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आईएनएस सतपुड़ा ने रिम्पैक – 2022 के दौरान प्रशांत महासागर में अपने पेशेवर कौशल का प्रदर्शन किया

अमेरिका के हवाई में 22 दिन चलने वाले बहुपक्षीय युद्धाभ्यास रिम्पैक-22 के समुद्री चरण के पूरा होने पर दिनांक 2 अगस्त 2022 को आईएनएस सतपुड़ा ने हवाई, यूएसए में पर्ल हार्बर में प्रवेश किया । इस जहाज ने विदेशी युद्धपोतों पर भारतीय नौसेना के हेलीकॉप्टर की क्रॉस-डेक लैंडिंग और समुद्र में रेपलेनिशमेंट करने के अलावा, समुद्री चरण के दौरान प्रशांत महासागर में बहु-राष्ट्रीय नौसेनाओं के साथ पनडुब्बी रोधी, युद्धपोत-रोधी और वायु-रोधी युद्धाभ्यासों में भाग लिया ।

रिम्पैक-22 के समुद्री चरण को तीन उप-चरणों में विभाजित किया गया था जिसमें जहाजों ने पहले दो उप-चरणों के दौरान बुनियादी और उन्नत स्तर के एकीकरण अभ्यास किए । इस कार्यक्रम का समापन थिएटर स्तर के बड़े फ़ोर्स टैक्टिकल अभ्यास के साथ हुआ । इस अभ्यास में एक विमान वाहक बैटल ग्रुप, पनडुब्बियां, समुद्री टोही विमान, मानव रहित विमान, दूर से संचालित होने वाले सरफेस शिप्स और बहुराष्ट्रीय नौसेनाओं के विशेष बलों के साथ जॉइंट ऑपेरशन सहित अम्फिबिस फ़ोर्स लैंडिंग ऑपरेशन का आयोजन किया गया ।

भारतीय तट से 9000 समुद्री मील दूर रिम्पैक-22 में आईएनएस सतपुड़ा की भागीदारी दुनिया के किसी भी हिस्से में संचालित करने के लिए भारतीय नौसेना की क्षमता का प्रमाण है । रिम्पैक-22 सबसे बड़े बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यासों में से एक है जिसमें भारतीय नौसेना भाग लेती है और इस वर्ष के अभ्यास में 26 देशों की भागीदारी हुई है जिसमें 38 सरफेस शिप्स, 09 लैंड फोर्सेज़, 31 मानव रहित सिस्टम्स, 170 विमान और 2,500 से अधिक सैन्यकर्मी शामिल हैं ।

आईएनएस सतपुड़ा एक स्वदेश में डिजाइन और निर्मित 6000 टन गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट है । जहाज विशाखापत्तनम स्थित पूर्वी बेड़े का एक हिस्सा है और भारत की आजादी के 75 वें वर्ष में लंबी दूरी की अभियानगत तैनाती के लक्ष्य के साथ तैनात है ।

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भारत ने अहम पड़ाव हासिल किया, अब तक 75 हजार से अधिक स्टार्ट-अप्स मान्य

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज घोषणा की कि भारत ने एक अहम पड़ाव हासिल कर लिया है, जिसके मद्देनजर देश में 75 हजार से अधिक स्टार्ट-अप्स को मान्य किया गया है। उन्होंने कहा कि यह संख्या परिकल्पना-शक्ति को साबित करती है; एक ऐसी परिकल्पना, जो नवाचार और उद्यमिता आधारित विकास के बारे में हो।

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने 75 हजार से अधिक स्टार्ट-अप्स को मान्यता प्रदान की है, जो आजादी के 75 वर्ष होने के क्रम में मील का पत्थर है। भारत जब आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो इसी दौरान नवोन्मेष, उत्साह और उद्यमी भावना भारतीय स्टार्ट-अप इको-सिस्टम को लगातार गति प्रदान कर रही है।

याद रहे कि 15 अगस्त, 2015 को लाल किले से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस वक्तव्य के दौरान एक नये भारत की परिकल्पना की थी, जो देशवासियों की उद्यमशील क्षमता को उजागर करेगा। इसके अगले वर्ष 16 जनवरी को, जिसे अब राष्ट्रीय स्टार्ट-अप दिवस के रूप में घोषित कर दिया गया है, उस दिन देश में स्टार्ट-अप और नवाचार को पोषित करने के लिये एक मजबूत इको-सिस्टम बनाने की कार्य-योजना शुरू की गई थी। इन छह वर्षों के दौरान, उस कार्य-योजना से भारत को तीसरा सबसे बड़ा इको-सिस्टम बनाने में सफल दिशा-संकेत मिले। यह भी दिलचस्प बात है कि जहां 10 हजार स्टार्ट-अप्स को 808 दिनों में मान्यता मिली, वहीं अब 10 हजार स्टार्ट-अप्स की मान्यता 156 दिनों में ही कर दी गई। इस हिसाब से प्रतिदिन 80 से अधिक स्टार्ट-अप्स को मान्यता दी जा रही है – यह दर विश्व में सर्वाधिक है। इससे पता चलता है कि स्टार्ट-अप संस्कृति का भविष्य संभावनाओं से भरपूर और उत्साहवर्धक है।

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44वें शतरंज ओलम्पियाड में हम्पी, वैशाली की सहायता से भारत ने महिला वर्ग में जॉर्जिया पर जीत दर्ज की

कोनेरू हम्पी के मामल्लापुरम, तमिलनाडु में चल रहे 44वें शतरंज ओलम्पियाड में बुधवार को महिलाओं के सर्किट की शीर्ष खिलाड़ियों में से एक नाना डेजाग्निडेज को मात देने के साथ भारत ए ने महिलाओं के वर्ग के छठे राउंड में तीसरी वरीयता प्राप्त जॉर्जिया पर 3-1 से शानदार जीत दर्ज की है।

44वें शतरंज ओलम्पियाड के छठे राउंड में अपनी जीत के बाद भारतीय महिला टीम ए की जीएम कोनेरू हम्पी के साथ कप्तान जीएम अभिजीत कुंटे (फोटो : एफआईडीई)

