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राजनीति

क्राइस्ट चर्च कॉलेज में “भारतीय संविधान के 75 वर्षों की यात्रा” विषय पर व्याख्यान और पोस्टर प्रदर्शनी आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता भारत 26 नवंबर 2024 को भारतीय संविधान लागू होने के 75 वर्ष पूरे होने का उत्सव मना रहा है। इस अवसर पर क्राइस्ट चर्च कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग ने “भारतीय संविधान के 75 वर्षों की यात्रा” विषय पर एक व्याख्यान और पोस्टर प्रदर्शनी का आयोजन किया। इस अवसर पर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि, क्राइस्ट चर्च कॉलेज के प्रिंसिपल और सचिव प्रोफेसर जोसेफ डैनियल; मुख्य वक्ता श्री प्रकल्प शर्मा, कानूनी विशेषज्ञ और डिप्टी रजिस्ट्रार आईआईटी कानपुर; और राजनीति विज्ञान विभाग पूर्व प्रमुख प्रो. आशुतोष सक्सेना ने अध्यक्षता की.कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और ज्ञान की देवी मां सरस्वती के आह्वान के साथ हुई। संयोजिका प्रो. विभा दीक्षित ने विशिष्ट अतिथियों, सहकर्मियों और छात्रों का स्वागत किया और कार्यक्रम की विषयवस्तु से परिचय कराया। उन्होंने संविधान में निहित सिद्धांतों की रक्षा और प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया।

मुख्य वक्ता और संवैधानिक कानून विशेषज्ञ, श्री प्रकल्प शर्मा ने संवैधानिक साक्षरता के महत्व पर ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया. उन्होंने बताया कि कैसे प्रत्येक नागरिक की अपने अधिकारों के बारे में चैतन्यता लोकतंत्र की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। “संविधान हमारे अतीत का एक दस्तावेज मात्र नहीं है; यह हमारे भविष्य का मार्ग दर्शक है।” उनके व्याख्यान में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कैसे भारतीय संविधान ने विभिन्न चुनौतियों का दृढ़ता से सामना किया है और समावेशी और जीवंत लोकतंत्र को बढ़ावा देते हुए शासन में संवैधानिक मूल्यों, आदर्शों और दृष्टिकोण को अक्षुण्ण रखा है।
अपने संबोधन में मुख्य अतिथि प्रोफेसर जोसेफ डेनियल ने छात्रों को भारतीय संविधान में निहित आदर्शों और उद्देश्यों का पालन करते हुए राष्ट्र निर्माण के लिए खुद को समर्पित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। सत्र के अध्यक्ष प्रो. आशुतोष सक्सेना ने पैनलिस्टों के दृष्टिकोण में निहित सार को बताते हुए विषय पर अपनी मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रस्तुत की. उन्होंने संवैधानिक व्याख्या, कानूनी मिसालों के महत्व और युवा नागरिक जीवन में संविधान का महत्व पर प्रकाश डाला। सभी पैनलिस्टों ने इस बात पर जोर दिया कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए सक्रिय, ज्ञानपूर्ण नागरिक भागीदारी आवश्यक है। इसके उपरान्त इंटरैक्टिव सत्र में छात्रों एवं शिक्षकों ने संविधान में डिजिटल गोपनीयता, सामाजिक न्याय और पर्यावरण नीति पर सवाल किये. सभी पनेलिस्ट ने छात्रों और शिक्षकों को समान रूप से संवैधानिक मूल्यों के संरक्षक के रूप में अपनी भूमिकाओं के बारे में गंभीरता से सोचने के लिए प्रोत्साहित किया।
राजनीति विज्ञान के बी. ए. प्रथम सेमेस्टर के छात्रों ने इस विषय पर एक “पोस्टर प्रदर्शनी” लगाई और सभी उपस्थित लोगों से इस प्रयास की सराहना की। सर्वश्रेष्ठ पोस्टरों को पुरस्कार के लिए चुना गया। कार्यक्रम का समापन डॉ. अर्चना पांडे द्वारा प्रस्तावित धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। डॉ. अर्चना वर्मा और उनकी आयोजन टीम, जिसमें परमा मिश्रा, पूजा कमल और छात्र शामिल थे, के प्रभावी समन्वय के कारण यह कार्यक्रम बेहद सफल रहा। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्रों और शिक्षकों की उत्साहपूर्ण भागीदारी रही जिनमे डॉ. जुनेजा, डॉ. अनिंदिता, डॉ. नवीन अम्बष्ट, डॉ. सत्यप्रकाश डॉ. हिमांशु आदि मौजूद थे.

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भारत सरकार और एडीबी ने उत्तराखंड में जलापूर्ति, स्वच्छता, शहरी गतिशीलता और अन्य सेवाओं में सुधार के लिए 200 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए

भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने आज उत्तराखंड राज्य में जलापूर्ति, स्वच्छता, शहरी गतिशीलता और अन्य सेवाओं के स्तर को बेहतर बनाने के लिए 200 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए।

उत्तराखंड जीवन-यापन सुधार परियोजना के लिए ऋण समझौते पर सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की संयुक्त सचिव सुश्री जूही मुखर्जी और एडीबी की ओर से भारत में इंडिया रेजिडेंट मिशन की निदेशक सुश्री मियो ओका ने हस्ताक्षर किए।

सुश्री मुखर्जी ने कहा कि यह परियोजना भारत सरकार के शहरी विकास एजेंडे के साथ-साथ शहरी सेवाओं में विस्तार के लिए उत्तराखंड सरकार की पहल के अनुरूप है। इसका उद्देश्य शहरों में रहने की स्थितियों को बेहतर बनाना और स्थिरता को बढ़ावा देना है।

सुश्री मियो ने कहा, “इस परियोजना का उद्देश्य ऐसे शहरी बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है जो बाढ़ और जलवायु और पर्यावरणीय में हो रहे परिवर्तन के कारण भूस्खलन जैसे जोखिमों से निपटने में सक्षम हो और उत्तराखंड की आबादी की सुरक्षा और स्वास्थ्य दोनों सुनिश्चित हो सके। यह परियोजना प्रबंधन, जलवायु और आपदा-रोधी योजना, अपने स्रोत से राजस्व सृजन और लैंगिक भेदभाव खत्म करने के लिए राज्य एजेंसियों में क्षमता निर्माण भी करेगी।”

