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केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज मीडिया को ग्रामीण विकास मंत्रालय की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी

केंद्रीय ग्रामीण विकास व कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज मीडिया को ग्रामीण विकास मंत्रालय की उपलब्धियों के बारे में बताया।उन्होंने कहा कि आधी आबादी को पूरा न्याय देना, महिला सशक्तिकरण हमारा सबसे प्राथमिक लक्ष्य है। श्री चौहान ने बताया कि इस साल मंत्रालय का बजट 1 लाख 84 हजार करोड़ था उसमें से 1 लाख 3 हजार करोड़ रूपये खर्च कर चुके हैं। प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करने, ग्रामीण जनता को रोज़गार से जोड़ने और सुविधायें देने के लिए हम दिनरात काम कर रहे हैं। मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए श्री चौहान ने कहा कि किसी भी राज्य में मनरेगा व पीएम आवास योजना में कमियां मिलेंगी तो हम कार्रवाई करेंगे, कार्रवाई के लिए हम प्रतिबद्व हैं। मनरेगा जैसी योजनायें मांग आधारित योजनायें हैं। उसके लिए बजट कम पड़ने पर वित्त मंत्रालय से राज्यों की मांग के आधार पर फिर से पैसा मांगते हैं और वह लगातार रिवाइज़ होता रहता है।

 शिवराज सिंह चौहान द्वारा बताई गई मंत्रालय की उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:

  1. प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण
  • श्री शिवराज सिंह चौहान कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अंर्तगत मार्च 2024 तक 2.95 करोड़ आवासों के निर्माण का लक्ष्य था, जिसमें से लगभग सभी घर स्वीकृत किए जा चुके हैं 2.67 करोड़ घर पूर्ण हो चुके हैं।
  • इस कार्यक्रम की सफलता और ग्रामीण घरों की आवश्यकता को महसूस करते हुए आवास योजना का विस्तार किया गया है और आने वाले अगले 5 वर्षों में 2 करोड़ अतिरिक्त आवासों का निर्माण किया जाएगा.
  • ये 2 करोड़ नए घर अगले पांच साल में 3.06 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से बनाए जाएंगे। कोई भी पात्र परिवार इस योजना के लाभ से वंचित न रहे इसलिए वर्तमान में 13 एक्सक्लूशन क्राइटेरिया को संशोधित कर 10 कर दिया गया है जिससे कोई भी आवास विहीन परिवार छूटने न पाये। एक्सक्लूशन क्राइटेरिया जैसे मशीनीकृत मछली पकड़ने वाली नाव, रेफ्रीजिरेटर, लैंडलाइन फ़ोन को हटा दिया गया है। इसके अलावा एक्सक्लूशन क्राइटेरिया में परिवार के किसी सदस्य की मासिक आय 10,000 से बढाकर रुपये 15,000 कर दी गयी है। मेरी सरकार ने आपके विचारों एवं सभी सहभागियों से परामर्श करके निर्णय लिया कि ग़ैर ज़रूरी शर्तों को हटाया जाये जिससे सभी के लिये आवास के उद्देश्य को सच मायने में साकार किया जा सके। पुरानी एवं नई एक्सक्लूशन क्राइटेरिया संलग्न  है।
  • श्री चौहान ने कहा कि आप इस बात से भी अवगत हैं कि ग्रामीण भारत के उत्थान की दिशा में हमारा लक्ष्य केवल आवास देना ही नहीं बल्कि आवास के साथ मूलभूत सुविधायें भी सुनिश्चित करना है और इसके अंतर्गत लाभार्थियों को MGNREGA के तहत अपने घर बनाने के लिए 90-95 दिनों की मजदूरी का भी लाभ दिया जाता है एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं जैसे स्वच्छ भारत मिशन, उज्ज्वला योजना, और सौभाग्य योजना से समन्वय कर आवासों में शौचालय, रसोई गैस और बिजली की सुविधा सुनिश्चित की जा रही है । साथ प्रधान मंत्री सूर्य घर: मुफ़्त बिजली योजना से समन्वय करके लाभार्थियों को सोलर रूफ टॉप का कनेक्शन देकर उनके बिजली बिल को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। इस योजना के तहत बनने वाला हर घर एक संपूर्ण आवास है… एक सुविधा संपन्न आवास। सच मायने में यही योजना, ग़रीबी मुक्त गाँव एवं विकसित भारत की आधारशिला साबित होंगे।
  • नव अनुमोदित 2 करोड़ के लक्ष्य में से मौजूदा 18 राज्यों को लगभग 38 लाख का लक्ष्य दिया गया है जिसके लिए आप सभी राज्यों को रूपये 10668 करोड़ फण्ड जारी कर दिया गया है। इस योजना में फंड्स की कोई कमी नहीं है और राज्यों से अनुरोध है कि राज्यंश को समय से निर्गत करें एवं फंड्स का उपभोग करके अगली किश्त के लिए प्रस्ताव भेजकर केंद्र सरकार से केंद्रांश प्राप्त करें।
  • न्यूनतम घर का आकार 25 वर्ग मीटर निर्धारित किया गया है, जिसमें स्वच्छ खाना पकाने की जगह भी शामिल है, मैदानी इलाकों में ₹1.20 लाख और पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों में ₹1.30 लाख की सहायता दी जाएगी। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के माध्यम से कुशलतापूर्वक भुगतान किया जाता है, इस वर्ष 10 लाख से अधिक लाभार्थियों को भुवनेश्वर में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक क्लिक के माध्यम से उनकी पहली किस्त प्राप्त हुई है।
  • आप लोगों को ये अवगत कराना चाहता हूँ कि 17 सितम्बर 2024 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भुबनेश्वर, उड़ीसा से सिंगल क्लिक द्वारा 15 लाख आवासों को स्वीकृत पत्र देने सहित  10 लाख से अधिक लाभार्थियों को आवास निर्माण हेतु प्रथम किश्त के रूप में रूपये 3180 करोड़ आधार के माध्यम से जारी किया गया  एवं 26 लाख से अधिक आवासों का गृह प्रवेश भी कराया गया.
  • प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण को आप सिर्फ एक योजना की तरह न समझें, यह एक आम जनता के लिए एक उम्मीद है, यह सम्मान, सशक्तीकरण और बेहतर भविष्य का निर्माण करने का आधार है। यह योजना भारत सरकार की गांवों के विकास के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।

पुराने एवं संशोधित एक्सक्लूशन क्राइटेरिया की सूची:

पहले (13): पुराने अब (10): संशोधित
  1. मोटर चालित दो/तीन/चार पहिया वाहन/मछली पकड़ने वाली नाव
  2. यंत्रीकृत तीन/चार पहिया कृषि उपकरण
  3. ₹50,000 या उससे अधिक की क्रेडिट सीमा वाला किसान क्रेडिट कार्ड
  4. सरकारी कर्मचारी के रूप में किसी भी सदस्य के साथ परिवार
  5. सरकार के साथ पंजीकृत गैर-कृषि उद्यमों वाले परिवार
  6. परिवार का कोई भी सदस्य प्रति माह ₹10,000 से अधिक कमाता है
  7. आयकर का भुगतान
  8. पेशेवर कर का भुगतान
  9. एक रेफ्रिजरेटर के मालिक
  10. खुद का लैंडलाइन फोन
  11. कम से कम एक सिंचाई उपकरण के साथ 2.5 एकड़ या अधिक सिंचित भूमि के मालिक
  12. दो या अधिक फसल मौसमों के लिए 5 एकड़ या अधिक सिंचित भूमि
  13. कम से कम एक सिंचाई उपकरण के साथ कम से कम 7.5 एकड़ भूमि या अधिक का मालिक होना

 

  1. मोटर चालित तीन/चार पहिया वाहन
  2. यंत्रीकृत तीन/चार पहिया कृषि उपकरण
  3. 50,000 रुपये या उससे अधिक की क्रेडिट सीमा वाला किसान क्रेडिट कार्ड
  4. सरकारी कर्मचारी के रूप में परिवार का कोई भी सदस्य
  5. सरकार के साथ पंजीकृत गैर-कृषि उद्यमों वाले परिवार
  6. परिवार का कोई भी सदस्य प्रति माह 15,000 रुपये से अधिक कमाता है
  7. आयकर का भुगतान
  8. पेशेवर कर का भुगतान
  9. 2.5 एकड़ या उससे अधिक सिंचित भूमि के मालिक
  10. 5 एकड़ या उससे अधिक असिंचित भूमि के मालिक

 

 

