राओं में ऊर्जा का संचार करते हैं। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर राहुल गोयल ने कहा कि इस कार्यक्रम में भारतीय जीवन के अनेक रंग देखने को मिले तथा प्रोफेसर पारुल गोयल ने छात्राओं की प्रतिभा की सराहना करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी। विशिष्ट अतिथि शालिनी वेद ने कहा कि इस प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम से युवा पीढ़ी न केवल भारतीय संस्कृति के जीवन मूल्यों से परिचित होती है अपितु उनकी प्रतिभा भी तराशी जाती है।

संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन ने कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ छात्राएं पाठ्येत्तर गतिविधियों में भी अपनी प्रतिभा को निखारने में सफल रहीं। आज के आयोजन के लिए सभी छात्राओं व शिक्षिकाओं को बधाई दी तथा स्वर्गीय समीर सेन जी को याद करते हुए ऐसे ही कार्यक्रम होते रहे ऐसी शुभकामना दी। वार्षिकोत्सव समारोह में डॉ. निशी प्रकाश, डॉ. रेखा चौबे, डॉ. अलका टंडन, सांस्कृतिक प्रभारी डॉ. चित्रा सिंह तोमर, डॉ. मोनिका सहाय, डॉ. रचना शर्मा, डॉ. शुभा बाजपेई, डॉ. मीनाक्षी व्यास, डॉ. रश्मि गुप्ता आदि उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन संयुक्त रूप से शारीरिक शिक्षा विभाग की डॉ. प्रीति पांडे एवं रसायन शास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. गार्गी यादव द्वारा किया गया। डॉ. गार्गी यादव द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया तथा राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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श्याम नगर में देव दीपावली उत्सव आयोजित

विगत कई वर्षो की भांति इस वर्ष भी श्याम नगर स्थित एल आई सी पार्क में देव दीपावली उत्सव का आयोजन किया गया ! जिसमे दीप प्रज्वलन के बाद रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया !तत्पश्चात स्थानीय बच्चो ने अत्यंत मनमोहक रंगोली बनायीं जो बस देखते ही बनती थी, मुख्य अतिथि श्री आनन्द प्रकाश तिवारी एडिशनल कमिश्नर आफ पुलिस डा. अनुपम, प्रान्त प्रचार प्रमुख मुख्य वक्ता श्री राम जन्म पाठक अध्यक्ष, तथा अन्य गणमान्य नागरिक प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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युवा कल्याण एवं प्रादेशिक विकास दल विभाग के तत्वाधान में कानपुर मण्डल की मण्डल स्तरीय ग्रामीण खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजित

कानपुर 11 नवम्बर (सू0वि0) युवा कल्याण एवं प्रादेशिक विकास दल विभाग जनपद कानपुर नगर के तत्वाधान में कानपुर मण्डल की मण्डल स्तरीय ग्रामीण खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन आज युवा केन्द्र चकरपुर में किया गया। जिसमें जनपद कानपुर के अतिरिक्त औरैया, इटावा, कन्नौज, फर्रुखाबाद, कानपुर देहात के खिलाड़ियों ने खेल विधा एथलेक्टिक्स, कबड्डी, कुश्ती,वॉलीवाल, भारोत्तोलन में प्रतिभाग किया। प्रतियोगिता का उदघाटन श्री अजय कुमार त्रिवेदी, उप निदेशक कानपुर मण्डल के द्वारा किया गया। मण्डल स्तरीय प्रतियोगिता के विजयी खिलाड़ी जोन स्तरीय प्रतियोगिता झाँसी में प्रतिभाग करेगें। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भी अरुण पाठक, सदस्य विधान परिषद द्वारा खिलाडियों को मेडल, प्रमाण पत्र एवं पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया गया। उन्होने कहा कि युवाओं को खेल गतविधियों से लगातार जुड़ा रहना चाहिए इससे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का विकास होता है और युवा बुरी आदतों एवं व्यसन से दूर रहते हैं। कार्यक्रम की आयोजक आरती जायसवाल जिला युवा कल्याण अधिकारी एवं अनिल कुमार तिवारी प्रतियोगिता प्रभारी थे। इस अवसर पर अन्य जनपदों के जिला युवा कल्याण अधिकारी एवं धीरेन्द्र सिंह व्यायाम प्रशिक्षक, निधि पाण्डेय, स्मृता सिंह, अमित कुमार, यशस्वी रत्न मिश्रा, रिचा, राघवेन्द्र सिंह भदौरिया एवं अन्य जनपदों के क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी जनपद के विभिन्न विद्यालयों से पी0टी0आई0 आदि मौजूद रहे। प्रतियोगिता में प्रथम आये खिलाड़ी/विजेता में सैफ अनीखॉ ने 100 मीटर दौड़ कानपुर देहात, विवेक यादव ने 200 मी0 दौड कानपुर नगर, विवेक कुमार ने 400 मी दौड़ कन्नौज, आशीष कुमार ने 800 मी0 दौड़ इटावा, शिवम ने 1500 मी दौड कन्नौज, शिवानंदपाल ने 3000 मी0 दौड़ कन्नौज, निर्भय सिंह,अनामिका शर्मा गोला फेक इटावा, आलम खॉ ने लम्बी कूद कन्नौज, माण्डवी ने 100मी/200मी, दौड़ फर्रुखाबाद, शीतल ने 400 मी दौड़ कानपुर नगर, श्वेता पाल ने 800 मी0/1500 मी0 दौड़ कन्नौज, शिवानी ने लम्बी कूद कानपुर देहात ने प्रतिभाग किया। कबड्डी मे महिला विजेता जनपद कन्नौज एवं उप विजेता कानपुर नगर, बॉलीवाल में पुरुष विजेता औरैया एवं उप विजेता कानपुर नगर, बॉलीवाल में महिला विजेता कानपुर देहात एवं उप विजेता औरेया प्रतियोगिता का परिणाम रहा।

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जनपद के विभिन्न शिवालयों एवं मंदिरों में श्रीकेदारनाथ धाम की भव्यता को नया आयाम देने व कई परियोजनाओं के लोकापर्ण कार्यक्रम का प्रसारण किया गया

कानपुर 05 नवम्बर(सू0वि0) प्रधानमंत्री मोदी द्वारा केदारनाथ धाम, उत्तराखण्ड में आदिगुरु शंकराचार्य जी की मूर्ति के अनावरण समारोह एवं आयोजित कार्यक्रम का जनपद के विभिन्न शिवालयों आन्देश्वर मंदिर परमट, जागेश्वर मंदिर नबावगंज, शिवाला मंदिर काकादेव, नागेश्वर मंदिर नयागंज में पर लाइव स्ट्रीमिंग एवं एलईडी के माध्यम से प्रसारण किया गया। आज गोवधर्न पूजा की सुबह जनपद के विभिन्न शिवालयों में मा0 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के उत्तराखण्ड में बाबा केदारनाथ धाम में श्रीकेदारनाथ धाम की भव्यता को नया आयाम देने व आदिगुरु श्री शंकराचार्य जी की मूर्ति के साथ कई परियोजनाओं के लोकापर्ण कार्यक्रम का प्रसारण किया गया। उन्होंने कहा कि आदिगुरु शंकराचार्य ने कहा था कि दुख व कष्ट की मुक्ति का मार्ग ज्ञान है। भारत के ज्ञान-विज्ञान की जो प्राचीन परम्परा है, उसे आदिगुरु शंकराचार्य ने हमें ग्रहण करने की प्रेरणा प्रदान की है। आदिगुरु शंकराचार्य जी ने समाज को सत्य से परचित कराने तथा चार धामों व मठों की स्थापना की। उन्होंने भारतीय सभ्यता को आगे बढाते हुये सब कुछ त्याग कर देश व समाज के लिये जीवन समर्पित करने की परम्परा स्थापित की है। शंकराचार्य जी के आदर्श व सिद्धान्त तथा उनकी परम्परा ने पीढी दर पीढी समाज को आगे मार्ग दिखाने का कार्य किया है।
