हाथो में जाम थामे विराज पूरी महफ़िल में झूमता सा दिख रहा था..,
कुंवर प्रताप सिंह का बेटा विराज जिसका व्यक्तित्व देखने में बिन्दास ,मन मौजी सा ,मगर अन्दर से गंभीर, शांत व्यक्तित्व का स्वामी था।
विराज की ख़ुशी की वजह सौम्या का पार्टी मे होना ही था ।
शांत स्वभाव वाली सौम्या,..सोने जैसा रंग और उस पर नीले रगं के लिबास में लिपटी पार्टी में सब से मिल रही थी।
कुंवर प्रताप सिंह के चरण स्पर्श कर उनको उनके जन्मदिन की हार्दिक बधाई देती है कुँवर प्रताप सिंह जाने माने शहर के लोगों में से एक है .. सौम्या उनके दोस्त की बेटी जो इंग्लैंड से डिग्री ले आई थी अभी।
विराज की नज़रें सौम्या पर ही थी।धड़कते दिल से सौम्या के पास आया और धीरे से अपने होंठ सौम्या के कान के पास ले जा पूछने लगा ! कब आई इंग्लैंड से ? मुझे बताया नहीं ,कि तुम आने वाली हो।सौम्या ने मुड़ कर देखा तो विराज को अपने बेहद क़रीब पाया।विराज कहता जा रहा था। सौम्या तुम पर तो इंग्लैंड का रंग बिलकुल नही चढा।
वही हीरे जैसी चमकती आँखे जो झील से भी गहरी है ..पार्टी में म्यूज़िक की आवाज़ ऊँची होने पर भी सौम्या विराज की हर बात को सुन पा रही थी। सौम्या ने इक नज़र विराज को देखा, और बिना कुछ कहे आगे निकल गई। विराज सौम्या के पास जा कर कहने लगा !
तुम से बात करनी है मुझे ..इतने सालों के बाद तुम्हें मिल रहा हूँ और तुम ….,
सौम्या बोली !
होश में तो आप आ जायें पहले,फिर बात भी कर लूँगी और फिर जल्दी से कुंवर प्रताप सिंह से इजाज़त ले कर पार्टी से निकल गई। विराज को लगा जैसे कोई हवा का झोंका आया और उसके दिल और दिमाग़ पर तूफ़ान सा छोड़ गया और उसके बाद पार्टी में क्या हुआ,सबसे बेख़बर सा ,लुटा लुटा सोच रहा था।पार्टी तो चल रही है लोग भी है यहाँ, पर मैं क्यों ख़ाली ख़ाली सा महसूस कर रहा हूँ।क्या हो गया मुझे इक दम अचानक से ? वजह भी जानता था विराज ….
ज़िन्दगी में कोई ख़ास ऐसा होता ही है .. जिस के होने,या न होने से बहुत फ़र्क़ पड़ता है ..ऐसा कोई ख़ास शख़्स ,रूह से जुड़ा होता है
जिस के बिना हर चीज़ बे-मायने हो जाती है।और उसकी जुदाई आप की रूह को जला डालती है ।
उसे याद आ रहा था कि कैसे सौम्या और वो इक दूजे को चाहते थे मगर विराज की शादी रोशनी से,जो शहर के जाने माने रईस की बेटी थी तय कर दी गई थी ।जब सौम्या को उसकी सगाई का पता चला तो बिना कुछ कहे लंदन चली गई थी .. .. सौम्या की नाराज़गी से वाक़िफ़ था विराज।
इक रोज़ विराज ने सौम्या को काफ़ी के लिए बुलाया।
सौम्या के लिए न करना आसान नही था।रेस्टोरेन्ट में सौम्या का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा विराज बार बार घड़ी देख रहा था तभी उसने सौम्या को देखा आते हुये देखा…
कच्चे पीले रंग का दुपट्टा ,जो बार बार लहरा कर उसके चेहरे को ढके जा रहा था ,उसपर आँखो पर काला चश्मा बेहद खूबसूरत लग रहा था।
सौम्या की गंभीर आँखों को देख कर विराज बोला! नाज़ है मुझे मेरी पसंद पर ..
तुम कुछ भी न कहो चाहे ,सौम्या मगर
मेरी मौजूदगी तुम्हारी आँखों में आज भी साफ़ दिख रही है…
. वजूद तो तुम्हारा है वहाँ …मगर मेरी ही तालाश में ..
अक्सर तुम्हारी तसवीर देखता हूँ तुम्हारे फ़ोन पर
होंठों पर मुस्कुराहट तो होती है वहाँ..मगर फीकी फीकी सी …. जैसे तुम्हारी आँखे देखती तो सबको है ,मगर ढूँढती मुझे ही है।
सौम्या बोली! इतना जानते हो मुझे ,तो ये भी जानते होंगे कि मैं नाराज़ हूँ आप से।मेरे लिए ,मेरी चाहत के लिए जरा सा भी लड़ नहीं पाये किसी से ..और मुझे नहीं पता था कि आप रोशनी से शादी कर लोगे ।मुझे लगा !आप और मैं …कहते कहते सौम्या का गला भर आया।सौम्या कहती जा रही थी..विराज आप भागते जा रहे हो दुनिया की चाहते ले कर ..और मैं …कुछ न चाह कर ..बस आप तक ही आ कर ठहर गई थी मगर आप वहाँ न ठहर सके।विराज बोला !
तुम ने ये कैसे सोचा कि मैं रोशनी से शादी करूँगा। मेरी मजबूरी थी वो ,शायद तुम्हें नहीं पता।जब मेरी सगाई की हुई ।तब पापा की तबियत इक दम से ख़राब हो गई थी और पापा दिल्ली अस्पताल में दाखिल थे।तब मैं पापा से कुछ नहीं कहना चाहता था ,मगर कुछ दिन बाद मैंने वो रिश्ता खुद ही तोड़ दिया था। रोशनी ने भी इस बात को समझा कि वो मेरे साथ कभी ख़ुश नहीं रह पायेगी।तब तक तुम जा चुकी थी। तुम ने मुझ से कोई सवाल नहीं किया ,न ही कभी कोई जवाब माँगा.. भरोसा नहीं था मुझ पर ,या मेरे प्यार पर ..कितना इन्तज़ार किया है मैंने तुम्हारा ।मैं तुम्हें चाहता था मगर खुद ही जान नहीं पाया मैं, कि तुम मेरे लिए कितनी ज़रूरी थी।तुम्हीं मेरा प्यार हो ,तुम मेरा बचपन हो ,.. तुम ही तो हो जिस ने मेरे दिल पर राज किया है।
सौम्या बोली! तो क्या आप रोशनी को चाहते नहीं थे।पागल हो तुम !
