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केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने लाल किले में भव्‍य दस दिवसीय ‘लाल किला महोत्सव-भारत भाग्य विधाता’ का उद्घाटन किया

दस दिवसीय लाल किला महोत्सव – भारत भाग्य विधाता, 17वीं शताब्दी के प्रतिष्ठित स्मारक, लाल किला, नई दिल्ली में कल से शुरू होगा। 25 मार्च से 3 अप्रैल 2022 तक आयोजित होने वाला यह उत्सव रोजाना सुबह 11 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहेगा। इस महोत्सव में “मातृभूमि” -प्रोजेक्शन मैपिंग शो, यात्रा – 360° तल्लीन कर देने वाला अनुभव होगा। इसके अलावा एक सांस्कृतिक परेड, खाओ गल्ली, रंग मंच में लाइव प्रदर्शन, भारत के नृत्य, अनोखे वस्त्र, खेल मंच और खेल गांव तथा योग सहित मशगूल कर देने लायक कई तरह के अनुभव होंगे। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी कल सुबह 10 बजे लाल किले में महोत्सव का उद्घाटन करेंगी। यह घोषणा संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्रीमती उमा नंदूरी ने आज नई दिल्ली में एक मीडिया ब्रीफिंग में की। इस अवसर पर डालमिया ग्रुप के सीईओ श्री आनंद भारद्वाज के साथ पर्यटन मंत्रालय में अपर महानिदेशक सुश्री रूपिंदर बराड़; भारतीय पुरातत्‍‍व सर्वेक्षण, संस्कृति मंत्रालय में निदेशक श्री अजय यादव भी उपस्थित थे। श्रीमती नंदूरी ने यह भी कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के तहत संस्कृति मंत्रालय द्वारा भारत भाग्य विधाता का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लाल किला उत्सव देश की विरासत का उत्सव मनाने के लिए है और भारत भाग्य विधाता के तहत भारत के हर हिस्से की संस्कृति को दिखाया जाएगा। पर्यटन मंत्रालय की अपर महानिदेशक सुश्री रूपिंदर बराड़ ने कहा कि सरकार की एक विरासत अपनाओ पहल के माध्यम से लाल किले को उसके पुराने गौरव में पुनर्जीवित किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत भाग्य विधाता सभी की भारत की विविधता की सराहना करने में मदद करेगा। उन्होंने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि दुनिया भर में पर्यटन के पुनर्जीवित होने के साथ, यह एक महत्वपूर्ण घटना होने जा रही है और पर्यटकों को भारत में आकर्षित सकारात्मक संकेत भेजती है। लाल किले के “स्मारक मित्र”, डालमिया भारत लिमिटेड के साथ संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में इस भव्‍य कार्यक्रम की परिकल्पना की है। लाल किला महोत्सव – भारत भाग्य विधाता आगंतुकों के लिए एक समृद्ध सांस्कृतिक दावत का वादा करता है और इसका उद्देश्य विरासत संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देना है।

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लोकतंत्र में जन प्रतिनिधियों की भूमिका अत्यंत महत्‍वपूर्ण होती हैः राष्ट्रपति कोविन्द

राष्ट्रपति  कोविन्द ने कहा है कि लोकतंत्र में जन प्रतिनिधियों की भूमिका अत्यंत महत्‍वपूर्ण होती है। वे आज (24 मार्च, 2022) गांधीनगर में गुजरात विधान सभा के सदस्यों को सम्बोधित कर रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि विधान सभा के सदस्य अपने क्षेत्रों के और राज्य के प्रतिनिधि होते हैं; लेकिन इस बात का महत्‍व अधिक है कि लोग उन्हें अपना भाग्य विधाता मानते हैं। लोगों की आशायें और आकांक्षायें उनसे जुड़ी होती हैं। उन्होंने कहा कि लोगों की इन आकांक्षाओं को पूरा करना सभी जन प्रतिनिधियों के लिये सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिये।

