कानपुर 17 मार्च भारतीय स्वरूप संवाददाता, राजनीति विज्ञान विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर और भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (मुख्यालय नई दिल्ली) कानपुर शाखा ने संयुक्त रूप से 17 और 18 मार्च 2023 को “जी20: समावेशी और टिकाऊ की विकासकी पहल” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया है।
यह संगोष्ठी कानपुर शहर में किसी भी शैक्षणिक संस्थान द्वारा आयोजित एक अहम् पहल है। आज भारत के लिए G20 अध्यक्षत्ता का एक गौरवशाली काल है.भारत सरकार “वसुधैव कुटुम्बकम” के मूल्यों के तहत के अपने G20 लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में शैक्षणिक संस्थानो की अहम् भूमिका एवं भागीदारी की अपेक्षा रखती है। यह राष्ट्रीय संगोष्ठी भारतीय जी20 अध्यक्षत्ता के तहत वैश्विक मुद्दों के एजेंडे में पहल और उपलब्धियों के विषय में जागरूकता पैदा करने की दिशा में उठाए गए कदमों में से एक है। इसमें भारत के विभिन्न प्रान्तों से लोगों ने भागीदारी की है.
इस अवसर पर उपस्थित विशिष्ट अतिथियों और दिग्गजों की सूची में मुख्य अतिथि डॉ. उमा शंकर(सीमा शुल्क और जीएसटी लखनऊ के प्रधान मुख्य आयुक्त), सम्मानित अतिथियों में श्री एस.के. सिंह, (प्रधान आयुक्त, सीमा शुल्क एवं जीएसटी कानपुर)और श्री आर. रमानी, (पूर्व मुख्य सचिव, यू.पी. और वर्तमान में अध्यक्ष, IIPA U.P. क्षेत्रीय शाखा), मुख्य वक्ता स्क्वाड्रन लीडर तूलिका रानी उत्तर प्रदेश G20 की ब्रांड एम्बेसडर और प्रो. एन.के.सक्सेना (अध्यक्ष आईआईपीए कानपुर शाखा) शामिल थे। क्राइस्ट चर्च कॉलेज के प्रिंसिपल एवं कॉलेज गवर्निंग बॉडी के सचिव डॉ. जोसेफ डेनियल ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की। दो दिवसीय संगोष्ठी का शुभारम्भ विशिष्ट गणमान्य व्यक्तियों और अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर की गई। डॉ. आशुतोष सक्सेना, (विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान विभाग और उपाध्यक्ष, आईआईपीए) ने संगोष्ठी के उद्देश्यों और संरचना के विषय में बताया, और डॉ. जी. एल. श्रीवास्तव, (आईआईपीए कानपुर शाखा के सचिव और संगोष्ठी संयोजक) ने सम्मानित अतिथियों और गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया।
Sqnldr तूलिका रानी, जी20 ब्रांड एंबेसडर, यूपी सरकार ने संगोष्ठी में मुख्य अभिभाषण दिया. उन्होंने अपने प्रेरक विचारों से जीवन में चुनौतियों का सामना करने और राष्ट्र के लिए निस्वार्थ भाव से काम करने के लिए युवाओं का आह्वान किया। उन्होंने भारत के जी20 एजेंडे को बढ़ावा देने और इसकी सफलता में योगदान देने के लिए उत्तर प्रदेश कैसे अग्रणी हो सकता है, इस बारे में अपने विचार साझा किये । विशिष्ट अतिथि श्री आर. रमानी ने सभी के बीच मानवतावाद और राष्ट्रवाद के मूल्यों को स्थापित करने के लिए इस तरह के और राष्ट्रीय सेमिनारों की आवश्यकता पर बल दिया । उन्होंने जी20 की अध्यक्षता के लिए भारतीय एजेंडे और उसके विभिन्न पहलुओं के बारे में कुछ मूल्यवान जानकारियां साझा कीं। मुख्य अतिथि डॉ. उमा शंकर ने जी20 की भारतीय अध्यक्षता की भूमिका और महत्व के बारे में अपनी अंतर्दृष्टि साझा की, उनके अनुसार भारत को वैश्विक शासन में अपने वैचारिक और दार्शनिक आधार को आगे बढ़ाने का यह सुअवसर मिला है. उन्होंने कहा कि भारत समानता, समावेशिता और सामान्य भलाई के लक्ष्यों का अनुसरण करते हुए शासन व्यवस्था का विशव पटल पर एक अनूठा उदाहरण स्थापित करता है।
इस अवसर पर गणमान्य अतिथियों ने प्रो. आशुतोष सक्सेना एवं डॉ. विभा दीक्षित द्वारा लिखित द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर की राजनीति विज्ञान की स्नातक पाठ्यपुस्तकों का विधिवत विमोचन किया।
सत्र के अध्यक्ष के रूप में अपने संबोधन में, प्रो. जोसेफ डेनियल ने जी20 और भारतीय अध्यक्षता के महत्व के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए इस तरह के कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए आयोजन टीम के प्रयासों की सराहना की। प्रो. एन.के. सक्सेना (अध्यक्ष आईआईपीए कानपुर शाखा) ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया। उद्घाटन सत्र का डॉ. विभा दीक्षित (सह प्रवक्ता राजनीतिक विज्ञान विभाग एवं संगोष्ठी आयोजन सचिव ) ने प्रभावी ढंग से संचालन किया।
पहले दिन संगोष्ठी में तीन तकनीकी सत्र थे जो G20 के चार महत्वपूर्ण पहलुओं पर आधारित थे.
