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उत्तर प्रदेश में कड़क कानून को मिली मंजूरी, उपद्रव के आरोपियों की मौत के बाद घर वालों से होगी वसूली

UP में इस कड़क कानून को मिली मंजूरी, उपद्रव के आरोपियों की मौत के बाद घर वालों से होगी वसूली

राज्य सरकार ने क्षति वसूली अध्यादेश के तहत ऐसी व्यवस्था कर दी है कि सरकारी-निजी संपत्ति को नुकसान वाले की मुकदमे के दौरान अगर मौत भी हो जाती है तो वसूली उसके घर वालों से की जाएगी। नियमावली के मुताबिक कार्यवाही के दौरान किसी भी पक्षकार की अगर मौत हो जाती है तो वसूली का मुकदमा खत्म नहीं होगा। नागरिकता संशोधन कानून की आड़ में बीते दिनों पूरे उत्तर प्रदेश को उपद्रव की आग में झोंकने वालों और दंगा-आगजनी की साजिश को पर्दे के पीछे से अंजाम देने वाली देश विरोधी ताकतों के खिलाफ प्रदेश के कप्तान योगी आदित्यनाथ ने मोर्चा खोल दिया है। उत्तर प्रदेश में दंगाइयों द्वारा सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों से क्षतिपूर्ति वसूली के लिए नियमावली को मंजूरी दे दी है। कोरोना काल में यहां एक तरफ सीएम योगी स्वास्थकर्मी और अन्य कोरोना योद्धाओं के साथ सलीके से पेश आने की हिदायत देते नजर आ रहे हैं वहीं शांति भंग करने वालों के खिलाफ एक्शन मोड में भी नजर आ रही हैं। उत्तर प्रदेश में अब प्रदर्शन और बंद के दौरान उपद्रव कर सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना उनके जीवन की सबसे बड़ी भूल साबित होगा।

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कानपुर के 7 हॉट स्पॉट कल से ग्रीन जोन में

कानपुर के 7 हॉट स्पॉट कल से हो जाएंगे ग्रीन जोन में तब्दील।

इलाके में रहने वालों को मिल जाएगी घरो से निकलने की आजादी।

हॉट स्पॉट इलाको में तैनात पुलिस और पीएसी के अलावा स्वास्थ्य विभाग की टीम को वहाँ से हटा कर कही और किया जाएगा तैनात।

डीएम डॉ ब्रह्मदेव तिवारी ने दिए संबंधित अधिकारोयो को निर्देश ।

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भारत का अनुसंधान और विकास तथा वैज्ञानिक प्रकाशनों पर व्यय बढ़ा

अनुसंधान और विकास में भारत का सकल व्यय 2008 से 2018 के बीच बढ़कर तीन गुना हो गया है जो मुख्य रूप से सरकार द्वारा संचालित है और वैज्ञानिक प्रकाशनों ने देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष स्थानों में ला दिया है। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत आने वाले राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रबंधन सूचना (एनएसटीएमआईएस) द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी सर्वेक्षण 2018 पर आधारित अनुसंधान और विकास सांख्यिकी तथा संकेतक 2019-20 के अनुसार है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा, “राष्ट्र के लिए अनुसंधान और विकास संकेतकों पर रिपोर्ट उच्च शिक्षा, अनुसंधान और विकास गतिविधियों और  समर्थन, बौद्धिक संपदा और औद्योगिक प्रतिस्पर्धा में प्रमाण-आधारित नीति निर्धारण और नियोजन के लिए असाधारण रूप से महत्वपूर्ण दस्तावेज है। जबकि अनुसंधान और विकास के बुनियादी संकेतकों में पर्याप्त प्रगति देखना खुशी की बात है, जिसके तहत वैज्ञानिक प्रकाशनों में वैश्विक स्तर पर नेतृत्व शामिल है। कुछ ऐसे भी और क्षेत्र हैं जिन्हें मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता है।”

एनएसएफ डेटाबेस (आधारभूत आंकड़े) के अनुसार, रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रकाशन में वृद्धि के साथ, देश विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है तथा साथ ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी के पी.एचडी. में भी तीसरे नंबर पर आ गया है। 2000 के बाद प्रति मिलियन आबादी पर शोधकर्ताओं की संख्या दोगुनी हो गई है।

यह रिपोर्ट तालिका और ग्राफ़ के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी संकेतकों के विभिन्न इनपुट-आउटपुट के आधार पर देश के अनुसंधान और विकास परिदृश्य को दिखाता है। ये सरकारी और निजी क्षेत्र द्वारा राष्ट्रीय अनुसंधान और विकास में निवेश, अनुसंधान और विकास के निवेशों से संबंधित है; अर्थव्यवस्था के साथ अनुसंधान और विकास का संबंध (जीडीपी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नामांकन, अनुसंधान और विकास में लगा मानव श्रम, विज्ञान और प्रौद्योगिकी कर्मियों की संख्या, कागजात प्रकाशित, पेटेंट और उनकी अंतरराष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी तुलनाओं से जुड़ा हुआ है।