उन्होंने कहा कि वे उस समय गुजरात विधान सभा सदस्यों को सम्बोधित कर रहे हैं, जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि आजादी और उसका अमृत महोत्सव मनाने के लिये गुजरात से बेहतर स्थान और क्या हो सकता है। गुजरात क्षेत्र के लोग स्वतंत्र भारत की अलख जगाने में अग्रणी रहे हैं। उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम दशक में, दादाभाई नौरोजी और फिरोज शाह मेहता जैसी हस्तियों ने भारतीयों के अधिकारों के लिये आवाज उठाई थी। उस संघर्ष को गुजरात के लोग लगातार मजबूत करते रहे, जो फलस्वरूप महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत की स्वतंत्रता की पराकाष्ठा को पहुंचा।राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी ने न केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम को नेतृत्व प्रदान किया, बल्कि उन्होंने पूरी दुनिया को नई राह भी दिखाई, नये विचार और नया दर्शन दिया। आज विश्व में जहां भी किसी प्रकार की हिंसा होती है, तो बापू के मंत्र ‘अहिंसा’ का महत्‍व समझ में आने लगता है।राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात का इतिहास अनोखा है। यह महात्मा गांधी और सरदार पटेल की भूमि है तथा इसे सत्याग्रह की भूमि कहा जा सकता है। सत्याग्रह का मंत्र पूरी दुनिया में उपनिवेश के विरुद्ध अचूक अस्त्र के रूप में स्थापित हो गया है। बारडोली सत्याग्रह, नमक आंदोलन और दांडी मार्च ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को न केवल नया आकार दिया, बल्कि प्रतिरोध की अभिव्यक्ति तथा जन आंदोलन की पद्धति को नये आयाम भी दिये।राष्ट्रपति ने कहा कि सरदार पटेल ने स्वतंत्र भारत को एकता के सूत्र में बांधा और प्रशासन की आधारशिला रखी। नर्मदा के किनारे स्थित उनकी प्रतिमा ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है तथा उनकी स्मृति के प्रति यह कृतज्ञ राष्ट्र का अकिंचन उपहार है। भारतवासियों के मन में उनका कद तो इससे भी बड़ा है।राष्ट्रपति ने कहा कि राजनीति से इतर, गुजरात ने सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में भी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। आध्यात्मिक रूप से देखा जाये तो नरसिंह मेहता की इस भूमि का बहुत प्रभाव है। उनका भजन “वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीर पराई जाने रे” तो हमारे स्वतंत्रता संघर्ष का गान बन गया था। इस भजन ने भारतीय संस्कृति के मानवीय पक्ष का भी प्रसार किया। राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात के लोगों की उदारता, भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषता है। सभी वर्गों और समुदायों के लोग प्राचीन काल से ही यहां भाईचारे की भावना के साथ रह रहे हैं।राष्ट्रपति ने इस बात का भी उल्लेख किया कि गुजरात ने आधुनिक काल में विज्ञान के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान किया है। जहां डॉ. होमी जहांगीर भाभा को भारतीय परमाणु कार्यक्रम का पितामह कहा जाता है, वहीं भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई को भारतीय विज्ञान, विशेषकर भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान का युगद्रष्टा माना जाता है।राष्ट्रपति ने कहा कि 1960 में जब गुजरात अस्तित्व में आया था, तब से वह अपने उद्यम और नई सोच के आधार पर विकासपथ पर बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि श्वेत क्रांति गुजरात की भूमि पर ही शुरू हुई थी और उसने पोषण के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव कर दिया है। आज भारत दूध के कुल उत्पादन और खपत में विश्व में पहले स्थान पर है। गुजरात की दूध सहकारितायें इस सफलता की जनक हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने सहकारिता मंत्रालय का गठन किया है, जिसका उद्देश्य गुजरात की सफलता तथा सहकारी संस्कृति के लाभों का देशभर में विस्तार करना है।राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात विधान सभा ने राज्य के आमूल विकास के लिये कई क्रांतिकारी कदम उठाये हैं। गुजरात पंचायत विधेयक, 1961 और गुजरात अनिवार्य बुनियादी शिक्षा अधिनियम, 1961 के जरिये स्थानीय स्व-शासन तथा शिक्षा में प्रगतिशील प्रणाली स्थापित की गई थी। गुजरात अकेला ऐसा राज्य है, जहां गुजरात अधोसंरचना विकास अधिनियम, 1999 को विधान सभा ने पारित किया था, ताकि अवसंरचना में निवेश तथा विकास को प्रोत्साहित किया जा सके। गुजरात जैविक कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम, 2017 को विधान सभा ने पारित किया, जो भविष्य को देखते हुये कानून को दिशा देने के संदर्भ में महत्‍वपूर्ण है। उन्होंने गुजरात की वर्तमान और पूर्व की सरकारों तथा गुजरात विधान सभा के वर्तमान और पूर्व सदस्यों की प्रशंसा की कि उन सभी ने गुजरात की बहुपक्षीय प्रगति में योगदान किया है।राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से विकास के गुजरात मॉडल को अनुकरणीय माना जा रहा है, जिसे देश के किसी भी राज्य और क्षेत्र में लागू किया जा सकता है। साबरमती रिवर-फ्रंट शहरी रूपांतरण का प्रभावशाली उदाहरण है। साबरमती और उसके रहने वालों के बीच के रिश्ते को एक नया आयाम मिला है, वहीं पर्यावरण भी सुरक्षित हो गया है। यह देश के उन शहरों के लिये भी अच्छा उदाहरण बन सकता है, जो नदी किनारे आबाद हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुये देश के उज्ज्वल भविष्य के लिये सार्थक कदम उठायें। इसलिये 2047 में जब भारत अपनी स्वतंत्रता की शती मना रहा होगा, तो उस समय की पीढ़ी अपने देश पर गर्व करेगी। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत सरकार, राज्य सरकारें तथा समस्त देशवासी भारत के शताब्दी वर्ष को स्वर्ण युग बनाने के लिये एक साथ विकास पथ पर आगे बढ़ते रहेंगे।

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भारत ने लक्ष्य तिथि से बहुत पहले ही 400 बिलियन डॉलर का वस्तु व्यापार निर्यात प्राप्त किया -पीयूष गोयल

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि 400 बिलियन डॉलर का निर्यात हासिल करना देश के प्रत्येक सेक्टर, प्रत्येक हितधारक के ठोस, सामूहिक प्रयास का परिणाम है भारत से वस्तु निर्यात चालू वित्त वर्ष के दौरान निर्धारित तिथि से 9 दिन पहले ही 400 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है। यह वित्त वर्ष 2028-19 में अर्जित 330 बिलियन डॉलर के पिछले रिकॉर्ड से बहुत अधिक है।

