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Bharatiya Swaroop

भारतीय स्वरुप एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र है। सम्पादक मुद्रक प्रकाशक अतुल दीक्षित (published from Uttar Pradesh, Uttrakhand & maharashtra) mobile number - 9696469699

मेघालय की ग्रामीण आबादी को सड़कों और बाजारों तक पहुंच में वृद्धि

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) की शुरूआत की थी, जिसका उद्देश्य पूरे देश में योग्य असंबद्ध बस्तियों को (2001 की जनगणना के अनुसार उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए 250 और उससे ज्यादा लोगों की बस्ती) सभी मौसम में उचित सड़क संपर्क प्रदान करना था, जिससे ग्रामीण आबादी का सामाजिक-आर्थिक उत्थान किया जा सके। बाद में नए मध्यवर्तनों को शामिल करते हुए पीएमजीएसवाई के अधिदेश को और ज्यादा व्यापक बनाया गया। पीएमजीएसवाई-II की शुरुआत वर्ष 2013 में हुई थी, जिसमें मौजूदा ग्रामीण सड़कों में से 50,000 किलोमीटर सड़कों को अपग्रेड करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। पीएमजीएसवाई-III की शुरुआत 2019 में की गई,जो मार्गों और प्रमुख ग्रामीण संपर्कों के माध्यम से 1,25,000 किलोमीटर का समेकन करता है और ग्रामीण कृषि बाजारों, उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों और अस्पतालों से बस्तियों को जोड़ता है। पीएमजीएसवाई के दिशा-निर्देशों के अनुसार, ग्रामीण सड़कें राज्य का विषय है और राज्य सरकार अपने राज्य में इसकी नोडल कार्यान्वयन एजेंसी है। इसके अलावा, इस कार्यक्रम की इकाई बस्ती है, जिसका अर्थ जनसंख्या का एक ऐसा समूह है, जो एक ही क्षेत्र में रहता है और समय के साथ अपना निवास स्थान नहीं बदलता है। मेघालय राज्य मेंपीएमजीएसवाई के अंतर्गत सड़क संपर्क के लिए स्वीकृत 602 बस्तियों में से 481 बस्तियों को पहले ही सड़कों से जोड़ा जा चुका है।

उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय, पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) में संपर्क प्रदान करने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों के कार्यों में सहायता करता है, जिसमें दूरदराज के इलाकों में सड़क संपर्क प्रदान करना शामिल है, जिससे छोटे और दूरदराज के गांवों में रहने वाले जनजातीय लोगों को सुविधा प्राप्त होती है।

मेघालय राज्य में पिछले तीन वर्षों में डोनर मंत्रालय की मुख्य योजनाओं उत्तर पूर्व सड़क क्षेत्र विकास योजना (एनईआरएसडीएस) और उत्तर पूर्व विशेष अवसंरचना विकास योजना (एनईएसआईडीएस)के अंतर्गत स्वीकृत सड़कों की कुल लंबाई 169.51 किमी है, जिसे या तो सीधे तौर पर या उत्तर-पूर्वी परिषद (एनईसी) के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है। इसके अलावा, गृह मंत्रालय के सीमा प्रबंधन विभाग ने भी 2014-15 से “सड़क और पुल” क्षेत्र के अंतर्गत मेघालय सहित उत्तर पूर्व क्षेत्र में 992 परियोजनाओं की शुरूआत की हैं। यह जानकारी उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री, श्री जी. किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में दिया।

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भारतीय रेलवे की उत्पादन इकाइयां वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड उत्पादन हासिल करने के लिए काफी तेजी से आगे बढ़ रही हैं

भारतीय रेलवे की उत्पादन इकाइयां यानी चित्तरंजन स्थित चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (सीएलडब्ल्यू), वाराणसी स्थित बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (बीएलडब्ल्यू), पटियाला स्थित पटियाला लोकोमोटिव वर्क्स (पीएलडब्ल्यू) वर्ष 2022-23 में रिकॉर्ड उत्पादन हासिल करने के लिए काफी तेजी से आगे बढ़ रही हैं।

