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राजनीति

जुलाई 2023 के लिए सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 1,65,105 करोड़ रुपये रहा; वर्ष-दर-वर्ष 11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई

जुलाई, 2023 महीने में संग्रह किया गया सकल जीएसटी राजस्व 1,65,105 करोड़ रुपये रहा है, जिसमें सीजीएसटी 29,773 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 37,623 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 85,930 करोड़ रुपये (वस्तुओं के आयात पर एकत्र 41,239 करोड़ रुपये सहित) और उपकर 11,779 करोड़ रुपये है (वस्तुओं के आयात पर संग्रहित 840 करोड़ रुपये सहित) रहा है।

सरकार ने आईजीएसटी से सीजीएसटी में 39,785 करोड़ रुपये और एसजीएसटी को 33,188 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। नियमित भुगतान के बाद जुलाई 2023 महीने में केंद्र और राज्यों का कुल राजस्व सीजीएसटी के लिए 69,558 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के लिए 70,811 करोड़ रुपये है।

जुलाई 2023 महीने का राजस्व पिछले साल के इसी महीने में प्राप्त जीएसटी राजस्व से 11 प्रतिशत अधिक है। इस मास के दौरान, घरेलू लेनदेन (सेवाओं के आयात सहित) से प्राप्त राजस्व पिछले वर्ष के इसी महीने के दौरान इन स्रोतों से प्राप्त राजस्व से 15 प्रतिशत अधिक है। ऐसा पांचवीं बार है, जब सकल जीएसटी संग्रह 1.60 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है।

नीचे दिया गया चार्ट चालू वर्ष के दौरान मासिक सकल जीएसटी राजस्व में आए रुझान को दर्शाता है। तालिका-1 जुलाई 2022 की तुलना में जुलाई 2023 के महीने के दौरान प्रत्येक राज्य में संग्रहित जीएसटी के राज्य-वार आंकड़े दर्शाती है और तालिका-2 जुलाई 2023 में राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों को प्राप्त/भुगतान किए गए आईजीएसटी के एसजीएसटी और एसजीएसटी हिस्से को दर्शाती है।

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जुलाई 2023 के दौरान जीएसटी राजस्व की राज्यवार वृद्धि [1] (करोड़ रुपये में)

राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश जुलाई’22 जुलाई’23 विकास(प्रतिशत)
जम्मू एवं कश्मीर 431 549 27
हिमाचल प्रदेश 746 917 23
पंजाब 1733 2000 15
चंडीगढ़ 176 217 23
उत्तराखंड 1390 1607 16
हरियाणा 6791 7953 17
दिल्ली 4327 5405 25
राजस्थान 3671 3988 9
उत्तर प्रदेश 7074 8802 24
बिहार 1264 1488 18
सिक्किम 249 314 26
अरुणाचल प्रदेश 65 74 13
नगालैंड 42 43 3
मणिपुर 45 42 -7
मिजोरम 27 39 47
त्रिपुरा 63 78 23
मेघालय 138 175 27
असम 1040 1183 14
पश्चिम बंगाल 4441 5128 15
झारखंड 2514 2859 14
ओडिशा 3652 4245 16
छत्तीसगढ़ 2695 2805 4
मध्य प्रदेश 2966 3325 12
गुजरात 9183 9787 7
दमन और दीव 313 354 13
दादरा और नगर हवेली
महाराष्ट्र 22129 26064 18
कर्नाटक 9795 11505 17
गोवा 433 528 22
लक्षद्वीप 2 2 45
केरल 2161 2381 10
तमिलनाडु 8449 10022 19
पुदुचेरी 198 216 9
अंडमान व निकोबार द्वीप समूह 23 31 32
तेलंगाना 4547 4849 7
आंध्र प्रदेश 3409 3593 5
लद्दाख 20 23 13
अन्य क्षेत्र 216 226 4
केंद्र क्षेत्राधिकार 162 209 29
कुल योग 106580 123026 15
[1] इसमें माल के आयात पर जीएसटी शामिल नहीं है

जुलाई‘ 2023 में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को भुगतान किए गए आईजीएसटी के एसजीएसटी और एसजीएसटी हिस्से की राशि (करोड़ रुपये में)

राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश एसजीएसटी संग्रह आईजीएसटी का एसजीएसटी भाग कुल
जम्मू एवं कश्मीर 234 429 663
हिमाचल प्रदेश 233 285 518
पंजाब 727 1138 1865
चंडीगढ़ 57 133 190
उत्तराखंड 415 210 625
हरियाणा 1610 1256 2866
दिल्ली 1221 1606 2827
राजस्थान 1380 1819 3199
उत्तर प्रदेश 2751 3426 6176
बिहार 718 1469 2187
सिक्किम 30 53 83
अरुणाचल प्रदेश 37 113 150
नगालैंड 18 70 88
मणिपुर 23 58 80
मिजोरम 22 57 79
त्रिपुरा 40 86 125
मेघालय 50 99 149
असम 451 696 1146
पश्चिम बंगाल 1953 1531 3483
झारखंड 721 330 1051
ओडिशा 1300 416 1716
छत्तीसगढ़ 627 382 1009
मध्य प्रदेश 1045 1581 2626
गुजरात 3293 1917 5210
दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव 56 29 85
महाराष्ट्र 7958 4167 12124
कर्नाटक 3181 2650 5831
गोवा 173 146 320
लक्षद्वीप 2 13 14
केरल 1093 1441 2534
तमिलनाडु 3300 2119 5419
पुदुचेरी 41 57 99
अंडमान व निकोबार द्वीप समूह 11 25 37
तेलंगाना 1623 1722 3345
आंध्र प्रदेश 1199 1556 2755
लद्दाख 11 47 58
अन्य क्षेत्र 19 55 75
कुल योग 37623 33188 70811

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सहकारी आंदोलन की अग्रणी संस्था कानपुर क्रय विक्रय सहकारी समिति लिमिटेड के निर्वाचन की घोषणा

कानपुर सहकारी आंदोलन की अग्रणी संस्था कानपुर क्रय विक्रय सहकारी समिति लिमिटेड के निर्वाचन का क्रियान्वन घोषणा निर्वाचन अधिकारी दिग्विजय सिंह जिला उद्यान अधिकारी ने भाजपा के राहुल सिंह को सभापति श्रीमती श्वेता सिंह को उप सभापति घोषित किया तथा संचालक सर्वश्री ज्ञान पाल सिंह अभिलाष कुमार त्रिपाठी जयराम रोहित कुमार उमेश कुमार निषाद सुमन लता सिंह प्रताप सिंह रामचंद्र भारती नीरज सिंह को निर्वाचित घोषित किया निर्वाचन में सभापति हेतु राहुल सिंह ने अपने प्रतिद्वंदी  प्रताप सिंह को 5 वोटों से पराजित किया तथा उपसभापति में  श्वेता सिंह ने भी रामचंद्र भारती को 5 मतों से हराया निर्वाचन की घोषणा होते ही राहुल सिंह के कैंप व  श्वेता सिंह के कैंपों में खुशी की लहर दौड़ गई लोगों ने मालाओं से लाद दिया की जबकि नामांकन ज्ञातव्य हो ‌ कि जब नामांकन में प्रत्याशी सहित दो संचालकों के और हस्ताक्षर होते हैं कुल 3 मत की जगह दो मत ही मिले लगता है कि प्रस्तावक या समर्थक में कोई एक मत जो राहुल सिंह व श्वेता सिंह को प्राप्त हुआ!. ‌ ‌‌‌उक्त निर्वाचन में सहकारिता आंदोलन के खाटी नेता सुरेश गुप्ता की अहम भूमिका रही उक्त निर्वाचन के समय श्री अजय प्रताप सिंह चेयरमैन जिला सहकारी फेडरेशन शिव हर्षवर्धन सिंह शिव मोहन सिंह ए.पी.सिंह भदोरिया गंगाराम शर्मा पुष्पेंद्र सिंह आदित्य तिवारी संजय सिंह सत्यम सिंह संदीप गुप्ता शिवनाथ कुरील रमाशंकर अग्रहरि आदि प्रमुख थे

