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प्रधानमंत्री ने इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथेरेपिस्ट के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया

इस अवसर पर अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री ने फिजियोथेरेपिस्ट के महत्व को सांत्वना, आशा, सौम्यता और पुनर्स्वास्थ्य लाभ के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि एक फिजियोथेरेपिस्ट न केवल शारीरिक चोट का इलाज करता है बल्कि रोगी को मनोवैज्ञानिक चुनौती से निपटने का साहस भी देता है।

प्रधानमंत्री ने फिजियोथेरेपिस्ट पेशे की व्यावसायिकता की सराहना करते हुए कहा कि शासन की भावना के अनुरूप कैसे उनमें आवश्यकता के समय सहायता प्रदान करने की समान भावना अंतर्निहित होती है। उन्होंने कहा कि बैंक खाते, शौचालय, नल का पानी, निःशुल्क चिकित्सा उपचार और सामाजिक सुरक्षा तंत्र के निर्माण जैसी बुनियादी जरूरतों के प्रावधान में सहायता के साथ, देश का गरीब और मध्यम वर्ग अब अपने सपनों को साकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने दुनिया को दिखा दिया है कि वे अपनी क्षमता से नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में सक्षम हैं।

इसी तरह, उन्होंने रोगी में आत्मनिर्भरता का भाव सुनिश्चित करने वाले इस पेशे की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत भी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पेशा ‘सबका प्रयास’ का भी प्रतीक है क्योंकि रोगी और चिकित्सक दोनों को समस्या पर काम करने की जरूरत है और यह स्वच्छ भारत और बेटी बचाओ जैसी कई योजनाओं और जन आंदोलन में परिलक्षित होता है।

प्रधानमंत्री ने फिजियोथेरेपी की भावना को रेखांकित किया जिसमें सामजस्यता, निरंतरता और दृढ़ विश्वास जैसे कई महत्वपूर्ण संदेश हैं जो शासन की नीतियों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव में, फिजियोथेरेपिस्ट को एक पेशे के रूप में बहुप्रतीक्षित मान्यता मिली, क्योंकि सरकार संबद्ध और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर विधेयक के लिए राष्ट्रीय आयोग लेकर आई, जो देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में फिजियोथेरेपिस्ट के योगदान को मान्यता देता है। श्री मोदी ने कहा कि इससे आप सभी के लिए भारत के साथ-साथ विदेशों में भी काम करना आसान हो गया है। सरकार ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन नेटवर्क में फिजियोथेरेपिस्ट को भी जोड़ा है। इससे आपके लिए रोगियों तक पहुंचना आसान हो गया है। प्रधानमंत्री ने फिट इंडिया मूवमेंट और खेलो इंडिया के वातावरण में फिजियोथेरेपिस्ट के लिए बढ़ते अवसरों की भी चर्चा की।

प्रधानमंत्री ने फिजियोथेरेपिस्ट से लोगों को उचित मुद्रा, सही आदतें, सटीक व्यायाम के बारे में शिक्षित करने के कार्य को अपनाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि लोग फिटनेस को लेकर सही दृष्टिकोण अपनाएं। उन्होंने कहा कि आप इसे लेख लिखने और व्याख्यान देने के माध्यम से कर सकते हैं और मेरे युवा मित्र इसे रील्स के माध्यम से भी दिखा सकते हैं।

फिजियोथेरेपी के अपने व्यक्तिगत अनुभव का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा अनुभव है कि जब योग की विशेषज्ञता को फिजियोथेरेपिस्ट के साथ जोड़ा जाता है तो इसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। शरीर की सामान्य समस्याएं, जिनमें अक्सर फिजियोथेरेपी की जरूरत पड़ती है, कई बार योग से भी दूर हो जाती हैं। इसलिए आपको फिजियोथेरेपी के साथ-साथ योग भी जरूर जानना चाहिए। यह आपकी पेशेवर क्षमता को बढ़ाएगा।

फिजियोथेरेपी पेशे का एक बड़े हिस्से के वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े होने को देखते हुए, प्रधानमंत्री ने अनुभव और सरल-कौशल की आवश्यकता पर बल दिया और पेशेवरों से दस्तावेजों को सहेजते हुए उन्हें दुनिया के सामने अकादमिक दस्तावेज प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रस्तुत करने को कहा।

श्री मोदी ने इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से वीडियो परामर्श और टेली-मेडिसिन के तरीके विकसित करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यह तुर्की में भूकंप जैसी स्थितियों में उपयोगी हो सकता है जहां बड़ी संख्या में फिजियोथेरेपिस्ट की जरूरत होती है और भारतीय फिजियोथेरेपिस्ट मोबाइल फोन के माध्यम से वहां मदद कर सकते हैं और फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन को इस दिशा में विचार करने को कहा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के समापन पर कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि आप जैसे विशेषज्ञों के नेतृत्व में, भारत फिट भी होगा और सुपर हिट भी होगा।

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10.02.2023 तक वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रत्यक्ष कर संग्रह ₹15.67 लाख करोड़ रहा जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के सकल संग्रह से 24.09% अधिक है

10 फरवरी, 2023 तक प्रत्यक्ष कर संग्रह के अस्थायी आंकड़ों में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। 10 फरवरी, 2023 तक प्रत्यक्ष कर संग्रह दर्शाता है कि सकल संग्रह 15.67 लाख करोड़ रुपये हो गया है जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के सकल संग्रह से 24.09% अधिक है। प्रत्यक्ष कर संग्रह, रिफंड का शुद्ध 12.98 लाख करोड़ रुपये है जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के शुद्ध संग्रह से 18.40% अधिक है। यह संग्रह वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए प्रत्यक्ष करों के कुल बजट अनुमानों का 91.39% है और वित्त वर्ष 2022-23 के लिए प्रत्यक्ष करों के संशोधित अनुमानों का 78.65% है।

जहां तक सकल राजस्व संग्रह के संदर्भ में कॉर्पोरेट आयकर (सीआईटी) और व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) की वृद्धि दर का संबंध है,सीआईटी के लिए विकास दर 19.33% है जबकि पीआईटी (एसटीटी सहित) के लिए 29.63% है। रिफंड के समायोजन के बाद, सीआईटी संग्रह में शुद्ध वृद्धि 15.84% है और पीआईटी संग्रह में 21.93% (केवल पीआईटी)/21.23% (एसटीटी सहित पीआईटी) है।

1 अप्रैल, 2022 से 10 फरवरी, 2023 के दौरान 2.69 लाख करोड़ रुपये की राशि का रिफंड जारी किया गया है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान जारी किए गए रिफंड से 61.58% अधिक है।

