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मिशन लाइफ (एलआईएफई) ने पर्यावरण की रक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए दुनिया को एक नया व्यापक दृष्टिकोण दिया हैः लोकसभा अध्यक्ष

जी20 देशों और नए जुड़े अफ्रीकी संघ समेत अतिथि देशों के सांसद दिल्ली के भव्य इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, द्वारका में इकट्ठा हुए। यहां उन्होंने धरती के भविष्य को ध्यान में रखते हुए आवश्यक जीवनशैली पर विचार-विमर्श किया। लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) पर संसदीय फोरम की यह बैठक नौवें जी20 संसदीय अध्यक्षों के शिखर सम्मेलन (पी20) के भव्य उद्घाटन से एक दिन पहले आयोजित की गई। इस दौरान कानून निर्माताओं ने मानवता के सामने मौजूद साझा चुनौतियों और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनसे निपटने के रास्ते पर अपने विचार सामने रखे।

जलवायु परिवर्तन जैसी समसामयिक चुनौतियों से निपटने का नया तरीका

संसदीय फोरम को संबोधित करते हुए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की लोकसभा के अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा प्रस्तावित लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) मिशन ने जलवायु परिवर्तन जैसी समकालीन चुनौतियों से निपटने और सतत विकास, स्वास्थ्य सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नया नजरिया दिया है। अध्यक्ष ने कहा कि मिशन लाइफ पर्यावरण संरक्षण का एक व्यापक दृष्टिकोण है जो हर शख्स को कम उपयोग, फिर से इस्तेमाल करने और रीसाइकल (पुनर्चक्रण) की राह दिखाता है। यह देखते हुए कि लाइफ अब एक वैश्विक आंदोलन बन गया है, श्री बिरला ने आगे कहा कि इस विचार के आधार पर कई देश अपनी भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के हिसाब से नीतियां और कार्य योजनाएं तैयार कर रहे हैं।

कोई भी देश अछूता नहींजलवायु परिवर्तन का डटकर मुकाबला करने की जरूरत

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि आज के समय में जलवायु परिवर्तन और उसका असर मानवता के साझा भविष्य के साथ गहराई से जुड़ा है। उन्होंने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से कोई भी देश अछूता नहीं रहा है। ऐसे में यह स्वाभाविक है कि भारत की पहल पर पी-20 सम्मेलन के दौरान पर्यावरण संबंधी मुद्दों को सर्वसम्मति से चर्चा के केंद्र में रखा जाए।’ दुनिया के सामने मौजूद चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत पर बल देते हुए अध्यक्ष ने इस बात को रेखांकित दिया कि यह समय की मांग है कि जलवायु परिवर्तन का डटकर मुकाबला किया जाए।

 

नीतियां और कानून पर्याप्त नहींव्यक्तिगत और सामूहिक कार्रवाई भी जरूरी

पर्यावरण के लिए जीवनशैली विषय पर भारत की संसद की तरफ से की गई विधायी पहल का जिक्र करते हुए श्री बिरला ने कहा कि इस दिशा में संसद में व्यापक चर्चा हुई और कानून भी बनाए गए हैं। व्यक्तिगत जिम्मेदारी पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए केवल नीतियां और कानून ही पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि हर शख्स को अपनी जीवनशैली में बदलाव कर सामूहिक रूप से योगदान करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति की जीवनशैली कुछ इस तरह से हो कि पर्यावरण को कोई नुकसान न हो। ऐसा करना हर किसी की व्यक्तिगत और सामूहिक जिम्मेदारी है।  बिरला ने पीठासीन अधिकारियों से आग्रह किया कि मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) पर सभी संसदों में चर्चा की जानी चाहिए जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस मिशन का संदेश एक जन आंदोलन का आकार ले और बेहतर दुनिया का निर्माण हो सके।

जी20 देशों की संसदों के पीठासीन अधिकारियों ने ‘लाइफ’ मिशन शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की पहल की सराहना की और सामूहिक रूप से संकल्प लिया कि वे अपनी-अपनी संसदों में चर्चा एवं वाद-विवाद के जरिए इस पहल को आगे बढ़ाएंगे।

सतत जीवन की हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने इस बात पर जोर दिया कि मिशन लाइफ के तहत व्यक्तियों और समुदायों के प्रयासों को सकारात्मक बदलाव के लिए वैश्विक जन आंदोलन में तब्दील करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सतत जीवन की हमारी लंबी यात्रा में मिशन लाइफ एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने के ठोस प्रयास किए हैं। उन्होंने स्थायी विरासत और बेहतर भविष्य के लिए संसद सदस्यों से पर्यावरण का संरक्षक और पथ प्रदर्शक बनने का आग्रह किया। हरिवंश ने कहा कि सामूहिक प्रयास से दुनिया उस ओर मुड़ेगी जहां जीवन पनपता है और हमारा ग्रह फलता-फूलता है।

चर्चा के दौरान जी20 देशों की संसदों के पीठासीन अधिकारियों ने सवाल-जवाब भी किए।

इस मौके पर भारत की जी20 प्रेसीडेंसी के शेरपा श्री अमिताभ कांत ने भी अपनी बात रखी। भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सचिव लीना नंदन ने ‘लाइफ’ पर एक प्रस्तुति दी। इसके बाद मिशन पर एक लघु फिल्म दिखाई गई।

शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2023 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी यशोभूमि, द्वारका, दिल्ली में 9वें पी-20 शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर लोकसभा के अध्यक्ष श्री ओम बिरला भी मौजूद रहेंगे। जी20 देशों की संसदों के पीठासीन अधिकारियों के अलावा आमंत्रित देशों की संसदों के पीठासीन अधिकारी भी सम्मेलन में भाग लेंगे। भारत की मेजबानी में आयोजित पी-20 शिखर सम्मेलन में पैन अफ्रीकी संसद के अध्यक्ष पहली बार हिस्सा लेंगे।

‘वसुधैव कुटम्बकम्- एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के लिए संसद’ के दर्शन के तहत दो दिवसीय पी-20 शिखर सम्मेलन में निम्नलिखित समकालीन विषयों पर विचार मंथन होगा:

1. एसडीजी के लिए एजेंडा 2030: उपलब्धियों का प्रदर्शन, प्रगति में तेजी लाने पर जोर

2. हरित भविष्य की तरफ बढ़ने के लिए टिकाऊ ऊर्जा संक्रमण

3. लैंगिक समानता को बढ़ावा देना- महिलाओं के विकास से महिला नेतृत्व वाले विकास तक

4. सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों के जीवन में परिवर्तन

9वां पी20 सम्मेलन जी20 देशों की संसदों के पीठासीन अधिकारियों के सामूहिक नजरिये की गौरवशाली यात्रा को दर्शाता है, जो 2010 में एक परामर्श बैठक से शुरू हुआ था।