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प्रधानमंत्री महाराष्ट्र के पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित

प्रधानमंत्री को महाराष्ट्र के पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया प्रधानमंत्री मोदी को आज महाराष्ट्र के पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।Image लोकमान्य तिलक की विरासत का सम्मान करने के लिए तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट द्वारा 1983 में इस पुरस्कार की स्थापना गई थी। प्रधानमंत्री ने नकद पुरस्कार की धनराशि नमामि गंगे परियोजना को दान में दी।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर लोकमान्य तिलक की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने लोकमान्य तिलक को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि यह उनके लिए एक विशेष दिन है। इस अवसर पर अपनी भावनाओं के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि आज लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि तथा अन्ना भाऊ साठे की जयंती है। प्रधानमंत्री ने कहा, “लोकमान्य तिलक जी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के ‘तिलक’ हैं।” उन्होंने समाज के कल्याण के लिए अन्ना भाऊ साठे के असाधारण और अद्वितीय योगदान को भी रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने छत्रपति शिवाजी, चापेकर बंधु, ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले की भूमि को श्रद्धांजलि दी। इसके पहले प्रधानमंत्री ने दगड़ूशेठ मंदिर में आशीर्वाद लिया।

प्रधानमंत्री ने आज लोकमान्य से सीधे जुड़े स्थान और संस्था द्वारा उन्हें दिए गए सम्मान को ‘अविस्मरणीय’ बताया। प्रधानमंत्री ने काशी और पुणे के बीच समानताओं का उल्लेख किया, क्योंकि दोनों स्थल ज्ञान-प्राप्ति के केंद्र हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब कोई पुरस्कार प्राप्त करता है, तो उसकी जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं, विशेषकर जब पुरस्कार के साथ लोकमान्य तिलक का नाम जुड़ा हो। प्रधानमंत्री ने लोकमान्य तिलक पुरस्कार भारत के 140 करोड़ नागरिकों को समर्पित किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार उनके सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए मदद करने में कोई कमी नहीं छोड़ेगी। प्रधानमंत्री ने नकद पुरस्कार की धनराशि नमामि गंगे परियोजना को दान करने के अपने फैसले की भी जानकारी दी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता में लोकमान्य तिलक के योगदान को कुछ शब्दों या कुछ घटनाओं तक सीमित नहीं किया जा सकता, क्योंकि स्वतंत्रता संग्राम के सभी नेताओं और घटनाओं पर उनका स्पष्ट प्रभाव था। प्रधानमंत्री ने कहा, “यहां तक कि अंग्रेजों को भी उन्हें ‘भारतीय अशांति का जनक’ कहना पड़ता था।” श्री मोदी ने बताया कि लोकमान्य तिलक ने अपने ‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ के दावे के साथ स्वतंत्रता संग्राम की दिशा बदल दी। तिलक ने अंग्रेजों द्वारा भारतीय परंपराओं को पिछड़ा बताने को भी गलत सिद्ध किया। प्रधानमंत्री ने याद किया कि महात्मा गांधी ने तिलक को आधुनिक भारत का निर्माता कहा था।

प्रधानमंत्री ने लोकमान्य तिलक की संस्था-निर्माण क्षमताओं को श्रद्धांजलि अर्पित की। लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल के साथ उनका सहयोग, भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक स्वर्णिम अध्याय है। प्रधानमंत्री ने तिलक द्वारा समाचार पत्रों और पत्रकारिता के उपयोग किये जाने को भी याद किया। ‘केसरी’ आज भी महाराष्ट्र में प्रकाशित होता है और पढ़ा जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “यह सभी लोकमान्य तिलक द्वारा मजबूत संस्था निर्माण के प्रमाण हैं।”

संस्था निर्माण से आगे बढ़ते हुए, प्रधानमंत्री ने तिलक द्वारा परंपराओं का पोषण किये जाने पर प्रकाश डाला और छत्रपति शिवाजी के आदर्शों का उत्सव मनाने के लिए गणपति महोत्सव तथा शिव जयंती की शुरुआत का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “ये आयोजन, भारत को एक सांस्कृतिक सूत्र में पिरोने तथा पूर्ण स्वराज की परिकल्पना से जुड़े अभियान भी थे। यह भारत की विशेषता रही है कि नेताओं ने स्वतंत्रता जैसे बड़े लक्ष्यों के लिए लड़ाई लड़ी और सामाजिक सुधार का अभियान भी चलाया।”

देश के युवाओं में लोकमान्य तिलक के विश्वास का जिक्र करते हुए, प्रधानमंत्री ने वीर सावरकर को मार्गदर्शन देने और श्यामजी कृष्ण वर्मा को सिफारिश करने को याद किया, जो लंदन में दो छात्रवृत्तियां चला रहे थे- छत्रपति शिवाजी छात्रवृत्ति तथा महाराणा प्रताप छात्रवृत्ति। पुणे में न्यू इंग्लिश स्कूल, फर्ग्यूसन कॉलेज और डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना इसी दृष्टिकोण के हिस्से हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “प्रणाली निर्माण से संस्था निर्माण, संस्था निर्माण से व्यक्ति निर्माण और व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण का विजन, राष्ट्र के भविष्य के लिए एक रोडमैप की तरह है और देश इस रोडमैप का प्रभावी ढंग से पालन कर रहा है।”