इतना भी पहचान नहीं पाई मुझे।विराज का यूँ सौम्या को पागल कहना ,सौम्या को इक अपनेपन का अहसास करवा रहा था
विराज बोला।रोशनी को बचपन से जानता ज़रूर हूँ मगर अपनी पत्नी के रूप में उसे कभी नहीं देखा था।
मेरी बेशुमार चाहतों की तुम ही अकेली वारिस रही हो।
सौम्या बोली !विराज
पिछले चार सालों में मैंने दर्द तो सहा ,मगर आप से नाराज़ नहीं हो पाई।विराज बोला ! सौम्या किसी से हँस कर बात करना ,प्यार नहीं होता .. ,जो दिल मे छिपा रहता है वही प्यार है,ज़ाहिर रिश्तों मे गहराई नही हुआ करती।रोशनी मेरी दोस्त से ज़्यादा कुछ भी नहीं ..याद है मुझे इक रोज़ तुम ने कहा !तुम मुझ से कभी बात नहीं करोगी ,न ही कभी मिलोगी।ये सोच कर मैं अक्सर बेचैन रहता था ,फिर तुम मुझे छोड़ कर इंग्लैंड पढ़ने चली गई और तुम्हें देखने की मेरी तमन्ना मुझे दिवाना बना दिया करती।कभी कभी तो जैसे पंजाबी में कहते हैं न,खो पढ़ जाना ऐसे तुम्हें देखने के लिए मुझे हुआ करती थी।तुम नहीं थी यहाँ , मैं खुद को काम मे बीज़ी रखने लगा, पार्टियों में जाने लगा,गाने सुनता मगर सकून मुझ से कोसों दूर ही रहा।
तुम्हारी याद मुझे बेचैन रखती।बहुत मिस करता था तुम्हें।
मिस करना जैसा लफ़्ज़ शायद बहुत छोटा है।सौम्या को, ये सब सुनना कहीं न कहीं सकून दे रहा था।अच्छा लग रहा था कि विराज को भी उसकी कमी का अहसास होता रहा है ..जैसे वो खुद महसूस किया करती थी।विराज कहता जा रहा था लोगों की नज़रों में जो मैं दिखता हूँ मैं वैसा बिलकुल भी नहीं .. सौम्या बोली !
विराज मेरी नाराज़गी अपनी जगह थी .. फ़िक्र अपनी जगह थी ..नही चाहती थी कि तुम से बात करूँ कभी ..मगर मुझे भी बार बार तलब उठती थी ..तुम्हें देखने की . ..तुम से बात करने की मगर मैं खुद को रोक लेती थी।
विराज कहने लगा जितनी ऊँची दिवारें तुम बनाती रही अपने इर्द गिर्द ,उतनी ही मेरी चाहत बढ़ती रही।विराज ने सौम्या का हाथ पकड़ कर धीरे से कहा !अगर तुम्हारी इजाज़त हो तो मैं अपने पापा से बात करूँ शादी की ?
और सौम्या ने भरी आँखों से अपना सर विराज के कंधे पर रख दिया जैसे हाँ की स्वीकृति दे रही हो ..
दोस्तों !
ग़लतफ़हमियाँ ही वजह बनती है दूरियों की … वक़्त रहते उन्हें सुलझा लेना चाहिए क्योंकि
कोई भरोसा नही ,कब ज़िन्दगी बेवफ़ाई कर हमारे अपनों को हम से दूर ले जाये और हमारे हाथ तरसने ..तड़पने और बेचैन होने के इलावा कोई रास्ता ही न बचे।
यही मेरी इल्तिजा है सब के लिए ..वक़्त रहते.. अपने दिल के क़रीब रिश्तों को संभाल लीजिए .. —स्मिता केंथ
श्राद्ध से तृप्त पितर देते हैं मनोवांछित फल ~डॉ.दीपकुमार शुक्ल (स्वतन्त्र पत्रकार)
भारतीय संस्कृति में मृत्यु के बाद भीअव्यक्त जीवन की अवधारणा है| जिसके अनुसार मृत्योपरान्त सिर्फ शरीर नष्ट होता है, शरीर को सक्रिय रखने वाला तत्व आत्मा कभी भी समाप्त नहीं होता| बल्कि एक समय अन्तराल के बाद वह पुनः नया शरीर धारण कर लेता है| श्रीमद्भगवतगीता के अध्याय दो के श्लोक संख्या 13 और 22 के अनुसार ‘देहिनोSस्मिनयथा देहे कौमारं यौवनं जरा| तथा देहान्तरप्राप्तिर्धीरस्तत्र च मुह्यति|| अर्थात जैसे जीवात्मा की इस देह में बालकपन, जवानी और वृद्धावस्था होती है, वैसे ही अन्य शरीर की प्राप्ति होती है; उस विषय में धीर पुरुष मोहित नहीं होता|’, ‘वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोSपराणि| तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही| अर्थात जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीर को त्यागकर दूसरे नये शरीर को प्राप्त होता है|’ जीवात्मा की व्यक्त-अव्यक्त चक्रीय स्थिति का विस्तृत वर्णन गरुड़ महापुराण के उत्तर खण्ड में मिलता है| अन्य पुराणों, स्मृतियों तथा उपनिषद आदि में भी इस बारे में वृहद् ज्ञान दिया गया है| गरुड़ महापुराण के उत्तर खण्ड के अध्याय 10 के अनुसार मृत्यु के बाद मृतक को मृत्यु स्थान पर शव, वहां से उठाकर द्वार पर रखने के बाद पान्थ, श्मशान के अर्धमार्ग पर भूत, चिता में रखने के बाद साधक तदोपरान्त प्रेत की संज्ञा देते हुए पिण्ड प्रदान किया जाता है| अध्याय 13 के अनुसार बारहवें दिन सपिण्डीकरण अर्थात सपिण्डन क्रिया द्वारा मृत व्यक्ति का पिण्ड तीन भागों में विभक्त करके वसु, रूद्र और आदित्य स्वरुप उसके पिता, पितामह तथा प्रपितामह के पिण्ड के साथ मिला दिया जाता है| इसके बाद वह व्यक्ति प्रेत संज्ञा से मुक्त होकर पितरों की श्रेणी में प्रवेश पा जाता है: ‘प्रेतनाम परित्यज्य यया पितृगणे विशेत्|’ जिनका सपिण्डीकरण नहीं किया जाता है, उनके पुत्रों द्वारा प्रदत्त अनेकविध दान आदि उन्हें प्राप्त नहीं होते और उनका पुत्र सदैव अशुद्ध बना रहता है| क्योंकि सपिण्डीकरण किये बिना सूतक समाप्त नहीं होता है| ‘न पिण्डो मिलितो येषां पितामहशिवादिषु| नोपतिष्ठन्ति दानानि पुत्रैर्दत्तान्यनेकधा|| अशुद्धः स्यात्सदा पुत्रो न शुद्धयति कदाचन| सूतकं न निवर्तेत सपिण्डीकरणं विना|| (ग.पु./उ.ख./13/3,4)’| गरुड़ महापुराण के उत्तर खण्ड के अध्याय 13 में सपिण्डीकरण की सम्पूर्ण विधि और उसके फल के बारे में विस्तार से बताया गया है| इसी अध्याय में यह भी कहा गया है कि सपिण्डीकरण के दिन से लेकर एक वर्ष तक मृत्यु की तिथि पर पाक्षिक, मासिक तथा वार्षिक श्राद्ध अर्थात पिण्ड, अन्न एवं जलपूर्ण घट आदि का दान जीवात्मा की अक्षय तृप्ति के लिए करना चाहिए| लेकिन वर्तमान समय में आपाधापी भरे जीवन के चलते किसी के पास इतना समय नहीं है कि वह पाक्षिक और मासिक श्राद्ध कर सके| परन्तु पितृ पक्ष में वार्षिक श्राद्ध करने की परम्परा है|