वित्त वर्ष 2022-23 में 30 नवंबर तक 614 इलेक्ट्रिक इंजन बनाने के साथ ही भारतीय रेलवे ने पिछले वित्‍त वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 25.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। पिछले वित्‍त वर्ष की इसी अवधि में 490 इलेक्ट्रिक इंजन बनाए गए थे।

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नितिन गडकरी ने उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 1121.95 करोड़ रुपये की लागत से एनएच उन्नयन कार्यों को मंजूरी दी

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने सिलसिलेवार कई ट्वीट करके यह जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश के अमेठी में अमेठी बाइपास (एनएच- 931) के पेव्ड शोल्डर के साथ 2-लेन के निर्माण को 283.86 करोड़ रुपये के साथ मंजूरी दी गई है। उन्होंने कहा, “इस परियोजना से यातायात सुगम होगी, कृषि उत्पादों का परिवहन आसान होगा और व्यापार व औद्योगिक विकास में यह मददगार साबित होगा, जिससे क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।”

श्री गडकरी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में ईपीसी मोड के तहत एनएच- 130डी पर कोंडागांव और नारायणपुर जिलों में पेव्ड शोल्डर कॉन्फिगरेशन के साथ 2-लेन उन्नयन कार्य को 322.40 करोड़ रूपये की लागत के साथ स्वीकृति दी गई है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना वर्तमान असुविधा को समाप्त करेगी और छत्तीसगढ़ के अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात की सुरक्षित और कुशल आवाजाही सुनिश्चित करेगी। मंत्री ने कहा कि इस खंड के विकास से लंबे यातायात मार्ग और माल ढुलाई की दक्षता में समग्र रूप से सुधार होगा, जिससे सुगम और सुरक्षित यातायात परिचालन सुनिश्चित हो सकेगा। श्री गडकरी ने आगे कहा, “इसके अलावा इस परियोजना के कार्यान्वयन से क्षेत्र के बुनियादी ढांचे में सुधार होगा, जिससे आखिरकार क्षेत्र के समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

श्री गडकरी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में एनएच- 730 पर दो लेन के फुटपाथ के साथ बलरामपुर बाईपास के निर्माण को ईपीसी मोड के तहत 515.69 करोड़ रुपये की लागत के साथ स्वीकृति दी गई है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना भीड़-भाड़ वाले बलरामपुर शहर में प्रवेश किए बिना एनएच-330 और एनएच- 730 पर यातायात के सुचारू परिचालन को सुनिश्चित करेगी।

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प्रगति के पथ पर औद्योगिक नगरी कानपुर

कानपुर 9 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज 388 करोड रुपए की 272 विकास परियोजनाओं का करेंगे लोकार्पण, पुलिस कमिश्नरेट कानपुर के पुलिस आयुक्त बी पी जोगदंड संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी के निर्देशन में चाक चौबंद पुलिस व्यवस्था
अप्पर पुलिस उपायुक्त बसंत लाल के निर्देशन में एसीपीएल आई यू सूक्ष्म प्रकाश के नेतृत्व में एंटी सबोटाज टीम कर रही है चेक

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एस एन सेन बालिका पी जी कॉलेज में प्रेस कांफ्रेंस में महाविद्यालय के वार्षिकोत्सव विविधा ~२०२२ के संबंध में जानकारी साझा की गई

