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राजनीति

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) का विस्तार

एमएसएमई मंत्रालय 2008-09 से प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) नामक एक प्रमुख ऋण-सम्बद्ध सब्सिडी कार्यक्रम को कार्यान्वित कर रहा है, जिसमें खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) राष्ट्रीय स्तर पर नोडल एजेंसी है, ताकि गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना करके देश में उत्तराखंड सहित, रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकें।

पीएमईजीपी एक केंद्रीय योजना है, जो सामान्य श्रेणी के लाभार्थियों को ग्रामीण क्षेत्रों में परियोजना लागत का 25% और शहरी क्षेत्रों में 15% मार्जिन मनी (एमएम) सब्सिडी के साथ सहायता प्रदान करती है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, अल्पसंख्यक, महिला, भूतपूर्व सैनिक, शारीरिक रूप से विकलांग, ट्रांसजेंडर, पूर्वोत्तर क्षेत्र, पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्रों और आकांक्षी जिलों से संबंधित जैसे विशेष श्रेणी के लाभार्थियों के लिए, ग्रामीण क्षेत्रों में मार्जिन मनी सब्सिडी 35% और शहरी क्षेत्रों में 25% है। विनिर्माण क्षेत्र में परियोजना की अधिकतम लागत 50 लाख रुपये और सेवा क्षेत्र में 20 लाख रुपये है।

2018-19 से, मौजूदा पीएमईजीपी/मुद्रा उद्यमों को भी पिछले अच्छे प्रदर्शन के आधार पर अपग्रेडेशन और विस्तार के लिए दूसरे ऋण के साथ समर्थन दिया जा रहा है। दूसरे ऋण के तहत, विनिर्माण क्षेत्र में मार्जिन मनी (एमएम) सब्सिडी के लिए स्वीकार्य अधिकतम परियोजना लागत 1.00 करोड़ रुपये है और सेवा क्षेत्र के लिए 25 लाख रुपये है। दूसरे ऋण पर सभी श्रेणियों के लिए सब्सिडी परियोजना लागत का 15% (एनईआर और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए 20%) है।

पीएमईजीपी एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, इसलिए राज्यवार बजट का कोई आवंटन नहीं किया जाता है। निधियों का उपयोग उत्पन्न मांग और वित्तीय संस्थानों द्वारा स्वीकृत ऋणों के आधार पर किया जाता है।

पीएमईजीपी के लिए पांच वित्तीय वर्षों (2021-22 से 2025-26) में 13,554.42 करोड़ रुपये के परिव्यय को मंजूरी दी गई है।

चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में उत्तराखंड राज्य में पीएमईजीपी के अंतर्गत 430 लाभार्थियों को 12.01 करोड़ रुपये की मार्जिन मनी सब्सिडी प्राप्त हुई है। उत्तराखंड राज्य में पीएमईजीपी के अंतर्गत 8.08 करोड़ रुपये की राशि के 77 सब्सिडी दावे लंबित हैं।

यह जानकारी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री श्रीमती सुश्री शोभा करंदलाजे ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा।

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संकट का सामना कर रहे एमएसएमई क्षेत्र की समीक्षा के लिए योजनाएं

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) देश भर में एमएसएमई क्षेत्र के विकास के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को क्रियान्वित करता है। इन योजनाओं/कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए ऋण गारंटी योजना, सूक्ष्म एवं लघु उद्यम-क्लस्टर विकास कार्यक्रम, उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम, खरीद एवं विपणन सहायता योजना, एमएसएमई प्रदर्शन को उन्नत एवं तेज करना, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग योजना, राष्ट्रीय एससी/एसटी हब, एमएसएमई चैंपियन आदि शामिल हैं।

सरकार सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों (एमएसई) के लिए ऋण गारंटी योजना (सीजीएस) लागू करती है, ताकि ऋण वितरण प्रणाली को मजबूत किया जा सके और बिना किसी संपार्श्विक और तीसरे पक्ष की गारंटी के झंझट के सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्षेत्र को ऋण प्रवाह की सुविधा प्रदान की जा सके। यह ऋण अधिकतम 500 लाख रुपये तक है। एमएसई के लिए सीजीएस के तहत सावधि ऋण और/या कार्यशील पूंजी सुविधाएं पात्र हैं।

