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भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण ने नागरिकों को अपने नाम से धोखाधड़ी करने वाले कॉल के संबंध में आगाह किया

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के संज्ञान में यह लाया गया है कि नागरिकों को इस प्राधिकरण से होने का दावा करते हुए बहुत से प्री-रिकॉर्डेड कॉल किए जा रहे हैं। नागरिकों को धमकी दी जाती है कि उनके नंबर जल्द ही ब्लॉक कर दिए जाएंगे और उनसे कुछ व्यक्तिगत जानकारी देने के लिए कहा जाता है।

यहां पर यह सूचित किया जाता है कि ट्राई के संदेशों या अन्य माध्यमों से मोबाइल नंबर डिस्कनेक्ट करने के बारे में ग्राहकों से संचार शुरू नहीं किया जाता है। ट्राई ने ऐसे उद्देश्यों की पूर्ति हेतु ग्राहकों से संपर्क करने के लिए किसी भी तीसरे पक्ष की एजेंसी को अधिकृत नहीं किया है। इसलिए, ट्राई से होने का दावा करने वाले अथवा मोबाइल नंबर डिस्कनेक्ट करने की धमकी देने वाले किसी भी प्रकार के संचार (कॉल, संदेश या नोटिस) को संभावित धोखाधड़ी का प्रयास माना जाना चाहिए और इस पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।

बिलिंग, केवाईसी या दुरुपयोग के कारण किसी भी मोबाइल नंबर का डिस्कनेक्ट संबंधित दूरसंचार सेवा प्रदाता (टीएसपी) द्वारा किया जाता है। नागरिकों को सतर्क रहने और संदिग्ध धोखेबाजों के झांसे में आने से घबराने की सलाह नहीं दी जाती है। उन्हें संबंधित दूरसंचार सेवा प्रदाता के अधिकृत कॉल सेंटर या ग्राहक सेवा केंद्रों से संपर्क करके ऐसी फोन कॉल की पुष्टि करने की भी सलाह दी जाती है।

साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी के लिए दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से नागरिकों को दूरसंचार विभाग के संचार साथी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध सुविधा के माध्यम से संदिग्ध धोखाधड़ी वाले संचार की रिपोर्ट करने के लिए आग्रह किया जाता है। इस प्लेटफॉर्म को https://sancharsaathi.gov.in/sfc/ पर देखा किया जा सकता है। साइबर अपराध के पुष्ट मामलों के लिए, पीड़ितों को निर्दिष्ट साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर ‘1930’ पर या आधिकारिक वेबसाइट https://cybercrime.gov.in/ के माध्यम से घटना की रिपोर्ट करनी चाहिए।

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राष्ट्रपति ने अतिरिक्त न्यायाधीशों को उच्च न्यायालयों में स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया है

राष्ट्रपति ने भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श के बाद, निम्नलिखित अतिरिक्त न्यायाधीशों को उच्च न्यायालयों में स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया है-

क्रम सं. नाम (श्रीमती/श्री) विवरण
1. न्यायमूर्ति श्री सैयद कमर हसन रिज़वी, अतिरिक्त न्यायाधीश इलाहाबाद उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
2. न्यायमूर्ति श्री मनीष कुमार निगम, अतिरिक्त न्यायाधीश
3. न्यायमूर्ति श्री अनीश कुमार गुप्ता, अतिरिक्त न्यायाधीश
4. न्यायमूर्ति सुश्री नंदप्रभा शुक्ला, अतिरिक्त न्यायाधीश
5. न्यायमूर्ति श्री क्षितिज शैलेन्द्र, अतिरिक्त न्यायाधीश
6. न्यायमूर्ति श्री विनोद दिवाकर, अतिरिक्त न्यायाधीश
7. न्यायमूर्ति श्री प्रशांत कुमार, अतिरिक्त न्यायाधीश
8. न्यायमूर्ति श्री मंजीव शुक्ला, अतिरिक्त न्यायाधीश
9. न्यायमूर्ति श्री अरुण कुमार सिंह देशवाल, अतिरिक्त न्यायाधीश
10. न्यायमूर्ति श्रीमती वेंकट ज्योतिर्मई प्रताप, अतिरिक्त न्यायाधीश आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त
11. न्यायमूर्ति श्री वेणुथुरुमल्ली गोपाल कृष्ण राव, अतिरिक्त न्यायाधीश

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राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन उ0प्र0 ने विभागीय समीक्षा बैठक की

कानपुर 20 अगस्त (सू.वि.) राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन उ.प्र. रवीन्द्र जायसवाल द्वारा आज जनपद भ्रमण के दौरान सर्किट हाउस के सभागार में विभागीय समीक्षा बैठक की गई।

बैठक के पश्चात् मंत्री ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि यहां पर इन्वेस्टर्स की संख्या बढ़ रही है तथा रहने वाले आशियाना बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोग अपना मकान/घर वहां बनाते हैं जहां की कानून व्यवस्था अच्छी होती है और इसका प्रमाण होता है रजिस्ट्री विभाग, जब ज्यादा रजिस्ट्री हो रही हो, ज्यादा रेवेन्यू आ रहा हो यह इस बात का प्रमाण है कि उ.प्र. में कानून व्यवस्था अच्छी है और कानपुर में विगत वर्षों की तुलना में ज्यादा रेवेन्यू आ रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर कई नवाचार किये गये हैं, जैसे ब्लड के रिश्ते में दान की रजिस्ट्री कराने पर मात्र पांच हजार रूपये स्टॉम्प शुल्क कर दिया गया है, जिससे जनता को ब्लड रिलेशन में सम्पत्ति देने मे सहायता हो रही है। इसी प्रकार यदि कोई पुस्तैनी प्रापर्टी किसी के पास है तो उस प्रापर्टी के फैमली सेटेल्मेट की रजिस्ट्री में बैनामे के बराबर स्टाम्प शुल्क लगता है तथा यदि परिवार के सदस्यों के बीच प्रापर्टी का बटवारा करना है तो बटवारे के बैनामे में भी स्टाम्प शुल्क देना पड़ता है। उ.प्र. सरकार द्वारा फैमली सेटेल्मेट तथा बटवारे में मामूली स्टाम्प लेने की व्यवस्था की जा रही है, जिससे परिवार में विवाद की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी, लोगों का समय कोर्ट कचहरी में बर्बाद नहीं होगा और आपसी सामन्जस से उनकी समस्या का समाधान हो जायेगा तथा घर-घर में भाई चारे का सौहार्दपूर्ण वातावरण स्थापित होगा।
उ.प्र. सरकार द्वारा पांच सौ रूपये तक के स्टाम्प शुल्क के लिये सेल्फ प्रिन्टिंग का कानून लाया जा रहा है, जिससे कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन पेमेन्ट करके पॉच सौ रूपये तक के स्टाम्प खुद ही निकाल सकता है।
मंत्री ने उप निबन्धक सदर के चार कार्यालयों के लिये भूखण्ड आवंटन की आवश्यकता पर बल दिया तथा ए.आई.जी. स्टाम्प को निर्देशित किया कि जिलाधिकारी से मिलकर कार्यालयों के लिये भूखण्ड प्राथमिकता से आवंटित करवायें।
मा. मंत्री ने सर्किल रेट के संशोधन के लिये जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी (वि./रा.) व ए.आई.जी. स्टाम्प को निर्देशित किया कि यथाशीघ्र संशोधन कर जनपद में नया रेट लागू करायें।
इस अवसर पर सहायक महानिरीक्षक निबन्धन कानपुर श्याम सिंह बिसेन, सहायक महानिरीक्षक निबन्धन कन्नौज सुषमा, सब रजिस्ट्रार प्रथम आर.के. सिंह, सब रजिस्ट्रार द्वितीय नवीन कुमार शर्मा, सब रजिस्ट्रार चतुर्थ पदमा सिंह, प्रभारी उप निबन्धक महेन्द्र प्रताप सिंह, उप निबन्धक अकबरपुर कानपुर देहात संतोष, उप निबन्धक इटावा सदर विनय कुमार सिंह, उप निबन्धक भर्तना इटावा अशोक कुमार सहित सम्बन्धित अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व ने विकसित भारत@2047 की कार्य योजना पर विचार-विमर्श किया

थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल उपेन्द्र द्विवेदी की अध्यक्षता में भारतीय सेना का वरिष्ठ नेतृत्व 19 अगस्त 2024 को एक महत्वपूर्ण चर्चा के लिए नई दिल्ली में एकत्र हुआ। 30 जून 2024 को थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) का पद भार संभालने के बाद से जनरल द्विवेदी के नेतृत्व में यह पहली उच्च स्तरीय बैठक है। यह बैठक 20 अगस्त तक जारी रहेगी। भारतीय सेना की सात कमानों के  जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सीएस) इस बैठक में भाग ले रहे हैं।

आज की चर्चा का मुख्य केंद्र अमृत काल के दौरान भारतीय सेना के भविष्य के पाठ्यक्रम को तैयार करने, भारत को एक विकसित देश, एक महत्वपूर्ण वैश्विक प्रतिनिधि और वर्ष 2047 तक दुनिया के सबसे वांछनीय देशों में से एक बनाने के भारत सरकार के दृष्टिकोण के साथ तालमेल बिठाने पर था। इस मंच से भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारियों को रणनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और अगले दो दशकों में भारतीय सेना के परिवर्तन की दिशा निर्धारित करने का अवसर प्राप्त हुआ।

आज की बैठक के दौरान भारतीय सेना द्वारा चल रही परिवर्तनकारी पहलों और विकसित भारत@2047 के उद्देश्य को प्राप्त करने में इसके योगदान पर चर्चाएँ केंद्रित थीं। वरिष्ठ नेतृत्व ने राष्ट्रीय दृष्टिकोण में सेना की भूमिका को परिभाषित करने के लिए आपसी बातचीत की और भारतीय सेना के विज़न@2047 को इस प्रकार व्यक्त किया:

“एक आधुनिक, चुस्त, अनुकूल, प्रौद्योगिकी-सक्षम और आत्मनिर्भर भविष्य-तैयार बल में परिवर्तित होना, जो संचालन के स्पेक्ट्रम में बहु-क्षेत्रीय वातावरण में युद्धों को रोकने और जीतने में सक्षम हो, हमारे राष्ट्रीय हितों की रक्षा और अन्य सेवाओं के लिए तालमेल के साथ हो।”

परिवर्तन के दशक के प्रमुख लक्ष्य

भारतीय सेना ने परिवर्तनकारी पहलों के प्रति अपनी रैंक और फ़ाइल को संरेखित करने के लिए वर्ष 2023 को ‘परिवर्तन का वर्ष’ और 2024 को ‘प्रौद्योगिकी अवशोषण का वर्ष’ घोषित करके परिवर्तन के दशक में प्रवेश किया।

वरिष्ठ नेतृत्व ने अगले दशक में अपनाए जाने वाले कई व्यापक लक्ष्यों की रूपरेखा तैयार की, जिनमें शामिल हैं: रंगमंचीकरण, सेना और कमान मुख्यालयों का पुनर्गठन, कमान, कोर और क्षेत्रीय मुख्यालय सीमाओं का पुनर्गठन। अन्य चर्चा एजेंडे में विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे का विकास, भूमि, वायु, साइबर और अंतरिक्ष को शामिल करने के लिए मल्टी-डोमेन और क्रॉस-डोमेन परिचालन क्षमताओं को बढ़ाना शामिल है।

वर्तमान क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ लेकर डेटा-केंद्रित व्यवहार के संचालन पर विचार-विमर्श किया गया। इसके अलावा, मैकेनाइज्ड फोर्सेज, आर्टिलरी, कॉम्बैट एविएशन, एयर डिफेंस और इन्फैंट्री के उन्नयन के लिए क्षमता विकास की रूप रेखा पर चर्चा की गई, जिसमें लॉजिस्टिक्स, गोला-बारूद के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के विकल्पों, मल्टी डोमेन संचालन का समर्थन करने के लिए नई संरचनाओं की आवश्यकता और सिस्टम, प्रक्रियाओं और कार्यों के स्वचालन और नेटवर्किंग में तेजी लाने के लिए ढांचे पर चर्चा की गई।

थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) ने सभी हितधारकों से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने, उपकरणों, प्लेटफार्मों और हथियारों के स्वदेशीकरण में आत्मनिर्भरता हासिल करने का प्रयास करने, न केवल विश्व स्तरीय उपकरण विकसित करने में भारतीय रक्षा उद्योगों का समर्थन करने, बल्कि एक अग्रणी रक्षा निर्यातक बनने में भी सहायता करने का आह्वान किया।

लॉजिस्टिक्स, संचार और अन्य आवश्यक सेवाओं के लिए सामान्य सैन्य स्टेशनों और इकाइयों की स्थापना की आवश्यकता के अलावा संयुक्त सेवा संरचनाओं और संगठनों को मजबूत करने के लिए सशस्त्र बलों में संयुक्तता और एकीकरण को बढ़ाने की कार्रवाइयों पर भी चर्चा की गई। सभी रैंकों के कर्मियों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता में सुधार लाने के उद्देश्य से मानव संसाधन विकास पहल पर भी विचार-विमर्श किया गया।

मुख्य चर्चाएँ और पहल

  • अधिकतम दक्षता और परिचालन तत्परता सुनिश्चित करने के लिए सेना मुख्यालय, कमान मुख्यालय और अन्य प्रमुख संरचनाओं का पुनर्गठन।
  • सभी लड़ाकू हथियारों, लड़ाकू सहायता हथियारों और लॉजिस्टिक्स इकाइयों का आधुनिकीकरण।
  • युद्ध की भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच संयुक्त संचालन और एकीकरण को बढ़ाना।
  • स्वदेशीकरण के लिए प्रतिबद्धता, घरेलू रक्षा उद्योग का समर्थन करना और एक प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूप में भारत की स्थिति को सुविधाजनक बनाना।