पहले तकनीकी सत्र की अध्यक्षता विशिष्ट अतिथि श्री एस.के. सिंह ने की और संचालन प्रो. आशुतोष सक्सेना ने किया। G20: टिकाऊ और न्यायसंगत वैश्विक विकास के पहलु पर विचार-विमर्श केंद्रित था. श्री एस.के. सिंह ने वैश्विक शासन में समानता और टिकाऊ विकास के विषय में अपने विचार रखे. आमंत्रित वक्ता, प्रो. राजेश कुमार और प्रज्ञा त्रिपाठी ने अपनी महत्त्वपूर्ण प्रस्तुतियों से सभा को सोचने पर विवश किया। अभिनव शाक्य और ऋचा यादव ने इसी थीम पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
दूसरे तकनीकी सत्र में दो विषयों पर विमर्श को शामिल किया गया: ए) जी20: “वसुधैव कुटुम्बकम” दृष्टिकोण के तहत समावेशी वैश्विक विकास, और बी) जी20: पर्यावरण संकट, हरित ऊर्जा, हरित शासन और आपदा प्रबंधन। पीपीएन कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अनूप सिंह ने इस सत्र की अध्यक्षता की और अपने ज्ञानवर्धक अभिभाषण से सबको सोचने पर विवश किया. उन्होंने “वसुधैव कुटुमकम” के दर्शन पर विस्तार से अपने मत प्रस्तुत किये। डॉ अनुज मिश्रा ने वसुधैव कुटुमकम के भारतीय वैश्विक शासन के दर्शन की विशिष्टता के बारे में अपने दृष्टिकोण साझा किए। डॉ. कीर्ति मिश्रा ने खाद्य सुरक्षा और बाजरा परियोजनाओं में भारतीय पहल पर एक प्रस्तुति दी। सोनू त्रिवेदी और ऐश्वर्या अवस्थी ने मानवता और मानव अस्तित्व के लिए पर्यावरण की महत्वपूर्ण अन्योन्याश्रितता पर प्रस्तुतियां दीं।
दिन के अंतिम तकनीकी सत्र में “विकास, व्यापार और सुरक्षा के लिए ग्लोबल साउथ में G20 राष्ट्रों द्वारा संकट प्रबंधन” विषय पर विचार-विमर्श किया गया। डॉ. पद्मा अय्यर ने सत्र की अध्यक्षता की और सतत विकास के लिए जी20 देशों द्वारा अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों में किये गए कायों के बारे में चर्चा की। डॉ. रश्मि मिश्रा और प्रो. अनुराग रत्न ने अंतर्राष्ट्रीय संकट और उस पर भारतीय प्रतिक्रियाओं और पहल के बारे में मंत्रणा की। उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप में सुरक्षा संकट से संबंधित मुद्दों पर विचार प्रस्तुत किये। आमिर ने एक बहु-ध्रुवीय दुनिया में नई भारतीय विदेश नीति की पहल पर एक पेपर प्रस्तुत किया जहां एक बहु-संरेखित दृष्टिकोण सबका ध्यान आकर्षित कर रहा है.