लोकमान्य तिलक के साथ महाराष्ट्र के लोगों के विशेष बंधन पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात के लोग भी उनके साथ समान बंधन साझा करते हैं। उन्होंने उस समय को याद किया जब लोकमान्य तिलक ने अहमदाबाद की साबरमती जेल में लगभग डेढ़ महीने बिताए थे। उन्होंने बताया कि 1916 में 40,000 से अधिक लोग उनका स्वागत करने और उनके विचार सुनने के लिए इकट्ठा हुए थे। इन लोगों में सरदार वल्लभभाई पटेल भी शामिल थे। उन्होंने आगे कहा कि तिलक के भाषण के प्रभाव के कारण सरदार पटेल ने अहमदाबाद में लोकमान्य तिलक की एक प्रतिमा स्थापित की, जब वे अहमदाबाद नगर पालिका के प्रमुख थे। प्रधानमंत्री ने कहा, “सरदार पटेल में लोकमान्य तिलक के दृढ़ संकल्प को देखा जा सकता है।” यह प्रतिमा विक्टोरिया गार्डन में स्थापित की गई है। इस स्थल के बारे में प्रधानमंत्री ने बताया कि अंग्रेजों ने इस मैदान को 1897 में रानी विक्टोरिया के हीरक जयंती समारोह को मनाने के लिए विकसित किया था। उन्होंने लोकमान्य तिलक की प्रतिमा स्थापित करने में सरदार पटेल के क्रांतिकारी कार्य पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अंग्रेजों के विरोध के बावजूद महात्मा गांधी ने 1929 में इस प्रतिमा का अनावरण किया था। प्रतिमा के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक भव्य प्रतिमा है, जिसमें तिलक जी को आराम की मुद्रा में बैठे देखा जा सकता है। ऐसा महसूस होता है कि वे स्वतंत्र भारत के उज्ज्वल भविष्य पर विचार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “गुलामी के काल में भी सरदार पटेल ने भारत के सुपुत्र का सम्मान करने के लिए पूरे ब्रिटिश शासन को चुनौती दी थी।” प्रधानमंत्री ने आज की स्थिति पर अफसोस जताते हुए कहा कि जब सरकार एक विदेशी आक्रमणकारी के नाम के बदले एक भारतीय व्यक्तित्व का नाम देना चाहती है, तो कुछ लोग शोरगुल करते हैं।

प्रधानमंत्री ने गीता में लोकमान्य की आस्था का जिक्र किया। सुदूर मांडले में कारावास में रहते हुए भी लोकमान्य ने गीता का अध्ययन करना जारी रखा और ‘गीता रहस्य’ के रूप में एक अमूल्य उपहार दिया।

प्रधानमंत्री ने प्रत्येक व्यक्ति में आत्मविश्वास जगाने की लोकमान्य की क्षमता के बारे में बात की। तिलक ने स्वतंत्रता, इतिहास और संस्कृति की लड़ाई के प्रति लोगों में विश्वास पैदा किया। उन्हें लोगों, श्रमिकों और उद्यमियों पर भरोसा था। उन्होंने कहा, “तिलक ने भारतीयों की हीनभावना के मिथक को तोड़ा और उन्हें उनकी क्षमताओं से अवगत कराया।”

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अविश्वास के वातावरण में देश का विकास संभव नहीं है। उन्होंने पुणे के एक व्यक्ति श्री मनोज पोचट जी के ट्वीट को याद किया, जिन्होंने उल्लेख किया था कि पीएम के तौर पर उन्होंने 10 साल पहले पुणे की यात्रा की थी। प्रधानमंत्री ने तिलक जी द्वारा फर्ग्यूसन कॉलेज की स्थापना के समय को याद किया और कहा कि उस समय भारत में विश्वास की कमी के बारे में बात की गई थी। प्रधानमंत्री ने विश्वास की कमी का मुद्दा उठाने के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि देश विश्वास की कमी से अतिरिक्त विश्वास की ओर बढ़ गया है।

प्रधानमंत्री ने पिछले 9 वर्षों में हुए बड़े बदलावों में इस अतिरिक्त विश्वास का उदाहरण दिया। उन्होंने उल्लेख किया कि इस विश्वास के परिणामस्वरूप भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने देश के स्वयं पर विश्वास के बारे में बात की। उन्होंने मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन जैसी सफलताओं का उल्लेख किया और कहा कि इस उपलब्धि में पुणे ने एक बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने भारतीयों की कड़ी मेहनत और निष्ठा के प्रति विश्वास के बारे में कहा कि मुद्रा योजना के तहत गिरवी-मुक्त ऋण इसका एक प्रतीक है। इसी तरह, अधिकांश सेवाएं अब मोबाइल पर उपलब्ध हैं और लोग अपने दस्तावेज़ों को स्वयं सत्यापित कर सकते हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि व्यापार अधिशेष के कारण स्वच्छता अभियान और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जन आंदोलन बन गये हैं। ये सभी देश में एक सकारात्मक वातावरण बना रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने इस बात को याद करते हुए कि लाल किले से अपने संबोधन के दौरान जब उन्होंने लोगों से गैस सब्सिडी छोड़ने का आह्वान किया था, तो इसके बाद लाखों लोगों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी थी। उन्होंने बताया कि कई देशों का एक सर्वेक्षण किया गया था, जिसमें पता चला कि भारत का सरकार के प्रति सबसे अधिक विश्वास है। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि बढ़ता जन-विश्वास भारत के लोगों की प्रगति का माध्यम बन रहा है।

संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि आजादी के 75 वर्षों के बाद देश अमृत काल को कर्तव्य काल के रूप में देख रहा है, जहां प्रत्येक नागरिक देश के सपनों और संकल्पों को ध्यान में रखते हुए अपने-अपने स्तर पर काम कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, इसीलिए पूरी दुनिया भी आज भारत में अपना भविष्य देख रही है, क्योंकि हमारे आज के प्रयास पूरी मानवता के लिए आश्वासन बन रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकमान्य तिलक के विचारों और आशीर्वाद की शक्ति से देशवासी निश्चित रूप से एक मजबूत और समृद्ध भारत के सपने को साकार करेंगे। प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि हिंद स्वराज्य संघ, लोगों को लोकमान्य तिलक के आदर्शों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा।

इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस और श्री अजीत पवार, संसद सदस्य श्री शरदचंद्र पवार, तिलक स्मारक ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. दीपक तिलक, तिलक स्मारक ट्रस्ट के उपाध्यक्ष डॉ. रोहित तिलक, तिलक स्मारक ट्रस्ट के ट्रस्टी श्री सुशील कुमार शिंदे व अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

लोकमान्य तिलक की विरासत का सम्मान करने के लिए तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट द्वारा 1983 में इस पुरस्कार की स्थापना की गयी थी। यह उन लोगों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए काम किया है तथा जिनके योगदान को उल्लेखनीय और असाधारण कहा जा सकता है। यह हर साल लोकमान्य तिलक की पुण्यतिथि, 1 अगस्त को प्रदान किया जाता है।

प्रधानमंत्री इस पुरस्कार के 41वें प्राप्तकर्ता बने हैं। इससे पहले डॉ. शंकर दयाल शर्मा, श्री प्रणब मुखर्जी, श्री अटल बिहारी वाजपेयी, श्रीमती इंदिरा गांधी, डॉ. मनमोहन सिंह, श्री एन.आर. नारायण मूर्ति और डॉ. ई. श्रीधरन जैसे प्रमुख व्यक्तियों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

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भारत रत्न राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कर्मठ पत्रकार तेजस्वी वक्ता समाज सुधारक थे ~सतीश महाना

कानपुर 1 अगस्त भारतीय स्वरूप संवाददाता, तुलसी उपवन मोतीझील में भारतरत्न राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन जी की 141वीं जयंती पर आयोजित संगोष्ठी में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन जी महान स्वतन्त्रता सेनानी, समर्पित राजनयिक, हिन्दी के अनन्य सेवक, कर्मठ पत्रकार, तेजस्वी वक्ता और समाज सुधारक थे, खत्री विनय माधव खन्ना अध्यक्ष खत्री सभा कानपुर में बताया प्रखर विद्वान हिंदी भाषा के शिखर पुरुष महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की जयंती पर आज श्रद्धा स्मरण किया गया, इस दौरान मुख्य रूप से विधायक सुरेंद्र मैथानी विजय कपूर विनय माधव खन्ना , दीपक खन्ना सुरेश चंद्र मेहरोत्रा गीता कपूर टंडन निम्मी खन्ना रवि कोहली संजय मेहरोत्रा निखिल टंडन राजीव मेहरोत्रा सुनील खन्ना अतुल मेहरोत्रा राकेश मेहरोत्रा,वीडी राय ,आशीष शर्मा सानू,अमित मेहरोत्रा बबलू, पूनम कपूर भरत सेठ पदम खन्ना रामजी कपूर मोहित अरोड़ा सुधीर मेहरोत्रा श्याम मेहरोत्रा आदि लोग मौजूद थे

