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भारतीय मानक ब्यूरो ने आयुष क्षेत्र में मानकीकरण के लिए विभाग का गठन किया

भारत के राष्ट्रीय मानक निकाय का भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) आयुष क्षेत्र में मानकीकरण को आगे बढ़ाने की दिशा में तत्‍पर है। ब्यूरो ने एक समर्पित मानकीकरण विभाग की स्थापना के साथ-साथ इस क्षेत्र में मानकीकरण गतिविधियों को गति दी है। नया विभाग आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी जैसी पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों को शामिल करते हुए आयुष उत्पादों और कार्य प्रणालियों की सुरक्षा, प्रभावकारिता और गुणवत्ता को प्रोत्‍साहन देने पर केंदित है।

आयुष के लिए मानकीकरण गतिविधि की प्रक्रिया और संरचना की जानकारी देते हुए, बीआईएस के महानिदेशक श्री प्रमोद कुमार तिवारी ने कहा कि प्रसिद्ध विशेषज्ञों के नेतृत्व में, बीआईएस में आयुष विभाग ने सात अनुभागीय समितियों का गठन किया है, जिनमें से प्रत्येक एक विशिष्ट आयुष प्रणाली की देखरेख करती है। ये समितियाँ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के अनुरूप व्यापक, साक्ष्य-आधारित मानकों को सुनिश्चित करने के लिए विशेषज्ञों, वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों, उद्योग प्रतिनिधियों एवं नियामक निकायों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर कार्य करती है।

अद्यतन बीआईएस ने एकल जड़ी-बूटियों, आयुर्वेद और योग शब्दावली, पंचकर्म उपकरणों, योग सहायक उपकरणों और जड़ी-बूटियों में कीटनाशक अवशेषों के परीक्षण विधियों जैसे विविध विषयों को शामिल करते हुए 91 मानक प्रकाशित किए हैं। उल्लेखनीय रूप से, पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली आषधियों के लिए 80 स्वदेशी भारतीय मानकों का प्रकाशन उनके सुरक्षित और प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देता है, जिससे उपभोक्ताओं और उद्योग दोनों को लाभ होता है। इसके अतिरिक्त, पंचकर्म उपकरणों के लिए पहले राष्ट्रीय मानक रोगनिरोधी और चिकित्सीय प्रक्रियाओं में एकरूपता सुनिश्चित करते हैं, जिससे आयुष स्वास्थ्य सेवा प्रथाओं की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।

पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में पहल करते हुए, बीआईएस ने घरेलू निर्माताओं और किसानों का समर्थन करने के साथ कॉटन योगा मैट के लिए एक स्वदेशी भारतीय मानक तैयार किया है। विभाग ने भविष्य के मानकीकरण क्षेत्रों की भी पहचान की है, जिसमें शब्दावली, एकल औषधियां, योग पोशाक, सिद्धा निदान और होम्योपैथिक तैयारियाँ शामिल हैं।

बीआईएस की पहल की सराहना करते हुए आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि जैसे-जैसे अधिकतर लोगों की रूचि पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों के प्रति बढ़ रही है, आयुष उत्पादों और सेवाओं में निरंतर गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता की आवश्यकता अनिवार्य है। बीआईएस ने इस क्षेत्र में इस समर्पित विभाग की स्थापना करते हुए आईएस: 17873 ‘कॉटन योगा मैट’ जैसे महत्वपूर्ण मानकों को विकसित करके अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है। ये पारंपरिक भारतीय चिकित्सा को बढ़ावा देने और विकसित करने में महत्वपूर्ण उपलब्धि है। कठोर मानकों और नवाचार के माध्यम से, बीआईएस राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुष प्रणालियों की स्वीकृति और विकास को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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“काकोरी ट्रेन एक्शन” दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बी वी पी.जी. महाविद्यालय में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी शासनादेश के अनुपालन में वर्ष 2024-25 “काकोरी ट्रेन एक्शन” से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कराने के संदर्भ में “काकोरी ट्रेन एक्शन” दिवस पर संवाद कार्यक्रम एवं भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। महाविद्यालय प्राचार्या प्रो. सुमन ने इस अवसर पर छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि देश सेवा सर्वोपरि सेवा है। देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाने में कई महत्वपूर्ण आंदोलन व संघर्ष किए गए। काकोरी ट्रेन एक्शन का भी इनमें से एक महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। हमें अपने क्रान्तिकारियों के बलिदान से सीख लेते हुए देश सेवा हेतु तत्पर रहना चाहिए।
कार्यक्रम की संयोजिका सहायक प्रोफेसर श्वेता रानी ने अपने संबोधन में छात्राओं को इतिहास से प्रेरणा लेते हुए देश के वर्तमान एवं भविष्य को संवारने हेतु सदैव तत्पर रहने का संदेश दिया। उन्होंने बताया स्वतंत्रता आंदोलन में काकोरी ट्रेन एक्शन का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
कार्यक्रम का आयोजन इतिहास विभाग की सहायक प्रोफेसर श्वेता रानी, डॉ. कोमल सरोज, एनसीसी प्रभारी प्रीति यादव द्वारा किया गया। भाषण प्रतियोगिता में मुख्य निर्णायक की भूमिका डॉ. रोली मिश्रा, डॉ. रेशमा द्वारा निर्वहन की गई। इस अवसर पर प्रो. चित्रा सिंह तोमर, डॉ. गार्गी यादव, प्रो. निशा वर्मा, डॉ. रिचा सिंह, डॉ. पूजा गुप्ता, डॉ. समीक्षा सिंह एवं अन्य शिक्षिकाओं व छात्राओं की उपस्थिति महत्त्वपूर्ण रही।