  1. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क यो
  2. जना (पीएपीएमजीएसवाई)
  • पीएमजीएसवाई:
  • पीएमजीएसवाई के विभिन्न घटकों के अंतर्गत 9 जून 2024 से 02 दिसंबर2024 तक 9,013 किमी सड़क को स्वीकृति प्रदान की गई है एवं 7,058 किलोमीटर का निर्माण किया जा चुका है एवं 1,067 बसावटों को योजना की शुरुआत से 02.12.2024 तक कनेक्टिविटी प्रदान की गई है।
  • पीएमजीएसवाई-III के अंतर्गत 9 जून 2024 से 02 दिसंबर2024 तक 6,614 किमी सड़क को स्वीकृति प्रदान की गई है जिसमें पश्चिम बंगाल का 3,380 किमी भी शामिल है जिसकी हाल ही में स्वीकृति दी गई है। इसके सापेक्ष 6,473 किमी का निर्माण किया जा चुका है।
  • पीएमजीएसवाई-IV:
  • आबादी मानकों के अनुसार सड़कों से न जुड़ी पात्र बसावटों की पहचान करने के लिए सर्वेक्षण का कार्य इस समय जारी है।
  • 15 राज्यों का सर्वेक्षण कार्य पूरा हो गया है।
  • पीएमजीएसवाई-IV दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप दे दिया गया है और इन्हें शीघ्र ही जारी कर दिया जाएगा।
  • Accessibility guidelines तैयार किए गए हैं और इसका उपयोग पीएमजीएसवाई-IV सड़कों की डीपीआर तैयार करने में किया जाएगा। यह PMGSY-IV सड़कों को पार करते समय या यात्रा करते समय विशेष रूप से विकलांग व्यक्तियों की सुरक्षित और आरामदायक आवाजाही सुनिश्चित करेगा।
  • PMGSY-IV के अंतर्गत 10% कार्य इसी वर्ष स्वीकृत करने का लक्ष्य है।
  • पीएम-जनमन:
  • 9 जून 2024 से 02 दिसंबर2024 तक 2,337 किमी सड़क को स्वीकृति दी गई हैजिसमें से 12 किमी सड़क का निर्माण किया जा चुका है।
  • वित्तीय प्रगति
  • वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान, 5973 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं और 02.12.2024 तक 10,762 करोड़ रुपये (राज्य के हिस्से सहित) खर्च किए गए हैं।
  • अतिरिक्त सूचना
  • पीएमजीएसवाई के विभिन्न घटकों के अंतर्गत 02 दिसंबर, 2024 तक 8,34,657 किमी सड़क को स्वीकृति प्रदान की गई है एवं 7,69,284 किमी का निर्माण किया जा चुका है एवं 1,54,835 बसावटों को योजना की शुरुआत से 02.12.2024 तक कनेक्टिविटी प्रदान की गई है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-I,II,III एवं आरसीपीएलडब्ल्यूईए की समय सीमा मार्च 2025 तक है ।
  • पीएमजीएसवाई-I के तहत, 1,55,276 बसावटों को स्वीकृति प्रदान की गई है और 99.7% बसावटों को सड़क संपर्क दे दिया गया है।
  • पीएमजीएसवाई-II के अंतर्गत करीब करीब 100% कार्य पूरे हो गए है।
  • पीएमजीएसवाई-III के अंतर्गत भी 72% कार्य पूरे हो गए है।
  • पीएमजीएसवाई के अंतर्गत 02.12.2024 तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 2,65,498 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं और 3,29,310 करोड़ रुपये (राज्य के हिस्से सहित) खर्च किए गए हैं।
  1. दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
  • लखपति दीदी
  • नई लखपति दीदियां बनाना :
    • 9 जून 2024 के बाद, डीएवाई-एनआरएलएम के तहत विभिन्न राज्य-नेतृत्व वाली पहलों के माध्यम से उल्लेखनीय 15 लाख नई लखपति दीदियों को सशक्त बनाया गया है।
    • इन नई जोड़ी गई लखपति दीदियों के विस्तृत राज्यवार आंकड़े तालिका-I में हैं।
  • संचयी प्रभाव:
    • देश भर में लखपति दीदियों की कुल संख्या 1,15,00,274 तक पहुंच गई है।
    • कुल आंकड़ों का राज्यवार विस्तृत विवरण तालिका-II में है।
  • सामुदायिक प्रबंधित प्रशिक्षण केन्द्रों (सीएमटीसीका विस्तार:
  • नये केन्द्र स्थापित:
    • 9 जून 2024 से अब तक 150 नए सीएमटीसी स्थापित किए जा चुके हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूती मिलेगी। राज्य-वार आंकड़े तालिका-III में संलग्न हैं
  • कुल सीएमटीसी:
    • उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में देश भर में वर्तमान में कार्यरत सीएमटीसी की कुल संख्या 301 शामिल है। ये केंद्र ग्रामीण समुदायों को आजीविका में स्थायी सुधार लाने के लिए कौशल और जानकारी के लिए  महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • डीएवाईएनआरएलएम के अंतर्गत प्रगति के मुख्य बिन्दु:
  • संचयी उपलब्धियां:
    • दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के अंतर्गत समेकित प्रगति और प्रमुख निष्पादन संकेतकों को तालिका-IV में संक्षेप में दिया गया है।
    • ये उपलब्धियां ग्रामीण परिवारों को सशक्त बनाने, महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भर सामुदायिक संस्थाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाती हैं।
  1. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना

केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (महात्मा गांधी नरेगा) का उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को, जिसके वयस्क सदस्य स्वेच्छा से काम करते हैं, एक वित्तीय वर्ष में कम से कम एक सौ दिन की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों की आजीविका सुरक्षा बढ़ाना है।

उपलब्धियाँ: वित्तीय वर्ष 2024-25 (01.06.2024 से 02.12.2024)

  • 123 करोड़ श्रमदिवस सृजित किए गए
  • 46,907 करोड़ रु. केन्द्रीय निधि जारी कर दी गई है
  • 43.81 लाख कार्य पूर्ण हो चुके हैं

तीसरे कार्यकाल में की गई प्रमुख पहल/निर्णय:

  • मिशन अमृत सरोवर का शुभारंभ प्रधानमंत्री द्वारा 24 अप्रैल 2022 को किया गया था, जिसका उद्देश्य देश के सभी ग्रामीण जिले में (सिवाय दिल्ली, चंडीगढ़ और लक्षद्वीप के केंद्र शासित प्रदेशों )75 अमृत सरोवरों का निर्माण या पुनर्जीवन करना था, ताकि 15 अगस्त 2023 तक देशभर में कुल 50,000 सरोवर बनाए जा सकें, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। अब तक 68,000 से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण/पुनर्जीवन कार्य पूरा किया जा चुका है। इस मिशन को आगे बढ़ाते हुए और अधिक सरोवरों का निर्माण/पुनर्जीवन किया जाएगा, जिसमें जन सहभागिता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ये सरोवर आने वाले वर्षों तक स्थायी जल संसाधन और सक्रिय सामुदायिक केंद्र के रूप में कार्य करते रहें। इसके सात ही, सभी संबंधित विभागों/मंत्रालयों और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को मिशन के आगे बढ़ाने के लिए पत्र और संशोधित दिशानिर्देश पहले ही साझा किए जा चुके हैं।
  • युक्तधारा पोर्टल:1 अक्टूबर 2024 से 31 दिसंबर 2024 तक चरणबद्ध तरीके से सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में युक्तधारा पोर्टल शुरू करने का निर्णय लिया गया है। युक्तधारा महात्मा गांधी नरेगा कार्यों की जीआईएस आधारित जीपी योजना के लिए एक गतिशील पोर्टल है, जिसमें पोर्टल में ही रिज टू वैली दृष्टिकोण के संदर्भ में विश्लेषण के लिए विशेषताएं हैं।
  • जनमनरेगा-II: मौजूदा जनमनरेगा ऐप को नया रूप देने का निर्णय लिया गया है, जो नागरिकों को सूचना के सक्रिय प्रकटीकरण के साथ-साथ महात्मा गांधी नरेगा के कार्यान्वयन के बारे में एक फीडबैक तंत्र बनाने में सहायता करता है।
  • प्रशिक्षण मॉड्यूल का विकास: महात्मा गांधी नरेगा के तहत क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं की क्षमता बढ़ाने के लिए, इस योजना के तहत ग्राम रोजगार सहायकों को प्रशिक्षण देने के लिए एक प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित किया गया है।
  1. राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम
  • वृद्धावस्था, विधवाओं और दिव्यांगजनों से संबंधित लगभग 3 करोड़ लाभार्थियों को एनएसएपी योजनाओं के तहत सामाजिक सुरक्षा पेंशन वितरित करने के लिए 4554.20 करोड़ रुपये जून, 2024 से जारी किए गए हैं।
  • एनआईसी द्वारा विकसित मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से पेंशनभोगियों के डिजिटल जीवन प्रमाणन के लिए एक अभिनव उपकरण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है।  एप्लिकेशन को राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया जाएगा।
  1. दिशा समिति
  2. श्री चौहान ने बताया कि देश के 784 जिलों में जिला स्तरीय दिशा समितियों का पुनर्गठन किया गया है और 477 सांसदों को 784 जिलों में अध्यक्ष, 261 सांसदों को 363 जिलों में सह-अध्यक्ष तथा 63 सांसदों को 81 जिलों में  विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में इन समितियों के लिए नामित किया गया है।
  3. राज्य स्तरीय दिशा समितियों में सदस्य के रूप में 186 सांसदों (127 लोकसभा/59 राज्यसभा) को नामित किया गया है।
  4. नव मनोनीत अध्यक्षों ने 24 राज्यों के 272 जिलों में 276 बैठकें कर ली है ।
  5. मंत्रालय द्वारा अब तक राज्य तथा जिला स्तरीय दिशा समितियों के लिए 93 गैर-सरकारी सदस्यों के  नामांकन कर दिए गए हैं।
  6.  दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY)