हम्पी के अलावा, आर वैशाली ने भी लीला जावाशिविली को एकतरफा मुकाबले में मात दी, वहीं तानिया सचदेव और हरिका द्रोनावल्ली के ड्रा से भारत को जीत दर्ज करने में सहायता मिली।

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भारत की महिला टीम ए की सदस्य आईएम वैशाली 44वें शतरंज ओलम्पियाड के छठे राउंड में मैच खोलती हुई (फोटो : एफआईडीई)

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44वें शतरंज ओलम्पियाड के छठे राउंड के दौरान मैच खेलती खिलाड़ी (फोटो : एफआईडीई)

हम्पी ने कहा, “मैं प्रतिस्पर्धा के इस चरण में पदक के बारे में नहीं सोच रही हूं, क्योंकि हमें अभी यूक्रेन के अलावा कई अच्छी टीमों के साथ खेलना है। हमारी टीम भावना ऊंची है, जब भी जीत की जरूरत होती है तो हमेशा टीम का कोई न कोई खिलाड़ी आगे आता है।”

उन्होंने कहा, “मैं ढाई साल के बाद खेल रही हूं और वास्तव में शुरुआती कुछ मैचों में संघर्ष करना पड़ा। आज भी मेरा मैच खासा लंबा चला।”

भारत और जॉर्जिया के साथ संयुक्त रूप से मौजूद रोमानिया ने यूक्रेन के साथ 2-2 से ड्रा खेला, जबकि अजरबेजान ने कजाखस्तान को 3-1 से मात दी। वहीं पोलैंड ने सर्बिया को 4-0 से हरा दिया।

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भारत की ओपन टीम बी के सदस्य जीएम गुकेश डी बुधवार को मामल्लापुरम, तमिलनाडु में चल रहे 44वें शतरंज ओलम्पियाड के दौरान मैच खेलते हुए (फोटो :एफआईडीई)

वहीं डी गुकेश ने एक बार फिर से शानदार जीत दर्ज की। उनकी यह लगातार छठी जीत रही, लेकिन उनके प्रयास बेकार चले गए और भारत बी टीम ओपन वर्ग में आर्मेनिया से 1.5-2.5 से हार गई।

निहाल सरीन ने ड्रा खेला, वहीं अधिबान बी और रौनक साधवानी अपने-अपने मैच हार गए।

दूसरी तरफ, भारत सी ने लिथुआनिया पर 3.5-1.5 से जीत दर्ज की, वहीं दूसरी वरीयता प्राप्त भारत ने उज्बेकिस्तान के साथ 2-2 से ड्रा खेला।

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भारतीय खेल प्राधिकरण में हाल ही में अनुबंध/प्रतिनियुक्ति के आधार पर 420 प्रशिक्षकों की नियुक्ति की गई है: अनुराग ठाकुर

‘खेल’ के राज्य का विषय होने के कारण, प्रशिक्षण और खेलों के बुनियादी ढांचे के निर्माण सहित खेलों के प्रचार/विकास की जिम्मेदारी मुख्य रूप से संबंधित राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश की सरकार की होती है। केन्द्र सरकार अपनी विभिन्न योजनाओं यानी खेलो इंडिया योजना और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) द्वारा संचालित खेल प्रोत्साहन योजनाओं के माध्यम से उनके प्रयासों में पूरक बनती है।

इसके अलावा, खेल के बुनियादी ढांचे सहित अन्य समर्थन प्रणालियों के साथ-साथ अच्छे प्रशिक्षकों की निस्संदेह जरूरत है। तदनुसार ओलंपिक 2024 एवं 2028 सहित महत्वपूर्ण राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी करने वाले एथलीटों को समग्र सहायता प्रदान करने के प्रयासों के तहत, हाल ही में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में अनुबंध/प्रतिनियुक्ति के आधार पर 420 प्रशिक्षकों की भर्ती/नियुक्ति नीचे दिए गए विवरण के अनुसार की गई है:

1)        101 प्रशिक्षकों का चयन प्रतिनियुक्ति के आधार पर किया गया है;

2)         103 प्रशिक्षकों का चयन अनुबंध के आधार पर किया गया है;

3)         सहायक प्रशिक्षक के ग्रेड में 212 प्रशिक्षकों का चयन अनुबंध के आधार पर किया गया है;

4)         मुख्य प्रशिक्षक के ग्रेड में 04 प्रशिक्षकों का चयन अनुबंध के आधार पर किया गया है।

वर्तमान में साई में 966 प्रशिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें से 134 महिला प्रशिक्षक नियमित आधार पर और 80 महिला प्रशिक्षक अनुबंध के आधार पर काम कर रही हैं।

इसके अलावा  खेलो इंडिया योजना के तहत, एक प्रभावी खेल प्रशिक्षण तंत्र तैयार किया गया है जिसमें “पूर्व के चैंपियन एथलीट” खेलो इंडिया केन्द्रों में प्रशिक्षक के रूप में संलग्न हैं। पारिश्रमिक, खेल उपकरण की खरीद, खेल किट, प्रतियोगिता का अनुभव दिलाने आदि के लिए पांच लाख रुपये प्रति स्पर्धा का वार्षिक आवर्ती अनुदान निर्धारित किया गया है, जिसमें से ​​25,000 रुपये प्रति महीने की दर से तीन लाख रुपये अनिवार्य रूप से पूर्व के चैंपियन एथलीट के पारिश्रमिक के लिए निर्धारित किए गए हैं। वर्तमान में, 91 खेलो इंडिया केन्द्रों में 102 पूर्व के चैंपियन एथलीट संलग्न हैं, जिनमें से 10 महिलाएं हैं।

यह जानकारी युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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किसानों के हित में एक और कदम उठाते हुए, सरकार ने चीनी सीजन 2022-23 में चीनी मिलों द्वारा देय गन्ना उत्पादक किसानों के लिए उचित और लाभकारी मूल्य को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गन्ना उत्पादक किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए, चीनी सीजन 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए 10.25 प्रतिशत की मूल रिकवरी दर के लिए गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 305 रुपये प्रति क्विंटल को मंजूरी दे दी है। इससे 10.25 प्रतिशत से अधिक की रिकवरी में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की वृद्धि के लिए 3.05 रुपये/ क्विंटल का प्रीमियम मिलेगा और रिकवरी में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की कमी के लिए 3.05 रुपये प्रति/क्विंटल की दर से उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में कमी होगी। हालांकि, सरकार ने गन्ना उत्पादक किसानों के हितों की रक्षा के लिए यह भी निर्णय लिया है कि चीनी मिलों के मामले में कोई कटौती नहीं होगी, जहां रिकवरी 9.5 प्रतिशत से कम है। ऐसे किसानों को वर्तमान चीनी सीजन 2021-22 में 275.50 रुपये प्रति क्विंटल स्थान पर आगामी चीनी सीजन 2022-23 में गन्ने के लिए 282.125 रुपये/क्विंटल मिलेगा।

