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प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 19,100 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर में 19,100 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। ये परियोजनाएं रेल, सड़क, तेल एवं गैस और शहरी विकास एवं आवास जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों से संबंधित हैं।

एकत्रित जनसमूह को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने बुलंदशहर के लोगों, विशेषकर भारी संख्या में उपस्थित माताओं और बहनों द्वारा दिखाए गए स्नेह और विश्वास के लिए आभार व्यक्त किया। श्री मोदी ने 22 जनवरी को भगवान श्री राम के दर्शन और आज उत्तर प्रदेश के लोगों की उपस्थिति को अपनी खुशकिस्‍मती बताते हुए धन्यवाद दिया। उन्होंने रेलवे, हाईवे, पेट्रोलियम पाइपलाइन, पानी, सीवेज, मेडिकल कॉलेज और औद्योगिक टाउनशिप जैसे क्षेत्रों में आज 19,000 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं के लिए बुलंदशहर और पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को बधाई दी। उन्होंने यमुना और राम गंगा नदियों के स्वच्छता अभियान से जुड़ी परियोजनाओं के उद्घाटन का भी जिक्र किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र ने देश को कल्याण सिंह जैसा सपूत दिया है, जिन्होंने अपना जीवन राम काज और राष्ट्र काज दोनों के लिए समर्पित कर दिया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर खुशी जताई कि देश ने श्री कल्याण सिंह और उनके जैसे लोगों का अयोध्या धाम का सपना पूरा किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”एक मजबूत राष्ट्र और सच्चे सामाजिक न्याय के उनके सपने को साकार करने के लिए हमें और गति हासिल करनी होगी।”

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के समापन पर बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने ‘राष्ट्र प्रतिष्ठा’को प्राथमिकता देने और इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाने पर जोर दिया। श्री मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित भारत में बदलने के सरकार के संकल्प पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हमें देव से देश और राम से राष्ट्र के मार्ग को आगे बढ़ाना चाहिए।” उच्च लक्ष्यों को पूरा करने के बारे में, प्रधानमंत्री ने सबका प्रयास की भावना के साथ आवश्यक संसाधनों को इकट्ठा करने पर जोर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि, विज्ञान, शिक्षा, उद्योग और उद्यम के क्षेत्रों को फिर से मजबूत करने की आवश्यकता पर ध्यान देते हुए कहा, “विकसित भारत के निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश का तेज गति से विकास जरूरी है।” उन्होंने कहा, “आज का अवसर इस दिशा में एक बड़ा कदम है।”

प्रधानमंत्री ने आजादी के बाद के भारत में विकास के क्षेत्रीय असंतुलन का जिक्र करते हुए कहा कि सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की उपेक्षा की गई। प्रधानमंत्री ने ‘शासक’मानसिकता, और पूर्व में सत्ता की खातिर सामाजिक विभाजन को बढ़ावा देने की की आलोचना की, जिसके परिणामस्वरूप राज्य और देश को भारी कीमत चुकानी पड़ी। प्रधानमंत्री ने सवाल किया, “अगर देश का सबसे बड़ा राज्य कमजोर था, तो देश कैसे मजबूत हो सकता था?”

उत्तर प्रदेश में 2017 मेंडबल इंजन की सरकार के गठन के साथ, प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि राज्य ने पुरानी चुनौतियों से निपटने के नए तरीके खोजे हैं और आर्थिक विकास को गति प्रदान की है और आज का अवसर सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाल के विकास का उदाहरण देते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत में दो रक्षा गलियारों में से एक के विकास और कई नए राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आधुनिक एक्सप्रेसवे के माध्यम से यूपी के सभी हिस्सों में कनेक्टिविटी बढ़ाने, पहली नमो भारत ट्रेन परियोजना की शुरुआत, कई शहरों में मेट्रो कनेक्टिविटी और राज्य को पूर्वी और पश्चिमी समर्पित माल गलियारों का केन्‍द्र बनाने पर सरकार विशेष रूप से जोर दे रही है। उन्होंने जोर देकर कहा, “ये विकास परियोजनाएं आने वाली सदियों तक प्रभावशाली रहेंगी।”प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जेवर एयरपोर्ट के पूरा होने से इस क्षेत्र को नई ताकत और उड़ान मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा, ”सरकार के प्रयासों से आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश देश में प्रमुख रोजगार प्रदाता क्षेत्रों में से एक बन रहा है।”प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार 4 विश्वस्तरीय औद्योगिक स्मार्ट शहरों पर काम कर रही है। इनमें से एक शहर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में है, प्रधानमंत्री ने आज इस महत्वपूर्ण टाउनशिप का उद्घाटन किया। इससे क्षेत्र के उद्योग और लघु एवं कुटीर व्यवसायों को लाभ होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि टाउनशिप कृषि आधारित उद्योग के लिए नए रास्ते खोलेगी और स्थानीय किसानों और श्रमिकों को अत्यधिक लाभ प्रदान करेगी।

पहले के समय में कनेक्टिविटी की कमी के कारण कृषि पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका समाधान नए हवाई अड्डे और नए समर्पित माल गलियारे में देखा जा सकता है। प्रधानमंत्री ने गन्ने की कीमतों में बढ़ोतरी और मंडी में उपज बिकने के बाद सीधे किसानों के खाते में त्वरित भुगतान सुनिश्चित करने के लिए डबल इंजन सरकार की सराहना की। इसी तरह, इथेनॉल पर ध्यान देना गन्ना किसानों के लिए लाभदायक साबित हो रहा है।

श्री मोदी ने जोर देकर कहा, “किसानों का कल्याण हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।” उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच बनाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने भारतीय किसानों के लिए कम लागत वाले उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जाने का उल्लेख किया है। उन्होंने बताया कि भारत के बाहर यूरिया का एक थैला जिसकी कीमत 3,000 रुपये है, किसानों को 300 रुपये से भी कम कीमत में उपलब्ध कराया जाता है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने नैनो यूरिया के निर्माण के बारे में भी बात की, जिसकी एक छोटी बोतल उर्वरक की एक बोरी के बराबर काम करती है। इससे खपत कम और पैसे की बचत होती है। श्री मोदी ने बताया कि सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों के बैंक खातों में 2.75 लाख करोड़ रुपये भेजे हैं।

प्रधानमंत्री ने कृषि और कृषि-अर्थव्यवस्था में किसानों के योगदान को रेखांकित करते हुए, सहकारी समितियों के दायरे के निरंतर विस्तार का उल्लेख किया। उन्होंने छोटे किसानों को मजबूत करने के उपायों के रूप में पीएसी, सहकारी समितियों और एफपीओ को गिनाया। बिक्री-खरीद, ऋण, खाद्य प्रसंस्करण या निर्यात के लिए सहकारी संस्थाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। श्री मोदी ने दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण संबंधी योजनाओं का भी जिक्र किया जिसके तहत पूरे देश में कोल्ड स्टोरेज का नेटवर्क बनाया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाने के लिए सरकार के प्रयासों को दोहराया और इस तथ्य को रेखांकित किया कि नारी शक्ति इसका एक बड़ा माध्यम बन सकती है। उन्होंने नमो ड्रोन दीदी योजना का उल्लेख किया जहां महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन पायलट बनने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “नमो ड्रोन दीदी भविष्य में ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि के लिए एक बड़ी ताकत बनने जा रही है।”

छोटे किसानों और महिलाओं को सशक्त बनाने हेतु पिछले 10 वर्षों के दौरान शुरू की गई लोक कल्याण योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने करोड़ों पक्के मकानों, शौचालयों, नल के पानी के कनेक्शन, किसानों एवं मजदूरों के लिए पेंशन सुविधाओं, पीएम फसल बीमा योजना जिसके तहत फसल बर्बाद होने की स्थिति में किसानों को 1.5 लाख करोड़ रुपये दिए जाते हैं, मुफ्त राशन योजना और आयुष्मान भारत योजना का उल्लेख किया। श्री मोदी ने कहा, “सरकार का प्रयास है कि कोई भी लाभार्थी सरकारी योजना से वंचित न रहे और इसके लिए मोदी की गारंटी वाहन हर गांव तक पहुंच रहे हैं और उत्तर प्रदेश में भी लाखों लोगों का नामांकन कर रहे हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “यह मोदी की गारंटी है कि हर नागरिक को सरकारी योजनाओं का लाभ मिले। आज देश मोदी की गारंटी को किसी भी गारंटी के पूरा होने की गारंटी मानता है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “आज हम यह सुनिश्चित करने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं कि सरकारी योजना का लाभ हर लाभार्थी तक पहुंचे। इसीलिए मोदी संतृप्ति की गारंटी दे रहा है। मोदी शत प्रतिशत लाभार्थियों तक पहुंचने पर जोर दे रहा है।” इससे भेदभाव या भ्रष्टाचार की कोई भी संभावना नहीं रह जाती है। उन्होंने कहा, “यही सच्ची धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय है।” उन्होंने कहा कि किसानों, महिलाओं, गरीबों और युवाओं के सपने हर समाज में एक जैसे होते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के वास्तविक प्रयासों से पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया।