केंद्रीय बजट 2024-25 में एमएसएमई के लिए वित्तपोषण, विनियामक परिवर्तन और प्रौद्योगिकी सहायता को कवर करने वाले पैकेज की घोषणा की गई है, ताकि उन्हें बढ़ने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिल सके, जैसा कि नीचे दिया गया है:

  • एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए सहयोग;
  • विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई के लिए ऋण गारंटी योजना;
  • एमएसएमई ऋण के लिए नया मूल्यांकन मॉडल;
  • तनाव की अवधि में एमएसएमई को ऋण सहायता;
  • मुद्रा ऋण की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये की गई;
  • टीआरईडीएस में अनिवार्य ऑनबोर्डिंग के लिए दायरा बढ़ाया गया;
  • एमएसएमई क्लस्टरों में सिडबी शाखाएं;
  • खाद्य विकिरण, गुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण के लिए एमएसएमई इकाइयाँ;
  • ई-कॉमर्स निर्यात केन्द्र.

सरकार ने एमएसएमई को विपणन और खरीद सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न उपाय किए हैं। इनमें से कुछ उपाय इस प्रकार हैं:

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 के अंतर्गत सूक्ष्म और लघु उद्यम आदेश, 2012 के लिए सार्वजनिक खरीद नीति को कार्यान्वित करता है। नीति में केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों/केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा सूक्ष्म और लघु उद्यमों से 25% वार्षिक खरीद अनिवार्य की गई है, जिसमें एससी/एसटी उद्यमियों के स्वामित्व वाले सूक्ष्म और लघु उद्यमों से 4% और महिला उद्यमियों के स्वामित्व वाले सूक्ष्म और लघु उद्यमों से 3% खरीद शामिल है।
  • एमएसएमई मंत्रालय सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों की बाजार पहुंच बढ़ाने के लिए खरीद एवं विपणन सहायता योजना लागू करता है। यह योजना राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों/प्रदर्शनियों/एमएसएमई एक्सपो आदि में भागीदारी की सुविधा प्रदान करती है।
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय एमएसएमई को अपने उत्पादों के निर्यात और विदेशों में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों/मेलों/क्रेता-विक्रेता बैठकों में एमएसएमई की भागीदारी की सुविधा के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग योजना लागू करता है और भारत में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों/सेमिनारों/कार्यशालाओं का आयोजन करता है।
  • पहली बार निर्यात करने वालों (सीबीएफटीई) की क्षमता निर्माण के लिए, नए सूक्ष्म और लघु उद्यमों को, जो निर्यातक हैं, निर्यात संवर्धन परिषदों के साथ पंजीकरण सह-सदस्यता प्रमाणन (आरसीएमसी), निर्यात बीमा प्रीमियम और निर्यात के लिए परीक्षण एवं गुणवत्ता प्रमाणन पर हुए खर्च की प्रतिपूर्ति प्रदान की जाती है।

यह जानकारी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्य मंत्री श्रीमती सुश्री शोभा करंदलाजे ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चंडीगढ़ में तीन नए आपराधिक कानूनों के सफल कार्यान्वयन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी 3 दिसंबर, 2024 को दोपहर 12 बजे चंडीगढ़ में तीन परिवर्तनकारी नए आपराधिक कानूनों- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के सफल कार्यान्वयन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे।

तीनों कानूनों की अवधारणा प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से प्रेरित थी। इसमें औपनिवेशिक काल के कानूनों को हटाने के बारे में विचार किया गया था, जो स्वतंत्रता के बाद भी अस्तित्व में रहे। साथ ही, दंड से न्याय पर ध्यान केंद्रित करके न्यायिक प्रणाली को बदलना भी था। इसे ध्यान में रखते हुए, इस कार्यक्रम का मूल विषय “सुरक्षित समाज, विकसित भारत – दंड से न्याय तक” है।

पूरे देश में 1 जुलाई, 2024 को नए आपराधिक कानून लागू किए गए। इन आपराधिक कानूनों का उद्देश्य भारत की न्याय व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, कुशल और समकालीन समाज की आवश्यकताओं के अनुकूल बनाना है। ये ऐतिहासिक सुधार भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव का प्रतीक हैं, जो साइबर अपराध, संगठित अपराध जैसी आधुनिक चुनौतियों से निपटने और विभिन्न अपराधों के पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए नए ढांचे लाते हैं।