भादों माह की पूर्णिमा से लेकर अश्विन माह की अमावस्या तक 16 दिन का समय पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है| इन दिनों में लोग अपने मृत परिजन की तृप्ति के निमित्त प्रतिदिन जलांजलि देते हैं तथा उनकी मृत्यु तिथि पर पिण्डदान, ब्राह्मण भोजन एवं क्षमतानुसार धन आदि का दान करते हैं| गरुड़ महापुराण के पूर्व खण्ड के अध्याय 212 के श्लोक संख्या एक और दो के अनुसार मृत्यु के एक वर्ष पर्यन्त पुनः सपिण्डीकरण की क्रिया सम्पन्न होनी चाहिए| जिसे सपिण्डीकरण श्राद्ध कहते हैं| यह यथा काल किये जाने पर प्रेत को पितृ लोक का लाभ प्राप्त होता है, इसे अपरान्ह में करना चाहिए: ‘सपिण्डीकरणं वक्ष्ये पूर्णेब्दे तत्क्षयेSहनि| कृतं सम्यगयथाकाले प्रेतादे: पितृलोकदम|| सपिण्डीकरणं कुर्य्यादपराह्ने तु पूर्ववत्|’ लेकिन जानकारी के अभाव में प्रायः लोग स्वजन की मृत्यु के प्रथम वर्ष के पितृपक्ष में इसे सम्पन्न करते हैं| वहीं कुछ लोग तीसरे वर्ष के पितृपक्ष में सपिण्डीकरण श्राद्ध करते हैं| इसे आम आदमी की भाषा में मृत परिजन को पितरों या पुरखों में मिलाना कहा जाता है| अध्याय 212 के श्लोक संख्या 10 में सपिण्डीकरण श्राद्ध, श्राद्धकर्ता तथा श्राद्धफल को विष्णुरूप बताया गया है| ‘श्राद्धं विष्णुः श्राद्धकर्ता फलं श्राद्धादिकं हरिः||’ इसी अध्याय में वार्षिक सपिण्डीकरण श्राद्ध की सम्पूर्ण विधि वर्णित है| उत्तर खण्ड के अध्याय 13 के श्लोक संख्या 129, 130 तथा 131 में बताया गया है कि जो मनुष्य श्राद्ध, दान आदि विधिपूर्वक करता है उसको पिता द्वारा सच्चरित्र पुत्र, पितामह द्वारा गोधन, प्रपितामह द्वारा विविध धन-सम्पत्ति और वृद्ध प्रपितामह द्वारा प्रचुर अन्न आदि प्राप्त होता है| श्राद्ध से तृप्त होकर सभी पितर पुत्र को मनोवांछित फल देकर धर्म मार्ग से धर्मराज के भवन में जाते हैं| वहाँ वे धर्म सभा में परम आदरणीय होकर विराजमान होते हैं: ‘पिता ददाति सत्पुत्रान् गोधनानि पितामह:| धनदाता भवेत्सोSपि यस्तस्य प्रपितामह:|| दद्याद् विपुलमन्नाद्यं वृद्धस्तु प्रपितामह:| तृप्ताः श्राद्धेन सर्वे दत्त्वा पुत्रस्य वांछितम्||’ वहीँ पूर्व खण्ड के अध्याय 99 के श्लोक संख्या 35 से 39 तक में बताया गया है कि जो लोग पितृपक्ष में नित्य पितरों का सविधि श्राद्ध करते हैं वे पुत्र श्रेष्ठ स्थिति, सौभाग्य, समृद्धि, राज्य, आरोग्य, अपने समाज में श्रेष्ठत्व, वाणिज्य में प्रभूतलाभ तथा अनेक शुभ फल पाते हैं| यशस्वी तथा शोकहीन होकर अन्ततः परम गति प्राप्त करते हैं| वे ऐश्वर्य, विद्या, वाक्सिद्धि, ताम्र आदि धातु, गौ, अश्व आदि सम्पदा पाते हैं तथा उनकी आयु बढ़ती है|
चौखम्भा कृष्णदास अकादमी वाराणसी द्वारा प्रकाशित गरुड़महापुराण के भूमिका लेखक डॉ.महेश चन्द्र जोशी ने अपने लेख में विभिन्न पुराणों, स्मृतियों तथा महाभारत आदि ग्रन्थों से उधृत श्लोकों के माध्यम से प्रेत योनि के बारे में विस्तार से बताया है| जिन मनुष्यों की मृत्यु होने पर दाह संस्कार आदि क्रियाएँ नहीं होतीं और जो पलंग आदि (अन्तरिक्ष) में देहत्याग करते हैं, वे निश्चयमेव प्रेत होते हैं| प्रायः वे मनुष्य भी प्रेत होते हैं, जिनकी अन्त्येष्टि सम्यक रूप से नहीं हो पाती, जिनके सपिण्डीकरण श्राद्ध तक के कृत्य नहीं हो पाते तथा जिन मनुष्यों का निधन अपमृत्यु के कारण होता है, जो मनुष्य स्वधर्म त्यागकर विभिन्न प्रकार के पाप करते हैं, अनैतिक और अन्यायी हैं, धर्म विरुद्ध आचरण करते हैं, स्वेच्छाचारी होकर लोभवश अपने कुलधर्म को त्यागकर अन्य देश का धर्म अपना लेते हैं, अपने हितैषी गुरु तथा धर्मोपदेश करने वाले आचार्य के बचनों का पालन नहीं करते, पाखण्ड करते हैं, परस्त्रीगमन तथा मांस भक्षण करते हैं, पतित व्यक्ति का अन्न खाते हैं, देवता, गुरु एवं ब्राह्मण के धन का अपहरण करने वाले, परनिन्दा से सन्तुष्ट होने वाले, देवपूजन एवं पितृ तर्पण किये बिना तथा अपने सेवकों को भोजन दिये बिना भोजन ग्रहण करते हैं, शास्त्रों एवं गुरुजनों के आदेश की अवहेलना करते हैं, ब्रह्महत्या और गोहत्या करने वाले, सुरापान करने वाले, चोरी करने वाले, दूसरों को विपत्ति-ग्रस्त देखकर सन्तुष्ट होने वाले, परनिन्दक, गुरुपत्नीगामी, भूमिहर्ता तथा कन्या का धन हरण करने वाले आदि सभी पातकी जन प्रेत योनि को प्राप्त करते हैं| ऐसे लोग मृत्यु के बाद प्रेत योनि में पहुँचकर स्वयं तो कष्ट भोगते ही हैं, अपने पारिवारिक जनों को भी अनेक तरह से पीड़ा देते हैं| जिन घरों में वंशवृद्धि न हो, अल्प आयु में लोगों की मृत्यु हो जाय, अकस्मात जीविका के साधन समाप्त हो जाएँ या उनमें बड़ी बाधा आ जाय, पारिवारिक सदस्यों की समाज में प्रतिष्ठा घटने लगे, अचानक घर में आग लग जाय, घर में नित्य कलह हो, पत्नी तथा घर के अन्य सदस्य प्रतिकूल आचरण करने लगें, पारिवारिक जनों पर मिथ्या कलंक लगे, घर के सदस्यों को असाध्य रोग लग जाय, प्रयत्न पूर्वक अर्जित धन व्यापार आदि में लगाने पर नष्ट हो जाय| तो यह मानना चाहिए कि वह परिवार प्रेत पीड़ा अथवा पितृ दोष से ग्रस्त है| जिस कुल में पितृ-दोष होता है, उस कुल में कोई भी व्यक्ति सुखी नहीं हो सकता| उस कुल में मनुष्यों की मति, प्रीति, रति, बुद्धि, और धन-सम्पदा आदि सब नष्ट हो जाता है और तीसरे से लेकर पांचवीं