अपने संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “मेरे लिए आप ही मेरा परिवार हैं। आपका सपना ही मेरा संकल्प है।” उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि देश के सामान्य परिवारों के सशक्तिकरण ही मोदी की संपत्ति बनी हुई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि चाहे गांव हों, गरीब हों, युवा हों, महिलाएं हों या किसान हों, सभी को सशक्त बनाने का अभियान जारी रहेगा।

इस अवसर पर, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक और भारत के केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह भी उपस्थित थे।

 

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मालगाड़ियों को हरी झंडी दिखाकर डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) पर न्यू खुर्जा-न्यू रेवाड़ी के बीच 173 किलोमीटर लंबी डबल लाइन विद्युतीकृत खंड को राष्ट्र को समर्पित किया। यह नया डीएफसी खंड काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पश्चिमी और पूर्वी डीएफसी के बीच अहम संपर्क स्थापित करता है। इसके अलावा, यह खंड इंजीनियरिंग की उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए भी जाना जाता है। इसमें ‘उच्च विद्युतीकरण के साथ एक किलोमीटर लंबी डबल लाइन रेल सुरंग’ है, जो दुनिया में अपनी तरह की पहली सुरंग है। इस सुरंग को डबल-स्टैक कंटेनर ट्रेनों को निर्बाध रूप से चलाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। मालगाड़ियां अब इस नए डीएफसी ट्रैक पर चलेंगी जिससे यात्री ट्रेनों के संचालन को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने मथुरा-पलवल खंड और चिपियाना बुजुर्ग-दादरी खंड को जोड़ने वाली चौथी लाइन भी राष्ट्र को समर्पित की। ये नई लाइनें राष्ट्रीय राजधानी की दक्षिणी पश्चिमी और पूर्वी भारत तक रेल कनेक्टिविटी में सुधार करेंगी।

प्रधानमंत्री ने कई सड़क विकास परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित कीं। इन परियोजनाओं में अलीगढ़ से भदवास फोर-लेन कार्य पैकेज-1 (एनएच-34 के अलीगढ़-कानपुर खंड का हिस्सा); शामली (एनएच-709ए) के माध्यम से मेरठ से करनाल सीमा का चौड़ीकरण; और एनएच-709 एडी पैकेज-II के शामली-मुजफ्फरनगर खंड को चार लेन का बनाना शामिल हैं। 5000 करोड़ रुपये से अधिक की कुल लागत से विकसित ये सड़क परियोजनाएं कनेक्टिविटी में सुधार करेंगी और क्षेत्र में आर्थिक विकास में मदद करेंगी।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने इंडियन ऑयल की टूंडला-गवारिया पाइपलाइन का भी उद्घाटन किया। करीब 700 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह 255 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन परियोजना तय समय से काफी पहले पूरी हो गई है। यह पाइपलाइन परियोजना मथुरा और टूंडला में पंपिंग सुविधाओं और टूंडला, लखनऊ और कानपुर में डिलीवरी सुविधाओं के साथ बरौनी-कानपुर पाइपलाइन के टूंडला से गवारिया टी-पॉइंट तक पेट्रोलियम उत्पादों के परिवहन में मदद करेगी।

प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को ‘ग्रेटर नोएडा में एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप’ (आईआईटीजीएन) भी समर्पित किया। इसे पीएम-गतिशक्ति के तहत बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी परियोजनाओं की एकीकृत योजना और समन्वित कार्यान्वयन के प्रधानमंत्री के विज़न के अनुरूप विकसित किया गया है। इस परियोजना पर 1,714 करोड़ रुपये की लागत आई है। यह परियोजना 747 एकड़ में फैली हुई है। यह दक्षिण में ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे और पूर्व में दिल्ली-हावड़ा ब्रॉड गेज रेलवे लाइन के साथ पूर्वी और पश्चिमी समर्पित माल गलियारों के चौराहे के पास स्थित है। आईआईटीजीएन का रणनीतिक स्थान अद्वितीय कनेक्टिविटी सुनिश्चित करता है क्योंकि मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के लिए अन्य बुनियादी ढांचे जैसे नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे (5 किमी), यमुना एक्सप्रेसवे (10 किमी), दिल्ली एयरपोर्ट (60 किमी), जेवर एयरपोर्ट (40 किमी), अजायबपुर रेलवे स्टेशन (0.5 किमी) और न्यू दादरी डीएफसीसी स्टेशन (10 किमी) इस परियोजना के आसपास मौजूद हैं। यह परियोजना क्षेत्र में औद्योगिक विकास, आर्थिक समृद्धि और सतत विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने लगभग 460 करोड़ रुपये की लागत से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के निर्माण सहित पुनर्निर्मित मथुरा सीवरेज योजना का उद्घाटन किया। इस कार्य में मसानी में 30 एमएलडी एसटीपी का निर्माण, ट्रांस यमुना में मौजूदा 30 एमएलडी और मसानी में 6.8 एमएलडी एसटीपी का पुनर्वास और 20 एमएलडी टीटीआरओ प्लांट (तृतीयक उपचार और रिवर्स ऑस्मोसिस प्लांट) का निर्माण शामिल है। उन्होंने मुरादाबाद  (रामगंगा) सीवरेज प्रणाली और एसटीपी कार्यों (चरण I) का भी उद्घाटन किया। लगभग 330 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस परियोजना में 58 एमएलडी एसटीपी, लगभग 264 किमी लंबा सीवरेज नेटवर्क और मुरादाबाद में रामगंगा नदी के प्रदूषण निवारण के लिए नौ सीवेज पंपिंग स्टेशन शामिल हैं।

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प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना के तहत 1 करोड़ परिवारों को अपने घर की छत पर सौर ऊर्जा मिलेगी

प्रधानमंत्री  मोदी ने सूर्यवंशी भगवान श्री राम की प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर अपनी अयोध्या यात्रा के तुरंत बाद, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आवास पर 1 करोड़ घरों पर रूफटॉप सौर ऊर्जा स्थापित करने के लक्ष्य के साथ “प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना” शुरू करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की।

प्रधानमंत्री ने बैठक के दौरान कहा कि सूर्य की ऊर्जा का उपयोग छत वाले प्रत्येक घर द्वारा अपने बिजली के बिल को कम करने और उन्हें अपनी बिजली की जरूरतों के लिए वास्तव में आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना का लक्ष्य निम्न और मध्यम आय वाले व्यक्तियों को रूफटॉप सौर ऊर्जा की स्थापना के माध्यम से बिजली उपलब्ध करना है, साथ ही अतिरिक्त बिजली उत्पादन के लिए अतिरिक्त आय का अवसर उपलब्ध करना है।

प्रधानमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि आवासीय क्षेत्र के उपभोक्ताओं को बड़ी संख्या में रूफटॉप सौर ऊर्जा अपनाने को लेकर प्रेरित करने के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय अभियान शुरू किया जाना चाहिए। इस योजना अंतर्गत देश के 1 करोड़ परिवारों को अपने घर की छत पर सौर ऊर्जा मिलेगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि आज अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर मेरा संकल्प और भी दृढ हुआ है कि भारत के लोगों के घर की छत पर उनका स्वयं का सोलर रूफ टॉप सिस्टम हो।

अयोध्या से लौटने के बाद मैंने पहला निर्णय यह लिया है कि हमारी सरकार 1 करोड़ घरों की छत पर रूफटॉप सोलर प्रणाली लगाने के लक्ष्य के साथ “प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना” का शुभारंभ करेगी।

इससे न केवल गरीबों और मध्यम वर्ग के बिजली के बिल में कमी आएगी, बल्कि इससे भारत ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भी बनेगा।

प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट किया:

“सूर्यवंशी भगवान श्री राम के आलोक से विश्व के सभी भक्तगण सदैव ऊर्जा प्राप्त करते हैं।