चीनी सीजन 2022-23 के लिए गन्ने के उत्पादन की A2 + FL लागत (यानी वास्तविक भुगतान की गई लागत के साथ पारिवारिक श्रम का मूल्य) 162 रुपये प्रति क्विंटल है। 10.25 प्रतिशत की भरपाई दर पर 305 रुपये प्रति क्विंटल का यह एफआरपी उत्पादन लागत से 88.3 प्रतिशत अधिक है। यह किसानों को उनकी लागत पर 50 प्रतिशत से अधिक का लाभ प्रदान करने का वादा सुनिश्चित करता है। चीनी सीजन 2022-23 के लिए एफआरपी मौजूदा चीनी सीजन 2021-22 की तुलना में 2.6 प्रतिशत अधिक है।

केंद्र सरकार की सक्रिय नीतियों के कारण, गन्ने की खेती और चीनी उद्योग पिछले 8 वर्षों में एक लंबा सफर तय कर चुके हैं और अब आत्मनिर्भरता के स्तर पर पहुंच गए हैं। यह समय पर सरकारी हस्तक्षेप और चीनी उद्योग, राज्य सरकारों, केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के साथ-साथ किसानों के साथ सहयोग का परिणाम है। हाल के वर्षों में चीनी क्षेत्र के लिए सरकार द्वारा किए गए मुख्य उपाय:

• गन्ने के एफआरपी को गन्ने के उत्पादकों के लिए एक गारंटीकृत मूल्य सुनिश्चित करने के लिए तय किया गया है।

• सरकार ने पिछले 8 वर्षों में एफआरपी में 34 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की है।

• सरकार ने चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) की संकल्पना को भी प्रस्तुत किया है ताकि चीनी की पूर्व-मिल कीमतों में गिरावट और गन्ना बकाया के संचय को रोकने के लिए (एमएसपी शुरुआत में 29 रुपये प्रति किलोग्राम 07 जून 2018 से प्रभावी रूप से लागू करने के लिए तय किया गया; संशोधित 31 रुपये प्रति किलोग्राम 14 फरवरी 2019 से प्रभावी।

• चीनी मिलों के निर्यात की सुविधा के लिए, बफर स्टॉक को बनाए रखने के लिए, इथेनॉल उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए और किसानों के बकाया भुगतान के लिए चीनी मिलों को 18,000 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय सहायता।

• अधिशेष चीनी को इथेनॉल के उत्पादन में बदलकर चीनी मिलों की वित्तीय स्थितियों में सुधार किया। नतीजतन, वे गन्ने के बकायों का जल्दी से भुगतान करने में सक्षम हैं।

• चीनी के निर्यात और चीनी को इथेनॉल में बदलने के कारण, चीनी क्षेत्र आत्मनिर्भर हो गया है और मिलों की तरलता में सुधार हेतु निर्यात व बफर के लिए बजटीय समर्थन करने की आवश्यकता नहीं है

इसके अलावा, पिछले कुछ शुगर सीजनों के दौरान चीनी क्षेत्र के लिए किए गए विभिन्न अन्य उपायों के कारण, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ गन्ने की उच्च उपज देने वाली किस्मों के उपयोग की शुरुआत, ड्रिप सिंचाई प्रणाली को अपनाना, चीनी संयंत्र का आधुनिकीकरण और अन्य अनुसंधान एवं विकास गतिविधियां, गन्ने की खेती का क्षेत्र, गन्ने का उत्पादन, गन्ने की तराई, चीनी उत्पादन और इसका रिकवरी प्रतिशत व किसानों को भुगतान में काफी वृद्धि शामिल है।

किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध

इस निर्णय से 5 करोड़ गन्ना उत्पादक किसानों और उनके आश्रितों के साथ-साथ चीनी मिलों और संबंधित सहायक गतिविधियों में कार्यरत 5 लाख श्रमिकों को लाभ होगा। 9 साल पहले, 2013-14 चीनी सीजन में एफआरपी सिर्फ 210 रुपये प्रति क्विंटल था और सिर्फ 2397 एलएमटी गन्ना चीनी मिलों द्वारा खरीदा गया था। किसानों को केवल गन्ने की बिक्री से चीनी मिलों से सिर्फ 51,000 करोड़ मिलते थे। हालांकि, पिछले 8 वर्षों में सरकार ने एफआरपी में 34 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की है। वर्तमान चीनी सीज़न 2021-22 में, चीनी मिलों द्वारा लगभग 3,530 लाख टन गन्ना खरीदा गया जिसकी कीमत 1,15,196 करोड़ रुपये है, जो अब तक सबसे अधिक है।

आगामी चीनी सीजन 2022-23 में गन्ने के रकबे और अपेक्षित उत्पादन में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, 3,600 लाख टन से अधिक गन्ने को चीनी मिलों द्वारा खरीदे जाने की संभावना है, जिसके लिए गन्ने के किसानों को भुगतान की जाने वाली कुल रकम 1,20,000 करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है। सरकार किसान समर्थक उपायों के माध्यम से यह सुनिश्चित करेगी कि गन्ने के किसानों को समय पर उनका बकाया मिले।

पिछले चीनी सीजन 2020-21 में लगभग 92,938 करोड़ रुपये का गन्ना बकाया देय था, जिसमें से 92,710 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है और केवल 228 करोड़ रुपये बकाया हैं। वर्तमान चीनी सीजन 2021-22 में 1,15,196 करोड़ रुपये में से किसानों को 1,05,322 करोड़ रुपये गन्ने के बकाया का भुगतान किया गया, 01 अगस्त 2022 तक; इस प्रकार 91.42 प्रतिशत गन्ना बकाया का भुगतान कर दिया गया है जो कि पिछले चीनी सीजनों की तुलना में अधिक है।