इस अवसर पर जागेश्वर मंदिर, नबावगंज में मा0 प्रधानमंत्री, भारत सरकार, श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा केदारनाथ धाम, उत्तराखण्ड में आदि शंकराचार्य जी की मूर्ति के अनावरण समारोह के लाइव प्रसारण के पश्चात् मौके पर उपस्थित प्रदेश की उच्च शिक्षा और विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी, राज्य मंत्री, उ0प्र0, श्रीमती नीलिमा कटियार ने कहा कि इस आयोजन से पूरे देश की आस्था एवं श्रद्धा अभिभूत है। हमारे शिरोमणि बाबा केदारनाथ है, वहॉ पर 2017 में मा0 प्रधानमंत्री जी ने जो विकास की परियोजनाओं को संचालित करने का संकल्प लिया था, उन परियोजनओं को आज वह लोकार्पित कर रहे है। आदिगुरु शंकराचार्य समाधि स्थल पर नवनिर्मित जो उनका विगृह है उस पर भी उन्होंने साधना व पूजा की तथा अपने संकल्पों को पूरा किया है। आज देश व प्रदेश के विभिन्न शिवालयों में भगवान शिव के आराधना स्थलों पर जो कि श्रद्धा के केन्द्र है, उन स्थलों पर लाइव प्रसारण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मा0 मुख्यमंत्री जी के निर्देशन पर प्रदेश में भी इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया जा रहा है। इसी क्रम में कानपुर के जागेश्वर मंदिर धाम में भी हर्षोल्लास के साथ यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। भारत पुनः पुनरोद्धार की प्रक्रिया से जुड रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भी आस्था के केन्द्रों को विकास परियोजनाओं से जोडने का कार्य किया जा रहा है। कार्यक्रम में विधायक बिल्हौर श्री भगवती प्रसाद सागर सहित संबंधित अपर नगर मजिस्ट्रेट व गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
आनन्देश्वर धाम मंदिर में मा0 प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा केदारनाथ धाम, उत्तराखण्ड में आदिगुरु शंकराचार्य जी की मूर्ति के अनावरण समारोह कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया गया। इस अवसर पर महापौर श्रीमती प्रमिला पाण्डेय, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती स्वप्निल वरुण, सांसद श्री देवेन्द्र सिंह भोले, एम0एल0सी0 श्री अरुण पाठक तथा विधायक श्री महेश त्रिवेदी, जिला अध्यक्ष भाजपा श्री सुनील बजाज सहित अन्य गणमान्य लोगों ने लाइव प्रसारण कार्यक्रम का अवलोकन करते हुये मा0 प्रधानमंत्री जी के केदारनाथ धाम में दिये गये उद्बोधन को सुना। इसके साथ ही शिवाला मंदिर काकादेव में तथा नागेश्वर मंदिर नयागंज में केदारनाथ धाम में आयोजित कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया गया, जिसमें बडी संख्या में लोगों ने कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुये केदारनाथ धाम, उत्तराखण्ड में आदिगुरु शंकराचार्य जी की मूर्ति के अनावरण समारोह का लाइव प्रसारण देखा। इसके साथ ही सिद्धनाथ मंदिर जाजमऊ, जागेश्वर मंदिर,सहित शिवालयों में भजन र्कीतन का आयोजन व एलईडी/एलसीडी से कार्यक्रम का सजीव प्रसारण सूचना विभाग द्वारा किया गया।
