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राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 के लिए स्व-नामांकन की अंतिम तिथि 15 जुलाई, 2024 है

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 के लिए पात्र शिक्षकों से ऑनलाइन स्व-नामांकन 27 जून, 2024 से शिक्षा मंत्रालय के पोर्टल http://nationalawardstoteachers.education.gov.in पर आमंत्रित किए जा रहे हैं। ऑनलाइन नामांकन प्राप्त करने की अंतिम तिथि 15 जुलाई, 2024 है। इस वर्ष, 50 शिक्षकों को तीन-चरणीय चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाएगा। यह चयन प्रक्रिया जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर होगी। यह पुरस्कार 5 सितंबर, 2024 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित होने वाले एक समारोह में भारत की राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाएगा।

शिक्षा मंत्रालय का विद्यालयी शिक्षा और साक्षरता विभाग हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर एक राष्ट्रीय स्तर का समारोह आयोजित करता है, जिसमें कठिन, पारदर्शी और ऑनलाइन चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुने गए देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार दिये जाते हैं। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार का उद्देश्य देश के कुछ बेहतरीन शिक्षकों के अनूठे योगदान को जश्न के रूप में मनाना और उन शिक्षकों को सम्मानित करना है, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और मेहनत से न सिर्फ विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है, बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध बनाया है।

पात्रता की शर्तें:

राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन, स्थानीय निकायों और राज्य/संघ राज्य क्षेत्र बोर्ड से संबद्ध निजी स्कूलों द्वारा संचालित मान्यता प्राप्त प्राथमिक/मध्य/उच्च/उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत विद्यालय शिक्षक और विद्यालय प्रमुख पुरस्कार के लिए पात्र हैं।

  • केंद्रीय विद्यालय (केवी), जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी), रक्षा मंत्रालय (एमओडी) द्वारा संचालित सैनिक स्कूल, परमाणु ऊर्जा शिक्षा सोसायटी (एईईएस) द्वारा संचालित विद्यालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा संचालित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस); और
  • केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और भारतीय विद्यालय प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (सीआईएससीई) से संबद्ध विद्यालय।

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हर्ष मल्होत्रा ​​ने दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे की प्रगति की समीक्षा के लिए साइट का दौरा किया

केन्‍द्रीय कॉरपोरेट कार्य; सड़क, परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ने 29.06.2024 को सांसद श्री मनोज तिवारी, करावल नगर विधायक श्री मोहन सिंह बिष्ट, गांधी नगर विधायक श्री अनिल वाजपेयी, निगम पार्षद  श्री  सत्यपाल सिंह, सुश्री नीता बिष्ट, श्री बृजेश सिंह, श्री संदीप कपूर, सुश्री नीमा भगत और दिल्ली नगर निगम के क्षेत्रीय पार्षदों और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे की प्रगति की समीक्षा के लिए साइट का दौरा किया। उन्होंने जलभराव की समस्या और इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर अन्य मुद्दों से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 709बी का भी निरीक्षण किया। साइट का दौरा एनएच-709बी के शमशान घाट (चेनेज किमी 5+100) के पास गीता कॉलोनी से शुरू हुआ और सोनिया विहार (चेनेज किमी 14+350) और सभापुर गांव (चेनेज किमी 15+300) तक जारी रहा। मंत्री ने दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि यह एक्सप्रेसवे पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर क्षेत्र में भीड़भाड़ कम करने में सहायक होगा और दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे पर भी भार कम करेगा। उन्होंने एक्सप्रेसवे को समय पर पूरा करने का निर्देश दिया ताकि इसे तय समय पर आम जनता के लिए खोला जा सके।

राष्ट्रीय राजमार्ग-9 पर जलभराव के संबंध में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों ने बताया कि एनएच के साथ एमसीडी/पीडब्ल्यूडी का एक समानांतर मास्टर ड्रेन है, जो कई वर्षों से अवरुद्ध है और उसमें पानी भरा हुआ है। इसके अलावा, राष्ट्रीय राजमार्ग का सतही नाला भी राजमार्ग के हिस्से के सतही पानी की निकासी के लिए समानांतर मास्टर ड्रेन से जुड़ा हुआ है। चूंकि एमसीडी/पीडब्ल्यूडी का समानांतर मास्टर ड्रेन अवरुद्ध है, इसलिए एनएच का सतही पानी मास्टर ड्रेन (जो पहले से ही अवरुद्ध है और सीमित क्षमता के कारण भरा हुआ है) में जाने के बजाय वापस एनएचएआई की सर्विस रोड पर भर जाता है। श्री मल्होत्रा ने एनएचएआई के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इस मुद्दे को एमसीडी/पीडब्ल्यूडी के साथ उठाएं, ताकि वे आवश्यक कार्रवाई कर सकें। श्री मल्होत्रा ने मौके पर निवासियों द्वारा उठाए गए मुद्दों का संज्ञान लिया और एनएचएआई के अधिकारियों को विकास कार्यों की तीव्र प्रगति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए, साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि कार्यों से स्थानीय निवासियों को किसी प्रकार की समस्या न हो। उन्होंने शमशान घाट गीता कॉलोनी, दिल्ली के पास पहले से प्रस्तावित दो यू टर्न (एक एलिवेटेड फ्लाईओवर के पास और एक मौजूदा फ्लाईओवर के पास) के निकट हल्के वाहनों को दोनों तरफ आवश्यक पहुंच प्रदान करने के लिए दो अतिरिक्त यू टर्न प्रदान करने का निर्देश दिया। उन्होंने लोगों को यह भी आश्वासन दिया कि फ्लाईओवर के नीचे हरित पट्टी क्षेत्र विकसित किया जाएगा, जो पर्यावरण के लिए वरदान साबित होगा।

