कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल पृथ्वी- II का 15 जून, 2022 को लगभग 1930 बजे ओडिसा में चांदीपुर एकीकृत परीक्षण स्थल से सफल परीक्षण किया गया। मिसाइल की कार्य प्रणाली पूरी तरह सटीक है और यह बहुत उच्च स्तर की चपलता के साथ लक्ष्य को भेदने में सक्षम साबित हुई। प्रशिक्षण-परीक्षण के दौरान मिसाईल ने स्वयं को अपने सभी संचालनगत और तकनीकी मानकों पर सिद्ध साबित किया।
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एस जयशंकर और अनुराग ठाकुर ने मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में भारतीय खेल प्राधिकरण के पहले स्क्वैश कोर्ट का उद्घाटन किया
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्क्वैश खेलने के शौकीन 68 वर्षीय डॉ जयशंकर ने कहा कि आज स्क्वैश कोर्ट का उद्घाटन करते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है। खेल मंत्रालय इस परियोजना को पूरा करने और सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह से वचनबद्ध है। कई खेलों को अब पहचान मिल रही है और देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा फिटनेस की जीवन शैली विकसित करने तथा प्रतिभाओं को अवसर देने का संदेश हर जगह गूंज रहा है। मोदी जी हमेशा शारीरिक फिटनेस, प्रतिस्पर्धा और मानसिक शक्ति पर जोर देते हैं, जो न्यू इंडिया के लिए बहुत जरूरी है। जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत सरकार देश में इस तरह की और अधिक खेल सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। हम यथासंभव अधिक से अधिक खेल सुविधाएं विकसित करना सुनिश्चित करेंगे। मैंने 24 साल की उम्र में स्क्वैश खेलना शुरू किया था और आज मैं 68 साल का हूं। हमें बस अच्छी सुविधाओं, अच्छे कोच तथा खेलने के इरादे की जरूरत है। खेलो इंडिया और फिट इंडिया सभी के लिए है। इसके लिए कोई उम्र की सीमा नहीं है। पूर्व केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल राज्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने दिसंबर 2020 में इस परियोजना की आधारशिला रखी थी। क्रियान्वयन से पहले स्क्वैश रैकेट फेडरेशन के प्रतिनिधियों तथा प्रख्यात खिलाड़ियों के बीच वरिष्ठ स्तर पर विभिन्न बैठकें आयोजित की गईं और यह निर्णय लिया गया कि स्टेडियम में कुल 6 स्क्वैश कोर्ट बनाए जाएं। इन 6 में से कुल 3 सिंगल कोर्ट को कन्वर्टिबल कोर्ट के रूप में रखा जाएगा, जो 2 डबल्स कोर्ट में कन्वर्टिबल होंगे।अनुराग सिंह ठाकुर ने प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को दोहराते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी जी हमेशा से खेल में ताकत और प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ-साथ मानसिक विश्वास को बढ़ाना चाहते हैं। राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह की सुविधा का होना उस लक्ष्य को प्राप्त करने का एक और माध्यम है। जब ऐसा मौका मिलता है तो नए सितारों के उभरने की संभावना बढ़ जाती है।