अतिरिक्त पहलें

  • निम्नलिखित पहलों को शामिल करने के लिए राष्ट्रीय दृष्टिकोण से जुड़ी भारतीय सेना की चल रही पहलों के साथ चर्चा समाप्त हुई:
  • सैन्य शिक्षा और प्रशिक्षण: सैन्य शिक्षा में भारत के नेतृत्व पर प्रकाश डाला गया, संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र (सीयूएनपीके) को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में मान्यता प्रदान की गई।
  • रक्षा कूटनीति: रक्षा विंगों की संख्या बढ़ाना, संयुक्त राष्ट्र मिशनों में भारतीय सेना की भूमिका बढ़ाना और विदेशी देशों के साथ संयुक्त अभ्यास में भागीदारी करना।
  • संपूर्ण राष्ट्र दृष्टिकोण: गति शक्ति जैसी राष्ट्रीय पहल में सेना की भागीदारी पर चर्चा की गई, जिसमें दोहरे उपयोग वाले बुनियादी ढांचे की पहचान और विकास में महत्वपूर्ण प्रगति हुई।
  • स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा: भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचएस) और सैन्य अस्पतालों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा में भारतीय सेना के योगदान के साथ-साथ कौशलवीर योजना जैसी पहल के माध्यम से शिक्षा और कौशल विकास में इसकी भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया।
  • युवा सशक्तिकरण और खेल: राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के माध्यम से युवाओं को सशक्त बनाने और ओलंपिक में संभावित पदक विजेताओं को विश्व स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए मिशन ओलंपिक के माध्यम से खेलों को प्रोत्साहन प्रदान करने में सेना के प्रयास। 

बैठक के दौरान चर्चाओं ने भविष्य के लिए तैयार बल के रूप में विकसित होने की भारतीय सेना की प्रतिबद्धता की पुष्टि कीजो न केवल राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने में सक्षम है बल्कि विकसित भारत@2047 के दृष्टिकोण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।

 

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केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सामाजिक-धार्मिक संगठनों से मादक पदार्थों की लत, अवैध खनन और गोवंश की तस्करी के विरुद्ध अभियान में सम्मिलित होने की अपील की

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज जम्मू-कश्मीर के सामाजिक-धार्मिक संगठनों से मादक पदार्थों की लत, अवैध खनन और गोवंश की तस्करी जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ चल रहे अभियान में सम्मिलित होने की जोरदार अपील की।

डॉ. जितेंद्र सिंह नई दिल्ली में रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर श्री अमरनाथ जी यात्रा कल्याण समिति द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया, “सरकार ने युवाओं के भविष्य को बचाने के लिए उन्हें मादक पदार्थों की लत से दूर करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया है तथा कठुआ और इसके आसपास के इलाकों में अवैध खनन करने वालों, क्रशरों और पशु तस्करों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की है।” उन्होंने आग्रह किया, “अब, सामाजिक-धार्मिक संगठनों को इस दिशा में सरकार के प्रयासों को पूरा करने और समाज को इन बुराइयों से छुटकारा दिलाने के लिए समाज में अपने प्रभाव का उपयोग करना चाहिए।” डॉ. जितेंद्र सिंह ने सामाजिक-धार्मिक संगठनों से सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाने को भी कहा ताकि अधिक से अधिक लोग इन कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित हो सकें। उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा, “पीएम-आवास योजना और पीएम विश्वकर्मा योजना जैसी योजनाएं समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुंचाने के लिए शुरू की गई हैं, भले ही उनका राजनीतिक झुकाव, धार्मिक विश्वास, जाति और क्षेत्र कुछ भी हो।” डॉ. जितेंद्र सिंह ने इन संगठनों से कार्यशालाएं आयोजित करने और कृषि-स्टार्टअप के बारे में जागरूकता पैदा करने की भी अपील की ताकि बेरोजगार युवा पर्पल रिवोल्यूशन की सफलता से प्रेरणा लेकर अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू कर सकें। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “जम्मू-कश्मीर के कृषि उद्यमी इस क्रांति के अग्रदूत हैं।” उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर ने शेष भारत को अनुकरण के लिए एक नई शैली प्रदान की है।

केंद्रीय मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को संस्थागत बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा की। डॉ. जितेंद्र सिंह ने रेखांकित करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 70 वर्षों के बाद सफल पंचायत चुनाव कराकर जम्मू-कश्मीर को वास्तविक स्वशासन और स्वायत्तता प्रदान की है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) के सशक्तिकरण की प्रक्रिया जारी है। डॉ. सिंह ने कहा, “पहले, केवल स्व-शासन के नारे थे, लेकिन मोदी सरकार ने संविधान में 74वें संशोधन को लागू करके एक उदाहरण पेश किया है, जो पंचायतों और नगर पालिकाओं सहित स्थानीय निकायों को सत्ता के विकेंद्रीकरण का एक बुनियादी ढांचा प्रदान करता है।”

इससे पहले कार्यक्रम में रक्षा बंधन समारोह के हिस्से के रूप में, वेद मंदिर की लड़कियों के एक समूह ने आगे आकर डॉ. जितेंद्र सिंह की कलाई पर राखी बांधी। इस अवसर पर, केंद्रीय मंत्री ने दान एवं प्रसाद के माध्यम से सामुदायिक रसोई में योगदान देने के लिए कई संगठनों और व्यवसायों के प्रतिनिधियों को भी सम्मानित किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने उनके योगदान की प्रशंसा की और उनके काम की सराहना की। डॉ. सिंह ने कहा, “इन महान संगठनों से जुड़े लोग समाज के नैतिक संरक्षक हैं।” केंद्रीय मंत्री ने श्री अमरनाथ जी यात्रा के पिछले संस्करणों पर तस्वीरों का एक संकलन भी जारी किया।

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केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और रसायन एवं उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा ने नई दिल्ली में ‘प्रथम नीति निर्माता फोरम’ का उद्घाटन किया

 केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री जे.पी.नड्डा ने आज यहां ‘प्रथम नीति निर्माता फोरम’ का उद्घाटन किया, जो 22 अगस्त 2024 तक चलेगा। वैश्विक फार्मास्युटिकल क्षेत्र में भारत की स्थिति को ऊंचा करने के लिए, भारतीय फार्माकोपिया आयोग (आईपीसी) ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के सहयोग से 15 देशों के नीति निर्माताओं और दवा नियामकों के एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी की। फोरम में फार्माकोपिया और दवा सुरक्षा निगरानी के लिए नवीन डिजिटल प्लेटफॉर्म का शुभारंभ किया गया।

भारतीय फार्माकोपिया (आईपी) की वैश्विक मान्यता का विस्तार करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए, मंच में बुर्किना फासो, इक्वेटोरियल गिनी, घाना, गुयाना, जमैका, लाओ पीडीआर, लेबनान, मलावी, मोज़ाम्बिक, नाउरू, निकारागुआ, श्रीलंका, सीरिया, युगांडा और जाम्बिया सहित विभिन्न देशों की भागीदारी देखी गई। मंच का उद्देश्य आईपी की मान्यता और भारत की प्रमुख प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के कार्यान्वयन पर सार्थक चर्चा को बढ़ावा देना है, जिसे जनऔषधि योजना के रूप में जाना जाता है।