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लोकसभा ने संसद में जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया

जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023 आज लोकसभा में पारित हो गया।

विधेयक पहली बार 22 दिसंबर 2022 को लोकसभा में प्रस्तुत किया गया था। इसके बाद, इसे संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया था। जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2022 पर संयुक्त समिति ने विधायी विभाग और कानूनी मामलों के विभाग के साथ सभी 19 मंत्रालयों/विभागों के साथ विस्तृत चर्चा की। समिति ने 09.01.2023 और 17.02.2023 के बीच 9 बैठकों की श्रृंखला के माध्यम से विधेयक की खंड-दर-खंड जांच की। समिति ने अंततः 13.03.2023 को आयोजित बैठक में अपनी रिपोर्ट को स्वीकृत किया।

समिति की रिपोर्ट क्रमशः 17 मार्च 2023 और 20 मार्च 2023 को राज्यसभा और लोकसभा के समक्ष रखी गई है। समिति ने विधेयक में कुछ और संशोधनों की अनुशंसा की। समिति ने 7 सामान्य अनुशंसा भी कीं, जिनमें से 6 अनुशंसा को सभी संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा स्वीकार कर लिया गया है।

जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023 के माध्यम से, 19 मंत्रालयों/विभागों द्वारा प्रशासित 42 केंद्रीय अधिनियमों में कुल 183 प्रावधानों को अपराध मुक्त करने का प्रस्ताव किया जा रहा है। निम्नलिखित तरीके से गैर-अपराधीकरण हासिल करने का प्रस्ताव है: –

(i) कुछ प्रावधानों में कारावास और/या जुर्माना दोनों को हटाने का प्रस्ताव है।

(ii) कारावास को हटाने और कुछ प्रावधानों में जुर्माना बरकरार रखने का प्रस्ताव है।

(iii) कारावास को हटाने और कुछ प्रावधानों में जुर्माना बढ़ाने का प्रस्ताव है।

(iv) कुछ प्रावधानों में कारावास और जुर्माने को दंड में बदलने का प्रस्ताव है।

(v) अपराधों के शमन को कुछ प्रावधानों में शामिल करने का प्रस्ताव है।

उपरोक्त के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए, विधेयक ऐसे उपायों का प्रस्ताव करता है जैसे (ए) किए गए अपराध के अनुरूप जुर्माने और जुर्माने का व्यावहारिक संशोधन; (बी) निर्णायक अधिकारियों की स्थापना; (सी) अपीलीय प्राधिकारियों की स्थापना; और (डी) जुर्माने और दंड की मात्रा में आवधिक वृद्धि

यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि सजा की डिग्री और प्रकृति अपराध की गंभीरता के अनुरूप हो।

संशोधन विधेयक के लाभ इस प्रकार बताए गए हैं:

1. संशोधन विधेयक आपराधिक प्रावधानों को तर्कसंगत बनाने और यह सुनिश्चित करने में योगदान देगा कि नागरिक, व्यवसाय और सरकारी विभाग मामूली, तकनीकी या प्रक्रियात्मक कमी के लिए कारावास के डर के बिना काम करें।

2. किसी अपराध के दंडात्मक परिणाम की प्रकृति अपराध की गंभीरता के अनुरूप होनी चाहिए। यह विधेयक किये गये अपराध/उल्लंघन की गंभीरता और निर्धारित सजा की गंभीरता के बीच संतुलन स्थापित करता है। कानून की कठोरता को खोए बिना, प्रस्तावित संशोधन व्यवसायों और नागरिकों द्वारा कानून का पालन सुनिश्चित करते हैं।

3. तकनीकी/प्रक्रियात्मक गलती और गौण दोष के लिए निर्धारित आपराधिक परिणाम, न्याय वितरण प्रणाली को अवरुद्ध करते हैं और गंभीर अपराधों पर निर्णय को ठंडे बस्ते में डाल देते हैं। विधेयक में प्रस्तावित कुछ संशोधन, जहां भी लागू और व्यवहार्य हो, उपयुक्त प्रशासनिक न्यायनिर्णयन प्रणाली प्रस्तुत करने के लिए हैं। इससे न्याय प्रणाली पर भारी दबाव को कम करने, लंबित मामलों को कम करने और अधिक कुशल और प्रभावी न्याय वितरण में मदद मिलेगी।

4. नागरिकों और कुछ श्रेणियों के सरकारी कर्मचारियों को प्रभावित करने वाले प्रावधानों को अपराधमुक्त करने से उन्हें मामूली उल्लंघनों के लिए कारावास से डरे बिना जीवन जीने में मदद मिलेगी।

5. इस कानून का अधिनियमन कानूनों को तर्कसंगत बनाने, बाधाओं को दूर करने और व्यवसायों के विकास को बढ़ावा देने की यात्रा में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह कानून विभिन्न कानूनों में भविष्य के संशोधनों के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में काम करेगा। एक समान उद्देश्य के साथ विभिन्न कानूनों में समेकित संशोधन से सरकार और व्यवसायों दोनों के लिए समय और लागत की बचत होगी।

42 अधिनियमों की मंत्रालय/विभागवार सूची

(जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023 के अंतर्गत कवर)

क्रम संख्या अधिनियमों का नाम मंत्रालयों/विभागों के नाम
कृषि उपज (ग्रेडिंग और मार्किंग) अधिनियम, 1937 कृषि एवं किसान कल्याण विभाग
समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1972 वाणिज्य विभाग
रबर अधिनियम, 1947
चाय अधिनियम, 1953
मसाला बोर्ड अधिनियम, 1986
कानूनी माप विज्ञान अधिनियम, 2009 उपभोक्ता मामले विभाग
छावनी अधिनियम 2006 रक्षा विभाग
सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 आर्थिक कार्य विभाग
उच्च मूल्यवर्ग के बैंकनोट (विमुद्रीकरण) अधिनियम, 1978
सार्वजनिक ऋण अधिनियम, 1944
आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986
भारतीय वन अधिनियम, 1927
सार्वजनिक दायित्व बीमा अधिनियम, 1994
जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम अधिनियम, 1961 वित्तीय सेवाएँ विभाग
फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम, 2011
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1981
राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987
भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007
खाद्य निगम अधिनियम, 1964 खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग
भण्डारण निगम अधिनियम, 1962
औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग
खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006
फार्मेसी अधिनियम, 1948
मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव) अधिनियम, 2002 आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय
प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
सिनेमैटोग्राफी अधिनियम, 1952
केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995
मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 पत्तन,पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय
भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 डाक विभाग
बॉयलर अधिनियम, 1923 उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग
कॉपीराइट अधिनियम, 1957
वस्तु भौगोलिक संकेत अधिनियम, 1999
उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951
पेटेंट अधिनियम, 1970
ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999
रेलवे अधिनियम, 1989 रेलवे मंत्रालय
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय
धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 राजस्व विभाग
सांख्यिकी संग्रहण अधिनियम, 2008 सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय

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भारतीय फुटवियर और चमड़ा उद्योग विदेशी मुद्रा का प्रमुख अर्जक है, यह 4.5 मिलियन लोगों को रोजगार देता है, जिनमें 40 प्रतिशत महिलाएं भी शामिल हैं: पीयूष गोयल

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय फुटवियर व चमड़ा उद्योग न केवल विदेशी मुद्रा का एक प्रमुख अर्जक है, बल्कि श्रम प्रधान क्षेत्र होने के कारण यह लगभग यह 4.5 मिलियन लोगों को रोजगार देता है, जिनमें 40 प्रतिशत महिलाएं भी शामिल हैं।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फुटवियर मेला 2023 (आईआईएफएफ) को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत में विश्व का सबसे बड़ा और सर्वोत्तम गुणवत्ता वाला फुटवियर निर्माता बनने की क्षमता निहित है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत विश्व में चमड़े से बने परिधानों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक, जीन बनाने के सामान और घोड़ो के साजो सामान का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातकर्ता तथा चमड़े उत्पादों का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। श्री गोयल ने इस तथ्य का उल्लेख किया कि इस क्षेत्र की उत्पादन वाली 95 प्रतिशत से अधिक इकाइयां वर्तमान में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) इकाइयां हैं। पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय फुटवियर को दुनिया भर में अलग पहचान दिलाने और विदेशी आकार-माप के प्रचलन पर निर्भरता कम करने के लिए देसी आकार व माप के फुटवियर बाजार में उतारे जाएंगे। उन्होंने इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए उद्योगपतियों को तकनीकी सहयोग तथा गैर-चमड़े के फुटवियर के संयुक्त उद्यमों के लिए मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) का पता लगाने का सुझाव दिया, जिससे देश के निर्यात में वृद्धि हो और भारतीय उत्पादों के साथ घरेलू बाजार में बढ़ोतरी भी हो। गोयल ने महाराष्ट्र की कोल्हापुरी चप्पल और राजस्थान के मोजरी फुटवियर की सुंदरता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के लिए आकर्षण का क्षेत्र होना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि फुटवियर क्षेत्र में भारत को सामर्थ्य स्थानीय कच्चे माल और इसके समृद्ध एवं विविध इतिहास से प्राप्त होती है। पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व का भी जिक्र किया, जो ‘भारत मंडपम्’ – अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र परिसर जैसे भव्य बुनियादी ढांचे का निर्माण जैसी पहल करने में अग्रणी है। उन्होंने बताया कि सितंबर 2023 में जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी ‘भारत मंडपम’ में होगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय फुटवियर और चमड़ा उद्योग के विकास कार्यक्रम के हिस्से के रूप में सरकार द्वारा जांच एवं परीक्षण सुविधाएं शुरू की जाएंगी। उन्होंने चमड़े उत्पाद व्यवसाय करने में आसानी के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर भी प्रकाश डाला, जिनमें कॉर्पोरेट अपराधों को अपराध मुक्त करना, अनुपालन बोझ को कम करना, सभी अनुमोदनों के लिए एक राष्ट्रीय सिंगल विंडो बनाना और विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करना आदि शामिल हैं। गोयल ने सभी हितधारकों से गुणवत्ता एवं स्थिरता, पर्यावरण-अनुकूल कार्य प्रणालियों, अपशिष्ट प्रबंधन और विद्युत ऊर्जा के लिए नवीकरणीय स्रोतों की खोज पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यवसाय का विस्तार करने का आग्रह किया। उन्होंने विस्तृत और बेहतर विकास के लिए नवीन डिजाइनों के रूप में प्रतिस्पर्धात्मकता को अपनाने पर बल दिया। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वैश्विक बाजार बहुत प्रतिस्पर्धी है। उन्होंने देश के निर्यातकों से नवीन व टिकाऊ उत्पादों को विकसित करने का आग्रह किया, जिनकी दुनिया में अत्यधिक तथा लगातार बढ़ती हुई मांग है। गोयल ने कहा कि हमें मूल्य श्रृंखला में आगे बढ़ने के लिए न केवल अपनी डिजाइन क्षमताओं को और बेहतर करने की जरूरत है, बल्कि उत्पादन को विस्तार देने तथा नवीन उत्पादों को बाजार में उतारने के लिए अधिक निवेश एवं नई प्रौद्योगिकी लाने की भी आवश्यकता है। उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि सीएलआरआई, एफडीडीआई और निफ्ट जैसे संस्थान बाजार के बदलते रुझानों व आवश्यकताओं के अनुरूप नए उत्पादों तथा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में उद्योग जगत के साथ मिलकर कार्य करेंगे।

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पीएम किसान सम्मान निधि की 14वीं किस्त में 17 हजार करोड़ रु. किसानों के खातों में जमा

