कानपुर 15 अक्टूबर, प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कानपुर नगर श्रद्धा त्रिपाठी ने बताया है कि भारत की आजादी के 75 वीं सालगिरह के उपलक्ष्य में विधि एवं न्याय मंत्रालय भारत सरकार व राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम प्रत्येक जिला स्तर पर दिनांक 02 अक्टूबर, 2021 से 14 नवम्बर, 2021 तक मनाने हेतु दिशा-निर्देश दिये गये हैं। माननीय जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कानपुर नगर के निर्देशन पर आज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कानपुर नगर एवं एन्टी क्राइम ब्यूरो (रजि0) के संयुक्त तत्वाधान में वाहनों द्वारा कानपुर नगर के क्षेत्र रोशन नगर, मसवानपुर, रावतपुर, कल्यानपुर, काकादेव, गीतानगर, नमक फैक्ट्री, छपेड़ा पुलिया, विजय नगर, शास्त्री नगर पाण्डू नगर, लाजपत नगर, गुमटी, फजलगंज, जरीब चौकी, आर्य नगर, स्वरूप नगर, मोतीझील, तिलक नगर, ग्वालटोली, बिरहाना रोड, भूसा टोली, झाड़ी बाबा का पड़ाव, ईदगाह क्षेत्र में भ्रमण कर आम जनमानस को पैम्पलेट्स वितरित कर विधिक जानकारी दी गयी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पैनल अधिवक्ता द्वारा बिरहाना रोड, फीलखाना, कैनाल रोड, हरबंश मोहाल, जनरलगंज, एक्सप्रेस रोड, रोटी गोदाम तथा आंगनबाड़ी कार्यकत्री आशा बहुओं द्वारा ग्रामीण स्तर पर आम जनमानस को विधिक सेवा से सम्बन्धित पैम्पलेट्स बांटकर जागरुक किया गया।
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कानपुर
आजादी के 75 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मा0 जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशन में जिला कारागार, कानपुर नगर में हेडक्वार्टर स्तर पर विधिक जागरुकता शिविर आयोजित
कानपुर 13 अक्टूबर, (सू0वि0) प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कानपुर नगर, श्रद्धा त्रिपाठी ने बताया है कि भारत की आजादी के 75 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मा0 जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशन में आज जिला कारागार, कानपुर नगर में हेडक्वार्टर स्तर पर विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा उपस्थित बन्दियों को विधिक जानकारी से अवगत कराया गया।
उन्होंने बताया है कि पराविधिक स्वयं सेवकगण द्वारा भी आज चावल मण्डी, पनकी पावर प्लान्ट में मजदूरों को, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सरसौल, कर्नलगंज, कुरियाना, चुटियाना, बजरिया, मसवानपुर एवं दलेलपुरवा में विधिक सेवा गतिविधियों से आम जनमानस को जागरुक किया गया व मौके पर ही विधिक जानकारी से संबंधित पम्फलेट बॉटे गये।
श्रद्धा त्रिपाठी ने यह भी बताया है कि कल 14 अक्टूबर को शासकीय अधिकारियों, आशा कार्यकत्री, आगंनवाडी व क्षेत्रीय ग्राम प्रधान के सहयोग से सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर जाकर उत्तर प्रदेश शासन की जनहित में संचालित विभिन्न योजनाओं से अवगत कराया जायेगा एवं पम्फलेट वितरित कर अधिक से अधिक लोगों को विधिक जानकारी दी जायेगी ताकि वे जानकारी हासिल कर लाभ उठा सके।
उल्लेखनीय है कि भारत की आजादी के 75 वीं सालगिरह के उपलक्ष्य में विधि एवं न्याय मंत्रालय भारत सरकार व राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम प्रत्येक जिला स्तर पर 02 अक्टूबर, 2021 से 14 नवम्बर, 2021 तक मनाने हेतु दिशा निर्देश दिये गये है।