राष्ट्रीय संगोष्ठी के पहले दिन G20 पर कुछ व्यावहारिक एवं महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया गया और उन पर वृहत विवेचना हुई. इस संगोष्ठी ने विभिन्न मुद्दों पर महत्वपूर्ण दृष्टिकोण एवं उठे सवालों ने सबका ध्यान आकर्षित किया. सभी के लिए यह एक सार्थक प्रयास सिद्ध हुआ है.इस संगोष्ठी के पहले दिन के सफल आयोजन में क्राइस्ट चर्च कॉलेज की आयोजन समिति ने कड़ी मेहनत की है जिसमे मुख्य रूप से डॉ. अर्चना हिना, साक्षी, इशिता, ऋचा, शैली, अभिनव, आमिर, उज्जवल अभिषेक, ईशान, मानवी, श्रजल शामिल हैं.।आईआईपीए की आयोजन टीम के सदस्य सीए विनय जैन और धीरेंद्र कुमार ने भूमिका निभाई।
मुख्य समाचार
डॉ. मनसुख मांडविया ने क्षय रोग के उन्मूलन हेतु देशव्यापी जागरूकता अभियान के लिए 75 ट्रकों को झंडी दिखाकर रवाना किया
“समूचा राष्ट्र क्षय रोग के उन्मूलन की दिशा में कार्य करने के लिए जनभागीदारी की भावना से उत्साहित और संगठित है। एसडीजी 2030 लक्ष्य से पांच साल पहले देश से क्षय रोग का उन्मूलन करने संबंधी प्रधानमंत्री मोदी के स्पष्ट आह्वान के साथ आज 71,000 से अधिक निक्षय मित्र आगे आए हैं तथा कॉरपोरेट्स, गैर-सरकारी संगठनों, जनप्रतिनिधियों, व्यक्तियों आदि सभी हितधारकों को संगठित कर टीबी का उन्मूलन करने संबंधी केंद्र सरकार की निक्षय योजना के तहत पोषण संबंधी सहायता और अन्य माध्यमों से 10 लाख से अधिक टीबी रोगियों की सहायता कर रहे हैं।” यह बात आज केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने पार्टनरशिप एक्शन अगेन्स्ट ट्यूबरक्लोसिस (पीएसीटी) शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही। डॉ. मांडविया ने टीबी के संबंध में जागरूकता संदेशों वाले 75 ट्रकों को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना गया। ये ट्रक निक्षय योजना में सक्रिय सहायता दे रहे अपोलो टायर्स फाउंडेशन ने प्रदान किए हैं। ये ट्रक टीबी मुक्त भारत के संदेश के साथ राज्यों की यात्रा करेंगे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस कार्यक्रम में कई टीबी रोगियों को पोषण टोकरियां भी वितरित कीं।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने विस्तार से बताया कि “भारत का अपना स्वास्थ्य सेवा मॉडल साझा सामाजिक और राष्ट्रीय उत्तरदायित्वों से युक्त है। अन्य हितधारकों के सहयोग का लाभ उठा राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की सहायता करने में बहु-क्षेत्रीय संपर्क एक प्रमुख स्तंभ है। केवल अपने साझा प्रयासों और सहयोग से ही हम 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। मैं सभी से जनभागीदारी की भावना से आगे आने का आग्रह करता हूं।” उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि निक्षय मित्र टीबी रोगियों को केवल वित्तीय और पोषण संबंधी सहायता ही प्रदान नहीं करते, बल्कि निक्षय मित्र पोर्टल पर उनके साथ निजी रूप से जुड़कर उनकी समग्र भलाई भी सुनिश्चित करते हैं। डॉ. मांडविया ने क्षय रोग के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए अपोलो टायर्स फाउंडेशन द्वारा देश के 19 राज्यों में 32 स्थानों पर हीरोज ऑन व्हील्स (ट्रक ड्राइवर्स) और अन्य कमजोर समूहों को जोड़कर टीबी मुक्त भारत अभियान को तेज करने के अभिनव तरीके की सराहना की। उन्होंने प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत 75 टीबी रोगियों को भी गोद लिया है। इस बात पर गौर करते हुए कि ट्रक चालक टीबी रोगियों का एक महत्वपूर्ण समूह हैं, डॉ. मांडविया ने कहा कि समय पर परीक्षण, पूरा उपचार कराने आदि के माध्यम से टीबी की रोकथाम और नियंत्रण के बारे में जागरूकता फैलाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पांच स्थानों (दिल्ली, मुंद्रा पोर्ट- गुजरात, हैदराबाद, जालंधर और अगरतला) से टीबी संदेशों के साथ ब्रांडेड 75 ट्रकों की पहल ट्रक ड्राइवरों के समुदायों और समुदाय से जुड़े अन्य लोगों के बीच टीबी से निपटने के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने अन्य कॉरपोरेट्स, संस्थानों, व्यापार निकायों, संघों और व्यक्तियों से भी आगे आने और क्षय रोग के खिलाफ भारत की लड़ाई में सक्रिय सहायता देने का आग्रह किया। सुश्री रोली सिंह, अपर सचिव और एमडी एनएचएम, स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान में एक साथ आने और अपनी रणनीतियों के माध्यम से इसमें योगदान देने के लिए कॉरपोरेट्स और भागीदार एजेंसियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट क्षेत्र अंतिम व्यक्ति तक पहुंच कायम करने और समाज को सरकार की विभिन्न पहलों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि 300 कॉरपोरेट्स ने कॉरपोरेट टीबी प्रतिज्ञा ली है।