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दयानंद पी जी कॉलेज में खाद्य सुरक्षा जागरूकता अभियान आयोजित

कानपुर 8 अगस्त भारतीय स्वरूप संवाददाता, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर के द्वारा आज दिनांक 8 अगस्त , 2024 को खाद्य सुरक्षा जागरूकता अभियान के अंतर्गत व्याख्यान एवं ग्रुप डिस्कशन का आयोजन किया गया। जिसमें एनएसएस वॉलिंटियर्स ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही ने छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया कि खाद्य सुरक्षा किसी व्यक्ति की पौष्टिक और पर्याप्त मात्रा में भोजन तक पहुँचने की क्षमता का माप है। खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत भोजन को व्यक्ति की खाद्य प्राथमिकताओं और सक्रिय व स्वस्थ जीवन शैली के लिए आहार संबंधी ज़रूरतों को भी पूरा करना चाहिए, यही खाद्य सुरक्षा है। छात्राओं ने खाद्य सुरक्षा से संबंधित अपने अनुभव को एक दूसरे से साझा भी किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में भूगोल विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अंजना श्रीवास्तव एवं श्वेता गोंड का विशेष सहयोग रहा साथ ही एनएसएस वॉलिंटियर्स की सक्रिय सहभागिता अत्यंत सराहनीय रही।

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गंगा नदी के माध्यम से परिवहन

सरकार ने गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली के हल्दिया-वाराणसी खंड पर राष्ट्रीय जलमार्ग-I (एनडब्ल्यू-I) की क्षमता वृद्धि के लिए जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) 3 जनवरी 2018 को अनुमोदित की थी। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) विश्व बैंक की तकनीकी और वित्तीय सहायता से जेएमवीपी को कार्यान्वित कर रहा है।

जल मार्ग विकास परियोजना के तहत वाराणसी के मिल्कीपुर ग्रामसभा से सटे राल्हूपुर ग्रामसभा में मल्टीमॉडल टर्मिनल (एमएमटी) विकसित किया गया है। एमएमटी से कार्गो की ट्रायल मूवमेंट सफलतापूर्वक की गई है।

विश्व बैंक के परामर्श से जल मार्ग विकास परियोजना के कार्यान्वयन की अवधि दो वर्ष के लिए बढ़ा दी गई है।

यह जानकारी केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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मंत्रिमंडल ने लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार लाने, भीड़भाड़ को कम करने और देश भर में कनेक्टिविटी बेहतर करने के लिए 50,655 करोड़ रुपये की कुल लागत से 936 किलोमीटर लंबी 8 महत्वपूर्ण नेशनल हाई-स्पीड रोड कॉरिडोर परियोजनाओं को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने देश भर में 50,655 करोड़ रुपये की लागत से 936 किलोमीटर लंबी 8 महत्वपूर्ण नेशनल हाई-स्पीड कॉरिडोर परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन 8 परियोजनाओं के कार्यान्वयन से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 4.42 करोड़ मानव दिवस के रोजगार सृजित होने का अनुमान है।

इन परियोजनाओं का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:

  1. 6 लेन वाला आगरा-ग्वालियर नेशनल हाई स्पीड कॉरिडोर:

इस हाई-स्‍पीड कॉरिडोर की लंबाई 88 किलोमीटर है और इसे निर्माण-परिचालन-हस्‍तांतरण (बीओटी) मोड में 4,613 करोड़ रुपये की पूंजीगत लागत से 6 लेन वाले एक्सेस-कंट्रोल्ड कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जाएगा। यह परियोजना उत्तर दक्षिण कॉरिडोर (श्रीनगर-कन्याकुमारी) के आगरा-ग्वालियर खंड पर यातायात क्षमता को 2 गुना से अधिक बढ़ाने के लिए मौजूदा 4 लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्ग का पूरक होगी। यह कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्‍थलों (जैसे, ताजमहल, आगरा किला आदि) और मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्‍थलों (जैसे, ग्वालियर किला आदि) से कनेक्टिविटी को बेहतर करेगा। यह आगरा और ग्वालियर के बीच की दूरी को 7 प्रतिशत और यात्रा समय को 50 प्रतिशत तक कम कर देगा, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत में काफी कमी आएगी।

