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राजनीति

एक साथ 78,220 तिरंगे लहराकर भारत ने बनाया विश्व रिकार्ड

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भारत ने एक साथ सबसे ज़्यादा राष्ट्रीय ध्वज लहराने का रिकॉर्ड बनाया है। 23 अप्रैल 2022 को बिहार के भोजपुर के जगदीशपुर स्थित दुलौर मैदान में वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव कार्यक्रम में 78 हज़ार 220 तिरंगे झंडों को एक साथ लहराकर भारत ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया।

मौका था जगदीशपुर के तत्कालीन राजा वीर कुंवर सिंह का अंग्रेजों के खिलाफ विजय प्राप्त करने का, जिन्हें 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में से एक माना जाता है। यह कार्यक्रम भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत गृह मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय ने आयोजित किया था।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रतिनिधियों के सामने बनाये गए इस रिकॉर्ड के लिए कार्यक्रम में उपस्थित लोगों की भौतिक पहचान के लिए बैंड पहनाए गए थे और पूरे कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग हुई थी।

केंद्रीय गृह मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कल्पना की है कि 2047 में पूरी दुनिया में हर क्षेत्र में भारत शीर्ष पर होना चाहिए और वीर कुंवर सिंह जी जैसे सभी वीर सेनानियों को यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है। बाबू कुंवर सिंह जी बहुत बड़े समाज सुधारक भी थे और उन्होंने पिछड़े और दलितों का कल्याण करने का एक विचार उस जमाने में देश के सामने रखा। इतिहास ने बाबू कुंवर सिंह के साथ अन्याय किया, उनकी वीरता, योग्यता, बलिदान के अनुरूप उन्हें इतिहास में स्थान नहीं दिया गया, लेकिन आज बिहार की जनता ने बाबू जी को श्रद्धांजलि देकर वीर कुंवर सिंह का नाम एक बार फिर इतिहास में अमर करने का काम किया है

बाबु वीर कुंवर सिंह 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे, जिन्होंने लगभग 80 वर्ष की उम्र में भी विदेशी हुकूमत का डट कर मुकाबला किया। वे जगदीशपुर के परमार राजपूतों के उज्जयिनी वंश के परिवार से संबंधित थे, जो वर्तमान में भोजपुर जिले, बिहार, भारत का एक हिस्सा है। 80 साल की उम्र में, उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की कमान के तहत सैनिकों के खिलाफ सशस्त्र सैनिकों के एक चयनित बैंड का नेतृत्व किया। वह बिहार में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के मुख्य नायक थे। उन्हें वीर कुंवर सिंह के नाम से जाना जाता है। केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह की उपस्थिति में इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री श्री आरके सिंह, श्री अश्विनी चौबे और श्री नित्यानंद राय मौजूद रहे। इनके अलावा उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी की भी उपस्थिति रही। सभी ने हज़ारों की तादाद में जुटे आमजन के साथ मिलकर एक साथ पांच मिनट तक तिरंगा लहराया और राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ का गायन किया।

 

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प्रधानमंत्री ने बनासकांठा के दियोदर में बनास डेयरी संकुल में कई विकास परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया और आधारशिला रखी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज बनासकांठा जिले के दियोदर में एक नया डेयरी कॉम्प्लेक्स और आलू प्रसंस्करण संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किया, जिसे 600 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से तैयार किया गया है। नया डेयरी कॉम्प्लेक्स एक ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट है। यह प्रतिदिन लगभग 30 लाख लीटर दूध के प्रसंस्करण, लगभग 80 टन मक्खन, एक लाख लीटर आइसक्रीम, 20 टन संघनित दूध (खोया) और 6 टन चॉकलेट का उत्पादन करने में सक्षम होगा। आलू प्रसंस्करण संयंत्र विभिन्न प्रकार के प्रसंस्कृत आलू उत्पादों जैसे फ्रेंच फ्राइज, आलू चिप्स, आलू टिक्की, पैटी आदि का उत्पादन करेगा, जिनमें से कई उत्पाद अन्य देशों में निर्यात किए जाएंगे। ये संयंत्र स्थानीय किसानों को सशक्त बनाएंगे और क्षेत्र में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगे। प्रधानमंत्री ने बनास सामुदायिक रेडियो स्टेशन भी राष्ट्र को समर्पित किया। यह सामुदायिक रेडियो स्टेशन किसानों को कृषि और पशुपालन से संबंधित प्रमुख वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है। उम्मीद है कि रेडियो स्टेशन लगभग 1700 गांवों के 5 लाख से अधिक किसानों से जुड़ेगा। प्रधानमंत्री ने पालनपुर में बनास डेयरी संयंत्र में पनीर उत्पादों और मट्ठा पाउडर के उत्पादन के लिए विस्तारित सुविधाओं को राष्ट्र को समर्पित किया। साथ ही, प्रधानमंत्री ने गुजरात के दामा में स्थापित जैविक खाद और बायोगैस संयंत्र को राष्ट्र को समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने खिमना, रतनपुरा-भीलडी, राधनपुर और थावर में स्थापित होने वाले 100 टन क्षमता के चार गोबर गैस संयंत्रों की आधारशिला भी रखी। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य लोगों में गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल शामिल थे।