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प्रधानमंत्री 12 फरवरी को महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में साल भर चलने वाले समारोह का उद्घाटन करेंगे

प्रधानमंत्री  मोदी 12 फरवरी, 2023 को सुबह 11 बजे दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में साल भर चलने वाले समारोह का उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर, प्रधानमंत्री उपस्थित लोगों को संबोधित भी करेंगे।

महर्षि दयानंद सरस्वती, जिनका जन्म 12 फरवरी 1824 को हुआ था, एक समाज सुधारक थे। उन्होंने 1875 में तत्कालीन सामाजिक असमानताओं से निपटने के लिए आर्य समाज की स्थापना की थी। आर्य समाज ने सामाजिक सुधारों और शिक्षा पर जोर देकर देश की सांस्कृतिक एवं सामाजिक जागृति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

सरकार समाज सुधारकों और महत्वपूर्ण हस्तियों, विशेष रूप से उन लोगों को सम्मानित करने के लिए प्रतिबद्ध है जिनके योगदानों को अभी तक अखिल भारतीय स्तर पर उपयुक्त श्रेय नहीं दिया गया है। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस घोषित करने से लेकर श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने तक, इस तरह की पहल का नेतृत्व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आगे बढ़कर कर रहे हैं।

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असीम सुख देता है रब से किया गया प्रेम

“पूछा जो इक रोज़ उसने …बता तो सही..क्या मिला तुम्हें
इश्क़ के दरिया में ?
मैंने हँस कर कहा …
न पूछ तू इश्क़ की सौग़ातों की बात…
बेशुमार दौलतें पाई है हमने …ख़ामोशियाँ ..
दर्द ..
इन्तज़ार ..
बेचैनियाँ .. अश्क ..सभी तो पाया हमने …
और हाँ !
सबसे ज़्यादा सकून तो तब मिला ,जब मेरी ख़ुदी ही खो गई।अब तू बता ?
“क्या कम पाया है मैंने “?

🌹फ़रवरी का महीना
गुलाब के फूल,
इश्क़ की ख़ुशबू ,
मोहब्बत से महकता
ये महीना हर तरफ़ अपना ही रंग बिखेरे हुये होता है।
दोस्तों !
लाल गुलाब उसे ही दीया जाता है जो आप के लिए बेहद ख़ास हो।
जिसने आप की रूह को छू लिया हो।

प्रेम…
प्रेम प्रसाद की तरह होता है,
जो हर व्यक्ति के भाग्य में नहीं होता,……वो उसी को नसीब होता है,जिसे रूह की चाह होगी ,जिस्म की नही …..

किसी स्त्री को पत्नी बनाना,
उसके प्रेम को प्राप्त कर लेना नही है,क्योंकि स्त्री पति को सिर्फ उसका अधिकार देती है, प्रेम नही।
लोग अक्सर अधिकार ही देते है प्रेम नहीं …

प्रेम होना या किसी का प्रेम मिलना ये एक अलग और गहरी बात है। किसी किसी विरले के ही हिस्से में प्रेम आ पाता है, बाकि तो सब जीवन जी रहे हैं इक मृगतृष्णा में ..कि उन्हें प्रेम है या मिल रहा है।

प्रेम इक त्याग है ।
आसान नहीं होता ,प्रेम में रहना।
प्रेम को पाने के लिए उतना ही समर्पण चाहिए,
जितना हम भगवान को पाने के लिए करते है,
क्योंकि प्रेम को हम नही..बल्कि प्रेम हमको चुनता हैं….
बिना किसी आस के उम्र भर किसी को चाहते रहना ही प्रेम है।🙏

ज़्यादातर लोग आकर्षित होते है .. वो आकर्षण बहुत देर ठहरता नहीं। वक़्त के साथ ख़त्म होता चला जाता है।जिस प्रेम की मैं बात कर रही हूँ ।वो प्रेम ठहर जायेगा ..वहीं पर ….हमेशा के लिये . …
उसका जिस्म से कोई सरोकार
नहीं ..सिर्फ़ मतलब रह जाता है तो केवल रूह से।
रूह से जुड़ा प्रेम
वक़्त के साथ गहरा होता चला जाता है।
जो लोग दावा करते हैं अपने इश्क़ का .. अपने मन को टटोल कर देखे जिसे वह प्यार करते हैं , उसके लिए मन में क्या कभी पूजने का भाव आया है ?
क्या आप का प्रेम ,हमेशा एक ही के साथ ठहरा है कभी ..या फिर आज यहाँ और कल वहाँ ….अगर प्रेम में ठहराव नही है,
तो समझ जाईये कि आपको प्रेम नही ,सिर्फ़ इक आकर्षण हुआ है।
प्रेम तो जहां रम गया, जिसमें रम गया ,सो रम गया …फिर इधर-उधर नहीं भटकेगा।

यू भी दिल और दिमाग़ से किया प्रेम कुछ देर तो चल सकता है ,मगर ..रूह से किया गया
प्रेम तो …आख़िरी साँस तक
चलता है …

कृष्ण और मीरा का प्रेम…
कृष्णा और राधा का प्रेम ..
मर्यादाओं में बंधा हुआ ,..
दूर रह कर भी इक दूसरे की पीड़ा का अहसास था उनमे।
इक दूजे से दूर, मगर इक दूजे में ही समाये हुए।
बहुत पत्नियों के स्वामी थे कृष्णा।सब के लिए फ़र्ज़ निभाते, सब को अधिकार बाँटते ..
मगर खुद राधा के प्रेम में मग्न और परिपूर्ण रहते।वहाँ मिलन सिर्फ़ रूह का था ..शरीर का नही ..