इस सर्वेक्षण में देशभर में फैले केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, उच्च शिक्षा, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग और निजी क्षेत्र के उद्योग से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों के 6800 से अधिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थाओं को शामिल किया गया और 90 प्रतिशत से अधिक प्रतिक्रिया दर प्राप्त कर लिया गया था।

रिपोर्ट के कुछ मुख्य निष्कर्ष निम्नलिखित हैं:

अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) में भारत का सकल व्यय वर्ष 2008 से 2018 के दौरान बढ़कर तीन गुना हो गया है

  • देश में अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) (जीईआरडी) पर सकल व्यय पिछले कुछ वर्षों से  लगातार बढ़ रहा है और यह वित्तीय वर्ष 2007-08 के 39,437.77 करोड़ रूपए से करीब तीन गुना बढ़कर वित्तीय वर्ष 2017-18 में 1,13,825.03 करोड़ रूपए हो गया है।
  • भारत का प्रति व्यक्ति अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) व्यय वित्तीय वर्ष 2017-18 में बढ़कर 47.2 डॉलर हो गया है जबकि यह वित्तीय वर्ष 2007-08 में 29.2 डॉलर पीपीपी ही था।
  • वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.7 प्रतिशत ही अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) पर व्यय किया, जबकि अन्य विकासशील ब्रिक्स देशों में शामिल ब्राजील ने 1.3 प्रतिशत, रूसी संघ ने 1.1 प्रतिशत, चीन ने 2.1 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका ने 0.8 प्रतिशत किया।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थाओं द्वारा बाहरी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी)का समर्थन काफी बढ़ गया है

  • वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान डीएसटी और डीबीटी जैसे दो प्रमुख विभागों ने देश में कुल बाहरी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) के समर्थन में क्रमश: 63 प्रतिशत और 14 प्रतिशत का योगदान दिया।
  • सरकार द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में लिए गए कई पहल के कारण बाहरी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) परियोजनाओं में महिलाओं की भागीदारी वित्तीय वर्ष 2000-01 के 13 प्रतिशत से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2016-17 में 24 प्रतिशत हो गया।
  • 1 अप्रैल 2018 तक देश में फैले अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) प्रतिष्ठानों में लगभग 5.52 लाख कर्मचारी कार्यरत थे।

वर्ष 2000 से प्रति मिलियन आबादी में शोधकर्ताओं की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है

  • भारत में प्रति मिलियन आबादी पर शोधकर्ताओं की संख्या बढ़कर वर्ष 2017 में 255 हो गया जबकि यही वर्ष 2015 में 218 और 2000 में 110 था।
  • वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान प्रति शोधकर्ता भारत का अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) व्यय 185 (‘000 पीपीपी डॉलर) $) था और यह रूसी संघ, इज़राइल, हंगरी, स्पेन और यूके (ब्रिटेन) से कहीं ज्यादा था।
  • भारत विज्ञान और अभियांत्रिकी (एस एंड ई) में पीएचडी प्राप्त करने वाले देशों में अमेरिका (2016 में 39,710) और चीन (2015 में 34,440) के बाद तीसरे स्थान पर आ गया है।

एनएसएफ डेटाबेस के अनुसार भारत वैज्ञानिक प्रकाशन वाले देशों की सूची में तीसरे स्थान पर आ गया है

  • वर्ष 2018 के दौरान, भारत को वैज्ञानिक प्रकाशन के क्षेत्र में एनएसएफ, एससीओपीयूस और एससीआई डेटाबेस के अनुसार क्रमश: तीसरा, पांचवें और नौवें स्थान पर रखा गया था।
  • वर्ष 2011-2016 के दौरान, एससीओपीयूस और एससीआई डेटाबेस के अनुसार भारत में वैज्ञानिक प्रकाशन की वृद्धि दर क्रमशः 8.4 प्रतिशत और 6.4 प्रतिशत थी, जबकि विश्व का औसत क्रमशः 1.9 प्रतिशत और 3.7 प्रतिशत था।
  • वैश्विक शोध प्रकाशन आउटपुट में भारत की हिस्सेदारी प्रकाशन डेटाबेस में भी दिखाई हे रही है।

विश्व में रेजिडेंट पेटेंट फाइलिंग गतिविधि के मामले में भारत 9 वें स्थान पर है

  • वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान भारत में कुल 47,854 पेटेंट दर्ज किए गए थे। जिसमें से, 15,550 (32 प्रतिशत) पेटेंट भारतीय द्वारा दायर किए गए थे।
  • भारत में दायर किए गए पेटेंट आवेदनों में मैकेनिकल (यांत्रिकी), केमिकल (रसायनिक), कंप्यूटर / इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन (संचार) जैसे विषयों का वर्चस्व रहा।
  • डब्ल्यूआईपीओ के अनुसार, भारत का पेटेंट कार्यालय विश्व के शीर्ष 10 पेटेंट दाखिल करने वाले कार्यालयों में 7 वें स्थान पर है

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लाला लाजपतराय कोविड 19 लैब में हो सकता है कोरोना विस्फोट