शिवाला मंदिर काकादेव में विधायक श्री सुरेन्द्र मैथानी, राज्य महिला आयोग, उ0प्र0 की मा0 सदस्या श्रीमती पूनम कपूर, क्षेत्रीय पार्षदगण, अपर जिलाधिकारी (नगर) श्री अतुल कुमार, संबंधित क्षेत्रों के अपर नगर मजिस्ट्रेटस श्रीमती वान्या सिंह, डा0 पूनम गौतम, श्री यशवन्त राव, श्री जिया लाल सरोज, सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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दिवाली सफाई बनाम मजदूरी

“हाय – हाय यह मजबूरी, यह दिवाली सफाई और मजदूरी”

त्योहारों का आगमन हम महिलाओं के लिए ढेर सारा काम ले आता है। अब कामचोर औरतों की बात अलग है। वो तो सब बाजार से ले आती हैं पर उन लोगों का क्या किया जाए जिनको सब घर में ही बनाने की आदत है और सबसे बड़ा भ्रष्टाचार तो घर में ही होता है। तारीफ का पुलिंदा बांधकर मस्त चूना लगाते हैं हमें। अरी भाग्यवान! तेरे हाथों में तो अन्नपूर्णा का वास है तुमसे खराब बनता ही कहां है? बच्चे भी चाशनी टपका देते हैं। “यू आर ग्रेट मां! यू कुक वेरी वेल” और फिर गुब्बारे से भरी मैं हवा में उछलते दोगुने जोश से व्यंजनों की कतारें लगाने में व्यस्त हो जाती हूं।
सबसे बड़ी आफत तो सफाई प्रतियोगिता से होती है अरे मतलब ऐसी कोई प्रतियोगिता रखी नहीं जाती लेकिन अगर मिसेज वर्मा के घर की सफाई जरा जल्दी हो गई तो मिसेज शर्मा जो अंदर ही अंदर कुढ़ती रहेंगी लेकिन सामने यही कहेंगी कि, “अरे यार मैंने तो अभी तक सफाई शुरू भी नहीं की। कामवाली मान ही नहीं रही। तुम्हारी नजर में कोई हो तो बताओ। चार दिन तो लग ही जाएंगे सफाई में… ठीक है बताना कोई हो तो और फिर बाय बाय कर के अपने पति पर बरस पड़ती हैं, “देखो जी! मिसेज वर्मा के घर की सफाई तो हो भी गई और एक आप हो जरा सा काम में हाथ नहीं बंटाते हो। दिनभर अकेली मैं ही खटते रहूं” और आपको पता है कि क्या होता है… सरकार सुनते हैं, मुस्कुराते हैं और ऑफिस का थैला लटकाते हैं और बड़ी मासूमियत से कहते हैं कि ऑफिस में बहुत काम है और… और…. है ना…. ये रफूचक्कर जाते हैं।
मेरी परेशानी यहीं पर खत्म नहीं होती। सबसे ज्यादा हैरान परेशान तो ये कामवालियां करती हैं मुझे। इनके तो नखरे पूछो ही मत। मैं तो इन पर पीएचडी करके बैठी हूं। वैसे मेरा भाग्य इन्हीं कामवालियों के आगमन से उदय और अस्त होता है। कमबख्तमारियां दिवाली तो पूरी तरह वसूल लेंगी लेकिन काम के लिए सौ बहाने बनायेंगी। आखिरकार मैं इनको पुचकार कर, बहला कर और चार बीमारियां खुद की गिना कर काम निकलवाती हूं। सफाई से लेकर खानपान की तैयारियों तक इस त्यौहार की दौड़ में मैं सबसे आगे निकल जाना चाहती हूं मगर सोचा हुआ कहां पूरा होता है। वह ऐसे कि कामवाली बीच में  ही छुट्टी मार देती है। क्या करें और क्या ना करें यही सोचते हुए मेरा जी हलक में अटका रहता है। दिमाग में भी यही चलते रहता है कि अगर यह कमीनी दिवाली में छुट्टी नहीं मारती तो कम से कम सफाई का काम तो पूरा हो जाता।
वैसे सबसे अच्छा काम मेरे लिए शॉपिंग का रहता है। सुबह से शाम हो जाए मगर पैर में जरा भी दर्द नहीं उठेगा लेकिन पता नहीं क्यों पतिदेव का मुंह सूखा हुआ दिखता है खरीदी के नाम पर। फिर भी मैं और मेरी पलटन… अरे मेरे बच्चे अपनी मनोकामना पूर्ण करवा ही लेते हैं पतिदेव से। डीजल, पेट्रोल और गैस के बढ़ते दामों का और महंगाई का हवाला देते मेरे पतिदेव भरसक कोशिश करते हैं कि उनका दिवाला ना निकले मगर हमारा दल जीत ही जाता है और विपक्ष की तरह पतिदेव कुछ ना कर पाते हैं। फिर हरी झंडी मिलने पर मैं फिर से दोगना उत्साह से काम करने लग जाती हूं।