सतत जीवनशैली को आगे बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने के लिए लाइफ पर संसदीय फोरम जी20 सदस्यों के साथ-साथ आमंत्रित देशों के संसद सदस्यों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को एक साथ लाया है। इस फोरम का विशेष महत्व है क्योंकि यह सतत जीवनयापन को बढ़ावा देने वाले सफल दृष्टिकोण को साझा करने का बेहतर मंच प्रदान करता है। इसके अलावा, यह ‘लाइफ’ जन आंदोलन और इसके व्यापक उद्देश्यों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है।

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जम्मू-कश्मीर में 82 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 395 मीटर (2-लेन) मारोग सुरंग के साथ 250 मीटर सेतु (2-लेन) का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है : गडकरी

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक पोस्ट में कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुमानित लागत पर 395 मीटर (2-लेन) मारोग सुरंग के साथ 250 मीटर सेतु (2-लेन) का 82 करोड़ रुपये का निर्माण कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।

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गडकरी ने कहा कि यह अवसंरचना एनएच-44 के रामबन से बनिहाल खंड के साथ स्थित है। बड़ी परियोजना के हिस्से के रूप में यह 645 मीटर का खंड, न केवल यात्रा की दूरी को 200 मीटर तक कम कर देगा, खड़ी ढलानों को कम करेगा, बल्कि प्रसिद्ध सीता राम पासी स्लाइड क्षेत्र के लिए एक वैकल्पिक मार्ग की सुविधा भी प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्‍त, यह चुनौतीपूर्ण मार्गों क्षेत्र की ढलानों को दरकिनार करते हुए वाहनों के सुचारू प्रवाह की सुविधा प्रदान करता है।

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गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के तहत हमने जम्मू और कश्मीर में अद्वितीय राजमार्ग बुनियादी ढांचा प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को दृढ़ता से बरकरार रखा है। उन्होंने कहा कि यह रूपांतरकारी विकास न केवल क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि में योगदान देता है बल्कि एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में इसके आकर्षण को भी बढ़ाता है।

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राष्ट्रपति ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के नये भवन की आधारशिला रखी

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने न्यायपालिका से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति से आम जनता को सरल, सुलभ और त्वरित न्याय प्रदान करने के प्रयास करने का आग्रह किया। उन्होंने न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों जैसे बड़ी संख्या में लंबित मामले, बड़ी संख्या में विचाराधीन कैदियों, अदालतों में बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देश भर की निचली अदालतों में करीब 4.5 करोड़ मामले लंबित हैं और इनमें से कई मामले 20 से 30 वर्षों से लंबित हैं। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने जिला न्यायालयों में दशकों से लंबित मामलों को निपटाने के लिए ’25 डीईबीटी’ नामक एक विशेष अभियान शुरू किया है, जिसके तहत जिला न्यायालय के न्यायाधीशों को अपने न्यायालयों में 25 पुराने मामलों को नियमित रूप से निपटाने के लिए कहा गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह ‘पंच परमेश्वर’ का देश है और न्याय की अवधारणा हमारी ग्रामीण व्यवस्था में शुरू से मौजूद थी। उन्होंने वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे एक ओर जहां विवादों का समाधान सस्ता और आसान हो जाएगा, वहीं दूसरी ओर न्यायपालिका पर बोझ भी कम हो जाएगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मध्यस्थता अधिनियम, 2023 के प्रावधानों का उपयोग करने से मध्यस्थता को व्यापक और संस्थागत स्वीकृति मिलेगी और मुकदमेबाजी का बोझ कम होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज टेक्नोलॉजी हर क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ा है। उन्होंने आगे कहा कि ई-कोर्ट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ई-प्रोसिडिंग और ई-फाइलिंग की मदद से जहां न्याय दिलाना आसान हो गया है, वहीं कागज के इस्तेमाल में कमी आने से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी संभव हो गया है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि सरकार ने हाल ही में ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण को मंजूरी दे दी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस चरण के सफल कार्यान्वयन से न्याय प्रणाली सभी हितधारकों के लिए अधिक सुलभ, किफायती, विश्वसनीय और पारदर्शी हो जाएगी।

राष्ट्रपति ने वकील संगठनों और समूहों से वंचितों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए आगे आने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमें यह ध्यान रखना होगा कि न्याय इतना महंगा न हो जाए कि आम आदमी की पहुंच से बाहर हो जाए। उन्होंने आगे कहा कि इस संबंध में संस्थागत प्रयासों को मजबूत करने की जरूरत है।

राष्ट्रपति ने कहा कि समावेशी भारत के लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं की उचित भागीदारी जरूरी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं में न्याय की सहज भावना होती है और कहा जाता है कि माताएं अपने बच्चों में भेदभाव नहीं करतीं। न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया किसी एक गणितीय सूत्र पर आधारित नहीं है और न्याय प्रशासन के लिए किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान की भी आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया में भावनाएँ, परिस्थितियाँ और संवेदनाएँ जैसे अन्य आयाम भी महत्वपूर्ण हैं। अतः न्याय व्यवस्था में महिलाओं की अधिकतम भागीदारी भी न्यायपालिका के हित में होगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि जब न्यायपालिका में सुधार का दृष्टिकोण आता है तो जबलपुर का नाम स्वत: ही मन में आ जाता है। एडीएम जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला के मामले में, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा के पक्ष में जबलपुर उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 1976 में खारिज कर दिया था। 42 साल बाद वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला पलट दिया और मौलिक अधिकारों के पक्ष में जबलपुर हाई कोर्ट के तत्कालीन फैसले के मूल सिद्धांतों को सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा स्थापित किया है। इस प्रकार, जबलपुर का नाम भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में न्याय प्रणाली की प्रगतिशील यात्रा का प्रतीक बन गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का नया भवन आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगा। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि महिला वकीलों के लिए अलग से बार रूम का प्रस्ताव दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था न सिर्फ महिला वकीलों बल्कि महिला याचिकाकर्ताओं के लिए भी सुविधाजनक होगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नया भवन पूरा होने पर न्यायाधीशों, वकीलों और प्रशासनिक कर्मचारियों को अधिक समर्पण, प्रतिबद्धता और दक्षता के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करेगा।

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पीएम विश्वकर्मा योजना शुरू होने के दस दिन के भीतर 1.40 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए – नारायण राणे

पीएम विश्वकर्मा योजना की सफलता की जानकारी देते हुए राणे ने एक्स पर अपने एक पोस्ट के माध्यम से लिखा कि पीएम विश्वकर्मा योजना  प्रधानमंत्री  की दूरदर्शिता का परिणाम है और योजना के शुभारंभ के दस दिन के भीतर इतनी अधिक संख्या में आवेदन प्राप्‍त होना योजना की सफलता और सर्वोच्‍च महत्व का प्रमाण है।

केन्‍द्रीय मंत्री ने कहा कि पीएम विश्वकर्मा योजना, हमारे सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित विश्वकर्मा भाइयों और बहनों के व्यापक विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी और यह उनकी खोई हुई पहचान को बहाल करेगी जिसका लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है।