इस बात का उल्लेख करते हुए कि युवा चैंपियन भारत सरकार की योजनाओं से कैसे लाभान्वित हो सकते हैं, श्री ठाकुर ने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि इस तरह का विश्व स्तरीय स्क्वैश इंफ्रास्ट्रक्चर आने वाले वर्षों में निश्चित रूप से ऐसे अनेक होनहार चैंपियनों को तैयार करेगा और हम अपनी लक्षित ओलंपिक पोडियम योजना तथा खेलो इंडिया योजना के माध्यम से उनका सहयोग करने के लिए तैयार हैं। भारत ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान स्क्वैश के खेल में राष्ट्रमंडल खेलों में कुल 3 पदक और एशियाई खेलों में 13 पदक जीते हैं। यह आंकड़ा बढ़ता रहेगा। मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में स्क्वैश कोर्ट के निर्माण को भारतीय खेल प्राधिकरण की शासी निकाय की बैठक में कुल 5.52 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी गई थी। भारत सरकार के स्वामित्व वाले राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) ने नई दिल्ली में कोविड-19 और प्रदूषण संबंधी प्रतिबंधों के बावजूद इस परियोजना को पूरा किया।इस परिसर में 80 व्यक्तियों के बैठने की जगह है और यहां पर पुरुष, महिला एवं दिव्यांग व्यक्तियों के लिए शौचालय, टूर्नामेंट रूम / कार्यालय कक्ष, फिजियोथेरेपी कक्ष, स्टोर, रिसेप्शन लॉबी, रखरखाव क्षेत्र आदि बनाये गए हैं। इस भवन को विश्व स्क्वैश महासंघ द्वारा अनुमोदित एएसबी सिस्टम में 100 दीवारों के साथ फैक्ट्री फिनिश्ड कस्टम डिजाइन पीईबी सुपर संरचना द्वारा बनाया गया है, जिसमें लेमिनेशन के साथ पीयूएफ की छत है।
अच्छा सोचे तो अच्छा होगा ~ स्मिता केंथ
सुबह सुबह जल्दी से घर के काम निपटा कर, मैंने तैयार होने के लिए अपनी कमरे की अलमारी में से इक शिफ़ॉन की साड़ी निकाली जो मुझे बेहद पसंद भी थी।हल्का आसमानी रंग बहुत गर्मी में यही अच्छा लगेगा ,सोच कर झट से तैयार हो गई।तैयार हो कर रामदीन काका को आवाज़ दी और कहा ! रामदीन काका जल्दी से गाड़ी में गिफ़्ट रखवा दीजिए और ड्राइवर से कहे ,गाड़ी को बाहर निकाले, मैं अभी आ रही हूँ। लेट तो मैं पहले ही हो गई थी। आज गर्मी बहुत थी मगर गाड़ी में गाने की धुन के साथ गुनगुनाते रास्ते का पता ही नहीं चला। जैसे तैसे करके मैं शैलजा के यहाँ पहुँची।आज उसके यहाँ शादी की सालगिरह की पार्टी रखी हुई थी। पार्टी के दौरान इधर-उधर की बातें मिलना मिलाना तो चल ही रहा था,तभी मेरा ध्यान उरमी की तरफ़ गया ,जो मेरी बचपन की सहेली थी उसका असली नाम उर्मिला है मगर मैं प्यार से उसे उरमी बुलाती हूँ जो अपनी बिमारी का ज़िक्र बार बार सभी से कर रही थी और सब को बता रही थी कि कैसे वो पिछले कुछ महीनों से परेशान रही।मैं अपनी सहेलियों से मिलते मिलाते उरमी को पीछे से जाकर अपनी बाँहों में ले लिया।मुझे वहाँ देख कर उरमी भी बहुत खुश हुई।हम दोनों वैसे तो एक ही शहर में रहते हैं मगर मिलना बहुत कम हो पाता है उसने भी मुझे ज़ोर से अपनी बाँहों में लिया और हैरान हो कर पूछने लगी कि मैं कहा रहती हूँ आजकल , कहीं दिखाई नहीं देती।थोड़ी इधर उधर की बात के बाद मैंने कहा। सुन उरमी तुम मेरी प्यारी सहेली हो इसीलिए मैं तुम से इक बात शेयर करना चाहती हूँ। दोस्तों। वो बात जो कहीं न कहीं शायद हम सब के लिए समझना ज़रूरी भी है। मैंने उसे इक औरत जिस का नाम आयशा था ,की बात बताई। आयशा जो एक जवान ,सुन्दर और अच्छे परिवार से थी।काफ़ी अरसे से बिमार चल रही थी जब डाक्टरों का इलाज भी साथ नहीं दे रहा था तो काफ़ी निराश हो गई।किसी के घर ,किसी रोज़ उसकी मुलाक़ात किसी स्वामी जी से हुई।