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राजनीति

मोदी ने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री संग की द्विपक्षीय ऑनलाइन समिट, कोरोना, निवेश और व्यापार पर हुई बात

Excellency, नमस्कार!

सबसे पहले मैं अपनी ओर से और पूरे भारत की ओर से ऑस्ट्रेलिया में COVID-19 से प्रभावित सभी लोगों और परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना प्रकट करना चाहूँगा। इस वैश्विक महामारी ने विश्व में हर प्रकार की व्यवस्था को प्रभावित किया है। और हमारे summit का यह डिजिटल स्वरूप इसी प्रकार के प्रभावों का एक उदाहरण है।

Excellency, आपसे इस डिजिटल माध्यम से मिलकर मुझे ख़ुशी तो है ही, लेकिन थोड़ी निराशा भी है, क्योंकि हमें भारत में आपका गर्मजोशी से स्वागत करने का अवसर नहीं मिल पाया। पहले जनवरी में और फिर पिछले महीने हम आपकी भारत यात्रा का की प्रतीक्षा कर रहे थे, लेकिन दुर्भाग्यवश दोनों ही बार यात्रा स्थगित करनी पड़ी। हमारी आज की मुलाक़ात आपकी भारत यात्रा का स्थान नहीं ले सकती। एक मित्र के नाते, मेरा आपसे आग्रह है कि स्थिति सुधरने के बाद आप शीघ्र सपरिवार भारत यात्रा प्लान करें और हमारा आतिथ्य स्वीकार करें।

Excellency, भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध विस्तृत होने के साथ-साथ गहरे भी हैं। और यह गहराई आती है हमारे shared values, shared interests, shared geography और shared objectives से। पिछले कुछ वर्षों में हमारे सहयोग और तालमेल में अच्छी गति आई हैं। यह सौभाग्य की बात है कि हमारे संबंधों की बागडोर का एक छोर आप जैसे सशक्त और visionary लीडर के हाथ में हैं। मेरा मानना है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के संबंधों को और सशक्त करने के लिए यह perfect समय है, perfect मौक़ा है।

अपनी दोस्ती को और मज़बूत बनाने के लिए हमारे पास असीम संभावनाएँ हैं। ये संभावनाएँ अपने साथ challenges भी लाती हैं। Challenges कि किस तरह इस potential को वास्तविकता में translate किया जाए, ताकि दोनों देशों के नागरिकों, businesses, academics, researchers, इत्यादि के बीच links और मज़बूत बने। कैसे हमारे संबंध अपने क्षेत्र के लिए और विश्व के लिए एक factor of stability बनें, कैसे हम मिल कर global good के लिए कार्य करें, इन सभी पहलुओं पर विचार की आवश्यकता है।

Excellency, समकालीन विश्व में देशों की एक दूसरे से अपेक्षाएँ, और हमारे नागरिकों की हमसे अपेक्षाएँ बढ़ गई हैं। Democratic values को share करने के नाते, हम दोनों देशों का कर्तव्य है कि इन अपेक्षाओं पर खरे उतरें।इसलिए, वैश्विक कल्याण के मूल्य, जैसे लोकतंत्र, Rule of Law, Freedom, Mutual Respect, International Institutions का सम्मान, और पारदर्शिता आदि को uphold करना, और protect करना हमारी sacred responsibility है। यह एक प्रकार से भविष्य के लिए हमारी धरोहर है।आज जब अलग-अलग प्रकार से इन values को challenge किया जा रहा है, तो हम आपसी सम्बन्धों को मजबूत कर के इन्हें सशक्त कर सकते हैं।

Excellency, भारत ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने सम्बन्धों को व्यापक तौर पर और तेज़ गति से बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह न सिर्फ़ हमारे दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि Indo-Pacific क्षेत्र और विश्व के लिए भी आवश्यक है। मुझे प्रसन्नता है कि हमारे विभिन्न institutional dialogues हमारे संबंधों को और substance प्रदान कर रहें हैं। दोनों देशों के बीच निरंतर उच्च-स्तरीय exchanges भी हो रहें हैं। व्यापार और निवेश भी बढ़ रहा है। लेकिन मैं यह नहीं कहूँगा कि मैं इस गति से, इस विस्तार से संतुष्ट हूँ। जब आप जैसा लीडर हमारे मित्र देश का नेतृत्व कर रहा हो, तो हमारे संबंधों में विकास की गति का मापदंड भी ambitious होना चाहिए। मुझे बहुत प्रसन्नता है कि आज हम अपने द्विपक्षीय संबंधों को Comprehensive Strategic Partnership के रूप में upgrade कर रहे हैं।