कार्यक्रम में इन कानूनों के व्यावहारिक इस्तेमाल को प्रदर्शित किया जाएगा। इसमें यह भी दिखाया जाएगा कि कैसे वे पहले से ही आपराधिक न्याय परिदृश्य को नया आकार दे रहे हैं। एक लाइव प्रदर्शन भी आयोजित किया जाएगा, जिसमें अपराध स्थल की जांच का अनुसरण किया जाएगा और नए कानूनों को अमल में लाया जाएगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों के दौरान फिजिकल वैलेट सिस्टम शुरू करने की मांग वाली जनहित याचिका को किया खारिज।

कानपुर नगर, 26 नवम्बर (सू.वि.)* आज सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनावों में पेपर वैलेट सिस्टम को फिर से लागू करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता डॉ. के.ए. पाल के ईवीएम से छेड़छाड़ के दावों को खारिज कर दिया, जिसमें उन नेताओं की असंगतता को उजागर किया गया, जो ईवीएम की विश्वसनीयता पर तभी सवाल उठाते हैं, जब वे चुनाव हार जाते हैं। याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने टिप्पणी की अगर आप चुनाव जीतते हैं तो ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं होती है। जब आप चुनाव हारते हैं, तो ईवीएम से छेड़छाड़ होती है। इस प्रकार अतंतोगत्वा न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पी.बी. वराले की पीठ ने याचिकाकर्ता डॉ. के.ए. पाल की दलीलों को खारिज करते हुए जनहित याचिका को खारिज कर दिया।

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1750 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ अरुणाचल प्रदेश के शि योमी जिले में 186 मेगावाट की तातो-Iजलविद्युत परियोजना के निर्माण के लिए निवेश प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसे 50 महीने में पूरा किया जाना है

प्रधानमंत्री  मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने अरुणाचल प्रदेश के शि योमी जिले में तातो-I जलविद्युत परियोजना (एचईपी) के निर्माण के लिए 1750 करोड़ रुपये के निवेश को स्वीकृति दे दी है। परियोजना के पूरा होने का अनुमानित समय 50 महीने है।

186 मेगावाट (3 x 62 मेगावाट) की स्थापित क्षमता वाली यह परियोजना 802 मिलियन यूनिट (एमयू) ऊर्जा का उत्पादन करेगी। परियोजना से उत्पादित बिजली से अरुणाचल प्रदेश राज्य में बिजली आपूर्ति की स्थिति को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और राष्ट्रीय ग्रिड भी संतुलित होगा।

परियोजना का क्रियान्वयन नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (नीपको) और अरुणाचल प्रदेश सरकार के बीच एक संयुक्त उद्यम कंपनी के माध्यम से किया जाएगा। भारत सरकार राज्य के इक्विटी शेयर के लिए 120.43 करोड़ रुपये की केंद्रीय वित्तीय सहायता के अलावा सक्षम बुनियादी ढांचे के तहत सड़कों, पुलों और संबंधित ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण के लिए बजटीय सहायता के रूप में 77.37 करोड़ रुपये देगी।

इससे जहां राज्य को 12% मुफ्त बिजली और स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (एलएडीएफ) से 1% का लाभ मिलेगा, वहीं क्षेत्र में बुनियादी ढांचे में खासा सुधार और सामाजिक-आर्थिक विकास भी होगा।

परियोजना के लिए लगभग 10 किलोमीटर लंबी सड़कों और पुलों के विकास सहित बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण सुधार किया जाएगा, जो ज्यादातर स्थानीय उपयोग के लिए उपलब्ध होगा। जिले को अस्पताल, स्कूल, आईटीआई जैसे व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान, बाजार, खेल के मैदान जैसे आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण से भी लाभ होगा, जिन्हें 15 करोड़ रुपये के समर्पित परियोजना कोष से वित्तपोषित किया जाएगा। स्थानीय लोगों को कई तरह के मुआवजे, रोजगार और सीएसआर गतिविधियों से भी लाभ होगा।

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वाणिज्यिक कोयला खदानों ने नए मानक स्थापित किए: एक दिन में 0.617 मिलियन टन का रिकॉर्ड प्रेषण भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाता है

कोयला मंत्रालय ने वाणिज्यिक कोयला खदानों द्वारा 24 नवंबर, 2024 को एक दिन में अब तक के सर्वोच्च 0.617 मिलियन टन (एमटी) उत्पादन और प्रेषण को भारत की उल्लेखनीय उपलब्धि बताया है। पिछले वर्ष इसी दिन 0.453 मिलियन टन की तुलना में इसमें 36 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।  आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत यह इस क्षेत्र की मजबूत वृद्धि दर्शाते हुए विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

