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राजनीति

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्‍मृति जूबिन इरानी ने अमेठी सांसद खेल-कूद प्रतियोगिता-2023′ के विजेता खिलाड़ियों को दिया पुरस्कार एवं लगभग ₹700 करोड़ की 879 परियोजनाओं का किया लोकार्पण

  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्‍मृति जूबिन इरानी ने जनपद अमेठी में सांसद खेलकूद प्रतियोगिता-2023 के विजेता खिलाड़ियों को पुरस्कार वितरित करने के साथ ही 699.79 करोड़ की लागत से 879 परियोजनाओं का लोकार्पण/शिलान्यास किया।

इस अवसर केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्‍मृति जूबिन इरानी ने खेलकूद प्रतियोगिता के खिलाड़ियों को संबोधित करते हुये कहा कि  अमेठी कई साल तक अंधेरे में रहा, लेकिन आज 1 लाख 23 हजार घरों को बिजली मिल रही है। मनरेगा में आज 2 लाख से अधिक हाथों को काम मिला है। उन्होंने कहा कि जो काम 40 साल में नहीं हुए, वो प्रधानमंत्री के नेतृत्व में पिछले 4 सालों में हुए हैं।

केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में  हर ग्राम पंचायत में सांसद खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन हुआ है जिसके फलस्वरुप अमेठी में कुल 1 लाख 11 हज़ार खिलाड़ी एकत्रित हुए। श्रीमती इरानी ने कहा कि पिछले 25 दिनों में युवाशक्ति ने लगभग 50 हजार मेडल प्राप्त किये जो कि गर्व की बात है। स्‍मृति जूबिन इरानी ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुये कहा प्रधानमंत्री आज से चार वर्ष पूर्व अमेठी कि इस धरा पर पधारे थे लेकिन आज भी उनके मन में अमेठी और इसके नागरिकों के लिये उनके दिल में सम्मान है।केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि अमेठी लोकसभा क्षेत्र में पहले मात्र 40 प्रतिशत शौचालय थे जो प्रधानमंत्री के नेतृत्व में बढकर स्कूलों में बेटियों के लिये 100 प्रतिशत हो गये. प्रधानमंत्री मोदी ने आज वीडियो संदेश के माध्यम से अमेठी सांसद खेल प्रतियोगिता 2023 के समापन समारोह को संबोधित किया।सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि अमेठी सांसद खेल प्रतियोगिता 2023 में भाग लेने वालों के साथ जुड़ना एक विशेष अहसास है। यह महीना देश में खेलों के लिए शुभ है, क्योंकि भारतीय खिलाड़ियों ने एशियाई खेलों में पदकों का शतक बनाया है, इसलिए इसे मद्देनजर रखते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि इन आयोजनों के जरिये अमेठी के अनेक खिलाड़ियों ने भी अमेठी सांसद खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन किया है।

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भारत में शीघ्र ही विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मेट्रो सेवा नेटवर्क उपलब्ध होगा: हरदीप सिंह पुरी

आवासन एवं शहरी कार्य तथा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने देश भर में शहरी परिवहन नेटवर्क को सशक्त बनाने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता पर जोर दिया है। वे कल आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) से जुड़ी संसदीय सलाहकार समिति के सदस्यों को संबोधित कर रहे थे। इस बैठक में चर्चा का मुख्य विषय शहरी परिवहन था।

इस बैठक में आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री कौशल किशोर, संसद सदस्य (लोकसभा) श्री तिरु ए.के.पी. चिनराज, संसद सदस्य (लोकसभा) श्री एम.वी.वी. सत्यनारायण, संसद सदस्य (लोकसभा) डॉ. श्रीकांत एकनाथ शिंदे, संसद सदस्य (लोकसभा) श्री रमेश बिधूड़ी और संसद सदस्य (राज्यसभा) श्री अबीर रंजन विश्वास, संसद सदस्य (राज्यसभा) श्रीमती वंदना चव्हाण और संसद सदस्य (राज्यसभा) तथा आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव श्री मनोज जोशी व आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के अन्य अधिकारियों ने भाग लिया।

आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव और विशेष कार्य अधिकारी श्री जयदीप ने इस बैठक में शामिल हुए सदस्यों के समक्ष नगरीय परिवहन पर विस्तार से एक विशेष प्रस्तुति दी। इस व्याख्यान में देश भर में वर्तमान मेट्रो नेटवर्क के विकास पर विवरण को साझा किया गया।