आज अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर मेरा ये संकल्प और प्रशस्त हुआ कि भारतवासियों के घर की छत पर उनका अपना सोलर रूफ टॉप सिस्टम हो।

अयोध्या से लौटने के बाद मैंने पहला निर्णय लिया है कि हमारी सरकार 1 करोड़ घरों पर रूफटॉप सोलर लगाने के लक्ष्य के साथ “प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना” प्रारंभ करेगी।

इससे गरीब और मध्यम वर्ग का बिजली बिल तो कम होगा ही, साथ ही भारत ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भी बनेगा।

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तीर्थ से प्रगति तक: अयोध्‍यावासियों की नजरों में अयोध्या का कायाकल्प

पीढ़ियों से, धार्मिक महत्व से जुड़ा होने के कारण अयोध्या, भगवान राम की जन्मस्थली के रूप में आराधना का स्‍थल रहा है और दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए आध्यात्‍म के केन्‍द्र के रूप में कार्य करता रहा है। हालाँकि, हाल के वर्षों में एक असाधारण बदलाव देखने को मिला है, जिसमें शहर की तकदीर बदली और उसकी प्रगति और विकास का ताना-बाना विस्‍तार से बुना गया। विकास संबंधी पहलों की सावधानीपूर्वक तैयार की गई योजना और उनके कार्यान्वयन ने शहर के पुनरुत्थान का मार्ग प्रशस्त किया तथा संस्कृति और समृद्धि के प्रकाश स्‍तम्‍भ के रूप में इसकी कायाकल्‍प कर दी है।

अयोध्या के एक दुकान के मालिक राजेश कुमार गुप्ता ने राम मंदिर निर्माण के बाद समृद्धि की अपनी कहानी साझा की। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण से पहले उनके सामान की मांग न के बराबर थी और आय भी बहुत कम थी. हालाँकि, हाल के दिनों में, अयोध्या तीर्थयात्रियों और पर्यटकों का केन्‍द्र बन गया, जिससे उनके सामान की मांग बढ़ गई और बाद में उनकी आय में वृद्धि देखने को मिली। श्री गुप्ता कहते हैं कि वह प्रतिदिन केवल ₹300-400 कमाते थे, लेकिन भव्य राम मंदिर की घोषणा के बाद उनकी आय प्रतिदिन ₹1000-1500 हो गई।

राजेश कुमार गुप्तास्थानीय दुकानदार

अयोध्या का कायाकल्‍प मंदिर परियोजना से भी आगे तक फैला हुआ है। जैसा कि अयोध्या निवासी श्री श्याम लाल दास ने बताया, अयोध्या स्वच्छता का प्रतीक बन गया है। श्री दास ने कहा, पहले के समय की तुलना में, अब, आप स्वयं चमचमाती साफ-सुथरी सड़कें और साफ-सुथरे कूड़ेदान देख सकते हैं, इसके लिए सतर्क अयोध्या नगर निगम कर्मचारियों को धन्यवाद”। वह गर्व से पास के सुलभ शौचालय परिसर की ओर भी इशारा करते हैं, जो बेहतर स्वच्छता के प्रति अयोध्या की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

पलटू दास अखाड़े के एक संत, श्री आर.के. नाथ योगी, पवित्र सरयू नदी पर घाटों के परिवर्तन का वर्णन करते हैं। उन्होंने कहा कि पहले अच्छे निर्मित घाट नहीं थे। लोगों को नदी तक पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. लेकिन अब हालात बेहतर हो गए हैं और नदी के आसपास एक मजबूत बुनियादी ढांचा बनाया जा रहा है। आर.के. नाथ योगी ने भावुक होकर कहा, “यह स्थान अब स्वर्ग है।”

आर.के. नाथ योगीपलटू दास अखाड़े के संत

जैसा कि शहर ऐतिहासिक उद्घाटन का गवाह बनने के लिए तैयार हो रहा है, ये साक्ष्य उस समुदाय की भावनाओं को प्रतिबिंबित करते हैं जिसने बेहद उत्‍साह से परिवर्तनों को अपनाया है। राम मंदिर केवल एक स्मारक या पूजा स्थल के रूप में नहीं, बल्कि अयोध्या और उसके लोगों की संयुक्‍त परिवर्तनकारी यात्रा के प्रतीक के रूप में खड़ा है।

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नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने अयोध्या से अहमदाबाद के लिए उड़ान को हरी झंडी दिखाई

नागर विमानन और इस्पात मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम सिंधिया ने आज नई दिल्ली से अयोध्या और अहमदाबाद के बीच सीधी उड़ान को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस उद्घाटन के साथ ही अयोध्या को अहमदाबाद से सप्ताह में तीन सीधी उड़ानें मिलेंगी।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह, अयोध्या के सांसद श्री लल्लू सिंह और अहमदाबाद से संसद सदस्य डॉ. किरीट प्रेमजीभाई सोलंकी उपस्थित थे।

विमान सेवा इंडिगो इस मार्ग पर परिचालन करेगी और निम्नलिखित समय-सारणी  के अनुसार 11 जनवरी 2024 से अहमदाबाद – अयोध्या – अहमदाबाद (सप्ताह में तीन बार) के बीच उड़ान शुरू होगी:

फ्लाइट नं. से तक फ्रिक्वेंस प्रस्थान समय आगमन समय विमान से प्रभावी
6ई-6375 अहमदाबाद अयोध्या .2.4.6. 09:10 11:00 बजे एयरबस 11 जनवरी, 2024
6ई-112 अयोध्या अहमदाबाद .2.4.6. 11:30 13:40

नागर विमानन और इस्पात मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि अयोध्या से अहमदाबाद के लिए सीधी उड़ान से दोनों शहरों के बीच हवाई कनेक्टिविटी को और बढ़ावा मिलेगा। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि दोनों शहर सही अर्थ में भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर अहमदाबाद भारत की आर्थिक शक्ति का प्रतीक है तो दूसरी ओर अयोध्या भारत की आध्यात्मिक और सभ्यतागत शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। दोनों शहरों के बीच हवाई संपर्क से आर्थिक विकास होगा, यात्रा और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

उन्होंने 20 महीने के रिकॉर्ड समय में अयोध्या हवाई अड्डे के निर्माण के लिए आवश्यक भूमि आवंटित करने में सहयोग के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ को भी धन्यवाद दिया।

मंत्री महोदय ने यह भी दोहराया कि हवाईअड्डा प्रधानमंत्री के इस विचार को पूरा कर रहा है कि हवाईअड्डे केवल ‘हवाईअड्डे’ नहीं हैं बल्कि किसी क्षेत्र के लोकाचार, संस्कृति और इतिहास के प्रवेश द्वार भी हैं। महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की बाहरी संरचना राम मंदिर से प्रेरित है, और टर्मिनल भवन सुंदर चित्रों और कलाकृतियों के माध्यम से भगवान राम की जीवन यात्रा को दर्शाता है।

मंत्री महोदय ने उत्तर प्रदेश में पिछले 9 वर्षों में विमानन क्षेत्र की वृद्धि के बारे में कहा कि 2014 में उत्तर प्रदेश में केवल 6 हवाई अड्डे थे और अब राज्य में 10 हवाई अड्डे हैं, जिनमें अयोध्या में महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी शामिल है। उत्तर प्रदेश में अगले महीने तक 5 और हवाई अड्डे होंगे, जिनमें आज़मगढ़, अलीगढ़, मोरादाबाद, श्रावस्ती और चित्रकूट में एक-एक हवाई अड्डा होगा। इसके अलावा 2024 के अंत तक जेवर में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी तैयार हो जाएगा। कुल मिलाकर भविष्य में यूपी में 19 हवाई अड्डे होंगे।

मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि वर्तमान में महर्षि वाल्मिकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा 6500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में बनाया गया है, जिसमें व्यस्त समय में 600 हवाई यात्रियों को संभालने की क्षमता है, जिसे अगले चरण में 50,000 वर्ग मीटर तक विस्तारित किया जाएगा और क्षमता को 3000 यात्रियों तक बढ़ाया जाएगा। इसी प्रकार 2200 मीटर लंबे रनवे को बढ़ाकर 3700 मीटर तक किया जाएगा ताकि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए बड़े विमान भी अयोध्या से ही चल सकें।