सोनिया विहार के निवासियों द्वारा टोल प्लाजा को स्थानांतरित करने के अनुरोध के जवाब में, श्री मल्होत्रा ने आश्वासन दिया कि टोल प्लाजा को उत्तर प्रदेश की ओर 300 मीटर स्थानांतरित किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सोनिया विहार, दिल्ली के स्थानीय निवासियों को कोई टोल टैक्स न देना पड़े। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि उत्तर प्रदेश की ओर से नाले का पुनः नहरीकरण किया जाएगा। सभापुर गांव में, श्री मल्होत्रा ने एनएचएआई के अधिकारियों को जलभराव की समस्या का शीघ्र समाधान करने और यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि आज से ही काम शुरू हो जाए। अधिकारियों को वहां पाइपलाइनों की समीक्षा करने और जल्द से जल्द समस्याओं का समाधान करने के निर्देश भी दिए गए। उन्होंने आश्वासन दिया कि सर्विस रोड का निर्माण किया जाएगा, ताकि स्थानीय निवासियों को आस-पास के गांवों में आने-जाने में किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

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भारतीय नौसेना ने यूएच-3एच हेलीकॉप्टर को विदाई दी

भारतीय नौसेना ने 28 जून, 24 को आईएनएस डेगा, विशाखापत्तनम में आयोजित एक डी-इंडक्शन समारोह के दौरान 17 वर्ष की शानदार सेवा के बाद यूएच-3एच हेलीकॉप्टर को विदाई दी। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्वी नौसेना कमान के चीफ ऑफ स्टाफ वाइस एडमिरल समीर सक्सेना ने की। यूएच-3एच स्क्वाड्रन के अनुभवी अधिकारी और नाविक अपने परिवारों के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुये और हेलीकॉप्टर की महान सेवा को याद किया। यूएच-3एच हेलीकॉप्टर को ऑपरेशनल पावर और क्षमता को जारी रखने और इसे प्रदान करने के लिये आईएनएएस 350 में सी किंग 42सी हेलीकॉप्टर द्वारा प्रतिस्थापित किया जायेगा।

यूएच-3एच हेलीकॉप्टर का डी-इंडक्शन समारोह एक उल्लेखनीय युग का अंत दर्शाता है, जिसने विशेष संचालन और खोज और बचाव (एसएआर) मिशनों में अभिनव क्षमताओं को पेश किया। लगातार विकसित और गतिशील समुद्री वातावरण में यूएच-3एच की परिचालन भूमिका भारतीय नौसेना विमानन के इतिहास में हमेशा अंकित रहेगी।

वर्ष 2007 में आईएनएच जलाश्व के साथ भारतीय तटों पर लाये गये यूएच-3एच हेलीकॉप्टर को 24 मार्च, 2009 को आईएनएच डेगा, विशाखापत्तनम में ‘सारस’ नाम से आईएनएएस 350 में शामिल किया गया था। इस प्रतिभाशाली हेलीकॉप्टर ने मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) संचालन, अपतटीय प्रतिष्ठानों की सुरक्षा और विशेष अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इसकी उन्नत खोज और बचाव (एसएआर) क्षमताएं और रसद सहायता प्राकृतिक आपदाओं के दौरान बहुत अहम थीं, जो प्राय: निराशा और राहत के बीच अंतर करती थीं और अनगिनत लोगों की जान बचाती थीं। शक्तिशाली ‘सारस’ स्क्वाड्रन के शिखर को ‘शक्ति, वीरता और दृढ़ता’ के आदर्श वाक्य के रूप में सुशोभित करता है। हेलीकॉप्टर ने अपनी प्रतिबद्धता को पूरी लगन से निभाया, सतर्क निगरानी बनाये रखी और अटूट समर्पण के साथ हमारे देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की।

सेवा जीवन के अंत में, एक यूएच-3एच को ‘भाग्य के शहर’, विशाखापत्तनम में प्रमुख स्थान पर स्थायी रूप से प्रदर्शित किया जायेगा, जो भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। इस मौके पर चीफ ऑफ स्टाफ, पूर्वी नौसेना कमान समीर सक्सेना ने राज्य सरकार को एक स्मारक पट्टिका सौंपी। विमान के हस्तांतरण को चिह्नित करने के लिये पट्टिका को विशाखापत्तनम के संयुक्त कलेक्टर श्री के. मयूर अशोक विशाखापत्तनम ने प्राप्त किया।

 

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‘रद्द उड़ानों का पूरा रिफंड सुनिश्चित करने अथवा वैकल्पिक मार्ग का टिकट उपलब्ध कराने के लिए 24/7 वॉर रूम स्थापित किया जाएगा’

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री राममोहन नायडू ने आज प्रमुख अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की, जिसमें नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव, नागरिक उड्डयन महानिदेशक, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के अध्यक्ष, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो के महानिदेशक और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के संयुक्त सचिव भी शामिल थे। बैठक में मौजूदा स्थिति से निपटने और यात्रियों की सुरक्षा एवं सुविधा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:
  1. 24/7 वॉर रूम की स्थापना और टर्मिनल 2 एवं टर्मिनल 3 का कुशल प्रबंधन: नागरिक उड्डयन मंत्रालय की कड़ी निगरानी में एक 24/7 वॉर रूम की स्थापना की जाएगी। यह वॉर रूम यात्रियों को रद्द की गई उड़ानों का पूरा रिफंड सुनिश्चित करेगा अथवा उपलब्धता के अनुसार वैकल्पिक मार्ग का टिकट प्रदान करेगा। सभी रिफंड 7 दिनों के निर्धारित समय के भीतर प्रॉसेस किए जाएंगे। तत्काल सहायता के लिए यात्रियों को फोन नंबर सहित संपर्क विवरण प्रदान किए जाएंगे।