प्रस्तावना –

ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) ने एक महत्वाकांक्षी एजेंडा, कौशल विकास कार्यक्रम को वैश्विक मानकों के लिए बेंचमार्क स्थापित करने के उद्देश्य से,दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY) के रूप में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत वैतनिक रोज़गार पर आधारित कौशल विकास कार्यक्रम को 25 सितंबर 2014 को नए रूप में शुरूआत की।

विशेषताएं –

15 से 35 वर्ष के आयु वर्ग के गरीब परिवारों के ग्रामीण युवाओं पर विशेष ध्यान: क) मनरेगा श्रमिक परिवार, यदि परिवार के किसी व्यक्ति ने 15 दिन का काम पूरा किया हो, ख) आरएसबीवाई परिवार, ग) अंत्योदय अन्न योजना कार्ड परिवार, डी) बीपीएल पीडीएस कार्ड परिवार, ई) एनआरएलएम-एसएचजी परिवार, एफ) गरीबों की पहचान की भागीदारी प्रक्रिया, जी) एसईसीसी 2011 के ऑटो समावेशन मानकों के तहत आने वाले परिवार।

सामाजिक रूप से वंचित समूहों का अनिवार्य कवरेज, यानी एससी/एसटी-50%, अल्पसंख्यक-15%, और महिलाएं 33% और हाथ से मैला ढोने वालों, दिव्यांगों और महिला प्रधान घर पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

  • भौतिक प्रगति –
प्रगति 100 दिवस प्रगति 09 जून से अब तक
प्रशिक्षित नियोजित प्रशिक्षित नियोजित
25,233 15,696 60,765 45,615

 

  • वित्तीय प्रगति –
प्रगति 100 दिवस प्रगति 09 जून से अब तक
फंड रिलीज (लाख में) फंड रिलीज (लाख में)
1249.99 13982.55

 

प्रमुख उपलब्धियां:

  • केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि सभी राज्यों के साथ योजना की समीक्षा बैठकें पूरी की जा चुकी हैं।
  • 14 कैप्टिव नियोक्ताओं को 11 राज्यों द्वारा कैप्टिव नियोक्ताओं को 30 परियोजनाएं राज्य द्वारा आवंटित की गईं हैं।

नई पहल:

  • दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना 2.0 दिशानिर्देश को मंजूरी दे दी गई है, इससे ग्रामीण गरीब युवाओं को कुशल विकास करने में और नौकरियों दिलाने में मदद मिलेगी।
  • NIC द्वारा दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना और ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान योजना सहित ग्रामीण कौशल के लिए एक मजबूत एमआईएस(MIS) एकीकृत और समेकित पोर्टल विकसित किया जा रहा है, जिसमें जुटाव, परामर्श, प्रशिक्षण, नौकरी पर प्रशिक्षण, प्लेसमेंट/सेटलमेंट, नियोजित और स्थापित उम्मीदवारों की ट्रैकिंग और प्रशिक्षण संस्थानों को भुगतान जैसे सभी मॉड्यूल शामिल हैं।
  1. ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान योजना (RSETI)
  • ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान योजना प्रायोजक बैंकों, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार और राज्य सरकार के बीच तीन-तरफ़ा साझेदारी है।
  • ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान अल्पकालिक प्रशिक्षण और दीर्घावधि हैंडहोल्डिंग के दृष्टिकोण पर कार्यरत है।
  • ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान कार्यक्रम वर्तमान में देश के 33 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के 588 जिलों में 25 अग्रणी बैंकों (सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र और साथ ही कुछ ग्रामीण बैंकों दोनों) द्वारा 602 ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानो के माध्यम से क्रियाँवित किया जा रहा है।
  • ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा 44 नवनिर्मित जिलों में (आरएसईटीआई) खोलने हेतु प्रशासकीय स्वीकृति राज्य और बैंक को प्रदान की गई है ।
  1. भौतिक प्रगति –
प्रगति 100 दिवस प्रगति 09 जून से अब तक
प्रशिक्षित नियोजित प्रशिक्षित नियोजित
1,84,765 99,329 3,25,239 2,06,114
  1. वित्तीय प्रगति –
प्रगति 100 दिवस प्रगति 09 जून से अब तक
फंड रिलीज (लाख में) फंड रिलीज (लाख में)
398.26 15289.89

      प्रमुख उपलब्धियां:

  • श्री चौहान ने बताया कि सभी राज्यों के साथ समीक्षा बैठकें पूरी हो चुकी हैं।
  • ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान योजना भवन के निर्माण के लिए अनुदान को 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये कर दिया है
  • राष्ट्रीय कौशल योग्यता परिषद(NSQC) से अनुमोदन के बाद दो पाठ्यक्रम, कृषि-उद्यमिता एवं  ‘पशु मित्र’ और ‘मत्स्य मित्र’ शुरू किए गए।
  • आरएसईटीआई 2.0 दिशा-निर्देशों को मंजूरी दी गई तथा संशोधित दिशा-निर्देशों के आधार पर कार्यक्रम के सुचारू संचालन के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं विकसित की जा रही हैं।
  • NABARD के सहयोग से IIT चेन्नई द्वारा शिक्षण प्रबंधन प्रणाली (एलएमएस) बनाया जा रहा है।  

आजीविका मिशन के टेबल

तालिका – I

09 जून 2024 के बाद बनाई गई 15 लाख नई लखपति दीदी   (राज्यवार विवरण)

क्र. सं. राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों का नाम  एसएचजी सदस्यों की संख्या क्र. सं राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों का नाम एसएचजी सदस्यों की संख्या
1 अंडमान और निकोबार द्वीप समूह 240 18 मध्य प्रदेश 96,240
2  आंध्र प्रदेश 1,22,160 19  महाराष्ट्र 1,04,520
3  अरुणाचल प्रदेश 1,260 20  मणिपुर 3,060
4  असम 52,800 21  मेघालय 6,120
5  बिहार 1,81,260 22  मिजोरम 1,080
6  छत्तीसगढ़ 46,920 23  नागालैंड 1,800
7  दादरा एवं नगर हवेली 180 24  ओडिशा 97,200
8  गोवा 660 25  पुदुचेरी 660
9  गुजरात 44,580 26  पंजाब 9,660
10  हरियाणा 10,740 27  राजस्थान 67,620
11  हिमाचल प्रदेश 4,980 28  सिक्किम 840
12  जम्मू और कश्मीर 13,980 29  तमिलनाडु 54,000
13  झारखंड 50,640 30  तेलंगाना 67,500
14  कर्नाटक 47,580 31  त्रिपुरा 6,780
15  केरल 53,580 32  उत्‍तर प्रदेश 1,73,520
16  लद्दाख 180 33  उत्तराखंड 7,200
17  लक्षद्वीप 60 34  पश्चिम बंगाल 1,70,400
         कुल 15,00,000

 

तालिका -II

 देश में लखपति दीदियों की कुल संख्या(राज्यवार)

 

