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राजनीति

राष्ट्रपति ने विशिष्ट विभूतियों को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (30 मार्च, 2024) राष्ट्रपति भवन में आयोजित अलंकरण समारोह में इन विशिष्ट विभूतियों को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया।

– पूर्व प्रधानमंत्री श्री पी. वी. नरसिम्हा राव मरणोपरांत। स्वर्गीय श्री पी. वी. नरसिम्हा राव को दिया गया भारत रत्न उनके सूपुत्र, श्री पी. वी. प्रभाकर राव ने ग्रहण किया।

– पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह मरणोपरांत। स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह को दिया गया भारत रत्न उनके पौत्र श्री जयंत चौधरी ने ग्रहण किया।

– डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन मरणोपरांत। स्वर्गीय डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन को दिया गया भारत रत्न उनकी सुपुत्री डॉ. नित्या राव ने ग्रहण किया।

– श्री कर्पूरी ठाकुर मरणोपरांत। स्वर्गीय श्री कर्पूरी ठाकुर को दिया गया भारत रत्न उनके सुपुत्र श्री रामनाथ ठाकुर ने ग्रहण किया।

 

 

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वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन में 79वें स्टाफ कोर्स की तैयारी कर रहे भारतीय सशस्त्र बलों और मित्र देशों के छात्र अधिकारियों को संबोधित किया

वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल वी आर चौधरी ने  आज (22 मार्च 2024) डिफेंस सर्विसेज स्टॉफ कॉलेज, वेलिंगटन का दौरा किया। उन्‍होंने 79वें स्टाफ कोर्स की तैयारी कर रहे भारतीय सशस्त्र बलों और मित्र देशों के छात्र अधिकारियों और कॉलेज के स्थायी कर्मचारियों को संबोधित किया।

वायुसेना प्रमुख ने अधिकारियों को अपने संबोधन में भारतीय वायुसेना के सामने आनेवाली चुनौतियों, इसकी क्षमता विकास योजना और इसकी संयुक्तता के बारे में बताया। उन्होंने भारतीय वायुसेना को एक आधुनिक और भविष्य के लिए तैयार एयरोस्पेस फोर्स में बदलने के बारे में बहुत अच्‍छी तरह से व्‍याख्‍या की। उन्होंने भारतीय वायुसेना के सिद्धांत में बताए गए विजन को दोहराया, जिसमें निर्णायक एयरो स्पेस शक्ति प्रदान करने के लिए एक चुस्त और नई परिस्थितियों से परिचित होकर उसके अनुरूप अपने को ढालने वाली वायुसेना की परिकल्पना की गई है। वायुसेना प्रमुख के संबोधन में संघर्षरत क्षेत्रों से भारतीय प्रवासियों को सुरक्षित निकालने के काम और आपदा राहत कार्यों के दौरान भारतीय वायुसेना द्वारा निभाई गई प्रमुख भूमिका को उजागर किया गया। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़राइल-हमास संघर्ष जैसे मौजूदा संघर्षों से प्राप्त महत्वपूर्ण वायुशक्ति सीख पर भी प्रकाश डाला।

वायुसेना प्रमुख को चल रही प्रशिक्षण गतिविधियों और डीएसएससी में संयुक्तता के लिए दिए जा रहे प्रोत्साहन के बारे में भी जानकारी दी गई, जिसकी प्रशंसा की गई।

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भारतीय नौसेना ने समुद्री डकैती विरोधी अभियान चलाकर एमवी रुएन को समुद्री लुटेरों से बचाया

अरब सागर में गश्त पर तैनात आईएनएस कोलकाता ने 40 घंटे से अधिक समय तक चले तलाशी अभियान के बाद 16 मार्च 24 को सोमालियाई समुद्री डाकुओं से मालवाहक जहाज एमवी रुएन को बचाया। मालवाहक जहाज का पिछले साल दिसंबर में अपहरण कर लिया गया था। अब तक यह सोमालियाई समुद्री डाकुओं के नियंत्रण में था।

समुद्री सुरक्षा अभियानों के तहत भारतीय नौसेना इस क्षेत्र में व्यापक निगरानी कर रही है, जिसमें यातायात की निगरानी भी शामिल है। निगरानी के दौरान जुटाई गई सूचना के आधार पर भारतीय नौसेना रुएन जहाज की गतिविधि को ट्रैक करने में सक्षम थी। इस आधार पर आईएनएस कोलकाता को सोमालिया से लगभग 260 नॉटिकल माइल (एनएम) पूर्व में जहाज को रोकने का निर्देश दिया गया। आईएनएस कोलकाता ने 15 मार्च 24 की सुबह रुएन को रोका और जहाज से लॉन्च किए गए ड्रोन के माध्यम से सशस्त्र समुद्री डाकुओं की उपस्थिति की पुष्टि की। समुद्री डाकुओं ने भड़काऊ कार्रवाई करते हुए ड्रोन को मार गिराया और भारतीय नौसेना के युद्धपोत पर गोलीबारी शुरू कर दी। अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन करते हुए संतुलित प्रतिक्रिया अपनाकर आईएनएस कोलकाता ने रुएन जहाज के स्टीयरिंग सिस्टम और नेविगेशनल सहायता को निष्क्रिय कर दिया। इसके परिणामस्वरूप समुद्री डाकुओं को जहाज रोकना पड़ा।
इस दौरान आईएनएस कोलकाता ने सुनियोजित तरीके से जहाज के करीब निकटता बनाए रखी। इसके अलावा बातचीत की प्रक्रिया भी सक्रिय रूप से जारी रही। इसके परिणामस्वरूप समुद्री लुटेरों ने आत्मसमर्पण कर दिया और समुद्री जहाज एमवी रुएन और जहाज पर मौजूद उसके चालक दल को रिहा कर दिया। भारत की मुख्य भूमि से 1400 नॉटिकल माइल (एनएम)(2600 किमी) दूर चल रहे समुद्री डकैती रोधी अभियान में भारतीय नौसेना के प्रयासों से 16 मार्च 24 की सुबह उस क्षेत्र में गश्ती पोत आईएनएस सुभद्रा की तैनाती की गई। इसके साथ ही उसी दिन दोपहर में सी-17 विमान द्वारा मरीन कमांडो (प्रहार) को एयर-ड्रॉप किया गया। इसके अतिरिक्त हेल आरपीए और पी8आई समुद्री टोही विमान की मदद से जहाज की निगरानी की जा रही थी।