पतिदेव अपनी जगह सही थे…मैं और बच्चे अपनी जगह। मैं इसी सोच में डूबी हुई थी कि इस दिवाली पर मैं अपने कपड़े और गहने से किसे जलाऊंगी। स्वच्छता, रोशनी और खुशियों का त्योहार दिवाली क्या वाकई में महंगाई की मार झेलता हुआ खुशियों के दीपक जला पाएगा?🙏🏻 प्रियंका वर्मा महेश्वरी

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दीपावली दियों का उत्सव ,रोशनी का त्योहार

🪔 दीवाली दीयो का उत्सव ,रोशनी का त्योहार बहुत ही ख़ूबसूरत। सारे परिवार मे इक ख़ुशी की लहर। मीठी मीठी ठण्ड की शुरूवात बाज़ारों की रौनक़,पटाखों, मिठाईयो की दुकानों के बाहर लम्बी क़तारें , हर कही चहल पहल ,बच्चे बड़े बुजुर्ग सभी को बेसब्री से इसका इन्तज़ार भी रहता है नये कपड़े ,नये खिलौने, ख़ूब सारे पकवान। ये सब हमारे भारत मे ही होता है उस रात पूरा देश जगमगा रहा होता है।
दोस्तों !ख़ुशक़िस्मत है वो जो इस दिन अपने सारे अरमान पूरे कर पाते है। कुछ लोग हज़ारों लाखों के पटाखे जला डालते है और किसी के पास कुछ फुलझड़ियाँ एक दो अनार या फिरकी ही होती है और कुछ ऐसे होते जो सिर्फ़ दूसरे के घरों मे जल रहे पटाखों से ,उनकी घरों की रोशनी देख कर ख़ुश हो रहे होते है।
भारत 🇮🇳 को छोड़े हुये मुझे इक ज़माना बीत गया मगर दीवाली की यादें आज भी इक दम ताज़ा है जैसे कल की ही बात हो। याद है मुझे आज भी वो दिवाली का दिन।इंग्लैंड आने के बाद इक बार दीवाली मनाने का सौभाग्य मुझे भी मिला।ख़ूब पटाखे ख़रीदे .कपड़े ख़रीदे ,खाने पीने का सामान।ख़ूब शापिंग की।सोचा ख़ूब मज़े करूँगी परिवार के साथ।
फिर भी मन में इक अजीब सी उदासी सी थी ।हुआ यू ,मैंने सुबह अपनी गली मे इक औरत को देखा था।जो बेहद गरीब।घर से भी दुखी .. और अपने शरीर से भी ।जब वो सब के घरों का कूड़ा
इकट्ठा करती,तो ग़ुस्से मे किसी न किसी को कुछ कह भी देती।सब आस पडोस के लोग उसकी बातें करते कि इसका सुबह मुँह देख लो तो सारा दिन ख़राब निकलता है वग़ैरह वग़ैरह।
मैं सोच रही थी ,उसका क्या क़सूर है जहां जिसको जन्म मिलता है ।उसको वैसे ही रहना पड़ता है ।कोई नही चाहता ,जब तेज गर्मी मे सभी लोग दोपहर को ऐ सी मे बैठे ठण्डी हवा ले रहे हो और उन्हें सड़ती गर्मी मे लोगों के घर का कूड़ा करकट उठाना पड़ता हो।
ज़रा सोचो दोस्तों रब न करे, किसी को ऐसे काम करना पड़े तो क्या बीते।दिल ने कहा इस बार कुछ अलग से किया जाये मैं फिर से मार्केट गई अपने ड्राइवर के साथ ।कुछ कपड़े ,कुछ घर का राशन ,मिठाई और कुछ पटाखे और इक डिब्बी मे सोने के झूमके,जो मैं बहुत बड़े होने की वजह से कभी पहन ही नही पाई थी ,को पैक करवाया और घर आ गई और बेसब्री से उस औरत का इन्तज़ार करने लगी।पता था मुझे कि वो शाम को भी कूड़ा करकट उठाने आती थी ।थोड़ी देर मे ही उसकी बेटी दिखाई दी ।मैंने पूछा आज तुम्हारी अम्मां कहाँ हैं ?वो कहने लगी वो बैठी है पेड के नीचे।थकी है बेचारी।अब उम्र के कारण कुछ बीमारी के कारण थक जाती है अम्मां ।मैं सोचने लगी अम्मां किसी की भी हो ,आराम का हक़ उम्र के साथ सब का होता है मगर ये अम्मां अब भी इतना सख़्त काम कर रही है रोज़ी रोटी के लिये।
मैंने कहा !
