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भारतीय खनन उद्योग रणनीतिक सुधारों, तकनीकी और निरंतर प्रगति के साथ परिवर्तन के लिये तैयार है: जी किशन रेड्डी

केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने नयी दिल्ली में भारतीय खान ब्यूरो (आईबीएम) और खान मंत्रालय की ओर से आयोजित एक समारोह में 2022-23 के लिये सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाली खदानों को पुरस्कृत किया। इस कार्यक्रम के दौरान, वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 5-स्टार रेटिंग प्राप्त करने वाली 68 खदानों को सम्मानित किया गया।

रेड्डी ने इस मौके पर पुरस्कार पाने वालों की सराहना की और इस बात पर जोर दिया कि भारतीय खनन उद्योग रणनीतिक सुधारों, तकनीकी और सतत प्रगति के साथ परिवर्तन के लिये तैयार है। आज का यह सम्मान समारोह खनन समुदाय के लचीलेपन, नवाचार और कड़ी मेहनत को दर्शाता है। उन्होंने उद्योग से राष्ट्रीय खनिज संसाधनों की पूरी क्षमता को प्रकट करने, खनन प्रभावित समुदायों की समृद्धि सुनिश्चित करने और एक उज्जवल और सतत भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने के लिये मिलकर काम करने का आग्रह किया।  रेड्डी ने कहा कि भारत खनिज संसाधनों के समृद्ध भंडार से संपन्न है और इन संसाधनों का प्रभावी उपयोग आत्मनिर्भर और समृद्ध राष्ट्र के बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये महत्वपूर्ण है। श्री रेड्डी ने सतत खनन, सामुदायिक कल्याण और पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पण के लिये 5-स्टार रेटेड खदानों के सभी 68 विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि उनके प्रयासों ने भारत के सतत भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने में योगदान दिया है। कोयला एवं खान राज्य मंत्री श्री सतीश चंद्र दुबे ने इस मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुये खनन गतिविधियों से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को रोकने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि खनन क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद, औद्योगिक उन्नति ओर रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि संसाधनों की निकासी और उपयोग का पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक जवाबदेही के साथ सामंजस्य स्थापित किया जाना चाहिये।

खान सचिव श्री वी.एल. कांता राव ने अपने संबोधन में आयात निर्भरता को कम करने का प्रयास करते हुये खनिज उत्पादन को बढ़ावा देने के सरकार के उद्देश्य को रेखांकित किया। उन्होंने मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिये मजबूत निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया। इसके अलावा, उन्होंने परिचालन दक्षता को बढ़ाने, संसाधनों की सटीक निकासी की सुविधा, पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने और सुरक्षा में सुधार के लिये वास्तविक समय में निगरानी, ​​स्वचालन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा एनालिटिक्स जैसे उन्नत उपकरणों को नियोजित करने की वकालत की। कार्यक्रम की शुरुआत में, अतिरिक्त सचिव और आईबीएम के महानियंत्रक, श्री संजय लोहिया ने अपने स्वागत भाषण में खनन टेनमेंट सिस्टम और स्टार रेटिंग सिस्टम द्वारा लाये गये परिवर्तन पर प्रकाश डाला। इस मौके पर बड़ी संख्या में खान विभाग से जुड़ी शख्सियतें और खान मंत्रालय के अधिकारी उपस्थित थे। प्रत्येक 5-स्टार माइन विजेता के मंच पर आते ही उनके प्रतिनिधियों ने उनका जोरदार स्वागत किया। उल्लेखनीय पुरस्कार विजेताओं में ‘हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड’, एनएमडीसी, नाल्को, टाटा स्टील और अल्ट्राटेक शामिल थे। 5-स्टार रेटिंग प्राप्त करने के लिये कई छोटी खदानों को भी सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन समारोह और दो नये मॉड्यूल – फाइनल माइन क्लोजर प्लान मॉड्यूल और एक्सप्लोरेशन लाइसेंस/कंपोजिट लाइसेंस/प्रॉस्पेक्टिंग लाइसेंस मॉड्यूल के अनावरण के साथ हुई। इसके अतिरिक्त, ऑनलाइन खदान विनियमन और सतत खनन पर एक वृत्तचित्र भी पेश किया गया।

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सरकार ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और इस्पात उत्पादन प्रक्रियाओं की स्थिरता बढ़ाने की कई पहल की

देश के इस्पात विनिर्माण क्षेत्र द्वारा ‘ग्रीन स्टील’ प्रौद्योगिकियों को अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और इस्पात उत्पादन प्रक्रियाओं की स्थिरता बढ़ाने की कई पहलें की हैं, जिनका विवरण निम्नानुसार है:-

(i) उद्योग, शिक्षा जगत, थिंक टैंक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी निकायों, विभिन्न मंत्रालयों और अन्य हितधारकों की भागीदारी से 14 टास्क फोर्स का गठन किया गया, ताकि इस्पात क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा, विचार-विमर्श और सिफारिश की जा सके।  टास्क फोर्स ने ऊर्जा दक्षता, नवीकरणीय ऊर्जा, ग्रीन हाइड्रोजन, सामग्री दक्षता, कोयला आधारित डीआरआई से प्राकृतिक गैस आधारित डीआरआई में प्रक्रिया परिवर्तन, कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (सीसीयूएस) तथा इस्पात उद्योग में बायोचार के उपयोग सहित प्रौद्योगिकियों के संबंध में सिफारिशें कीं।

(ii) नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने हरित हाइड्रोजन उत्पादन और उपयोग के लिए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की है। लोहा और इस्पात निर्माण में हरित हाइड्रोजन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए इस्पात क्षेत्र भी इस मिशन का एक हितधारक है।

(iii) नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जनवरी 2010 में शुरू किया गया राष्ट्रीय सौर मिशन सौर ऊर्जा के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देता है, जो नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाकर इस्पात उद्योग में उत्सर्जन को कम करने में योगदान देता है।

(iv) राष्ट्रीय संवर्धित ऊर्जा दक्षता मिशन के अंतर्गत प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (पीएटी) योजना, इस्पात उद्योग को ऊर्जा खपत कम करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

(v) इस्पात क्षेत्र ने आधुनिकीकरण और विस्तार परियोजनाओं में विश्व स्तर पर उपलब्ध कई सर्वोत्तम उपलब्ध प्रौद्योगिकियों (बीएटी) को अपनाया है।

(vi) इस्पात संयंत्रों में ऊर्जा दक्षता सुधार के लिए जापान के न्यू एनर्जी एंड इंडस्ट्रीयल टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (नेडो) के मॉडल प्रोजेक्ट लागू किए गए हैं। पर्यावरण पर प्रभाव को कम करने के लिए निम्नलिखित चार मॉडल प्रोजेक्ट लागू किए गए हैं:

क. टाटा स्टील लिमिटेड में ब्लास्ट फर्नेस हॉट स्टोव वेस्ट गैस रिकवरी सिस्टम।

ख. टाटा स्टील लिमिटेड में कोक ड्राई क्वेंचिंग (सीडीक्यू)।

ग. राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड में सिंटर कूलर वेस्ट हीट रिकवरी सिस्टम।

घ. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड में ऊर्जा निगरानी और प्रबंधन प्रणाली।

(vii) कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम (सीसीटीएस) को केंद्र सरकार ने 28 जून 2023 को अधिसूचित किया है, जो भारतीय कार्बन बाजार के कामकाज के लिए एक समग्र रूपरेखा प्रदान करता है तथा इसमें योजना के संचालन के लिए हितधारकों की विस्तृत भूमिकाएं और जिम्मेदारियां शामिल हैं। सीसीटीएस का उद्देश्य कार्बन क्रेडिट सर्टिफिकेट ट्रेडिंग तंत्र के माध्यम से उत्सर्जन का मूल्य निर्धारण करके भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना या उससे बचना है। सीसीटीएस का उद्देश्य इस्पात कंपनियों द्वारा उत्सर्जन में कमी लाने के लिए प्रोत्साहित करना है।

इस्पात उत्पादन में पुनर्नवीनीकृत इस्पात के उपयोग को बढ़ावा देने तथा इस्पात निर्माताओं को अपनी उत्पादन प्रक्रियाओं में पुनर्नवीनीकृत इस्पात के उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित उपाय और पहल की गई हैं:-

(i) स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति, 2019 में इस्पात क्षेत्र में चक्रिय अर्थव्यवस्था और हरित परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए घरेलू स्तर पर उत्पादित स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाने की परिकल्पना की गई है। यह विभिन्न स्रोतों और विभिन्न उत्पादों से उत्पन्न फेरस स्क्रैप के वैज्ञानिक प्रसंस्करण और रीसाइक्लिंग के लिए भारत में धातु स्क्रैपिंग केंद्रों की स्थापना को सुविधाजनक बनाने और बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है। नीति में विघटन केंद्र और स्क्रैप प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना, एग्रीगेटर्स की भूमिका तथा सरकार, निर्माता और मालिक की जिम्मेदारियों के लिए मानक दिशानिर्देश प्रदान किए गए हैं। नीति, अन्य बातों के साथ-साथ, सीएलवी (जिन वाहनों का जीवन समाप्‍त हो गया) को स्क्रैप करने के लिए रूपरेखा भी प्रदान करती है।

(ii) मोटर वाहन (वाहन स्क्रैपिंग सुविधा का पंजीकरण और कार्य) नियम, 2021 को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 और केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के ढांचे के तहत वाहन स्क्रैपिंग नीति के तहत अधिसूचित किया गया है। इसमें इस्पात क्षेत्र में स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाने की परिकल्पना की गई है।

यह जानकारी इस्पात एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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“अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद, जम्मू-कश्मीर भारत की भावी विकास यात्रा का पथप्रदर्शक बनकर उभरेगा”:  केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

 “अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, जम्मू और कश्मीर भारत की भावी विकास यात्रा का पथप्रदर्शक बनकर उभरेगा।” यह बात केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज अनुच्छेद 370 के निरस्त होने की पांचवीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर दूरदर्शन समाचार को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कही।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पहली बार जम्मू-कश्मीर में बेकार पड़े प्राकृतिक संसाधन और निष्क्रिय रहे मानव संसाधन का उभार हुआ है। इसका ताजा उदाहरण भद्रवाह से शुरू हुई “बैंगनी क्रांति” है, जिसने भारत को कृषि-स्टार्टअप की एक नई शैली दी है। “बैंगनी क्रांति” भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण मूल्यवर्धन करेगी क्योंकि यह अगले कुछ वर्षों में तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगी और फिर शीर्ष पर पहुंच जाएगी।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री श्री जितेंद्र सिंह ने कहा, “अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के ऐतिहासिक फैसले ने जम्मू-कश्मीर की बड़ी आबादी को नागरिकता का अधिकार दिलाया, जो पिछले सात दशकों से इससे वंचित थी।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “चूंकि हम 5वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, इसलिए कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम बेहद उल्लेखनीय हैं। पिछले 5 वर्षों में मोटे तौर पर चार स्तरों यानी लोकतांत्रिक, शासन, विकास और सुरक्षा स्थिति पर बदलाव हुआ है।”

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि लोकतांत्रिक स्तर पर जम्मू-कश्मीर में बसने वाले पाकिस्तानी शरणार्थियों को सात दशकों तक मताधिकार से वंचित रखा गया, जबकि उनमें से दो लोग भारत के प्रधानमंत्री बने, जिनमें श्री आई.के. गुजराल और डॉ. मनमोहन सिंह शामिल हैं।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने पूर्ववर्ती सरकारों की आलोचना करते हुए कहा कि वे अनुच्छेद 370 के समर्थक होने का दिखावा करते रहे, लेकिन वास्तव में वे अपने निहित स्वार्थों के लिए आम जनता का शोषण करने के लिए अनुच्छेद 370 का दुरुपयोग करते थे। उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे आपातकाल के दौरान सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल 5 से बढ़ाकर 6 वर्ष कर दिया गया था। फिर 3 वर्षों के बाद, मोरारजी सरकार ने इसे पुनः 5 वर्ष कर दिया, लेकिन जम्मू-कश्मीर की तत्कालीन सरकार ने पहले केंद्रीय कानून को तुरंत अपना लिया, मगर अनुच्छेद 370 का बहाना बनाकर दूसरे कानून को आसानी से नजरअंदाज कर दिया और जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 5-6 अगस्त, 2019 तक छह वर्ष ही रहने दिया। यह दर्शाता है कि कैसे कुछ लोगों ने अपने निहित स्वार्थों के लिए अनुच्छेद 370 का दुरुपयोग किया।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कट्टरपंथियों और उनके समर्थकों के बारे में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सख्त निर्णायक रुख अपनाया है और जिन लोगों का नई दिल्ली में पाक दूतावास अतिथि के रूप में स्वागत करता था, उन्हें अब दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा जा रहा है, जो दर्शाता है कि सरकार भारत विरोधी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करती है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय ध्वज फहराना कभी कई लोगों के लिए एक सपना जैसा था लेकिन, अब जम्मू-कश्मीर में हर सरकारी कार्यालय पर तिरंगा फहराया जाता है।

शासन स्तर पर, डॉ. जितेंद्र सिंह ने याद दिलाया कि पंचायत अधिनियम के 73वें और 74वें संशोधन को केंद्र की कांग्रेस सरकार ने पेश किया था, लेकिन राज्य की उसी गठबंधन सरकार ने इसे जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण नहीं हो सका क्योंकि 2019 से पहले उनके पास केंद्रीय निधि उपलब्ध नहीं थी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रदेश में सुरक्षा और शांति के संदर्भ में कहा कि हम आतंकवाद के अंतिम चरण में हैं। पिछले दशक में और खासकर अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पिछले 5 वर्षों में केंद्र सरकार आतंकवाद को रोकने में सफल रही है। उन्होंने बताया कि पैटर्न आधारित आतंकवाद में कमी आई है। हाल की आतंकी घटनाओं पर उन्होंने कहा कि आतंकवादी भाग रहे हैं और प्रासंगिक बने रहने के लिए आसान लक्ष्यों पर हमला कर रहे हैं, लेकिन जल्द ही उन पर भी काबू पा लिया जाएगा।