पिछले 40 घंटों में भारतीय नौसेना के निरंतर दबाव और कार्रवाई के कारण सभी 35 सोमाली समुद्री डाकुओं ने 16 मार्च 24 की दोपहर को आत्मसमर्पण कर दिया। एमवी रुएन के सभी 17 चालक दल के सदस्यों को भी बिना किसी चोट सुरक्षित निकाल लिया गया। जहाज को अवैध हथियारों, गोला-बारूद और प्रतिबंधित पदार्थों से भी मुक्त कर दिया गया।
17 मार्च 2024 की सुबह एमवी रुएन की जांच की जाएगी। इस पर लगभग 37800 टन माल लदा हैजिसकी कीमत लगभग एक मिलियन डॉलर है। इस जहाज को सुरक्षित रूप से भारत लाया जाएगा।
दक्षिणी भारतीय महासागर क्षेत्र (आईओआर) में रुएन से जुड़े चल रहे एंटी-पाइरेसी ऑपरेशन का निष्कर्ष शांति एवं स्थिरता को मजबूत करने और क्षेत्र में समुद्री डकैती के किसी भी प्रयास को विफल करने की दिशा में भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता को उजागर करती है। भारतीय नौसेना भारतीय महासागर क्षेत्र में ‘फर्स्ट रिस्पॉन्डर’ (‘प्रथम प्रतिक्रिया देने वाले देश’) के रूप में अपनी भूमिका निभाने को लेकर दृढ़ है।

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ग्रिड-इंडिया ने मिनीरत्न कंपनी का दर्जा प्राप्‍त किया

ग्रिड कंट्रोलर ऑफ इंडिया लिमिटेड (ग्रिड-इंडिया) ने मिनीरत्न श्रेणी-I केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (सीपीएसई) का दर्जा प्राप्त करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा प्रदत्‍त यह मान्यता देश के विद्युत परिदृश्य में ग्रिड-इंडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है।

2009 में स्थापित, ग्रिड-इंडिया के पास भारतीय विद्युत प्रणाली के त्रुटिहीन और निर्बाध संचालन की देखरेख करने, क्षेत्रों के भीतर और उनके पार विद्युत शक्ति का कुशल हस्तांतरण सुनिश्चित करने, विश्वसनीयता, मितव्ययिता और स्थिरता पर ध्यान देने के साथ ही साथ पारदेशीय विद्युत विनिमय सुगम बनाने का महत्वपूर्ण दायित्व है। यह किफायती और कुशल थोक विद्युत बाजारों को सुगम बनाता है और निपटान प्रणालियों का प्रबंधन करता है।

पांच क्षेत्रीय लोड डिस्पैच केंद्रों (आरएलडीसी) और राष्‍ट्रीय लोड डिस्पैच सेंटर (एनएलडीसी) के समावेशन युक्‍त ग्रिड-इंडिया दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे जटिल विद्युत प्रणालियों में से एक, ऑल इंडिया सिंक्रोनस ग्रिड के प्रबंधन की बड़ी जिम्मेदारी निभाती है। बीते वर्षों में, ग्रिड-इंडिया ने विद्युत प्रणालियों के सम्मिलन, बढ़ती ऊर्जा मांगों, नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) स्रोतों के प्रसार, आर्थिक विकास एवं तकनीकी प्रगति के साथ-साथ विकसित होते नियमों और बाजार की जरूरतों के अनुरूप तेजी से कार्य किए हैं।

ज्ञान-संचालित संगठन के रूप में ग्रिड-इंडिया विद्युत क्षेत्र की बदलती जरूरतों के अनुरूप भारत सरकार द्वारा सौंपे गए विविध कार्यों को पूरा करने के लिए समर्पित है। इसकी अटूट प्रतिबद्धता क्षेत्रीय और राष्ट्रीय विद्युत प्रणालियों का एकीकृत संचालन सुनिश्चित करने, अत्यधिक विश्वसनीयता, सुरक्षा और आर्थिक दक्षता के साथ विद्युत ऊर्जा हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करने में निहित है। इतना ही नहीं, ग्रिड-इंडिया सभी सम्मिलित हितधारकों के लिए समान अवसर प्रदान करने को बढ़ावा देते हुए स्वतंत्र प्रणाली के संचालन के सिद्धांतों को कायम रखती है।

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मुख्य युद्धक टैंकों के लिये भारत के पहले स्वदेश निर्मित 1500 हार्सपावर इंजन का पहला परीक्षण बीईएमएल मैसूरू में किया गया