जहां उसने अपनी बिमारी की बात स्वामी जी से कह डाली।उसकी बात सुन कर स्वामी जी ने कहा ! घबराओ नहीं। ये मंत्र किया करो सबठीक हो जाओगा।आयशा बिमारी से तो झूंझ ही रही थी ,तो सोचा। जाप करने में हर्ज ही क्या है और विश्वास से मंत्र का जाप करने लगी। तीन सालों के बाद ,ठीक हो कर स्वामी जी के पास फिर आई।स्वामी जी ने पूछा। कैसी हो ?कहने लगी !जी अब ठीक हूँ। मंत्र और आप की किरपा से ठीक हो गई हूँ ।स्वामी जी कहा। तो चलो ,अब मौज करो और स्वामी जी ने उसे वहाँ से उठने का इशारा भी कर दिया ।आयशा वहाँ से उठ खड़ी हुईं,तो स्वामी जी की पत्नी ,जो पास में ही बैठी थी ,आयशा से पूछने लगी। क्या हुआ था? और अपने पास बैठा लिया। महिलायें तो महिला ही होती है ,जैसे आयशा इसी इन्तज़ार में थी कि कोई उससे ,उसका हाल पूछ ले और वो सारी बात उसे बताये। एकदम से आयशा ने अपनी कहानी सुनानी शुरू कर दी कि कैसे वो पिछले 7 सालो से बिमारी से झूझ रही थी।कैसे मुम्बई के अस्पताल में इलाज करवाया।कैसे उसे अपनी ज़मीन बेचनी पड़ी।कैसे उसके पति ने पानी की तरह पैसा बहाया उसके इलाज के लिये,और बता रही थी इतनी बीमार थी कि घर का काम भी नही कर पाती थी वग़ैरह वग़ैरह बहुत लम्बी लिस्ट थी जो वो बता रही थी स्वामी जी की पत्नी को, पिछले 45 मिनटों से लगातार आयशा बोलती जा रही थी और उसे ऐसा करते देख स्वामी जी ने आयशा को अपने पास बुलाया और कहा !तुम क्या चाहती हो ?कया तुम चाहती हो कि तुम फिर से बिमार हो जाओ? आयशा घबरा गई और बोली, नहीं नहीं स्वामी जी ,मैं ऐसा क्यों चाहूँगी। तब स्वामी जी ने कहा!तुम्हें बिमारी आई ।तुमने मंत्र से इसे ठीक भी कर लिया।अब जितना अपनी बिमारी का गुणगान करोगी न,बिमारी फिर से तुमहारे पास आ जायेगी।जैसे हमारे घर मे कोई आये और हम ख़ूब आवभगत करे ,तो वो मेहमान हमारे घर बार बार आना चाहता है क्यूँकि उन्हें पता होता है ,कि इस घर मे मेरा सन्मान होता है। जहाँ किसी को कोई नही पूछता वहाँ कोई दोबारा जाना नहीं चाहता।स्वामी जी ने कहा, यूँ भी सारा श्रेय मैं मन्त्र को भी नही दे सकता। कहीं न कहीं तुम्हें विश्वास भी था कि तुम अब ठीक हो जाओगी ,उसी विश्वास ने भी अपना काम शुरू कर दिया था, अब चुप रहो। बीमारी की महिमा या गुणगान ज़्यादा न करो ,नही तो वो फिर आ जायेगी, तब मैने उरमी से कहा, तुम भी तो वही कर रही हो ,बार बार बीमारी की बात दोहारा रही हो। ये सुन कर उर्मिला ने कहा! मेरी तौबा, मै किसी को भी ,आज के बाद बिमारी की बात नही दोहराऊँगी। दोस्तों! उसी को याद कीजिये जिसे आप चाहते है कि आप के पास आयेजो। चीज़ नही चाहते उसकी बात को दोहराये भी नही, दुनिया चाहोगे तो दुनिया मिलेगी, रब को याद करोगे तो रब भी मिल जायेगा, प्यार मोहब्बत इश्क़ वफ़ा जो चाहिए उसी का ज़िक्र करें, जैसे हम बहुत सरसरा से कह देते है रिश्तों मे कोई सच्चाई नही बची तो यही सब तो हो रहा है हमारे आसपास। हम सरसरा सा यू ही कह देते है कि बच्चे आजकल अपना ही सोचते है तो हो भी यही रहा है, क्योंकि हम ही ऐसी एनर्जी, ऐसी ऊर्जा भेज रहे है अपने आसपास, दोस्तों, अपनी सोच को पकड़े और अच्छा सोचे तो अच्छा ही होगा, इस जहान का इक दस्तूर है जनाब! वो ये है कि “सुना है तेरे जहाँ मे जिसे शिद्दत से चाहो ,वो आज नही ,तो कल मिलता ज़रूर है “और मुझे भी इन्तज़ार है उसी पल का !