नियंत्रित पहुंच के साथ 6 लेन वाला यह नया आगरा-ग्वालियर राजमार्ग उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में डिजाइन किलोमीटर 0.000 (आगरा जिले में देवरी गांव के पास) से शुरू होकर डिजाइन किलोमीटर 88-400 (ग्वालियर जिले में सुसेरा गांव के पास) तक बनाया जाएगा। इसमें एनएच-44 के मौजूदा आगरा-ग्वालियर खंड पर ओवरले/ सुदृढ़ीकरण के अलावा अन्य सड़क सुरक्षा एवं सुधार कार्य शामिल होंगे।

  1. 4 लेन वाला खड़गपुर-मोरग्राम नेशनल हाई स्‍पीड कॉरिडोर:

खड़गपुर और मोरग्राम के बीच 231 किलोमीटर लंबे 4 लेन वाले एक्सेस-कंट्रोल्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर को 10,247 करोड़ रुपये की पूंजीगत लागत से हाइब्रिड एन्युटी मोड (एचएएम) में विकसित किया जाएगा। नया कॉरिडोर मौजूदा 2 लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्ग का पूरक होगा। इससे खड़गपुर और मोरग्राम के बीच यातायात क्षमता में करीब 5 गुना वृद्धि होगी। यह एक तरफ पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश आदि राज्य और दूसरी तरफ देश के पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के बीच यातायात के लिए कुशल कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। यह कॉरिडोर खड़गपुर और मोरग्राम के बीच मालवाहक वाहनों के लिए यात्रा समय को मौजूदा 9-10 घंटे से घटाकर 3-5 घंटे कर देगा, जिससे लॉजिस्टिक्‍स लागत में कमी आएगी।

3. 6 लेन वाला थराड-दीसा-मेहसाणा-अहमदाबाद नेशनल हाई-स्पीड कॉरिडोर:

करीब 214 किलोमीटर लंबे 6 लेन वाले इस हाई-स्पीड कॉरिडोर का निर्माण कुल 10,534 करोड़ रुपये की पूंजी लागत से निर्माण-परिचालन-हस्‍तांतरण (बीओटी) मोड में किया जाएगा। थराड-अहमदाबाद कॉरिडोर गुजरात राज्य में दो प्रमुख नेशनल कॉरिडोर यानी अमृतसर-जामनगर कॉरिडोर और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के बीच कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा। इससे पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के औद्योगिक क्षेत्रों से आने वाले मालवाहक वाहनों को महाराष्ट्र के प्रमुख बंदरगाहों (जेएनपीटी, मुंबई और हाल में मंजूर वधावन बंदरगाह) तक निर्बाध कनेक्टिविटी मिलेगी। यह कॉरिडोर राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों (जैसे, मेहरानगढ़ किला, दिलवाड़ा मंदिर आदि) और गुजरात के प्रमुख पर्यटन स्‍थलों (जैसे, रानी का वाव, अंबाजी मंदिर आदि) के लिए भी कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इससे थराड और अहमदाबाद के बीच की दूरी 20 प्रतिशत कम हो जाएगी जबकि यात्रा समय में 60 प्रतिशत की कमी आएगी। इससे लॉजिस्टिक्स दक्षता में काफी सुधार होगा।

4. 4 लेन वाला अयोध्या रिंग रोड:

करीब 68 किलोमीटर लंबे 4 लेन वाले एक्सेस-कंट्रोल्ड अयोध्या रिंग रोड को हाइब्रिड एन्युटी मोड (एचएएम) में विकसित किया जाएगा। इसकी कुल पूंजी लागत 3,935 करोड़ रुपये होगी। यह रिंग रोड शहर से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों, जैसे एनएच 27 (ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर), एनएच 227 ए, एनएच 227 बी, एनएच 330, एनएच 330 ए और एनएच 135 ए पर भीड़भाड़ को कम करेगा। ससे राम मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रियों की आवाजाही तेज होगी। यह रिंग रोड लखनऊ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अयोध्या हवाई अड्डा और शहर के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से आने वाले राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को निर्बाध कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगा।

5. रायपुर-रांची नेशनल हाई-स्पीड कॉरिडोर के पत्थलगांव और गुमला के बीच लेन वाला खंड:

रायपुर-रांची कॉरिडोर पर 137 किलोमीटर लंबे 4 लेन वाले एक्सेस-कंट्रोल्ड पत्थलगांव-गुमला खंड को हाइब्रिड एन्युटी मोड (एचएएम) में विकसित किया जाएगा। इस परियोजना की कुल पूंजीगत लागत 4,473 करोड़ रुपये होगी। इससे गुमला, लोहरदगा, रायगढ़, कोरबा व धनबाद के खनन क्षेत्रों और रायपुर, दुर्ग, कोरबा, बिलासपुर, बोकारो व धनबाद के औद्योगिक एवं विनिर्माण क्षेत्रों के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी।

रायपुर-धनबाद आर्थिक कॉरिडोर के हिस्‍से के रूप में राष्ट्रीय राजमार्ग 43 पर 4 लेन वाला पत्थलगांव-कुंकुन-छत्तीसगढ़/झारखंड सीमा-गुमला-भरदा खंड  तुरुआ आमा गांव के समीप राष्‍ट्रीय राजमार्ग 130 ए के अंतिम बिंदु से शुरू होकर भरदा गांव के समीप पलमा-गुमला रोड के चेनेज 82+150 पर खत्‍म होगा।