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निर्वाचन क्षेत्र के लिये विनिर्दिष्ट मतदान स्थलों की मतदान क्षेत्रों या मतदाता समूहों की व्यवस्था
कानपुर, 13 अक्टूबर, (सू0वि0) जिला निर्वाचन अधिकारी विशाख जी. ने बताया है लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा -25 के उपबन्धों के अनुसरण में भारत निर्वाचन आयोग के पूर्व अनुमोदन से संसदीय निर्वाचन क्षेत्र 32- मिश्रिख (अ0जा0) में समाविष्ट 209-बिल्हौर (अ0जा0), विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, संसदीय निर्वाचन क्षेत्र 43–कानपुर में समाविष्ट 212–गोविन्द नगर, 213-सीसामऊ, 214-आर्यनगर, 215-किदवई नगर एवं 216-कानपुर कैन्टोनमेंट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र तथा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र 44-अकबरपुर में समाविष्ट 210-बिठूर, 211-कल्यानपुर, 217-महराजपुर एवं 218-घाटमपुर (अ0जा0) विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिये विनिर्दिष्ट मतदान स्थलों की उनमें से प्रत्येक के समक्ष लिखे हुये मतदान क्षेत्रों या मतदाता समूहों के लिये व्यवस्था की जाती है।
Read More »वर्षा, भू-जल संरक्षण की ‘‘खेत के ऊपर मेड़, मेड़ के ऊपर पेड़‘‘ विधि, मेड़बन्दी अपनाने से बढ़ रहा है भू-जल स्तर
कानपुर 12 अक्टूबर, (सूचना विभाग) भारतीय संस्कृति में पुरखों की सबसे पुरानी भू-जल संरक्षण विधि ’खेत के ऊपर मेड़, मेड़ के ऊपर पेड़’ वर्षा बूंदे जहॉ गिरे, वहीं रोंके। जिस खेत में जितना पानी होगा, खेत उतना अधिक उपजाऊ होगा। मानव जीवन की सभी आवश्यकताएं जल पर निर्भर है तभी तो जल ही जीवन कहा गया है। मनुष्य को जब से भोजन की आवश्यकता पड़ी होगी हमारे पुरखों ने भोजन का आविष्कार किया होगा। एक स्थान पर फसल उगाया गया होगा, फसलें पैदा की गई होगी। जमीन समतल कर खेती योग्य बनाया गया होगा। खाद्यान्न पैदा करने के लिए खेत का निर्माण तय हुआ होगा, तभी से मेड़बन्दी जैसी जल संरक्षण की विधि का आविष्कार हुआ होगा। यह हमारे देश के पुरखों की विधि है जिनसे खेत खलिहान का जन्म हुआ है। जिन्होंने जल संरक्षण की परम्परागत प्रमाणित सरल सर्वमान्य मेड़बन्दी विधि का आविष्कार किया है।
मेड़बन्दी से खेत में वर्षा का जल रूकता है, और भू-जल संचय होता है। इससे भू-जल स्तर बढ़ता है और गॉव की फसलों का जलभराव के कारण होने वाले नुकसान से बचाता है। भूमि के कटाव के कारण मृदा के पोषक तत्व खेत में ही बने रहते है, जो पैदावार के लिए आवश्यक है। नमी संरक्षण के कारण फसल सड़ने से खेत को परम्परागत जैविक खाद की ऊर्जा प्राप्त होती है। मेड़बन्दी से एक ओर जहॉ भूमि को खराब होने से बचाव होता है वहीं पशुओं को मेड़ पर शुद्ध चारा, भोजन प्राप्त होता है। इसे मेड़बन्दी, चकबन्दी, घेराबन्दी, हदबन्दी, छोटी मेड़बन्दी, बड़ी मेड़बन्दी तिरछी मेड़बन्दी सुविधानुसार जैसे अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। धान, गेहूॅ की फसल तो केवल मेड़बन्दी से रूके जल से ही होती है। हमारे देश के पूर्वज जल रोकने के लिए खेत के ऊपर मेड़, मेड़ के ऊपर फलदार, छायादार औषधीय पेड़ लगाते थे। जिसकी छाया खेत में फसल पर कम पड़े जैसे बेल, सहजन, सागौन, करौंदा, अमरूद, नीबू, बेर, कटहल, शरीफा के पेड़ लगाये जा सकते हैं। यह पेड़ इमारती लकड़ी आयुर्वेदिक औषधियों, फलों के साथ अतिरिक्त आय भी देती है। इन पेड़ों की छाया खेत में कम पड़ती है। इनके पत्तों से खेत को जैविक खाद मिलती है, पर्यावरण शुद्ध रहता है। मेड़ के ऊपर हमारे पुरखे अरहर, मूंग, उर्द, अलसी, सरसों, ज्वार, सन जैसी फसलें पैदा करते रहे हैं जिन्हें पानी कम चाहिए। जमीन सतह से ऊपर हो, मेड़ से अतिरिक्त उपज की फसल ले सकते हैं। मेड़बन्दी से उसर भूमि को उपजाऊ बनाया जा रहा है। जहॉ-जहॉ जल संकट है उसका एकमात्र उपाय है वर्षा जल को अधिक से अधिक खेत में मेड़बन्दी के माध्यम से रोकना चाहिए।