कानपुर 6 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बालिका पी जी कॉलेज में एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की गई।
प्रेस कांफ्रेंस में महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो सुमन ने जानकारी देते हुए बताया कि महाविद्यालय के वार्षिकोत्सव विविधा -२०२२ का शुभारम्भ ६/१२/२२ को अकादमिक प्रतियोगिताओं की श्रृंखला के साथ होगा जिसकी सूची संलग्न है। सभी विभाग शैक्षिक पाठ्यक्रम से संबंधित प्रतियोगिताओं का आयोजन करेंगे जो छात्राओ के सर्वांगीण विकास में सहायक होगा । सभी प्रतियोगिताएँ अंतर्विभागीय होंगी जिससे छात्राओ को अन्य विषयों की जानकारी होगी एवं रुचि जागृत होगी॥ इस शृंखला का समापन लावण्या -२०२२ से होगा । इस दिन छात्राओ द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ की जायेंगी जिसमें प्राचार्या द्वारा महाविद्यालय की वार्षिक आख्या, के अतिरिक्त नृत्य , नाटक इत्यादि का समावेश होगा। इस दिन महाविद्यालय के प्रबंध तंत्र, अन्य महाविद्यालयों के प्राचार्य गण तथा महानगर के गणमान्यों को आमंत्रित किया गया है।
अंत में प्राचार्या ने सभी उपस्थित प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से आये पत्रकार बंधुओं को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सहयोग की अपेक्षा प्रेषित की।

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लिव इन कितना सही?

