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अत्यधिक छिद्रपूर्ण (हाइली पोरस) ज़ेरोजेल ड्रेसिंग रक्त का तेजी से थक्का (क्लोटिंग) बनाकर जीवन बचा सकती है

शोधकर्ताओं ने सिलिका नैनोकणों और कैल्शियम को शामिल करते हुए एक छिद्रपूर्ण समग्र ज़ेरोजेल ड्रेसिंग विकसित की है जो रक्त को तेजी से जमने में मदद कर सकती है और अनियंत्रित रक्तस्राव से राहत प्रदान कर सकती है। व्यावसायिक ड्रेसिंग की तुलना में इस मिश्रण ने रक्त के थक्के जमने (ब्लड क्लोटिंग) की दर में महत्वपूर्ण सुधार दिखाया है । अनियंत्रित रक्तस्राव दुर्घटनाओं या चोटों और सैन्य या सर्जिकल ऑपरेशन के दौरान होने वाली दर्दनाक मृत्यु  के प्रमुख कारणों में से एक है। आघात से होने वाली 40% से अधिक मौतें गंभीर रक्त हानि के कारण होती हैं। रूई  (गॉज), सामान्यतः प्रयोग की जाने  वाली रूई (गॉज)  अथवा ऐसी ही अन्य  प्राथमिक चिकित्सा सामग्री या चोट वाली जगह पर रक्त के प्रवाह में कमी, फाइब्रिन सक्रियण द्वारा प्लेटलेट के थक्के प्लग) का  गठन और रक्त के अन्य थक्के मार्गों के सक्रियण के माध्यम से काम करने वाली मानव शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा गंभीर रक्तस्राव को रोकने के लिए अपर्याप्त है।  इसलिए, रक्त  की कमी को घटाने  के लिए बेहतर हेमोस्टैटिक सामग्रियों की तत्काल आवश्यकता है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, अगरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट (एआरआई) पुणे ने एक अत्यधिक छिद्रपूर्ण (हाइली पोरस) स्पंजी ज़ेरोजेल हेमोस्टैटिक ड्रेसिंग विकसित की है जो सिलिका नैनोकणों (सिलिकॉन नैनोपार्टिकल्स –  एसआईएनपीएस) और कैल्शियम जैसे सेल (एगोनिस्ट) के अंदर एक प्राप्तकर्ता (रिसेप्टर) से बंधने वाले पदार्थों के साथ पूरक है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने मिश्रित सामग्री का अध्ययन किया और पाया कि इसने व्यावसायिक ड्रेसिंग क्लॉटिंग क्षमता की तुलना में रक्त के थक्के बनने के सूचकांक को 13 गुना बढ़ा दिया। अच्छी तरह से विशेषता वाले ज़ेरोजेल ने लगभग 30 माइक्रोन आकार के कई छिद्रों की उपस्थिति दिखाई जो ड्रेसिंग की उच्च अवशोषण क्षमता में योगदान करती है। इन पूरकों ने थक्के जमने की क्षमता में सुधार किया और परिणामस्वरूप रक्त का त्वरित अवशोषण (क्विक अब्सोर्बेंस) हुआ। प्लेटलेट्स रक्त का एक महत्वपूर्ण घटक हैं और रक्त के थक्के बनने की प्रक्रिया में योगदान करते हैं। प्लेटलेट आकार में परिवर्तन, कैल्शियम का स्राव और प्लेटलेट सतह पर रिसेप्टर्स की सक्रियता जैसे कई कारक रक्त के थक्के जमने की  जटिल प्रक्रिया  में महती भूमिका निभाते हैं। ज़ेरोजेल हेमोस्टैटिक ड्रेसिंग ने सक्रिय प्लेटलेट्स में अच्छी तरह से निर्मित  स्यूडोपोडिया के विकास के कारण प्लेटलेट एकत्रीकरण को बढ़ाया, जिसके परिणामस्वरूप एग्लूटिनेशन हुआ जो थक्के बनने की प्रक्रिया में प्रमुख भूमिका निभाता है। इसके अलावा, इस मिश्रित पदार्थ   ने कैल्शियम उत्सर्जन  और इसके निष्कासन को बढ़ाया। इसके अलावा, मानव प्लेटलेट्स में प्रोटीज सक्रिय (एक्टिव) रिसेप्टर जीन (प्लेटलेट झिल्ली में मौजूद पीएआर 1 जीन – थ्रोम्बिन सिग्नलिंग की सुविधा देता है) के सक्रिय रूप में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।  प्लेटलेट कैल्शियम रिलीज और प्लेटलेट सतह पर पीएआर 1 का उन्नत होना (अपग्रेडेशन) प्लेटलेट के  आकार परिवर्तन और एकत्रीकरण के लिए महत्वपूर्ण है। जर्नल ऑफ एप्लाइड पॉलिमर साइंस में प्रकाशित एक अध्ययन से संकेत मिलता है कि पीएआर 1 जीन सक्रियण और कैल्शियम स्टोर रिलीज के माध्यम से प्लेटलेट सक्रियण के अंतरकोशिकीय आणविक तंत्र (इंट्रासेल्युलर मॉलिक्यूलर मैकेनिज्म) – प्लेटलेट्स के सक्रियण (एक्टिवेशन) में एक महत्वपूर्ण घटना, ज़ेरोगेल कंपोजिट की हेमोस्टैटिक दक्षता के लिए उत्तरदायी हैं। ऐसी ड्रेसिंग सर्जरी और आघात देखभाल के दौरान रक्त की हानि, विकलांगता और मृत्यु दर को कम करने के लिए एक संभावित हेमोस्टैटिक समाधान प्रदान कर सकती है।