6. 6 लेन वाला कानपुर रिंग रोड:

कानपुर रिंग रोड के 47 किलोमीटर लंबे 6 लेन वाले इस एक्सेस-कंट्रोल्ड खंड को इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण (ईपीसी) मोड में विकसित किया जाएगा। इसकी कुल पूंजीगत लागत 3,298 करोड़ रुपये होगी। यह खंड कानपुर के चारों ओर 6 लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्ग रिंग को पूरा करेगा। यह रिंग रोड प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों, जैसे एनएच 19- स्वर्णिम चतुर्भुज, एनएच 27- ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर, एरएच 34 और आगामी लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे एवं गंगा एक्सप्रेसवे पर लंबी दूरी के यातायात को शहर की ओर जाने वाले यातायात से अलग करने में समर्थ बनाएगा। इससे उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच माल ढुलाई के लिए लॉजिस्टिक्‍स दक्षता में सुधार होगा।

यह छह लेन वाला नया कानपुर रिंग रोड एयरपोर्ट लिंक रोड (लंबाई 1.45 किलोमीटर) के साथ डिजाइन चेनेज 23+325 से शुरू होकर डिजाइन चेनेज 68+650 (लंबाई 46.775 किलोमीटर) पर खत्‍म होगा।

7. 4 लेन वाले उत्तरी गुवाहाटी बाईपास और मौजूदा गुवाहाटी बाईपास का चौड़ीकरण/सुधार:

करीब 121 किलोमीटर लंबे गुवाहाटी रिंग रोड को 5,729 करोड़ रुपये की कुल पूंजीगत लागत के साथ निर्माण, परिचाल एवं टोल (बीओटी) मोड में तीन खंडों में विकसित किया जाएगा। इन तीन खंडों में 4 लेन वाला एक्सेस-कंट्रोल्ड उत्तरी गुवाहाटी बाईपास (56 किलोमीटर), एनएच 27 पर मौजूदा 4 लेन वाले बाईपास को 6 लेन (8 किलोमीटर) में चौड़ा करना और एनएच 27 (58 किलोमीटर) पर मौजूदा बाईपास में सुधाार शामिल हैं। इस परियोजना के तहत ब्रह्मपुत्र नदी पर एक प्रमुख पुल का भी निर्माण किया जाएगा। गुवाहाटी रिंग रोड राष्ट्रीय राजमार्ग 27 (ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर) पर चलने वाले लंबी दूरी के यातायात के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा जिसे देश के पूर्वोत्‍तर क्षेत्र का प्रवेश द्वार कहा जाता है। इस रिंग रोड से गुवाहाटी के आसपास के प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों पर भीड़भाड़ कम होगी। साथ ही यह इस क्षेत्र के प्रमुख शहरों/ कस्बों, जैसे सिलीगुड़ी, सिलचर, शिलांग, जोरहाट, तेजपुर, जोगीगोफा और बारपेटा को जोड़ेगा।

8. 8 लेन वाला नासिक फाटा-खेड़ पुणे एलिवेटेड कॉरिडोर:

नासिक फाटा से पुणे के समीप खेड़ तक 30 किलोमीटर लंबा 8 लेन वाला एलिवेटेड नेशनल हाई-स्पीड कॉरिडोर का निर्माण 7,827 करोड़ रुपये की कुल पूंजीगत लागत के साथ बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) मोड में किया जाएगा। यह एलिवेटेड कॉरिडोर पुणे और नासिक के बीच एनएच 60 पर चाकन, भोसरी आदि औद्योगिक केंद्रों से आने-जाने वाले यातायात के लिए निर्बाध हाई-स्पीड कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। यह कॉरिडोर पिंपरी-चिंचवाड़ के आसपास जबरदस्‍त भीड़भाड़ को भी कम करेगा।

नासिक फाटा से खेड़ के दोनों ओर 2 लेन सर्विस रोड के साथ मौजूदा सड़क को 4/6 लेन में अपग्रेड किया जाएगा। इसके साथ ही सिंगल पियर के टियर-1 पर 8 लेन वाला एलिवेटेड फ्लाईओवर का निर्माण महाराष्ट्र राज्य में एनएच 60 के (पैकेज-1: 12.190 किलोमीटर से 28.925 किलोमीटर तक और पैकेज-2: 28.925 किलोमीटर से 42.113 किलोमीटर तक) खंड पर किया जाएगा।

पृष्ठभूमि:

बुनियादी ढांचे का विकास किसी भी देश की आर्थिक समृद्धि की बुनियाद है और यह नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए काफी महत्वपूर्ण है। बुनियादी ढांचे के विकास पर खर्च किए गए हरेक रुपये से देश के सकल घरेलू उत्पाद पर 2.5 से 3 गुना प्रभाव पड़ता है।