ऐसा कहने सुनने में आता है कि अब जो अपराध होते हैं वह सोशल मीडिया की वजह से जल्दी सामने आ जाते हैं। अपराध पहले भी होते थे लेकिन खबरों में नहीं आ पाते थे और जब तक समाचार पत्रों के जरिए सामने आते थे तब तक मामला पुराना हो जाता था। वैसे यह सही भी है सोशल मीडिया की वजह से अपराध जल्दी ही लोगों के सामने आ जाता है लेकिन यदि महिला अपराध के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो इन आंकड़ों में बढ़ोतरी ही हुई है और लगातार बढ़ते जा रहे हैं और महिला अपराध समाज में दहशत फैलाने का कार्य कर रहे हैं। हमारे समाज में घरेलू हिंसा, दुष्कर्म, लव जिहाद और एसिड अटैक जैसे मामले बहुत तेजी से उभर रहे हैं। आखिर क्या कारण है कि इस तरह के अपराध बढ़ रहे हैं? यदि ध्यान दिया जाये तो सबसे बड़ी वजह तो सोशल मीडिया ही है जहां अश्लीलता को बुरी तरह से परोसा जा रहा है और जिसे बड़ों से लेकर बच्चे तक उस अश्लीलता को देखते और पोसते आ रहे हैं। महिलाएं, लड़कियां अजीबोगरीब कपड़े पहनकर, बेहूदा अंग संचालन करके वीडियो पोस्ट कर रही हैं। छोटे-छोटे बच्चे भी जिन्हें ठीक से बात करनी भी नहीं आती जिनकी उम्र खेलने और पढ़ने की है वह भी कमर मटका कर ऊलजलूल हरकतें करते दिख जाएंगे और उनकी ऐसी हरकतों पर माता-पिता बड़े गौरवान्वित होते हैं। उनके लिए उनका बच्चा स्टार से कम नहीं होता। इन्हीं रील्स वीडियो पर ही लोगों के भद्दे कमेंट भी पढ़ने को मिल जाते हैं। मतलब यह कि महिला और पुरुष दोनों का ही ओछापन दिखाई देता है। आज सबसे बड़ी समस्या सोशल मीडिया पर बनने वाली रील्स, वीडियो है जिस पर सख्त नियम लागू होने चाहिए। सभ्य घर की महिलाएं भी इससे अछूती नहीं रह गई हैं और कुछ स्त्रियों ने तो बेहूदेपन की हदें पार कर दी है।
लिव इन  का बढ़ता हुआ ट्रेंड  हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम हमारी सभ्यता, संस्कृति को कहां ले जा रहे हैं। हमारे देश में विवाह जैसी संस्था समाज की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए ही है। यह लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता देना सही नहीं है। इसके दुष्परिणाम लव जिहाद के रूप में सामने आता है। जहां धर्म परिवर्तन ना करने के कारण, जबरदस्ती रिश्ते बनाए रखने के कारण या आपस में सामंजस्य ना रहने के कारण अपराधिक कृत्य सामने आते हैं। जिसमें बाद में पछताने के सिवा कुछ नहीं हासिल नहीं होता। हम भौतिक रूप से बहुत खुले विचार वाले हो गए हैं लेकिन हमारी सोच अभी भी वही रूढ़िवादी है। हम अभी भी इस तरह की परंपराओं को मन से स्वीकार नहीं कर पाये हैं। पाश्चात्य सभ्यता वैसे भी हमें परिवार से अलग-थलग रहना सिखाती है जोड़कर नहीं। इस सब पर रोकथाम जरूरी है। समाज को सही दिशा देने के लिए आजादी के नाम पर ऐसी उच्श्रृंखलता लिव इन जैसी प्रथा को खत्म किया जाना चाहिए। पाश्चात्य सभ्यता में संबंधों का टूटना-बिखरना एक आम बात है, वहीं अब भारत में भी रिश्तों का औचित्य खोने लगा है और व्यक्तिगत हितों के सामने आपसी रिश्तों का कद दिनोंदिन बौना होता जा रहा है और महानगरों में यह प्रथा (लिव इन) ज्यादा प्रचलित हो रही है। लिव इन की प्रथा उन लोगों के लिए सही है जिनके रिश्ते में दरार पैदा हो गई हो या विवाह विच्छेद में दिक्कतें आ रही हो क्योंकि हमारी कानून व्यवस्था बहुत लचर है जिसके कारण न्याय मिलने में काफी समय लग जाता है। लिव इन की प्रथा भारतीय समाज में नयी नहीं है। वैदिक काल में हमारे यहाँ मान्य विवाह की आठ पद्धतियों में से एक ‘गंधर्व विवाह पद्धति’ प्रचलित थी। जिसे समाज मन से स्वीकार नहीं करता,, क्योंकि यह रिश्ता सामाजिक मर्यादाओं और दायित्वों को अमान्य करता है।
लिव इन रिलेशनशिप के लिए सरकार ने कुछ नियम बनायें हैं जिनका उल्लंघन खुलेआम होता है।
महिला अपराधों में घरेलू हिंसा को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां स्त्री परिवार, समाज, दबाव और शर्म के कारण आवाज नहीं उठा पाती है। परिवार का सहयोग ना मिलना, बच्चों का भविष्य ध्यान में रखकर उसके पास चुप रहने के अलावा कोई पर्याय नहीं होता है। देखा गया है कि ऐसी स्त्रियां मानसिक स्तर पर और निर्णय लेने की क्षमता में खुद को अक्षम पातीं हैं। उनका व्यक्तित्व दबा दिया जाता है।
आजकल बच्चों के हाथों में मोबाइल होना आम बात है और वह भी सोशल मीडिया से अछूते नहीं है। इन सब का असर उनके मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक स्तर पर क्या असर होगा यह सोचने का विषय है? हिंसा से भरपूर सीरियल, मूवीज़ देखकर ही लोग अपराधिक प्रवृत्ति की ओर प्रवृत्त हो रहे हैं। इस सब पर रोकथाम जरूरी है। सबसे बड़ी समस्या तो यही है कि आपराधिक प्रवृत्ति वाले लोगों के मन से कानून का डर खत्म हो गया है। आज जरूरत है स्मार्ट पुलिस व्यवस्था की और पुलिस को भी अपना रवैया बदलना होगा उसे सकारात्मक रवैया अपनाना होगा ताकि पीड़ित व्यक्ति शिकायत दर्ज करा सके और न्याय के लिए आवाज उठा सके।
लिव इन जैसे रिश्तो में भरोसा कम रहता है और अलगाव की स्थिति ज्यादा रहती है जिसमें पुरुष से ज्यादा महिलाओं को दिक्कतों का सामना ज्यादा करना पड़ता है साथ ही उत्पीड़न और सामाजिक उपेक्षा भी ज्यादा सहनी पड़ती है अगरचे इनसे कोई संतान रही तो उसकी मानसिक स्वास्थ्य और उसके भविष्य पर भी बुरा असर पड़ता है। लिव इन रिलेशनशिप दायित्वों से मुंह छिपाना ही है जिसमें कोई बंधन नहीं होता है। आज बहुत जरुरी हो गया है कि सरकार इस पर सख्त कानून बनाये। लिव इन प्रगतिवाद की अनिवार्य बुराई है। सामाजिक व्यवस्था की जड़ता और कट्टरता को दूर कर लिव इन रिलेशनशिप को संस्कारपरक परिवार बनाने की दिशा में प्रयास होने चाहिए। ~ प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश के मैनपुरी संसदीय क्षेत्र में चल रहे उपचुनाव के मद्देनजर पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण और प्रतिनियुक्ति पर आयोग के निर्देशों के उल्लंघन को लेकर एसएसपी, मैनपुरी और इटावा से स्पष्टीकरण मांगा