आयोजन से पहले, प्रधानमंत्री ने बनास डेयरी के साथ अपने जुड़ाव के बारे में ट्वीट किया तथा 2013 और 2016 में अपनी यात्राओं से तस्वीरें साझा कीं। प्रधानमंत्री ने कहा, “पिछले कई वर्षों में, बनास डेयरी स्थानीय समुदायों, विशेष रूप से किसानों और महिलाओं को सशक्त बनाने का केंद्र बन गया है। मुझे डेयरी के अभिनव उत्साह पर विशेष रूप से गर्व है जो उनके विभिन्न उत्पादों में देखा जाता है। शहद पर उनका निरंतर ध्यान रखना भी प्रशंसनीय है।” श्री मोदी ने बनासकांठा के लोगों के प्रयासों और भावना की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “मैं बनासकांठा के लोगों की कड़ी मेहनत दृढ़ता की भावना की सराहना करना चाहता हूं। जिस तरह से इस जिले ने कृषि के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है वह काबिले तारीफ है। किसानों ने नई तकनीकों को अपनाया, जल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया और परिणाम सभी के सामने हैं।”

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प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के दाहोद और पंचमहाल में 22,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज दाहोद में आदिजाति महासम्मेलन में भाग लिया, जहां उन्होंने लगभग 22,000 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री ने 1,400 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का उद्घाटन किया। उन्होंने दाहोद जिला दक्षिणी क्षेत्र में क्षेत्रीय जल आपूर्ति योजना का उद्घाटन किया, जिसे नर्मदा नदी बेसिन पर लगभग 840 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया गया है। यह योजना दाहोद जिले के लगभग 280 गांवों और देवगढ़ बरिया शहर की जलापूर्ति की जरूरतों को पूरा करेगी। प्रधानमंत्री ने दाहोद स्मार्ट सिटी की पांच परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया, जिन्हें लगभग 335 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया गया है। इन परियोजनाओं में एकीकृत आदेश व नियंत्रण केंद्र (आईसीसीसी) भवन, तेज प्रवाह जल निकासी प्रणाली, सीवरेज कार्य, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली और वर्षा जल संचयन प्रणाली शामिल हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पंचमहाल और दाहोद जिले के 10,000 आदिवासियों को 120 करोड़ रुपये के लाभ प्रदान किये गए। प्रधानमंत्री ने 66 केवी घोड़िया सबस्टेशन, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी आदि का भी उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री ने दाहोद स्थित उत्पादन इकाई में 9,000 एचपी विद्युत रेल इंजन के निर्माण की आधारशिला भी रखी। इस परियोजना की लागत करीब 20,000 करोड़ रुपये है। दाहोद कार्यशाला को भाप इंजनों की एक निश्चित अवधि के बाद की जाने वाली सम्पूर्ण मरम्मत के लिए 1926 में स्थापित किया गया था, जिसका अब अवसंरचना संबंधी सुधारों के साथ विद्युत रेल इंजन निर्माण इकाई के रूप में उन्नयन किया जाएगा। यह 10,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करेगी। प्रधानमंत्री ने लगभग 550 करोड़ रुपये की राज्य सरकार की विभिन्न परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी। इनमें शामिल हैं- करीब 300 करोड़ रुपये की जलापूर्ति से संबंधित परियोजनाएं, 175 करोड़ रुपये की दाहोद स्मार्ट सिटी परियोजनाएं, दुधिमती नदी परियोजना से संबंधित कार्य, घोड़िया में जीईटीसीओ सबस्टेशन आदि। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव, श्रीमती दर्शना जरदोश, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल और गुजरात सरकार के कई मंत्री उपस्थित थे।