देश के समग्र आर्थिक विकास में बुनियादी ढांचे के महत्व को महसूस करते हुए भारत सरकार पिछले दस वर्षों से देश में विश्वस्तरीय सड़क बुनियादी ढांचे के निर्माण में भारी निवेश कर रही है। राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) की लंबाई 2013-14 में 0.91 लाख किलोमीटर से करीब 6 गुना बढ़कर अब 1.46 लाख किलोमीटर हो चुकी है। पिछले 10 वर्षों के दौरान देश में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के आवंटन एवं निर्माण की रफ्तार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए, राष्‍ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के लिए ठेकों के आवंटन की औसत वार्षिक गति 2004-14 में करीब 4,000 किलोमीटर थी जो करीब 2.75 गुना बढ़कर 2014-24 में करीब 11,000 किलोमीटर हो चुकी है। इसी प्रकार, राष्ट्रीय राजमार्गों का औसत वार्षिक निर्माण भी 2004-14 में करीब 4,000 किलोमीटर से लगभग 2.4 गुना बढ़कर 2014-24 में करीब 9,600 किलोमीटर हो चुका है। निजी निवेश सहित राष्ट्रीय राजमार्गों में कुल पूंजी निवेश 2013-14 में 50,000 करोड़ रुपये से 6 गुना बढ़कर 2023-24 में लगभग 3.1 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

इसके अलावा, सरकार ने स्थानीय भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों पर केंद्रित पहले के परियोजना-आधारित विकास दृष्टिकोण के मुकाबले उपयुक्‍त मानकों, उपयोगकर्ताओं की सुविधा और लॉजिस्टिक्‍स दक्षता को ध्यान में रखते हुए कॉरिडोर आधारित राजमार्ग बुनियादी ढांचे के विकास का दृष्टिकोण अपनाया है। कॉरिडोर वाले इस दृष्टिकोण के तहत जीएसटीएन और टोल आंकड़ों पर आधारित वैज्ञानिक परिवहन अध्ययन के जरिये 50,000 किलोमीटर के हाई-स्पीड हाईवे कॉरिडोर नेटवर्क की पहचान की गई है, जो 2047 तक भारत को 30 लाख करोड़ डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था में बदलने में मदद करेगा।

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बड़ी हिट होने की तैयारी में इंडिया इंटरनेशनल हॉस्पिटैलिटी एक्सपो 2024

दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के ग्रेटर नोएडा में 3 से 6 अगस्त 2024 तक इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में इंडिया इंटरनेशनल हॉस्पिटैलिटी एक्सपो (आईएचई 2024) के सातवें संस्करण का आयोजन किया जा रहा है। इसने हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में पूरे आतिथ्य उद्योग का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। यहां उद्योग जगत से जुड़े हितधारक स्टैंड-आउट इवेंट में भाग लेने की तैयारी कर रहे हैं। यह आयोजन पहले से ही एक बड़ा हिट होने की तैयारी में है। आईएचई 2024 भारत के प्रमुख हॉस्पिटैलिटी एक्सपो के रूप में अपनी विरासत को जारी रखते हुए अपना सातवां संस्करण लाने के लिए तैयार है। इसमें 1000 से अधिक प्रदर्शक (एग्जीबिटर्स) शामिल होंगे। इसके अलावा लग्जरी होटल, रिसॉर्ट्स, होमस्टे, रेस्तरां, क्लाउड किचन और एफएंडबी सेक्टर से 20,000 से अधिक बी2बी खरीदार आएंगे।

A large room with many people walking aroundDescription automatically generated with medium confidence इसके अलावा आईएचई का नवीनतम संस्करण आतिथ्य क्षेत्र से संबंधित चार संबद्ध शो से जुड़ा है। इसमें कैटरिंग एशिया, टेंट डेकोर एशिया और आयुष एक्सपो शामिल हैं। एक छत के नीचे आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम इस क्षेत्र की बहुआयामी जरूरतों के लिए वन-स्टॉप समाधान की पेशकश करके आतिथ्य उद्योग के समाभिरूपता को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है। यह सामूहिक आयोजन उद्योग जगत के पेशेवरों के लिए एक अमूल्य संसाधन होने का भरोसा दिलाता है, जो नवीनतम रुझानों, तकनीक और सेवाओं तक पहुंच प्रदान करता है। इसके साथ ही उन संबंधों को बढ़ावा देता है जो आतिथ्य उद्योग को आगे बढ़ाएंगे। आईएचई 2024 ने आतिथ्य उद्योग के भीतर सहयोग की श्रृंखला में एक कदम आगे बढ़ाते हुए वियतनाम के साथ भागीदार देश के रूप में साझेदारी की है। आईएचई 2024 में भारत और इसके आतिथ्य क्षेत्र के साथ व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए राजनयिक, आतिथ्य पेशेवर, शेफ और एसोसिएट्स शामिल होंगे। प्रसिद्ध वियतनामी शेफ फेम वान डोंग और गुयेन वान थोंग भारत के सेलिब्रिटी शेफ नंदलाल और गौतम के साथ अपने मास्टरक्लास आयोजित करने के लिए तैयार हैं। यह उत्साह तब और बढ़ जाएगा जब हिमाचल प्रदेश आईएचई 2024 में मुख्य केंद्र बिंदु राज्य के रूप में शामिल होगा। इस दौरान हिमाचल पर्यटन अपने अद्भुत पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देगा।