क्रसं. राज्य स्वरिपोर्टेड लखपति दीदियों की संख्या
1 अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह                                                  482
2 आंध्र प्रदेश                                     14,87,631
3 अरुणाचल प्रदेश                                              5,057
4 असम                                       5,18,359
5 बिहार                                     13,47,649
6 छत्तीसगढ़                                       3,37,097
7 दमन और दीव तथा दादर नगर हवेली                                              2,021
8 गोवा                                                  866
9 गुजरात                                       5,38,760
10 हरियाणा                                           62,743
11 हिमाचल प्रदेश                                           40,417
12 जम्मू और कश्मीर                                           43,050
13 झारखंड                                       3,51,808
14 कर्नाटक                                       2,36,315
15 केरल                                       2,84,616
16 लक्षद्वीप                                                     60
17 मध्य प्रदेश                                     10,51,069
18 महाराष्ट्र                                     10,04,338
19 मणिपुर                                           15,559
20 मेघालय                                           39,976
21 मिजोरम                                           17,167
22 नागालैंड                                           12,294
23 ओडिशा                                       5,37,350
24 पुदुचेरी                                              7,546
25 पंजाब                                           31,700
26 राजस्थान                                       2,70,405
27 सिक्किम                                              7,794
28 तमिलनाडु                                       3,18,101
29 तेलंगाना                                       7,58,693
30 त्रिपुरा                                           58,495
31 लद्दाख                                           51,903
32 उत्‍तर प्रदेश                                       8,41,923
33 उत्तराखंड                                           37,178
34 पश्चिम बंगाल                                     11,81,852
कुल                                 1,15,00,274
क्रसं. राज्य 24 मार्च तक मौजूदा सीएमटीसी 09 जून 2024 के बाद शुरू किए गए सीएमटीसी की संख्या सीएमटीसी की कुल संख्या
1 अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह 0 1 1
2 अरुणाचल प्रदेश 0 3 3
3 असम 5 10 15
4 बिहार 41 10 51
5 गुजरात 3 5 8
6 झारखंड 21 8 29
7 मध्य प्रदेश 17 15 32
8 महाराष्ट्र 15 10 25
9 मेघालय 0 2 2
10 नागालैंड 0 2 2
11 ओडिशा 10 6 16
12 राजस्थान 9 20 29
13 त्रिपुरा 0 7 7
14 पुदुचेरी 0 2 2
15 उत्‍तर प्रदेश 5 10 15
16 उत्तराखंड 0 3 3
17 पश्चिम बंगाल 12 17 29
18 पंजाब 0 10 10
19 आंध्र प्रदेश 0 9 9
20 छत्तीसगढ़ 7 0 7
21 तमिलनाडु 5 0 5
22 कर्नाटक 1 0 1
  कुल 151 150 301

 

तालिका-III

सामुदायिक प्रबंधित प्रशिक्षण केंद्रों (सीएमटीसी) की संख्‍या (राज्‍य–वार)

 

तालिका -IV

क्र सं. संकेतक संचयी उपलब्धि

31 अक्टूबर 2024 की स्थिति के अनुसार

1 स्वयं सहायता समूहों में संगठित महिलाओं की संख्या (करोड़ में) 10.05
2 प्रोत्साहित किए गए स्वयं सहायता समूहों की संख्या (लाख में) 90.87
3 वितरित ऋण राशि (रु. करोड़  में) 9,69,140.16
4 प्रदान की गई पूंजीकरण सहायता (परिक्रामी निधि + सामुदायिक निवेश निधि) की राशि (रुपये  करोड़ में) 47,685.12
5 गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) 1.59% (As on date)
6 तैनात बैंकिंग संवाददाता सखी/डिजीपे सखी की संख्या (एनआरएलएम+एनआरईटीपी) 1,35,127
7 कृषि पारिस्थितिकीय कार्यों (एईपी) कार्यकलापों के अंतर्गत शामिल की गई महिला किसानों की संख्या (लाखों में) 401
8 कृषि-पोषक उद्यान रखने वाली महिला किसानों की संख्या (लाखों में) 250
9 एसवीईपी के अंतर्गत समर्थित उद्यमों की संख्या (लाखों में) 3.10

 

स्थापना के बाद से डीएवाईएनआरएलएम के अंतर्गत  संचयी उपलब्धि

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कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय ने कारोबार को आसान बनाने और स्वीकृति प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं

भारत में ‘कारोबार करने में सुगमता’ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 248 (2) के अंतर्गत कंपनियों की स्वैच्छिक स्ट्राइक ऑफ प्रक्रिया को केंद्रीकृत करने और प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए 17 मार्च, 2023 को एमसीए अधिसूचना संख्या एस.ओ. 1269 (ई) के तहत त्वरित कॉर्पोरेट निकासी प्रसंस्करण केंद्र (सी-पेस) की स्थापना की गई थी।

इसकी शुरुआत होने के बाद से वित्तीय वर्ष 2023-24 में आरओसी सी-पेस के माध्यम से कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 248(2) के तहत वित्त वर्ष 2023-24 में 13,560 कंपनियों को और चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 15 नवंबर तक 11,855 कंपनियों को हटाया गया है।ऐसे आवेदनों के निपटान में लगने वाला औसत समय घटकर अब 70-90 दिन के बीच रह गया है।

मंत्रालय ने दिनांक 5 अगस्त, 2024 की अधिसूचना संख्या जीएसआर 475 (ई) के तहत सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) को शून्य करने से संबंधित ई-फॉर्म के प्रसंस्करण के लिए सीपीएसीई को सशक्त बनाकर सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) को समाप्त करने हेतु केंद्रीकृत कर दिया है।

27 अगस्त, 2024 से प्रभावी आरओसी सी-पेस के माध्यम से एलएलपी को हटाने की प्रक्रिया के लिए ई-फॉर्म चालू कर दिए गए हैं और 15 नवंबर, 2024 तक सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 की धारा 75 और सीमित देयता भागीदारी नियम, 2009 के नियम 37 के अंतर्गत 3,264 एलएलपी को समाप्त कर दिया गया है।

कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय कारोबार को आसान बनाने और स्वीकृति प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख गतिविधियां शामिल हैं:

(i) कंपनी और एलएलपी अधिनियमों के तहत 63 आपराधिक गतिविधियों का गैर-अपराधीकरण किया गया। कॉरपोरेट्स को राहत प्रदान करते हुए गैर-अपराधीकरण का एक उद्देश्य न्यायिक अदालतों में मुकदमेबाजी के बोझ को कम करना और अभियोजन मामलों को न्यायनिर्णयन की ओर स्थानांतरित करना भी है।

 (ii) 54 से अधिक फॉर्मों को सीधी प्रक्रिया (एसटीपी) में परिवर्तित किया गया, जिसके लिए पहले क्षेत्रीय कार्यालयों की मंजूरी की आवश्यकता होती थी।

(iii) नाम आरक्षण, निगमन, पैन, टैन, डीआईएन आवंटन, ईपीएफओ पंजीकरण, ईएसआईसी पंजीकरण, जीएसटी नंबर और कंपनी के निगमन के समय बैंक खाता खोलने जैसी विभिन्न सेवाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए ई-फॉर्म एसपीआईसीई+ के साथ-साथ एजीआईएल प्रो-एस नामक लिंक्ड फॉर्म की शुरुआत की गई है, ताकि व्यवसाय तुरंत शुरू किया जा सके। इसी प्रकार, एक ही आवेदन में समान सेवाएं प्रदान करने के लिए नया ई-फॉर्म फिल्लिप (सीमित देयता भागीदारी के निगमन के लिए फॉर्म) पेश किया गया।

(iv) लघु कंपनी की परिभाषा में संशोधन किया गया है, जिसके तहत लघु कंपनी की प्रारंभिक सीमा को 2.00 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 4.00 करोड़ रुपये कर दिया गया है और टर्नओवर को 20.00 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 40.00 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसी प्रकार, छोटे एलएलपी की अवधारणा शुरू की गई है, जो कम अनुपालन और कम शुल्क के अधीन है ताकि स्वीकृति प्रक्रिया की लागत कम हो सके।

(v) निगमन प्रक्रिया में एकरूपता प्रदान करने के लिए निगमन हेतु एक केंद्रीकृत कंपनी रजिस्ट्रार (सीआरसी) की शुरुआत हुई है।

(vi) एसटीपी के तहत दायर ई-फॉर्मों की केंद्रीकृत जांच के लिए एक केंद्रीय जांच केंद्र (सीएससी) की स्थापना की गई है।

(vii) निर्दिष्ट गैर-एसटीपी ई-फॉर्मों के केंद्रीकृत प्रसंस्करण के लिए एक केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र (सीपीसी) को स्थापित किया गया है।

(viii) कंपनी अधिनियम से संबंधित अपराधों के न्यायनिर्णयन के लिए ई-न्यायनिर्णयन पोर्टल को प्रारंभ किया गया है।

(ix) 15.00 लाख रुपये तक की अधिकृत पूंजी वाली कंपनी के निगमन के लिए कोई शुल्क नहीं रखा गया है।

(x) कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत विलय के लिए फास्ट ट्रैक प्रक्रिया को बढ़ाया गया, ताकि स्टार्टअप्स का अन्य स्टार्टअप्स और छोटी कंपनियों के साथ विलय भी इसमें शामिल किया जा सके, जिससे विलय तथा एकीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके।

(xi) सीए-2013 (क्षेत्रीय निदेशकों के अनुमोदन के माध्यम से त्वरित विलय एवं एकीकरण) की धारा 233 का दायरा बढ़ाया गया। इसमें अब भारत के बाहर निगमित किसी हस्तांतरणकर्ता विदेशी कंपनी (होल्डिंग कंपनी) का भारत में निगमित उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के साथ विलय भी शामिल है।