मिलना था मुझे उनसे। उनकी बेटी हैरान थी कि मैं कयूं मिलना चाह रही हूँ ।बोली दीदी !आज सुबह ही आप के घर का कूड़ा तो उठा ले गये है,
और भी है क्या ? तो मैं ले जाती
हूँ ।मैंने कहा !
नही नही ऐसा कुछ नही।तुम अपनी अम्मां को बुलवा लाओ।लड़की ने अम्मां को आवाज़ें दी तो
थोड़ी देर के बाद मेरे पास धीरे धीरे चलती अम्मां भी आ गई।
मैंने देखा धूल से लथ पथ शरीर ,बिखरे बाल ,नंगे पैर ,होंठ धूप और प्यास के कारण सूखे पड़े थे ।सिहर उठी मैं।सबसे पहले मैंने अपनी चप्पल निकाल कर उसे पहना दी।पानी पिलाया और उसे बिठा कर कहा !अम्मां पहले थोड़ा साँस ले लो।फिर मैंने सब कुछ उसकी झोली में रख दिया ,जो मैं उसे देने के लिये बाज़ार से लाई
था।वो हैरान कि इतना सामान ।मैने सारा सामान उसके ठेले पर रखवाया।तब मैंने उसे वो डिब्बी धीरे से थमा दी और कहा !अम्मां रख ले इसे ।तुम्हारी बेटी की शादी मे काम आयेंगी ।डिब्बी को खोल कर वो रो पड़ी कहने लगी !
मैं तो साफ़ सफ़ाई करने वाली, कूड़ा उठाने वाली आप इतने क़ीमती झूमके मुझे कयूं दे रही है ।मैंने हंस कर कहा !इसीलिए ही दे रही हूँ ।
हम लोग जो समाज मे बहुत सभ्य कहलाते है हम गंद डालते है।कूड़ा फैकंते है ,और आप है जो हमारा फैंका हुआ कूड़ा उठाती है हमारी सफ़ाई करती हैं ।मैंने कहा अब बताओ अम्मां ।कौन बड़ा,या कौन उंचा।कूड़ा फेंकने वाला या उसे उठा कर सफ़ाई करने वाला।वो निशब्द सी लगातार रो रही थी।मैंने उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ा और कहा !अब मुझे अपने मुख का दर्शन भी करा दे जो उसने पूरी तरहा से ढँक रखा था।उसने रोते रोते अपने मुख से कपड़ा हटा दिया।
दोस्तों !
आप यक़ीन नहीं करेंगे
जब मैंने उसे देखा ..मुँह आंसूओ से जैसे धुल चुका था।मैंने उसे उपर से नीचे तक निहारा तो लगा इसमे भी रब का वास है ।ये भी इक सुन्दर आत्मा है जो बाहर सब का कूडा करकट साफ़ करती करती ख़ुद इक साफ़ सुन्दर आत्मा हो चुकी
है।मैंने उसके हाथों में कुछ पैसे थमा दिये।
उस वक़्त उस औरत ने जिसे लोग “जमादारनी “कहते है ,ने मुझ पर आशीर्वादो की झंडी ही लगा दी ।बहुत कुछ कहती रही …कहती गई कहने लगी कि “तेरी आत्मा का नूर तेरे चेहरे को हमेशा रौशन करता रहे “यही अल्फ़ाज़ थे दोस्तों!