उत्तराखण्ड के आर्थिक केंद्र हल्द्वानी में यह परियोजना परिवहन, शहरी गतिशीलता, जल निकासी, बाढ़ प्रबंधन और सभी सार्वजनिक सेवाओं को बेहतर बनाएगी। इसके अतिरिक्त, इससे कुशल और जलवायु-अनुकूल जल आपूर्ति प्रणालियों को विकसित करके चार शहरों- चंपावत, किच्छा, कोटद्वार और विकासनगर में जल आपूर्ति व्यवस्था में सुधार होगा।

परियोजना के तहत हल्द्वानी में, 16 किलोमीटर लंबी जलवायु-अनुकूल सड़कों का निर्माण किया जाएगा, आधुनिक यातायात प्रबंधन प्रणाली स्थापित की जाएगी, साथ ही सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएगी। आपदा के समय शहर में बचाव के लिए बाढ़ प्रबंधन में सुधार के लिए 36 किलोमीटर लंबी वर्षा जल निकासी तथा सड़क किनारे नालियों का निर्माण किया जाएगा और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापित की जाएगी। लोगों को सार्वजनिक सेवाएं और बेहतर ढंग से मुहैया कराने के लिए हरित-प्रमाणित प्रशासनिक परिसर तथा बस टर्मिनल का निर्माण किया जाएगा।

अन्य चार शहरों में, इस परियोजना का लक्ष्य स्मार्ट वाटर मीटर, 26 ट्यूबवेल, नए जलाशयों और 3.5 मिलियन लीटर प्रतिदिन क्षमता वाले जल शोधन संयंत्र के निर्माण के साथ 1,024 किलोमीटर लंबी जलवायु-अनुकूल पाइपलाइनें बिछाकर प्रत्येक घर तक जल पहुंचाना है। विकासनगर में सीवेज शोधन सुविधाओं द्वारा स्वच्छता के दायरे को बढ़ाया जाएगा, जिससे लगभग 2,000 घरों को लाभ होगा।

इस परियोजना के माध्यम से बस चालान, टिकटिंग और इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशनों के रख-रखाव से आजीविका चलाने के कौशल के प्रशिक्षण जैसी पहल महिलाओं के लिए की जाएगी। जल आपूर्ति प्रणालियों की निगरानी में महिलाओं की भूमिका के महत्व को ध्यान में रखते हुए इस परियोजना के तहत जल आपूर्ति और स्वच्छता सेवाओं के संचालन और प्रबंधन में कमजोर परिवारों को शामिल करते हुए महिलाओं में क्षमता निर्माण किया जाएगा।

यूरोपीय निवेश बैंक 191 मिलियन डॉलर की राशि से इस परियोजना को समानांतर आधार पर सह-वित्तपोषित कर रहा है।

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कैबिनेट ने 2024-25 में वेज एंड मीन्स एडवांस को इक्विटी में परिवर्तित करके भारतीय खाद्य निगम में 10,700 करोड़ रुपये की इक्विटी डालने को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में वित्तीय वर्ष 2024-25 में कार्यशील पूंजी के लिए 10,700 करोड़ रुपये की इक्विटी डालने को मंजूरी दे दी है। इस निर्णय का उद्देश्य कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना और देश भर के किसानों का कल्याण सुनिश्चित करना है। यह रणनीतिक कदम किसानों को समर्थन देने और भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

एफसीआई ने 1964 में 100 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी और 4 करोड़ रुपये की इक्विटी के साथ अपनी यात्रा शुरू की थी। एफसीआई के संचालन में कई गुना वृद्धि हुई, जिसके परिणामस्वरूप फरवरी, 2023 में अधिकृत पूंजी 11,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 21,000 करोड़ रुपये हो गई। वित्तीय वर्ष 2019-20 में एफसीआई की इक्विटी 4,496 करोड़ रुपये थी, जो वित्तीय वर्ष 2023-24 में बढ़कर 10,157 करोड़ रुपये हो गई। अब, भारत सरकार ने एफसीआई के लिए 10,700 करोड़ रुपये की महत्वपूर्ण इक्विटी को मंजूरी दी है, जो इसे वित्तीय रूप से मजबूत करेगी और इसके परिवर्तन के लिए की गई पहलों को एक बड़ा बढ़ावा देगी।

एफसीआई न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खाद्यान्नों की खरीद, रणनीतिक खाद्यान्न भंडार के रखरखाव, कल्याणकारी उपायों के लिए खाद्यान्नों के वितरण और बाजार में खाद्यान्नों की कीमतों के स्थिरीकरण के माध्यम से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इक्विटी का निवेश एफसीआई की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, ताकि वह अपने अधिदेश को प्रभावी ढंग से पूरा कर सके। एफसीआई फंड की आवश्यकता से जुड़ी कमी को पूरा करने के लिए अल्पकालिक उधार का सहारा लेता है। इस निवेश से ब्याज का बोझ कम करने में मदद मिलेगी और अंततः भारत सरकार की सब्सिडी कम होगी।

एमएसपी आधारित खरीद और एफसीआई की परिचालन क्षमताओं में निवेश के प्रति सरकार की दोहरी प्रतिबद्धता, किसानों को सशक्त बनाने, कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने और राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक सहयोगात्मक प्रयास का प्रतीक है।

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भारतीय तटरक्षक बल के पूर्व अपर महानिदेशक (सेवानिवृत्त) वीडी चाफेकर को 01 अप्रैल, 2025 से 31 मार्च, 2028 तक रीकाप आईएससी, सिंगापुर का कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया गया

भारतीय तटरक्षक बल के पूर्व अपर महानिदेशक (सेवानिवृत्त) वीडी चाफेकर को एशियाई जल क्षेत्र में जहाजों के खिलाफ होने वाली समुद्री डकैती और सशस्त्र। लूट का मुकाबला करने पर सिंगापुर में सूचना साझाकरण केंद्र (रीसीएएपी आईएससी) में क्षेत्रीय सहयोग समझौते के सातवें कार्यकारी निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है। उन्हें रीकाप आईएससी की शासी परिषद द्वारा  01 अप्रैल, 2025 से 31 मार्च, 2028 तक की अवधि के लिए कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया गया है। उनका चयन क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा एवं सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, जो अधिक सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