प्रधानमंत्री मोदी ने आज देश के किसानों की आय सहायता के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) की 14वीं किस्त के रूप में 17 हजार करोड़ रुपये किसानों के बैंक खातों में जमा किए। सीकर में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा आयोजित वृहद कार्यक्रम में श्री मोदी ने 1.25 लाख पीएम किसान समृद्धि केंद्र (पीएम-केएसके) राष्ट्र को समर्पित किए और सल्फर कोटेड यूरिया (यूरिया गोल्ड) लांच की। साथ ही, ओपन नेटवर्क फार डिजिटल कामर्स (ओएनडीसी) पर 1600 से अधिक कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के ऑनबार्डिंग का शुभारंभ किया। राजस्थान को एक साथ अनेक सौगातें प्रदान करते हुए प्रधानमंत्री ने 5 मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन व 7 मेडिकल कॉलेजों का शिलान्यास किया तथा 6 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों व एक केंद्रीय विद्यालय का शुभारंभ भी किया। समारोह में राज्यपाल श्री कलराज मिश्र, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर, रसायन एवं उर्वरक तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री मनसुख मांडविया, जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी भी मौजूद थे। समारोह में, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि आज शुरू किए 1.25 लाख पीएम किसान समृद्धि केंद्र किसानों की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेंगे। इन्हें किसानों की जरूरतों के लिए वन-स्टॉप शॉप में विकसित किया जा रहा है। गांव व ब्लॉक लेवल पर इन केंद्रों से करोड़ों किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। यहां किसानों को बीज, खाद, खेती के औजार व अन्य मशीनें भी मिलेगी। ये केंद्र खेती से जुड़ी हर आधुनिक जानकारी किसानों को देंगे। वर्षांत से पहले ऐसे और 1.75 लाख केंद्र खोले जाएंगे। ओएनडीसी पर एफपीओ की भागीदारी का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि इससे किसानों के लिए देश के किसी भी हिस्से से उपज को बाजार तक ले जाना आसान हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र की मौजूदा सरकार किसानों के दर्द और जरूरतों को समझती है व किसानों के खर्चें कम करने और जरूरत के समय उनका समर्थन करने के लिए पूरी गंभीरता से काम कर रही है। पिछले 9 वर्षों में बीज से बाज़ार तक नई व्यवस्था का निर्माण किया गया हैं। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के माध्यम से करोड़ों किसान मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान के आधार पर इष्टतम निर्णय ले रहे हैं। मोदी ने पीएम किसान सम्मान निधि का जिक्र करते हुए कहा कि यह दुनिया की सबसे बड़ी योजना है जिसमें सीधे किसानों के बैंक खाते में धनराशि ट्रांसफर की जाती है। आज की 14वीं किस्त को मिला लें तो अब तक 2.60 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर किए जा चुके हैं जिससे किसानों को विभिन्न खर्चों को कवर करने में फायदा हुआ है। उन्होंने कहा कि किसानों का सामर्थ्य, किसानों का परिश्रम, मिट्टी से भी सोना निकाल देता है इसलिए सरकार किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। हमारी सरकार कैसे अपने किसान भाइयों के पैसे बचा रही है, इसका एक उदाहरण यूरिया की कीमतें भी हैं। हमारी सरकार ने कोरोना और रूस-यूक्रेन युद्ध का असर किसानों पर नहीं पड़ने दिया। आज देश में यूरिया की जो बोरी 266 रु. में देते हैं, यहीं बोरी पाकिस्तान में करीब 800 रु. में मिलती है, बांग्लादेश में 720 रु. और चीन में 2100 रु. की मिलती है। अमेरिका में यूरिया की यही बोरी 3000 रु. से ज्यादा की मिल रही है। श्री मोदी ने कहा कि सरकार किसानों को यूरिया की कीमतों से परेशान नहीं होने देगी, जब कोई किसान यूरिया खरीदने जाता है तो उसे विश्वास होता है कि यह मोदी की गारंटी है। प्रधानमंत्री ने श्री अन्न को बढ़ावा देने हेतु उठाए कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि इससे श्री अन्न के उत्पादन, प्रसंस्करण, निर्यात में वृद्धि हो रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत का विकास तभी संभव है, जब गांवों का विकास होगा इसीलिए सरकार गांवों में वो सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए काम कर रही है जो सिर्फ शहरों में ही मिलती थी।” उन्होंने कहा कि दशकों तक गांवों में अच्छे स्कूलों, शिक्षा की कमी के कारण गांव-गरीब पीछे रह गए, अफसोसजनक रहा कि पिछड़े-आदिवासी समाज के बच्चों के पास सपनों को पूरा करने का कोई साधन नहीं था। श्री मोदी ने उल्लेख किया कि वर्तमान सरकार ने शिक्षा के लिए बजट और संसाधन बढ़ाएं और एकलव्य आवासीय विद्यालय खोले जिससे आदिवासी युवाओं को काफी लाभ हुआ है। उन्होंने कहा, ”सफलता तभी बड़ी होती है, जब सपने बड़े हों।” कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने कहा कि आज एक बार फिर कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक अवसर है जब प्रधानमंत्री के कर-कमलों से इतनी सौगातें मिल रही है। उन्होंने इसके लिए करोड़ों किसानों की ओर से प्रधानमंत्री श्री मोदी का अभिनंदन करते हुए कहा कि देश इस बात का साक्षी है कि जबसे प्रधानमंत्री ने कार्यभार संभाला, उनकी प्राथमिकता रही है कि गांव-गरीब-किसानों की प्रगति हों, उनके घरों में खुशहाली आएं, कृषि क्षेत्र में उत्पादन-उत्पादकता बढ़ें, नवाचार बढ़ें, तकनीक का समर्थन हों, छोटे किसानों की ताकत व आमदनी बढ़ें, कृषि की अर्थव्यवस्था मजबूत हों और देश में योगदान दे सकें। इसके लिए मोदी जी के नेतृत्व में अनेक योजनाएं इन 9 वर्षों में शुरू हुई हैं। 2014-15 में कृषि मंत्रालय का बजट 23 हजार करोड़ रु. होता था जो अब करीब पांच गुना अधिक 1.25 लाख करोड़ रु. हो गया है, यह प्रधानमंत्री की प्राथमिकता का परिचय देता है। श्री तोमर ने कहा कि किसान कितना भी परिश्रम कर लें, सरकार की नीतियां अनुकूल हों, फिर भी उन्हें प्रकृति पर निर्भर रहना पड़ता है और जब प्रकृति का प्रकोप आता है तो फसलों को नुकसान होता ही है। इसके लिए श्री मोदी ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का बड़ा सुरक्षा कवच किसानों को दिया है। इस योजना अंतर्गत किसानों के अब तक 29 हजार करोड़ रु. प्रीमियम रूप में जमा हुए, जबकि 1.41 लाख करोड़ रु. मुआवजे के रूप में दिए गए हैं।

उन्होंने कहा कि पीएम किसान की किसी ने कल्पना नहीं की थी। श्री मोदी ने जब कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ना चाहिए तो इसके लिए किसानों, वैज्ञानिकों, बैंकों का आह्वान किया, तब अपना फर्ज भी निभाया व किसानों की आय में सालाना छह हजार रु. जोड़ने के लिए पीएम किसान योजना का सृजन किया। अब तक इस योजना से देशभर के 11 करोड़ किसानों के खातों में 2.42 लाख करोड़ रु. से अधिक की राशि बिना किसी बिचौलियों के जमा कराई जा चुकी है। एक कालखंड था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री कहा करते थे कि हम दिल्ली से 100 रु. भेजते हैं और गांव पहुंचते-पहुंचते 15 रु. बचते हैं। आज प्रधानमंत्री छह हजार रु. भेजते हैं, तो पूरी की पूरी राशि किसानों के खाते में जाती है, कहीं कोई बिचौलिया नहीं। आज पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 14वीं किस्त से सीकर के 2 लाख व राजस्थान के 57 लाख किसानों के खाते में 1278 करोड़ रुपये मिल जाएंगे। राजस्थान के किसानों को इस योजना के अंतर्गत अब तक 17 हजार करोड़ रु. से अधिक की राशि मिल चुकी है। इसी तरह, मध्य प्रदेश के 76 लाख व छत्तीसगढ़ के 20 लाख किसानों को स्कीम का लाभ मिल रहा है।

केंद्रीय मंत्री श्री मांडविया ने स्वागत भाषण में कहा कि देश में सभी वादों से ऊपर उठकर विकासवाद की एक नई राजनीतिक विचारधारा को प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बढ़ावा दिया है। प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व के कारण देश को तीन दशकों के अंतराल के बाद नई शिक्षा नीति मिली है, जिसकी सकारात्मक चर्चा न केवल देश बल्कि अन्य देशों में भी है। किसानों के जीवन में बदलाव लाने के लिए प्रधानमंत्री ने हमेशा प्रयास किया है। पिछले 9 वर्षों में ऐसा कोई माह नहीं गया होगा, जब उन्होंने किसानों के कल्याण के लिए कोई कदम न उठाया हों।

इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसान भाई-बहन व राजस्थान के मंत्री, सांसद-विधायकगण उपस्थित थे, वहीं 732 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) के 100 से ज्यादा संस्थानों, 75 राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, पीएम किसान समृद्धि केंद्रों, 50 हजार प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों व 4 लाख सामान्य सेवा केंद्रों पर उपस्थित लाखों सदस्यों और करोड़ों किसानों के साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डा. भारती प्रवीण व डा. एस.पी. सिंह बघेल सहित मंत्री, सांसद, विधायक व अन्य जनप्रतिनिधि वर्चुअल जुड़े थे।