क्षेत्र में शांति और सौहार्द पर प्रकाश डालते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले दो वर्षों में करीब 2.5 करोड़ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटक कश्मीर आए हैं। अपने परिवार और प्रियजनों के साथ यहां आने वाले लोग ही प्रदेश में शांति की वापसी का सबूत हैं। उन्होंने कहा कि श्रीनगर में जी-20 की सफल बैठकें भी इसका प्रमाण हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के युवा अत्यधिक आकांक्षी हैं और क्षेत्र के छात्रों का हालिया प्रदर्शन, चाहे वह सिविल सेवा, खेल और अन्य उच्च शिक्षा हो या फिर पर्यटन और आतिथ्य जैसे क्षेत्र, इस बात का प्रमाण है कि कई वर्षों से इनकी आकांक्षाएं दबी हुई थीं, क्योंकि युवाओं ने उम्मीद खो दी थी, लेकिन, अब उनकी आकांक्षाएं फिर से प्रज्वलित हो गई हैं। इससे युवाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी याद किया कि उनके विभाग ‘डीओपीटी’ ने 2016 में कनिष्ठ स्तर की नौकरियों और नियुक्तियों के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया को समाप्त कर दिया था, लेकिन इसे जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद ही लागू किया गया था। उन्होंने कहा कि इन वंचित लोगों को मुख्यधारा का हिस्सा बनाने के लिए निरस्तीकरण सही कदम है। उन्होंने कहा कि जिन हाथों से पत्थर फेंके जाते थे, वे अब कंप्यूटर और आईपैड पकड़ रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास को रेखांकित करते हुए कहा कि चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल जम्मू-कश्मीर में मौजूद है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने क्षेत्र में रेलवे नेटवर्क के विकास की उपेक्षा की। उन्होंने यह भी याद किया कि कैसे पनबिजली परियोजनाएं वर्षों तक रुकी रहीं और 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद इन्हें प्रारंभ किया गया। उन्होंने कहा कि जल्द ही किश्तवाड़ एक बिजली केंद्र के रूप में उभरेगा।

श्री जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि उधमपुर पीएमजीएसवाई ग्रामीण सड़कों में शीर्ष तीन जिलों में शामिल है। प्रधानमंत्री आवास योजना ने लोगों का सरकार में विश्वास बहाल किया है। केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि जाति, पंथ, धर्म पर विचार किए बिना जरूरतमंदों को सेवाएं प्रदान की जाती हैं।

कठुआ के विकास पर प्रकाश डालते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह एक नए औद्योगिक केंद्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने इस क्षेत्र में हाल के दिनों में शुरू हुए आईआईटी, एम्स, आईआईएम और केंद्रीय विश्वविद्यालयों का भी जिक्र किया।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने बैंगनी क्रांति के उभार पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि लैवेंडर की खेती डोडा जिले के एक छोटे से शहर भद्रवाह में शुरू हुई। इसने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है, खासकर तब जब प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात रेडियो कार्यक्रम में इसका उल्लेख किया और और वर्चुअल तरीके से इसके ब्रांड एंबेसडर बने। इसकी झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में भी दिखाया गया।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि लैवेंडर की खेती ने युवाओं में कृषि-उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा दिया है और उनकी आय सुरक्षा को बढ़ाया है। अन्य हिमालयी राज्यों ने भी सफलता की इस कहानी का अनुकरण करना शुरू कर दिया है, जैसे कि उत्तराखंड और पूर्वोत्तर के राज्य।

अपने साक्षात्कार के समापन पर डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, “क्षेत्र में शांति और विकास लाने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है, जिन्होंने लोगों को विश्वास जगाया और आश्वासन दिया कि जम्मू-कश्मीर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और मुकुट रत्न की तरह चमकेगा।”

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मंत्रिमंडल ने लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार लाने, भीड़भाड़ को कम करने और देश भर में कनेक्टिविटी बेहतर करने के लिए 50,655 करोड़ रुपये की कुल लागत से 936 किलोमीटर लंबी 8 महत्वपूर्ण नेशनल हाई-स्पीड रोड कॉरिडोर परियोजनाओं को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने देश भर में 50,655 करोड़ रुपये की लागत से 936 किलोमीटर लंबी 8 महत्वपूर्ण नेशनल हाई-स्पीड कॉरिडोर परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन 8 परियोजनाओं के कार्यान्वयन से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 4.42 करोड़ मानव दिवस के रोजगार सृजित होने का अनुमान है।

इन परियोजनाओं का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:

  1. 6 लेन वाला आगरा-ग्वालियर नेशनल हाई स्पीड कॉरिडोर:

इस हाई-स्‍पीड कॉरिडोर की लंबाई 88 किलोमीटर है और इसे निर्माण-परिचालन-हस्‍तांतरण (बीओटी) मोड में 4,613 करोड़ रुपये की पूंजीगत लागत से 6 लेन वाले एक्सेस-कंट्रोल्ड कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जाएगा। यह परियोजना उत्तर दक्षिण कॉरिडोर (श्रीनगर-कन्याकुमारी) के आगरा-ग्वालियर खंड पर यातायात क्षमता को 2 गुना से अधिक बढ़ाने के लिए मौजूदा 4 लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्ग का पूरक होगी। यह कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्‍थलों (जैसे, ताजमहल, आगरा किला आदि) और मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्‍थलों (जैसे, ग्वालियर किला आदि) से कनेक्टिविटी को बेहतर करेगा। यह आगरा और ग्वालियर के बीच की दूरी को 7 प्रतिशत और यात्रा समय को 50 प्रतिशत तक कम कर देगा, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत में काफी कमी आएगी।

नियंत्रित पहुंच के साथ 6 लेन वाला यह नया आगरा-ग्वालियर राजमार्ग उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में डिजाइन किलोमीटर 0.000 (आगरा जिले में देवरी गांव के पास) से शुरू होकर डिजाइन किलोमीटर 88-400 (ग्वालियर जिले में सुसेरा गांव के पास) तक बनाया जाएगा। इसमें एनएच-44 के मौजूदा आगरा-ग्वालियर खंड पर ओवरले/ सुदृढ़ीकरण के अलावा अन्य सड़क सुरक्षा एवं सुधार कार्य शामिल होंगे।

  1. 4 लेन वाला खड़गपुर-मोरग्राम नेशनल हाई स्‍पीड कॉरिडोर:

खड़गपुर और मोरग्राम के बीच 231 किलोमीटर लंबे 4 लेन वाले एक्सेस-कंट्रोल्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर को 10,247 करोड़ रुपये की पूंजीगत लागत से हाइब्रिड एन्युटी मोड (एचएएम) में विकसित किया जाएगा। नया कॉरिडोर मौजूदा 2 लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्ग का पूरक होगा। इससे खड़गपुर और मोरग्राम के बीच यातायात क्षमता में करीब 5 गुना वृद्धि होगी। यह एक तरफ पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश आदि राज्य और दूसरी तरफ देश के पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के बीच यातायात के लिए कुशल कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। यह कॉरिडोर खड़गपुर और मोरग्राम के बीच मालवाहक वाहनों के लिए यात्रा समय को मौजूदा 9-10 घंटे से घटाकर 3-5 घंटे कर देगा, जिससे लॉजिस्टिक्‍स लागत में कमी आएगी।

3. 6 लेन वाला थराड-दीसा-मेहसाणा-अहमदाबाद नेशनल हाई-स्पीड कॉरिडोर:

करीब 214 किलोमीटर लंबे 6 लेन वाले इस हाई-स्पीड कॉरिडोर का निर्माण कुल 10,534 करोड़ रुपये की पूंजी लागत से निर्माण-परिचालन-हस्‍तांतरण (बीओटी) मोड में किया जाएगा। थराड-अहमदाबाद कॉरिडोर गुजरात राज्य में दो प्रमुख नेशनल कॉरिडोर यानी अमृतसर-जामनगर कॉरिडोर और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के बीच कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा। इससे पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के औद्योगिक क्षेत्रों से आने वाले मालवाहक वाहनों को महाराष्ट्र के प्रमुख बंदरगाहों (जेएनपीटी, मुंबई और हाल में मंजूर वधावन बंदरगाह) तक निर्बाध कनेक्टिविटी मिलेगी। यह कॉरिडोर राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों (जैसे, मेहरानगढ़ किला, दिलवाड़ा मंदिर आदि) और गुजरात के प्रमुख पर्यटन स्‍थलों (जैसे, रानी का वाव, अंबाजी मंदिर आदि) के लिए भी कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इससे थराड और अहमदाबाद के बीच की दूरी 20 प्रतिशत कम हो जाएगी जबकि यात्रा समय में 60 प्रतिशत की कमी आएगी। इससे लॉजिस्टिक्स दक्षता में काफी सुधार होगा।

4. 4 लेन वाला अयोध्या रिंग रोड:

करीब 68 किलोमीटर लंबे 4 लेन वाले एक्सेस-कंट्रोल्ड अयोध्या रिंग रोड को हाइब्रिड एन्युटी मोड (एचएएम) में विकसित किया जाएगा। इसकी कुल पूंजी लागत 3,935 करोड़ रुपये होगी। यह रिंग रोड शहर से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों, जैसे एनएच 27 (ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर), एनएच 227 ए, एनएच 227 बी, एनएच 330, एनएच 330 ए और एनएच 135 ए पर भीड़भाड़ को कम करेगा। ससे राम मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रियों की आवाजाही तेज होगी। यह रिंग रोड लखनऊ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अयोध्या हवाई अड्डा और शहर के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से आने वाले राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को निर्बाध कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगा।

5. रायपुर-रांची नेशनल हाई-स्पीड कॉरिडोर के पत्थलगांव और गुमला के बीच लेन वाला खंड:

रायपुर-रांची कॉरिडोर पर 137 किलोमीटर लंबे 4 लेन वाले एक्सेस-कंट्रोल्ड पत्थलगांव-गुमला खंड को हाइब्रिड एन्युटी मोड (एचएएम) में विकसित किया जाएगा। इस परियोजना की कुल पूंजीगत लागत 4,473 करोड़ रुपये होगी। इससे गुमला, लोहरदगा, रायगढ़, कोरबा व धनबाद के खनन क्षेत्रों और रायपुर, दुर्ग, कोरबा, बिलासपुर, बोकारो व धनबाद के औद्योगिक एवं विनिर्माण क्षेत्रों के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी।

रायपुर-धनबाद आर्थिक कॉरिडोर के हिस्‍से के रूप में राष्ट्रीय राजमार्ग 43 पर 4 लेन वाला पत्थलगांव-कुंकुन-छत्तीसगढ़/झारखंड सीमा-गुमला-भरदा खंड  तुरुआ आमा गांव के समीप राष्‍ट्रीय राजमार्ग 130 ए के अंतिम बिंदु से शुरू होकर भरदा गांव के समीप पलमा-गुमला रोड के चेनेज 82+150 पर खत्‍म होगा।

6. 6 लेन वाला कानपुर रिंग रोड:

कानपुर रिंग रोड के 47 किलोमीटर लंबे 6 लेन वाले इस एक्सेस-कंट्रोल्ड खंड को इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण (ईपीसी) मोड में विकसित किया जाएगा। इसकी कुल पूंजीगत लागत 3,298 करोड़ रुपये होगी। यह खंड कानपुर के चारों ओर 6 लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्ग रिंग को पूरा करेगा। यह रिंग रोड प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों, जैसे एनएच 19- स्वर्णिम चतुर्भुज, एनएच 27- ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर, एरएच 34 और आगामी लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे एवं गंगा एक्सप्रेसवे पर लंबी दूरी के यातायात को शहर की ओर जाने वाले यातायात से अलग करने में समर्थ बनाएगा। इससे उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच माल ढुलाई के लिए लॉजिस्टिक्‍स दक्षता में सुधार होगा।

यह छह लेन वाला नया कानपुर रिंग रोड एयरपोर्ट लिंक रोड (लंबाई 1.45 किलोमीटर) के साथ डिजाइन चेनेज 23+325 से शुरू होकर डिजाइन चेनेज 68+650 (लंबाई 46.775 किलोमीटर) पर खत्‍म होगा।

7. 4 लेन वाले उत्तरी गुवाहाटी बाईपास और मौजूदा गुवाहाटी बाईपास का चौड़ीकरण/सुधार:

करीब 121 किलोमीटर लंबे गुवाहाटी रिंग रोड को 5,729 करोड़ रुपये की कुल पूंजीगत लागत के साथ निर्माण, परिचाल एवं टोल (बीओटी) मोड में तीन खंडों में विकसित किया जाएगा। इन तीन खंडों में 4 लेन वाला एक्सेस-कंट्रोल्ड उत्तरी गुवाहाटी बाईपास (56 किलोमीटर), एनएच 27 पर मौजूदा 4 लेन वाले बाईपास को 6 लेन (8 किलोमीटर) में चौड़ा करना और एनएच 27 (58 किलोमीटर) पर मौजूदा बाईपास में सुधाार शामिल हैं। इस परियोजना के तहत ब्रह्मपुत्र नदी पर एक प्रमुख पुल का भी निर्माण किया जाएगा। गुवाहाटी रिंग रोड राष्ट्रीय राजमार्ग 27 (ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर) पर चलने वाले लंबी दूरी के यातायात के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा जिसे देश के पूर्वोत्‍तर क्षेत्र का प्रवेश द्वार कहा जाता है। इस रिंग रोड से गुवाहाटी के आसपास के प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों पर भीड़भाड़ कम होगी। साथ ही यह इस क्षेत्र के प्रमुख शहरों/ कस्बों, जैसे सिलीगुड़ी, सिलचर, शिलांग, जोरहाट, तेजपुर, जोगीगोफा और बारपेटा को जोड़ेगा।