भारत निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश के मैनपुरी संसदीय क्षेत्र में चल रहे उपचुनाव के मद्देनजर पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण और प्रतिनियुक्ति पर आयोग के निर्देशों के उल्लंघन को लेकर एसएसपी मैनपुरी और इटावा से स्पष्टीकरण मांगा है। समाजवादी पार्टी के प्रो. रामगोपाल यादव से प्राप्त अभ्यावेदन के संदर्भ में, मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार की अध्यक्षता में आयोग ने, चुनाव आयुक्त श्री अनूप चंद्र पांडे और श्री अरुण गोयल के साथ विचार-विमर्श के बाद निम्नलिखित निर्देश दिए हैं –

1. एसएसपी, मैनपुरी उक्त स्थानान्तरण एवं नियुक्ति नीति के अंतर्गत आने वाले उपनिरीक्षक श्री सुरेश चंद, श्री कादिर शाह, श्री सुधीर कुमार, श्री सुनील कुमार, श्री सत्य भान एवं श्री राज कुमार गोस्वामी को संबंधित विधानसभा क्षेत्र, जहां वे वर्तमान में तैनात हैं, से तत्काल कार्यमुक्त करें।

2. एसएसपी, मैनपुरी आयोग को स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें कि पुलिस कर्मियों के स्थानांतरण और प्रतिनियुक्ति करते समय आयोग के मौजूदा निर्देशों और आदर्श आचार संहिता के प्रासंगिक प्रावधानों का पालन न करने के लिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए।

3. एसएसपी इटावा इस बात पर अपना स्पष्टीकरण दें कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद आयोग की पूर्व अनुमति के बिना चार थानों- वैदपुरा, भरथना, जसवंतनगर और चौबिया- के एसएचओ को लंबी छुट्टी देने के मामले में उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए।

4. उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को यह भी निर्देश दिया गया है कि 21-मैनपुरी संसदीय क्षेत्र के लिए चल रहे उपचुनाव से संबंधित सुरक्षा बल की तैनाती संबंधित जनरल और पुलिस ऑब्जर्वर की देखरेख में रेंडमाइजेशन आदि की निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए सख्ती से की जाए। स्थानीय पुलिस बल का रेंडमाइजेशन निष्पक्षता सुनिश्चित करने हेतु आयोग के मौजूदा निर्देशों की आधारशिला है।

5. स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने हेतु, चुनाव वाले सभी जिलों के डीईओ को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया गया है कि आयोग के मौजूदा निर्देशों, कानून के प्रासंगिक प्रावधानों और आदर्श आचार संहिता का अक्षरशः पालन किया जाए।

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रक्षा मंत्रालय ने कॉर्पोरेट नौकरियों में पूर्व-अग्निवीरों के लिए आरक्षण पर भारतीय रक्षा उद्योग के साथ बातचीत का आयोजन किया

