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राजनीति

डॉ. एल. मुरुगन ने प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिनों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिनों की उपलब्धियों पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नई दिल्ली में मीडिया को संबोधित किया।

समावेशी विकास के लिए 15 लाख करोड़ रुपये का निवेश

ये प्रमुख उपलब्धियां राष्ट्र को विकसित भारत के विजन की दिशा में आगे बढ़ा रही हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि सिर्फ़ 100 दिनों के भीतर, अवसरंचना,  कृषि, महिला विकास और अनुसूचित जनजातियों (एसटी), अनुसूचित जातियों (एससी), अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) और गरीबों के उत्थान में 15 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कृषि, ग्रामीण क्षेत्रों, राजमार्गों, रेलवे, हवाई संपर्क और बंदरगाहों के विकास में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

कृषि को सुदृढ़ बनाना और महिला सशक्तिकरण

खास तौर पर, इन 100 दिनों के दौरान अवसंरचना में 3 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, जिसमें कृषि क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया गया है। डॉ. मुरुगन ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.7 प्रतिशत कर दिया गया है और इसके अलावा, पीएम-किसान योजना की 17वीं किस्त से 20,000 करोड़ रुपये 9.3 करोड़ किसानों को वितरित किए गए हैं। इसके अलावा, इन पहले 100 दिनों के दौरान देश भर में महिलाओं के लिए 3 करोड़ घरों को भी मंजूरी दी गई है, जिससे उन्हें सशक्त बनाया जा रहा है।

तमिलनाडु की उपलब्धियां :  वंदे भारत ट्रेनें, बंदरगाह संबंधी निवेश और तकनीकी विकास

डॉ. एल. मुरुगन ने बताया कि तमिलनाडु में इन 100 दिनों के भीतर प्रधानमंत्री द्वारा दो वंदे भारत ट्रेनों को मंजूरी दी गई है और उद्घाटन किया जिसमें पहली, चेन्नई से नागरकोइल और दूसरी, मदुरै से बेंगलुरु शामिल है।

तूतीकोरिन में, 100 दिवसीय योजना के तहत एक नए टर्मिनल बंदरगाह को 7,000 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है  और एफएम चैनल विस्तार के तहत 11 नए शहरों को कवर किया गया है। तमिलनाडु सेमीकंडक्टर मिशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जो देश के तकनीकी विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। मत्स्य पालन क्षेत्र में, नए एक्वा पार्क स्थापित किए जा रहे हैं।

सिर्फ 100 दिनों में हासिल की गई ये उपलब्धियां विभिन्न क्षेत्रों में तीव्र विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं जिसमें समाज के सभी वर्गों को सशक्त बनाने पर ध्यान केन्द्रित किया गया।

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पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की 100 दिन की उपलब्धियां

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (एमडीओएनईआर) ने 9 जून, 2024 से 17 सितंबर, 2024 की अवधि के दौरान महत्वपूर्ण लक्ष्य हासिल किए हैं। केन्द्रीय संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया और केंद्रीय शिक्षा और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार के मार्गदर्शन में मंत्रालय ने विकसित पूर्वोत्तर के निर्माण को पूरा करने के लिए अपनी 100 दिवसीय योजना बनाने में एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। उक्त अवधि के दौरान मंत्रालय की उपलब्धियाँ दर्शाती हैं कि नीतिगत सुधारोंप्रेरित पहलों के प्रभाव और नवीन विचारों पर मंत्रालय का ध्यान एक सशक्त पूर्वोत्तर भारत के निर्माण में दीर्घकालिक परिणाम देगा।

2. उपलब्धियां नीचे सूचीबद्ध हैं:

  • पीएम-डिवाइन के तहत परियोजनाओं की मंजूरी : इस अवधि के दौरान, 419.13 करोड़ रुपये की लागत वाली 6 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में राज्य कैंसर संस्थान की स्थापना भी शामिल है। इन परियोजनाओं से पूर्वोत्तर के लोगों को कैंसर देखभाल सुविधाएं, धनमंजुरी विश्वविद्यालय के बुनियादी ढांचे का विकास, सीआईएचएसआर में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी सेंटर का उन्नयन आदि सुविधाएं प्राप्त होंगी।
  • एनईएसआईडीएस (ओटीआरआई) के तहत परियोजनाओं की मंजूरी : इस अवधि के दौरान, अरुणाचल प्रदेश में नामसाई टाउनशिप में जल आपूर्ति प्रणाली के संवर्धन सहित 152.6 करोड़ रुपये की लागत वाली 3 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। ये परियोजनाएं अरुणाचल प्रदेश में बसर टाउनशिप, नामसाई टाउनशिप और तेजू को एकीकृत स्मार्ट पेयजल आपूर्ति प्रदान करेंगी और 103018 लोगों को लाभान्वित करेंगी।
  • एनईएसआईडीएस (सड़क) के तहत परियोजनाओं की मंजूरी : इस अवधि के दौरान, 370.16 करोड़ रुपये की लागत वाली 5 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें असम के चौकीहोला से तारापुंग तक नई सड़क का निर्माण शामिल है। ये परियोजनाएं असम, सिक्किम और मणिपुर में आवागमन की कमी को पूरा करने में महत्वपूर्ण होंगी, जिससे क्रमशः 29000 लोगों की आबादी वाले 56 गांवों, 5871 लोगों की आबादी वाले 8 गांवों और 2,50,000 लोगों की आबादी वाले 64 गांवों को लाभ होगा।
  • डोनर मंत्रालय/एनईसी की योजनाओं के तहत परियोजनाओं का पूरा होना: इस अवधि के दौरान, 30 परियोजनाएं भौतिक रूप से पूरी हो चुकी हैं, जिनमें पीएम-डिवाइन की 1 परियोजना (63.39 करोड़ रुपये की लागत), एनईएसआईडीएस (सड़क) की 6 परियोजनाएं (219.41 करोड़ रुपये की लागत), एनईएसआईडीएस (ओटीआरआई) की 3 परियोजनाएं (48.71 करोड़ रुपये की लागत), एनईसी की योजनाओं की 11 परियोजनाएं (107.25 करोड़ रुपये की लागत) और बीटीसी एवं एचएडीपी की 8 परियोजनाएं (19.63 करोड़ रुपये की लागत) शामिल हैं। इन 29 परियोजनाओं की कुल लागत 458.36 करोड़ रुपये है। इन परियोजनाओं से बुनियादी ढांचा क्षेत्र, विशेषकर सड़क, रोपवे प्रणाली, जिला केंद्रों का निर्माण, बांस प्रसंस्करण केंद्र, पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में स्वास्थ्य आदि को बढ़ावा मिलेगा और लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।
  • योजना दिशानिर्देशों के सरलीकरण और निधियों के जारी करने को सुचारू बनाने के लिए नीतिगत सुधार:
  • इस अवधि के दौरान, पीएम-डिवाइन, एनईएसआईडीएस (ओटीआरआई), एनईएसआईडीएस (रोड) की योजनाओं के दिशा-निर्देशों को सरल बनाया गया है ताकि परियोजना प्रस्तावों के कॉन्सेप्ट नोट और डीपीआर पर एक साथ विचार किया जा सके। इससे परियोजनाओं की अवधारणा और मंजूरी में लगने वाला समय कम हो जाएगा।
  • 21 अगस्त, 2024 को, डोनर मंत्रालय की योजनाओं के बीच वित्तीय और क्षेत्रीय सीमांकन को युक्तिसंगत बनाया गया है और जारी किया गया है। इससे डोनर की कई योजनाओं में समान क्षेत्रों से संबंधित परियोजनाओं की मंजूरी के दोहराव को रोका जा सकेगा।
  • 29 जुलाई, 2024 को, डोनर मंत्रालय/एनईसी की योजनाओं के तहत स्वीकृत परियोजनाओं के लिए धन प्रवाह की प्रक्रिया को सरल बनाया गया ताकि परियोजनाओं के लिए केवल 4 किस्तों में धन जारी किया जा सके। इससे धन जारी करने की प्रक्रिया मानकीकृत हो गई है और इससे धन जारी करने के मामलों में देरी और लंबित मामलों में कमी आएगी।
  • इस अवधि के दौरान, पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय ने चल रही परियोजनाओं के निरीक्षण के लिए एनईडीएफआई के माध्यम से थर्ड पार्टी तकनीकी निरीक्षण (टीपीटीआई) एजेंसियों और परियोजना गुणवत्ता मॉनिटर (पीक्यूएम) को पैनल में शामिल किया है। इससे डोनर मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के तहत स्वीकृत, चल रही परियोजनाओं की निगरानी और निरीक्षण तंत्र को मजबूती मिलेगी। जून, 2024 से लागू किया गया।
  • मणिपुर स्टार्ट अप वेंचर फंड का शुभारंभ : यह एनईआर में नए स्टार्ट-अप को समर्थन देने के लिए राज्य-विशिष्ट उद्यम निधि का एक हिस्सा है। प्रारंभिक कोष 30 करोड़ रुपये (एनईडीएफआईआरएस 15 करोड़ + मणिपुर सरकार 15 करोड़ रुपये) का है। इससे स्थानीय उद्यमियों को प्रोत्साहन मिलेगा और एनईआर में बेहतर और अधिक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने में मदद मिलेगी। 27 अगस्त, 2024 को आयोजित अपनी पहली निवेश समिति की बैठक में दो स्टार्टअप को मणिपुर स्टार्टअप वेंचर फंड से सैद्धांतिक निवेश प्रतिबद्धताएँ प्राप्त हुईं ।
  • अष्टलक्ष्मी महोत्सव-2024 – 6 से दिसंबर, 2024 तक भारत मंडपमनई दिल्ली में अष्टलक्ष्मी महोत्सव-2024 आयोजित करने के लिए डोनर मंत्रालय द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई। 13 सितंबर, 2024 को माननीय डोनर मंत्री द्वारा एक समर्पित पोर्टल लॉन्च किया गया। इससे पूर्वोत्तर राज्यों की समृद्ध विरासतहस्तशिल्पहथकरघाकृषि-उत्पाद और शिल्प पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
  • नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए उत्तर पूर्व विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एनईएसटी) क्लस्टर :

पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने 13.8.2024 को प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के एस एंड टी क्लस्टर के समान पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए विशेष रूप से पूर्वोत्तर विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्लस्टर (एनईएसटी क्लस्टर) पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एनईएसटी को मंजूरी दी। 4 वर्टिकल को मंजूरी दी गई है अर्थात (i) जमीनी स्तर की प्रौद्योगिकियों पर नवाचार हब, (ii) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सेमीकंडक्टर के लिए प्रौद्योगिकी हब (iii) बांस आधारित प्रौद्योगिकी, उद्यमशीलता संवर्धन और कौशल विकास और कौशल विकास में नवाचार के लिए सीओई और (iv) बायोडिग्रेडेबल, पर्यावरण के अनुकूल प्लास्टिक और ठोस-अपशिष्ट प्रबंधन पर नवाचार केंद्र। एनईएसटी क्लस्टर का उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र के समग्र विकास के लिए तकनीकी हस्तक्षेप के माध्यम से पूर्वोत्तर के लोगों की समस्याओं और चुनौतियों की पहचान कर उनका समाधान करना है।

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र कृषि-वस्तु ई-कनेक्ट (एनई-आरएसीएपोर्टल का शुभारंभ –

यह पूर्वोत्तर में कृषि क्षेत्र के लिए एक क्रांतिकारी कदम है, जो माननीय प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ के दृष्टिकोण के अनुरूप है और हमारे किसानों के लिए वैश्विक बाजार को खोलता है। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के तहत पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) ने पूर्वोत्तर विकास वित्त निगम लिमिटेड (एनईडीएफआई) के सहयोग से 12 जुलाई 2024 को पूर्वोत्तर क्षेत्र कृषि-वस्तु ई-कनेक्ट (एनई-आरएसीए) नामक एक डिजिटल पहल शुरू की, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) से कृषि और बागवानी उत्पादों को ताजा और प्रसंस्कृत दोनों रूपों में बाजार से जोड़ना है। एनई-आरएसीए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को एनईसी द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और इसे एनईडीएफआई द्वारा विकसित और प्रबंधित किया जाता है।