-कोरेन्टीन नही हुए तो 29 टेक्नीशियन के संक्रमित होने का खतरा

कोरोना संक्रमण की रोकथाम, बचाव के लिए केन्द्र व उत्तरप्रदेश सरकार,स्वास्थ्य विभाग ज़िला प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहे है कि इस महामारी को फैलने से रोका जाए।लेकिन कुछ लापरवाह ओहदेदार के तानाशाही रवैये के चलते कोविड19 लैब में भी कोरोना संक्रमण का ख़तरा है क्योंकि जो लैब टेक्नीशियन अभी तक कानपुर व आस पास के ज़िलों के संक्रमितों की कोरोना जाँच कर रहे हैं उन टेक्नीशियन को भी हो सकता है कोरोना।
अब अगर नियम की बात की जाए तो जो टेक्नीशियन टीम जाँच करती है उनको 15 दिन बाद कोरेन्टीन किया जाता है और दूसरी टीम को जाँच में लगना होता है।
कानपुर मेडिकल कॉलेज में बनी कोविड 19 लैब में 13 अप्रैल से जो टीम जाँच के लिए लगी है आज 5 मई तक वही टीम कर रही है कार्य।नियमानुसार उस टीम को अभी तक कोरेन्टीन नही किया गया,जबकि दूसरी टीम लैब मौजूद होते हुए भी क्या अस्पताल प्रसाशन इन टेक्नीशियन को कोरोना संक्रमित होने का इंतज़ार कर रहा है लापरवाही के चलते पूरे मेडिकल कॉलेज की होगी छवि धूमिल।जहाँ एक ओर प्रचार्या डॉ आरती लाल चंदानी कोरोना के विरूद्ध जंग में रात-दिन एक करे हुए है,वही दूसरी ओर कोविड19 लैब HOD अस्पताल प्रसाशन व प्रदेश सरकार की बदनामी करवाने में कोई कसर नही छोड़ रही।
अगर लैब में संक्रमण फैला तो कौन होगा ज़िम्मेदार यह प्रश्न विचारणीय है।

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रक्षा मंत्री ने सशस्त्र बलों की किसी आकस्मिक स्थिति से निपटने और कोविड – 19 से सम्बंधित तैयारियों की समीक्षा की

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज एक वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सभी चीफ कमांडरों के साथ किसी आकस्मिक स्थिति से निपटने की तैयारियों और कोविड – 19 के खिलाफ लडाई के उपायों की समीक्षा की।

कांफ्रेंस में रक्षा मंत्री के साथ चीफ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ तथा सैन्य मामलों के विभाग के सचिव जनरल बिपिन रावत, थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवाने , नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया, रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार और सचिव (रक्षा वित्त) श्रीमती गार्गी कौल ने भाग लिया।

रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में स्थानीय नागरिक प्रशासन को दी गई सहायता और कोविड – 19 से लड़ने की तैयारी के उपायों के लिए सशस्त्र बलों की भूमिका की सराहना की।

श्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों से अपेक्षा की कि वे किसी आकस्मिक स्थिति से निपटने की तैयारियों को सुनिश्चित करें, ऐसे समय में जब वे कोविड – 19  से जूझ रहे हैं। विरोधी को मौजूदा स्थिति का फायदा उठाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

उन्होंने कोविड – 19 के कारण आर्थिक बोझ के मद्देनजर वित्तीय संसाधनों को खर्च करने और अपव्यय को रोकने के उपाय करने के लिए बलों को निर्देश भी दिया।

सशस्त्र बलों की आपसी संयोजन की आवश्यकता पर जोर देते हुए  रक्षा मंत्री ने चीफ कमांडरों को उन कार्यों की पहचान करने और प्राथमिकता देने को कहा, जो लॉकडाउन हटने के बाद अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में मदद कर सकते हैं और जिन्हें कम समय में पूरा किया जा सकता है।

सम्मेलन के दौरान चीफ कमांडरों ने रक्षा मंत्री को सशस्त्र बलों में वायरस के संक्रमण को रोकने और स्थानीय नागरिक प्रशासन को दी जाने वाली सहायता के लिए किये गए विभिन्न उपायों से अवगत कराया। इनमें शामिल हैं – कोविड – 19 पर मानक संचालन प्रक्रिया, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा  अन्य एजेंसियों द्वारा जारी की गई सलाह के अनुसार प्रोटोकॉल और ड्रिल में किये गए संशोधन तथा सम्बंधित कमान क्षेत्रों में रहनेवाले पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों की देखभाल करना।

कमांडरों ने हाल ही में रक्षा मंत्रालय द्वारा आपातकालीन वित्तीय शक्तियों के हस्तांतरण की सराहना की और कहा कि इससे आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति की समय पर खरीद सुनिश्चित हुई है और अस्पतालों की अवसंरचना को मजबूत करने में सहायता मिली है। 

सशस्त्र बलों ने समग्र तरीके से कोविड – 19 के खिलाफ लडाई में समर्थन को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी स्वयं पर ली है। महामारी से निपटने हेतु अतिरिक्त श्रमबल की उपलब्धता के लिए लोगों को बुनियादी प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।

     कमांडरों ने जानकारी दी कि सशस्त्र बलों और स्थानीय नागरिक प्रशासन के उपयोग के लिए आइसोलेशन और क्वारंटाइन सुविधाएं स्थापित की गई हैं। उन्होंने नागरिक प्रशासन द्वारा अनुरोध किए जाने पर स्थानीय स्तर पर आवश्यक सेवाओं को बनाए रखने के लिए भी अपनी तत्परता व्यक्त की।