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भारत- दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक:

भारत ने वर्तमान चीनी सीजन के दौरान चीनी उत्पादन में ब्राजील को पीछे छोड़ दिया है। पिछले 8 वर्षों में चीनी के उत्पादन में वृद्धि के साथ, भारत घरेलू खपत के लिए अपनी आवश्यकता को पूरा करते हुए चीनी का निरंतर निर्यात भी कर रहा है, जिससे हमारे राजकोषीय घाटे को कम करने में मदद मिली है। पिछले 4 चीनी सीजन; 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के दौरान क्रमशः 6 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी), 38 एलएमटी, 59.60 एलएमटी और 70 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया है। वर्तमान चीनी सीजन 2021-22 में 01 अगस्त 2022 तक लगभग 100 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया है और कुल निर्यात लगभग 112 एलएमटी तक होने की संभावना है।

गन्ना किसान और चीनी उद्योग अब ऊर्जा क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं:

भारत के कच्चे तेल की कुल आवश्यकता का 85 प्रतिशत आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है। लेकिन कच्चे तेल पर आयात बिल को कम करने, प्रदूषण को कम करने और देश को पेट्रोलियम क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए, सरकार पेट्रोल के साथ इथेनॉल मिश्रित कार्यक्रम के तहत इथेनॉल के उत्पादन और पेट्रोल के साथ इथेनॉल के मिश्रण को बढ़ाने के मार्ग पर सक्रिय रूप से आगे बढ़ रही है। सरकार चीनी मिलों को अतिरिक्त गन्ने को इथेनॉल में बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, ताकि इसे पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जा सके, जो न केवल हरित ईंधन के रूप में कार्य करता है, बल्कि यह कच्चे तेल के आयात पर खर्च की जाने वाली विदेशी मुद्रा की भी बचत करेगा। चीनी सीजन 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के दौरान क्रमशः लगभग 3.37 एलएमटी, 9.26 एलएमटी और 22 एलएमटी चीनी को इथेनॉल में बदला गया। वर्तमान चीनी सीजन 2021-22 में, लगभग 35 एलएमटी चीनी को इथेनॉल में बदले जाने का अनुमान है और 2025-26 तक 60 एलएमटी से अधिक चीनी को इथेनॉल में बदलने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो अतिरिक्त गन्ने की समस्या के साथ-साथ विलंब से होने वाले भुगतान का भी समाधान करेगा, क्योंकि गन्ना किसानों को समय पर भुगतान प्राप्त होगा।

सरकार ने 2022 तक पेट्रोल के साथ ईंधन ग्रेड इथेनॉल के 10 प्रतिशत मिश्रण का और 2025 तक 20 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया है ।

वर्ष 2014 तक, शीरा (मोलासेज) आधारित डिस्टिलरियों की इथेनॉल की आसवन (डिस्टिलेशन) क्षमता सिर्फ 215 करोड़ लीटर की थी। हालांकि, पिछले आठ वर्षों में सरकार द्वारा किए गए नीतिगत बदलावों के कारण, शीरा आधारित डिस्टिलरियों की यह क्षमता बढ़कर 595 करोड़ लीटर की हो गई है। अनाज आधारित डिस्टिलरियों की जो क्षमता 2014 में लगभग 206 करोड़ लीटर की थी, वो अब बढ़कर 298 करोड़ लीटर की हो गई है। इस प्रकार, पिछले आठ वर्षों में इथेनॉल उत्पादन की कुल क्षमता 2014 में 421 करोड़ लीटर से दोगुनी होकर जुलाई 2022 में 893 करोड़ लीटर की हो गई है। सरकार इथेनॉल उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी के उद्देश्य से चीनी मिलों/डिस्टिलरी को बैंकों से लिए गए ऋण के लिए ब्याज अनुदान भी दे रही है। इथेनॉल क्षेत्र में लगभग 41,000 करोड़ का निवेश किया जा रहा है जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2013-14 में,  तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को इथेनॉल की आपूर्ति महज 38 करोड़ लीटर की थी जिसमें मिश्रण का स्तर सिर्फ 1.53 प्रतिशत का था। ईंधन ग्रेड इथेनॉल का उत्पादन और तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को इसकी आपूर्ति 2013-14 की तुलना में आठ गुना बढ़ गई है। इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2020-21 (दिसंबर-नवंबर) में, 8.1 प्रतिशत के मिश्रण स्तर को हासिल करते हुए तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को लगभग 302.30 करोड़ लीटर इथेनॉल की आपूर्ति की गई है। वर्तमान इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2021-22 में, हम 10.17 प्रतिशत का मिश्रण स्तर हासिल करने में सक्षम हैं। वर्तमान इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2021-22 में पेट्रोल के साथ मिश्रण के लिए चीनी मिलों/डिस्टिलरीज द्वारा 400 करोड़ लीटर से अधिक इथेनॉल की आपूर्ति किए जाने की संभावना है, जोकि वर्ष 2013-14 में की गई आपूर्ति की तुलना में 10 गुना होगी।

चीनी उद्योग आत्मनिर्भर बना :

कुछ समय पहले तक, चीनी मिलों की आय मुख्य रूप से चीनी की बिक्री पर निर्भर थीं। किसी भी सीजन में अतिरिक्त उत्पादन का उनकी भुगतान क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, जिससे गन्ना उत्पादक किसानों की धनराशि बकाया हो जाती है। उनकी भुगतान क्षमता में सुधार के लिए समय-समय पर सरकारी हस्तक्षेप किए गए। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में अतिरिक्त चीनी के निर्यात को प्रोत्साहित करने और चीनी को इथेनॉल में बदलने सहित केंद्र सरकार की सक्रिय नीतियों के कारण, चीनी उद्योग अब आत्मनिर्भर हो गया है।