इस अवसर पर डॉ. कुलदीप सिंह सचदेवा, दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्रीय निदेशक, द इंटरनेशनल यूनियन अगेंस्ट लंग डिजीज एंड ट्यूबरकुलोसिस, श्री गौरव कुमार, मुख्य वित्तीय अधिकारी, अपोलो टायर्स लिमिटेड और सुश्री रिनिका ग्रोवर, प्रमुख, सस्टेनेबिलिटी एंड सीएसआर, अपोलो टायर्स भी उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम को यहां देखा जा सकता है:
https://youtube.com/live/SySolzPQFWI?feature=share
उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए विकास पहल
केंद्रीय बजट 2022-23 में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री की विकास पहल (पीएम-डिवाइन) स्कीम को एक नई केंद्रीय क्षेत्र स्कीम के रूप में घोषित किया गया था। मंत्रिमंडल ने 12 अक्टूबर, 2022 को पीएम-डिवाइन स्कीम को मंजूरी दी। 100% केंद्रीय वित्त पोषण वाली इस स्कीम में वर्ष 2022-23 से 2025-26 (15वें वित्त आयोग की अवधि के शेष वर्ष) तक 4 साल की अवधि के लिए 6,600 करोड़ रुपये का कुल परिव्यय होगा। पीएम-डिवाइन के उद्देश्य हैं: (i) पीएम गतिशक्ति की भावना के अनुरूप अवसंरचना को अभिसरण रूप से वित्त पोषित करना; (ii) पूर्वोत्तर क्षेत्र की महसूस की गई आवश्यकताओं के आधार पर सामाजिक विकास परियोजनाओं की सहायता करना; (iii) युवाओं और महिलाओं के लिए आजीविका कार्यकलापों को सक्षम बनाना; और (iv) विभिन्न क्षेत्रों में विकास अंतराल को भरना। पीएम-डिवाइन विद्यमान केंद्रीय और राज्य स्कीमों का एक विकल्प नहीं होगी। यह अवसंरचना का निर्माण करेगी, उद्योगों, सामाजिक विकास परियोजनाओं की सहायता करेगी और युवाओं तथा महिलाओं के लिए आजीविका गतिविधियों का निर्माण करने के साथ आय और रोजगार का सृजन करेगी। पीएम-डिवाइन स्कीम को उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर परिषद या केंद्रीय मंत्रालयों/एजेंसियों या राज्य सरकार की एजेंसियों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा। सरकार पर पड़ने वाले समय और लागत वृद्धि के निर्माण जोखिम को सीमित करने के लिए परियोजनाओं को इंजीनियरिंग-प्रोक्योरमेंट-कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) आधार पर यथासंभव कार्यान्वित किया जाएगा। पीएम-डिवाइन परियोजनाओं की संवहनीयता सुनिश्चित करने के लिए परिसंपत्तियों के प्रचालन और अनुरक्षण (ओ एंड एम) के लिए पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय या किसी अन्य मंत्रालय/विभाग की किसी भी अन्य स्कीम के साथ परियोजना सहायता का दोहराव न हो। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट 2022-23 में घोषित सात परियोजनाओं सहित ग्यारह परियोजनाओं (अनुबंध-I में विवरण) को मंजूरी के लिए चुना गया है।
क्र.
सं. |
परियोजना का नाम | अनुमोदित लागत
(करोड़ रु. में) |
1 | पूर्वोत्तर भारत में बाल चिकित्सा और वयस्क हेमटोलिम्फोइड कैंसर के प्रबंधन के लिए समर्पित सेवाओं की स्थापना, डॉ. बी. बोरुआ कैंसर संस्थान (बीबीसीआई), गुवाहाटी | 129.00 |
2 | नैक्टर आजीविका सुधार परियोजना (बहु-राज्य): मूल्य वर्धित उत्पादों के लिए बनाना स्यूडो स्टेम के उपयोग पर मूल्य श्रृंखला | 67.00 |
3 | किसानों के क्षमता निर्माण और प्रमाणन की सुविधा के माध्यम से उन्नत कृषि तकनीक और डिजिटल डेटा प्रबंधन का उपयोग करके पूर्वोत्तर भारत में वैज्ञानिक जैविक कृषि को बढ़ावा देना (बहु-राज्य) | 45.00 |
4 | मिजोरम में पश्चिमी किनारे पर आइजोल बाईपास का निर्माण | 500.00 |
5 | मिजोरम में 33.58 करोड़ रुपये की लागत से तुइरियल एयरफील्ड से नॉर्थ चाल्टलांग (18 किमी) तक; और 66.42 करोड़ रुपये की लागत से लेंगपुई से साईफल बांस बागान (41 किमी) तक बांस लिंक सड़कों का निर्माण और उन्नयन | 100.00 |
6 | पश्चिम सिक्किम में पेलिंग से सांगा-चोएलिंग तक यात्री रोपवे प्रणाली के लिए गैप फंडिंग | 64.00 |