Read More »उपराष्ट्रपति ने मीडिया, वैज्ञानिक बिरादरी और लोगों से कृषि के प्रति सकारात्मक भाव दर्शाने की अपील की
उपराष्ट्रपति, वेंकैया नायडु ने आज मीडिया, वैज्ञानिक बिरादरी और समग्र रूप से लोगों समेत सिविल सोसायटी से कृषि की तरफ सकारात्मक भाव दर्शाने की अपील की। कृषि को एक पवित्र गतिविधि बताते हुए उन्होंने कहा कि किसानों की सुरक्षा करना और कृषि को लाभदायक बनाना सुनिश्चित करने के लिए उन्हें सभी प्रकार की मदद करना वक्त की मांग है।
नायडु आज हैदराबाद में रायथू नेस्तम प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘प्रकृति सैन्यम’ का विमोचन कर रहे थे। यह पुस्तक उन 100 किसानों की सफलता की कहानियों का वर्णन करती है जो जैविक और पारंपरिक खेती में करने लगे हैं। श्री नायडु ने उम्मीद जताई कि यह पुस्तक अनेक लोगों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित करेगी।
यह बताते हुए कि ब्रिटिश शासन ने भारतीय कृषि को बुरी तरह प्रभावित किया है, नायडु ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद खाद्य सुरक्षा की तलाश में, ‘‘हमने अपने प्राकृतिक पर्यावरण पर कृषि के प्रभाव की अनदेखी की है।’’ उन्होंने कहा कि जैविक खेती की ओर लौटने के लिए हाल के वर्षों में किए गए प्रयासों को देखकर प्रसन्नता हो रही है। श्री नायडु ने कहा कि प्राकृतिक खेती लागत को नियंत्रित कर सकती है और किसानों के लिए एक स्थिर आय पैदा कर सकती है। उन्होंने आगे कहा कि जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग के के दौर में किसानों को भी अत्यधिक लाभ होगा। उन्होंने कहा, ’’आगे, हमें कृषि संरक्षण को बढ़ाने के लक्ष्य के साथ स्थिरता भी सुनिश्चित करनी चाहिए।’’
उपराष्ट्रपति ने कहा कि संबद्ध गतिविधियों, विशेष रूप से पशुपालन को अपनाने वाले किसानों को खाद और जैव उर्वरक का एक शक्तिशाली स्रोत मिलने से जैविक खेती में लाभ होगा। उन्होंने कहा कि किसानों को संबद्ध गतिविधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जो किसानों को अतिरिक्त आय प्रदान कर सकती हैं और उन्हें कृषि में अनिश्चितताओं से बचा सकती हैं। देसी नस्लों के संरक्षण का आह्वान करते हुए, श्री नायडु ने कहा, ‘‘पशुधन राष्ट्रीय धन है।’’
कृषि में प्रौद्योगिकी को शामिल करने के महत्व पर बल देते हुए श्री नायडु ने प्राकृतिक और जैविक खेती में और अधिक शोध करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने मोटे अनाज में लोगों की बढ़ती अभिरुचि का लाभ उठाने और ऐसी फसलों में वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने का सुझाव दिया। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयों, अनुसंधान केंद्रों और क्षेत्र स्तर के कार्यान्वयन के बीच अधिक तालमेल बनाने की आवश्यकता बताई। उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि किसानों के बीच पहुंच बढ़ाने के लिए शोधों का प्रकाशन भारतीय भाषाओं में होना चाहिए।
श्री नायडू ने उद्यमी युवाओं के कृषि के क्षेत्र में प्रवेश करने की प्रवृत्ति पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि यह कृषि के पुनरुद्धार के लिए एक सकारात्मक संकेत है। उन्होंने कृषि को लाभदायक बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों, नीति आयोग, व्यापार निकायों और मीडिया सहित विभिन्न हितधारकों से और अधिक समन्वित प्रयासा करने की अपील की और कहा कि युवाओं को भी इस परिवर्तन में भागीदार बनाया जाना चाहिए।