निम्नलिखित कमान के अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंस में भाग लिया: उत्तरी कमान, उधमपुर; पूर्वी कमान, कोलकाता; दक्षिणी नौसेना कमान, कोच्चि; पश्चिमी नौसेना कमान, मुंबई; दक्षिणी कमान, पुणे; दक्षिण-पश्चिमी कमान, जयपुर; पश्चिमी वायु कमान, दिल्ली; पूर्वी नौसेना कमान, विशाखापत्तनम; सेंट्रल एयर कमांड, इलाहाबाद; दक्षिण-पश्चिम वायु कमान, गांधीनगर; दक्षिणी वायु कमान, त्रिवेंद्रम; सेंट्रल कमांड, लखनऊ; और अंडमान और निकोबार कमान, पोर्ट ब्लेयर।

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डिस्चार्ज मरीजों में कोरोना वायरस फिर से उभरना महामारी के लिए एक बड़ी चुनौती है

हमारे लिए बहुत ही चिंता एवं चुनौति का विषय है की कोरोना वायरस  की वापसी  हो सकती  है । कई लेखों के रिसर्च करने क़े बाद यह तय पाया गया कि कोरोना फिर से एक समस्या बन सकती है । कुछ उदहारण है जिससे इस समस्या को बहुत ही गम्भीरता से लेना चाहिए कई अखबार दुनिया भर में बताते हैं कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद कोरोना  रोगियों के मामलों की संख्या बढ़ रही है बहुत से विशेषज्ञ कह रहे हैं कि convalescing मरीज़ों में कोविड – 19  के  पर्याप्त एंटीबॉडी न बनने की वजह से उनमें दुबारा   संक्रमण की आशंका है । इसका मतलब है कि यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि वायरस भी biphasic हो सकता   है । 

वर्ल्ड वाइड की रिपोर्ट बता रही है कि फरवरी, 21, 2020  , दक्षिण पश्चिमी चीनी शहर चेंगदू में एक डिस्चार्ज मरीज को डिस्चार्ज होने के 10 दिन बाद  दुबारा हस्पताल में भर्ती कराया गया, क्योंकी उसका फॉलोअप टेस्ट पॉजिटिव आया (रॉयटर्स में रिपोर्ट किया गया)। जर्नल ऑफ़  अमेरिकन एसोसिएशन  में स्टडी किया गया की जो ४  इन्फेक्टेड मेडिकल  पर्सन जिनका उपचार वुहान में हुआ था, वो दुबारा सक्रमित पाए गए   