रक्षा सचिव गिरिधर अरमने ने मुख्य युद्धक टैंकों के लिये भारत के पहले स्वदेश- निर्मित 1500 हार्सपावर (एचपी) इंजन की बीईएमएल के मैसुरू परिसर स्थित इंजन विभाग में 20 मार्च 2024 को प्रथम टेस्ट फायरिंग की अध्यक्षता की। यह सफलता देश की रक्षा क्षमताओं में एक नये युग की शुरूआत है जो कि तकनीकी कौशल के साथ ही रक्षा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

1500 एचपी का यह इंजन सेना की प्रोपल्शन सिस्टम में एक नये बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें उच्च शक्ति-के समक्ष-भार का अनुपात, उंचाई वाले स्थानों, शून्य से नीचे तापमान और रेगिस्तानों सहित कठिन परिस्थितियों में संचालन क्षमता जैसी कई अत्याधुनिक विशेषतायें शामिल हैं। आधुनिक तकनीक से सुसज्जित यह इंजन पूरी दुनिया में उपलब्ध सबसे आधुनिक इंजनों की बराबरी वाला है।

परीक्षण सेल का उद्घाटन करते हुये रक्षा सचिव ने इस उपलब्धि को एक परिवर्तनकारी क्षण बताया जो कि सशस्त्र सेनाओं की क्षमता को बढ़ायेगा। बीईएमएल के सीएमडी श्री शांतनु राय ने कहा कि यह सफलता देश में रक्षा उत्पादन में एक प्रमुख योगदानकर्ता के तौर पर बीईएमएल की स्थिति को और मजबूत बनाती है और इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में राष्ट्र की आवश्यकताओं को पूरा करने की उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

1500 एचपी इंजन का यह पहला परीक्षण प्रौद्योगिकी स्थिरीकरण पर ध्यान केन्द्रित करते हुये पहले उत्पादन के पूरा होने का प्रतीक है। दूसरे चरण के उत्पादन में बीईएमएल डीआरडीओ की प्रयोगशाला युद्धक वाहन अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान में विभिन्न परीक्षणों के लिये इंजन का उत्पादन करेगी और फिर उनके उपयोगकर्ता परीक्षण के लिये वास्तविक वाहनों में उन्हें लगायेगी। परियोजना 2025 के मध्य तक पूरी होनी है। अगस्त 2020 में शुरू इस परियोजना को पांच पड़ावों के साथ पूरी सावधानी से तैयार किया गया है जिसमें सभी गुणवत्ता मानकों का पालन करते हुये इसे तय समय पर पूरा करना सुनिश्चित किया गया है।

रक्षा सचिव ने इस अवसर पर बीईएमएल टीम द्वारा किये गये असाधारण प्रयासों को मान्यता देने के लिये ‘वॉल ऑफ फेम’ का भी उद्घाटन किया। यह देश की रक्षा क्षमताओं के आधुनिकीकरण और स्वदेशी प्रौद्योगिकीय नवाचार में नये कीर्तिमान हासिल करने में उनके योगदान का प्रतीक है। कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ नागरिक और सैन्य अधिकारी, उद्योग जगत के भागीदार और बीईएमएल लिमिटेड के अधिकारी उपस्थित थे।

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प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड ने मैसर्स पेप्ट्रिस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड और फाउंडेशन फॉर नेग्लेक्टेड डिजीज रिसर्च (एफएनडीआर) को इनोवेटिव एंटीबायोटिक डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए 75 लाख रूपये का अनुदान स्वीकृत किया

स्वास्थ्य देखभाल नवाचार को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एक अभिनव पहल में, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड- टीडीबी) नेमेसर्स पेप्ट्रिस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड और फाउंडेशन फॉर नेग्लेक्टेड डिजीज रिसर्च (एफएनडीआर), बेंगलुरु के साथ इसी 18 मार्च को एक समझौता किया है। इस समझौते के अंतर्गत बोर्ड ने “एएनएजीआरएएनआईएनएफ – ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरियल-संक्रमण के लिये एंटीबायोटिक दवाओं की एक नवीन श्रेणी का विकास” परियोजना के लिए 75 लाख रूपये के अनुदान की स्वीकृति दी है, जबकि कुल परियोजना लागत 1.5 करोड़ रूपये है।

 

माना जाता है कि इस सहयोगात्मक प्रयास से स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। यह परियोजना भारत और स्पेन की कंपनियों के बीच एक संयुक्त प्रयास है, जिसमें एबीएसी थेरेप्यूटिक्स एसएल स्पेनिश प्रोजेक्ट लीड के रूप में कार्यरत है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और प्रौद्योगिकी और नवाचार विकास केंद्र, ई.पी.ई. (सेंटर फॉर द डेवलपमेंट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन – सीडीटीआई) के नेतृत्व में इस द्विपक्षीय कार्यक्रम का उद्देश्य दोनों देशों के बीच साझेदारी और व्यापार-आधारित सहयोगी परियोजनाओं को बढ़ावा देते हुए बाजार-संचालित अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देना है, जिससे कि स्वास्थ्य सेवा में नवाचार को आगे बढ़ाया जा सके।