निदेशक, भाकृअनुप-एनएएआरएम, श्री श्रीनिवास राव, तेलंगाना पशुपालन विभाग के निदेशक, डॉ. एस. रामचंद्र, रायथू नेस्तम प्रकाशन के संस्थापक, श्री यादपल्ली वेंकटेश्वर राव, अनेक किसानों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
Read More »सेना प्रमुख ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेखा-एलएसी पर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की
अग्रिम चौकियों के दौरे के दौरान, थल सेना प्रमुख को स्थानीय कमांडरों द्वारा सीमाओं पर मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी दी जा रही है। अग्रिम क्षेत्रों में परिचालन तैयारियों का प्रत्यक्ष मूल्यांकन करते हुए, सेना प्रमुख के पर्वतारोहण कौशल और लंबी दूरी की गश्त सहित तैनात संरचनाओं की अधिक ऊंचाई वाली परिचालन क्षमताओं का प्रदर्शन देखने की योजना है। इस दौरान थल सेना प्रमुख इस क्षेत्र में जारी बुनियादी ढांचे और विकास कार्यों और अग्रिम क्षेत्रों में सेना-नागरिक संपर्क की भी समीक्षा कर रहे हैं।
अपनी यात्रा के दौरान कमांडरों के साथ बातचीत करते हुए, सेना प्रमुख ने सीमाओं पर सतर्कता और चौकसी की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने रक्षात्मक मुद्रा में तेजी से सुधार और संरचनाओं की परिचालन तैयारी पर संतोष व्यक्त किया। सेना प्रमुख ने लगातार निगरानी करने में आधुनिक तकनीक के समावेश की सराहना की।
थल सेनाध्यक्ष ने अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों के साथ बातचीत के दौरान उनके उच्च मनोबल की सराहना की और उनसे पेशेवर उत्कृष्टता के उच्च मानकों को बनाए रखने का आह्वाह्न किया। उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में परिचालन प्रभावशीलता और सतत विकास की दिशा में सेना, सीएपीएफ, नागरिक प्रशासन और पुलिस के बीच उत्कृष्ट तालमेल की भी सराहना की।
मैं पराया धन नहीं, मैं तुम्हारी बिटिया हूं~प्रियंका वर्मा महेश्वरी
क्यों मायका पराया करना है
क्यों न ऐसा मानें कि अब हमारा
दो घर हो गया है.
कभी इस घर तो कभी उस घर
जाकर साथ निभाना है
हां ये मान लिया कि
पिया घर जरा ज्यादा फर्ज निभाना है
पर मायके में भी तो कुछ फर्ज,
कुछ रिवाजनिभाना है
सब जिम्मेदारी बेटे ही क्यों ले लें
सबको मिलकर एक साथ निभाना है
क्यों मैं सुनूं कि अब कब आओगी तुम
क्यों न ऐसा सुनूं कि जब भी समय मिले
बिटिया घर आ जाना तुम
फर्क बढ़ जाता है जब
परिवार का दायरा बढ़ जाता है
तो क्यों न ऐसा सोचें कि
जिम्मेदारियां निभाने में दो हाथ
और जुड़ जाते हैं
बेटे जब चले जाते नौकरी, व्यापार के लिए
दूर प्रदेश…. तब क्या वो पराये हो जाते हैं
थोड़े थोड़े समय पर थोड़े समय के लिए
आते हैं वो फर्ज निभाने के लिए
तब भी तो तुम ऐसा ही कहती हो न
कि जब समय मिले तो जल्दी आ जाना
मैं पराया धन नहीं हूं
मैं तुम्हारी बिटिया हूं
हमें हमेशा साथ निभाना है
कानपुर स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन लिमिटेड के बोर्ड ने 14वीं बोर्ड बैठक में कई अहम फैसला लिया
कानपुर 14 जून, कानपुर स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन लिमिटेड के बोर्ड ने 14वीं बोर्ड बैठक में कई अहम फैसला लिया है।