मंत्री महोदय ने विमानन क्षेत्र में उत्तर प्रदेश सरकार के काम की भी सराहना की क्योंकि पिछले 9 वर्षों में हवाई कनेक्टिविटी तेजी से बढ़ी है। राज्य 2014 में केवल 18 शहरों से जुड़ा था और अब 41 शहरों से जुड़ा है। इसी प्रकार राज्य में 2014 में साप्ताहिक रूप से केवल 700 उड़ानों की आवाजाही होती थी, जो अब बढ़कर प्रति सप्ताह 1654 उड़ानों की आवाजाही हो गई है।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने महर्षि वाल्मिकी अयोध्या अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का विकास निर्धारित समय में पूरा कराने के लिए श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा कि अयोध्या से इस नई हवाई कनेक्टिविटी से पर्यटन, व्यापार और निवेश के और रास्ते खुलेंगे।

कार्यक्रम में नागर विमानन सचिव श्री वुमलुनमंग वुअलनाम, संयुक्त सचिव श्री असुंगबा चुबा आओ, इंडिगो के विशेष निदेशक श्री आरके सिंह भी उपस्थित थे।

 

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10वें वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा- गिफ्ट सिटी 2047 तक भारत के विकसित राष्ट्र बनने के विजन का प्रवेश द्वार होगा

केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा है कि गिफ्ट सिटी आदर्श रूप से वित्तीय और निवेश केंद्र के लिए प्रवेश द्वार बनने के लिए तैयार है और 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के विजन को पूरा करने में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है।

श्रीमती निर्मला सीतारमण आज गांधीनगर में 10 वें वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट 2024 के भाग के रूप में ‘गिफ्ट सिटी-एन एस्पिरेशन ऑफ मॉडर्न इंडिया’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रही थीं।

केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गिफ्ट सिटी के विचार की परिकल्‍पना 2007 में की थी, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे और अब यह एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय केन्द्र बन गया है।

श्रीमती सीतारमण ने हरित प्रौद्योगिकी के संदर्भ में प्रधानमंत्री के विजन की चर्चा करते हुए कहा कि गिफ्ट सिटी को ग्रीन क्रेडिट के लिए एक मंच के रूप में देखना चाहिए। केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि 2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था को 30 ट्रिलियन डॉलर बनाने के लक्ष्य को पाने के लिए विविध फिनटेक प्रयोगशालाएं बनाने  का भी लक्ष्य होना चाहिए।

श्रीमती सीतारमण ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (आईएफएससी) में बढ़ते परिचालन के बारे में कहा कि गिफ्ट सिटी में अब अंतर्राष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज सहित 3 एक्सचेंज, 9 विदेशी बैंकों सहित 25 बैंक, 26 विमान लीज कंपनियां, 80 फंड मैनेजर, 50 पेशेवर सेवा प्रदाता तथा 40 फिनटेक संस्थाएं हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि भारत को शिपिंग के लिए मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनने का लक्ष्य रखना चाहिए और आईएफएससी में 8 शिप लीजिंग इकाइयां काम कर रही हैं जो वैश्विक वित्त तक पहुंच को सक्षम बनाएंगी। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि भारत में शेयर बाजारों में खुदरा भागीदारी सरकार द्वारा शुरू किए गए वित्तीय क्षेत्र के सुधारों की एक और विशिष्ट विशेषता है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने गिफ्ट सिटी को प्रौद्योगिकी और वित्तीय विश्व का विलयन बताते हुए कहा कि वित्तीय सेवाओं में प्रौद्योगिकी के लाभों को शामिल करने की आवश्यकता है और गिफ्ट सिटी को वैश्विक वित्त तक पहुंचने में भारत के उद्यमियों को लाभ प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि अधिकतर वैश्विक वित्तीय केंद्र पहले केवल पूंजी देखते थे, लेकिन गिफ्ट सिटी को प्रौद्योगिकी के साथ वित्तीय सेवाओं से मेल करने का गौरव प्राप्त है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि भारत अब विश्व के विकास इंजन को चला रहा है और यह विकसित पश्चिमी दुनिया और ग्लोबल साउथ के बीच सेतु बन सकता है और जैसा कि भारत वैश्विक मंच पर वित्तीय प्रमुखता के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है, भारत के लोग इनोवेटर्स और उद्यमी बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि गिफ्ट सिटी इन आकांक्षाओं को साकार करने में मदद कर सकता है।

सेमिनार के उद्घाटन सत्र में गुजरात सरकार के वित्त मंत्री श्री कनुभाई देसाई, गिफ्ट सिटी के अध्यक्ष श्री हसमुख अधिया, आईएफएससीए के अध्यक्ष श्री के राजारमण और गिफ्ट सिटी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री तपन रे ने भाग लिया।

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भारत की पहली अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद ने नदी पर्यटन के विकास के लिए 45,000 करोड़ रुपये आवंटित किये

कोलकाता में अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद (आईडब्ल्यूडीसी) का पहला संस्करण देश के अंतर्देशीय जलमार्गों की क्षमता और व्यवहार्यता बढ़ाने के प्रयास में कई पहलों के साथ संपन्न हुआ। केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्यों के मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधियों के साथ-साथ नीति निर्माताओं और उद्योग जगत की हस्तियों सहित प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया।

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इस बैठक में देश में आर्थिक विकास और वाणिज्य के माध्यम के रूप में अंतर्देशीय जलमार्गों को सक्षम करने के उद्देश्य से, देश में नदी क्रूज पर्यटन के विकास के लिए 45,000 करोड़ रुपये के निवेश की प्रतिबद्धता जताई गई। इस बड़ी राशि में से, अनुमानित रूप से 35,000 करोड़ रुपये क्रूज़ जहाजों के लिए और अमृतकाल के अंत में यानी 2047 तक क्रूज़ टर्मिनल बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 10,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। कार्गो व्यापार के लिए अंतर्देशीय जलमार्गों को बढ़ाने के लिए 15,200 करोड़ रुपये का निवेश अक्टूबर, 2023 में मुंबई में आयोजित ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (जीएमआईएस) में आया है। इससे 400 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर दर्ज होने की संभावना है, जिससे 2047 तक कार्गो व्यापार की मात्रा 500 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) तक बढ़ जाएगी। श्री सोनोवाल ने आज कोलकाता में आईडब्ल्यूडीसी के उद्घाटन सत्र में ‘हरित नौका’ दिशानिर्देश और ‘नदी पर्यटन रोडमैप, 2047’ भी जारी किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री सोनोवाल ने कहा कि भारत 2014 से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के गतिशील नेतृत्व में प्रभावशाली ढंग से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि नीली अर्थव्यवस्था की विशाल क्षमता को महसूस किया जाना चाहिए क्योंकि हम पीएम श्री मोदी के एक विजन नीली अर्थव्यवस्था में दुनिया भर में अग्रणी बनने की दिशा में काम कर रहे हैं। अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद की स्थापना हमारे समृद्ध, जटिल और गतिशील जलमार्गों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से की गई थी। प्राचीन काल से ही जलमार्ग आर्थिक वृद्धि और मानव सभ्यता के विकास का माध्यम रहा है। हालांकि, समृद्धि के ये शानदार सिद्ध रास्ते दशकों तक उपेक्षित रहे, जिसके परिणामस्वरूप देश की अमूल्य संपत्ति बर्बाद हो गई। हमारे जलमार्गों को पुनर्जीवित करने के लिए आईडब्ल्यूडीसी एक आधुनिक दृष्टिकोण, स्पष्ट रणनीति और अमृतकाल के अंत तक आत्मनिर्भर भारत के लिए सतत विकास सुनिश्चित करने के लक्ष्य की ओर प्रयास कर रहा है।

आईडब्ल्यूडीसी में नदी क्रूज़ पर्यटन के लिए उपयुक्त अतिरिक्त 26 जलमार्गों की क्षमता को बढ़ाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया था। अभी 8 जलमार्गों की परिचालन क्षमता है। इसी दौरान रात्रि विश्राम वाले क्रूज़ सर्किट की संख्या 17 से बढ़ाकर 80 की जाएगी। अंतर्देशीय जलमार्गों में बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के प्रयास में, नदी क्रूज टर्मिनलों की संख्या 185 तक बढ़ाई जाएगी, जो 15 टर्मिनलों की वर्तमान ताकत से 1233 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी। बढ़ी हुई सर्किट की क्षमता के आधार पर, रात्रि प्रवास के साथ क्रूज पर्यटन यातायात को 2047 तक 5,000 से बढ़ाकर 1.20 लाख किया जाएगा। इसी प्रकार, राष्ट्रीय जलमार्गों पर रात्रि प्रवास के बिना स्थानीय क्रूज पर्यटन यातायात को 2047 तक 2 लाख से बढ़ाकर 15 लाख किया जाएगा।