इस परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य विशेष रूप से एक एंटीबायोटिक युक्त एक नवीन सीसा यौगिक (लैड कंपाउंड) विकसित करना है, जो फैबआई (एफएबीआई)  एंजाइम [एस्चेरिचिया कोली का एनॉयल-[एसिल-वाहक-प्रोटीन] रिडक्टेस (फैबीआई), जो फैटी एसिड जैवसंश्लेषण में एक प्रमुख नियामक कदम को उत्प्रेरित करते हुए  एनएडीएच और एनएडीपीएच को सहकारकों के रूप में स्वीकार करता है और पामिटॉयल-सीओए द्वारा बाधित होता है] को रोकने और महत्वपूर्ण ग्राम-नकारात्मक (नेगेटिव) रोगजनकों (पैथोजेन्स) से निपटने में सक्षम हो। स्वामित्वाधीन (प्रोपेराईटरी) कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) उपकरणों की क्षमता का उपयोग करते हुए और प्रवेशात्मक (ईएनटीआरआई) नियमों जैसे कड़े दिशानिर्देशों का पालन करते हुए, परियोजना का लक्ष्य यौगिकों की एक ऐसी श्रृंखला का उत्पादन करना है जो न केवल बढ़ी हुई प्रभावकारिता प्रदर्शित करती है बल्कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) संक्रमण से निपटने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित कठोर मानदंडों के अनुरूप भी है।

चयनित कार्यकारी (हिट) अणु एमएमवी 1578564 ने ग्राम-नेगेटिव रोगजनकों के विरुद्ध ऐसी आशाजनक गतिविधि प्रदर्शित की है, जो आगे के अनुसंधान और विकास प्रयासों के लिए एक आधार के रूप में काम कर रही है। इसके अलावा, परियोजना का लक्ष्य एक ऐसे प्रतिस्पर्धी  की पहचान करना है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नवाचार मानदंडों को पूरा करते हुए  एक नई रासायनिक संरचना सुनिश्चित करता है और वर्तमान  वाणिज्यिक वर्गों के साथ किसी भी प्रकार की टकराहट से बचते हुए  एक नए लक्ष्य और कार्रवाई के  एक नए  तंत्र को सुनिश्चित करता है।

प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के सचिव, श्री राजेश कुमार पाठक ने इस अवसर पर कहा कि  “इस सहयोगात्मक पहल के माध्यम से, टीडीबी रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटी माईक्रोबियल रेजिस्टेंस) जैसी महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के उद्देश्य से अग्रणी अनुसंधान प्रयासों का समर्थन करने के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। साथ ही बोर्ड सामाजिक लाभ के लिए नवीन विचारों को मूर्त समाधानों में बदलने की सुविधा प्रदान करने के अपने उद्देश्य  पर दृढ़प्रतिज्ञ है।

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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन के दोबारा इस पद पर चुने जाने पर उन्‍हें बधाई दी

प्रधानमंत्री  ने आज रूसी संघ के राष्ट्रपति महामहिम श्री व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की।

प्रधानमंत्री ने उन्हें रूसी संघ के राष्ट्रपति के रूप में फिर से चुने जाने पर बधाई दी और रूस के मैत्रीपूर्ण लोगों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए शुभकामनाएं दीं।

दोनों नेता आने वाले वर्षों में दोनों देशों के बीच विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में ठोस प्रयास करने पर सहमत हुए।

उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न मुद्दों में प्रगति की भी समीक्षा की और आपसी हित के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री इसके संभावित समाधान के लिए भारत की बातचीत और कूटनीति की दृढ़ स्थिति को दोहराया।

दोनों नेता लगातार संपर्क बनाए रखने पर सहमत हुए।

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प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में स्टार्ट-अप महाकुंभ का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री  मोदी ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में स्टार्ट-अप महाकुंभ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने स्टार्ट-अप महाकुंभ के महत्व पर प्रकाश डाला और 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लिए देश के रोडमैप पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने पिछले कुछ दशकों में सूचना प्रौद्योगिकी और सॉफ्टवेयर क्षेत्र में भारत की छाप छोड़ने का उल्‍लेख किया और नवाचार तथा स्टार्ट-अप संस्कृति के उभरते रुझानों को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्टार्ट-अप जगत के लोगों की उपस्थिति आज के अवसर के महत्व को दर्शाती है। देश में स्टार्ट-अप की सफलता पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने उस मौलिक प्रतिभाशाली तत्व की ओर ध्यान आकर्षित किया जो उन्हें सफल बनाता है। उन्होंने निवेशकों, इनक्यूबेटरों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, उद्योग के अग्रणी सदस्यों और वर्तमान एवं भविष्य के उद्यमियों की उपस्थिति को स्वीकारते हुए कहा कि वास्तव में यह महाकुंभ अभूतपूर्व ऊर्जा और जीवंतता का निर्माण कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वे खेल और प्रदर्शनी स्टॉलों का दौरा कर रहे थे, तो उन्‍हें इसी भावना का अनुभव हुआ। इन स्‍टॉलों पर लोगों ने बड़े गर्व से अपने नवाचारों का प्रदर्शन किया। उन्‍होंने कहा कि स्टार्ट-अप महाकुंभ में आने वाला कोई भी भारतीय भविष्य के यूनिकॉर्न और डेकाकॉर्न का साक्षी बनेगा।