बोर्ड की बैठक आयुक्त कानपुर मंडल की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी और इसमें श्री विशाख जी (डीएम कानपुर नगर) श्री शिव शरणप्पा (नगर आयुक्त और सीईओ स्मार्ट सिटी), श्री अरविंद सिंह (वीसी केडीए), श्री बीजीटीएस मूर्ति (डीसीपी यातायात)), श्री नीरज श्रीवास्तव जी और अन्य अधिकारी ने भाग लिया ।
बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय इस प्रकार हैं:
1) पूरा होने के बाद स्मार्ट सिटी कानपुर की परियोजनाओं के “संचालन और रखरखाव (ओ एंड एम)” के लिए व्यय के लिए एक अलग बैंक खाता खोला और संचालित किया जाएगा।
2) बोर्ड ने लगभग ₹ 100 करोड़ की 31 परियोजनाओं की निर्माण / लागू करने की अनुमति को पारित किया है।
प्रमुख परियोजनाएं हैं:
-बड़ा चौराहा का विकास (₹ 3.5 करोड़)
-कानपुर नगर निगम में “फ़ेशल रेकग्निशन मेकनिज़म” ( चेहरे पहचान हेतु अटेंडन्स सॉफ़्टवेर) के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने और प्रत्येक दिन शहर की बेहतर साफ़ सफ़ाई सुनिश्चहित करने की प्रणाली (धनराशि अगले १५ दिनो में तय किया जायेगा)
-ग्रीन पार्क विज़िटर गैलरी (चरण 2) (₹ 3.57 करोड़)
– ग्रीन पार्क में बैडमिंटन / टेबल टेनिस और जिम हॉल का विकास (₹ 5.5 करोड़)
– ठोस कचरा प्रबंधन के लिए बीस वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन (₹ 2 करोड़)
-चुन्नीगंज कन्वेंशन सेंटर के आसपास / चारों तरफ़ स्मार्ट रोड का निर्माण (₹3 करोड़)
– 10 पार्कों में ओपन जिम और पार्कों का विकास (₹ 5 करोड़)
– एबीडी क्षेत्र में ६ सरकारी भवनों में स्थापित बड़े सोलर बिजली उत्पादन सैयंत्र की स्थापना (₹ 3.5 करोड़)
– आनंदेश्वर मंदिर के पास सार्वजनिक स्थानों का जन सुविधा विकास (₹ 6 करोड़)
– 30 स्मार्ट बस स्टॉप का निर्माण और विकास (₹ 4 करोड़, सार्वजनिक निजी भागीदारी के साथ, केएससीएल ₹ 50 लाख का भुगतान करेगा)
– नाना राव पार्क में ऑटोमेटेड फुट ओवर ब्रिज का निर्माण (₹4 करोड़)
– एबीडी क्षेत्र में नौका विहार का विकास (₹ 2 करोड़)
– स्लम क्षेत्रों में सार्वजनिक सुविधाओं का विकास (₹ 4 करोड़)
-तुलसी उपवन का सौंदर्यीकरण (₹ 3.5 करोड़)
– एबीडी क्षेत्र में सड़कों के सुरक्षित सड़क संकेत, चिह्न और अन्य सुरक्षा उपाय (₹ 5 करोड़)
– सिटी ई-बस एप्लिकेशन का विकास और इसे स्मार्ट सिटी के आईसीसीसी से जोड़ना (₹ 80 लाख)
– कारगिल पार्क में नौका विहार सुविधाओं का विकास (₹50 लाख)
– वेब आधारित एलआईडीएआर (LIDAR) प्रौद्योगिकी आधारित संपत्ति मानचित्रण का विकास (₹ 1.75 करोड़)
3) बोर्ड ने अगले 2 वर्षों के लिए कानपुर स्मार्ट सिटी की ICCC परियोजना के लिए IIT कानपुर को “तकनीकी सहायता समूह” (TSG) के रूप में नियुक्त करने की मंजूरी दे दी है। यह ICCC में उपलब्ध सुविधाओं का सर्वोत्तम संभव उपयोग सुनिश्चित करने में मदद करेगा और ITMS और यातायात प्रबंधन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग भी करेगा।
4) स्मार्ट सिटी बोर्ड ने “गैर-पुनर्नवीनीकरण योग्य प्लास्टिक कचरे (एनसीपीडब्ल्यू)” को प्रयोग करने योग्य में परिवर्तित करने के लिए और उससे फर्नीचर और अन्य निर्माण सामग्री बनाने के तकनीकी हेतु आईआईटी कानपुर की एक गैर-लाभकारी कंपनी “फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड रिसर्च इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (FIRST) के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।