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कार्यक्रम में शामिल होने वाले सभी प्रतिनिधियों को एकल कार्ड द्वारा मेट्रो, रेल, बस एवं अन्य सार्वजनिक परिवहन सेवा प्रदाताओं (पीटीओ) के माध्यम से निर्बाध यात्रा करने में समर्थ बनाने और खुदरा दुकानों/रेस्तरां/एटीएम/कियोस्क/ईंधन भरवाने/पार्किंग तथा रिटेल आउटलेट आदि में खरीदारी हेतु अपने उपयोग के लिए ‘वन नेशन वन कार्ड’ के इस्तेमाल के बारे में जानकारी दी गई। स्वदेशी रूप से विकसित इस नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) कार्ड का शुभारंभ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मार्च 2019 में एक कार्यक्रम के दौरान किया गया था। वर्तमान में नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड का इस्तेमाल इन मेट्रो रेल सेवाओं का उपभोग करने के लिए किया जा सकता है:

दिल्ली मेट्रो (डीएमआरसी)

बेंगलुरु मेट्रो (बीएमआरसीएल)

मुंबई मेट्रो

चेन्नई मेट्रो (सीएमआरएल)

अहमदाबाद मेट्रो (जीएमआरसीएल)

कानपुर मेट्रो (यूपीएमआरसीएल)

इसके अलावा, नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड के इकोसिस्टम को अपनाने वाले परिवहन सेवा प्रदाताओं के लिए राज्य सड़क परिवहन उपक्रमों (एसआरटीयू) में कदंबा ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन लिमिटेड, गोवा, बी.ई.एस.टी. उपक्रम, मुंबई और हरियाणा रोडवेज शामिल हैं।

संसद सदस्यों ने इस बैठक के दौरान नगरीय परिवहन से संबंधित मुद्दों का उल्लेख किया, जिनमें उनके संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों/राज्यों में मेट्रो सेवा संचालन, देश के अन्य भागों में मेट्रो परिचालन को बढ़ाना, अंतिम छोर तक परिवहन सेवा की उपलब्धता, सुविधाओं में बढ़ोतरी, यात्रा में सुलभता व यात्रियों से जुड़ी सुविधाओं आदि से संबंधित मामले शामिल थे।

आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने सांसदों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए बताया कि फिलहाल देशभर के 20 शहरों में करीब 874 किलोमीटर मेट्रो रेल सेवा जारी है और अनेक शहरों में करीब 986 किलोमीटर मेट्रो रेल का कार्य निर्माणाधीन है। उन्होंने जोर देते हुए बताया कि भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क सेवा बनाने की राह पर अग्रसर है।

देशभर में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार इस प्रकार से है:

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आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के आधार पर 10,000 ई-बसों को तैनात करके नगरीय बस संचालन को बढ़ाने के उद्देश्य से हाल ही में मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित एक योजना “पीएम-ईबस सेवा” के बारे में भी जानकारी साझा की। इस योजना की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार से हैं:

  • सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल के आधार पर 10,000 ई-बसों की तैनाती
  • 10 वर्षों तक बसों के संचालन में सहयोग
  • बस डिपो के विकास एवं उन्नतिकरण के लिए सहायता
  • बिजली की आवश्यकता पूरा करने हेतु बुनियादी ढांचे के लिए मदद
  • 3 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में विस्तार
  • चुनौती पद्धति के माध्यम से शहरों का चयन

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विज्ञान और टेक्नोलॉजी मंत्रालय के समर्थन से वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग का “सीआरटीडीएच एम्पावरिंग एमएसएमई” विषय पर एक दिन का चिंतन शिविर दिल्ली फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (डीपीएसआरयू), नई दिल्ली में सफलतापूर्वक संपन्न