कार्यक्रम में भाग लेने वाले लैटिन अमेरिकी, अफ्रीकी, दक्षिण पूर्व एशियाई और प्रशांत क्षेत्रों के दवा नियामक प्राधिकरणों और स्वास्थ्य मंत्रालयों के प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए, श्री जे पी नड्डा ने कहा कि “यह मंच सुरक्षा, प्रभावकारिता पर विचारों का आदान-प्रदान करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करेगा।” और भाग लेने वाले देशों के बीच चिकित्सा फार्मास्युटिकल उत्पादों की गुणवत्ता यह सुनिश्चित करेगी कि हम रोगियों के लाभ के लिए उच्चतम मानकों को बनाए रखें। उन्होंने कहा, ”भारत की पहचान लंबे समय से ‘दुनिया की फार्मेसी’ के रूप में की गई है। हमें गर्व है कि हमारी जेनेरिक दवाएं मलेरिया, एचआईवी-एड्स और तपेदिक जैसी बीमारियों के इलाज में मदद करती हैं जिन्हें आमतौर पर विकासशील देशों की स्वास्थ्य समस्याएं माना जाता है।

इन बीमारियों के उन्मूलन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए, श्री नड्डा ने कहा कि “यह योगदान वैश्विक स्वास्थ्य के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और विकासशील देशों में स्वास्थ्य सेवा अंतर को पाटने में इसकी जिम्मेदारी को रेखांकित करता है”। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि “चूंकि एचआईवी-एड्स के लिए दवाएं देना बहुत महंगा है और यह विकासशील देशों के लिए बोझ बन गया है, इसलिए भारतीय निर्माता आगे आए और प्रभावी और सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया।”

नड्डा ने आगे कहा कि “भारत हमेशा टीकों के उत्पादन और आपूर्ति में विश्व में अग्रणी रहा है, जो टीकों की वैश्विक आपूर्ति में लगभग 60 प्रतिशत का योगदान देता है।” उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी वैक्सीन मांग का 70 प्रतिशत भारत से खरीदता है। उन्होंने कहा, “कोविड-19 महामारी के दौरान, भारत ने वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के तहत दुनिया भर के कई देशों को कोविड-19 टीकों की आपूर्ति की। यह बिना किसी भेदभाव के मानवता की सेवा करने की भारत की प्रतिबद्धता को उजागर करता है”।

श्री नड्डा ने टिप्पणी की, “भारत ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को मूर्त रूप देते हुए विभिन्न पहलों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोगों के माध्यम से वैश्विक स्वास्थ्य कूटनीति और फार्मास्युटिकल नेतृत्व में उल्लेखनीय प्रगति की है।” प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारत ने जन औषधि योजना सहित कई प्रमुख पहल शुरू की हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश भर में जन औषधि केंद्र स्थापित करके समाज के सभी वर्गों, विशेषकर वंचितों को उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं उपलब्ध कराना है। ये केंद्र गुणवत्ता से समझौता किए बिना, अधिक किफायती कीमतों पर ब्रांडेड दवाओं के समान गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाएं प्रदान करते हैं। इस योजना के माध्यम से आपूर्ति की जाने वाली सभी दवाएं भारतीय फार्माकोपिया द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करती हैं। भारत में इस पहल की सफलता एक ऐसे मॉडल के रूप में खड़ी है जिसे अन्य देशों द्वारा किफायती स्वास्थ्य देखभाल तक वैश्विक पहुंच में सुधार के लिए अपनाया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त, भारत सरकार ने दवाओं और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए कई पहल शुरू की हैं। उदाहरण के लिए, आयुष्मान भारत योजना दुनिया का सबसे बड़ा सरकारी फंडेड स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है, जो 6,000 अमेरिकी डॉलर की लागत पर 500 मिलियन से अधिक लोगों को आश्वासन और बीमा कवरेज प्रदान करता है। प्रधान मंत्री के नेतृत्व में, यह योजना “समाज के सबसे कमजोर वर्ग के लिए स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है”।

कार्यक्रम में भाग लेने वाले लैटिन अमेरिकी, अफ्रीकी, दक्षिण पूर्व एशियाई और प्रशांत क्षेत्रों के दवा नियामक प्राधिकरणों और स्वास्थ्य मंत्रालयों के प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए, श्री जे पी नड्डा ने कहा कि “यह मंच सुरक्षा, प्रभावकारिता पर विचारों का आदान-प्रदान करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करेगा” और भाग लेने वाले देशों के बीच चिकित्सा फार्मास्युटिकल उत्पादों की गुणवत्ता यह सुनिश्चित करेगी कि हम रोगियों के लाभ के लिए उच्चतम मानकों को बनाए रखें। उन्होंने कहा, ”भारत की पहचान लंबे समय से ‘दुनिया की फार्मेसी’ के रूप में की गई है। हमें गर्व है कि हमारी जेनेरिक दवाएं मलेरिया, एचआईवी-एड्स और तपेदिक जैसी बीमारियों के इलाज में मदद करती हैं जिन्हें आमतौर पर विकासशील देशों की स्वास्थ्य समस्याएं माना जाता है।

फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव डॉ. अरुणीश चावला ने कहा कि, “एक वैश्विक प्रवृत्ति उभर रही है क्योंकि मरीज़ तेजी से जेनेरिक दवाओं का विकल्प चुन रहे हैं। जेनेरिक दवाएं डब्ल्यूएचओ मानकों और प्रथाओं के समकक्ष नियामक मानकीकरण का पालन करती हैं और ब्रांडेड दवाओं की तुलना में कम से कम 50 से 90 प्रतिशत सस्ती होती हैं। दुनिया में जेनेरिक दवाओं की ओर बढ़ने की भावना बढ़ रही है।” जनऔषधि कार्यक्रम की सफलता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि, “सिर्फ 10 वर्षों की छोटी सी अवधि में, जेनेरिक दवाओं के कारण अपनी जेब से खर्च में 40% से अधिक की गिरावट आई है, जो जन आरोग्य कार्यक्रम की सफलता का प्रमाण है और देश के कोने-कोने में 10,000 से ज्यादा जनऔषधि केंद्र चल रहे हैं। जन आरोग्य एक सामाजिक सेवा है जिसे हम दुनिया के अन्य हिस्सों में अन्य देशों की मदद के लिए पेश करना चाहते हैं जहां स्वास्थ्य देखभाल व्यय एक प्रमुख चिंता का विषय है।

इस आयोजन का मुख्य आकर्षण माननीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और रसायन और उर्वरक मंत्री द्वारा दो महत्वपूर्ण डिजिटल प्लेटफार्मों- आईपी ऑनलाइन पोर्टल और प्रतिकूल दवा प्रतिक्रिया निगरानी प्रणाली (एडीआरएमएस) सॉफ्टवेयर। आईपी ऑनलाइन पोर्टल भारतीय फार्माकोपिया को डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़े कदम का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे दवा मानकों को दुनिया भर के हितधारकों के लिए अधिक सुलभ बनाया जा सके। यह पहल ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान के तहत पर्यावरण के अनुकूल समाधानों को बढ़ावा देने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।