  • आदिवासी कल्याण एवं विकास परिषद (एडब्ल्यूडीसी) के विकास के लिए विशेष विकास पैकेज – इस समझौता ज्ञापन (एमओएस) पर भारत सरकार, असम सरकार और असम के विभिन्न आदिवासी सशस्त्र समूहों द्वारा हस्ताक्षर किए गए। एमओएस के अनुसार, भारत सरकार वित्त वर्ष 2024-25 से पांच वर्षों की अवधि तक प्रति वर्ष 100 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित करेगी। आदिवासी कल्याण एवं विकास परिषद (एडब्ल्यूडीसी) के विकास के लिए विशेष विकास पैकेज को डोनर मंत्रालय को कार्यान्वयन के लिए आवंटित किया गया था। इसके बाद, एमओडीएनईआर ने एमओएस को लागू करने के लिए दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप दिया है। एडब्ल्यूडीसी के तहत बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं का प्राथमिक ध्यान बुनियादी ढांचे को बढ़ाना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और सामाजिक सुविधाओं में सुधार और समुदायों का सतत विकास करने पर होगा ।
  • विभिन्न पोर्टलों का विकास – 22 जुलाई, 2024 को भारत सरकार के 54 मंत्रालयों/विभागों (10% जीबीएस के अंतर्गत गैर-छूट प्राप्त) की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत कार्यान्वित की जा रही परियोजनाओं की मजबूत निगरानी और मूल्यांकन के लिए एक पोर्टल लॉन्च किया गया। उक्त पोर्टल विकसित किया गया । सभी मंत्रालयों को 6 सितंबर, 2024 को एक लाइव डेमो के माध्यम से जागरूक किया गया है। यह पोर्टल भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत कार्यान्वित की जा रही परियोजनाओं की मजबूत निगरानी और मूल्यांकन में मदद करेगा। इसी तरह, 54 गैर-छूट प्राप्त मंत्रालयों/विभागों के 10% जीबीएस के तहत किए जा रहे व्यय को कैप्चर करने के लिए एक पोर्टल विकसित किया गया है। संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा निगरानी किए जाने वाले व्यय का विवरण राज्यवार और योजनावार होगा। पोर्टल राज्यवार और योजनावार व्यय विवरण कैप्चर करेगा, जिससे प्रभावी मूल्यांकन और निगरानी सुनिश्चित होगी।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र में राज्य निवेश संवर्धन एजेंसियों (आईपीए) को मजबूत करना – अगस्त 2024 में, परियोजना के कार्यान्वयन के लिए डोनर मंत्रालय और इन्वेस्ट इंडिया के बीच द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन को डोनर मंत्रालय द्वारा मंजूरी दे दी गई है। प्रस्ताव का उद्देश्य राज्यों को अच्छी निवेश नीतियों और गुणात्मक क्षेत्रीय निवेश नीतियों को डिजाइन करने में विशेषज्ञ मानव संसाधन प्रदान करके राज्य आईपीए को मजबूत करना है।

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जनपद के 1079 प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लाभार्थियों को मिले आवास*

जनपद के 1079 प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के लाभार्थियों को मिले आवास

कानपुर नगर, दिनांक 17 सितम्बर, 2024 (सू0वि0) मंत्री उच्च शिक्षा/विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उ0प्र0/प्रभारी मंत्री जनपद कानपुर नगर योगेन्द्र उपाध्याय जी ने परशुराम वाटिका में स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। तत्पश्चात प्रमिला सभागार, नगर निगम, मोतीझील में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अन्तर्गत लाभार्थियों के गृह प्रवेश कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारम्भ किया, इस अवसर पर मा0 प्रधानमंत्री जी भारत सरकार के भुनेश्वर, उड़ीसा के कार्यक्रम का सजीव प्रसारण दिखाया गया।

इस अवसर पर मा0 मंत्री जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रधामंत्री जी के नेतृत्व में आवास योजना शहरी 2.0 के अन्तर्गत आर्थिक रूप से कमजोर एवं अल्प आय वर्ग, मध्यम वर्ग के लोगों के सपनों को पूरा करने हेतु पक्का मकान, 01 करोड़ शहरी गरीब लोगों का बनाया जायेगा, जिसमें कुल 10 लाख करोड़ का व्यय लोगा एवं मध्यम वर्ग के परिवार जिसमें 2.30 करोड़ सरकार सहायता प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि अगले 05 वर्षों में 01 करोड़ आवास बनाये, किराये पर दिये जायेंगे। ब्याज में छूट की सुविधा देकर ऋण पर किफायती आवास का निर्माण कराया जायेगा।
उन्होंने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत सफाई कर्मी, पीएम स्वनिधी के लाभार्थी, पीएम विश्वकर्मा योजना के लाभार्थी, आगंनबाडी वर्कर, बिल्डिंग मिस्त्री अथवा अन्य निर्माण के मजदूर, मलिन बस्ती में निवास करने वाले छुग्गी झोपडी वाले लक्षित समूह है।

*जनपद में कुल स्वीकृत 32 हजार 528 आवासों के सापेक्ष 30 हजार 957 आवास हुए पूर्ण*

जनपद कानपुर नगर में अगस्त 2024 तक कुल स्वीकृत 32 हजार 528 आवासों के सापेक्ष 30 हजार 957 आवास पूर्ण हो चुके है। इसमें से बीएलसी एन (सूडा) द्वारा लक्ष्य 10871 के सापेक्ष 10574 आवास बनाये गये। एएचपी (कानपुर विकास प्राधिकरण) द्वारा लक्ष्य 15249 के सापेक्ष 13975 आवास बनाये गये। वहीं, सीएलएसएस (बैंक) द्वारा लक्ष्य 6408 के सापेक्ष शत-प्रतिशत आवास पूर्ण कराये गये।
*इन्हे सौंपी चाबी*

प्रभारी मा0 मंत्री जी ने मंच से विजय लक्ष्मी, रजनी गुप्ता, उमानाथ यादव, मनोरमा, मीना, दरख्शा परवीन, राकेश कुमार, भरत कुमार, रमाकान्त, आशा, अशोक गौड़, कुन्ती तिवारी, अनूप बाजपेई, लल्लू प्रसाद, रेखा शुक्ला, उर्मिला बाजपेई, सुमन, सुमिता शर्मा, राकेश, सज्जन तिवारी, रेहाना बेगम, राज कमल यादव, प्रेम शंकर, अशोक कुमार दीक्षित, नितिन मिश्रा को आवास की चाबी सौंपी।
इस अवसर पर मा0 महापौर प्रमिला पाण्डेय, मा0 सांसद रमेश अवस्थी, देवेन्द्र सिंह भोले, मा0 विधायक नीलिमा कटियार, महेश त्रिवेदी, सुरेन्द्र मैथानी, सरोज कुरील, जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह, के0डी0ए0 वी0सी0 मदन सिंह, नगर आयुक्त सुधीर कुमार सहित सम्बन्धित अधिकारीगण, लाभार्थीगण व अन्य गण्यमान्य उपस्थित रहे।