वर्ष 2006 में स्थापित रीकाप आईएससी एशिया के समुद्री इलाकों में समुद्री डकैती और सशस्त्र लूट के खिलाफ सहयोग को बढ़ावा देने तथा गतिविधियों को विस्तार देने के लिए पहला क्षेत्रीय सरकार-से-सरकार का समझौता है। यह पूरे समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए सूचना साझा करने, रक्षा क्षमताओं की बढ़ोतरी और सहयोगात्मक प्रयासों को सुविधाजनक बनाने में सहायक रहा है। रीकाॅप आईएससी के एक प्रमुख अनुबंध पक्ष के रूप में, भारत ने एशियाई समुद्र में सुरक्षा व संरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए अपने समुद्री अनुभव तथा संसाधनों का लाभ उठाते हुए संगठन के मिशन में निरंतर सहयोग और योगदान दिया है

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भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ का प्रतिनिधिमंडल रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से ओ एफ सी आईबी में मिला

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर, भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ का एक प्रतिनिधिमंडल रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के कानपुर आगमन पर ओ एफ सी आईबी में मिला। सबसे पहले मुकेश सिंह राष्ट्रीय महामंत्री ने उनके कानपुर दौरे पर आने व फील्ड गन फैक्ट्री में भ्रमण करने के लिए रक्षामंत्री को धन्यवाद दिया। रक्षामंत्री महोदय का ध्यान रक्षा क्षेत्र में कार्य कर रहें कर्मचारियों की समस्याओं की ओर आकर्षित कराया उन्हें बताया कि कार्पोरेशन होने के बाद से आयुध निर्माणियो के कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं यहां कार्यरत कर्मचारियों को उनके रिटायरमेंट की तिथि तक सरकारी रक्खा जाए अर्थात प्रसार भारती माडल लागू किया जाए। यूपीएस पर पुनर्विचार करते हुए कर्मचारियों पर बिना किसी लाग-लपेट के ओपीएस लागू की जाए। मृतक आश्रितों की भर्ती तुरंत शुरू की जाए पिछले तीन वर्षों से किसी भी मृतक आश्रित को नौकरी नहीं दी गई है। रक्षा क्षेत्र में कार्य कर रहे ठेका श्रमिकों के शोषण पर अंकुश लगाया जाए। कर्मचारियों के पक्ष में CAT व अन्य मा न्यायालय के निर्णय को कर्मचारियों के ऊपर लागू किया जाए क्योंकि एक ही मामले को लेकर कर्मचारियों को कोर्ट की शरण में जाना पड़ता है इससे काफी सरकारी धन का दुरुपयोग होता हैं व कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना‌ पडता है। इस पर विचार कर इसे कम किया जाए। इस पर रक्षामंत्री महोदय ने कहा कि ये सभी मामलों को आपने पहले भी उठाया है मंत्रालय इस पर गंभीरता से विचार कर रहा है।किसी कर्मचारी का अहित नहीं होगा। आप लोग दिल्ली आईए और विस्तार से इन मामलों पर चर्चा करेंगे।प्रतिनिधिमंडल में मुकेश सिंह, साधू सिंह, इन्द्रजीत सिंह, सुरेश यादव, सुधीर त्रिपाठी, योगेन्द्र सिंह चौहान, नन्हें लाल मौर्य, राम कुमार शर्मा,पुनीत चन्द्र गुप्ता, तनवीर अहमद, अमरेन्द्र मोहन, शिवेंद्र सागर शर्मा, विश्वनाथ यादव, जितेन्द्र सिंह, संतोष मिश्रा,आशीष सिंह, विकास गर्ग, फिरोज आलम व कानपुर स्थित सभी रक्षा प्रतिष्ठानों के अध्यक्ष मंत्री मौजूद रहे। रक्षा मंत्री से आग्रह किया गया कि वे HAL कानपुर का भी निरीक्षण करें तथा आयुध निर्माणी चिकित्सालयों में कार्यरत कर्मचारियों की दीर्घकालिक समस्याओं का भी समाधान करें।

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रक्षा मंत्री ने असम के तेजपुर में सैनिकों के साथ दिवाली मनाई; कठिन परिस्थितियों में मातृभूमि की सेवा करने वाले सैनिकों के उत्साह, प्रतिबद्धता एवं साहस की सराहना की

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 30 अक्टूबर, 2024 को असम के तेजपुर में 4 कोर मुख्यालय में सैनिकों के साथ प्रकाश का पर्व ‘दीपावली’ मनाया। इस अवसर पर थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आर.सी. तिवारी, 4 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल गंभीर सिंह और भारतीय सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

रक्षा मंत्री ने बड़ाखाना के दौरान सैनिकों को संबोधित किया और उन्हें वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ कुछ क्षेत्रों में बुनियादी स्थिति बहाल करने के लिए भारत तथा चीन के बीच बनी सहमति का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि दोनों देश वास्तविक नियंत्रण रेखा के कुछ क्षेत्रों में अपने विवादों को सुलझाने के लिए कूटनीतिक और सैन्य वार्ता कर रहे थे। श्री सिंह ने कहा कि हमारे निरंतर प्रयासों के बाद हम आम सहमति पर पहुंचे हैं और आपके अनुशासन एवं साहस के कारण हमें यह सफलता मिली है। इसके बाद हम आम सहमति के आधार पर शांति बहाली की इस प्रक्रिया को जारी रखेंगे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के उस कथन का उल्लेख किया जिसमें वे कहा करते थे कि हम अपने दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं और ऐसे में हम अपने पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने में विश्वास करते हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह भारत की स्पष्ट नीति है, लेकिन कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं, जब हमें सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित सर्वोपरि करनी होती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार हमारी सेनाओं के हितों को ध्यान में रखते हुए शांति बहाली की इस प्रक्रिया में सभी आवश्यक कदम उठाएगी।