इस अवसर पर बोलते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्थानीय आदिवासी समुदाय के साथ  अपने लंबे जुड़ाव को याद किया। उन्होंने राष्ट्र सेवा की ओर उन्हें प्रेरित करने का श्रेय इस समुदाय के लोगों के आशीर्वाद को दिया। उन्होंने एक ऐसे परिदृश्य के निर्माण का श्रेय भी इन समुदाय के समर्थन और आशीर्वाद को दिया जिसमें केंद्र और राज्य में डबल इंजन की सरकार द्वारा आदिवासी समुदायों और विशेष रूप से महिलाओं की सभी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज जिन परियोजनाओं का उद्घाटन हुआ है उनमें एक पेयजल से जुड़ी योजना है और दूसरी दाहोद को स्मार्ट सिटी बनाने से जुड़ी परियोजना है। इन दोनों परियोजनाओं से इस इलाके की माताओं और बेटियों का जीवन आसान होगा। उन्होंने कहा कि दाहोद मेक इन इंडिया अभियान में योगदान देगा क्योंकि दाहोद स्थित उत्पादन इकाई में 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से 9000 एचपी वाले इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव तैयार होने वाले हैं। उन्होंने याद किया कि कैसे दाहोद का रेलवे का इलाका मरता जा रहा था जब वो इस इलाके में सर्वेंट क्वार्टरों का दौरा किया करते थे। उन्होंने इस इलाके के रेलवे से संबंधित ढांचे को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया और आज उस सपने के साकार होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह विशाल निवेश इस इलाके के युवाओं को नए अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि रेलवे सभी पहलुओं में उन्नत हो रहा है और इस किस्म के उन्नत लोकोमोटिव का निर्माण भारत के कौशल का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की विदेशों में मांग बढ़ रही है। इस मांग को पूरा करने में दाहोद बड़ी भूमिका निभाएगा। भारत अब दुनिया के उन चुनिंदा देशों में से एक है जो 9 हजार हॉर्स पावर के शक्तिशाली लोको बनाता है।”

गुजराती में संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रगति की इस यात्रा में हमारी माताएं और बेटियां पीछे न रह जाएँ। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी वजह से सरकार की सभी योजनाओं के केंद्र में महिलाओं के जीवन को आसान बनाना और उनका सशक्तिकरण करना है। उन्होंने महिलाओं को सबसे पहले प्रभावित करने वाली पानी की कमी की समस्या का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार इसलिए हर घर में नल का पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। पिछले कुछ वर्षों में छह करोड़ परिवारों को नल के पानी की सुविधा मिली है। गुजरात में पांच लाख आदिवासी परिवारों को नल के पानी की सुविधा मिल चुकी है। आने वाले दिनों में इस अभियान को और तेज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महामारी और युद्धों के कठिन दौर में, सरकार ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग जैसे कमजोर समुदायों और प्रवासी मजदूरों के कल्याण को सुनिश्चित किया। यह सुनिश्चित किया गया कि कोई भी गरीब परिवार भूखा न सोए और 80 करोड़ से अधिक लोगों को दो साल से अधिक समय से मुफ्त राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने इस संकल्प को दोहराया कि प्रत्येक आदिवासी परिवार के पास शौचालय, गैस कनेक्शन, बिजली, पानी के कनेक्शन से लैस एक पक्का घर होना चाहिए। उनके गांव में स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्र, शिक्षा, एंबुलेंस और सड़कों की सुविधा होनी चाहिए। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए केंद्र और राज्य की सरकार अथक प्रयास कर रही हैं। उन्होंने लाभार्थियों को प्राकृतिक खेती जैसी राष्ट्र सेवा से जुड़ी परियोजनाओं में शामिल होते देख अपार प्रसन्नता व्यक्त की। सरकार ने सिकल सेल रोग की समस्या के समाधान की ओर भी ध्यान दिया है।

‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि कई वास्तविक स्वतंत्रता सेनानियों को वह उचित सम्‍मान नहीं मिला जिसके वे हकदार थे। उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा जैसे श्रद्धेय सेनानियों को दिए गए उचित सम्‍मान के बारे में बताया। उन्होंने स्थानीय शिक्षकों से दाहोद में हुए नरसंहार के बारे में पढ़ाने को कहा जो जलियांवाला बाग हत्याकांड जैसा ही था, ताकि नई पीढ़ी को इन घटनाओं के बारे में पता चल सके। उन्होंने उन बीते दिनों से तुलना करते हुए इस क्षेत्र में हुई उल्‍लेखनीय प्रगति के बारे में भी चर्चा की जब एक भी विज्ञान स्कूल वहां नहीं था। अब वहां मेडिकल व नर्सिंग कॉलेज खुल रहे हैं, युवा पढ़ाई के लिए विदेश जा रहे हैं और एकलव्य मॉडल स्कूल खोले जा रहे हैं। जनजातीय अनुसंधान संस्थानों की संख्या में काफी हद तक वृद्धि हो चुकी है। उन्होंने स्‍मरण किया कि किस तरह से 108 केंद्रों में सर्पदंश के लिए इंजेक्शन दिया जा रहा है।

अपने संबोधन के आखिर में उन्होंने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के वर्ष में उन 75 सरोवरों के लिए अपना अनुरोध दोहराया जिन्‍हें इस जिले में बनाया जाना है।

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आयुष्मान भारत प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य मेलों में 3 लाख 57 हजार से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सहभागिता में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय 16 अप्रैल से 22 अप्रैल, 2022 तक आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एबी-एचडब्ल्यूसी) की चौथी वर्षगांठ मना रहा है। पूरे देश में इस उत्सव को बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, विधायक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव/स्वास्थ्य सचिव राज्य स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, जनप्रतिनिधि और स्थानीय गणमान्य व्यक्ति भी एबी-एचडब्ल्यूसी दौरा का कर रहे हैं। इसके साथ ही जनता के बीच सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने में एबी-एचडब्ल्यूसी के महत्व के बारे में जागरूकता भी उत्पन्न कर रहे हैं।

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18-22 अप्रैल, 2022 तक पूरे देश के राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के हर एक जिले के कम से कम एक प्रखंड में स्थित एक लाख से अधिक एबी-एचब्ल्यूसी में प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य मेलों का आयोजन किया जा रहा है। हर एक प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य मेला एक दिन के लिए होगा और राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के प्रत्येक ब्लॉक को कवर किया जाएगा। स्वास्थ्य मेले के दूसरे दिन पूरे देश में 3 लाख 57 हजार से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। लगभग 490 प्रखंडों ने स्वास्थ्य मेलों का आयोजन किया। इसके अलावा 60,000 से अधिक आभा स्वास्थ्य आईडी बनाए गए और 21,000 पीएमजेएवाई गोल्डन कार्ड जारी किए गए। साथ ही उच्च रक्तचाप और मधुमेह आदि के लिए हजारों लोगों की जांच की जा रही हैं।

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16 अप्रैल, 2022 को आयुष्मान भारत – स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एबी-एचडब्ल्यूसी) में एक दिन में ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म के जरिए रिकॉर्ड 3 लाख टेली- परामर्श किए गए। यह एबी-एचडब्ल्यूसी में एक दिन में अब तक किए गए टेली-परामर्श की सबसे अधिक संख्या है, जो हर दिन 1.8 लाख टेली-परामर्श के अपने पहले के रिकॉर्ड को पार कर गया है। वहीं, 19 अप्रैल 2022 को पूरे देश में 25,000 से अधिक टेली-परामर्श किए गए।

 

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केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अनुराग ठाकुर का प्रिंट मीडिया मालिकों एवं संपादकों से सीधा संवाद

