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सेन कॉलेज में ए पी जे अब्दुल कलाम जयंती के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोजन


एस. एन.सेन बी वी पी जी कॉलेज , कानपुर में रसायन शास्त्र विभाग द्वारा भारत रत्न डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की 89 वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन हुआ जिसका विषय था-” सेल्फ रिलांयन्ट इंडिया-प्रोग्रेस एण्ड स्ट्रेटजीस”।
कार्यक्रम की शुरुआत प्राचार्या डॉ निशा अग्रवाल ने सभी अतिथियों का स्वागत और डॉ कलाम के चित्र का माल्यार्पण व पुष्पांजलि भेंट कर किया।
मुख्य वक्ता डी.एम.एस.आर.डी. ई. कानपुर के संयुक्त निदेशक ड और विज्ञान भारती ( ‘विभा’) कानपुर महानगर, के अध्यक्ष डॉ. डी.एस.बाग ने बताया कि भारत सभी क्षेत्रों में विकास कर रहा है,विजन इंडिया 2020 डॉ. कलाम की एक पहल थी, वर्तमान में प्रधानमंत्री मोदी जी का आत्मनिर्भर भारत अभियान एक बड़ा कदम है। स्वामी विवेकानंद जी के अनुसार युवाओं को एकता और राष्ट्रीय चरित्र की शिक्षा द्वारा भारत को एक आत्मनिर्भर राष्ट्र में स्थापित किया जा सकता है।
मुख्य अतिथि डॉ अरविंद दीक्षित, एक्स वी. सी. बी आर आंबेडकर विश्व विद्यालय, आगरा, ने महापुरुषों की जयंती मनाने पर हर्ष व्यक्त किया और सभी से आह्वाहन किया कि हम अपनी छोटी छोटी छोटी कोशिशों से हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने का प्रयास करें तो पूरा राष्ट्र आत्मनिर्भर हो जाएगा। जापान की अर्थव्यवस्था को उद्धत करते हुए उन्होंने बताया कि स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देने से अर्थव्यवस्था स्वत: सुदृढ़ हो सकती है।
महाविद्यालय की प्रबंध समिति के सचिव श्री पी. के. सेन व संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन ने भी संबोधित कर बताया कि डॉ कलाम ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का स्वप्न देखा जिससे भारत आत्मनिर्भर बने उन्होंने बताया कि डॉ कलाम के विचार ना सिर्फ युवाओं में जोश भरते हैं बल्कि उन्हें जीवन में सफलता हासिल करने के लिए भी प्रेरित करते हैं।
ऑनलाइन संगोष्ठी में विद्यालय की समस्त शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं। महाविद्यालय की छात्राओं ने भी बताया कि डॉ कलाम युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत थे ,उनके विचार युवाओं को आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करते हैं वह अत्यंत सादगी पूर्ण जीवन यापन करने वाले व अपने कार्य के प्रति समर्पित रहते थे।
कार्यक्रम का संचालन रसायन शास्त्र विभाग की अध्यक्षा डॉ गार्गी यादव ने किया व डॉ मोनिका सहाय ,डॉ प्रीती सिंह, कु. वर्षा कु. तैयबा व समस्त शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नए कृषि सुधारों से देश में युवाओं के लिए कृषि उद्यमिता में आसानी होगी

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गए कृषि सुधार युवाओं के लिए कृषि उद्यमिता को आसानी बनाएंगे और उन्हें कृषि उद्यमी के रूप में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

उधमपुर-कठुआ-डोडा के अपने लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले छह जिलों के युवा किसानों, युवा सरपंचों और युवा कार्यकर्ताओं के साथ विशेष बातचीत “युवा सम्मेलन” में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नए सुधारों के बड़े लाभ होंगे। ये लाभ धीरे-धीरे प्रत्येक दिन के बीतते दिन के साथ दिखाई देंगे और यहां तक कि गैर-कृषि परिवारों के युवा एक दिन कृषि के क्षेत्र में स्टार्ट-अप शुरू करने के लिए आगे आएंगे। उन्होंने कहा कि संसद की तरफ से पारित किए गए हाल के कानूनों के माध्यम से उपलब्ध कराए गए नए विकल्पों और सुविधाओं का उद्देश्य युवा किसानों को प्रौद्योगिकी और उच्च तकनीक पद्धति के नवीनतम उपकरणों के साथ सशक्त बनाना है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एपीएमसी या मंडियों के माध्यम से फसलों की बिक्री को अनिवार्य करने की पूर्व व्यवस्था 50 साल पहले प्रासंगिक हो सकती थी, जब किसानों के पास सीमित संसाधन हुआ करते थे और उसे अपनी फसल को बाजार तक ले जाने के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था। उन्होंने कहा कि आज पूरा परिदृश्य बदल गया है और युवा किसानों के पास संसाधन हैं। किसानों आज के हालात के साथ अच्छी तरह वाकिफ हैं। उनके पास सभी तरह की सूचनाएं उपलब्ध हैं। किसान हमेशा आगे बढ़ रहा है, और इसलिए हमें अन्य उद्यमियों को अन्य क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमाने के लिए उपलब्ध विकल्पों से वंचित करने का कोई अधिकार नहीं है।

बातचीत में भाग लेने वाले सभी युवा किसानों और पंचायत प्रतिनिधियों ने नए कृषि कानून का स्वागत किया और इसे खेती के क्षेत्र में परिवर्तनकारी बताया।

जिन प्रमुख युवा प्रतिभागियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए उनमें गौरव शर्मा, जसविंदर सिंह जस्सी, राहुल हंस, सुशांत गुप्ता, राजेश चिब, गुरदीप चिब, प्रभात सिंह, रॉकी गोस्वामी, रविंदर सिंह, आनंद किशोर और अन्य शामिल थे।

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एशिया की सबसे लंबी टनल रोड ज़ोज़िला टनल पर काम शुरू

जम्मू कश्मीर ज़ोज़िला टनल पर आज एक आयोजन में विस्फोट के बाद निर्माण का कार्य शुरू हो गया। एनएच-1 पर इस बनने वाली इस टनल से श्रीनगर घाटी और लेह के बीच (लद्दाख पठार में) सभी मौसम में निर्बाध संपर्क सुनिश्चित होगा। अवलांच रोधी इस ढांचे के निर्माण से जम्मू कश्मीर (अब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख) में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। द्रास और कारगिल के रास्ते श्रीनगर तथा लेह को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-1 पर 14.15 किलोमीटर लंबी इस सुरंग का निर्माण 3000 मीटर की ऊंचाई पर ज़ोज़िला पास के नीचे किया जाएगा। वर्तमान में इस रास्ते पर केवल 6 महीने ही आवागमन हो सकता है। यह मार्ग वाहन चलाने के संदर्भ में दुनिया के सबसे खतरनाक रस्तों में से एक है। साथ ही यह परियोजना रणनीतिक रूप से संवेदनशील है।