पीढ़ी आते-आते उनके वंश का ही नाश हो जाता है| प्रेत अपने पारिवारिक जनों के सुख, स्वास्थ्य, समृद्धि और प्रगति के शोषक होते हैं| अतः प्रत्येक मनुष्य की मृत्यु के बाद शास्त्र-विहित अन्त्येष्टि क्रिया से लेकर सपिण्डीकरण पर्यन्त सभी कृत्य विधि-विधान के अनुसार अनिवार्य रूप से सम्पादित करना चाहिए| स्कन्द पुराण के अनुसार मृत व्यक्ति अपने जीवन काल में भले ही महान धर्मात्मा और तपस्वी क्यों न रहा हो, किन्तु सपिण्डीकरण के अभाव में वह भी प्रेतत्व से मुक्त नहीं हो सकता| यदि कोई मृतात्मा अपने पारिवारिक जनों, सम्बन्धियों या परिचितों को स्वप्न में दिखलाई दे तो यह समझना चाहिए कि वह प्रेत रूप में है| अग्नि पुराण के अनुसार मृत्यु के बारहवें दिन सपिण्डीकरण करने के बाद भी एक वर्ष तक प्रेतत्व बना रहता है| अतः वर्ष पर्यन्त सपिण्डीकरण श्राद्ध तथा प्रतिवर्ष पितृपक्ष में तर्पण एवं श्राद्ध आदि अनिवार्य रूप से करना चाहिए| क्योंकि जीवन में सुख-शान्ति एवं समृद्धि हेतु पितरों की सन्तुष्टि परम आवश्यक है|
Read More »डी जी कॉलेज में “स्वच्छता ही सेवा है” पखवाड़े में की गई सरसैया घाट की सफाई
कानपुर 2 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता “स्वच्छता ही सेवा” पखवाड़ा (15 सितंबर से 02 अक्टूबर) के अंतर्गत डी जी कॉलेज, कानपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा देश के दो अमर सपूत महापुरुषों महात्मा गांधी तथा लाल बहादुर शास्त्री को उनकी जयंती के अवसर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। इस अवसर पर नागरिकों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने हेतु एक स्वच्छता रन का आयोजन भी किया गया। महाविद्यालय प्राचार्य ने अपने उद्बोधन में छात्राओं को गांधी जी एवम् शास्त्री जी के जीवन वृतांत को विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा कि हमें उनके आदर्शों पर चलना चाहिए। सेल्फ फाइनेंस की डायरेक्टर प्रोफेसर वंदना निगम ने कहा कि गांधी जी अहिंसा के पुजारी तो लाल बहादुर शास्त्री जय जवान जय किसान के विचार को लेकर आगे बढ़े। चीफ प्रॉक्टर प्रोफेसर अर्चना श्रीवास्तव ने छात्राओं के द्वारा स्वच्छता पखवाड़े के अंतर्गत की गई गतिविधियों – जन जागरूकता रैली, शपथ, गंगा घाट की सफाई, नागरिकों को सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग न करने, कूड़े का सही निस्तारण करने, महाविद्यालय अपने घर में आसपास की साफ सफाई स्वच्छता बनाए रखने, बस्ती के बच्चों व महिलाओं को साफ सफाई स्वच्छता के प्रति जागरूक करने, हाथों को धोने का सही तरीका बताने संबंधी किए गए समस्त कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा की। कार्यालय अधीक्षक श्री कृष्णेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि इस प्रकार पर्यावरण का ध्यान रख हम वर्तमान में उत्पन्न हो रहे भयावह वैश्विक जलवायु संकट से बचाव के प्रयास कर सकते हैं। स्वयंसेविकाओं, शिक्षिकाओं एवं कर्मचारियों ने सम्मिलित रूप से अपने घरों में जमा किए गए सिंगल यूज़ प्लास्टिक “कानपुर प्लॉगर्स” संस्था के सहयोग से रिसाइक्लिंग हेतु भेजने का निश्चय भी किया। स्वच्छता पखवाड़े का आयोजन डॉक्टर संगीता सिरोही कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना तथा जिला नोडल अधिकारी कानपुर नगर के कुशल निर्देशन में डॉ अंजना श्रीवास्तव एवम् डॉ ज्योत्सना के सहयोग से किया गया।
एस ऍन सेन बी वी पी जी कॉलेज के एन एस एस द्वारा गाँधी जयंती समारोह मनाया गया
कानपुर 2 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस ऍन सेन बी वी पी जी कॉलेज की ऍन एस एस कादम्बिनी देवी द्वारा गाँधी जयंती समारोह को महाविद्याकाया में पुरे उत्साह पूर्वक मनाया गया । इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो सुमन द्वारा गाँधी जी एवम शास्त्री जी के चित्रों पर माल्यार्पण किया गया एवं दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का उदघाटन किया गया। महाविद्यालय की समस्त शिक्षिकाओं एवम शिक्षणेतर कर्मचारियों ने पुष्पांजलि में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर एक भजन कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। प्राचार्या ने गाँधी जी के सिद्धांतो पर भी प्रकाश डाला । इस दिवस को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया गया एवं जिसमें गांधी जी के अहिंसा के विचारों से प्रेरित एक स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें ऍन एस एस, ऍन सी सी तथा रेंजर रोवर्स की छात्राओं ने प्रतिभाग किया।
इससे पूर्व १५/०९/२०२३ से ०२/१०/२०२३ तक स्वच्छता पखवाड़ा (स्वछता मेरा अभिमान) के अंतर्गत महाविद्यालय में ऍन एस एस, ऍन सी सी तथा रेंजर रोवर्स के द्वारा वृहद् स्वछता अभियान चलाया गया, जिमसें महाविद्यालय परिसर बस्ती तथा घाट की सफाई का कार्य किया गया। इस अभियान में महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो सुमन ऍन एस एस, ऍन सी सी तथा रेंजर रोवर्स की समस्त इकाईओं एवम शिक्षणेतर कर्मचारियों ने उत्साह पूर्वक प्रतिभाग किया।
पीएम विश्वकर्मा योजना शुरू होने के दस दिन के भीतर 1.40 लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए – नारायण राणे