रक्षा मंत्रालय ने 30 नवंबर, 2022 को सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स के तत्वावधान में भारतीय रक्षा उद्योग के साथ कंपनियों की कॉर्पोरेट भर्ती योजना के तहत पूर्व-अग्निवीरों के लिए लाभकारी रोजगार के अवसरों की तलाश के क्रम में एक बातचीत सत्र का आयोजन किया। सत्र की अध्यक्षता रक्षा सचिव श्री गिरिधर अरमाने ने की। एलएंडटी, अदानी डिफेंस लिमिटेड, टाटा एडवांस्ड सिस्टम लिमिटेड, अशोक लेलैंड सहित अन्य प्रमुख भारतीय रक्षा उद्योगों के वरिष्ठ अधिकारियों ने चर्चा में भाग लिया।

रक्षा सचिव ने राष्ट्र निर्माण में जुटे विभिन्न क्षेत्रों में अत्यधिक समर्पित और अनुशासित युवाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से सशस्त्र बलों के साथ अपने कार्यकाल के बाद अग्निवीरों की विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए सरकार के प्रयास पर प्रकाश डाला। सशस्त्र बलों के साथ अपने जुड़ाव के दौरान अग्निवीरों द्वारा प्राप्त कौशल एक उच्च सक्षम और पेशेवर कार्यबल बनाने में मदद करेगा और यह उद्योग द्वारा उपयोगी और संरचनात्मक जुड़ाव के लिए आसानी से उपलब्ध होगा।

कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस प्रयास में अपना निरंतर समर्थन और प्रतिबद्धता जताई और सशस्त्र बलों के साथ अपना पहला बैच पूरा करने के बाद पूर्व-अग्निवीरो को तैनात करने के प्रति उत्सुकता व्यक्त की। उन्होंने आश्वासन दिया कि उपलब्ध कौशल क्षमता के आधार पर अग्निवीरों के आरक्षण के लिए उनकी भर्ती नीतियों में उपयुक्त प्रावधान किए जाएंगे। उद्योग की आवश्यकताओं के साथ अग्निवीरों द्वारा सीखे गए कौशल को जोड़ने के संबंध में कुछ सुझावों पर भी विचार किया गया।

रक्षा सचिव ने प्रतिभागियों की उत्साहजनक प्रतिक्रिया को स्वीकार करते हुए, भारतीय रक्षा निर्माताओं से अपनी प्रतिबद्धता पर कार्य करने और कॉर्पोरेट भर्ती योजनाओं के तहत उनसे जल्द से जल्द नीतिगत घोषणा करने का आग्रह किया।

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भारतीय तटरक्षक के उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर एमके-III स्क्वाड्रन, 840 एसक्यूएन (सीजी), को चेन्नई में कमीशन किया गया

तटरक्षक क्षेत्र पूर्व, 840 स्क्वॉड्रन (सीजी) को और मजबूत करने के प्रमुख प्रयास के तहत उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) एमके-III स्कवॉड्रन को महानिदेशक श्री वीएस पठानिया ने 30 नवंबर, 2022 को आईसीजी एयर स्टेशन, चेन्नई में कमीशन किया। उक्त 840 स्कवॉड्रन (सीजी) को कमीशन किया जाना इस बात का संकेत है कि हेलीकॉप्टर निर्माण के क्षेत्र में देश आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से अग्रसर है। यह प्रयास केंद्र सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ की परिकल्पना के अनुरूप है। इससे तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश के संवेदनशील समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा के लिये भारतीय तट रक्षक की क्षमताओं में बहुत बढ़ोतरी हो जायेगी।

एएलएच एमके-III हेलीकॉप्टरों को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने निर्मित किया है, जो पूरी तरह स्वदेशी है। इसमें उन्नत रडार के साथ इलेक्ट्रो ऑप्टिकल संवेदी यंत्र, शक्ति इंजन, पूरी तरह शीशे का बना कॉकपिट, तेज प्रकाश वाली सर्च लाइट, उन्नत संचार प्रणालियां, स्वचालित पहचान प्रणाली, तलाश व बचाव प्रणालियां लगी हैं। इन उपकरणों और सुविधाओं की सहायता से हेलीकॉप्टर समुद्री टोही गतिविधियों के अलावा दूर तक तलाशी व बचाव कार्य कर सकता है। हेलीकॉप्टर दिन और रात, दोनों समय पोतों से उड़ान भरकर उपरोक्त गतिविधियां चलाने में सक्षम है।