इस योजना के माध्यम से विश्वकर्मा भाइयों और बहनों को प्रशिक्षण, टूल किट और बिना कुछ गिरवी रखे ऋण प्रदान किया जाएगा। प्राप्त आवेदनों का सफलतापूर्वक सत्यापन कर सभी योजना का लाभ हमारे विश्वकर्मा भाई-बहनों को दिया जायेगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना और उनके उत्पादों को घरेलू और वैश्विक बाजारों तक पहुंचाना है। योजना के तहत 18 प्रकार के कारीगरों और शिल्पकारों को लाभ मिलेगा। लाभार्थियों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा और उन्हें प्रशिक्षण के दौरान 500 रुपये का दैनिक वजीफा मिलेगा। इसके अलावा टूल किट खरीदने के लिए 15,000 रुपये की सहायता दी जाएगी। लाभार्थी 3 लाख तक बिना कुछ गिरवी रखे ऋण के भी पात्र होंगे।

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वरिष्ठ नागरिकों को सहायता और सहायक उपकरणों के वितरण के लिए देश भर में विभिन्न स्थानों पर ‘सामाजिक अधिकारिता शिविर’ लगाए गए

देश के दिव्‍यांगजन और वरिष्ठ नागरिकों को सशक्त बनाने के प्रयास में, भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने देश भर में एक साथ 72 स्थानों पर ‘सामाजिक अधिकारिता शिविरों’ का आयोजन किया।

इस कार्यक्रम का शुभांरभ प्रत्येक शिविर स्थल पर माननीय प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ एपिसोड के प्रसारण के साथ हुआ। यह कार्यक्रम लंबे समय से देश के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है और इसमें भारत के हर हिस्‍से से विविध मुद्दों और दृष्टिकोणों को एक साथ एक मंच पर लाया जाता है। इसके बाद, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में मुख्य कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस मुख्‍य समारोह के साथ देशभर के 20 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के विभिन्न स्थल पर आयो‍जित होने वाले कार्यक्रम ऑनलाइन जुड़े हुए थे।

इस अवसर पर अपने संबोधन में, केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के मूल मंत्र “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” का पालन करते हुए मंत्रालय वरिष्ठ नागरिकों के सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक और उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक समावेशी और सुलभ वातावरण बनाने हेतु आर्थिक सशक्तिकरण के लिए विभिन्न केंद्रीकृत योजनाएं लागू कर रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंत्रालय ने दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए उच्च गुणवत्तायुक्‍त  सहायता और सहायक उपकरण बनाने के लिए नई तकनीक का उपयोग करने पर काफी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि विभाग अब कृत्रिम अंग बनाने के लिए 3डी स्कैनिंग तकनीक पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और इस नई पहल के साथ टीकमगढ़ इससे लाभान्वित होने वाला पहला जिला है।

इन शिविरों का उद्देश्य भारत सरकार की राष्ट्रीय वयोश्री योजना योजना के तहत 12814 से अधिक पूर्व-चिह्नित वरिष्ठ नागरिकों को विभिन्न प्रकार की सहायता और सहायक उपकरण वितरित करना है।

इन शिविरों के आयोजन का उद्देश्य पूरे देश में एक समावेशी समाज के लिए एक परिप्रेक्ष्य तैयार करना और वरिष्ठ नागरिकों के लिए सशक्तिकरण और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना है। इसका उद्देश्य उन्हें सकारात्‍मक, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार प्रदान करना है। वितरण शिविरों का आयोजन भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग द्वारा भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एएलआईएमसीओ) के समन्वय से किया जाता है।

वितरण शिविरों की श्रृंखला एक साथ विभिन्न स्थानों पर आयोजित की जाएगी। त्रिपुरा के धलाई में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री कुमारी प्रतिमा भौमिक भी उपस्थित थीं। सभी वितरण शिविर टीकमगढ़ के मुख्य कार्यक्रम स्थल से ऑनलाइन जुड़े हुए थे।

इस अवसर पर फुट केयर यूनिट, स्पाइनल सपोर्ट, कमोड के साथ व्हीलचेयर, चश्मा, डेन्चर, सिलिकॉन कुशन, एलएस बेल्ट, ट्राइपॉड, घुटने के ब्रेस और वॉकर सहित विभिन्न प्रकार के सहायक उपकरण वितरित किए गए। इन सहायक उपकरणों का उद्देश्य लाभार्थियों को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें समाज की मुख्यधारा में एकीकृत करने के लिए सशक्त बनाना है।

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वस्त्र मंत्रालय ने टेक्निकल टेक्सटाइल के विभिन्न क्षेत्रों में 46.74 करोड़ रुपये मूल्य की 18 अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी

केंद्रीय वस्त्र, वाणिज्य और उद्योग तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन के मिशन संचालन समूह (एमएसजी) की 7वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में टेक्निकल टेक्सटाइल के स्वदेशी विकास के लिए उद्योग और संस्थान की सक्रिय और मजबूत भागीदारी आवश्यक है।

वस्त्र मंत्रालय ने 7वीं एमएसजी बैठक के दौरान जियोटेक, प्रोटेक, इंडुटेक, सस्टेनेबल टेक्सटाइल, स्पोर्टटेक, स्मार्ट ई-टेक्सटाइल, मेडिटेक सेगमेंट के प्रमुख कार्यनीतिक क्षेत्रों में 46.74 करोड़ रुपये की 18 अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी।

इन 18 अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं में से 14 उच्च मूल्य वाली परियोजनाएं हैं, 3 प्रोटोटाइप अनुदान परियोजनाएं हैं और 1 आइडिएशन ग्रांट परियोजना है। इन परियोजनाओं में टेक्निकल टेक्सटाइल के विभिन्न अनुप्रयोग क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जिनमें जियोटेक की 1, प्रोटेक की 2, इंदुटेक की 2, स्पोर्टटेक की 2, सस्टेनेबल टेक्सटाइल की 5, मेडिटेक की 3, स्मार्ट और ई टेक्सटाइल की 3 और जियोटेक्सटाइल की 1 परियोजना शामिल है। स्वीकृत परियोजनाओं का नेतृत्व बीटीआरए, एटीआईआरए, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी जम्मू, एनआईटी जालंधर, आईआईटी खड़गपुर, सीएसआईआर नई दिल्ली, आईआईटी मद्रास सहित अन्य संस्थानों और अनुसंधान निकायों ने किया था।

केंद्रीय मंत्री ने स्वीकृत अनुसंधान एवं विकास उत्पादों की समीक्षा, मिशन मोड में अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं, जीआरईएटी दिशानिर्देशों के तहत टेक्निकल टेक्सटाइल में स्टार्टअप के लिए एक समिति का गठन, एमओटी के छठे संस्करण सहित लोक संपर्क गतिविधियों और क्रमशः जुलाई और सितंबर 2023 में मानकों और विनियमों पर फिक्की-बीआईएस राष्ट्रीय सम्मेलन और मेडिटेक्स सम्मेलन कार्यक्रम सहित राष्ट्रीय टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन के विभिन्न घटकों की प्रगति की समीक्षा की

उन्होंने यह भी कहा कि भारत में आयात पर निर्भर टेक्निकल टेक्सटाइल वस्तुओं और विशेष फाइबर के अतिरिक्त विश्व स्तर पर अत्यधिक आयातित टेक्निकल टेक्सटाइल वस्तुओं के अनुसंधान एवं विकास पर जोर दिया जाना चाहिए।