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर गुजरात के दौरे पर हैं। मंत्री ने आज गांधीनगर में प्रमुख समाचार पत्रों के मालिकों और प्रमुख संपादकों के साथ बैठक की। इस अनौपचारिक बैठक में अखबार जगत के नेताओं ने मीडिया जगत से जुड़े क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विस्तार से जानकारी दी. मंत्री ने कहा कि सरकार लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्री ने कहा कि सरकार पत्रकारों के साथ-साथ समाचार पत्रों के लाभ के लिए कई कदम उठा रही है।

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प्रेस सूचना ब्यूरो द्वारा आयोजित, मंत्री ने जनहित के कई मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया। मंत्री ने भ्रामक और झूठी खबरों पर अंकुश लगाने के लिए अखबार जगत से राय मांगी। इस अवसर पर पीआईबी के अतिरिक्त ADG डॉ धीरज काकड़िया, राज्य सरकार के सूचना एवं प्रसारण सचिव सुश्री अवंतिका सिंह, सूचना निदेशक श्री आरके मेहता आदि भी उपस्थित थे। 

 

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उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने जम्मू और कश्मीर में एक जिला एक उत्पाद के तहत विशाल क्रेता-विक्रेता सम्मेलन आयोजित किया

जम्मू और कश्मीर व्यापार संवर्धन संगठन (जेकेटीपीओ) के सहयोग से उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के ‘एक जिला एक उत्पाद’ पहल के तहत व्यापार को बढ़ावा देने और बाजार संपर्क बनाने की दृष्टि से, जम्मू और कश्मीर में 21 अप्रैल 2022 को एक विशाल क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोजन किया गया।

क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में 8,000 करोड़ रुपये से अधिक राजस्व वाले कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों की उपस्थिति रही और उनके उत्पाद दुनियाभर में एक मिलियन से अधिक खुदरा दुकानों पर उपलब्ध हैं। जम्मू और कश्मीर के विभिन्न जिलों के विक्रेताओं, व्यापारियों, किसानों, एग्रीगेटर्स ने अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया जो घाटी की अद्वितीय चीजें हैं। इसमें विश्व प्रसिद्ध कश्मीरी केसर, हिमालयन व्हाइट बबूल शहद, लाल चमकदार किडनी बीन्स, ताजी उगाई गई जैविक सब्जियां और बहुत कुछ शामिल हैं।

क्रेता-विक्रेता सम्मेलन ने एक ऐसा मंच प्रदान किया, जहां विभिन्न सरकारी विभाग और संस्थान चयनित उत्पादों के व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक साथ आए। जम्मू एवं कश्मीर कृषि और उद्योग विभाग बाजार की आवश्यकता के अनुसार गुणवत्ता वाले उत्पाद तैयार करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। साथ ही किसानों की आय क्षमता में सुधार के लिए इस श्रेणी के सर्वश्रेष्ठ उत्पादों को प्रसिद्ध ब्रांडों के साथ जोड़ना अनिवार्य है। सभी हितधारकों के बीच सामूहिक चर्चा से केसर आधारित डेयरी उत्पादों, अखरोट आधारित बेकरी उत्पादों आदि जैसे उत्पादों की विविधता पर नए-नए विचार सामने आए। खरीदारों और विक्रेताओं के बीच व्यापार पर केंद्रित चर्चा की सुविधा प्रदान की गई, जिसके परिणामस्वरूप 1.2 करोड़ रुपये की धनराशि के 4 उत्पादों के लिए आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।

यह आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण का प्रत्यक्ष परिणाम है। अपने एक जिला एक उत्पाद पहल के तहत, डीपीआईआईटी किसानों की आय बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए इस तरह के जुड़ाव को सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है। कृषि, कपड़ा, हस्तशिल्प और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में 700 से अधिक उत्पादों के साथ, ओडीओपी पहल के जरिए देश के हर जिले से एक उत्पाद का चयन, ब्रांड और प्रचार किया जाता है। समन्वय और सहयोगात्मक नेटवर्क तैयार करना इसकी मुख्य भूमिका है। व्यापार को बढ़ावा देने और सुविधा के लिए यह खरीदारों और विक्रेताओं की मदद करता है।