राजनाथ सिंह ने कठिन परिस्थितियों में अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिकों की अटूट भावना, दृढ़ प्रतिबद्धता व उल्लेखनीय साहस की प्रशंसा की और उन्हें युवाओं के लिए प्रेरणा का सच्चा स्रोत बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र सदैव उन सैनिकों का ऋणी रहेगा, जो अद्वितीय वीरता एवं समर्पण के साथ मातृभूमि की सेवा करते हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा कि वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा का श्रेय मुख्य रूप से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और सशस्त्र बलों के सामर्थ्य को जाता है। उन्होंने सैनिकों से आग्रह किया कि वे लगातार परिवर्तित होते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य से उत्पन्न होने वाले खतरों से निपटने के लिए सतर्क और तैयार रहें।

राजनाथ सिंह ने बड़ाखाना की अवधारणा की प्रशंसा की और रैंकों के बीच सौहार्द बढ़ाने में इसकी भूमिका पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बड़ाखाना यह दर्शाता है कि हम सिर्फ आधिकारिक उपाधियों से कहीं अधिक हैं; हम राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता में एकजुट एक परिवार की तरह हैं।

इससे पहले रक्षा मंत्री ने सेना की सैन्य परिचालन तैयारियों की गहन समीक्षा की। उन्हें वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बुनियादी ढांचे के विकास एवं कार्य कुशलता बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों और प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में कोर के सभी रैंकों द्वारा किए गए अनुकरणीय कार्यों एवं उत्कृष्ट सेवाओं की सराहना की और सीमावर्ती क्षेत्रों में राष्ट्र निर्माण के लिए कोर द्वारा किए गए उत्कृष्ट प्रयासों की सराहना की।

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विभिन्न राज्यों/संघ शासित प्रदेशों/CAPFs/CPOs के 463 कर्मियों को वर्ष 2024 के लिए ‘केन्द्रीय गृहमंत्री दक्षता पदक’

विभिन्न राज्यों/संघ शासित प्रदेशों/केन्द्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बलों (CAPFs)/ केन्द्रीय पुलिस संगठनों (CPOs) के 463 कर्मियों को वर्ष 2024 के लिए ‘केन्द्रीय गृहमंत्री दक्षता पदक’ से सम्मानित किया जाएगा। यह पदक राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों/CAPFs/CPOs के कर्मियों को प्रदान किया जाएगा।

‘केन्द्रीय गृहमंत्री दक्षता पदक’ निम्नलिखित चार क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य को मान्यता एवं उच्च पेशेवर मानकों को बढ़ावा देने और कर्मियों व अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने के लिए दिया जाता है:

(i) विशेष अभियान

(ii) जांच

(iii) खुफिया जानकारी

(iv) फॉरेंसिक विज्ञान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में शुरू किया गया यह दक्षता पदक सभी पुलिस कर्मियों व अधिकारियों का मनोबल बढ़ाएगा।

केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा ‘केन्द्रीय गृहमंत्री दक्षता पदक’ की अधिसूचना जारी की गई थी। पुलिस बलों, सुरक्षा संगठनों, खुफिया शाखा/राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की विशेष शाखा/CPOs/CAPFs/राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG)/असम राइफल्स के सदस्यों और देशभर में फॉरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में ऑपरेशन्स से संबंधित उत्कृष्टता, जांच में उत्कृष्ट सेवा, असाधारण प्रदर्शन, अदम्य और साहसी खुफिया सेवा और फॉरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में सेवारत सरकारी वैज्ञानिकों को सराहनीय कार्य के लिए इस पदक से सम्मानित किया जाएगा।

पदक की घोषणा हर साल 31 अक्टूबर यानी सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर की जाएगी।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने धन्वंतरि जयंती और 9वें आयुर्वेद दिवस पर 12,850 करोड़ रुपये से अधिक लागत की अनेक स्वास्थ्य परियोजनाओं का शुभारंभ, उद्घाटन और शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज धन्वंतरि जयंती और 9वें आयुर्वेद दिवस के अवसर पर आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में 12,850 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई स्वास्थ्य परियोजनाओं का शुभारंभ, उद्घाटन और शिलान्यास किया। ये पहल पूरे भारत में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को पर्याप्त बढ़ावा देती हैं, जो देश भर में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने के प्रधानमंत्री के मिशन के अनुरूप है। उल्लेखनीय रूप से, इनमें से सात परियोजनाएं श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) से संबंधित हैं, जिनसे श्रमिकों और उनके परिवारों के एक बड़े हिस्से को लाभ मिलेगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश के इंदौर में ईएसआईसी अस्पताल का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया और देश भर में छह अतिरिक्त ईएसआई अस्पतालों की आधारशिला रखी। ये परियोजनाएं कुल 1,641 करोड़ रुपये की हैं और इनसे लगभग 55 लाख ईएसआई लाभार्थियों और उनके परिवारों को लाभ मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए पिछले एक दशक में भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में हुई अभूतपूर्व प्रगति पर प्रकाश डाला और इसकी तुलना पिछले छह-सात दशकों की सीमित उपलब्धियों से की। उन्होंने कहा, “पिछले 10 वर्षों में हमने रिकॉर्ड संख्या में नए एम्स और मेडिकल कॉलेज स्थापित होते देखे हैं।” आज के अवसर का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में अस्पतालों का उद्घाटन किया गया।

प्रधानमंत्री ने कर्नाटक के नरसापुर और बोम्मासंद्रा, मध्य प्रदेश के पीथमपुर, आंध्र प्रदेश के अचितपुरम और हरियाणा के फरीदाबाद में नए मेडिकल कॉलेजों की आधारशिला रखने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के मेरठ में नए ईएसआईसी अस्पताल पर काम शुरू हो गया है और इंदौर में एक नए अस्पताल का उद्घाटन किया गया है।”

इस अवसर पर अपने संबोधन में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार और युवा कार्य एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन के परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला, जिसने स्वास्थ्य सेवा को भारत की विकास रणनीति की आधारशिला के रूप में एकीकृत किया है।

डॉ. मांडविया ने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वास्थ्य को विकास से जोड़ा है और ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ स्वास्थ्य मॉडल तैयार किया है जो सुनिश्चित करता है कि स्वास्थ्य सेवा सुलभ, सस्ती और हर नागरिक के लिए उपलब्ध हो।”

