श्री गडकरी ने कहा कि 7000 करोड़ रुपये की लागत से रांची से वाराणसी तक 260 किलोमीटर के 4 लेन वाले इंटर कॉरिडोर के निर्माण से 5 घंटे में रांची से वाराणसी पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि 635 किलोमीटर का 4 लेन वाला रायपुर-धनबाद आर्थिक कॉरिडोर कोयला, स्टील, सीमेंट और अन्य खनिजों के परिवहन की सुविधा प्रदान करेगा।
मुख्य समाचार
पीएम फसल बीमा योजना में नवाचार व पारदर्शिता, ‘डिजीक्लेम’ का कृषि मंत्री द्वारा शुभारंभ
कार्यक्रम में श्री तोमर ने कहा कि डिजीक्लेम के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में नई विधा का शुभारंभ हु्आ, जिससे केंद्र-राज्य सरकारों को सुविधा के साथ ही किसानों को क्लेम मिल जाएं, इसकी सुनिश्चितता पारदर्शिता के साथ की जा सकेगी। आयुष्मान भारत योजना के बाद प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भारत की बहुत बड़ी योजना है जो प्राकृतिक परिस्थितियों पर आधारित है। पिछले 6 साल से संचालित इस योजना के अंतर्गत बीमित किसानों को उनकी उपज के नुकसान की भरपाई के रूप में अभी तक 1.32 लाख करोड़ रु. का भुगतान किया गया है। श्री तोमर ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय सभी राज्य सरकारों, बीमा कंपनियों व किसानों के संपर्क में भी रहता है और समय-समय पर आने वाली कठिनाइयों का परिमार्जन किया जाता है। पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के लिए ग्रिवांस पोर्टल बनाया गया है, जिसका लाभ परिलक्षित हो रहा है। इस पोर्टल को पूरे देश के लिए उपयोग करें, इसकी कोशिश हो रही है। अभी तक सामान्य तौर पर यह माना जाता था कि जो किसान ऋणी है, वहीं बीमित होता है लेकिन प्रसन्नता की बात है कि इस संबंध में जागरूकता तेजी से बढ़ रही है और गैर-ऋणी किसान भी फसल बीमा कराने की ओर अग्रसर हो रहे हैं। इस दिशा में ‘मेरी पालिसी-मेरे हाथ’अभियान का भी बड़ा योगदान है। श्री तोमर ने कहा कि हम सबका लक्ष्य यहीं होना चाहिए कि किसान स्वयं जागरूक हो जाएं व हर किसान बीमित हो ताकि प्राकृतिक प्रकोप की स्थिति में उसके नुकसान की भरपाई हो सकें।
श्री तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र के समक्ष चुनौतियां तो रहती ही है, लेकिन इनका समाधान बहुत ही शिद्दत के साथ सरकारें कर सकें, इसमें टेक्नालाजी विशेष सहायक है। आम किसानों तक मौसम की सटीक जानकारी भी पहुंच सकें, इसके लिए टेक्नालाजी की मदद से कृषि मंत्रालय द्वारा प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों, राज्य सरकारों एवं किसानों सबका समन्वय बढ़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप अब अनेक राज्य प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़ने के लिए निरंतर अग्रसर हो रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सबके संयुक्त प्रयत्नों के कारण इस बीमा योजना की लोकप्रियता और बढ़ेगी।
कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री श्री सूर्यप्रताप शाही, केंद्रीय कृषि सचिव श्री मनोज अहूजा, पीएमएफबीवाई के सीईओ श्री रितेश चौहान सहित उ.प्र., राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड व हरियाणा के वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे। बीमा कंपनियों व बैंकों के प्रतिनिधि भी कार्यक्रम में उपस्थित थे, वहीं सैकड़ों प्रतिनिधि वर्चुअल जुड़े थे।
अनवरगंज – मांधाना एलिवेटेड ट्रैक प्रोजेक्ट को ,नेटवर्क प्लानिंग समुह ने पास किया परियोजना प्रधानमंत्री गति शक्ति परियोजना मे शामिल