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image005YUWQ.jpg   विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सीआरटीडीएच कार्यक्रम के अंतर्गत पांच चिंतन शिविरों की श्रृंखला में पांचवें “सीआरटीडीएच एम्पावरिंग एमएसएमईः विषय पर चिंतन शिविर” का उद्घाटन 13 अक्टूबर 2023 को दिल्ली फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी के डीएसआईआर-सीआरटीडीएच में हुआ। डीपीएसआरयू), नई दिल्ली। चिंतन शिविर अधिक सार्थक अनुसंधान को मजबूत बनाने तथा वैज्ञानिक ज्ञान, विचारों और आविष्कारों तथा बाजार योग्य उत्पादों और सेवाओं के व्यावहारिक अप्लीकेशन के बीच के अंतर को पाटने के लिए एक अनुकूल इको-सिस्टम बनाने में उद्योग और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग को सहज बनाने के लिए आयोजित किया गया था। चिंतन शिविर के प्रारंभ में मुख्य अतिथि, डीएसआईआर की सचिव और महानिदेशक डॉ. एन. कलईसेल्वी का उद्घाटन भाषण हुआ। डॉ. कलईसेल्वी ने अपनी टिप्पणी में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के “आत्मनिर्भर भारत” बनाने के विजन को साकार करने के लिए एमएसएमई, स्टार्टअप और इनोवेटर्स को सक्षम बनाने में डीएसआईआर और सीआरटीडीएच के महत्त्व पर बल दिया। डीपीएसआरयू के कुलपति प्रोफेसर रमेश के गोयल ने विभिन्न हितधारकों को उनकी अनुसंधान एवं विकास संबंधी गतिविधियों में सहायता करने में डीएसआईआर-सीआरटीडीएच-डीपीएसआरयू के प्रयासों की सराहना की। सीआरटीडीएच की प्रमुख डॉ. सुजाता चकलानोबिस ने चिंतन शिविर के बारे में संपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने नवाचार की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि एमएसएमई नवाचार इको-सिस्टम के एक प्रमुख घटक के रूप में भारत को वैश्विक स्तर पर अनुसंधान एवं विकास और मेन्युफेक्चरिंग के केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। डीपीएसआरयू के रजिस्ट्रार प्रोफेसर हरविंदर पोपली ने डीपीएसआरयू में अनुसंधान एवं विकास तथा नवाचार के लिए उद्योगों को संगठित करने की दिशा में डीपीएसआरयू के प्रयासों की जानकारी दी। डीपीएसआरयू में सीआरटीडीएच की परियोजना समन्वयक प्रोफेसर गीता अग्रवाल ने सीआरटीडीएच के उद्देश्य, प्राप्त उद्देश्य तथा भविष्य के लक्ष्यों, एमएसएमई कनेक्ट पहल, एमएसएमई के लिए सुलझाए गए विषयों, प्रस्तुत सेवाओं और एमएसएमई के लिए उपलब्ध अवसरों के बारे में जानकारी दी।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0045GWU.jpg

सीआरटीडीएच द्वारा “मैन्य़ुफेक्चरिंग और अनुसंधान एवं विकास चुनौती: हेल्थकेयर एमएसएमई के लिए समर्थन प्रणाली बनाने” के विषय पर एक पैनल चर्चा का संचालन वैज्ञानिक-एफ और सदस्य सचिव-सीआरटीडीएच, डीएसआईआर डॉ. विपिन सी शुक्ला ने किया। चर्चा में विभिन्न पैनलिस्ट उद्योग, शिक्षा और सरकार की ओर से थे। कार्यक्रम में उपस्थित अन्य डीएसआईआर अधिकारी डॉ. वंदना कालिया, डॉ. रणजीत बैरवा, डॉ. शशि कुमार और श्री नवीन चंद थे। इस कार्यक्रम में डीपीएसआरयू, नई दिल्ली की सीआरटीडीएच टीम, उद्योग के प्रतिनिधि और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के प्रतिनिधि, स्टार्ट-अप, व्यक्तिगत नवाचारी, फैकल्टी और विद्यार्थी भी उपस्थित थे।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002XG4D.jpg इस आयोजन में गहन चर्चा, महत्वपूर्ण विश्लेषण और रणनीतिक योजना के माध्यम से सरकारी  अधिकारियों, डीपीएसआरयू और हितधारकों के संयुक्त समझ, ज्ञान और विशेषज्ञता का उपयोग किया गया। इस सार्थक बातचीत में देश में एमएसएमई, स्टार्ट-अप और इनोवेटर्स के सामने आने वाली चुनौतियों को हल करने के संभावित उपायों पर विचार-मंथन किया गया, साथ ही भारत को किफायती स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में औद्योगिक अनुसंधान और मैन्युफेक्चरिंग का प्रमुख वैश्विक केंद्र बनाने के अवसरों का लाभ उठाया गया।

 

 

 

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वित्तीय सेवा विभाग के सचिव डॉ. विवेक जोशी ने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के त्वरित कार्यान्वयन के लिए पंजाब, हरियाणा एवं केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की

केंद्रीय वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव डॉ. विवेक जोशी ने नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के त्वरित कार्यान्वयन के संबंध में क्रमशः पंजाब और हरियाणा एवं केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ के अधिकारियों के साथ चंडीगढ़ में 12 अक्टूबर, 2023 को दो बैठकों की अध्यक्षता की। इन बैठकों में बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के अतिरिक्त, केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय के अपर सचिव, संयुक्त सचिव (डीएफएस), केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के क्षेत्रीय निदेशक के साथ-साथ दोनों राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

पंजाब सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक

हरियाणा राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के अधिकारियों के साथ बैठक

डॉ. जोशी ने इस बात पर बल दिया कि पारंपरिक शिल्प और कौशल में लगे व्यक्तियों की आवश्यकताओं को पूरा करने और प्रधानमंत्री के सबका विकास (समावेशी विकास) के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए,  प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना को कौशल प्रशिक्षण तक पहुंच के माध्यम से 18 चिन्हित व्यवसायों से जुड़े पारंपरिक कलाकारों और शिल्पकारों की सहायता, संपार्श्विक मुक्त ऋण, आधुनिक उपकरण,  बाजार लिंकेज समर्थन और डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए समग्र रूप से इसे विस्तारित करने हेतु डिजाइन किया गया है।