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट  किया :

भारत ने 400 बिलियन डॉलर का वस्तु निर्यात का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया तथा सर्वप्रथम बार इस लक्ष्य को अर्जित किया है। मैं अपने किसानों, बुनकरों, एमएसएमई, विनिर्माताओं, निर्यातकों को इस सफलता के लिए बधाई देता हूं यह हमारी आत्मनिर्भर भारत की यात्रा में एक प्रमुख मील का पत्थर है। श्री गोयल आज नई दिल्ली में इस अवसर पर आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे श्री गोयल ने कहा कि इस आकर्षक निर्यात लक्ष्य की प्राप्ति ने विश्व को दिखा दिया कि अनगिनत चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, दृढ़ संकल्प, लगन, क्षमता और प्रतिभा के साथ भारत सभी प्रकार की बाधाओं को पार करेगा श्री गोयल ने सभी निर्यातकों, किसानों, बुनकरों, एमएसएमई, विनिर्माताओं, विदेश स्थित भारतीय मिशनों तथा अन्य हितधारकों, जिन्हें उन्होंने इस उपलब्धि को अर्जित करने के पीछे का वास्तविक नायक बताया, के प्रति कृतज्ञता जताई।उन्होंने प्रधानमंत्री  मोदी को आगे बढ़ कर लगातार अगुवाई करने तथा निर्यात पर निरंतर ध्यान केंद्रित करते रहने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा की गई स्पष्ट अपील ने ही उद्योग को निर्यात में भारी उछाल लाने के लिए प्रेरित किया।गोयल ने कहा कि निर्यात लक्ष्य की प्राप्ति के पीछे देश-वार, उत्पाद -वार तथा ईपीसी -वार विशिष्ट लक्ष्य, निगरानी तथा कार्य सुधार सहित एक विस्तृत रणनीति कार्य कर रही थी।उन्होंने कहा कि इस उल्लेखनीय उपलब्धि को हासिल करने के लिए ‘ संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण ‘ को ‘ संपूर्ण देश दृष्टिकोण ‘ के अगले स्तर ले जाया गया था उन्होंने यह भी कहा कि उपलब्धि केवल लक्ष्य को हासिल करने से संबधित नहीं थी  बल्कि आत्मविश्वास का निर्माण करने तथा नए बाजारों की खोज करने के बारे में भी थी मंत्री ने सकारात्मक रिपोर्टिंग, उत्साहवर्धक संपादकीयों के जरिये निरंतर व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए मीडिया की सराहना की जिसने इसे एक राष्ट्रीय मिशन बनाने के जरिये सहायता की।निर्यात का रोजगार सृजन, विशेष रूप से श्रम केंद्रित सेक्टरों के साथ प्रत्यक्ष संपर्क को रेखांकित करते हुए श्री गोयल ने कहा कि जब मुरादाबाद के पीतल व्यापारी और वाराणसी के किसानों के उत्पादों को वैश्विक व्यापार में सराहा जाता है तो, यह इस बात का प्रमाण है कि निर्यात से रोजगार और समृद्धि बढ़ रही है।श्री गोयल ने कोविड-19 की लगातार आने वाली लहरों से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद पूरे वर्ष निर्यात की गति बनाये रखने के लिए भी भारतीय निर्यातकों की सराहना की।उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि पर वास्तव में एक उत्सव मनाया जाना चाहिए।  उन्होंने यह भी कहा कि इसने राष्ट्र के लिए एक आश्वस्त भविष्य का संदेश दिया। श्री गोयल ने कहा कि भारत गुणवत्ता तथा विश्वसनीयता की एक नई पहचान के साथ विश्व के लिए तैयार है।कोविड-19 महामारी द्वारा प्रभावित आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने में निर्यात की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए, वाणिज्य विभाग ने 6 अगस्त,  2021 को ‘‘ लोकल गोज वोकल – मेक इन इंडिया फॉर द वल्र्ड ‘‘ थीम पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उनके संबोधन तथा निर्यातक समुदाय, राजदूतों/एचसी/वाणिज्यिक मिशनों/लाइन मंत्रालयों/विभागों, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, ईपीसी, कमोडिटी बोर्डों/प्राधिकरणों, उद्योगों/व्यापार संघों, आदि  के साथ उनकी परस्पर बातचीत के दौरान प्रदान की गई प्रेरणा को और आगे बढ़ाया।संबोधन के दौरान, प्रधानमंत्री ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान राष्ट्र द्वारा अर्जित करने के लिए 400 बिलियन डॉलर का वस्तु निर्यात का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया। उन्होंने निर्यातक समुदाय को निर्यात बास्केट में नए उत्पादों की खोज करने, नए गंतव्यों की तलाश करने तथा वर्तमान उत्पादों एवं बाजारों में गहरी पैठ सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित किया।इस प्रकार, माननीय प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित लक्ष्य एवं दृष्टिकोण को अर्जित करने के लिए वाणिज्य विभाग ने क्षेत्रों तथा देशों एवं उत्पाद/मकोडिटी समूहों के हिसाब से 400 बिलियन डॉलर के लक्ष्य को अलग अलग कर दिया। सरकार ने लक्ष्य को अर्जित करने के लिए तथा एक विस्तृत निगरानी प्रणाली के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार की।अलग अलग किए गए लक्ष्यों ने देश/क्षेत्र/मिशन/निर्यात संवर्धन परिषदों द्वारा कड़ी निगरानी किए जाने को सक्षम बनाया है। वाणिज्य विभाग के कमोडिटी प्रभागों ने अपने अधिकार क्षेत्र के तहत संबंधित ईपीसी के साथ नियमित समीक्षा बैठकें आयोजित की हैं।