कानपुर शहर को 2 भागो में विभाजित करते हुए नियमित यातायात जाम के साथ ही दक्षिण क्षेत्र का मुख्य शहरी क्षेत्र से सुगम संपर्क के अभाव तथा औद्योगिक विकास में बाधक बन रही अनवरगंज से मंधना रेल्वे ट्रैक के विकराल समस्या के सामाधान हेतु लगभग तीन दशकों से लंबित पढ़ी अनवरगंज मांधना ट्रैक को एलिवेटेड करने की परियोजना की नेटवर्क प्लानिंग समुह, जिसमें, 15 मंत्रालय के प्रतिनिधि होते है, की दिल्ली में संपन्न हुई बैठक मे अन्य प्रस्तावों के साथ इस प्रस्ताव का भी प्रजेंटेशन देखा गया ।
डाक्टर राजशेखर ने बताया, इस बैठक से पूर्व पूर्वोत्तर रेल्वे की उप वाणिज्य संचालन प्रबंधक शिल्पी kanojia, उप मुख्य अभियंता तथा कानपुर के संबंधित विभागों और संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर सुझाव प्राप्त कर प्रजेंटेशन तैयार किया गया।
डाक्टर राजशेखर ने, आज आधिकारिक रूप से प्राप्त सूचनाओं का हवाला देते हुए बताया की कानपुर शहर की इस महत्वपूर्ण परियोजना के प्रेजेंटेशन की तैयारी इतनी सार्थक रूप से की गई थी जिसमे इस परियोजना से कानपुर नगर को मिलने वाले लाभ तथा रेलवे के लाभ को प्रस्तुत किया गया जिसकी नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप के सदस्यों ने जम कर सराहना की और इसे आगे कैबिनेट कमेटी ऑफ इकनॉमिक अफेयर के पास
अंतिम प्रक्रिया हेतु संस्तुति कर भेज दिया, जहां से शीघ्र ही निर्माण कार्य आरंभ करने के निर्देश मिल जायेगे।
इस संबंध में राजशेखर आयुक्त कानपुर मंडल ने बताया की,यह रेल्वे का 16 किलोमीटर का सेक्शन जिसमें 16 रेल्वे क्रॉसिंग, कानपुर के विकास मे बढ़ी बाधा है, और समान्तर चल रही जी टी रोड के कारण जाम और दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण बना हुआ था।
इस विकराल समस्या को लेकर विभिन्न संगठनों के द्वारा पिछले तीस वर्षो से उठाया जा रहा था, लेकिन निदान नहीं हो पा रहा था
पिछले वर्ष कानपुर की समीक्षा बैठक करने आए माननीय मंत्री जतिन प्रसाद से इस परियोजना को शासन स्तर से पहल करने के लिए राजशेखर आयुक्त ने अनुरोध किया, मुख्य सचिव महोदय ने रेलवे बोर्ड चेयरमैन को इसका संज्ञान दिया साथ ही शासन स्तर से इसके लिए एक कमेटी गठित की गई जिसमे आयुक्त कानपुर मंडल, पुलिस आयुक्त, महा प्रबंधक पूर्वुत्तर रेलवे, तथा उत्तर मध्य रेलवे द्वारा नामित अधिकारी, परियोजना निदेशक कानपुर मेट्रो, नीरज श्रीवास्तव स्तंत्र निर्देशक कानपुर स्मार्ट सिटी, मुख्य अभियंता नगर निगम महा प्रदबंधक सेतु निगम, अधीक्षण अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग, तथा परियोजना निदेशक राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण कन्नौज नामित हुए
इसकी एक महत्त्वपूर्ण बैठक प्रमुख सचिव आवास ने दिनाँक 11 मई 2022 को आयोजित हुई
।कानपुर के विकास में अति गंभीर माननीय सांसद गण देवेंद्र सिंह भोले जी और सत्यदेव पचौरी जी ने भी माननीय रेल मंत्री से मिलकर इस प्रोजेक्ट को और आगे बढ़ाया।
डॉक्टर राजशेखर ने बताया की नियमित फॉलोअप तथा रेलवे के साथ नीरज श्रीवास्तव समन्वयक उच्च स्तरीय संयुक्त विकास समिति के साथ समन्वय करते रहने से यह कार्ययोजना गति शील रही।
विभिन्न चरणों में डीपीआर पूर्ण करने में पूर्वोत्तर रेलवे के उच्च अधिकारियों ने नियमित कानपुर आयुक्त स्तर पर बैठकों में प्रति भाग किया जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, विकास प्राधिकरण, नगर निगम इत्यादि के अधिकारियों के साथ तथा उद्योग संघटनो के सुझावों से इस महत्वपूर्ण योजनाओं की डीपीआर बन सकी जो सर्वप्रथम रेलवे बोर्ड के बाद नीति आयोग पहुंची और नीति आयोग से नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप को बैठक में इस परियोजनाओं को और आगे बढ़ाते हुए कैबिनेट कमेटी ऑफ इकनॉमिक अफेयर में चला गया।