डीएफएस के सचिव ने राज्य सरकार के क्षेत्र पदाधिकारियों से प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत लाभ प्रदान करने के लिए लाभार्थियों का निर्बाध नामांकन, त्वरित सत्यापन और पंजीकरण सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। इस योजना का मुख्य जोर आज के विश्वकर्माओं को कल के उद्यमियों में रूपांतरित करना है।

 

बैठकों के दौरान, एमएसएमई, एमएसडीई, क्षेत्रीय कौशल विकास और उद्यमिता निदेशालय (आरडीएसडीई) तथा डीएफएस एवं भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा व्यापक प्रस्तुतियां दी गईं। प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना और कार्यान्वयन की प्रगति का विवरण देते हुए ये प्रस्तुतियां दी गईं।

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पीयूष गोयल ने “भारत के विनिर्माण उद्योग की क्षमताओं को सामने लाने” पर उद्योगपतियों के साथ हुए एक चिंतन शिविर की अध्यक्षता की

 केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल ने विनिर्माण से जुड़े इकोसिस्टम का समर्थन करने के लिए सरकार की तरफ से किए गए विभिन्न सुधारों और लागू की गई योजनाओं पर प्रकाश डाला और इसके विस्तार को बढ़ावा देने की प्रक्रिया को गति देने के लिए सुझाव आमंत्रित किए। आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में “चिंतन शिविर- भारत के विनिर्माण उद्योग की क्षमताओं को सामने लाना” की अध्यक्षता करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने वहां उपस्थित लोगों की सराहना की, भारत के विनिर्माण क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाने और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने के लिए उनकी व्यापक प्रतिबद्धता और बेजोड़ समर्पण को स्वीकार किया।

गोयल ने उद्योग जगत से उत्पादन गतिविधियों में तेजी लाने और भारत को विनिर्माण के लिहाज से एक वैश्विक केंद्र बनाने में योगदान देने के लिए भी कहा। केंद्रीय मंत्री ने उद्योग जगत के प्रमुख लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका और समर्थन को स्वीकार करते हुए सुसंगत नीतियां बनाने के प्रति सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता पर जोर दिया। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री श्री सोम प्रकाश की उपस्थिति ने इस अवसर के महत्व को रेखांकित किया और उन्होंने भारत के औद्योगिक विकास को आगे बढ़ाने वाली सहयोग की भावना पर जोर दिया गया। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने स्केल समिति और इन्वेस्ट इंडिया के सहयोग से एक “चिंतन शिविर – भारत के विनिर्माण उद्योग की क्षमताओं को सामने लाना” का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में सीआईआई, फिक्की, एसोचैम, एक्मा, सियाम जैसे दिग्गज उद्योग संगठनों के साथ-साथ नॉलेज पार्टनर्स बीसीजी और मैकिन्से भी शामिल हुए। यह कार्यक्रम आज भारत मंडपम, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। यह कॉन्क्लेव भारत के विनिर्माण क्षेत्र की चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में नजर आई। इसमें मुख्य रूप से विभिन्न क्षेत्रों में विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने और 2030 तक जीडीपी में योगदान बढ़ाने पर विचार-विमर्श करने पर जोर दिया गया था। इस कार्यक्रम में विनिर्माण से लेकर 12 क्षेत्रों (वस्त्र, पूंजीगत सामान, ऑटो और ईवी, रक्षा, एयरोस्पेस और अंतरिक्ष, धातु और खनन, चमड़ा और जूते, ऊर्जा, खाद्य प्रसंस्करण, रसायन, चिकित्सा उपकरण, ईएसडीएम मूल्य श्रृंखला, ड्रोन) से जुड़े विनिर्माण इकोसिस्टम बनाने, गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने, घरेलू मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देने, सरकारी नीतियों और समर्थन, उद्योग की चपलता को बढ़ावा देने जैसे प्रमुख विषयों पर उद्योग के साथ व्यापक चर्चा हुई। इन चर्चाओं ने नवीन रणनीतियां बनाने, व्यापार में बढ़ोतरी, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ एकीकरण और भारतीय विनिर्माण उद्योग में निवेश में वृद्धि की नींव रखी। प्रत्येक क्षेत्र के द्वारा दी गई प्रस्तुतियों में उद्योग की एक बड़ी झलक नजर आई, जिनमें वर्तमान और अनुमानित उद्योग क्षमता और निर्यात क्षमता के बारे में बताया गया था। प्रस्तुतियों में इकोसिस्टम, नीति परिदृश्य, तकनीकी प्रगति और कौशल विकास से जुड़ी पहलों से जुड़े लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जरूरी महत्वपूर्ण प्रोत्साहनों पर प्रकाश डाला गया। इसके अलावा, उपस्थित लोगों ने इन पहलों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार और उद्योग के बीच प्रस्तावित सहयोगात्मक योजनाओं के बारे में विस्तार से अपने विचार रखे।