7 | दक्षिण सिक्किम में धापर से भालेडुंगा तक यात्री रोपवे के लिए गैप फंडिंग | 58.00 |
8 | लोक निर्माण विभाग, असम सरकार द्वारा असम के कामरूप जिले में उत्कृष्टता केंद्र के रूप में 20 स्कूलों का रूपांतरण | 132.86 |
9 | मेघालय सरकार के शहरी कार्य निदेशालय द्वारा न्यू शिलांग टाउनशिप में नई चार लेन की सड़क का निर्माण और साइकिलिंग ट्रैक, यूटिलिटी डक्ट्स, फुटपाथों आदि के साथ मौजूदा दो-लेन सड़क को चार-लेन में परिवर्तित करना | 146.79 |
10 | नागालैंड सरकार के अल्प विकसित क्षेत्र विभाग (डीयूडीए) द्वारा पूर्वी नागालैंड के विशेष विकास से संबंधित आजीविका परियोजनाएं | 180.00 |
11 | विद्युत विभाग, त्रिपुरा सरकार द्वारा त्रिपुरा में दूरस्थ बस्तियों को विद्युत की सुनिश्चित आपूर्ति के लिए सौर माइक्रो ग्रिड की स्थापना | 80.79 |
कुल | 1503.44 |
यह जानकारी पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
Read More »अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में सप्ताहभर की गतिविधियों के दौरान ईएसआईसी ने 9.3 करोड़ रुपये के 3724 मातृत्व लाभ दावों का निपटारा किया
हाल ही में ईएसआईसी ने बीमित महिलाओं को ऑनलाइन मातृत्व लाभ का दावा करने की सुविधा शुरू कर ईएसआई योजना के तहत बीमित महिलाओं के लिए विशेष पहल की है। इसका मकसद प्रौद्योगिकी की मदद से लाभ उठाने के प्रयासों को आसान बनाकर उन्हें सशक्त करना है। टेलीमेडिसिन जैसी तकनीक आधारित सुविधाओं ने महिला लाभार्थियों को अपने घरों से ही स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने में काफी मदद की है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के लिए जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सप्ताह भर चली गतिविधियों की श्रृंखला का आज समापन हो गया। इस अवसर पर कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) मुख्यालय, नई दिल्ली में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार की अध्यक्षता ईएसआईसी के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र कुमार ने की। कार्यक्रम में वित्त आयुक्त, ईएसआईसी, टी. एल. यादेन; सीवीओ, ईएसआईसी, श्री मनोज कुमार सिंह; उप महानिदेशक, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) श्रीमती अनुजा बापट; और वरिष्ठ विशेषज्ञ एवं निदेशक, नीति आयोग, डॉ. साक्षी खुराना उपस्थित थे। इस साल की थीम ‘डिजिटऑल: इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी फॉर जेंडर इक्वैलिटी’ का जिक्र करते हुए डॉ. राजेंद्र कुमार ने आईटी आधारित प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर महिलाओं को सशक्त बनाने पर जोर दिया, जिससे वे इस प्रतिस्पर्धी दुनिया में अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम बनेंगी। उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी आधारित समाधानों के माध्यम से महिलाएं अपने घरों से ही स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बना सकती हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारे समाज की महिलाओं को उच्च महत्व का एहसास कराने और उन्हें प्रदान करने का भी समय है। उन्होंने कहा कि कार्य क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी में रैंकिंग कम होने के बावजूद समावेशी एवं एकीकृत प्रौद्योगिकी के जरिए लैंगिक समानता के दृष्टिकोण को जल्दी हासिल किया जा सकता है।
ईएसआईसी की वित्त आयुक्त सुश्री टी. एल. यादेन ने बीमित महिलाओं के मातृत्व लाभ के ऑनलाइन दावे की सुविधा के लिए ईएसआईसी के प्रयासों की प्रशंसा की। इससे तकनीक की मदद से महिला लाभार्थियों को लाभ पाना आसान बनाकर सशक्त किया जा सकेगा। उन्होंने प्रौद्योगिकी के महत्व को दोहराया, जो भेदभाव कम कर और समाज के सभी सदस्यों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराकर महिलाओं को सशक्त बनाने का माहौल तैयार करने में सक्षम है। ईएसआईसी के सीवीओ श्री मनोज कुमार सिंह ने जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की हिस्सेदारी और योगदान की चर्चा की।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) की उप महानिदेशक श्रीमती अनुजा बापट ने जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं को समान अवसर उपलब्ध कराने पर जोर दिया। उन्होंने महिलाओं को समाज कल्याण योजनाओं की मुख्यधारा में लाने का भी आग्रह किया।