आज रेलवे के अधिकारियों ने मंडलायुक्त से वार्ता कर धन्यवाद दिया और शीघ्र ही आगामी बैठक आयोजित करने हेतु अनुरोध किया जिसमें की भविष्य में आवश्यक कार्यों का रूप रेखा बनाया जा सके।
डॉक्टर राजशेकर ने बताया कानपुर के विकास की श्रंखला में यह परियोजना बहुआयामी है जो यहां के औद्योगिक विकास को और गति देगी,उन्होंने कहा की इस महत्वपूर्ण परियोजना के आगे बढ़ने मे माननीय सांसद देवेन्द्र सिंह भोले जी, और सत्यदेव पचौरी जी, का बहुत आभार व्यक्त करते, इस कार्य मे प्रयासरत संगठनों के प्रतिनिधियों को सहयोग के लिये धन्यवाद तथा, पूर्वोत्तर रेल्वे के वरिष्ठ अधिकारियों, जिला प्रशासन अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ समन्वय जैसे महत्वपूर्ण कार्यो के लिए नीरज श्रीवास्तव के प्रति भी आभार व्यक्त किया।
Read More »भारतीय रेल ने ओडिशा का 100 प्रतिशत विद्युतीकरण पूरा किया
ओडिशा राज्य का भूभाग पूर्वी तट, दक्षिणी पूर्वी एवं दक्षिणी पूर्वी मध्य रेलवे के अधिकार क्षेत्र में पडता है। ओडिशा के कुछ मुख्य रेलवे स्टेशन हैं : भुवनेश्वर, कटक, पुरी, संबलपुर, भद्रक, राउरकेला तथा झारसुगुडा। रेल नेटवर्क ओडिशा से देश के दूसरे हिस्सों में खनिज अवयवों, कृषि उत्पादों एवं अन्य वस्तुओं के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ओडिशा में पहली रेलवे लाइन 1897 में कटक-खुरदा रोड-पुरी के बीच बनाई गई थी। ओडिशा राज्य की कुछ प्रतिष्ठित रेलगाड़ियां हैं : हावड़ा-पुरी एक्सप्रेस, कोणार्क एक्सप्रेस, कोरोमंडल एक्सप्रेस, हीराकुंड एक्सप्रेस, विशाखा एक्सप्रेस और भुवनेश्वर – नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस। ये रेलगाड़ियां राज्य के विभिन्न हिस्सों और भारत के अन्य प्रमुख शहरों के लिए सुविधाजनक कनेक्टविटी प्रदान करती हैं।
घुमन्तू विमुक्त जनजातियां
मंत्रालय ने दिनांक 16.02.2022 को डीएनटी समुदायों के कल्याणार्थ ‘’डीएनटी समुदायों के आर्थिक सशक्तिकरण की स्कीम (सीड)’’ आरंभ की है। अगले पांच वर्षों के लिए इस स्कीम का कुल परिव्यय 200 करोड़ रुपए है। इस स्कीम के निम्नलिखित चार घटक हैं:-
- डीएनटी उम्मीदवारों को प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने के लिए सक्षम बनाने हेतु उन्हें गुणवत्तापरक कोचिंग प्रदान करना,
- उन्हें स्वास्थ्य बीमा प्रदान करना,
- सामुदायिक स्तर पर आजीविका पहल की सुविधा उपलब्ध कराना और
- इन समुदायों के सदस्यों हेतु घरों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना।
इसके अलावा, डीएनटी समुदायों के कल्याणार्थ यह मंत्रालय निम्नलिखित स्कीमें भी कार्यान्वित कर रहा है:-
- ओबीसी, ईबीसी तथा डीएनटी छात्रों के लिए मैट्रिकपूर्व छात्रवृत्तियों की केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम।
- ओबीसी, ईबीसी तथा डीएनटी छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्तियों की केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम।
- ओबीसी, ईबीसी तथा डीएनटी छात्रों के लिए विद्यालयों में उत्कृष्ट शिक्षा की केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम (नया इंटरवेंशन)।
- ओबीसी, ईबीसी तथा डीएनटी छात्रों के लिए महाविद्यालयों में उत्कृष्ट शिक्षा की केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम (नया इंटरवेंशन)।
भारत सरकार ने फरवरी, 2014 में घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू जनजातियों के कल्याणार्थ राष्ट्रीय विमुक्त, घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू जनजाति आयोग (एनसीडीएनटी) का गठन किया था। एनसीडीएनटी ने दिनांक 08.01.2018 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। एनसीडीएनटी ने अनेक कार्यकलाप आरंभ किए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ, विमुक्त, घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू समुदायों की सूची तैयार करना, समुदाय के प्रतिनिधियों तथा एनजीओ के साथ विचार-विमर्श करना, फील्ड दौरे करना, प्राप्त शिकायत याचिकाओं तथा ज्ञापनों का विश्लेषण करना आदि शामिल हैं। आयोग ने इन समुदायों के कल्याणार्थ किए जाने वाले कई उपायों की भी सिफारिश की है।