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भारत, मालदीव ने 1,000 सिविल सेवा अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के समझौता ज्ञापन का नवीनीकरण किया

भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और मालदीव के विदेश मंत्री श्री मूसा ज़मीर ने 9 अगस्त को मालदीव के माले  में दोनों देशों के बीच विकास साझेदारी संवाद के तहत 2024-2029 की अवधि के दौरान मालदीव के 1,000 सिविल सेवा अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए समझौता ज्ञापन का नवीनीकरण किया।

विदेश मंत्रालय के मार्गदर्शन में, राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) अब तक बांग्लादेश, तंजानिया, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका और कंबोडिया के सिविल सेवकों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के साथ-साथ लैटिन अमेरिकी देशों और भारत-प्रशांत द्वीप-समूह सहयोग मंच (एफआईपीआईसी) तथा हिन्द महासागर तटीय सहयोग संघ (आईओआर) देशों के लिए बहु-देशीय कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक संचालन कर चुका है।

क्षमता निर्माण पहल के अंतर्गत, 8 जून, 2019 को मालदीव के 1000 सिविल सेवकों के क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के लिए भारत सरकार के राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी), और मालदीव गणराज्य के मालदीव सिविल सेवा आयोग  के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

2024 तक, राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) ने मालदीव के सिविल सेवकों के लिए क्षेत्रीय प्रशासन में कुल 32 क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए। इन कार्यक्रमों में मालदीव के स्थायी सचिवों, महासचिवों और उच्च-स्तरीय प्रतिनिधियों सहित कुल 1000 सिविल सेवकों को प्रशिक्षित कर उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की गई है। इसके तहत एक कार्यक्रम भ्रष्टाचार विरोधी आयोग (एसीसी) के लिए और एक कार्यक्रम मालदीव के सूचना आयोग कार्यालय (आईसीओएम) के लिए किया गया।

इस सहयोग की सफलता के मद्देनजर मालदीव के विदेश मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों के लिए समझौता ज्ञापन के नवीनीकरण का अनुरोध किया। 9 अगस्त, 2024 को इस समझौता ज्ञापन को आधिकारिक रूप से नवीनीकृत किया गया, जिसमें 2029 तक मालदीव के 1,000 अन्य सिविल सेवकों को प्रशिक्षित करने की प्रतिबद्धता व्‍यक्‍त की गई। इस नवीनीकृत साझेदारी से न सिर्फ मालदीव के सिविल सेवकों की सार्वजनिक नीति, शासन और क्षेत्र प्रशासन में क्षमताओं में वृद्धि होगी बल्‍कि भारत और मालदीव के बीच संबंध और मजबूत होंगे।

भारत सरकार का राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) कई देशों में सार्वजनिक नीति और शासन संबंधी ज्ञान के आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके मध्य-करियर क्षमता निर्माण कार्यक्रमों में नागरिक-केंद्रित शासन, सेवा वितरण में सुधार और शासन में नवाचारों को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाता है। इन कार्यक्रमों से नागरिकों के डिजिटल सशक्तिकरण और संस्थानों के डिजिटल परिवर्तन के मामले में भारत के प्रयासों का पता चलता है ।

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जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कृषि तकनीकी प्रबन्ध अभिकरण(आत्मा) एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) के शासी निकाय (गवर्निंग बोर्ड) की बैठक सम्पन्न

जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट स्थित नवीन सभागार आज कृषि तकनीकी प्रबन्ध अभिकरण(आत्मा) एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) के शासी निकाय (गवर्निंग बोर्ड) की बैठक सम्पन्न हुई।

बैठक में उप कृषि निदेशक द्वारा सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन (SMAE) आत्मा एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (दलहन, न्यूद्र सीरियल एवं कोर्स सीरियल घटक) के अन्तर्गत वर्ष 2023-24 में कराये गये कार्यो के सम्बन्ध में अवगत कराया गया तथा वर्ष 2024-25 में कराये जाने वाले कार्यों के सम्बन्ध में विस्तृत रूप रेखा प्रस्तुत की गई एवं आत्मा योजना तथा एन०एफ०एस०एम०योजना की जिला कृषि कार्य योजना का अनुमोदन जिलाधिकारी द्वारा प्रदान किया गया।

बैठक में जिलाधिकारी द्वारा उपस्थित समस्त संबंधित अधिकारियों को निम्न निर्देश दिए गए :-

• प्रत्येक विकास खण्ड से लक्ष्य के अनुरूप कृषकों को अन्तर्राज्जीय, राज्य के अन्दर, जनपद के अन्दर भ्रमण कराकर प्रशिक्षित किया जायेगा।
• आत्मा योजनान्तर्गत कृषि विभाग द्वारा 50 प्रदर्शन प्रति विकास खण्ड तथा कृषि से सम्बन्धित अन्य विभागों द्वारा कुल 14 प्रदर्शन प्रति विकास खण्ड आयोजित कराया जाए।
• जिलाधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया कि कृषि विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले प्रदर्शनी जनपद के कम उत्पादकता वाले क्षेत्रों में कराये जाये ताकि जनपद की कुल उत्पादकता में सुधार हो सके।
• योजना में लक्ष्य के अनुरूप जनपद के किसानों को अच्छा उत्पादन प्राप्त करने वाले किसानों को सम्मानित करते हुए उन्हें पुरस्कृत किया जाए।
• एन०एफ०एस०एम० योजनान्तर्गत 100 हे० मूंग, 300 हे० ज्यार, 200 हे० चना का क्लस्टर प्रदर्शन आयोजित किया जाये तथा विभिन्न फसलों के प्रमाणित बीज का वितरण को अनुदान दिया जायेगा।
• कृषि यंत्र यथा रोटावेटर, सीडड्रिल मल्टीकाप बेसर, लेजर लैण्ड लेवलर आदि का वितरण अनुदान पर लक्ष्य के अनुरूप किया जायेगा।
• मिलेट्स जागरूकता कार्यक्रम के अन्तर्गत जनपद स्तरीय मिलेट्स किसान मेला, रोड शो का आयोजन किया जाए तथा 50 कृषकों को प्रशिक्षण कराया जायेगा।
• क्षेसिंग फ्लोर, स्माल गोदाम, बखारी आदि का वितरण अनुदान पर लक्ष्य के अनुरूप कराया जायेगा।
बैठक में उप कृषि निदेशक कानपुर नगर श्री चीधरी अरुण कुमार,भूमि संरक्षण अधिकारी,समिति के सदस्य सहित प्रगतिशील कृषकगण उपस्थित रहे ।