भारत के फार्माकोविजिलेंस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में विकसित एडीआरएमएस सॉफ्टवेयर, भारतीय आबादी की जरूरतों के अनुरूप भारत का पहला स्वदेशी चिकित्सा उत्पाद सुरक्षा डेटाबेस है। यह दवाओं और चिकित्सा उपकरणों से संबंधित प्रतिकूल घटनाओं के संग्रह और विश्लेषण की सुविधा प्रदान करता है, जिससे देश के फार्माकोविजिलेंस बुनियादी ढांचे को काफी मजबूती मिलती है। यह सॉफ़्टवेयर न केवल रिपोर्टिंग प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है, बल्कि उपभोक्ताओं और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को सीधे प्रतिकूल घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए सशक्त बनाता है, जिससे सुरक्षा जानकारी का अधिक व्यापक कैप्चर सुनिश्चित होता है।

इन डिजिटल पहलों से दवा सुरक्षा निगरानी और मानकों के अनुपालन की पहुंच और दक्षता में वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे वैश्विक फार्मास्युटिकल परिदृश्य में एक नेता के रूप में भारत की स्थिति को और बढ़ावा मिलेगा।

इन डिजिटल प्लेटफार्मों का सफल लॉन्च और नीति निर्माताओं के फोरम में चल रही चर्चाएं यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों को दर्शाती हैं कि भारतीय फार्माकोपिया और स्वास्थ्य देखभाल मानकों को दुनिया भर में मान्यता और सम्मान मिले। यह फार्मास्युटिकल क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करता है, जो सहयोग, नवाचार और नेतृत्व के माध्यम से वैश्विक स्वास्थ्य में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है।

आज आयोजित फोरम सत्र के दौरान, विदेशी प्रतिनिधियों ने चिकित्सा उत्पादों की सुरक्षा, प्रभावकारिता और गुणवत्ता पर अपने भारतीय समकक्षों के साथ गहन चर्चा की। फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने जनऔषधि योजना पर केंद्रित चर्चा का नेतृत्व किया, जिसमें यह पता लगाया गया कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सस्ती दवाओं तक पहुंच में सुधार के लिए इस पहल को कैसे अपनाया जा सकता है, जो वैश्विक स्वास्थ्य समानता के लिए भारत की प्रतिबद्धता को और प्रदर्शित करता है।

यात्रा के हिस्से के रूप में, प्रतिनिधियों को आगरा में एक जन औषधि केंद्र का पता लगाने का कार्यक्रम है, जिससे सस्ती स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के भारत के प्रयासों की प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त होगी। वे हैदराबाद में जीनोम वैली में अत्याधुनिक वैक्सीन और दवा विनिर्माण सुविधाओं और अनुसंधान केंद्रों का भी दौरा करेंगे, जो दवा उत्पादन में भारत की क्षमताओं और वैश्विक स्वास्थ्य मानकों को आगे बढ़ाने के प्रति समर्पण की व्यापक समझ प्रदान करेंगे।

डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी, औषधि महानियंत्रक (भारत) और सचिव-सह-वैज्ञानिक निदेशक, आईपीसी; श्री राजीव वधावन, संयुक्त सचिव, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय; कार्यक्रम के दौरान विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री रोहित रथीश और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज अहमदाबाद में CAA के तहत 188 शरणार्थी बहनों-भाइयों को नागरिकता प्रमाण पत्र प्रदान किये

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज अहमदाबाद में CAA के तहत 188 शरणार्थी बहनों-भाइयों को नागरिकता प्रमाण पत्र प्रदान किये। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि CAA देश में बसे लाखों लोगों को सिर्फ नागरिकता देने का नहीं, बल्कि न्याय और अधिकार देने का कानून है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की तुष्टिकरण की नीति के कारण 1947 से 2014 तक देश में शरण लेने वाले लोगों को अधिकार और न्याय नहीं मिला। उन्होंने कहा कि इन लोगों को न सिर्फ पड़ोसी देशों में बल्कि यहां भी प्रताड़ना सहनी पड़ी। श्री शाह ने कहा कि ये लाखों-करोड़ों लोग तीन-तीन पीढ़ियों तक न्याय के लिए तरसते रहे लेकिन विपक्ष की तुष्टिकरण की नीति के कारण इन्हें न्याय नहीं मिला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इन लाखों-करोड़ों लोगों को न्याय देने का काम किया है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज़ादी के समय भारत का विभाजन धर्म के आधार पर किया गया और उस समय भीषण दंगे हुए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले करोड़ों हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई समुदाय के लोग अपनी वेदना नहीं भूल सकते। उन्होंने कहा कि उस वक्त विभाजन का फैसला करते हुए तत्कालीन सरकार ने वादा किया था कि पड़ोसी देशों से आने वाले  हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई संप्रदायों के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। श्री शाह ने कहा कि चुनाव आते-आते तत्कालीन सरकार के नेता इन वादों से मुकरते गए और 1947, 1948 और 1950 में किए गए इन वादों को भुला दिया गया। उन्होंने कहा कि उस समय की सरकार ने इन लोगों को इसी लिए नागरिकता नहीं दी कि इससे उनका वोट बैंक नाराज़ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण की नीति के कारण इन लाखों-करोड़ों लोगों को नागरिकता से वंचित रखा गया और इससे बड़ा पाप कोई नहीं हो सकता।

अमित शाह ने कहा कि ये करोड़ों लोग भाग कर और प्रताड़ना झेलकर आए, कईयों ने अपना परिवार और संपत्ति सब गंवा दी लेकिन यहां उन्हें नागरिकता तक नहीं मिली। उन्होंने कहा कि 1947 से 2019 और 2019 से 2024 तक की यात्रा को इस देश का इतिहास हमेशा याद रखेगा। उन्होंने कहा कि जो लोग अपना आत्मसम्मान बचाने यहां आए उन्हें क्यों इस देश की नागरिकता नहीं मिल सकती। श्री शाह ने कहा कि एक ओर तो पिछली सरकारों ने करोड़ों लोगों को सीमापार से घुसपैठ कराकर अवैध रूप से भारत का नागरिक बना दिया, तो दूसरी ओर कानून को मानने वाले लोगों को कहा गया कि इसके लिए कोई कानून प्रावधान नहीं है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि कानून लोगों के लिए होता है न कि लोग कानून के लिए होते हैं। उन्होंने कहा कि हमने 2014 में वादा किया था कि हम CAA लाएंगे और 2019 में मोदी सरकार इस कानून को लेकर आई। उन्होंने कहा कि इस कानून के माध्यम से, करोड़ों हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, जिन्हें न्याय नहीं मिला था, उन्हें न्याय देने की शुरूआत हुई। श्री शाह ने कहा कि ये कानून 2019 में पारित हुआ था लेकिन उसके बाद भी सबको भड़काया गया कि इससे मुस्लिमों की नागरिकता चली जाएगी। गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस कानून में किसी की नागरिकता लेने का कोई प्रावधान नहीं है और ये नागरिकता देने का कानून है। उन्होंने कहा कि हमारे ही देश के लोग हमारे ही देश में निराश्रित बनकर रह रहे हैं, इससे बड़ा दुर्भाग्य और विडंबना क्या हो सकती है। श्री शाह ने कहा कि कई सालों तक तुष्टिकरण की नीति के कारण ये नहीं हो सका था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में इस कानून को लाने का फैसला लिया।