यह जानकारी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री मंत्रालय की मंत्री सुश्री प्रतिमा भौमिक ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
अनुबंध-I
घुमंतू तथा विमुक्त समुदायों की सूची
क्र.सं. | राज्य | घुमंतू समुदाय | विमुक्त समुदाय | |
1 | अंडमान व निकोबार द्वीप समूह | 6 | 1 | |
2 | आंध्र प्रदेश | 34 | 26 | |
3 | अरुणाचल प्रदेश | 1 | 0 | |
4 | असम | 0 | 0 | |
5 | बिहार | 50 | 3 | |
6 | चंडीगढ़ | 31 | 2 | |
7 | छत्तीसगढ | 17 | 11 | |
8 | दादरा और नगर हवेली | 4 | 0 | |
9 | दमन और दीव | 4 | 0 | |
10 | राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली | 26 | 29 | |
11 | गोवा | 2 | 0 | |
12 | गुजरात | 52 | 13 | |
13 | हरियाणा | 35 | 14 | |
14 | हिमाचल प्रदेश | 41 | 0 | |
15 | जम्मू और कश्मीर | 14 | 0 | |
16 | झारखंड | 39 | 5 | |
17 | कर्नाटक | 76 | 85 | |
18 | केरल | 21 | 1 | |
19 | लक्षद्वीप | 0 | 0 | |
20 | मध्य प्रदेश | 31 | 20 | |
21 | महाराष्ट्र | 40 | 14 | |
22 | मणिपुर | 0 | 0 | |
23 | मेघालय | 2 | 0 | |
24 | मिजोरम | 2 | 0 | |
25 | नागालैंड | 0 | 0 | |
26 | ओडिशा | 31 | 11 | |
27 | पुदुचेरी | 13 | 0 | |
28 | पंजाब | 23 | 9 | |
29 | राजस्थान | 29 | 13 | |
30 | सिक्किम | 5 | 0 | |
31 | तमिलनाडु | 60 | 68 | |
32 | तेलंगाना | 36 | 36 | |
33 | त्रिपुरा | 14 | 0 | |
34 | उत्तर प्रदेश | 18 | 31 | |
35 | उत्तराखंड | 21 | 25 | |
36 | पश्चिम बंगाल | 32 | 8 | |
सकल योग | 810 | 425 |
स्रोत: राष्ट्रीय विमुक्त, घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू जनजाति आयोग ने दिसम्बर, 2017 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
निजी क्षेत्र में उपेक्षित वर्गों को आरक्षण
तदनुसार, शीर्ष उद्योग एसोसिएशनों नामतः भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल महासंघ (फिक्की), भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (एसोचैम) तथा भारतीय दलित वाणिज्य और उद्योग मंडल (डीआईसीसीआई) ने अपनी सदस्य कम्पनियों द्वारा समावेशन प्राप्त करने हेतु शिक्षा, नियोज्यता और उद्यमिता पर केन्द्रित स्वैच्छिक आचार सहिंता (वीसीसी) तैयार की है। उद्योग संघों के सदस्यों द्वारा किए गए उपायों में, अन्य बातों के साथ-साथ, छात्रवृत्तियां, व्यावसायिक प्रशिक्षण, उद्यमिता विकास कार्यक्रम, कोचिंग आदि शामिल हैं। तथापि, उनके पास निजी क्षेत्र के उच्च पदों पर आसीन समाज के लाभवंचित वर्ग की स्थिति के संबंध में कोई आंकड़ा नहीं है।
यह जानकारी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय मंत्री श्री ए. नारायणस्वामी ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
वंचित छात्रों के लिए छात्रवृत्ति हेतु बजटीय आवंटन
अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी), आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (ईबीसी) और विमुक्त जनजातियों (डीएनटी) संबंधी मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति स्कीम के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 250.00 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान था। जबकि, वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान 394.61 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान है।