वैश्विक महामारी के इस काल में हमारी Comprehensive Strategic Partnership की भूमिका और महत्वपूर्ण रहेगी। विश्व को इस महामारी के आर्थिक और सामाजिक दुष्प्रभावों से जल्दी निकलने के लिए एक coordinated और collaborative approach की आवश्यकता है।

हमारी सरकार ने इस Crisis को एक Opportunity की तरह देखने का निर्णय लिया है। भारत में लगभग सभी क्षेत्रों में व्यापक reforms की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। बहुत जल्द ही ग्राउंड लेवल पर इसके परिणाम देखने को मिलेंगे। इस कठिन समय में आपने ऑस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय का, और ख़ास तौर पर भारतीय छात्रों का, जिस तरह ध्यान रखा है, उसके लिए मैं विशेष रूप से आभारी हूँ।

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कोविड-19 में शहीद हुए पत्रकार स्व. पंकज कुलश्रेष्ठ को नेशनल मीडिया क्लब ने पत्रकारिता दिवस पर दी श्रद्धांजलि एवं ₹ 1 लाख की आर्थिक सहायता

कोरोना महामारी के इस काल में आगरा में कार्यरत वरिष्ठ पत्रकार पंकज कुलश्रेष्ठ जी की दुःखद मौत के बाद आज नेशनल मीडिया क्लब द्वारा webinar के माध्यम से किए गए श्रद्धांजलि कार्यक्रम में हजारों पत्रकार जुड़े और सभी पत्रकारों के द्वारा दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दी गई।

इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित जी ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की, इस मौके पर नेशनल मीडिया क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष सचिन अवस्थी जी ने स्व०पंकज कुलश्रेष्ठ जी के आवास पहुंचकर उनके परिजनों को 1 लाख रुपए की आर्थिक मदद करते हुए विधानसभा अध्यक्ष श्री दीक्षित जी के माध्यम से सरकार से भी मदद की गुहार लगाई है।

इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि स्वाधीनता का इतिहास में पत्रकारों के उत्पीडन की तमाम मिसालें हैं। हम आधुनिक काल के पत्रकार उस कालखंड के पत्रकारों के ऋणी हैं। आजादी के दौरान डॉ०अम्बेडकर लोकनायक निकालते थे, पं दीनदयाल उपाध्याय, डा लोहिया भी लिख रहे थे।

साथ ही श्री दीक्षित ने कहा कि आधुनिक भारत में पत्रकारिता काफ़ी कठिन हो गयी है, आज के दौर में कई चुनौतियां भी हैं। कोरोना महामारी के दौरान अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुये पंकज कुलश्रेष्ठ का निधन हो गया है । इस शोक की घडी में हम सब उनके साथ आत्मसात करते है।
कुछ लोग ऐसे ही आते है ऐसे ही चले जाते है , लेकिन कुछ लोग ऐसा कर जाते है कि लोग उन्हे याद करते है ।
मैं दिवंगत पंकज के परिजनों का हाथ जोडकर प्रणाम करते है। हम आपके साथ हैं, उन्होंने कर्तव्यपालन कर लिया है, उन्हें सम्मानित किया जा रहा है हम आपके साथ हैं।

इस मौके पर नेशनल मीडिया क्लब के संस्थापक श्री रमेश अवस्थी जी ने पत्रकार पंकज कुलश्रेष्ठ को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने लगभग एक दशक तक आगरा में पत्रकारिता की है और वह व्यक्तिगत रूप से पंकज कुलश्रेष्ठ को जानते हैं, निश्चित ही अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए पंकज ने जिस तरीके से अपनी जान गवाँई है, उससे पत्रकार साथियों में गम का माहौल है, नेशनल मीडिया क्लब भी उनके इस गम में शरीक है।

इस अवसर पर उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि इस कोरोनाकाल में कार्यरत देश के सभी राज्यों के जिले, तहसील व ग्रामीण स्तर के पत्रकारों को चिन्हित करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाएगा, एआने वाले समय में दिल्ली में आयोजित किए जाने वाले इस कार्यक्रम में सम्मानित होने वाले पत्रकारों के आने-जाने व रहने-खाने का खर्चा भी नेशनल मीडिया क्लब उठाएगा।

गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश के पत्रकारों की पहली रीजनल कॉन्फ्रेंस और पहला नेशनल मीडिया रत्न समारोह का आयोजन भी नेशनल मीडिया क्लब ने ही पहली बार किया था। नेशनल मीडिया क्लब के क्रियाकलापों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि “सोंच भारत की” भावना के तहत नेशनल मीडिया क्लब काम कर रहा है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए “स्वच्छ भारत मिशन” में नेशनल मीडिया क्लब ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक कराने के लिए हरिद्वार से वाराणसी तक की पाँच दिवसीय स्वच्छता ज़न जागरण यात्रा को आयोजित करने के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी पत्र लिखकर बधाई भी दी।