यह चर्चा उद्योग से जुड़े सदस्यों और स्केल समिति के साथ आयोजित कार्य समूहों के क्षेत्र-आधारित विचार-मंथन सत्र के परिणाम के रूप में सामने आई थी।

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मिशन लाइफ (एलआईएफई) ने पर्यावरण की रक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए दुनिया को एक नया व्यापक दृष्टिकोण दिया हैः लोकसभा अध्यक्ष

जी20 देशों और नए जुड़े अफ्रीकी संघ समेत अतिथि देशों के सांसद दिल्ली के भव्य इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, द्वारका में इकट्ठा हुए। यहां उन्होंने धरती के भविष्य को ध्यान में रखते हुए आवश्यक जीवनशैली पर विचार-विमर्श किया। लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) पर संसदीय फोरम की यह बैठक नौवें जी20 संसदीय अध्यक्षों के शिखर सम्मेलन (पी20) के भव्य उद्घाटन से एक दिन पहले आयोजित की गई। इस दौरान कानून निर्माताओं ने मानवता के सामने मौजूद साझा चुनौतियों और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनसे निपटने के रास्ते पर अपने विचार सामने रखे।

जलवायु परिवर्तन जैसी समसामयिक चुनौतियों से निपटने का नया तरीका

संसदीय फोरम को संबोधित करते हुए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की लोकसभा के अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा प्रस्तावित लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) मिशन ने जलवायु परिवर्तन जैसी समकालीन चुनौतियों से निपटने और सतत विकास, स्वास्थ्य सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नया नजरिया दिया है। अध्यक्ष ने कहा कि मिशन लाइफ पर्यावरण संरक्षण का एक व्यापक दृष्टिकोण है जो हर शख्स को कम उपयोग, फिर से इस्तेमाल करने और रीसाइकल (पुनर्चक्रण) की राह दिखाता है। यह देखते हुए कि लाइफ अब एक वैश्विक आंदोलन बन गया है, श्री बिरला ने आगे कहा कि इस विचार के आधार पर कई देश अपनी भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के हिसाब से नीतियां और कार्य योजनाएं तैयार कर रहे हैं।

कोई भी देश अछूता नहींजलवायु परिवर्तन का डटकर मुकाबला करने की जरूरत

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि आज के समय में जलवायु परिवर्तन और उसका असर मानवता के साझा भविष्य के साथ गहराई से जुड़ा है। उन्होंने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से कोई भी देश अछूता नहीं रहा है। ऐसे में यह स्वाभाविक है कि भारत की पहल पर पी-20 सम्मेलन के दौरान पर्यावरण संबंधी मुद्दों को सर्वसम्मति से चर्चा के केंद्र में रखा जाए।’ दुनिया के सामने मौजूद चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत पर बल देते हुए अध्यक्ष ने इस बात को रेखांकित दिया कि यह समय की मांग है कि जलवायु परिवर्तन का डटकर मुकाबला किया जाए।

 

नीतियां और कानून पर्याप्त नहींव्यक्तिगत और सामूहिक कार्रवाई भी जरूरी

पर्यावरण के लिए जीवनशैली विषय पर भारत की संसद की तरफ से की गई विधायी पहल का जिक्र करते हुए श्री बिरला ने कहा कि इस दिशा में संसद में व्यापक चर्चा हुई और कानून भी बनाए गए हैं। व्यक्तिगत जिम्मेदारी पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए केवल नीतियां और कानून ही पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि हर शख्स को अपनी जीवनशैली में बदलाव कर सामूहिक रूप से योगदान करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि प्रत्येक व्यक्ति की जीवनशैली कुछ इस तरह से हो कि पर्यावरण को कोई नुकसान न हो। ऐसा करना हर किसी की व्यक्तिगत और सामूहिक जिम्मेदारी है।  बिरला ने पीठासीन अधिकारियों से आग्रह किया कि मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) पर सभी संसदों में चर्चा की जानी चाहिए जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस मिशन का संदेश एक जन आंदोलन का आकार ले और बेहतर दुनिया का निर्माण हो सके।

जी20 देशों की संसदों के पीठासीन अधिकारियों ने ‘लाइफ’ मिशन शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की पहल की सराहना की और सामूहिक रूप से संकल्प लिया कि वे अपनी-अपनी संसदों में चर्चा एवं वाद-विवाद के जरिए इस पहल को आगे बढ़ाएंगे।