वॉर रूम हेल्पलाइन नंबर:

  • इंडिगो एयरलाइन
  1. टी2 टर्मिनल: 7428748308
  2. टी3 टर्मिनल: 7428748310
  • स्पाइसजेट
  1. टी3 टर्मिनल: 0124-4983410/ 0124-7101600
  2. 9711209864 (रोहित)

यात्रियों की सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने और टी1 के अस्थायी रूप से बंद होने के कारण टी2 एवं टी3 टर्मिनलों पर पड़ने वाले अतिरिक्त दबाव को संभालने के लिए विभिन्‍न उपायों को लागू करने पर जोर दिया गया।

  1. हवाई किराया संबंधी परामर्श: सभी विमानन कंपनियों को परामर्श जारी किया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मौजूदा स्थिति के कारण हवाई किराए में भारी वृद्धि न होने पाए। यात्रियों की असुविधा से बचने के लिए विमानन कंपनियों को किराये में स्थिरता बनाए रखनी होगी।
  2. ढांचागत मजबूती का निरीक्षण: भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) को सभी छोटे और बड़े हवाई अड्डों की ढांचागत मजबूती का व्‍यापक निरीक्षण करने के लिए एक परिपत्र जारी करने का निर्देश दिया गया है। ये निरीक्षण अगले 2 से 5 दिनों के भीतर पूरे किए जाने चाहिए और रिपोर्ट नागरिक उड्डयन मंत्रालय को प्रस्तुत की जानी चाहिए।
  3. उन निष्कर्षों के आधार पर सुरक्षा उपायों को बढ़ाने की जरूरत पर गौर किया जाएगा। साथ ही भविष्‍य में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोकने के लिए दीर्घकालिक नीतियां प्राथमिकता के आधार पर तैयार की जाएंगी।
  4. शुरुआती जांच दल की तैनाती: आईआईटी दिल्ली के स्ट्रक्चरल इंजीनियरों को दिल्ली टी1 पर हुई घटना का तुरंत आकलन करने के लिए कहा गया है। उनके शुरुआती निष्कर्षों के आधार पर आगे की जांच तय की जाएगी। इसी तरह भारतीय विमानपत्‍तन प्राधिकरण जबलपुर घटना की जांच करेगा।

केंद्रीय मंत्री श्री राममोहन नायडू ने जोर देकर कहा कि यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय सभी संबंधित एजेंसियों के साथ मिलकर मौजूदा चुनौतियों का तत्‍काल समाधान सुनिश्चित करने और हमारे हवाई अड्डों के समग्र सुरक्षा मानकों को बेहतर करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है।

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खेल मंत्री ने एशियाई खेलों में योग को शामिल करने की आईओए की पहल का स्वागत किया

युवा कार्यक्रम एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री श्री मनसुख मंडाविया ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष डॉ. पी टी उषा के एशियाई खेलों के कार्यक्रम में योग को शामिल करने के कदम का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “यह उचित ही है कि व्यापक लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए योग एक प्रतिस्पर्धी खेल बन जाए और एशियाई खेलों में शामिल हो।”

आईओए अध्यक्ष ने एशियाई ओलंपिक परिषद (ओसीए) के अध्यक्ष श्री राजा रणधीर सिंह को 26 जून को पत्र लिखकर एशियाई खेलों में योग को खेल के रूप में शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कहा है।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की है कि 21 जून को हर साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाए। मन और शरीर को एक साथ जोड़ने वाली इस विद्या ने दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल की है और यह अपने खुद के नियमों और अलग-अलग कार्यक्रमों के साथ एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में तैयार है।”

उन्होंने कहा, “भारत योग को लोकप्रिय बनाने में सबसे आगे रहा है और हमने इसे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में शामिल करके इसे एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में आगे बढ़ाया और इसे बड़ी सफलता मिली। यह जानकर खुशी हो रही है कि योग करने वालों की बढ़ती संख्या ने राष्ट्रीय खेलों के आयोजकों को इसे अपने कार्यक्रम में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया है।”

भारत सरकार ने अपनी विभिन्न पहलों के माध्यम से योग को एक प्रतिस्पर्धी खेल के साथ-साथ स्वस्थ जीवन जीने की कला और विज्ञान के रूप में बढ़ावा दिया है। युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय ने भारत में एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में योगासन को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए योगासन भारत को मान्यता दी है। इसके अतिरिक्त, 2020 से खेलो इंडिया यूथ गेम्स और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के पिछले कई संस्करणों में योगासन को एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में जोड़ा गया है।

यह भी पता चला है कि विश्व योगासन (वर्ल्ड योगासन) द्वारा मान्यता प्राप्त संस्था एशियाई योगासन ने पहले ही संबद्धता के लिए ओसीए को पत्र लिख दिया है ताकि योगासन को पूरे महाद्वीप में एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में विकसित किया जा सके।

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केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव गणपतराव जाधव और अनुप्रिया सिंह पटेल ने ‘आयुष्मान भारत, गुणवत्त स्वास्थ्य’ कार्यक्रम में तीन पहलों का शुभारंभ किया

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव गणपतराव जाधव और श्रीमती अनुप्रिया सिंह पटेल ने आज ‘आयुष्मान भारत, गुणवत्त स्वास्थ्य’ कार्यक्रम में तीन पहलों का शुभारंभ किया। ये पहल भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतरीन करने एवं कारोबार करने को और भी अधिक आसान बनाने में प्रमुख भूमिका निभाएंगी।

केंद्रीय मंत्रियों ने आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (एएएम) के लिए वर्चुअल राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) आकलन; एक डैशबोर्ड, जो राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्वास्थ्य संस्थानों व केंद्रों को भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों (आईपीएचएस) के अनुपालन की त्वरित निगरानी करने और तदनुसार ठोस कदम उठाने में मदद करेगा; और फूड वेंडर्स के लिए स्पॉट फूड लाइसेंस एवं पंजीकरण पहल का शुभारंभ किया।