इस प्रकार, कोविड की लगातार आने वाली लहरों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, भारत के वस्तु व्यापार प्रदर्शन ने प्रभावशाली बढोतरी प्रदर्शित की है तथा निर्यात अप्रैल से फरवरी के दौरान 11 लगातार महीनों ( मार्च के अंत में लगातार 12 महीनों तक संभव ) तक 30 बिलियन डॉलर से अधिक रहा है जिसमें विशेष रूप से दिसंबर 2021 के दौरान 39.3 बिलियन डॉलर का अब तक का सर्वोच्च मासिक वस्तु व्यापार रिकॉर्ड किया गया। इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात 2021-22 के दौरान पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत बढ़ा है। उच्चतर इंजीनियरिंग निर्यात, अपैरल तथा गारमेंट निर्यात आदि से संकेत मिलता है कि भारत की प्राथमिक वस्तुओं का प्रमुख निर्यातक होने की गलत धारणा अब धीरे धीरे बदल रही है। अब हम अधिक से अधिक मूल्य वर्धित वस्तुओं तथा हाई एंड वस्तुओं का निर्यात कर रहे हैं तथा हमारे प्रौद्योगिकी संचालित उद्योगों द्वारा यह प्रयास जारी रहना चाहिए। सूती धागे/फैब्रिक्स/मेडअप्स/हथकरघा उत्पाद आदि, रत्न एवं आभूषण, अन्य अनाज तथा मानव निर्मित्त यार्न/फैब्रिक्स/मेड अप्स आदि के निर्यात ने 50 प्रतिशत से 60 प्रतिशत के बीच की वृद्धि दर दर्ज कराई है।कृषि क्षेत्र ने भी, विशेष रूप से महामारी के दौरान उल्लेखनीय प्रगति दर्ज कराई है जिसमें भारत खाद्य अनिवार्य कृषि उत्पादों के एक प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ता देश के रूप में उभरा है। कृषि निर्यात में उछाल अन्य वस्तुओं के अतिरिक्त चावल ( बासमती तथा गैर बासमती दोनों ), समुद्री उत्पादों, गेहूं, मसालों तथा चीनी जैसी वस्तुओं से प्रेरित है जिन्होंने 2021-22 के दौरान अब तक का सर्वाधिक कृषि उत्पाद निर्यात दर्ज कराया।21 मार्च 2022 तक, ऑस्टेलिया, ताईवान, कोरिया गणराज्य, बांग्ला देश, पोलैंड, ब्राजील, इंडोनेशिया, बेल्जियम, सऊदी अरब, टर्की, इटली, जापान, कनाडा, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, नीदरलैंड, नाइजीरिया, मिस्र तथा मैक्सिको वे प्रमुख देश रहे हैं जिन्होंने अपने निर्यात लक्ष्य से अधिक अर्जित किया है। थाईलैंड, इजरायल, नेपाल, वियतनाम एसओसी गणराज्य, चीन, फ्रांस तथा श्रीलंका वे प्रमुख देश रहे हैं जिन्होंने अपने कुल निर्यात लक्ष्य का 90 प्रतिशत से 100 प्रतिशत अर्जित किया है।21 मार्च 2022 तक, जैविक तथा अजैविक रसायन, अन्य अनाज, पेट्रोलियम उत्पाद, कॉटन यार्न/फैब्रिक्स/मेड अप्स, हथकरघा उत्पाद आदि, अभ्रक, कोयला और अन्य अयस्क, प्रोसेस सहित खनिज अवयव, इंजीनियरिंग वस्तुएं तथा प्लास्टिक एवं लिनोलियम वे प्रमुख वस्तुएं हैं जिन्होंने अपने निर्यात लक्ष्य से अधिक अर्जित किया है।चावल, समुद्री उत्पाद, फ्लोर कवरिंग सहित जूट विनिर्माण, दरी, अनाज तैयारी एवं विविध प्रसंस्कृत मदें, इलेक्ट्रोनिक वस्तुएं, कॉफी, रत्न एवं आभूषण तथा हस्त निर्मित्त को छोड़कर हथकरघा उन प्रमुख वस्तुओं में शामिल हैं जिन्होंने अपने कुल निर्यात लक्ष्य का 90 प्रतिशत से 100 प्रतिशत अर्जित किया है।सरकार हमारे उद्योग तथा निर्यातकों को उनके निर्यात निष्पादन को बढ़ाने के लिए एक अनुकूल वातावरण तथा बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के लिए 24 घंटे काम कर रही है। लक्ष्य के अनुरूप नीतियों तथा योजनाओं को उनके लाभ के लिए लागू तथा कार्यान्वित किया जा रहा है।महामारी के बीच भी, रोडटेप तथा आरओएससीटीएल को सुगमता से लागू कर दिया जाना निर्यातकों के कल्याण के प्रति सरकार के दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करता है। ब्याज समकरण स्कीम को निर्यातकों तक विस्तारित कर दिया गया है और इससे बड़ी संख्या में एमएसएमई निर्यातकों को लाभ मिलने की संभावना है। उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए जहां भारत तुलनात्मक रूप से लाभ की स्थिति में हैं, उद्योग के साथ घनिष्ठ साझीदारी में काम करने के द्वारा वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकरण को गहरा करने के लिए घरेलू क्षमता संवर्धन के लिए पुरजोर प्रयास किए जा रहे हैं। इसलिए हम मेक इन इंडिया की तर्ज पर अपनी क्षमताओं को मजबूत करने तथा विश्व के लिए निर्माण करने पर कार्य करेंगे। विनिर्माण के 13 प्रमुख क्षेत्रों के लिए वित्त वर्ष 2021-22 से आरंभ होने वाली पीएलआई स्कीमों की घोषणा कर दी गई है।निर्यात हब के रूप में जिले ( डीईएच ) पहल में परिकल्पित दृष्टिकोण में एक नीति बदलाव स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने तथा स्थानीय उत्पादो/सेवाओं की निर्यात वृद्धि को प्रेरित करने में जिलों को सक्रिय हितधारक बनाने के लिए अपनाया गया है। उचित वित्त पोषण, बीमा, ऋण प्रावधान उपलब्ध कराने के माध्यम से निर्यात को बढ़ावा देने वाले बुनियादी ढांचों के निर्माण के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।इस प्रकार, विविध हितधारकों की सहायता से, जिला स्तर से लेकर विदेशी बाजारों तक एक मजबूत बैकवर्ड फारवर्ड लिंकेज की स्थापना करने के लिए प्रयास किया गया है।इस बीच, सभी हितधारकों अर्थात जिला इकाई, राज्य एवं केंद्रीय सरकार, लाइन मंत्रालयों, ईपीसी, एमएसएमई निर्यातक समुदायों तथा विदेश स्थित हमारे मिशनों के बीच प्रभावी तथा कुशल समन्वय पर जोर दिया गया है जिससे कि निर्यात लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक सुसंगत तथा समन्वित कार्रवाई अर्जित करने के लिए संबंधित विभागों के बीच सूचनाओं का निर्बाधित प्रवाह सुनिश्चित किया जा सके।