सोंग टाई, दक्षिणी चीन ग्वांगडोंग प्रांत में स्थानीय रोग नियंत्रण केंद्र के उप निदेशक ने मीडिया को बताया कि प्रांत में 14% डिस्चार्ज रोगियों ने फिर से परीक्षण पॉजिटिव आया जिसकी वजह से वे दुबारा हस्पताल में भर्ती हुए। हालांकि सिडनी विश्वविद्यालय के एक विशेषज्ञ एडम kamradt ने   बताया की convalescing मरीज़ों में एंटीबाडीज बनते है जो की उनमे वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बनाते है । इसलिए पुन: संक्रमण की संभावना कम होती है। कुछ एक्सपर्ट्स ने एंटीबाडी डिपेंडेंट एनहांसमेंट  के बारे भी बताया है। वायरस के प्रति दुबारा एक्सपोज़र और रिस्की हो सकता है । शंघाई  में डेविड स्टैनवे, लंदन में केट केलैंड ने थॉमस रूटर ट्रस्ट प्रिंसिपल में बताया कि कोरोना वायरस की  सबसे जोखिम बात  यह है कि लोगों में इसके प्रति कोई प्रतिरक्षा नहीं है क्योंकि यह पूरी तरह से नया है । चीन में वैज्ञानिकों ने वायरस के जेनेटिक सीक्वेंस के १९ स्ट्रेन रिकॉर्ड किये है। चीन के महानिदेशक ने रोकथाम के रोग नियंत्रण के लिए जनरल सेंटर, गाओ फू ने कहा कि यह वायरस mutate करते हुए लोगों के बीच फैल रहा है। हम यह भी कह सकते हैं कि वायरस  के मल्टीप्ल स्ट्रेन है , इसका मतलब की शरीर में एक स्ट्रेन के लिए एंटीबाडीज बनता है तो दूसरे स्ट्रेन के लिए एंटीबाडी बनने में असमर्थ है, जो  बीमारी का कारण बनता है। Elane K.Howley ने 8 अप्रैल ,2020  को कहा था कि मनुष्यों में जन्मजात प्रतिरक्षा नहीं होती है। यह भी वास्तव में बहुत स्पष्ट नहीं है कि कोविड – 19  एक टिकाऊ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्रदान करने के लिए पर्याप्त एंटीबॉडी उत्पन्न करता है ।सुमित चंद्रा ,निदेशक और प्रोफेसर, सैन्फोर्ड बुमहम्स में इम्युनिटी पैथोजेनेसिस प्रोग्राम से जुड़े हैं । सुमित चंद्रा कहते हैं कि कई सवालों के जवाब दिए जाने हैं। कितने  समय  तक एंटीबाडीज शरीर को सुरक्षा प्रदान करेंगे ? क्या वायरस एंटीबॉडी की रक्षा से बचने के लिए mutate  करता है। शंघाई के एक प्रारंभिक अध्ययन से संकेत मिलता है कि  recovered  पेशेंट्स के खून की जांच करने पर एंटीबाडीज  नहीं पाए गए  है। फ़्लोरियन क्रामर जो की पीएचडी, वायरोलॉजिस्ट और वैक्सीनोलॉजिस्ट डिपार्टमेंट ऑफ़ माइक्रोबायोलॉजी , icahn  स्कूल ऑफ़ मेडिसिन , माउंट सिनाई इन न्यूयोर्क सिटी   ने ट्विटर पर कहा कि कई वायरस के आरएनए वायरल शेडिंग समाप्त होने के महीनों बाद पता लगता है जो की एक चिंता का विषय है ।कभी कभी फॉलो अप टेस्ट्स पॉजिटिव आते है कई नेगेटिव टेस्ट आने के बाद। यहां तक ​​कि न्यू इंगलैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन के शोध समाचारों से पता चलता है कि कुछ मरीज़ों में बुखार या रेडियोग्राफिक असामान्यताएं नहीं मिलती हैं जो वास्तव में निदान को जटिल बनाती हैं। इन सभी उपर्युक्त उदाहरणों को मानव जाति की चिंता के लिए ध्यान में रखा जाना चाहिए । श्वसन संक्रमण, डायारोहिया बीमारी, मूत्र पथ के संक्रमण, नेत्रश्लेष्मलाशोथ भी कोरोना वायरस के लक्षण हैं। यहां तक ​​कि मैं एक और बात साझा करना चाहती हूं जिसका मैंने एक लेख में अध्ययन किया है जिसमें पिरब्राइट इंस्टीट्यूट के डॉ  हेलेना मेयर का कहना है कि कोरोना वायरस का परिवार है जो मनुष्यों के  इलावा पशु  , सूअर, चिकन, कुत्ते, बिल्ली, जंगली जानवरों को भी संक्रमित कर सकता ह । आपके सामने इतने सारे उदाहरणों को उद्धृत करने का मेरा एकमात्र उद्देश्य इस वायरस के साइड इफेक्ट्स के बारे बताना है और अपने आपको कैसे बचाना है  बहुत सारे देश इस महामारी की  समस्या से पीड़ित हैं। इसकी तुलना में भारत  बहुत  सुरक्षित क्षेत्र में हैं। ईश्वर  की कृपा  और हमारे केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए उचित समय   पर  सही कदम उठाने से हम सब सुरक्षित है । मुझे लगता है कि उपरोक्त लेख   हमारी परिपूर्ण चिकित्सा इकाइयों की मदद करेगा और बहुत ही सतर्कता से ध्यान में रखते हुए,  सतर्कता बरतने के लिए मार्गदर्शन करेगा विशेष रूप से उन मरीज़ों की जो की कोविड – 19  से ग्रसित थे और अब ठीक हो गए है , तथा जो क्वारंटाइन में थे . समय समय पर उनकी सम्पूर्ण जाचे होनी अतयंत आवशयक है ।प्लाज्मा थेरेपी प्रक्रिया ने कोविड – 19  के उपचार की सफलता तभी हो सकती है जब स्वस्थ डोनर्स मिलेंगे. सिर्फ सोशल डिस्टैन्सिंग स्वक्षिता के साथ ही इस विनाशकारी  वायरस से बचने  का सबसे  सुरक्षित और आसान तरीका है। अपने आप को बचाएं और दूसरों को बचाएं। यह सबसे अच्छा तरीका है जिससे आप राष्ट्र की सेवा कर सकते हैं और एक सच्चे भारतीय बन सकते हैं। –

लेखिका डॉ. मीतकमल द्विवेदी , क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर में रसायन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं

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संपादक की कलम से:- कोरोना वारियर्स पे हमले कहीँ साजिश तो नहीँ