सोचें दोस्तों !
हम कहाँ है ?
हमारा प्रेम कहाँ खड़ा है ?
क्या हम वाक़ई प्रेम में है या इक भ्रम में जी रहे हैं ।

हर कोई अघूरा है यहाँ ..
किसी विरले की ही तालाश पूरी होती है ।
नहीं तो हर कोई भटक रहा है प्रेम की तालाश में।
प्रेम मिलना बहुत मुश्किल है ..अगर मिल जाये कहीं …तो उसकी क़दर ज़रूर कीजिए। कई जन्मों के तप का नतीजा होता है सच्चा प्रेम।

इक बात मैं ज़रूर कहना चाहूँगी कि दुनिया का प्रेम कभी सुख देगा ,कभी दुख देगा .. मगर रब से किया गया प्रेम हमेशा असीम सुख देता है ..
दोस्तों !
सोचना अब आप को है …
कि आप को क्या चाहिए
“दुख सुख की छाँव “
या
“सदा का सुख
🙏🌹🙏🌹
लेखिका स्मिता

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अभिशप्त मैं

:- “पूनम यह लो पैसे और दो किलो बाजरे का आटा लेती आ।”

पूनम:- “वो पहले के बकाया पैसे मांग रहा है, परसों कह रहा था कि पहले पैसा लाओ फिर आटा दूंगा।”
माया:- “बोलना उससे कि इसी रूपये में से काट ले और जो हिसाब बचेगा वो अगली बार दे दूंगी।”
पूनम:- “ठीक है” और कराहती हुई उठी दुकान जाने के लिए।
माया भी कमर पकड़कर उठी तो दर्द से कराह उठी। मन ही मन बड़बड़ाते हुए काम पर जाने लगी तो पास ही बैठे हुए छोटे बच्चों की और देखा जो भूखे बैठे खाने की राह देख रहे थे। पति मदन अभी तक सोया पड़ा था। बच्चों के मुंह को देखकर माया रसोई में खाना बनाने चली गई। बड़ी लड़की को उसने आवाज देकर उठाया और काम में जुट गई। सब्जी छौंकते समय उसकी आंखों में आंसू आ गए। कैसा जीवन है हम औरतों का? पति की मार खाओ और पैसा भी कमाने जाओ? उस पर इन बच्चों का भार वो अलग से।
मदन रोज शराब पीकर आता और माया को पीटता था। उससे पैसे मांगता था और न देने पर पीटता था। उसकी बेटियां भी कम दुखी नहीं थी अपने बाप से। रोज मारकर उठाना आम बात थी। कभी लात से, कभी कुछ भी फेंककर मार दिया, इस तरह लड़कियों को उठाना आम बात थी। जिंदगी एक बोझ के सिवा कुछ नहीं लगती थी। “मेरे पास रास्ता भी तो नहीं है कुछ? इन बच्चों को किसके सहारे छोड़ कर जाऊं? और मैं खुद भी कहां जाऊं? मायका भी ऊंच नीच ही समझाएगा और उसका क्या करूं कि हमारे समाज में नहीं चलता यह सब और वैसे भी कितना भी कर लो वह पक्ष पति का ही लेगा। यह सब सुन कर भी दोषी मुझे ही बताया जाएगा। फिर बेचारी बनकर जीना ही एकमात्र पर्याय है।” टीस मारते हुए जख्मों की ओर देखती हुई माया सोचती रही।
चार बच्चों की मां बनाकर मदन ने माया पर घर की जिम्मेदारी का भार भी डाल दिया था। सुबह घर के काम के बाद बाहर घर काम के लिए निकल जाती थी। मुझे इन चुप रहती इन आंखों में कई सवाल दिखते थे। ऐसा लगता कि सवाल वह खुद से कर रही और जवाब भी खुद ही दे रही है। इसी उधेड़बुन में काम करते-करते उसके हाथों की गति तेज और तेज होती जाती।
माया:- “पैसे खत्म हो गए हैं सब्जी, आटा और तेल लाना है।”
मदन:-  “तो मैं क्या करूं? तू् लेकर आ, मेरे पास पैसे नहीं है।”
माया:- “अभी तो मेरे पास भी नहीं है।”
मदन:- “अभी कल ही तो पांच सौ देखे थे तेरे पास वो कहां गए? मुझे काम है दे वो पैसे?”
माया:- “नहीं है, खर्च हो गए।” और दोनों में बहस शुरू हो गई और लड़ते-लड़ते मदन का हाथ माया पर उठ जाता है। उसके हाथ में जो भी चीज आती है चप्पल, बेल्ट,  पाइप, पत्थर उसी से मारते जाता। माया चीखती रही और रोते रही। बड़ी बेटी मां को बचाने आई तो उसे भी मार पड़ गई। मां बेटी दोनों मार खाते रहे और चिल्लाते रहे। यह रोज की दिनचर्या थी।
काम करते-करते माया सोच रही थी कि, “मैं क्यों यह अभिशप्त जीवन जी रही हूं? क्यों नहीं यह सब छोड़ कर चली जाती हूं? यहां ऐसा कौन सा सुख है जिसकी मुझे लालसा है? मार खाने के बाद रात में शरीर पर रेंगते हाथ शरीर से ज्यादा मन की तकलीफ को बढ़ा देते? क्यों मजबूर हूं इस विवशता से भरे जीवन को जीने का जीने के लिए? क्या इसी अवसादपूर्ण जीवन के लिए इस आदमी से रिश्ता जोड़ा था, शादी की थी।” ~प्रियंका वर्मा महेश्वरी

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रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ को महत्वपूर्ण बढ़ावा: रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स के लिए 2,585 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि के 41 स्वदेशी मॉड्यूलर पुलों की खरीद के लिए एलएंडटी के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए

रक्षा मंत्रालय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण के तहत रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयासरत है। इसी क्रम में मंत्रालय ने भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स के लिए मॉड्यूलर पुलों के 41 सेट के स्वदेशी निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इन बहुउपयोगी एवं परिवर्तनकारी पुलों को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन तथा विकसित किया गया है। मॉड्यूलर पुलों को लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) द्वारा डीआरडीओ-नामित उत्पादन एजेंसी के रूप में तैयार किया जाएगा। मॉड्यूलर ब्रिज की खरीद के लिए 08 फरवरी, 2023 को एलएंडटी के साथ 2,585 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत पर अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए।

मॉड्यूलर ब्रिज के प्रत्येक सेट में 8×8 हैवी मोबिलिटी व्हीकल पर आधारित सात कैरियर व्हीकल और 10×10 हेवी मोबिलिटी व्हीकल पर लगने वाले दो लॉन्चर व्हीकल शामिल होंगे। प्रत्येक सेट यांत्रिक रूप से एकल मेहराब में पूरी तरह से 46-मीटर असॉल्ट ब्रिज को स्थाई आकार प्रदान करने में सक्षम होगा। पुल को त्वरित लॉन्चिंग और पुनर्प्राप्ति क्षमताओं के साथ नहरों एवं खाइयों जैसी विभिन्न प्रकार की बाधाओं पर काबू पाने के लिए स्थापित किया जा सकता है। यह अत्यधिक सचल है, बहुमुखी है और पहिएदार तथा किसी भी तरह की परिस्थितियों में इस्तेमाल करने में सक्षम है। मॉड्यूलर ब्रिज ट्रैक किए गए यंत्रीकृत वाहनों के साथ तालमेल रखने में सक्षम है।

