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शिक्षा

क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय में शिक्षक, शिक्षनेत्रण कर्मचारियों एवं छात्रों द्वारा खिचड़ी समरसता भोज एवं स्वच्छ गंगा कार्यक्रम का आयोजन

कानपुर विशविद्ययालय से संबद्ध क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय में शिक्षक, शिक्षनेत्रण कर्मचारियों एवं छात्रों द्वारा खिचड़ी समरसता भोज एवं स्वच्छ गंगा कार्यक्रम का आयोजन किया गया, महाविद्यालय में खिचड़ी भोज के पशचात जुलूस के रूप में सभी ने सरसैया घाट पहुच के गंगा सफाई में अपना योगदान दिया,
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्राचार्य सैमुअल दयाल, प्रो. नलिन श्रीवास्तव, डॉ शिप्रा श्रीवास्तव, डॉ आशुतोष सक्सेना, डॉ मीत कमल, डॉ हिमांशु दीक्षित, प्रो डी. सी. श्रीवास्तव, प्रो निरंजन सक्सेना, प्रो. रवि महलवाल, डॉ आर. के. द्विवेदी, स्वामीनाथ आदि ने अपना योगदान दिया 

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क्राइस्टचर्च कॉलेज में छात्राओं के लिए एक-दिवसीय आत्मा-रक्षा-प्रशिक्षण कार्यशाला– “प्रोजेक्ट शक्ति” आयोजित किया गया

क्राइस्टचर्चकॉलेज, कानपुर के महिला प्रकोष्ठ एवं आज प्रकाशन प्रा. लि. के संयुक्त तत्वावधान में महाविद्यालय की छात्राओं के लिए आत्मा-रक्षा-प्रशिक्षण कार्यशाला– “प्रोजेक्ट शक्ति”, का आयोजन दिनांक 18 सितम्बर 2019 को किया गया. आज के समय में कार्य के हर क्षेत्र में अग्रणी महिलाओं को विभिन्न परिस्थितियों में चुनौतीपूर्ण भूमिकाएँ निभानी पड़ती हैं. संस्कारों के ह्रास और नैतिक पतन के कारण समाज में महिलाओं की स्थिति बहुत संकटग्रस्त हो गई है और उन्हें अनेक दुर्भावनापूर्ण स्थितियों का अक्सर सामना करना पड़ता है. महिलाओं के लिए ऐसी विषम स्थिति से निकलने का मार्ग स्वयं को मज़बूत करना ही है. क्राइस्टचर्च महाविद्यालय का महिला प्रकोष्ठ अत्यंत सक्रियता और कर्मठता सेकॉलेज की सभी महिला सदस्याओं एवं छात्राओं के लिए उनके कार्यक्षेत्र में स्वस्थ, सकारात्मक एवं सुरक्षित कार्य संस्कृति बनाए रखने की दिशा में सतत कार्य कर रहा है. वर्ष 2016 में स्थापित महिला प्रकोष्ठ अपने ध्येय सिद्ध करने के लिए प्रति वर्ष अनेक विशिष्ट व्याख्यान, कार्यशालाएँ, प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करता रहता है. इसी दिशा में बहुत सार्थक पहल करते हुए आज इस एक-दिवसीय आत्म-रक्षा प्रशिक्षण की कार्यशाला “प्रोजेक्ट शक्ति”महिला प्रकोष्ठ द्वारा आज प्रकाशन प्रा. लि. के साथ संयुक्त रूप से आयोजित की गई.इस पूरेप्रोजेक्ट का लक्ष्य है महिलाओं में आत्मनिर्भरता, आत्म-रक्षा और आत्मसम्मान को पुनः जागृत करना और उनके भीतर निर्भयता और निडरता का भाव पोषित करना, जिससे वे मानसिक रूप से और शारीरिक रूप से अपनी सुरक्षा के प्रति सजग रह सकें.

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