वरिष्ठ विशेषज्ञ और निदेशक, नीति आयोग, डॉ. साक्षी खुराना ने उन महिलाओं के साथ काम करने के अपने अनुभव साझा किए, जो समाज के हाशिये पर हैं। उन्होंने बताया कि कैसे ईएसआईसी और ईपीएफओ की सामाजिक सुरक्षा योजनाएं उनके जीवन की मुश्किलों को कम करने में मदद कर रही हैं।
चिकित्सा आयुक्त, ईएसआईसी, डॉ. दीपिका गोविल ने स्वास्थ्य शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी के बारे में बताया। उन्होंने समाज में समानता हासिल करने के लिए समता की भावना को बढ़ावा देने पर जोर दिया। बीमा आयुक्त (पी एंड ए) श्री दीपक जोशी ने दुनियाभर की महिलाओं की उपलब्धियों और उन्हें सशक्त बनाने के तरीकों के बारे में बात की।
कार्यक्रम के दौरान हफ्तेभर की गतिविधियों के दौरान आयोजित निबंध प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को गणमान्य व्यक्तियों ने नकद पुरस्कार और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया। समारोह में ईएसआईसी मुख्यालय के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने हिस्सा लिया।
रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के नौसेना प्रमुख मार्क हैमंड भारत की यात्रा पर
इस बातचीत के दौरान दोनों देशों और नौसेनाओं के बीच बढ़ते सहयोग को मजबूत करने के तरीके, मौजूदा/ उभरती समुद्री सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के साझा तरीके, और मुक्त, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक/आईओआर की प्राप्ति के लिए सहयोग और अंतरप्रचालनीय-क्षमता बढ़ाने की पहल चर्चा की गई ।
भारतीय नौसेना अनेक मुद्दों पर आरएएन के साथ निकटता से सहयोग करती है, जिसमें ऑसिनडेक्स, काकाडू और पी8 ऑपेरशन, प्रशिक्षण संबंधी आदान-प्रदान, व्हाइट शिपिंग सूचनाओं का आदान-प्रदान और विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग विषय के विशेषज्ञों के बीच बातचीत शामिल हैं । इन सभी बातचीत को स्टाफ वार्ता जैसे मंचों के ज़रिए समन्वित किया जाता है । यह बैठकें प्रतिवर्ष आयोजित की जाती हैं । इसके अलावा, दोनों नौसेनाओं के युद्धपोत नियमित रूप से एक-दूसरे के बंदरगाहों पर पोर्ट कॉल करते हैं और बहुपक्षीय अभ्यासों जैसे मालाबार, रिमपैक, लैपरोस आदि में बातचीत करते हैं । दोनों नौसेनाएं ‘मेक इन इंडिया’ विजन को साकार करने की दिशा में नवाचार और उभरती रक्षा प्रौद्योगिकियों, रक्षा उद्योग, रक्षा के क्षेत्रों में सहयोग के लिए नए रास्ते तलाशने की दिशा में भी सहयोग कर रही हैं ।
रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के नौसेना प्रमुख की यात्रा भारतीय नौसेना और रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के बीच निरंतर और नियमित बातचीत में एक महत्वपूर्ण घटना है, और यह दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को ध्यान में रखते हुए नौसेना से नौसेना के सहयोग को मजबूत करती है ।
कलेक्ट्रेट सभागार में जनपद के बैंकों की जिला स्तरीय समिति की समीक्षा बैठक संपन्न
1 मार्च, 2023 कानपुर नगर। जिलाधिकारी विशाख जी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में जनपद के बैंकों की जिला स्तरीय समिति की समीक्षा बैठक संपन्न हुई। बैठक के दौरान पी.एम.ई.जी.पी. योजना, एक जनपद एक उत्पाद योजना, पी०एम० स्वनिधि योजना, के.सी.सी.(फसली ऋण) योजना के साथ-साथ विगत बैठक में दिए गए निर्देशों की समीक्षा की गई।
समीक्षा बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को निम्नलिखित निर्देश दिए:-
किसान क्रेडिट कार्ड (के०सी०सी०): पशुपालकों एवं मत्स्य पालाकों को किसान क्रेडिट कार्ड प्रदान किए जाने एवं अन्य सरकारी योजनाओं में भारतीय स्टेट बैंक द्वारा ऋण स्वीकृति एवं वितरण का प्रतिशत अपेक्षाकृत कम होने एवं ऋण अस्वीकृति का प्रतिशत सर्वाधिक होने के कारण मुख्य विकास अधिकारी को निर्देशित किया गया कि वह बैंक की खराब प्रगति के संबंध में आंतरिक जांच कराए जाने हेतु भारतीय स्टेट बैंक के उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाए।
अग्रणी जिला प्रबंधक एवं जिला स्तरीय समिति के समस्त सदस्य यह सुनिश्चित करें कि आवेदनकर्ता एवं संबंधित विभाग द्वारा जिस योजना के तहत ऋण प्रदान करने के आवेदन का अग्रसारण किया गया है, उसी योजना में ऋण स्वीकृत किया जाए। कोई भी बैंक ऋण प्रदान करने हेतु योजना परिवर्तित नहीं की जाएगी।