मॉड्यूलर ब्रिज मैन्युअल रूप से लॉन्च किए गए मध्यम गर्डर ब्रिज (एमजीबी) का स्थान लेंगे, जो वर्तमान में भारतीय सेना में उपयोग किए जा रहे हैं। एमजीबी की तुलना में स्वदेशी रूप से डिजाइन एवं निर्मित मॉड्यूलर ब्रिज के कई फायदे होंगे जैसे कि इनके बढ़े हुए मेहराब, निर्माण के लिए कम समय और रिट्रीवल क्षमता के साथ मैकेनिकल लॉन्चिंग। इन पुलों की खरीद से पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय सेना की ब्रिजिंग क्षमता को काफी बढ़ावा मिलेगा। यह परियोजना विश्व स्तरीय सैन्य उपकरणों के डिजाइन एवं विकास में भारत की प्रगति को प्रदर्शित करेगी और मित्र देशों को रक्षा निर्यात बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

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भारत की प्रत्यायन प्रणाली दुनिया में 5वें पायदान पर; समग्र गुणवत्ता बुनियादी ढांचा प्रणाली शीर्ष 10 में रही

भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) के तहत आने वाली भारत की राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रणाली को हाल के ग्लोबल क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर इंडेक्स (जीक्यूआईआई) 2021 में दुनिया में 5वां स्थान हासिल हुआ है। जीक्यूआईआई में गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे (क्यूआई) के आधार पर दुनिया में 184 देशों की सूची तैयार की गई है। मानकीकरण प्रणाली में नौवीं और माप संबंधी यानी मेट्रोलॉजी प्रणाली (एनपीएल-सीएसआईआर के तहत) में दुनिया में 21वें पायदान के साथ भारत की समग्र क्यूआई प्रणाली रैंकिंग शीर्ष 10 में 10वें पायदान पर बनी हुई है।

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स्रोत: जीक्यूआईआई https://gqii.org/

इस अवसर पर क्यूसीआई के अध्यक्ष जक्षय शाह ने कहा, “यह गुणवत्ता प्रथम के दृष्टिकोण वाले अमृत काल में एक नए भारत का संकेत है। भारत में तीन क्यूआई स्तंभों में भारत की प्रत्यायन प्रणाली सबसे नई है और हम इन रैंकिंग में एक साल के भीतर दुनिया में पांचवें स्थान पर पहुंच गए हैं। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और माननीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में क्यूसीआई ‘मेक इन इंडिया’ को गुणवत्ता और विश्वसनीयता के लिहाज से दुनिया में एक भरोसेमंद ब्रांड बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। मिशन मोड में अपनी गुणवत्ता की यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए हमारे व्यवसायों को और अधिक सहायता प्रदान करने का समय आ गया है।”

क्यूआई अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए तकनीकी रीढ़ है, जिसमें मेट्रोलॉजी, मानकीकरण, मान्यता और एक समान मूल्यांकन सेवाएं व्यापारिक भागीदारों के बीच विश्वसनीयता और विश्वास को बढ़ाती हैं। भारत में, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के तहत आने वाली राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (एनपीएल-सीएसआईआर) राष्ट्रीय मेट्रोलॉजी संस्थान है, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) राष्ट्रीय मानक संस्थान है और भारतीय गुणवत्ता परिषद के तहत आने वाले राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड उसके समर्थन से राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रणाली के संरक्षक हैं।

जीक्यूआईआई देशों के क्यूआई की तुलना के आधार पर विकास को मापता है। एक सूत्र से मेट्रोलॉजी, मानकों और मान्यता के लिए उप-रैंकिंग में अपनी स्थिति के आधार पर प्रत्येक देश के लिए अंकों की गणना की जाती है। भौगोलिक रूप से, शीर्ष 25 क्यूआई प्रणालियां मुख्य रूप से यूरोप, उत्तरी अमेरिका और एशिया-प्रशांत में स्थित हैं, हालांकि, भारत (10वां), ब्राजील (13वां), ऑस्ट्रेलिया (14वां), तुर्की (16वां), मेक्सिको (18वां) और दक्षिण अफ्रीका (20वां) इस सूची में अपवाद हैं।

प्रत्यायन अनुरूपता मूल्यांकन निकायों (सीएबी) की क्षमता और विश्वसनीयता स्थापित करने में मदद करता है, जो परीक्षण, प्रमाणन, निरीक्षण आदि कार्य करते हैं। भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) ने अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार भारत में राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रणाली की स्थापना की थी। वहीं, क्यूसीआई भारतीय उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से 1997 में स्थापित निकाय है। क्यूसीआई के घटक बोर्डों के माध्यम से इसका परिचालन किया जाता है। इनमें मुख्य रूप से नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर सर्टिफिकेशन बॉडीज (एनएबीसीबी) जो प्रमाणन, निरीक्षण और सत्यापन/ सत्यापन निकायों को मान्यता देता है और नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्रीज (एनएबीएल) जो परीक्षण, मापांकन और मेडिकल प्रयोगशालाओं को मान्यता देता है, शामिल हैं। दोनों, एनएबीसीबी और एनएबीएल अंतरराष्ट्रीय निकायों की बहुपक्षीय मान्यता व्यवस्था, इंटरनेशनल एक्रीडिटेशन फोरम (आईएएफ) और इंटरनेशनल लैबोरेट्री एक्रिडिटेशन कोऑपरेशन (आईएलएसी) के हस्ताक्षरकर्ता हैं, जो उनकी मान्यता के तहत जारी किए गए रिपोर्ट और प्रमाणपत्रों को अंतर्राष्ट्रीय समकक्षता और स्वीकृति प्रदान करता है। भारत में अनुरूपता मूल्यांकन के लिए सरकार, नियामक, उद्योग और अनुरूपता मूल्यांकन निकाय एनएबीसीबी और एनएबीएल की मान्यता पर भरोसा करते हैं।