इस परियोजना की परिकल्पना सबसे पहले 2005 में की गई थी और इसके संबंध में बीआरओ द्वारा बीओटी (एन्यूइटी) मोड पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) 2013 में तैयार की गई थी। लेकिन परियोजना पर काम शुरू करने के लिए ठेके देने के लिए गए चार प्रयास सफल नहीं हो सके थे। आखिरकार जुलाई 2016 में इस परियोजना पर निर्माण का दायित्व एनएचआईडीसीएल को सौंपा गया, जिस पर क्रियान्वयन ईपीसी मोड से होना है। इसका काम मेसर्स आईटीएनएल (आईएल&एफ़एस) को दिया गया था। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने लेह में इसकी आधारशिला रखी थी और इस पर 19.5.2018 को काम शुरू हुआ था। निर्माण कार्य जुलाई 2019 तक जारी रहा लेकिन उसके बाद मेसर्स आईएल&एफ़एस के सामने उपजे वित्तीय संकट के चलते काम फिर से बंद होगा गया। अतः 15.01.2019 को अनुबंध समाप्त कर दिया।

उसके उपरांत फरवरी 2020 में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने इस परियोजना की विस्तृत समीक्षा की। इस परियोजना की लागत कम करने और इसे प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने के लिए यह मामला एक विशेषज्ञ समूह को सौंपा गया, जिसकी अध्यक्षता सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में डीजी (आरडी) & एसएस श्री आई के पांडे कर रहे थे। विशेषज्ञ समूह ने परियोजना को कम से कम समय और कम लागत में पूरा करने के सभी उपयुक्त और उपलब्ध विकल्पों के सुझाव दिए।

विशेषज्ञ समूह ने टनल विशेषज्ञों और अन्य संबन्धित पक्षों से व्यापक परामर्श के बाद 17.5.2020 को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिस पर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने 23.05.2020 को अपनी मंजूरी दी। इस रिपोर्ट की मुख्य बातें:

  1. एक ट्यूब के टनल में दो लेन के बाई-डाइरेक्शनल मार्ग का निर्माण जिसमें आपातकाल के लिए समानान्तर मार्ग शामिल नहीं होगा।
  2. निर्माण शाफ्ट को घटाकर 3 से 2 करना।
  3. टनल में गति की डिज़ाइन 80 किमी प्रति घंटा होना।
  4. 18 किमी लंबी सड़क को जोड़ना (सड़क की कुल लंबाई 12 किमी) जो ज़ेड-मोड़ टनल के आखिर से ज़ोज़िला टनल के आरंभिक बिन्दु के बीच होगी, जिसमें अवलांच रोधी निर्माण जैसे कैच डैम, स्नो गॅलरी, कट एंड कवर, डिफ़्लेक्टर डैम इत्यादि शामिल होंगे। इससे दोनों टनलों के बीच सभी मौसम में संपर्क सुनिश्चित किया जा सकेगा।
  5. संशोधित लागत 4429.83 करोड़ रुपये होगी और जहां वर्तमान यात्रा समय 3.5 घंटे है वह इस टनल के निर्माण से घटकर महज़ 15 मिनट हो जाएगा।
  6. ज़ेड मोड़ से ज़ोज़िला तक सभी मौसम में संपर्क के लिए अवलांच रोधी ज़ोज़िला टनल परियोजना की शुरुआत

परियोजना का संशोधित प्रारूप:

क्रम संख्यामुख्य विशेषताएँ
 लंबाईज़ोज़िला टनल की लंबाई = 14.15 किमी और संपर्क मार्ग की लंबाई = 18.63 किमी।परियोजना की कुल लंबाई 32.78 किमी
 कार्य का फैलावबलताल और मीनामार्ग के बीच 14.150 किमी लंबी बाई-डाइरेक्शनल टनल जिसमें बचाव मार्ग नहीं होगा।ज़ेड-मोड़ टनल और ज़ोज़िला टनल को जोड़ने वाला 18.63 किमी लंबा संपर्क मार्ग, जिसमें 433 मीटर और 1958 मीटर के दो छोटे टनल भी शामिल होंगे। सड़क की कुल लंबाई 12 किमी होगी।सड़क सुरक्षा और अवलांच रोधी निर्माण जैसे कैच डैम, स्नो गॅलरी, कट एंड कवर, डिफ़्लेक्टर डैम इत्यादि शामिल होंगे।
 निर्माण अवधिज़ोज़िला टनल = 6 वर्षसंपर्क मार्ग  = 2.5 वर्ष

मंत्रालय की स्वीकृति के बाद एनएचआईडीसीएल ने 10.6.2020 को निविदा आमंत्रित की। सभी तीनों बोली कर्ताओं के तकनीकि योग्यता का परीक्षण करने के उपरांत 21.8.2020 को वित्तीय बोलियाँ खुलीं और परियोजना का आवंटन मेसर्स मेघा इंजीनियरिंग एंड स्ट्रक्चर लिमिटेड की बोली स्वीकार की गई जिसमें 4509.50 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। 25.08.2020 को मंजूरी पत्र जारी किया गया।

ज़ोज़िला टनल और ज़ेड-मोड़ टनल को जोड़ने वाले 18.63 किमी लंबे संपर्क मार्ग को सभी मौसम में कार्यशील बनाने हेतु इस पर डीपीआर के अनुसार कुल 2335 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इससे पहले एनएचआईडीसीएल द्वारा ज़ोज़िला टनल पर 6575.85 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान था और प्रतिवर्ष 5% की लागत वृद्धि से परियोजना की कुल पूंजी लागत 8308 करोड़ रुपये तक होने की संभावना थी। अतः ज़ोज़िला टनल और ज़ेड-मोड टनल तक संपर्क मार्ग के लिए एकीकृत लागत 10643 करोड़ रुपये अनुमानित थी। इसकी तुलना में वर्तमान में प्राप्त हुई बोली 4509.5 करोड़ रुपये के आधार पर एकीकृत परियोजना में कुल पूंजी लागत होगी 6808.63 करोड़ रुपये होगी। अतः संशोधित कार्य प्रारूप से न सिर्फ इस परियोजना के खटाई में पड़ने को टाला गया बल्कि इससे 3835 करोड़ रुपये की बचत का भी अनुमान है।

परियोजना का महत्व:

(i)  ज़ोज़िला टनल के निर्माण से श्रीनगर, द्रास, कारगिल और लेह क्षेत्र में सभी मौसम में सुरक्षित संपर्क सुनिश्चित होगा। हर मौसम में इस क्षेत्र में सुरक्षित संपर्क रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

 (ii) जोजिला टनल के निर्माण से क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि यह क्षेत्र सर्दियों के मौसम में लगभग 6 महीनों के लिए भारी बर्फबारी के कारण देश के अन्य भागों से कट जाता है।

(iii) ज़ोज़िला क्षेत्र में पूरे साल संपर्क सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान में टनल ही सबसे मुफीद विकल्प है। जिस समय यह टनल बनकर तैयार होगी, आधुनिक भारत के इतिहास में यह एक मील का पत्थर स्थापित करने वाली उपलब्धि बनेगी। लद्दाख, गिलगित और बालटिस्तान  की सीमाओं पर भारी सैन्य गतिविधियों के चलते देश की रक्षा रणनीति के क्षेत्र में भी इसका महत्वपूर्ण स्थान होगा।