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एस एन सेन बालिका विद्यालय पी जी कॉलेज कानपुर द्वारा राष्ट्रीय संस्कृत प्रतिभा खोज आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बालिका विद्यालय पी जी कॉलेज कानपुर द्वारा राष्ट्रीय संस्कृत प्रतिभा खोज का आयोजन किया गया इस प्रतियोगिता में स्नातकोत्तर स्तरीय हिंदी विभाग व संस्कृति विभाग द्वारा संस्कृत युवा गीत संस्कृत भाषण व श्रुत लेखन की प्रतिभागिता छात्राओ से कराई गई इस अवसर पर महाविद्यालय प्रबंधन तंत्र समिति के अध्यक्ष श्री प्रवीण कुमार मिश्रा सचिव श्री प्रोवीर कुमार सेन संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन प्राचार्य प्रोफेसर सुमन समाजशास्त्र विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर निशि प्रकाश व प्रोफेसर रेखा चौबे ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया छात्रों को संबोधित करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर सुमन ने कहा की भाषा विभाग उत्तर प्रदेश शासन अधीन उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा आयोजित जनपद मंडल तथा राज्य स्तरीय संस्कृत प्रतिभा खोज प्रतिवर्ष आयोजित होती है जिसमें विभिन्न विश्वविद्यालयी महाविद्यालयी छात्र-छात्राएं विभिन्न प्रतियोगिता में प्रतिभाग करते हैं जिसमें संस्कृत भाषा ज्ञान से संबंधित उत्कृष्ट प्रतिभा सामने उभर कर आती है इसी के प्रेरणा स्रोत अब प्रत्येक वर्ष अपने महाविद्यालय में यह प्रतियोगिता आयोजित होगी और उत्कृष्ट प्रतिभागियों को मंडल तथा राज्य स्तरीय परीक्षा में भेजा जाएगा जिसके खर्च का संपूर्ण वहन महाविद्यालय करेगा प्राचार्य जी ने संस्कृत भाषा के संवर्धन हेतु छात्राओं को शुद्ध संस्कृत लेखन शुद्ध गायन व शुद्ध वाचन करने के लिए प्रोत्साहित किया कुलानुशासक प्रोफेसर कप्तान ममता अग्रवाल व हिंदी विभाग अध्यक्ष शुभा वाजपेई ने निर्णायक की भूमिका निभाई
महाविद्यालय की मीडिया प्रभारी डा प्रीति सिंह ने बताया प्रतिभागियों में कोमल गौड़ शुभी त्रिपाठी नित्या त्रिपाठी छाया वंशिता कश्यप गरिमा यादव इत्यादि छात्राओं ने प्रथम द्वितीय तृतीय स्थान प्राप्त किया जिन्हें प्राचार्य द्वारा संस्कृत दक्षता प्रमाण पत्र प्रदान किए गए प्रतियोगिता के संचालन का कार्य हिंदी सहायक आचार्य डॉ रेशमा और धन्यवाद ज्ञापन संस्कृत प्रवक्ता डॉक्टर अनुराधा द्विवेदी ने किया इस अवसर पर महाविद्यालय की अन्य शिक्षिकाएं मौजूद रही।

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बांग्लादेश में हो रही हिंसा के विरोध में घंटाघर से विशाल जुलूस निकला

भारतीय स्वरूप संवाददाता, बांग्लादेश में हो रही हिंसा के विरोध में एक विशाल जुलूस घंटाघर के पास श्री गणेश मंदिर से निकल गया जिसमें भारी संख्या में लोग शामिल हुए लीडर्स ग्रुप के बहुत से साथी हिंदुओं की ताकत बढ़ाने के लिए शामिल हुए शामिल होने वालों में प्रमुख रूप से शैलेंद्र त्रिपाठी अमिताभ पांडे धर्मेंद्र भदोरिया अनुराग शुक्ला समीक तिवारी करुणेश तिवारी पुनीत गुप्ता अजय अग्निहोत्री, (भैया जी)राम मिश्रा वरुण शुक्ला प्रदीप मिश्रा अनुराग बाजपेई लाल जी यादव पुष्कर अवस्थी रुद्र प्रताप शर्मा धीरू त्रिपाठी आशीष मिश्रा गुड्डू भोपाल संजय तिवारी बाल जी शुक्ला अनिल बाजपेई पुनीत निगम हिमांशु पाल ऋषभ साहू भवानी शंकर राय अभिषेक राठौर गोविंद त्रिपाठी भूपेंद्र निगम का अग्रवाल आनंद मिश्रा आदि उपस्थित हुए सभी साथियों ने कार्यक्रम में पहुंचकर हिंदू एकता को आगे बढ़ने का कार्य किया, गर्व से कहो हम हिंदू हैं।

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कानपुर पश्चिम जोन सर्विलांस,साइबर टीम को मिली सफलता

*कानपुर पश्चिम जोन सर्विलांस,साइबर टीम को मिली सफलता

पुलिस ने ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह का किया खुलासा

पुलिस ने ठगी करने वाले एक महिला समेत 9 लोगो को किया गिरफ्तार

शातिर पुलिस अफसर बनकर फोन कर भोले-भाले लोगो को बनाते थे निशाना

पुलिस ने पकड़े गए अभियुक्तों से गहनता से की पूछताछ

खुलासा करने वाली पुलिस टीम को 25000 हजार रुपये का दिया जाएगा पुरुष्कार

डीसीपी पश्चिम राजेश सिंह ने प्रेसवार्ता कर दी जानकारी

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सरकार ने किसानों को सस्ते मुल्य पर डीएपी की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यकता के आधार पर एनबीएस सब्सिडी दरों के अलावा डीएपी पर विशेष पैकेज प्रदान किए हैं