भारत की प्रत्यायन रैंकिंग में बढ़ोतरी के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रणाली के तहत अनुरूपता मूल्यांकन निकायों (सीएबी) की स्थिर वृद्धि को श्रेय जाता है। ये परीक्षण और चिकित्सा प्रयोगशालाएं, उत्पाद प्रमाणन निकाय और प्रबंधन प्रणाली प्रमाणन निकाय हैं। गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के महत्व और क्यूसीआई की भूमिका पर जोर देते हुए क्यूसीआई के महासचिव डॉ. रवि पी. सिंह ने कहा, “भारत आत्मनिर्भरता की राह पर है और हम अब अन्य देशों के नवाचार और सुधार के आधार पर काम नहीं करते हैं। हमारी प्रणालियों का अब अन्य देशों द्वारा अनुकरण किया जा रहा है। उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए हमारी राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रणाली के महत्व की अनदेखी नहीं की जा सकती है और इस मान्यता से हमें नियामकों और सरकार के लिए एक ज्यादा स्वतंत्र इकोसिस्टम तैयार करने में सहायता मिलेगी। इससे किसी भी मानक का एक समान रूप से उपयोग किया जा सकता है। हमारे दोनों बोर्डों एनएबीएल और एनएबीसीबी ने अच्छा काम किया है और उन्हें ज्यादा समर्थन दिए जाने की आवश्यकता है।” जीक्यूआईआई रैंकिंग उस वर्ष के अंत तक एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर प्रकाशित की जाती है और प्रत्येक वर्ष के लिए कार्योत्तर प्रस्तुत की जाती है। 2021 की रैंकिंग दिसंबर 2021 के अंत तक के आंकड़ों पर आधारित है, जिन्हें 2022 तक एकत्रित और विश्लेषण किया गया है। यह मेट्रोलॉजी, मानकीकरण, प्रत्यायन और संबंधित सेवाओं से जुड़ी फिजिकालिश-टेक्निस्क बुंदेसन्सटाल्ट (पीटीबी) और फेडरल मिनिस्ट्री फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (बीएमजेड), जर्मनी द्वारा समर्थित एक पहल है।

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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन एयरो इंडिया 2023 कार्यक्रम के दौरान विभिन्न प्रकार की स्वदेशी रूप से विकसित तकनीकों और प्रणालियों का प्रदर्शन करेगा

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने देश में रक्षा अनुसंधान और विकास इकोसिस्टम के विभिन्न हितधारकों को एकीकृत करने के प्रयास के साथ ही 14वें एयरो इंडिया एयर शो के दौरान स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों तथा प्रणालियों के समृद्ध अनुभव को प्रदर्शित करने की योजना बनाई है। यह कार्यक्रम 13 से 17 फरवरी, 2023 तक बेंगलुरु में आयोजित किया जाएगा। इस दौरान, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन स्वदेशी रूप से विकसित उत्पादों तथा प्रौद्योगिकियों की एक विस्तृत श्रृंखला दर्शाएगा। डीआरडीओ भारतीय पवेलियन में अपने प्रमुख उत्पादों को दिखाने के अलावा कई प्रदर्शनियां, हवाई करतब और सेमिनार आयोजित करेगा। इसमें एयरोनॉटिकल सिस्टम्स, मिसाइल्स, आर्मामेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस और कम्प्यूटेशनल सिस्टम्स, सोल्जर सपोर्ट टेक्नोलॉजीज, लाइफ-साइंसेज तथा नवल एंड मैटेरियल साइंस सहित अन्य उत्पादों का प्रदर्शन शामिल होगा। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में डीआरडीओ द्वारा की गई हालिया प्रगति को प्रदर्शित करेगा।

डीआरडीओ का पवेलियन 12 क्षेत्रों में वर्गीकृत 330 से अधिक उत्पादों का प्रदर्शन करेगा, जिनमें लड़ाकू विमान और यूएवी, मिसाइल तथा सामरिक प्रणाली, इंजन एवं प्रपल्शन सिस्टम, हवाई निगरानी प्रणाली, सेंसर इलेक्ट्रॉनिक युद्धक व संचार प्रणाली, पैराशूट और ड्रॉप सिस्टम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन लर्निंग व साइबर प्रणालियां, सामग्री, लैंड सिस्टम तथा युद्ध सामग्री, जीवन सहयोगी सेवाएं और उद्योग एवं शैक्षणिक आउटरीच शामिल हैं।

12 क्षेत्रों में से प्रत्येक में ये प्रमुख उत्पाद हैं: एएमसीए, एलसीए तेजस एमके2, टीईडीबीएफ, आर्चर, तपस अनमैन्ड एरियल व्हीकल, अभ्यास, लड़ाकू विमान और यूएवी क्षेत्र से स्वायत्त स्टील्थ विंग फ्लाइंग टेस्ट बेड; मिसाइल तथा सामरिक प्रणाली क्षेत्र से आकाश, अस्त्र, क्यूआरएसएएम, हेलिना, नाग, प्रलय; एफएसीईसीयू, गियरबॉक्स मॉड्यूल, कावेरी ड्राई इंजन प्रोटोटाइप, इंजन और प्रोपल्शन ज़ोन से छोटा टर्बो फैन इंजन; एईडब्ल्यूएंडसी-नेत्र, एईडब्ल्यूएंडसी-एमके II, एमएमएमए विमान, आईएफएफ, हवाई निगरानी प्रणाली क्षेत्र से एएएयू मॉडल; टीडब्ल्यूआईआर, बीएफएसआर-एसआर, भरणी, अश्लेषा, आत्रु, एएसपीजे पॉड, सेंसर्स इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर एंड कम्युनिकेशंस सिस्टम्स ज़ोन से एलईओपी; मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम, ब्रेक पैराशूट, पैराशूट और ड्रॉप सिस्टम्स ज़ोन से पी-16 हैवी ड्रॉप सिस्टम; हेलीकॉप्टर मॉडल के साथ एयरबोर्न सोनार, नवल सिस्टम्स ज़ोन से एयर लॉन्चड डायरेक्शनल सोनोबॉय; डीडीसीए, इंडिजिस, एयर वारफेयर सिमुलेशन सिस्टम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन लर्निंग एंड साइबर सिस्टम ज़ोन से क्यूआरएनजी; सामग्री क्षेत्र से एफएसएपीडीएस, टाइटेनियम मिश्रित धातु; एएसआरईएम, निगरानी आरओवी, भूमि प्रणाली और युद्ध सामग्री क्षेत्र से सुमित्रा; इंटीग्रेटेड लाइफ सपोर्ट सिस्टम, लाइफ सपोर्ट सर्विसेज ज़ोन से हेलीकॉप्टर ऑक्सीजन सिस्टम और उद्योग एवं शैक्षणिक आउटरीच जोन से वान्केल रोटरी इंजन, जेट फ्यूल स्टार्टर, रेडियो अल्टीमीटर। भारतीय पवेलियन में डीआरडीओ के पांच उत्पाद प्रदर्शित होंगे। इनमें एईडब्ल्यूसीएंडसी-एमके II, एएमसीए, एलसीए तेजस एमके2, टीईडीबीएफ और आर्चर (इमेज इंटेलिजेंस विद वेपन पेलोड्स) शामिल हैं।