साजिश तो नहीं प्राण बचाने वालों पर ही प्राणघातक हमले। पूरे भारत में जिस तरह कोरोना फाइटर्स के ऊपर कुछ लोग गोलियों, तेजाब की बोतलों,ईंट- पत्थरों, लाठी-डंडों से जानलेवा हमला कर रहे हैं, बिना वस्त्र के सामने आ रहे हैं, अन्नपूर्णा का अपमान कर रहे हैं, कहीं यह कोई बड़ी साजिश का हिस्सा तो नहीं। यह लोग ऐसी स्थितियां पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना फाइटर्स अपना आपा खो कर इनके प्रश्न का उत्तर उस भाषा में दें जिसमें यह चाहते हैं। या फिर यह चंद लोग यह चाहते हो कि यह लोग धैर्य खोकर इनकी मदद करना बंद कर दें, जिससे यह राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जाकर यह कह सकें देखो हम लोगों के साथ अत्याचार हो रहा है। हमारे साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। कोरोना जैसी महामारी के दौरान भारतीय हमारा इलाज भी ठीक ढंग से नहीं कर रहे हैं। इलाज की बात करने पर हमारे साथ यहां अत्याचार होता है। टेलीविजन चैनलों पर डिबेट में जिस तरह की भाषा का यह उपयोग कर रहे हैं उससे इनके दो मकसद पूरे होते हैं जो हमें पूरे नहीं होने देने हैं।पहली इनके विचारों को सुनकर कोरोना फाइटर्स ही नहीं आम जनता नाराज होकर कोई ऐसी प्रतिक्रिया व्यक्त करें जिससे देश में स्थितियां बिगड़े दूसरी इनकी ना सुनने वाली बातें को सुनकर भी लोग शांत रहें, जिससे यह अपने लोगों से यह कह सकें इनसे और भी ज्यादा अभद्रता आक्रामकता के साथ पेश आओ। इनमें हिम्मत नहीं कि यह हमारा कुछ बिगाड़ सकें। कहीं ऐसा तो नहीं ऐसा करने के लिए हमारे देश के अंदर ही कुछ लोग अपने राजनैतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए इन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हों। यदि ऐसा हो रहा है तो यह अगर भी दुर्भाग्यपूर्ण है। इन विषम परिस्थितियों में हमारे कोरोना फाइटर्स के साथ-साथ शासन प्रशासन को भी बड़े धैर्य के साथ निर्णय लेते हुए मानसिक, शारीरिक रूप से बीमार लोगों के लिए काम करना है। इनके पर्दे के पीछे के आकाओ के जो मंसूबे हैं उन्हें कतई नहीं पूरे होने देना है। यह जो कर रहे हैं यह इनकी संस्कृति संस्कार हैं हमें अपने संस्कृति, संस्कारों के अनुसार कार्य करना है। मैं मानता हूं जो यह हरकतें कर रहे हैं कतई बर्दाश्त करने योग्य नहीं है, लोगों का आक्रोशित होना स्वाभाविक है।लेकिन फिर भी यह मानते हुए कि यह नादान है, नासमझ है इनके जीवन रक्षा के लिए जो भी संभव है वह हमें कार्य करने हैं। ऐसा करके इनके पर्दे के पीछे जो आका बैठे हैं जो अपने राजनीतिक फायदे के लिए भारत में अस्थिरता फैलाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं उनके विचारों, मंसूबों को हमें पूरा नहीं होने देना है। हां यह जो कोरोना फाइटर्स के साथ लगातार घटनाएं हो रही हैं उसकी गहन जांच होनी चाहिए, कहीं यह राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय साजिश तो नहीं।

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बॉम्बे टाइम्स फैशन वीक में डिजाइनर पल्लवी गोयल के लिए शो स्टॉपर बनीं डेज़ी शाह

डेज़ी शाह ने पहली बार बॉम्बे टाइम्स फैशन वीक में शोस्टॉपर के रूप में रैंप वॉक किया। दिवा ने एसपीजे साधना स्कूल के साथ मिलकर डिजाइनर पल्लवी गोयल के लिए शोस्टॉपर की भूमिका निभायी।

डेज़ी ने एक न्यूड बेज लहंगे में वन शोल्डर रफ़ल्ड ब्लाउज के साथ के साथ रैम्प पर एंट्री मारी। यह पहला मौका नहीं है जब डेज़ी को एक शो स्टॉपर के रूप में देखा गया है, इससे पहले उन्हें लक्मे फैशन वीक में अमित जीटी और कंचन मोर जैसे प्रसिद्ध डिजाइनरों के लिए सो स्टॉपर के रूप में रैम्प वॉक किया था।
चाहे वो गाउन हो, इंडो वेस्टर्न आउटफिट हो या ट्रेडिशनल लुक; हर बार रनवे पर चलने के दौरान उन्हें सभी की वाह वाही लूटने का मौका मिलता है। इस बार डेज़ी ने एक रॉयल ट्रेडिशनल ड्रेस को कैरी किया और बिल्कुल आश्चर्यजनक रूप से सबके सामने पेश हुई।
डेजी ने निश्चित रूप से बॉम्बे टाइम्स फैशन वीक में अपने बेहतरीन रैम्प वॉक से हमें प्रभावित किया। काम के फ्रंट पर बात करें तो, डेज़ी शाह की फिल्म ‘गुजरात 11’ जल्द ही 22 नवंबर को सिल्वर स्क्रीन पर नजर आएगी और उन्होंने अपनी आगामी फिल्म ‘टिप्सी’ की शूटिंग भी शुरू कर दी है जिसके लिए हम सभी बेहद उत्सुक हैं

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कोरोना वायरस के प्रति प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपनाए जाने वाले आहार के उपाय।

कोरोना वायरस के प्रति प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपनाए जाने वाले आहार के उपाय।
डॉ मीतकमल द्धिवेदी, एसोसिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ़ केमिस्ट्री, क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर l