इस बैठक में केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग और पर्यटन राज्य मंत्री श्री श्रीपद नाइक और केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग राज्य मंत्री श्री शांतनु ठाकुर भी उपस्थित थे। आईडब्ल्यूडीसी में राज्य सरकारों के मंत्रियों, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और अन्य प्रमुख हितधारकों ने भी भाग लिया। आईडब्ल्यूडीसी का आयोजन भारत सरकार के पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय के तहत भारत में अंतर्देशीय जलमार्गों के लिए नोडल एजेंसी भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने किया था। यह एक दिवसीय बैठक कोलकाता डॉक कॉम्प्लेक्स में जहाज एमवी गंगा क्वीन पर आयोजित की गई थी।

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श्री सोनोवाल ने कहा कि अंतर्देशीय जलमार्ग प्रगति की धमनियां हैं, और अंतर्देशीय जलमार्ग विकास परिषद (आईडब्ल्यूडीसी) उनकी क्षमता का दोहन करने की हमारी प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण कदम है। पीएम मोदी के नेतृत्व में और सहयोगात्मक प्रयासों तथा रणनीतिक पहलों के साथ हमारा लक्ष्य अवसरों को भुनाना, अंतर्देशीय जल परिवहन क्षेत्र में सतत विकास और वृद्धि को बढ़ावा देना है। ‘हरित नौका – अंतर्देशीय जहाजों के हरित पारगमन के लिए दिशानिर्देश’ के जारी होने के साथ केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय हमारे अंतर्देशीय जलमार्गों के लिए एक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल भविष्य की दिशा में आगे बढ़ रहा है। रोडमैप ने विभिन्न प्रकार के क्रूज के लिए 30 से अधिक अतिरिक्त संभावित मार्गों की पहचान की थी, जिसमें सभी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए लंबे और छोटे, मनोरंजक और विरासत खंड शामिल थे। ऐसे अतिरिक्त नदी पर्यटन को प्रभावी ढंग से विकसित करने के लिए मार्ग विकास, विपणन रणनीति, बुनियादी ढांचे के विकास और नेविगेशन सहित एक कार्य योजना और रोडमैप भी तैयार है।

कोलकाता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट, जो 2014 में घाटे में था, की स्थिति अब बदल गई है और इस वर्ष यह वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 550 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध अधिशेष प्राप्त करेगा।

सरकार ने अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्ल्यूटी) की भूमिका को बढ़ाने के अपने दृष्टिकोण के अनुरूप, गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली (एनडब्ल्यू-1) के विकास के लिए प्रमुख जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) सहित विभिन्न उपाय शुरू किए। यह परियोजना सामुदायिक घाटों के माध्यम से छोटे गांवों को शामिल करने के साथ-साथ कार्गो, रो-रो और यात्री नौका आवाजाही पर केंद्रित थी। इसके अलावा, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिसका लक्ष्य मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 में उल्लिखित आईडब्ल्यूटी की मॉडल हिस्सेदारी को 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करना है। इस लक्ष्य में समुद्री अमृतकाल विजन 2047 के अनुरूप, कार्गो की मात्रा मौजूदा आईडब्ल्यूटी को 120 एमटीपीए से 500 एमटीपीए से अधिक ऊपर उठाना भी शामिल है।

जलमार्ग बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण प्रगति में वाराणसी, साहिबगंज और हल्दिया में मल्टीमॉडल टर्मिनलों की स्थापना शामिल है, जिससे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में वृद्धि हुई है। कालूघाट इंटरमॉडल टर्मिनल निर्बाध परिवहन की सुविधा और व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त प्रगति कर रहा है। फरक्का में एक नए नेविगेशनल लॉक के पूरा होने से जलमार्ग नौवहन क्षमता में वृद्धि होती है। 60 से अधिक सामुदायिक घाटों का चल रहा निर्माण स्थानीय कनेक्टिविटी और पहुंच के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। ये उपलब्धियां सामूहिक रूप से जलमार्ग बुनियादी ढांचे में दक्षता, कनेक्टिविटी और स्थानीय विकास को बढ़ावा देती हैं।

अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्ल्यूटी) ने जहाजों के लिए इलेक्ट्रिक, हाइब्रिड, हाइड्रोजन और व्युत्पन्न (जैसे अमोनिया या मेथनॉल) प्रणोदन ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया। प्रारंभिक चरण में, आठ इलेक्ट्रिक कैटमरैन जहाजों की तैनाती के साथ एक रणनीतिक कदम उठाया गया था। इन जहाजों को रणनीतिक रूप से तीर्थ पर्यटन के लिए रखा गया था, जिनमें से दो राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर अयोध्या, वाराणसी, मथुरा में और दो राष्ट्रीय जलमार्ग-2 पर गुवाहाटी में तैनात थे। आईडब्ल्यूटी देश में लॉजिस्टिक्स और यात्री आवाजाही परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 111 अधिसूचित राष्ट्रीय जलमार्गों के साथ, 24 राज्यों में 22,000 किमी से अधिक तक फैला हुआ आईडब्ल्यूटी परिवहन के एक प्रभावी वैकल्पिक साधन के रूप में उभरा है।

समुद्री अमृतकाल विजन 2047 भारत की 7500 किलोमीटर लंबी तटीय रेखा, अंतर्देशीय जलमार्गों के महत्वपूर्ण नेटवर्क और तटीय जिलों में निहित वास्तविक विकास क्षमता का प्रत्यक्ष क्षेत्रीय तालमेल और समावेशी विकास तथा रोजगार पर क्रॉस-सेक्टोरल गुणक प्रभाव के साथ प्रतिनिधित्व करता है। समुद्री अमृतकाल विजन 2047 के तहत आईडब्ल्यूटी को विकसित करने के लिए 46 पहलों की पहचान की गई है, जिनमें से तटीय शिपिंग और अंतर्देशीय जल परिवहन के मॉडल शेयर को बढ़ाने के लिए प्रमुख पहलों में बंदरगाह-आधारित समूह केंद्रों का निर्माण, तट-आधारित उत्पादन/मांग केंद्र, सड़क/रेल/आईडब्ल्यूटी कनेक्टिविटी/विस्तार परियोजनाओं के पास तटीय बर्थ का निर्माण शामिल है। ।

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भारतीय रेल ने कोहरे के मौसम के दौरान सुचारू रेल परिचालन सुनिश्चित करने के लिए 19,742 फॉग पास डिवाइस का बंदोबस्त किया है

हर साल, सर्दियों के महीनों में कोहरे के मौसम के दौरान, विशेष रूप से देश के उत्तरी हिस्सों में बड़ी संख्या में ट्रेनें प्रभावित होती हैं। सुचारू रेल परिचालन सुनिश्चित करने के लिए, भारतीय रेल ने कोहरे के मौसम के दौरान 19,742 फॉग पास डिवाइस का बंदोबस्त किया है। यह पहल ट्रेन सेवाओं की विश्वसनीयता में सुधार, देरी को कम करने और समग्र यात्री सुरक्षा को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

फॉग पास डिवाइस एक जीपीएस आधारित नेविगेशन डिवाइस है, जो लोको पायलट को घने कोहरे की स्थिति में ट्रेन चलाने में मदद करता है। यह लोको पायलटों को सिग्नल, लेवल क्रॉसिंग गेट (मानवयुक्त और मानव रहित), स्थायी गति प्रतिबंध, तटस्थ खंड आदि जैसे निश्चित स्थलों के बारे में ऑन-बोर्ड वास्तविक समय की जानकारी (प्रदर्शन के साथ-साथ आवाज मार्गदर्शन) प्रदान करता है। इस प्रणाली से भौगोलिक क्रम में आने वाले अगले तीन निश्चित स्थलों में से लगभग 500 मीटर तक ध्वनि संदेश के साथ-साथ अन्य संकेतक मिलते हैं।

क्षेत्रीय रेलवे को प्रदान किए गए फॉग पास उपकरणों का विवरण इस प्रकार है:

क्र.सं. क्षेत्रीय रेलवे बंदोबस्त किए गए उपकरणों की संख्या
1 मध्य रेलवे 560
2 पूर्वी रेलवे 1103
3 पूर्व मध्य रेलवे 1891
4 पूर्वी तटीय रेलवे 375
5 उत्तर रेलवे 4491
6 उत्तर मध्य रेलवे 1289
7 पूर्वोत्तर रेलवे 1762
8 पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे 1101
9 उत्तर पश्चिम रेलवे 992
10 दक्षिण मध्य रेलवे 1120
11 दक्षिण पूर्व रेलवे 2955
12 दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे 997
13 दक्षिण पश्चिम रेलवे 60
14 पश्चिम मध्य रेलवे 1046
कुल 19742

 

फॉग पास डिवाइस की सामान्य विशेषताएं:

  • सभी प्रकार के अनुभागों जैसे सिंगल लाइन, डबल लाइन, विद्युतीकृत और गैर विद्युतीकृत अनुभागों के लिए उपयुक्त।
  • सभी प्रकार के इलेक्ट्रिक और डीजल इंजनों, ईएमयू/एमईएमयू/डीईएमयू के लिए उपयुक्त।
  • 160 किमी प्रति घंटे तक की ट्रेन गति के लिए उपयुक्त।
  • इसमें 18 घंटे के लिए बिल्ट-इन रीचार्जेबल बैटरी बैकअप है।
  • यह पोर्टेबल, आकार में कॉम्पैक्ट, वजन में हल्का (बैटरी सहित 1.5 किलोग्राम से अधिक नहीं) और मजबूत डिजाइन वाला है।
  • लोको पायलट अपनी ड्यूटी फिर से शुरू करने पर डिवाइस को अपने साथ आसानी से लोकोमोटिव तक ले जा सकता है।
  • इसे लोकोमोटिव के कैब डेस्क पर आसानी से रखा जा सकता है।
  • यह एक स्टैंडअलोन प्रणाली है।
  • यह कोहरे, बारिश या धूप जैसी मौसमी स्थितियों से अप्रभावित रहता है।

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प्रधानमंत्री ने लक्षद्वीप के कवरत्ती में 1150 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज लक्षद्वीप के कवरत्ती में 1150 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन, लोकार्पण और शिलान्यास किया। आज की विकास परियोजनाएं प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, जल संसाधन, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा सहित कई क्षेत्रों को कवर करती हैं। प्रधानमंत्री ने लैपटॉप योजना के तहत छात्रों को लैपटॉप दिए और ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के तहत स्कूली छात्राओं को साइकिलें दीं। उन्होंने किसान और मछुआरें लाभार्थियों को पीएम किसान क्रेडिट कार्ड भी सौंपे।

एकत्रजनों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लक्षद्वीप का सौंदर्य शब्दों से परे है और नागरिकों से मिलने के लिए अगत्ती, बंगारम और कवरत्ती के अपने दौरे का उल्लेख किया। अभिभूत प्रधानमंत्री ने उनकी उपस्थिति के लिए उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा, “भले ही लक्षद्वीप का भौगोलिक क्षेत्र छोटा है, लेकिन लोगों का दिल, समंदर जितना विशाल है।”

प्रधानमंत्री ने दूरदराज, सीमावर्ती या तटीय और द्वीप क्षेत्रों की लंबे समय से उपेक्षा का संकेत दिया। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने ऐसे क्षेत्रों को हमारी प्राथमिकता बनाया है।” उन्होंने बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी, पानी, स्वास्थ्य और बाल देखभाल से संबंधित परियोजनाओं के लिए क्षेत्र के लोगों को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने लक्षद्वीप के विकास की दिशा में सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला और प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) को अंतिम छोर तक पहुंचाने, प्रत्येक लाभार्थी को मुफ्त राशन उपलब्ध कराने, पीएम किसान क्रेडिट कार्ड और आयुष्मान कार्ड के वितरण व विकास तथा आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र के बारे में जानकारी दी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा, ”केंद्र सरकार सभी सरकारी योजनाओं को हर लाभार्थी तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है।” प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से लाभार्थियों को धन वितरित करते समय बरती जाने वाली पारदर्शिता का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अंकुश लगा है। उन्होंने लक्षद्वीप के लोगों को आश्वासन दिया कि उनके अधिकार छीनने की कोशिश करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

प्रधानमंत्री ने 2020 में 1000 दिनों के भीतर तेज इंटरनेट सुनिश्चित करने के बारे में उनके द्वारा दी गई गारंटी को याद किया। कोच्चि-लक्षद्वीप द्वीप समूह सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर कनेक्शन (केएलआई – एसओएफसी) परियोजना आज लोगों को समर्पित कर दी गई है और यह लक्षद्वीप के लोगों के लिए 100 गुना तेज इंटरनेट सुनिश्चित करेगी। इससे सरकारी सेवाओं, चिकित्सा उपचार, शिक्षा और डिजिटल बैंकिंग जैसी सुविधाओं में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि लक्षद्वीप को लॉजिस्टिक हब के रूप में विकसित करने की क्षमता को इससे ताकत मिलेगी। कदमत में लो टेम्परेचर थर्मल डिसेलिनेशन (एलटीटीडी) संयंत्र का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि लक्षद्वीप में हर घर तक नल से जल पहुंचाने का काम तेज गति से चल रहा है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने लक्षद्वीप आगमन पर प्रसिद्ध पारिस्थितिकी विज्ञानी श्री अली मानिकफान के साथ अपनी बातचीत के बारे में बताया और लक्षद्वीप द्वीपसमूह के संरक्षण की दिशा में उनके शोध व नवाचार पर प्रकाश डाला। उन्होंने वर्ष 2021 में श्री अली मानिकफान को पद्मश्री से सम्मानित करने पर वर्तमान सरकार के प्रति अत्यधिक संतोष व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि केंद्र सरकार लक्षद्वीप के युवाओं के नवाचार और शिक्षा का मार्ग प्रशस्त कर रही है। इस क्रम में उन्होंने आज छात्रों को साइकिलें व लैपटॉप सौंपने का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने पिछले वर्षों में लक्षद्वीप में किसी भी शीर्ष शिक्षा संस्थान की अभाव की ओर इशारा किया, जिसके कारण द्वीपों से युवाओं का पलायन हुआ। उच्च शिक्षा संस्थान खोलने की दिशा में उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए, श्री मोदी ने एंड्रोट और कदमत द्वीपों में कला और विज्ञान के लिए शैक्षणिक संस्थानों और मिनिकॉय में पॉलिटेक्निक संस्थान की शुरुआत का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ”इससे ​​लक्षद्वीप के युवाओं को काफी फायदा हो रहा है।”

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने हज यात्रियों के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र किया, जिससे लक्षद्वीप के लोगों को भी फायदा हुआ है। उन्होंने हज वीज़ा के लिए आसानी और महिलाओं के लिए ‘मेहरम’ के बिना हज पर जाने की वीज़ा और अनुमति की प्रक्रिया के डिजिटलीकरण का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, इन प्रयासों से ‘उमरा’ के लिए जाने वाले भारतीयों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

प्रधानमंत्री ने ग्लोबल सी-फूड बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के भारत के प्रयास पर प्रकाश डाला, जिससे लक्षद्वीप को लाभ हुआ क्योंकि स्थानीय टूना मछली जापान को निर्यात की जा रही है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने निर्यात गुणवत्ता वाली स्थानीय मछली की संभावनाओं को रेखांकित किया, जो मछुआरों के जीवन को बदल सकती है। उन्होंने समुद्री शैवाल खेती की संभावनाओं की खोज के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी की रक्षा पर जोर दिया और कहा कि कवरत्ती में सौर ऊर्जा संयंत्र, जो लक्षद्वीप की पहली बैटरी समर्थित सौर ऊर्जा परियोजना है, ऐसी पहल का हिस्सा है।

आजादी के अमृत काल में भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में लक्षद्वीप की भूमिका को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने केंद्र शासित प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर लाने के सरकार के प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने यहां हाल ही में संपन्न हुई जी-20 बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि लक्षद्वीप को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है। स्वदेश दर्शन योजना के तहत, प्रधानमंत्री ने बताया कि लक्षद्वीप के लिए एक गंतव्य-विशिष्ट मास्टर प्लान का मसौदा तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लक्षद्वीप दो ब्लू-फ्लैग समुद्र तटों का घर है और कदमत व सुहेली द्वीपों पर वॉटर-विला परियोजनाओं के विकास का उल्लेख किया। श्री मोदी ने कहा, “लक्षद्वीप क्रूज पर्यटन के लिए एक प्रमुख गंतव्य बनता जा रहा है।” उन्होंने बताया कि पांच साल पहले की तुलना में पर्यटकों की आमद पांच गुना बढ़ गई है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत के नागरिकों से विदेश यात्रा का निर्णय लेने से पहले देश में कम से कम पंद्रह स्थानों की यात्रा करने का अपना आह्वान भी दोहराया। उन्होंने विदेशी भूमि पर द्वीप राष्ट्रों की यात्रा के इच्छुक लोगों से लक्षद्वीप की यात्रा करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, “एक बार जब आप लक्षद्वीप की सुंदरता देखेंगे, तो दुनिया के अन्य गंतव्य फीके नजर आएंगे।”