एक जनपद एक उत्पाद योजना उत्तर प्रदेश सरकार की एक अति महत्वाकांक्षी योजना है, जिसमें कानपुर नगर जनपद के लिए चमड़े एवं होजरी उद्योगों को सम्मिलित किया गया है। इस योजनांतर्गत जिला उद्योग केंद्र द्वारा प्रेषित आवेदनों के सापेक्ष बैंक ऑफ बड़ौदा, यूको बैंक, इंडियन बैंक का ऋण स्वीकृति कम होने पर रोष व्यक्त किया गया एवं लंबित आवेदनों पर शीघ्र आवश्यक कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए गए।
पी०एम० स्वनिधि योजना के अंतर्गत बैंक ऑफ इंडिया, बड़ौदा यू.पी. बैंक, कैनेरा बैंक एवं भारतीय स्टेट बैंक के पास लंबित ऋण आवेदनों को एक सप्ताह के अंदर निस्तारित कराए जाने के निर्देश दिए गए।
जिला उद्यान अधिकारी को निर्देशित किया गया कि वह प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना अंतर्गत ऋण प्राप्त करने वाली 05 इकाईयों का निरीक्षण कर बेस्ट प्रैक्टिस के संबंध में आख्या फोटोग्राफ सहित उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
उक्त बैठक में मुख्य विकास अधिकारी श्री सुधीर कुमार, अपर जिलाधिकारी(नगर) अतुल कुमार, अग्रणी जिला प्रबंधक, मुख्य पशुचिकित्साधिकारी एवं अन्य संबंधित अधिकारियों के साथ बैंकों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
नितिन गडकरी ने भारतमाला परियोजना के तहत 1292.65 करोड़ रुपये की लागत से आंध्र प्रदेश में हाइब्रिड एन्युटी मोड में (एनएच-544जी) बेंगलुरु-विजयवाड़ा आर्थिक गलियारा पर 32 किलोमीटर लंबे 6-लेन एक्सेस नियंत्रित ग्रीनफील्ड हाईवे के विकास को मंजूरी दी
गडकरी ने ईपीसी मोड के जरिए पश्चिम बंगाल में 410.83 करोड़ रुपये की राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना को मंजूरी दी
मंत्री ने बताया कि पूरा खंड पेव्ड शोल्डर कॉन्फिगरेशन के साथ 2-लेन का है। उन्होंने आगे कहा कि यह गलियारा दक्षिण भारतीय राज्यों व ओडिशा से उत्तर बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों की ओर जाने वाले यातायात के लिए प्रमुख गलियारों में से एक के रूप में कार्य कर रहा है। गडकरी ने कहा कि यह खड़गपुर, मिदनापुर, चंद्रकोणा रोड, गढ़बेटा, बिष्णुपुर, बांकुरा, रानीगंज, पंडाबेश्वर, दुबराजपुर, सूरी, रामपुरहाट और नलहाटी आदि जैसे कई महत्वपूर्ण औद्योगिक, धार्मिक व कृषि क्षेत्रों को जोड़ता है।
तीसरी ई-नीलामी के दौरान खुले बाजार में 18.05 लाख मीट्रिक टन गेहूं बिका
पहली नीलामी 1 और 2 फरवरी 2023 को आयोजित हुई थी, जिसमें 9.13 लाख मीट्रिक टन 1016 बोलीदाताओं को 2474 रुपये प्रति क्विंटल के भारित औसत मूल्य पर बेचा गया था। इसी तरह से 15 फरवरी 2023 को आयोजित हुई दूसरी नीलामी में 3.85 लाख मीट्रिक टन गेहूं 1060 बोलीदाताओं को 2338 रुपये प्रति क्विंटल के भारित औसत मूल्य पर बेचा गया था। बोलीदाताओं की अधिकतम संख्या ने 100 मीट्रिक टन से लेकर 500 मीट्रिक टन की सीमा के बीच में गेहूं खरीदा, जो छोटे तथा मध्यम व्यापारियों और मिलरों की सक्रिय भागीदारी एवं रुचि को दर्शाता है ताकि गेहूं व आटे की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित किया जा सके।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र ने कहा, भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 2030 तक 300 अरब डॉलर को छूने की ओर अग्रसर
मंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, सरकार देश में ‘उच्च प्रदर्शन वाले जैव-विनिर्माण’ को आगे बढ़ाकर सर्कुलर-जैव-अर्थव्यवस्था को सक्षम करने के लिए प्रतिबद्ध है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) हरित, स्वच्छ और समृद्ध भारत के लिए बायोई3 (यानी अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी) के विभाग के एक प्रमुख लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति को एक साथ लाने की परिकल्पना करता है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत आगामी ‘अमृतकाल’ में “हरित विकास” की कल्पना करता है और इसके लिए हमारे राष्ट्र के चल रहे आर्थिक विकास को और बढ़ावा देने के लिए मजबूत अभिनव जैव-आधारित पर्यावरण-अनुकूल समाधानों के कार्यान्वयन के लिए एक व्यवस्थित रूपरेखा योजना की आवश्यकता है। मंत्री ने कहा कि इसके अतिरिक्त, 