केंद्रीय मंत्रियों ने इस कार्यक्रम के दौरान वर्चुअली निर्धारित किए गए स्वास्थ्य एएएम-एससी को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाण पत्र प्रदान किये।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003LGH4.jpgइसी कार्यक्रम में एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं (आईपीएचएल) के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक भी जारी किये गए। ये मानक एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं में प्रबंधन एवं परीक्षण प्रणालियों की गुणवत्ता और क्षमता में सुधार करेंगे, जो परीक्षण के परिणामों की विश्वसनीयता पर सकारात्मक रूप से असर डालेंगे। इनसे प्रयोगशाला से प्राप्त होने वाले परिणामों के संबंध में चिकित्सकों, रोगियों और आम जनता का भरोसा बढ़ जाएगा। इसके अलावा, कायाकल्प के लिए संशोधित दिशा-निर्देश भी जारी किए गए।

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स्पॉट फूड लाइसेंस पहल का प्रारंभ होना खाद्य सुरक्षा एवं अनुपालन प्रणाली (एफओएससीओएस) के माध्यम से तत्काल लाइसेंस जारी करने और पंजीकरण सेवा प्रदान करने के लिए एक नई व्यवस्था है। खाद्य सुरक्षा एवं अनुपालन प्रणाली एक अत्याधुनिक, अखिल भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी वाला प्लेटफार्म है, जिसे सभी खाद्य सुरक्षा विनियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। यह अभिनव प्रणाली लाइसेंसिंग तथा पंजीकरण की प्रक्रियाओं को सरल बनाती है, जिससे उपयोगकर्ता को बेहतर अनुभव प्राप्त होता है।

श्री प्रतापराव जाधव ने सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इन महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत “सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा” प्रदान करने और कल्याण को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयास की निरंतरता का हिस्सा है। उन्होंने 1.73 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित करने, साल 2014 से मेडिकल कॉलेजों की संख्या दोगुनी करने, एम्स की संख्या 7 से बढ़ाकर 23 करने और 2014 से पीजी और एमबीबीएस सीटों की संख्या दोगुनी से अधिक करने को लेकर केंद्र सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने आगे कहा, “सरकार अधिक कुशल मानव संसाधन और गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के साथ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो वर्तमान और भविष्य की चिकित्सा संबंधी चुनौतियों से निपट सकती है।” अनुप्रिया पटेल ने कहा कि वर्चुअल एनक्यूएएस मूल्यांकन और डैशबोर्ड की शुरुआत के साथ-साथ दो दस्तावेजों के जारी होने से सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा। वहीं, स्पॉट फूड लाइसेंस की शुरुआत से भारत में व्यापार करने में सुगमता बढ़ेगी।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image006NJXS.jpgउन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार का ध्यान सस्ती स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच प्रदान करने के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने पर भी है। श्रीमती पटेल ने बताया कि सरकार माननीय प्रधानमंत्री की सोच के अनुरूप साल 2047 तक एक सुदृढ़ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना के निर्माण के लिए काफी परिश्रम कर रही है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री अपूर्व चंद्रा ने सरकार की ओर से गुणवत्ता और अपने नागरिकों के लिए कारोबार में सुगमता प्रदान करने पर निरंतर ध्यान दिए जाने को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि जहां केंद्र सरकार राज्यों को एनक्यूएएस प्रमाणन प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है, वहीं उन स्वास्थ्य केंद्रों को हतोत्साहित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जो स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता के न्यूनतम मानक को सुनिश्चित नहीं करते हैं।

एफएसएसएआई के सीईओ श्री जी कमला वर्धन राव ने कहा कि एफओएससीएस के माध्यम से लाइसेंस व पंजीकरण तत्काल जारी करने से भारत में व्यापार करने को लेकर सुगमता में उल्लेखनीय सुधार होगा और माननीय प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका विश्वास की सोच में योगदान करने में सहायता मिलेगी। इससे पहले पूरे भारत में विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों से आए स्वास्थ्य कर्मियों ने एनक्यूएएस प्रशिक्षण के अपने अनुभव और अपने केंद्रों को एनक्यूएएस प्रमाणित करवाने की यात्रा के साथ-साथ प्रमाणन के कारण आए बदलावों को साझा किया। इसके अलावा देश भर से आए खाद्य विक्रेताओं ने भी अपने स्टॉल के लिए एफएसएसएआई लाइसेंस और पंजीकरण प्राप्त करने के अपने अनुभव को साझा किया।

पृष्ठभूमि:

आयुष्मान आरोग्य मंदिर के लिए वर्चुअल मूल्यांकन

आयुष्मान आरोग्य मंदिर उप-केंद्रों (एएएम-एससी) का वर्चुअल प्रमाणन सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए गुणवत्ता आश्वासन संबंधी संरचना में एक महत्वपूर्ण नवाचार का प्रतिनिधित्व करता है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना के तहत, सभी नागरिकों के लिए व्यापक, सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एएएम) की स्थापना और संचालन किया गया है। वर्तमान में, देश भर में 170,000 से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर संचालित हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के नेतृत्व में, एएएम में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा की टीमों को प्रारंभिक देखभाल, ट्राइएज का प्रबंधन करने और आगे के उपचार के लिए रोगियों को उपयुक्त सुविधाओं के लिए संदर्भित करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। यह दृष्टिकोण पर्याप्त रेफरल लिंकेज के साथ समुदाय के निकट प्राथमिक देखभाल सेवाएं प्रदान करके माध्यमिक और तृतीयक देखभाल सुविधाओं पर बोझ को कम करता है। स्वास्थ्य समस्याओं की प्रारंभिक पहचान और प्रबंधन रोग को बढ़ने से रोकने में मदद करता है। इसके लिए उन्नत देखभाल की आवश्यकता होती है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हों, जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, ग्रामीण और शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (उप केंद्रों) के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) विकसित किए गए, जिसका लक्ष्य 2026 तक पूर्ण अनुपालन करना था। मूल्यांकन प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए ऑनलाइन मूल्यांकन शुरू किए गए हैं, जिसमें वर्चुअल टूर और रोगियों, कर्मचारियों और समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत शामिल है। प्रत्येक स्वास्थ्य सेवा सुविधा गुणवत्ता प्रमाणन प्राप्त करने के लिए एक कठोर बहु-स्तरीय मूल्यांकन प्रक्रिया से गुज़रेगी, जिसका मूल्यांकन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पैनल में शामिल राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा किया जाएगा।

एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं (आईपीएचएल)

जीवन रक्षक उपचार और बीमारी की कारगर रोकथाम करने के लिए उच्च-गुणवत्ता वाले नैदानिक परीक्षणों तक पहुंच सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में सशक्त प्रयोगशाला सेवाओं के बिना, रोगी अक्सर निजी सुविधाओं का सहारा लेते हैं, जिससे उन्हें काफी ज़्यादा खर्च और वित्तीय भार उठाना पड़ता है। इसलिए, भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय ने एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं (आईपीएचएल) की स्थापना करके पीएम-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के तहत प्रयोगशाला प्रणालियों को मजबूत किया है। ये प्रयोगशालाएं नैदानिक सेवाओं में पहुंच, दक्षता और गुणवत्ता सुनिश्चित करती हैं, जो प्रभावी स्वास्थ्य सेवा वितरण के लिए मौलिक हैं।

आईपीएचएल के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) को सुसंगत, सटीक और सुरक्षित प्रयोगशाला परीक्षण प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने के लिए विकसित किया गया है। इन मानकों का उद्देश्य रोगियों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करना, जिला और ब्लॉक-स्तरीय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को सक्षमता प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित करना और गुणवत्ता मानकों को लगातार बनाए रखना और सुधारना है। सटीक परीक्षण परिणाम प्रदान करने, त्रुटियों को कम करने और तेज, विश्वसनीय और सस्ती नैदानिक सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए प्रयोगशालाओं के लिए इन मानकों का पालन करना आवश्यक है। आईपीएचएल मानक जिला अस्पताल के भीतर या एक स्वतंत्र इकाई के रूप में स्थित पूरी तरह कार्यात्मक प्रयोगशालाओं पर लागू होते हैं। यह परिकल्पना की गई है कि राज्य और जिला स्तर पर गुणवत्ता आश्वासन टीम जिले में आईपीएचएल में एनक्यूएएस के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होगी।

सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की वास्तविक समय पर निगरानी के लिए एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली (आईपीएचएस) डैशबोर्ड का शुभारंभ

एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली (आईपीएचएस) अनुपालन डैशबोर्ड का शुभारम्भ  भारत के स्वास्थ्य सेवा विकास में एक क्रांतिकारी रणनीति का प्रतिनिधित्व करता है। आईपीएचएस दिशानिर्देशों के साथ उन्नत डिजिटल उपकरणों को एकीकृत करके, मंत्रालय सार्वजनिक स्वास्थ्य में उत्कृष्टता लाने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि प्रत्येक व्यक्ति को सर्वोत्तम संभव स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्राप्त हो। यह पहल राष्ट्र के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार के लिए सरकार के अटूट समर्पण का एक प्रमाण है।

आईपीएचएस डैशबोर्ड सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की वास्तविक समय की निगरानी के लिए एक ऐसा अग्रणी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है जो जिला अस्पतालों, उप-जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और आयुष्मान आरोग्य मंदिर सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के मूल्यांकन और अनुपालन स्थिति का व्यापक अवलोकन प्रदान करता है। मंत्रालय का लक्ष्य इस अत्याधुनिक डिजिटल उपकरण का लाभ उठाकर यह सुनिश्चित करना है कि सभी स्वास्थ्य सेवा संस्थान आईपीएचएस 2022 द्वारा निर्धारित मानकों का पालन करें, जिससे प्रत्येक नागरिक को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी की गारंटी मिले।
यह डैशबोर्ड ओपन डेटा किट (ओडीके) टूल के माध्यम से वास्तविक समय डेटा संग्रह और विश्लेषण की सुविधा प्रदान करता है, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों को गहन मूल्यांकन करने, अंतराल की पहचान करने और आवश्यक सुधारों को तुरंत लागू करने में सक्षम बनाया सके । यह पहल सुनिश्चित करती है कि स्वास्थ्य सुविधाएं बुनियादी ढांचे, उपकरण और मानव संसाधनों के आवश्यक मानकों को बनाए रखें, जिससे बेहतर स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त होंगे और एक स्वस्थ और अधिक न्यायसंगत समाज को बढ़ावा मिलेगा।
14 जून, 2024 तक, 216,062 सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में से 36,730 से अधिक का मूल्यांकन किया गया है, जिनमें से 8,562 पूरी तरह से आईपीएचएस मानकों के अनुरूप हैं। नई सरकार के गठन के पहले 100 दिनों के भीतर 70,000 स्वास्थ्य संस्थानों को अनुपालन के अनुरूप बनाने का लक्ष्य है।
अधिक जानकारी के लिए कृपया स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएँ।

एफओएससीओएस :