A large room with many booths and peopleDescription automatically generated with medium confidence इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि यह हम सभी के लिए एक-दूसरे से सीखने, नई साझेदारी बनाने और विकास और सहयोग के रास्ते तलाशने का अवसर है। उन्होंने सभी से आतिथ्य के भविष्य का पता लगाने और उसे आकार देने के लिए एक साथ आने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित हो कि हमारा उद्योग वैश्विक मंच पर अनुकूल माहौल बनाने के साथ विकास करे और फलता-फूलता रहे। आईएचई 2024 हमारा सबसे सफल संस्करण और एक मील का पत्थर होने का वादा करता है जो व्यवसाय के विकास में योगदान करने और आतिथ्य क्षेत्र की गतिशील और सुदृढ़ प्रकृति को प्रदर्शित करने के लिए तैयार है।

आईएचई 2024 ने कई अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों का विश्वास जीता है जिन्हें इस मंच पर अपने बेहतरीन उत्पादों और सेवाओं को प्रदर्शित करने के लिए शामिल किया गया है। प्रमुख प्रदर्शकों और सहयोगियों की सूची में टॉप्स इंडिया, वीनस, अनुपम रॉयल्स, बून, अल्फाड्रॉइड, करामत, एलई 5 स्टैगियोनी, आईएफबी, पतंजलि, नेचुरिन, कोहे, बोरेचा, वीएफआई ग्रुप आदि शामिल हैं। टॉप्स इंडिया सुविधाजनक और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे पाक सॉस, जैम, अचार आदि की रेंज प्रदर्शित करने के लिए तैयार है, जो गोल्डन पार्टनर के रूप में आईएचई 2024 में शामिल हो गया है।

चार संबद्ध शो के 1000 से अधिक प्रदर्शकों की संयुक्त भागीदारी के साथ आईएचई 2024 में विभिन्न प्रकार की श्रेणियां शामिल हैं। यह व्यवसायों के लिए उत्पादों और सेवाओं की एक व्यापक श्रृंखला पेश करती हैं।

नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों से लेकर पारंपरिक आतिथ्य पेशकशों तक आईएचई 2024 में उद्योग जगत के एक गतिशील मिश्रण को एक साथ लाकर एक ऐसा मंच बना रहा है जहां व्यवसाय खोज सकते हैं, जुड़ सकते हैं और फल-फूल सकते हैं।

इसके अलावा, द होटल एंड रेस्तरां इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एचओटीआरईएमएआई) एसोसिएशन ऑफ रिसोर्स कंपनीज फॉर द हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एआरसीएचआईआई) निप्पॉन ग्लोबल, इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन इंटीरियर डिजाइनर (आईआईआईडी) दिल्ली चैप्टर, परचेजिंग प्रोफेशनल फोरम (पीपीएफ) और होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ इंडिया (एचआरएएनआई) सहित आतिथ्य उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों से कई प्रसिद्ध आतिथ्य संघ और परिषदें  आईएचई 2024 में शामिल होने के लिए कृतसंकल्प हैं। वे सभी अपने सहयोगियों और सदस्यों को मेगा हॉस्पिटैलिटी एक्सपो में लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आईएचई 2024 में  एचआरएएनआई 5 और 6 अगस्त 2024 को इंडिया एक्सपो मार्ट लिमिटेड के हॉल 14 और हॉल 15 में अपना वार्षिक कॉन्क्लेव आयोजित करेगा। दूसरी ओर क्षेत्र-विशिष्ट ज्ञान प्रदान करने और अपने क्षेत्र में फलने-फूलने वाले अपार अवसरों का अवलोकन देने के लिए आईआईआईडी, दिल्ली क्षेत्रीय चैप्टर को ज्ञान भागीदार के रूप में शामिल किया गया है।

समग्र आयोजन को रोचक बनाने के लिए चार दिवसीय हॉस्पिटैलिटी सोर्सिंग गाला रोमांचक पाक शाला संबंधी प्रतियोगिताओं से भी भरा हुआ है, जिसमें शामिल हैं:

  • पेस्ट्री क्वीन इंडिया प्रतियोगित
  • मास्टर बेकर्स चैलेंज इंडिया 2024
  • इंडिया पिज्जा लीग चैंपियनशिप

इन पाक शाला (रसोई) संबंधी प्रतियोगिताओं के दौरान युवा आतिथ्य पेशेवरों और रसोइयों को भाग लेने और नवीनतम खाना बनाने के कौशल सीखने का शानदार मौका मिल सकता है।

आईएचई 2024 की प्रमुख श्रेणियों में हॉस्पिटैलिटी उद्योग के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, जिसमें होरेका (होटल, रेस्तरां और खानपान) परिचालन आपूर्ति और उपकरण, आतिथ्य तकनीक, खाद्य और पेय पदार्थ, हाउसकीपिंग और चौकीदारी (जननिटरी), रखरखाव और इंजीनियरिंग, फर्नीचर, फिक्स्चर और उपकरण सुविधाएं प्रबंधन, और सफाई और स्वच्छता शामिल हैं।