पत्रकार साथी पंकज के परिजनों को नेशनल मीडिया क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष सचिन अवस्थी ने आगरा में स्व0 पंकज कुलश्रेष्ठ के घर पर जाकर उनके परिजनों को एक लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी,और अपनी शोक संवेदनाएं व्यक्त की। श्री अवस्थी ने उत्तरप्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ से भी आग्रह किया है कि दुःख की इस घड़ी में स्वर्गीय पंकज कुलश्रेष्ठ के परिजनों को राज्य सरकार भी आर्थिक मदद मुहैया कराए।।

नेशनल मीडिया क्लब द्वारा आयोजित इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में एक तरफ जहाँ देश के हजारों पत्रकार साथियों ने वेबिनार के माध्यम से पंकज कुलश्रेष्ठ को श्रद्धांजलि अर्पित की तो वहीं फेसबुक और सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म के जरिये लाखों लोग भी जुड़े।।

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कई मंजिलें हासिल की, कई बाकी, सरकार की सालगिरह पर बोले भाजपा अध्यक्ष,

सरकार की सालगिरह पर बोले BJP अध्यक्ष, कई मंजिलें हासिल की, कई बाकी हैं
जेपी नड्डा ने कहा कि स्वदेशी और स्वावलंबन के मंत्र को लेकर हम आज आगे बढ़ रहे हैं। 1.70 लाख करोड़ का प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज दिया गया। उसके माध्यम से 80 करोड़ लोगों के राशन की व्यवस्था की गई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार का केंद्र में दूसरे कार्यकाल को शनिवार को एक साल पूरे हो गए। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सरकार की सालगिरह पर मोदी सरकार की उपलब्धियों का ब्यौरा देश के सामने रखा। जेपी नड्डा ने कहा कि अन्य देशों के मुकाबले भारत ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना के खिलाफ लड़ाई इस तरह लड़ी जिसमें भारत की स्थिति संभली हुई है। लॉकडाउन के समय भारत की कोरोना टेस्ट की क्षमता सिर्फ 10,000 टेस्ट प्रतिदिन थी और आज ये क्षमता 1.60 लाख टेस्ट प्रतिदिन है। आज देश में करीब 4.50 लाख पीपीई किट्स प्रतिदिन देश में बन रहे हैं। करीब 58,000 वेंटिलेटर्स देश में बन रहे हैं। नड्डा ने कहा की पीएम मोदी के संदेश को जन-जन तक पहुंचाएंगे। भारत ने इस संकट में खुद को संभाला है और प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम आत्मनिर्भर भारत की ओर आगे बढ़ रहे हैं। जेपी नड्डा ने कहा कि स्वदेशी और स्वावलंबन के मंत्र को लेकर हम आज आगे बढ़ रहे हैं। 1.70 लाख करोड़ का प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज दिया गया। उसके माध्यम से 80 करोड़ लोगों के राशन की व्यवस्था की गई। 20 करोड़ महिलाओं के जनधन खातों में 500 रुपये की मदद, बुजुर्गों और दिव्यांगों को आर्थिक सहायता और मनरेगा मजदूरी में वृद्धि की गई। 20 लाख करोड़ रुपये का आत्मनिर्भर भारत पैकेज दिया गया। इस पैकेज के माध्यम से ये प्रयास हुआ है कि कैसे हर सेक्टर आत्मनिर्भर बनाकर मुख्यधारा में खड़ा किया जाए और कैसे उन्हें रियायतें दी जाएं।

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विधायक से याराना निभाना पुलिस को पड़ा भारी,

चौकी इंचार्ज निलंबित क्षेत्राधिकारी समेत थाना प्रभारी निरीक्षको से मांग गया जवाब

सपा विधायक इरफान सोलंकी और उनके भाई पर दर्ज हुआ मुकदमा, रेड जोन में विधायक के आने की खबर से इकट्ठा हुए थी भीड़, थाना चमनगंज क्षेत्र में हॉटस्पॉट एरिया, रेड जोन मे इक्कठा हुई भीड़,

विधायक इरफान सोलंकी उनके भाई फरहांन लहरी, पूर्व पार्षद के घर के सामने आए, लॉक डाउन एवं सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का हुआ उल्लंघन, लॉक डाउन एवं धारा 144 सीआरपीसी लागू होने व कोविड-19 की शर्तों का हुआ उल्लंघन।