हेलीकॉप्टर में भारी मशीनगन लगी हुई है, इसलिये यह पलक झपकते आक्रामक मुद्रा में आ सकता है। इसमें एक गहन चिकित्सा सुविधा इकाई भी मौजूद है, ताकि गंभीर रूप से बीमार मरीजों को फौरन अस्पताल पहुंचाया जा सके। भारतीय तट रक्षक में चरणबद्ध तरीके से कुल 16 एएलएच एमके-III हेलीकॉप्टरों को शामिल किया गया है। इनमें से चार हेलीकॉप्टरों को चेन्नई में तैनात किया गया है। शामिल होने के बाद से स्कवॉड्रन ने 430 घंटों से अधिक समय की उड़ान भरी है तथा अनेक संचालन अभियानों को पूरा किया है।

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मुख्य सचिवों के दूसरे सम्मेलन से ठीक पहले विनिर्माण, आवास एवं रियल एस्टेट, और सेवाओं में निजी निवेश पर कार्यशाला आयोजित

मुख्य सचिवों के दूसरे सम्मेलन से ठीक पहले स्तंभ 1 – विकास और रोजगार सृजन के तहत उप-विषय 2 – अवसंरचना और निवेश के ट्रैक 2 – विनिर्माणआवास एवं रियल एस्टेटऔर सेवाओं में निजी निवेश पर आमनेसामने बैठकर कार्यशाला ट्रैक- नेतृत्व राज्य असम और केंद्रीय नोडल विभाग यानी, आर्थिक कार्य विभाग, भारत सरकार द्वारा 1 दिसंबर 2022 को आईआईटी गुवाहाटी, असम में आयोजित की गई, और इसमें 19 राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से भागीदारी देखी गई। इस कार्यशाला में राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के 50 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों और उद्योग एवं शिक्षा जगत के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

इस कार्यशाला का उद्घाटन भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव श्री अजय सेठ और असम सरकार के मुख्य सचिव श्री पबन कुमार बोरठाकुर ने किया। उन्होंने विचारों, संभावित समाधानों और तरह-तरह की सीख एवं सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान पर केंद्र-राज्य और अंतर-राज्य चर्चाएं करने के लिए इस अवसर का उपयोग करने का सुझाव दिया।  उन्होंने उन व्यावहारिक सिफारिशों को पेश करने की आवश्यकता पर भी विशेष जोर दिया जो राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं और इस वर्ष के सीएस सम्मेलन की थीम – विकसित भारत – अंतिम व्‍यक्ति तक पहुंचना के अनुरूप हैं।

संदर्भ तय करने वाले अपने संबोधन में श्री समीर सिन्हा, प्रधान सचिव, वित्त विभाग, असम सरकार ने उस पृष्ठभूमि और कदमों से अवगत कराया जिनकी बदौलत आज आमनेसामने बैठकर यह कार्यशाला आयोजित की जा सकी है। इन कदमों में अवधारणा नोट एवं पृष्ठभूमि प्रपत्र तैयार करना और इस महीने की शुरुआत में वीडियो कॉन्फ्रेंस बैठक आयोजित करना, इत्‍यादि शामिल हैं। इसके साथ ही उन्‍होंने ट्रैक 2 चुनौतियों और उनके संभावित समाधानों की एक समग्र तस्वीर पेश की।

इस कार्यशाला के दौरान उद्योग एवं शिक्षा जगत और राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तुतियां दी गईं, जिसके बाद प्रमुख कार्यान्वयन मॉडलों, समस्‍त परियोजनाओं एवं योजनाओं से जुड़े विचारों व अनुभवों और आगे की राह पर खुली चर्चा

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