पीएम विश्वकर्मा योजना की सफलता की जानकारी देते हुए राणे ने एक्स पर अपने एक पोस्ट के माध्यम से लिखा कि पीएम विश्वकर्मा योजना प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता का परिणाम है और योजना के शुभारंभ के दस दिन के भीतर इतनी अधिक संख्या में आवेदन प्राप्त होना योजना की सफलता और सर्वोच्च महत्व का प्रमाण है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि पीएम विश्वकर्मा योजना, हमारे सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित विश्वकर्मा भाइयों और बहनों के व्यापक विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी और यह उनकी खोई हुई पहचान को बहाल करेगी जिसका लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है।
इस योजना के माध्यम से विश्वकर्मा भाइयों और बहनों को प्रशिक्षण, टूल किट और बिना कुछ गिरवी रखे ऋण प्रदान किया जाएगा। प्राप्त आवेदनों का सफलतापूर्वक सत्यापन कर सभी योजना का लाभ हमारे विश्वकर्मा भाई-बहनों को दिया जायेगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना और उनके उत्पादों को घरेलू और वैश्विक बाजारों तक पहुंचाना है। योजना के तहत 18 प्रकार के कारीगरों और शिल्पकारों को लाभ मिलेगा। लाभार्थियों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा और उन्हें प्रशिक्षण के दौरान 500 रुपये का दैनिक वजीफा मिलेगा। इसके अलावा टूल किट खरीदने के लिए 15,000 रुपये की सहायता दी जाएगी। लाभार्थी 3 लाख तक बिना कुछ गिरवी रखे ऋण के भी पात्र होंगे।
वरिष्ठ नागरिकों को सहायता और सहायक उपकरणों के वितरण के लिए देश भर में विभिन्न स्थानों पर ‘सामाजिक अधिकारिता शिविर’ लगाए गए
इस कार्यक्रम का शुभांरभ प्रत्येक शिविर स्थल पर माननीय प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ एपिसोड के प्रसारण के साथ हुआ। यह कार्यक्रम लंबे समय से देश के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है और इसमें भारत के हर हिस्से से विविध मुद्दों और दृष्टिकोणों को एक साथ एक मंच पर लाया जाता है। इसके बाद, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में मुख्य कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस मुख्य समारोह के साथ देशभर के 20 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के विभिन्न स्थल पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम ऑनलाइन जुड़े हुए थे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में, केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के मूल मंत्र “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” का पालन करते हुए मंत्रालय वरिष्ठ नागरिकों के सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक और उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक समावेशी और सुलभ वातावरण बनाने हेतु आर्थिक सशक्तिकरण के लिए विभिन्न केंद्रीकृत योजनाएं लागू कर रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मंत्रालय ने दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए उच्च गुणवत्तायुक्त सहायता और सहायक उपकरण बनाने के लिए नई तकनीक का उपयोग करने पर काफी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि विभाग अब कृत्रिम अंग बनाने के लिए 3डी स्कैनिंग तकनीक पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और इस नई पहल के साथ टीकमगढ़ इससे लाभान्वित होने वाला पहला जिला है।
इन शिविरों का उद्देश्य भारत सरकार की राष्ट्रीय वयोश्री योजना योजना के तहत 12814 से अधिक पूर्व-चिह्नित वरिष्ठ नागरिकों को विभिन्न प्रकार की सहायता और सहायक उपकरण वितरित करना है।
इन शिविरों के आयोजन का उद्देश्य पूरे देश में एक समावेशी समाज के लिए एक परिप्रेक्ष्य तैयार करना और वरिष्ठ नागरिकों के लिए सशक्तिकरण और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना है। इसका उद्देश्य उन्हें सकारात्मक, सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार प्रदान करना है। वितरण शिविरों का आयोजन भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग द्वारा भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एएलआईएमसीओ) के समन्वय से किया जाता है।
वितरण शिविरों की श्रृंखला एक साथ विभिन्न स्थानों पर आयोजित की जाएगी। त्रिपुरा के धलाई में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री कुमारी प्रतिमा भौमिक भी उपस्थित थीं। सभी वितरण शिविर टीकमगढ़ के मुख्य कार्यक्रम स्थल से ऑनलाइन जुड़े हुए थे।
इस अवसर पर फुट केयर यूनिट, स्पाइनल सपोर्ट, कमोड के साथ व्हीलचेयर, चश्मा, डेन्चर, सिलिकॉन कुशन, एलएस बेल्ट, ट्राइपॉड, घुटने के ब्रेस और वॉकर सहित विभिन्न प्रकार के सहायक उपकरण वितरित किए गए। इन सहायक उपकरणों का उद्देश्य लाभार्थियों को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें समाज की मुख्यधारा में एकीकृत करने के लिए सशक्त बनाना है।
पलक झपकते ही छेड़छाड़ करने वाले होंगे धराशाई
कानपुर 29 सितंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर में दो दिवसीय सेल्फ डिफेंस कार्यशाला का आयोजन प्रिंसिपल प्रोफेसर जोसफ डेनियल के कुशल निर्देशन एवं संरक्षण में वूमेन डेवेलॉपमेंट एंड जेंडर सेंसटाइजेशन सेल द्वारा किया गया जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर के कराटे कोच विजय कुमार द्वारा बच्चों को विभिन्न सेल डिफेंस स्किल के बारे में जानकारी दी गई.