महामारी फैलने की आशंका

पुलिस की लापरवाही पुलिस की छवि धूमिल होने के कारण थाना चमनगंज के चौकी प्रभारी तकिया पार्क उ0नि0 सुरेंद्र नारायण शुक्ला को निलंबित किया गया। क्षेत्राधिकारी सीसामऊ त्रिपुरारी पांडे, प्रभारी निरीक्षक चमनगंज राजबहादुर सिंह व प्रभारी निरीक्षक बजरिया राममूर्ति का स्पष्टीकरण लिया गया है… धारा 144 का उल्लंघन मे सपा विधायक इरफान सोलंकी उनके भाई व फरहान लारी व अन्य अज्ञात के विरुद्ध धारा-188,269,270 भादवि व महामारी अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत “FIR” दर्ज हुई…

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तेजस एफओसी विमान भारतीय वायुसेना को सौंपा गया

तेजस एफओसी विमान भारतीय वायुसेना को सौंपा गया

भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने बुधवार को वायु सेना स्टेशन सुलूर में तेजस एमके-1 एफओसी विमान को हाल ही में पुनर्जीवित किए गए नंबर 18 स्‍क्‍वैड्रन, जो कि  “फ्लाइंग बुलेट” के नाम से जाना जाता है, में शामिल किया। यह भारतीय वायु सेना की परिचालन क्षमता को बढ़ाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। इस तरह के विमान को शामिल करने वाला भारतीय वायुसेना का यह पहला स्क्वैड्रन है। यह देश के स्वदेशी लड़ाकू विमान कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी है और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को भी बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। तेजस एमके-1 एफओसी एक एकल इंजन, हल्के वजन, बेहद चुस्त, सभी मौसम में बहु-भूमिका निभाने वाला लड़ाकू विमान है। हवा से हवा में ईंधन भरने में इसकी सक्षमता इसे वाकई एक बहुमुखी प्लेटफॉर्म बनाती है।

इस स्क्वैड्रन का संचालन वायुसेना प्रमुख (सीएएस), एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने किया। इस समारोह के दौरान, दक्षिणी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन-चीफ, एयर मार्शल अमित तिवारी और 18 स्‍क्‍वैड्रन के कमोडोर कमांडेंट, एयर मार्शल टीडी जोसेफ, श्री आर माधवन, एचएएल के सीएमडी और  डॉं. गिरीश एस देवधर, पीजीडी (सीए) और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के निदेशक भी मौजूद थे। वायु सेना स्टेशन, सुलूर में कर्मियों को संबोधित करते हुए, वायुसेना प्रमुख ने उन्हें बधाई दी और दक्षिणी वायु कमान और वायु सेना स्टेशन, सुलूर द्वारा नए हवाई प्लेटफॉर्म को शामिल करने की दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए, एलसीए के उत्पादन में शामिल चेयरमैन, एचएएल, एडीए, डीआरडीओ प्रयोगशाला, डीपीएसयू, एमएसएमई और सभी एजेंसियों की सराहना की।

इस अवसर पर, एचएएल के सीएमडी द्वारा वायुसेना प्रमुख को तेजस एफओसी संस्करण के विमान दस्तावेज प्रस्तुत किया जाना उल्लेखनीय रहा। जिसके बाद, वायुसेना प्रमुख ने यूनिट के लिए औपचारिक चाबियों के साथ इन विमानों को 18 स्‍क्‍वैड्रन के कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन मनीष तोलानी को सुपुर्द किया। इस कार्यक्रम की शुरुआत, एक विमान-परेड के साथ हुई, जिसमें एमआई 17 वी 5 का निर्माण और एएलएच, एएन-32 परिवहन विमान और तेजस एमके-1 लड़ाकू विमान भी शामिल हुए।

18 स्‍क्‍वैड्रन का गठन, 15 अप्रैल 1965 को अंबाला में फोलैंड जीनेट एयरक्राफ्ट के साथ किया गया था। भारतीय वायु सेना के एकमात्र परमवीर चक्र विजेता, फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों, 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान इस स्‍क्‍वैड्रन का हिस्सा थे। इस स्‍क्‍वैड्रन को एचएएल निर्मित दो एयरक्राफ्ट, तेजस और अजीत का संचालन करने का भी अनूठा गौरव प्राप्त है, जिसका उसने एक ही स्टेशन से संचालन किया था। इन वर्षों में, इसने देश भर के विभिन्न एयरबेसों से मिग-27 एमएल विमानों का भी संचालन किया है। इस स्‍क्‍वैड्रन को अप्रैल 2016 में नंबर प्लेटेड किया गया था। यह स्‍क्‍वैड्रन, दक्षिणी वायु कमान के परिचालन नियंत्रण में आता है, जो कि इस स्‍क्‍वैड्रन को भारतीय वायु सेना के परिचालन की अवधारणा में एकीकृत करने के लिए उत्तरदायी है।