(xii) किसी कंपनी के पंजीकृत कार्यालय के स्थानांतरण की लागत शून्य कर दी गई है।

 (xiii) वीडियो कॉन्फ्रेंस (वीसी) के माध्यम से किसी कंपनी की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) और असाधारण आम बैठक (ईजीएम) आयोजित करने का प्रावधान हुआ है।

 (xiv) कंपनी (अनुमेय क्षेत्राधिकारों में इक्विटी शेयरों की लिस्टिंग) नियम, 2024 जारी किए गए हैं, जो भारतीय सार्वजनिक कंपनियों को गिफ्ट आईएफएससी में अंतर्राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज(ओं) पर अपने इक्विटी शेयरों को सूचीबद्ध करने की अनुमति देते हैं।

कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ​​ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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लखपति दीदी और नमो दीदी पहल से लाभान्वित होने वाली महिलाओं की कुल संख्या का राज्यवार और श्रेणीवार विवरण

दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इसे पूरे देश में (दिल्ली और चंडीगढ़ को छोड़कर) लागू किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण गरीबी को कम करना है, ग्रामीण गरीब महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में संगठित करना और उन्हें तब तक लगातार पोषित और समर्थन देना है जब तक कि वे समय के साथ आय में सराहनीय वृद्धि प्राप्त न कर लें, अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार करें और गरीबी से बाहर आ जाएं। लखपति दीदी पहल DAY-NRLM के परिणामों में से एक है। स्वयं सहायता समूह (SHG) के सदस्यों को लखपति बनाने के लिए एक संरचित दृष्टिकोण अपनाया गया है, यानी वे स्थायी आधार पर प्रति वर्ष न्यूनतम एक लाख रुपये कमाते हैं। लखपति दीदियों की राज्य/संघ राज्य क्षेत्रवार संख्या अनुलग्नक-I में दी गई है। मंत्रालय में श्रेणीवार डेटा नहीं रखा जा रहा है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की नमो ड्रोन दीदी योजना का लक्ष्य 2023-24 से 2025-26 तक डीएवाई-एनआरएलएम के तहत 15,000 एसएचजी सदस्यों को ड्रोन उपलब्ध कराना है। वर्ष 2023-24 के दौरान उर्वरक कंपनियों ने अपने संसाधनों के माध्यम से एसएचजी सदस्यों को 503 ड्रोन वितरित किए हैं। राज्यवार विवरण अनुलग्नक-II में दिए गए हैं।

डीएवाई-एनआरएलएम के तहत, अक्टूबर, 2024 तक 10.05 करोड़ महिलाओं को 90.87 लाख एसएचजी में संगठित किया गया है। डीएवाई एनआरएलएम एक प्रक्रिया संचालित कार्यक्रम है, जहां विभिन्न लाभ, जैसे, रिवॉल्विंग फंड, सामुदायिक निवेश निधि, बैंक लिंकेज आदि एसएचजी को उनकी पात्रता और उनकी मांगों के अनुसार दिए जाते हैं।

मंत्रालय ने डीएवाई-एनआरएलएम के तहत हस्तक्षेपों के माध्यम से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की वित्तीय स्वतंत्रता पर निहितार्थ को समझने के लिए प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन शुरू किया है। डीएवाई-एनआरएलएम का प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन 2019-20 के दौरान विश्व बैंक के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव मूल्यांकन पहल (3ie) द्वारा किया गया था। मूल्यांकन निम्नलिखित प्रमुख निष्कर्षों को इंगित करता है:

i. आधार राशि की तुलना में आय में 19% की वृद्धि।

ii. अनौपचारिक ऋणों की हिस्सेदारी में 20% की कमी।

iii. बचत में 28% की वृद्धि।

iv. श्रम शक्ति भागीदारी में सुधार – उपचार क्षेत्रों में द्वितीयक व्यवसाय की रिपोर्ट करने वाली महिलाओं का अनुपात अधिक (4%) है।

v. अन्य योजनाओं तक बेहतर पहुंच – उपचारित परिवारों द्वारा प्राप्त सामाजिक योजनाओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि (2.8 योजनाओं के आधार मूल्य की तुलना में 6.5% अधिक)।

यह जानकारी ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

एमजी/केसी/वीएस

अनुलग्नक – I

क्रम संख्या राज्य लखपति दीदियों की संख्या
1 अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह 482
2 आंध्र प्रदेश 14,87,631
3 अरुणाचल प्रदेश 5,057
4 असम 5,18,359
5 बिहार 13,47,649
6 छत्तीसगढ़ 3,37,097
7 दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव 2,021
8 गोवा 866
9 गुजरात 5,38,760
10 हरियाणा 62,743
11 हिमाचल प्रदेश 40,417
12 जम्मू और कश्मीर 43,050
13 झारखंड 3,51,808
14 कर्नाटक 2,36,315
15 केरल 2,84,616
16 लक्षद्वीप 60
17 मध्य प्रदेश 10,51,069
18 महाराष्ट्र 10,04,338
19 मणिपुर 15,559
20 मेघालय 39,976
21 मिजोरम 17,167
22 नगालैंड 12,294
23 ओडिशा 5,37,350
24 पुडुचेरी 7,546
25 पंजाब 31,700
26 राजास्थान 2,70,405
27 सिक्किम 7,794
28 तमिलनाडु 3,18,101
29 तेलंगाना 7,58,693
30 त्रिपुरा 58,495
31 लद्दाख 51,903
32 उत्तर प्रदेश 8,41,923
33 उत्तराखंड 37,178
34 पश्चिम बंगाल 11,81,852
कुल 1,15,00,274

 

अनुलग्नक – II

नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत राज्यों को ड्रोन प्रदान किए गए
क्रम संख्या राज्य ड्रोन की संख्या
1 आंध्र प्रदेश 97
2 असम 9
3 बिहार 5
4 छ्त्तीसगढ़ 12
5 गुजरात 18
6 हरियाणा 22
7 हिमाचल प्रदेश 4
8 झारखंड 1
9 कर्नाटक 84
10 केरल 2
11 मध्य प्रदेश 34
12 महाराष्ट्र 30
13 ओडिशा 12
14 पंजाब 23
15 राजस्थान 19
16 तमिलनाडु 17
17 तेलंगाना 72
18 उत्तर प्रदेश 32
19 उत्तराखंड 3
20 पश्चिम बंगाल 7
कुल 503

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आईआईटी कानपुर, में उपराष्ट्रपति का संबोधन

पहले भारत एक अलग देश था, लेकिन अब यह आशा और संभावनाओं वाला देश है। अब यह आर्थिक उन्नति करता हुआ एक देश है, एक अभूतपूर्व बुनियादी ढांचे वाला देश है,अब यह एक ऐसा देश है जिसके समुद्र, जमीन, आकाश या अंतरिक्ष में प्रदर्शन को वैश्विक प्रशंसा मिल रही है।

हमारे देश में जो परिवर्तन आया है, वह मोटे तौर पर इन संस्थानों के पूर्व छात्रों के कारण ही है। इतिहास गवाह है कि कोई भी राष्ट्र तकनीकी क्रांतियों के बगैर महानता हासिल नहीं कर सका है। पैक्स इंडिका को वास्तविकता बनाने के लिए, भारत को इसी तरह तकनीकी प्रगति का नेतृत्व करना होगा।

पिछले एक दशक में,भारत में उल्लेखनीय परिवर्तन और नवाचार देखा गया है। बेहतरी के लिए वातावरण में पूरी तरह से क्रांति ला दी गई है। हमारी पेटेंट फाइलिंग दोगुनी से भी अधिक हो गई है। कुछ लोगों के लिए यह आँकड़े हो सकते हैं, लेकिन आप इसका महत्व जानते हैं।

मैंने अक्सर संस्थानों पर इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि शोध केवल शोध के लिए नहीं होना चाहिए।

एक शोध पत्र सिर्फ अकादमिक प्रशंसा के लिए नहीं है। एक शोध पत्र का आधार ऐसा होना चाहिए, जो बड़े पैमाने पर जनता के लिए परिवर्तनकारी हो। वर्ष 2014-15 में 42,763 पेटेंट फाइलिंग थे, जो 2023-24 में 92,000 हो गए और ये इस प्रक्रिया में हम वैश्विक स्तर पर छठे स्थान पर हैं। लेकिन हम इससे संतुष्ट नहीं हो सकते। हमें शीर्ष पर पहुंचना है और इसके लिए पारिस्थितिकी तंत्र, सकारात्मक नीतियों, पहलों ने आपके लिए कार्य संस्कृति को और अधिक सुविधाजनक बना दिया है। 1,50,000 स्टार्टअप के साथ हमारे पास तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है। लेकिन जो अधिक उल्लेखनीय बात है, कि उनमें से 118 यूनिकॉर्न की लागत 354 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।