मेड़बन्दी के माध्यम से खेत में वर्षा जल रोकने के लिए देश के मा0 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश भर के प्रधानों को पत्र लिख मेड़बन्दी कर खेत में वर्षा बूंदों को रोकने की अपील की है। प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि परम्परागत विधियों से भू-जल संरक्षण करें। जिससे हमारी भूजल सम्पदा बनी रहे। हमारे देश में बड़ी संख्या में तालाब, कुओं, निजी ट्यूबबेल के सिंचाई साधन होने के बावजूद भी कई हजारों हेक्टे0 भूमि की खेती वर्षा जल पर निर्भर है। वर्षा तो हर गॉव में होती है, वर्षा के भरोसे खेती होती है। खासकर बुन्देलखण्ड के इलाके में पहाड़ी, पठारी क्षेत्र के खेतों में मेड़बन्दी के माध्यम से जल रोककर उपजाऊ बनाया जा सकता है। किसान ड्रिप पद्धति, टपक पद्धति, फुहारा पद्धति किसी भी पद्धति से फसल की सिंचाई करें पानी तो सभी विधि को चाहिए। इसलिए जल संरक्षण जरूरी है।
सामुदायिक आधार पर जल संरक्षण की प्राचीन परम्परा हमारे देश में रही है, सिंचाई के दो ही साधन है या तो भू-जल या वर्षा जल। भू में जब जल होगा, तभी नवीन संसाधन चलेंगे। आज भूमिगत जल पर जबरदस्त दबाव है। भू-जल नीचे चला जा रहा है। इसलिए भूजल का संरक्षण मेंडबन्दी से किया जाय। समस्त सभ्यताएं जल पर निर्भर है, हम बादलों पर निर्भर हैं बादल चाहें तो बरसें या न बरसें। यदि वर्षा बूंदों को पकड़ना है तो मेड़बन्दी जरूरी है यह कोई बड़ी तकनीक नहीं है। चौड़ी ऊॅची मेड़ अपनी मेहनत और श्रम से खेत में बनाई जा सकती है। जिससे फसल की अच्छी पैदावार हो और भूजल स्तर भी बढ़े।
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बात बराबरी की
मैंने कहीं सुना था कि महिलाओं का नौकरी करना मतलब आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना है मतलब कि उन्हें अपने पति के आगे हाथ ना फैलाना पड़े। तो इसमें गलत क्या है अगर महिला आर्थिक रूप से मजबूत हो रही है तो लाभ भी तो परिवार को ही मिल रहा है बल्कि स्त्री को परिवार का ज्यादा भार उठाना पड़ता है। बच्चों से लेकर घर के बड़े बुजुर्गों और घर की जरूरतों तक का ध्यान रखने की जिम्मेदारी महिला पर ज्यादा होती है। नौकरी से लौटकर जहाँ पति अखबार या टीवी में बिजी हो जाता है वहीं स्त्री को रसोई संभालनी पड़ती है। ऐसा नहीं कहूंगी कि आजकल इस मानसिकता में बदलाव नहीं आया है। यह बदलाव जरूर आया है कि आज की युवा पीढ़ी घर और बच्चे दोनों संभाल रही है। जरूरत ने उन्हें घरेलू बना दिया है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति परिवार का दुर्लक्ष होते नहीं देख सकता इसलिए समझौता जरूरी है। फिर भी अभी भी ऐसी मानसिकता देखने को मिल जाती है कि महिला पुरुष पर निर्भर करें। कितना अच्छा लगता है जब औरत सौ रुपए मांगे और उस सौ रुपए के खर्च का हिसाब देना पड़े। कुछ भी खर्च करना हो तो पहले हिसाब और जरूरत बताएं फिर तय होगा कि उसे खर्च करना है या नहीं। अच्छा लगता है ऐसा स्वामित्व भरा दंभ?