रिकॉर्ड डिस्पैच में बिजली क्षेत्र को 0.536 मिलियन टन और गैर-बिजली क्षेत्र को 0.081 मिलियन टन कोयला उपलब्ध कराना शामिल है, जो अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में सुदृढ़ प्रदर्शन दिखाता  है। मासिक डिस्पैच प्रगति 12.810 मिलियन टन पहुंच गई है, जो वर्ष-दर-वर्ष 116.373 मिलियन टन का पर्याप्त डिस्पैच है। यह कोयला उत्पादन और वितरण में निरंतर बढोतरी दर्शाता है।

यह अभूतपूर्व उपलब्धि आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत वाणिज्यिक कोयला खनन सुधारों के परिवर्तनकारी उपायों को भी सामने लाती है। खानों में कोयला उत्पादन और इनके रिकॉर्ड स्तर पर प्रेषण करना हमारी ऊर्जा सुरक्षा सुदृढ करने के साथ ही 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में हमारी प्रगति को भी गति प्रदान करता है ।

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भारत के संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाला ऐतिहासिक समारोह कल से शुरू होगा

भारत सरकार ने देश के संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाले ऐतिहासिक समारोह की शुरुआत की घोषणा की है। यह निर्णय हमारे लोकतंत्र की उल्लेखनीय यात्रा और हमारे संस्थापक सिद्धांतों तथा संवैधानिक मूल्यों की स्थायी विरासत को दर्शाता है, जो संविधान दिवस 26 नवंबर, 2024 से शुरू होगा। यह समारोह ” हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान “ अभियान के तहत आयोजित किए जा रहा हैं और इसका उद्देश्य संविधान में निहित मूल मूल्यों को दोहराते हुए संविधान के निर्माताओं के योगदान का सम्मान करना है।

26 नवंबर, 1949 को भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया जो 26 जनवरी, 1950 से प्रभावी है। इस संविधान ने भारतीय इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की। यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन दुनिया के सबसे लंबे लिखित संविधान को अपनाया गया था, जो भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की आधारशिला है। अपनी स्थापना के बाद से, संविधान पिछले 75 वर्षों से राष्ट्र की प्रगति को आकार देने वाले मार्गदर्शक ढांचे के रूप में कार्य कर रहा है।

समारोह के मुख्य अंश:

  • विशेष वेबसाइट ( constitution75.com ): संविधान की विरासत से नागरिकों को परस्पर संवाद  गतिविधियों और संसाधनों के माध्यम से जोड़ने के लिए एक समर्पित वेबसाइट constitution75.com बनाई गई है। वेबसाइट पर निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध हैं:
    • प्रस्तावना पढ़ें और वीडियो रिकॉर्ड करें: नागरिक अपनी पसंद की भाषा में संविधान की प्रस्तावना पढ़ते हुए वीडियो रिकॉर्ड करके अभियान में भाग ले सकते हैं। वीडियो को अभियान की वेबसाइट पर अपलोड किया जा सकता है और भागीदारी का प्रमाण पत्र डाउनलोड किया जा सकता है।
    • संविधान को विभिन्न भाषाओं में पढ़ें : संविधान का पूर्ण पाठ विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है, यह सभी नागरिकों के लिए सुलभ हैं।
    • इतिहास को जाने: संविधान निर्माण के बारे में जानें, संविधान सभा की चर्चाएं पढ़ें, संविधान निर्माण में शामिल विभिन्न समितियों की रिपोर्टें पढ़ें और आधुनिक भारत को आकार देने वाले मूल्यों और सिद्धांतों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
    • संवादात्मक फीचर : “अपना संविधान जानें” एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) सक्षम इंटरैक्टिव सुविधा है , जहां कोई भी संविधान के बारे में प्रश्न पूछ सकता है और भारत के संविधान से संबंधित विस्तृत उत्तर प्राप्त कर सकता है।

 