एफओएससीओएस एक अत्याधुनिक, अखिल भारतीय आईटी प्लेटफ़ॉर्म है जिसे सभी खाद्य सुरक्षा नियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। यह अभिनव प्रणाली लाइसेंसिंग और पंजीकरण प्रक्रियाओं को सरल बनाती है, जिससे उपयोगकर्ता को बेहतर अनुभव मिलता है। लाइसेंसिंग और पंजीकरण से परे, एफओएससीओएस ऑनलाइन रिटर्न फाइलिंग, खाद्य सेवा प्रतिष्ठानों के लिए स्वच्छता रेटिंग, सुरक्षा मापदंडों के लिए तीसरे पक्ष के ऑडिट के माध्‍यम से स्व-अनुपालन की सुविधा प्रदान करता है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के अन्य आईटी प्लेटफ़ॉर्म से जुड़ा, एफओएससीओएस खाद्य व्यवसाय संचालकों के लिए एक व्यापक समाधान प्रदान करता है।

कारोबार में सुगमता में और सुधार लाने के एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, एफएसएसएआई ने काम में आने लायक एक नई व्‍यवस्‍था शुरू की है जो खाद्य व्यवसायों की कम जोखिम वाली श्रेणियों के लिए लाइसेंस और पंजीकरण को तुरंत जारी करने में सक्षम बनाती है। इसे डिजिटल सत्यापन के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि खाद्य सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाए। यह नया प्रावधान खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य व्यवसायों का लाइसेंस और पंजीकरण) विनियमन, 2011 के तहत निर्धारित लाइसेंस और पंजीकरण के लिए आवेदन करने और प्राप्त करने की मौजूदा प्रक्रियाओं का पूरक है।

वर्तमान में, एफएसएसएआई लाइसेंस प्राप्त करने में पूर्ण आवेदन जमा करने की तिथि से 30 से 60 दिन लग सकते हैं। लाइसेंस के लिए, इसमें आम तौर पर 60 दिन लगते हैं, जबकि यदि निरीक्षण की आवश्यकता नहीं है तो पंजीकरण में 7 दिन और यदि निरीक्षण की आवश्यकता है तो 30 दिन तक का समय लग सकता है।

लाइसेंसिंग प्राधिकरण के हस्तक्षेप के बिना लाइसेंस जारी करने की सुविधा चुनिंदा श्रेणियों जैसे थोक विक्रेताओं, वितरकों, खुदरा विक्रेताओं, ट्रांसपोर्टरों, वायुमंडलीय नियंत्रण + ठंड के बिना भंडारण, आयातकों, खाद्य वेंडिंग एजेंसियों, प्रत्यक्ष विक्रेताओं और व्यापारी-निर्यातकों के लिए उपलब्ध होगी। पंजीकरण के तत्काल अनुदान के लिए, ऊपर बताई गई श्रेणियों में आवेदन करने वाले छोटे खाद्य व्यवसायों के साथ-साथ स्नैक्स/चाय की दुकानों और फेरीवालों (घुमंतू/चलते खाद्य विक्रेता) के छोटे खुदरा विक्रेताओं को प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। यह योजना दूध, मांस और मछली जैसी उच्च जोखिम वाली खाद्य श्रेणियों में शामिल व्यवसायों पर लागू नहीं होगी।

भारत में विकसित हो रहा खाद्य सुरक्षा इकोसिस्‍टम खाद्य व्यवसायों पर निगरानी रखने पर केन्‍द्रित पारंपरिक प्रथाओं से खाद्य सुरक्षा और मानक (एफएसएस) कानून, 2006 के तहत विश्वास-निर्माण, आत्म-अनुपालन व्यवस्था में परिवर्तित हो रहा है। इन पहलों का उद्देश्य नियामक प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाकर और विभिन्न अनुपालन मॉड्यूलों तक आसान पहुंच प्रदान करके खाद्य सुरक्षा नेटवर्क का विस्तार करना है, जिससे व्यापार करने में आसानी बढ़े।

इस नई कार्यक्षमता का शुभारंभ भारत की अधिक कुशल और व्यापार-अनुकूल वातावरण बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो नवाचार, उद्यमशीलता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।

इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्रालय में अपर सचिव श्रीमती आराधना पटनायक; केन्‍द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्य सरकारों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों सहित प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया।

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कानपुर विद्या मंदिर की बुक बैंक इकाई को समृद्ध बनाने हेतु कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 29 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय में लायंस क्लब इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 B-2 के द्वारा प्रधानमंत्री की योजना ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के उद्देश्य के समर्थन हेतु कानपुर विद्या मंदिर की बुक बैंक इकाई को और समृद्ध बनाने हेतु एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लायन सी ए ज्ञान प्रकाश गुप्ता जी द्वारा महाविद्यालय की बुक बैंक में कुल 257 पुस्तकों का दान किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में लायन विवेक श्रीवास्तव, लायन पवन तुलसियान एवम लायन गोपाल तुलसियान उपस्थित रहें। कार्यक्रम की अध्यक्षता डिस्ट्रिक्ट चेयर पर्सन बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लायन वीना ऐरन जी ने की, जिन्होंने बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का नेतृत्व करते हुए कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय को लायंस क्लब द्वारा आज चतुर्थ चरण में एनईपी 2020 के अंतर्गत कला संकाय की 257 पुस्तकों का दान किया जा रहा है। इससे पूर्व प्रथम चरण में 64 एवम द्वितीय चरण में 152, तृतीय चरण में 182 पुस्तकों प्रदान की गई थीं। अब तक कुल 657 पुस्तकें बुक बैंक में हमारे द्वारा दान की गई हैं आगे भी आवश्यकतानुसार लायंस क्लब , छात्राओं हेतु शिक्षा की जरूरी सामग्री उपलब्ध कराता रहेगा, जिससे बेटियों को सक्षम और सशक्त बनाने में सहायता प्राप्त होगी। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर पूनम विज जी ने कहा कि शिक्षा ही एकमात्र साधन है जिससे बेटियां सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकतीं हैं। लायंस क्लब कानपुर एकता विशाल, लायन क्लब कानपुर गंगेज, लायन क्लब कानपुर अलंकृत, लायन मृदुला वर्मा, लायन सर्वेश दुबे ने हमारी बुक बैंक की पहल के कार्यक्रम के विशेष सहयोग दिया है। इससे हमें बुक बैंक इकाई स्थापित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। आपके सहयोग के लिए हम आभारी हैं।
इस कार्यक्रम में लायन सुधा यादव ,लायन सविता श्रीवास्तव, लायन सुषमा श्रीवास्तव, लायन संघमित्रा, लायन उत्तरा गर्ग एवम कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय की कला संकाय की शिक्षिकाएं प्रो निशा पाठक, डॉ पूर्णिमा शुक्ला एवम पुस्तकालय प्रभारी श्रीमती सुमन उपस्थित रही I कार्यक्रम का समापन प्रो निशा पाठक के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन कर किया गया।