5) कानपुर स्मार्ट सिटी बोर्ड ने पालिका स्टेडियम सुविधाओं के बेहतर संचालन, प्रबंधन और रख रखाव के लिए ओपन टेंडर द्वारा स्मार्ट सिटी द्वारा चयनित ओ एंड एम प्रबंधन निजी एजेन्सी के चयन को भी मंजूरी दे दी है।
बोर्ड ने अग्रीमेंट के प्रावधानों की समीक्षा के लिए और पालिका स्टेडियम में सुविधाओं के संचालन और प्रबंधन की निगरानी के लिए एक समिति गठित करने का भी निर्देश दिया।
बोर्ड ने विजिटर गैलरी की निजी भागीदारी के माध्यम से सुविधाओं का बेहतर संचालन और रख रखाव के लिए आगामी दिनो में निर्माणाधीन कन्वेंशन सेंटर, कलेक्ट्रेट में मल्टी लेवल पार्किंग, मोतीझील में वेंडर कियोस्क, बैडमिंटन कोर्ट और ग्रीन पार्क में जिम और नई स्विमिंग पूल को निजी O&M संस्था के माध्यम से बेहतर संचालन और प्रबंधन (ओ एंड एम) शुरू करने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी है।
Read More »दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने विश्व रक्तदाता दिवस मनाया
कानपुर 14 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में विश्व रक्तदाता दिवस मनाया गया। जिसमें सभी वॉलिंटियर्स ने जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को *रक्तदान महादान* के प्रति जागरूक किया तथा शपथ भी ली। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्या प्रो. सुनंदा दुबे ने की। उन्होंने छात्राओं को विभिन्न प्रकार के ब्लड ग्रुप, ट्रांसफ्यूजन, रक्तदान के इतिहास व महत्व के बारे में बताया। इस कार्यक्रम में श्री अविनव श्रीवास्तव ने छात्राओं को अपने निजी अनुभवों से अवगत कराते हुए बताया कि किस प्रकार से वे रक्तदान करके अपने रक्त से कितने लोगों की जान बचा सकती है तथा उसे एक चेन के रूप में चला कर हमेशा के लिए अर्थात शाश्वत बना सकती हैं। विश्व स्वास्थय संगठन द्वारा हर साल 14 जून को शरीर विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्राप्त प्रसिद्ध वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन की याद में पूरे विश्व में ‘विश्व रक्तदान दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य रक्तदान को प्रोत्साहन देना एवं उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में भूगोल विभाग की असि. प्रो. अंजना श्रीवास्तव, आकांक्षा अस्थाना, पवित्रा देवी एवं सभी छात्राओं की सक्रिय सहभागिता रही।
योग से मन और शरीर दोनों का विकास होता है : सर्बानंद सोनोवाल
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं राजमार्ग और आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, 2022 के 12 दिन के काउंटडाउन के तहत अरुणाचल प्रदेश की सुरम्य जीरो वैली में हुए योग उत्सव में भाग लिया।
केंद्रीय मंत्री के साथ ही अरुणाचल प्रदेश सरकार में शिक्षा, सांस्कृतिक मामले, स्वदेशी मामलों के मंत्री ताबा तेदिर और अरुणाचल प्रदेश सरकार में कृषि, बागवानी, पशु पालन एवं पशु चिकित्सा मंत्री तेगे तेकी के अलावा कई अन्य योग के चाहने वाले आज सुबह हुए योग उत्सव में शामिल हुए। इस अवसर पर श्री सोनोवाल ने कहा कि योग मन और शरीर दोनों का विकास करता है। यह हमारी आत्मा को सक्रिय करते हुए हमें शांति और व्यवस्थित रखता है। उन्होंने कहा कि भवगद् गीता ने योग के सार को खूबसूरती से बताया है, जो स्वयं की, स्वयं के माध्यम से, स्वयं की यात्रा है। उन्होंने कहा, मैं आज सुबह खूबसूरत जीरो वैली में योग का अभ्यास करके खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं।