चीनी मिलों ने 2013-14 से तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को इथेनॉल की बिक्री से लगभग 49,000 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। वर्तमान चीनी सीजन 2021-22 में चीनी मिलों द्वारा ओएमसी को लगभग 20,000 करोड़ रुपये मूल्य के इथेनॉल की बिक्री की जा रही है, जिससे चीनी मिलों की भुगतान क्षमता में सुधार हुआ है और वे किसानों को गन्ना की बकाया धनराशि का भुगतान करने में सक्षम हैं। चीनी और उसके सह-उत्पादों की बिक्री, ओएमसी को इथेनॉल की आपूर्ति, बैगेस आधारित सह-उत्पादन संयंत्रों से बिजली उत्पादन और प्रेस मिट्टी से उत्पादित पोटाश की बिक्री से आय होने से चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में अनेक माध्यम से सुधार हुआ है।

केंद्र सरकार द्वारा किए गए उपायों और एफआरपी में वृद्धि से किसानों को गन्ने की खेती के लिए प्रोत्साहित किया गया है और चीनी के घरेलू उत्पादन के लिए चीनी मिलों के निरंतर संचालन की सुविधा मिली है। चीनी उद्योग के लिए सरकार द्वारा बनाई गई सकारात्मक नीतियों के परिणामस्वरूप भारत भी अब ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनता जा रहा है।

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गडकरी ने इंदौर (मध्य प्रदेश) में 2300 करोड़ रुपये लागत की छह राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इंदौर (मध्य प्रदेश) में 2300 करोड़ रुपये लागत की 119 किलोमीटर लंबाई की 6 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।

इस अवसर पर श्री गडकरी ने आज शुरू की जा रही परियोजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि इंदौर और राज्य में बेहतर कनेक्टिविटी से प्रगति की राह आसान हो जाएगी। उन्होंने कहा कि राऊ सर्कल पर जाम की समस्या समाप्‍त हो जाएगी और यातायात सरल हो जाएगा। इंदौर के साथ सहज कनेक्टिविटी होने से कारीगरों, छात्रों और व्यापारियों को बेहतर अवसर उपलब्‍ध होंगे। इंदौर-हरदा खंड के गांवों को इंदौर से बेहतर तरीके से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि धार-पीथमपुर औद्योगिक कॉरिडोर बनने से रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

श्री गडकरी ने यह भी कहा कि तेजाजी नगर (इंदौर)-बुरहानपुर और इंदौर-हरदा तक की यात्रा में लगने वाले समय में कमी आएगी, जिससे ईंधन की भी बचत होगी। उन्होंने कहा कि ओंकारेश्वर और खंडवा जाने वाले यात्रियों के लिए मार्ग आसान होगा। उन्होंने कहा कि कृषि बाजारों से बेहतर संपर्क होने से कृषि उत्पादों को बड़े बाजार तक ले जाना आसान हो जाएगा।

इस कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश में 14 चयन किए गए स्थानों पर रोप-वे के निर्माण के लिए राज्य सरकार और एनएचएआई के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

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जन शिकायतों के निवारण की समय-सीमा 45 दिन से घटाकर 30 दिन की गई

जन शिकायतों के निवारण की समय सीमा 45 दिन से घटाकर 30 दिन कर दी गई है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी देते हुए कहा कि यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कम से कम समय के भीतर शिकायतों के निपटान के साथ लोक शिकायत निवारण तंत्र के प्रभावी कार्यान्वयन पर जोर देने के कदम का एक हिस्सा है। इसमें प्रयास शिकायतकर्ता को अधिकतम संभव संतुष्टि प्रदान करना भी है। मंत्री ने कहा, प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा जारी एक ओएम (संचालन, प्रशासन और प्रबंधन) में यह भी कहा गया है कि एक नागरिक से प्राप्त शिकायत को तब तक बंद नहीं किया जाएगा जब तक कि उसके खिलाफ दायर अपील का निपटारा नहीं हो जाता। पिछले साल, डीएआरपीजी ने जन शिकायतों के समाधान के लिए अधिकतम समय सीमा को 60 दिनों से घटाकर 45 दिन कर दिया था। डॉ जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत में एक प्रभावी लोक शिकायत निवारण प्रणाली को लागू करने और लोगों के बीच संतुष्टि को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक मानकों के अनुरूप प्रशासनिक सुधार लाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। मंत्री ने यह भी बताया कि विभिन्न मासिक “प्रगति” (प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्प्लीमेंटेशन) समीक्षा बैठकों में, प्रधानमंत्री स्वयं सार्वजनिक शिकायतों की स्थिति की समीक्षा करते हैं।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2014 में इस सरकार के सत्ता में आने के बाद से लोगों की संतुष्टि और शिकायतों के समय पर निवारण के दोहरे कारकों के कारण लोक शिकायत के मामलों में लगभग 10 गुना वृद्धि हुई है और यह सरकार पर नागरिकों के भरोसे को भी दर्शाता है। 95 प्रतिशत से अधिक मामलों के निपटारे के साथ जन शिकायतें 2014 में 2 लाख से बढ़कर वर्तमान में 22 लाख से अधिक हो गई हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का मुख्य मंत्र अंतिम कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है।

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डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि नवीनतम आदेश में कहा गया है कि सीपीजीआरएएमएस पर प्राप्त शिकायतों को प्राप्त होते ही तुरंत हल किया जाएगा, लेकिन अधिकतम 30 दिनों की अवधि के भीतर और यदि निर्धारित समय-सीमा के भीतर निवारण संभव नहीं है, तो न्यायिक मामले/नीतिगत मुद्दों आदि जैसी परिस्थितियों में, नागरिक को एक अंतरिम/उचित उत्तर दिया जाएगा। उन्होंने कहा, यह उपाय नागरिक केंद्रित शासन को आगे बढ़ाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा क्योंकि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि शिकायतों का यथासंभव शीघ्र निपटारा किया जाए। डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि सीपीजीआरएएमएस 7.0 ने डिजिटल डैशबोर्ड का उपयोग करके बेहतर डेटा एनालिटिक्स के साथ-साथ लास्ट माइल शिकायत अधिकारियों को शिकायतों के ऑटो-रूटिंग को भी सक्षम किया है। उन्होंने कहा कि 2021 में 30,23,894 शिकायतें प्राप्त हुईं जिनमें से 21,35,923 का निपटारा किया गया, 2020 में 33,42,873  में से 23,19,569 का निपटारा किया गया, और 2019 में 27,11,455 में से 16,39,852 का निपटारा किया गया।