ओबीसी, ईबीसी और डीएनटी संबंधी मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति स्कीम में वर्ष 2021-22 के दौरान संशोधन किया गया है जिसका उद्देश्य XVवें वित्त आयोग के कार्यकाल में पांच वर्षों की अवधि के दौरान इस स्कीम के अंतर्गत लगभग 5.67 करोड़ छात्रों को कवर करना है।
यह जानकारी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के मंत्री सुश्री प्रतिमा भौमिक ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
सरकार, टिकाऊ, जलवायु लचीली तटीय अवसंरचना और तटीय समुदायों की आजीविका पर फोकस के साथ नीली अर्थव्यवस्था को बहुत महत्व देती हैः भूपेन्द्र यादव
श्री यादव ने कहा कि सरकार बहु-प्रबंधन उद्देश्यों के साथ क्षेत्र आधारित प्रबंधन के लिए ब्लू प्रिंट विकसित करने के लिए समुद्र स्थानिक योजना (एमएसपी) के साथ आगे बढ़ रही है। मंत्री महोदय ने एनसीएससीएम को तटीय समुदायों की ठोस आय पर ध्यान देने के साथ मैनग्रोव संरक्षण के लिए मिशन मिष्टी (मैनग्रोव इनसेटिव फॉर शोरलाइन हेबिटेट्स एंड टेंजबल इनकम) में योगदान देने का भी निर्देश दिया।
एनसीएससीएम की स्थापना फरवरी 2011 में तटों की सुरक्षा, संरक्षण, पुनः स्थापना, प्रबंधन और नीति परामर्श पर समर्थन के लिए अनुसंधान संस्थान के रूप में की गई थी। एनसीएससीएम का विजन बढ़ती साझेदारी, संरक्षण व्यवहारों, वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से स्थायी तटों को विकसित करना तथा वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लाभ एवं खुशहाली के लिए ज्ञान प्रबंधन करना है। राष्ट्रीय केंद्र ने पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों (ईएसए) के 34,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक की मैपिंग, समग्र जोखिम रेखा की मैपिंग, तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेट) अधिसूचनाओं, 2011 तथा 2019 के अनुसार तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजनाओं की तैयारी, संचयी तटीय पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन, ईको-सिस्सटम वस्तुओं और सेवाओं, ब्लू कार्बन पृथकीकरण, ईको-सिस्टम स्वास्थ्य रिपोर्ट्स कार्ड जैसे कई ऐतिहासिक अनुसंधान अध्ययन किए हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार की उपस्थिति में महाराष्ट्र के संभाजी नगर और तमिलनाडु के कोयम्बटूर में सीजीएचएस सम्पूर्ण स्वास्थ्य केन्द्रों का उद्घाटन किया
इस आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, डॉ. मांडविया ने कहा कि दो सीजीएचएस एचडब्ल्यूसी महाराष्ट्र और तमिलनाडु के लोगों को अच्छी चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने संभाजी नगर और कोयम्बटूर में सीजीएचएस एचडब्ल्यूसी खोलने पर लाभार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि “यह हमारी सरकार की जिम्मेदारी है कि हम अपने सरकारी कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं और सम्पूर्ण स्वास्थ्य केन्द्र प्रदान करें।”
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ये केन्द्र चिकित्सा सेवाओं तक आसान पहुंच बढ़ाने में मदद करेंगे। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की लोगों को आसानी से सुलभ नजदीक में सम्पूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की परिकल्पना के अनुरूप सीजीएचएस केन्द्रों की संख्या 2014 के 25 से बढ़कर आज 79 हो गई है। सीजीएचएस लाभार्थियों के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सीजीएचएस सेवा में सुधार के लिए कई मोर्चों पर मिशन मोड में काम कर रहा है। इनमें उसके लाभार्थियों की शिकायत निवारण के लिए दैनिक निगरानी, प्रतिपूर्ति निवारण, निजी अस्पतालों के नेटवर्क का विस्तार और अनेक अन्य कदम उठाए गए हैं ताकि त्वरित प्रतिपूर्ति की जा सके और लंबित मामलों की संख्या में कमी लाई जा सके। इस अवधि के दौरान, सीजीएचएस ने स्वास्थ्य क्षेत्र में विकास के साथ गति बनाए रखने के लिए सेवाओं के डिजिटलीकरण जैसे कई बदलाव किए हैं। आज, सभी नागरिकों को सस्ती और बेहतर गुणवत्ता वाली दवाएं उपलब्ध कराकर लोगों की बेहतरी के लिए 9100 से अधिक जन औषधि केन्द्र अस्तित्व में हैं।
उन्होंने आगे कहा कि “केन्द्र सरकार न केवल एचडब्ल्यूसी खोलकर बल्कि कुछ और मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा पेशेवरों को बढ़ाकर और उनका प्रशिक्षण सुनिश्चित करके ‘टोकन टू टोटल’ दृष्टिकोण का पालन कर रही है।” उन्होंने यह भी बताया कि आरोग्य परम भाग्यम, स्वास्थ्यम सर्वार्थ साधनम की धारणा का पालन करते हुए अर्थात अच्छा स्वास्थ्य सबसे बड़ा सौभाग्य है, स्वास्थ्य सेवा में निवेश करना भविष्य में निवेश करने जैसा है, भारत देश भर में स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के तेजी से विस्तार और उसे मजबूत करने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। उन्होंने कहा, “देश के दूर-दराज के हिस्से तक पहुंचने के लिए टेलीकंसल्टेशन और एबीडीएम जैसे डिजिटल प्रयास किए गए हैं। जनऔषधि केन्द्र स्थापित किए गए हैं और आयुष्मान भारत योजना शुरू की गई है। केन्द्र सरकार विभिन्न सुधार कर रही है ताकि “सभी के लिए स्वास्थ्य” सुनिश्चित किया जा सके।”
सभी लाभार्थियों को बधाई देते हुए और इन दो क्षेत्रों में काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों के अनुरोध को स्वीकार करने और उन्हें सीजीएचएस वेलनेस सेंटर उपहार में देने के लिए माननीय प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हुए, डॉ. भारती प्रवीन पवार ने कहा कि “सीजीएचएस इन केन्द्रों में अविरत प्रयास से तैयार नए नवाचारों और कार्य प्रणालियों के साथ पेंशनभोगियों को मजबूत कवरेज देगा”। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार ने सीजीएचएस के तहत स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए अनेक उपाय किए हैं। “केन्द्र सरकार ने देश के प्रत्येक नागरिक के कल्याण के लिए पीएमजेएवाई, पीएम-एबीएचआईएम, एचडब्ल्यूसी जैसी कुछ महत्वाकांक्षी पहल शुरू की हैं। हमें उम्मीद है कि दक्षिण भारत की कपड़ा राजधानी या दक्षिण भारत के मैनचेस्टर, कोयम्बटूर और कपड़ों और कलात्मक रेशमी कपड़ों के लिए मशहूर, संभाजी में सम्पूर्ण स्वास्थ्य केन्द्र से न केवल कोयम्बटूर और संभाजी नगर में रहने वाले लाभार्थियों / पेंशनभोगियों, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की भी कठिनाइयां कम होंगी। उदाहरण के लिए, कोयम्बटूर में, चिकित्सा देखभाल और दवाओं के लिए 8000 से अधिक लाभार्थियों को 400-500 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी। कोयंबटूर और संभाजी नगर सीजीएचएस सम्पूर्ण स्वास्थ्य केन्द्र जब एक बार काम करने लगेंगे तो ये न केवल लाभार्थियों को ओपीडी सेवाएं प्रदान करेंगे बल्कि निजी अस्पताल भी पैनल में आ जाएंगे और पेंशनरों को निजी अस्पतालों से भी कैशलेस चिकित्सा उपचार प्राप्त करने में मदद मिलेगी। केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत किशनराव करार ने लाभार्थियों को बधाई दी और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश स्वास्थ्य और कल्याण के क्षेत्र में बड़ी प्रगति कर रहा है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में मां शारदा देवी मंदिर का उद्घाटन किया