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भारत ने 12 और 13 सितंबर 2024 को ब्राजील के कुइआबा में जी-20 कृषि मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान अमेरिका, ब्राजील, जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, स्पेन, यूएई के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री राम नाथ ठाकुर ने जी-20 द्विपक्षीय बैठकों के दौरान ब्राजील में भारत के राजदूत श्री सुरेश रेड्डी और कृषि एवं किसान विभाग के संयुक्त सचिव श्री फ्रैंकलिन एल. खोबुंग के साथ भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। श्री राम नाथ ठाकुर और जापान के कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन मंत्री श्री साकामोटो के बीच 12 सितंबर 2024 को ब्राजील में द्विपक्षीय बैठक संपन्न हुई।

दोनों पक्षों ने प्रौद्योगिकी के प्रयोग, खाद्य प्रसंस्करण, शीत भंडारण आदि, भारत में सतत कृषि और उत्पादकता सहित पारस्परिक रूप से लाभकारी क्षेत्रों में निजी निवेश के माध्यम से सहयोग करने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

बैठक में बाजार पहुंच के मुद्दों पर चर्चा की गई, जहां भारतीय मंत्री श्री ठाकुर ने जापान में भारतीय अनार और अंगूर की बाजार पहुंच में तेजी लाने का आग्रह किया, जबकि जापान के मंत्री श्री साकामोटो ने जापानी देवदार की बाजार पहुंच का मुद्दा उठाया।

राम नाथ ठाकुर और ब्राजील के कृषि एवं पशुधन मंत्री श्री होस्ट कार्लोस फावारो के बीच 13 सितंबर 2024 को ब्राजील में द्विपक्षीय बैठक हुई।

श्री फेवरो ने भारतीय अध्यक्षता से मिली सीख और दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों पर जोर दिया। श्री ठाकुर ने एडब्ल्यूजी बैठकों के सफल समापन पर ब्राजील की अध्यक्षता को बधाई दी।

बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में सहयोग, इथेनॉल उत्पादन में सहयोग और बाजार पहुंच से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की।

दोनों पक्षों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की तथा आशा व्यक्त की कि आईसीएआर इंडिया और एम्ब्रापा ब्राजील के बीच समझौता ज्ञापन नवंबर में जी-20 नेताओं की बैठक से पहले पूरा हो जाएगा।

ब्राजील पक्ष ने इथेनॉल उत्पादन प्रौद्योगिकी में सहयोग करने की प्रतिबद्धता दिखाई, जिससे जलवायु परिवर्तन संबंधी कार्रवाई में सहायता मिलेगी।

भारत अपने ज्वार, रेपसीड, कपास, गेहूं, जौ और प्याज के लिए ब्राजील के बाजार तक पहुंच चाहता है। ब्राजील पक्ष साइट्रस आदि के लिए भारत के बाजार तक पहुंच चाहता है। मंत्रियों ने लंबित मुद्दों को हल करने के लिए आशा व्यक्त की जिससे व्यापारिक बाधा दूर हो जाएगी।

केंद्रीय राज्य मंत्री श्री ठाकुर और अमेरिका की कृषि उप-सचिव सुश्री ज़ोचिटल टोरेस स्माल के बीच 13 सितंबर 2024 को ब्राज़ील में द्विपक्षीय बैठक हुई।

दोनों पक्षों ने यूएसडीए और एमए एंड एफडब्ल्यू वार्ता पहल पर आगे की कार्रवाई पर सहमति जताई। दोनों पक्षों ने जलवायु-स्मार्ट कृषि; कृषि उत्पादकता वृद्धि; कृषि इनोवेशन; पूर्वानुमान और उत्पादन रिपोर्टिंग तथा कृषि एवं फसल जोखिम संरक्षण और कृषि ऋण के क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने पर सहमति जताई। अमेरिका ने कंसेप्ट नोट और इसके निरंतर विकास की सराहना की। यूएसडीए ने फसल बीमा क्षेत्र में दौरों के माध्यम से प्राप्त अनुभवों को साझा करने पर सहमति व्यक्त की।

श्री ठाकुर ने फलों और सब्जियों आदि के लिए बाजार पहुंच के मुद्दों पर प्रकाश डाला। अमेरिका ने भारत को अल्फाल्फा घास चारे के लिए बाजार पहुंच में तेजी लाने का अनुरोध किया। दोनों पक्षों ने सहमत रणनीतियों के अनुसार बाजार पहुंच से संबंधित लंबित मुद्दों को हल करने पर सहमति व्यक्त की।

श्री राम नाथ ठाकुर की अध्यक्षता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल और जर्मनी की संसदीय राज्य सचिव सुश्री ओफेलिया निक की अध्यक्षता में प्रतिनिधिमंडल के बीच 13 सितंबर 2024 को ब्राजील में द्विपक्षीय बैठक आयोजित की गई

सुश्री ओफेलिया निक ने श्री ठाकुर को बर्लिन में खाद्य एवं कृषि के ग्लोबल फोरम तथा कृषि मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। राम नाथ ठाकुर की अध्यक्षता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल और ब्रिटेन के खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण मामले मंत्री श्री डैनियल ज़ीचनर की अध्यक्षता वाले प्रतिनिधिमंडल के बीच 13 सितंबर 2024 को ब्राजील में द्विपक्षीय बैठक आयोजित की गई।

ठाकुर ने भारत जर्मन संयुक्त कार्य समूह की चल रही नियमित बैठकों पर प्रसन्नता व्यक्त की और आशा व्यक्त की कि संयुक्त कार्य समूह की अगली आगामी बैठक सार्थक होगी। सुश्री ओफेलिया निक ने सुझाव दिया कि भारत-जर्मन कार्य समूह को नई दिल्ली में अगले आहार खाद्य मेले के समानांतर आयोजित किया जाना चाहिए। दोनों पक्ष त्रिकोणीय विकास परियोजनाओं के माध्यम से कृषि इको सिस्टम, तकनीकी आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ाने पर सहमत हुए। दोनों पक्षों ने कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के अनुप्रयोग, छोटे किसानों को सहायता, कृषि इको सिस्टम और जैविक खेती जैसे क्षेत्रों में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की।

दोनों पक्षों ने कृषि खाद्य प्रणाली को सतत कृषि, अनुसंधान और साइंस प्रेसिजन ब्रीडिंग, जीन एडिटिंग और विस्तार सेवाओं में परिवर्तन के संबंध में सहयोग करने में अपनी रुचि व्यक्त की।