Read More »अपने पिता के खेत में प्रशिक्षण से लेकर खेलो इंडिया रजत पदक जीतने तक महाराष्ट्र की कल्याणी गाडेकर ने लंबा सफर तय किया है
मिट्टी का एक गड्ढा, जो उसके पिता के छोटे खेत में एक अस्थायी कुश्ती के मैदान के रूप में बदला गया, कल्याणी गडेकर के लिए आदर्श प्रशिक्षण मैदान बन गया है।
इसका अर्थ यह नहीं कि महाराष्ट्र की पहलवान, खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2021 में 53 किलो वर्ग में रजत पदक विजेता कोई बहुत धनी परिवार में पैदा हुई थी। बात यह है कि उसके पिता के पास कोई विकल्प नहीं था। कुश्ती के प्रशंसक पांडुरंग गडेकर चाहते थे कि युवा कल्याणी पहलवान बने। लेकिन विदर्भ के वाशिम जिले के जयपुर नामक उनके छोटे से गांव में एक भी कोचिंग सेंटर नहीं था। वह हंस कर कहती है, ‘‘ मेरे पिता ने किसी तरह जिम्नास्टिक के नरम मैट एकत्र किए तथा उस पर एक बेडशीट डाल दी जिससे कि मुझे कुश्ती के मैट पर खेलने का एहसास हो। ‘‘ हालांकि पिता और पुत्री की जोड़ी अस्थायी कुश्ती अखाड़ा बन जाने के बाद भी नहीं टूटी। पांडुरंग को कोच तथा प्रशिक्षक की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ी क्योंकि राज्य द्वारा अनगिनत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विजेताओं को पैदा किए जाने के बाद भी उनके जिले में एक भी कोच नहीं था। उनकी साझीदारी तब टूटी जब कल्याणी ने अपने पहले ही प्रयास में स्कूल नेशनल्स में जगह बना ली। उनके माता पिता ने अपनी जमीन का एक हिस्सा बेच कर उसे आगे के प्रशिक्षण के लिए सोनीपत स्थानांतरित कर दिया। कल्याणी स्मरण करती है, ‘‘ मेरे छोटे भाई और बहन ने मिट्टी के उसी गड्ढे में प्रशिक्षण करना जारी रखा जब मैं शहर चली आई। बच्चों के रूप में हम बहुत मस्ती किया करते थे। ‘‘ संयोग से, अब तीनों भाई बहन मुंबई में भारतीय खेल प्राधिकरण के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। 18 वर्षीया कल्याणी ने आरंभिक प्रशिक्षण से लेकर बुधवार को यहां 53 किग्रा रजत पदक जीतने तक निश्चित रूप से एक लंबा रास्ता तय किया है। हालांकि यह आसान नहीं था। दो बार, उसने सेमी फाइनल में पंजाब की मनजीत कौर को पराजित किया। लेकिन फाइनल में वह हरियाणा की अंतिम के दांव को रोकने में विफल हो गई कल्याणी, जिसने 46 किलो वर्ग में केआईवाईजी पुणे संस्करण में भी रजत पदक जीता था, बताती है, ‘‘ हालांकि मैं अपने प्रदर्शन से प्रसन्न हूं। मैं आम तौर पर 50 किलो वर्ग में प्रतिस्पर्धा करती हूं। लेकिन चूंकि यहां 49 किलो वर्ग है, इसलिए मुझे 53 किलो के वर्ग में जाना पड़ा। मैं इतने कम समय में अपना वजन कम नहीं कर सकी। ‘‘लगभग एक वर्ष पूर्व, उसे एसएआई स्कीम के तहत मुंबई के कांदिवली में प्रशिक्षण के लिए चुना गया और वह अपने सामरिक वाले खेल पर कोच श्री अमोल यादव के साथ काम कर रही है। श्री यादव ने कहा, ‘‘ वह शारीरिक रूप से बहुत मजबूत है और उचित कोचिंग की कमी के कारण बहुत रक्षात्मक हुआ करती थी। लेकिन हम उस पर काम कर रहे हैं और मुझे भरोसा है कि हम अगले 6-10 महीने में उसके प्रदर्शन में बड़ा सुधार देख सकते हैं।
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