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वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड उत्पादन के बाद मई 2024 में खनन क्षेत्र में वृद्धि

मूल्य के हिसाब से लौह अयस्क और चूना पत्थर कुल एमसीडीआर खनिज उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा हैं। इन प्रमुख खनिजों ने वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड उत्पादन प्रदर्शित किया, जिसमें वित्त वर्ष 2023-24 में लौह अयस्क का उत्पादन 275 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) और चूना पत्थर का उत्पादन 450 एमएमटी रहा।

इस प्रवृत्ति को जारी रखते हुए, देश में इन प्रमुख खनिजों के उत्पादन ने अनंतिम आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में जोरदार वृद्धि प्रदर्शित की है। वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मई) में लौह अयस्क का उत्पादन 50 एमएमटी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 52 एमएमटी हो गया है, जिसमें 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। चूना पत्थर का उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मई) में 77 एमएमटी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 79 एमएमटी हो गया है, जिसमें 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मैंगनीज अयस्क का उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 16.7 प्रतिशत बढ़ गया है और वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 0.7 एमएमटी का उत्पादन हुआ है।

अलौह धातु क्षेत्र में, वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में प्राथमिक एल्यूमीनियम उत्पादन में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मई) में 6.90 एलटी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 6.98 लाख टन (एलटी) हो गया।

भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा एल्युमीनियम उत्पादक, तीसरा सबसे बड़ा चूना उत्पादक और चौथा सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक है। चालू वित्त वर्ष में लौह अयस्क और चूना पत्थर के उत्पादन में निरंतर वृद्धि इस्पात और सीमेंट जैसे उपयोगकर्ता उद्योगों में मजबूत मांग की स्थिति को दर्शाती है। एल्युमीनियम के उत्पादन में वृद्धि के साथ, ये वृद्धि के रुझान ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, निर्माण, ऑटोमोटिव और मशीनरी जैसे उपयोगकर्ता क्षेत्रों में निरंतर मजबूत आर्थिक गतिविधि की ओर संकेत देते हैं।

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कर्मचारी पेंशन योजना 1995 में संशोधन किया गया है, जिससे 6 महीने से कम सेवा वाले सदस्यों को निकासी का लाभ प्रदान किया जा सके; संशोधन से प्रत्येक वर्ष कर्मचारी पेंशन योजना के 7 लाख से अधिक सदस्यों को लाभ मिलेगा

भारत सरकार ने कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस), 1995 में संशोधन किया है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि 6 महीने से कम अंशदायी सेवा वाले कर्मचारी पेंशन योजना के सदस्यों को भी निकासी लाभ मिल सके। इस संशोधन से प्रत्येक वर्ष कर्मचारी पेंशन योजना के 7 लाख से अधिक ऐसे सदस्यों को लाभ प्राप्त होगा जो 6 महीने से कम अंशदायी सेवा के बाद योजना छोड़ देते हैं।

इसके अलावा, केंद्र सरकार ने तालिका डी को संशोधित किया है और यह सुनिश्चित किया है कि सदस्यों को आनुपातिक निकासी लाभ देने के लिए सेवा के प्रत्येक पूरे महीने को ध्यान में रखा जाए। निकासी लाभ की राशि अब सदस्य द्वारा दी गई सेवा के पूरे महीनों की संख्या और उस वेतन पर निर्भर करेगी जिस पर कर्मचारी पेंशन योजना का अंशदान प्राप्त हुआ था। उपर्युक्त उपाय ने सदस्यों को निकासी लाभ के भुगतान को युक्तिसंगत बनाया है। अनुमान है कि प्रत्येक वर्ष 23 लाख से अधिक सदस्य तालिका डी के इस संशोधन से लाभान्वित होंगे।

प्रत्येक वर्ष पेंशन योजना 95 के लाखों कर्मचारी सदस्य पेंशन के लिए आवश्यक 10 वर्ष की अंशदायी सेवा देने से पहले ही योजना छोड़ देते हैं। ऐसे सदस्यों को योजना के प्रावधानों के अनुसार निकासी का लाभ दिया जाता है।

वित्तीय वर्ष 2023-24 में 30 लाख से अधिक निकासी लाभ के दावों का निपटारा किया गया।

अब तक, निकासी लाभ की गणना पूर्ण वर्षों में अंशदायी सेवा की अवधि और उस वेतन के आधार पर की जा रही थी, जिस पर कर्मचारी पेंशन योजना के अंशदान का भुगतान किया गया है।