पिछले दशक के दौरान ईएसआईसी की सेवाओं में पर्याप्त वृद्धि पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. मंडाविया ने कहा, “ईएसआईसी नेटवर्क 2014 में 393 जिलों से बढ़कर अब देश भर में 674 जिलों तक पहुंच गया है। जहां 2014 से पहले 2 करोड़ से कम परिवार स्वास्थ्य सुरक्षा से लाभान्वित होते थे, वहीं आज यह संख्या लगभग दोगुनी होकर लगभग 4 करोड़ परिवार हो गई है।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “इसी तरह, पिछले 10 वर्षों में ईएसआईसी लाभार्थियों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है, जो 2014 में 8 करोड़ से बढ़कर अब 2024 में लगभग 15 करोड़ हो गई है। यह श्रमिकों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा में सुधार के सरकार के प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।”

डॉ. मंडाविया ने बताया कि आने वाले दिनों में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) को आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के साथ मिला दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह एकीकरण ईएसआईसी लाभार्थियों के लिए स्वास्थ्य देखभाल पहुंच का विस्तार करेगा, जिससे वे देश भर में एबी-पीएमजेएवाई पैनल वाले अस्पतालों में इलाज करा सकेंगे।

आज जिन छह नए ईएसआई अस्पतालों की आधारशिला रखी गई, उनमें आधुनिक सुविधाएं और आवश्यक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध होंगी:

  1. बोम्मासंद्राकर्नाटक – 200 बिस्तरों वाला ईएसआई अस्पताल
  2. नरसापुरकर्नाटक – 100 बिस्तरों वाला ईएसआई अस्पताल
  3. पीथमपुरमध्य प्रदेश – 100 बिस्तरों वाला ईएसआई अस्पताल
  4. मेरठउत्तर प्रदेश – 100 बिस्तरों वाला ईएसआई अस्पताल
  5. अचुतापुरमआंध्र प्रदेश – 30 बिस्तरों वाला ईएसआईएस अस्पताल
  6. फरीदाबादहरियाणा – 500 अतिरिक्त बिस्तरों के साथ उन्नत ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, इसकी क्षमता 650 से बढ़कर 1150 बिस्तरों तक हो जाएगी

इसके अतिरिक्त, मध्य प्रदेश के इंदौर में 300 बिस्तरों वाले जिस ईएसआईसी अस्पताल का प्रधानमंत्री ने उद्घाटन किया है, उसे भविष्य में 500 बिस्तरों तक विस्तारित किया जा सकेगा।  इसका फायदा लगभग 14 लाख बीमित लोगों और लाभार्थियों को मिलेगा।

इन ईएसआईसी स्वास्थ्य सुविधाओं में मॉड्यूलर ऑपरेशन थियेटर कॉम्प्लेक्स, गहन चिकित्सा इकाइयां, लेबर रूम कॉम्प्लेक्स, एनआईसीयू, पीआईसीयू और उन्नत इमेजिंग सेवाओं जैसी आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। प्रत्येक सुविधा केंद्र अत्याधुनिक चिकित्सा तकनीक से लैस होगा, जिसमें लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट, सीएसएसडी/टीएसएसयू इकाइयां और नर्स कॉल सिस्टम शामिल हैं, जो आउटपेशेंट (ओपीडी) और इनपेशेंट (आईपीडी) दोनों तरह की सेवाएं प्रदान करेंगे।

इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री जे पी नड्डा, केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल और केंद्रीय श्रम एवं रोजगार और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के अमरेली में 4,900 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुजरात के अमरेली में 4,900 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। आज की विकास परियोजनाओं में रेल, सड़क, जल विकास और पर्यटन क्षेत्र से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं। इन परियोजनाओं से राज्य के अमरेली, जामनगर, मोरबी, देवभूमि द्वारका, जूनागढ़, पोरबंदर, कच्छ और बोटाद जिलों के नागरिकों को लाभ होगा।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने धनतेरस एवं दिवाली की उत्सव की भावना को रेखांकित किया और कहा कि जहां ये त्योहार संस्कृति का उत्सव मनाते हैं, वहीं विकास कार्यों में जारी प्रगति भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने वडोदरा की अपनी यात्रा का उल्लेख करते हुए गुजरात भर में विभिन्न प्रमुख परियोजनाओं के संबंध में अपडेट साझा किए। वडोदरा में उन्होंने भारतीय वायुसेना के लिए भारत में निर्मित विमान के उत्पादन के लिए समर्पित भारत की पहली फैक्ट्री का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने आज पहले अमरेली में भारत माता सरोवर के उद्घाटन का उल्लेख किया और कहा कि यहां पानी, सड़क तथा रेलवे से जुड़ी कई बड़ी परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया गया है। उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं सौराष्ट्र और कच्छ में लोगों के जीवन को आसान बनायेंगी, क्षेत्रीय विकास को गति देंगी, स्थानीय किसानों को समृद्ध करेंगी और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित करेंगी। उन्होंने आज की विकास परियोजनाओं के लिए सभी को बधाई दी।

इस बात का उल्लेख करते हुए कि यह सौराष्ट्र में अमरेली की भूमि ने भारत को कई रत्न दिए हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक और राजनीतिक रूप से, हर तरह से अमरेली का एक गौरवशाली अतीत है। उन्होंने कहा कि अमरेली श्री योगीजी महाराज और भोज भगत के साथ-साथ लोक गायक एवं कवि दुलभय्या काग, कलापी जैसे कवियों, विश्व प्रसिद्ध जादूगर के. लाल और आधुनिक कविता के अगुआ रमेश पारेख की कर्मभूमि है। उन्होंने आगे कहा कि अमरेली ने गुजरात को पहला मुख्यमंत्री श्री जीवराज मेहता जी भी दिया है। श्री मोदी ने कहा कि अमरेली के बच्चों ने समाज में बड़ा योगदान देकर व्यापार जगत में भी बड़ा नाम कमाया है। उन्होंने कहा कि इस परंपरा को ढोलकैया परिवार ने मजबूत किया है, जो गुजरात सरकार की जल संरक्षण से संबंधित 80/20 योजनाओं से जुड़ा था। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पिछले ढाई दशकों के निरंतर प्रयासों के कारण परिवर्तन बिल्कुल स्पष्ट हैं।