आईएचई उनकी सभी सोर्सिंग जरूरतों को पूरा करने और आतिथ्य उद्योग में नवीनतम नवाचारों, रुझानों और प्रगति के बारे में जानने के लिए एक बहुप्रतीक्षित वार्षिक बी2बी एक्सपो है जो उद्योग में ऐतिहासिक ऊंचाइयों, मान्यता और उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए एक यात्रा के लायक है।

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10वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का उत्‍सव मनाने के लिए नई दिल्ली के हथकरघा हाट में “विरासत” प्रदर्शनी शुरू हुई

10वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का उत्‍सव मनाने को समर्पित एक पखवाड़े तक चलने वाली प्रदर्शनी “विरासत” शनिवार, 3 अगस्त, 2024 को जनपथ स्थित हथकरघा हाट में शुरू हुई। इस प्रदर्शनी का आयोजन भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय, के तत्वावधान में राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम लिमिटेड (एनएचडीसी) कर रहा है, जिसका समापन 16 अगस्त, 2024 को होगा।

“विरासत” श्रृंखला – “विशेष हथकरघा प्रदर्शनी” पिछले वर्ष राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर आयोजित समारोहों की अगली कड़ी है। इस वर्ष 10वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 7 अगस्त को मनाया जाएगा। इस आयोजित कार्यक्रम का फोकस  हथकरघा और हस्तशिल्प की गौरवशाली परंपरा पर है। यह हथकरघा बुनकरों और कारीगरों को बाजार भी उपलब्‍ध करवाता है और इससे जोड़ता है।

यह प्रदर्शनी सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक आम जनता के लिए खुली रहेगी। प्रदर्शनी में भारत के कुछ आकर्षक स्थलों के हथकरघा उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री की जाएगी।

कार्यक्रम के दौरान, हथकरघा हाट में कई गतिविधियाँ का आयोजन किया जाएगा, इसमें हथकरघा बुनकरों और कारीगरों के लिए 75 स्टॉल, जहाँ वे सीधे उत्पादों की खुदरा बिक्री कर सकेंगे, भारत के उत्कृष्ट हथकरघा उत्पादों की क्यूरेटेड थीम डिस्प्ले, प्राकृतिक रंगों, कस्तूरी कपास, डिजाइन और निर्यात पर कार्यशालाएँ, लाइव करघा प्रदर्शन, भारत के लोक नृत्य, स्वादिष्ट क्षेत्रीय व्यंजन आदि शामिल हैं।

माननीय प्रधानमंत्री ने, मन की बात (112वें एपिसोड) के दौरान इस बात की सराहना की थी कि हथकरघा कारीगरों का कौशल देश के कोने-कोने में फैला हुआ है और जिस तरह से हथकरघा उत्पादों ने लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई है, वह अत्‍यन्‍त सफल और उल्‍लेखनीय है। साथ ही उन्होंने स्थानीय उत्पादों के साथ फोटो को हैशटैग ‘#MyProductMyPride’ के साथ सोशल मीडिया पर अपलोड करने का आग्रह किया।

7 अगस्त, 1905 को शुरू किए गए स्वदेशी आंदोलन ने स्वदेशी उद्योगों और विशेष रूप से हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित किया था। भारत सरकार ने वर्ष 2015 में, हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 7 अगस्त 2015 को चेन्नई में प्रथम राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया गया। इस दिन हथकरघा बुनकर समुदाय को सम्मानित किया जाता है तथा देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में इस क्षेत्र के योगदान को विशिष्‍ट रूप से दर्शाया जाता है। हमारी हथकरघा विरासत की रक्षा करने तथा हथकरघा बुनकरों और श्रमिकों को अधिक अवसर प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाने के संकल्प की पुनः पुष्टि की जाती है। सरकार हथकरघा क्षेत्र के सतत विकास को सुनिश्चित करने का प्रयास करती है, जिससे हमारे हथकरघा बुनकरों और श्रमिकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सके तथा उनकी उत्कृष्ट शिल्पकला पर उन्‍हें गौरान्‍वित किया जा सके।

हथकरघा क्षेत्र हमारे देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। भारत का हथकरघा क्षेत्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 35 लाख व्‍यक्तियों को रोजगार प्रदान करता है, जो देश में कृषि क्षेत्र के बाद दूसरे स्थान पर है। हथकरघा बुनाई की कला में पारंपरिक मूल्यों से जुड़ाव है और इसके प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्ट विविधताएँ हैं। बनारसी, जामदानी, बालूचरी, मधुबनी, कोसा, इक्कत, पटोला, तसर सिल्क, माहेश्वरी, मोइरांग फी, बालूचरी, फुलकारी, लहरिया, खंडुआ और तंगलिया जैसे कुछ विशिष्‍ट उत्पादों के नाम हैं जिनकी विशिष्ट बुनाई, डिजाइन और पारंपरिक रूपांकन दुनिया भर के ग्राहकों को आकर्षित करता है।