इसके  अतिरिक्त,  केंद्रीय मंत्री ने शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल विकास के मोर्चे पर प्रगति की भी समीक्षा की, जिसमें 151.02 करोड़ रुपये मूल्य के 15 सार्वजनिक और 11 निजी संस्थानों के 26 आवेदनों को दस्तावेज प्रस्तुत करने, प्रयोगशाला अवसंरचना की खरीद और टेक्निकल टेक्सटाइल के विभिन्न अनुप्रयोग क्षेत्रों में प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए मंजूरी दी गई।

नीति आयोग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय, रेल मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, व्यय विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य मंत्रालयों के सदस्यों तथा उद्योग जगत के विख्यात सदस्यों ने बैठक में भाग लिया।

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हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सेना प्रमुखों का सम्मेलन (आईपीएसीसी),

भारतीय और अमेरिकी सेना द्वारा संयुक्त मेज़बानी में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम, आईपीएसीसी, आईपीएएमएस और एसईएलएफ-2023 का आज नई दिल्ली में समापन हुआ। इस कार्यक्रम में 30 देशों की भागीदारी देखी गई। 18 देशों का प्रतिनिधित्व उनकी सेनाओं के प्रमुखों ने किया और 12 देशों का प्रतिनिधित्व प्रतिनिधिमंडल के प्रमुखों द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम ने प्रतिनिधियों को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ‘शांति और स्थिरता’ को बढ़ावा देने के मुख्य उद्देश्य के साथ-साथ सुरक्षा और आपसी हित के अन्य समसामयिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान किया।

यह आयोजन 25 सितंबर 2023 को अमेरिकी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ (सीओएस) जनरल रैंडी जॉर्ज द्वारा भारतीय सेना के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) जनरल मनोज पांडे से मुलाकात के साथ शुरू हुआ। दोनों प्रमुखों ने आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा की साथ ही समसामयिक मुद्दों पर विचार भी साझा किए।

26 सितंबर 2023 को, सभी प्रमुखों और प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों ने हमारे शहीद नायकों को श्रद्धांजलि देते हुए राष्ट्रीय समर स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद भारतीय सेना के सीओएएस और अमेरिकी सेना के सीओएस ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता की। भारतीय सेना के सीओएएस ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह क्षेत्र न केवल संस्कृतियों, इतिहास, संसाधनों और अवसरों का केंद्र है, बल्कि जटिलताओं और चुनौतियों का रंगमंच भी है। अमेरिकी सेना के सीओएस ने लैंड पावर की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, यह न केवल क्षेत्र की साझा सुरक्षा में योगदान देता है बल्कि संकटों से निपटने में भी निर्णायक शक्ति है।

संयुक्त प्रेस वार्ता के बाद माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। समारोह के दौरान, आईपीएसीसी और आईपीएएमएस के झंडे फहराए गए और इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के राष्ट्रीय गान गाए गए। भारतीय सेना के सीओएएस और अमेरिकी सेना के सीओएस ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया।

माननीय रक्षा मंत्री ने उद्घाटन भाषण दिया जिसमें उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र की जटिलताओं और अप्रयुक्त क्षमता की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि यह क्षेत्र समृद्ध, सुरक्षित और समावेशी भविष्य के लिए ठोस प्रयासों की मांग करता है। उन्होंने यह भी कहा कि, ‘भारत स्वतंत्र, खुले, समावेशी और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक के समर्थन में खड़ा है।‘ उन्होंने दोहराया, “मित्र देशों के साथ मजबूत सैन्य साझेदारी बनाने के हमारे प्रयास राष्ट्रीय हितों की रक्षा और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं।“ माननीय रक्षा मंत्री ने एक स्मारक जर्नल भी जारी किया।

13वें आईपीएसीसी के तहत, “शांति के लिए एक साथ : हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बरकरार रखना” विषय पर एक प्रमुख गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया था। गोलमेज सम्मेलन का संचालन लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला (सेवानिवृत्त) ने किया। अमेरिकी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल जेवियर टी. ब्रूनसन ने “सहयोग और अंतरसंचालनीयता बढ़ाना” विषय पर व्याख्यान दिया। सिंगापुर से आए मेजर जनरल टैन चेंग क्वे ने “संकट को कम करने में सैन्य कूटनीति की भूमिका” के बारे में बात की। लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा (सेवानिवृत्त) ने “आधुनिक सेनाओं के लिए आत्मनिर्भरता की अनिवार्यता” विषय पर बात की। सभी प्रमुखों ने इस विषय को दोहराया और क्षेत्र के सभी देशों की भावनाओं को प्रतिबिंबित किया। प्रमुखों और प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों ने नियमों पर आधारित विश्व व्यवस्था का पालन करने वाले एक खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की आवश्यकता पर स्वतंत्र और स्पष्ट चर्चा की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इंडो-पैसिफिक में कई स्तरों पर विविधता है और सभी इस क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए सहयोगात्मक प्रयास की दिशा में काम करने पर सहमत हैं।

भारतीय सेना के सीओएएस ने भाग लेने वाले देशों की सेनाओं के प्रमुखों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कीं। उन्होंने जनरल मोरीशिता यासुनोरी (जापान), लेफ्टिनेंट जनरल साइमन स्टुअर्ट (ऑस्ट्रेलिया), लेफ्टिनेंट जनरल म्गुयेन दोआन अन्ह (वियतनाम), लेफ्टिनेंट जनरल पीटर म्बोगो नजीरू (केन्या), प्रसिद्घ प्रबल जनसेवाश्री जनरल प्रभु राम शर्मा (नेपाल) जनरल शेख मोहम्मद शफीउद्दीन अहमद (बांग्लादेश), मेजर जनरल जॉन बोसवेल (न्यूजीलैंड), जनरल सर पैट्रिक सैंडर्स (यूके), लेफ्टिनेंट जनरल माओ सोफान (कंबोडिया), जनरल जंग ह्वान पार्क, कोरिया गणराज्य, जनरल पियरे शिल (फ्रांस) और जनरल दातुक मुहम्मद हाफ़िज़ुद्दीन बिन जंतन (मलेशिया) के साथ व्यापक चर्चा की। सेना के उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार ने ब्राजील, सिंगापुर, मंगोलिया और थाईलैंड के प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कीं।

47वी  आईपीएएमएस में तीन विषयों पर सत्र आयोजित किये गये। पहला विषय था “हिंद-प्रशांत में सतत शांति और सुरक्षा के लिए साझेदारी”। दूसरा विषय था “अंतरसंचालनीयता बढ़ाने के लिए सहयोग” और अंतिम विषय था “मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) – संकट प्रतिक्रिया के लिए तंत्र का विकास”। मंगोलिया, नेपाल, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस, टोंगा, अमेरिका और भारत के वरिष्ठ अधिकारियों ने इन विषयों पर बात की और सभी प्रतिभागियों के साथ अपने विचार साझा किए। चर्चा का संचालन लेफ्टिनेंट जनरल पीएस राजेश्वर (सेवानिवृत्त), लेफ्टिनेंट जनरल सुनील श्रीवास्तव (सेवानिवृत्त) और लेफ्टिनेंट जनरल अरुण कुमार साहनी (सेवानिवृत्त) ने किया। चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि सामूहिक प्रतिक्रियाओं को मजबूत करने के लिए देशों को मिलकर काम करने की जरूरत है। यह सहयोगात्मक प्रयास रातोरात नहीं बनाया गया है और इसलिए आईपीएएमएस ने भविष्य के लिए जुड़ाव, विश्वास और प्रतिबद्धता बनाने के लिए मंच प्रदान किया है।

