बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को अधिवक्ताओं द्वारा न्यायालय में, ग्राहकों के साथ और साथी अधिवक्ताओं के प्रति बनाए रखने वाले आचरण एवं पेशेवर शिष्टाचार के मानकों से संबंधित नियम निर्धारित करने का अधिकार है। बीसीआई ने सूचित किया है कि अधिवक्ताओं द्वारा विज्ञापन या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से काम की मांग करना बीसीआई नियम, 1975 के नियम 36 के तहत निषिद्ध है। माननीय मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा 2019 के डब्ल्यूपी संख्या 31281 और 31428 में सुनाए गए निर्णय के आलोक में, दिनांक 08.07.2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जारी बीसीआई के हालिया निर्देशों के तहत यह निषेध बरकरार है और वह इन्हें बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
दिनांक 08.07.2024 की अपनी हालिया प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, बीसीआई ने इस निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने हेतु अपने निर्देशों की रूपरेखा तैयार की, जिसमें सभी राज्य बार काउंसिलों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर नोटिस रोकने और बंद करने का निर्देश देना शामिल है।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से अधिवक्ता के विज्ञापन और आग्रह पर प्रतिबंध लगाने का बार काउंसिल ऑफ इंडिया का अधिकार बार काउंसिल ऑफ इंडिया नियम, 1975 के नियम 36 से आता है, जो इस प्रकार है:
“एक अधिवक्ता सीधे या परोक्ष रूप से काम की मांग नहीं करेगा या विज्ञापन नहीं करेगा, चाहे वह परिपत्रों, विज्ञापनों, दलालों, व्यक्तिगत संचार, व्यक्तिगत संबंधों द्वारा जरूरी न किए गए साक्षात्कारों, समाचार पत्रों की टिप्पणियों को प्रस्तुत करने या प्रेरित करने या उन मामलों, जिसमें वह संलग्न या संबद्ध रहा हो, के संबंध में प्रकाशित अपनी तस्वीरों को पेश करने के जरिए हो।”
यह नियम विधि से संबंधित पेशे की पेशेवर मर्यादा और नैतिक मानकों को बनाए रखने के लिए बनाया गया है। यह किसी भी प्रकार के विज्ञापन या काम के आग्रह पर रोक लगाता है और यह सुनिश्चित करता है कि विधि का पेशा एक व्यावसायिक उद्यम के बजाय एक सेवा-उन्मुख कार्य बना रहे।
यह मामला बीसीआई के अधिकार क्षेत्र में आता है और यह सूचित किया गया है कि नोटिस जारी करने और रोकने के निर्देश जारी करके ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से विज्ञापन और आग्रह करने वाले अधिवक्ता पर प्रतिबंध लागू करने के लिए सक्रिय कदम उठाए गए हैं। बीसीआई सख्ती से पालन सुनिश्चित करने हेतु राज्य बार काउंसिल के साथ समन्वय करते हुए इन निर्देशों के अनुपालन की निगरानी करता है। सरकार के प्रशासन के तहत बीसीआई मौजूदा नियमों को लागू करने और अपने निर्देशों के माध्यम से उल्लंघनों के खिलाफ कार्रवाई करने पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है। नए नियमों या दिशानिर्देशों की कोई भी आवश्यकता उभरती स्थिति और प्रवर्तन के वर्तमान उपायों की प्रभावशीलता पर आधारित होगी।
यह जानकारी विधि एवं न्याय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा संसदीय कार्य राज्यमंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज लोक सभा में एक लिखित उत्तर में दी।