8. 8 लेन वाला नासिक फाटा-खेड़ पुणे एलिवेटेड कॉरिडोर:

नासिक फाटा से पुणे के समीप खेड़ तक 30 किलोमीटर लंबा 8 लेन वाला एलिवेटेड नेशनल हाई-स्पीड कॉरिडोर का निर्माण 7,827 करोड़ रुपये की कुल पूंजीगत लागत के साथ बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) मोड में किया जाएगा। यह एलिवेटेड कॉरिडोर पुणे और नासिक के बीच एनएच 60 पर चाकन, भोसरी आदि औद्योगिक केंद्रों से आने-जाने वाले यातायात के लिए निर्बाध हाई-स्पीड कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। यह कॉरिडोर पिंपरी-चिंचवाड़ के आसपास जबरदस्‍त भीड़भाड़ को भी कम करेगा।

नासिक फाटा से खेड़ के दोनों ओर 2 लेन सर्विस रोड के साथ मौजूदा सड़क को 4/6 लेन में अपग्रेड किया जाएगा। इसके साथ ही सिंगल पियर के टियर-1 पर 8 लेन वाला एलिवेटेड फ्लाईओवर का निर्माण महाराष्ट्र राज्य में एनएच 60 के (पैकेज-1: 12.190 किलोमीटर से 28.925 किलोमीटर तक और पैकेज-2: 28.925 किलोमीटर से 42.113 किलोमीटर तक) खंड पर किया जाएगा।

पृष्ठभूमि:

बुनियादी ढांचे का विकास किसी भी देश की आर्थिक समृद्धि की बुनियाद है और यह नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए काफी महत्वपूर्ण है। बुनियादी ढांचे के विकास पर खर्च किए गए हरेक रुपये से देश के सकल घरेलू उत्पाद पर 2.5 से 3 गुना प्रभाव पड़ता है।

देश के समग्र आर्थिक विकास में बुनियादी ढांचे के महत्व को महसूस करते हुए भारत सरकार पिछले दस वर्षों से देश में विश्वस्तरीय सड़क बुनियादी ढांचे के निर्माण में भारी निवेश कर रही है। राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) की लंबाई 2013-14 में 0.91 लाख किलोमीटर से करीब 6 गुना बढ़कर अब 1.46 लाख किलोमीटर हो चुकी है। पिछले 10 वर्षों के दौरान देश में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के आवंटन एवं निर्माण की रफ्तार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए, राष्‍ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के लिए ठेकों के आवंटन की औसत वार्षिक गति 2004-14 में करीब 4,000 किलोमीटर थी जो करीब 2.75 गुना बढ़कर 2014-24 में करीब 11,000 किलोमीटर हो चुकी है। इसी प्रकार, राष्ट्रीय राजमार्गों का औसत वार्षिक निर्माण भी 2004-14 में करीब 4,000 किलोमीटर से लगभग 2.4 गुना बढ़कर 2014-24 में करीब 9,600 किलोमीटर हो चुका है। निजी निवेश सहित राष्ट्रीय राजमार्गों में कुल पूंजी निवेश 2013-14 में 50,000 करोड़ रुपये से 6 गुना बढ़कर 2023-24 में लगभग 3.1 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

इसके अलावा, सरकार ने स्थानीय भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों पर केंद्रित पहले के परियोजना-आधारित विकास दृष्टिकोण के मुकाबले उपयुक्‍त मानकों, उपयोगकर्ताओं की सुविधा और लॉजिस्टिक्‍स दक्षता को ध्यान में रखते हुए कॉरिडोर आधारित राजमार्ग बुनियादी ढांचे के विकास का दृष्टिकोण अपनाया है। कॉरिडोर वाले इस दृष्टिकोण के तहत जीएसटीएन और टोल आंकड़ों पर आधारित वैज्ञानिक परिवहन अध्ययन के जरिये 50,000 किलोमीटर के हाई-स्पीड हाईवे कॉरिडोर नेटवर्क की पहचान की गई है, जो 2047 तक भारत को 30 लाख करोड़ डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था में बदलने में मदद करेगा।

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बड़ी हिट होने की तैयारी में इंडिया इंटरनेशनल हॉस्पिटैलिटी एक्सपो 2024

दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के ग्रेटर नोएडा में 3 से 6 अगस्त 2024 तक इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में इंडिया इंटरनेशनल हॉस्पिटैलिटी एक्सपो (आईएचई 2024) के सातवें संस्करण का आयोजन किया जा रहा है। इसने हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में पूरे आतिथ्य उद्योग का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। यहां उद्योग जगत से जुड़े हितधारक स्टैंड-आउट इवेंट में भाग लेने की तैयारी कर रहे हैं। यह आयोजन पहले से ही एक बड़ा हिट होने की तैयारी में है। आईएचई 2024 भारत के प्रमुख हॉस्पिटैलिटी एक्सपो के रूप में अपनी विरासत को जारी रखते हुए अपना सातवां संस्करण लाने के लिए तैयार है। इसमें 1000 से अधिक प्रदर्शक (एग्जीबिटर्स) शामिल होंगे। इसके अलावा लग्जरी होटल, रिसॉर्ट्स, होमस्टे, रेस्तरां, क्लाउड किचन और एफएंडबी सेक्टर से 20,000 से अधिक बी2बी खरीदार आएंगे।

A large room with many people walking aroundDescription automatically generated with medium confidence इसके अलावा आईएचई का नवीनतम संस्करण आतिथ्य क्षेत्र से संबंधित चार संबद्ध शो से जुड़ा है। इसमें कैटरिंग एशिया, टेंट डेकोर एशिया और आयुष एक्सपो शामिल हैं। एक छत के नीचे आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम इस क्षेत्र की बहुआयामी जरूरतों के लिए वन-स्टॉप समाधान की पेशकश करके आतिथ्य उद्योग के समाभिरूपता को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है। यह सामूहिक आयोजन उद्योग जगत के पेशेवरों के लिए एक अमूल्य संसाधन होने का भरोसा दिलाता है, जो नवीनतम रुझानों, तकनीक और सेवाओं तक पहुंच प्रदान करता है। इसके साथ ही उन संबंधों को बढ़ावा देता है जो आतिथ्य उद्योग को आगे बढ़ाएंगे। आईएचई 2024 ने आतिथ्य उद्योग के भीतर सहयोग की श्रृंखला में एक कदम आगे बढ़ाते हुए वियतनाम के साथ भागीदार देश के रूप में साझेदारी की है। आईएचई 2024 में भारत और इसके आतिथ्य क्षेत्र के साथ व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए राजनयिक, आतिथ्य पेशेवर, शेफ और एसोसिएट्स शामिल होंगे। प्रसिद्ध वियतनामी शेफ फेम वान डोंग और गुयेन वान थोंग भारत के सेलिब्रिटी शेफ नंदलाल और गौतम के साथ अपने मास्टरक्लास आयोजित करने के लिए तैयार हैं। यह उत्साह तब और बढ़ जाएगा जब हिमाचल प्रदेश आईएचई 2024 में मुख्य केंद्र बिंदु राज्य के रूप में शामिल होगा। इस दौरान हिमाचल पर्यटन अपने अद्भुत पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देगा।