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प्रधानमंत्री मोदी ने पोर्ट ब्लेयर में वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के नए एकीकृत टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया

नया एकीकृत टर्मिनल भवन 710 करोड़ रुपए की लागत से 40,837 वर्ग मीटर क्षेत्र में निर्मित किया गया है
  • नए एकीकृत टर्मिनल भवन में व्यस्त समय में 1200 यात्रियों की सेवा करने की क्षमता होगी
  • श्री ज्योतिरादित्य सिधिंया ने हवाई अड्डे परिसर के भीतर स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की प्रतिमा का अनावरण किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज केंद्रीय नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य एम.सिंधिया, नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल(सेवानिवृत्त) विजय कुमार सिंह,अंडमान और निकाबोर द्वीप समूह के उपराज्यपाल एडमिरल(सेवानिवृत) डी.के.जोशी और नागरिक उड्डयन सचिव श्री राजीव बंसल की उपस्थिति में वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के नए एकीकृत टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया।

हवाईअड्डे के नए टर्मिनल भवन का निर्माण 40,837 वर्ग मीटर क्षेत्र में 710 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है। इसमें व्यस्त समय में 1200 यात्रियों की सेवा करने की क्षमता होगी,जो कि वर्तमान क्षमता से तीन गुना से अधिक होगा। मनमोहक अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की जैव विविधता से प्रेरणा लेकर पोर्ट ब्लेयर टर्मिनल बिल्डिंग का डिजाइन शंख के आकार का है,जो समुद्र और द्वीप की सुंदरता को दर्शाता है। टर्मिनल भवन का डिजाइन दिन के समय प्राकृतिक रुप से प्रकाशित रहने के लिए बनाया गया है। हवाई अड्डे में स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की प्रतिमा भी स्थापित की गई है।

कार्यक्रम का आयोजन हाईब्रिड मोड में किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिग के द्वारा रिमोट बटन दबा कर टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर अन्य गणमान्य अतिथि भी हवाई अड्डे पर उपस्थित थे। नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और राज्यमंत्री जनरल (सेवानिवृत) विजय कुमार तथा अन्य गणमान्य अतिथियों ने महान स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर (वीर सावरकर) को श्रद्धांजलि स्वरुप उनकी प्रतिमा का अनावरण किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में नागरिक उड्डयन और इस्पात मंत्री सिंधिया ने कहा कि अंडमान ओर निकोबार हमारे देश के सबसे खूबसूरत रत्नों में से है। भारतीय स्वतंत्रता इतिहास में यह कई अहम घटनाओं का साक्षी रहा है। वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा जीव जंतुओ और वनस्पति की अतुलनीय जैव विविधता को दर्शाता है। शंख के आकार में डिजाइन किए गए हवाई अड्डे को दिन के समय बाहरी प्रकाश स्रोत की आवश्यकता नहीं होगी। निरंतरता के संबंध में हवाई अड्डे में दोहरी इंसुलेटिंग प्रणाली, एलईडी प्रकाश व्यवस्था,वर्षाजल संचयन और सौर जल संयंत्र की व्यवस्था की गई है।

 सिधिंया ने कहा कि इस हवाई अड्डे के अतिरिक्त केंद्र सरकार 150 करोड़ रुपए के निवेश से शिबपुर,कार निकोबार और कैंपबेल में 3 अतिरिक्त हवाई अड्डे और शहीद द्वीप,स्वराज द्वीप और पोर्ट ब्लेयर में 4 जल एयरोड्रोम की स्थापना करेगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हम सेवा,सुशासन और गरीब कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं। आगामी समय में यह हवाई अड्डा रोजगार,शिक्षा और निवेश का एक मार्ग बनेगा।

पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे के नाम से भी जाने जाने वाला वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा,अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में पोर्ट ब्लेयर से दो किलोमीटर दक्षिण दिशा में स्थित है। प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के नाम पर निर्मित यह हवाई अड्डा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का एकमात्र व्यवसायिक हवाई अड्डा है। दक्षिण अंडमान द्वीप के पूर्वी तट पर स्थित पोर्ट ब्लेयर 500 से अधिक प्राचीन द्वीपो का मार्ग है। यह एक उभरता हुआ व्यवसायिक केंद्र है और यहां अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के सरकारी कार्यालय भी स्थित हैं। पोर्ट ब्लेयर, जल पर आधारित स्नोर्कलिंग,स्कूबा डाईविंग,स्कूबा क्रूज गतिविधि के साथ क्षेत्र के इतिहास और संस्कृति की झलक भी प्रदर्शित करता है।

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यूसीसी कानून या चुनावी मुद्दा….

सभी राजनीतिक दलों ने 2024 की लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है और गठबंधन की गठजोड़ जारी है। इस चुनावी जोर आजमाइश के माहौल में भाजपा ने यूनिफार्म सिविल कोड का कार्ड चल दिया है। 2019 में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया था। समान नागरिक संहिता मतलब जिसका उद्देश्य हर धर्म रीति-रिवाजों और परंपराओं पर आधारित व्यक्तिगत कानूनों को सभी के लिए एक समान करना है।