अधिष्ठापन समारोह से पहले, वायु सेना प्रमुख (सीएएस), एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया, पीवीएसएम एवीएसएम वीएम एडीसी ने 45 स्क्वाड्रन के साथ तेजस एमके-1 लड़ाकू विमान में उड़ान भरी।

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प्रवासी श्रमिकों की सुव्यवस्थित आवाजाही हेतु कई और ट्रेनें चलाने के लिए राज्यों एवं रेलवे के बीच सक्रिय समन्वय आवश्यक

केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने राज्‍यों को भेजे पत्र में यह बात रेखांकित की है कि मुख्‍यत: कोविड-19 के संक्रमण के भय और आजीविका छिनने की आशंका की वजह से ही विभिन्‍न स्‍थानों पर फंसे श्रमिक अपने-अपने घरों की ओर अग्रसर होने के लिए व्‍याकुल हैं। प्रवासी श्रमिकों की कठिनाइयों को कम करने के लिए इस पत्र में उन उपायों या कदमों पर विशेष जोर दिया गया है जिन्‍हें राज्य सरकारों को केंद्र के साथ सक्रियतापूर्वक समन्वय कर उठाना चाहिए। ये कदम निम्‍नलिखित हैं:

  • राज्यों एवं रेल मंत्रालय के बीच सक्रिय समन्वय सुनिश्चित कर कई और स्‍पेशल ट्रेनें चलाएं;
  • प्रवासियों की आवाजाही के लिए अधिक बसें चलाएं; प्रवासियों को ले जाने वाली बसों को अंतर-राज्य सीमा पर प्रवेश की अनुमति दें;
  • ट्रेनों/बसों के प्रस्थान के बारे में और भी अधिक स्पष्टता सुनिश्चित करें, क्योंकि अफवाहों और अस्पष्टता के कारण श्रमिकों का मन अशांत हो जाता है;  
  • स्वच्छता, भोजन और स्वास्थ्य सुविधाओं के पर्याप्त इंतजाम के साथ निर्दिष्ट विश्राम स्थलों की व्यवस्था उन मार्गों पर राज्यों द्वारा की जा सकती है जहां प्रवासियों के पैदल यात्रा करने की सूचना है;
  • जिला अधिकारी परिवहन की व्यवस्था करके पैदल चल रहे श्रमिकों का मार्गदर्शन कर उन्‍हें निर्दिष्ट स्थानों, पास के बस टर्मिनलों या रेलवे स्टेशनों पर ले जा सकते हैं;  
  • प्रवासी श्रमिकों के बीच महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की विशिष्ट आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है; 
  • विश्राम स्थलों पर दीर्घकालिक क्‍वारंटाइन की आशंका को दूर करने के लिए जिला प्राधिकरण विश्राम स्थलों, इत्‍यादि पर गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रतिनिधियों की सेवाएं ले सकते हैं। श्रमिकों को उन्‍हीं स्थानों पर बने रहने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा सकता है जहां अभी वे हैं;
  • प्रवासियों के पते और संपर्क नंबर एक सूची में नोट किए जा सकते हैं। यह उचित समय पर उनके संपर्क में आए लोगों का पता लगाने में सहायक हो सकता है।

इस पत्र में यह बात दोहराई गई है कि जिला अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी प्रवासी श्रमिक को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए विवश होकर सड़कों या रेलवे पटरियों पर चलने की जरूरत ही न पड़े। वे आवश्यकतानुसार रेलगाड़ियों को चलाने के लिए रेल मंत्रालय से अनुरोध कर सकते हैं।

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उत्तर प्रदेश में कड़क कानून को मिली मंजूरी, उपद्रव के आरोपियों की मौत के बाद घर वालों से होगी वसूली

UP में इस कड़क कानून को मिली मंजूरी, उपद्रव के आरोपियों की मौत के बाद घर वालों से होगी वसूली

राज्य सरकार ने क्षति वसूली अध्यादेश के तहत ऐसी व्यवस्था कर दी है कि सरकारी-निजी संपत्ति को नुकसान वाले की मुकदमे के दौरान अगर मौत भी हो जाती है तो वसूली उसके घर वालों से की जाएगी। नियमावली के मुताबिक कार्यवाही के दौरान किसी भी पक्षकार की अगर मौत हो जाती है तो वसूली का मुकदमा खत्म नहीं होगा। नागरिकता संशोधन कानून की आड़ में बीते दिनों पूरे उत्तर प्रदेश को उपद्रव की आग में झोंकने वालों और दंगा-आगजनी की साजिश को पर्दे के पीछे से अंजाम देने वाली देश विरोधी ताकतों के खिलाफ प्रदेश के कप्तान योगी आदित्यनाथ ने मोर्चा खोल दिया है। उत्तर प्रदेश में दंगाइयों द्वारा सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों से क्षतिपूर्ति वसूली के लिए नियमावली को मंजूरी दे दी है। कोरोना काल में यहां एक तरफ सीएम योगी स्वास्थकर्मी और अन्य कोरोना योद्धाओं के साथ सलीके से पेश आने की हिदायत देते नजर आ रहे हैं वहीं शांति भंग करने वालों के खिलाफ एक्शन मोड में भी नजर आ रही हैं। उत्तर प्रदेश में अब प्रदर्शन और बंद के दौरान उपद्रव कर सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना उनके जीवन की सबसे बड़ी भूल साबित होगा।