(iv) ज़ोज़िला टनल परियोजना कारगिल, द्रास और लद्दाख क्षेत्र के लोगों की 30 वर्ष पुरानी मांग का सुफल है।

(v) इस परियोजना के पूर्ण होने पर एनएच-1 के श्रीनगर-कारगिल-लेह खंड पर अवलांच मुक्त यात्रा सुनिश्चित होगी।

(vi) यह परियोजना न सिर्फ ज़ोज़िला पास से गुजरने वाले यात्रियों की सुरक्शित यात्रा सुनिश्चित करेगी बल्कि वर्तमान में यात्रा में लगने वाले 3 घंटे को घटाकर 15 मिनट कर देगी।

vii.   इस परियोजना से स्थानीय स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार के अवसर बढ़ेंगे।

ज़ोज़िला टनल की सुरक्षा विशेषताएँ:

  1. प्रत्येक 750 मीटर पर आपातकालीन स्थिति में ठहरने के लिए सुरक्षित स्थान होगा, जिसे मार्ग के दोनों ओर बनाया जाएगा। मार्ग के दोनों ओर पैदल चलने के लिए भी रस्तों का निर्माण किया जाएगा। आपातकालीन स्थिति के लिए फोन और आग बुझाने का प्रबंध प्रत्येक 125 मीटर पर उपलब्ध रहेगा।
  2. मैनुअल फायर अलार्म और पोर्टेबल आग बुझाने का यंत्र सभी वाहन चालकों के पास होना चाहिए।
  3. आपातकालीन स्थिति के लिए टेलीफोन स्थापित किए जाएंगे।
  4. फायर हाइड्राण्ट, हाइड्राण्ट नीचेज़ और फायर एक्स्टिंगीशर स्थापित किए जाएंगे।
  5. टनल में प्रकाश की व्यवस्था: किसी टनल में सुरक्षित आवागमन में प्रकाश की व्यवस्था सबसे महत्वपूर्ण होती है इसलिए निम्नलिखित आवश्यकताओं का पूर्ण होना ज़रूरी है:
  • प्रवेश स्थल पर प्रकाश का प्रबंध (टनल के दोनों छोरों पर)
  • टनल के अंदर प्रकाश का प्रबंध (सम्पूर्ण टनल में प्रकाश)
  • सुरक्षित खड़े होने के स्थल पर प्रकाश

6. वीडियो निगरानी व्यवस्था

  • सीसीटीवी-कैमरा: टनल में दीवारों पर निगरानी कैमरे स्थापित किए जाने चाहिए और टनल के पहले और टनल के बाद के मार्ग खंड पर कैमरे खंभों पर लगे होने चाहिए। कैमरे से लिए जाने वाले वीडियो सम्प्रेषण लाइन के माध्यम से प्रसारित होनी चाहिए। इसकी स्थापन का उद्देश्य पूर्ण करने हेतु ट्रांसीवर्स और मीडिया कन्वर्टर रखे जाने चाहिए।
  1. भवनों में फायर अलार्म सिस्टम
  2. टनल में आग को पहचानने और उसे बुझाने का स्वचालित सिस्टम लगा होना चाहिए।
  • लीनियर हीट डिटेक्शन      सिस्टम एससीएडीए के अपनी नियंत्रण व्यवस्था से जुड़ा होना चाहिए।
  1. आपातकालीन टेलीफोन बूथ

ईयू मानकों के अनुसार टनल के दोनों ओर 125 मीटर से कम की दूरी पर तथा सुरक्षित ठहरने के स्थान पर आपातकालीन स्थिति के लिए टेलीफोन बूथ लगे होने चाहिए। आपातकालीन केन्द्रों पर निम्नलिखित उपकरण होने चाहिए:

  • फायर अलार्म पुश बटन
  • फायर इक्स्टिंगग्विशर

10. केंद्रीय नियंत्रण कक्ष के द्वारा यातायात नियंत्रण व्यवस्था

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भारत दुनिया भर में जेनेरिक दवाओं के सबसे बड़े निर्माताओं और निर्यातकों में शामिल है : डीवी सदानंद गौड़ा

केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने कहा कि भारत दुनिया भर में जेनेरिक दवाओं के सबसे बड़े निर्माताओं और निर्यातकों में शामिल है। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक चरण में, आपातकालीन मामलों में एचसीक्यू और एज़िथ्रोमाइसिन को कोविड-19 के उपचार हेतु दवाओं में से एक के रूप में चिन्ह्ति किया गया था। दुनिया भर में 120 से अधिक देशों में भारत द्वारा इन दवाओं की आपूर्ति के बारे में उन्होंने कहा कि भारत ने दवाओं के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में ख्‍याति अर्जित की है।

श्री गौड़ा ने बताया कि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां अमरीका के बाहर यूएसए-एफडीए के अनुपालन वाले सबसे अधिक फार्मा प्लांट्स (एपीआई सहित 262 से अधिक) हैं, जो अमेरिका एवं यूरोप जैसे उच्‍च मानकों वाले देशों सहित विभिन्न देशों में 20 बिलियन डॉलर मूल्य के फार्मा उत्पादों का निर्यात करते हैं।

श्री गौड़ा ने कल देर शाम फिक्की द्वारा आयोजित एलईएडीएस 2020 के दौरान ‘रीइमेजनिंग डिस्टेंस’ पर वर्चुअल लैटिन अमेरिका और कैरेबियन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि 2024 तक भारतीय फार्मा उद्योग का कारोबार 65 बिलियन डॉलर का हो सकता है। श्री गौड़ा ने कहा, “हमने हाल ही में देश भर में सात मेगा पार्क- तीन बल्क ड्रग पार्क और चार मेडिकल डिवाइस पार्क विकसित करने की योजनाएं शुरू की हैं। नए निर्माता प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना के लिए पात्र होंगे, जिसके तहत वे पहले 5-6 वर्षों के लिए अपनी बिक्री के आधार पर वित्तीय प्रोत्साहन के लिए पात्र होंगे। ”श्री गौड़ा ने कहा कि भारत में फार्मा क्षेत्र में निवेश करने और विनिर्माण का आधार स्थापित करने का यह बहुत अच्छा समय है। उन्होंने जोर देकर कहा, “जहां तक ​​फार्मा क्षेत्र का संबंध है, संयुक्त उद्यम के माध्यम से भी भारत के बाजार में प्रवेश किया जा सकता है। इसका लाभ यह है कि आप भारत के माध्यम से घरेलू बाजारों जैसे कि भारतीय बाजार, अमेरिका, जापान, यूरोपीय संघ और दक्षिण पूर्व एशिया जैसे बड़े बाजारों तक पहुंच कायम कर सकते हैं। भारतीय फार्मा क्षेत्र में रुचि रखने वाला कोई भी व्‍यक्ति मेरे कार्यालय से संपर्क कर सकता है। हम हर संभव सुविधा और सहायता प्रदान करेंगे।”