डीएआरपीजी ने अपने नवीनतम आदेश में सभी विभागों को नोडल शिकायत समाधान अधिकारी नियुक्त करने और जनता की शिकायतों के समाधान के लिए उन्हें पर्याप्त रूप से सशक्त बनाने के लिए कहा है। वे नोडल शिकायत समाधान अधिकारी के समग्र पर्यवेक्षण में प्राप्त जन शिकायतों की संख्या के आधार पर जितने आवश्यक समझे उतने जीआरओ नियुक्त कर सकते हैं। आदेश में कहा गया है कि शिकायत बंद होने के बाद, नागरिकों के पास अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने और अपील दायर करने और शिकायत की गुणवत्ता पर प्रतिक्रिया प्राप्त करने का विकल्प होता है. इसके लिए एक आउटबाउंड कॉल सेंटर शुरू किया गया है। फीडबैक प्राप्त करने के लिए कॉल सेंटर द्वारा सभी नागरिकों से संपर्क किया जाएगा।

आदेश में कहा गया है कि नागरिकों को अपील दायर करने का विकल्प प्रदान किया जाएगा यदि वे निपटाई गई शिकायत से संतुष्ट नहीं हैं और कॉल सेंटर द्वारा नागरिकों से प्राप्त फीडबैक को मंत्रालयों या विभागों के साथ साझा किया जाएगा जो फीडबैक से निपटने के लिए जिम्मेदार होंगे और इसी के आधार पर व्यवस्थागत सुधार किया जाएगा।

डीएआरपीजी ने कहा कि शिकायत समाधान के तंत्र को संस्थागत बनाने और गुणवत्तापूर्ण निपटान सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय/विभाग के सचिव वरिष्ठ अधिकारियों की बैठकों में निपटान प्रक्रिया की समीक्षा कर सकते हैं। इसके अलावा, मंत्रालय/विभाग उन शिकायतों की निगरानी भी कर सकते हैं जो प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में उठाई जा सकती हैं।

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भारत चाबहार बंदरगाह के माध्यम से मध्य एशिया के साथ व्यापार संभावना को खोलने की दिशा में काम करेगा: केन्‍द्रीय जहाजरानी मंत्री

केन्‍द्रीय बंदरगाह, नौवहन, जलमार्ग और आयुष मंत्री, सर्बानंद सोनोवाल ने ईरान में चाबहार बंदरगाह के उपयोग के माध्यम से मध्य एशियाई क्षेत्र के साथ व्यापार क्षमता को खोलने की संभावना की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। ‘चाबहार दिवस’ के अवसर पर, केन्‍द्रीय बंदरगाह, नौवहन मंत्रालय ने इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) के साथ आज मुंबई में एक सम्मेलन का आयोजन किया, जहां केन्‍द्रीय नौवहन मंत्री श्री सोनोवाल तथा जलमार्ग, नौवहन और पर्यटन राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक ने मध्य एशियाई देशों के उच्च स्तरीय राजनयिक प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत की। आईपीजीएल का गठन चाबहार विकास परियोजना में शाहिद बेहश्‍ती बंदरगाह के संचालन के लिए किया गया था। श्री सोनोवाल ने यह भी कहा, “हमारी परिकल्‍पना चाबहार बंदरगाह को अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) के तहत एक पारगमन केन्‍द्र बनाना है ताकि सीआईएस देशों तक पहुंचा जा सके।”

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“चाबहार दिवस” आईएनएसटीसी की शुरुआत- भारत और मध्य एशिया के बीच कार्गो की आवाजाही को किफायती बनाने की भारत की परिकल्‍पना के अवसर पर मनाया जाता है । ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह क्षेत्र और विशेष रूप से मध्य एशिया के लिए वाणिज्यिक पारगमन केन्‍द्र है।

इस अवसर पर उपस्थित उच्च स्तरीय राजनयिक प्रतिनिधिमंडल में कजाकिस्तान गणराज्य के राजदूत महामहिम श्री नुरलान झालगासबायेव; किर्गिस्तान के राजदूत महामहिम श्री असीन इसेव; ताजिकिस्तान के राजदूत महामहिम श्री लुकमोन बोबोकलोंजोडा; तुर्कमेनिस्‍तान के राजदूत महामहिम श्री शालार गेलडीनजरोव; उज्बेकिस्तान के राजदूत दिलशोद अखतोव; पीएमओ में बंदरगाह और आर्थिक मामलों के उप मंत्री महामहिम श्री जलील एस्लामी; अफगानिस्तान की महावाणिज्य दूत(सीजी) सुश्री जकिया वर्दाक; ईरान इस्लामी गणराज्य के महावाणिज्य दूत महामहिम डॉ ए एम अलीखानी और महामहिम श्री मसूद ओस्ताद हुसैन शामिल थे। गणमान्‍य व्यक्तियों में भारतीय बंदरगाह संघ के अध्यक्ष श्री राजीव जलोटा, विदेश मंत्रालय में संयुक्‍त सचिव (पीएआई) श्री जे पी सिंह और इंडियन पोर्टस ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) के एमडी श्री सुनील मुकुंदन भी उपस्थित थे।

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इस कार्यक्रम में बोलते हुए, केन्‍द्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री ने कहा, “ईरान में चाबहार के जीवंत शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह के माध्यम से आईएनएसटीसी का विचार एक मल्टी मोडल लॉजिस्टिक कॉरिडोर का उपयोग करके दो बाजारों को जोड़ने का है।” उन्होंने कहा कि हमारी लॉजिस्टिक लागत को युक्तिसंगत बनाएगा, जो दोनों क्षेत्रों के बीच व्यापार की मात्रा में योगदान देगा। चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए सक्रिय समर्थन दिखाने वाले सभी हितधारकों को धन्यवाद देते हुए, उन्होंने कहा, संयुक्त प्रयासों के माध्यम से, कनेक्टिविटी बढ़ाने वाले व्यापार का एक बिंदु और भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच वाणिज्य को सफलतापूर्वक विकसित किया गया है।