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने मुख्य संबोधन दिया। कार्यक्रम के दौरान सुमिता डावरा, अपर सचिव डीपीआईआईटी, नवीन कुमार चौधरी प्रधान सचिव कृषि उत्पादन और किसान कल्याण विभाग के अलावा जम्मू और कश्मीर सरकार के कृषि एवं बागवानी विभागों के विषय विशेषज्ञ आदि विभिन्न गणमान्य उपस्थित रहे।

क्रेता-विक्रेता सम्मेलन के साथ-साथ वेब आधारित बिक्री के जरिए व्यापार का विस्तार करने के लिए जम्मू-कश्मीर के विक्रेताओं का सहयोग करने को देश के एक प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा ई-कॉमर्स सत्र भी आयोजित किया गया। इससे पहले ओडीओपी पहल के माध्यम से बडगाम, कश्मीर से 6750 किलोग्राम सेब और 2000 किलोग्राम अखरोट कर्नाटक के खरीदारों को बेचा गया, जो पहले इसका आयात कर रहे थे। विभिन्न उत्पादों के अनूठे बिक्री प्रस्ताव (यूएसपी) की पहचान और सहयोग के माध्यम से, ओडीओपी पहल अपने विशाल क्रेता-विक्रेता सम्मेलन के माध्यम से ऐसे प्रयासों को बड़े पैमाने पर दोहराने का प्रयास कर रही है।

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कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर और फिलीपींस के कृषि मंत्री श्री डार के बीच हुई बैठक

नई दिल्ली 21 अप्रैल, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री  नरेंद्र सिंह तोमर से आज कृषि भवन, नई दिल्ली में फिलीपींस के कृषि मंत्री श्री विलियम डार ने प्रतिनिधिमंडल सहित मुलाकात की। इस दौरान श्री तोमर ने आश्वासन दिया कि भारत जल्द ही आगामी संयुक्त कृषि कार्य बैठक की मेजबानी करेगा, जिसमें सभी द्विपक्षीय कृषि मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। श्री तोमर ने सभी का गर्मजोशी से स्वागत करते हुए श्री डार की दिल्ली यात्रा के साथ-साथ भारत और फिलीपींस के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों पर प्रसन्नता व्यक्त की। श्री तोमर ने व्यापार और कृषि क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों पर संतोष व्यक्त करने के साथ ही कृषि क्षेत्र में फिलीपींस के लोगों की कड़ी मेहनत पर प्रसन्नता व्यक्त की और उनसे कृषि क्षेत्र में फिलीपींस के नए अनुसंधान के बारे में अपने ज्ञान व अनुभव को भारत के साथ साझा करने का अनुरोध किया। श्री तोमर ने कहा कि दोनों देशों में चावल का काफी उपभोग होता है और चावल प्रिय देश हैं, जिससे ये भौगोलिक रूप से समरूप और एक-दूसरे से घनिष्ठ हो जाते हैं। फिलीपींस के कृषि मंत्री श्री डार ने कृषि एवं अन्य क्षेत्रों में दोनों देशों के अच्छे संबंधों की सराहना की। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत के फिलीपींस के साथ बेहतर संबंध है। वर्तमान में भारत, आर्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। श्री डार ने जैविक और गैर-जैविक क्षेत्र जैसे बेहतर कृषि उत्पादों के क्षेत्र में भारत के साथ काम करने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने जोर दिया कि प्रकृति को प्रभावित किए बिना दोनों देशों को जैविक उत्पादों के क्षेत्र में संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। श्री डार ने किसानों की आय दोगुनी करने के भारत सरकार के विचार पर प्रकाश डालते हुए स्थानीय किस्म की कृषि को बढ़ावा देने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि भारत अपने स्तर पर जेडब्ल्यूजी बैठक करें, जो गत वर्ष से महामारी के कारण लंबित है।

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जनपद स्तरीय अप्रेन्टिसशिप मेला आयोजित