श्री गौड़ा ने यह भी कहा कि भारत में रसायन और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र के बाजार का कारोबार लगभग 165 बिलियन डॉलर है। वर्ष 2025 तक यह कारोबार बढ़कर 300 बिलियन डॉलर तक होने की संभावना है। यह भारत के रासायनिक क्षेत्र में एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करता है। उदाहरण के लिए, बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत को 2025 तक 5 सफल उद्योगों और 2040 तक अतिरिक्त 14 सफल उद्योगों की आवश्यकता होगी। केवल इन उद्योगों को 65 बिलियन डॉलर के कुल निवेश की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि विदेशी भागीदारी को आकर्षित करने के लिए, भारत सरकार रासायनिक और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र के लिए नीतियों पर फिर से विचार कर रही है। श्री गौड़ा ने कहा, “हम अपने फार्मास्युटिकल क्षेत्र में बिक्री के आधार पर वित्तीय प्रोत्साहन देने के बारे में विचार कर रहे हैं। हम अपने रासायनिक औद्योगिक क्लस्टर को मजबूत करने के लिए अपनी नीतियों को भी बदल रहे हैं, जिसे हम पीसीपीआईआर और प्लास्टिक पार्क कहते हैं। साथ ही, जहां तक ​​रसायन और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र का संबंध है, सरकार की इन सहायक नीतियों से भारत में कारोबार करने के लिए सबसे अच्छे वातावरण तैयार होगा।

रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने कहा कि भारत में उर्वरक क्षेत्र भी एक आकर्षक क्षेत्र है। हमारे किसानों द्वारा हर साल उर्वरकों की भारी मांग है। हालांकि, घरेलू उत्पादन खुद उर्वरकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। हम यूरिया, और पी एंड के उर्वरकों के बड़े आयातक हैं। उदाहरण के लिए, 2018-19 में, भारत ने 7.5 मिलियन टन यूरिया, 6.6 मिलियन टन डीएपी, 3 मिलियन टन एमओपी और 0.5 मिली टन टन एनपीके उर्वरक का आयात किया।

श्री गौड़ा ने कहा, “मुझे बताया गया है कि लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देश भी रासायनिक उर्वरकों के अच्‍छे आयातक हैं। खरीदारों के रूप में बाजार में प्रतिस्पर्धा के बजाय, हमें आपूर्ति श्रृंखलाओं को और अधिक कुशल बनाने के लिए सहयोग करना चाहिए ताकि प्रतिस्पर्धी कीमतों पर पर्याप्त मात्रा में इसका उत्‍पादन हो सके।”

श्री गौड़ा ने कहा कि नैनो उर्वरकों जैसे वैकल्पिक उर्वरकों के विकास में सहयोग की आवश्यकता है, जिससे उर्वरकों की हमारी आवश्यकता/इस्‍तेमाल में कमी होने के साथ ही आयातों पर निर्भरता भी कम हो। मैं वैकल्पिक उर्वरकों के विकास के लिए संयुक्त अनुसंधान एवं विकास सहयोग के अपने प्रस्ताव पर किसी भी प्रतिक्रिया का स्वागत करूंगा। उन्होंने कहा कि हम इन क्षेत्रों में किसी भी प्रस्ताव का स्वागत करेंगे और आवश्यकतानुसार देश में सभी संभव सहायता प्रदान करेंगे।

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जिलाधिकारी की अध्यक्षता में त्योहारों को शांतिपूर्वक सम्पन्न कराने को ले के बैठक

कानपुर नगर, 13 अक्टूबर,
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में आगामी त्योहारों नवरात्र, रामलीला, दुर्गापूजा, दशहरा मेला आदि त्योहारों को शांतिपूर्वक एवं प्रदेश सरकार द्वारा जारी कोविड-19 की गाइडलाइन के अनुसार आयोजित किये जाने के संबंध में बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में जिलाधिकारी ने रामलीला, दुर्गापूजा, आदि कार्यक्रम आयोजकों को निर्देशित किया कि पारम्परिक रुप से मनाये जाने वाले कार्यक्रम ही आयोजित किये जायेे,किसी नये स्थान पर कोई छोटा-बडा कार्यक्रम का आयोजन नही किया जायेगा। रोड व रोड के किनारे कोई भी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम स्थल पर सीसीटीवी कैमरे आदि की व्यवस्था भी सुरक्षा की दृष्टि से की जाये। उन्होंने बताया कि धार्मिक विचारों के अनुसार ही छोटे कार्यक्रम आयोजित किये जाये, मनोरंजन के रुप में कोई कार्यक्रम आयोजित नही किया जाये। कार्यक्रम स्थल पर धार्मिक अनुष्ठान/सामग्री वाली ही दुकानें रहेंगी अन्य किसी प्रकार दुकाने नही लगाई जायेंगी। उन्होंने कहा कि कोविड के संक्रमण का खतरा आगे आने वाले सर्दी के दिनों में प्रदूषण के बढने से हो सकता है, इसलिए कोविड संक्रमण से बचाव हेतु सर्तक रहना आवश्यक है तथा सामाजिक दूरी एवं मास्क आदि का प्रयोग आवश्यक रुप से कराते हुए ही कार्यक्रम शांतिपूर्वक व व्यवस्थित रुप से आयोजित किये जाये।
बैठक में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/डी0आई0जी0 श्री प्रीतिन्दर सिंह ने रामलीला, दुर्गापूजा कार्यक्रम आयोजकों को निर्देशित किया कि प्रदेश सरकार द्वारा जारी कोविड-19 की गाइड लाइन के अनुसार ही छोटे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, lकोई बडे कार्यक्रम अधिक भीड़ एकत्र करने वाले नहीं आयोजित किए जायेंगे तथा सार्वजनिक चौराहों एवं सड़क पर कोई कार्यक्रम आयोजित नही किये जायेंगे। उन्होंने निर्देश्ति किया कि किसी कार्यक्रम/आयोजन की शोभा यात्रा /जुलूस व मेला का आयोजन नही किया जायेगा। उन्होंने बताया कि बुजुर्ग व अधिक आयु के लोग एवं दस वर्ष की आयु से कम के बच्चे कार्यक्रम में नही आयेंगे। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम स्थल पर आने जाने के लिए दो अलग-अलग प्रवेश एवं निकास द्वार बनाये जाये तथा सोशल डिस्टेसिंग बनाये रखने का भी विशेष रुप से ध्यान रखा जाये। प्रत्येक रामलीला, दुर्गापूजा, आदि कार्यक्रम आयोजित किये जाने हेतु कार्यक्रम आयोजित करने पूर्व अनुमति/स्वीकृति आवश्यक रुप से लेनी होगी, बिना अनुमति प्राप्त किये कोई भी कार्यक्रम आयोजित नही किये जाये। रामलीला/दुर्गापूजा स्थल पर कार्यक्रम आयोजक अपने वालिन्टिर्यस लगायेंगे तथा रात्रि में आवश्यक रुप से रहने वाले वालिन्टिर्यस की सूची भी रखेंगे। उन्होंने निर्देशित किया कि कार्यक्रम स्थल पर केवल पूजा सामग्री की ही दुकाने/स्टाल लगाई जा सकती है अन्य किसी भी प्रकार की दुकाने नही लगाई जायेंगी।
बैठक में अपर जिलाधिकारी नगर श्री अतुल कुमार ने बताया कि सभी कार्यक्रम स्थलों पर वाहन पार्किंग की व्यवस्था एवं आवश्यक लाइट की व्यवस्था तथा अग्निशमन हेतु व्यवस्था आवश्यक रुप से की जाये। कार्यक्रम स्थल में कितने लोगों के बैठने की व्यवस्था है का विवरण सहित सेनेटाइजर, मास्क व कोविड से बचाव की समुचित व्यवस्था भी की जाये।