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जिलाधिकारी द्वारा 11 शस्त्र लाइसेंस निरस्त

कानपुर 26 मार्च, भारतीय स्वरूप संवाददाता, जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने शस्त्र लाइसेंसों की सुनवाई करते हुए 11 शस्त्र लाइसेंसों को निरस्त किया। जिसमें तीन कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत , दो काकादेव थाना अंतर्गत ,एक शिवराजपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत ,एक किदवई नगर थाना क्षेत्र अंतर्गत ,एक चमनगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत, एक फीलखाना थाना क्षेत्र अंतर्गत एवं एक विधनू थाना क्षेत्र अंतर्गत हुए। कुल 11 शस्त्र लाइसेंसों को निरस्त किया।

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डीआरडीओ ने विज्ञान सर्वत्र पूज्यते में लिया हिस्सा, देश भर के 16 शहरों में प्रदर्शनियों का आयोजन

‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत भारत की आजादी के 75वें वर्ष के अवसर पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) देश भर में आयोजित होने वाले ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यते’ कार्यक्रम में भाग ले रहा है। 22 से 28 फरवरी, 2022 के दौरान देश के हर हिस्से से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को प्रदर्शित करने के लिए विज्ञान सर्वत्र पूज्यते अखिल भारतीय कार्यक्रम है।

डीआरडीओ पूरे देश के 16 शहरों में ‘अमृत महोत्सव साइंस शोकेस : रोडमैप टू 2047’ विषय पर प्रदर्शनियों का आयोजन भी कर रहा है। डीआरडीओ की ओर से आगरा, अल्मोड़ा, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, देहरादून, दिल्ली, हैदराबाद, जोधपुर, लेह, मुंबई, मैसूर, पुणे, तेजपुर, एरानाकुलम, विजयवाड़ा और विशाखापत्तनम में विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर बहुत बड़ी प्रदर्शनी आयोजित की जा रही हैं। ‘महोत्सव’ में डीआरडीओ की भागीदारी अनुसंधान एवं विकास संगठनों द्वारा किए जा रहे कार्यों और 2047 की राह में विचारों और प्रौद्योगिकी के प्रयासों को प्रदर्शित करने का एक अवसर है।

विभिन्न तकनीकों से संबंधित कई डीआरडीओ उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें नाग, मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एमपीएटीजीएम), आकाश, ब्रह्मोस, अस्त्र, प्रलय, मिशन शक्ति, बख्तरबंद इंजीनियर टोही वाहन (एईआरवी), मारीच, 3डी सेंट्रल एक्विजिशन रडार (3डी सीएआर), इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, ब्रिज लेयर टैंक (बीएलटी) आदि के मॉडल शामिल हैं। इसमें रेट्रोमोटर, बूस्टर मोटर, समग्र रॉकेट मोटर आवरण, ड्रॉप टैंक, ब्रेक डिस्क आदि तकनीकी का भी प्रदर्शन किया जाएगा।