इस मेगा शो में डीआरडीओ की भागीदारी एलसीए तेजस, एलसीए तेजस पीवी6, एईडब्ल्यूएंडसी-नेत्र और तपस यूएवी के उड़ान प्रदर्शन द्वारा की जाएगी। स्टैटिक डिस्प्ले में एलसीए तेजस एनपी1/एनपी5 और एईडब्ल्यूएंडसी-नेत्र भी शामिल हैं। इस भागीदारी को स्वदेशी मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस क्लास यूएवी तापस-बीएच (उन्नत निगरानी के लिए टैक्टिकल एरियल प्लेटफॉर्म – बियॉन्ड होराइजन) के उड़ान की शुरुआत से भी प्रदर्शित किया जाएगा। तपस-बीएच अपनी क्षमताओं को दर्शायेगा और व्यावसायिक दिनों में स्टैटिक के साथ-साथ हवाई प्रदर्शनों को भी कवर करेगा और इस दौरान हवाई वीडियो को पूरे आयोजन स्थल पर लाइव स्ट्रीम किया जाएगा। तपस डीआरडीओ की तीनों सेवाओं आईस्टार आवश्यकताओं का समाधान है। यूएवी 18 से अधिक घंटे की समय की स्थायित्व क्षमता के साथ 28000 फीट की ऊंचाई पर कार्य करने में सक्षम है।

डीआरडीओ इस आयोजन के दौरान दो सेमिनार भी आयोजित कर रहा है। एयरो इंडिया इंटरनेशनल सेमिनार का 14वां द्विवार्षिक संस्करण ‘एयरोस्पेस एंड डिफेंस टेक्नोलॉजीज – वे फॉरवर्ड’ विषय पर 12 फरवरी को एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के सहयोग से सीएबीएस, डीआरडीओ द्वारा आयोजित किया जा रहा है। यह सेमिनार एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे एयरो इंडिया के प्रीक्वल के रूप में आयोजित किया जाता है। डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों एवं प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के कई प्रतिष्ठित मुख्य वक्ता एयरोस्पेस और रक्षा में अत्याधुनिक तकनीकों तथा उन्नति के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए भाग लेंगे। डीआरडीओ संगोष्ठी के दौरान विमानन और एयरोस्पेस (आईडब्ल्यूपीए) में भारतीय महिला पेशेवरों को भी सम्मानित करेगा।

दूसरा सेमिनार 14 फरवरी को डीआरडीओ के एरोनॉटिक्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट बोर्ड (एआरएंडडीबी) द्वारा आयोजित किया जा रहा है। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह इसका उद्घाटन रकरेंगे और इस दौरान रक्षा राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट विशिष्ट अतिथि होंगे। कार्यक्रम का विषय ‘स्वदेशी एयरो इंजनों के विकास के लिए आगे की राह सहित फ्यूचरिस्टिक एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों का स्वदेशी विकास’ है। इस बैठक में प्रतिष्ठित प्रतिभागियों में अकादमिक, भारतीय निजी उद्योग, स्टार्ट-अप, पीएसयू और डीआरडीओ के सदस्य शामिल हैं।

14 फरवरी को संगोष्ठी के दौरान कई गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। मिग-29के के लिए स्वास्थ्य उपयोग एवं निगरानी प्रणाली, नौसेना स्टाफ के उप प्रमुख को सौंपी जाएगी, इसे प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) के माध्यम से विकसित किया गया है। इसके अलावा कई अन्य गतिविधियां आयोजित होंगी अर्थात् तेजस के एएमएजीबी में सीवीआरडीई द्वारा विकसित एयरक्राफ्ट बियरिंग्स के लिए सीईएमआईएलएसी प्रमाणपत्र सौंपना; सिस्टम फॉर एडवांस मैन्युफैक्चरिंग असेसमेंट एंड रेटिंग हेतु एक वेब पोर्टल (www.samar.gov.in) का शुभारंभ; डीआरडीओ एक्सपोर्ट कम्पेंडियम, डीआरडीओ मोनोग्राफ ‘नॉन डिस्ट्रक्टिव इवैल्यूएशन ऑफ सॉलिड रॉकेट्स एंड मिसाइल सिस्टम्स, एरोनॉटिक्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट बोर्ड की मैगजीन ‘पुष्पक 2022’ तथा डीआरडीओ एक्सपोर्ट कॉम्पेंडियम का विमोचन। डीआरडीओ सेमिनार के दौरान 15 उद्योगों को डीआरडीओ द्वारा विकसित 11 प्रौद्योगिकियों के लिए प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के उद्देश्य से 16 लाइसेंसिंग समझौते (एलएटीओटी) भी सौंपेगा।

एयरो इंडिया 2023 में डीआरडीओ की भागीदारी भारतीय एयरोस्पेस समुदाय के लिए आत्मनिर्भरता एवं राष्ट्रीय गौरव की भावना के साथ सैन्य प्रणालियों तथा प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास को बढ़ावा देने का एक उत्कृष्ट अवसर है। यह सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करेगा और स्वदेशी रक्षा उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नए अवसर भी विकसित करेगा। प्रणालियों और प्रदर्शनीय वस्तु को समझाने तथा दर्शाने के लिए वैज्ञानिकों के साथ विभिन्न सत्रों में बातचीत की उम्मीद की जाती है।

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कोलकाता में जी-20 अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी की स्थापना बैठक में विज्ञान प्रशासकों ने समतामूलक समाज के लिए अनुसंधान और नवाचार पर चर्चा की गई

जी-20 की अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी (आरआईआईजी ) की दीक्षा बैठक, जो कि भारत के विज्ञान संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, आज कोलकाता में प्रारम्भ हुई। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के वैज्ञानिकों और प्रशासकों को एक साथ लाकर समतामूलक समाज के लिए अनुसंधान और नवाचार पर चर्चा की गई ।

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विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव डॉ. एस. चंद्रशेखर ने इस अवसर पर परिवर्तन को आगे बढाने और इसे चलाने के लिए समूह के उत्तरदायित्व पर पर बल देते हुए कहा कि जी-20 का अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से विकास, अर्थव्यवस्था और स्थिरता पर अत्यधिक प्रभाव परिलक्षित हो रहा है।