बैठक में पुलिस अधीक्षक सहित अपर पुलिस अधीक्षक, अपर नगर मजिस्ट्रेट व संबंधित विभागों के अधिकारीगण तथा रामलीला सोसाइटी के प्रतिनिधि/पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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भारतीय डाक द्वारा 9 से 15 अक्टूबर तक राष्ट्रीय डाक सप्ताह का आयोजन

भारतीय डाक ने राष्ट्रीय डाक सप्ताह की शुरुआत विश्व डाक दिवस के साथ की है, जिसे प्रति वर्ष 9 अक्टूबर को मनाया जाता है जो कि 1874 में बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) की स्थापना की वर्षगांठ है। विश्व डाक दिवस का उद्देश्य लोगों और व्यवसायों के रोजमर्रा के जीवन में डाक क्षेत्र की भूमिका और देशों के सामाजिक व आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में जागरूकता पैदा करना है। एक कदम आगे बढ़ाते हुए डाक विभाग राष्ट्रीय स्तर पर जनता और मीडिया के बीच अपनी भूमिका और गतिविधियों के बारे में व्यापक जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय डाक सप्ताह के अंतर्गत कार्यक्रम व गतिविधियों का आयोजन करता है।

इस वर्ष के लिए विश्व डाक दिवस एवं राष्ट्रीय डाक सप्ताह समारोह के कार्यक्रम निम्नलिखित है:-

दिनांकदिवसविवरण
9 अक्टूबरशुक्रवारविश्व डाक दिवस
10 अक्टूबरशनिवारबैंकिंग दिवस
12 अक्टूबरसोमवारपीएलआई दिवस
13 अक्टूबरमंगलवारडाक टिकट संग्रह दिवस
14 अक्टूबरबुधवारव्यवसाय विकास दिवस
15 अक्टूबरबृहस्पतिवारडाक दिवस

इस संबंध में कई गतिविधियों की योजना बनाई/प्रस्तावित की गई है:

1.  सर्किल स्तर पर गतिविधियां:

i. पुराने होर्डिंग/पुराने नोटिसों को हटाने और पुराने अभिलेखों को हटाने आदि के साथ-साथ सभी डाकघरों, डाक कार्यालयों और प्रशासनिक कार्यालयों की साज-सज्जा और सफाई।

ii.राष्ट्रीय डाक सप्ताह के लिए सर्किल स्तर पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।

iii. व्यवसाय विकास दिवस पर वर्तमान और संभावित कॉर्पोरेट ग्राहकों से संपर्क करना।

iv. डाक टिकट संग्रह, बचत खाते खोलने, आईपीपीबी खाते, आधार सीडिंग और पीएलआई/आरपीएलआई प्रस्ताव प्राप्त करने के लिए अलग-अलग दिन वर्चुअल कैंप/वर्कशॉप के आयोजन के लिए योजना व तैयारी की जाएगी।

v. सर्किल प्रमुख अपने प्रीमियम ग्राहकों को पत्र लिखकर विभाग को व्यवसाय देने के लिए धन्यवाद देंगे।

vi.डाकघरों की नई सेवाएं और नागरिक केंद्रित सेवाओं की उपलब्धता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए ऑनलाइन जागरूकता अभियान का आयोजन किया जा सकता है जैसे पीओपीएसके, आधार नामांकन और अपडेशन सुविधा, सीएससी सुविधाएं इंडिया पोस्ट पीआरएस सेंटर, गंगाजल की उपलब्धता आदि।

राष्ट्रीय डाक सप्ताह के दौरान दिवस के अनुसार गतिविधियां:

विश्व डाक दिवस: डाकघर परिसर के भीतर पोस्ट फोरम की बैठक का आयोजन, मंडलों की वेबसाइटों पर विश्व डाक दिवस और राष्ट्रीय डाक सप्ताह समारोह से संबंधित समाचारों को पोस्ट करना; सॉफ्ट स्किल्स, पब्लिक इंटरैक्शन और सामान्य शिष्टाचार पर स्टाफ के लिए कार्यशालाएं। इस दिन प्रिंट मीडिया में कोई सर्किल विज्ञापन जारी नहीं करेगा।

बैंकिंग दिवस: बचत बैंक शिविरों/मेलों का आयोजन किया जाए ताकि बैंकिंग दिवस के अवसर पर अधिकतम संख्या में पीओएसबी/आईपीपीबी खाते खोले जा सकें और आम जनता को विभाग के सेविंग बैंक उत्पादों के बारे में जागरूक किया जा सके। इसके अलावा आईपीपीबी शाखाओं और पहुंच बिंदुओं को लागू करने के साथ ही एईपीएसएस और सुविधाओं के साथ-साथ लाभ जैसी नई सुविधाओं के बारे में जनता को जागरूक किया जाएगा ताकि अधिकतम संख्या में खाते खोले जा सकें।

डाक जीवन बीमा दिवस: पीएलआई क्लेम सेटलमेंट को भी प्राथमिकता दी जाए ताकि पीएलआई दिवस तक लंबित दावों के निपटारों को कम किया जा सके।

डाक टिकट संग्रह दिवस: टिकट संग्रह विभाग राष्ट्रीय डाक सप्ताह के दौरान सभी दिनों पर राष्ट्रीय डाक टिकट संग्रहालय में कार्यक्रम आयोजित करने की योजना और आयोजन कर रहा है। डाक टिकट संग्रह विभाग डाक टिकट संग्रह सम्बन्धी उत्पाद (टिकट विषयों के आधार पर टाई, स्कार्फ, बैग, मग आदि) शुरू करने पर भी विचार कर रहा है। सर्किल नए पीडी खाते खोल रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि डाक टिकट संग्रह दिवस पर मौजूदा पीडी खातों की सेवा लंबित नहीं है|

व्यवसाय विकास दिवस: व्यवसाय विकास दिवस पर सर्किल वर्तमान और संभावित ग्राहकों के साथ बातचीत करेंगे।

डाक दिवस: कोविड-19 स्थिति को ध्यान में रखते हुए डाकियों की भूमिका पर प्रकाश डाला जायेगा। पीएमए का शत-प्रतिशत उपयोग करने का प्रयास किया जाएगा ताकि डिलीवरी की जानकारी उपलब्ध हो और ग्राहक को शिकायत करने का कोई अवसर न हो।