प्रधानमंत्री ने लक्षद्वीप के लोगों को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार उनके जीवन में आसानी, यात्रा में आसानी और व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाती रहेगी। प्रधानमंत्री ने कहा, “लक्षद्वीप विकसित भारत के निर्माण में एक मजबूत भूमिका निभाएगा”।

इस अवसर पर अन्य लोगों के अलावा लक्षद्वीप के उपराज्यपाल श्री प्रफुल्ल पटेल भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

एक परिवर्तनगामी कदम के तहत प्रधानमंत्री ने कोच्चि-लक्षद्वीप द्वीप समूह सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर कनेक्शन (केएलआई – एसओएफसी) परियोजना की शुरुआत करके लक्षद्वीप में धीमी इंटरनेट गति वाली कमी को दूर करने का संकल्प लिया था, जिसकी घोषणा 2020 में लाल किले में स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान की गई थी। यह परियोजना अब पूरी हो चुकी है और इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया था। इससे इंटरनेट स्पीड 100 गुना से ज्यादा (1.7 जीबीपीएस से 200 जीबीपीएस तक) बढ़ जाएगी। आजादी के बाद पहली बार लक्षद्वीप को सबमरीन ऑप्टिक फाइबर केबल से जोड़ा जाएगा। समर्पित पनडुब्बी ओएफसी लक्षद्वीप द्वीपों में संचार बुनियादी ढांचे में एक आदर्श बदलाव सुनिश्चित करेगी, जिससे तेज और अधिक विश्वसनीय इंटरनेट सेवाएं, टेलीमेडिसिन, ई-गवर्नेंस, शैक्षिक पहल, डिजिटल बैंकिंग, डिजिटल मुद्रा उपयोग, डिजिटल साक्षरता आदि सक्षम होंगी।

प्रधानमंत्री ने कदमत में लो टेम्परेचर थर्मल डिसेलिनेशन (एलटीटीडी) संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किया। इससे प्रतिदिन 1.5 लाख लीटर स्वच्छ पेयजल का उत्पादन होगा। प्रधानमंत्री ने अगत्ती और मिनिकॉय द्वीपों के सभी घरों में कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) भी राष्ट्र को समर्पित किया। लक्षद्वीप के द्वीपों में पीने योग्य पानी की उपलब्धता हमेशा एक चुनौती रही है क्योंकि मूंगा द्वीप होने के कारण यहां भूजल की उपलब्धता न्यूनतम है। ये पेयजल परियोजनाएं द्वीपों की पर्यटन क्षमता को मजबूत करने में भी मदद करेंगी, जिससे स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

राष्ट्र को समर्पित अन्य परियोजनाओं में कावारत्ती में सौर ऊर्जा संयंत्र शामिल है, जो लक्षद्वीप की पहली बैटरी समर्थित सौर ऊर्जा परियोजना है। इससे कवरत्ती में इंडिया रिजर्व बटालियन (आईआरबीएन) कॉम्प्लेक्स में डीजल आधारित बिजली उत्पादन संयंत्र, नए प्रशासनिक ब्लॉक और 80 पुरुष बैरक पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कल्पेनी में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधा के नवीनीकरण और आंड्रोट, चेटलाट, कदमत, अगत्ती और मिनिकॉय के पांच द्वीपों में पांच मॉडल आंगनवाड़ी केंद्रों (नंद घरों) के निर्माण की आधारशिला रखी।

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आरईसी लिमिटेड ने अगले 5 वर्षों में 35,000 करोड़ रुपये तक की मल्टी-मॉडल अवसंरचना परियोजनाओं को निधि उपलब्ध कराने के लिए रेल विकास निगम लिमिटेड के साथ समझौता किया

आरईसी लिमिटेड ने 35,000 करोड़ रुपये तक की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। इन परियोजनाओं को अगले 5 वर्षों में आरवीएनएल पूरा करेगा। इन परियोजनाओं में मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स हब परियोजनाएं, रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाएं, सड़क, बंदरगाह और मेट्रो परियोजनाएं शामिल हैं।

आरईसी के निदेशक (वित्त) श्री अजॉय चौधरी और आरवीएनएल के निदेशक (संचालन) श्री राजेश प्रसाद ने आरईसी के सीएमडी श्री वीके देवांगन, आरवीएनएल के निदेशक (वित्त) श्री संजीब कुमार, आरवीएनएल की डीपीई श्रीमती अनुपम बान, और आरईसी तथा आरवीएनएल के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

ऊर्जा मंत्रालय के तहत 1969 में स्थापित महारत्न सीपीएसई- आरईसी लिमिटेड ऊर्जा-बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक ऋण और अन्य वित्त उत्पाद प्रदान करता है जिसमें उत्पादन, ट्रांसमिशन, वितरण, नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी स्टोरेज और ग्रीन हाइड्रोजन जैसी नई प्रौद्योगिकियां शामिल हैं। आरईसी ने हाल ही में गैर-विद्युत अवसंरचना क्षेत्र में भी विविधता ला दी है, जिसमें सड़क और एक्सप्रेसवे, मेट्रो रेल, हवाई अड्डे, आईटी संचार, सामाजिक और वाणिज्यिक अवसंरचना (शैक्षिक संस्थान, अस्पताल), बंदरगाह तथा स्टील और रिफाइनरी जैसे विभिन्न अन्य क्षेत्र के लिए इलेक्ट्रो-मैकेनिकल (ई एंड एम) कार्य शामिल हैं। आरईसी की ऋण पुस्तिका के अनुसार, आरईसी ने 4,74,275 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण दिए हैं।

आरवीएनएल, रेल मंत्रालय के अधीन “अनुसूची ‘ए’ नवरत्न” केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, जो भारतीय रेलवे की लगभग 30 प्रतिशत बुनियादी ढांचा आवश्यकताओं को पूरा करता है और पीपीपी मॉडल के तहत बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के कार्यान्वयन में भी अग्रणी रहा है। आरवीएनएल मुख्य रूप से रेलवे परियोजनाओं पर काम करता है और इसने सड़क, बंदरगाह, सिंचाई तथा मेट्रो परियोजनाओं में भी काम करना शुरू किया है, जिनमें से कई का रेलवे के बुनियादी ढांचे के साथ किसी न किसी तरह का जुड़ाव है

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श्रीराम मंदिर ’राष्ट्र मन्दिर’ के रूप में भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक एकता का प्रतीक बनेगा: मुख्यमंत्री

CM Yogi Adityanath scheduled to visit Ayodhya today to review preparations ahead of PM Modi's visit