प्रधानमंत्री ने सही नीतियों के कारण देश में स्टार्टअप इकोसिस्टम के विकास पर संतोष व्यक्त किया। समाज में स्टार्टअप की अवधारणा के प्रति शुरुआती अनिच्छा और उदासीनता का स्‍मरण करते हुए उन्होंने कहा कि स्टार्टअप इंडिया के अंतर्गत समय के साथ नवोन्‍मेषी विचारों को मंच मिला। उन्होंने फंडिंग स्रोतों और शैक्षणिक संस्थानों में इनक्यूबेटरों के साथ विचारों को जोड़कर इकोसिस्टम के विकास को रेखांकित करते हुए कहा कि इससे टियर 2 और टियर 3 शहरों के युवाओं को सुविधाएं प्रदान की हैं। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप एक सामाजिक संस्कृति बन गया है और सामाजिक संस्कृति को कोई नहीं रोक सकता।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्टार्टअप क्रांति का नेतृत्व छोटे शहरों द्वारा किया जा रहा है और यह क्रांति कृषि, वस्त्र, चिकित्सा, परिवहन, अंतरिक्ष, योग और आयुर्वेद सहित कई क्षेत्रों में परिलक्षित हो रही है। अंतरिक्ष स्टार्टअप के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय स्टार्टअप अंतरिक्ष क्षेत्र में 50 से अधिक क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, जिनमें स्पेस शटल का प्रक्षेपण भी शामिल है।

प्रधानमंत्री ने स्टार्टअप्स के बारे में बदलती सोच पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स ने यह मानसिकता बदल दी है कि व्‍यवसाय शुरू करने के लिए बहुत अधिक धनराशि की आवश्‍यकता होती है। उन्होंने नौकरी मांगने वाले के बजाय नौकरी देने वाला बनने का रास्ता चुनने के लिए देश के युवाओं की सराहना की।

उन्होंने कहा कि भारत में 1.25 लाख स्टार्टअप कार्य कर रहे हैं। यहां तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है, जिसमें 12 लाख युवा सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री ने उद्यमियों से अपने पेटेंट शीघ्रता से दाखिल करने के प्रति सतर्क रहने को कहा। जीईएम पोर्टल ने व्यवसायों और स्टार्टअप्स को 20,000 करोड़ रुपये से भी अधिक प्रदान किए हैं। उन्होंने नए क्षेत्रों में जाने के लिए युवाओं की सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि नीतिगत मंचों पर शुरू किए गए स्टार्ट-अप आज नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं।

डिजिटल इंडिया द्वारा स्टार्ट-अप को प्रदान किए गए प्रोत्साहन को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बड़ा प्रेरणा स्रोत है। उन्‍होंने सुझाव दिया कि कॉलेज इसे एक अध्‍ययन के रूप देखें। उन्होंने कहा कि यूपीआई फिन-टेक स्टार्ट-अप के लिए समर्थन का एक स्तंभ बन गया है जो देश में डिजिटल सेवाओं के विस्तार के लिए नवीन उत्पादों और सेवाओं के विकास का नेतृत्व करता है। उन्होंने जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत मंडपम में स्थापित एक बूथ पर उद्योग और वैश्विक नेताओं की लंबी कतारों को याद किया, जिसमें यूपीआई की कार्यप्रणाली समझाई गई थी और ट्रायल रन की पेशकश की गई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे वित्तीय समावेशन सुदृढ़ हुआ है और ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर खाई में कमी आई है। प्रौद्योगिकी का विस्‍तार शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में तक हुआ है। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि देश में 45 प्रतिशत से अधिक स्टार्ट-अप महिलाओं के नेतृत्व वाले हैं, चाहे वह शिक्षा, कृषि या स्वास्थ्य हो।

प्रधानमंत्री ने न केवल विकसित भारत के लिए बल्कि मानवता के लिए नवाचार की संस्कृति के महत्व पर बल दिया। उन्होंने स्टार्टअप-20 के अंतर्गत वैश्विक स्टार्टअप के लिए एक मंच प्रदान करने की भारत की पहल का उल्लेख किया जो स्टार्टअप को विकास इंजन के रूप में स्‍वीकार करता है। उन्होंने आर्टिफिशिएल इंटलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में भी भारत का पलड़ा भारी होने की बात कही।

प्रधानमंत्री ने एआई उद्योग के आगमन के साथ युवा अन्वेषकों और वैश्विक निवेशकों दोनों के लिए सृजित हो रहे कई अवसरों को रेखांकित किया और राष्ट्रीय क्वांटम मिशन, भारत एआई मिशन एवं सेमीकंडक्टर मिशन का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कुछ समय पहले अमेरिकी सीनेट में अपने संबोधन के दौरान एआई पर चर्चा को याद किया और आश्वासन दिया कि भारत इस क्षेत्र में अग्रणी बना रहेगा। उन्‍होंने कहा कि मेरा मानना ​​है कि वैश्विक अनुप्रयोगों के लिए भारतीय समाधान दुनिया के कई देशों के लिए मददगार बनेंगे।

प्रधानमंत्री ने हैकथॉन आदि के माध्यम से भारतीय युवाओं से सीखने की वैश्विक इच्छा को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि भारतीय परिस्थितियों में परीक्षण किए गए समाधानों को वैश्विक स्वीकृति मिली है। उन्होंने नेशनल रिसर्च फाउंडेशन और सनराइज सेक्टर क्षेत्रों में भविष्य की आवश्‍यकताओं के लिए अनुसंधान व योजना के लिए एक लाख करोड़ रुपये के फंड का उल्लेख भी किया।

प्रधानमंत्री ने स्टार्टअप्स से कहा कि वे लोगों की मदद करें और जो उन्‍होंने समाज से ग्रहण किया है वे उसे सहायता के माध्‍यम से लौटाएं। उन्‍होंने संस्‍थानों से कहा कि वे स्‍टार्टअप्‍स क्षेत्रों में शामिल हों। उन्होंने उनसे इनक्यूबेशन केंद्रों, स्कूलों और कॉलेजों का दौरा करने और छात्रों के साथ अपनी अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए कहा। उन्‍होंने हैकथॉन के माध्यम से लिए सरकारी समस्या विवरण के समाधान में युवाओं को शामिल करने के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि शासन में कई अच्छे समाधान अपनाए गए और समाधान तलाशने के लिए हैकथॉन संस्कृति सरकार में स्थापित हुई। उन्होंने व्यवसायों और सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम (एमएसएमई) में इसका पालन करने के लिए कहा। उन्होंने महाकुंभ में शामिल लोगों से कहा कि वे कार्रवाई योग्य बिंदुओं को सामने लाए।