भारत सरकार ने हथकरघा के लिए विभिन्न योजनाओं का शुभारंभ किया हैं, जिसमें शून्य दोष और पर्यावरण पर शून्य प्रभाव वाले उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की ब्रांडिंग की जाती है, ताकि उत्पादों की विशिष्टता को प्रदर्शित करने के अलावा उत्पादों को प्रोत्साहित किया जा सके और उन्हें एक अलग पहचान प्रदान की जा सके। यह खरीदार के लिए एक गारंटी भी है कि खरीदा जा रहा उत्पाद वास्तव में हस्तनिर्मित है। प्रदर्शनी में सभी प्रदर्शकों को अपने उत्कृष्ट उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है और इस प्रकार हथकरघा उत्पादों के लिए बाजार और हथकरघा समुदाय की आय में सुधार करने का लक्ष्य रखा गया है।

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बालिका विद्यालय पीजी कॉलेज में संघीय बजट 2024- 25 पर वाद- विवाद प्रतियोगिता आयोजित

कानपुर 2 अगस्त भारतीय स्वरूप संवाददाता एस .एन. सेन बालिका विद्यालय पीजी कॉलेज ,कानपुर में अर्थशास्त्र विभाग द्वारा संघीय बजट 2024- 25 पर एक वाद- विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि एवं महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर सुमन,विशिष्ट अतिथि डॉ रामकृपाल,निर्णायक सदस्य डॉक्टर किरण, प्रोफेसर मीनाक्षी व्यास तथा विभाग के सदस्यों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया । छात्राओं ने संघीय बजट 2024- 25 पर पक्ष- विपक्ष में अपने-अपने विचार प्रस्तुत किया। प्राचार्य जी, निर्णायक सदस्यों के द्वारा भी बजट के विभिन्न पहलुओं पर अपना विचार प्रस्तुत किया गया।विशिष्ट अतिथि ने बजट के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बताया।कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर रोली मिश्रा तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर निशा वर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्रोफेसर प्रोफेसर गार्गी यादव ,डॉक्टर प्रीति सिंह , डॉ प्रीति पांडे, डॉ रचना निगम,प्रीति यादव, डॉ श्वेता डॉक्टर , प्रीता अवस्थी एवं डॉक्टर कीर्ति अवस्थी आदि उपस्थित रहे।

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महिलाओं के लिए हैं विशेष रूप से 33 में से 19 राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान 

33 में से 19 राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (एनएसटीआई) विशेष रूप से महिलाओं के लिए हैं।  ये महिला एनएसटीआई शिल्प प्रशिक्षक प्रशिक्षण योजना (सीआईटीएस) के तहत 19 पाठ्यक्रमों के साथ-साथ शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) के तहत 23 पाठ्यक्रम प्रदान करती हैं।  महिला एनएसटीआई सीटीएस और सीआईटीएस दोनों में महिला प्रशिक्षुओं को कंप्यूटर ऑपरेटर और प्रोग्रामिंग असिस्टेंट (सीओपीए), इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिक, आर्किटेक्चरल ड्राफ्ट्समैन, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन, डेस्कटॉप पब्लिशिंग ऑपरेटर आदि जैसे ट्रेडों में पाठ्यक्रम भी प्रदान करती है।  यहां तक ​​कि इंदौर और वडोदरा में महिला एनएसटीआई में इलेक्ट्रीशियन जैसे ट्रेड भी शुरू किए गए हैं। सत्र 2023-24 से, तीन महिला एनएसटीआई में ‘सर्वेयर’ का व्यापार शुरू किया गया है।  सीटीएस के तहत एक और नया ट्रेड अर्थात् ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्रामिंग असिस्टेंट’ पहली बार वर्ष 2024-25 से आठ महिला एनएसटीआई में शुरू किया जा रहा है।

सीआईटीएस के तहत स्वीकृत सीटों में से 50.45% महिला प्रशिक्षु थीं जबकि एनएसटीआई में सीटीएस प्रशिक्षण के तहत 84% प्रशिक्षु महिलाएं थीं।

महिला पाठ्यक्रमों में भागीदारी को और बढ़ाने के लिए, सभी लड़की उम्मीदवारों के लिए ट्यूशन और परीक्षा शुल्क माफ कर दिया गया है और सामान्य एनएसटीआई में प्रवेश के लिए सामान्य ट्रेडों में महिलाओं के लिए 30% सीटें आरक्षित हैं।

यह जानकारी कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयंत चौधरी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर

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दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 1386 किलोमीटर लंबाई वाले 53 पैकेजों में स्पर्स सहित दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य शुरू किया है। जून 2024 तक कुल 26 पैकेज पूरे हो चुके हैं। कार्य की भौतिक प्रगति 82 प्रतिशत है और कुल 1136 किलोमीटर लंबाई का निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है।

संशोधित निर्धारित समापन तिथि अक्टूबर, 2025 है।

यह कॉरिडोर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के प्रमुख आर्थिक केंद्रों को कनेक्टिविटी प्रदान करता है। विस्‍तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के अनुसार, दिल्ली से जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह (जेएनपीटी) की दूरी में लगभग 180 किलोमीटर की कमी और जुड़े हुए गंतव्यों तक यात्रा के समय में 50 प्रतिशत तक की कमी शामिल है।

यह जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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