कानपुर 21 अप्रैल (सू0वि0) प्रदेश सरकार के निर्देशों के क्रम में जनपद स्तरीय अप्रेन्टिसशिप मेला का आयोजन आज राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, पाण्डुनगर में किया गया। इस अप्रेन्टिसशिप मेला का शुभारम्भ विधायक गोविन्द नगर सुरेन्द्र मैथानी ने दीप प्रज्जवलित कर किया। अप्रेन्टिसशिप मेला में प्रदेश सरकार के द्वारा अप्रेन्टिसशिप करे, आत्मनिर्भर बने के अन्तर्गत विभिन्न कम्पनियों ओईएफ, शिवम स्प्रिरिंग, कैलाश मोटर्स सहित कुल 38 कम्पनियों ने भागीदारी करते हुये विभिन्न ट्रेड जैसे-फिटर, इलेक्ट्रीशियन, मशीनिस्ट, ऑटोमोबाइल आदि सेक्टर के अप्रेन्टिसशिप हेतु लगभग 300 अभ्यर्थियों/छात्रों का चयन किया। के0एम0 सिंह, प्राधानाचार्य राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, पाण्डुनगर ने बताया है कि आज अप्रेन्टिस मेला में जनपद के लगभग 2800 अभ्यर्थियों ने प्रतिभाग करते हुये विभिन्न व्यवसाय में अप्रेन्टिस किये जाने हेतु अपना इन्टरव्यू दिया। इस अवसर पर गोविन्द नगर विधायक श्री सुरेन्द्र मैथानी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा अप्रेन्टिसशिप मेला के माध्यम से राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों व अन्य संस्थानों में तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त किये अभ्यर्थियों को विभिन्न कम्पनियों में अप्रेन्टिसशिप करने का अच्छा अवसर मिलेगा और इसके पश्चात उन्हें आत्म निर्भर बनने हेतु स्वरोजगार व रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।
इस अवसर पर संयुक्त निदेशक राहुल देव, उपायुक्त जिला उद्योग एस0पी0 यादव, सहायक निदेशक सेवायोजन एस0पी0 द्विवेदी, विवेक शुक्ला आदि अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल मनोज सी पांडे को अगला थल सेनाध्यक्ष नियुक्त किया

वर्तमान में सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज सी पांडे को सरकार ने अगला सेनाध्यक्ष नियुक्त किया है। इस पद पर उनकी नियुक्ति 30 अप्रैल, 2022 की दोपहर से प्रभावी होगी। 06 मई, 1962 को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल मनोज सी पांडे को 24 दिसंबर, 1982 को भारतीय सेना की कोर ऑफ इंजीनियर्स (द बॉम्बे सैपर्स) में कमीशन दिया गया था। 39 वर्षों से अधिक समय की अपनी लंबी और विशिष्ट सेवा अवधि के दौरान श्री मनोज सी पांडे ने विभिन्न कमानों, अधिकारी पदों और प्रशिक्षण सम्बन्धी नियुक्तियों पर काम किया है। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज सी पांडे ने अपनी कमान की नियुक्तियों के दौरान पश्चिमी युद्ध क्षेत्र में एक इंजीनियर ब्रिगेड की कमान संभाली है, उन्होंने हमलावार फौजी दस्ते के साथ काम किया है और इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर एक पैदल ब्रिगेड के साथ उनकी सेवाएं भी शामिल हैं। श्री मनोज सी पांडे की अन्य महत्वपूर्ण कमांड नियुक्तियों में पश्चिमी लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्र में एक माउंटेन डिवीजन तथा एलएसी के साथ और पूर्वी कमान के काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशन क्षेत्र में एक कोर की कमान संभाली।

लेफ्टिनेंट जनरल के रैंक पर मनोज सी पांडे अंडमान और निकोबार कमान के कमांडर-इन-चीफ और कोलकाता में पूर्वी कमान के जीओसी-इन-सी के पद पर सेवारत रहे हैं और ये उनकी सेना के उप प्रमुख के रूप में कार्यरत होने से पहले की महत्वपूर्ण नियुक्तियां हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल मनोज सी पांडे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र हैं और उन्होंने केम्बरली (यूके) के स्टाफ कॉलेज, महू के आर्मी वार कॉलेज और नई दिल्ली में राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की है।

लेफ्टिनेंट जनरल मनोज सी पांडे को उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया है।

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भारत की चीनी, घोल रही है विश्व में मिठास!