श्री ज़ीचनर ने किसानों तक विज्ञान पहुंचाने में केवीके और एटीएमए की भूमिका की सराहना की तथा आईसीएआर के साथ संयुक्त कार्यशाला के माध्यम से भारतीय मॉडल से सीखने और कृषि प्रौद्योगिकी केंद्र के ब्रिटेन के अनुभव को साझा करने में रुचि दिखाई। ब्रिटेन ने कृषि क्षेत्र में द्विपक्षीय साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए एक संस्थागत तंत्र बनाने में भी रुचि दिखाई।

श्री ठाकुर की अध्यक्षता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल और स्पेन के कृषि, मत्स्य पालन और खाद्य मंत्री महामहिम लुइस प्लानस की अध्यक्षता वाले प्रतिनिधिमंडल के बीच 13 सितंबर 2024 को ब्राजील में द्विपक्षीय बैठक आयोजित की गई। प्लानस ने डेयरी उत्पादों के लिए पशु चिकित्सा प्रमाण पत्र की स्वीकृति हेतु भारतीय मंत्री को धन्यवाद दिया और भविष्य में इस तरह के प्रोटोकॉल पर काम करने में रुचि दिखाई। उन्होंने मांस और मांस उत्पादों के लिए सैनिटरी और वेटेरिनरी प्रमाण पत्र के समाधान में भी रुचि दिखाई और संतरे के लिए ट्रांजिट में कोल्ड स्टोरेज की वैधता की पुष्टि प्राप्त होने की उम्मीद जताई।     दोनों पक्षों ने प्रौद्योगिकी, नई जीनोमिक तकनीकों, जल उपयोग दक्षता की प्रथाओं और तकनीकों, जलवायु सहिष्णु कृषि, बीजों और पौधों के लिए तकनीकी और वैज्ञानिक समाधान तथा दोनों देशों के अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग के आदान-प्रदान की इच्छा व्यक्त की। श्री प्लानस ने श्री ठाकुर को मैड्रिड आने का निमंत्रण दिया।

श्री ठाकुर की अध्यक्षता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल और यूएई की पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय की महामहिम डॉ. आमना अल दहाक की अध्यक्षता वाले प्रतिनिधिमंडल के बीच 12 सितंबर 2024 को ब्राजील में द्विपक्षीय बैठक आयोजित की गई। दोनों पक्षों ने कृषि क्षेत्र में व्यापार बढ़ाने की आवश्यकता जताई। दोनों पक्षों ने तकनीकी टीमों द्वारा बाजार पहुंच से संबंधित मुद्दों की चर्चा करने पर सहमति व्यक्त की।

यूएई ने अनुसंधान और प्रौद्योगिकी में सहयोग, वर्टिकल फार्मिंग, उच्च उपज प्रौद्योगिकियों पर अनुभव साझा करने में रुचि दिखाई। दोनों पक्षों ने सतत कृषि, लचीली खाद्य प्रणालियों से संबंधित मुद्दों की भी चर्चा की।

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नई पेंशन योजना कितनी कारगर?

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यूनिफाइड पेंशन योजना लागू की जिसके तहत इस योजना का लाभ सरकारी कर्मचारियों को दिया जाएगा साथ ही यह भी कहा गया कि 2004 के बाद रिटायर्ड   सरकारी कर्मचारियों को भी इसका लाभ मिलेगा। यह योजना एनडीए गवर्नमेंट की नई योजना है जिसे नेशनल पेंशन स्कीम एनपीएस के समांतर जारी किया गया है और यह योजना 1अप्रैल 2025 से लागू होगी। गौरतलब है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए एनपीएस और यूपीएस में से एक को चुनने का विकल्प रखा गया है। वहीं देश के कई राज्यों में पुरानी पेंशन योजना ओपीएस अभी भी लागू है। अब ऐसे में लोगों को ओपीएस, एनपीएस और यूपीएस में अंतर करना मुश्किल हो रहा है, लोगों को यह समझ नहीं आ रहा कि कौन सी योजना उनके लिए लाभदायक है और उनके लिये अनुकूल होगी।

यूपीएस पेंशन योजना के तहत केंद्रीय कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन दिया जाएगा जो आखरी 12 महीने की औसत मूल वेतन का 50% होगा। कर्मचारियों को यह पेंशन पाने के लिए कम से कम 25 साल तक नौकरी करनी होगी। वहीं अगर किसी कर्मचारी की सेवा में रहते हुए मृत्यु होने की स्थिति में परिवार (पत्नी) को 60 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलेगा। इसके अलावा 10 साल तक की न्यूनतम सेवा की स्थिति में कर्मचारी को कम से कम 10 हज़ार रुपये प्रति माह पेंशन के रूप में दिए जाएंगे। इसके अलावा कर्मचारी और फ़ैमिली पेंशन को महंगाई के साथ जोड़ा जाएगा। इसका लाभ सभी तरह की पेंशन में मिलेगा। वहीं ग्रैच्युटी के अलावा नौकरी छोड़ने पर एकमुश्त रकम दी जाएगी। इसकी गणना कर्मचारियों के हर छह महीने की सेवा पर मूल वेतन और महंगाई भत्ते के दसवें हिस्से के रूप में होगी।
सरकार का दावा है कि इससे 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को फायदा होगा। पहले कर्मचारी पेंशन के लिए 10 प्रतिशत का अंशदान करते थे और केंद्र सरकार भी इतना ही अंशदान करती थी, लेकिन 2019 में सरकार ने सरकारी योगदान को 14 प्रतिशत कर दिया था, जिसे बढ़ाकर अब 18.5 प्रतिशत कर दिया जाएगा। नयी एकीकृत पेंशन योजना 1अप्रैल 2025 से लागू होगी, तब तक इसके लिए संबंधित नियमों को बनाने के काम किया जाएगा और कर्मचारियों के पास एनपीएस यानी नेशनल पेंशन स्कीम या यूपीएस में रहने का विकल्प होगा।
एनपीएस के तहत दो अकाउंट होते हैं टायर 1 टायर 2 जिसे कोई भी खोल सकता है और निवेश कर सकता है। यूपीएस एक निश्चित पेंशन स्कीम है साथ ही फैमिली पेंशन भी मिलेगा। मिनिमम निश्चित पेंशन का भी प्रावधान है जबकि एनपीएस में ऐसा नहीं है। यूपीएस सुरक्षित पेंशन योजना है जबकि एनपीएस एक मार्केट लिंक योजना है लेकिन देश में सरकारी कर्मचारी काफी समय से पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग कर रहे हैं। पिछले 10 सालों से यह मसला उलझा हुआ है और कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। इस योजना के लागू होने के साथ ही यह सवाल भी आने लगे हैं कि जब एनपीएस और यूपीएस का विकल्प है तो ओपीएस का विकल्प क्यों नहीं रखा गया? यदि यूपीएस में 50% देने की बात रखी गई है तो ओपीएस में भी तो यही 50% देने की बात कही गई है। फिर सरकार पुरानी पेंशन योजना लागू क्यों नहीं कर रही है?
दरअसल ओपीएस एक परिभाषित लाभ योजना है जो वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर समायोजन के साथ जीवन भर पेंशन के रूप में प्राप्त अंतिम वेतन के आधे हिस्से की गारंटी देती है। वहीं, एनपीएस एक परिभाषित योगदान योजना है जहां सरकारी कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत योगदान करते हैं। इसके अलावा निजी क्षेत्र में कार्य कर रहे कर्मचारियों के विषय में कुछ नहीं कहा गया है। यह कर्मचारी भी देश के विकास में टैक्स के रूप में रकम चुकाते हैं।
कई विधानसभा चुनाव में ओपीएस की मांग भाजपा पर भारी पड़ी है और वहां कांग्रेस को फायदा पहुंचा है। अब फिर से विधानसभा चुनाव का सिलसिला शुरू हो गया है ऐसे में भाजपा 370 जैसे कार्ड के अलावा नई पेंशन योजना द्वारा सरकारी कर्मचारियों को लुभा रही है। 23 लाख सरकारी कर्मचारियों को लाभान्वित होने की बात कही गई है और इन्हीं कर्मचारियों में से अधिकतर ने पुरानी पेंशन योजना की मांग रखी है। दूसरी ओर एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या यह चुनावी वादों से घिरे प्रधानमंत्री की छवि को सुधारने का प्रयास है?