अमित शाह ने कहा कि 2019 में  कानून पारित होने के बाद भी 2024 तक इन परिवारों को नागरिकता नहीं मिली क्योंकि देश में दंगे कराए गए और अल्पसंख्यकों को भड़काया गया। उन्होंने कहा कि CAA को लेकर देश में अफवाहें फैलाई गईं। इस कानून से किसी की नागरिकता नहीं जाती और ये हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध शरणार्थियों को नागरिकता देने का कानून है। श्री शाह ने कहा कि आज भी कुछ राज्य सरकारें लोगों को गुमराह कर रही हैं। गृह मंत्री ने देशभर के शरणार्थियों से अपील की कि वे नागरिकता प्राप्त करने के लिए बेझिझक आवेदन करें और इससे उनकी नौकरी, घर आदि पहले की तरह बरकरार रहेंगे।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस कानून में किसी प्रकार के क्रिमिनल केस का प्रोविजन नहीं है और सबको माफी दे दी गई है और ये इसलिए किया गया है कि नागरिकता देने में देरी सरकार के कारण हुई है आपके कारण नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यह कानून शरणार्थियों को न्याय देने और उनके साथ हुए अत्याचारों की क्षमा के साथ परिमार्जन के लिए उन्हें सम्मान देने का काम करेगा। अमित शाह ने कहा कि जब विभाजन हुआ था तब बांग्लादेश में 27 प्रतिशत हिंदू थे, आज 9% रह गए हैं, बाकी कहां गए। उन्होंने कहा कि वहां उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया और यहां हमारी शरण में आए लोगों को क्या अपनी इच्छा के अनुसार वहां अपने धर्म का पालन करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर पड़ोसी देश में सम्मान के साथ नहीं जी सकते और हमारी शरण में आते हैं तो हम मूक दर्शक बनकर नहीं रह सकते, यह नरेन्द्र मोदी सरकार है और इन लोगों को न्याय जरूर मिलेगा। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस कानून को लाने की मांग शरणार्थी लंबे समय से कर रहे थे और प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ फैसला लेते हुए इस कानून को पारित कराया। उन्होंने कहा कि इस कानून के पारित होने के बाद कुछ जगह हिंसक घटनाएं भी हुई लेकिन अंततोगत्वा 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नियम बनाकर हमने नागरिकता का अधिकार और सर्टिफिकेट दे दिया। अमित शाह ने कहा कि 2014 में श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा था कि इस देश का लोकतंत्र परिवारवाद, जातिवाद, तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार के 4 नासूरों से पीड़ित है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 साल में मोदी जी ने इन चारों नासूरों को उखाड़ने के लिए अथक प्रयास किए हैं। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस वर्ष 15 अगस्त को परिवारवाद के खिलाफ अपील की है कि ऐसे 1 लाख युवा राजनीति से जुड़ें, जिनके परिवार में से कोई राजनीति में न हो। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ भी जंग की। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने जातिवाद के नासूर को खत्म करने के लिए चार जातियां घोषित की- गरीब, महिला, युवा और किसान। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश के सामने एक नई प्रकार की राजनीतिक फिलॉसफी रखी और तुष्टिकरण की राजनीति को भी खत्म किया। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस देश के कई मसले ऐसे थे जो दशकों से अटके हुए थे। जैसे, 550 साल के बाद अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर बनाने का काम मोदी जी ने किया। इसी प्रकार, औरंगजेब द्वारा तोड़ा गया काशी विश्वनाथ मंदिर फिर से बन गया है, मोहम्मद बेगड़ा द्वारा तोड़ी गई पावागढ़ की शक्तिपीठ का भी पुनर्रूद्धार किया। उन्होंने कहा कि भारत में तीन तलाक समाप्‍त करने का काम भी नरेन्‍द्र मोदी जी ने किया। श्री शाह ने कहा कि आतंक की फैक्ट्री जिस सोच के कारण जन्मी और जिस सोच के कारण चलती थी उस सोच का पोषण करने वाली धारा 370 को भी प्रधानमंत्री मोदी ने समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार, करोड़ों हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन भाइयों को उनके अधिकार से वंचित रखने वाले कानून का संशोधन अटका हुआ था, उस CAA कानून को भी नरेन्द्र मोदी जी लेकर आए और इन लोगों को न्याय दिया। अमित शाह ने देशभर के शरणार्थियों से अपील करते हुए कहा कि विपक्षी दल उन्हें गुमराह करने का प्रयास करेंगे, लेकिन उन्हें डरना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग अलपसंख्यकों को गुमराह कर रहे हैं उन्हें मालूम होना चाहिए कि वे उनके साथ अन्याय कर रहे हैं। शाह ने कहा कि पिछली सरकारों की हिम्मत नहीं थी ये कानून लाने की, तो अब कम से कम इस पर अमल करने में विपक्षी दलों को मोदी सरकार का समर्थन करना चाहिए।

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केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 के परिणाम के बारे में भ्रामक दावों का विज्ञापन करने के लिए श्रीराम ग्रुप के आईएएस कोचिंग पर 3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने श्रीराम ग्रुप के आईएएस कोचिंग पर भ्रामक विज्ञापन के लिए 3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह निर्णय उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और संवर्धन के लिए लिया गया था और यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी वस्तु या सेवा का कोई गलत या भ्रामक विज्ञापन न किया जाए जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों का उल्लंघन करता हो।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के उल्लंघन के संदर्भ में सीसीपीए की मुख्य आयुक्त, श्रीमती निधि खरे और आयुक्त श्री अनुपम मिश्रा ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 के बारे में भ्रामक विज्ञापन के लिए श्रीराम ग्रुप के आईएएस कोचिंग संस्थान के खिलाफ एक आदेश जारी किया है।

कोचिंग संस्थान और ऑनलाइन एडटेक मंच संभावित उम्मीदवारों (उपभोक्ताओं) को प्रभावित करने के लिए एक ही सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रमों और इस तरह के पाठ्यक्रम की अवधि का खुलासा किए बिना उनकी तस्वीरों और नामों का उपयोग करते हैं।

श्रीराम ग्रुप के आईएएस कोचिंग संस्थान ने अपने विज्ञापन में निम्नलिखित दावे किए-

  1. “यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 में 200 से अधिक चयन”
  2. “हम भारत के नंबर 1 प्रतिष्ठित यूपीएससी/आईएएस कोचिंग संस्थान हैं”