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खबरें कानपुर से

खबरें कानपुर से

कानपुर में कोरोना के दो और मरीज बढ़े

बगाही निवासी व्यक्ति ने पैथकाइंड से कराई थी जांच।

दूसरे की केजीएमयू से आई पॉजिटिव रिपोर्ट।

दोनों को कोविड-19 अस्पताल में किया जा रहा है शिफ्ट ।

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कानपुर में करोना का कहर लगातार बढ़ाता जा रहा है ।

स्वास्थ विभाग ने हॉटस्पॉट एरियो में युद्ध स्तर पर जारी की टेस्टिंग ।

करोना पाजिटिव मरीजों की संपर्क इतिहास के आधार पर लोगों का कर रहे हैं चेकअप

कोरोना हॉटस्पॉट क्षेत्र में संक्रमित मरीजों को ढूंढ कर और लोगों को सुरक्षित करने का है प्रयास ।

कानपुर के बादशाही नाका थाना क्षेत्र अंतर्गत धनकुट्टी के मसाला वाली गली में कोरोना पोसिटिव मिलने के वाद पुलिस की मौजूदगी में चल रही सैंपलिंग
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वेब कांफ्रेंस के जरिए फसलों के उत्पादन, प्रबंधन और बाजारों में सप्लाई को लेकर हुआ मंथन।
देशभर के कृषि वैज्ञानिकों और मंत्रियों ने लिया कांफ्रेंस में हिस्सा।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने की वेब कांफ्रेंस की शुरुआत।
लाक डाउन के चलते सीएसए में वेब कांफ्रेंस के जरिए हुई मीटिंग।
सीएसए के कुलपति समेत कई वैज्ञानिकों ने रखे अपने विचार।
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योग करके समय बिता रही है c + बच्ची ।

कॅरोना मरीज़ों में प्रेरणा का स्त्रोत बनी 3 वर्षीय बच्ची ।

4 दिन पहले एडमिट हुई है कांशीराम हॉस्पिटल में।

सिपाही पिता भी भर्ती है बगल में।

दो दिन पहले इसी बच्ची का हॉस्पिटल में डांस करते हुए वीडियो हुआ था वायरल।

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भारत का अनुसंधान और विकास तथा वैज्ञानिक प्रकाशनों पर व्यय बढ़ा

अनुसंधान और विकास में भारत का सकल व्यय 2008 से 2018 के बीच बढ़कर तीन गुना हो गया है जो मुख्य रूप से सरकार द्वारा संचालित है और वैज्ञानिक प्रकाशनों ने देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष स्थानों में ला दिया है। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत आने वाले राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रबंधन सूचना (एनएसटीएमआईएस) द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी सर्वेक्षण 2018 पर आधारित अनुसंधान और विकास सांख्यिकी तथा संकेतक 2019-20 के अनुसार है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा, “राष्ट्र के लिए अनुसंधान और विकास संकेतकों पर रिपोर्ट उच्च शिक्षा, अनुसंधान और विकास गतिविधियों और  समर्थन, बौद्धिक संपदा और औद्योगिक प्रतिस्पर्धा में प्रमाण-आधारित नीति निर्धारण और नियोजन के लिए असाधारण रूप से महत्वपूर्ण दस्तावेज है। जबकि अनुसंधान और विकास के बुनियादी संकेतकों में पर्याप्त प्रगति देखना खुशी की बात है, जिसके तहत वैज्ञानिक प्रकाशनों में वैश्विक स्तर पर नेतृत्व शामिल है। कुछ ऐसे भी और क्षेत्र हैं जिन्हें मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता है।”

एनएसएफ डेटाबेस (आधारभूत आंकड़े) के अनुसार, रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रकाशन में वृद्धि के साथ, देश विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है तथा साथ ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी के पी.एचडी. में भी तीसरे नंबर पर आ गया है। 2000 के बाद प्रति मिलियन आबादी पर शोधकर्ताओं की संख्या दोगुनी हो गई है।