श्री सोनोवाल ने आगे कहा, चाबहार बंदरगाह समृद्ध मध्य एशियाई क्षेत्र को दक्षिण एशियाई बाजारों से जोड़ता है। यह व्यापार, आर्थिक सहयोग और दो भौगोलिक क्षेत्रों के बीच लोगों को जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण के रूप में उभरा है। मध्य एशियाई बाजारों की संभावना के कारण, भारत की अगुवाई में आपस में जुड़ने से मध्‍य एशियाई देशों की हिन्‍द महासागर क्षेत्र में पहुंच को सुरक्षित और वाणिज्यिक दृष्टि से व्‍यवहार्य बना दिया है। उन्होंने कहा कि यह सम्‍पर्क न केवल आपस में सम्‍पर्क प्रदान करेगा, बल्कि हमारे सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों का आगे बढ़ाते हुए निवेश को भी आगे बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि यह मध्य एशियाई क्षेत्र की पारगमन और परिवहन संभावना को भी विकसित करेगा और उनके लॉजिस्टिक नेटवर्क में सुधार करेगा। चाबहार बंदरगाह वहां पर एक क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिवहन गलियारा बनाने के लिए एक संयुक्त पहल को बढ़ावा देने की अगुवाई करेगा। श्री सोनोवाल ने कहा कि इसके अलावा, इसका उद्देश्य चाबहार बंदरगाह पर सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय मानदंडों, सुशासन, कानून के शासन और समानता को विकसित करना है।

श्री सोनोवाल ने यह भी कहा कि चाबहार में शाहिद बेहश्‍ती बंदरगाह की माल लादने और उतारने की क्षमता जो आज 8.5 मिलियन टन है, परियोजना के पहले चरण के पूरा होने पर बढ़कर 15 मिलियन टन हो जाएगी।

भारत और अन्य बाजारों के साथ अपने व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह की सेवाओं का उपयोग करने के लिए मध्य एशियाई देशों का स्वागत करते हुए, श्री सोनोवाल ने सभी हितधारकों से आग्रह किया कि वे परिवहन समय को और कम करने, भारत से मध्‍य एशिया के लिए एक छोटा, तेज और अधिक विश्‍वसनीय मार्ग खोलने और दोनों क्षेत्रों के बीच बिना किसी कठिनाई के व्‍यापार की संभावना बढ़ाने के लिए चाबहार आईएनएसटीसी लिंक को प्रोत्‍साहित करने के लिए सुझाव दें। श्री सोनोवाल ने कहा, “मैं इस अवसर पर आप सभी से यह अनुरोध करता हूं कि अपने व्यापार समुदाय को इस बारे में जागरूक करें कि यह मार्ग अवसर और संभावनाएं खोल सकता है।”

मंत्रायल में राज्‍य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक ने कहा कि, आने वाले वर्षों में, शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह की प्रगति व्यापार के तेजी से विकास में सहयोग करेगी और क्षेत्र में जीवन स्तर को बढ़ाएगी। इस बुनियादी ढांचे से क्षेत्र में व्यापार और निवेश की संभावनाओं का विस्तार होगा श्री नाइक ने सम्मेलन में कहा, “यह व्यापार बैठक शाहिद बेहश्‍ती बंदरगाह के माध्यम से अवसर पैदा करेगी और इसे समुद्री क्षेत्र में और अधिक विकसित करने में मदद मिलेगी।”

आयोजन के दौरान, मध्य एशियाई देशों के प्रतिनिधियों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे आईएनएसटीसी के साथ चाबहार लिंक उनके क्षेत्रों में आयात-निर्यात एक्जिम व्यापार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और इसकी क्षमता भूमि से घिरे देशों में विकास को और बढ़ावा दे सकती है। दिन भर चलने वाले कार्यक्रम के दौरान, कई प्रस्तुतियाँ और गवर्नमेंट टू बिजनेस सेशन हुए। प्रस्तुतिकरण और भाषण अध्यक्ष आईपीए, एमडी आईपीजीएल, एफएफएफएआई और संयुक्त सचिव, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिए गए।

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पिछले 20 वर्षों में श्री नरेन्द्र मोदी का शासन मॉडल हर नई चुनौती के साथ मजबूत हुआ है- केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आज यहां कहा कि पिछले 20 वर्षों में श्री नरेन्द्र मोदी का शासन मॉडल हर नई चुनौती के साथ मजबूत हुआ है।

केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू द्वारा आयोजित एक पैनल चर्चा “मोदी @20- ड्रीम्स मीट डिलीवरी” में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधन देते हुए, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, “मोदी @ 20” के सार और भावना को समझने के लिए, इस पुस्तक को इसकी संपूर्णता और इसके वास्तविक संदर्भ और परिप्रेक्ष्य में पढ़ा जाना आवश्यक है। डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि श्री नरेन्द्र मोदी एकमात्र भारतीय नेता हैं जिन्होंने पहले मुख्यमंत्री के रूप में और फिर प्रधानमंत्री के रूप में सरकार के मुखिया के रूप में 20 साल पूरे किए हैं, और दुनिया भर में भी यह एक दुर्लभ उपलब्धि हो सकती है। दूसरा, मोदी संसद सदस्य रहे बिना सीधे प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करने वाले मुख्यमंत्री के रूप में भी एक दुर्लभ उदाहरण हैं।