9वीं एसईएलएफ को तीन सत्रों में “इंडो-पैसिफिक सेनाओं के बीच अंतरसंचालनीयता”, “आधुनिक युद्धक्षेत्र के लिए जूनियर नेतृत्व करताओं को तैयार करना” और “बियोंड द बैरक्स – ऐड्रेसिंग सीनियर एनलिस्टेड लीडर्स कंसर्नस” विषयों पर आयोजित किया गया था। यह एक अनूठा मंच था जहां कार्यात्मक स्तर पर कनिष्ठ नेताओं ने अपने विचारों का आदान-प्रदान किया।

“बियोंड द बैरक्स: सैन्य समुदाय को बढ़ावा देने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में भूमिकाएं और चुनौतियां” विषय पर सैन्य कर्मियों के जीवनसाथी के लिए एक विशेष पूर्ण सत्र भी आयोजित किया गया था। सत्र की शुरुआत आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (एडब्ल्यूडब्ल्यूए) की अध्यक्ष श्रीमती अर्चना पांडे और अमेरिकी सेना के सीओएस की पत्नी श्रीमती पैटी जॉर्ज के उद्घाटन भाषण से हुई। दोनों ने राष्ट्रीय समर स्मारक का भी दौरा किया और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रतिभागियों को भारतीय सैन्य कर्मियों के जीवनसाथियों की उद्यमशीलता की सफलता पर प्रकाश डालते हुए एक एडब्ल्यूडब्ल्यूए प्रदर्शनी भी दिखाई गई। इसके बाद ‘आह्वान’ का दौरा किया गया, जिसमें महिला सशक्तीकरण की दिशा में एडब्ल्यूडब्ल्यूए द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला गया।

कार्यक्रम के दौरान आत्मनिर्भर भारत के उपकरण प्रदर्शन ने स्वदेशी रूप से विश्व स्तरीय सैन्य उपकरण बनाने की भारतीय उद्योग की क्षमता का प्रदर्शन किया। प्रदर्शनी में 31 कॉरपोरेट्स ने भाग लिया जिससे प्रतिभागियों के बीच काफी रुचि पैदा हुई। मुख्य आकर्षण ड्रोन, काउंटर-ड्रोन सिस्टम, मॉड्यूलर फायरिंग रेंज, छोटे हथियार, एनएवीआईसी आधारित उपकरण, निगरानी प्रणाली, सुरक्षात्मक गियर, स्व-चालित तोपखाने बंदूकें, सैन्य वाहन आदि थे।

सभी प्रतिभागियों के लिए गांधी स्मृति का दौरा भी आयोजित किया गया। इसके अलावा, भारत की समृद्ध संस्कृति को समर्पित एक शाम का भी आयोजन किया गया। इसमें भारतीय सेना के सिम्फनी बैंड और ‘भारत के रंग’ थीम के तहत भारत की जीवंत परंपराओं और कला को प्रदर्शित करने वाले नृत्य रूपों का प्रदर्शन शामिल था।

27 सितंबर 2023 को मानेकशॉ सेंटर, दिल्ली कैंट में समापन समारोह के साथ एक सर्वव्यापी कार्यक्रम का समापन हुआ। माननीय रक्षा राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट ने समापन भाषण दिया और सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। सम्मेलन ध्वजारोहण समारोह के साथ संपन्न हुआ। भारतीय सेना द्वारा आईपीएसीसी और आईपीएएमएस के झंडे अमेरिकी सेना को सौंपे गए।

सैन्य प्रमुखों, प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों, वरिष्ठ अधिकारियों, जूनियर लीडर्स और उनके जीवनसाथियों के बीच गहन चर्चा और जुड़ाव ने सेनाओं के बीच संबंध बनाने में मदद की। मंच ने सभी प्रतिभागियों को विशिष्ट वक्ताओं को सुनने और व्यापक विषयों पर आधारित चर्चाओं में भाग लेने का अवसर प्रदान किया। इस कार्यक्रम ने सैन्य सहयोग के लिए एक साझा दृष्टिकोण विकसित करने, सामूहिक जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों और समुदायों की सराहना करने, एचएडीआर प्रतिक्रिया के लिए समन्वित दृष्टिकोण, सैन्य आदान-प्रदान प्रयासों को बढ़ाने, रक्षा कूटनीति की प्रगति, हिंद-प्रशांत देशों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को संयुक्त रूप से संबोधित करने के लिए खुली और निरंतर बातचीत के महत्व को मजबूत करना जैसे परिणाम प्राप्त किए। सभी भाग लेने वाले देशों ने निमंत्रण के लिए दोनो मेजबानों और गर्मजोशी से किए गए आतिथ्य के लिए भारतीय सेना को धन्यवाद दिया।

 

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रोजगार मेले में नव-नियुक्त युवाओं को मिला नियुक्ति-पत्र, अभिभूत युवाओं ने प्रधानमंत्री को दिया धन्यवाद

वाराणसी सहित देश के 46 स्थानों पर आयोजित हुआ रोजगार मेलाप्रधानमंत्री ने प्रदान किये  51 हजार से ज्यादा नियुक्ति-पत्र

प्रधानमंत्री मोदी ने 26 सितंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये वाराणसी सहित देश के 46 स्थानों पर आयोजित रोजगार मेले में सरकारी विभागों में नव-नियुक्तों को 51 हजार से अधिक नियुक्ति-पत्र प्रदान किये। इस कड़ी में डाक विभाग के तत्त्वावधान में वाराणसी में बीएचयू स्थित शताब्दी प्रेक्षागृह में रोज़गार मेले का शुभारंभ केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने रोहनिया विधायक डॉ. सुनील पटेल, वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल  कृष्ण कुमार यादव, आईआईटी बीएचयू के रजिस्ट्रार राजन श्रीवास्तव संग दीप प्रज्वलन कर किया। डाक विभाग के साथ-साथ भारतीय खाद्य निगम, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग, शिक्षा विभाग, आईआईटी, केंद्रीय विद्यालय, यूनियन बैंक, बैंक ऑफ़ इण्डिया इत्यादि के नव-नियुक्त युवा अभ्यर्थी यहाँ शामिल हुए, जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित किया। केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने नव नियुक्त अभ्यर्थियों को नियुक्ति-पत्र सौंप कर उनके सुखद भविष्य की कामना की। वाराणसी में समारोह के दौरान 213 नवनियुक्त अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किये गए, जिनमें कुल 49 महिला अभ्यर्थी हैं। इनमें केंद्रीय विद्यालयों में प्रधानाचार्य, डाक विभाग में पोस्टल असिस्टेंट, ब्रांच पोस्टमास्टर,असिस्टेंट ब्रांच पोस्टमास्टर, बैंक क्लर्क, एमटीएस, भारतीय खाद्य निगम में असिस्टेंट जैसे तमाम पदों पर चयनित नव नियुक्त अभ्यर्थियों ने प्रधानमंत्री जी का आभार व्यक्त कर अपनी ख़ुशी जाहिर की।