~प्रियंका वर्मा माहेश्वरी

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दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा संचालित दिव्यांगजन शादी विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के अन्तर्गत दी जाएगी प्रोतसाहन राशि

कानपुर 02 सितंबर (सू0वि0) जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी विनय उत्तम ने बताया कि दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग द्वारा संचालित दिव्यांगजन शादी विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के अन्तर्गत दम्पत्ति मे से युवक के दिव्यांग होने की दशा मे रू0 15000/- युवती के दिव्यांग होने पर रू० 20000/- तथा युवक-युवती दोनों के दिव्यांग होने की दशा मे रू0 35000/- की धनराशि दिये जाने हेतु आवेदन पत्र आमंत्रण प्राप्त किये जा रहे है।
उन्होंने आवेदन के लिये पात्रता की शर्तों के बारे में बताया कि शादी के समय युवक की आयु 21 वर्ष से कम तथा 45 वर्ष से अधिक न हो, शादी के समय युवती की आयु 18 वर्ष से कम तथा 45 वर्ष से अधिक न हो, दम्पत्ति मे से कोई आयकर दाता न हो। (सम्बन्धित तहसीलदार द्वारा निर्गत पृथक-पृथक आय प्रमाण पत्र), मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा प्रदत्त दिव्यांगता प्रमाण पत्र के अनुसार स्थाई दिव्यांगता 40 प्रतिशत या उससे अधिक होनी चाहिए, सिर्फ ऐसे दिव्यांग दम्पत्ति पात्र होंगे जिनका विवाह गत वित्तीय वर्ष एवं वर्तमान वित्तीय वर्ष मे हुआ हो, दम्पत्ति में से कोई सदस्य किसी आपराधिक मामले में दंडित न किया गया हो, दम्पत्ति का विवाह रजिस्ट्रार के स्तर पर पंजीकृत होना अनिवार्य नही है विवाह का कोई प्रमाण पत्र संलग्न करें, जिसके पास पूर्व से कोई जीवित पति या पत्नी न हो और उनके ऊपर महिला उत्पीड़न या अन्य आपराधिक वाद न चल रहा हो।
उन्होंने बताया कि दिव्यांग शादी विवाह प्रोत्साहन पुरस्कार योजना के अन्तर्गत पात्र दम्पत्ति http://divyangjan.upsdc.gov.in पर आनलाइन आवेदन कर सकते है। उन्होंने आवेदन करने के लिये आवश्यक दस्तावेज के बारे में बताया कि दम्पत्ति का दिव्यांगता प्रदर्शित करने वाला संयुक्त नवीनतम फोटो, विवाह पंजीकरण/शादी का कार्ड अथवा विवाह/शादी का अन्य कोई प्रमाण पत्र जिससे विवाह होना प्रमाणित हो सके, युवक एवं युवती का आय प्रमाण पत्र (तहसील द्वारा निर्गत आय प्रमाण पत्र), युवक एवं युवती का आयु प्रमाण पत्र (हाई स्कूल की अंकतालिका अथवा परिवार रजिस्टर की नकल या चिकित्सक द्वारा प्रमाणित आयु प्रमाण पत्र), अनु०जाति/अनु०ज०जाति का होने की दशा मे जाति प्रमाण पत्र (तहसील द्वारा निर्गत जाति प्रमाण पत्र), मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा निर्गत स्थाई दिव्यांगता 40 प्रतिशत या उससे अधिक का दिव्यांगता प्रमाण पत्र, दम्पत्ति का राष्ट्रीयकृत बैंक में संचालित संयुक्त बैंक खाता, युवक एवं युवती का निवास प्रमाण पत्र, युवक एवं युवती का आधार कार्ड, आनलाइन भरे गये आवेदन पत्र की प्रिंट प्रति एवं वांछित अभिलेखों की स्वप्रमाणित हार्ड कापी कार्यालय जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी (सेवायोजन कार्यालय परिसर निकट जी०टी० रोड़ गोल चौराहा) कानपुर नगर मे जमा करे।

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उपराष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त की कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो लोग एक बार सत्ता में थे, वे राष्ट्र-विरोधी बातें फैला रहे हैं और हमारे लोकतंत्र को चुनौती दे रहे हैं

उपराष्ट्रपति  जगदीप धनखड़ ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे लोकतंत्र और राष्ट्रवाद की भावना के लिए चुनौतियाँ उन लोगों से उत्पन्न हो रही हैं जो कभी शासन या सत्ता के पदों पर थे। उन्होंने कहा, “संकीर्ण पक्षपातपूर्ण हितों को साधने के लिए वे राष्ट्र विरोधी बातें फैलाने और हमारे महान लोकतंत्र की तुलना पड़ोस की व्यवस्था से करने की हद तक चले जाते हैं।”