20 अक्टूबर, 2022 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुभारंभ किया गया “मिशन लाइफ” यानी ‘लाइफस्टाइल फॉर द एनवायरनमेंट (लाइफ)’ हमें जलवायु और ऊर्जा लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से प्राप्त करने के लिए जीवन के हर पहलू में हरित और अनुकूल पर्यावरणीय समाधानों को आगे बढ़ाने का आग्रह करता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि यह कार्यक्रम घरेलू विनिर्माण (उद्योग 4.0) का समर्थन करके ‘मेक इन इंडिया’ को मजबूत करेगा, क्योंकि यह देश भर में जैव-विनिर्माण के लिए हरित बुनियादी ढांचे के निर्माण में सहायता करेगा। इसके अलावा, यह जैव-विनिर्माण के क्षेत्र में एक कुशल कार्यबल के विकास, विशेष रूप से दो और तीन-स्तरीय शहरों में रोजगार सृजन और उद्यमिता में वृद्धि और बाजार के अवसरों का विस्तार करने के लिए बायोजेनिक उत्पादों के लिए नीतियों और विनियमों को कारगर बनाने का भी काम करेगा। मंत्री ने बताया कि यह नवीकरणीय संसाधनों से उच्च गुणवत्ता, पुनर्चक्रण योग्य वस्तुओं का निर्माण करके रासायनिक व्यवसायों को राजस्व सृजन के नए अवसर प्रदान करेगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जैव-विनिर्माण नवोन्मेष, ऊर्जा कुशल और कम प्रदूषण के कारण एक बड़ी क्षमता प्रदान करता है, क्योंकि यह व्यावसायिक रूप से प्रासंगिक उत्पादों का उत्पादन करने के लिए रोगाणुओं, पौधों की कोशिकाओं और एंजाइमों सहित जैविक प्रणालियों को नियोजित करता है। उन्होंने बताया कि इस पहल की मुख्य चीज में जैव प्रौद्योगिकी के उन्नत उपकरण शामिल हैं जिनमें सिंथेटिक बायोलॉजी, जीनोम एडिटिंग, माइक्रोबियल बायो-रिसोर्सेज, मेटाबोलिक इंजीनियरिंग आदि शामिल हैं।
डीबीटी के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने अपने संबोधन में कहा कि भारत कच्चे तेल का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा आयातक और तरलीकृत प्राकृतिक गैस का चौथा सबसे बड़ा आयातक है, जिसका एक बड़ा हिस्सा रासायनिक औद्योगिक निर्माण में उपयोग किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि जीवाश्म ईंधन के प्रमुख घटक हाइड्रोकार्बन को जलाने से सीओ2 एक प्रमुख उप-उत्पाद के रूप में निकलती है, जो ग्लोबल वार्मिंग में महत्वपूर्ण योगदान देती है। डॉ. गोखले ने कहा कि 2027 तक भारत को ‘नेट जीरो’ कार्बन इकोनॉमी’ बनाने के प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण के संदर्भ में, हम बायो-मैन्युफैक्चरिंग के एक एकीकृत और समावेशी दृष्टिकोण को अपनाकर बायो-बेस्ड सर्कुलर कार्बन इकोनॉमी की ओर एक आदर्श बदलाव की उम्मीद करते हैं।
डॉ. गोखले ने बताया कि विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में रासायनिक उत्पादों के विकल्प के रूप में जैव-आधारित उत्पादों के निर्माण के लिए पायलट-स्केल आधारित जैव-विनिर्माण इकाइयां उन्नत माइक्रोबियल सेल कारखानों (और चीनी/बायोमास/अपशिष्ट-आधारित कच्चे माल) का उपयोग करके किण्वन को नियोजित करेंगी। इनमें से कुछ क्षेत्रों में खाद्य योजक, बायोफार्मास्यूटिकल्स, बायोजेनिक डाई, थोक रसायन, पशु चारा उत्पाद, स्वाद/सुगंध, जैव सामग्री, कृषि-जैव उत्पाद आदि शामिल हैं।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अलका शर्मा ने रेखांकित किया कि इस दृष्टिकोण के माध्यम से उद्योग 4.0 के लिए विनिर्माण का एक अभिनव ‘प्लग एंड प्ले’ मॉडल प्रस्तावित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, इस पहल के केंद्र में बायोटेक्नोलॉजी के उन्नत उपकरण शामिल हैं जिनमें सिंथेटिक बायोलॉजी, जीनोम एडिटिंग, मेटाबोलिक इंजीनियरिंग आदि शामिल हैं।
डीबीटी में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वैशाली पंजाबी ने “बायोमेन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम का अवलोकन” प्रस्तुत करते हुए कहा कि इसमें बायोजेनिक उत्पादों जैसे कि खाद्य योजक, बायोफार्मास्यूटिकल्स, बायोजेनिक के निर्माण के माध्यम से पारंपरिक पेट्रोकेमिकल-आधारित विनिर्माण का विकल्प प्रदान करने की क्षमता है। शुगर आधारित माइक्रोबियल किण्वन और अन्य टिकाऊ बायोमास/अपशिष्ट संसाधन-आधारित निर्माण विधियों का उपयोग करके रंजक, थोक रसायन, पशु चारा उत्पाद, स्वाद/सुगंध, जैव सामग्री, कृषि-जैव उत्पाद, आदि इसमें शामिल हैं