फास्फेट और पोटाश युक्त (पीएंडके) उर्वरकों के लिए, सरकार ने 1.4.2010 से पोषक-तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना लागू की है। एनबीएस योजना के अंतर्गत सब्सिडी प्राप्त पीएंडके उर्वरकों पर डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) सहित उनमें निहित पोषक-तत्व के आधार पर वार्षिक/द्विवार्षिक आधार पर तय की गई सब्सिडी की एक निश्चित राशि प्रदान की जाती है। इस योजना के अंतर्गत, उर्वरक कंपनियों द्वारा बाजार की गतिशीलता के अनुसार उचित स्तर पर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) तय की जाती है जिसकी निगरानी सरकार द्वारा की जाती है। पीएंडके क्षेत्र नियंत्रणमुक्त है और एनबीएस योजना के अंतर्गत कंपनियां बाजार की गतिशीलता के अनुसार उर्वरकों का उत्पादन/आयात पहल करने के लिए स्वतंत्र हैं।

इसके अलावा, किसानों को सस्ते मूल्यों पर डीएपी की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने आवश्यकता के आधार पर एनबीएस सब्सिडी दरों के अलावा डीएपी पर विशेष पैकेज प्रदान किया है। भू-राजनीतिक स्थिति के कारण हाल ही में, 2024-25 में,  उर्वरक कंपनियों द्वारा डीएपी की खरीद की व्यवहार्यता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के कारण, सरकार ने किसानों को सस्ती कीमतों पर डीएपी की स्थायी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पीएंडके उर्वरक कंपनियों को 01.04.2024 से 31.12.2024 की अवधि के लिए डीएपी की वास्तविक पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) बिक्री  3500 रुपये प्रति मीट्रिक टन पर एनबीएस दरों से परे डीएपी पर एकमुश्त विशेष पैकेज को मंजूरी प्रदान की है। इसके अलावा, पीएंडके उर्वरक कंपनियों द्वारा तय एमआरपी की तर्कसंगतता के मूल्यांकन पर जारी दिशानिर्देश भी किसानों को सस्ते दरों पर उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं।

किसानों को यूरिया वैधानिक रूप से अधिसूचित एमआरपी पर उपलब्ध कराया जाता है। यूरिया के 45 किलोग्राम बैग की एमआरपी 242 रुपये प्रति बैग है (नीम कोटिंग और लागू करों के शुल्क को छोड़कर) और यह एमआरपी 01.03.2018 से लेकर आज तक अपरिवर्तित उतनी ही है। फार्म गेट पर यूरिया की आपूर्ति लागत और यूरिया इकाइयों द्वारा शुद्ध बाजार प्राप्ति के बीच का अंतर भारत सरकार द्वारा यूरिया निर्माता/आयातक को सब्सिडी के रूप में दिया जाता है। तदनुसार, सभी किसानों को रियायती दरों पर यूरिया की आपूर्ति की जा रही है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने प्रमुख फसल प्रणालियों के अंतर्गत विभिन्न मृदा प्रकारों में रासायनिक उर्वरकों के दीर्घावधिक उपयोग के प्रभाव का मूल्यांकन किया है। पिछले कुछ दशकों में किए गए जांच से पता चला है कि केवल एनपीके प्रणाली (केवल रासायनिक उर्वरक) में सूक्ष्म और गौण पोषक तत्वों की कमी के संदर्भ में पौषण विकार पाए गए हैं जो मृदा स्वास्थ्य और फसल उत्पादकता को प्रभावित करते हैं। अनुशंसित खुराक पर अकार्बनिक उर्वरक + जैविक खाद, फसल की उपज और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखते हैं। असंतुलित उर्वरक और केवल यूरिया प्राप्त करने वाले भूखंड में फसल की उपज में सबसे अधिक गिरावट देखी गई। इसलिए, आईसीएआर अकार्बनिक और जैविक दोनों स्रोतों के संयुक्त उपयोग के माध्यम से मिट्टी परीक्षण आधारित संतुलित और एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन प्रथाओं की सिफारिश करता है।

सरकार ने उर्वरकों के सतत और संतुलित उपयोग को बढ़ावा देकर, वैकल्पिक उर्वरकों को अपनाकर, जैविक खेती को बढ़ावा देकर और संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकियों को लागू करके धरती के स्वास्थ्य को बचाने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा शुरू किए गए जन आंदोलन का समर्थन करने के लिए जून, 2023 से “पीएम प्रोग्राम फॉर रेस्टोरेशन, अवेयरनेस जनरेशन, नरिशमेंट एंड ऐमेलिओरेशन ऑफ मदर अर्थ (पीएम-प्रणाम)” को लागू किया है। उक्त योजना के तहत, पिछले तीन वर्षों की औसत खपत की तुलना में रासायनिक उर्वरकों (यूरिया, डीएपी, एनपीके, एमओपी) की खपत में कमी के माध्यम से एक विशेष वित्तीय वर्ष में राज्य/केंद्र शासित प्रदेश द्वारा उर्वरक सब्सिडी का जो 50 प्रतिशत बचाया जाएगा, उसे अनुदान के रूप में उस राज्य/संघ राज्य क्षेत्र को दिया जाएगा।