CoVID-19 संक्रमण से बचने के लिए, अपने दैनिक आहार में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखकर प्रतिरक्षा को बढ़ाने की सलाह दी जाती है। दुनिया भर में प्रकाशित विभिन्न लेखों का विस्तृत अध्ययन बताता है कि जैतून का तेल मानव को इस विनाशकारी वायरस से बचा सकता है।जैतून के तेल में मोनोअनसैचुरेटेड वसा (OLEIC-acid- 73%), संतृप्त वसा (14%) एंटी ऑक्सीडेंट पॉलीअनसेचुरेटेड वसा (11%) जैसे ओमेगा -3 फैटी एसिड और ओमेगा 6 होते हैं ।यह विटामिन E और K के साथ एंटीऑक्सिडेंट का भी एक समृद्ध स्रोत है जो हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक हैं। एंटीऑक्सिडेंट हमारे रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रण में रखते हैं।अगर आप टाइप -2 डायबिटीज और मोटापे से पीड़ित हैं, तो जल्द से जल्द ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करना शुरू कर दें। वर्तमान स्थिति में CoVID-19 के लिए जैतून का तेल अच्छा उपाय है। भारतीय परिस्थितियों के संदर्भ में,जैतून के तेल के अलावा, कई अन्य तरीके हैं जिनसे हमें CoVID-19 संक्रमण के खतरे से दूर रखा जा सकता है।अदरक, काली मिर्च और मूल शहद के मेल से बनी चाय इसके लिए प्राकृतिक घरेलू उपचार है।नारियल का तेल और इसके डेरिवेटिव इस वायरस के खिलाफ बहुत प्रभावी हैं। शुद्ध कोल्ड-प्रेस्ड नारियल के तेल या कच्चे नारियल के तेल में पकाया गया भोजन एंटीवायरल की तरह काम कर सकता है। इसमें मौजूद लौरिक एसिड और कैप्रेट्रिक एसिड वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने और वायरस के कवर को भी विघटित करने के लिए आवश्यक हैं।मूंगफली, पिस्ता, अंगूर, ब्लूबेरी, क्रैनबेरी, स्ट्रॉबेरी और यहां तक ​​कि कोको और डार्क चॉकलेट जैसे खाद्य पदार्थ फंगल संक्रमण, पराबैंगनी विकिरण, तनाव और चोट से लड़ने में मददगार होते हैं।प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए विटामिन-सी सप्लीमेंट भी उपयोगी है। विटामिन- सी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे आंवला, लाल मिर्च, पीली मिर्च और विटामिन सी की खुराक से संक्रमण की गंभीरता कम हो जाती है। एंटी-वायरल जड़ी-बूटियाँ जैसे अजवायन, तुलसी, लहसुन, अदरक, सौंफ़, सूखे थाइम, इचिनेशिया, लीकोरिस आदि क्योंकि इनके औषधीय गुण हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के लिए बहुत अच्छे हैं और इन्हें चाय में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह Mucous(श्लेष्म) समस्याओं सहित respiratory(श्वसन) स्वास्थ्य, जो वायरल संक्रमण से आप को सुरक्षित रख सकते हैं। अजवायन अपनी प्रभावशाली औषधीय गुणवत्ता के लिए एक बहुत लोकप्रिय जड़ी बूटी है। यह कई वायरस के खिलाफ एंटीवायरल गतिविधि को बाहर कर सकती है।पवित्र तुलसी प्रतिरक्षा को बढ़ाती है जो वायरल संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकती है। लहसुन एक एंटी-वायरल फूड है। इसके गुणों का लाभ उठाने के लिए इसे कच्चा खाया जाना चाहिए। यदि आप इसे पकाने जा रहे हैं, तो इसे आधे घंटे पहले काट लें, ताकि इसके सक्रिय सिद्धांत और एंजाइम बरकरार हैं और खाना पकाने के बाद इसके कई गुणों को बरकरार रखi हैं। अदरक एंटी-वायरल गुण होते हैं, जो वायरस की प्रतिकृति को बाधित करते हैं और स्वस्थ कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं। आप सूखी अर्क गोलियाँ ले सकते हैं या ताजा अदरक स्लाइस के साथ तैयार कर सकते हैं। Salvia officinalis(तेजपत्ता) एक सुगंधित पौधा है जो परंपरागत रूप से वायरल संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल किया गया है। खांसी को कम करने के लिए थाइम हर्ब बहुत उपयोगी है। प्राकृतिक जड़ी बूटियों के अलावा ,विटामिन डी प्रतिरक्षा प्रणाली को उचित स्तर पर रखता है ,क्योंकि यह हमारे शरीर को कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है। इसका स्तर भी प्रतिरक्षा के लिए बनाए रखा जाना चाहिए। जिंक और सेलेनियम जैसे खनिजों को शामिल किया जाना चाहिए। वे बादाम, कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज, अनसाल्टेड काजू और अनसाल्टेड पिस्ता में पाए जाते हैं। इन सभी आहार परिवर्तनों के अलावा, 30 मिनट के मध्यम शारीरिक व्यायाम , अच्छी सौम्य उचित नींद हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढाती है। निष्कर्ष के अनुसार, CoVID-19 वायरस मानव के लिए एक विनाशकारी आपदा है क्योंकि इसे केवल सोशल डिस्टैन्सिंग से ठीक किया जा सकता है। मानव जाति को बचाने के लिए बीमारी के लिए वैक्सीन का आविष्कार करने का प्रयास किया जा रहा है । इसलिए, संक्रमण से दूर रखने के लिए उपरोक्त कुछ एहतियाती उपाय करके मानव जीवन को बचाया जा सकता है।