भारत के चीनी निर्यात में वित्त वर्ष 2013-14 के 1,177 मिलियन डॉलर की तुलना में 291 प्रतिशत की आश्चर्यजनक वृद्धि दर्ज की गई है जो वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 4600 मिलियन डॉलर तक पहुंच गई है। डीजीसीआईएंडएस के डाटा के अनुसार, भारत ने विश्व भर के 121 देशों को चीनी का निर्यात किया। पिछले वित्त वर्ष की तुलना में चीनी के निर्यात में 65 प्रतिशत की उछाल दर्ज की गई। यह वृद्धि उच्च माल भाड़ा बढोतरी, कंटेनरों की कमी आदि के रूप में कोविड-19 महामारी द्वारा उत्पन्न लॉजिस्ट्क्सि संबंधी चुनौतियों के बावजूद अर्जित की गई। एक ट्वीट में इस ऐतिहासिक उपलब्धि को रेखांकित करते हुए, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि मोदी सरकार की नीतियां किसानों को वैश्विक बाजारों का दोहन करने के माध्यम से उनकी आय बढ़ाने में सहायता कर रही हैं। डीजीसीआईएंडएस के डाटा के अनुसार, भारत ने वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 1965 मिलियन डॉलर के बराबर का चीनी निर्यात किया था जो वित्त वर्ष 2020-21 में 2790 मिलियन डॉलर तथा वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 4600 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया। वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-फरवरी) में, भारत ने इंडोनेशिया को 769 मिलियन डॉलर के बराबर का चीनी निर्यात किया था जिसके बाद बांग्लादेश (561 मिलियन डॉलर), सूडान (530 मिलियन डॉलर) तथा संयुक्त अरब अमीरात (270 मिलियन डॉलर) का स्थान रहा। भारत ने सोमालिया, सऊदी अरब, मलेशिया, श्रीलंका, अफगानिस्तान, इराक, पाकिस्तान, नेपाल, चीन आदि देशों में भी चीनी का निर्यात किया। भारतीय चीनी का आयात अमेरिका, सिंगापुर, ओमान, कतर, टर्की, ईरान, सीरिया, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, फ्रांस, न्यूजीलैंड, डेनमार्क, इजरायल, रूस, मिस्र आदि देशों में किया गया है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक की देश में कुल चीनी उत्पादन में लगभग 80 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। देश के अन्य प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, बिहार, हरियाणा तथा पंजाब शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि भारत ब्राजील के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है। वित्त वर्ष 2010-11 के बाद से, भारत निरंतर चीनी का अधिशेष उत्पादन करता रहा है और आराम से घरेलू आवश्यकताओं से अधिक उत्पादन करता रहा है। रिकॉर्ड निर्यात चीनी उत्पादकों को उनके भंडार में कमी लाने में सक्षम बनाएगा तथा गन्ना किसानों को भी लाभान्वित करेगा क्योंकि भारतीय चीनी की बढ़ी हुई मांग से उनकी प्राप्ति में सुधार आने की उम्मीद है। कृषि निर्यातों में उल्लेखनीय वृद्धि को देश के कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने की सरकार की प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप् में भी देखा जा रहा है। निर्यात किए जाने वाले उत्पादों का निर्बाधित गुणवत्तापूर्ण प्रमाणन सुनिश्चत करने के लिए, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने उत्पादों तथा निर्यातकों की एक व्यापक श्रृंखला को जांच की सुविधाएं प्रदान करने के लिए भारत भर में 220 प्रयोगशालाओं को मान्यता प्रदान की है। एपीडा अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों में निर्यातकों की भागीदारी का आयोजन करतता है जो निर्यातकों को वैश्विक बाजारों में उनके खाद्य उत्पादों के विपणन के लिए एक मंच उपलब्ध करता है। एपीडा कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए आहार, जैविक विश्व कांग्रेस, बायोफैच इंडिया आदि जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों का भी आयोजन करता है। वर्ष 2019 में, एपीडा ने रोड शो का आयोजन करने के लिए इंडोनेशिया में निर्यातकों का एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और संबंधित प्राधिकारियों के साथ बैठकें आयोजित कीं। इसके बाद इंडोनेशिया को होने वाले निर्यात में तेजी आई तथा आज वे भारत से चीनी के सबसे बड़े आयतक हैं।

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