इस सप्ताह के दौरान देश भर के अलग-अलग केंद्रों पर विभिन्न विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास पर प्रख्यात वैज्ञानिकों के व्याख्यान भी होंगे। डीआरडीओ के वैज्ञानिक देश भर के 33 केंद्रों पर 11 अलग-अलग भारतीय भाषाओं में विभिन्न मुद्दों और विषयों पर व्याख्यान भी दे रहे हैं।

स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने और स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में विभिन्न क्षेत्रों में देश की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए भारत सरकार एक साल का कार्यक्रम आजादी का अमृत महोत्सव आयोजित कर रही है। सरकार के विभिन्न विज्ञान और प्रौद्योगिकी संगठन राज्यों के स्तर पर एजेंसियों के साथ करीबी साझेदारी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उपलब्धियों का जश्न मना रहे हैं।

‘अमृत महोत्सव विज्ञान’ जिसका नाम ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यते’ भी है, हमारी वैज्ञानिक विरासत और प्रौद्योगिकी कौशल को प्रदर्शित करेगा, जिसने रक्षा, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य, कृषि, खगोल विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में समस्याओं के समाधान खोजने में मदद की है। यह कार्यक्रम डीआरडीओ, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस), परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई), अंतरिक्ष विभाग, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय और संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित किया जाता है।

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विकसित देशों की गैर टिकाऊ जीवनशैली आज भी पूरी दुनिया को खतरे में डाल रही है: भूपेन्दर यादव

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री  भूपेन्दर यादव ने 16 फरवरी 2022 को विश्व टिकाऊ विकास सम्मेलन 2022 के 21वें संस्करण के उद्घाटन सत्र में विशेष भाषण दिया। डब्ल्यूएसडीएस ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टेरी) का वार्षिक प्रमुख कार्यक्रम है।

श्री यादव ने जोर देकर कहा कि जलवायु परिवर्तन सहित वैश्विक पर्यावरण चुनौतियों का समाधान करने के लिए, हमें अब अनिवार्य रूप से समानता तथा समान लेकिन विभिन्न जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए सहमति प्राप्त वैश्विक नियमों पर कार्य करना चाहिए। पेरिस समझौता के लक्ष्यों को तब तक अर्जित नहीं किया जा सकता है जब तक कि सभी देशों द्वारा वैश्विक कार्बन बजट के उचित हिस्से के भीतर रहते हुए इक्विटी को कार्यान्वित न किया जाए। हमारा लक्ष्य न्यायसंगत सतत विकास तथा जलवायु कार्रवाईयों में निष्पक्षता होनी चाहिए। केवल तभी ‘‘जलवायु न्याय‘ प्राप्त किया जा सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि संसाधनों के उपयोग के प्रति दृष्टिकोण अनिवार्य रूप से ‘सचेत और सुविचारित उपयोग’  न कि ‘विचारहीन तथा विनाशकारी’ होना चाहिए।  एल. आई. एफ. आई. (लाइफस्टाइल फॉर द इनविरोनमेंट) जिसका भारत के प्रधानमंत्री ने ग्लासगो में सीओपी 26 में अनावरण किया था, के लक्ष्य को विश्व द्वारा अपनाया जाना चाहिए जिससे कि मानवता तथा ग्रह की रक्षा हो सके। श्री यादव ने कहा, ‘‘ जिन्होंने विश्व को गलत दिशा में ले जाने में सबसे अधिक योगदान दिया है, उन्हें ही अनिवार्य रूप से स्थिरता के मार्ग पर वापस लाने के लिए सर्वाधिक प्रयास करना चाहिए।”

पर्यावरण को बचाने की गहन आवश्यकता पर विचार करते हुए श्री यादव ने रेखांकित किया कि हालांकि औद्योगिक क्रांति से देशों में समृद्ध आई है, पर इसके कारण पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा ‘‘अर्थव्यवस्था पर महामारी के प्रतिकूल प्रभावों के बावजूद, भारत ने वास्तव में अपनी जलवायु महत्वाकांक्षा में वृद्धि की है। भारत विश्व में सबसे महत्वाकांक्षी स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तनों की अगुवाई कर रहा है।”

श्री यादव ने यह भी कहा कि भारत के समावेशी तथा टिकाऊ वृहद-आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है कि देश के अनुकूलन तथा शमन दोनों ही उद्देश्‍यों को, हमारे लोगों की आकांक्षाओं तथा आवश्यकताओं के बड़े लक्ष्य के भीतर समान तथा न्यायोचित तरीके से पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि हमारे नवीनतम आम बजट ने इस मार्ग का अनुसरण करने के हमारे दृढ़ संकल्प की पुष्टि की है।

अपने संबोधन का समापन समानता की आवश्यकता के साथ करते हुए, उन्होंने कहा कि ‘‘विकसित देशों को अनिवार्य रूप से अपनी ओर से समुचित महत्वाकांक्षा के साथ प्रत्युत्तर देना चाहिए तथा निश्चित रूप से अपने दोनों वादों- अपनी जीवनशैली में परिवर्तन लाने के जरिये उत्सर्जन में भारी कमी लाने तथा विकासशील देशों को अधिक वित्त तथा प्रौद्योगिकीय सहायता उपलब्ध कराने- को पूरा करना चाहिए।