  • 26 नवंबर, 2024 को प्रस्तावना का सामूहिक वाचन
    • 26 नवंबर, 2024 को स्कूलों से लेकर दफ्तरों तक, शहरों से लेकर गांवों तक पूरे देश में लाखों लोग एक साथ संविधान की प्रस्तावना पढ़ेंगे।
    • वेबसाइट ( constitution75.com ) पर अपनी सेल्फी और वीडियो अपलोड करके उन्हें गर्व के साथ सोशल मीडिया पर साझा करें।
  • 26 नवंबर, 2024 को संसद के केन्द्रीय कक्ष में उद्घाटन कार्यक्रम :
  1. राष्ट्रपति के नेतृत्व में, उपराष्ट्रपति , प्रधानमंत्री , लोकसभा अध्यक्ष और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में संसद के केन्द्रीय कक्ष में एक भव्य उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा ।
  2. कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं:
  • भारतीय संविधान की महिमा, इसके निर्माण और ऐतिहासिक यात्रा को समर्पित लघु फिल्म की प्रस्तुति।
  • भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ को समर्पित एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया जाएगा।
  • “भारत के संविधान का निर्माण: एक झलक” और “भारत के संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा” शीर्षक पुस्तकों का विमोचन।
  • भारतीय संविधान की कला को समर्पित पुस्तिका का विमोचन।
  • भारतीय संविधान का संस्कृत भाषा में विमोचन।
  • भारतीय संविधान का मैथिली भाषा में विमोचन।
  • राष्ट्रपति के नेतृत्व में प्रस्तावना का औपचारिक वाचन किया जाएगा।

भारत सरकार ने नागरिकों से इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बनने, अपने संविधान पर सामूहिक गर्व दिखाने तथा हमारे राष्ट्र को परिभाषित करने वाले लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाने का आह्वान किया है।

इस समारोह में ऐसे भाग लें!

  • संविधान की प्रस्तावना पढ़ने, अपना वीडियो रिकॉर्ड करने तथा अपलोड करने और भागीदारी का प्रमाण पत्र डाउनलोड करने के लिए constitution75.com पर जाएं ।
  • वेबसाइट की संवादात्मक फीचर का लाभ उठाएं, विभिन्न भाषाओं में संविधान का अन्वेषण करें, तथा उस विकास यात्रा के बारे में अधिक जानें जिसने भारत को उसका मार्गदर्शक ढांचा प्रदान किया है।
  • 26 नवंबर, 2024 को राष्ट्रव्यापी अभियान में शामिल हों, देशभर के स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी और निजी कार्यालयों, पंचायतों और अन्य स्थानों पर संविधान की प्रस्तावना पढ़ने में हिस्सा लें। दूसरों को प्रेरित करने के लिए अपनी भागीदारी के वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करें।

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डॉ. मनसुख मांडविया ने 75वें संविधान दिवस से पूर्व माय भारत के युवा स्वयंसेवकों की ओर से आयोजित ‘हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान’ पदयात्रा निकाली

केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल और श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज नई दिल्ली में 75वें संविधान दिवस के उपलक्ष्य में ‘माय भारत’ के स्वयंसेवकों की ओर से आयोजित 6 किलोमीटर लंबी पदयात्रा में भाग लिया। “हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान” विषय पर आधारित यह पदयात्रा मेजर ध्यानचंद स्टेडियम से शुरू हुई और कर्तव्य पथ तथा इंडिया गेट से होकर गुजरी। इस पदयात्रा में माय भारत के 10,000 से अधिक युवा स्वयंसेवकों के साथ-साथ प्रमुख युवा हस्तियां, केंद्रीय मंत्री और सांसद शामिल हुए।

इस पदयात्रा की शुरुआत ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल के साथ हुई, जिसमें डॉ. मनसुख मांडविया ने अपने संसदीय सहयोगियों के साथ एक पेड़ लगाया। इसके बाद श्री पीयूष गोयल, श्री धर्मेंद्र प्रधान, श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, श्री किरण रिजिजू, श्री अर्जुन राम मेघवाल, सुश्री रक्षा निखिल खडसे जैसे केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ अन्य सांसद इस पदयात्रा में शामिल हुए। योगेश्वर दत्त, मीराबाई चानू, रवि दहिया, योगेश कथूनिया जैसे प्रमुख युवा प्रतीकों और ओलंपिक पदक विजेताओं ने भी पदयात्रा में भाग लिया।