युवाओं को सावधान करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि “ये लोग अपने वास्तविक इरादों को छिपाकर और इस देश की तेजी से हो रही अभूतपूर्व वृद्धि से नजर फेरकर हमें गुमराह करने का हर संभव प्रयास करते हैं। भारत का आर्थिक उत्थान और राष्ट्रों के वैश्विक समुदाय में इसकी अभूतपूर्व वृद्धि देखने लायक है।”

उन्होंने भारत के स्थिर लोकतंत्र और पड़ोसी देशों की प्रणालियों के बीच तुलना की कड़ी आलोचना की और सवाल किया, “क्या हम कभी तुलना भी कर सकते हैं?” उपराष्ट्रपति ने युवाओं से इस तरह की कहानियों के खिलाफ खड़े होने का आग्रह किया और उनसे इन हानिकारक तुलनाओं को बेअसर करने, रद्द करने और उजागर करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि सबसे बड़े और सबसे जीवंत लोकतंत्र के रूप में भारत, जिसका नेतृत्व लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री कर रहे हैं, को इस तरह की अपमानजनक टिप्पणियों का शिकार नहीं होना चाहिए। “यह विचार यहां के राष्ट्र, राष्ट्रवाद और लोकतंत्र में विश्वास करने वाले किसी भी व्यक्ति के मन में कैसे आ सकता है?” उन्होंने ऐसी कहानियों की निंदा करते हुए इसे “कायरतापूर्ण” और “शब्दों से परे” बताया।

आज देहरादून में सीएसआईआर-आईआईपी में छात्रों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए, श्री धनखड़ ने मानवता के सामने जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं की आसन्न चुनौती को रेखांकित किया।

जलवायु न्याय की आवश्यकता पर जोर देते हुए, श्री धनखड़ ने कहा कि “जलवायु परिवर्तन असुरक्षित रूप से कमजोर लोगों को प्रभावित करता है और इसीलिए जलवायु न्याय हमारा मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए।”

इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कि धरती माता की संतान होने के नाते हमारे ग्रह की रक्षा करना, हमारे ग्रह का पोषण करना हमारी जिम्मेदारी है, श्री धनखड़ ने भारत द्वारा सतत विकास एजेंडे को वैश्विक प्रतिबद्धताओं में मुख्यधारा में लाने की सराहना की। उन्होंने कहा, “हमारी सदियों पुरानी भावना, हमारी सभ्यता का सार, हमारे भारत ने न केवल घरेलू शासन में स्थिरता को मुख्यधारा में लाया है बल्कि वैश्विक प्रतिबद्धताओं को भी आगे बढ़ाया है क्योंकि हम खुद को दुनिया से अलग नहीं मानते हैं। हम विश्व को एक परिवार मानते हुए कहते हैं- वसुधैव कुटुंबकम।”

उन्होंने कहा, “भारत ने वैश्विक प्रतिबद्धताओं में स्थिरता को मुख्यधारा में शामिल किया है। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, सीओपी 28 में ग्रीन क्रेडिट पहल और  लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) की क्रॉस कटिंग थीम- वो थीम जो सामाजिक विकास और विकास के लिए बेहद सफल विषय, महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभावों के साथ व्यक्तिगत स्तर पर व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करने वाले एक जन आंदोलन की कल्पना करता है।”

सतत विकास के लिए स्वच्छ ऊर्जा के महत्वपूर्ण महत्व पर प्रकाश डालते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, “स्वच्छ ऊर्जा सिर्फ एक अन्य विकल्प नहीं है; यह एकमात्र विकल्प है। इसके बिना, हमें अस्तित्व संबंधी चुनौती का सामना करना पड़ता है। कोई भी अन्य विकास तंत्र हमारे ग्रह को खतरे में डाल देगा।”

भारत के आर्थिक उत्थान के बारे में उन्होंने कहा, “फ्रैजाइल फाइव” अर्थव्यवस्थाओं में से एक का लेबल लगाए जाने के बाद, भारत पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है, जिसके 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान है। भारत की आर्थिक प्रगति इसके अनुरूप है सतत विकास; भावी पीढ़ियों के लिए एक गौरवपूर्ण विरासत सुनिश्चित करता है।”

कॉरपोरेट्स और सरकारों से अनुसंधान और विकास का समर्थन करने का आह्वान करते हुए, श्री धनखड़ ने जोर देकर कहा,“अनुसंधान और विकास किसी देश के उत्थान को परिभाषित करता है। सरकारों और कॉरपोरेट्स को अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अपनी जेब ढीली करनी चाहिए।”

“विज्ञान और अनुसंधान भारत के विकास को आगे बढ़ाने वाले नए रास्ते खोलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मैं सरकार और कॉरपोरेट क्षेत्र से अनुसंधान को प्राथमिकता पर रखने का आह्वान करता हूं। उन्होंने कहा, “अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने और विकसित करने में वित्त की अधिक से अधिक भागीदारी होनी चाहिए।”

प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग पर ध्यान आकर्षित करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा, “हम आपके प्राकृतिक संसाधनों की ट्रस्टीशिप में हैं! प्राकृतिक संसाधनों की खपत हमारी राजकोषीय शक्ति से तय नहीं हो सकती। हमें प्राकृतिक संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग और संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए। वे सीमित हैं, प्रकृति द्वारा दी गई हैं और किसी व्यक्ति के लाभ के लिए नहीं हैं। प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सभी के लिए समान रूप से किया जाना चाहिए और असमान रूप से उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

श्री धनखड़ ने जी20 शिखर सम्मेलन 2023 के दौरान वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के शुभारंभ के साथ देश की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक और व्यापक रूप से प्रशंसित विकास बताया, जिसमें भारत एक स्थायी ऊर्जा भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है, जिससे सतत विकास में योगदान मिलेगा और एक रहने योग्य ग्रह सुनिश्चित होगा। उन्होंने परिवहन क्षेत्र में जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति के साथ, 2070 तक कार्बन तटस्थता प्राप्त करने के भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को भी रेखांकित किया।