यह रिपोर्ट तालिका और ग्राफ़ के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी संकेतकों के विभिन्न इनपुट-आउटपुट के आधार पर देश के अनुसंधान और विकास परिदृश्य को दिखाता है। ये सरकारी और निजी क्षेत्र द्वारा राष्ट्रीय अनुसंधान और विकास में निवेश, अनुसंधान और विकास के निवेशों से संबंधित है; अर्थव्यवस्था के साथ अनुसंधान और विकास का संबंध (जीडीपी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नामांकन, अनुसंधान और विकास में लगा मानव श्रम, विज्ञान और प्रौद्योगिकी कर्मियों की संख्या, कागजात प्रकाशित, पेटेंट और उनकी अंतरराष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी तुलनाओं से जुड़ा हुआ है।

इस सर्वेक्षण में देशभर में फैले केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, उच्च शिक्षा, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग और निजी क्षेत्र के उद्योग से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों के 6800 से अधिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थाओं को शामिल किया गया और 90 प्रतिशत से अधिक प्रतिक्रिया दर प्राप्त कर लिया गया था।

रिपोर्ट के कुछ मुख्य निष्कर्ष निम्नलिखित हैं:

अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) में भारत का सकल व्यय वर्ष 2008 से 2018 के दौरान बढ़कर तीन गुना हो गया है

  • देश में अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) (जीईआरडी) पर सकल व्यय पिछले कुछ वर्षों से  लगातार बढ़ रहा है और यह वित्तीय वर्ष 2007-08 के 39,437.77 करोड़ रूपए से करीब तीन गुना बढ़कर वित्तीय वर्ष 2017-18 में 1,13,825.03 करोड़ रूपए हो गया है।
  • भारत का प्रति व्यक्ति अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) व्यय वित्तीय वर्ष 2017-18 में बढ़कर 47.2 डॉलर हो गया है जबकि यह वित्तीय वर्ष 2007-08 में 29.2 डॉलर पीपीपी ही था।
  • वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.7 प्रतिशत ही अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) पर व्यय किया, जबकि अन्य विकासशील ब्रिक्स देशों में शामिल ब्राजील ने 1.3 प्रतिशत, रूसी संघ ने 1.1 प्रतिशत, चीन ने 2.1 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका ने 0.8 प्रतिशत किया।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थाओं द्वारा बाहरी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी)का समर्थन काफी बढ़ गया है

  • वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान डीएसटी और डीबीटी जैसे दो प्रमुख विभागों ने देश में कुल बाहरी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) के समर्थन में क्रमश: 63 प्रतिशत और 14 प्रतिशत का योगदान दिया।
  • सरकार द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में लिए गए कई पहल के कारण बाहरी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) परियोजनाओं में महिलाओं की भागीदारी वित्तीय वर्ष 2000-01 के 13 प्रतिशत से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2016-17 में 24 प्रतिशत हो गया।
  • 1 अप्रैल 2018 तक देश में फैले अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) प्रतिष्ठानों में लगभग 5.52 लाख कर्मचारी कार्यरत थे।

वर्ष 2000 से प्रति मिलियन आबादी में शोधकर्ताओं की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है

  • भारत में प्रति मिलियन आबादी पर शोधकर्ताओं की संख्या बढ़कर वर्ष 2017 में 255 हो गया जबकि यही वर्ष 2015 में 218 और 2000 में 110 था।
  • वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान प्रति शोधकर्ता भारत का अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) व्यय 185 (‘000 पीपीपी डॉलर) $) था और यह रूसी संघ, इज़राइल, हंगरी, स्पेन और यूके (ब्रिटेन) से कहीं ज्यादा था।
  • भारत विज्ञान और अभियांत्रिकी (एस एंड ई) में पीएचडी प्राप्त करने वाले देशों में अमेरिका (2016 में 39,710) और चीन (2015 में 34,440) के बाद तीसरे स्थान पर आ गया है।

एनएसएफ डेटाबेस के अनुसार भारत वैज्ञानिक प्रकाशन वाले देशों की सूची में तीसरे स्थान पर आ गया है

  • वर्ष 2018 के दौरान, भारत को वैज्ञानिक प्रकाशन के क्षेत्र में एनएसएफ, एससीओपीयूस और एससीआई डेटाबेस के अनुसार क्रमश: तीसरा, पांचवें और नौवें स्थान पर रखा गया था।
  • वर्ष 2011-2016 के दौरान, एससीओपीयूस और एससीआई डेटाबेस के अनुसार भारत में वैज्ञानिक प्रकाशन की वृद्धि दर क्रमशः 8.4 प्रतिशत और 6.4 प्रतिशत थी, जबकि विश्व का औसत क्रमशः 1.9 प्रतिशत और 3.7 प्रतिशत था।
  • वैश्विक शोध प्रकाशन आउटपुट में भारत की हिस्सेदारी प्रकाशन डेटाबेस में भी दिखाई हे रही है।