“भारत ने अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी (आरआईआईजी) के लिए जिस विषयवस्तु का चयन किया “समतामूलक समाज के लिए अनुसंधान और नवाचार” है । नवाचार उद्योग और व्यवसाय से लेकर सरकार, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल तक हमेशा जीवन के सभी पहलुओं में प्रगति की आधारशिला रहा है। हम आज यहां इसलिए हैं क्योंकि नवोन्मेषी अनुसंधान को सबके लिए उपलब्ध कराने में हम सभी का साझा हित है जिससे हमारे देशों, हमारे समुदायों और हमारे नागरिकों को लाभ होगा और हम सामूहिक प्रगति के लिए वैश्विक साझेदारी बनाना चाहते हैं ।

बीस देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों अर्थात् अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए), इटली, नीदरलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस, सऊदी अरब , दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, इंग्लैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रतिनिधित्व करने वाले कुल 36 विदेशी प्रतिनिधियों ने इस प्रारम्भिक बैठक में भाग लिया। लगभग 40 भारतीय प्रतिनिधियों और भारत सरकार के विभिन्न वैज्ञानिक विभागों/संगठनों के विशेष आमंत्रित सदस्यों भी इस बैठक में सम्मिलित हुए।

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अंतरिक्ष विभाग के पूर्व सचिव और सदस्य अंतरिक्ष आयोग डॉ. किरण कुमार ने बैठक में अध्यक्षीय भाषण दिया और टिप्पणी करते हुए कहा कि “मानव विकास एक सतत प्रक्रिया है, और प्रत्येक बीतते दिन के साथ बौद्धिक क्षमताएं भी बढ़ रही हैं। अनुसंधान और नवाचार नए अवसर लाते हैं और अब हमें यह देखने की आवश्यकता है कि नई प्रौद्योगिकियां समाज के लिए किस प्रकार सहायक हो सकती हैं।

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) की सचिव और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की महानिदेशक डॉ. (श्रीमती) एन. कलैसेल्वी ने जोर देकर कहा कि “एक वैश्विक समुदाय के रूप में जी-20 को नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों के निर्माण के बड़े विस्तार के साथ ही विनिर्माण को 10 से 15 गुना बढ़ाने की बहुत आवश्यकता है। ” डॉ कलैसेल्वी ने ऊर्जा उत्पादन, रूपांतरण और भंडारण के क्षेत्रों में विशेष रूप से हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया के उत्पादन, ऊर्जा भंडारण उपकरणों के एंड-टू-एंड उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के क्षेत्रों में जी-20 देशों के बीच साझेदारी की आवश्यकता व्यक्त की।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने चक्रीय जैव- अर्थव्यवस्था के दूसरे प्राथमिकता वाले क्षेत्र पर चर्चा की शुरुआत की । डॉ. गोखले ने माननीय प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए भारत के “मिशन लाइफ” पर बल दिया जो प्रचलित ‘उपयोग और निपटान’ अर्थव्यवस्था को सावधानीपूर्वक और जानबूझकर उपयोग द्वारा परिभाषित एक चक्रीय अर्थव्यवस्था के साथ बदलने की कल्पना करता है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत उच्च-प्रदर्शन जैव-विनिर्माण के लिए एक नीतिगत ढांचा विकसित कर रहा है जो हरित भारत के लिए संश्लेषित जीव विज्ञान-आधारित टिकाऊ विनिर्माण प्रथाओं में विश्व स्तरीय विशेषज्ञता, सुविधाओं और कुशल कार्यबल को बढ़ावा देगा ।

पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम रविचंद्रन ने सतत नीली अर्थव्‍यवस्‍था की प्राप्ति करने की दिशा में वैज्ञानिक चुनौतियों एवं अवसरों और समुद्री जीवन संसाधनों के सतत तथा समान उपयोग को सुनिश्चित करने और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए नीली कार्बन क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता पर विस्तार से बताया ।

विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) के सचिव डॉ. अखिलेश गुप्ता ने तीसरे प्राथमिकता वाले क्षेत्र, ऊर्जा संचरण के लिए पारिस्थितिक–नवाचारों पर विचार विमर्श की शुरुआत की। डॉ. गुप्ता ने वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य और सतत ऊर्जा परिवर्तन के माध्यम से जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। कार्बन कैप्चर, उपयोग, और भंडारण, हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था, और इलेक्ट्रिक वाहनों में अनुसंधान एवं विकास जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार की पहल को ऊर्जा संक्रमण के प्रमुख चालकों के रूप में रेखांकित किया गया।

डॉ गुप्ता ने कहा कि “सदस्य देशों की वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिक क्षमता प्राथमिकता के मुद्दों की पहचान करने में मदद कर सकती है, और इन्हें संयुक्त द्विपक्षीय या बहुपक्षीय साझेदारी के साथ-साथ संयुक्त शोध कार्यक्रमों के माध्यम से लागू किया जा सकता है । ”

स्थापना बैठक 8-9 फरवरी 2023 के दौरान आयोजित की जा रही है। इस वर्ष भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान इंडोनेशिया और ब्राजील इस तिकड़ी के सदस्य हैं ।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी लगातार इस बात का उल्लेख करते आ रहे हैं कि “नवाचार केवल हमारे विज्ञान का लक्ष्य नहीं होना चाहिए बल्कि नवाचार को वैज्ञानिक प्रक्रिया को भी आगे चलाना चाहिए।” इसी नवाचार-संचालित वैज्ञानिक प्रगति के लिए अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी (आरआईआईजी) एक स्थायी समाज और स्थायी भविष्य बनाने की दिशा में प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहता है ।

अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी 2023 के लिए व्यापक विषय “समतामूलक समाज के लिए अनुसंधान और नवाचार” के अंतर्गत विचार-विमर्श चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर केंद्रित है – सतत ऊर्जा के लिए सामग्री ; चक्रीय -जैव-अर्थव्यवस्था ; ऊर्जा संक्रमण के लिए पर्यावरण-नवाचार; वैज्ञानिक चुनौतियां और एक लक्ष्य प्राप्त करने के अवसर सतत नीली अर्थव्यवस्था।

अगले चार विषयगत सम्मेलन वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के नेतृत्व में रांची, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के नेतृत्व में डिब्रूगढ़, विज्ञान एवं इंजीनियरिंग बोर्ड के नेतृत्व में धर्मशाला एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के नेतृत्व में दीव में आयोजित किए जाएंगे। अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी शिखर सम्मेलन और जी-20 अनुसंधान मंत्रियों की बैठक जुलाई 2023 में मुंबई में होने वाली है जिसमें जी-20 अनुसंधान मंत्रियों द्वारा अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में परस्पर सहयोग के रोडमैप पर एक संयुक्त घोषणा की जाएगी ।