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भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है कोरोना चैन को कण्ट्रोल करना

लगभग 17.15 लाख लोग 150 से ज़्यादा देशों में कोरोना से संक्रमित हैं |

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इस आईडिया की जानकारी देने वाले कुमार तुषार श्रीवास्तव ” ऍम.टेक, एल एल बी ”

मेजर प्रोब्लेम्स: १) लोग गवर्नमेंट के आइसोलेशन/क्वारंटाइन आदेश को पालन नहीं कर रहे हैं २) संक्रमित व्यक्ति के द्वारा गए स्थान का पता पेशेंट से पूछकर ही चल पता है जो की वो भूल भी सकता है या और उसके रिश्तेदार और दोस्त न फसे तो नहीं भी बताता है ३) शुरुआत में कोई लक्षण संक्रमित व्यक्ति में नहीं दिखते ४) अभी डॉक्टर्स मैन्युअली स्क्रीनिंग करते हैं पेशेंट्स की जिससे उनको भी इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है ५) कोविड-१९ की टेस्टिंग सुविधाएं काफी कम हैं ६) इंडिया की अर्थव्यवस्था भी काफी ज़ादा प्रभावित हुई है 

कोरोना से सम्बंधित प्रोब्लेम्स एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे के रिंग से हल हो सकती है | इस इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के सेंसर्स से मिली जानकारी कोरोना की चैन ब्रेक में बहुत ही सहायक हो सकती है| इस इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के सेंसर्स किसी भी व्यक्ति के लक्षण जैसे बुखार, खांसी, सांस से सम्बंधित विषय को २४×७ ऑटोमेटिकली आकलन करके साथ ही इंटरनेट से हॉस्पिटल्स के कम्प्यूटर्स पर ऑटोमेटिकली भेज सकता है | जैसे ही किसी भी व्यक्ति के पैरामीटर्स इंडीकेट करेंगे की पेशेंट का बुखार, खांसी आदि उसी दिशा में हैं जो कोरोना के होते हैं गवर्नमेंट व्यक्ति को उसकी लोकेशन से तत्काल पिकअप कर सकते हैं जिससे कोरोना को आगे फैलने से रोका जाएगा | जिन पेशेंट्स के सभी पैरामीटर्स असामान्य नहीं हैं वो कोरोना पेशेंट नहीं है एंड उसका नार्मल ट्रीटमेंट ही ज़रूरी है | लगातार पेशेंट की जानकारी से डॉक्टर्स को भी पेशेंट हिस्ट्री का पता चलता रहेगा एंड ट्रीटमेंट में मदद होगी। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से पेशेंट की लोकेशन हर टाइम मिलती रहेगी जिससे कुछ लोग जो आइसोलेशन/क्वारंटाइन में रहने की जगह बहार निकल रहे हैं या भाग रहे हैं, ऑटोमेटिकली गवर्नमेंट को तुरंत ही उनकी लोकेशन इनफार्मेशन (ईमेल, व्हाट्सप्प, SMS के द्वारा) मिल जाएगी | पेशेंट कहाँ और कितनी देर रहा, ये भी पता चल जायेगा |  

डॉक्टर और अन्य कर्मचारी जो इसे पहनते हैं, सरकार कॉन्टेक्टलेस अटेंडेंस के रिकॉर्ड के लिए भी इसका उपयोग कर सकती है | आपको जानकारी के लिए बताना चाहेंगे, यह भी सरकार की महत्वपूर्ण समस्या में से एक है।

गवर्नमेंट के आइसोलेशन/क्वारंटाइन आदेश को न पालन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी गवर्नमेंट ले सकती है | जैसे अभी दिल्ली से काफी लोग देश के अलग अलग जगह चले गए एंड गवर्नमेंट को निगरानी करने में इतना श्रम डालना पड़ रहा है वो समस्या भी हल हो जाएगी | ये इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लोगों को आसपास के कोरोना ट्रीटमेंट के लिए हॉस्पिटल्स की जानकारी भी देगी साथ ही सेल्फ-आइसोलेशन में रहने, खुद से अपना ट्रीटमेंट न करने, जैसे कई इंस्ट्रक्शंस भी देगी | 

“मेक इन इंडिया” के अंडर काफी कम्पनीज या और दूसरी मल्टीनेशनल कम्पनीज भी इसका भारी मात्रा में उत्पादन कर सकती हैं| ये इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस इंडिया के बाद बहार की देशों में भी भेजी जा सकती हैं जिससे इंडिया अच्छा मुद्रा लाभ ले सकती है| इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस न सिर्फ कोविड-१९ से बचाएगी बल्कि मोदी गवर्नमेंट के “मेक इन इंडिया” मिशन को भी ज़बरदस्त बढ़ावा दे सकती है|जानकारी के लिए बता दें की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस कोई भी आकर में डिज़ाइन हो सकती है जैसे की अंगूठी, हार,  बैंड आदि| भारत में इससे सम्बंधित पेटेंट भी लीगल प्रोटेक्शन के लिए फाइल किया जा चूका है|

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