सीसीपीए ने पाया कि श्रीराम ग्रुप के आईएएस कोचिंग संस्थान ने विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रमों का विज्ञापन दिया था, लेकिन उपर्युक्त यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा परिणामों में विज्ञापित सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम के संबंध में जानकारी जानबूझकर विज्ञापन में छिपाई गई थी। इसका प्रभाव यह हुआ कि उपभोक्ता गलत तरीके से यह मान लेते हैं कि संस्थान द्वारा दावा किए गए सभी सफल उम्मीदवारों ने संस्थान द्वारा अपनी वेबसाइट पर विज्ञापित सशुल्क पाठ्यक्रमों का विकल्प चुना था।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-2(28) (iv) जानबूझकर महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने के लिए भ्रामक विज्ञापन के सम्बन्ध मे कार्रवाही को दर्शाती है। सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रम की जानकारी उपभोक्ताओं के लिए जानना महत्वपूर्ण है ताकि वे यह तय करते समय सूचित विकल्प बना सकें कि किस पाठ्यक्रम और कोचिंग संस्थान में शामिल होना है।

श्रीराम ग्रुप के आईएएस कोचिंग संस्थान ने अपने जवाब में यूपीएससी सीएसई 2022 में 200 से अधिक चयनों के अपने दावे के खिलाफ केवल 171 सफल उम्मीदवारों का विवरण प्रस्तुत किया। इन 171 उम्मीदवारों में से 102 मुफ्त साक्षात्कार मार्ग दर्शन कार्यक्रम (आईजीपी) से थे, 55 मुफ्त परीक्षा श्रृंखला से थे, 9 सामान्य अध्ययन कक्षा पाठ्यक्रम से थे और 5 उम्मीदवार राज्य सरकार और संस्थान के बीच मुफ्त कोचिंग प्रदान करने के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के तहत विभिन्न राज्यों से थे। इस तथ्य का खुलासा उनके विज्ञापन में नहीं किया गया था, जिससे उपभोक्ताओं को धोखा दिया गया।

यह एक सर्वविदित तथ्य है कि सिविल सेवा परीक्षा के सफल उम्मीदवारों को परीक्षा के सभी 3 चरणों प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा और व्यक्तित्व परीक्षण (पीटी) को पास करना होता है। प्रारंभिक परीक्षा एक स्क्रीनिंग परीक्षा है, मुख्य परीक्षा और व्यक्तित्व परीक्षण दोनों में प्राप्त अंकों को अंतिम रूप से चयनित होने के लिए गिना जाता है। मुख्य परीक्षा और पीटी के लिए कुल अंक क्रमशः 1750 और 275 हैं। इस प्रकार व्यक्तित्व परीक्षण का योगदान कुल अंकों में 13.5 प्रतिशत है। अधिकांश उम्मीदवारों ने पहले ही प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा स्वंय ही पास कर ली थी, जिसमें श्रीराम ग्रुप के आईएएस कोचिंग संस्थान का कोई योगदान नहीं था। श्रीराम ग्रुप के आईएएस कोचिंग संस्थान द्वारा इस महत्वपूर्ण तथ्य को बताया नही गया कि संस्थान ने केवल ऐसे सफल उम्मीदवारों को मार्गदर्शन दिया है जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पहले ही पास कर ली है, इस तरह के झूठे और भ्रामक विज्ञापन द्वारा यूपीएससी परीक्षा के इच्छुक उम्मीदवारों पर गलत प्रभाव पड़ता है। इस प्रकार, विज्ञापन ने उपभोक्ता के सूचित किए जाने के अधिकार का उल्लंघन किया है ताकि अनुचित व्यापार व्यवहार से खुद को बचा सके।

सीसीपीए की मुख्य आयुक्त श्रीमती निधि खरे ने इस बात पर जोर दिया कि एक विज्ञापन में महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा करके तथ्यों का सत्य और ईमानदार प्रतिनिधित्व होना चाहिए ताकि वे स्पष्ट, प्रमुख हों और उपभोक्ताओं के लिए उन्हें नज़रअंदाज़ करना बेहद मुश्किल हो। उन्होंने उपभोक्ता अधिकारों के महत्व तथा उपभोक्ताओं को सटीक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए विज्ञापनदाताओं के दायित्व पर प्रकाश डाला।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एमपॉक्स को अंतर्राष्ट्रीय चिंता के रूप में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने के मद्देनजर एमपॉक्स की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एमपॉक्स की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सलाह के अनुसार, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा ने देश में एमपॉक्स को लेकर तैयारियों की स्थिति और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी उपायों की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अफ्रीका के कई हिस्सों में इसके व्यापक प्रसार को देखते हुए 14 अगस्त, 2024 को एमपॉक्स को फिर से अंतर्राष्ट्रीय चिंता और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) घोषित किया है। डब्ल्यूएचओ के एक पूर्व वक्तव्य के अनुसार, 2022 से वैश्विक स्तर पर 116 देशों से एमपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की गई थीं। इसके बाद, उन्होंने बताया है कि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एमपॉक्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले साल, रिपोर्ट किए गए मामलों में काफी वृद्धि हुई और इस साल अब तक दर्ज किए गए मामलों की संख्या पिछले साल की कुल संख्या से अधिक हो गई है, जिसमें 15, 600 से अधिक मामले और 537 मौतें शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ द्वारा 2022 में अंतर्राष्ट्रीय चिंता से जुड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने के बाद से भारत में 30 मामले सामने आए हैं। एमपॉक्स का आखिरी मामला मार्च 2024 में पता चला था।

उच्चस्तरीय बैठक में बताया गया कि अभी तक देश में एमपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है। वर्तमान आकलन के अनुसार, निरंतर संक्रमण के साथ बड़े प्रकोप का जोखिम कम है।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव को बताया गया कि एमपॉक्स संक्रमण आम तौर पर अपने-आप में 2-4 सप्ताह तक चलने वाला संक्रमण है; एमपॉक्स के मरीज आमतौर पर सहायक चिकित्सा देखभाल और प्रबंधन से ठीक हो जाते हैं। एमपॉक्स से संक्रमित मरीज के साथ लंबे समय तक और निकट संपर्क के माध्यम से इसका संक्रमण होता है। यह मुख्य रूप से यौन मार्ग, मरीज के शरीर/घाव द्रव के साथ सीधे संपर्क या संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों/लिनन के माध्यम से होता है।

स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि पिछले एक सप्ताह में निम्नलिखित कदम उठाए जा चुके हैं:

o भारत के लिए जोखिम का आकलन करने के लिए 12 अगस्त, 2024 को राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) द्वारा विशेषज्ञों की एक बैठक बुलाई गई थी।

o एनसीडीसी द्वारा पहले जारी किए गए एमपॉक्स पर एक संक्रामक रोग (सीडी) अलर्ट को नए घटनाक्रमों का पता लगाने के लिए अद्यतन किया जा रहा है।

o अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों (प्रवेश के बंदरगाहों) पर स्वास्थ्य टीमों को संवेदनशील बनाया गया है।