A large room with many booths and peopleDescription automatically generated with medium confidence इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि यह हम सभी के लिए एक-दूसरे से सीखने, नई साझेदारी बनाने और विकास और सहयोग के रास्ते तलाशने का अवसर है। उन्होंने सभी से आतिथ्य के भविष्य का पता लगाने और उसे आकार देने के लिए एक साथ आने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित हो कि हमारा उद्योग वैश्विक मंच पर अनुकूल माहौल बनाने के साथ विकास करे और फलता-फूलता रहे। आईएचई 2024 हमारा सबसे सफल संस्करण और एक मील का पत्थर होने का वादा करता है जो व्यवसाय के विकास में योगदान करने और आतिथ्य क्षेत्र की गतिशील और सुदृढ़ प्रकृति को प्रदर्शित करने के लिए तैयार है।

आईएचई 2024 ने कई अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों का विश्वास जीता है जिन्हें इस मंच पर अपने बेहतरीन उत्पादों और सेवाओं को प्रदर्शित करने के लिए शामिल किया गया है। प्रमुख प्रदर्शकों और सहयोगियों की सूची में टॉप्स इंडिया, वीनस, अनुपम रॉयल्स, बून, अल्फाड्रॉइड, करामत, एलई 5 स्टैगियोनी, आईएफबी, पतंजलि, नेचुरिन, कोहे, बोरेचा, वीएफआई ग्रुप आदि शामिल हैं। टॉप्स इंडिया सुविधाजनक और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे पाक सॉस, जैम, अचार आदि की रेंज प्रदर्शित करने के लिए तैयार है, जो गोल्डन पार्टनर के रूप में आईएचई 2024 में शामिल हो गया है।

चार संबद्ध शो के 1000 से अधिक प्रदर्शकों की संयुक्त भागीदारी के साथ आईएचई 2024 में विभिन्न प्रकार की श्रेणियां शामिल हैं। यह व्यवसायों के लिए उत्पादों और सेवाओं की एक व्यापक श्रृंखला पेश करती हैं।

नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों से लेकर पारंपरिक आतिथ्य पेशकशों तक आईएचई 2024 में उद्योग जगत के एक गतिशील मिश्रण को एक साथ लाकर एक ऐसा मंच बना रहा है जहां व्यवसाय खोज सकते हैं, जुड़ सकते हैं और फल-फूल सकते हैं।

इसके अलावा, द होटल एंड रेस्तरां इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एचओटीआरईएमएआई) एसोसिएशन ऑफ रिसोर्स कंपनीज फॉर द हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एआरसीएचआईआई) निप्पॉन ग्लोबल, इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन इंटीरियर डिजाइनर (आईआईआईडी) दिल्ली चैप्टर, परचेजिंग प्रोफेशनल फोरम (पीपीएफ) और होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ इंडिया (एचआरएएनआई) सहित आतिथ्य उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों से कई प्रसिद्ध आतिथ्य संघ और परिषदें  आईएचई 2024 में शामिल होने के लिए कृतसंकल्प हैं। वे सभी अपने सहयोगियों और सदस्यों को मेगा हॉस्पिटैलिटी एक्सपो में लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आईएचई 2024 में  एचआरएएनआई 5 और 6 अगस्त 2024 को इंडिया एक्सपो मार्ट लिमिटेड के हॉल 14 और हॉल 15 में अपना वार्षिक कॉन्क्लेव आयोजित करेगा। दूसरी ओर क्षेत्र-विशिष्ट ज्ञान प्रदान करने और अपने क्षेत्र में फलने-फूलने वाले अपार अवसरों का अवलोकन देने के लिए आईआईआईडी, दिल्ली क्षेत्रीय चैप्टर को ज्ञान भागीदार के रूप में शामिल किया गया है।

समग्र आयोजन को रोचक बनाने के लिए चार दिवसीय हॉस्पिटैलिटी सोर्सिंग गाला रोमांचक पाक शाला संबंधी प्रतियोगिताओं से भी भरा हुआ है, जिसमें शामिल हैं:

  • पेस्ट्री क्वीन इंडिया प्रतियोगित
  • मास्टर बेकर्स चैलेंज इंडिया 2024
  • इंडिया पिज्जा लीग चैंपियनशिप

इन पाक शाला (रसोई) संबंधी प्रतियोगिताओं के दौरान युवा आतिथ्य पेशेवरों और रसोइयों को भाग लेने और नवीनतम खाना बनाने के कौशल सीखने का शानदार मौका मिल सकता है।

आईएचई 2024 की प्रमुख श्रेणियों में हॉस्पिटैलिटी उद्योग के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, जिसमें होरेका (होटल, रेस्तरां और खानपान) परिचालन आपूर्ति और उपकरण, आतिथ्य तकनीक, खाद्य और पेय पदार्थ, हाउसकीपिंग और चौकीदारी (जननिटरी), रखरखाव और इंजीनियरिंग, फर्नीचर, फिक्स्चर और उपकरण सुविधाएं प्रबंधन, और सफाई और स्वच्छता शामिल हैं।

आईएचई उनकी सभी सोर्सिंग जरूरतों को पूरा करने और आतिथ्य उद्योग में नवीनतम नवाचारों, रुझानों और प्रगति के बारे में जानने के लिए एक बहुप्रतीक्षित वार्षिक बी2बी एक्सपो है जो उद्योग में ऐतिहासिक ऊंचाइयों, मान्यता और उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए एक यात्रा के लायक है।

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महिलाओं के लिए हैं विशेष रूप से 33 में से 19 राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान 

33 में से 19 राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (एनएसटीआई) विशेष रूप से महिलाओं के लिए हैं।  ये महिला एनएसटीआई शिल्प प्रशिक्षक प्रशिक्षण योजना (सीआईटीएस) के तहत 19 पाठ्यक्रमों के साथ-साथ शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) के तहत 23 पाठ्यक्रम प्रदान करती हैं।  महिला एनएसटीआई सीटीएस और सीआईटीएस दोनों में महिला प्रशिक्षुओं को कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रोग्रामिंग असिस्टेंट (सीओपीए), इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिक, आर्किटेक्चरल ड्राफ्ट्समैन, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन, डेस्कटॉप पब्लिशिंग ऑपरेटर आदि जैसे ट्रेडों में पाठ्यक्रम भी प्रदान करती है।  यहां तक ​​कि इंदौर और वडोदरा में महिला एनएसटीआई में इलेक्ट्रीशियन जैसे ट्रेड भी शुरू किए गए हैं। सत्र 2023-24 से, तीन महिला एनएसटीआई में ‘सर्वेयर’ का व्यापार शुरू किया गया है।  सीटीएस के तहत एक और नया ट्रेड अर्थात् ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्रामिंग असिस्टेंट’ पहली बार वर्ष 2024-25 से आठ महिला एनएसटीआई में शुरू किया जा रहा है।