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जलवायु परिवर्तन एवं आपदा प्रबंधन” विषय पर 15 दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स (पुनश्चर्या पाठ्यक्रम) का समापन

कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-मानव संसाधन विकास केंद्र, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर (UGC-HRDC,JNVU) एवं क्राइस्टचर्च कॉलेज, कानपुर के संयुक्त तत्वावधान में “जलवायु परिवर्तन एवं आपदा प्रबंधन” विषय पर आयोजित 15 दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स का आज विधिवत् समापन हुआ एचआरडीसी जेएनवीयू (HRDC JNVU) के डायरेक्टर प्रोफेसर राजेश कुमार दुबे के कुशल,प्रभावी एवं प्रेरक निर्देशन तथा प्रोफेसर मीतकमल(क्राइस्टचर्च कॉलेज,कानपुर) के सहभागी संयोजन में आयोजित इस कार्यक्रम में संपूर्ण भारतवर्ष के 12 से अधिक राज्यों से 91 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की संयोजिका प्रोफेसर मीतकमल ने बताया की कार्यक्रम का शुभारंभ 27 जनवरी 2023 को प्रोफेसर के.एल.श्रीवास्तव (कुलपति जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय,जोधपुर), प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल (कुलपति केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर), प्रोफेसर संजीव जैन (कुलपति केंद्रीय विश्वविद्यालय ,जम्मू), डॉ. सबीना बोदरा (उप प्राचार्या क्राइस्टचर्च कॉलेज, कानपुर), प्रो.संजय कुमार (कुलपति अमिटी विश्वविद्यालय,कोलकाता),शिवसिंह राठौड़ (पूर्व अध्यक्ष आरपीएससी) के गरिमामयी आतिथ्य में हुआ तत्पश्चात विभिन्न सत्रों में देश-विदेश के प्रख्यात विद्वानों एवं विषय विशेषज्ञों द्वारा अपने प्रभावी,प्रेरक,ज्ञानवर्धक एवं सरस व्याख्यानों द्वारा प्रतिभागियों को नवीन तकनीकों,नवाचारों एवं अवधारणाओं से अवगत करवाया गया ।
कार्यक्रम में डॉ अशोक कुमार शर्मा (जम्मू विश्वविद्यालय) द्वारा लर्निंग मशीन सिस्टम के प्रयोग द्वारा नवीन शिक्षा नीति-2020 की भावना के अनुरूप ऑनलाइन शिक्षण को प्रभावी एवं प्रेरक बनाने के बारे में सारवान जानकारी प्रदान की गई,डॉ बी. एस. बालाजी (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय,नई दिल्ली) द्वारा ई-कंटेन्ट निर्माण की सहज,सरस तकनीक से प्रतिभागियों को अवगत करवाकर उन्हें ई-कंटेन्ट निर्माण में दक्ष बनाया गया, डॉ.के.किशोर द्वारा द्वारा अनुसंधान क्रियाविधि एवं साहित्यिक चोरी से बचाव के बारे में उपयोगी जानकारी प्रदान की गई ,प्रोफेसर अनिल दत्त मिश्रा (आईआईपीए,नई दिल्ली) द्वारा सतत् विकास हेतु भारतीय लोक परंपराएं विषय पर भारतीय संस्कृति के पर्यावरण संरक्षी अनछुए पहलुओं को उजागर कर प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन किया गया, श्री वी.के.आर्य द्वारा HAM(ऐमेच्योर) रेडियो के बारे मे रोचक जानकारी प्रदत कर इसके आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया गया और इसके प्रचार-प्रसार के लिए सभी प्रतिभागियों को प्रेरित किया गया ।
कर्नल गौरव भाटिया द्वारा आपदा प्रबंधन में सेना के योगदान के बारे में अत्यंत प्रभावोत्पादक जानकारी प्रदान की गई, प्रोफेसर चंदन घोष (HOD-NIDM) द्वारा जलवायु परिवर्तन हेतु तकनीकी नवाचारों के उपयोग के प्रति जागरूकता प्रदान की गई,डॉ मणिमाला शर्मा (सहायक आचार्य राजकीय महाविद्यालय,रोहट) द्वारा जलवायु परिवर्तन एवं आपदा प्रबंधन में हमारी जिम्मेदारियों पर व्याख्यान द्वारा प्रतिभागियों को जागरुक किया गया ।
कार्यक्रम की सहसंयोजिका डॉ अनिन्दिता भट्टाचार्य ने बताया कि कार्यक्रम में वर्तमान समय की दो महत्वपूर्ण चुनौतियों जलवायु परिवर्तन एवम् आपदा प्रबंधन पर अत्यंत सारगर्भित एवं प्रासंगिक व्याख्यानों में सभी प्रतिभागियों ने अग्रसक्रिय सहभागिता निभाई तथा अपने विभिन्न लेखों,शोध प्रबंधनों तथा संगोष्ठी प्रस्तुतीकरण के माध्यम से इन विषयों पर नवीन ज्ञान व शोध का मार्ग प्रशस्त किया ।
कार्यक्रम के समापन सत्र में सभापति प्रोफेसर के.एल.श्रीवास्तव (कुलपति जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय,जोधपुर),मुख्य अतिथि डॉ.निलॉय खरे (सलाहकार पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय,भारत सरकार) विशिष्ट अतिथि प्रो. आनंद प्रकाश (कुलपति महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय,मोतीहारी),प्रो.जोसेफ डेनियल (प्राचार्य क्राइस्टचर्च कॉलेज, कानपुर), प्रो.सुधीर गुप्ता (विभागाध्यक्ष रसायन विज्ञान क्राइस्टचर्च कॉलेज कानपुर),प्रो.आर.के.द्विवेदी (सी.एस.जे.एम,विश्वविद्यालय,कानपुर), एवं डॉ.निधि संदल (सहायक निदेशक,यूजीसी-एचआरडीसी) ने अपने विद्वतापूर्ण उद्बोधन से सभी प्रतिभागियों को लाभान्वित किया ।
विश्वविद्यालय, अनुदान आयोग-मानव संसाधन विकास केंद्र, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के निदेशक प्रोफेसर राजेश कुमार दुबे ने आशा जताई कि सभी प्रतिभागी इस कार्यक्रम से अर्जित ज्ञान,तकनीकी एवं नवाचारों का अपने आगामी अध्ययन,अध्यापन व शोध कार्यों में उपयोग कर न केवल अपने विद्यार्थियों एवं संस्थानों बल्कि संपूर्ण राष्ट्र को लाभान्वित करेंगे ।

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