यह सही है कि महिला का आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो जाने के बाद उसकी निर्भरता पुरुष पर कम हो जाती है बल्कि एक तरीके से खत्म हो जाती है। उसमें एक आत्मविश्वास आ जाता है। परिवार की जिम्मेदारी निभाने के साथ – साथ सही गलत का फर्क समझ कर कोई बात दबी जबान से ना कह कर सीधे बोलना भी सीख जाती है। फिर भी आज भले ही महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो गई हों लेकिन आज भी खर्चे के मामले में वह परिवार के मुखिया पर ही निर्भर हैं। कहीं कहीं महिलाएं घरेलू हिंसा का भी शिकार हो जाती हैं। अभी भी आत्मनिर्भरता सिर्फ नाम की है क्योंकि स्त्री का पूरी तन्ख्वाह पति के हाथों में चली जाती है। जब आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होते हुए भी उन्हें अपनी जरूरतों, खर्चों के लिए अनुमति मांगने पड़े तब स्थिति बड़ी विषाद हो जाती है। मन में यही सवाल उठता है कि क्या इतना भी अधिकार नहीं है कि हम अपने ऊपर खर्च कर सके? उसके लिए भी पूछना पड़े? क्या कभी देखा है कि पुरुष को अपने खर्चों के लिए, अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए स्त्री से अनुमति मांगते हुये? इन तमाम दुविधाओं के साथ जीती हुई महिला अपनी जिम्मेदारियां निभाते रहती है। अगर इतनी ही संकुचित मानसिकता रहेगी पुरुषों की तो स्त्री घर और बाहर की जिम्मेदारी कैसे संभाल पायेगी? ऐसी संकुचित सोच रख कर क्या महिलाएं सही मायने में आत्मनिर्भर हो पाएंगी? हमने महिला को आधुनिक तो बना दिया लेकिन बराबर का हक और सम्मान देने में असफल रहे। ~ प्रियंका वर्मा माहेश्वरी
Read More »शक्ति कानपुर प्रांत , राष्ट्रीय सेवा योजना क्राइस्टचर्च कॉलेज एवं उन्नति विकास सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में सामाजिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का आयोजन
कानपुर 5 अक्टूबर, शक्ति कानपुर प्रांत , राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई क्राइस्टचर्च कॉलेज एवं उन्नति विकास सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में सामाजिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का आयोजन शेल्टर होम,सुतर खाना ,सेवा बस्ती में किया गया, जिसमें सेवा बस्ती की महिलाओ को मानसिक बीमारियां कैसे होती है तथा इसका निवारण कैसे किया जा सकता है एवं महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन वितरण बगैरा किया जाना निश्चित किया गया है इस कार्यक्रम में उर्सला डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल से डॉक्टर चिरंजीव प्रसाद मनोचिकित्सक, डॉ आरती कुशवाह, संदीप कुमार सिंह मनोचिकित्सक एवं सामाजिक कार्यकर्ता, सुधांशु प्रकाश मिश्रा क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, पवन यादव अरुण यादव राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम, अवधेश कुमार परामर्श दाता , राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम बंदना यादव सामाजिक कार्यकर्ता , डॉक्टर एसके निगम डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर एनसीडी, डॉ सुनीता वर्मा यूनिट इंचार्ज शक्ति कानपुर प्रांत , एवं उन्नति विकास सेवा संस्थान की सचिव एवं शक्ति कानपुर प्रांत की मीडिया प्रभारी संध्या सिंह
और कानपूर शक्ति की माननीय मेंबर डॉ दीप्ति रंजन बिसरी ,डॉ शशि बाला, प्रतिभा मिसरा आदि उपस्थित रहेगी
Read More »आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत 02 अक्टूबर से 14 नवम्बर, तक विभिन्न विधिक साक्षरता कार्यक्रम आयोजित होगा