मैं उद्योग, व्यापार, व्यवसाय और कॉरपोरेट्स तथा उनके संगठनों से अपील करूंगा, क्योंकि नवाचार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को उचित परिप्रेक्ष्य में समझना ज़रुरी है। वे अपने वर्तमान में और अपने भविष्य में निवेश कर रहे हैं। उन्हें इसका अहसास करना होगा। मैंने वैश्विक स्तर पर देखा और शीर्ष 25 में मैं केवल दो भारतीय कॉरपोरेट्स को ही पाया। वास्तव में हमें उस बड़े बदलाव की ज़रूरत है, जिसकी देश को ज़रुरत है, एक ऐसा बदलाव जो वैश्विक स्थिरता और सद्भाव के लिए होगा, क्योंकि भारत की वृद्धि विश्व के लिए समृद्धि है। यही हमारी संस्कृति है।

नवाचार के प्रति कॉर्पोरेट प्रतिबद्धता मजबूत हो रही है, इसे आगे बढ़ने की जरूरत है। बीएसई 100 कंपनियां अभी से अपना आरएंडडी में निवेश बढ़ा रही हैं, इसे समझने के लिए बहुत साहस की जरूरत है। पिछले पांच वर्षों में राजस्व 0.89% से 1.32% तक पहुंच गया है। इसके लिए एक बड़ी छलांग की जरूरत है। मुझे यकीन है कि निदेशक और उनके जैसे लोग तथा आईआईटी के पूर्व छात्र, उन्हें एक मंच पर बातचीत करनी चाहिए। वे शायद इस ग्रह पर बेजोड़ प्रतिभा का भंडार हैं। वे भारत और उसके बाहर अच्छे फैसले लेने की स्थिति में है।

मैं लंबे समय से आईआईटी के पूर्व छात्र संघों के एक संघ के लिए प्रयास कर रहा हूं। वह वैश्विक थिंक टैंक न केवल कॉरपोरेट्स को प्रेरित कर सकता है, बल्कि एक बड़ा बदलाव भी ला सकता है। मुझे ख़ुशी होगी अगर निदेशक अन्य निदेशकों से संपर्क करके पहल करें कि हमारे पास आईआईटी के पूर्व छात्र संघों का एक संघ हो। एक बार जब वे लोग एक ही बात पर सहमत होंगे,तो मुझे यकीन है कि तकनीक की मदद से ऐसा हो सकेगा। इन्क्यूबेशन केंद्रों के माध्यम से संस्थागत समर्थन आईआईटी कानपुर के साथ बढ़ रहा है, जिसने पहले 100 से अधिक महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों सहित 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के 250 स्टार्टअप को समर्थन दिया था। बाद की उपलब्धि खास ध्यान देने योग्य है। जब मैं यहाँ आया तो मैंने देखा कि ज्यादा छात्राएं नहीं थीं, लेकिन उनकी जो भी उपस्थिति है,आप बहुमत से अधिक हैं। बड़ा बदलाव पहले से ही हो रहा है।

भविष्य में नवाचार हमारे लिए ज़रुरी भूमिका निभाएगा और ये सिद्धांत मौलिक हैं। स्मार्ट, समाधान-उन्मुख, स्केलेबल और टिकाऊ। इन शब्दों का अर्थ बहुत सतत् है। मैं एक साधारण वजह से कहता हूं। हमारे ग्रह को वास्तव में ख़तरों का सामना करना पड़ रहा है और हमारे पास कोई दूसरा ग्रह नहीं है। इसलिए विकास स्थिर होना चाहिए। क्रांतिकारी स्मार्टफोन या भारत की यूपीआई प्रणाली जैसे स्मार्ट नवाचार सरल, अनुकूलनीय और परिवर्तनकारी होने चाहिए। जब मैं इस अनुकूलनशीलता को देखता हूं, तो यह मेरे लिए गर्व का क्षण होता है। आज करोड़ों भारतीय किसानों को उनके खातों में सीधे धनराशि प्राप्त होती है। आज जो सरकार कर रही है, वह सबसे अलग है। सुविधाए प्राप्त करने वालों को देखिए,जिन्हें पहले इनकी उम्मीद नहीं थी। तकनीकी मदद के चलते आज धनराशि को लेकर कोई संशय नहीं है, कोई बिचौलिया नहीं, कोई भ्रष्ट तत्व नहीं, पारदर्शिता और जवाबदेही और सबसे खास बात प्रक्रियाओं में तेज़ी आ रही है।

समाधान-उन्मुख नवाचार के लिए कृषि से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक के क्षेत्रों में वास्तविक दुनिया की समस्याओं को समझने की ज़रुरत है। मेरे युवा मित्रों, इसके लिए ज़रुरी है कि हम आरामदायक क्षेत्र से बाहर निकलें और पूरे भारत में विविध हितधारकों के साथ जुड़ें। मैं इसी पर ध्यान केंद्रित करूंगा, क्योंकि मैं आईआईटी कानपुर से एक उत्साही अपील करने आया हूं।

मुझे बेहद खुशी होगी, अगर आईआईटी कानपुर मिशन मोड में किसानों का कल्याण कर सके। कुछ समस्याएं तो बेहद साफ है जैसे पराली जलाने का मुद्दा। कृपया अपने विचारों से इसका कोई समाधान खोजें। हमारे किसान तनावग्रस्त है, क्योंकि उन्हें नवाचार के लाभों का अनुभव नहीं है। आप में से अधिकांश लोग, या आप में से बहुत से लोग किसान परिवारों से आते होंगे। यही बताया जाता है कि कृषि उपज होती है और किसान उसे बेचता है और बात ख़त्म।

किसान को अपने उत्पाद का मूल्य क्यों नहीं बढ़ाना चाहिए? किसान को इसकी मार्केटिंग क्यों नहीं करनी चाहिए? उद्योग के राजकोषीय आयाम की मात्रा की कल्पना करें, जो कृषि उपज के मूल्य में बढ़ोत्तरी करता है।

मैंने कई आईआईटी से निकले महानुभावों को इस क्षेत्र में जाते देखा है। लेकिन जो लोग इसे आसानी से कर सकते हैं, कृपया इस पर ध्यान दें। कहा जा रहा है कि अर्थव्यवस्था में एक बड़ा बदलाव आने वाला है, इसकी जरूरत है। हमें भारत में डिजाइनिंग की जगह, भारत में विनिर्माण पर फोकस करना चाहिए। यह बहुत ही संवेदनशील क्षेत्र है। मैं बार-बार कहता रहा हूं, विनिर्माण का मतलब है कि हम मूल्यों में बढ़ोत्तरी करें, अपने कच्चे माल में वृद्धि करें। ये तो इसका एक छोटा सा पहलू है। लेकिन जब आप पारादीप जैसे बंदरगाह पर जाते हैं या जहां बिना मूल्यवर्धन के लोहा निर्यात किया जा रहा हो, तो युवा लड़के और लड़कियां उस परिदृश्य को किस तरह देखेंगे। कोई उस लौह अयस्क पर नियंत्रण रखता है, किसी को सौदे पर बातचीत करने के लिए कमरे में बैठना आरामदायक लगता है, किसी को विदेश में। लेकिन इस प्रक्रिया में हमारे हितों से समझौता किया जाता है। कोई राजकोषीय लाभ नहीं होता। आपको मूल्यांकन क्षेत्रों में अत्यंत नवोन्मेषी होना चाहिए। हालाँकि बहुत कुछ हो रहा है। यदि कचरे से धन बनाया जा रहा है, यदि कच्चा माल विभिन्न स्वरूपों में उभर कर आ रहा है, तो यह नवाचार के कारण ही है। युवाओं, स्थिरता को प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने की हमारी सभ्यता के लोकाचार के अनुरूप सभी नवाचारों को रेखांकित करना चाहिए। मुझे पता है कि इस प्रवृत्ति में कुछ गिरावट आ रही है। यह उन लोगों के लिए फैशन की बात है , जो संपन्न हैं और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं। आप प्रतिभाशाली व्यक्तित्व हैं, प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग होना चाहिए, क्योंकि यही सतत् विकास का आधार है।

यदि हम प्रकृति के साथ सामंजस्य रखते हैं, तो हमें इस तरह से काम करना होगा, कि पारिस्थितिकी तंत्र के विकास से नवीकरणीय ऊर्जा, टिकाऊ सामान, जैविक खेती और कृषि वानिकी में अवसर पैदा हों। जैसा कि मैंने कहा, किसानों को नवाचार को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाते हुए पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं को अपनाने में सक्षम बनाना चाहिए। असल में अब यह एक सपना नहीं है, यह 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की हमारी मंजिल है। हमें कृषि के कल्याण पर अधिक गंभीरता से ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत है। आपको इस बात पर विचार करना चाहिए कि घटती भूमि के आकार के साथ कृषि अर्थव्यवस्था को कैसे सुधारा जाए। सरकार की कई योजनाएं, हैंड-होल्डिंग योजनाएं, सहकारी समितियां हैं, जिन्हें अब हमारे संविधान में जगह मिली है। वह सब कुछ किया जा रहा है, जो हो सकता है। लेकिन नवीनता उत्पन्न होनी चाहिए। एक बार जब वह नवप्रवर्तन हो जाएगा, तो क्रियान्वयन भी अपने आप हो जाएगा।