जिसमें आज प्रथम दिवस मे फ्रंट पंच,बैक पंच हुक पंच, लॉन्ग पांच, और फ्रंट किक के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई, 1090 हेल्पलाइन नंबर का किस तरह से इस्तेमाल किया जाए वूमेन पावर लाइन का कैसे इस्तेमाल किया जाए पिंक चौकी के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
कार्यक्रम के प्रारंभ मे कार्यक्रम समन्वयक प्रोफेसर शिप्रा श्रीवास्तव द्वारा सेल्फ डिफेंस की महत्ता के विषय मे बताया एवं एक्सपर्ट कोच का परिचय कराया। उक्त कार्यक्रम मे संरक्षक एवं प्रिंसिपल प्रोफेसर जोसेफ डेनियल ने एक्सपर्ट विजय कुमार को मोमेंटो देकर स्वागत किया, प्रोफेसर सोफ़िया साहब ने प्रिंसिपल को पादप देकर उनका स्वागत किया इस अवसर पर जेंडर सेंसटाइजेशन के सेल के सदस्य उप प्राचार्य प्रोफेसर सबीना बोदरा, प्रोफेसर शालिनी कपूर, डॉ अंकिता तथा डॉक्टर आशीष कुमार दुबे आदि उपस्थित रहे हैं बच्चों ने अत्यंत उत्साह के साथ भागीदारी की। उक्त कार्यक्रम मे रितेश, मानवी, वैष्णवी, शिवांस, अंजलि, तरंग, आयुष आदि का विशेष योगदान रहा.
वस्त्र मंत्रालय ने टेक्निकल टेक्सटाइल के विभिन्न क्षेत्रों में 46.74 करोड़ रुपये मूल्य की 18 अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी
वस्त्र मंत्रालय ने 7वीं एमएसजी बैठक के दौरान जियोटेक, प्रोटेक, इंडुटेक, सस्टेनेबल टेक्सटाइल, स्पोर्टटेक, स्मार्ट ई-टेक्सटाइल, मेडिटेक सेगमेंट के प्रमुख कार्यनीतिक क्षेत्रों में 46.74 करोड़ रुपये की 18 अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी।
इन 18 अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं में से 14 उच्च मूल्य वाली परियोजनाएं हैं, 3 प्रोटोटाइप अनुदान परियोजनाएं हैं और 1 आइडिएशन ग्रांट परियोजना है। इन परियोजनाओं में टेक्निकल टेक्सटाइल के विभिन्न अनुप्रयोग क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जिनमें जियोटेक की 1, प्रोटेक की 2, इंदुटेक की 2, स्पोर्टटेक की 2, सस्टेनेबल टेक्सटाइल की 5, मेडिटेक की 3, स्मार्ट और ई टेक्सटाइल की 3 और जियोटेक्सटाइल की 1 परियोजना शामिल है। स्वीकृत परियोजनाओं का नेतृत्व बीटीआरए, एटीआईआरए, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी जम्मू, एनआईटी जालंधर, आईआईटी खड़गपुर, सीएसआईआर नई दिल्ली, आईआईटी मद्रास सहित अन्य संस्थानों और अनुसंधान निकायों ने किया था।
केंद्रीय मंत्री ने स्वीकृत अनुसंधान एवं विकास उत्पादों की समीक्षा, मिशन मोड में अनुसंधान एवं विकास परियोजनाएं, जीआरईएटी दिशानिर्देशों के तहत टेक्निकल टेक्सटाइल में स्टार्टअप के लिए एक समिति का गठन, एमओटी के छठे संस्करण सहित लोक संपर्क गतिविधियों और क्रमशः जुलाई और सितंबर 2023 में मानकों और विनियमों पर फिक्की-बीआईएस राष्ट्रीय सम्मेलन और मेडिटेक्स सम्मेलन कार्यक्रम सहित राष्ट्रीय टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन के विभिन्न घटकों की प्रगति की समीक्षा की
उन्होंने यह भी कहा कि भारत में आयात पर निर्भर टेक्निकल टेक्सटाइल वस्तुओं और विशेष फाइबर के अतिरिक्त विश्व स्तर पर अत्यधिक आयातित टेक्निकल टेक्सटाइल वस्तुओं के अनुसंधान एवं विकास पर जोर दिया जाना चाहिए।
इसके अतिरिक्त, केंद्रीय मंत्री ने शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल विकास के मोर्चे पर प्रगति की भी समीक्षा की, जिसमें 151.02 करोड़ रुपये मूल्य के 15 सार्वजनिक और 11 निजी संस्थानों के 26 आवेदनों को दस्तावेज प्रस्तुत करने, प्रयोगशाला अवसंरचना की खरीद और टेक्निकल टेक्सटाइल के विभिन्न अनुप्रयोग क्षेत्रों में प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए मंजूरी दी गई।
नीति आयोग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय, रेल मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, व्यय विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और अन्य मंत्रालयों के सदस्यों तथा उद्योग जगत के विख्यात सदस्यों ने बैठक में भाग लिया।
2070 तक देश को कार्बन न्यूट्रल बनाने के प्रधानमंत्री के विजन को हासिल करने के लिए निर्माण क्षेत्र में हरित पहल की जाएगी – नितिन गडकरी
नई दिल्ली में आज एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश को स्वच्छ और कचरा मुक्त बनाने के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि चल रहे स्वच्छता ही सेवा पखवाड़े में राष्ट्रीय राजमार्गों, सड़क किनारे सुविधाओं, ढाबों, टोल प्लाजा सहित 13000 स्थानों पर सफाई अभियान सहित कई कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है और लगभग 7000 स्थानों पर काम पूरा हो चुका है।
गडकरी ने कहा कि दैनिक आधार पर उत्पन्न होने वाले ठोस कचरे का निपटान देश भर के शहरी क्षेत्रों के समक्ष एक प्रमुख पर्यावरणीय चुनौती है। उन्होंने कहा कि लगभग 10000 हेक्टेयर भूमि डंप साइट बन चुकी है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय शहरी ठोस अपशिष्ट का उपयोग राजमार्ग निर्माण में करने के समाधानों पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और दूरदर्शी नेतृत्व के माध्यम से कचरे से कंचन बनाना संभव है।
देश में वैकल्पिक जैव ईंधन के बारे में चर्चा करते हुए श्री गडकरी ने कहा कि वह इथेनॉल अर्थव्यवस्था बनाने के प्रबल समर्थक रहे हैं और कृषि विकास को 6 प्रतिशत तक बढ़ावा देने के लिए इथेनॉल के बड़े पैमाने पर उपयोग पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य इथेनॉल अर्थव्यवस्था को 2 लाख करोड़ रुपये की बनाना है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में दुनिया के पहले बीएस-6 कॉम्प्लायंट फ्लेक्स फ्यूल स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड वाहन के लॉन्च के साथ फ्लेक्स इंजन 100 प्रतिशत इथेनॉल पर काम करेगा और अर्थव्यवस्था के लिए बचत 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगी। उन्होंने कहा कि पानीपत में आईओसीएल संयंत्र चावल के भूसे जैसे कृषि अपशिष्ट को इथेनॉल और बायोबिटुमेन में परिवर्तित करता है।