प्रधानमंत्री ने पानी के महत्व पर जोर दिया, खासकर गुजरात और सौराष्ट्र के लोगों के लिए, जो लंबे समय से पानी से संबंधित चुनौतियों से जूझ रहे हैं। उन्होंने उस अतीत को याद किया जब सौराष्ट्र पानी की कमी के कारण पलायन के लिए जाना जाता था और कहा, “आज, स्थिति बदल गई है। अब, नर्मदा का पानी गांवों तक पहुंच गया है।” उन्होंने जलसंचय और सौनी योजना जैसी सरकारी पहलों की सराहना की। इन पहलों ने भूजल के स्तर में काफी वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि नदियों के गहरीकरण तथा चेक डैम के निर्माण से बाढ़ की समस्या से निपटा जा सकता है और वर्षा के जल का भी प्रभावी ढंग से भंडारण किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि आसपास के क्षेत्रों में पेयजल से संबंधित समस्याओं का भी समाधान किया जाएगा, जिससे लाखों लोगों को लाभ होगा।

प्रधानमंत्री ने पिछले दो दशकों के दौरान हर घर और खेत तक पानी पहुंचाने की दिशा में गुजरात की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डाला, जो पूरे देश के लिए एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि हर कोने तक पानी पहुंचाने के लिए राज्य सरकार के निरंतर प्रयास जारी हैं तथा आज की परियोजनाओं से उस क्षेत्र के लाखों लोगों को और अधिक लाभ होगा। श्री मोदी ने बताया कि नवदा-चावंड बल्क पाइपलाइन परियोजना से अमरेली, बोटाद, जूनागढ़, राजकोट और पोरबंदर जैसे जिलों को प्रभावित करने वाले लगभग 1,300 गांवों और 35 से अधिक शहरों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि इस पहल से इन क्षेत्रों में हर दिन 30 करोड़ लीटर अतिरिक्त पानी की आपूर्ति होगी। पासवी समूह सौराष्ट्र क्षेत्रीय जल आपूर्ति योजना के दूसरे चरण के शिलान्यास का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह तलाजा, महुवा और पालीताना तालुका की जरूरतों को पूरा करेगा। उन्होंने बताया, “एक बार पूरा हो जाने पर, लगभग 100 गांवों को इस परियोजना से सीधे लाभ होगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की ये जल परियोजनाएं सार्वजनिक भागीदारी के साथ सरकार और समाज के बीच की सहयोगात्मक शक्ति का उदाहरण पेश करती हैं। उन्होंने प्रत्येक जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवरों के निर्माण के माध्यम से भारत की आजादी के 75वें वर्ष को जल संरक्षण पहल से जोड़ने की सफलता पर प्रकाश डाला। श्री मोदी ने गांवों में 60,000 अमृत सरोवरों के निर्माण पर प्रसन्नता व्यक्त की, जो भावी पीढ़ियों के लिए एक विरासत छोड़ेंगे। उन्होंने श्री सी. आर. पाटिल के नेतृत्व में गति पकड़ रहे ‘कैच द रेन’ अभियान की सराहना की। प्रधानमंत्री ने बताया कि यह अभियान राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है, जहां सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से हजारों पुनर्भरण कुओं का निर्माण किया जा रहा है। श्री मोदी ने अपने पैतृक गांवों में पुनर्भरण कुएं बनाने के लिए आगे आने वाले लोगों के उत्साह को भी स्वीकार किया और इस बात पर जोर दिया कि कैसे यह पहल गांवों और खेतों में स्थानीय जल का प्रतिधारण सुनिश्चित करती है। उन्होंने आज सैकड़ों परियोजनाओं की शुरुआत का उल्लेख किया, जिनका उद्देश्य जल संरक्षण के माध्यम से कृषि और पशुधन को बढ़ावा देना है।

प्रधानमंत्री ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि अब अधिक पानी की उपलब्धता के कारण खेती आसान हो गई है और नर्मदा के पानी से अब अमरेली में तीन मौसम की खेती संभव है। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज, अमरेली जिला खेती के क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभरा है।” उन्होंने कहा कि कपास, मूंगफली, तिल तथा बाजरा जैसी फसलों की खेती को बढ़ावा मिल रहा है और अमरेली के गौरव केसर आम को जीआई टैग हासिल हुआ है। उन्होंने कहा कि जीआई टैग के दर्जे का मतलब है कि अमरेली की पहचान केसर आम से जुड़ी है, चाहे वह दुनिया में कहीं भी बेचा जाए। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि अमरेली तेजी से प्राकृतिक खेती के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में उभर रहा है और देश का पहला प्राकृतिक खेती विश्वविद्यालय हलोल में बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय के तहत अमरेली को गुजरात का पहला प्राकृतिक खेती से संबंधित कॉलेज मिला है। श्री मोदी ने कहा कि प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि अधिक से अधिक किसान पशुपालन में संलग्न हों और प्राकृतिक खेती से भी लाभान्वित हों। इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि हाल के वर्षों में अमरेली के डेयरी उद्योग ने काफी प्रगति की है, श्री मोदी ने कहा कि यह केवल सरकार और सहकारी समितियों के संयुक्त प्रयासों के कारण ही संभव हुआ है। वर्ष 2007 में अमर डेयरी की स्थापना को याद करते हुए जब 25 गांवों की सरकारी समितियां उससे जुड़ी थीं, श्री मोदी ने कहा, “आज 700 से अधिक सहकारी समितियां अमर डेयरी से जुड़ी हैं और हर दिन लगभग 1.25 लाख लीटर दूध एकत्र किया जा रहा है”।

मीठी क्रांति के कारण अमरेली की प्रसिद्धि का उल्लेख करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि शहद उत्पादन ने किसानों को आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि अमरेली के सैकड़ों किसानों ने मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लेने के बाद शहद से संबंधित व्यवसाय शुरू किया है।