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से कुपवाड़ा में मां शारदा देवी मंदिर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
अपने संबोधन की शुरूआत श्री अमित शाह ने देशवासियों को नव वर्ष की शुभकामनाएं देकर की। उन्होंने कहा कि आज नववर्ष के अवसर पर ही मां शारदा का नवनिर्मित मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है और ये पूरे भारत के श्रद्धालुओं के लिए एक शुभ संकेत है। उन्होंने कहा कि आज मां शारदा के मंदिर का उद्घाटन एक नए युग की शुरूआत है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस मंदिर की वास्तुकला और निर्माण शारदा पीठ के तत्वाधान में पौराणिक शास्त्रों के अनुसार किया गया है। श्रंगेरी मठ द्वारा दान की गई शारदा मां की मूर्ति को 24 जनवरी से लेकर आज यहां स्थापित करने तक एक यात्रा के रूप में लाया गया है। उन्होंने कहा कि कुपवाड़ा में माँ शारदा के मंदिर का पुनर्निर्माण होना शारदा-सभ्यता की खोज व शारदा-लिपि के संवर्धन की दिशा में एक आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण कदम है। श्री अमित शाह ने कहा कि एक जमाने में भारतीय उपमहाद्वीप में शारदा पीठ ज्ञान का केन्द्र माना जाता था, शास्त्रों और आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश में देशभर के विद्वान यहां आते थे। उन्होंने कहा कि शारदा लिपि हमारे कश्मीर की मूल लिपि है, जिसका नाम भी मां के नाम के आधार पर रखा गया है। ये महाशक्ति पीठों में से एक है और मान्यताओं के अनुसार मां सती का दाहिना हाथ यहां गिरा था।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि शारदा पीठ भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक एवं शैक्षणिक विरासत का ऐतिहासिक केंद्र रहा है, मोदी सरकार करतारपुर कॉरीडोर की तरह शारदा पीठ को भी श्रद्धालुओं के लिए खोलने की दिशा में आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयास से कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद शांति स्थापित होने से घाटी और जम्मू फिर एक बार अपनी पुरानी परंपराओं, सभ्यता और गंगा-जमुनी तहज़ीब की ओर लौट रहे हैं। श्री शाह ने कहा कि सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की प्रतिबद्धता के अनुरूप मोदी सरकार ने संस्कृति के पुनर्रुद्धार सहित जम्मू-कश्मीर के सभी क्षेत्रों में पहल की है। इसके तहत 123 चिन्हित स्थानों का व्यवस्थित रूप से जीर्णोद्धार और मरम्मत का काम चल रहा है, जिनमें कई मंदिर और सूफी स्थान शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 65 करोड़ रूपए की लागत से इसके पहले चरण में 35 स्थानों का पुनर्रुद्धार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 75 धार्मिक और सूफी संतों के स्थानों की पहचान करके 31 मेगा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए हैं। श्री शाह ने कहा कि यहां हर जिले में 20 सांस्कृतिक उत्सव भी आयोजित किए गए हैं जिनसे हमारी पुरानी विरासत को पुनर्जीवित करने में बहुत मदद मिलेगी।
अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा जी ने जिस शिद्दत से प्रधानमंत्री मोदी की सारी फ्लैगशिप योजनाओं को जमीन पर उतारने का काम किया है वो प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में श्री मनोज सिन्हा जी ने जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक निवेश लाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि आज हुई ये शुरूआत इस स्थान की खोई हुई भव्यता को वापिस लाने में मदद करेगी और ये स्थान मां शारदा की उपासना और उनकी प्रेरणा से मिली चेतना की जागृति का युगों-युगों तक भारतवर्ष में केन्द्र बना रहेगा।