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प्रधानमंत्री ने कनाडा में इन्वेस्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कनाडा में इन्वेस्ट इंडिया कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत निर्विवाद रूप से एकमात्र ऐसा राष्ट्र है जो अपने सभी निवेश मानकों जैसे राजनीतिक स्थिरता, निवेश और व्यापार के अनुकूल नीतियां, शासन में पारदर्शिता, कौशल से परिपूर्ण प्रतिभाशाली समूहों और एक व्यापक बाजार के रूप में प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह संस्थागत निवेशकों, विनिर्माणकर्ताओं, नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र और बुनियादी उद्योगों सहित सभी के लिए एक अवसर है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड के दौर में, भारत ने दृढ़ता दिखाई और यह विनिर्माण, आपूर्ति श्रृंखलाओं आदि से संबंधित विभिन्न प्रकार की समस्याओं को दूर करने के मामले में एक समाधान देश के रूप में उभरा। उन्होंने कहा कि प्रचालन-तंत्र बाधित होने के बावजूद भी, कुछ ही दिनों के भीतर करीब 40 करोड़ किसानों, महिलाओं, गरीबों और जरूरतमंद लोगों के बैंक खातों में धनराशि सीधे पहुंचायी गयी। उन्होंने महामारी के कारण उत्पन्न संकट से उबरने के लिए सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों की जानकारी देते हुए इस बात पर बल दिया कि यह पिछले कुछ वर्षों में स्थापित की गई शासन व्यवस्थाओं और उपायों की क्षमता एवं भरोसे को दर्शाती हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब पूरा देश कड़े लॉकडाउन में था, भारत लगभग 150 देशों को दवाईयाँ उपलब्ध करा रहा था और भारत ने दुनिया के लिए फार्मेसी की भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि इस वर्ष मार्च-जून के दौरान कृषि निर्यात में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि महामारी से पूर्व, भारत ने शायद ही पीपीई किट का निर्माण किया हो, लेकिन आज भारत न केवल हर महीने लाखों पीपीई किट का निर्माण करता है बल्कि उनका निर्यात भी करता है। उन्होंने उत्पादन को बढ़ावा देने और पूरे विश्व की सहायता करने के लिए कोविड-19 के लिए वैक्सीन तैयार करने की प्रतिबद्ध जताई।

प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे व्यापार के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने में सरकार की पहलों से भारत की स्थिति और भी मजबूत हो रही है। उन्होंने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से जुड़ी व्यवस्था को काफी उदार बनाने, सॉवरेन वेल्थ एंड पेंशन फंड्स के लिए अनुकूल कर प्रणाली को लागू करने और मजबूत प्रतिभूति बाजार के विकास के साथ-साथ प्रमुख क्षेत्रों के लिए प्रोत्साहन योजनाओं जैसी पहलों की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि फार्मा, चिकित्सा उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण जैसे क्षेत्र पहले से कार्य संचालन में हैं। उन्होंने कहा कि निवेशकों के लिए उच्च-स्तर पर ध्यान केन्द्रित करने और उनकी प्रभावी सहभागिता को सुनिश्चित करने के लिए सचिवों के एक समर्पित सशक्त समूह का गठन किया गया है। उन्होंने हवाईअड्डों, रेल, राजमार्गो, ऊर्जा पारेषण आदि जैसे क्षेत्रों में परिसंपत्तियों के अग्रसक्रिय मुद्रीकरण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट और बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट सार्वजनिक और निजी दोनों तरह की परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण के लिए पूरी तरह सक्षम हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत दृष्टिकोण और बाजारों के लिहाज से तेजी से बदल रहा है। भारत ने कंपनी अधिनियम के तहत कई प्रावधानों के उल्लंघन को अविनियमित और गैर-अपराधिक सूची में रखा है। उन्होंने कहा कि भारत ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स रैंकिंग में 81 से 48वें स्थान पर और पिछले 5 वर्षों में विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में 142 से 63वें पायदान पर पहुंच गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सुधारों के कारण, भारत को जनवरी 2019 से जुलाई 2020 के बीच संस्थागत निवेशकों से लगभग 70 बिलियन अमरीकी डॉलर प्राप्त हुए। यह 2013 से 2017 के बीच के चार वर्षों में प्राप्त धनराशि के लगभग बराबर हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक निवेशक समुदाय के भारत के प्रति निरंतर बढ़ते विश्वास को इस तथ्य के साथ देखा जा सकता है कि 2019 में भारत में प्रत्यक्ष विदशी निवेश में उस समय 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जब वैश्विक प्रत्यक्ष विदशी निवेश के अंतर्प्रवाह में 1 प्रतिशत की गिरावट हुई थी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के प्रथम 6 महीनों के दौरान भारत को दुनिया भर से 20 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक प्राप्त हुए हैं, जब वैश्विक स्तर पर कोविड-19 अपने चरम पर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्थिति से निपटने के प्रति एक अद्वितीय दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने कहा कि गरीबों और छोटे व्यवसायों को राहत और प्रोत्साहन पैकेज दिए गए हैं और साथ ही साथ यह ढांचागत सुधार करने का अवसर है जो अधिक उत्पादकता और समृद्धि को भी सुनिश्चित करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने कृषि, श्रम और शिक्षा जैसे तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में व्यापक सुधार किए हैं। ये लगभग हर भारतीय को एक साथ प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने श्रम और कृषि के क्षेत्र में पुराने कानूनों में सुधार सुनिश्चित किए हैं। वे सरकार के सुरक्षा दायरे को मजबूत बनाते हुए निजी क्षेत्र की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करते हैं और इससे उद्यमियों के साथ-साथ हमारे परिश्रमी व्यक्तियों के लिए भी लाभ का मार्ग सुलभ होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सुधार देश के युवाओं की प्रतिभा को आगे बढ़ाएगा और इसके लिए अधिक विदेशी विश्वविद्यालयों के भारत आने के लिए एक मंच तैयार किया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि श्रम कानूनों में सुधार श्रम संहिता की संख्या को काफी कम कर देते हैं और यह कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के लिए अनुकूल हैं और इससे व्यापार करने में आसानी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र किए गए सुधार दूरगामी हैं और इससे न केवल किसानों को अधिक विकल्प मिलेगा बल्कि निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि ये सुधार एक आत्‍म-निर्भर भारत के निर्माण के हमारे प्रयासों का समर्थन करेंगे और आत्‍म-निर्भरता की दिशा में कार्य करते हुए हम वैश्विक समृद्धि और उन्नति में योगदान देने के इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि भारत शिक्षा, विनिर्माण अथवा सेवाओं और कृषि के क्षेत्र में सहयोग करने के लिए निवेश करने हेतु सहभागी बनने का एक स्थल है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-कनाडा के द्विपक्षीय संबंध साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और कई समान हितों से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा कि हमारे बीच व्यापार और निवेश संबंध हमारे बहुपक्षीय संबंधों के अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा कि कनाडा सबसे विशाल और सर्वाधिक अनुभवी बुनियादी ढांचागत निवेशकों में से कुछ का घर भी है। उन्होंने कहा कि कनाडा के पेंशन फंड भारत में सीधे निवेश प्रारंभ करने के मामले में प्रथम थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि इनसे पहले भी कनाडा के कई निवेशक राजमार्गों, हवाई अड्डों, रसद, दूरसंचार और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में अवसरों की तलाश कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारत में कई वर्षों से उपस्थित कनाडा के सक्षम निवेशक हमारे सबसे अच्छे ब्रांड एंबेसडर हो सकते हैं। उनका अनुभव, विस्तार करने और विविधता लाने की उनकी योजना, कनाडा के अन्य निवेशकों को भारत लाने के लिए सबसे विश्वसनीय प्रमाण हो सकती है। उन्होंने कनाडा के निवेशकों को भारत में किसी तरह की बाधा न आने देने का भी वादा किया।