वाराणसी में आयोजित रोज़गार मेले में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि यह रोज़गार मेला माननीय प्रधान मंत्री जी की रोज़गार सृजन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने और बेरोजगार युवाओं के लिए आगे रोज़गार सृजन के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने की प्रतिबद्धता की दिशा में एक कदम है। दिसंबर 2023 तक 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देने का प्रधानमंत्री जी का संकल्प पूरा किया जायेगा। यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में देश नित् नई ऊँचाइयाँ छू रहा है और युवाओं को त्वरित गति और पारदर्शिता के साथ रोजगार के तमाम अवसर प्राप्त हो रहे हैं, जिन्हें विभिन्न सरकारी विभागों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा करने और राष्ट्रीय विकास में भागीदार बनने का अवसर मिलता है। नारी सशक्तिकरण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नारी आज हर क्षेत्र में अपना परचम फहरा रही है। रोज़गार मेला के माध्यम से तमाम महिलाओं को भी नए अवसर मिले हैं।

वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज़ादी के अमृत काल में माननीय प्रधानमंत्री जी की दूरदर्शी सोच और प्रेरणा से इस रोज़गार मेले के अवसर पर प्राप्त होने वाला नियुक्ति पत्र सिर्फ एक कागज या दस्तावेज मात्र नहीं है, बल्कि जीवन भर देश की सेवा करने का संकल्प लेने का एक सुनहरा अवसर है। देश के भविष्य के रूप में लोगों को युवाओं से काफी आशाएं हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये नव-नियुक्तों को देश में चल रहे विकास के महायज्ञ और बड़े परिवर्तनों में सीधी भूमिका का आह्वान करते हुए अगले 25 वर्षों में अपने दायित्वों को पूरा करने के साथ-साथ विकसित भारत के संकल्पों को भी साकार करने पर जोर दिया। केंद्र सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतारने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी आप सभी नव-नियुक्त सरकारी कर्मचारियों पर है। जब आप जैसे लाखों युवा सरकारी सेवाओं से जुड़ते हैं तो नीतियों को लागू करने की स्पीड और स्केल भी बढ़ जाती है। इससे सरकार के बाहर भी रोजगार के अवसर तैयार होते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आप सभी को देश की विकास यात्रा में सरकार के साथ सीधे जुड़कर काम करने का अवसर मिला है। मेरा आपसे आग्रह है कि इस यात्रा में आप सीखते रहने की अपनी आदत को बनाए रखिए। ऑनलाइन लर्निंग पोर्टल ‘आईगॉट कर्मयोगी’ के द्वारा आप अपनी पसंद के कोर्सेज से जुड़ सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत की बेटियां स्पेस से स्पोर्ट्स तक नए कीर्तिमान बना रही हैं। मुझे नारी शक्ति की इस सफलता पर बहुत गौरव होता है। सरकार की नीति भी यही है कि नारी शक्ति के लिए नए-नए द्वार खोले जाएं। हम सभी का अनुभव है कि नारी शक्ति ने हमेशा नई ऊर्जा के साथ हर क्षेत्र में बदलाव किया है। पिछले 9 वर्षों में हमारी नीतियों ने बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल करने का रास्ता तैयार किया है। खुद मैं भी प्रगति प्लेटफॉर्म के द्वारा प्रोजेक्ट्स की प्रगति  पर नजर रखता हूं। मुझे खुशी है कि आज आप भी सरकारी कर्मचारियों की टीम इण्डिया का हिस्सा बनने जा रहे हैं। आजादी के अमृतकाल में अगले 25 साल जितने अहम हैं, उतना ही आपका अगले 25 साल का करियर अहम है। आपको टीम वर्क को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी है।

कार्यक्रम के दौरान प्रवर डाक अधीक्षक राजन, डाक अधीक्षक विनय कुमार, हेमंत कुमार, परमानन्द, पीके पाठक, सहायक निदेशक बृजेश शर्मा, आरके चौहान, मारुतनन्दन, प्लाबन नस्कर, दिलीप सिंह, श्रीकांत पाल, दिलीप पांडेय, संतोषी राय सहित विभिन्न केंद्रीय विभागों के अधिकारी-कर्मचारी और जनप्रतिनिधि शामिल हुए।

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हिमालयी क्षेत्र में अभिनव कोल्ड चेन कॉन्क्लेव: एनसीसीडी ने जम्मू-कश्मीर के आर्थिक वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया

सहयोगात्मक प्रयासों के उल्लेखनीय प्रदर्शन में, नेशनल सेंटर फॉर कोल्ड चेन डेवलपमेंट (एनसीसीडी) के नेतृत्व में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने  देश भर में कोल्ड चेन हितधारकों को संवेदनशील बनाने के लिए अपना समर्पित मिशन जारी रखा है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आयोजित उनके हालिया प्रयास, इंडिया कोल्ड चेन कॉन्क्लेव की शानदार सफलता, उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

मुख्य सचिव, डॉ. अरुण कुमार मेहता और राज्यपाल के सलाहकार श्री राजीव राय भटनागर सहित लगभग 400 प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में भाग लिया। सम्मेलन ने रचनात्मक संवाद और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया। 20 सितम्बर को आयोजित हुए इस सम्मेलन में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव (बागवानी), श्री प्रिय रंजन; एनसीसीडी के सीओओ, श्री आशीष फोतेदार; बागवानी कश्मीर के निदेशक, श्री गुलाम रसूल; पीएचडीसीसीआई-कश्मीर के अध्यक्ष, एसकेयूएएसटी-के, कुलपति श्री गनई और कई अन्य संबंधित अधिकारी शामिल रहे।

मुख्य सचिव डॉ. अरुण कुमार मेहता ने इस महत्वपूर्ण सम्मेलन को श्रीनगर में लाने के दृष्टिकोण की सराहना की और उत्पादकों को लाभान्वित करने के लिए घाटी में सीए स्टोर की क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया।

केन्द्रीय संयुक्त सचिव श्री प्रिय रंजन ने हिमालयी क्षेत्र में सतत कोल्ड चेन विकास की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने व्यापक दिशा-निर्देश स्थापित करने और व्यापक अध्ययन, जागरूकता अभियान और क्षमता निर्माण पहलों को निष्पादित करने में हुई प्रगति पर जोर दिया। ये ठोस प्रयास दुनिया में हमारे सामने आने वाली चुनौतियों को देखते हुए महत्वपूर्ण हैं जहां बढ़ती वैश्विक आबादी के कारण संसाधन खतरे में हैं,