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आयुध पैराशूट फैक्ट्री के कर्मचारियों द्वारा स्थानीय समस्याओं के निवारण हेतु आज से एक सप्ताह का आंदोलन

कानपुर 21 फरवरी, भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के अखिल भारतीय आवाहन पर दिनांक 21/02/2022 से 26/02/2022 तक देश की 41 आयुध निर्माणियों और इनके कर्मचारियों के हित लाभ की रक्षा से जुड़े स्थानीय मुद्दों के शीघ्र निस्तारण हेतु आंदोलन प्रारंभ किया गया। आंदोलन के क्रम में आयुध पैराशूट फैक्ट्री के अंतर्गत पैराशूट राष्ट्रीय मजदूर संघ ने आज दोपहर भोजनवाकश के समय निर्माणी द्वार पर कार्यकर्ताओं की भारी संख्या के साथ आंदोलन प्रारंभ किया। निर्माणी प्रबंधन से मांग की आयुध निर्माणियों का निगमीकरण हुए लगभग 5 माह बीत रहे है परंतु निर्माणी प्रशासन की सुस्ती के कारण कर्मचारियों की समस्याओं का निस्तारण निश्चित समय में नही हो रहा हैऔर कर्मचारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

जैसे:- जीपीएफ आहरण समय से नही किया जाना, कच्चे माल की कमी को दूर न किया जाना, IR MECHANISH का गठन न किया जाना, मृतक आश्रितों को गत 3 वर्षों से नौकरी न देना, कोर्ट के आदेश होने के उपरांत एरियर का भुगतान न होना, पदोन्नति तथा पदोन्नति उपरांत वेतन निर्धारण समय से न किया जाना, लंबित मेडिकल बिलों तथा एरियर का भुगतान समय से न करना, वेतन विकल्प का लाभ शीघ्र लागू न करना इत्यादि।

आंदोलन का संचालन सुधीर त्रिपाठी ने किया तथा अध्यक्षता जितेंद्र चोपड़ा ने की, जिसमे मुख्य रूप से यूनियन के महामंत्री प्रेम कुमार तथा यूनियन के मंत्री संजीव कश्यप ने संबोधन दिया। कार्यक्रम में यूनियन के अन्य पदाधिकारियों के रूप में अमर बाबू,  अखिलेश प्रताप सिंह, रवी शंकर, प्रदीप सिंह , जय कुमार, सचिन वर्मा, अजय जायसवाल, वेद प्रकाश शर्मा, प्रवीण यादव के साथ अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ता और निर्माणी के कर्मचारी उपस्थित थे।

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प्रधानमंत्री ने मणिपुर के रानी गाइदिन्ल्यू रेलवे स्टेशन पर पहली बार मालगाड़ी पहुंचने पर प्रसन्नता व्यक्त की

प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर के तामेंगलोंग जिले के रानी गाइदिन्ल्यू रेलवे स्टेशन पर पहली बार मालगाड़ी पहुंचने पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि मणिपुर की कनेक्टिविटी को और बेहतर किया जाएगा तथा वाणिज्य को बढ़ावा दिया जाएगा।

उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास (डोनर) मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी के एक ट्वीट के जवाब में, प्रधानमंत्री ने कहा:

“उत्तर पूर्वी क्षेत्र में बदलाव जारी है।

मणिपुर की कनेक्टिविटी को और बेहतर किया जाएगा तथा वाणिज्य को बढ़ावा दिया जाएगा। इस राज्य के उत्कृष्ट उत्पाद देशभर में भेजे जा सकते हैं।”

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भारत का स्टार्टअप ’बोटलैब’ कल शाम ’बीटिंग रिट्रीट’ समारोह के दौरान 1,000 ड्रोन उड़ाएगा

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) द्वारा वित्त पोषित और आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्रों की अगुवाई में भारत का स्टार्टअप ’बोटलैब’ गणतंत्र दिवस से संबंधित लगभग एक सप्ताह तक चलने वाले कार्यक्रमों के समापन पर कल शाम ’बीटिंग रिट्रीट’ समारोह में लाइट शो के तहत 1,000 ड्रोन उड़ाएगा। उन्होंने बताया कि इससे भारत 1,000 ड्रोन के साथ इतने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करने वाला चीन, रूस और ब्रिटेन के बाद चौथा देश बन जाएगा।