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अंतर्विरोध (लघु कथा)

सुबह से ही रसोई में नाना प्रकार के पकवान बनने की तैयारियां हो रही थी. कभी रसोई में न जाने वाली ‘कुसुम’ अपनी ‘मेड’ लक्ष्मी को समझा रही थी- “लक्ष्मी, कचौरियां खूब स्वादिष्ट होनी चाहिए… और दही बड़े रूई जैसे मुलायम मटर पनीर चटपटी, दादी को स्वादिष्ट खाना बहुत पसंद था, वो खुद भी बहुत अच्छा बनाती थीं, मैंने तो २५ साल उनके हाथ का खाना खाया है,और हाँ, भरवां बैगन और खीर ज़रूर बनाना.

(डॉ रानी वर्मा )

‘सोना’ को माँ की बातों में एक अजीब सा उत्साह व दादी के प्रति अपार लगाव, जुड़ाव, सेवा-भाव दिखाई दे रहा था. वह आश्चर्य चकित थी! ऐसा क्या हो गया? कैसे माँ के मन में दादी के प्रति इतना प्रेम उमड़ रहा है? आखिरकार उसने पूछ ही लिया, “ माँ, आज ऐसा क्या है? इतने पकवान बन रहे हैं और विशेष रूप से दादी की पसंद के?” कुसुम बड़े गर्व से सर उठा कर बोल पड़ी, अरे सोना, “आज मातृ-नवमी है, तेरी दादी का श्राद्, आज के दिन ब्राह्मणी को भोजन कराने से पुन्य मिलता है, पितृदोष दूर होता है, इसीलिए आज तेरी दादी की पसंद के पकवान बन रहे हैं, तेरी दादी खुश होकर आशीर्वाद देंगी और हमें पितृदोष नहीं लगेगा.”

सोना हतप्रभ थी. अतीत की धुंधली स्मृतियाँ उसके मानस-पटल पर अंकित होने लगीं. जब असहाय दादी बिस्तर पर पड़े-पड़े खाने के लिए मांगती, तो माँ अक्सर झिड़क दिया करती, “सारा दिन बिस्तर पर पड़े-पड़े खाओगी तो पचेगा कैसे?” बेस्वाद सब्जी, कड़े-कड़े दही बड़े, मोटी–मोटी रोटी, जो दादी अपने पोपले मुंह से खा भी नहीं पाती थी, माँ उन्हें खाने को देती. दादी ठीक से खा भी नहीं पाती, लेकिन माँ को कोई फर्क नहीं पड़ता, वह मुंह बिचका कर, सिर झटकते हुए, ‘उहं’ कह कर अपने बेड-रूम में चली जाती.

माँ की तीखी आवाज़ से सोना का ध्यान टूटा, “सोना, दादी के पलंग पर नई चादर, जो मैं कल लाई हूँ, पंडिताइन को देने के लिए, वो बिछा दे…, और वह साड़ी का पैकेट भी वहीँ रख दे”, कुसुम बोले जा रही थी और सोना को दादी की मैली-कुचैली, फटी धोती और पलंग पर महीनों से बिछी पुरानी चादर याद आ रही थी. दादी जब चादर बदलने को कहती, माँ फटकार देती –“ क्या करोगी चादर बदलवा कर? दिन भर ऐसे ही तो पड़े रहना है. कौन आ रहा है आपके कमरे में जो चादर देखेगा?” दादी आँखों में आंसू भरे, करवट लिए चुपचाप पड़ी रहती.

पंडिताइन के लिए ऐसी आवभगत, स्वागत-सत्कार की तैयारी देख कर सोना का मन स्वार्थ और आडम्बर के सामाजिक अंतर्विरोध की अतल गहराइयों में डूबने लगा, उसका मन चीख-चीख कर पूछ रहा था ‘माँ, ऐसी सेवा और सत्कार दादी को जीवित रहते क्यों नहीं मिला?’

(डॉ रानी वर्मा: 10 अक्टूबर 2020)

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एयरो इंडिया 2021 पर राजदूतों के गोल-मेज वर्चुअल सम्मेलन की अध्यक्षता

रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग ने आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एयरो इंडिया 2021 पर राजदूतों का गोल-मेज वर्चुअल सम्मेलन (राउंड-टेबल वर्चुअल कॉन्फ्रेंस) आयोजित किया। मंत्रालय के लोगों तक पहुंचने के इस प्रमुख प्रयास में 75 देशों के राजदूत, मिशन व रक्षा प्रमुखों को मिलाकर 200 से ज्यादा व्यक्ति शामिल हुए, जो 2021 में 3-7 फरवरी तक कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में होने वाले 13वें द्विवार्षिक कार्यक्रम की बढ़ती प्रतिष्ठा का संकेत है। नई दिल्ली में विदेशी मिशनों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों को एयरो इंडिया-21 के बारे में पहले ही जानकारी दे दी गई थी, ताकि फरवरी 2021 में होने वाले इस कार्यक्रम में उनके नेताओं और वरिष्ठतम निर्णयकर्ताओं की उपस्थिति को प्रोत्साहित किया जा सके, जहां एक ही जगह पर भारत की एयरोस्पेस और रक्षा विनिर्माण क्षमताओं का प्रदर्शन किया जाएगा।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, आत्मनिर्भरता के साथ-साथ मित्र देशों की जरूरतें पूरी करने का उद्देश्य पाने के लिए लोक-निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी के साथ एयरो इंडिया-21 भारत को विश्व के शीर्ष पांच रक्षा और एयरोस्पेस उद्योगों में पहुंचाने के दृष्टिकोण पर आधारित है। श्री राजनाथ सिंह ने कहा, “आत्मनिर्भर भारत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने का केंद्र बिंदु था और इस दिशा में रक्षा मंत्रालय ने स्वचालित मार्ग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 74 प्रतिशत तक बढ़ाने, रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2020, सह-विकास और सह-उत्पादन के लिए भारत में निवेश प्रोत्साहित करने के लिए संशोधित दिशा-निर्देश बनाने जैसी कई सरकारी सुधारों की घोषणा की है। इसके अलावा इस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के साथ-साथ कारोबार को सरल बनाने के लिए महामारी वाले महीनों के लिए रक्षा उत्पादन एवं निर्यात संवर्धन नीति-2020 (डीपीईपीपी-2020) का प्रारूप भी बनाया है।”