जैसा कि हम चुनौतियों से भरे भविष्य के कगार पर खड़े हैं, पर्यावरण संरक्षण के साथ आर्थिक प्रगति को संतुलित करने की अनिवार्यता कभी अधिक स्पष्ट नहीं रही है। सतत विकास की दृष्टि गहराई से गूंजती है, जो प्रगति और हमारे बहुमूल्य पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा के बीच सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए एक खाका पेश करती है।

तेजी से तकनीकी प्रगति और बढ़ी हुई उपभोक्ता अपेक्षाओं के इस युग में, कोल्ड चेन क्षेत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पर्यावरण के प्रति जागरूक और ऊर्जा-कुशल शीतलन समाधानों के साथ खराब होने वाली वस्तुओं की अखंडता को संरक्षित करना सर्वोपरि हो गया है। जलवायु परिवर्तन की चिंताओं को दूर करने और हमारे पर्यावरण पर पारंपरिक रेफ्रिजरेंट के प्रभाव को कम करने की तात्कालिकता कभी अधिक तीव्र नहीं रही है। केन्द्रीय बागवानी संयुक्त सचिव श्री प्रिय रंजन ने टिकाऊ कोल्ड चेन के महत्व के बारे में बताया। प्रिय रंजन ने  कहा कि कैसे एनसीसीडी ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, जलवायु पर ध्यान केंद्रित करते हुए कोल्ड चेन क्षेत्र के विकास को बढ़ावा दे रहा है।

राज्यपाल के सलाहकार  राजीव राय भटनागर ने इस आयोजन के महत्व को बताया और किसानों, उत्पादकों और सीए उद्यम को पूर्ण समर्थन दिया। एनसीसीडी के सीओओ आशीष फोतेदार ने कोल्ड चेन के विकास में एनसीसीडी द्वारा लगातार किए जा रहे कार्यों के बारे में बताते  हुये कहा कि घाटी में कोल्ड चेन के सतत विकास को पूरा करने के लिए एनसीसीडी द्वारा इस कार्यक्रम को डिजाइन किया गया और श्रीनगर लाया गया था, जिसमें पिछले छह से सात वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है।

 

केंद्रीय सचिव ने बागवानी निदेशक, एनसीसीडी के सीओओ के साथ पंपोर में आईआईकेएसटीसी का दौरा किया और किसानों के लाभ के लिए बनाए गए बुनियादी ढांचे को देखा और केसर क्षेत्र के समग्र विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।

संयुक्त सचिव श्री प्रिय रंजन ने एनसीसीडी के सीओओ श्री आशीष फोतेदार, निदेशक बागवानी श्री मीर के साथ आईजीसी-लस्सीपोरा का दौरा किया, जो किसानों के लाभ के लिए उठाए गए परिवर्तनकारी कदमों का गवाह बनने के लिए दक्षिण एशिया में आधुनिक सीए स्टोर का एक प्रमुख केंद्र बन गया है।

मीर के प्रतिनिधित्व वाले बागवानी निदेशालय ने श्री प्रिय रंजन और श्री आशीष फोतेदार के साथ मिलकर 20 सितंबर 2023 को एसकेआईसीसी में संपन्न पहले इंडिया कोल्ड चेन कॉन्क्लेव – हिमालयन चैप्टर में उनके अमूल्य समर्थन के लिए जेकेपीआईसीसीए के प्रति आभार व्यक्त किया। श्री प्रिय रंजन ने घाटी में सतत कोल्ड चेन विकास के लिए उनके सामूहिक दृष्टिकोण की सराहना करते हुए इसे उज्जवल, पर्यावरण-जागरूक भविष्य के लिए आशा की किरण के रूप में देखा।

आशीष फोतेदार ने दोहराया कि एनसीसीडी – एसोसिएशन, कोल्ड चेन मालिकों, उत्पादकों और अन्य हितधारकों को अटूट समर्थन और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे क्षेत्र में कोल्ड चेन क्षेत्र का निरंतर विकास सुनिश्चित हो सके।

एनसीसीडी के सीओओ ने आश्वासन दिया कि एनसीसीडी जनता के बीच जागरूकता लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है और इस उद्योग को अधिक ऊर्जा कुशल और जलवायु अनुकूल बनाने के लिए स्थानीय किसानों, उत्पादकों और एनसीसीडी के दृष्टिकोण के लाभों को ध्यान में रखते हुए उचित समय पर इस बारे में निर्णय लिया जाएगा।

जेकेपीआईसीसीए के अध्यक्ष श्री माजिद वफई, श्री इजान जावीद और घाटी के अन्य युवा उद्यमियों ने कश्मीर घाटी में राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन लाने के लिए एनसीसीडी को धन्यवाद दिया। उन्होंने एनसीसीडी द्वारा इस सम्मेलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं, वित्तीय संस्थानों, ऊर्जा विशेषज्ञों आदि को कश्मीर लाने और सीए स्टोर्स घाटी के विकास को अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर लाने के तरीके की भी सराहना की। जेकेपीआईसीसीए के अध्यक्ष ने स्थानीय किसानों, उत्पादकों, उद्यमों के लाभ के लिए कश्मीर में इस कार्यक्रम को एक वार्षिक कार्यक्रम बनाने का भी अनुरोध किया, जिससे कोल्ड चेन उद्योग पर होने वाले वैश्विक परिवर्तनों तक पहुंच हो। जेकेपीआईसीसीए ने एनसीसीडी से यह भी अनुरोध किया कि जेकेपीआईसीसीए घाटी में सबसे बड़े स्थानीय कोल्ड चेन उद्यम का प्रतिनिधित्व करता है और अगले कार्यक्रम को जेकेपीआईसीसीए द्वारा आयोजित करने की अनुमति दी जानी चाहिए।एनसीसीडी के सीओओ ने आश्वासन दिया कि एनसीसीडी जनता के बीच जागरूकता लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है और इस उद्योग को अधिक ऊर्जा कुशल और जलवायु अनुकूल बनाने के स्थानीय किसानों, उत्पादकों और एनसीसीडी के दृष्टिकोण के लाभों को ध्यान में रखते हुए उचित समय पर इस बारे में निर्णय लिया जाएगा।

कॉन्क्लेव को प्रमुख भागीदारों से अमूल्य समर्थन मिला, जिसमें बागवानी, BEE और ISHRAE के जेकेपीआईसीसीए निदेशालय शामिल थे, जिनमें से सभी ने कार्यक्रम की शानदार सफलता में योगदान दिया। यह सामूहिक प्रयास भारत में सतत कोल्ड चेन विकास द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की बढ़ती मान्यता को रेखांकित करता है।

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केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने नई दिल्ली के कर्तव्य पथ से पहली हरित हाइड्रोजन ईंधन सेल बस को हरी झंडी दिखाई