जो मेरे कानों मे अकसर गुंजन करते है।
मैने कहा !अम्मां ऐसा भी क्या दे दिया मैंने।सब ही देते है।ये तो कुछ भी नही।कहने लगी !बेटी बात चीजो की नही ।बात सम्मान की है जो तुम मुझे दे रही हो।
उस वक़्त मुझे लगा कि मैंने सच मे ही लक्ष्मी पूजन कर लिया और मां का आशीर्वाद भी ले लिया।
शुक्रगुज़ार हूँ रब की🙏 कि मुझे उसने ये वो इक लम्हा दिया। अगले साल मुझे पता लगा।बेचारी कैंसर से लड़ती लड़ती इस दुनिया से जा चुकी थी।
ये बात जो सच है को शेयर करने का मेरा मकसद ..अपनी तारीफ़ बटोरना बिलकुल भी नहीं है ।सभी देते है और बहुत कुछ करते भी
है ।मेरे लिए ये लम्हा एक ऐसा था।आज भी सोचती हूँ तो रोमांचित हो जाती हूँ ।बात तो आनन्द की है ,कहीं से भी मिल सकता है ।रब सब में है।सिर्फ़ देखने की आँख चाहिए।हर इक चलते फिरते जीव में उसका वास है ।कोई छोटा नहीं और कोई बड़ा नहीं ।
दोस्तों !
इस बार दीवाली को अलग किसी और भी तरीक़े से मनाये .. आसपास मे कोई बच्चे ,जो चीजो के लिये तरस रहे है उनकी ख़ुशी का साधन बटोरें। मेरा यक़ीन है बच्चे गणेश रूप ही होते है ,अगर हम अपने आसपास के बच्चों को ख़ुशी दे पायें ,तो यकीनन ही देव गणेश आप के इस करम से आवश्यक ही प्रसन्न हो जायेगे। हमारे आसपास ही देवी देवता रहते है मगर हम मंद बुद्धि के कारण उन्हें पहचान नही पाते।
दोस्तों !
उस रात लोग पटाखे और जूआ खेलते है ।हम कितना पैसा बर्बाद कर देते है पटाखे का धूआँ तो वैसे भी वातावरण को दूषित ही करता है जो हम सब की सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है।पटाखों को जलाना जैसे पैसों को जलाया जाने के बराबर है।हम हज़ारों लाखों पटाखों पर खर्च न कर अपने आसपास किसी को वो पैसे दे दे। या कोई ऐसा इन्तज़ाम कर दे ।जिससे किसी के घर मे आमदनी का रास्ता बन सके ।आप के किये गये उस उपकार से वो भी आने वाली अगली दीवाली ख़ूब ख़ुशी से मना सके।बड़ी बड़ी दुकानों की जगह जो सड़कों के किनारे सामान बेच रहे होते है ।उनसे सामान ख़रीदे ताकि उनका घर भी चल सके।
दोस्तों !
दीवाली पर हम सब मिठाई के डिब्बे ,पहले तो मिठाई की दुकान पर घंटो घंटो खड़े हो कर ख़रीदते है फिर दोस्तों के घर बाँटने जाते है जिनके घरों मे डिब्बे जाते है उनके घरों मे पहले ही कितने डिब्बे आये हुए होते है।यहाँ का डिब्बा वहां ,और वहाँ का डिब्बा यहाँ।
रजे हुये घरों मे देने की बजाये किसी ज़रूरत मंद को दे और दुआयें बटोरे।
दोस्तों !
मेरी और से आप सब को दीवाली की ढेरों शुभकामनाएँ ।ये दिवाली सब के लिये शुभ व मंगलकारी हो। हमारे मन के अन्धेरों का नाश कर हमे रोशनी की तरफ़ ले जाये इन्हीं शुभकामनाओं के साथ
हैपी दीवाली। 🙏 स्मिता

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