श्री धनखड़ ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने की ओर भी इशारा किया, एक ऐसा विकास जो कभी एक दूर का सपना था लेकिन अब एक वास्तविकता बन गया है। उन्होंने टिप्पणी की, इन प्रगतियों को अभूतपूर्व समर्थन मिल रहा है, जो एक सर्कुलर इकोनमी की व्यापक दृष्टि में योगदान दे रहा है।

“श्री धनखड़ ने युवाओं से खुद को ‘डी-साइलो’ करने और आज देश में उनके लिए उपलब्ध विभिन्न अवसरों का पूरा उपयोग करने का आह्वान किया। “सरकारी नौकरियों पर अनुचित ध्यान हमारे युवाओं पर भारी पड़ रहा है। यह चिंताजनक रूप से मोहक, आदत लगाने वाला है। हमारे युवा अद्भुत अवसर की संभावनाओं से बेपरवाह होकर साइलो में घुट रहे हैं। आईएमएफ की उस प्रशंसा को याद रखें कि भारत निवेश और अवसरों का पसंदीदा वैश्विक गंतव्य है। यह निश्चित रूप से सरकारी नौकरियों पर आधारित नहीं था।”

क्वांटम कंप्यूटिंग, 6जी जैसी अग्रणी प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में देश द्वारा की गई हालिया प्रगति को रेखांकित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि “अब समय आ गया है कि हम पश्चिम की ओर न देखें और इन क्षेत्रों में नवोन्मेषी बनें। इसे अन्य देशों को देने की स्थिति में है। यह जानना सुखद है कि विघटनकारी प्रौद्योगिकियों में, हमारा देश एकल-अंक वाले देशों में से है जो इस पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, हमारा क्वांटम कंप्यूटिंग मिशन, हमारा ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और 6जी तकनीक का व्यावसायिक दोहन कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां हम उन देशों की श्रेणी में हैं जो अग्रिम पंक्ति में हैं।

इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल गुरुमीत सिंह, उत्तराखंड के राज्यपाल डॉ. एच.एस.बिष्ट, निदेशक, सीएसआईआर-आईआईपी, छात्र और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूरे होने पर स्मारक डाक टिकट जारी किया

प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने आज भारत के सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित जिला न्यायाधीशों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान इस डाक टिकट का अनावरण किया गया।

इस कार्यक्रम में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉडीवाईचंद्रचूड़ केन्द्रीय विधि एवं न्याय तथा संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

यह स्मारक टिकटभारत की न्यायिक प्रणाली में सर्वोच्च न्यायालय के अमूल्य योगदान तथा राष्ट्र के कानूनी परिदृश्य को स्वरुप प्रदान करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका का प्रतीक है। 28 जनवरी1950 को स्थापित सर्वोच्च न्यायालय कानून के शासन को बनाए रखनेनागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने तथा पूरे देश में न्याय प्रशासन सुनिश्चित करने में अग्रणी रहा है।

संचार मंत्रालय के अंतर्गत डाक विभागयह स्मारक डाक टिकट जारी करते हुए गर्व का अनुभव कर रहा हैजो भारत के न्यायिक इतिहास में सर्वोच्च न्यायालय की स्थायी विरासत का प्रमाण है।

यह आयोजनभारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हैजिसके तहत देश में न्याय और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की प्रतिबद्धता के साढ़े सात दशकों का उत्सव मनाया जा रहा है।

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सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई) को नवरत्न का दर्जा प्राप्त हुआ

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई) को वित्त मंत्रालय द्वारा 30 अगस्त, 2024 को नवरत्न का दर्ज़ा प्राप्त हुआ।

अपने गठन के 13 वर्ष पूरे करने के बाद, एसईसीआई एक अग्रणी सीपीएस  है जो भारत में अक्षय ऊर्जा क्षमता के विकास और विस्तार के लिए समर्पित है, जिसकी संचयी उत्पादन क्षमता 69.25 जीडब्ल्यू है और वार्षिक बिजली व्यापार मात्रा 42 बिलियन यूनिट से अधिक है। एसईसीआई भारत की अग्रणी अक्षय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसी (आरईआईए) है जो जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने और सतत विकास के लिए प्रयासरत है।

कंपनी ने पिछले वर्ष की तुलना में 20.85% की वृद्धि दर्ज करते हुए 13,118.68 करोड़ रुपये का समेकित वार्षिक कारोबार और वित्तीय वर्ष 2023-24 में 34.89% की वृद्धि दर्ज करते हुए 510.92 करोड़ रुपये का कर-पश्चात लाभ (पीएटी) दर्ज किया है।

नवरत्न सीपीएसई के रूप में वर्गीकरण से एसईसीआई को वित्तीय और परिचालन मामलों में स्वायत्तता बढ़ाने में मदद मिलेगी और बेहतर चपलता, बेहतर भौगोलिक उपस्थिति और प्रौद्योगिकी फोकस के माध्यम से कंपनी के विकास पथ को गति मिलेगी। यह भारत के सतत ऊर्जा की ओर संक्रमण पर सरकार के फोकस का एक और संकेत है।

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जुलाई 2024 तक भारत सरकार के खातों की मासिक समीक्षा

जुलाई 2024 तक भारत सरकार के मासिक खातों को समेकित करके रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। इसके मुख्य बातें इस प्रकार हैं:

भारत सरकार को जुलाई, 2024 तक 10,23,406 करोड़ रुपये (कुल प्राप्तियों के संगत बजट अनुमान 2024-25 का 31.9 प्रतिशत) प्राप्त हुए हैं। इसमें से 7,15,224 करोड़ रुपये कर राजस्व (केंद्र को निवल राजस्व), 3,01,796 करोड़ रुपये गैर-कर राजस्व और 6,386 करोड़ गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियों के रूप में हासिल हुए हैं। इस अवधि तक करों के हिस्से के हस्तांतरण के रूप में भारत सरकार द्वारा राज्य सरकारों को 3,66,630 करोड़ रुपये अंतरित किए गए हैं, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 57,109 करोड़ रुपये अधिक हैं।

भारत सरकार द्वारा कुल 13,00,351 करोड़ रुपये (संबंधित बजट अनुमान 2024-25 का 27.0 प्रतिशत) का व्यय किया गया है, जिसमें से 10,39,091 करोड़ रुपये राजस्व खाते और 2,61,260 करोड़ रुपये पूंजी खाते में खर्च हुए। कुल राजस्व व्यय में से 3,27,887 करोड़ रुपये ब्याज भुगतान के लिए और 1,25,639 करोड़ रुपये प्रमुख सब्सिडियों के लिए खर्च किए गए।

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