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पदयात्रा के दौरान मीडिया से बातचीत में केंद्रीय मंत्री डॉ. मांडविया ने ‘माय भारत’ के 10,000 से ज़्यादा युवा स्वयंसेवकों की भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि देश के युवाओं ने न सिर्फ़ संविधान की प्रस्तावना पढ़ीबल्कि इसके प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि नए भारत के युवा ‘विकसित भारत’ के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में एक व्यापक प्रदर्शनी के जरिए भारतीय संविधान की विकास यात्रा को प्रदर्शित किया गया और इसमें प्रमुख हस्तियों के योगदान को प्रमुखता से बताया गया। ऐतिहासिक वेशभूषा पहने युवाओं ने डॉ. बी. आर. अंबेडकर और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे नेताओं का चित्रण करके इतिहास को जीवंत कर दिया, जिससे मनोरंजक अनुभव मिला। पूरे मार्ग के साथ-साथ, पदयात्रा में विभिन्न स्थलों पर जीवंत सांस्कृतिक प्रदर्शनियां दिखाई गईं। प्रतिभागियों ने पारंपरिक गुजराती नृत्य, राजस्थानी लोक नृत्य और ऊर्जावान पंजाबी भांगड़ा सहित मंत्रमुग्ध करने वाले अनेक सांस्कृतिक प्रदर्शनों का आनंद लिया।

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इस पदयात्रा का उद्देश्य युवाओं में संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देना था। इस अवसर पर इंडिया गेट पर एक विशेष समारोह आयोजित किया गया, जिसमें युवाओं ने सामूहिक रूप से संविधान की प्रस्तावना पढ़ी। इस दौरान भारत के संविधान की नींव के रूप में प्रस्तावना की भूमिका और न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के इसके प्रमुख मूल्यों पर प्रकाश डाला गया। केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों की मौजूदगी में इस कार्यक्रम में भारतीय लोकतंत्र में इन सिद्धांतों के महत्व को रेखांकित किया गया। समारोह स्थल के रूप में राष्ट्रीय एकता के प्रतीक इंडिया गेट ने समारोह के प्रभाव को और बढ़ा दिया। प्रस्तावना पढ़ने के बाद, डॉ. मांडविया ने अपने संसदीय सहयोगियों के साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पुष्पांजलि अर्पित की। इस कार्यक्रम के केंद्र में युवाओं की भागीदारी रही। पूरे कार्यक्रम के दौरान माय भारत पंजीकरण अभियान चलाया गया। प्रतिभागी प्रस्तावना थीम वाले सेल्फी पॉइंट के साथ अपनी यादगार तस्वीरें ले सकते थे। पूरे रास्ते में माय भारत के स्वयंसेवकों ने प्रतिभागियों के लिए जलपान के स्टॉल लगाकर और स्वच्छ भारत अभियान में प्रमुखता से भाग लेकर पदयात्रा के पूरे मार्ग में स्वच्छता सुनिश्चित करके महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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इस पदयात्रा में एनसीआर क्षेत्र के 125 से अधिक कॉलेजों और एनवाईकेएस, एनएसएस, एनसीसी और भारत स्काउट्स एंड गाइड्स सहित विभिन्न संगठनों के युवा प्रतिभागियों ने सफलतापूर्वक भाग लिया। यह संविधान के 75वें वर्ष के जश्न में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यानी मील का पत्थर साबित हुआ। इस कार्यक्रम में विकसित भारत के लिए संवैधानिक मूल्यों को संरक्षित करने और इसे बढ़ावा देने में युवाओं की भूमिका पर जोर दिया गया।

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पीएम-जनमन में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह परिवारों के लिए मध्य प्रदेश में 30 हजार से ज्यादा आवासों की और स्वीकृति

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री जनमन योजना (पीएम-जनमन) के माध्यम से देश में, विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह परिवारों के विकास के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में सरकार लगातार काम कर रही है। इसी के तहत, केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के आदिवासी परिवारों को सौगात देते हुए मध्य प्रदेश में 30 हजार से ज्यादा आवासों की और स्वीकृति प्रदान की है। केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि वंचितों और शोषितों के प्रति पीएम मोदी जी की सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध एवं संवेदनशील है। श्री चौहान ने कहा कि इस तबके के उत्थान के लिए हरसंभव काम निरंतर किए जाएंगे।

केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के अतंर्गत, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2024-25 के लिए अतिरिक्‍त लक्ष्‍यों के आवंटन को मंजूरी देते हुए कहा कि पीएम जनमन मिशन का लक्ष्य उन विशेष रूप से कमजोर 75 जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के विकास का है, जो विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की योजनाओं से छूट गए हैं। श्री चौहान ने कहा कि मोदी सरकार का पूर्ण ध्यान, देश में आखिरी छोर पर खड़े लोगों तक पहुंच का है। उन्होंने बताया कि पीएम-जनमन के तहत लक्षित आवासों (4.90 लाख घर) को मार्च 2026 तक पूर्ण किया जाना है।

केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि इससे पूर्व राज्‍यों को 3,70,963 (2,18,890 वर्ष 2023-24 में एवं 1,52,073 वर्ष 2024-25 में) का लक्ष्‍य आवंटित किया गया है, जिनमें से 3.38 लाख आवासों की स्‍वीकृति दी जा चुकी है एवं 2.71 लाभार्थियों को प्रथम किश्‍त जारी की जा चुकी है तथा 62,005 आवास पूर्ण किए जा चुके हैं। राज्‍यों ने सर्वे के पश्‍चात 46,573 अतिरिक्‍त पात्र परिवारों को चिन्हित किया है, जिनमें से 30 हजार से अधिक आवासों का अतिरिक्त आवंटन मध्य प्रदेश के लिए किया गया है। इससे पहले, मध्य प्रदेश के लिए 1,44,200 आवासों की स्वीकृति दी जा चुकी है।

पीएम-जनमन में आंध्रप्रदेश में सड़कों की स्‍वीकृति- केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने पीएम-जनमन के अंतर्गत आंध्र प्रदेश राज्‍य में 297.18 कि.मी लंबाई की 76 सड़कों की स्‍वीकृति भी प्रदान की है। इन 76 सड़कों की अनुमानित लागत 275.07 करोड़ रुपये है, जिसमें से केंद्रीय अंश 163.39 करोड़ रुपये एवं राज्य अंश 111.68 करोड़ रुपये है।

मध्य प्रदेश में अतिरिक्त स्वीकृत आवास (जिलावार)

अनूपपुर 1522
अशोक नगर 2294
बालाघाट 401
छिंदवाड़ा 202
दतिया 110
डिंडौरी 1532
गुना 2084
ग्वालियर 266
जबलपुर 42
मंडला 903
मुरैना 695
नरसिंहपुर 158
रायसेन 29
सिवनी 117
शहडोल 2591
श्योपुर 7561
शिवपुरी 5154
सीधी 1042
सिंगरौली 1895
उमरिया 4092
विदिशा 448

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राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) ने उपभोक्ता शिकायतों के समाधान के लिए 1000 से अधिक कंपनियों के साथ साझेदारी की

एक महत्वपूर्ण सुधार में, राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) ने शिकायतों के समाधान में तेजी लाने के लिए अपने कन्वर्जेंस कार्यक्रम के तहत 1000 से अधिक कंपनियों के साथ साझेदारी की। ये कंपनियां ई-कॉमर्स, यात्रा और पर्यटन, निजी शिक्षा, एफएमसीजी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, खुदरा दुकानें, ऑटोमोबाइल, डीटीएच व केबल सेवाएं और बैंकिंग समेत प्रमुख क्षेत्रों में फैली हुई हैं। इन कन्वर्जेंस कंपनियों से जुड़ी शिकायतें ऑनलाइन समाधान के लिए सीधे उनके पास स्थानांतरित कर दी जाती हैं।

कन्वर्जेंस साझेदारों की संख्या 2017 में 263 कंपनियों से लगातार बढ़कर अब 1009 कंपनियों तक पहुंच गई है। यह बढ़ोतरी हेल्पलाइन की दक्षता बढ़ाने, त्वरित और प्रभावी शिकायत निवारण को सक्षम करने और पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने में इन साझेदारों की भूमिका पर प्रकाश डालती है। साझेदारियां यह सुनिश्चित करती हैं कि उपभोक्ता शिकायतों का निपटान मामले के पहले स्तर पर ही कर लिया जाए, जिससे उपभोक्ता के भरोसे में बढ़ोतरी हो। हालांकि, यदि कोई शिकायत नहीं सुलझती, तो उपभोक्ताओं को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत उचित उपभोक्ता आयोग से संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