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और सबसे बड़ी विशेषता यह है कि 2002 में श्री मोदी के मुख्यमंत्री बनने से पहले, उन्होंने कभी भी सरकार या प्रशासन में कोई पद नहीं संभाला था। न तो स्थानीय स्तर पर या राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर कोई चुनाव लड़ा था। वे ज्यादातर संगठनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रहे।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमें अध्ययन और विश्लेषण करने की आवश्यकता है कि आखिर वे कौन से आवश्यक कारक हैं जिन्होंने मोदी के शासन मॉडल को 20 वर्षों तक बनाए रखा है और यह 20 वर्षों से भी आगे तक कायम है। गौरतलब है कि घटते प्रतिफल के सिद्धांत से प्रभावित होने के बजाय, मोदी के 20 वर्षों के शासन के प्रत्येक गुजरते वर्ष ने बढ़ते प्रतिफल दिए हैं और प्रत्येक नई चुनौती ने इस शासन मॉडल को मजबूत, अधिक प्रभावी और स्थायी रूप से उभरने में सक्षम बनाया है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभालने के तुरंत बाद, उनकी पहली चुनौती भुज में आया विनाशकारी भूकंप थी और सरकार के प्रमुख के रूप में 20 साल पूरे करने के बाद, उनके सामने नवीनतम चुनौती देश भर में 140 करोड़ लोगों के बीच फैली कोविड महामारी थी। इन चुनौतियों को सफलतापूर्वक कैसे दूर किया गया और आपदा को कैसे अवसर में बदल दिया गया, इसका एक शोध अध्ययन मोदी के अनूठे और विशिष्ट कार्य शैली को भी सामने लाएगा। यह शैली उनकी हर विषय में गहराई तक जाने की निर्विवाद खोज और उन अधिकारियों को नए आइडियाज देने में सक्षम बनाती है जो उन्हें प्रशासनिक मुद्दों पर ब्रीफिंग के लिए आते हैं। लंबे समय तक इस बात पर मंथन और आत्मनिरीक्षण कि नए आइडियाज कैसे लाए जाएं और उन्हें जमीन पर कैसे उतारा जाए, उन्हें यह आश्वस्त करने में सक्षम बनाता है कि “ड्रीम्स मीट डिलीवरी”, जैसा कि पुस्तक का शीर्षक भी दर्शाता है।

 

“मोदी @ 20 …” पुस्तक में शामिल कई चैप्टर्स में से, डॉ जितेंद्र सिंह ने अमित शाह द्वारा “डेमोक्रेसी, डिलीवरी एंड पॉलिटिक्स ऑफ होप” नामक अध्याय का उल्लेख किया जो देश के निराशावाद को आशावाद में बदल देता है और सुधा मूर्ति का चैप्टर जो मोदी के नेतृत्व में आकांक्षी भारत के जागरण को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि लता मंगेशकर का अध्याय मोदी द्वारा व्यग्तिगत तौर पर छाप छोड़ने की उनकी क्षमता पर प्रकाश डालता है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक ओर जहां मोदी ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) जैसी योजनाओं के माध्यम से लास्ट माइल डिस्ट्रिब्यूशन के लिए प्रौद्योगिकी का बेहतरीन उपयोग किया, वहीं उनका शासन अधिक से अधिक प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित है, जिसने न केवल लोगों के जीवन को आसान बनाने में मदद की बल्कि आम आदमी के लिए सिंगल पोर्टल, सिंगल फॉर्म जैसे उपायों और “मिशन कर्मयोगी” जैसी नवीन अवधारणाओं के माध्यम से सिविल सेवकों द्वारा सर्विसेंज के उद्देश्यपूर्ण वितरण को भी सक्षम बनाया है।

मोदी ने 15 अगस्त 2015 को लाल किले की प्राचीर से अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में भारत को एक भविष्यवादी दृष्टिकोण दिया और “स्टार्टअप इंडिया-स्टैंडअप इंडिया” के बारे में बात की। यह तक था जब इस देश में स्टार्टअप अवधारणा लगभग निराशाजनक थी। आज भारत स्टार्टअप इकोसिस्टम में दुनिया में तीसरे स्थान पर है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी अमृत महोत्सव के बारे में जो जोर देकर कहते हैं, उसका एक अर्थ यह भी है कि वह अगले 25 वर्षों में भारत की उभरती भूमिका को देखते हैं और उनका शासन मॉडल वैश्विक क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिए राष्ट्र की क्षमता का निर्माण करना चाहता है।

कार्यक्रम के अन्य पैनलिस्टों में पूर्व राजदूत और विद्वान जी. पार्थसारथी, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत के कार्यकारी निदेशक, सुरजीत एस. भल्ला शामिल थे, जबकि कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू, प्रोफेसर संजीव जैन द्वारा किया गया था।

पैनल चर्चा के दौरान, प्रो. प्रदीप श्रीवास्तव ने ईडी, जम्मू-कश्मीर के लिए तिफाक मित्र (प्रौद्योगिकी सूचना पूर्वानुमान और आकलन परिषद) और ‘गाँव का विकास, प्रौद्योगिकी के साथ’ विषय पर प्रस्तुति दी। प्रस्तुति देते हुए, प्रो. श्रीवास्तव ने श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। इनमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी और ईएस मंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह द्वारा राष्ट्र को समर्पित तिफाक टेली डिजिटल हेल्थ पायलट प्रोग्राम की शुरुआत, जो देश के क्षेत्रों में दूरस्थ लोगों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा देखभाल प्रदान करता है, शामिल है। इस कार्यक्रम के तहत प्रमुख गतिविधियों में पहनने योग्य उपकरणों के साथ रोगियों की जांच, ई-संजीवनी क्लाउड के माध्यम से स्वास्थ्य डेटा रिकॉर्ड को विश्लेषण के लिए डॉक्टरों के एक पूल में स्थानांतरित करना शामिल है।

पुस्तक के प्रमुख लेखकों में श्री अजीत डोभाल, चौ अरविंद पनगढ़िया, श्री नृपेंद्र मिश्रा, श्री नंदन नीलेकणी व अन्य शामिल हैं।

‘मोदी @20- ड्रीम्स मीट डिलीवरी’ पुस्तक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के उदय के बारे में है जो भारतीय राजनीति में एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में देखे जाते हैं। यह पुस्तक देश पर उनके प्रभाव के परिमाण पर चर्चा करती है कि भारत के शासन प्रतिमान और राजनीतिक इतिहास को आसानी से दो अलग-अलग युगों ‘मोदी से पहले और मोदी के बाद’ में विभाजित किया जा सकता है।

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बाड़मेर के निकट भारतीय वायुसेना का मिग-21 क्रैश

भारतीय वायुसेना का एक ट्विन सीटर मिग-21 ट्रेनर विमान आज शाम राजस्थान के उतरलाई हवाई अड्डे से प्रशिक्षण के लिए उड़ान के लिए रवाना हुआ। रात करीब 9 बजकर 10 मिनट पर बाड़मेर के निकट विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दोनों पायलटों को घातक चोटें आईं।

भारतीय वायुसेना इन जानों के नुकसान पर हार्दिक संवेदना व्यक्त करती है और शोक संतप्त परिवारों के साथ दृढ़तापूर्वक जुड़ी है।

दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं।

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