प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को दोहराते हुए कि हरित हाइड्रोजन न केवल हरित नौकरियों के माध्यम से हरित विकास का आधार बनेगा, बल्कि यह स्वच्छ ऊर्जा रूपातंरण की दिशा में दुनिया के लिए एक उदाहरण भी स्थापित करेगा, केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और आवास एवं शहरी मामले मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा “दिल्ली में ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए माननीय प्रधानमंत्री ने विद्युत गतिशीलता, गैस आधारित अर्थव्यवस्था और मिशन मोड पर ग्रीन हाइड्रोजन को ले जाने के माध्यम से ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की घोषणा की।” श्री हरदीप सिंह पुरी ने यह कर्तव्य पथ, नई दिल्ली से पहली हरित हाइड्रोजन ईंधन सेल बस को हरी झंडी दिखाने के अवसर पर संबोधित करते हुए कहा। इस अवसर पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस तथा श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली; पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव श्री पंकज जैन; और इंडियन ऑयल के अध्यक्ष श्री एस एम वैद्य भी उपस्थित थे।

युवा स्कूली बच्चों, अधिकारियों और मीडियाकर्मियों की उपस्थिति में पहली हाइड्रोजन सेल बस को हरी झंडी दिखाकर रवाना करते हुए, श्री हरदीप सिंह पुरी ने हाइड्रोजन की अवधारणा और इसे भविष्य के लिए ईंधन के रूप में उपयोग करने के लाभों के बारे में बताते हुए कहा, “ईंधन सेल हाइड्रोजन और वायु का उपयोग कर बस को चलाने के लिए बिजली उत्पन्न करता है और बस का एकमात्र उप-उत्पाद पानी है, इसलिए यह डीजल और पेट्रोल पर चलने वाली पारंपरिक बसों की तुलना में संभवतः परिवहन का सबसे पर्यावरण अनुकूल साधन है। तीन गुना ऊर्जा घनत्व और हानिकारक उत्सर्जन की अनुपस्थिति के साथ, हाइड्रोजन ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक स्वच्छ, अधिक कुशल विकल्प के रूप में उभरता है।” श्री पुरी ने कहा कि इसके अतिरिक्त, हाइड्रोजन सेल से संचालित बसों को पूरी तरह से चार्ज होने में कुछ मिनट लगते हैं।

स्वच्छ और हरित ऊर्जा पर सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं के बारे में बोलते हुए, श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि हाइड्रोजन और जैव-ईंधन जैसे उभरते ईंधन अगले दो दशकों में वैश्विक वृद्धिशील ऊर्जा मांग वृद्धि का 25प्रतिशत  हिस्सा होंगे। उन्होंने कहा, “दुनिया के सबसे बड़े सिंक्रोनस ग्रिडों में से एक के साथ, हमने ‘वन नेशन-वन ग्रिड-वन फ़्रीक्वेंसी’ हासिल की है और जल्द ही हाइड्रोजन के उत्पादन और निर्यात में वैश्विक विजेता होंगे और हरित हाइड्रोजन के केंद्र के रूप में उभरने के लिए तैयार हैं।”

भारत को एक वैश्विक मंच पर ले जाने और यह सुनिश्चित करने में कि यह स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के लिए एक वैश्विक केंद्र बन जाए और जल्द ही ऊर्जा में आत्मनिर्भरता हासिल कर पाए पर उद्योग और सरकार के सहयोग की सराहना करते हुए, पेट्रोलियम मंत्री ने कहा “हमें दुनिया के पहले बीएस 6 (स्टेज II) विद्युतीकृत फ्लेक्स फ्यूल वाहन प्रोटोटाइप जिसमें फ्लेक्स फ्यूल इंजन के साथ-साथ एक इलेक्ट्रिक पावरट्रेन भी शामिल है और जो बेहतर ईंधन दक्षता के साथ इथेनॉल का उच्च उपयोग प्रदान करता है, के लॉन्च की जानकारी थी। अब पहली दो हाइड्रोजन सेल बसों को हरी झंडी दिखाने के साथ हमने शुरुआत कर दी है और उम्मीद है कि इस साल के अंत तक ऐसी 15 अन्य बसें दिल्ली एनसीआर की सड़कों पर चलेंगी।”

हरित हाइड्रोजन चालित बसों को देश में शहरी परिवहन के लिए गेम चेंजर के रूप में चिह्नित करते हुए, श्री हरदीप सिंह पुरी ने देश में ईंधन सेल और हाइड्रोजन के बुनियादी ढांचे से संबंधित स्वदेशी समाधानों के विकास के लिए टाटा मोटर्स के साथ इस सहयोगी दृष्टिकोण को अपनाने के लिए इंडियन ऑयल की सराहना की। श्री पुरी ने कहा, “इस परियोजना की सफलता भारत को जीवाश्म ऊर्जा के शुद्ध आयातक से स्वच्छ हाइड्रोजन ऊर्जा के शुद्ध निर्यातक बनने में मदद कर सकती है।”

इस अवसर पर बोलते हुए, श्री रामेश्वर तेली ने कहा, “ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, जिसका उद्देश्य भारत में ग्रीन हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है, एक विकासात्मक और प्रगतिशील पथ पर है। कार्बन-मुक्त अर्थव्यवस्था में के रूप में परिवर्तित होने में हाइड्रोजन एक प्रमुख खिलाड़ी होगा और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करेगा। आज का लॉन्च निश्चित रूप से स्वच्छ और हरित राष्ट्र बनने की भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।”

सभा को संबोधित करते हुए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव श्री पंकज जैन ने कहा कि हम प्रौद्योगिकी और गतिशीलता के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं। उन्होंने जोड़ा, “आज ग्रीन हाइड्रोजन बस को हरी झंडी दिखाना इस बात का प्रतीक है कि गतिशीलता कैसे बदल जाएगी और भारत पारंपरिक ईंधन से कैसे दूर हो जाएगा। हाइड्रोजन के क्षेत्र में इस क्रांतिकारी प्रयास के लिए इंडियन ऑयल को मेरी बधाई।” उन्होंने स्कूली बच्चों को नई हरित प्रौद्योगिकियों के बारे में जिज्ञासु होने और यह जानने के लिए प्रोत्साहित किया कि ये प्रौद्योगिकियां हमें आंतरिक दहन इंजन से कैसे दूर ले जाएंगी।

इससे पहले दिन में, गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए, इंडियन ऑयल के अध्यक्ष श्री एस एम वैद्य ने कहा कि हाइड्रोजन, वर्ष 2070 तक नेट-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य में गेम चेंजर बनने के लिए तैयार है। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण और आज हरित हाइड्रोजन ईंधन सेल बसों को हरी झंडी दिखाना मोबिलिटी क्षेत्र को हरित बनाने के लिए स्थायी समाधान तैयार करने की दिशा में इंडियन ऑयल की दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रमाण है। भारत सरकार और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सक्रिय समर्थन से, यह मील का पत्थर शून्य उत्सर्जन गतिशीलता की दिशा में देश की यात्रा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है। इस कार्यक्रम के तहत, भारतीय परिचालन स्थितियों के तहत प्रदर्शन डेटा स्थापित करने के लिए दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में निर्दिष्ट मार्गों पर 15 ईंधन सेल बसें चलाई जाएंगी। संपूर्ण मूल्य श्रृंखला की प्रभावकारिता, दक्षता और स्थिरता स्थापित करने के लिए ये 15 बसें कुल 3 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेंगी।

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