सतत जीवन की हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने इस बात पर जोर दिया कि मिशन लाइफ के तहत व्यक्तियों और समुदायों के प्रयासों को सकारात्मक बदलाव के लिए वैश्विक जन आंदोलन में तब्दील करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सतत जीवन की हमारी लंबी यात्रा में मिशन लाइफ एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने के ठोस प्रयास किए हैं। उन्होंने स्थायी विरासत और बेहतर भविष्य के लिए संसद सदस्यों से पर्यावरण का संरक्षक और पथ प्रदर्शक बनने का आग्रह किया। हरिवंश ने कहा कि सामूहिक प्रयास से दुनिया उस ओर मुड़ेगी जहां जीवन पनपता है और हमारा ग्रह फलता-फूलता है।

चर्चा के दौरान जी20 देशों की संसदों के पीठासीन अधिकारियों ने सवाल-जवाब भी किए।

इस मौके पर भारत की जी20 प्रेसीडेंसी के शेरपा श्री अमिताभ कांत ने भी अपनी बात रखी। भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सचिव लीना नंदन ने ‘लाइफ’ पर एक प्रस्तुति दी। इसके बाद मिशन पर एक लघु फिल्म दिखाई गई।

शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2023 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी यशोभूमि, द्वारका, दिल्ली में 9वें पी-20 शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर लोकसभा के अध्यक्ष श्री ओम बिरला भी मौजूद रहेंगे। जी20 देशों की संसदों के पीठासीन अधिकारियों के अलावा आमंत्रित देशों की संसदों के पीठासीन अधिकारी भी सम्मेलन में भाग लेंगे। भारत की मेजबानी में आयोजित पी-20 शिखर सम्मेलन में पैन अफ्रीकी संसद के अध्यक्ष पहली बार हिस्सा लेंगे।

‘वसुधैव कुटम्बकम्- एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के लिए संसद’ के दर्शन के तहत दो दिवसीय पी-20 शिखर सम्मेलन में निम्नलिखित समकालीन विषयों पर विचार मंथन होगा:

1. एसडीजी के लिए एजेंडा 2030: उपलब्धियों का प्रदर्शन, प्रगति में तेजी लाने पर जोर

2. हरित भविष्य की तरफ बढ़ने के लिए टिकाऊ ऊर्जा संक्रमण

3. लैंगिक समानता को बढ़ावा देना- महिलाओं के विकास से महिला नेतृत्व वाले विकास तक

4. सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों के जीवन में परिवर्तन

9वां पी20 सम्मेलन जी20 देशों की संसदों के पीठासीन अधिकारियों के सामूहिक नजरिये की गौरवशाली यात्रा को दर्शाता है, जो 2010 में एक परामर्श बैठक से शुरू हुआ था।

सतत जीवनशैली को आगे बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने के लिए लाइफ पर संसदीय फोरम जी20 सदस्यों के साथ-साथ आमंत्रित देशों के संसद सदस्यों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को एक साथ लाया है। इस फोरम का विशेष महत्व है क्योंकि यह सतत जीवनयापन को बढ़ावा देने वाले सफल दृष्टिकोण को साझा करने का बेहतर मंच प्रदान करता है। इसके अलावा, यह ‘लाइफ’ जन आंदोलन और इसके व्यापक उद्देश्यों के बारे में जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है।

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जम्मू-कश्मीर में 82 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 395 मीटर (2-लेन) मारोग सुरंग के साथ 250 मीटर सेतु (2-लेन) का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है : गडकरी

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक पोस्ट में कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुमानित लागत पर 395 मीटर (2-लेन) मारोग सुरंग के साथ 250 मीटर सेतु (2-लेन) का 82 करोड़ रुपये का निर्माण कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।

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गडकरी ने कहा कि यह अवसंरचना एनएच-44 के रामबन से बनिहाल खंड के साथ स्थित है। बड़ी परियोजना के हिस्से के रूप में यह 645 मीटर का खंड, न केवल यात्रा की दूरी को 200 मीटर तक कम कर देगा, खड़ी ढलानों को कम करेगा, बल्कि प्रसिद्ध सीता राम पासी स्लाइड क्षेत्र के लिए एक वैकल्पिक मार्ग की सुविधा भी प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्‍त, यह चुनौतीपूर्ण मार्गों क्षेत्र की ढलानों को दरकिनार करते हुए वाहनों के सुचारू प्रवाह की सुविधा प्रदान करता है।

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गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के तहत हमने जम्मू और कश्मीर में अद्वितीय राजमार्ग बुनियादी ढांचा प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को दृढ़ता से बरकरार रखा है। उन्होंने कहा कि यह रूपांतरकारी विकास न केवल क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि में योगदान देता है बल्कि एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में इसके आकर्षण को भी बढ़ाता है।

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राष्ट्रपति ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के नये भवन की आधारशिला रखी