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र परिपक्व हुआ है और भारत में विनिर्माण उद्योग लगाने और भारत में उत्पादित रक्षा उपकरणों का निर्यात करने के लिए मित्र देशों के साथ पारस्परिक लाभ देने वाली साझेदारियों की तलाश की जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि “एयरो इंडिया-21, 2025 तक एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं व सेवाओं में 5 बिलियन अमरीकी डॉलर के निर्यात के साथ कारोबार को 25 अरब अमरीकी डॉलर तक ले जाने सरकार के लक्ष्य को प्रदर्शित करेगा।”

दुनिया भर के प्रतिनिधियों को जानकारी दी गई कि एयरो इंडिया-21, एक व्यापार उन्मुख कार्यक्रम होगा और कोविड-19 की शर्तों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। 11 सितंबर 2020 को रक्षा मंत्री के द्वारा इस कार्यक्रम की वेबसाइट शुरू करने के बाद इस कार्यक्रम को लेकर लोगों में जबरदस्त रुचि देखने को मिली है और 90 प्रतिशत से ज्यादा जगह का बुक हो जाना एयरो शो में भाग लेने के लिए प्रदर्शकों (एग्जीबिटर्स) में जबरदस्त उत्साह को दर्शाता है। बहुत ही सुव्यवस्थित व्यापार कार्यक्रमों और सेमिनारों की योजना बनाई जा रही है और एशिया के इस सबसे बड़े एयर शो में 500 से अधिक प्रदर्शकों के आने की उम्मीद है।

रक्षा मंत्री ने राजदूतों से अपने-अपने देशों और रक्षा उद्योगों के प्रमुखों को एयरो इंडिया-21 में बड़े पैमाने पर शामिल होने के लिए प्रभावित करने का आग्रह किया, ताकि “रणनीतिक साझेदारियों के लक्ष्य के साथ-साथ भारत में उपलब्ध रणनीतिक और व्यावसायिक अवसरों का मजबूती से लाभ उठा सकें।” श्री राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर आधिकारिक एयरो इंडिया-2021 उद्घाटन फिल्म का भी विमोचन किया।

इस कार्यक्रम की थीम ‘द रनवे टु अ बिलियन अपॉर्चुनिटीज’ है, जिसमें सिविल एयरोस्पेस क्षेत्र के अलावा एयरोस्पेस और रक्षा विनिर्माण के अवसरों को शामिल किया गया है। रक्षा मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि एयरो इंडिया-21, कोविड के बाद की दुनिया में बढ़त लेने और हमारी शक्ति को आगे और मजबूत करने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित करेगा।

रक्षा उत्पादन विभाग ने एयरो इंडिया-21 के सभी पक्षों के बारे में एक विस्तृत प्रस्तुति दी और आश्वासन दिया कि कोविड-19 की शर्तों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। कर्नाटक सरकार ने भी एक प्रस्तुति दी, जिसमें प्रतिभागियों को एक नियंत्रित और सुरक्षित वातावरण में कार्यक्रम आयोजित करने संबंधी तैयारियों के बारे में बताया गया।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री बी. एस. येदियुरप्पा ने भी प्रतिष्ठित दर्शकों को संबोधित किया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि कर्नाटक सरकार फरवरी 2021 में बेंगलुरु में एयरो इंडिया-21 के सुरक्षित संचालन के लिए प्रतिभागियों की सुरक्षा और कोविड-19 के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखकर सभी आवश्यक तैयारियां करेगी।

रक्षा राज्यमंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक, सचिव (रक्षा उत्पादन) श्री राज कुमार ने भी सम्मेलन को संबोधित किया और आत्मनिर्भर भारत के एक स्तंभ के रूप में स्वदेशी रक्षा उद्योग को गति प्रदान करने के रक्षा मंत्रालय के संकल्प को सामने रखा और विदेशी प्रतिनिधियों को एयरो इंडिया-21 में शामिल होने के लिए आमंत्रित भी किया।

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उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए भारत एक रोल मॉडल बन रहा है-इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने देश के प्रत्येक नागरिकों से अपील की है कि वे समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत बनाने में योगदान करें। पीएचडीसीसीआई द्वारा ‘बिल्डिंग आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर आयोजित आज एक वेब कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के विजन और भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र में बदलने में इसकी भूमिका, जो न केवल अपनी बल्कि दुनिया की भी आवश्यकताओं को पूरा करती है, को लेकर अपने विचार व्यक्त किए।

श्री प्रधान ने आज कहा कि उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए भारत एक रोल मॉडल बन रहा है। उन्होंने कहा, “समाज के अंतिम व्यक्ति की सेवा करने और सही मायने में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने पर हमारा फोकस है। भारत प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, जिसमें जनसांख्यिकीय लाभांश, बंदरगाहों की व्यापक उपलब्धता है, जो व्यवसायों और उद्योगों के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र मुहैया कराते हैं। हम 21वीं शताब्दी का एक ऐसा भारत बनाने के लिए काम कर रहे हैं, जो अपनी और दुनिया की भी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होगा।”

मंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया स्वदेशी आंदोलन और दांडी मार्च से लेकर आत्मानिर्भर भारत के आह्वान तक, ‘आत्मानिर्भर भारत’ का दर्शन एक अधिक लचीला और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के पीछे निरंतर प्रेरक शक्ति रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट देशवासियों की भावना को कम नहीं कर पाया है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पुनरुत्थान की राह पर है। पिछले महीने जीएसटी संग्रह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 4 प्रतिशत अधिक था, रेलवे माल ढुलाई में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और निर्यात 5 प्रतिशत बढ़ा है। पेट्रोल और डीजल की बिक्री भी सामान्य स्तर पर पहुंच गई है।

मंत्री ने कहा कि भारत को एक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए सरकार काम कर रही है, और वह ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर भी बढ़ रही है। उन्होंने दोहराया कि सरकार के पास कोई और काम नहीं है सिवाय इसके कि उसे केवल लोगों के कल्याण पर ध्यान देना चाहिए। इस दिशा में उन्होंने कहा कि सरकार ने व्यापार को आसान बनाने के लिए पहल की है, पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई है, भ्रष्टाचार को खत्म किया है और धन सृजनकर्ताओं का सम्मान किया है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस क्षेत्र में उठाए कदमों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि एलपीजी कनेक्शन 95 प्रतिशत आबादी तक पहुंच गए हैं जिनमें 8 प्रतिशत गरीब परिवार भी शामिल हैं। इस अप्रैल में बीएस-VI मानक ईंधन पेश किया गया है। ऊर्जा संबंधित न्याय को सुनिश्चित किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि देश के निर्यात में इस्पात क्षेत्र का भी योगदान रहा है।

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