इसके अलावा, सरकार ने 1,500 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से बाजार विकास सहायता (एमडीए) को मंजूरी दे दी है, ताकि जैविक उर्वरकों को बढ़ावा दिया जा सके। इसका अर्थ है गोबरधन पहल के तहत संयंत्रों द्वारा उत्पादित खाद को प्रोत्साहन देना। इस पहल में विभिन्न बायोगैस/सीबीजी समर्थन योजनाएं/कार्यक्रम शामिल हैं। ये सभी हितधारक मंत्रालयों/विभागों से संबंधित हैं, जिनमें पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की किफायती परिवहन के लिए सतत विकल्प (एसएटीएटी) योजना, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का अपशिष्ट से ऊर्जा’ कार्यक्रम, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) को शामिल किया गया है। इनका कुल परिव्यय 1451.84 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2023-24 से 2025-26) है, जिसमें अनुसंधान संबंधी वित्त पोषण के लिए 360 करोड़ रुपये की निधि शामिल है।

यह जानकारी केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी।

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समुद्री पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने कई पहल शुरू की हैं।

समुद्री पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने कई पहलें शुरू की हैं। वे इस प्रकार हैं:-
  1. 19 अक्टूबर 2023 की अधिसूचना संख्या 60/2023-सीमा शुल्क के अनुसार, सरकार द्वारा विदेशी ध्वज वाले विदेशी जहाज़ों के लिए एकीकृत माल एवं सेवा कर (आईजीएसटी) छूट प्रदान की गई है, जब वे कोस्टल रन में परिवर्तित हो जाते हैं, बशर्ते छह महीने के भीतर उन्हें विदेश जाने वाले जहाज़ में पुन: परिवर्तित कर दिया जाए।
  1. लंगरगाह के लिए, क्रूज़ जहाज़ को मालवाहक जहाज पर प्राथमिकता दी जाती है।
  1. युक्तिसंगत क्रूज़ टैरिफ़ को शुरू किया गया है।
  1. बंदरगाह शुल्क 0.085 डॉलर/जीआरटी (निश्चित दर) पर वसूला जाता है और लंगरगाह  पर रहने के पहले 12 घंटों के लिए 6 डॉलर का नाममात्र यात्री हेड टैक्स लिया जाता है।
  2. क्रूज़ जहाजों को उनकी कॉल के परिमाण के आधार पर 10 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक की छूट दी जाती है।
  1. क्रूज जहाजों को आकर्षित करने के लिए ऑस्टिंग शुल्क हटा दिए गए हैं।
  2. ई-वीजा और आगमन पर वीजा सुविधाओं का विस्तार किया गया है।
  3. एकल ई-लैंडिंग कार्ड शुरू किया गया है, जो समुद्री पर्यटन कार्यक्रम में सभी बंदरगाहों के लिए मान्य है।
  1. विदेशी क्रूज जहाजों के लिए कॉबोटेज माफ कर दिया गया है। यह छूट विदेशी क्रूज जहाज को अपने घरेलू चरण के दौरान भारतीय नागरिकों को एक भारतीय बंदरगाह से दूसरे भारतीय बंदरगाह तक ले जाने की अनुमति देती है।
  1. वैश्विक समुद्री भारत शिखर सम्मेलन 2023 का आयोजन मुंबई में किया गया और इसे भारत के समुद्री उद्योग जगत में एक महत्वपूर्ण क्षण माना गया, जिसने अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त की। इस आयोजन के दौरान, “2047 तक भारत में 50 मिलियन क्रूज यात्रियों को आकर्षित करने के लिए समुद्री यात्रा पर निकलें” पर एक समर्पित सत्र आयोजित किया गया, जिसमें दुनिया भर के प्रतिष्ठित क्रूज लाइनों के अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं ने भाग लिया।

यह जानकारी केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज (9 अगस्त 2024) लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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ऑनलाइन कानूनी सेवाओं के लिए विनियमन