हमारे जनसांख्यिकीय लाभांश को देखते हुए, 2047 तक भारत का विकसित राष्ट्र का दर्जा हासिल करना ज़रुरी है। प्राकृतिक संसाधन, प्रतिभा पूल और सहायक नीतियां, सकारात्मक नीतियों जैसी सुविधाएं हमारे पास नहीं थी, जो आपके पास है। जैसे ही आप बाहरी दुनिया के लिए प्रवेश करेंगे,एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है जो आपकी मदद करेगा। आप पाएंगे कि यदि आपके पास कोई स्टार्टअप है, तो शीर्ष कॉर्पोरेट्स निवेश करेंगे। आप अखबार तो पढ़ते ही होंगे, वे उसमें दिलचस्पी लेते हैं। आपने देखा होगा कि कैसे आपके संस्थानों से लोग अरबपति बन गए हैं, क्योंकि उन्होंने नवाचार से एक तकनीकी दिग्गज संस्था बनाई है।

सामान्य आदमी का सरोकार नवाचारों से नहीं, बल्कि समाधान से है। इसलिए, समाधान प्रदान करने वाला कोई भी नवाचार हर किसी की कल्पना को आकर्षित करता है। क्या आप हमारे जैसे देश की कल्पना कर सकते हैं जहां लोग गांवों में रहते हों? प्रौद्योगिकी की अनुकूलनशीलता इतनी तेज रही है, जिससे हमें दुनिया में बढ़त मिली है । हमारी प्रति व्यक्ति इंटरनेट खपत अमेरिका और चीन की संयुक्त खपत की तुलना में अधिक है। अब आप पाएंगे कि हर व्यक्ति डिजिटल माध्यम से भुगतान करने लगा है। अर्थव्यवस्था पर इसका असर देखिए, हमारी अर्थव्यवस्था औपचारिक होती जा रही है। एक औपचारिक अर्थव्यवस्था नैतिक मानकों, पारदर्शी शासन का अग्रदूत है। आपमें से जो लोग , जिनके माता-पिता से आयकर रिटर्न दाखिल करते थे, उनसे पता कर सकते हैं कि पहले यह काफी परेशानी भरा काम हुआ करता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। सभी लेन-देन सरल हो गए हैं। पूरे भारत में भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे का अभिसरण बाजार संबंधों के लिए अभूतपूर्व अवसर पैदा करता है।

मैं इनोवेटर्स से आग्रह करूंगा, यानी कि आप युवाओं से कि आपको स्थानीय उत्पादों को वैश्विक बाजारों से जोड़ने के लिए इन फाउंडेशन का लाभ उठाना चाहिए, जैसे कि कानपुर के चमड़े के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाना चाहिए। राष्ट्र की प्रगति, नवाचारों को तैयार करने की आपकी क्षमता पर निर्भर करती है, जो आर्थिक विकास को आगे बढ़ाते हुए वास्तविक चुनौतियों का समाधान भी करती है।

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सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) का विस्तार

एमएसएमई मंत्रालय 2008-09 से प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) नामक एक प्रमुख ऋण-सम्बद्ध सब्सिडी कार्यक्रम को कार्यान्वित कर रहा है, जिसमें खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) राष्ट्रीय स्तर पर नोडल एजेंसी है, ताकि गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना करके देश में उत्तराखंड सहित, रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकें।

पीएमईजीपी एक केंद्रीय योजना है, जो सामान्य श्रेणी के लाभार्थियों को ग्रामीण क्षेत्रों में परियोजना लागत का 25% और शहरी क्षेत्रों में 15% मार्जिन मनी (एमएम) सब्सिडी के साथ सहायता प्रदान करती है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, अल्पसंख्यक, महिला, भूतपूर्व सैनिक, शारीरिक रूप से विकलांग, ट्रांसजेंडर, पूर्वोत्तर क्षेत्र, पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्रों और आकांक्षी जिलों से संबंधित जैसे विशेष श्रेणी के लाभार्थियों के लिए, ग्रामीण क्षेत्रों में मार्जिन मनी सब्सिडी 35% और शहरी क्षेत्रों में 25% है। विनिर्माण क्षेत्र में परियोजना की अधिकतम लागत 50 लाख रुपये और सेवा क्षेत्र में 20 लाख रुपये है।

2018-19 से, मौजूदा पीएमईजीपी/मुद्रा उद्यमों को भी पिछले अच्छे प्रदर्शन के आधार पर अपग्रेडेशन और विस्तार के लिए दूसरे ऋण के साथ समर्थन दिया जा रहा है। दूसरे ऋण के तहत, विनिर्माण क्षेत्र में मार्जिन मनी (एमएम) सब्सिडी के लिए स्वीकार्य अधिकतम परियोजना लागत 1.00 करोड़ रुपये है और सेवा क्षेत्र के लिए 25 लाख रुपये है। दूसरे ऋण पर सभी श्रेणियों के लिए सब्सिडी परियोजना लागत का 15% (एनईआर और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए 20%) है।

पीएमईजीपी एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, इसलिए राज्यवार बजट का कोई आवंटन नहीं किया जाता है। निधियों का उपयोग उत्पन्न मांग और वित्तीय संस्थानों द्वारा स्वीकृत ऋणों के आधार पर किया जाता है।

पीएमईजीपी के लिए पांच वित्तीय वर्षों (2021-22 से 2025-26) में 13,554.42 करोड़ रुपये के परिव्यय को मंजूरी दी गई है।

चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में उत्तराखंड राज्य में पीएमईजीपी के अंतर्गत 430 लाभार्थियों को 12.01 करोड़ रुपये की मार्जिन मनी सब्सिडी प्राप्त हुई है। उत्तराखंड राज्य में पीएमईजीपी के अंतर्गत 8.08 करोड़ रुपये की राशि के 77 सब्सिडी दावे लंबित हैं।

यह जानकारी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री श्रीमती सुश्री शोभा करंदलाजे ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा।

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संकट का सामना कर रहे एमएसएमई क्षेत्र की समीक्षा के लिए योजनाएं

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) देश भर में एमएसएमई क्षेत्र के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को क्रियान्वित करता है। इन योजनाओं/कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए ऋण गारंटी योजना, सूक्ष्म एवं लघु उद्यम-क्लस्टर विकास कार्यक्रम, उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम, खरीद एवं विपणन सहायता योजना, एमएसएमई प्रदर्शन को उन्नत एवं तेज करना, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग योजना, राष्ट्रीय एससी/एसटी हब, एमएसएमई चैंपियन आदि शामिल हैं।

सरकार सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई) के लिए ऋण गारंटी योजना (सीजीएस) लागू करती है, ताकि ऋण वितरण प्रणाली को मजबूत किया जा सके और बिना किसी संपार्श्विक और तीसरे पक्ष की गारंटी के झंझट के सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्षेत्र को ऋण प्रवाह की सुविधा प्रदान की जा सके। यह ऋण अधिकतम 500 लाख रुपये तक है। एमएसई के लिए सीजीएस के तहत सावधि ऋण और/या कार्यशील पूंजी सुविधाएं पात्र हैं।

केंद्रीय बजट 2024-25 में एमएसएमई के लिए वित्तपोषण, विनियामक परिवर्तन और प्रौद्योगिकी सहायता को कवर करने वाले पैकेज की घोषणा की गई है, ताकि उन्हें बढ़ने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिल सके, जैसा कि नीचे दिया गया है:

  • एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए सहयोग;
  • विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई के लिए ऋण गारंटी योजना;
  • एमएसएमई ऋण के लिए नया मूल्यांकन मॉडल;
  • तनाव की अवधि में एमएसएमई को ऋण सहायता;
  • मुद्रा ऋण की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये की गई;
  • टीआरईडीएस में अनिवार्य ऑनबोर्डिंग के लिए दायरा बढ़ाया गया;
  • एमएसएमई क्लस्टरों में सिडबी शाखाएं;
  • खाद्य विकिरण, गुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण के लिए एमएसएमई इकाइयाँ;
  • ई-कॉमर्स निर्यात केन्द्र.