प्रधानमंत्री ने भारत को 11वें स्थान से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में युवाओं के योगदान को रेखांकित किया। उन्‍होंने तीसरे कार्यकाल में भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की गारंटी को पूरा करने में स्टार्टअप द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका पर भी प्रकाश डाला। संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि युवाओं के साथ बातचीत करना उन्हें नई ऊर्जा से भर देता है। उन्होंने युवाओं के भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।

इस अवसर पर केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल, केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल और श्री सोम प्रकाश सहित अन्य उपस्थित थे।

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प्रधानमंत्री ने असम के जोरहाट में 17,500 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए उन्हें राष्ट्र को समर्पित किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज असम के जोरहाट में 17,500 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं आधारशिला रखी और इनका उद्घाटन करते हुए उन्हें राष्ट्र को समर्पित किया। आज की विकास परियोजनाओं में स्वास्थ्य, तेल और गैस, रेल और आवास के क्षेत्र शामिल हैं।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित विशाल भीड़ के लिए आभार व्यक्त किया और राज्य के 200 विभिन्न स्थानों से 2 लाख लोगों के शामिल होने की भी सराहना की। श्री मोदी ने कोलाघाट के लोगों द्वारा हजारों दीये जलाने का भी उल्लेख किया और कहा कि लोगों का प्यार और स्नेह उनकी सबसे बड़ी संपत्ति है। उन्होंने आज स्वास्थ्य, आवास और पेट्रोलियम क्षेत्रों से संबंधित लगभग 17,500 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास करते हुए उन्हें राष्ट्र को समर्पित करके असम के विकास को गति देने की पुष्टि की।

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने इसे एक अद्वितीय राष्ट्रीय उद्यान और बाघ अभयारण्य कहा और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की जैव विविधता और अनोखे ईकोसिस्टम के आकर्षण को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “70 फीसदी एक सींग वाले गैंडे काजीरंगा में हैं।” उन्होंने दलदली हिरण, बाघ, हाथी और जंगली भैंसे जैसे वन्यजीवों को खोजने के अनुभव के बारे में भी बात की। प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे लापरवाही और आपराधिक सहयोग के कारण गैंडा लुप्त होने की कगार पर है और उन्होंने 2013 में एक ही वर्ष में 27 गैंडों के शिकार को याद किया। सरकार के प्रयासों से 2022 में गैंडों के शिकार की संख्या शून्य हो गई। काजीरंगा के स्वर्ण जयंती वर्ष पर असम के लोगों को बधाई देते हुए, प्रधानमंत्री ने नागरिकों से राष्ट्रीय उद्यान का दौरा करने का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने आज वीर लाचित बोरफुकन की भव्य प्रतिमा के अनावरण का जिक्र किया और कहा, ”वीर लाचित बोरफुकन असम के शौर्य और दृढ़ संकल्प के प्रतीक हैं।” उन्होंने 2002 में नई दिल्ली में उनकी 400वीं जयंती बड़े धूमधाम और सम्मान के साथ मनाए जाने को भी याद किया और बहादुर योद्धा को नमन किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, ”विकास भी और विरासत भी” हमारी डबल इंजन सरकार का मंत्र रहा है। उन्होंने कहा कि असम ने बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और ऊर्जा क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की है। एम्स, तिनसुकिया जैसे स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे उन्होंने कहा, जोरहाट में मेडिकल कॉलेज, शिव सागर मेडिकल कॉलेज और कैंसर अस्पताल असम को पूरे पूर्वोत्तर के लिए एक चिकित्सा केंद्र बनाएंगे।

प्रधानमंत्री ने पीएम ऊर्जा गंगा योजना के तहत बरौनी-गुवाहाटी पाइपलाइन को राष्ट्र को समर्पित करने का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि गैस पाइपलाइन पूर्वोत्तर ग्रिड को राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ेगी और 30 लाख घरों और 600 से अधिक सीएनजी स्टेशनों को गैस की आपूर्ति करने में मदद करेगी, जिससे बिहार, पश्चिम बंगाल और असम के 30 से अधिक जिलों के लोगों को लाभ होगा।

डिगबोई रिफाइनरी और गुवाहाटी रिफाइनरी के विस्तार के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों ने असम में रिफाइनरियों की क्षमता का विस्तार करने की लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग को नजरअंदाज कर दिया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान सरकार के प्रयासों से असम में रिफाइनरियों की कुल क्षमता अब दोगुनी हो जाएगी जबकि नुमालीगढ़ रिफाइनरी की क्षमता तीन गुना हो जाएगी। उन्होंने कहा, “किसी भी क्षेत्र का विकास तब तीव्र गति से होता है जब विकास के इरादे मजबूत हों।”

उन्होंने उन 5.5 लाख परिवारों को बधाई दी, जिन्हें आज अपना पक्का घर मिला है। उन्होंने कहा कि ये घर सिर्फ घर नहीं हैं बल्कि शौचालय, गैस कनेक्शन, बिजली और पाइप पानी कनेक्शन जैसी सुविधाओं से सुसज्जित हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 18 लाख परिवारों को ऐसे घर मुहैया कराए जा चुके हैं। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि इनमें से ज्यादातर घर महिलाओं के नाम पर हैं।