इसलिए, अंशदायी सेवा के 6 महीने और उससे अधिक का समय पूरा करने के बाद ही सदस्य ऐसे निकासी लाभ के लिए पात्र होते थे। परिणामस्वरूप, 6 महीने या उससे अधिक समय तक अंशदान करने से पहले योजना छोड़ने वाले सदस्यों को कोई निकासी लाभ नहीं मिलता था। यह कई दावों के खारिज होने और शिकायतों का कारण था क्योंकि कई सदस्य 6 महीने से कम की अंशदायी सेवा किए बिना ही योजना छोड़ रहे थे। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान, 6 महीने से कम की अंशदायी सेवा के कारण निकासी लाभ के लगभग 7 लाख दावे खारिज कर दिए गए। इसके संशोधन बाद, ऐसे सभी कर्मचारी पेंशन योजना के सदस्य जो 14.06.2024 तक 58 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर पाए हैं, वे निकासी लाभ के पात्र हो जाएंगे।

इससे पहले, पूर्ववर्ती तालिका डी के अंतर्गत गणना में प्रत्येक पूर्ण वर्ष के बाद 6 महीने से कम समय के लिए की गई सेवा की आंशिक अवधि को नजरअंदाज कर दिया गया था। इसके परिणामस्वरूप कई मामलों में निकासी लाभ की कम राशि प्राप्त हुई। तालिका डी के संशोधन के साथ, निकासी लाभ की गणना के लिए अंशदायी सेवा को अब पूर्ण महीनों में माना जाएगा। इससे निकासी लाभ का उचित भुगतान सुनिश्चित होगा। उदाहरण के लिए, 2 वर्ष और 5 महीने की अंशदायी सेवा और 15,000/- प्रति माह वेतन के बाद निकासी लाभ लेने वाला सदस्य पहले 29,850/- रुपये की निकासी लाभ का हकदार था। अब उसे 36,000/- रुपये का निकासी लाभ प्राप्त होगा।

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डीएवाई-एनआरएलएम ने महिला स्वयं सहायता समूहों को सेवा क्षेत्र उद्यमों में शामिल कर ‘लखपति दीदी बनाने’ के विषय पर कार्यशाला आयोजित की

 प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने की दिशा में अपने प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए, ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) ने आज महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को सेवा क्षेत्र के उद्यमों में एकीकृत कर लखपति दीदी बनाने के विषय पर राष्ट्रीय हितधारक परामर्श कार्यशाला आयोजित की।

इस कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए, ग्रामीण आजीविका के अपर सचिव श्री चरणजीत सिंह ने कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर कार्यशाला का आयोजन इसे एक ऐतिहासिक दिन बनाता है। यह मिशन, प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुसार लखपति दीदियां बनाने का प्रयास कर रहा है और सेवा क्षेत्र के उद्यमों की संभावनाओं की खोज एवं एकीकरण करते हुए लखपति पहल को सुदृढ़ बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। श्री सिंह ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि सेवा क्षेत्र आज सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 50 प्रतिशत और रोजगार में 31 प्रतिशत का योगदान देता है, इसलिए इस पर खुले दिमाग से चर्चा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि एसएचजी समुदाय की व्यापक भागीदारी के लिए उनके आर्थिक उत्थान और उन्हें लखपति दीदी बनने में सक्षम बनाने के लिए किस तरह की उप-योजना शुरू की जा सकती है।

ग्रामीण आजीविका की संयुक्त सचिव सुश्री स्वाति शर्मा ने संदर्भ की चर्चा करते हुए कहा कि 15 अगस्त, 2023 को प्रधानमंत्री द्वारा लखपति दीदी बनाने की घोषणा और 11 मार्च, 2024 को प्रधानमंत्री की लखपति दीदियों के साथ परस्पर बातचीत के बाद, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और इसके राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन इसे वास्तविकता बनाने के लिए प्रेरित हुए हैं। उन्होंने कहा कि मांग आधारित आर्थिक कार्यकलापों पर ध्यान केंद्रित करने का समय आ गया है और इसके लिए डीएवाई-एनआरएलएम अपने विभिन्न हितधारकों के साथ एसएचजी दीदियों को सफल सेवा क्षेत्र उद्यम बनाने के लक्ष्य को साकार करने के लिए मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करेगा।

इस अवसर पर ग्रामीण आजीविका विभाग की संयुक्त सचिव सुश्री स्मृति शरण ने कहा कि प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी लखपति दीदी के सपने को साकार करने के लिए संयोजन महत्वपूर्ण है और मंत्रालय अपने सहयोगियों के साथ मिलकर स्वयं सहायता समूह दीदियों को लखपति दीदी के रूप में आर्थिक रूप से परिवर्तित करने में मदद करने के लिए हर संभव अवसर का लाभ उठाएगा।

इस कार्यशाला का आयोजन वर्तमान परिदृश्य- सेवा क्षेत्र में महिला स्वयं सहायता समूहों के समक्ष अवसर, संभावनाएं और चुनौतियां, महिला स्वयं सहायता समूहों को सेवा उद्यमों में एकीकृत करने के सर्वोत्तम तरीकों एवं सफल मॉडलों की पहचान और विभिन्न हितधारकों के सहयोग से अर्थव्यवस्था के सेवा क्षेत्र में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के सफल एकीकरण के लिए आगे की रणनीति और रोडमैप की समझ विकसित करने के उद्देश्य से किया गया था। प्रतिभागियों में ग्यारह मंत्रालयों, दस राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों और अन्य हितधारकों, सेक्टर कौशल परिषद, राष्ट्रीय संसाधन संगठनों और तकनीकी सहायता एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल थे। इस कार्यशाला में प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी के साथ विभिन्न सोच और विचारों पर खुली चर्चा हुई। ग्रामीण आजीविका निदेशक सुश्री राजेश्वरी एसएम ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। समापन भाषण में, ग्रामीण आजीविका के परामर्शदाता श्री आर एस रेखी ने परामर्श कार्यशाला के मुख्य बिंदुओं और परामर्श कार्यशाला से उभरी अंतर्दृष्टि के आधार पर भावी परिदृश्य पर प्रकाश डाला।

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