गडकरी ने कहा कि जैव-इथेनॉल उत्पादन प्रौद्योगिकियों में प्रगति के साथ, 1 टन चावल से लगभग 400 से 450 लीटर इथेनॉल प्राप्त हो सकता है, जो स्थिरता और ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
गडकरी ने कहा कि 2025 तक भारत में 1 प्रतिशत सतत विमानन ईंधन का उपयोग करना अधिदेशित होगा और भविष्य में भारत में इसे 5 प्रतिशत मिश्रण तक बढ़ाने की संभावित योजना है। उन्होंने कहा कि इंडियन ऑयल पानीपत में 87,000 टन सतत विमानन ईंधन के उत्पादन की क्षमता वाला एक संयंत्र स्थापित कर रही है।
गडकरी ने कहा कि भारत में दूरसंचार क्षेत्र लगभग 6 लाख मोबाइल टावरों का संचालन करता है। परंपरागत रूप से, ये टावर बिजली के लिए डीजल जनरेटर सेट पर निर्भर रहे हैं और एक टावर में सालाना लगभग 8,000 लीटर डीजल की खपत होती है।
उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप कुल मिलाकर 250 करोड़ लीटर डीजल की खपत होती है, जिसकी लागत हर साल लगभग 25,000 करोड़ रुपये है। श्री गडकरी ने कहा कि इन जनरेटर सेटों के लिए ईंधन के रूप में इथेनॉल का मिश्रण डीजल का स्थायी विकल्प प्रदान करता है और बाजार ने पहले ही 100 प्रतिशत इथेनॉल वाला एक जनरेटर सेट विकसित कर लिया है। उन्होंने कहा कि वह जेनसेट उद्योग को आने वाले समय में केवल इथेनॉल आधारित जनरेटर पर काम करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
श्री गडकरी ने कहा कि हाइड्रोजन भविष्य का ईंधन और सबसे महत्वपूर्ण तरीका है, जिसके माध्यम से भारत ऊर्जा का शुद्ध निर्यातक बन
Read More »हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सेना प्रमुखों का सम्मेलन (आईपीएसीसी),
भारतीय और अमेरिकी सेना द्वारा संयुक्त मेज़बानी में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम, आईपीएसीसी, आईपीएएमएस और एसईएलएफ-2023 का आज नई दिल्ली में समापन हुआ। इस कार्यक्रम में 30 देशों की भागीदारी देखी गई। 18 देशों का प्रतिनिधित्व उनकी सेनाओं के प्रमुखों ने किया और 12 देशों का प्रतिनिधित्व प्रतिनिधिमंडल के प्रमुखों द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम ने प्रतिनिधियों को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ‘शांति और स्थिरता’ को बढ़ावा देने के मुख्य उद्देश्य के साथ-साथ सुरक्षा और आपसी हित के अन्य समसामयिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर प्रदान किया।
यह आयोजन 25 सितंबर 2023 को अमेरिकी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ (सीओएस) जनरल रैंडी जॉर्ज द्वारा भारतीय सेना के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) जनरल मनोज पांडे से मुलाकात के साथ शुरू हुआ। दोनों प्रमुखों ने आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा की साथ ही समसामयिक मुद्दों पर विचार भी साझा किए।
26 सितंबर 2023 को, सभी प्रमुखों और प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों ने हमारे शहीद नायकों को श्रद्धांजलि देते हुए राष्ट्रीय समर स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद भारतीय सेना के सीओएएस और अमेरिकी सेना के सीओएस ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता की। भारतीय सेना के सीओएएस ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह क्षेत्र न केवल संस्कृतियों, इतिहास, संसाधनों और अवसरों का केंद्र है, बल्कि जटिलताओं और चुनौतियों का रंगमंच भी है। अमेरिकी सेना के सीओएस ने लैंड पावर की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, यह न केवल क्षेत्र की साझा सुरक्षा में योगदान देता है बल्कि संकटों से निपटने में भी निर्णायक शक्ति है।
संयुक्त प्रेस वार्ता के बाद माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। समारोह के दौरान, आईपीएसीसी और आईपीएएमएस के झंडे फहराए गए और इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के राष्ट्रीय गान गाए गए। भारतीय सेना के सीओएएस और अमेरिकी सेना के सीओएस ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया।
माननीय रक्षा मंत्री ने उद्घाटन भाषण दिया जिसमें उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र की जटिलताओं और अप्रयुक्त क्षमता की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि यह क्षेत्र समृद्ध, सुरक्षित और समावेशी भविष्य के लिए ठोस प्रयासों की मांग करता है। उन्होंने यह भी कहा कि, ‘भारत स्वतंत्र, खुले, समावेशी और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक के समर्थन में खड़ा है।‘ उन्होंने दोहराया, “मित्र देशों के साथ मजबूत सैन्य साझेदारी बनाने के हमारे प्रयास राष्ट्रीय हितों की रक्षा और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं।“ माननीय रक्षा मंत्री ने एक स्मारक जर्नल भी जारी किया।
13वें आईपीएसीसी के तहत, “शांति के लिए एक साथ : हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बरकरार रखना” विषय पर एक प्रमुख गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया था। गोलमेज सम्मेलन का संचालन लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला (सेवानिवृत्त) ने किया। अमेरिकी सेना के लेफ्टिनेंट जनरल जेवियर टी. ब्रूनसन ने “सहयोग और अंतरसंचालनीयता बढ़ाना” विषय पर व्याख्यान दिया। सिंगापुर से आए मेजर जनरल टैन चेंग क्वे ने “संकट को कम करने में सैन्य कूटनीति की भूमिका” के बारे में बात की। लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा (सेवानिवृत्त) ने “आधुनिक सेनाओं के लिए आत्मनिर्भरता की अनिवार्यता” विषय पर बात की। सभी प्रमुखों ने इस विषय को दोहराया और क्षेत्र के सभी देशों की भावनाओं को प्रतिबिंबित किया। प्रमुखों और प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों ने नियमों पर आधारित विश्व व्यवस्था का पालन करने वाले एक खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की आवश्यकता पर स्वतंत्र और स्पष्ट चर्चा की। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इंडो-पैसिफिक में कई स्तरों पर विविधता है और सभी इस क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए सहयोगात्मक प्रयास की दिशा में काम करने पर सहमत हैं।