कानपुर 01 अक्टूबर, (सू0वि0), प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण/सिविल जज सी0डि0, श्रद्वा त्रिपाठी ने बताया है कि उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के क्रम में आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत *दिनांक- 02 अक्टूबर,2021 से दिनांक 14 नवम्बर, 2021 तक विभिन्न विधिक साक्षरता कार्यक्रम* आयोजित किया जाना है, जिसका उद्घाटन समारोह दिनांक- 02 अक्टूबर 2021 को माननीय राष्ट्रपति महोदय द्वारा विज्ञान भवन नई दिल्ली में किया जाएगा। जिसका सजीव प्रसारण जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कानपुर नगर द्वारा इलेक्ट्रानिक माध्यम से जनपद में कराये जाने के निर्देश है तथा मा0 राष्ट्रपति महोदय द्वारा शुभारम्भ के पश्चात् जिले में भी उक्त कार्यक्रम का शुभारम्भ का आयोजन किया जाएगा। जिले स्तर पर उक्त कार्यक्रम का उद्घाटन मा0 जनपद न्यायाधीश /अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कानपुर नगर द्वारा किया जायेगा।
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जनपद न्यायाधीश जिला न्यायालय कोर्ट परिसर से हरी झंण्डी दिखाकर प्रभात फेरी रैली को रवाना करेंगे
कानपुर 01 अक्टूबर, माननीय जनपद न्यायाधीश कानपुर नगर स्वतंत्रता के 75वें वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अन्तर्गत कल दिनांक 02 अक्टूबर, 2021 को प्रातः 7ः30 बजे जिला न्यायालय कोर्ट परिसर से हरी झंण्डी दिखाकर प्रभात फेरी रैली को रवाना करेंगे।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा 02 अक्टूबर से 14 नवम्बर, 2021 तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कराने के निर्देश दिये गये हैं। 02 अक्टूबर से 14 नवम्बर, 2021 तक लोगों को विधिक सहायता प्राप्त करने हेतु एवं समाज के वंचित वर्ग तक शासन की योजनाओं को भी पहंुचाने व जानकारी उपलब्ध करायी जायेगी।
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क्राइस्ट चर्च कॉलेज और विज्ञान भारती के सयुक्त तत्वाधान में वेबीनार आयोजित
कानपुर 29 सितंबर क्राइस्ट चर्च कॉलेज के साथ विज्ञान भारती के सहयोग से एक वेबीनार का सफलता पूर्वक आयोजना हुआ जिसके मुख्य अतिथि जाने माने अभिनेता अखिलेंद्र मिश्रा जी रहे। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ श्वेता चांद द्वारा प्रार्थना से हुई। फिर क्राइस्ट चर्च कॉलेज प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल ने इस कार्यकर्म में सभी प्रतिभागियों का स्वागत कर इस वेबिनार को उपयोगी बताया , विज्ञान भारती सचिव डॉ सुनील मिश्र ने विज्ञान भारती मंच से अवगत कराया , अनुकृति रंगमंडल के सचिव डॉ उमेंद्र जी द्वारा सभा का संबोधन किया गया । नमन अग्रवाल एवं इश्तिका कुशवाहा द्वारा अखिलेंद्र मिश्रा के जीवन पर आधारित एक वीडियो प्रस्तुति दी गई। डॉ मीत कमल ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया। अखिलेंद्र मिश्र द्वारा सभा का संबोधन किया गया। उन्होंने बताया की “विश्व में दो मंथन हुए थे प्रथम समुद्र मंथन व दूसरा स्वत्रंता मंथन। जिसमे स्वतंत्रता सेनानियों ने विष का सेवन किया था तभी जा कर हमे ७५ वा आज़ादी का अमृत महोत्सव को मनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
वेदांत मिश्रा द्वारा कार्यक्रम का सफल संचालन किया गया । इस कार्यक्रम का समापन श्री अभय द्वारा शांति मंत्र से किया गया । इस कार्यक्रम में 100 से भी अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
वर्तमान सरकार के कार्यकाल में गन्ना किसानों की आय में हुई उत्तरोत्तर वृद्धि