यूं तो भारत विविधताओं वाला देश है अनेक धर्म, जातियां उनकी संस्कृति, परंपरा अलग-अलग है। ऐसे में समान कानून वाली बात लोग अपनाएंगे इसमें जरा संशय है। समान नागरिक संहिता कानून पर जब भी विवाद होता है तो यह विवाद अन्य धर्मों के बजाय हिंदू और मुस्लिम समुदाय पर आकर टिक जाता है। सबसे पहले 1835 में ब्रिटिश सरकार ने समान नागरिक संहिता पर का मुद्दा उठाया था फिर उसके बाद 1948 में अंबेडकर जी ने इसकी चर्चा की थी लेकिन समान  राय ना होने के कारण यह विवादित ही रहा। दरअसल भारत में यह मसला कानूनी नहीं रहा बल्कि सामाजिक और राजनीतिक तौर पर बेहद संवेदनशील हो गया है।
अल्पसंख्यक समुदाय इसे अपने धर्म के ऊपर हमला मान रहे हैं और इसका विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह सिर्फ वोटो की राजनीति है और इससे हमारे मौलिक अधिकारों का हनन होगा। वो इसे अपनी पहचान खत्म होने की साजिश बता रहे हैं। करीब – करीब सभी राजनीतिक दल यूनिफार्म सिविल कोड का विरोध करते नजर आ रहे हैं। “एक देश एक कानून” का नियम लागू करना इतना आसान नहीं है वो भी तब जब हम विविधताओं वाले देश में रहते हों। जहां उनके धर्म के हिसाब से अलग-अलग कानून बने हुये है जो कि वर्षों से चले आ रहे हैं। इसे खत्म करना बहुत मुश्किल है और यह एक मुश्किल मुद्दा है।
हिंदू एक्ट के अनुसार तलाक के नियम कुछ अलग है उसी प्रकार मुसलमान जैन, ईसाई और पारसियों के भी नियम अलग-अलग है। हिंदू मैरिज एक्ट, हिंदू उत्तराधिकार कानून समेत ऐसे कई नियम हैं जो हिंदू समाज के निजी और पारिवारिक मामलों पर लागू होते हैं। 1955 में बना हुआ मैरिज एक्ट शादी और तलाक के मामलों पर लागू होता है। इसके अलावा हिंदू उत्तराधिकार एक्ट 1956 में संपत्ति के बंटवारे के नियम बताए गए हैं। हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत बेटियों को भी संपत्ति में बराबर का हक दिया गया है। उन्हें बेटों के बराबर ही संपत्ति दिए जाने का प्रावधान है। इसके विपरीत भारत में रहने वाले मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ का पालन करते हैं इसमें शरीयत में दी गई मान्यता की बात कही जाती है। मुस्लिम पर्सनल लॉ एप्लीकेशन एक्ट 1937 के के अनुसार मुसलमानों के शादी उत्तराधिकार तलाक और मेंटेनेंस को लेकर फैसले होते रहते हैं। हालांकि तीन तलाक के मामले को लेकर विवाद बढ़ा तो एक अलग ही कानून बन गया जो इसे गलत ठहराता है। यहूदी, ईसाई पारसियों के लिए भी अलग  नियम है। इन पर इंडियन सक्सेशन एक्ट लागू होता है।
यह सिर्फ तलाक से जुड़े कानून है। इन सबके अलावा उत्तराधिकार, विवाह, वसीयत अन्य में अलग-अलग कानून ईसाई पारसी आदिवासियों के अपने अलग कानून है। सिर्फ गोवा में समान नागरिक संहिता कानून पहले से ही लागू है। गोवा को संविधान का विशेष दर्जा हासिल है। गोवा में सभी धर्म और जातियों के लिए फैमिली लॉ लागू है। इसके तहत सभी धर्म जाति संप्रदाय और वर्ग से जुड़े लोगों के लिए शादी, तलाक, उत्तराधिकार, वसीयत के कानून समान है।
भाजपा ने समान नागरिक संहिता का कार्ड तब चला है जब चुनावी सरगर्मियां तेज है “मेरा बूथ सबसे मजबूत” कैंपेनिंग के तहत पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि, “क्या कोई परिवार अलग – अलग नियमों से पल सकता है? हमारा संविधान सभी के लिए समान अधिकार की गारंटी देता है।” आज के राजनीतिक माहौल में धार्मिक उन्माद हद से ज्यादा फैला हुआ है ऐसे में यह एक मुश्किल मुद्दा है जिसे अपनाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। सवाल यह भी उठता है कि यदि यह चुनावी मुद्दा है तो क्या कुछ समय पश्चात यह शांत हो जाएगा और क्या इसका मकसद सिर्फ वोटो को भुनाना है? देश में समान नागरिक संहिता कानून लागू होगा कि नहीं ये तो आने वाला समय ही बताएगा मगर इस मुद्दे को लेकर लोगों की तीखी प्रतिक्रियायें जरूर आनी शुरू हो गई है।

प्रियंका वर्मा महेश्वरी

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शहरी-20 (यू-20) के मेयरों के शिखर सम्मेलन का गांधीनगर में उद्घाटन

शहरी-20 (यू-20) के मेयरों के शिखर सम्मेलन का उद्घाटन 7 जुलाई को गुजरात के माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र भाई पटेल और आवास और शहरी मामलों के राज्यमंत्री, माननीय श्री कौशल किशोर द्वारा किया गया। राज्य के शहरीकरण के सिंधु घाटी सभ्यता तक जुड़े समृद्ध इतिहास के बारे में बोलते हुए श्री पटेल ने राज्य में अमल में ले जा रहे भविष्यगामी, दूरदर्शी शहरी उपक्रमों पर प्रकाश डाला। श्री कौशल किशोर ने हरित विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई कुछ नीतियों और कार्यक्रमों की मुख्य झलकियाँ साझा कीं, जिनमें लाइफ मिशन, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना, ई-मोबिलिटी पर नीतियां और सभी के लिए आवास, स्वच्छ भारत मिशन जैसे मिशन शामिल हैं। छठे यू-20 चक्र के अध्यक्ष के रूप अहमदाबाद, जी-20 देशों के 60 से अधिक शहरों के 140 से अधिक विदेशी शहर नेताओं, 70 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वक्ताओं को शहरी क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और सतत शहरी विकास प्राप्त करने में बाधक चुनौतियों का समाधान करने के लिए, एक साथ लेकर आया है। शिखर सम्मेलन में 30 से अधिक शहरों के 100 से अधिक भारतीय प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।।

आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव, श्री मनोज जोशी ने भारत में शहरीकरण की तेज गति के बारे में बात की, जहाँ 2050 तक शहरी आबादी मौजूदा 450 मिलियन से बढ़कर, लगभग 800 मिलियन होने की उम्मीद है। श्री जोशी ने क्षमता निर्माण की आवश्यकता और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए पर्याप्त वित्त की जरूरत को रेखांकित किया।

अहमदाबाद के माननीय महापौर, श्री किरीट कुमार जे परमार ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया और यू-20 विचार-विमर्श के परिणाम- दस्तावेज विज्ञप्ति के माध्यम से टिकाऊ और न्यायसंगत शहरी विकास सुनिश्चित करने के लिये एक कार्य-उन्मुख एजेंडे की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

जी-20 के सूस शेरपा, श्री अभय ठाकुर ने शहरी उपक्रमों में निजी निवेश की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और तेजी से शहरी विकास के परिणाम जैसे किफायती आवास की कमी और बुनियादी सेवाओं तक पहुँच जैसी समस्याओं के समाधान के लिए अविलंब, अभिनव समाधानों की आवश्यकता को दोहराया। श्री ठाकुर ने समावेशी शासन और नवाचार के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और सतत विकास को बढ़ावा देने के महत्त्व पर भी ज़ोर दिया।

यू-20 यू,सी,एल,जी और सी-40 शहरों के वैश्विक संयोजकों के प्रमुख अधिकारियों ने भी शिखर सम्मेलन को संबोधित किया।  यूसीएलजी महासचिव, सुश्री एमिलिया सैज कैरैनशेडो ने कहा कि यू-20 विचार-विमर्श शहरों, राष्ट्रीय सरकारों और जी-20 को  नई उम्मीद दे रहा है। उन्होंने कहा, ‘यू-20 केवल शिखर सम्मेलन नहीं, यह रूपांतरण की प्रक्रिया है’ उन्होंने कहा- सी-40 सिटीज के उप कार्यकारी निदेशक डॉ. केविन ऑस्टिन ने जलवायु और स्वच्छ हवा के लिए भारतीय शहरों द्वारा किए गए उपायों की सराहना की और इस बात पर ज़ोर दिया कि शहरों की सक्रिय भागीदारी के बिना जलवायु संकट का समाधान नहीं किया जा सकता है।

‘मेयोरल-समिट’ के पहले दिन अहमदाबाद क्लाइमेट एक्शन प्लान भी लॉन्च किया गया। इसे आईसीएलईआई, स्विस विकास एजेंसी और अहमदाबाद नगर निगम के सहयोग से विकसित किया गया है। योजना का उद्देश्य 2017 तक नेट-ज़ीरो  उत्सर्जन प्राप्त करना है और शहरों में बढ़ती गर्मी, बाढ़ और प्राकृतिक संसाधनों की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना है।

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