बिजली के बिलों को खत्म करने और प्रत्येक परिवार के लिए 25,000 रुपये से लेकर 30,000 रुपये की वार्षिक बचत सुनिश्चित करते हुए बिजली से आय उत्पन्न करने से संबंधित प्रधानमंत्री सूर्य गढ़ योजना के बारे में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि इस योजना के कार्यान्वयन के कुछ ही महीनों बाद पूरे गुजरात में छतों पर लगभग 200,000 सौर पैनल स्थापित किए गए हैं।  उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अमरेली जिला सौर ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिसका उदाहरण दुधाला गांव है, जहां सैकड़ों घरों में सौर पैनल लगे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “इसके परिणामस्वरूप, यह गांव बिजली बिल में प्रति माह लगभग 75,000 रुपये की बचत कर रहा है और प्रत्येक घर को 4,000 रुपये की वार्षिक बचत का लाभ मिल रहा है।” उन्होंने कहा, “दुधाला तेजी से अमरेली का पहला सौर गांव बनने की ओर अग्रसर है।”

इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि सौराष्ट्र कई पवित्र स्थलों और आस्था से जुड़े स्थानों की मेजबानी करने वाला पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केन्द्र है, प्रधानमंत्री ने पर्यटकों के आकर्षण के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में सरदार सरोवर बांध के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि पिछले साल सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा को देखने के लिए 50 लाख से ज्यादा पर्यटक आए थे। उन्होंने सरदार साहब की जयंती के लिए दो दिनों में इस स्थल का दौरा करने और राष्ट्रीय एकता परेड देखने की बात कही।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि केर्ली पुनर्भरण जलाशय आने वाले समय में इको-टूरिज्म का एक प्रमुख केन्द्र बनेगा और एडवेंचर टूरिज्म को काफी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि यह केर्ली पक्षी अभयारण्य को दुनिया में एक नई पहचान भी देगा।

गुजरात की लंबी तटरेखा पर प्रकाश डालते हुए, श्री मोदी ने कहा कि विरासत के संरक्षण के साथ-साथ विकास सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि इसलिए, मत्स्यपालन और बंदरगाहों से संबंधित सदियों पुरानी विरासत को पुनर्जीवित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने सरकार द्वारा लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के निर्माण को मंजूरी देने का उल्लेख किया और कहा कि यह कदम देश तथा दुनिया को भारत की गौरवशाली समुद्री विरासत से परिचित कराएगा और प्रेरित करेगा।

श्री मोदी ने कहा, “हमारा प्रयास है कि समुद्र का नीला पानी नीली क्रांति को गति दे।” उन्होंने कहा कि बंदरगाह आधारित विकास से विकसित भारत का संकल्प मजबूत होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने बताया कि जाफराबाद, शियालबेट में मछुआरों के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे का विस्तार किया जा रहा है; जबकि अमरेली में पीपावाव बंदरगाह के आधुनिकीकरण ने 10 लाख से अधिक कंटेनरों और हजारों वाहनों को संभालने की क्षमता के साथ-साथ आज हजारों लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित किए हैं। श्री मोदी ने पीपावाव बंदरगाह और गुजरात के ऐसे हर बंदरगाह को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने के सरकार के प्रयास पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने इस बात को दोहराया कि गरीबों के लिए पक्के घर, बिजली, सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे और गैस पाइपलाइन जैसे बुनियादी ढांचे विकसित भारत के निर्माण के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में बुनियादी ढांचे के विकास पर तेजी से काम कर रही है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सौराष्ट्र में बेहतर बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी के लाभों ने औद्योगिक विकास को काफी बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा, “रो-रो फेरी सेवा के शुभारंभ से सौराष्ट्र और सूरत के बीच कनेक्टिविटी सरल हो गई है तथा हाल के वर्षों में 7 लाख से अधिक लोग इससे लाभान्वित हुए हैं। एक लाख से अधिक कारों और 75,000 से अधिक ट्रकों और बसों का परिवहन किया गया है, जिससे समय और धन दोनों की बचत हुई है।”

प्रधानमंत्री ने जामनगर से अमृतसर-भटिंडा तक आर्थिक गलियारे के निर्माण में तेजी से प्रगति का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “इस परियोजना से गुजरात से पंजाब तक सभी राज्यों को लाभ होगा। आज सड़क परियोजनाओं के उद्घाटन एवं शिलान्यास से जामनगर और मोरबी जैसे प्रमुख औद्योगिक केन्द्रों के लिए कनेक्टिविटी बेहतर होगी, सीमेंट कारखानों तक सुगमता बढ़ेगी और साथ ही सोमनाथ एवं द्वारका के लिए आसान तीर्थयात्रा की सुविधा मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि कच्छ में रेलवे कनेक्टिविटी के विस्तार से सौराष्ट्र एवं कच्छ में पर्यटन तथा औद्योगिकीकरण को और मजबूती मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा, “जैसे-जैसे भारत तेजी से विकास कर रहा है, दुनिया में भारत का गौरव भी लगातार बढ़ता जा रहा है।” उन्होंने कहा कि आज दुनिया भारत को नये परिपेक्ष्य में देख रही है, भारत की क्षमताओं को पहचान रही है और भारत की बात को गंभीरता से सुन रही है।” इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि इन दिनों हर कोई भारत की संभावनाओं पर चर्चा कर रहा है, श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि इसमें गुजरात की बहुत बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि गुजरात ने दुनिया को दिखाया है कि भारत के हर शहर और गांव में कितनी संभावनाएं हैं। रूस में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने हेतु अपनी हालिया यात्रा का उल्लेख करते हुए, श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि हर कोई भारत से जुड़ना और निवेश करना चाहता है। प्रधानमंत्री ने जर्मनी के चांसलर की हाल की यात्रा और उनके साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जर्मनी ने अब वार्षिक वीजा कोटा मौजूदा 20 हजार से बढ़ाकर 90 हजार कर दिया है, जिससे भारतीय युवाओं को लाभ होगा। श्री मोदी ने स्पेन के राष्ट्रपति की आज की गुजरात यात्रा और वडोदरा में परिवहन विमान निर्माण कारखाने के रूप में स्पेन के भारी निवेश पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इससे गुजरात में हजारों लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही विमान निर्माण से संबंधित एक संपूर्ण इकोसिस्टम का विकास होगा, जिससे लाखों नए रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तो कहता था कि गुजरात के विकास से देश का विकास होता है। एक विकसित गुजरात, एक विकसित भारत के मार्ग को प्रशस्त करेगा।” उन्होंने आज की विकास परियोजनाओं के लिए सभी को बधाई दी।

इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल, केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री श्री सी. आर. पाटिल और सांसद श्री परषोत्तम रूपाला सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने अमरेली के दुधाला में भारत माता सरोवर का उद्घाटन किया। यह परियोजना सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत गुजरात सरकार और ढोलकैया फाउंडेशन के बीच सहयोग के माध्यम से विकसित की गई है। ढोलकैया फाउंडेशन ने एक चेक डैम का उन्नयन किया है। मूल रूप से इस बांध में 4.5 करोड़ लीटर पानी को रोक सकने की  क्षमता थी। लेकिन इसे गहरा करने, चौड़ा करने और मजबूत करने के बाद, इसकी क्षमता बढ़कर 24.5 करोड़ लीटर हो गई है। इस उन्नयन से आस-पास के कुओं और कूपो का जलस्तर बढ़ गया है जिससे स्थानीय गांवों और किसानों को सिंचाई की बेहतर सुविधा प्रदान करने में मदद मिलेगी।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने गुजरात के अमरेली में लगभग 4,900 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं से राज्य के अमरेली, जामनगर, मोरबी, देवभूमि द्वारका, जूनागढ़, पोरबंदर, कच्छ और बोटाद जिलों के नागरिकों को लाभ होगा।

प्रधानमंत्री ने 2,800 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न सड़क परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं में एनएच 151, एनएच 151ए एवं एनएच 51 और जूनागढ़ बाईपास के विभिन्न खंडों को चार लेन का बनाना शामिल है। जामनगर जिले के ध्रोल बाईपास से मोरबी जिले के अमरान तक शेष खंड को चार लेन वाला बनाने की परियोजना का शिलान्यास भी किया गया।

प्रधानमंत्री ने लगभग 1,100 करोड़ रुपये की लागत से पूरी हुई भुज-नालिया रेल गेज परिवर्तन परियोजना को राष्ट्र को समर्पित की। इस व्यापक परियोजना में 24 बड़े सेतु, 254 छोटे सेतु, 3 रोड ओवरब्रिज और 30 रोड अंडरब्रिज शामिल हैं तथा यह कच्छ जिले के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

प्रधानमंत्री ने अमरेली जिले के जल आपूर्ति विभाग की 700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उद्घाटन की गई परियोजनाओं में नवदा से चावंड बल्क पाइपलाइन शामिल है जो बोटाद, अमरेली, जूनागढ़, राजकोट और पोरबंदर जिलों के 36 शहरों और 1,298 गांवों में लगभग 67 लाख लाभार्थियों को अतिरिक्त 28 करोड़ लीटर पानी प्रदान करेगी। भावनगर जिले में पासवी समूह की संवर्धित जल आपूर्ति योजना के दूसरे चरण का शिलान्यास भी किया गया, जिससे भावनगर जिले के महुवा, तलाजा और पालीताना तालुका के 95 गांवों को लाभ होगा।

प्रधानमंत्री ने पर्यटन से जुड़ी विभिन्न विकास संबंधी पहलों का शिलान्यास भी किया, जिसमें पोरबंदर जिले के मोकरसागर में केर्ली पुनर्भरण जलाशय को एक विश्वस्तरीय टिकाऊ इको-पर्यटन स्थल में बदलना शामिल है।

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केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राष्ट्रीय एकता दिवस की पूर्व-संध्या पर ‘रन फॉर यूनिटी’ को हरी झंडी दिखाई

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज यहां सरुसजाई खेल परिसर से ‘रन फॉर यूनिटी’ को हरी झंडी दिखाई। ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ की पूर्व-संध्या पर आयोजित इस दौड़ में श्री सोनोवाल ने देश को एकजुट करने और एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र की नींव रखने में सरदार वल्लभ भाई पटेल के अमूल्य योगदान पर प्रकाश डाला। केंद्रीय मंत्री के साथ असम सरकार के मंत्री श्री केशव महंत और गुवाहाटी के सांसद श्री बिजुली कलिता मेधी भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम का आयोजन भारत सरकार के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के साथ मिलकर असम सरकार के सहयोग से किया था।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “भारत के लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने राष्ट्र की एकता और अखंडता को बहाल किया और एक मजबूत और समृद्ध भारत की नींव रखी। उनकी जयंती की पूर्व-संध्या पर, हम राष्ट्रीयता के विचार को घर तक पहुंचाने के लिए ‘रन फॉर यूनिटी’ मना रहे हैं। देश को एकीकृत करने और एकीकृत करने में सरदार पटेल के अमूल्य योगदान ने भारत की गाथा को आकार देने के लिए एक मजबूत आधार सुनिश्चित किया। इस नींव की बदौलत हम 2047 तक आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार करने की ओर आगे बढ़ रहे हैं। सरदार पटेल के आशीर्वाद से, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के आदर्श वाक्य के साथ देश का नेतृत्व कर रहे हैं। आप सभी को, विशेषकर युवाओं को इस ‘रन फॉर यूनिटी’ के माध्यम से सरदार पटेल के महान आदर्शों का जश्न मनाते हुए देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। भारत रत्न सरदार पटेल का चिरस्थायी योगदान देश के प्रत्येक नागरिक को प्रेरित करता रहेगा।”

इस दौड़ में समाज के सभी वर्गों के लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें युवाओं और स्कूली छात्रों की भागीदारी सबसे ज़्यादा थी। धावकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, सरुसजाई स्टेडियम के चारों ओर बनाए गए रन-इन ट्रेल का अनुसरण करते हुए इसे पूरा किया और दौड़ के विचार के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता दिवस के विचार के साथ जुड़ने की अपनी इच्छा व्यक्त की।

वर्ष 2015 से 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर देश के लोग राष्ट्रवाद के महान प्रतीक को याद करते हैं और भारत की एकता और अखंडता की शपथ लेते हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ के दौरान दीपावली के त्यौहार के अवसर पर 31 अक्टूबर के बजाय आज ‘रन फॉर यूनिटी’ का उत्सव मनाने का आह्वान किया था।

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