कानपुर 29 सितंबर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार प्रदेश के गन्ना किसानों के साथ-साथ अन्य किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। गन्ना किसानों को प्रदेश सरकार हर स्तर पर सहायता कर रही है। गन्ना किसानों की आय में वृद्धि के लिए प्रदेश सरकार ने प्रदेश के गन्ना किसानों को गन्ना मूल्य में रू0 25.00 प्रति कुन्टल की अभूतपूर्व वृद्धि कर किसानों को तोहफा दिया है। वर्ष 2021-22 हेतु उ0प्र0 सरकार द्वारा गन्ना मूल्य मंे रू0 25.00 प्रति कुन्टल की बढ़ोत्तरी की गयी है। शीघ्र प्रजाति के लिए रू0 350.00 प्रति कु0, सामान्य प्रजाति के लिए रू0 340.00 प्रति कु0 एवं अस्वीकृत प्रजाति के लिए रू0 335.00 प्रति कु0 की दरें निर्धारित करते हुए गन्ना किसानों को लाभान्वित किया है। इस बढ़े हुए गन्ना मूल्य से प्रदेश के गन्ना किसानांे को वर्ष 2021-22 में लगभग रू0 4,000.00 करोड़ की अतिरिक्त धनराशि गन्ना मूल्य के रूप में चीनी मिलों से प्राप्त होगी।
वर्तमान सरकार द्वारा गन्ना किसानों के हित में लिये गये निर्णयों से वर्ष 2021-22 हेतु शीघ्र पकने वाली प्रजातियों का क्षेत्रफल 97.45 प्रतिशत, सामान्य प्रजातियों का क्षेत्रफल 2.34 प्रतिशत एवं अनुपयुक्त प्रजातियों का मात्र 0.21 प्रतिशत हो गया है। जबकि वर्तमान सरकार के पूर्व वर्ष 2016-17 में प्रदेश में शीघ्र पकने वाली प्रजाति का क्षेत्रफल 52.83 प्रतिशत, सामान्य पकने वाली प्रजातियों का क्षेत्रफल 37.44 प्रतिशत एवं अनुपयुक्त प्रजातियों का क्षेत्रफल 9.73 प्रतिशत था। वर्ष 2016-17 मंे शीघ्र पकने वाली प्रजातियों का गन्ना मूल्य रू0 315.00 प्रति कु0, सामान्य प्रजातियों का रू0 305.00 प्रति कु0 एवं अनुपयुक्त प्रजातियों का गन्ना मूल्य रू0 300.00 प्रति कु0 निर्धारित किया गया था। प्रजातियों के आधार पर गन्ना कृषकों को औसतन रू0 309.80 प्रति कु0 गन्ना मूल्य प्राप्त होता था।
प्रदेश के मुख्यमंत्री जी द्वारा गन्ना मूल्य की दर में की गई बढ़ोत्तरी से पेराई सत्र 2021-22 में गन्ना कृषकों को वेराइटल प्रतिशत के आधार पर औसतन रू0 349.80 प्रति कु0 की दर प्राप्त होगी जो पेराई सत्र 2016-17 के मुकाबले रू0 40.00 अधिक है। प्रदेश सरकार की किसान हित में चलाई गयी गन्ना विकास योजनाओं के क्रियान्वयन से औसत गन्ना उत्पादकता बढ़कर 815 कु0 प्रति हेक्टे0 हो गई है। जो वर्ष 2016-17 में 723.80 कुन्टल प्रति हेक्टे0 ही थी। वर्ष 2021-22 में बढ़ोत्तरी के फलस्वरूप गन्ना किसानों को रू0 2,85,087.00 प्राप्त होंगे, अर्थात कृषक को 01 हेक्टे0 गन्ने से बढ़े हुए गन्ना मूल्य एवं उपज वृद्धि के कारण रू0 60,854.00 प्रति हेक्टे0 अधिक प्राप्त होंगे।
वर्तमान प्रदेश सरकार के कार्यकाल 04 वर्षों में कुल 4289.09 लाख टन गन्ने की पेराई की गयी, जबकि इसके पूर्व के 04 वर्षों में मात्र 2918.53 लाख टन गन्ने की पेराई हुयी थी। इस प्रकार वर्तमान सरकार के कार्यकाल में चीनी मिलों द्वारा पूर्व के 04 वर्षों के मुकाबले 1370.56 लाख टन अधिक गन्ने की पेराई की गयी। पूर्व के वर्षों में कृषक औने-पौने दामों पर क्रेशर एवं कोल्हुओं पर गन्ना बेचने हेतु मजबूर थे। वर्तमान सरकार के 04 वर्षों में औसत गन्ना पेराई 1072.27 लाख टन प्रति वर्ष रही है, जो अपने आप में एक रिकार्ड है। जबकि इसके पूर्व के 04 वर्षों में 729.63 लाख टन प्रतिवर्ष थी जिसके कारण कृषक अपने गन्ने का उचित निस्तारण नहीं कर पाते थे। प्रदेश सरकार द्वारा गन्ना किसानों के हितार्थ संचालित विभिन्न लाभकारी योजनाओं का ही परिणाम है कि उ0प्र0 गत वर्षों से लगातार गन्ना उत्पादन और चीनी उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है।
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