सर्वेक्षण पोत (बड़े) परियोजना के दूसरे जहाज, आईएनएस निर्देशक को 18 दिसंबर 2024 को रक्षा राज्य मंत्रीश्री संजय सेठ की अध्यक्षता में विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्डमें एक समारोह मेंभारतीय नौसेना में शामिल किया गया। वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, पूर्वी नौसेना कमान ने मेसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) कोलकाता में निर्माणाधीन सर्वेक्षण पोत (बड़े) परियोजना के चार जहाजों में से दूसरे जहाज को औपचारिक रूप से शामिल करने के लिए कमीशनिंग समारोह की मेजबानी की। इस जहाज को हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने, नेविगेशन में सहायता और समुद्री संचालन का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
इस अवसर पर आरआरएम ने कहा कि अत्यधिक विशिष्ट जहाज – सर्वेक्षण जहाज – महासागरों का चार्ट बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा, ये परिष्कृत प्लेटफॉर्म हैं जो समुद्री डेटा के अधिक सटीक संकलन, इसके सटीक प्रसंस्करण और परिणामस्वरूप अत्यधिक विश्वसनीय चार्ट की अनुमति देते हैं, जो समुद्री संचालन और सुरक्षा को बढ़ाते हैं।
आरआरएम ने आगे कहा कि सर्वेक्षण जहाज एक विश्वसनीय समुद्री कूटनीति उपकरण के रूप में भी काम करते हैं। “जब हमारे सर्वेक्षण जहाज किसी मित्र देश के समर्थन में मिशन चलाते हैं, तो वे भारत के उस विश्वास का प्रतीक होते हैं- बदले में बिना कुछ मांगे किसी जरूरतमंद मित्र की मदद करना। इससे हमारे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और लंबी अवधि में व्यापार के अवसरों को खोलने और बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, नए सर्वेक्षण जहाज हमें और अधिक शक्तिशाली बनाएंगे, क्योंकि विदेशी बेड़े हाइड्रोग्राफिक सहयोग के लिए भारतीय नौसेना की ओर देख रहे हैं।
80% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ निर्मित, ये जहाज उन्नत हाइड्रोग्राफिक सिस्टम जैसे मल्टी बीम इको साउंडर्स, साइड स्कैन सोनार, ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल (एयूवी), रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (आरओवी) आदि से सुसज्जित है। ये सुरक्षित नेविगेशन के लिए सटीक मैपिंग मुमकिन करते हैं और गहरे समुद्र में परिचालन की योजना बनाना, खतरनाक और प्रतिबंधित क्षेत्रों में सर्वेक्षण क्षमताओं का विस्तार करना और मलबे की पहचान और पर्यावरण अध्ययन के लिए तेज़ और सुरक्षित डेटा संग्रह की सुविधा प्रदान करते है।
यह जहाज हिंद महासागर क्षेत्र की सुरक्षा और पर्यावरणीय स्वास्थ्य और क्षेत्रीय सहयोग, वैज्ञानिक अन्वेषण और शांति मिशनों में भारत के नेतृत्व को मजबूत करने में अहम योगदान देगा। इसके अलावा यह मित्र विदेशी देशों के साथ साझा समुद्री डेटा को बढ़ावा देकर सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) पहल को मजबूत करेगा।
जहाज का निर्माण भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो, जीआरएसई, एलएंडटी, सेल, आईआरएस और बड़ी संख्या में एमएसएमई का एक सहयोगात्मक प्रयास था, जो रक्षा विनिर्माण और समुद्री क्षमताओं में आत्मनिर्भरता के लिए भारत की प्रतिबद्धता का उदाहरण है।