असम की हर महिला के जीवन को आसान बनाने और उनकी बचत में सुधार करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए, प्रधानमंत्री ने कल महिला दिवस पर गैस सिलेंडर की कीमत 100 रुपये कम करने के फैसले का उल्लेख किया। आयुष्मान कार्ड जैसी योजनाओं से भी महिलाओं को लाभ मिल रहा है। जल जीवन मिशन के तहत, असम में 50 लाख से अधिक घरों को पाइप से पानी का कनेक्शन मिला है। उन्होंने 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई।

2014 के बाद असम में हुए ऐतिहासिक परिवर्तनों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने 2.5 लाख से अधिक भूमिहीन मूल निवासियों को भूमि अधिकार प्रदान करने और लगभग 8 लाख चाय बागान श्रमिकों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने का उल्लेख किया, जिससे सरकारी लाभ सीधे उनके बैंक खातों में स्थानांतरित हो सके। प्रधानमंत्री ने कहा, इससे बिचौलियों के लिए सभी दरवाजे बंद हो गए।

प्रधानमंत्री ने कहा, “विकसित भारत के लिए पूर्वोत्तर का विकास जरूरी है।” उन्होंने आगे कहा, “मोदी पूरे पूर्वोत्तर को अपना परिवार मानते हैं। इसीलिए हम उन परियोजनाओं पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जो वर्षों से लंबित पड़ी हैं”। उन्होंने 2014 में पूर्वोत्तर में 1 परियोजना के मुकाबले अब 18 परियोजनाओं का उल्लेख करते हुए सरायघाट पर पुल, ढोला-सदिया पुल, बोगीबील पुल, बराक घाटी तक रेलवे ब्रॉडगेज का विस्तार, मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क, जोगीघोपा, ब्रह्मपुत्र नदी पर दो नए पुलों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं ने क्षेत्र में नई संभावनाएं पैदा कीं। उन्होंने उन्नति योजना का भी जिक्र किया जिसे पिछली कैबिनेट बैठक में विस्तारित दायरे के साथ नये स्वरूप में मंजूरी दी गयी थी। कैबिनेट ने जूट के एमएसपी में भी बढ़ोतरी की है जिससे राज्य के जूट किसानों को फायदा होगा।

प्रधानमंत्री ने लोगों के प्यार और स्नेह के लिए आभार जताया और कहा कि हर भारतीय उनका परिवार है। प्रधानमंत्री ने कहा, “लोगों का प्यार मोदी को न केवल इसलिए मिलता है क्योंकि उनका मानना ​​है कि भारत के 140 करोड़ नागरिक उनका परिवार हैं, बल्कि इसलिए भी कि वह दिन-रात उनकी सेवा कर रहे हैं”। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का अवसर इसी विश्वास का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने आज की विकास परियोजनाओं के लिए नागरिकों को बधाई देते हुए समापन किया और इस दौरान ‘भारत माता की जय’ के नारे गूंजते रहे।

इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल सहित अन्य लोग भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर के लिए प्रधानमंत्री विकास पहल (पीएम-डिवाइन) योजना के तहत शिवसागर में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल और गुवाहाटी में एक हेमाटो-लिम्फोइड केंद्र सहित परियोजनाओं की आधारशिला रखी। उन्होंने तेल और गैस क्षेत्र में महत्वपूर्ण परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी, जिसमें डिगबोई रिफाइनरी की क्षमता 0.65 से 1 एमएमटीपीए (मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष) तक विस्तार; कैटेलिटिक रिफॉर्मिंग यूनिट (सीआरयू) की स्थापना के साथ गुवाहाटी रिफाइनरी विस्तार (1.0 से 1.2 एमएमटीपीए); और बेतकुची (गुवाहाटी) टर्मिनल पर सुविधाओं में वृद्धि: इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड आदि शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने तिनसुकिया में नए मेडिकल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित कीं; और 718 किलोमीटर लंबी बरौनी-गुवाहाटी पाइपलाइन (प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा परियोजना का हिस्सा) अन्य बातों के अलावा लगभग 3,992 करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई है। प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत लगभग 5.5 लाख घरों का भी उद्घाटन किया, जो लगभग 8,450 करोड़ रुपये की कुल लागत से निर्मित हुए।

प्रधानमंत्री ने असम में धूपधारा-छायगांव खंड (न्यू बोंगाईगांव-गुवाहाटी वाया गोलपारा दोहरीकरण परियोजना का हिस्सा) और न्यू बोंगाईगांव-सोरभोग खंड (न्यू बोंगाईगांव-अगथोरी दोहरीकरण परियोजना का हिस्सा) सहित 1300 करोड़ रुपये से अधिक की महत्वपूर्ण रेलवे परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित कीं।

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केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने आज कृषि एकीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र का उद्घाटन किया

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज नई दिल्ली के कृषि भवन में कृषि एकीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र का उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य देश के किसानों को डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करके सूचना, सेवाओं और सुविधाओं से लैस करके सशक्त बनाना है। इस अवसर पर, श्री मुंडा ने कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक नवाचार है, जो पूरे देश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए है।

केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के मूल मंत्र- ‘न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन’ को ध्यान में रखते हुए कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सामान्य नागरिकों का जीवन अनावश्यक रूप से प्रभावित न हो और वे अपना कार्य पूरे मनोभाव से, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से कर सकें और स्वयं को आत्मनिर्भर, सक्षम और सशक्त बनाकर देश को सशक्त बनाने में भागीदार बनें। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, कृषि मंत्रालय ने आज किसानों को लाभ प्रदान करने के लिए इस नए डिजिटल आयाम को शामिल किया है। श्री मुंडा ने कहा कि आज प्रौद्योगिकी प्रत्येक लोगों के जीवन का अभिन्न अंग बन चुकी है और एक भागीदार के रूप में सरकार की अपनी जिम्मेदारी है क्योंकि प्रौद्योगिकी इसे और ज्यादा सशक्त बनाती है। मंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि लोगों को और समर्थन प्रदान किया जाए जिससे सभी लोगों को प्रौद्योगिकी का लाभ प्राप्त हो सके। श्री मुंडा ने कहा कि सरकार पूरी पारदर्शिता, प्रतिबद्धता और उद्देश्य के साथ चाहती है कि गांव में रहने वाला आम किसान भी प्रौद्योगिकी के माध्यम से आत्मनिर्भर बन सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हमेशा इस बात पर बल देते हैं कि हम किसानों को बेहतर जानकारी, सेवाएं और सुविधाएं कैसे उपलब्ध कराएं, भागीदार बनकर किस प्रकार से हम उनकी उत्पादन क्षमता और सामर्थ्य को बढ़ाएं। चाहे हम किसी भी क्षेत्र में कितने भी कुशल क्यों न हों, कृषि विशेष रूप से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है क्योंकि मनुष्य भोजन के बिना जिंदा नहीं रह सकता है। इसीलिए; हमने कृषि क्षेत्र के महत्व पर बल दिया है और किसानों को अन्नदाता कहा है क्योंकि उन्हीं के कारण देश में खाद्यान्नों का उत्पादन और भंडारण होता है।

श्री मुंडा ने कहा कि नई पहल का उद्देश्य किसानों को खेतों की वास्तविक जानकारी उपलब्ध कराना है और यह भी पता लगाना है कि हमारे कृषि क्षेत्र के सामने उत्पन्न होने वाली वास्तविक चुनौतियां क्या-क्या हैं। उन्होंने कहा कि वास्तविक समय पर आंकड़ों की उपलब्धता और उसका विश्लेषण करने से कृषि संबंधित समस्याओं का समाधान किया जा सकता है और इससे कृषि क्षमता का विस्तार होगा तथा फसलें अच्छी होंगी, जिसका लाभ अंततः देश के किसानों को प्राप्त होगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसान भी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में सक्षम बनेंगे। यह डिजिटल नवाचार 21वीं सदी में भारत को प्रदर्शित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन का एक मजबूत आधार विश्वास है और सरकार इन प्रयासों द्वारा किसानों के बीच विश्वास और सुरक्षित वातावरण स्थापित करेगी।  मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन ऐसे भारत को न केवल देखा जाना चाहिए बल्कि महसूस भी किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत न केवल विकसित बने, बल्कि एक समृद्ध भारत का निर्माण हो और आत्मनिर्भरता से साथ ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के सपने को साकार किया जाए। इसके बाद ही देश का प्रत्येक व्यक्ति गोर्वान्वित और सम्मानित महसूस करेगा और हमारी संस्कृति अपने आप में परिलक्षित होगी। श्री मुंडा ने कहा कि देश के किसी भी भाग में रहने वाला नागरिक भारत की मिट्टी से जुड़ा हुआ है और हमारे किसान खेतों के माध्यम से देश के विकास के भागीदार हैं। इसी क्रम में डिजिटल एग्रीकल्चर में ‘एग्री स्टैक’ एक अहम पहल है। इसके अंतर्गत डिजिटल फसल सर्वे शुरू किया गया है, जिसमें किसानों की फसलों की सटीक जानकारी का पता लगाया जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा ने महिला दिवस के अवसर पर अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने रसोई गैस पर सब्सिडी देकर महिलाओं को विशेष उपहार प्रदान किया है, वहीं गणतंत्र दिवस के अवसर पर 2024 को नारी शक्ति वर्ष घोषित करते हुए देश की महिलाओं की शक्ति को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि भारत में वास्तव में महिलाओं का सम्मान होता है। श्री मुंडा ने कहा कि कृषि क्षेत्र में हो रहे नवाचारों को भी सही मायने में नारी शक्ति को समर्पित किया जा सकता है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में श्री मनोज आहूजा, सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने भी अपने विचार रखे। मंत्रालय के अपर सचिव श्री प्रमोद मेहरदा ने नई पहल के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की।

‘मल्टीफंक्शनल सेंटर- कमांड सेंटर’ में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा कृषि क्षेत्र में किए जा रहे सभी डिजिटल नवाचारों को एक ही स्थल पर एक साथ बड़ी स्क्रीन पर देखा जा सकेगा। मृदा सर्वेक्षण से प्राप्त प्लॉट स्तर के आंकड़े, रिमोट सेंसिंग तकनीक द्वारा प्राप्त फसल सर्वेक्षण की जानकारी, मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी, डिजिटल फसल सर्वे से प्राप्त आंकड़े, कृषि मानचित्र पर उपलब्ध जानकारी, कृषि सांख्यिकी के लिए बनाए गए उपज (उपग) पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी सभी लोगों को एक ही स्थान पर प्राप्त होने से, इसके आधार पर विश्लेषण करना और सटीक निर्णय लेना संभव हो सकेगा, जो इस क्षेत्र में बहुत ही उपयोगी साबित होगा।

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