भारतीय सेना के सीओएएस ने भाग लेने वाले देशों की सेनाओं के प्रमुखों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कीं। उन्होंने जनरल मोरीशिता यासुनोरी (जापान), लेफ्टिनेंट जनरल साइमन स्टुअर्ट (ऑस्ट्रेलिया), लेफ्टिनेंट जनरल म्गुयेन दोआन अन्ह (वियतनाम), लेफ्टिनेंट जनरल पीटर म्बोगो नजीरू (केन्या), प्रसिद्घ प्रबल जनसेवाश्री जनरल प्रभु राम शर्मा (नेपाल) जनरल शेख मोहम्मद शफीउद्दीन अहमद (बांग्लादेश), मेजर जनरल जॉन बोसवेल (न्यूजीलैंड), जनरल सर पैट्रिक सैंडर्स (यूके), लेफ्टिनेंट जनरल माओ सोफान (कंबोडिया), जनरल जंग ह्वान पार्क, कोरिया गणराज्य, जनरल पियरे शिल (फ्रांस) और जनरल दातुक मुहम्मद हाफ़िज़ुद्दीन बिन जंतन (मलेशिया) के साथ व्यापक चर्चा की। सेना के उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार ने ब्राजील, सिंगापुर, मंगोलिया और थाईलैंड के प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कीं।
47वी आईपीएएमएस में तीन विषयों पर सत्र आयोजित किये गये। पहला विषय था “हिंद-प्रशांत में सतत शांति और सुरक्षा के लिए साझेदारी”। दूसरा विषय था “अंतरसंचालनीयता बढ़ाने के लिए सहयोग” और अंतिम विषय था “मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) – संकट प्रतिक्रिया के लिए तंत्र का विकास”। मंगोलिया, नेपाल, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस, टोंगा, अमेरिका और भारत के वरिष्ठ अधिकारियों ने इन विषयों पर बात की और सभी प्रतिभागियों के साथ अपने विचार साझा किए। चर्चा का संचालन लेफ्टिनेंट जनरल पीएस राजेश्वर (सेवानिवृत्त), लेफ्टिनेंट जनरल सुनील श्रीवास्तव (सेवानिवृत्त) और लेफ्टिनेंट जनरल अरुण कुमार साहनी (सेवानिवृत्त) ने किया। चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि सामूहिक प्रतिक्रियाओं को मजबूत करने के लिए देशों को मिलकर काम करने की जरूरत है। यह सहयोगात्मक प्रयास रातोरात नहीं बनाया गया है और इसलिए आईपीएएमएस ने भविष्य के लिए जुड़ाव, विश्वास और प्रतिबद्धता बनाने के लिए मंच प्रदान किया है।
9वीं एसईएलएफ को तीन सत्रों में “इंडो-पैसिफिक सेनाओं के बीच अंतरसंचालनीयता”, “आधुनिक युद्धक्षेत्र के लिए जूनियर नेतृत्व करताओं को तैयार करना” और “बियोंड द बैरक्स – ऐड्रेसिंग सीनियर एनलिस्टेड लीडर्स कंसर्नस” विषयों पर आयोजित किया गया था। यह एक अनूठा मंच था जहां कार्यात्मक स्तर पर कनिष्ठ नेताओं ने अपने विचारों का आदान-प्रदान किया।
“बियोंड द बैरक्स: सैन्य समुदाय को बढ़ावा देने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में भूमिकाएं और चुनौतियां” विषय पर सैन्य कर्मियों के जीवनसाथी के लिए एक विशेष पूर्ण सत्र भी आयोजित किया गया था। सत्र की शुरुआत आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (एडब्ल्यूडब्ल्यूए) की अध्यक्ष श्रीमती अर्चना पांडे और अमेरिकी सेना के सीओएस की पत्नी श्रीमती पैटी जॉर्ज के उद्घाटन भाषण से हुई। दोनों ने राष्ट्रीय समर स्मारक का भी दौरा किया और अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रतिभागियों को भारतीय सैन्य कर्मियों के जीवनसाथियों की उद्यमशीलता की सफलता पर प्रकाश डालते हुए एक एडब्ल्यूडब्ल्यूए प्रदर्शनी भी दिखाई गई। इसके बाद ‘आह्वान’ का दौरा किया गया, जिसमें महिला सशक्तीकरण की दिशा में एडब्ल्यूडब्ल्यूए द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला गया।
कार्यक्रम के दौरान आत्मनिर्भर भारत के उपकरण प्रदर्शन ने स्वदेशी रूप से विश्व स्तरीय सैन्य उपकरण बनाने की भारतीय उद्योग की क्षमता का प्रदर्शन किया। प्रदर्शनी में 31 कॉरपोरेट्स ने भाग लिया जिससे प्रतिभागियों के बीच काफी रुचि पैदा हुई। मुख्य आकर्षण ड्रोन, काउंटर-ड्रोन सिस्टम, मॉड्यूलर फायरिंग रेंज, छोटे हथियार, एनएवीआईसी आधारित उपकरण, निगरानी प्रणाली, सुरक्षात्मक गियर, स्व-चालित तोपखाने बंदूकें, सैन्य वाहन आदि थे।
सभी प्रतिभागियों के लिए गांधी स्मृति का दौरा भी आयोजित किया गया। इसके अलावा, भारत की समृद्ध संस्कृति को समर्पित एक शाम का भी आयोजन किया गया। इसमें भारतीय सेना के सिम्फनी बैंड और ‘भारत के रंग’ थीम के तहत भारत की जीवंत परंपराओं और कला को प्रदर्शित करने वाले नृत्य रूपों का प्रदर्शन शामिल था।
27 सितंबर 2023 को मानेकशॉ सेंटर, दिल्ली कैंट में समापन समारोह के साथ एक सर्वव्यापी कार्यक्रम का समापन हुआ। माननीय रक्षा राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट ने समापन भाषण दिया और सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। सम्मेलन ध्वजारोहण समारोह के साथ संपन्न हुआ। भारतीय सेना द्वारा आईपीएसीसी और आईपीएएमएस के झंडे अमेरिकी सेना को सौंपे गए।
सैन्य प्रमुखों, प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों, वरिष्ठ अधिकारियों, जूनियर लीडर्स और उनके जीवनसाथियों के बीच गहन चर्चा और जुड़ाव ने सेनाओं के बीच संबंध बनाने में मदद की। मंच ने सभी प्रतिभागियों को विशिष्ट वक्ताओं को सुनने और व्यापक विषयों पर आधारित चर्चाओं में भाग लेने का अवसर प्रदान किया। इस कार्यक्रम ने सैन्य सहयोग के लिए एक साझा दृष्टिकोण विकसित करने, सामूहिक जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देने, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों और समुदायों की सराहना करने, एचएडीआर प्रतिक्रिया के लिए समन्वित दृष्टिकोण, सैन्य आदान-प्रदान प्रयासों को बढ़ाने, रक्षा कूटनीति की प्रगति, हिंद-प्रशांत देशों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को संयुक्त रूप से संबोधित करने के लिए खुली और निरंतर बातचीत के महत्व को मजबूत करना जैसे परिणाम प्राप्त किए। सभी भाग लेने वाले देशों ने निमंत्रण के लिए दोनो मेजबानों और गर्मजोशी से किए गए आतिथ्य के लिए भारतीय सेना को धन्यवाद दिया।