ड्रोन की प्रस्तुति के एक निदर्शन के दौरान आज मंत्री ने अपने आवास पर ’बोटलैब’ स्टार्टअप टीम के सदस्यों के साथ बातचीत की जिसमें तन्मय बुनकर, सरिता अहलावत, सुजीत राणा, मोहित शर्मा, हर्षित बत्रा, कुणाल मीणा व अन्य शामिल थे। बोटलैब डायनेमिक्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और इंजीनियर्स इस बात से उत्साहित थे कि भारत में पहली बार 1,000 ड्रोन से एकसाथ आकाश को रोशन करने वालों में वे शुमार होंगे। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्टार्ट-अप, बोटलैब डायनेमिक्स को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा अनुसंधान एवं विकास के लिए एक करोड़ रुपये का सीड फंड दिया गया था और बाद में भारत में अपनी तरह की पहली तकनीकी परियोजना विकसित करने के लिए प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड की ओर से व्यापक पैमाने और व्यावसायीकरण के लिए 2.5 करोड़ रुपये दिए गए थे। मंत्री ने भारत को स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र का वैश्विक केंद्र बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन को पूरा करने के लिए इस तरह के और नवोन्मेषी टिकाऊ स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। बोटलैब डायनेमिक्स की एमडी डॉ सरिता अहलावत ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई पूरी वित्तीय सहायता के कारण ही ड्रोन परियोजना सफल हो पाई, क्योंकि निजी क्षेत्र हार्डवेयर स्टार्ट-अप को मदद करने के खिलाफ थे। उन्होंने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रस्तावों को छोड़ देने और इस विचार को अपनाने के लिए परियोजना से जुड़े इंजीनियरों का भी आभार जताया।डॉ अहलावत ने 3डी कोरियोग्राफ किए गए ड्रोन लाइट शो के लिए 500-1000 ड्रोन से निर्मित रूप बदलने वाली झुंड प्रणाली यानी रिकन्फिगरेबल स्वार्मिंग सिस्टम डिजाइन व विकसित करने की परियोजना को पूरा समर्थन और प्रोत्साहन देने के लिए केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह को धन्यवाद दिया।डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में विकसित बोटलैब डायनेमिक्स टीडीबी से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के बाद 6 महीने में एक फ्लीट 1000 झुंड ड्रोन विकसित करने में सक्षम हुआ। उन्होंने इस बात पर भी गर्व महसूस किया कि इस परियोजना को देश के भीतर स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है, जिसमें सभी आवश्यक घटकों का विकास शामिल था, जिसमें हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों जैसे फ्लाइट कंट्रोलर (ड्रोन का मस्तिष्क), सटीक जीपीएस, मोटर नियंत्रक, ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन (जीसीएस) एल्गोरिदम आदि शामिल हैं।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि रक्षा मंत्रालय के सहयोग से बोटलैब ने स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में अनोखा ’ड्रोन शो’ की परिकल्पना की है। उन्होंने कहा कि ड्रोन शो 10 मिनट की अवधि का होगा और अंधकारमय आकाश में कई रचनात्मक संरचनाओं के माध्यम से आजादी के 75 साल में सरकार की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया जाएगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस परियोजना की सफलता अंतर-मंत्रालयी समन्वय का एक आदर्श उदाहरण है जिसमें रक्षा मंत्रालय, डीएसटी, टीडीबी और आईआईटी दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर अंतिम कार्यकारी अधिकारी तक सभी ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने और आत्मनिर्भर भारत मिशन की उपलब्धि को प्रदर्शित करने में कंपनी को प्रोत्साहन देने के लिए मिलकर काम किया। मंत्री ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का सांविधिक निकाय प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड भारत में विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों के लिए नए अवसरों और क्षेत्र मुहैया करके अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में सहायक रहा है। टीडीबी का मानना है कि देश के आर्थिक, वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी विकास में योगदान करते हुए, नई प्रौद्योगिकियों को भविष्य के दशक में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।अपने अद्वितीय अधिदेश के साथ, टीडीबी स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास और वाणिज्यिक अनुप्रयोग का प्रयास करने वाले या आयातित प्रौद्योगिकियों को व्यापक घरेलू अनुप्रयोगों के अनुकूल बनाने वाले भारतीय औद्योगिक संस्थाओं और अन्य एजेंसियों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। टीडीबी के वित्तपोषण को अन्य वित्तीय निकायों से विशिष्ट बनाने वाला दूसरा पहलू यह है कि यह उन कंपनियों को भी धन मुहैया करता है जिनमें उच्च जोखिम वाली प्रौद्योगिकी शामिल होती है। “टीडीबी के सचिव, आईपी एंड टीएएफएस, श्री राजेश कुमार पाठक ने कहा, “समय की कमी के कारण, यह परियोजना टीडीबी के लिए एक चुनौती के रूप में आई थी, लेकिन इसमें शामिल नवाचार और राष्ट्र निर्माण में योगदान को देखते हुए, टीडीबी ने इसे स्वीकार किया और हमें खुशी है कि हम समय पर सहायता प्रदान कर सके। साथ ही, परियोजना के लिए समय पर समर्थन देने के लिए प्रो. आशुतोष शर्मा (पूर्व अध्यक्ष, टीडीबी और पूर्व सचिव, डीएसटी) और परियोजना के राष्ट्रीय महत्व को समझने के लिए मेरे पूर्ववर्ती डॉ. नीरज शर्मा (पूर्व सचिव, टीडीबी) को मेरा आभार है।

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ब्रह्मोस ने तट आधारित एंटी-शिप (जहाज रोधी) मिसाइल प्रणाली के निर्यात को लेकर फिलीपींस के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए

ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (बीएपीएल) ने फिलीपींस को तट आधारित एंटी-शिप मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति को लेकर 28 जनवरी, 2022 को फिलीपींस गणराज्य के राष्ट्रीय रक्षा विभाग के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। बीएपीएल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की संयुक्त उद्यम कंपनी है। भारत सरकार की जिम्मेदारी पूर्ण रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने की नीति को लेकर यह अनुबंध एक महत्वपूर्ण कदम है।

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