यह भी बताया गया कि आज सुबह महानिदेशक स्वास्थ्य सेवा (डीजीएचएस) द्वारा 200 से अधिक प्रतिभागियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस बुलाई गई थी। इस संबंध में राज्यों में एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) इकाइयों और प्रवेश के बंदरगाहों आदि सहित राज्य स्तर पर स्वास्थ्य अधिकारियों को संवेदनशील बनाया गया।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने निर्देश दिया कि निगरानी बढ़ाई जाए और मामलों का शीघ्र पता लगाने के लिए प्रभावी उपाय किए जाएं। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि प्रारंभिक निदान के लिए परीक्षण प्रयोगशालाओं के नेटवर्क को तैयार किया जाना चाहिए। वर्तमान में 32 प्रयोगशालाएं परीक्षण के लिए सुसज्जित हैं।

डॉ. पी.के. मिश्रा ने निर्देश दिया कि बीमारी की रोकथाम और उपचार के लिए प्रोटोकॉल बड़े पैमाने पर प्रसारित किए जा सकते हैं। इसके बाद उन्होंने स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच बीमारी के संकेतों और लक्षणों के बारे में जागरूकता अभियान एवं निगरानी प्रणाली को समय पर सूचित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

नीति के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल, सचिव (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) श्री अपूर्व चंद्रा, सचिव (स्वास्थ्य अनुसंधान) डॉ. राजीव बहल, सदस्य सचिव (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) श्री कृष्ण एस वत्स, सचिव (सूचना एवं प्रसारण) श्री संजय जाजू और मनोनीत गृह सचिव श्री गोविंद मोहन और अन्य मंत्रालयों के अधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लिया।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चेन्नई में कलैग्नार एम करुणानिधि की जन्म शताब्दी के अवसर पर स्मारक सिक्का जारी किया

रक्षा मंत्री  राजनाथ सिंह ने 18 अगस्त, 2024 को चेन्नई में तमिलनाडु के पांच बार के पूर्व मुख्यमंत्री कलैग्नार एम करुणानिधि की जन्म शताब्दी के अवसर पर एक स्मारक सिक्का जारी किया। रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में, उन्हें देश के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक नेता, भारतीय राजनीति के दिग्गज, एक सक्षम प्रशासक, सामाजिक न्याय के समर्थक और एक सांस्कृतिक दिग्गज बताया।

रक्षा मंत्री ने जनता की भलाई के लिए तमिलनाडु के पूर्व मुख्य मंत्री के योगदान का स्मरण करते हुए कहा, “तमिल पहचान में गहराई से शामिल होने के बावजूद, थिरु करुणानिधि ने कभी भी क्षेत्रवाद को राष्ट्र की एकता को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी। उन्होंने समझा कि भारतीय लोकतंत्र की ताकत विविध आवाजों और पहचानों को समायोजित करने की क्षमता में निहित है। राज्य के अधिकारों पर उनका आग्रह संघ के भीतर सत्ता के अधिक संतुलित और न्यायसंगत वितरण का आह्वान था। संघवाद के प्रति यह प्रतिबद्धता भारतीयता का एक प्रमुख पहलू है। भारत की विविधता इसकी ताकत है और संघीय संरचना इस विविधता को एक एकीकृत ढांचे के भीतर पनपने की अनुमति देती है।”

श्री राजनाथ सिंह ने कलैग्नार करुणानिधि को एक ऐसा नेता बताया जिनकी राष्ट्रीय शासन में भूमिका और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की वकालत ने भारतीय लोकतंत्र पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने कहा कि भारतीय पहचान की समावेशी प्रकृति तिरु करुणानिधि की नीतियों में परिलक्षित होती है, जो हाशिए पर रहने वाले कमज़ोर लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच प्रदान करने और यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित है कि महिलाओं और बच्चों को आगे बढ़ने के लिए आवश्यक सहायता मिले।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा, “कलैग्नार करुणानिधि महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले कमज़ोर समुदायों के अधिकारों के लिए एक प्रखर समर्थक थे। उन्होंने ऐसे सुधारों का नेतृत्व किया, जिन्होंने लैंगिक समानता को प्रोत्साहन दिया और महिलाओं को सशक्त बनाया। उनकी सरकार ने स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला कानून बनाया और उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कृषि मजदूरों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों सहित असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए कल्याण बोर्ड बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका काम एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि किसी राष्ट्र की प्रगति का असली माप इस बात में निहित है कि वह अपने सबसे कमजोर नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार करता है।”

तिरु करुणानिधि को एक कुशल प्रशासक बताते हुए श्री राजनाथ सिंह ने उनके कार्यक्रम ‘मनु निधि थित्तम’ का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने जिला अधिकारियों को हर सप्ताह एक दिन केवल लोगों की समस्याओं को सुनने के लिए आरक्षित करने का आदेश दिया था। श्री राजनाथ सिंह ने कहा, “मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल का सबसे महत्वपूर्ण पहलू शिक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करना था। उनकी दृष्टि केवल तमिलनाडु तक ही सीमित नहीं थी। उन्होंने माना कि किसी एक राज्य की प्रगति समग्र रूप से राष्ट्र की प्रगति में योगदान देती है। उनका कार्य आत्मनिर्भरता और प्रगति की भारतीय भावना का प्रमाण है। उनकी विरासत यह याद दिलाती है कि क्षेत्रीय विकास राष्ट्रीय विकास का अभिन्न अंग है। यह सहकारी संघवाद के विचार का सबसे अच्छा उदाहरण है।”

रक्षा मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार लोकतंत्र और सहकारी संघवाद की शक्ति में विश्वास करती है। उन्होंने कहा कि भारत न केवल अपने 1.4 अरब लोगों की आकांक्षाओं को पूरा कर रहा है, बल्कि यह लोगों को यह आशा भी दे रहा है कि लोकतंत्र विकास प्रदान करता है और लोगों को सशक्त बनाता है।

श्री राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु दोनों में रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित करने के निर्णय का उदाहरण बताते हुए इस बात पर बल दिया कि विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पक्षपातपूर्ण राजनीति से परे है। उन्होंने कहा, “इन गलियारों का उद्देश्य घरेलू रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन देना और आयात पर निर्भरता कम करना है। इन्हें निवेश आकर्षित करने, नवाचार को प्रोत्साहन देने और भारत में रक्षा उत्पादन के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।” उन्होंने दक्षिण भारत के साथ उत्तर और पश्चिम भारत के सांस्कृतिक एकीकरण का उत्सव मनाने के उद्देश्य से काशी-तमिल संगमम और सौराष्ट्र-तमिल संगमम पहल पर भी प्रकाश डाला।

रक्षा मंत्री ने कलैग्नार करुणानिधि को एक विपुल लेखक, कवि और नाटककार बताया, जिनके कार्यों ने तमिल साहित्य और सिनेमा को समृद्ध किया। उन्होंने कहा, “तमिल भाषा और संस्कृति को प्रोत्साहन देने के उनके प्रयास उनके इस विश्वास पर आधारित थे कि किसी की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करना और उसका उत्सव मनाना व्यापक भारतीय पहचान के लिए आवश्यक है।“ यह कार्यक्रम तमिलनाडु सरकार द्वारा आयोजित किया गया था और इसमें मुख्यमंत्री श्री एमके स्टालिन और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और संसदीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. एल मुरुगन सहित अन्य लोगों ने भाग लिया।

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