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने न्यायपालिका से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति से आम जनता को सरल, सुलभ और त्वरित न्याय प्रदान करने के प्रयास करने का आग्रह किया। उन्होंने न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों जैसे बड़ी संख्या में लंबित मामले, बड़ी संख्या में विचाराधीन कैदियों, अदालतों में बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देश भर की निचली अदालतों में करीब 4.5 करोड़ मामले लंबित हैं और इनमें से कई मामले 20 से 30 वर्षों से लंबित हैं। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने जिला न्यायालयों में दशकों से लंबित मामलों को निपटाने के लिए ’25 डीईबीटी’ नामक एक विशेष अभियान शुरू किया है, जिसके तहत जिला न्यायालय के न्यायाधीशों को अपने न्यायालयों में 25 पुराने मामलों को नियमित रूप से निपटाने के लिए कहा गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह ‘पंच परमेश्वर’ का देश है और न्याय की अवधारणा हमारी ग्रामीण व्यवस्था में शुरू से मौजूद थी। उन्होंने वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इससे एक ओर जहां विवादों का समाधान सस्ता और आसान हो जाएगा, वहीं दूसरी ओर न्यायपालिका पर बोझ भी कम हो जाएगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मध्यस्थता अधिनियम, 2023 के प्रावधानों का उपयोग करने से मध्यस्थता को व्यापक और संस्थागत स्वीकृति मिलेगी और मुकदमेबाजी का बोझ कम होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज टेक्नोलॉजी हर क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ा है। उन्होंने आगे कहा कि ई-कोर्ट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, ई-प्रोसिडिंग और ई-फाइलिंग की मदद से जहां न्याय दिलाना आसान हो गया है, वहीं कागज के इस्तेमाल में कमी आने से प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी संभव हो गया है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि सरकार ने हाल ही में ई-कोर्ट परियोजना के तीसरे चरण को मंजूरी दे दी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस चरण के सफल कार्यान्वयन से न्याय प्रणाली सभी हितधारकों के लिए अधिक सुलभ, किफायती, विश्वसनीय और पारदर्शी हो जाएगी।

राष्ट्रपति ने वकील संगठनों और समूहों से वंचितों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए आगे आने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमें यह ध्यान रखना होगा कि न्याय इतना महंगा न हो जाए कि आम आदमी की पहुंच से बाहर हो जाए। उन्होंने आगे कहा कि इस संबंध में संस्थागत प्रयासों को मजबूत करने की जरूरत है।

राष्ट्रपति ने कहा कि समावेशी भारत के लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं की उचित भागीदारी जरूरी है। उन्होंने कहा कि महिलाओं में न्याय की सहज भावना होती है और कहा जाता है कि माताएं अपने बच्चों में भेदभाव नहीं करतीं। न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया किसी एक गणितीय सूत्र पर आधारित नहीं है और न्याय प्रशासन के लिए किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान की भी आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया में भावनाएँ, परिस्थितियाँ और संवेदनाएँ जैसे अन्य आयाम भी महत्वपूर्ण हैं। अतः न्याय व्यवस्था में महिलाओं की अधिकतम भागीदारी भी न्यायपालिका के हित में होगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि जब न्यायपालिका में सुधार का दृष्टिकोण आता है तो जबलपुर का नाम स्वत: ही मन में आ जाता है। एडीएम जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला के मामले में, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा के पक्ष में जबलपुर उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 1976 में खारिज कर दिया था। 42 साल बाद वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला पलट दिया और मौलिक अधिकारों के पक्ष में जबलपुर हाई कोर्ट के तत्कालीन फैसले के मूल सिद्धांतों को सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा स्थापित किया है। इस प्रकार, जबलपुर का नाम भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में न्याय प्रणाली की प्रगतिशील यात्रा का प्रतीक बन गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का नया भवन आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगा। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि महिला वकीलों के लिए अलग से बार रूम का प्रस्ताव दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था न सिर्फ महिला वकीलों बल्कि महिला याचिकाकर्ताओं के लिए भी सुविधाजनक होगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नया भवन पूरा होने पर न्यायाधीशों, वकीलों और प्रशासनिक कर्मचारियों को अधिक समर्पण, प्रतिबद्धता और दक्षता के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करेगा।

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पीएम विश्वकर्मा योजना शुरू होने के दस दिन के भीतर 1.40 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए – नारायण राणे

पीएम विश्वकर्मा योजना की सफलता की जानकारी देते हुए राणे ने एक्स पर अपने एक पोस्ट के माध्यम से लिखा कि पीएम विश्वकर्मा योजना  प्रधानमंत्री  की दूरदर्शिता का परिणाम है और योजना के शुभारंभ के दस दिन के भीतर इतनी अधिक संख्या में आवेदन प्राप्‍त होना योजना की सफलता और सर्वोच्‍च महत्व का प्रमाण है।