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को अधिवक्ताओं द्वारा न्यायालय में, ग्राहकों के साथ और साथी अधिवक्ताओं के प्रति बनाए रखने वाले आचरण एवं पेशेवर शिष्टाचार के मानकों से  संबंधित नियम निर्धारित करने का अधिकार है। बीसीआई ने सूचित किया है कि अधिवक्ताओं द्वारा विज्ञापन या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से काम की मांग करना बीसीआई नियम, 1975 के नियम 36 के तहत निषिद्ध है। माननीय मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा 2019 के डब्ल्यूपी संख्या 31281 और 31428 में सुनाए गए निर्णय के आलोक में, दिनांक 08.07.2024 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जारी बीसीआई के हालिया निर्देशों के तहत यह निषेध बरकरार है और वह इन्हें बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

दिनांक 08.07.2024 की अपनी हालिया प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, बीसीआई ने इस निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने वाले अधिवक्ताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने हेतु अपने निर्देशों की रूपरेखा तैयार की, जिसमें सभी राज्य बार काउंसिलों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर नोटिस रोकने और बंद करने का निर्देश देना शामिल है।

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से अधिवक्ता के विज्ञापन और आग्रह पर प्रतिबंध लगाने का बार काउंसिल ऑफ इंडिया का अधिकार बार काउंसिल ऑफ इंडिया नियम, 1975 के नियम 36 से आता है, जो इस प्रकार है:

“एक अधिवक्ता सीधे या परोक्ष रूप से काम की मांग नहीं करेगा या विज्ञापन नहीं करेगा, चाहे वह परिपत्रों, विज्ञापनों, दलालों, व्यक्तिगत संचार, व्यक्तिगत संबंधों द्वारा जरूरी न किए गए साक्षात्कारों, समाचार पत्रों की टिप्पणियों को प्रस्तुत करने या प्रेरित करने या उन मामलों, जिसमें वह संलग्न या संबद्ध रहा हो, के संबंध में प्रकाशित अपनी तस्वीरों को पेश करने के जरिए हो।”

यह नियम विधि से संबंधित पेशे की पेशेवर मर्यादा और नैतिक मानकों को बनाए रखने के लिए बनाया गया है। यह किसी भी प्रकार के विज्ञापन या काम के आग्रह पर रोक लगाता है और यह सुनिश्चित करता है कि विधि का पेशा एक व्यावसायिक उद्यम के बजाय एक सेवा-उन्मुख कार्य बना रहे।

यह मामला बीसीआई के अधिकार क्षेत्र में आता है और यह सूचित किया गया है कि नोटिस जारी करने और रोकने के निर्देश जारी करके ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से विज्ञापन और आग्रह करने वाले अधिवक्ता पर प्रतिबंध लागू करने के लिए सक्रिय कदम उठाए गए हैं। बीसीआई सख्ती से पालन सुनिश्चित करने हेतु राज्य बार काउंसिल के साथ समन्वय करते हुए इन निर्देशों के अनुपालन की निगरानी करता है। सरकार के प्रशासन के तहत बीसीआई मौजूदा नियमों को लागू करने और अपने निर्देशों के माध्यम से उल्लंघनों के खिलाफ कार्रवाई करने पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है। नए नियमों या दिशानिर्देशों की कोई भी आवश्यकता उभरती स्थिति और प्रवर्तन के वर्तमान उपायों की प्रभावशीलता पर आधारित होगी।

यह जानकारी विधि एवं न्याय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा संसदीय कार्य राज्यमंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज लोक सभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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सरकार ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और इस्पात उत्पादन प्रक्रियाओं की स्थिरता बढ़ाने की कई पहल की

देश के इस्पात विनिर्माण क्षेत्र द्वारा ‘ग्रीन स्टील’ प्रौद्योगिकियों को अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और इस्पात उत्पादन प्रक्रियाओं की स्थिरता बढ़ाने की कई पहलें की हैं, जिनका विवरण निम्नानुसार है:-

(i) उद्योग, शिक्षा जगत, थिंक टैंक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी निकायों, विभिन्न मंत्रालयों और अन्य हितधारकों की भागीदारी से 14 टास्क फोर्स का गठन किया गया, ताकि इस्पात क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा, विचार-विमर्श और सिफारिश की जा सके।  टास्क फोर्स ने ऊर्जा दक्षता, नवीकरणीय ऊर्जा, ग्रीन हाइड्रोजन, सामग्री दक्षता, कोयला आधारित डीआरआई से प्राकृतिक गैस आधारित डीआरआई में प्रक्रिया परिवर्तन, कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (सीसीयूएस) तथा इस्पात उद्योग में बायोचार के उपयोग सहित प्रौद्योगिकियों के संबंध में सिफारिशें कीं।