सरकार ने एमएसएमई को विपणन और खरीद सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न उपाय किए हैं। इनमें से कुछ उपाय इस प्रकार हैं:

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 के अंतर्गत सूक्ष्म और लघु उद्यम आदेश, 2012 के लिए सार्वजनिक खरीद नीति को कार्यान्वित करता है। नीति में केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों/केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा सूक्ष्म और लघु उद्यमों से 25% वार्षिक खरीद अनिवार्य की गई है, जिसमें एससी/एसटी उद्यमियों के स्वामित्व वाले सूक्ष्म और लघु उद्यमों से 4% और महिला उद्यमियों के स्वामित्व वाले सूक्ष्म और लघु उद्यमों से 3% खरीद शामिल है।
  • एमएसएमई मंत्रालय सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों की बाजार पहुंच बढ़ाने के लिए खरीद एवं विपणन सहायता योजना लागू करता है। यह योजना राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों/प्रदर्शनियों/एमएसएमई एक्सपो आदि में भागीदारी की सुविधा प्रदान करती है।
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय एमएसएमई को अपने उत्पादों के निर्यात और विदेशों में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों/मेलों/क्रेता-विक्रेता बैठकों में एमएसएमई की भागीदारी की सुविधा के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग योजना लागू करता है और भारत में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों/सेमिनारों/कार्यशालाओं का आयोजन करता है।
  • पहली बार निर्यात करने वालों (सीबीएफटीई) की क्षमता निर्माण के लिए, नए सूक्ष्म और लघु उद्यमों को, जो निर्यातक हैं, निर्यात संवर्धन परिषदों के साथ पंजीकरण सह-सदस्यता प्रमाणन (आरसीएमसी), निर्यात बीमा प्रीमियम और निर्यात के लिए परीक्षण एवं गुणवत्ता प्रमाणन पर हुए खर्च की प्रतिपूर्ति प्रदान की जाती है।

यह जानकारी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री श्रीमती सुश्री शोभा करंदलाजे ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चंडीगढ़ में तीन नए आपराधिक कानूनों के सफल कार्यान्वयन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी 3 दिसंबर, 2024 को दोपहर 12 बजे चंडीगढ़ में तीन परिवर्तनकारी नए आपराधिक कानूनों- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के सफल कार्यान्वयन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे।

तीनों कानूनों की अवधारणा प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से प्रेरित थी। इसमें औपनिवेशिक काल के कानूनों को हटाने के बारे में विचार किया गया था, जो स्वतंत्रता के बाद भी अस्तित्व में रहे। साथ ही, दंड से न्याय पर ध्यान केंद्रित करके न्यायिक प्रणाली को बदलना भी था। इसे ध्यान में रखते हुए, इस कार्यक्रम का मूल विषय “सुरक्षित समाज, विकसित भारत – दंड से न्याय तक” है।

पूरे देश में 1 जुलाई, 2024 को नए आपराधिक कानून लागू किए गए। इन आपराधिक कानूनों का उद्देश्य भारत की न्याय व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, कुशल और समकालीन समाज की आवश्यकताओं के अनुकूल बनाना है। ये ऐतिहासिक सुधार भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव का प्रतीक हैं, जो साइबर अपराध, संगठित अपराध जैसी आधुनिक चुनौतियों से निपटने और विभिन्न अपराधों के पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए नए ढांचे लाते हैं।

कार्यक्रम में इन कानूनों के व्यावहारिक इस्तेमाल को प्रदर्शित किया जाएगा। इसमें यह भी दिखाया जाएगा कि कैसे वे पहले से ही आपराधिक न्याय परिदृश्य को नया आकार दे रहे हैं। एक लाइव प्रदर्शन भी आयोजित किया जाएगा, जिसमें अपराध स्थल की जांच का अनुसरण किया जाएगा और नए कानूनों को अमल में लाया जाएगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों के दौरान फिजिकल वैलेट सिस्टम शुरू करने की मांग वाली जनहित याचिका को किया खारिज।

कानपुर नगर, 26 नवम्बर (सू.वि.)* आज सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनावों में पेपर वैलेट सिस्टम को फिर से लागू करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता डॉ. के.ए. पाल के ईवीएम से छेड़छाड़ के दावों को खारिज कर दिया, जिसमें उन नेताओं की असंगतता को उजागर किया गया, जो ईवीएम की विश्वसनीयता पर तभी सवाल उठाते हैं, जब वे चुनाव हार जाते हैं। याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने टिप्पणी की अगर आप चुनाव जीतते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं होती है। जब आप चुनाव हारते हैं, तो ईवीएम से छेड़छाड़ होती है। इस प्रकार अतंतोगत्वा न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पी.बी. वराले की पीठ ने याचिकाकर्ता डॉ. के.ए. पाल की दलीलों को खारिज करते हुए जनहित याचिका को खारिज कर दिया।

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1750 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ अरुणाचल प्रदेश के शि योमी जिले में 186 मेगावाट की तातो-Iजलविद्युत परियोजना के निर्माण के लिए निवेश प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसे 50 महीने में पूरा किया जाना है

प्रधानमंत्री  मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने अरुणाचल प्रदेश के शि योमी जिले में तातो-I जलविद्युत परियोजना (एचईपी) के निर्माण के लिए 1750 करोड़ रुपये के निवेश को स्वीकृति दे दी है। परियोजना के पूरा होने का अनुमानित समय 50 महीने है।

186 मेगावाट (3 x 62 मेगावाट) की स्थापित क्षमता वाली यह परियोजना 802 मिलियन यूनिट (एमयू) ऊर्जा का उत्पादन करेगी। परियोजना से उत्पादित बिजली से अरुणाचल प्रदेश राज्य में बिजली आपूर्ति की स्थिति को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और राष्ट्रीय ग्रिड भी संतुलित होगा।

परियोजना का क्रियान्वयन नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (नीपको) और अरुणाचल प्रदेश सरकार के बीच एक संयुक्त उद्यम कंपनी के माध्यम से किया जाएगा। भारत सरकार राज्य के इक्विटी शेयर के लिए 120.43 करोड़ रुपये की केंद्रीय वित्तीय सहायता के अलावा सक्षम बुनियादी ढांचे के तहत सड़कों, पुलों और संबंधित ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण के लिए बजटीय सहायता के रूप में 77.37 करोड़ रुपये देगी।

इससे जहां राज्य को 12% मुफ्त बिजली और स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (एलएडीएफ) से 1% का लाभ मिलेगा, वहीं क्षेत्र में बुनियादी ढांचे में खासा सुधार और सामाजिक-आर्थिक विकास भी होगा।

परियोजना के लिए लगभग 10 किलोमीटर लंबी सड़कों और पुलों के विकास सहित बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण सुधार किया जाएगा, जो ज्यादातर स्थानीय उपयोग के लिए उपलब्ध होगा। जिले को अस्पताल, स्कूल, आईटीआई जैसे व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान, बाजार, खेल के मैदान जैसे आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण से भी लाभ होगा, जिन्हें 15 करोड़ रुपये के समर्पित परियोजना कोष से वित्तपोषित किया जाएगा। स्थानीय लोगों को कई तरह के मुआवजे, रोजगार और सीएसआर गतिविधियों से भी लाभ होगा।

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वाणिज्यिक कोयला खदानों ने नए मानक स्थापित किए: एक दिन में 0.617 मिलियन टन का रिकॉर्ड प्रेषण भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाता है

कोयला मंत्रालय ने वाणिज्यिक कोयला खदानों द्वारा 24 नवंबर, 2024 को एक दिन में अब तक के सर्वोच्च 0.617 मिलियन टन (एमटी) उत्पादन और प्रेषण को भारत की उल्लेखनीय उपलब्धि बताया है। पिछले वर्ष इसी दिन 0.453 मिलियन टन की तुलना में इसमें 36 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।  आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत यह इस क्षेत्र की मजबूत वृद्धि दर्शाते हुए विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

रिकॉर्ड डिस्पैच में बिजली क्षेत्र को 0.536 मिलियन टन और गैर-बिजली क्षेत्र को 0.081 मिलियन टन कोयला उपलब्ध कराना शामिल है, जो अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में सुदृढ़ प्रदर्शन दिखाता  है। मासिक डिस्पैच प्रगति 12.810 मिलियन टन पहुंच गई है, जो वर्ष-दर-वर्ष 116.373 मिलियन टन का पर्याप्त डिस्पैच है। यह कोयला उत्पादन और वितरण में निरंतर बढोतरी दर्शाता है।

यह अभूतपूर्व उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत वाणिज्यिक कोयला खनन सुधारों के परिवर्तनकारी उपायों को भी सामने लाती है। खानों में कोयला उत्पादन और इनके रिकॉर्ड स्तर पर प्रेषण करना हमारी ऊर्जा सुरक्षा सुदृढ करने के साथ ही 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में हमारी प्रगति को भी गति प्रदान करता है ।

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