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  ने कहा है कि आज हर कोई अयोध्या आना चाहता है। पूरी दुनिया अयोध्या की ओर उत्सुकता से देख रही है।  पूरा देश राममय है। यह उत्तर प्रदेश की ग्लोबल ब्राण्डिंग सुअवसर भी है। प्रदेश सरकार प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में आने वाले अतिथियों तथा उसके पश्चात पर्यटकों तथा श्रद्धालुओं के आगमन के सुखद, संतोषप्रद अनुभव के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। जनसहयोग से अयोध्या नगरी सुरक्षा, सुविधा और स्वच्छता का मानक होगी।
मुख्यमंत्री आज यहां अपने सरकारी आवास पर आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में भगवान श्रीरामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों तथा अयोध्या में संचालित विभिन्न परियोजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने बैठक में अधिकारियों को अयोध्या नगरी को अलौकिक, अभूतपूर्व और अविस्मरणीय बनाने के लिए सभी आवश्यक प्रबन्ध करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अवधपुरी में भव्य-दिव्य श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण में श्रीरामलला के विराजमान होने की बहुप्रतीक्षित साधना पूर्ण होने में कुछ ही दिवस शेष हैं। श्रीराम मंदिर ’राष्ट्र मन्दिर’ के रूप में भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक एकता का प्रतीक बनेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा का यह ऐतिहासिक कार्यक्रम सभी सनातन आस्थावानों के लिए हर्ष-उल्लास, गौरव तथा आत्मसंतोष का अवसर प्रदान करेगा। 22 जनवरी, 2024 को सायंकाल हर देव मंदिर में दीपोत्सव मनाया जाएगा। हर सनातन आस्थावान अपने घरों/प्रतिष्ठानों में श्री रामज्योति प्रज्ज्वलित कर रामलला का स्वागत करेगा। यह अभूतपूर्व तथा भावुक करने वाला क्षण है। हमारा सौभाग्य है कि हम उस प्रदेश में निवासरत हैं, जहां प्रभु श्रीराम ने अवतार लिया। पूरी दुनिया आज अयोध्या की ओर उत्सुकता भरी दृष्टि से देख रही है। यह श्रीराम जन्मभूमि मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के साथ ही उत्तर प्रदेश की ग्लोबल ब्राण्डिंग के लिए भी सुअवसर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राण-प्रतिष्ठा के उपरांत हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु व पर्यटक अवधपुरी आएंगे। उत्तर प्रदेश आगमन पर उन्हें अलौकिक अनुभूति प्रदान करने के लिए उत्कृष्ट आतिथ्य की सभी व्यवस्थाएं की जाएं। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में पूरे देश से गणमान्यजन का आगमन हो रहा है। ऐसे ऐतिहासिक अवसर पर पूरी अवधपुरी की भव्य साज-सज्जा की जाए। श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और केंीय एजेंसियों के साथ समन्वय बनाते हुए यातायात प्रबन्धन, प्रोटोकॉल के अनुरूप अतिथियों के स्वागत-सत्कार हेतु सभी आवश्यक प्रबन्ध किए जाएं। आतिथ्य-सत्कार में स्वच्छता एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। सभी को इस पर काम करना होगा। जनसहयोग लें। अतिरिक्त मैनपॉवर तैनात करें। मुख्य मार्ग में धूल न उड़े, इसके लिए स्वच्छता के पर्याप्त प्रबन्ध किए जाएं। जगह-जगह कूड़ेदानों की व्यवस्था की जाए। वेस्ट मैनेजमेंट की भी व्यवस्था की जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा अवधपुरी में संचालित किए जाने वाले भोजनालय/भंडारा को ’माता शबरी’ के नाम पर स्थापित किया जाए। इसी प्रकार रैन बसेरे को ’निषादराज गुह्य अतिथि गृह’ के रूप में विकसित किया जाए। अन्य भवनों के नामकरण भी इसी प्रकार रामायणकालीन चरित्रों के नाम पर किए जाएं। 22 जनवरी, 2024 के उपरांत अयोध्या में दुनिया भर से रामभक्तों का आगमन होगा। उनकी सुविधा के लिए पूरे नगर में संविधान की 08वीं अनुसूची में सम्मिलित तथा संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाओं में साईनेज लगाए जाएं। प्रयागराज-अयोध्या, गोरखपुर-अयोध्या, लखनऊ-अयोध्या, वाराणसी-अयोध्या मार्ग पर स्मार्ट साइनेज लगाये जाएं। विभिन्न भाषाओं में सूचना प्रसारित की जाए। इन मार्गों पर स्वǔछता का खास प्रबन्ध रखा जाए। अतिक्रमण को दूर किया जाए। रेहड़ी-पटरी व्यवसायियों को मार्ग से दूर रखा जाए। साथ ही, क्रेन व एम्बुलेंस की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। इसके लिए मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा संबंधित जनपदों को निर्देशित किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्रद्धालुओं/पर्यटकों को अयोध्या आगमन के लिए प्रयागराज, गोरखपुर, वाराणसी तथा लखनऊ जनपदों को वॉल्वो बसों और हेलीकॉप्टर सेवा से जोड़ने की तैयारी की जाए। अयोध्या में तीन हेलीपैड तैयार हैं, इनका समुचित उपयोग किया जाए। अयोध्या की सुरक्षा, सुविधा और स्वच्छता के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। प्राण-प्रतिष्ठा समारोह तथा उसके बाद अयोध्या में सतत् रूप से पुख्ता सुरक्षा के इंतजाम किए जाएं। सेफ सिटी की परियोजना को बिना देरी तत्काल लागू किया जाए तथा पर्याप्त संख्या में सी0सी0 टी0वी0 कैमरे लगवाए जाएं। 22 जनवरी, 2024 से पूर्व अयोध्या की आई0सी0सी0सी0 एक्टिव किया जाए। श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए हॉस्पिटैलिटी की उत्कृष्ट सुविधा का प्रबन्ध किया जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या में कहीं भी अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। नया घाट से टेढ़ी बाजार मार्ग पर दोनों ओर रेलिंग लगाई जाएं। रेलिंग की साज-सज्जा भी की जानी चाहिए। सार्वजनिक प्रसाधन स्थलों की नियमित साफ-सफाई की जाए। फ्यूल पम्पों पर प्रसाधन कक्षों की साफ-सफाई सुनिश्चित की जाए। प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2017 में सरयू जी की आरती की परम्परा प्रारम्भ कराई गई, इसे और अधिक व्यवस्थित तथा आकर्षक बनाया जाए। अर्चकों का प्रशिक्षण भी कराया जाना चाहिए। अयोध्या का एक डिजिटल टूरिस्ट एप विकसित किया जाए, इसमें अयोध्या में मौजूद सभी आधारभूत सुविधाओं एवं प्रमुख स्थलों की जानकारी वॉक थ्रू के माध्यम से उपलब्ध कराई जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या आगमन के लिए निकटस्थ 06 रेलवे स्टेशन हैं। परिवहन विभाग द्वारा इन स्टेशनों से समन्वय बनाते हुए यहां उतरने वाले पर्यटकों व श्रद्धालुओं को सुविधाजनक ढंग से गंतव्य तक पहुँचाने के लिए अच्छी बसों की व्यवस्था स्थायी रूप से की जाए। अयोध्या में देश-विदेश के प्रतिष्ठित कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां तथा प्रबुद्ध सम्मेलन आयोजित किया जाए। सरयू जी में नावों पर ’सांस्कृतिक कला नौका यात्रा’ का आयोजन किया जाए। मकर संक्रान्ति पर्व से प्रदेश के सभी आध्यात्मिक स्थलों व मंदिरों में भजन-कीर्तन आदि सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन कराए जाएं। मंदिरों में दीप प्रज्ज्वलन, दीप दान के साथ-साथ रामकथा प्रवचन, अनवरत रामायण, रामचरित मानस, सुन्दरकाण्ड पाठ आदि कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाए। नगर निकायों में नगर संकीर्तनों का आयोजन किया जाये, जिसमें स्थानीय भजन/कीर्तन मण्डलियों को सम्मिलित करते हुए, नगरों में राम मंदिर रथ एवं कलश यात्राओं का आयोजन किया जाए। अयोध्या के मंदिरों में 14 से 24 मार्च, 2024 तक भजन कीर्तन, अनवरत रामायण, रामचरितमानस, सुन्दरकाण्ड पाठ आदि कार्यक्रम भी आयोजित किए जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि रामायण श्रीराम जी के जीवन पर आधारित एक अद्भुत अमर कहानी है, जो हमें भक्ति, कर्तव्य, सम्बन्ध, धर्म तथा कर्म का सही अर्थ सिखाती है। देश-विदेश में कई कथा वाचकों द्वारा रामकथा के विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से जनमानस के मध्य श्रीराम के आदर्शों को स्थापित किया जा रहा है। ऐसे कथा वाचकों द्वारा राम नगरी अयोध्या जी में प्रवचन एवं रामकथा की सरिता प्रवाहित की जाए। भगवान श्रीराम के परम्परागत रूपों पर आधारित देश के विभिन्न प्रान्तों/विभिन्न देशों में होने वाली रामलीलाओं की प्रस्तुति कराई जाए। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश उत्तराखण्ड, हरियाणा, कर्नाटक, सिक्किम, केरल, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख एवं चंडीगढ़ आदि राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में इसकी समृद्ध संस्कृति है। नेपाल, कम्बोडिया, सिंगापुर, श्रीलंका, थाईलैण्ड, इण्डोनेशिया आदि की रामलीला मण्डलियों को भी आमंत्रित किया जाए। अयोध्या जी में भजन संध्या मंच पर देश के प्रसिद्ध भजन गायकों द्वारा प्रभु श्रीराम जी पर आधारित भजनों का गायन हो। स्थानीय भजन गायकों को भी स्थान दिया जाए।

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