केन्‍द्रीय मंत्री ने कहा कि पीएम विश्वकर्मा योजना, हमारे सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित विश्वकर्मा भाइयों और बहनों के व्यापक विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी और यह उनकी खोई हुई पहचान को बहाल करेगी जिसका लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है।

इस योजना के माध्यम से विश्वकर्मा भाइयों और बहनों को प्रशिक्षण, टूल किट और बिना कुछ गिरवी रखे ऋण प्रदान किया जाएगा। प्राप्त आवेदनों का सफलतापूर्वक सत्यापन कर सभी योजना का लाभ हमारे विश्वकर्मा भाई-बहनों को दिया जायेगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना और उनके उत्पादों को घरेलू और वैश्विक बाजारों तक पहुंचाना है। योजना के तहत 18 प्रकार के कारीगरों और शिल्पकारों को लाभ मिलेगा। लाभार्थियों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा और उन्हें प्रशिक्षण के दौरान 500 रुपये का दैनिक वजीफा मिलेगा। इसके अलावा टूल किट खरीदने के लिए 15,000 रुपये की सहायता दी जाएगी। लाभार्थी 3 लाख तक बिना कुछ गिरवी रखे ऋण के भी पात्र होंगे।

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वरिष्ठ नागरिकों को सहायता और सहायक उपकरणों के वितरण के लिए देश भर में विभिन्न स्थानों पर ‘सामाजिक अधिकारिता शिविर’ लगाए गए

देश के दिव्‍यांगजन और वरिष्ठ नागरिकों को सशक्त बनाने के प्रयास में, भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने देश भर में एक साथ 72 स्थानों पर ‘सामाजिक अधिकारिता शिविरों’ का आयोजन किया।

इस कार्यक्रम का शुभांरभ प्रत्येक शिविर स्थल पर माननीय प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ एपिसोड के प्रसारण के साथ हुआ। यह कार्यक्रम लंबे समय से देश के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है और इसमें भारत के हर हिस्‍से से विविध मुद्दों और दृष्टिकोणों को एक साथ एक मंच पर लाया जाता है। इसके बाद, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में मुख्य कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस मुख्‍य समारोह के साथ देशभर के 20 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के विभिन्न स्थल पर आयो‍जित होने वाले कार्यक्रम ऑनलाइन जुड़े हुए थे।

इस अवसर पर अपने संबोधन में, केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के मूल मंत्र “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” का पालन करते हुए मंत्रालय वरिष्ठ नागरिकों के सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक और उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक समावेशी और सुलभ वातावरण बनाने हेतु आर्थिक सशक्तिकरण के लिए विभिन्न केंद्रीकृत योजनाएं लागू कर रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंत्रालय ने दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए उच्च गुणवत्तायुक्‍त  सहायता और सहायक उपकरण बनाने के लिए नई तकनीक का उपयोग करने पर काफी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि विभाग अब कृत्रिम अंग बनाने के लिए 3डी स्कैनिंग तकनीक पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और इस नई पहल के साथ टीकमगढ़ इससे लाभान्वित होने वाला पहला जिला है।

इन शिविरों का उद्देश्य भारत सरकार की राष्ट्रीय वयोश्री योजना योजना के तहत 12814 से अधिक पूर्व-चिह्नित वरिष्ठ नागरिकों को विभिन्न प्रकार की सहायता और सहायक उपकरण वितरित करना है।

इन शिविरों के आयोजन का उद्देश्य पूरे देश में एक समावेशी समाज के लिए एक परिप्रेक्ष्य तैयार करना और वरिष्ठ नागरिकों के लिए सशक्तिकरण और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना है। इसका उद्देश्य उन्हें सकारात्‍मक, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार प्रदान करना है। वितरण शिविरों का आयोजन भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग द्वारा भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एएलआईएमसीओ) के समन्वय से किया जाता है।

वितरण शिविरों की श्रृंखला एक साथ विभिन्न स्थानों पर आयोजित की जाएगी। त्रिपुरा के धलाई में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री कुमारी प्रतिमा भौमिक भी उपस्थित थीं। सभी वितरण शिविर टीकमगढ़ के मुख्य कार्यक्रम स्थल से ऑनलाइन जुड़े हुए थे।

इस अवसर पर फुट केयर यूनिट, स्पाइनल सपोर्ट, कमोड के साथ व्हीलचेयर, चश्मा, डेन्चर, सिलिकॉन कुशन, एलएस बेल्ट, ट्राइपॉड, घुटने के ब्रेस और वॉकर सहित विभिन्न प्रकार के सहायक उपकरण वितरित किए गए। इन सहायक उपकरणों का उद्देश्य लाभार्थियों को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें समाज की मुख्यधारा में एकीकृत करने के लिए सशक्त बनाना है।

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