विश्व में रेजिडेंट पेटेंट फाइलिंग गतिविधि के मामले में भारत 9 वें स्थान पर है

  • वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान भारत में कुल 47,854 पेटेंट दर्ज किए गए थे। जिसमें से, 15,550 (32 प्रतिशत) पेटेंट भारतीय द्वारा दायर किए गए थे।
  • भारत में दायर किए गए पेटेंट आवेदनों में मैकेनिकल (यांत्रिकी), केमिकल (रसायनिक), कंप्यूटर / इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन (संचार) जैसे विषयों का वर्चस्व रहा।
  • डब्ल्यूआईपीओ के अनुसार, भारत का पेटेंट कार्यालय विश्व के शीर्ष 10 पेटेंट दाखिल करने वाले कार्यालयों में 7 वें स्थान पर है

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संपादक की कलम से:- कोरोना वारियर्स पे हमले कहीँ साजिश तो नहीँ

साजिश तो नहीं प्राण बचाने वालों पर ही प्राणघातक हमले। पूरे भारत में जिस तरह कोरोना फाइटर्स के ऊपर कुछ लोग गोलियों, तेजाब की बोतलों,ईंट- पत्थरों, लाठी-डंडों से जानलेवा हमला कर रहे हैं, बिना वस्त्र के सामने आ रहे हैं, अन्नपूर्णा का अपमान कर रहे हैं, कहीं यह कोई बड़ी साजिश का हिस्सा तो नहीं। यह लोग ऐसी स्थितियां पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना फाइटर्स अपना आपा खो कर इनके प्रश्न का उत्तर उस भाषा में दें जिसमें यह चाहते हैं। या फिर यह चंद लोग यह चाहते हो कि यह लोग धैर्य खोकर इनकी मदद करना बंद कर दें, जिससे यह राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जाकर यह कह सकें देखो हम लोगों के साथ अत्याचार हो रहा है। हमारे साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। कोरोना जैसी महामारी के दौरान भारतीय हमारा इलाज भी ठीक ढंग से नहीं कर रहे हैं। इलाज की बात करने पर हमारे साथ यहां अत्याचार होता है। टेलीविजन चैनलों पर डिबेट में जिस तरह की भाषा का यह उपयोग कर रहे हैं उससे इनके दो मकसद पूरे होते हैं जो हमें पूरे नहीं होने देने हैं।पहली इनके विचारों को सुनकर कोरोना फाइटर्स ही नहीं आम जनता नाराज होकर कोई ऐसी प्रतिक्रिया व्यक्त करें जिससे देश में स्थितियां बिगड़े दूसरी इनकी ना सुनने वाली बातें को सुनकर भी लोग शांत रहें, जिससे यह अपने लोगों से यह कह सकें इनसे और भी ज्यादा अभद्रता आक्रामकता के साथ पेश आओ। इनमें हिम्मत नहीं कि यह हमारा कुछ बिगाड़ सकें। कहीं ऐसा तो नहीं ऐसा करने के लिए हमारे देश के अंदर ही कुछ लोग अपने राजनैतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए इन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हों। यदि ऐसा हो रहा है तो यह अगर भी दुर्भाग्यपूर्ण है। इन विषम परिस्थितियों में हमारे कोरोना फाइटर्स के साथ-साथ शासन प्रशासन को भी बड़े धैर्य के साथ निर्णय लेते हुए मानसिक, शारीरिक रूप से बीमार लोगों के लिए काम करना है। इनके पर्दे के पीछे के आकाओ के जो मंसूबे हैं उन्हें कतई नहीं पूरे होने देना है। यह जो कर रहे हैं यह इनकी संस्कृति संस्कार हैं हमें अपने संस्कृति, संस्कारों के अनुसार कार्य करना है। मैं मानता हूं जो यह हरकतें कर रहे हैं कतई बर्दाश्त करने योग्य नहीं है, लोगों का आक्रोशित होना स्वाभाविक है।लेकिन फिर भी यह मानते हुए कि यह नादान है, नासमझ है इनके जीवन रक्षा के लिए जो भी संभव है वह हमें कार्य करने हैं। ऐसा करके इनके पर्दे के पीछे जो आका बैठे हैं जो अपने राजनीतिक फायदे के लिए भारत में अस्थिरता फैलाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं उनके विचारों, मंसूबों को हमें पूरा नहीं होने देना है। हां यह जो कोरोना फाइटर्स के साथ लगातार घटनाएं हो रही हैं उसकी गहन जांच होनी चाहिए, कहीं यह राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय साजिश तो नहीं।

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