(ii) नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने हरित हाइड्रोजन उत्पादन और उपयोग के लिए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की है। लोहा और इस्पात निर्माण में हरित हाइड्रोजन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए इस्पात क्षेत्र भी इस मिशन का एक हितधारक है।

(iii) नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जनवरी 2010 में शुरू किया गया राष्ट्रीय सौर मिशन सौर ऊर्जा के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देता है, जो नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाकर इस्पात उद्योग में उत्सर्जन को कम करने में योगदान देता है।

(iv) राष्ट्रीय संवर्धित ऊर्जा दक्षता मिशन के अंतर्गत प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (पीएटी) योजना, इस्पात उद्योग को ऊर्जा खपत कम करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

(v) इस्पात क्षेत्र ने आधुनिकीकरण और विस्तार परियोजनाओं में विश्व स्तर पर उपलब्ध कई सर्वोत्तम उपलब्ध प्रौद्योगिकियों (बीएटी) को अपनाया है।

(vi) इस्पात संयंत्रों में ऊर्जा दक्षता सुधार के लिए जापान के न्यू एनर्जी एंड इंडस्ट्रीयल टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (नेडो) के मॉडल प्रोजेक्ट लागू किए गए हैं। पर्यावरण पर प्रभाव को कम करने के लिए निम्नलिखित चार मॉडल प्रोजेक्ट लागू किए गए हैं:

क. टाटा स्टील लिमिटेड में ब्लास्ट फर्नेस हॉट स्टोव वेस्ट गैस रिकवरी सिस्टम।

ख. टाटा स्टील लिमिटेड में कोक ड्राई क्वेंचिंग (सीडीक्यू)।

ग. राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड में सिंटर कूलर वेस्ट हीट रिकवरी सिस्टम।

घ. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड में ऊर्जा निगरानी और प्रबंधन प्रणाली।

(vii) कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम (सीसीटीएस) को केंद्र सरकार ने 28 जून 2023 को अधिसूचित किया है, जो भारतीय कार्बन बाजार के कामकाज के लिए एक समग्र रूपरेखा प्रदान करता है तथा इसमें योजना के संचालन के लिए हितधारकों की विस्तृत भूमिकाएं और जिम्मेदारियां शामिल हैं। सीसीटीएस का उद्देश्य कार्बन क्रेडिट सर्टिफिकेट ट्रेडिंग तंत्र के माध्यम से उत्सर्जन का मूल्य निर्धारण करके भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना या उससे बचना है। सीसीटीएस का उद्देश्य इस्पात कंपनियों द्वारा उत्सर्जन में कमी लाने के लिए प्रोत्साहित करना है।

इस्पात उत्पादन में पुनर्नवीनीकृत इस्पात के उपयोग को बढ़ावा देने तथा इस्पात निर्माताओं को अपनी उत्पादन प्रक्रियाओं में पुनर्नवीनीकृत इस्पात के उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित उपाय और पहल की गई हैं:-

(i) स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति, 2019 में इस्पात क्षेत्र में चक्रिय अर्थव्यवस्था और हरित परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए घरेलू स्तर पर उत्पादित स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाने की परिकल्पना की गई है। यह विभिन्न स्रोतों और विभिन्न उत्पादों से उत्पन्न फेरस स्क्रैप के वैज्ञानिक प्रसंस्करण और रीसाइक्लिंग के लिए भारत में धातु स्क्रैपिंग केंद्रों की स्थापना को सुविधाजनक बनाने और बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है। नीति में विघटन केंद्र और स्क्रैप प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना, एग्रीगेटर्स की भूमिका तथा सरकार, निर्माता और मालिक की जिम्मेदारियों के लिए मानक दिशानिर्देश प्रदान किए गए हैं। नीति, अन्य बातों के साथ-साथ, सीएलवी (जिन वाहनों का जीवन समाप्‍त हो गया) को स्क्रैप करने के लिए रूपरेखा भी प्रदान करती है।

(ii) मोटर वाहन (वाहन स्क्रैपिंग सुविधा का पंजीकरण और कार्य) नियम, 2021 को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 और केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के ढांचे के तहत वाहन स्क्रैपिंग नीति के तहत अधिसूचित किया गया है। इसमें इस्पात क्षेत्र में स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाने की परिकल्पना की गई है।

यह जानकारी इस्पात एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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