भारत सरकार का उपभोक्ता मामले विभाग (डीओसीए) शिकायत निवारण प्रक्रिया में सुधार के लिए नियमित रूप से शिकायत डेटा को मॉनीटर करता है। हाल ही में, विभाग ने शीर्ष दस नॉट-कन्वर्जेंस कंपनियों की पहचान की है, जिन्हें मौजूदा वित्तीय वर्ष (2024-25) के दौरान सबसे अधिक शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इन कंपनियों में डेल्हिवरी लिमिटेड, इलेक्ट्रॉनिक्सकॉम्प.कॉम, डोमिनोज पिज्जा, हेयर अप्लायंसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, फर्स्टक्राई.कॉम, थॉमसन इंडिया, महिंद्रा एंड महिंद्रा, रैपिडो, ओरिएंट इलेक्ट्रिक लिमिटेड और सिंफनी लिमिटेड शामिल हैं। इन कंपनियों के साथ चल रही शिकायतों पर चर्चा करने, उन्हें संबोधित करने और उन्हें कन्वर्जेंस पार्टनर के रूप में शामिल करने के लिए अगले सप्ताह एक बैठक निर्धारित है।

एनसीएच के तकनीकी परिवर्तन से इसकी कॉल-हैंडलिंग क्षमता में सार्थक बढ़ोतरी हुई है। एनसीएच की ओर से प्राप्त कॉलों की संख्या जनवरी 2015 में 14,795 कॉल से जनवरी 2024 में 1,41,817 कॉल तक लगभग दस गुना बढ़ गई है। यह तेज बढ़ोतरी अपनी शिकायतें दर्ज करने के लिए हेल्पलाइन का उपयोग करने में उपभोक्ताओं के बढ़ते भरोसे को दिखाती है। प्रति माह दर्ज की जाने वाली शिकायतों की औसत संख्या 2017 में 37,062 से बढ़कर 2024 में 1,12,468 हो गई है।

शिकायत निवारण प्रणाली में और सुधार के लिए, एनसीएच 2.0 पहल के हिस्से के तौर पर एनसीएच एक एआई-आधारित बोली की पहचान, एक अनुवाद प्रणाली और एक बहुभाषी चैटबॉट शुरू करने की प्रक्रिया में है। इस तकनीकी अद्यतन का उद्देश्य शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया को अधिक सहज, कुशल और समावेशी बनाना है।

एआई-संचालित बोली की पहचान और अनुवाद प्रणाली उपभोक्ताओं को मानवीय हस्तक्षेप को कम करते हुए, उनकी स्थानीय भाषाओं में बोलने के माध्यम से शिकायत दर्ज करने की अनुमति देगी। बहुभाषी चैटबॉट त्वरित समय सहायता प्रदान करके, मानवीय डेटा भरने को कम करके और समग्र उपयोगकर्ता अनुभव को बढ़ाकर शिकायत को निपटाने की प्रक्रिया को और अधिक सुव्यवस्थित करेगा।

ये बदलाव यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी भाषाई पृष्ठभूमि के उपभोक्ताओं को शिकायत निवारण प्रणाली तक समान पहुंच प्राप्त हो। उपभोक्ता मामले विभाग चिंतामुक्त, त्वरित और किफायती प्रभावी शिकायत समाधान प्रक्रिया उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। एनसीएच 2.0 पहल के अंतर्गत जेनरेटिव एआई, बोली को समझने, अनुवाद और चैटबॉट प्रौद्योगिकियों की शुरूआत मामले के पहले चरण में उपभोक्ता संरक्षण में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी।

विभाग ने राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) को नया रूप दिया है, जिससे यह पूरे भारत में उपभोक्ताओं के लिए मामले के पहले चरण में शिकायत निवारण के लिए पहुंच का केंद्रीय बिंदु बन गया है। यह हेल्पलाइन हिंदी, अंग्रेजी, कश्मीरी, पंजाबी, नेपाली, गुजराती, मराठी, कन्नड़, तेलुगु, तमिल, मलयालम, मैथिली, संथाली, बंगाली, उड़िया, असमिया और मणिपुरी समेत 17 भाषाओं में उपलब्ध है, जिससे सभी क्षेत्रों के उपभोक्ताओं को टोल-फ्री नंबर 1915 के माध्यम से अपनी शिकायतें दर्ज करने की सुविधा मिलती है। शिकायतों को एकीकृत शिकायत निवारण तंत्र (इनग्राम) पोर्टल पर भी दर्ज किया जा सकता है, जो एक केंद्रीकृत आईटी-सक्षम प्रणाली है और व्हाट्सऐप, एसएमएस, ईमेल, एनसीएच ऐप, वेब पोर्टल और उमंग ऐप जैसे चैनल पर शिकायतें दर्ज करने की सुविधा प्रदान करती है।

एक बार शिकायतें प्राप्त होने पर, एनसीएच उन्हें समाधान के लिए संबंधित कंपनियों, नियामकों या सरकारी विभागों को भेज देता है।

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