सीआईटीएस के तहत स्वीकृत सीटों में से 50.45% महिला प्रशिक्षु थीं जबकि एनएसटीआई में सीटीएस प्रशिक्षण के तहत 84% प्रशिक्षु महिलाएं थीं।

महिला पाठ्यक्रमों में भागीदारी को और बढ़ाने के लिए, सभी लड़की उम्मीदवारों के लिए ट्यूशन और परीक्षा शुल्क माफ कर दिया गया है और सामान्य एनएसटीआई में प्रवेश के लिए सामान्य ट्रेडों में महिलाओं के लिए 30% सीटें आरक्षित हैं।

यह जानकारी कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयंत चौधरी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर

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दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 1386 किलोमीटर लंबाई वाले 53 पैकेजों में स्पर्स सहित दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य शुरू किया है। जून 2024 तक कुल 26 पैकेज पूरे हो चुके हैं। कार्य की भौतिक प्रगति 82 प्रतिशत है और कुल 1136 किलोमीटर लंबाई का निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है।

संशोधित निर्धारित समापन तिथि अक्टूबर, 2025 है।

यह कॉरिडोर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के प्रमुख आर्थिक केंद्रों को कनेक्टिविटी प्रदान करता है। विस्‍तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के अनुसार, दिल्ली से जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह (जेएनपीटी) की दूरी में लगभग 180 किलोमीटर की कमी और जुड़े हुए गंतव्यों तक यात्रा के समय में 50 प्रतिशत तक की कमी शामिल है।

यह जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए महिला उद्यमिता कार्यक्रम शुरू किया गया

महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) ने महिला उद्यमिता कार्यक्रम की शुरुआत की है। यह कार्यक्रम उन विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करने के लिए बनाया गया है, जिनका सामना महिलाएं व्यवसाय शुरू करने और उसे बढ़ाने के दौरान करती हैं। ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड के साथ साझेदारी में, यह पहल वित्तीय अनुदान भी प्रदान करेगी और स्किल इंडिया डिजिटल हब पर अपने उत्पादों एवं सेवाओं को प्रदर्शित करेगी, जो महिला उद्यमियों के लिए समावेशी वातावरण को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस कार्यक्रम के शुभारंभ पर कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि ब्रिटानिया ने महिला उद्यमिता पर ध्यान केंद्रित करते हुए हमारे साथ भागीदारी की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमने राष्ट्रीय उद्यमिता और लघु व्यवसाय विकास संस्थान (एनआईईएसबीयूडी) और जनजातीय कार्य मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों के साथ विशेष कार्यक्रमों के माध्यम से उद्यमिता में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है। उन्होंने अन्य संगठनों और सरकारी विभागों के साथ मिलकर काम करने, महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने, चाहे वे व्यक्तिगत रूप से हों या सामूहिक रूप से, तथा उन्हें विभिन्न व्यावसायिक संस्थाओं में संगठित करने में मदद करने के महत्व के बारे में भी बताया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जन शिक्षण संस्थान के तहत कौशल खंड में, हमारे 82 प्रतिशत प्रशिक्षु महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि पीएमकेवीवाई अल्पकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में, लगभग 45 प्रतिशत प्रतिभागी महिलाएं हैं।

इस पहल का उद्देश्य महिलाओं को महत्वपूर्ण कौशल, ज्ञान और नेटवर्किंग के अवसर प्रदान करके उद्यमिता में आने वाली चुनौतियों से निपटना है। इस कार्यक्रम की शुरुआत स्किल इंडिया डिजिटल हब (एसआईडीएच) पर कई भाषाओं में उपलब्ध मानार्थ स्व-शिक्षण बुनियादी उद्यमिता पाठ्यक्रमों की शुरुआत के साथ की गई है। इन पाठ्यक्रमों को पूरा करने पर, प्रतिभागियों को एनएसडीसी, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज और एनआईईएसबीयूडी से एक सह-ब्रांडेड प्रमाणपत्र प्राप्त होगा, जिसमें उनके उद्यमशीलता कौशल और दक्षताओं को मान्यता दी जाएगी। इस पहल का उद्देश्य भारत भर में लगभग 25 लाख महिलाओं को सशक्त बनाना है, उन्हें सफल व्यवसाय शुरू करने और विकसित करने के लिए आवश्यक कौशल, ज्ञान और संसाधन प्रदान करना है। इस पहल का समापन एक भव्य समापन समारोह में होगा, जहां शीर्ष 50 प्रतियोगी अपने व्यावसायिक विचारों को एक प्रतिष्ठित जूरी के सामने प्रस्तुत करेंगे। नवाचार एवं उत्कृष्टता को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज 10 सबसे सफल प्रतियोगियों में से प्रत्येक को 10 लाख रुपये का वित्तीय अनुदान देगी।

इस भावना को दोहराते हुए एनएसडीसी के सीओओ (कार्यवाहक सीईओ) और एनएसडीसी इंटरनेशनल के एमडी श्री वेद मणि तिवारी ने कहा कि आज यह कार्यक्रम महिलाओं के नेतृत्व वाली उद्यमिता के बारे में है और महिला विकास के लिए प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप है। उन्होंने आगे कहा कि इसका सबसे महत्वपूर्ण घटक यह है कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठन मिलकर महिलाओं को उद्यमशीलता की महत्वाकांक्षा रखने के लिए कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ से लेकर लखपति दीदी तक, भारत ने महिला विकास के मामले में बहुत लंबी दूरी तय की है।

इस अवसर पर कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय में संयुक्त सचिव सुश्री सोनल मिश्रा और सुश्री हेना उस्मान तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। एनएसडीसी के साथ मिलकर काम करने की ब्रिटानिया की प्रेरणा के बारे में बोलते हुए ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज के सीईओ और कार्यकारी निदेशक श्री रजनीत सिंह कोहली ने कहा कि ब्रिटानिया मैरी गोल्ड का विजन महिला उद्यमियों को एक साथ आगे बढ़ने में मदद करना है ताकि वे और अधिक कर सकें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के साथ समझौता ज्ञापन भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए एक बड़ा बदलाव है। भारत सरकार आवश्यक कौशल विकास के अवसरों, निःशुल्क स्व-शिक्षण पाठ्यक्रमों तक पहुंच और व्यापक इनक्यूबेशन समर्थन के माध्यम से महिला उद्यमियों को समर्थन देने के लिए समर्पित है। महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप, इस कार्यक्रम को व्यापक समर्थन और अधिकतम प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए कई चरणों में लागू किया जाएगा। दो चरणों में विभाजित, एनएसडीसी, राष्ट्रीय उद्यमिता और लघु व्यवसाय विकास संस्थान (एनआईईएसबीयूडी) के समर्थन से, स्किल इंडिया डिजिटल हब (एसआईडीएच) के माध्यम से मुफ्त ऑनलाइन स्व-शिक्षण उद्यमिता पाठ्यक्रम प्रदान करेगा। कई भाषाओं में उपलब्ध ये पाठ्यक्रम उद्यमशीलता कौशल, उद्यम सेटअप, वित्त की मूल बातें, डिजिटल कौशल और बाजार विश्लेषण जैसे महत्वपूर्ण विषयों को कवर करेंगे। अगले चरण में, एनएसडीसी 100 व्यावसायिक मॉडलों में 10,000 शॉर्टलिस्ट किए गए प्रतियोगियों को मजबूत इनक्यूबेशन समर्थन प्रदान करता है। इस समर्थन में व्यवसाय मॉडल का चयन, उद्यमिता विकास कार्यक्रम, औद्योगिक कार्यशालाएं, व्यवसाय पंजीकरण सहायता, परियोजना रिपोर्ट तैयार करना और विभिन्न सरकारी उद्यमिता और स्टार्टअप योजनाओं के माध्यम से वित्त पोषण पर मार्गदर्शन शामिल है। इसके अतिरिक्त, प्रतिभागियों के उत्पादों और सेवाओं को एसआईडीएच के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म उद्यमकार्ट और महिला उद्यमिता के लिए ब्रिटानिया के डिजिटल इकोसिस्टम पर हाइलाइट किया जाएगा, यह पहल महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों की पहुंच और दृश्यता को व्यापक बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जो एक सहायक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करता है जो महिला उद्यमियों को उनकी पूरी क्षमता का एहसास करने के लिए सशक्त बनाता है। एनएसडीसी और ब्रिटानिया के बीच साझेदारी एक ऐसे माहौल को विकसित करने की साझा प्रतिबद्धता को उजागर करती है जहां महिला उद्यमी फल-फूल सकें और भारत की आर्थिक उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान दे सकें।

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मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना के लिए 1389.5 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित

मुंबईअहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआरपरियोजना का निर्माण कार्य चल रहा है और यह गुजरात, महाराष्ट्र और केंद्रशासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली से होकर गुजरेगी।

एमएएचएसआर परियोजना के बारे में

परियोजना की लंबाई 508 किलोमीटर है और इसमें मुंबई, ठाणे, विरार, बोइसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आनंद, अहमदाबाद और साबरमती में 12 स्टेशन बनाने की योजना है। परियोजना की स्वीकृत लागत 1,08,000 करोड़ रुपये है।

परियोजना के लिए पूरी भूमि (1389.5 हेक्टेयर) अधिग्रहित की गई है। अब तक 350 किलोमीटर पियर फाउंडेशन, 316 किलोमीटर पियर निर्माण, 221 किलोमीटर गर्डर कास्टिंग और 190 किलोमीटर गर्डर लॉन्चिंग का काम पूरा हो चुका है। समुद्र में जलस्तर से नीचे टनल (लगभग 21 किलोमीटर) का काम भी शुरू हो चुका है।

बुलेट ट्रेन परियोजना एक बहुत ही जटिल और प्रौद्योगिकी गहन परियोजना है। उच्चतम स्तर की सुरक्षा और संबंधित रखरखाव प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए, बुलेट ट्रेन परियोजना को जापानी रेलवे के सहयोग से डिजाइन किया गया है। इसे भारतीय आवश्यकताओं और जलवायु परिस्थितियों के लिए अनुकूलित किया गया है। सिविल स्ट्रक्चर, ट्रैक, इलेक्ट्रिकल, सिग्नलिंग और दूरसंचार और ट्रेनसेट की आपूर्ति के सभी संबंधित कार्यों के पूरा होने के बाद परियोजना के पूरा होने की समयसीमा का उचित रूप से पता लगाया जा सकता है।

एमएएचएसआर परियोजना के निष्पादन की नियमित रूप से निगरानी/समीक्षा की जाती है।

रेल, सूचना और प्रसारण और इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज यह जानकारी लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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सीमा सुरक्षा बल में रिक्तियां

01 जुलाई 2024 तक सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में रिक्तियों का विवरण इस प्रकार है: –
विशिष्ट विवरण       रिक्ति
राजपत्रित अधिकारी (जीओ) (समूह ‘क’) 387
अधीनस्थ अधिकारी (एसओ) (समूह ‘ख’) 1,816
अन्य रैंक (ओआरएस) (समूह ‘ग’) 7,942
कुल 10,145

पिछले पांच वर्षों में बीएसएफ में सृजित नए पदों की संख्या 7,372 है। वर्षवार विवरण इस प्रकार है:-

वर्ष सृजित नये पदों की संख्या
2020 शून्य
2021 108
2022 शून्य
2023 54
2024 7,210
कुल 7,372

इसके अलावा, पिछले पांच वर्षों में बीएसएफ में 54,760 कर्मियों की भर्ती की गई है।

बल की परिचालन आवश्यकता के आधार पर पदों का निर्माण और कैडर पुनर्गठन एक सतत प्रक्रिया है। 01.07.2024 तक बीएसएफ की क्षमता  इस प्रकार है: –

विशिष्ट विवरण राजपत्रित अधिकारी (जीओ) अधीनस्थ अधिकारी (एसओ) अन्य रैंक कुल
स्वीकृत पद 5,532 38,344 2,81,932 2,65,808
नियुक्त पद 5,145 36,528 2,13,990 2,55,663
रिक्ति 387 1,816 7,942 10,145

सरकार ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में  आरक्षी (कांस्टेबल) सामान्य कार्य  (जीडी) के पद पर भर्ती के लिए दिनांक 06.03.2023 को जनरल ड्यूटी कैडर (गैर-राजपत्रित) के लिए अधिसूचित भर्ती नियमों के अंतर्गत आरक्षी (कांस्टेबल) सामान्य कार्य  (जीडी) के पदों  पर पूर्व अग्निवीरों की भर्ती के लिए  विशेष प्रावधान किया है ।

10 प्रतिशत रिक्तियां पूर्व अग्निवीरों के लिए आरक्षित होंगी।

पूर्व अग्निवीरों के उम्मीदवारों के लिए ऊपरी आयु सीमा में तीन (03) वर्ष तक की छूट होगी। इसके अलावा, अग्निपथ योजना के पहले बैच के उम्मीदवारों को निर्धारित ऊपरी आयु सीमा से पांच (05) वर्ष की छूट दी जाएगी।

पूर्व अग्निवीरों को शारीरिक दक्षता परीक्षा (पीईटी) से छूट दी जाएगी।

यह जानकारी गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है ।

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